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Monday, 31 July 2023

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नमस्कार दोस्तो, यह मेरी पहली कहानी दो कॉलेज गर्ल के बारे में है दोनों लड़कियाँ टीनएज थी करीब 19 साल की … मैं आप सभी के सामने प्रस्तुत कर रहा हूं, आशा करता हूं कि आप सभी को मेरी सेक्स कहानी काफी पसन्द आएगी.

मैं उत्तर प्रदेश के एक बड़े से शहर में रहता हूं. यहां पर मैं अपने शहर का नाम नहीं बताना चाहता हूं उसके लिए मुझे क्षमा करें. मैं एक प्रतिष्ठित चॉकलेट कंपनी में सेल्स मैंनेजर के पद पर पिछले दस वर्षों से काम कर रहा हूं.

मैंने 20 साल का होने तक भी अपने लंड की मुट्ठ नहीं मारी थी. हां मुझे तो इतना तो पता था कि मुट्ठ कैसे मारते हैं लेकिन मैंने सुना था कि मुट्ठ मारने से लंड की नसों पर दुष्प्रभाव पड़ता है इसलिए मैं मुट्ठ मारने की आदत नहीं डालना चाहता था.

फिर एक दिन की बात है कि मैं अपने दोस्त के रूम पर उसके साथ टीवी पर फिल्म देख रहा था. फिल्म में सेक्स के सीन थे और मेरे दोस्त ने अपनी पैंट से लंड को निकाल कर मेरे सामने ही अपने लंड को हिलाना शुरू कर दिया. उसने मुझसे भी कहा कि तू भी हिला ले लेकिन मैंने मना कर दिया. फिर वो बाथरूम में चला गया और वहां पर अपना वीर्य निकाल कर आ गया.

उस घटना को कई दिन बीत गये. एक दिन मैं घर पर अकेला था तो पता नहीं मेरा मन भी किया कि एक बार तो हस्तमैथुन करके देखना चाहिए कि कितना मजा आता है. शादी के बाद सेक्स तो हो ही जायेगा.
फिर मैंने टीवी ऑन कर लिया और कुछ सेक्सी सामग्री वाले प्रोग्राम खोजने लगा. बहुत देर तक मुझे कुछ नहीं मिला. फिर मैंने फिल्मों के गानों में दिख रही हिरोइन के चूचों को देख कर ही अपने लंड को हिलाना शुरू कर दिया.
उस दिन जब पहली बार मैंने लंड को हिलाया तो मुझे सच में बहुत मजा आया.

फिर तो बस मैंने अपने लंड की रेलम-पेल शुरू कर दी. मजा आता रहा और मैं लंड पर हाथ को चलाता रहा. फिर जब मैं क्लाइमेक्स पर पहुंच गया तो मेरे लंड से वीर्य की इतनी तेज पिचकारी निकली कि वो सीधी टीवी स्क्रीन पर जाकर लगी. उस दिन जब मैंने लंड की मुट्ठ मार कर वीर्य निकाला तो मैं बता नहीं सकता कि मुझे कितना मजा आया. इस तरह से वीर्य निकलने का मजा मैंने जिन्दगी में पहली बार ही चखा था.

उसके बाद तो जैसे मुझे इसकी लत ही लग गई. मुझे हर लड़की में बस उसकी चूत ही दिखाई देने लगी थी. जब भी कोई जवान लड़की सामने होती थी तो सबसे पहले नजर उसके चूचों पर जाती थी. उसके बाद उसके चूत के ख्यालों में खो जाता था. अब तो मैं चुदाई के लिए तड़पता रहता था. इस सब के चक्कर में पढ़ाई की तो जैसे ही मां ही चुद गई.

मैं अब ऐसा अय्याश बन गया था कि कॉलेज के बचे हुए दिनों में मैंने केवल तफरी ही मारी. न कभी क्लास में गया और न ही पढ़ाई में ही फोकस कर पाया. कॉलेज जाता था तो बस एग्जाम देने के लिए.

अपनी कहानी बताने के चक्कर में मैं आप लोगों को अपने शरीर के बारे में तो बताना भूल ही गया. मैं दिखने में काफी स्मार्ट था. मेरा रंग भी गोरा है और उन दिनों में तो मेरी पर्सनेलिटी भी काफी अच्छी थी. जब मैं अय्याशी की दुनिया में उतरा तो कई लड़कियां मुझ पर फिदा रहती थी.

आप लोगों को एक सच्चाई यह भी बताना चाहता हूं कि मैंने कभी भी अपनी तरफ से किसी लड़की को प्रपोज नहीं किया था. जिसकी भी चूत में खुजली होती थी वो खुद मेरे पास आकर अपनी चूत को मेरे हवाले कर दिया करती थी. मैं इस मामले में काफी ईमानदार भी था. मैंने कभी किसी लड़की से सेक्स करने के बाद उसकी प्राइवेसी किसी के साथ शेयर नहीं की थी. जब भी किसी की इच्छा होती थी तो वो मुझे बुला कर अपना काम पूरा करवा लेती थी.

मेरे लंड का साइज भी 6 इंच का है और मोटाई 3 इंच की है. मैं ज्यादा बढ़ चढ़कर नहीं बता रहा हूं, जैसा है वैसा ही बता रहा हूं. मुझे तो अपने लंड से कोई शिकायत नहीं थी क्योंकि कोई भी भाभी या आंटी इस साइज के लंड से संतुष्ट हो सकती थी. वैसे भी मैंने अपने जीवन में ये खुद अनुभव किया है कि लंड के साइज से ज्यादा सेक्स करने की क्रिया पर बहुत कुछ निर्भर करता है.
लंड कितना भी बड़ा या मोटा क्यों न हो, अगर किसी को सेक्स करने की कला नहीं आती है तो वह ज्यादा संतुष्टि अपने पार्टनर को नहीं दे पायेगा.

मैंने अपने जीवन में 20 से ज्यादा लड़कियों और भाभियों की चूत बजाई थी. वो आज तक भी मेरी कायल हैं और मुझे याद करती रहती हैं. यह कहानी भी उन्हीं दिनों की है. कॉलेज में एक लड़की थी युक्ता. यहां पर नाम मैंने बदल दिया है. मेरे दोस्त ने बताया कि वो लड़की कई बार दूसरी लड़कियों के माध्यम से मेरे बारे में बात कर चुकी है. मैंने तो कभी उसकी तरफ ध्यान भी नहीं दिया था. फिर मेरे दोस्त ने बताया कि युक्ता की सहेली उसके साथ सेट थी. युक्ता की सहेली ने ही मेरे दोस्त को युक्ता के मन की बात बताई थी.

मेरे दोस्त ने अपनी वाली की ठुकाई कर बार की थी. अब मेरे मन में भी युक्ता की चूत के लिए तूफान उठने लगा था. फिर मैंने और मेरे दोस्त ने साथ मूवी देखने का प्लान किया. साथ में उसकी गर्लफ्रेंड शोभा भी आने वाली थी. दरअसल मूवी का तो बहाना था. यहां पर चूत चुदाई तो युक्ता की होने वाली थी. मैं उसकी चूत चोदने के लिए बेताब सा था.

किसी जवान कॉलेज गर्ल के साथ वो मेरा पहला अनुभव होने वाला था. इसलिए मैं उस दिन हल्का सा नर्वस भी हो रहा था. फिर मैंने सोचा कि जो होगा वो देखा जायेगा. वहां पर जाकर देखा कि शोभा और उसकी सहेली युक्ता चली आ रही थीं.

पास पहुंचने के बाद शोभा ने मेरा परिचय युक्ता से करवाया. काफी खूबसूरत सी लड़की थी वो. जब उसने हाथ मिलाया तो उसका हाथ छोड़ने का मन ही नहीं किया. मैं उसको देखता ही रहा. 32 के साइज के चूचियां थीं और गांड एकदम मस्त और बिल्कुल बाहर निकली हुई थी. रंग ऐसा गोरा कि जैसे अभी दूध में नहा कर बाहर आई हो.

मन तो कर रहा था कि अभी यहीं पकड़ कर चोद दूं. काफी देर तक उसको देखता रहा तो युक्ता ने ही मेरा ध्यान भंग किया.
बोली- कहां खो गये? चलना नहीं है क्या?

मेरा दोस्त अपनी गर्लफ्रेंड शोभा को लेकर निकल चुका था. फिर मैंने युक्ता को बाइक पर बैठाया और हम दोनों भी उनके पीछे निकल पड़े. रास्ते में चलते हुए मैं बार-बार ब्रेक लगा रहा था. मुझे उसकी चूचियों का स्पर्श अपनी पीठ पर महसूस हो रहा था. वो मुझसे बिल्कुल चिपक कर बैठी थी. शायद उसको भी मजा आ रहा था.

आखिर हम चारों सिनेमा हॉल में पहुंच गये. हमने जान बूझ कर एक बकवास सी मूवी चुनी थी. इसलिए सिनेमा हॉल में इक्का दुक्का लोग ही थे. वो भी सब कपल ही थे. आप ऐसा भी समझ लें कि वो सब शायद इसीलिये उस मूवी को देखने आये थे ताकि मूवी के बहाने बस मजे ले सकें. हमारे आगे और पीछे वाली सीटों पर दूर तक कोई नहीं था.

जैसे ही मूवी शुरू हुई, हम लोगों की एक्टिविटी भी शुरू हो गई. शोभा और मेरा दोस्त दोनों एक दूसरे को किस करने में लगे हुए थे. उनको देख कर हम दोनों भी एक दूसरे के बारे में यही सोच रहे थे कि कैसे शुरूआत हो.

आखिर मैंने उसका एक हाथ अपने हाथ में ले लिया और उसे धीरे-धीरे सहलाने लगा. वो भी समझ गयी और उसने मेरी तरफ देख कर हल्का सा स्माइल किया और मेरे कंधे पर अपना सिर रख दिया. मैंने भी उसको प्यार से उसके गालों पर एक किस कर लिया, ये मेरे जीवन का पहला किस था.

फिर धीरे-धीरे हम दोनों की सांसें एक दूसरे से टकराने लगीं और मैंने ही पहल करते हुए उसके सिर के पीछे से हाथ ले जाकर उसके कंधों पर रख लिया. उसने भी मेरा साथ देते हुए अपने सिर को थोड़ा सा उठा लिया और मेरे हाथ में सिर रख कर मुझसे चिपक गई, फिर मैंने दूसरे हाथ से उसके चेहरे को ऊपर की तरफ उठाया और उसके गुलाबी होंठों पर अपने होंठों को रख दिया.

अब मैं किसी और दुनिया में था, उसके लब इतने मुलायम थे कि मैं तो उसे चूसता ही रह गया. 5 मिनट बाद वो भी मेरा पूरा साथ देने लगी, अचानक एक आवाज आई- उम्म्ह … अहह … हय … ओह … मैंने पलट कर देखा तो मेरा दोस्त शोभा की चूचियों को बाहर निकाल कर उसके निप्पल को जोर जोर से चूस रहा था.

शोभा मुझे और युक्ता को देख कर थोड़ा शरमा गई और अपनी चूचियों को थोड़ा चुन्नी से ढक लिया और मेरे दोस्त से बोली- धीरे से करो, युक्ता और तुम्हारा दोस्त देख रहे हैं.
मेरे दोस्त ने कहा- उसे सब पता है.

शोभा को इस हालत में देख कर मेरा तो लन्ड खड़ा हो चुका था, ये युक्ता ने भी महसूस कर लिया था.

फिर मैंने अपना दाहिना हाथ युक्ता की चूचियों पर रख दिया. उसके बाद मैं उसी हाथ से युक्ता की चूचियों को दबाने लगा. वो भी बहुत गर्म हो गई थी. उसने मेरा बिल्कुल भी विरोध नहीं किया. बल्कि उसको तो मज़ा आ रहा था.

युक्ता की चूचियां बिल्कुल रूई के जैसे मुलायम थीं. उसके मुंह से हल्की कामुक आवाजें भी आना शुरू हो गई थीं. फिर मैंने अपने हाथ को उसके गले के ऊपर से कमीज को थोड़ा खींचते हुए अंदर हाथ डाल दिया. मेरा हाथ उसकी चूचियों की चमड़ी से टकराया तो मजा आ गया. एकदम गर्म गर्म रुई का गोला.

मैंने तुरंत उसका कमीज ऊपर किया और एक चूची को बाहर निकाल लिया और उसमें अपने होंठों को रख दिया. उसके मुंह से एक सी … सी … आवाज आई और उसने मेरे सिर को अपनी चूची पर दबा लिया और मेरे बालों पर अपनी उंगलियों से सहलाने लगी.
वो दिन मैं कभी भूल नहीं सकता. हमें बिल्कुल भी होश नहीं था कि हम सिनेमा हॉल में एक पब्लिक प्लेस में हैं.

जवानी के जोश में दोनों ही होश खो बैठे थे. लेकिन मैं चाहता था कि शोभा ये देखे कि कैसे मैं उसकी फ्रेंड युक्ता की चूचियों का मर्दन पान कर रहा हूं. यहां तक कि मैं तो शोभा की चूचियों को चूसने के बारे में भी सोच रहा था. बाद में मैंने शोभा के साथ भी चूत और लंड का खेल खेला लेकिन वो वाकया मैं आप लोगों को बाद में कभी बताऊंगा.

उसके बाद मैंने धीरे से युक्ता का एक हाथ पकड़ कर अपने लन्ड पर रख दिया और धीरे से उसको दबा दिया. युक्ता तो जैसे तैयार बैठी थी. उसने तुरंत मेरे लन्ड को पकड़ लिया और उस पर अपने कोमल हाथ से सहलाने लगी.

युक्ता के कोमल हाथ का लंड पर स्पर्श होते ही मुझसे रहा न गया और मैंने अपना लंड चेन खोल कर बाहर निकाल लिया. लंड के टोपे को पीछे खिसका दिया. मेरा लंड जोर जोर से झटके खा रहा था.
हर वो लड़का और लड़की ये अच्छी तरह से जानते हैं कि जब पहला सेक्स होता है और जब पहली बार कोई आपके सेक्सुअल पार्ट्स को टच करता है तो वो पहला नशा एकदम अजीब सा होता है. तन-बदन में सरसराहट होने लगती है. दिमाग काम करना बंद कर देता है. दिल की धड़कनें 2 गुना तेजी से चलने लगती हैं.

उस समय लड़कियों के दिमाग में केवल एक ही सोच दिमाग में हावी होती है कि कैसे कितनी जल्दी ये लन्ड उखाड़ कर अपनी चूत में डाल लें. और लड़के सोचते हैं कि चूत में लन्ड डाल कर उसका भोसड़ा बना दें, इतना चोदें, इतना चोदें कि उसकी चूत के परखच्चे उड़ा दें मगर अफसोस ऐसा हो नहीं पाता.

ज्यादातर लड़कियां ही इसमें विजय श्री हासिल करती हैं.

लेकिन कभी-कभी मां भी चुद जाती है, अगर लन्ड मोटा हुआ और चूत का छेद छोटा होता है तो वहां गांड फटने में समय नहीं लगता. लड़की चिल्लाती है कि बस करो, छोड़ दो. रहम करो. युक्ता के साथ भी बाद में ऐसा ही हुआ.

जैसे ही युक्ता ने लन्ड के टोपे को पकड़ कर पीछे किया और फिर से आगे किया और फिर से पीछे. बार-बार यही करती रही. मैं बहुत ज्यादा उत्तेजना में था और लंड का वीर्य छूटने का डर हो चला था. इसलिए मैंने तुरंत उसको रोका और केवल सहलाने को बोला.

फिर धीरे से मैंने उसकी लैगी में हाथ डाला तो उसमें नाड़ा तो था नहीं. मेरा हाथ सीधे उसकी चूत के ऊपर पहुंच गया था. उसकी पैंटी बहुत गीली हो चुकी थी. मैंने पैंटी को साइड में करके उसकी चूत में उंगली डाल दी.

जैसे ही चूत में उंगली घुसी, युक्ता के मुंह से सी … सी … आह … की आवाज आने लगी और वो अपनी कमर को मरोड़ने लगी. मैंने भी उंगली से उसकी चूत का चोदन चालू रखा.

वो पागलों की तरह मेरे कानों को काटती हुई मेरे बालों में अपनी उंगलियां चलाने लगी और फिर एक जोर से आह भरते हुए अपनी कमर के नीचे जांघों के पास से मेरे हाथ को कस लिया और फिर 2 मिनट तक झड़ती रही.
मैं इस बीच में उसकी चूचियों को दबाता रहा. वो मेरे लंड को आगे पीछे करती हुई झड़ती रही.

उसका सारा माल मेरी उंगलियों से होता हुआ मेरे पूरे हाथ में भर गया. इधर मेरा भी लन्ड अपने उफान पर आ गया और मैंने भी एक जोर की पिचकारी छोड़ दी. वो पिचकारी इतनी जोर से निकली थी कि आगे वाली सीट के बिल्कुल ऊपर तक गई थी. अगर हमारे आगे वाली सीट पर कोई बैठा होता तो उस दिन उसके सिर में शैम्पू ही लग जाना था. एक पिचकारी ऊपर हवा में जाने के बाद बाकी का माल युक्ता के हाथ से होता हुआ उसकी उंगलियों में भर गया.

इस दौरान हम दोनों ये तो भूल ही गए थे कि कोई चुपके से हम दोनों को देख रहा है. वो कोई और नहीं बल्कि शोभा ही थी और मुझे और युक्ता को देख कर हंस रही थी. वो पिछले 10 मिनट से हमारी सारी कारस्तानी पर ध्यान लगा कर देख रही थी.

शोभा भी मेरे लन्ड से खेलना चाहती थी. ये मुझे उसने बाद में बताया और ऐसा हो भी क्यों न … जब एक हैंडसम स्मार्ट सा लड़का अपने गोरे लंड के गुलाबी सुपारे के साथ नजरों के सामने बैठा हो तो चूत को गीली होने में भला कितना समय लगना था.

जब मैंने देखा कि शोभा हमारी तरफ ध्यान लगा कर देख रही है तो मैंने तुरंत शोभा को देख कर स्माइल पास कर दी और अपने लन्ड को ऐसे ही बाहर रखा और धीरे से युक्ता से कहा- हमारा पूरा लाइव शो शोभा ने भी देखा है.

युक्ता बोली- वो बहुत बड़ी चुदक्कड़ है. मुझे उसकी कोई परवाह नहीं, वो तो बेशर्म है ही लेकिन तुम भी कम बेशर्म नहीं हो.

इन्हीं बातों के बीच में मैंने धीरे से युक्ता का मोबाइल नंबर लेकर अपने मोबाइल में सेव कर लिया और शोभा को धीरे से आंख मार दी. वो समझ गई कि मैं और वो दोनों क्या चाहते हैं. फिर हम चारों वहां से शो खत्म होने के पहले ही निकल गए. बाहर आकर हमने एक अच्छे से रेस्तरां में फ़ास्ट फ़ूड खाया. खाना खाते हुए हम सब एक दूसरे को देख कर मुस्करा रहे थे. शोभा मुझे देख कर कुछ ज्यादा ही फ्रेंक हो रही थी.

एक बात मैंने नोटिस की कि युक्ता को शायद मुझसे कुछ ज्यादा ही लगाव हो गया था. उसकी बातों में मुझे प्यार वाला फील आ रहा था. युक्ता थी भी बहुत सुंदर. उसके बाद हम दोनों दोस्तों ने उन दोनों को ऑटो रिक्शा स्टैंड पर ड्राप कर दिया लेकिन युक्ता की नज़र मुझ पर से हट ही नहीं रही थी.
मैंने उसको बाय बोला और उसे एक फ्लाइंग किस दे दिया. उसने भी रिप्लाई में मुझे फ्लाइंग किस दी और बाय बोल कर चली गई.

वो दोनों तो चली गईं लेकिन मैं इस अधूरी चुदाई से जैसे पागल सा हो उठा.

रात में मैंने युक्ता और शोभा की चूचियों और चूत के बारे में सोच कर मुट्ठ मारी. दो बार लंड से वीर्य फेंका दब जाकर मेरी अन्तर्वासना थोड़ी ठंडी पड़ी. फिर लेटे हुए रात के दो बजे का समय हो गया.

अचानक से फोन का मैसेज बजा तो मैंने देखा कि फोन में मेरे पास दो मैसेज आये हुए हैं.
एक में लिखा था- तुमसे मिल कर मुझे बहुत अच्छा लगा. ये शोभा का मैसेज था.
दूसरे में लिखा था- आई लव यू. (मैं तुमसे प्यार करने लगी हूं) ये युक्ता का मैसेज था.

दोस्तो, इसके बाद की अगली कहानियों में मैं आप लोगों को बताऊंगा कि कैसे मैंने एक साथ युक्ता और शोभा की चुदाई की. उन दोनों की चुदाई उनकी सहमति से ही हुई थी. लेकिन उसके लिए आप लोगों को मेरी अगली कहानी का इंतजार करना पड़ेगा. जैसे ही समय मिलेगा मैं अपनी अगली कहानी लिखूंगा.

फिलहाल आप इस कॉलेज गर्ल स्टोरी के बारे में मुझे बतायें कि आपको मेरी यह कैसी लगी. आपको मजा आया कि नहीं.

Sunday, 30 July 2023

बेबी की डिलीवरी के कितने समय बाद सेक्स करना शुरू करें?

 

मुझे एक पाठक का मेल मिला है जिसमें उसने यह जानना चाहा है कि बेबी की डिलीवरी के कितने समय बाद सेक्स करना शुरू करें?

तो निम्न उत्तर सामान्य जानकारी व बौद्धिक ज्ञान पर आधारित है. मैं कोई डॉक्टर या विशेषज्ञ नहीं हूँ. अगर आप इस बारे में गहन जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो अपने डॉक्टर से ही संपर्क करें.

इस सवाल का कोई निश्चित जवाब नहीं दिया जा सकता. इस प्रश्न का उत्तर काफी सारी बातों पर निर्भर करता है.
संक्षेप में कहें तो बेबी होने के पश्चात जब महिला शारीरिक रूप से पूरी तरह से चुस्त तंदरूस्त हो जाये, तभी पति पत्नी को सम्भोग शुरू करना चाहिए.

गर्भावस्था के नौ माह में महिला को तरह तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. उस पर शारीरिक दबाव भी होता है और मानसिक भी … पहली डिलीवरी के समय तो मानसिक तनाव बहुत ज्यादा रहता है क्योंकि स्त्री प्रसव में होने वाले दर्द से भयभीत रहती है. शारीरिक रूप से भी उसका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता. दो तीन महीने तो उल्टियों वगैरा में ही निकल जाते हैं. उसके बाद पेट का उभार दिखना शुरू हो जाता है, वजन भी बढ़ जाता है. खान पान का भी विशेष ध्यान रखना होता है.

प्रसव होने के बाद यानि बच्चे होने के बाद नारी में स्वाभाविक रूप से कमजोरी आ जाती है और बच्चे के साथ काम भी बढ़ जाता है, जिम्मेदारियां भी … दिन का समय बच्चे की देखभाल, उसकी आवश्यकताएं पूरी करने में निकल जाता है और रात को भी अक्सर जागना पड़ता है इससे नवप्रसूता को आराम नहीं मिल पाता है, नींद पूरी ना होने से वो चिड़चिड़ी होने लगती है. इसलिए सेक्स करने में उतावलापन ना दिखाएँ.

वैसे भी आजकल अधिकतर सीजेरियन विधि द्वारा ही बच्चे का जन्म होता है तो कम से कम तीन महीने तो टांकों पर कोई जोर नहीं पड़ना चाहिए. इसलिए सीजेरियन केस में तो कम से कम तीन महीने सम्भोग से दूर रहना चाहिए.

सामान्य डिलीवरी में भी थोड़ी बहुत चीर फाड़ सामान्य बात है, उसमें भी टाँके लगते हैं तो इस केस में भी तीन महीने का समय कम से कम बिना सेक्स के निकालना अनिवार्य है.
अगर डिलीवरी एकदम सामान्य हुई हो तो भी गर्भाशय में दर्द, योनि का फैला होना, योनि में सूजन, दर्द के कारण प्रसूता स्त्री से सम्भोग करने में उसे तकलीफ होगी. तो बिल्कुल सामान्य अवस्था में भी कम से कम दो महीने तो सेक्स नहीं करना चाहिए.

भारत में तो सामान्य रिवाज है कि प्रसूति के चालीस दिन तक तो स्त्री को पूरा आराम दिया जाता है. वो अपने घर में किसी अन्य स्त्री की देखरेख में होती है. और चालीस दिन बाद वो मायके जाती है तो इस रिवाज से नारी डिलीवरी के बाद सम्भोग से स्वतः दूर रहती है.

डिलीवरी के बाद सम्भोग शुरू करने से पहले महिला रोग विशेषज्ञ यानि गायनी डॉक्टर से जांच करवा के उसकी अनुमति से ही सेक्स करना शुरू करना चाहिए. डॉक्टर से अनुमति लेने के बाद भी जब स्त्री खुद मानसिक रूप से तैयार हो तो ही सेक्स करना चाहिए.

अगर पति कुछ जबरदस्ती करता है तो पत्नी के मन में पति के प्रति वितृष्णा के भाव आ सकते हैं. उसे लगेगा कि पति को उससे नहीं उसके जिस्म से प्यार है. इस लिए सभी पति पत्नी के लिए यह सही राय है कि वे प्रसव के तीन महीने तक संयम बरतें, उसके बाद सब कुछ सामान्य रहने पर ही सेक्स शुरू करें … वो भी सीमित मात्रा में जैसे सप्ताह में एक बार …

डिलीवरी के कुछ माह बाद स्त्री का मासिक धर्म शुरू हो जाता है लेकिन यह अनियमित रहता है इसलिए दोबारा गर्भ धारण से बचने के लिए गर्भ निरोध के साधन इस्तेमाल करने चाहिए. चूंकि बच्चा माँ का दूध पीता है तो दवाई यानि गर्भ निरोधक गोली का प्रयोग मत करें तो बेहतर है.

कंडोम इस समय में सबसे अच्छा उपाय है अनचाहे गर्भ से बचने का.

कई बार प्रसव होने के कई माह तक भी स्त्री के मन में सेक्स करने की इच्छा जागृत नहीं होती तो ऐसी अवस्था में पति को बहुत सहनशीलता, समझदारी से प्यार से अपनी पत्नी के मन में कामवासना जगाने का प्रयास करना चाहिए, उससे जोर जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए.

सेक्स प्रेम प्यार का विषय है, जोर जबरदस्ती, जोश, आवेश, मर्दानगी दिखाने का नहीं!

पति को चाहिए कि वो अपनी पत्नी की परेशानी को समझे. साथ ही पत्नी को भी चाहिए कि वो अपने पति की जरूरत को समझे. आपसी तालमेल से ही पति पत्नी के अद्भुत रिश्ते को निभाना चाहिए.

पाठकों से निवेदन: अगर आप इस विषय पर अपनी राय देना चाहते हैं तो कृपया अपने विचार नीचे डिस्कस कमेंट्स में लिखे.
धन्यवाद.

Saturday, 29 July 2023

मुंहबोली बेटी ने खुद सील तुड़वायी

 

जब मेरी आँख खुली तो उस वक्त साढ़े दस बज रहे थे। रूपा बिस्तर पर नहीं थी। मगर रात को मैंने जो उसका ब्रा और पेंटी उतार के फेंकी थी, तो अभी भी फर्श पर पड़े थे। बेशक मैं चादर लेकर लेटा था, मगर चादर के अंदर तो मैं बिल्कुल नंगा था और सुबह सुबह मेरा लंड भी पूरा अकड़ा हुआ था।

तभी कमरे में दिव्या आई और मुझे गुड मॉर्निंग पापा बोल कर चाय का कप मेरे सिरहाने रखा।
एक बार तो मुझे बड़ी शर्म आई, अरे भाई अपनी बेटी के सामने मैं नंगा था और मेरे तने हुये लंड ने चादर को तम्बू बना रखा था जो दिव्या ने देख भी लिया था।

चाय रख कर दिव्या ने फर्श पर पड़े अपनी मम्मी के ब्रा पेंटी उठाए और चली गई।
मैं चाय पीते सोचने लगा, ये लड़की क्या सोच रही होगी कि इसके माँ को कोई गैर मर्द सारी रात चोदता रहा। रूपा की चीखें, सिसकारियाँ, सब इसने भी तो सुनी होगी। मगर मैंने इस बात को अनदेखा कर दिया।

चाय पीकर मैं उठा और बाथरूम में चला गया। नहा कर तैयार होकर मैं नीचे आया तो रूपा पूरी तरह से नहा धोकर सज संवर कर तैयार खड़ी थी।

मेरे आते ही उसने अपनी बेटियों के सामने मेरे पाँव छूये, उसके बाद उसने नाश्ता लगाया, हम चारों ने नाश्ता किया, मगर मैंने देखा दोनों लड़कियों के चेहरे पर एक शरारती मुस्कान थी।

उस दिन मेरी छुट्टी थी तो उस दिन दोपहर को भी मैंने एक बार रूपा को चोदा, रात को फिर वही सब कुछ हुआ।

अभी रम्या कुछ शांत थी मगर दिव्या इस बात से बहुत खुश थी, वो अपनी खुशी की इज़हार मुझे कई बार चूम कर चुकी थी। हर वक्त पापा पापा करके मेरे आस पास ही रहती थी।

उससे अगले दिन दिव्या मेरे सर में तेल लगा रही थी, मैं अपने मोबाइल पर कुछ देख रहा था। जब वो तेल लगा चुकी, तो मैंने लेटना चाहा, तो दिव्या ने अपनी गोद में ही मेरा सर रख लिया। मुझे इसमें कुछ अजीब नहीं लगा।
मैं बेखयाली में ही अपने मोबाइल में बिज़ी रहा कि अचानक दिव्या ने मेरे होंठ चूम लिए।

मैं एकदम से चौंक कर उठा। मैं बहुत हैरान था- दिव्या, ये क्या किया तुमने?
मैंने उससे पूछा।
वो बोली- आप मम्मी से इतना प्यार करते हो तो मैंने सोचा मैं आपका शुक्रिया कैसे अदा करूँ!
वो थोड़ा डरी हुई सी लगी।

मैंने कहा- पर बेटा, ये सब तो तुम्हारी मम्मी मुझे दे ही रही है, तुम्हें अलग से कुछ करने या देने की ज़रूरत नहीं है।
वो बोली- क्यों पापा, क्या मैं आपको अपनी तरफ से कुछ नहीं दे सकती?
मैंने कहा- पर बेटा, होंठों का चुम्बन तो उसके लिए होता है, जिसे आप बहुत ज़्यादा प्यार करते हो, वो इंसान आपकी बॉय फ्रेंड या पति हो।

दिव्या पहले तो चुप सी कर गई, फिर थोड़ा भुन्नाती हुई उठ कर जाती हुई बोली- आपकी मर्ज़ी आप जो भी समझो।

मेरे तो गोटे हलक में आ गए कि ‘अरे यार ये क्या हो रहा है, ये कल की लड़की भी देने को तैयार है।’
अब मेरे सामने दिक्कत यह थी कि शुरू से ही मैं दिव्या को अपनी बेटी कहता और समझता आया हूँ, तो उसके साथ ये सब? नहीं नहीं … ऐसे कैसे हो सकता है? उसे मैं समझाऊँगा।

उसके बाद मैंने 2-3 बार दिव्या को समझाने की कोशिश करी मगर इसका उल्टा ही असर हुआ और दिव्या ने ही खुद ही इकरार कर लिया कि वो मुझसे प्यार करती है।
मैंने कहा भी- पर तुम तो मुझे पापा कहती हो?
वो बोली- ओ के, आज बाद नहीं कहूँगी।
मैंने बहुत समझाया मगर वो लड़की ज़िद पर ही अड़ गई।

मैंने उसे ये भी कहा- तुमने तो मुझसे वादा लिया था कि मैं तुम्हारी मम्मी से कभी धोखा नहीं करूंगा और अब तुम ही उस वादे को तोड़ने के लिए मुझे उकसा रही हो?
मगर लड़की नहीं मानी और बोली- भाड़ में जाए मम्मी। आई लव यू तो मतलब आई लव यू!

मेरे लिए बड़ी कश्मकश थी मगर फिर मैंने सोचा ‘यार क्यों किसी का दिल दुखाऊँ? कौन सा मेरी अपनी बेटी है और कौन सा मैं उसका असली बाप हूँ। असली बाप असली होता है और नकली बाप नकली होता है।’
बस ये विचार मन में आए और अगले ही पल मुझे वो 19 साल की अपनी बेटी, सेक्स के लिए पर्फेक्ट लगने लगी। मुझे एक ही पल में रूपा के बदन में बहुत सी कमियाँ, और दिव्या के कच्चे बदन में खूबियाँ ही खूबियाँ दिखने लगी।

उसके बाद जब भी मैं रूपा के घर जाता और दिव्या मुझसे गले मिलती तो मैं जानबूझ कर उसे अपने जिस्म से सटा लेता ताकि उसके नर्म नर्म मम्मे मेरे सीने से लगे और मुझे उसके कोमल कुँवारे जिस्म की गंध सूंघने को मिल सके।
रूपा समझती थी कि ये बाप बेटी का प्यार है मगर अब मेरी निगाह रूपा की बेटी के लिए बदल चुकी थी।

इस बीच एक दो बार मौका मिला जब मैं रूपा, दिव्या और रम्या को अपने साथ घुमाने के लिए ले गया। बेशक रूपा और लड़कियों ने जीन्स पहनी थी मगर फिर भी मैंने बाज़ार में घूमते हुये, दिव्या से कहा- जीन्स तो सब लड़कियां पहनती थीं, मगर आजकल तो निकर का फैशन है।
वो चहक कर बोली- तो पापा ले दो मुझे भी एक निकर।

मैं उन्हें एक दुकान में ले गया, वहाँ मैंने सबको जीन्स ले कर दी, मगर दिव्या के लिए खुद एक निकर पसंद की।
जब वो ट्राई रूम से निकर पहन कर बाहर निकली, तो मैंने उसकी गोरी गोरी खूबसूरत जांघों को घूरते हुये कहा- बेटा निकर तो ठीक है, मगर इसे पहनने के लिए तुम्हें अपनी वेक्सिंग भी करवानी होगी।
वो बोली- ये कौन सी बड़ी बात है, वो तो मम्मी भी कर देंगी।

हालांकि दिव्या की टाँगों पर कोई ज़्यादा बाल नहीं थे। मैंने उसे निकर पहन कर ही चलने को कहा। बाज़ार में बहुत से लोग उसे निकर में देख कर घूरते हुये जा रहे थे.
वो मुझसे बोली भी- पापा, सब मेरी टाँगें ही घूर रहे हैं।
मैंने कहा- तू परवाह मत कर, ये सब बस यही कर सकते हैं घूरते हैं तो घूरने दे। बल्कि तू यह सोच कि अगर तुम में कुछ खास बात है, तभी तो ये सब तुम्हें इतने ध्यान से देख रहे हैं।

मेरी बात का दिव्या पर असर हुआ, और काफी उन्मुक्त हो कर बाज़ार में घूमी और घर आ कर मुझे लिपट कर मेरे गाल पर चूम कर बोली- सच में पापा, आज जितना मज़ा बाज़ार में घूम कर आया, पहले कभी नहीं आया।
मैंने मन में सोचा ‘अरे पगली, मैं तो तुझे दाना डाल रहा हूँ, तुझे इतना बिंदास बना रहा हूँ कि एक दिन या तो तो तू मुझसे चुदेगी, या फिर अपना कोई न कोई यार पटा लेगी और उससे अपनी फुद्दी मरवा कर आएगी। मैं तो तुझे एक तरह से बिगाड़ रहा हूँ।

मगर वो नादान कहाँ मेरी कुटिल चालों को समझ रही थी.
और रहा सवाल उसकी माँ का … उसकी फुद्दी में तो हर हफ्ते मैं अपना लंड फेरता था तो वो उस बुनतारे में उलझी थी। उसे भी नहीं पता था कि मैं न सिर्फ उसे बल्कि उसकी जवान हो रही बेटी पर निगाह रखे हूँ कि कब वो मेरे से चुदवाए।

मेरी कोशिशें रंग ला रही थी, दिव्या मेरे और करीब, और करीब आती जा रही थी। बढ़ते बढ़ते बात यहाँ तक बढ़ गई कि बातों बातों में मैंने उसे यह बात बता दी थी कि मुझे उसका प्यार मंजूर है।

एक दिन मौका मिला, जब मैं और दिव्या अकेले बैठे थे तो मैंने दिव्या से कहा- दिव्या एक बार कहूँ?
वो बोली- हाँ पापा?
मैंने कहा- यार उस दिन जो तुमने किस किया था, बहुत छोटा सा था, मज़ा नहीं आया, एक और मिलेगा?
दिव्या ने शर्मा कर मेरी और देखा और बोली- फ्री में ही?
मैंने कहा- तो बोल मेरी जान क्या चाहिए?

वो बोली तो कुछ नहीं पर थोड़ा दूर जा कर दीवार की तरफ मुंह करके खड़ी हो गई। मैं भी उठ कर उसके पीछे गया, और उसे पीछे से ही अपनी बांहों में भर लिया, उसे अपनी ओर घुमाया और उसका चेहरा ऊपर को उठा कर अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये।

उस लड़की ने कोई विरोध नहीं किया और मैंने बड़े अच्छे से उसके दोनों होंठ चूसे, न सिर्फ होंठ चूसे बल्कि उसके छोटे छोटे मम्मे भी दबा दिये। उसके बाद वो जब मेरी गिरफ्त से छूट कर भागी तो एक बार दरवाजे के पास जा कर रुकी, मुड़ के पीछे देखा, एक बड़ी सारी स्माइल दी और फिर भाग गई।

मैं तो खुशी के मारे बिस्तर पर ही गिर गया, माँ भी सेट, बेटी भी सेट। अब मैं अपने मन में दिव्या को चोदने के सपने बुनने लगा।

मगर एक बात मुझे अभी तक समझ नहीं आई थी कि दिव्या तो कॉलेज में पढ़ती है, उसके साथ बहुत से लड़के भी पढ़ते होंगे, तो वो अपने हमउम्र किसी लड़के से क्यों नहीं पटी?
मैं तो उम्र में उसके बाप से भी बड़ा था, फिर मुझमे उसे क्या दिखा?

मगर ये बात ज़रूर थी कि अब मेरे दोनों हाथों में लड्डू थे, जब जिसको भी मौका मिलता उसी को मैं पकड़ लेता। दो चार दिन में ही मैंने दिव्या के जिस्म के हर अंग को छू कर देख लिया। बल्कि एक उसे कहा- दिव्या, मैं तुम्हें बिल्कुल नंगी देखना चाहता हूँ।
तो वो बाथरूम में गई और अंदर उसने अपने सारे कपड़े उतारे और फिर थोड़ा सा दरवाजा खोल कर बाहर देखा.

बाहर कमरे में मैं अकेला था, रूपा और रम्या नीचे रसोई में थी। मैंने उसे इशारा किया तो दिव्या बाथरूम से निकल कर बिल्कुल मेरे सामने आ गई।
19 साल की दिव्या काया वाली खूबसूरत पतली दुबली लड़की। मगर उसके खड़े मम्मे, और कसे हुये चूतड़ मुझे दीवाना बना गए, मैंने उसके दोनों मम्मों को और बाकी जिस्म को भी छूकर देखा।
मेरा तो लंड तन गया मैंने उसे कहा- दिव्या, अब तुम्हें चोदना ही पड़ेगा।
वो बोली- पापा, आपकी बेटी हूँ, जब आपका दिल करे!
वो अपने छोटे छोटे चूतड़ मटकाती वापिस बाथरूम में चली गई।

उसके बाद वो फिर से कपड़े पहन कर आ गई।

मैंने उससे पूछा- दिव्या एक बात बता, तू सुंदर हैं, तेरी क्लास में भी बहुत से लड़के तुम पर लाइन मारते होंगे, फिर तुझे मुझमें क्या दिखा और वैसे भी मेरा तो तेरी मम्मी के साथ चक्कर चल ही रहा है।

वो बोली- पापा, आप मुझे शुरू से ही अच्छे लगते थे, मगर हमारे बीच कुछ कुछ रिश्ता ही अलग बन गया, आप मेरे पापा बन गए और मैं आपकी बेटी बन गई। और उस रात जब आप हमारे घर रुके तो आप और मम्मी के बीच जो कुछ हुआ, वो हम दोनों बहनों ने सब सुना. सच कहती हूँ, मम्मी की सिसकारियाँ और चीखें सुन कर मैं इतनी उत्तेजित हो गई कि मैंने अपने हाथ से खुद को शांत किया। मेरा भी अक्सर दिल करता है कि जैसे आप मम्मी के साथ करते हो अगर मेरे साथ करते तो कैसा लगता, और ये सोचते सोचते मैं आप पर ही मर मिटी। मैं खुद ये सोच रही थी के आपसे मैं ये बात कैसे कहूँ, मगर आप ने कह तो ठीक ठीक है, मुझे कहने की ज़रूरत ही नहीं पड़ी, और आप मेरे बहुत प्यारे वाले पापा हो इस लिए मैं आपसे कुछ नहीं छुपआऊँगी। आप मुझसे कुछ भी पूछ सकते हो, कह सकते हो। अब जब बेटी ही नंगी हो गई हो, नकली बाप को क्या ज़रूरत पड़ी है, शराफत का ढोंग करने की।

मैंने कहा- मुझसे सेक्स करोगी दिव्या?
वो बोली- आप कुछ भी कर लो, मैं आपको मना नहीं करूंगी।

मैंने उसको चेक करने के लिए अपनी जीभ निकाली और सीधी दिव्या में मुंह में डाल दी और मेरी बेटी मेरी जीभ को चूस गई. उसके दोनों मम्मों को मैंने कस कस कर दबाया। मगर इससे ज़्यादा मैं उसके साथ और कुछ नहीं कर पा रहा था क्योंकि रूपा तो हमेशा ही घर में होती थी. और उसके होते मैं उसकी बेटी को कैसे चोद सकता था।

तड़प मैं पूरा रहा था कि कब मौका मिले और कब मैं इस कुँवारी कन्या के कोमल तन का भोग लगाऊँ। मगर अब रूपा को गले लगाना और चूमना तो मैं दिव्या के सामने भी कर लेता.
और वो भी देख देख कर मुसकुराती कि कैसे मैं उसकी माँ की जवानी को भोग रहा हूँ।
पता तो उसे भी था कि जब भी मौका मिलता है, मैं भी जम कर उसकी माँ को चोदता हूँ, अपनी माँ की चीखें सुन कर वो और भी उत्तेजित होती।

फिर फिर एक दिन दिव्या का फोन आया- पापा, मम्मी और रम्या बाबाजी के दर्शन करने के लिए जा रहे हैं, मैंने अपने पेपर का झूठा बहाना लगा दिया और मैं नहीं जा रही।
मतलब वो घर में अकेली रहेगी, घर में।
मैं तो खुशी से उछल पड़ा।

जिस दिन रूपा और रम्या गई, मैं खुद उन दोनों को बस चढ़ा कर आया और कह कर आया- तुम चिंता मत करो, मैं दिव्या को अपने घर ले जाऊंगा।

मगर मैं उन्हें बस चढ़ा कर सबसे पहले रूपा के ही घर गया। वहाँ दिव्या बैठी थी, मैंने जाते ही उसे अपनी बांहों में भर लिया- ओह मेरी प्यारी बेटी!
कह कर मैंने उसके कई सारे चुम्बन ले लिए।
वो भी बड़ी खुश हुई- अरे पापा, ये क्या, आप को अधीर हो गए।
मैंने कहा- अरे मेरी जान, तेरे इस कच्चे कुँवारे जिस्म को देख कर कौन अधीर नहीं होगा।

मैंने उसे बहुत चूमा, उसके गाल चूस गया, उसके होंठ चूस गया।
फिर मैंने खुद को संभाला कि अरे यार ये कहाँ भाग चली है, शाम तक मेरे पास है, आराम से करते हैं।

मैंने दिव्या से कहा- बेटा एक काम करो।
वो बोली- जी पापा?
मैंने कहा- आज शाम को हम दोनों मेरे घर चलेंगे, मगर उससे पहले यहाँ हम वो सब कर लेंगे, जो हम इतने दिनों से अपने मन में सोच रहे थे. इसलिए मेरी इच्छा है कि अगर शाम तक हम दोनों इस घर में पूरी तरह से नंगे रह कर अपना समय गुजारें, ताकि मैं जी भर के तुम्हें अपनी आँखों से नंगी देख सकूँ।
वो बोली- आप तो मेरे पापा हो, आपकी बात मैं कैसे मना कर सकती हूँ।

जब वो अपने कपड़े खोलने के लिए उठी, तो मैंने उसे रोका और खुद उसी टी शर्ट, उसका लोअर, अंडर शर्ट और चड्डी उतार कर उसको नंगी किया और फिर खुद भी बिल्कुल नंगा हो गया।
बाप बेटी आज दोनों एक दूसरे के सामने नंगे खड़े थे।

मैंने दिव्या को अपने कलेजे से लगा लिया। वो भी मुझसे चिपक गई और मेरा लंड हम दोनों के पेट के बीच में अपनी जगह बना कर ऊपर को उठ रहा था।

तब मैंने दिव्या के सारे जिस्म को चूमा, उसके मम्मे चूसे, उसके पेट, पीठ, जाघें सब जगह चूमा। उसकी फुद्दी भी चाटी, उसकी गांड भी चाट गया।

बेशक मैं सब कुछ आराम से करना चाहता था, मगर लालची इंसान को सब्र कहाँ … मैंने उसकी फुद्दी को अपनी अपनी जीभ से खूब चाटा, इतना चाटा कि वो पानी छोड़ने लगी और उसकी फुद्दी का नमकीन पानी मैं खूब मज़े ले लेकर चाट लिया।

फिर मैंने उससे कहा- बेटा, पापा का लंड चूसोगी?
वो बोली- मैंने ये काम कभी नहीं किया, और सच पूछो तो मुझे ये सब गंदा लगता है।
मैंने कहा- ठीक है, मत चूसो, पर अगर दिल किया तो चूस लोगी?
वो बोली- पता नहीं पापा।

मैं जाकर दीवान पर सीधा लेट गया और उसे अपने ऊपर उल्टा लेटा लिया। अब मैंने उसकी दोनों टाँगें खोली, उसकी फुद्दी को अपने मुंह पर सेट किया और उसकी फुद्दी में जीभ लगाने से पहले मैंने उसे कहा- दिव्या बेटा, पापा का लंड अपने हाथ में पकड़ो और अपने मुंह के पास रखो, अगर दिल किया तो चूस लेना।

मुझे पता था कि जब मैं इसकी फुद्दी इतनी चाटूंगा कि ये बहुत सारा पानी छोड़ने लगे, तो काम के आवेश में आकर ये लड़की खुद ही मेरा लंड चूस लेगी।

और हुआ भी यही … मुश्किल से मैंने दो तीन मिनट ही उसकी फुद्दी चाटी होगी, उसकी जांघों की जकड़ मेरे चेहरे पर और उसके हाथ की पकड़ मेरे लंड पर कस गई। और फिर मुझे हुआ एक कोमल अहसास!
उसके कोमल, गुलाबी होंठों का स्पर्श जब मेरे लंड के टोपे के इर्द गिर्द हुआ तो मेरा मन तो झूम उठा, मेरी बेटी मेरे लंड को अपने मुंह में ले चुकी थी। मुझे उसे कुछ कहने की ज़रूरत नहीं पड़ी, वो खुद ही अपने अंदाज़ से मेरे लंड को चूसती चाटती रही।

वो भी पूरी गर्म थी और मैं भी … फिर देर किस बात की!
मैंने उसे रोका, उसे दीवान पर सीधा लेटाया और बोला- देखो बेटा, अब मैं अपना लौड़ा तुम्हारी कुँवारी फुद्दी में डालूँगा। तुम्हारा पहली बार है, शायद थोड़ा दर्द हो, इसलिए, मेरी बेटी, अगर दर्द हुआ तो बता देना, हम रुक रुक कर लेंगे। पर इतना ज़रूर है कि आज मैं अपना पूरा लंड तुम्हारी फुद्दी में उतार देना चाहता हूँ, तुमने साथ दिया तो ठीक, नहीं तो ज़बरदस्ती ही सही।
वो बोली- पापा बस आराम से करना, ये तो मेरे मुंह में भी बड़ी मुश्किल से घुसा था। दर्द तो होगा ही, पर मैं बर्दाश्त करने की कोशिश करूंगी।

मैंने अपने लंड पर बहुत सारा थूक लगाया, उसे अच्छी तरह से गीला किया और फिर दिव्या की कुँवारी गुलाबी फुद्दी पर रखा।
एक बार तो दिल आया ‘अरे यार क्या बेटी जैसी लड़की की फाड़ रहा है, मगर फिर मैंने एक बार ऊपर को देखा और भगवान से कहा ‘बेशक मैं दुनिया की नज़र में गलत काम कर रहा हूँ, पर मेरी नज़र में ये ठीक है, इस लिए अपनी कृपा बनाए रखना और इस लड़की को सब सहने की शक्ति देना।

और फिर मैंने अपनी कमर का ज़ोर लगाया, मेरा लौड़ा दिव्या की कुँवारी फुद्दी फाड़ कर अंदर घुस गया।
उसकी तो जैसे आँखें बाहर आ गई हों।
मेरे कंधों को पकड़ कर वो सिर्फ एक बार यही बोली- उम्म्ह … अहह … हय … ओह … पापा… नहही!

मगर तब तक पापा के लंड का टोपा बेटी की फुद्दी में घुस चुका था। वो एकदम से जैसे सदमे में थी, मगर मैं पूरी तरह से काम से ग्रसित था. उसके दर्द की परवाह किए बिना मैंने और ज़ोर लगाया और अपने लंड को और उसकी फुद्दी में घुसेड़ा.

मगर अब दिव्या के मुंह से कोई दर्दभरी चीख नहीं निकली, उसकी आँखें फटी हुई, और चेहरा फक्क पड़ा था और मैं ज़ोर लगा लगा कर अपने लंड को उसके जिस्म में पिरोने में लगा था।
जब तक दिव्या अपने होशो हवस में वापिस आई, तब तक मैंने अपना पूरा लंड उसकी फुद्दी में घुसेड़ दिया था.

मेरे मन में एक अजब सी खुशी थी, शायद 50 साल की उम्र में एक 19 साल की लड़की की सील तोड़ने की, या अपनी ही बेटी के साथ सेक्स करके मेरी इनसेस्ट सेक्स की इच्छा पूरी होने की, या अपनी ही माशूक की बेटी चोदने की, पता नहीं क्या था, मगर मैं बहुत खुश था।

उस लड़की के दर्द की परवाह नहीं थी, मुझे तो सिर्फ अपने ही दिल की ख़ुशी नज़र आ रही थी।

थोड़ा संभालने के बाद दिव्या बोली- पापा ये क्या कर दिया आपने?
मैंने पूछा- क्या हुआ बेटा?
वो बोली- पापा ऐसा लग रहा है, जैसे किसी ने मुझे बीच में से चीर दिया हो, तलवार से काट दिया हो। ऐसा लग रहा है, जैसे मैं मर जाऊँगी।
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा बेटा, हर लड़की के साथ पहली बार ऐसा ही होता है। मगर अगली बार जब तुम सेक्स करोगी, तो तुम बहुत एंजॉय करोगी। बस ये पहली बार ही है, फिर नहीं होगा।

वो लड़की बेसुध से मेरे नीचे लेटी रही। उसके चेहरे को देख कर लग रहा था कि उसे कुछ भी महसूस नहीं हो रहा है, सिवाय दर्द के! और मैं एक कामुक लंपट रंडीबाज़ मर्द, उस लड़की को किसी वेश्या की तरह भोगने में लगा था।

मैं नहीं रुका और उसे चोदता रहा तब तक जब तक मेरा माल नहीं झड़ गया। अपना गाढ़ा वीर्य उसके पेट पर गिरा कर मुझे बहुत सुकून मिला, बहुत मर्दानगी की फीलिंग आई।
उसको उसी हाल में छोड़ कर मैं बाथरूम में गया. पहले तो मैंने मूता, फिर शीशे के सामने खड़े हो कर खुद को देखा।

मन में एक विकार आया- अरे वाह रे तूने तो साले कच्ची कली फाड़ दी, क्या बात है साले, तू तो बहुत बड़ा मर्द है रे, वो भी 50 की उम्र में!

मैं मन ही मन खुश होता वापिस कमरे में आया तो दिव्या उठ कर बाथरूम में गई और काफी देर तक अंदर रही।
फिर बाहर आई।
मैंने उसे एक गिलास बोर्नविटा वाला दूध गर्म करके पिलाया और तेल से हल्के हाथों से उसके सारे बदन की मालिश की।
तब कहीं वो सहज हुई।

शाम को करीब 5 बजे मैं उसको लेकर अपने घर गया और बीवी से कह दिया- इसकी तबीयत खराब है, थोड़ा खयाल रखना।
मुझे एक बार लगा कि मेरी बीवी उसकी हालात देख कर सब समझ गई.

मेरी बीवी ने उसकी अच्छी सेवा की अपनी बेटी की तरह, मगर उसे ये नहीं पता था कि उसका पति और दिव्या का नकली बाप ही उसकी इस हालात का जिम्मेदार है।

Friday, 28 July 2023

दोस्त की साली की अन्तर्वासना

 

आज से पांच साल पहले मैं और मेरे दोस्त का परिवार एक यात्रा गए थे, तब तक मेरी शादी नहीं हुई थी.

मेरे दोस्त के साथ उसका पूरा परिवार था और उसके साथ उनकी भांजी और उनकी साली भी थी. दोस्त की साली का नाम नलिनी और भांजी का पिंकी था. नलिनी की उम्र 23 साल थी और पिंकी 19 साल की थी.

आरम्भ में मुझे बिल्कुल नहीं पता था कि वे दोनों हमारे साथ यात्रा में होंगे. हमारी यात्रा रेल से शुरू हुई. शुरू में सब कुछ सामान्य था. हमें जहां जाना था, वहां पहुंचे, रात को रूम लेकर सो गए.

सुबह उठ कर भगवान के दर्शन किए और वापस अपने रुकने की जगह आ गए. दोपहर को खाना खाने के बाद थोड़ा आराम किया, बाद में हम सब लोग घूमने निकले.

हमें घूमने के लिए आस पास के एरिया में ही जाना था और दो दिन वहीं घूमना था. इसलिए हम सभी ने तय किया और एक बस ले ली.

बस की यात्रा शुरू हुई. मैं सबसे लास्ट वाली सीट पर बैठा था. नलिनी को जगह न मिलने के कारण वह खड़ी थी. कुछ देर बाद वह आकर मेरे घुटनों पर बैठ गई. तब तक मेरे मन में कोई भी गलत विचार नहीं था.

बस चलती रही, वो हिलती रही. उसके स्पर्श ने मेरी भावना बदल दी. इसी बीच मेरा लंड अपने आप ही खड़ा हो गया और उसे टच करने लगा. इस बात को नलिनी भी जान चुकी थी. मैंने उसको उठने को कहा, लेकिन वह न उठी, शायद वो भी लंड के मजे ले रही थी. हम दोनों बिना कुछ बोले मजा लेने लगे. स्टॉप आता, तो उतर कर घूमने लगते और वापस अपनी जगह आकर बैठ जाते. जब भी बैठते, तो वो और भी ज्यादा चिपक कर लंड का स्पर्श पाने की पोजीशन में खुद को बैठा लेती.

ऐसे ही दो दिन की यात्रा समाप्त हुई. बाहर गांव था, नलिनी के परिवार के लोग होने के कारण वहां कुछ नहीं हो सकता था और ना ही कुछ आगे हो सका. बस इतना ही हुआ कि उसने और मैंने एक दूसरे का साथ पाने की लालसा एक दूसरे तक बिना बोले ही पहुंचा दी थी.

फिर हम वापस घर की ओर निकलने लगे. उधर से रात की ट्रेन थी. हमारी कोई भी सीट कन्फर्म नहीं थी. फिर हम लोग ऐसे ही बिना आरक्षण के ट्रेन में बैठ गए. हम सब ये सोच कर बैठ गए थे कि रास्ते टीटीई से मिलकर कुछ जुगाड़ कर लेंगे.

लेकिन हमारा नसीब खराब था या फिर मेरा ही अच्छा था. ये मुझे बाद में पता चला था.

हुआ यूं कि ट्रेन में सब लोग अलग अलग जगह एडजस्ट हो गए. बाद में टीटीई से मिलकर मैंने एक सीट कन्फर्म करवा ली. इस बात को लगभग 2 घंटे निकल गए थे. सब सामान उस सीट के पास रखकर सब फैल गए. उस सीट पर सिर्फ दोस्त की बीवी, मेरी भाभी और उसकी बहन नलिनी बैठ गई.

इस सब में रात के 12 कब बजे, मुझे पता ही नहीं चला. फिर सबको जुगाड़ करके और सबको सुला देने के बाद मैंने सामान के पास जाने का सोचा और उधर की तरफ निकल पड़ा.

वहां पहुंचने के बाद देखा कि भाभी नीचे सो गई थीं और नलिनी ऊपर अकेली पैर मोड़ कर बैठी थी, क्योंकि लास्ट वाली सीट थी और ऊपर के दोनों लोग सो गए थे.

फिर मैं वहीं जगह बना कर बैठ गया.

अब तक नलिनी और मेरी अच्छी दोस्ती हो गई थी, तो उसने मुझे बैठने के लिए रोका नहीं. फिर हमारी कुछ इधर उधर की बातें शुरू हो गईं. कॉलेज से लेकर पर्सनल बातें तक हुईं.

अब तक मेरे दिल में कुछ भी गलत बात नहीं थी, पर एक झटका ऐसा लगा कि कुछ हुआ हुआ यूं कि उसका हाथ मेरे हाथों से जा टकराया. फिर हम दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा, तो वो शरमा गई.

मैंने उसके हाथ को अब तक छोड़ा नहीं था. मैं उसके हाथ को सहलाने लगा. वो कुछ नहीं बोली. बस फिर क्या था.

अब तक रात के करीब 2 बज चुके थे. किसी के देखने का सवाल ही नहीं था. फिर भी मैं सावधानी पूर्वक आगे बढ़ा और उसके पैर को सहलाया. वो कुछ नहीं बोली. इससे मेरी हिम्मत बढ़ी. मैं उसके पाँव को सहलाता रहा.

फिर उसी ने पहल की- आपकी कोई गर्लफ्रेंड है?
मैंने तुरंत ना कहा, जोकि सच था.

फिर ऐसे ही सहलाते हुए गर्मा-गर्मी में सफर चल रहा था. अब मैंने हिम्मत करके उसकी छाती पर हाथ लगाया, तो उसके मुँह से ‘ऊंह … आह..’ की आवाज आई. मैंने उसकी तरफ देखा, तो वो मुस्कुरा दी. मैंने बेहिचक उसका हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया. वो मेरे लंड को सहलाने लगी.

ऐसे ही 10 मिनट तक लंड सहलाने के बाद मैंने उसको इशारा किया कि टॉयलेट में चलो.

मैं उसे इशारा करके आगे बढ़ गया और वो भी 2-3 मिनट बाद आ गई. उसके अन्दर आते ही मैंने टॉयलेट का दरवाजा बंद किया और उस पर टूट पड़ा. जहां जी चाहा, वहां सहलाने लगा.

उसने नाईट पैंट और टी-शर्ट पहनी थी. मैंने उसकी टी-शर्ट के अन्दर हाथ डालकर मम्मों को मसलने लगा. वो चुदासी तो थी ही, एकदम से बहुत गर्म हो गई.

फिर मैंने उसकी पैंट में हाथ डाल कर उसकी चूत में फिंगरिंग की. उसने भी अपनी टांगें फैला दीं … ताकि उसकी चूत में मेरी उंगलियां ठीक से चल सकें. उसकी चूत एकदम से गीली थी.

उसके बाद मैंने उसकी पैंटी नीचे कर दी और नीचे बैठ कर उसकी चूत में अपना मुँह लगा दिया. मेरी जीभ के स्पर्श ने उसे मजा दे दिया. मैं अपनी जीभ उसकी चूत के अन्दर डाल कर उसे मजा देने लगा. वो ऊपर उसका मुँह अपने हाथों से दबा कर ‘उह … ओह …’ कर रही थी. मैं उसकी चूत चाटने के साथ ही अपने हाथ ऊपर करके उसके रसीले मम्मों को अपने हाथों से मसल रहा था.

कुछ ही मिनटों में वो गांड उठाते हुए झड़ गई. फिर मैंने उसको नीचे बिठा दिया और मैं खड़ा हो गया. मैंने अपना 7 इंच का लंड हवा में लहरा दिया. उसने लंड हाथ में ले लिया और उसे सहलाने लगी.

मैंने जोर देकर कहा- मुँह में ले लो.
तो वो सर हिलाते ना बोलने लगी.
फिर मैंने थोड़ा जोर देकर कहा- टेस्ट तो करो … मजा आएगा.

इस बार वो मान गई. उसने मेरा लंड अपने मुँह में भर लिया और मुझे मजा देने लगी. कुछ एक मिनट तक चूसने के बाद उसने छोड़ दिया, मैंने भी उससे कुछ नहीं कहा.

फिर वो अपने हाथों से लंड सहलाने लगी. कुछ ही सेकंडों में मेरा रस निकल गया.

फिर हम चुपचाप नजर बचाते हुए बाहर आ गए और अपनी जगह पर बैठ गए.

इसके आगे ट्रेन में कुछ ना हो सका. हम 2 दिन की यात्रा करके वापस अपने शहर आ गए.

वापस आकर मैं अपने काम में लग गया. एक हफ्ते बाद पिंकी का मुझे कॉल आया. उसने मुझपे एक बम गिराया कि वो नलिनी और मेरे साथ हुए सब खेल को जान चुकी है.
उसकी बात सुनकर मैं डर गया.

उसके दूसरे दिन पिंकी का फिर से कॉल आया. पहले तो मैंने नहीं उठाया, फिर डरते डरते कॉल उठाया, तो सामने नलिनी थी.

उसने मुझे बताया कि उसने ही पिंकी को सब बताया है और वो किसी को भी कुछ नहीं बताएगी. तब जाकर मेरी जान में जान आ गई. फिर कुछ सामान्य बात करके उसने कॉल बंद कर दिया.

उसी दिन करीब 4 बजे फिर कॉल आया तो नलिनी बोली- मेरा आपसे मिलने का मन हो रहा है, क्या आप मिल सकते हो?
मैंने उसकी अन्तर्वासना को पहचाना और तुरन्त हां बोला.

फिर हम दोनों ने एक मॉल में शाम के 6 बजे मिलने का तय किया.

मैं समय से पहले ही मॉल के गेट के पास उसकी राह देखने लगा. वो तय समय से दो मिनट बाद सामने से आती हुई दिखी. वो गुलाबी वनपीस ड्रेस में क्या मस्त माल लग रही थी. मैं उसको देखते ही उसी में खो गया.

वो मेरे नजदीक आ गई. मुझे इस हालत को देख कर वो पहले तो खूब हंसी. मैं भी थोड़ा शरमाते हुए हंस गया.

एक दो मिनट यूं ही बात करने के बाद हम दोनों अन्दर आ गए. एक कॉफी स्टाल पर बैठ कर मैंने कॉफी आर्डर की. फिर एक दूसरे के सामने बैठकर बातें करने लगे. अभी सब सामान्य बातें हो रही थीं.

मैंने ही उस रात का जिक्र किया, तो वो क्या शरमाई थी … आह … मुझे आज भी याद है.

तब तक कॉफी आ गई, कॉफी पीते हुए मैंने उससे बोला- आगे क्या?
वो समझ गई, पर कुछ नहीं बोली.
मैंने ही फिर बोला- चलो कुछ मजे करने चलते हैं.

वो कुछ नहीं बोली, मैं समझ गया कि ये राजी है … आज मजा नहीं लिया, तो कभी नहीं मिलेगा.

मैंने कॉफी के पैसे दिए और उसका हाथ पकड़ कर आने का इशारा किया. वो उठी तो मैंने उसका हाथ छोड़ दिया. मैं आगे चल दिया, वो मेरे पीछे आने लगी. हम दोनों अपनी मंज़िल पर निकल पड़े.

वो थोड़ा नाटक कर रही थी कि कोई देख लेगा.
मैं बोला- कोई नहीं देखेगा, तुम चलो तो सही.

मैंने अपनी कार निकाली और उसको अन्दर बिठा लिया.
तभी वो बोली- इधर मेरी एक्टिवा रखी है.
मैं बोला- कोई चिंता की बात नहीं है. हम 2 घंटे में वापस आ जाएंगे.

वो मान गई. हम हाईवे के तरफ निकल पड़े. कोई 20 मिनट के दौरान मैंने उसको खूब सहलाया. वो बहुत ही गर्म हो चुकी थी. हम एक होटल में आ पहुंचे. पहले मैंने अकेले जाकर एक रूम बुक किया और उसको फोन करके अन्दर बुला लिया.

कमरे में अन्दर जाते ही मैंने उसको कसके पकड़ लिया. वो तो पहले से ही बहुत चुदासी थी. इसी वजह से उसने भी मुझे कसके पकड़ लिया. इसी हड़बड़ी में हम दोनों पास के पलंग पर गिर पड़े.

मैंने उसे अपने नीचे दबा कर खूब चूसा.
वो बोली- कपड़े खराब हो जाएंगे.

मैं समझ गया. हमने एक दूसरे के कपड़े निकाले. पहले मैंने उसकी ब्रा का हुक खोलकर उसके निप्पलों को अपने होंठों में दबा लिया और मम्मे मसलते हुए निप्पल चूसने लगा.

वो बेकाबू होकर मुझे जकड़ते हुए मेरे सर को अपने दूध पर दबा रही थी.

कुछ देर बाद मैंने अपना मोर्चा नीचे सैट कर लिया. उसकी चूत को खूब चूसा.

थोड़ी ही देर में वो ‘उम्म्ह … अहह … हय … ओह …’ करती हुई स्खलित हो गई.

फिर मैंने अपना 7 इंच का लंड उसके मुँह में देना चाहा, तो साली ना करने लगी. मैंने थोड़ा जोर दिया, तो मान गई और मेरा लौड़ा चूसने लगी. हम दोनों जल्दी ही 69 में हो गए.

उसने चूसना बंद किया और बोली- जल्दी करो … मुझसे अब कन्ट्रोल नहीं हो रहा.
मैंने भी सोचा कि वक्त कम है, निपट ही लो.

मैंने उसको सीधा किया और चुदाई की पोजीशन बनाई. सुपारा सैट करके धक्का मारा, तो मेरा फिसल गया. मैंने लंड को वापस चूत की फांकों में सैट किया और जोर का झटका लगा दिया.

वो जोर से चिल्ला दी. मैंने हाथों से उसका मुँह दबाया और शांत रहा. अब वो थोड़ी शांत हुई, तो मैंने अपना काम शुरू किया. हालांकि उसकी सील पहले से टूट चुकी थी, पर ज्यादा वक्त गुजर जाने की वजह से चूत अभी बड़ी टाइट थी. उसकी सील टूटने की बात उसने मुझे बताई थी, पर वो कहानी मैं बाद में बताऊंगा.

मैंने अपना काम जारी रखते हुए उसे धीरे धीरे ढीला किया. वो दो मिनट बाद ही मेरे लंड से मजे लेने लगी थी. हम दोनों के बीच धकापेल चुदाई होने लगी. मैं उसकी चूचियों को चूसते हुए उसकी चूत को रगड़ने में लगा था. उसकी अकड़न मुझे बता रही थी कि लौंडिया अब झड़ने की कगार पर आ गई है.

उसने इस वक्त मुझे कसके पकड़ा हुआ था. मैं जोर जोर से उसकी चुदाई कर रहा था. इसी बीच वो निकल गई और निढाल हो गई. मैं अभी भी पूरे जोरों से चुदाई कर रहा था. उसकी गर्मी ने मेरे लंड को चिकनाई दे दी थी, जिससे मेरे झटके और भी स्पीड से लगने लगे थे. इसी बीच वो फिर से चार्ज हो गई और गांड उठा उठा कर लंड के मजे लेने लगी.

करीब दस मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ने के कगार पर आ गया था. वो भी दूसरी बार होने को थी. मैंने उससे पूछा- कहां निकालूं?
तो वो बोली- अन्दर ही निकालो … मैं दवा ले लूँगी.

उसके ऐसा बोलते ही मेरा खून जमा होने लगा. मैं 10-15 करारे झटकों के साथ ही उसके अन्दर ही झड़ गया.

चुदाई के बाद 10 मिनट तक हम दोनों ने आराम किया. फिर हम दोनों ने बाथरूम में जाकर आपने आपको साफ किया. फिर अपने अपने कपड़े पहने और होटल से बाहर निकल आए

Thursday, 27 July 2023

मेरी संस्कारी मॉम सेक्स की प्यासी-1

 

मेरी सौतेली माँ का बहुत गोरी, भरे बदन वाली है. पापा विदेश में जॉब करते हैं तो मेरी मॉम सेक्स के लिए भूखी रहती है. मैं भी अपनी सेक्सी मॉम का मजा लेना चाहता था.

मेरा नाम अर्जुन है, मैं 19 साल का हूँ, मैं अपने पापा और सौतेली मां के साथ दिल्ली में रहता हूं. मेरे पापा विदेशी कंपनी अमेरिका में बड़े ऑफिसर के पद पर काम करते हैं इसलिए उनकी आय बहुत अच्छी है. दिल्ली में हम बहुत हाई प्रोफ़ाइल बिल्डिंग सोसायटी में रहते हैं. पापा हर 3 महीने में भारत आते हैं और 10-12 दिन रुक कर वापस चले जाते हैं.

मेरी सगी माँ और पापा का कुछ महीनों पहले तलाक हो गया था. मेरी एक सगी बड़ी बहन भी है. तलाक के बाद मेरी सगी मां ने दूसरी शादी कर दी थी. मेरी बड़ी बहन मेरी मां के साथ रहती है और मैं पापा के साथ!

तलाक के कुछ दिन बाद मेरे पापा ने दूसरी शादी कर दी थी. मेरे पापा दिखने में स्मार्ट और यंग दिखते हैं और पैसे वाले भी हैं इसलिए एक मध्यम परिवार ने पैसों के लालच के कारण अपनी जवान और खूबसूरत लड़की की शादी मेरे पापा से कर दी.

मेरी सौतेली माँ का नाम सीमा है. वो बहुत गौरी, भरे भरे बदन वाली है. वो 27 साल की है. वह काफी पढ़ी लिखी और दिखने में संस्कारी औरत है. शादी के बाद वो अपने बेटे की तरह मेरा ख्याल रखती थी.

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मेरे पापा काफी सेक्सी हैं, शादी के बाद कुछ दिन तक उन्होंने सीमा के साथ बहुत मज़े किये। मैं रात को उनके बेडरूम में चोरी छुपे देखा करता था और सीमा की हल्की चीखने की आवाज भी सुनाई देती थी. मैं पोर्न नंगी वीडियो देखा करता था तो मुझे सेक्स के बारे में काफी कुछ पता था.

शादी के कुछ दिन बाद मेरे पापा को उनके ऑफिस अमेरिका में जाना पड़ा तो वो अकेले ही चले गए थे. अभी मैं और सीमा अकेले ही घर में रह रहे थे. मेरे पापा करीब 3 महीने बाद ही आने वाले
थे.

धीरे धीरे मैं और सीमा अच्छे दोस्त बन गए थे. मैं उसको मॉम कहकर बुलाता था. वह मुझे अजू कहकर बुलाती थी. वो थी तो मेरी सौतेली मां … लेकिन मुझे तो एक सेक्सी और हॉट औरत लगती थी. मैं उसको सपनों में नंगी देखा करता था और अपने लन्ड का वीर्य निकालता था.

एक दिन जब वो घर से बाहर गई हुई थी, तब मैं उसके बेडरूम में उसकी अलमारी से उसके ब्रा पैंटी देखने लगा. ब्रा 38डी साइज की और बड़ी ही सेक्सी थी और पैंटी भी काफी सेक्सी और बड़ी थी. यह सब देखकर मेरा लन्ड खड़ा हो गया. ब्रा की साइज से मैं सीमा के स्तनों का अंदाजा लगा रहा था. मतलब सीमा के बूब्स बहुत बड़े होंगे. और गान्ड भी तरबूज जैसे बड़ी मस्त और मोटी होगी.

इन सब से मेरा लन्ड बहुत बड़ा और सख्त हो गया था. मुझे अब मॉम को नंगी देखने और चोदने की इच्छा हो रही थी.

फिर मैंने अलमारी में जो देखा, उससे मेरा दिमाग चकरा गया. अलमारी के खाने में 2 विदेशी वाइब्रेटर वाले आर्टिफिशियल लन्ड पड़े थे जैसे मैं पोर्न वीडियो में देखा करता था. विडियो में नंगी लड़कियाँ अपनी चूत में डाल कर अपनी सैक्स संतुष्टि प्राप्त करती थी.
और एक पंप मशीन भी पड़ी थी जिससे औरतों को अपने स्तनों को दबाने में काम में लेती थी.

मैं चकरा गया कि मॉम यह सब रखती है और इस्तेमाल भी करती होगी. ऐसे तो बड़ी संस्कारी बनती है.
मेरे चेहरे पर वासना वाली मुस्कान आ गई थी. अब मुझे अपना सपना सच्चा होते हुए दिख रहा था.
मैंने वो सारा सामान वापस अलमारी में रखा और बाथरूम में जाकर मॉम को याद करके एक तगड़ी मुठ मारी और सारा माल बाहर निकाल दिया.

अब मैं मॉम सीमा को चोदने का तरीका सोचने लगा.

दूसरे दिन रात को मैं और मॉम हाल में टीवी देख रहे थे. मॉम ने टाइट टॉप और टाइट लेगीज पहनी हुई थी, उसके टॉप से दो बड़े खरबूजे (स्तन) बाहर निकल रहे थे. साइज़ तो 38 की थी ही और
उसके पीछे की गान्ड भी बहुत बड़ी और गोल थी, वो भी बाहर निकल रही थी.

मैं हाफपैंट में था, मेरे नीचे का सामान एकदम खड़ा हो गया था. मैं अपने आप को काबू नहीं कर पा रहा था. मैं आज किसी भी तरह से मॉम को नंगी देखना और उसकी चूचियो को छूना चाहता था पर हिम्मत नहीं हो रही थी. अगर मॉम ने गुस्सा कर दिया और फोन करके पापा को बता दिया तो मेरा हाल बुरा हो जाएगा.

तभी मेरे दिमाग में एक तरीका आया, मैं बोला- मॉम, टीवी से बोर हो रहा हूं, कोई अच्छा प्रोग्राम भी नहीं आ रहा है.
मॉम बोली- अजु सही कह रहा है तू, कुछ खास नहीं आ रहा है आज!

फिर मॉम ने टीवी बंद कर दिया और बोली- क्या करें? कैसे टाइम पास करें?
मैं बोला- मॉम बातें करते हैं या फिर ताश के पत्ते खेलते हैं.
मॉम बोली- ठीक है, ताश खेलने के साथ साथ बातें भी कर लेंगे.

मैं अपने कमरे से ताश के पत्ते लाया और बोला- मॉम थोड़ा तीन पत्ती टाइप खेलते हैं. जो जीतेगा वो हारने वाले से कुछ भी पूछ सकता है और कुछ भी करा सकता है. बड़ा मज़ा आएगा मॉम!
मॉम ने 10 सेकंड सोचा और बोली- ठीक है!

मैंने तीन तीन पत्ते बांटे और मॉम जीती. मॉम खुश हो गई और बोली- अच्छा बेटा, बता तू मुझे ज्यादा प्यार करता है या अपनी सगी मम्मी को?
तो मैं बोला- मॉम, जब से आप मेरी मां बन के आई हो, तब से मैं अपनी सगी मां को भूल ही गया हूं. आप जितना मेरा ख्याल और मुझे प्यार करती हो तो ऐसा लगता है कि आप ही मेरी सगी मां हो.
और ऐसा बोलकर मेने अपना चेहरा रोने टाइप वाला भावुक वाला कर दिया.

मॉम मेरा यह जवाब सुनकर बहुत ही भावुक हो गई और मुझे अपने बांहों में ले लिया और मेरे सर पर चुम्बन करके बोली- मेरा प्यारा बेटा अर्जुन.
मॉम के गले लगाने से मॉम के खरबूजे जैसे स्तन मेरे सीने से टच कर रहे थे. मेरा लौड़ा सीधा खड़ा हो गया था.

फिर मॉम मुझसे अलग होकर बोली- बेटा, मैं तुझे कभी दुखी नहीं होने दूंगी.

मॉम ने अगली बाजी के लिए पत्ते बांटे और इस बार वापस मॉम जीत गई और बोली- अच्छा बेटा, हमारी कोई भी आपस की बातें तू अपने पापा को कभी नहीं बोलेगा ना?
मैं बोला- हां मॉम, आप जो बोलोगी, वैसा ही मैं करूंगा और आप भी पापा को मत बोलना.
तो मॉम बोली- नहीं बोलूंगी बेटे!

मॉम के इस जवाब ने मुझे अंदर से बहुत ख़ुश कर दिया और मेरा मॉम को चोदने का जो प्लान था वो सही रास्ते पर जाते हुए दिख रहा था.

फिर इस बार पत्ते मैंने बांटे और मॉम फिर जीत गई और मॉम बहुत खुश हुई और बोली- आज मेरी किस्मत सिकंदर है, मैं ही जीत रही हूं.
मैं बोला- हां मॉम!

फिर मॉम बोली- बेटा तेरा कॉलेज में कोई लड़की वाला चक्कर तो नहीं है ना? मेरा मतलब कोई लवर्स या गर्लफ्रेंड तो नहीं है? पूरा पढ़ाई में ही ध्यान देता है ना! तुझे भी आगे चलकर अपने पापा की तरह बड़ा बनना है.

मैं बोला- मॉम, आपकी कसम, मेरा ऐसा कोई चक्कर नहीं है. मैं इन सब चीजों से दूर ही रहता हूं. मेरा पूरा ध्यान पढ़ाई और अपने फ्यूचर कैरियर पर ही फोकस है.
यह सुनकर मॉम बोली- वेरी गुड बेटे, मुझे तुझ पर गर्व है.

और इस बार मुझे अपनी ओर बुला कर अपनी चौड़ी बांहों में भर दिया और मेरे गाल पर किस कर दिया. मॉम के स्तन दोबारा मेरे सीने में चिपक गए थे और मैं ज्यादा गर्म हो रहा था.
मुझे डर लग रहा था कहीं मेरा लन्ड जवाब नहीं दे दे और मैं अंडरवियर में ही वीर्य ना छोड़ दूँ.

इस बार मैंने भी हिम्मत करके मॉम के गाल हल्का किस कर दिया और मॉम को भी अच्छा लगा.
फिर मॉम अलग होकर बोल- मेरा बेटा प्यारा बेटा!

इस बार मॉम ने पत्ते बांटे और भगवान का शुक्र है कि इस बार मैं जीता. मैं थोड़ी चिंता में पड़ गया कि मैं मॉम से क्या पूछूँ या कराऊँ.
फिर मैंने सीमा मॉम से कहा- मॉम आप नाराज तो नहीं होंगी ना मेरे सवाल से?
मॉम बोली- अरे बेटा, तू कुछ भी पूछ … तुझे सभी छूट है.

मैंने मॉम से पूछा- मॉम आप इतनी खूबसूरत और जवान हो. और इतनी पढ़ी लिखी होकर आपने पापा जैसे 44 साल के तलाकशुदा आदमी के साथ शादी क्यों की, आपसे तो कोई भी जवान और स्मार्ट लड़का शादी कर सकता था.
मॉम मुस्कराकर बोली- तेरी बात सही है बेटे! लेकिन मैंने बचपन से ही एक अमीर आदमी से शादी करने के सपने देखे थे और आराम और हाई प्रोफाइल लाइफ जीने के सपने देखे थे. और तेरे पापा अमीर तो हैं ही … साथ में यंग और स्मार्ट भी दिखते हैं. मेरी ज़िंदगी ऐशो आराम से कटेगी और साथ में तेरे जैसा अच्छा और प्यारा बेटा भी मिल गया. मेरे तो सारे सपने पूरे हो गए.

तब मैं बोला- मॉम, आपने एकदम सही किया है. मैं आपका हमेशा ख्याल रखूंगा.
फिर मैंने हिम्मत करके एक और सवाल पूछ दिया- मॉम आपका कॉलेज की दिनों में कोई अफेयर था क्या?
मॉम मुस्कराई और बोली- नॉटी बॉय … मेरा कोई अफेयर नहीं था लेकिन लड़के लोग मुझ पर लाइन मारने की कोशिश करते रहते थे क्योंकि कॉलेज के दिनों में मैं बहुत ही हॉट और सेक्सी दिखती थी. लेकिन मैंने किसी लड़के को अपने नजदीक तक नहीं आने दिया.

फिर मैं बोला- मॉम आप बहुत अच्छी और बहुत संस्कारी हो. आपको मैं एक बात बताना चाहता हूं कि आप अभी भी बड़ी हॉट और सेक्सी दिखती हो.
तब मॉम ज़ोर से हंस के बोली- थैंक्स बेटा, तेरी बातों से मुझे तेरे पापा की याद आने लग गई.

अब मुझे लगने लग गया कि मॉम भी अंदर से सेक्स की भूखी है.

फिर मैंने पत्ते बांटे और इस बार दोबारा मैं जीत गया और मैं बोला- मॉम, एक पर्सनल सवाल है, पूछ सकता हूं?
तो मॉम प्यार वाले गुस्से में बोली- तुझे एक बार बोला ना बेटा … तू कुछ भी पूछ सकता है और कुछ भी मुझसे करा सकता है. तुझे सब छूट है, तू मेरा इकलौता प्यारा बेटा है.

यह जवाब सुनकर तो मेरे लन्ड जबरदस्त खुशी के मारे अंडरवियर में कूद रहा था. अब मुझमें बहुत हिम्मत आ गई थी- मॉम आपका फिगर बहुत ही हॉट है खास तौर पर आपके ऊपर का फिगर, आपने कैसे संभाल के रखा है?
यह सुनकर मॉम थोड़ी गंभीर हुई फिर हल्की मुस्कराई फिर बोली- देख, मैं बचपन से ही संस्कारी हूं और संस्कारों को मानने वाले परिवार से हूं. लेकिन तू मेरा सौतेला बेटा है तुझे और तेरे पापा को खुश रखना भी मेरे संस्कार में ही है तो सीधा सवाल पूछ?

मैं बोला- ओके मॉम, मेरा मतलब यह है कि आपके बूब्स दिखने में बहुत बड़े दिखते हैं बाहर से और बहुत ही हॉट और सेक्सी दिखते हैं.
तब मॉम बोली- बेटा, मैंने अपने स्तनों को शुरू से ही संभाल कर रखा. और मैंने अपना फिगर भी शुरू से ही मेंटेन करके रखा है. तभी मेरे हिप्स और बैक साइड भी एकदम फिट है. और मैं खुद भी एकदम फिट हूं. और मेरे बूब्स के साइज बड़े हैं 38″ के … और शायद कुछ दिनों बाद 42″ तक पहुंच जाएंगे.

मैं बोला- मॉम, 38″ के 42″ कैसे हो जायेंगे?
तब मॉम बोली- बेटा, जब किसी लड़की की शादी होती है तो शादी के बाद उसके शरीर के कई अंगों में वृद्धि होती है विशेष तौर पर बूब्स और हिप्स में! क्योंकि आदमी औरत जब शारीरिक संबंध बनाते हैं तब परिवर्तन आता ही है. और तेरे पापा तो तेरे पापा हैं, बहुत ही सेक्सी हैं, वो जल्दी ही मेरे बूब्स 42″ या 44″ तक पहुंचा देंगे.
यह बोलकर मॉम शर्म से मुस्कराई और मैं भी मुस्कराया.

फिर मॉम बोली- तुझे ये सब बातें कैसे पता है?
मैं बोला- मॉम, आजकल मेरी उम्र के लोग इंटरनेट पर पोर्न वीडियो देखते है उसमें सब दिखता है.

मॉम सेक्स विडियो की बात पर थोड़ी सीरियस होकर बोली- तू यह सब देखता है?
मैं रोने जैसा चेहरा करके बोला- सॉरी मॉम, आगे से नहीं देखूंगा.
मॉम ज़ोर से हंसी और बोली- अरे बेटा, मैं तो ऐसे ही मज़ाक कर रही हूं. मुझे मालूम है कि आजकल सभी लड़के लड़कियां ऐसे वीडियो देखते ही हैं.

फिर मैंने पत्ते बांटे और इस बार भी मैं जीत गया. इस बार कुछ अलग करने का मैंने सोचा था, मैं बोला- मॉम आप खड़ी हो जाएं!
मॉम मुस्कराती हुई खड़ी हो गई.

फिर मैंने अचानक मॉम के होठों पर अपने होठों से ज़ोरदार किस किया, फिर गाल पर किया.
मॉम एकदम चकित हो गई कि यह क्या हो रहा है. वो समझ गयी कि बेटा मॉम सेक्स की सोच मन में लिए हुए है.

मॉम सेक्स कहानी जारी रहेगी.

शादी में मुलाक़ात के बाद लौंडिया चुद गई-2

 

मामा के बेटे की शादी में एक लड़की की दोस्ती मुझसे हुई. दो दिन बाद ही वो मुझे मिलने मेरे फार्महाउस पर आने को तैयार हो गयी. तो वहां क्या हुआ?में अब तक आपने पढ़ा कि अर्पणा सिंह मुझे मिलने मेरे फ़ार्म पर आ गई थी और रात में खाना खाने के पहले उसने मुझसे व्हिस्की पीने की इच्छा जाहिर की थी.

अब आगे:

मैंने तुरंत केशव को मार्केट भेजा और 4 कैन बीयर, दो बोतल व्हिस्की और दो पैकेट सिगरेट के मंगा लिए.

केशव बारिश में भीगते हुए बाजार गया और सामान लेकर बीस मिनट में वापस आ गया.

केशव के आते ही एक रूम में हम पांचों लोग मछली चावल और बोतल लेकर बैठ गए. चूंकि मैं केवल बीयर पीता हूँ, इसलिए कैन खोल कर अपना मग भरा और सिग्नेचर की बोतल खोल कर 4 पैग बना दिए. मैंने एक पैग उठा कर अर्पणा को दे दिया.

हम सभी ने चियर्स की. मैंने देखा कि चियर्स करते ही एक ही घूंट में अर्पणा ने अपना पूरा पैग गटक लिया था.

एक के बाद एक करके 6 पैग मैंने अर्पणा को पिला दिए. बीयर के बाद मुझे सिगरेट पीने की आदत है, तो मैंने सिगरेट जला ली.

अर्पणा ने भी नशे में कहा- मुझे भी सिगरेट पीनी है.
मैंने एक सिगरेट उसे भी दे दी.
हम दोनों ने नशे के आगोश में सिगरेट के खूब कश लिए. फिर खाना खाया.

अब तक अर्पणा पर सिग्नेचर का भारी असर चढ़ने लगा था और उसकी हालत खराब होने लगी थी. मैंने उसे गोद में उठा कर अपने बिस्तर पर लिटा दिया. उसके बाद हम चारों ने जम कर खाया-पिया.

खाने के बाद सब अपने अपने बिस्तर पर सोने चले गए. मैं भी अपने बिस्तर पर आ गया, जहां अर्पणा पहले से ही गहरी नींद में सो रही थी.

बाहर जोरों की बारिश हो रही थी. बारिश इतनी तेज हो रही थी कि चारों तरफ पानी ही पानी हो गया था. मेरे फार्म हाउस में चूंकि लाइट नहीं थी, इसलिए बस एक लालटेन जली हुई थी. उसी की रोशनी में बैठ कर मैं अर्पणा की खूबसूरती को देख-देख कर बियर पीने लगा.

अर्पणा बेसुध हो कर सो रही थी. मेरी बीयर खत्म होते ही मैंने अर्पणा की शर्ट के बटन एक-एक करके खोल दिए. जैसे ही शर्ट को हटाया, तो उसके यौवन का दृश्य देखकर मेरी आंखें खिल उठीं.

उसने बैंगनी कलर की ब्रा पहन रखी थी उसकी ब्रा देखते ही मेरे अन्दर कामवासना जग गयी. मैंने देखा वो बेसुध होकर बिस्तर पर पड़ी हुई थी. मैंने तुरंत ही उसके बगल में लेट कर उसकी ब्रा को खोल दिया. हुक खुलते ही उसके दोनों कबूतर पिंजरे से आजाद हो गए. उसके बैगन जैसे लम्बे व छोटे आकार के चूचे मेरे हाथ में आराम से आ रहे थे. उसके मम्मों को छूते ही मेरे बदन में करंट दौड़ने लगा. मैंने अपने होंठों को झट से उसके मम्मों की घुंडियों पर लगा दिए. मैंने अर्पणा के चूचे चूसने लगा. मैंने उसके दूध का बड़ी देर तक मन भर रसपान किया.

क्या गजब की महक थी उसके चूचों की . … आह . … मजा आ गया. उसके मम्मों से दूध तो निकल नहीं रहा था, लेकिन मैंने काफी देर तक चूचे चूस-चूसकर उसके मम्मों को बड़ा कर दिया था.

अर्पणा के निप्पलों से पानी रिसने लगा था. देखते ही देखते उसके मम्मों का साइज 30 से फूल कर 32 नाप के हो गए थे. अर्पणा भी नशे में जाने क्या बड़बड़ाने लगी थी, शायद उस पर भी कामवासना का असर होने लगा था. मुझे लगा कि वो जाग ना जाए.

चूंकि इससे पहले कभी-कभी अर्पणा के साथ मेरा कोई शारीरिक सम्बन्ध नहीं था, तो मुझे थोड़ा डर भी लग रहा था. इसलिए मैं कुछ मिनट के लिए रूक गया.

जब अर्पणा ने बड़बड़ाना बन्द किया, तो मैं उसकी जांघों पर हाथ फेरने लगा. वो मेरे पास जींस पहने लेटी थी. धीरे-धीरे मैं उसकी जींस के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा और अर्पणा के आम जैसे मम्मों को फिर से चूसने लगा. लगातार बीस मिनट तक मैंने अर्पणा की चूत का मालिश की, जिससे उसके शरीर में करंट दौड़ने लगा और अर्पणा गर्म होने लगी. उसके शरीर में अकड़न होने लगी और तभी मुझे अहसास हुआ कि उसकी चूत का रस निकल गया है. चूत रस से उसकी जींस और पैंटी पूरी तरह से गीली हो गई थी.

अर्पणा की चूत के रस की मादक खुशबू ने मेरी कामवासना की आग में घी डालने का काम किया. मैंने तुरंत उसकी जींस को खींच कर उतार दिया. अब वह केवल पैंटी में हो गयी थी. उसके शरीर की मस्त बनावट ने मेरे जोश को दुगना कर दिया था.

मैं भी अपने सभी कपड़े उतार कर अर्पणा की दोनों जांघों के बीच बैठ कर उसके शरीर की बनावट को निहारने लगा. कुदरत ने बड़ी फुरसत से अर्पणा को तराशा था.

उसके बाद अचानक मेरे दिल में एक आइडिया आया. मैंने अर्पणा की पैंटी उतार दी और उसकी चूत को चाटने लगा.

अभी मैंने अपनी जीभ को उसकी चूत में डालकर घुमाया ही था कि अर्पणा उठ कर बैठ गयी. मेरी गांड फट गयी कि अब क्या होगा.

लेकिन वो नशे में एकदम टल्ली थी, इसलिए ज्यादा कुछ बोल ना सकी. उसने केवल मेरे गले में बांहें डालकर मुझे अपने ऊपर खींच लिया. मैं भी इसी मौके के इन्तजार में था. मैंने तुरंत अपना 8 इंच का लंड निकाला और उसकी चूत में उंगली डाल कर रस निकाल कर अपने लौड़े पर लगा लिया, जिससे मेरा लंड चिकना हो गया. फिर मैंने उसे चुदाई की पोजीशन में लिटाया और उसकी चूत के छेद पर अपना लंड टिका कर एक हल्का सा झटका दे दिया. जिससे मेरा 3 इंच लंड उसकी चूत में समा गया और अर्पणा के मुँह से मादक आह निकल गई.

चुदाई का मजा शुरू हो गया.
‘आहहह उहहहह आहहहह..’

अब उसका नशा भी कम हो गया, वो बड़बड़ाकर बोली- साहिल क्या कर रहा है … बहुत दर्द हो रहा है, प्लीज मुझे मत चोदो … मैं आज तक किसी से नहीं चुदी हूँ.
मैं बोला- अब क्या … अब तो लंड चूत में घुस चुका है.
दर्द में कराहते हुए अर्पणा ने कहा- मुझे बहुत दर्द हो रहा है.
मैंने कहा- टेंशन ना लो, दो मिनट का दर्द है … उसके बाद जो आनन्द आज तुम्हें मिलेगा, वैसा मजा तुम अपने पूरे लाइफ में नहीं पाओगी. मैं बहुत प्यार व आराम से चुदाई करूंगा. जब दर्द हो, तो बोल देना … मैं तुरंत लंड बाहर निकाल लूँगा.
उसने कहा- एक बार अपना पप्पू बाहर निकाल लो. उसके बाद फिर से डाल देना. मुझे तुम्हारे पप्पू को देखना है.

मैंने अपना लंड चूत से सड़ाक से बाहर निकाला. मेरा लंड खून और चूत के पानी से नहाया हुआ और भी कठोर और मोटा दिख रहा था.

अर्पणा लंड देखते ही बोली- ओह माई गॉड इतना मोटा … इतना मोटा तो मेरे पापा का भी नहीं है … तभी तो मेरी चूत फटी जा रही थी.
मैं उसकी बात सुन रहा था.

उसने कहा- तुम्हारा पप्पू तो मेरी मम्मी की भी चूत फाड़ डालेगा … मेरी तो औकात ही क्या है.
मैंने कहा- पापा-मम्मी को छोड़ो अपना और मेरा बोलो … आगे क्या करना है?
अर्पणा मुस्कुरा कर बोली- पप्पू को साफ करके आओ … मुझे इसको प्यार करना है.

मैं तुरंत अपना लंड धोकर अर्पणा के पास आ पहुंचा. वो तुरंत मेरा लंड अपने हाथ में लेकर सहलाने लगी. मेरा लंड फिर से साँप की तरह तन कर फुंफकारने लगा.
अर्पणा बोली- साहिल सच में तेरा लंड मेरे पापा से बहुत बड़ा और मोटा है.

इतना कहते ही उसने मेरे लंड के टोपे पर किस कर दिया. मेरे शरीर में करंट दौड़ने लगा और हम दोनों 69 की पोजीशन में लेट गए. दस मिनट तक हम एक दूसरे के गुप्तांगों को चूसते चाटते रहे.

अर्पणा का शरीर फिर से अकड़ने लगा और उसने मेरे मुँह में ही अपनी चुत का पानी छोड़ दिया.
वो बस हो गया … बस हो गया..’ कहने लगीं.

मुझे उसके चूत का रस अजीब लेकिन मादक व स्वादिष्ट लगा. मैं भी उसकी चूत रस पी गया. फिर मैंने अर्पणा को घोड़ी बनने को कहा.

वो झट से घोड़ी बन गयी. मैंने भी घोड़े की स्टाइल में पीछे से उसकी चूत पर लंड सैट करके हल्का सा झटका दिया. मेरा 3 इंच उसकी चूत में जाकर फंस गया.

अर्पणा फिर दर्द से कराहने लगी और कहने लगी- यार दर्द हो रहा है … बाहर निकाल लो, मेरे से बर्दाश्त नहीं हो रहा … मैं तुम्हारा लंड गहराई तक नहीं ले पाऊंगी.

मैंने उसकी एक ना सुनी और उसकी कमर पकड़ कर दूसरा झटका दे दिया. मेरा पूरा लंड घप्प की आवाज करते हुए उसकी चूत में समा गया और झटका लगते ही वो बिस्तर पर मुँह के बल गिर गयी.

मैं भी उसके ऊपर गिर गया. वो दर्द में कराहने लगी. मैंने देखा कि उसकी चूत से खून और पानी दोनों निकल रहा था. मेरा लंड उसके बच्चेदानी से टकरा रहा था. ये मुझे आभास हो रहा था.

दो ही मिनट बाद उसके मुँह से कामवासना को बढ़ा देने वाली कामुक आहें निकलने लगीं- आहहह उहह बहुत अच्छा लग रहा है … और जोर से, फाड़ डालो मेरी चूत को, ठन्डा कर दो इसे … आज तक लंड के लिए तरस रही थी, चोद कर कचूमर निकाल दो इसका साहिल … साली मेरी चूत कई महीनों से लंड के खुजा रही थी. आज भरपूर लंड मिला है … आह पूरे अन्दर तक की खबर ले रहा है … आह बहुत मजा आ रहा है … हाय फाड़ डालो … और जोर से.

उसके ये कामुक शब्द सुनकर मेरा जोश सातवें आसमान पर पहुंच गया. मेरी स्पीड धीरे-धीरे बढ़ने लगी. मैं फिर से उसे घोड़ी की पोजीशन में लेकर जम कर चोदने लगा. वो भी अपनी गांड आगे पीछे करके लंड अन्दर बाहर लेने लगी उसकी इस कला ने मुझे और भी उत्तेजित कर दिया.

करीब 35 मिनट तक मैं उसे घोड़ी बनाकर चोदता रहा और वह स्खलित हो गयी. तीन-चार मिनट बाद मैं भी चरम सुख पर पहुंचने वाला था.
मैंने अर्पणा से पूछा- डार्लिंग बीज कहां निकालूं?
अर्पणा ने कहा- और कहां … चूत में ही गिरा दो.

मैंने उसकी चूत में ही पूरा बीज गिरा दिया. बीज की गर्माहट से अर्पणा ने कहा- वाह यार … आज तुमने मुझे जिन्दगी का सारा सुख दे दिया. मेरी सभी इच्छाएं पूरी कर दीं … आई लव यू मेरे राजा … तुम जब मुझे बुलाओगे, मैं दुनिया के किसी भी कोने में रहूँगी, दौड़ते हुए तुम्हारे पास आऊंगी.

दस मिनट बाद जब मैं उसके ऊपर से उठा, तो मोबाइल में टाइम देखा. सुबह के चार बज रहे थे और बारिश भी रूक गयी थी. मैं कपड़े पहन कर खेत में नित्य क्रिया करने चला गया और 15 मिनट बाद आया, तो अर्पणा ने फिर से एक बार और चुदाई करने को कहा.

इस बार उसने मेरे लंड को मुँह में लेकर खूब चूसा और अबकी बार मैंने उसे अपने ऊपर आने को बोला. वो तुरंत तैयार हो गयी.

अर्पणा ने मेरे ऊपर आकर लंड को अपने चूत के छेद पर सैट करके हल्का से दबाव दे दिया, सनसनाता हुया 8 इंच लंड उसकी चूत में समा गया और उसके मुँह से सिसकारी निकलने लगी- आहहह आहहह उहहह उहहह अहह.

उसने भी जम कर चूत ऊपर नीचे करके चुदवाया और लगातार दो बार स्खलित हुई. मैं भी उसकी चूत में ही झड़ गया.

अब तक सुबह हो चुकी थी. केशव, पारस व चंदन नाश्ता की व्यवस्था में जुट गए. अर्पणा भी फ्रेश हो कर आ गयी. उसके मुखमण्डल पर एक अलग सी चमक थी. वो पहले से और भी खूबसूरत लग रही थी.

छह दिन अर्पणा मेरे साथ रही. हमें जब भी मौका मिलता, हम दोनों सेक्स करने लगते. एक भी रात को हमने बेकार ना जाने दिया. हर रात तीन-चार बार हम दोनों सेक्स करते और एक दूसरे को संतुष्ट करते रहे. हम दोनों छह दिन तक पति-पत्नि की तरह रहे.

आखिरी मुलाकात भी जल्द हुई. वो भी 9 दिन के लिए, जिसे मैं अपनी अगली कहानी में बताऊंगा. आपके मेल का इन्तजार रहेगा.

कामुक चचेरी बहन की पहली चुदाई

 

नमस्कार दोस्तो, यह कहानी मेरी पहली और सच्ची कहानी है चचेरी बहन की चुदाई की … अगर कोई गलती हो तो माफ़ करना।

मेरा नाम है आनंद और मैं गाजीपुर (उ.प्र.) से हूँ, मेरी उम्र 21 साल है और मेरी हाइट 5 फीट 9 इंच है। मैं दिखने में थोड़ा स्मार्ट हूँ, ऐसा लोग कहते हैं। मैं अभी दिल्ली में रहता हूँ जहाँ मैं जॉब कर रहा हूँ।

मैं अन्तर्वासना को पिछले 7 सालों से पढ़ रहा हूँ। यह कहानी पांच साल पहले जून महीने की है। जब मैं छुट्टी में घर गया था। क्या बताऊँ दोस्तो, मैं अपने चाचा की लड़की यानि मेरी छोटी बहन (प्रिया) से पूरे दो साल बाद मिला था। वो देखने में एकदम भोजपुरी स्टार अक्षरा सिंह जैसी लग रही थी। वो मुझ से डेढ़ साल छोटी है, उसका फिगर 34-32-36 था.

मेरे चाचा जी आर्मी में हैं और मेरी चाची गृहिणी हैं. उनके तीन लड़के और दो लड़कियां हैं. चाचा बहुत कम ही घर पर रहते हैं. चाची अकेली घर का सारा काम करती है. चाचा के न होने के कारण चाची ही खेत का काम भी करती थी.

उस दिन बाहर खेतों में काम अधिक था इसलिए शाम को आते ही वह खाना खाकर सोने छत पर चली गयी। छत पर सबका बिस्तर लगा हुआ था.

चाची के बगल में उनके तीन बच्चे सोये हुए थे. मेरा और चाचा के बड़े लड़के और प्रिया का बिस्तर दूसरी छत पर लगा हुआ था. मैं और मेरे चाचा का लड़का सो रहे थे.

कुछ देर बाद प्रिया सोने के लिए छत पर आयी और मैं और चाचा का लड़का एक साथ सोये थे. प्रिया चाचा के लड़के बगल में आकर सो गयी। मेरे सोने के कुछ समय बाद मुझे अहसास हुआ कि मेरा हाथ कहीं जा रहा है. कुछ समय तक मैं सोने का नाटक करता रहा।

मैं देखना चाहता था कि मेरा हाथ कौन टच कर रहा है. प्रिया ने मेरा हाथ अपनी चूची पर ले जाकर रख दिया. उसके बाद उसने कुछ समय तक कोई प्रतिक्रिया नहीं की क्योंकि भाई बीच में सोया था.

कुछ समय बाद वह अपनी चूची पर मेरा हाथ रख कर मसल रही थी. तभी भाई जग गया. भाई के जाग जाने के कारण अब हम दोनों में कोई भी हरकत नहीं करना चाह रहा था. प्रिया ने मेरा हाथ यूं का यूं रहने दिया. मुझे अब तक बहुत मजा आ रहा था लेकिन अब मेरी गांड भी फटने लगी थी कि कहीं भाई देख न ले और प्रिया को छेड़ने का सारा इल्जाम मेरे सिर पर आ जाये.

उसकी चूची पर से अब भी मेरा हाथ नहीं हटा था. फिर जब भाई दोबारा सो गया तो कुछ समय बाद मैंने उसकी कुर्ती के अन्दर हाथ डालकर चूची बहुत तेज दबा दी. इधर मेरा लन्ड खड़ा होने लगा. कुछ समय बाद मैंने उसकी पजामी में हाथ डालना चाहा लेकिन उसने डालने नहीं दिया. शायद भाई बीच में सोया था इसलिए वो मुझे ऐसा नहीं करने देना चाहती थी.

फिर मैंने कामुक बहन की पजामी के ऊपर से ही उसकी चूत में उंगली करना शुरू कर दिया.
कुछ समय बाद मुझे अपने हाथ पर पानी पानी सा लगा. उस समय तक वह झड़ चुकी थी. फिर वह उठ कर बैठ गयी. उसके बाद मैंने उस रात कुछ नहीं किया और हम सो गये।

अगले दिन हम दोपहर में टी.वी. देख रहे थे. उस समय घर पर छोटा भाई ही था और कोई नहीं था. तभी उसने मेरी जांघों पर हाथ चलाना शुरू कर दिया. मैं उसके हाथों को बार-बार हटा रहा था क्योंकि दिन का मामला था और कोई भी आ सकता था.

शाम हुई तो चाची खाना खाकर सोने गई. मैं टी.वी. देख रहा था. मैंने बोला- आप लोग सो जाओ. मैं टी.वी. देख कर सो जाऊंगा।

सभी लोग छत पर जाकर सोने लगे। कुछ समय बाद प्रिया छत से नीचे आयी और मेरे बगल में बैठ गयी. वह अपने हाथ कभी मेरे पैर पर तो कभी मेरे गाल पर चला रही थी। काफी देर तक वो ऐसे ही करती रही.

मुझ से नहीं रहा गया और लाईट ऑफ करके मैंने प्रिया को अपने गोद में बैठा लिया. उसकी चूचियों को खूब रगड़ा और किस करने लगा.

लगभग पांच मिनट तक यही खेल चलता रहा. उसके बाद ऊपर से कोई आवाज आई और हम दोनों एक दूसरे से अलग हो गये. मुझे भी प्रिया के साथ ये सब करने में बहुत मजा आ रहा था. मेरा लंड खड़ा हो गया था और मैं उसके हाथ में लंड देना चाह रहा था लेकिन उसी वक्त फिर वो उठ कर चली गई. ऊपर छत पर जाने के बाद वो सो गई.

अगले दिन प्रिया के तीनों भाई और बहन 9 बजे के करीब स्कूल चले गये. चाची किसी काम से बाजार गई थी.

उनके जाते ही मैंने दरवाजे को कुन्डी लगाई और अन्दर आकर देखा तो प्रिया खाना बना रही थी. मैंने पीछे से जाकर प्रिया को पकड़ लिया. उसकी कुर्ती के ऊपर से उसके चूचों के साथ खेलना शुरू कर दिया.
वो मुझे हटाने लगी लेकिन मैंने उसके चूचों को नहीं छोड़ा और उनको दबाता रहा. मेरा लंड खड़ा हो गया था और मैंने प्रिया की गांड पर अपना लंड लगा दिया था. फिर उसने भी कुछ नहीं कहा और मैं आराम से प्रिया के चूचों को दबाने लगा. वो भी अब गर्म होने लगी थी.

फिर मैंने उसकी कुर्ती को निकाल दिया. उसकी ब्रा को भी निकाल दिया. वो ऊपर से नंगी हो गई और मैं उसके चूचों को पीने लगा. किचन में नंगी प्रिया के चूचों के साथ खेलते हुए मुझे भी जोश आने लगा था. मैंने उसकी चूचियों को जोर से पकड़ कर दबा दिया. बीच-बीच में मैं उसके चूचों के निप्पलों को काट भी लेता था. उसके मुंह से चीख सी निकल जाती थी लेकिन उसको भी मजा आ रहा था.

मैंने प्रिया का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रखवा दिया तो वो मेरे लंड को पकड़ कर सहलाने लगी.

फिर मैंने प्रिया की पजामी को नीचे करने की कोशिश की तो उसने मेरे हाथों को रोक लिया. मैंने थोड़ा जोर लगाया तो उसने अपने हाथ हटा लिये. मैंने प्रिया की पजामी को नीचे कर दिया और उसकी पैंटी मुझे मेरी नजरों के सामने दिखाई देने लगी. उसकी चूत उभरी हुई सी दिख रही थी.

मैंने प्रिया की चूत पर हाथ फेर दिया तो वो चिहुंक सी गई. उसकी चूत काफी गर्म हो चुकी थी. उसकी चूत पर हाथ लगाते ही मेरे लंड का जोश भी और ज्यादा बढ़ गया. मैंने अपनी पैंट की चेन को खोल कर अपने लंड को बाहर निकाल लिया. मैं अब प्रिया के होंठों को चूसने लगा और मैंने उसका हाथ अपने लंड पर रखवा दिया.

वो मेरे लंड को पकड़ कर मेरे लंड के टोपे को आगे और पीछे करने लगी. मेरा लंड काफी देर से खड़ा हुआ था तो इस वजह से मेरे लंड को जब उसके हाथ का कोमल सा स्पर्श मिला तो मुझे बहुत मजा आने लगा.
मेरी कामुक बहन भी मेरे गर्म लंड को पकड़ कर मजे से उसके टोपे को आगे-पीछे करने में लगी हुई थी. उसको मेरे लंड का साइज पसंद आ गया था. वो उसको बार-बार हाथ में भर कर नाप रही थी. कभी मेरी गोलियों को छेड़ रही थी तो कभी मेरे लंड के सुपारे को मसल रही थी.

उसकी हरकतों से मेरे लंड के अंदर से भी कामरस निकलना शुरू हो गया था.

मैंने वहीं पर खड़े हुए ही उसकी चूत पर अपने लंड को सटा दिया. मेरा मन कर रहा था कि मैं वहीं पर उसकी चूत के अंदर अपने लंड को घुसा दूं. मुझसे अब रुका नहीं जा रहा था. फिर मैंने अपना हाथ नीचे ले जाकर प्रिया की चूत पर फिराया और अपनी उंगली उसकी चूत में डाल दी.
प्रिया एकदम से उछल पड़ी.

मैंने उसके अपनी बांहों में उठा लिया. उसकी गांड को दबाने लगा और उसकी चूत मेरे लंड पर आकर सट गई. मैं अपनी गांड को आगे धकेल कर उसकी चूत पर लंड के धक्के देने लगा.
मुझे बहुत मजा आ रहा था ये सब करने में.

मेरा लंड प्रिया की चूत में घुसने ही वाला था कि तभी उसने मुझे अपने से अलग कर दिया, वो बोली- अंदर चलो कमरे में.
उसके कहने पर हम कमरे की तरफ जाने लगे. उसकी गांड पीछे से नंगी दिखाई दे रही थी. जब वो चल रही थी तो मैं उसकी गांड को पकड़ कर दबा रहा था. मेरा लंड बार-बार झटके दे रहा था.
मैंने प्रिया की गांड को कस कर दबा दिया तो वो उछल गई और उसकी पजामी उसकी टांगों में उलझ गई जिसके कारण वो एकदम से संतुलन खो बैठी और नीचे गिर पड़ी. मगर उसने अपने हाथ नीचे जमीन पर टिका लिये.
उसकी नंगी गांड मेरे सामने उठ कर आ गई. मैंने अपने लंड को उसकी गांड पर लगा दिया और मैं भी प्रिया के ऊपर ही झुक गया. पीछे से उसकी नंगी गांड पर लंड लगा कर मैं उसके चूचों को दबाने लगा. उसको चोदने का मन करने लगा.

लेकिन वो उठने की कोशिश कर रही थी. उसने मुझे पीछे धकेल दिया और फिर वो उठ गई.

हम दोनों उठ कर कमरे में चले गये. कमरे में जाते ही वो बेड पर लेट गयी. उसने अपनी पजामी निकाल दी. वो मेरे सामने अब पूरी नंगी हो चुकी थी. उसने अपनी टांगें खोल दी थी और मैं समझ गया कि वो भी लंड को अंदर लेने के लिए तैयार है.

मैंने अपनी पैंट को निकाल दिया और फिर अपने अंडरवियर को भी निकाल कर एक तरफ डाल दिया. वो बोली कि शर्ट भी निकाल दो. वो मुझे पूरा का पूरा नंगा देखना चाहती थी. मैंने भी उसके कहने पर अपनी शर्ट निकाल दी और मैं भी पूरा नंगा हो गया. वो मेरे नंगे शरीर को ऊपर से नीचे तक देख रही थी.

फिर मैं उसके ऊपर जाकर चढ़ गया. मैंने उसकी टांगों को फैला दिया और उसके चूचों को पीते हुए अपना लंड उसकी पानी छोड़ रही चूत पर रगड़ने लगा. उसके मुंह से सीत्कार निकलने लगे. आह्ह् … स्स्स … उम्म… मैं भी अपना लंड उसकी चूत पर लगा रहा था तो मुझे बड़ा मजा आ रहा था.

कुछ देर तक उसके चूचों को पीने के बाद मैंने अपने लंड को उसकी चूत के छेद पर लगा दिया और एक जोर का धक्का लगा दिया.
मेरा लंड बहन की चूत में नहीं घुस पाया क्योंकि उसकी चूत बहुत टाइट थी. मेरा लंड उसकी चूत पर फिसल गया. फिर मैंने दोबारा से लंड को उसकी चूत पर लगाया और दोबारा से लंड का जोर उसकी चूत के मुंह पर देकर मारा तो लंड का सुपारा उसकी चूत में चला गया. मुझे मजा आ गया लेकिन प्रिया चिल्ला पड़ी. उसकी चूत खुल गई थी.

मैंने उसको शांत करने की कोशिश की लेकिन वो चुप नहीं हो रही थी और दर्द से कराह रही थी. फिर मैंने अपने लंड को बाहर निकाल लिया. उसके बाद मैंने अपने लंड पर थोड़ा सा तेल लगा लिया. उसकी चूत पर भी तेल लगा दिया. तेल लगाने के बाद मेरा लंड और उसकी चूत दोनों ही बिल्कुल चिकने हो गये थे.

मैंने अपने लंड से उसकी चूत की मालिश की और फिर उसका दर्द कम हो गया. मैंने दोबारा से अपने लंड के सुपारे को उसकी चूत पर लगा कर एक धक्का मारा. अबकी बार मेरा आधा लंड उसकी चूत में उतर गया.
वो फिर से दर्द से चिल्ला पड़ी ‘उम्म्ह … अहह … हय … ओह …’

लेकिन अबकी बार मैंने अपने लंड को बाहर नहीं निकाला. मेरे लंड को उसकी गर्म चूत में जाकर बहुत मजा आ रहा था इसलिए मैं उसकी चूत का मजा लेना चाहता था. मैंने उसकी आवाज को कम करने के लिए उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया. उसकी चूत में भी मैं साथ ही साथ दबाव बनाता गया और धीरे-धीरे करके मैंने पूरा का पूरा लंड प्रिया की चूत में उतार दिया.

फिर मैं कुछ देर तक रुका रहा. जब वो पूरी तरह से शांत हो गयी तो मैंने धीरे से प्रिया बहन की चूत में धक्के लगाने शुरू किये. उसको दर्द होने लगा. इसलिए मैं बहुत धीरे से उसकी चूत को खोल रहा था. मैंने उसकी टांगों को खोल कर देखा तो उसकी चूत से खून निकल रहा था. उसकी चूत फट गई थी. लेकिन मैंने उसको कुछ नहीं कहा.

वापस उसके ऊपर आकर मैं उसके चूचों को पीने लगा तो वो भी फिर मजा लेने लगी. अब मेरा लंड धीरे-धीरे उसकी चूत में अंदर बाहर होने लगा था. मैंने उसकी चूत में लंड को पूरा घुसा दिया. अब मैंने तेजी के साथ उसकी चूत में लंड को चलाना शुरू किया और उसकी चूत की चुदाई करने लगा.

वो भी अब मजे से मेरे लंड को लेने लगी. उसने अपनी टांगें मेरी कमर पर लपेट ली और मेरे होंठों को चूसने लगी.

मेरा जोश और ज्यादा तेज हो गया तो मैं और तेजी से उसकी चूत की चुदाई करने लगा. उसकी टाइट चूत को चोद कर मुझे बहुत ही आनंद मिल रहा था. वो भी मेरे लंड के मजे ले रही थी. पांच-सात मिनट तक उसकी चूत की चुदाई मैंने उसी तरह की और फिर मैंने उसको उठने के लिए कहा.

जब वो उठी तो उसने अपनी चूत से निकला हुआ खून देखा और डर गई.
मैंने कहा- घबराने की बात नहीं है. तुम्हारी चूत की झिल्ली फट गई है. इसलिए ये हल्का सा खून निकल आया है.

फिर मैंने उसको घोड़ी बना लिया. उसकी गांड बहुत मस्त थी. मेरा मन उसकी गांड की चुदाई करने का भी कर रहा था लेकिन अभी ये हमारा पहली बार था तो अभी मैं उसकी गांड में लंड डाल कर उसको डराना नहीं चाहता था.

वैसे तो उसने मुझे कई दिनों से परेशान कर रखा था लेकिन वो इस बात को नहीं जानती थी शायद कि चुदाई करवाने में दर्द भी झेलना पड़ता है. इसलिए मैं उसको और ज्यादा दर्द नहीं देना चाह रहा था.

मैंने फिर प्रिया को घोड़ी बना कर झुका लिया और पीछे से उसकी चूत में लंड डाल दिया. अब उसकी चूत अंदर से भी पूरी की पूरी चिकनी हो चुकी थी. इसलिए जब मैंने पीछे से उसकी चूत में लंड डाला तो मेरा लंड एकदम से अंदर चला गया.

एक तो लंड पर तेल लगा हुआ था और दूजा उसकी चूत ने अपना कामरस छोड़ना चालू कर दिया था. इधर मेरे लंड से चिकना पदार्थ निकल रहा था. मैंने उसकी चूत को में लंड को डाल कर एक धक्का लगाया और पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया.
वो आह्हह … करके रह गयी.

फिर मैंने उसके चूचों को पकड़ लिया. अब पोजीशन ठीक थी तो मैंने उसकी चूत की चुदाई शुरू कर दी.
मैं पीछे से चूत में पूरा लंड घुसा कर उसको अंदर और बाहर कर रहा था. मेरे लंड के धक्के अब तेज हो गये थे. उसकी चूत के अंदर जब लंड जा रहा था तो पच्च-पच्च की आवाज हो रही थी.

मैंने उसकी चूत में अपने लंड की स्पीड बढ़ा दी. वो फिर दर्द से चीखने लगी लेकिन अबकी बार मैं नहीं रुका. मैंने दस मिनट तक इसी पोज में उसकी चुदाई की और फिर मेरे लंड का माल मैंने प्रिया की चूत में ही गिरा दिया.

हम दोनों नंगे थे और मैं उसके ऊपर ही लेट गया. कुछ देर तक मैं उसके ऊपर ही पड़ा रहा. कुछ मिनट के बाद मैं उठा. फिर वो भी उठ गयी.

सच में दोस्तो, अपनी कामुक चचेरी बहन की चूत की चुदाई करके मजा आ गया था मुझे. वैसे वो भी खुद ही मेरा लंड लेना चाहती थी. इसलिए मैंने मौके का पूरा फायदा उठाया.
मगर फिर उस दिन चाची के आने का टाइम हो गया था तो मैंने अपने कपड़े पहन लिये.

उसने भी अपने कपड़े पहन लिये. मैं कई दिनों तक चाची के घर में रहा लेकिन फिर हमको चुदाई का मौका नहीं मिल पाया.

उसके बाद फिर मेरी जॉब दिल्ली में लग गई थी तो मैं दिल्ली में आ गया था. उसके बाद मुझे कभी प्रिया की चूत को चोदने का मौका नहीं मिला. उसकी चूत की वो पहली चुदाई याद करके आज भी मेरा लंड खड़ा हो जाता है. मैं मुठ मार कर ही उसकी चूत के बारे में सोच कर अपना पानी निकाल लेता हूँ और अपने लंड को शांत कर लेता हूँ.

तो दोस्तो, आपको मेरी कामुक चचेरी बहन की चुदाई की ये कहानी कैसी लगी. इस बारे में कमेंट करके बताना

Wednesday, 26 July 2023

दीदी की सहेली ने पैंटी दिखा कर चूत चुदाई

 मेरा प्रणाम. मैं नागपुर से राकेश हूँ. मैं 31 वर्षीय नया नया शादीशुदा व्यक्ति हूँ. मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ और मैं अन्तर्वासना में आने वाली सभी कहानियों को पढ़ता हूँ.

आज मैं अपने साथ घटित हुई सच्ची दास्तान बयान करने जा रहा हूँ. अन्तर्वासना पर यह मेरी दूसरी सेक्स कहानी है. सेक्स मुझे हमेशा से ही अच्छा लगता है और इसकी आदत भी मुझे मेरी बड़ी बहन की कुछ सहेलियों ने लगा दी थी. जी हां.. मेरी बहन की सहेलियों ने मुझे सेक्स का मजा दिलाया था. आपको इस बात को पढ़ कर कुछ अंदाजा तो हो ही गया होगा कि मेरी कहानी किस तरफ जाने वाली है.

यह घटना मेरे साथ तब हुई थी, जब मेरी बड़ी बहन की सहेली ने मुझे नंगा करके मेरे साथ सेक्स किया था.

उस वक़्त मैं उन्नीस साल का था. तब मैं दुबला पतला ही था और ज़्यादा किसी से बातचीत नहीं करता था. अपने क्लास में सबसे छोटा और भोला था. मुझे कुछ चीजें जल्दी से समझ नहीं आती थीं.. पर जब से बड़ा हुआ, तो मेरा लंड हमेशा फुदकता रहता था. स्कूल की छोटी क्लास तक मेरी दीदी मुझे नहलाती थीं, तब मेरा लंड धीरे धीरे खड़ा हो जाता था. लेकिन मैंने कभी गलत तरीके से तब सोचा नहीं था. इसलिए मुझे घर और कॉलोनी में सभी लोग काफी भोला समझते थे और मैं था भी.

अब मैं बारहवीं में आ गया था, मेरी बड़ी बहन भी बड़ी क्लास में थी. लेकिन बारहवीं तक पहुंचते पहुंचते मुझे सेक्स के बारे काफी जानकारी और रूचि हो गयी थी. मैंने कई बार अपने लंड की मुठ भी मारी थी, लेकिन अब तक मुझे कभी किसी चूत के असली में दर्शन नहीं हो सके थे. बस पोर्न वगैरह में ही चुदाई चूत मम्मे देख लेता था.

मेरी कॉलोनी में ही मेरी बड़ी बहन की एक क्लासमेट रहा करती थी, जिसका नाम प्रीति था. प्रीति और दीदी एक साथ ही कॉलेज आना जाना करते थे और कभी कभी पढ़ाई करने मेरे घर भी आते थे. इसलिए मैं उनसे घुल-मिल कर ही बात करता था.

प्रीति की उम्र कुछ 20 की रही होगी, लेकिन उसका बदन बहुत बड़ा और शानदार था. उसके दूध भी काफी बड़े और तने हुए थे. मेरा सोचना था कि उसकी मदमस्त चूचियों और उठी हुई गांड को देखकर कोई भी अपना लंड हिला लेगा. कुछ ऐसा कामुक बदन प्रीति का था.

प्रीति से अच्छी पहचान के वजह से कई बार मैं उसके घर भी जाया करता था और वो भी मुझे छोटा भाई कहकर अपने घर बुलाती थी. शुरूआत में मैं प्रीति को हमेशा ही बहन मानता था. लेकिन बाद में जब से मुझे सेक्स की हवस चढ़ना शुरू हुई, तो मैं हमेशा प्रीति के मादक बदन को देख कर मुठ मारने लगा था.

जब भी प्रीति मुझे उसके घर बुलाती थी, तब उसको देखने के बाद सीधे उसके ही बाथरूम में उसकी ब्रा या पैंटी को अपने लंड पे रगड़ कर मुठ मार लिया करता था.

हुआ यूं कि उस दिन प्रीति घर में अकेली थी और काफी बोर हो रही थी. मैं भी स्कूल से आते हुए उसे दिखा, तो उसने मुझे आवाज़ लगा कर घर बुला लिया.

मैं उधर गया, तो प्रीति ने कहा- आज मैं घर में अकेली हूँ और बोर हो रही हूँ.
मैंने पूछा- क्यों अंकल आंटी किधर गए हैं?
उसने मुझे बताया- मेरे मम्मी पापा एक शादी में बाहर गए हुए हैं, इसलिए तू हाथ पैर धोकर और खाना खाकर मेरे घर आजा, हम दोनों ताश खेलेंगे.

मुझे उसके साथ ताश खेलने में बड़ा मजा आता था. क्यों जब वो झुक कर पत्ते बांटती थी तो मुझी चूचियों के दीदार हो जाते थे.

मैं से जल्दी घर गया और खाना खाकर, अपनी मम्मी को बताकर प्रीति के घर चला गया.

प्रीति शायद मेरा ही इंतज़ार कर रही थी. मैंने देखा कि उसने अपनी ड्रेस बदल ली थी और अब वो एक छोटा फ्रॉक पहन कर मेरे सामने थी. उसकी इस छोटी फ्रॉक से उसके घुटने से नीचे तक हिस्सा पूरा दिख रहा था. मैंने छिपी हुई नजरों से देखा कि उसके पैर में हल्के हल्के से बाल थे और पूरा पैर एकदम गोरा दिख रहा था. उसके पैरों को देखकर मेरा लंड कड़क होने लगा था, पर मैं अभी कुछ कर भी नहीं सकता था.

हम दोनों पलंग पर ही ताश खेलने बैठ गए. उस दिन मैं हाफ पैंट पहन कर प्रीति के घर आया था. प्रीति ने वैसे भी फ्रॉक पहन रखा था, सो बैठते ही उसका फ्रॉक थोड़ा ऊपर उसके जांघों तक पहुंच गया. उसकी नर्म नर्म गोरी गोरी मांसल जांघें देखकर मेरे मन में लड्डू फूटने लगे. बैठते ही उसने फ्रॉक नीचे करके अपनी जांघों को छुपा लिया. उसके ऐसे करने से मेरे मन ताश से उठकर सेक्स पे जाने लगा.

अब तक मैंने कभी भी चुत नहीं देखी थी, तो मेरा मन बहुत व्याकुल हो रहा था. तभी खेलते खेलते अचानक प्रीति का फ्रॉक अपने आप उठ गया या पता नहीं उसने जानबूझ कर उठा दिया था, ये सिर्फ उसे ही पता था.

खैर हम लोग ताश खेलने में मन लगाने लगे. ताश खेलते खेलते हम लोग एक दूसरे से हंसी मजाक भी कर रहे थे.

तभी उसने कहा- यार बैठे बैठे तो मैं अकड़ सी गयी हूँ.
यह कह कर उसने तकिए का सहारा लिया और एक साइड पर बैठी सी हो गयी. उसने इसी के साथ अपने एक पैर को पूरा मोड़ा और अपने दूसरे पैर को मोड़ कर उसके ऊपर रख दी. उसके ऐसा करने से उसकी फ्रॉक तो ज़्यादा ऊपर नहीं हुई, लेकिन उसकी पैंटी मुझे सीधी दिखने लगी.

उसकी पैंटी देखते ही मेरे लंड में हलचल होने लगी. मेरे पैंट के ऊपर ही मेरा तंबू बन गया. अब मेरी हालत पतली होने लगी. मेरा मन ताश खेलने के बजाए उसकी पैंटी पर टिक गयी. उसकी गुलाबी रंग की पैंटी पहनी हुई थी. शायद उसने चुत के बाल साफ़ नहीं किये थे, इसलिए पैंटी पर ऊपर से ही कुछ काला काला सा दिखाई दे रहा था.

प्रीति ने ज़्यादा हलचल तो नहीं की लेकिन वो खुद से अपनी पैंटी बार बार मुझे दिखा रही थी.

अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था. मैंने बाथरूम का बहाना करके उसके वाशरूम में गया और तेजी से प्रीति का नाम लेकर मुठ मारने लगा. थोड़ी देर में मैंने लंड से पूरा वीर्य बाहर निकाल लिया. अब थोड़ी मुझे संतुष्टि मिल गई. सिर्फ उसके पैंटी और गोरी टांगें देखकर ही मेरे लंड से पिचकारी निकल गयी थी.

जब मैं वापस रूम में गया, तो वो पलंग पे लेटी हुई थी और पूछ रही थी- इतनी देर बाथरूम में क्या कर रहे थे?
मैंने बात को टाल दिया और थोड़ी देर में घर वापस आ गया.

दो दिन बाद प्रीति मेरे घर आई और बोलने लगी कि आज भी वो अकेली है, तो ताश खेलने के लिए आ जा.
थोड़ी देर में जब मैं उसके घर पंहुचा, तो मैंने उसके घर की बेल बजायी. उसने दरवाजा खोला.

मैं उसे देख कर एकदम से हैरान रह गया.. शायद आज उसने ब्रा नहीं पहनी थी. एक टाइट वाली फ्रॉक पहन कर वो बाहर आई थी और उसके हल्के हल्के निप्पल के उभार उसकी इस टाईट फ्रॉक के ऊपर से दिख रहे थे.

हम लोग फिर ताश खेलने में बिजी हो गए. आज मैंने भी अंडरवियर नहीं पहना था और ऐसे ही हाफ पैंट और शर्ट पहन कर उसके घर गया था.

कुछ देर ताश खेलने के बाद वो फिर से पलंग के एक बाजू में तकिया लेकर बैठ गयी और बोली कि मेरी तो आज कमर और ज्यादा दर्द कर रही है.

उसके ऐसे बैठने से मुझे फिर से उसकी पैंटी के दर्शन होने लगे. मेरा पूरा मन उसकी पैंटी खोलकर उसकी चुत देखने का हो रहा था. आज उसने नीले रंग की पैंटी पहनी हुई थी. अब मेरा बिल्कुल भी मन ताश खेलने का नहीं कर रहा था. मेरा पूरा ध्यान उसकी नीली पैंटी पर था.

थोड़ी देर बाद वो बोली कि अब मेरा ताश खेलने का मन नहीं कर रहा, कुछ और खेल खेलते हैं.
मैंने भी हामी भर दी.

फिर उसने कहा- यार, मेरी कमर में आज भी बहुत दर्द हो रहा है.
मैंने भी उसको बोल दिया- लाओ मैं अच्छे से तेल लगा कर मालिश कर देता हूं.

इसमें मेरा स्वार्थ था, क्योंकि मुझे उसको नंगी जो देखना था.

मेरी बात पर वो झट से राजी हो गई और तेल लेने किचन में चली गयी.

तभी इतने में डोरबेल बजी और उसकी चचेरी बहन घर आ गई. मेरा चुत देखने का ख्वाब आज भी पूरा नहीं हो पाया. मैं मन मसोस कर रह गया. लेकिन एक बात समझ गया कि शायद वो मुझसे कुछ करवाना चाहती है.

दो दिन ऐसे ही गुजर गए. आखिर रविवार को मेरी बड़ी बहन ने प्रीति के नोट्स वापस करने के लिए मुझे उसके घर भेजा.

जैसे ही मैंने उसके घर की घंटी बजायी, तो उसकी मां ने दरवाजा खोला. वो बोलीं- हां अन्दर आ जा, प्रीति अन्दर है, वो तेरे आने की ही कह रही थी. मैं भी प्रीति की मौसी के घर जा रही हूँ. प्रीति की शादी पक्की होने वाली है, मुझे उसी की बात करने जाना है. बेटा मुझे आने में कुछ देर हो जाएगी, तुझे समय हो, तो तू मेरे घर पर रुक जाना.

मैंने उनसे कुछ नहीं कहा, बस हल्के से मुस्कुरा कर अन्दर आ गया.
इस वक्त प्रीति के पापा भी ड्यूटी पे गए हुए थे. मतलब कि आज वो फिर से अकेली ही थी.

मुझे देखते ही प्रीति एकदम से खुश हो गयी. उसने ताश की गड्डी को निकाला और हम लोग ताश खेलने लगे. मैंने उससे उसकी शादी की बात को लेकर कुछ नहीं कहा. बस आज मैंने ठान लिया था कि प्रीति की चुदाई करना ही है.

कुछ देर ताश खेलने के बाद उसने फिर से वैसे ही पैर पलंग के साइड में लगा दिए और आज मुझे उसकी गुलाबी पैंटी दिखने लगी. मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और मचलने लगा.

मैं अभी उसकी चुत देखने का तरीका सोच ही रहा था कि उसने पैर उठाते हुए मुझे अपनी पैंटी दिखाई और कहा- यार, मेरी कमर का दर्द जा ही नहीं रहा है, आज तो और भी ज्यादा दर्द है. तू थोड़ा सा दबा दे.

मैंने झट से उसे लेटने के लिए कहा और उसकी कमर पर हाथ फेर कर दबाने लगा.

फिर उसने पीठ भी दबाने के लिए बोला. मैंने पूरे मन से उसकी कमर और पीठ को दबाना चालू रखा. हालांकि उसके बदन को आज पहली बार छूते हुए ही मेरा लंड पूरा खड़ा हो चुका था.

इतने में वो पलट गई और मुझे अपने पैर और ऊपर तक दबाने के लिए बोलने लगी. मैंने धीरे धीरे उसके पैर दबाते हुए उसकी जांघों तक पहुंच गया था. मेरा लंड पूरा खड़ा हो चुका था और पैंट फाड़ने को तैयार था.

इतने में अचानक से वो उठ गई और उसने मुझे अपनी तरफ खींच लिया. मैं कुछ समझ पाता कि वो मुझे सब तरफ से चूमने लगी. शायद वो सेक्स के लिए कुछ ज़्यादा ही मचल रही थी. मैं भी उसके शरीर से खेलने लगा. हम दोनों कुछ बोल नहीं रहे थे, बस एक दूसरे से लिपट चिपट कर रगड़ सुख ले रहे थे.

फिर उसने अपना हाथ धीरे से मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड पर रख दिया. मैंने भी झट से अपना पैंट नीचे करके अपना लंड उसको दे दिया.

अब हम दोनों की हालत काफी ख़राब हो रही थी. मैंने भी झट से उसकी फ्रॉक ऊपर करके उसकी पैंटी नीचे कर दी. आखिरकार मुझे उसकी चुत के दर्शन हो ही गए. उसके फूली हुई चुत के ऊपर हल्के हल्के बाल भी थे.

जिस चुत के लिए मैं हमेशा से ही तड़प रहा था. वो चुत अब मेरे सामने थी. मैंने जैसे ही उसकी चुत में उंगली डाली, तो वो अकड़ने लगी. उसके मुँह से ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ निकलने लगा. उसकी चुत गर्म भट्टी की तरह गर्म हो गयी थी और चुत से धीरे धीरे सफ़ेद पानी निकल रहा था.

मैं अब उसकी चुत को सहला रहा था और वो मेरे लंड से खेल रही थी. अचानक से उसने मेरे लंड का सुपारा पीछे कर दिया, इससे मुझे थोड़ा दर्द भी हुआ.

फिर हम 69 की पोजीशन में आ गए और हम एक दूसरे को चूमने चाटने लगे. वो मेरे लौड़े को हाथ में लेकर सहलाने लगी और मैं उसकी चुत को चाटने लगा. मैंने भी उसको मेरा लंड चूसने बोला, तो उसने मना कर दिया. मैंने कुछ नहीं कहा.

अब हम दोनों को रहा नहीं जा रहा था. मैंने उसके सीधा किया और उसकी चुत में धीरे से लंड डालने लगा. उसको भी लंड डलवाते हुए दर्द हो रहा था, पर वो भी अपने दर्द को सहते हुए पूरे दम से लंड डलवा रही थी. कुछ ही देर में मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया था.

इसके बाद वो मुझसे रुकने का बोल कर मुझसे अपनी चूचियों को चूसने की कहने लगी. मैं लंड डाले हुए ही उसकी चूचियों को चूसने लगा.

कुछ ही पलों में वो लंड को झेल गई और अपनी गांड मटकाने लगी. उसको अब दर्द नहीं हो रहा था. मैंने धक्का लगाया, तो वो काफी मस्ती से मेरे लंड को अपनी चूत में अन्दर बाहर करवाते हुए नीचे से गांड उछालने लगी.

उसके मुँह से ‘आह आह आह.. मुझे चोदो.. मेरी चूत फाड़ दो.. आह मेरी चुत को फाड़ दो.. उम्म्ह … अहह … हय … ओह …’ निकलने लगा था. ये सब वो बार बार चिल्ला रही थी. मेरा भी लंड उसकी चुत को फाड़ने के लिए ही बना था, सो मैं भी पूरे जोरों शोरों से चुत फाड़ने में लगा हुआ था. मुझे पता चल चुका था कि शायद फिर प्रीति की चुत मिले न मिले. क्योंकि इसकी शादी होने वाली है.

मैं उसको फिर कभी न मिल पाने की सोच कर उसे धकापेल चोदने लगा. मस्त चुदाई होने लगी. करीब दस मिनट की चुदाई में प्रीति एक बार झड़ चुकी थी. आखिरकार मेरे लंड ने दम छोड़ दिया और मैंने पूरा का पूरा वीर्य उसकी चुत में छोड़ दिया.

हम दोनों ही पसीने से तरबतर हो गए थे और हांफते हुए एक दूसरे से चिपक कर पलंग में निढाल होकर गिर गए. हम दोनों को ही पूरी तरह से संतुष्टि मिल गयी थी. कुछ देर बाद हम दोनों अलग हुए और बाथरूम जाकर एक दूसरे को साफ़ किया.

मैं उसके घर उसकी मम्मी के आने तक के लिए रुका था और उनको देर शाम तक वापस आना था.

इसके चलते कुछ ही देर बाद मैं फिर से चार्ज हो गया. वो बेड पर लेटे हुए मेरे लंड से खेलने लगी. लंड का सुपारा बार बार ऊपर नीचे करने लगी. शायद उसको भी समझ में आ गया कि लंड फिर कब मिले या हो सकता है कि न मिले, इसलिए वो भी इस मौके को छोड़ना नहीं चाहती थी.

थोड़ी देर मसलने के बाद मेरा लंड पूरी तरह खड़ा हो गया. वो मुझे चुत चाटने के कहने लगी, तो मैं उसके ऊपर आकर उसकी चुत को बड़े इत्मिनान से चाटने लगा. अब मुझे भी उसकी चुत का रस बहुत अच्छा लगने लगा. मैं उसकी चुत के भगोष्ठों पर काटने लगा. इससे वो कामांध हो गई. मैं उसकी चुत चाटते हुए उसको जन्नत में ले गया. थोड़ी देर में उसने काफी सारा पानी चुत से निकाल दिया. मैं उसका पूरा रस पी गया.

इसके बाद मैंने उसको अपना लंड चूसने के लिए कहा, पर वो मना करने लगी.
वो बोली- इसे तुम चुत में ही डालो, मैं लंड नहीं चूस सकती.

आखिरकार मैंने उसकी चुत में ही लंड डालना मुनासिब समझा और उसको चोदने लगा. इस बार की चुदाई बड़ी मस्त हुई. वो भी दो झड़ कर मुझे मजा दे रही थी.

मैंने उस दिन उसे चार बाद चोदा. रहा. दिन भर की चुदाई से उसकी चुत में सूजन आ गयी थी और मेरे लंड में भी काफी दर्द होने लगा था. पर हम दोनों को चुदाई करने में परम आनन्द आ रहा था.

उसके बाद उसको चोदने का मौका नहीं मिला क्योंकि उसकी जल्द ही शादी हो गयी.
आज भी वो चुदाई मुझे याद आती है. मेरी भी शादी हो गयी है, लेकिन अब भी एक स्वप्न अधूरा ही रह गया कि कोई तो मेरे लंड को चूसे.

आपको मेरी चुदाई की कहानी कैसी लगी, कृपया जरूर बताएं.

पड़ोस वाली हॉट गर्ल की चुदाई

 हैलो फ्रेंड्स, मैंने अपने पड़ोस की एक हॉट गर्ल को चोदा. आज मैं आपको अपनी यह सच्ची सेक्स कहानी बताने जा रहा हूँ.

यह तब की बात है, जब मेरी इंजीनियरिंग के पांचवें सेमेस्टर का एग्जाम हो चुका था. मैं एग्जाम देकर अपने घर आया था.

मेरे घर के सामने एक लड़की रहती है, जिसका नाम शीमा (नाम बदला हुआ) है. वो दिखने में बहुत हॉट, खूबसूरत और सेक्सी है. वो लड़की शीमा मुझे पहले से ही अच्छी लगती थी. उसको लेकर मैं सोचता रहता था कि काश इस हॉट गर्ल चोदने का मौका मिल जाए … तो मजा आ जाए.

घर आने के बाद मैं उससे रोज बात करने लगा था. वो भी मुझसे हंस हंस कर बात करती थी. हम दोनों के बीच हर तरह का हंसी मज़ाक होने लगा था.

इस बार हमारे बीच इतनी अधिक नजदीकी बढ़ गई थी कि मैं हंसी मजाक के बहाने उसके शरीर को जहां तहां छू देता था. जब उसकी तरफ से कोई विरोध नहीं हुआ, तो मैं अब उसकी गांड भी कभी कभी छू देता था. वो मेरी इस हरकत का कभी बुरा नहीं मानती थी. इससे मुझे लगने लगा था कि ये भी मेरी तरफ आकर्षित है. हम दोनों में सेक्स को लेकर भी खुल कर चर्चा होने लगी थी.

एक दिन जब मैं सुबह उठा तो मेरे मम्मी और पापा कहीं जाने की तैयारी कर रहे थे.
मुझे पहले तो हैरानी हुई कि अचानक मम्मी पापा का किधर जाने का प्लान बन गया. मेरे पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि मेरे एक दूर वाले अंकल की तबीयत खराब है, तो उन्हीं को देखने और उनसे मिलने वे दोनों अस्पताल जा रहे हैं. चूंकि अस्पताल दूर था, तो उन्होंने मुझसे कहा कि उनको वापस घर आने में रात हो जाएगी.

मैं कुछ नहीं बोला.

मम्मी ने बताया कि उन्होंने मेरे खाने का इंतज़ाम शीमा के घर पर ही कर दिया है. मम्मी ने शीमा की माँ को बोल दिया था कि आज का मेरा खाना वो ही बना दें.

मैं शीमा का नाम सुनकर एकदम से मन ही मन खुश हो गया था कि शायद आज शीमा को चोदने का मौका मिल जाए.

यही हुआ भी ऊपर वाले ने आज मेरी सुन ली थी. उस दिन दोपहर को शीमा मेरा खाना लेकर मेरे घर आई. उस वक्त मैं अपने कंप्यूटर पर व्यस्त था. उसने घर में आते ही देखा कि मैं कंप्यूटर पर गेम खेल रहा था.

तो उसने बोला- अरे वाह अकेले अकेले ही गेम खेल रहे हो?
मैं बोला- नहीं यार … मैंने अपने दोस्त को कॉल करके बुलाया था, पर वो कुछ काम होने के कारण नहीं आ सकता था.

इस पर शीमा ने बोला- कोई बात नहीं यार … मैं हूँ ना. मैं तुम्हारे साथ हर तरह का गेम खेलने को तैयार हूँ.
उसकी बात सुनकर मैं थोड़ा मुस्कुराया और मैंने कहा- हर तरह का?
वो एक पल के लिए झेंपी लेकिन अगले ही पल बोली- हां, हर तरह का खेल खेलने को राजी हूँ.
मैंने उसको आंख मारी और कहा- ठीक है, पहले खाना खा लेता हूँ, फिर हम दोनों मस्त वाला गेम खेलते हैं.

मैं खाना खाने बैठ गया. वो किचन से मेरे लिए पानी लेकर आई. मैंने खाना खाया. उसके बाद मैं और शीमा हम दोनों कंप्यूटर पर गेम खेलने बैठ गए.

मैंने उसे बड़ी गौर से देखा. उस दिन उसने ट्राउज़र और शर्ट पहना था, वो बड़ी मस्त लग रही थी.

हम दोनों चिपक कर गेम खेलने लगे. गेम खेलते खेलते कभी कभी मैं उसकी जांघ पर अपना हाथ रख देता … तो वो मुझसे और भी सट जाती.
दोस्तो क्या बताऊं, उसकी जांघ छूते छूते ही मेरा लंड खड़ा हो गया.

मैं घर में चड्डी नहीं पहनता हूँ … तो मेरा लंड खड़ा होने लगा. जब उसकी जांघ के टच से मेरा लंड खड़ा हो गया तो वो उभर कर बाहर से दिखने लगा. शीमा इस बात पर ध्यान दे रही थी.
उसने मेरे खड़े होते लंड को देखा, तो वो हंसने लगी.

मैंने उससे हंसने का कारण पूछा, तो उसने कहा- तुम्हारा सिग्नल खड़ा हो गया है.
मैंने बोला- ये तुम्हें देख कर ही सिग्नल पकड़ रहा है.
वो मेरी बात से ज़ोर ज़ोर से हंसने लगी.

उसी वक्त उसने अपनी मम्मी को कॉल लगाया और कहा कि मॉम मैं थोड़ी देर से आऊंगी. राज अकेले घर में बोर रहा है तो उसके साथ कंप्यूटर पर गेम खेल रही हूँ.
उसकी माँ ने कहा- ठीक है.
उसने माँ की हामी पाते ही कॉल कट कर दिया.

उसके बाद शीमा ने मेरे लंड पर हाथ रख कर कहा- देखूँ ज़रा कितना सिग्नल पकड़ रहा है?
वो मेरे लंड को सहलाते हुए धीरे धीरे हिलाने लगी. वो मुझे वासना भरी निगाहों से देख रही थी.

मैंने तुरंत उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिए और अपने हाथों को उसके मम्मों पर रख कर उन्हें दबाने लगा. वो मेरी बांहों में झूल गई. हम दोनों जवानी की आग में झुलसने लगे. मेरे हाथ उसके मम्मों के अलावा उसकी गांड को भी सहलाने लगे थे. हम दोनों एक दूसरे से एकदम चिपके हुए अपने दिलों की चाहत को अपनी मंजिल तक ले जाने के लिए पूरी तरह से कामुक हो उठे थे.

उसने मादकता भरे स्वर में कहा- तुमने कितनी देर लगा दी … ये खेल खेलने में!
मैं- देर आया … दुरुस्त आया.
वो मुझसे लिपट गई.

कोई 10 मिनट के लगातार चुम्बन करने के बाद मैंने उसकी शर्ट के बटनों को एक एक करके खोलना शुरू कर दिया. कुछ ही पलों उसकी शर्ट ने उसके शरीर का साथ छोड़ दिया था.

शर्ट के अन्दर शीमा ने काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी. मैं उसकी ब्रा के ऊपर से उसके मम्मों को रगड़ने लगा. वो ‘उम्म्ह … अहह … हय … ओह …’ की सिसकारियां लेने लगी.

कुछ देर बाद मैं उसे अपनी गोद में उठा कर अपने रूम में ले गया और उसे बेड पर लेटा दिया. उसके बिस्तर पर गिरते ही उसके ऊपर चढ़ कर मैं उसे चूमने लगा. कुछ देर बाद मैंने उसके ट्राउज़र को निकाल दिया और दोस्तों क्या बताऊं उसने पैंटी भी काली पहनी थी.

मैं आपको बता दूँ कि मुझे गोरी लड़की जब ब्लैक ड्रेस पहनती है, तो बहुत सेक्सी लगती है. उसे इस तरह देख कर मैं खुद को रोक नहीं पाया और मैं उस पर टूट पड़ा. वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी.

कुछ देर बाद उसने मुझे बेड पर नीचे लिटा दिया और वो मेरे ऊपर आ गई. वह मेरी टी-शर्ट को उतार कर मेरी छाती पर अपने हाथ फेरने लगी. फिर वो मेरे कड़ियल जिस्म को चूमने लगी.

थोड़ी देर बाद उसने मेरे लोअर को भी निकाल दिया और मेरे लंड को हाथ में पकड़ लिया. उस हॉट गर्ल के हाथ में लंड आते ही मैं एकदम से गनगना उठा. वो लंड सहलाते और हिलाते हुए मेरी आंखों में आंखें डाल कर देखने लगी.

मैंने उसको इशारा किया, तो वो समझ गई और उसने मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया. पहले तो उसने मेरे लंड के सुपारे ऊपर अपनी जीभ फिराई और मेरे लंड को टट्टों से लेकर ऊपर तक चाटा और इसके बाद तो मानो उसने तूफ़ान खड़ा कर दिया. अब वो मेरे तनतनाए हुए लंड को अन्दर तक लेकर बिल्कुल लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी थी. उसके मुँह की गर्मी पाकर मेरी आंखों में मदहोशी सी छा गई. मैं अपनी दोनों आंखें बंद करके लंड चुसाई का मजा लेने लगा.

दो मिनट बाद उसने खुद अपनी पैंटी को उतारा और मुझे धक्का देकर बिस्तर पर सीधा लिटा दिया.
मैं अभी कुछ समझ पाता, तब तक वो मेरे लंड के ऊपर बैठ कर चूत की मुँह में लंड सैट करने लगी. मैंने गांड हिला कर लंड को उसकी चूत का मुँह ढूंढा और लंड को चूत में सैट कर दिया.

अब वो अपनी गांड को धीरे धीरे आगे पीछे करने लगी. इससे मेरा लंड पूरी तरह से उसकी चूत में घुस गया. मैंने भी उसकी कमर को पकड़ लिया.

अब उसने अपनी ब्रा भी उतार दी और अपनी गांड को आगे पीछे करते हुए मुझे लिप किस करने लगी. इस वक्त उसकी चूचियां मेरी छाती पर हिलते हुए मुझे बड़ा मजा दे रही थी.

कोई 15 मिनट बाद मैंने उसे अपने नीचे किया और उसकी एक टाँग तो अपने कंधे पर रख लिया.

अब मैंने अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया और आगे पीछे करने लगा. मैं इस वक्त एकदम डिप्स मारने जैसी कसरत कर रहा था, उसके दोनों मम्मों को मैं अपने दोनों हाथों में दबोचे हुए लगातार चोदे जा रहा था. उसकी मस्ती अपने चरम पर थी.

कोई 10 मिनट बाद वो बड़ी तेज आवाज में सीत्कार करने लगी. मैं समझ गया कि शीमा झड़ने वाली हो गई है. उसकी चूत ने पानी छोड़ा कि ठीक उसके बाद ही मेरा पानी छूटने वाला हो गया.

मैंने झट से अपना लंड बाहर निकाल लिया और उसके नंगे बदन को चूमने लगा. इस तरह मेरा लंड झड़ने से रह गया. फिर 5 मिनट बाद जब मेरा लंड थोड़ा शांत हुआ, तो उसने फिर से अपने हाथ से मेरा लंड खड़ा कर दिया और मैंने फिर से उसकी चूत में डाल दिया और उसे चोदने लगा.

हम दोनों एक दूसरे के आगोश में पूरी तरह खो चुके थे. मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और 10 मिनट बाद मैं उसकी चूत में झड़ गया. मैं देर तक उसकी छूट में ही अपने लंड की पिचकारियां छोड़ता रहा.
वो एकदम से निढाल होकर अपने जिस्म को ऐसे थिरका रही थी, मानो मेरे रस को वो अपने अन्दर जज्ब कर रही हो.

माल झड़ जाने के बाद मेरा लंड सिकुड़ गया. जब मैंने लंड बाहर निकाला, तो उसकी चूत से पानी टपक रहा था. वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी. मैंने उसे चूम लिया.

हम दोनों कुछ देर ऐसे ही एक दूसरे की बांहों में लिपटे पड़े रहे. तभी उसकी मम्मी का कॉल आया और वो उसे घर वापस आने के लिए बुलाने लगीं.

फिर हम दोनों ने एक ज़ोरदार स्मूच किया और अपने अपने कपड़े पहन लिए. वो टिफिन लेकर अपने घर चली गई.

अब जब भी मौका मिलता है, हम दोनों जम कर चुदाई का मज़ा ले लेते हैं और मज़े करते हैं.

दोस्तो, मेरी ये हॉट गर्ल की चुदाई कहानी आपको कैसी लगी, प्लीज़ मुझे मेल करके बताना न भूलना

Tuesday, 25 July 2023

खेल वही भूमिका नयी-3

 मैं नेता के साथ काल गर्ल बन कर सम्भोग कर चुकी थी. मुझे देख कर बाकी के मर्द भी गर्म हो उठे थे. नेता के जाने के बाद रमा के मित्रों ने मेरे साथ सम्भोग करना चाहा. इस पर रमा ने मुझे वेश्या के जैसे ही बने रहने को कहा और अभी राज को गुप्त रखने को कहा. मेरी मदमस्त जवानी से लट्टू होकर कमलनाथ मेरे साथ सम्भोग करने लगा था.
अब आगे:

अब तक के संभोग में मेरे भीतर भी वासना की चिंगारी आग बन चुकी थी और मन में चरम सुख पाने की तीव्र इच्छा होने लगी थी. मैं जल्दी से उसकी गोद में बैठ कर लिंग को योनि में प्रवेश कराते हुए उसकी गोद में उछल उछल कर संभोग को आगे बढ़ाने लगी.

मैंने खुद को उसके कंधों को पकड़ कर खुद को सहारा दिया और अपने घुटने मोड़ कर ऐसे धक्के देने लगी कि उसका लिंग ज्यादा भीतर जाए.

कमलनाथ ने मेरे चूतड़ों को पकड़ लिया और मुझे धक्के लगाने में सहायता करने लगा. साथ ही बारी बारी मेरे स्तनों का दूध भी पीने लगा. उसे बहुत ज्यादा आनन्द आ रहा था और मुझे भी और मैं भूल ही गई थी कि कोई और भी हमें देख रहा है.

मुझे धक्के लगाते हुए अब 5 मिनट होने को चले थे. कमलनाथ के भी आव भाव बता रहे थे कि अब वो जल्द ही झड़ने वाला है.

जैसे जैसे धक्के बढ़ते जा रहे थे, हम दोनों सिसकारी भरते हुए तेज़ सांस लेने लगे थे. मैं इतनी तेज धक्के मारने लगी कि कमलनाथ समझ गया कि मैं भी झड़ने वाली हूँ.

एक औरत को झड़ते देख कर किसी भी मर्द को अपनी मर्दानगी पर गर्व होता है. यही सोच शायद उसकी उत्तेजना दुगुनी हो गई.

मैं बस और धक्के मारते हुए कमलनाथ से पूरी ताकत से चिपक गई और अपने चूतड़ उछाल उछाल कर ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ करते हुए झड़ने लगी. मुझे झड़ती देख कमलनाथ भी अपने पर काबू न रख सका और वो भी गुर्राते हुए मेरे चूतड़ पकड़ कर नीचे से झटके मारने लगा. कुछ ही पल में हम दोनों एक साथ झड़ने लगे.

एक तरफ जहां मैं पूरी ताकत लगा कर उसे धक्के मारते हुए अपनी योनि का रस उसके लिंग पर छोड़ने लगी, वहीं कमलनाथ भी नीचे से झटके देता हुआ मेरी योनि के भीतर अपने वीर्य की पिचकरी मारने लगा. मैं झड़कर उसकी गोद में ढीली होने लगी और कमलनाथ भी अपने हाथ छोड़ सोफे पे हांफता रहा.

हम दोनों एक बार के सम्भोग के बाद शांत पड़े थे.

तभी पीछे से रवि ने हाथ डालकर मुझे उठाना चाहा. जबकि मैं थक चुकी थी. पर रवि हमारा संभोग देख इतना ज्यादा उत्तेजित हो चुका था कि अब उससे सब्र नहीं हो रहा था.

उसने मुझे जबरदस्ती विनती करते हुए उठाकर सोफे पर झुका दिया और खुद मेरे पीछे आ गया.

मेरी योनि अभी भी वीर्य से लबालब भरी थी, तो रवि ने जल्दी से एक कपड़े से मेरी योनि से टपकते वीर्य को साफ किया और अपनी हवस मिटाने को तैयार हो गया.

वो इतना अधिक उत्तेजित था कि उसने एक बार भी मुझे लिंग चूसने को नहीं कहा.

तभी राजशेखर बोला- रमा अब बर्दाश्त नहीं होता … चलो हम भी बढ़ चलें.
इस पर रमा बोली- अभी तो मुझे मेरे पति का भी प्रदर्शन देखना है. हम बाद में रात भर एन्जॉय करेंगे.

रमा की बात खत्म होते होते रवि ने अपना लिंग एक झटके में मेरी योनि में घुसा दिया. उसके लिंग का जोर इतना तेज था कि मैं अपनी कराह रोक नहीं पाई. रवि का लिंग मैंने देखा भी नहीं था, पर झटके के अंदाज से ये साफ हो गया था कि उसका आकार क्या है और ताकत कितनी अधिक है. मैं अभी भी थकान महसूस कर रही थी, मगर रवि ने मुझे पूरी ताकत से कमर से पकड़ लिया था. मैं अपने हाथ और सिर सोफे पर टिका कर अपना वजन संतुलित करने की कोशिश करने लगी.

रवि का लिंग मुझे थोड़ा मोटा तो लग रहा था और जिस प्रकार से उसने झटका मारा था, मुझे उसका सुपारा मेरी योनि को भरपूर खोलते हुए भीतर घुस गया था.

रवि इतना अधिक उत्तेजित था कि उस झटके के पल भर बाद ही वो तेज़ी से धक्के मारते हुए आगे बढ़ने लगा. मुझे ऐसा लग रहा था मानो ये कुछ ही पलों में झड़ जाएगा … पर मेरा अंदाज गलत था. वो भी कम अनुभवी नहीं था और कई सालों से संभोग क्रियायों में था. इसलिए इतनी जल्दी उसका भी स्खलन स्वभाविक नहीं था. ये तो उसकी उत्तेजना थी, जिसकी वजह से वो पूरे जोश से धक्के मार रहा था.

उसके दमदार धक्कों के कारण मैं खुद में इतनी कमजोरी महसूस करने लगी कि मेरे मुँह से रोने जैसी कराह निकलने लगी और जिस्म ढीला पड़ने लगा.

रवि एक खूंखार जानवर की तरह मुझमें धक्के मारे जा रहा था और बेरहमी से कभी मेरे चूतड़ों को, तो कभी नीचे से स्तनों को मसलता. उसके धक्के लगातार एक सांस में चल रहे थे और जब कभी उसे थकान लगती, तो लिंग मेरी योनि के भीतर दबा कर मेरे स्तनों, चूतड़ों और जांघों को सहलाकर मेरे बदन का आनन्द लेते हुए थोड़ा सुस्ता लेता.

उसकी इस तरह के संभोग क्रिया से मुझे लगने लगा कि रवि के आगे मैं देर तक नहीं टिक पाऊंगी.

उधर रमा ने ये भी बोल दिया था कि उसके पति का प्रदर्शन भी बाकी है. मतलब साफ था कि रवि के बाद कांतिलाल की बारी थी … और क्या पता कहीं राजशेखर भी उठ खड़ा हुआ, तो मैं तो मर ही जाऊंगी. मैं कमजोरी महसूस करने लगी थी और लड़खड़ाने भी लगी थी.

रवि भी पिछले बीस मिनट से एक ही आसान में संभोग करते हुए थकने लगा था. इस वजह उसमें जोश तो भरपूर दिख रहा था, मगर पहले की तरह वो ताकत नहीं लगा पा रहा था. रवि इस हाल में भी जबरदस्ती मुझे धक्के मारे जा रहा था.
मैं धक्कों की वजह से इधर उधर लड़खड़ाते हुए गिरने जैसी हो रही थी. मेरे गले से रोने जैसी आवाजें निकलने लगी थीं, पर उन लोगों में से किसी ने दया जैसी चीज नहीं दिखाई. शायद वो जानते थे कि औरत हर तकलीफ झेल लेती है और शायद इसी वजह से मैं भी अपना उपयोग होने दे रही थी.

अब झुके झुके मेरी थकान इतनी अधिक हो गई थी कि कमर में दर्द होने लगा था और मेरी टांगें सुन्न सी होने लगी थीं. फिर अचानक मैं लड़खड़ाते हुए सोफे पर गिर पड़ी. मेरा भारी भरकम शरीर रवि नहीं संभाल पाया और मैं उसके चंगुल से निकल गई. सोफे पर गिरते ही मैं हांफते हुए ‘उणहहहहह..’ कर रही थी.

तभी रवि ने मुझे पकड़ कर जमीन पर सीधा पीठ के बल लिटा दिया और मेरी टांगें फैलाता हुआ बीच में आने लगा. मेरे पास अब उससे विनती करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. सो मैंने उससे कुछ देर सुस्ताने के नाम पर थोड़ा समय मांग लिया. मुझे इस बात की ख़ुशी हुई कि उसके भीतर इंसानों वाली थोड़ी बात तो थी. वो वैसे ही मेरे जांघों के बीच अपने घुटनों पर खड़े होकर लिंग हाथ से हिलाता हुआ इंतजार करने लगा. शायद वो भी थक चुका था, इसी वजह से उसने थोड़ी रहम दिखाई.

थोड़ी राहत मिलते ही उसने मुझसे पूछा और मैंने उसे आने को कहा. वो मेरे ऊपर झुक कर अपना लिंग मेरी योनि में घुसाते हुए पूरी तरह से मेरे ऊपर आ गया. उसने अपने घुटने को जांघों तक मोड़ लिया था और मैंने भी अपनी टांग उसकी जांघों पर चढ़ा दिया था. उसने धीरे धीरे से पूरा का पूरा लिंग मेरी योनि के भीतर घुसा दिया था और उसके सुपारे का स्पर्श मैं अपनी बच्चेदानी में महसूस करने लगी थी. उसने अपना पूरा शरीर मेरे ऊपर चढ़ा दिया था और हम दोनों के चेहरे एकदम आमने सामने थे.

मैंने उसके गले में हाथ डाल दिया और उसने मुझे कंधों से पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया. अब उसने अपनी कमर को आगे पीछे करना शुरू कर दिया. थोड़ा आराम के वजह से जब मैं अपनी योनि में लिंग का घर्षण महसूस करने लगी, तो अच्छा लगने लगा था.

रवि के धक्के आराम और धीमी गति के थे, जिससे मैं समझ गई थी कि थकान की वजह से जोश और उत्तेजना दोनों ही कम हो गए थे. पर इतना तो मेरे दिमाग में था कि शायद रवि काफी देर तक संभोग करने के बाद ही झड़ेगा.

उधर कमलनाथ पूरा संतुष्ट दिख रहा था और वो मदिरा का स्वाद लेने में मग्न था. दूसरी तरफ रमा, कांतिलाल और राजशेखर काम वासना की आग में जलते दिख रहे थे.

जैसे जैसे संभोग की क्रिया अपने चरम की ओर अग्रसर होती जा रही थी, वैसे वैसे हम दोनों को अब आनन्द की अनुभूति होने लगी थी. रवि अब केवल धक्के ही नहीं मार रहा था बल्कि धक्कों के साथ साथ मेरे शरीर के अंगों को सहलाकर, दबा और मसल कर उनका आनन्द ले रहा था. वहीं मेरी उत्तेजना भी इस तरह बढ़ चुकी थी कि उसकी हर हरकत का मैं खुले मन से स्वागत करने लगी और साथ ही सभोग में बराबर की भागीदारी देने लगी थी.

रवि के धक्कों में अब फिर से धीरे धीरे तीव्रता आने लगी और मुझसे भी जहां तक हो सकता था, वहां तक अपनी कमर उठा कर उसके लिंग को अपनी योनि में आने देती थी.

कोई 20 मिनट के करीब हो चुके थे और हम दोनों पसीने पसीने हो गए थे. उधर मेरी योनि से झाग सा बहता हुआ मुझे महसूस होने लगा था. दोनों अब एक दूसरे को पूरी ताकत के साथ पकड़ कर लंबी लंबी सांस ले रहे थे. हम दोनों हांफते हुए अपने अपने चूतड़ हिला हिला योनि में लिंग रगड़ते हुए आगे बढ़ने लगे.

मैं अब बहुत जल्द झड़ने वाली थी और ऐसा लग रहा था मानो रवि भी किसी पल पिचकारी छोड़ देगा. मेरी योनि बहुत चिपचिपी और गीली हो गई थी, जिसकी वजह से जब जब रवि लिंग बाहर कर अन्दर धकेलता, तो मेरी योनि से छप छप की आवाज आती.

कुछ पल और संभोग करते हुए रवि के धक्के दुगुनी तेज़ी से लगने लगे और उसने अचानक धक्के मारते हुए ही मुझे पकड़ कर करवट ले ली. उसने मुझे अपने ऊपर चढ़ा लिया. वो इस तरह से पलटा था कि उसका लिंग मेरी योनि से बाहर नहीं आया.

मैं भी बहुत गर्म थी, सो मुझे किसी तरह की परेशानी नहीं हुई और मैं बिना रुके धक्के लगाने लगी. रवि ने भी मेरे चूतड़ पकड़ नीचे से जोर लगाना शुरू कर दिए.

अब तो आनन्द दोगुनी बढ़ गई और चरम सुख ऐसा लगने लगा जैसे सामने ही है.

मेरे जांघों में कम्पकपी सी होने लगी और मैं रवि के सीने से चिपक कर अपने भारी भरकम चूतड़ ऊपर नीचे करते हुए धक्के देने लगी. मेरी नाभि से करंट सा निकलने लगा और मेरी योनि तक दौड़ लगाने लगा. मैं अब पूरे जोश में आ गई और मेरे भीतर ऐसा लगने लगा, जैसे ऊर्जा का भंडार फूट पड़ा हो. मैं तेज़ी से धक्के मारने लगी और रवि भी अपने चूतड़ तेज़ी से उछालने लगा. मैं समझ गई कि रवि भी झड़ने वाला है.

तभी मैं अचानक से चीख पड़ी- उम्म्ह … अहह … हय … ओह … माँ मर गई!

मैं झटके मारते हुए झड़ने लगी. मेरी योनि की मांसपेशियां अकड़ने लगीं और योनि की दीवारों से तेज़ तरल रिसने लगा. इधर जब तक मैंने 3 से 4 धक्के मारे थे, रवि भी मेरे चूतड़ और ज्यादा ताकत से पकड़ गुर्राने लगा और फिर एक तेज़ गर्म लावा सी मेरी योनि के बच्चेदानी से टकराया.

बस अब अंत नजदीक था. मैं जहां जहां धक्के मार उसे पकड़ चिपकी रही, वहीं वो तब तक गुर्राते हुए झटके मारता रहा. जब तक उसने अपनी वीर्य की थैली खाली न कर दी. मैं उसके वार झेलती हुई उसके ऊपर लेटी ढीली पड़ने लगी. उसने भी अपनी आखिरी बूंद छोड़ कर शांत लेटा रहा.

मैं अब महसूस करने लगी कि लिंग मेरी योनि के भीतर ढीला हो रहा है. जैसे जैसे लिंग सामान्य अवस्था में आता गया, वीर्य टिप टिप कर मेरी योनि से टपकने लगा. दोनों पूरी तरह सुस्ताने के बाद अलग हुए, तो एक दूसरे को देख ये लगा कि हमने काफी मेहनत की है.

हम दोनों पसीने में लथपथ थे और अलग होने के बाद भी हम लंबी लंबी सांस ले रहे थे.

मैं उठकर नंगी ही स्नानागार में चली गई और खुद को साफ करने लगी. पर जाते हुए समय मैंने देखा कि कांतिलाल और राजशेखर के चेहरे पर वासना की भूख थी.

खुद को साफ कर मैंने रमा से कहा- मैडम मेरे कपड़े तो दे दीजिए.
उधर से जवाब आया- अरे आजा तौलिया लपेटकर … खेल अभी बाकी है.

यह सुन मेरे मन में ख्याल आया कि आज रमा मुझे मरवा के ही रहेगी, इसलिए एक बार सोचा कि सब कह दूँ.
मैंने कहा- अब और नहीं होगा … मुझे घर भी जाना है, रात हो जाएगी तो परेशानी होगी.

रमा मेरे पास आई, तो मैंने उससे बोला कि सबको मेरी सच्चाई बता दे.
पर वो जिद पर अड़ी थी कि कल सबको बताएगी. वो चाह रही थी कि एक बार कांतिलाल और राजशेखर भी मेरे साथ संभोग कर लें.

पर मैं बहुत थक गई थी, इसलिए मैं उससे विनती करने लगी कि अब और नहीं हो पाएगा. लेकिन वो जिद पर अड़ी थी.
तब मैंने उससे कहा कि मैं खुद सबको बता देती हूं.

अब रमा मान गई और बोली कि खाना खाने के बाद सब अपने अपने कमरे में चले जाएंगे और वो आज राजशेखर के साथ सोएगी.

उसने मुझे कांतिलाल के साथ ही रहने को कहा और फिर मुझे एक नए तरह के कपड़े दे दिए.

रमा सबको खाने के लिए बोल बाहर चली गई और उसने मेरे लिए कमरे में ही व्यवस्था कर दी.

मैं रमा के दिए हुए वस्त्र पहन तैयार हो गई, हालांकि ऐसे कपड़े मैंने पहले कभी पहने नहीं थे, पर ये मुझ पर जंच रहे थे. नाइटी के ही जैसी, मगर छोटी सी थी. उसके ऊपर से पहनने का गाउन भी था.

मैं खाना खाकर आराम करने लगी और कब मेरी आंख लगी, पता ही नहीं चला. ठंडी हवा और गद्देदार बिस्तर बहुत ही आरामदायक था.

ठंड की वजह से बार बार पेशाब आने की बीमारी ने मुझे बैचैन कर दिया. नींद से जगने पर आधी नींद में ही मैं पेशाब करने चल पड़ी. पेशाब करके मेरी नींद पूरी तरह से खुल गई थी. जब मैंने वापस आकर देखा, तो मुझे सामने बिस्तर पर कांतिलाल जांघिये में मुस्कुराता हुआ दिखा.

जब मैंने समय देखा, तो एहसास हुआ कि मैं ज्यादा देर नहीं सो सकी थी. अभी 11 ही बज रहे थे. संभोग की संतुष्टि और थकान ने मुझे सुला दिया था … पर अब कांतिलाल के रूप में एक और पड़ाव मेरे सामने आ गया था.

उसके मुस्कुराने की वजह से मैंने भी मुस्कुराते हुए उसका उत्तर दिया. फिर उसने मुझे पास बैठने को कहा और फिर हम बातें करने लगे.
उसने मेरे कामुक बदन की तारीफ करते हुए कहा- तुम पिछले बार से कहीं अधिक कामुक, सुंदर और खुली हुई लग रही हो.
मैंने भी उसे उत्तर दिया- रमा ने ही मेरा सब कायाकल्प किया है … वरना मैं तो पहले की ही तरह हूँ.

फिर उसने मेरे किरदार की सराहना करनी शुरू कर दी और कहा कि उन तीनों को जरा भी शक नहीं हुआ और अगले दिन जब पता चलेगा, तो सब चकित रह जाएंगे.

हम दोनों करीब एक साल बाद मिले थे और बातें करते करते काफी खुल चुके थे. हालांकि उसने मेरे साथ पहले भी संभोग किया था, पर उस समय मैं इतना अधिक खुली हुई नहीं थी.

बातें करते हुए हम एक दूसरे के आमने सामने हो गए थे और मैं एक टांग मोड़कर बैठ गई. लेकिन मुझे जरा भी अंदेशा नहीं था कि ये वस्त्र एक तरफ से कमर के पास से नीचे तक कटा हुआ था और मैंने पैंटी भी नहीं पहनी थी.

सोने के कारण गाउन तो मैं पहले ही निकाल चुकी थी, जिसकी वजह से मेरे स्तनों का अधिकांश हिस्सा दिख रहा था.

कांतिलाल की नजर शुरू से ही मेरे स्तनों पर थी. जबकि कुछ देर पहले उसने मुझे न सिर्फ नंगी देखा था, बल्कि अपने मित्रों के साथ कामक्रीड़ा में संलग्न भी देखा था.

शायद वस्त्रों का एक अलग प्रभाव पड़ता है और इसी वजह से मर्द स्त्रियों को कामुक वस्त्र में देखना पसंद करते हैं.

मैंने ध्यान दिया कि कांतिलाल बात करते हुए बीच बीच में मेरी जांघों के पास देख रहा. मैंने जब अपने नीचे देखा, तो उस वस्त्र के कटे हुए हिस्से की वजह से मेरी एक टांग बिल्कुल नंगी दिख रही थी और एक तरफ से मेरी योनि के बाल भी दिख रहे थे.

मैं चाहा कि उन्हें चुपके से छुपा लूँ, पर कांतिलाल ने टोक दिया- क्यों छुपा रही हो सारिका जी, अब हम दोनों के बीच क्या शर्म और लज्जा …

पता नहीं हम दोनों के बीच पति पत्नी जैसे संबंध भी बन चुके थे, पर बाकी और मित्रों की तरह हम आज भी एक दूसरे का नाम लेने के साथ जी जरूर लगाते थे.

खैर … उसकी विनती करने के बाद भी मैं मुस्कुराते हुए अपनी योनि को छुपाने के प्रयास करती रही. कांतिलाल वैसे भी केवल जांघिये में था. उसके शौक की क्या बात करूं, जैसा उसका जांघिया था, वैसा तो आजकल के नौजवान भी नहीं पहनते.

उसकी जांघिया को देख कर एक पल के लिए कोई भी कह सकता था कि वो औरतों वाली पैंटी है या मर्द के लिए भी ऐसे चलती है. ये सच में पुरुषों का अधोवस्त्र ही था.

हम दोनों यूँ ही बातें करते हुए समय बिताने लगे और मैं बार बार अपनी योनि छुपाने के प्रयास करती रही. मैं इतना तो समझ गई थी कि कांतिलाल मेरा भोग किए बगैर सोएगा नहीं. फिर भी मैं जान बूझकर समय टाल रही थी कि नशे में वो सो जाएगा.

पर ये मेरी भूल थी, जिसके सिर पर किसी महिला के जिस्म का नशा चढ़ा हो, उसे और कोई नशा क्या चढ़ेगा.

धीरे धीरे कांतिलाल मेरे नजदीक आ गया और तकिए पर सिर रख बातें करने लगा. उसने अब मेरे बदन की तारीफ मुझे छू छू कर करना शुरू कर दिया. कभी मेरे बालों पर हाथ फेरते हुए उन्हें रेशम कहता, कभी बांहों पर हाथ फेर कहता कि आज ये कितनी मखमली लग रही है. कभी मेरी जांघों पर हाथ फेर कर कहता कि कितनी गोरी, चिकनी और गठीली जांघ हैं.

थोड़ी देर बाद उसने मुझे अपनी ओर खींच कर बगल में लिटा लिया और मेरे होंठों पर उंगलियां फेरने लगा.

मैं ना तो उसे हां कहना चाह रही थी … और न ही ना कर पा रही थी. मेरा किसी तरह का विरोध न पाकर, वो आगे बढ़ गया. वो मेरे गले में उंगलियां फेरते हुए मेरे स्तनों तक जाने लगा.

उसके हाथ मेरे स्तनों पर पड़ते ही मैंने झट से उसका हाथ पकड़ लिया और बोली- प्लीज और नहीं … मैं बहुत थक गई हूं.

पर कांतिलाल तो बहुत उत्तेजित लग रहा था. मुझे इस रूप में देख कर वो कहां मानने वाला था. उसने मुझसे कहा- कोई जल्दी नहीं है … हमारे पास बहुत समय है. कल कोई काम भी नहीं है.

यह बोलकर उसने मुझे कमर से पकड़ अपनी ओर खींचते हुए अपने सीने से मुझे लगा लिया. उसकी आंखों में कामवासना की आग दिखने लगी थी.

मेरी इस क्सक्सक्स कहानी पर आपके मेल आमंत्रित हैं.

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