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Wednesday, 30 August 2023

दोस्त की बहन मुझे लव करती है-1

 

मैं अपने पक्के दोस्त के घर जाता हूँ. उसकी बहन मुझे लाइन देती है. एक दिन उसने मुझे साफ़ साफ़ कह दिया कि वो मुझे चाहती है. मैं क्या करूं?

अन्तरवासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार।
मेरा नाम सागर साहू है, मैं छत्तीसगढ़ का रहने वाला हूँ। मैं एक साधारण सा लड़का हूँ, हाइट 5 फ़ीट 6 इंच है।
और ये जो मैं लिख रहा हूँ मेरी सच्ची घटना है जो मेरे साथ घट रहा है।

दोस्तो, बात एक महीने पहले की है जब मैं पोस्ट ग्रेजुएशन की क्लास में जा रहा था। तब मैंने गौर किया कि एक लड़की जो दोस्त की बहन है, जिसके यहाँ मेरा आना जाना लगा रहता है, उसका नाम सुशी है, वो मुझे बहुत घूर के देखती और मुस्कुरा देती है।

ऐसे ही कुछ दिनों तक चलता रहा.

एक दिन मैंने उसकी सहेली हुमा से पूछा- ये सुशी इतनी मुस्कुराती क्यों है?
तो वो बोली- सुशी आपको पसन्द करती है.

मैं अचंभित हो गया क्योंकि वो मेरे दोस्त की बहन थी, मैंने कभी उसे उस नज़र से नहीं देखा था और न ही कभी सोचा था उसके बारे में।
और मेरे मुंह से एकदम निकल गया- मैं नहीं करता बाबा, मुझे इस सब से दूर रहना है।

फिर उसके घर मेरा आना जाना लगा रहा और धीरे धीरे मैं भी उसे देखने लगा.

सुशी के जिस्म का परिचय करवाता हूँ दोस्तो:
सुशी की हाइट सामान्य है 5 फ़ीट 3 इंच, फिगर में चूतड़ 36 इंच, पेट 30 इंच और बूब्ज 34 इंच के होंगे। इतने हॉट बदन को देखकर अब मैं बेकाबू सा होने लगता हूं। लेकिन दोस्त की बहन समझकर कंट्रोल कर लेता हूं।

ऐसे ही कुछ दिनों तक चलता रहा.

फिर मेरा बर्थडे का दिन आया और सुशी ने बर्थडे विश किया और गिफ्ट भी दिया जो मैंने सहर्ष स्वीकार कर लिया. लेकिन मैंने भी उसके हाथ को पकड़ लिया तो और फिर वो अपना हाथ छुड़ाने लगी और मैंने भी छुड़ाने पर उसका हाथ छोड़ दिया।

हम दोनों एक दूसरे को ऐसे ही देखने लगे. लेकिन मेरे दिमाग में एक ख्याल आया कि उसका भाई मेरा अच्छा दोस्त है और मैं उसको ही धोखा देने जा रहा हूँ।
यह सोचकर मैंने सुशी को देखना बन्द कर दिया. वो बार बार देखती रहती लेकिन मैं ध्यान नहीं देता।

क्योंकि सुशी का भाई मेरा अच्छा दोस्त है तो घर आना जाना लगा रहता है. और ये सब सुशी को अच्छा नहीं लगता था क्योंकि वो मुझे पंसद करती थी लेकिन मैं दोस्त की बहन समझकर ध्यान नहीं देता था।

एक दिन ऐसा आया कि उसने अपने दिल की बात मेरे सामने खोल कर रख दी।
वो बोली- मैं आपको पसंद करती हूं।
तो इतने में मैं बोला- तुम मेरे दोस्त की बहन हो … और मैं ऐसा नहीं कर सकता।

और मैं उसे अनदेखा करने लगा. फिर भी मैं उनके घर जाता रहा और वो मुझसे चिढ़ने लगी।

और एक दिन ऐसा आया कि मैं सुशी के भाई विक्की की पढ़ाई में कुछ मदद कर रहा था उसी के घर में … और उसी दिन विक्की से मिलने कोई लड़की आयी.

ये सब देखकर सुशी ने सबके सामने अपने भाई को बोला- सागर अच्छा लड़का नहीं है, उसके साथ मत रहा कर!
यह सुनकर मुझे अच्छा नहीं लगा।

सुशी ने ऐसा दिखाया कि मेरी वजह से उसका भाई बिगड़ रहा है।

फिर एक दिन सुशी की सहेली हुमा से बात हुई तो उसने बताया- सुशी आपको बहुत पसंद करती है और किसी भी हद तक जाने को तैयार है। मतलब आपके लिए कुछ भी करने को तैयार है।

इस बात को सुनकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए कि कोई लड़की मुझे इतना पसंद करती है जो कुछ भी कर सकती है मेरे लिए।

एक दिन मैंने उसे मिलने के लिए बुलाया और वो आ भी गयी.
तो मैंने उसे पूछा- आप मुझको कब से पसन्द करती हो?
तो सुशी बोली- पिछले दो साल से!
फिर मैंने पूछा- मेरे लिए क्या कर सकती हो?
तो सुशी शर्माती हुई बोली- आप जो बोलो?

फिर मैंने परीक्षा लेते हुए उससे कहा- चलो कुछ करो!
तो सुशी ने शर्माते हुए मुझे अपनी बांहों में लेकर हग कर दी.
और मैं देखता रह गया।
फिर डर के मारे मैं वहाँ से दौड़ता हुआ घर आ गया।

तो बताओ दोस्तो … अब मैं क्या करूँ?

अपने दोस्त के साथ सच्ची दोस्ती निभाऊं या उसकी बहन के साथ कुछ और करूँ?
अगर मैं उसकी बहन सुशी से दोस्ती नहीं रखता तो पता नहीं वो मेरे साथ क्या कर डाले बदले की भावना से!

कृपया दोस्तो आप ईमेल करके, कमेन्ट करके बतायें कि मुझे आगे क्या करना चाहिए?
कृपया सुझाव जरूर दें।

Tuesday, 29 August 2023

क्सक्सक्स स्टोरी: आंटी की सहेली ने बहाने से बुलाकर चुदवाया

 

यह क्सक्सक्स स्टोरी मेरी आंटी की सहेली की चुदाई की है. उन्होंने पता नहीं कहाँ से मेरा नम्बर लिया, मुझसे बात करने लगी. तब पता चला कि आंटी चालू माल हैं. उन्होंने मेरा लंड कैसे लिया? पढ़ें.

हाय दोस्तो, मेरा नाम नोबिता है. वैसे तो मेरा नाम कुछ और है, पर यह नाम मुझे बहुत पसंद है. ये मेरी सच्ची कहानी है. मैं पहले अपने बारे में कुछ बता देता हूं मैं दिल्ली में रहता हूं और अभी मेरी उम्र 21 साल की है.

ये क्सक्सक्स स्टोरी मेरी और मेरी आंटी की सहेली की है. उनका फिगर साइज तो मुझे मालूम नहीं है, क्योंकि मुझे इस बारे मी इतनी नॉलेज नहीं है. लेकिन उनकी खूबसूरत जवानी को लेकर मैं इतना कह सकता हूँ कि उन्हें कोई एक बार देख ले, तो उनका दीवाना हो जाए. वे ना ज्यादा मोटी हैं और ना ही ज्यादा पतली हैं. वो एकदम सेक्सी फिगर की मलिका हैं. उनके उभरे हुए चूचे एकदम गोल मटोल हैं. उनकी गांड को देख कर तो न जाने कितनों का लंड तो उनकी पैंट में ही पानी निकल जाता होगा.

तो बात ऐसी है कि एक बार मैं व्हाट्सैप पर ऑनलाइन था. तभी मैंने देखा कि एक अनजान नम्बर से मैसेज आया हुआ था.
‘हाय..’
मैंने भी हाय बोला और पूछा- आप कौन?
उधर से जबाव आया- आई एम गुड़िया और आप कौन?
चूंकि मैं थोड़ा शरारती लड़का हूं, तो मैंने मजाक में बोल दिया- मैं गुड्डा.

फिर उन्होंने अपनी सहेली का नाम लेते हुए पूछा कि क्या आप वो हैं?
जिनका वो नाम ले रही थीं, वो मेरी आंटी थीं.
मैंने बोला- नहीं … मैं उनका भतीजा हूं.

फिर उनसे ऐसे ही बात होती रहीं, तो मालूम हुआ कि वो विधवा हैं.

मैंने अफसोस जताया और उनसे मेरी बात होती रही. उनके बात करने से मालूम होता था कि वो बहुत चालू औरत हैं.

इसके बात मेरी उनसे बात रोज होने लगी. फिर एक बार बातों बातों में मैंने उन्हें सेक्सी कहते हुए उनके साथ सेक्स करने के लिए उन्हें प्रपोज कर दिया.
उसके बाद उन्होंने कुछ देर बाद लिखा कि मिल कर बताऊंगी.

बस इतना सुनना था कि मेरी गांड फट गई. मैंने सोचा अब तो गए. अब ये आंटी को बताएंगी और मैं घर में पिटूंगा. मैंने उन्हें जल्दी से ब्लॉक किया और उस रात में सो गया.

अगली सुबह उनका कॉल आ गया. मैंने डर की वजह से कॉल नहीं उठाया और उनकी कॉल कट कर दी.

फिर कुछ देर बाद मैं दोस्तों के साथ घूमने निकल गया और जब घर वापस आया, तो देखा वो मेरे घर आयी हुई थीं. वो मेरी आंटी के पास बैठी हुई उनसे बातें कर रही थीं. ये देख कर मैं डर गया.

मेरी आंटी ने मुझे बुलाया. डर की वजह से तो मेरा छोटू भी अपने घर में छुप गया.

मैं उनके पास गया, तो आंटी ने बताया- गुड़िया को तुमसे कुछ काम है और तुमको कुछ देर के लिए अपने साथ ले जाना चाहती हैं.
मरता क्या न करता … मैंने हां कह दिया और उनके साथ चल दिया.

फिर वो वहां से मुझे अपने घर ले गईं और मुझे अपने घर ले जाकर बिठाया.
मैंने पूछा- आंटी आप कह रही थीं कि कुछ काम है?
मेरा इतना कहना था कि वो मेरे पास आईं और मेरे गाल पर किस करके बोलीं- रुको तो सही मेरी जान … काम ही काम है तुमसे

बस इतने में ही मेरा डर एकदम से खत्म हो गया. मेरे अन्दर भी जोश चढ़ गया … मेरा छोटू भी अन्दर से बाहर आने के लिए तड़पने लगा.
वो ये सब देखते हुए बोलीं- छोटू को बोलो कि थोड़ा इंतजार करे … उसकी छोटी थोड़ी नखरेबाज है … अभी तैयार होकर आती है.

वो इतना बोल कर मुझे होंठों पर किस करते हुए अन्दर चली गईं. मैं बाहर अपने लंड को सहलाता हुआ अपने सपनों की दुनिया में खो गया.

फिर थोड़ी देर में आंटी अपने बाथरूम से बाहर आईं. उन्हें देख कर तो मैं अपने होश ही खो बैठा. क्या कांटा माल लग रही थीं. वो एक लाल रंग की साड़ी पहने हुए थीं. ऊपर माथे पर लाल बिंदी, होंठों पर गहरे लाल रंग की लिपस्टिक लगी हुई थी. उनके जिस्म का दूध सा गोरे रंग पर ये लाल रंग की सजावट बड़ी कामुक लग रही थी. गुड़िया आंटी एकदम जन्नत की परी की तरह लग रही थीं.

वो मेरे पास आईं और अपना पैर मेरी छाती के ऊपर रख कर इशारा करने लगीं.

मैं उनका इशारा समझ गया और उनका पैर का अंगूठा चाटते हुए ऊपर की तरफ बढ़ने लगा. आंटी का अंगूठा चाटते चाटते मैं उनकी साड़ी को सरकाते हुए उनकी संगमरमर जैसी जांघ पर पहुंच गया. वहां मुझे उनकी चूत से एक बहुत ही मनमोहक सी खुशबू आ रही थी, जो मुझे उनकी उनकी चूत चाटने पर मजबूर कर रही थी.

फिर उन्होंने खुद ही मेरा सर पकड़ लिया और मेरे सर को अपनी चूत के मुँह में घुसेड़ने लगीं. मैं उनका आज्ञाकारी चेला सा उनकी चूत चाटने लगा.

कुछ देर चूत चाटने के बाद उन्होंने मुझे खड़ा किया और मुझे होंठों किस करने लगीं. वो मुझे ऐसे किस कर रही थीं, जैसे ना जाने कितने सालों की भूखी हों. वो खुद ही मेरी जीभ को अपने मुँह में लेकर चूसतीं, कभी मेरे होंठों पर अपनी जीभ फेरतीं … और मेरे लंड को अपने हाथ से सहलाने लगतीं.

फिर वो मुझको किस करते हुए मेरी शर्ट उतारने लगीं और मेरी शर्ट उतार कर मेरी छाती पर अपनी जीभ फेरने लगीं.

इस सबसे मुझे बहुत मजा आ रहा था. मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे मैं सातवें आसमान पर पहुंच गया हूं. मैं इसी को जन्नत का सुख समझ बैठा था. लेकिन मुझे क्या मालूम था इसके बाद और ज्यादा मजा आने वाला है.

अब उन्होंने खुद ही अपने हाथों से मेरी पैंट और मेरी निक्कर उतारी और कमर पर हाथ रख कर मेरे सामने किसी पहलवान की मुद्रा में खड़ी हो गईं. मैंने उनकी आंखों में आंखें डालीं, तो उन्होंने मुझे इशारा किया. मैं समझ गया और झट से उनके करीब होकर उनका ब्लाउज उतार दिया. उन्होंने मेरे बाल पकड़ कर मेरा मुँह ब्रा के ऊपर से ही अपने चूचों में दबा दिया.

अब मैं उनके चूचों को ऐसे चूस रहा था, जैसे कोई बच्चा दूध पीता है. दूध मसलने से उनको मस्ती सी चढ़ने लगी और वो ना जाने कैसी कैसी अजीब सी सिसकारियां लेने लगीं.

मुझे लगा उन्हें दर्द हो रहा है … क्योंकि मैंने पहले कभी सेक्स नहीं किया था. मैंने उनसे पूछा- क्या आपको दर्द हो रहा है?
उन्होंने मेरे सर को वापस अपने मम्मों पर दबाते हुए कहा- नहीं रे … तू अपने काम में लगा रह … मुझे मजा आ रहा है.

मैं फिर से उनके चूचे चूसने लगा और इधर वो मेरे लंड को अपने हाथों में लेकर हिला रही थीं

आंटी मेरे लंड को हिलाते हुए कह रही थीं- आज बहुत दिनों बाद मजा आने वाला है.

उन्होंने मुझे अपने बेड पर धक्का दे दिया और मैं उनके बेड पर गिर गया. वो मेरे ऊपर आकर मुझे छाती से चाटते हुए मेरे लंड पर पहुंच गईं. फिर उन्होंने पहले तो मेरे लौड़े के टोपे पर जीभ फेरी. इससे मैं एकदम से मचल सा गया.

फिर उन्होंने मेरा पूरा लंड अपने मुँह में लिया. मेरा पूरा लंड उनके मुँह में नहीं आ रहा था. थोड़ा सा लंड अब भी बाहर था. वो बार बार मेरे लंड को पूरा अपने मुँह में लेने की कोशश कर रही थीं. लेकिन उनसे नहीं हो पा रहा था.

ये सब करते हुए मैंने ना जाने कब उनकी साड़ी खोल दी थी, मुझे खुद ही कुछ होश नहीं था.

अब हम दोनों से ही बर्दाश्त नहीं हो रहा था. वो मेरे साइड में लेट गईं और आंटी ने मुझसे ऊपर आने को कहा. मैं उनके ऊपर चढ़ गया. उनको चूमने लगा. मेरा लंड उनकी टांगों के बीच अपनी जगह ढूँढने लगा था.

आंटी ने अपने हाथों से मेरा लंड अपनी चूत पर सैट किया और धक्का लगाने को बोला. उनकी चूत काफी टाइम से न चुदने की वज़ह से टाईट हो गई थी. मैंने लंड से धक्का मारा, तो मेरा सुपारा आंटी की चूत की फांकों में घुस गया.

लंड का सुपारा ही घुसने मात्र से उन्हें दर्द होने लगा था. उनके मुँह से दर्द भरी आवाजें निकलने लगी थीं.

इधर मेरे लंड को गरम गुफा का अहसास हुआ, तो मैं पूरे जोश में आ गया था. मैंने आंटी की चूत में और एक धक्का मारा. मेरे लंड का टांका, तो मुठ मारने से टूट चुका था, जिससे चूत की गर्मी से मेरी अब उत्तेजना बढ़ने लगी थी. मैं आंटी की चूत पर पिल पड़ा.
मैं ऊपर से धकापेल शॉट लगाए जा रहा था. नीचे अपनी चूत में लंड लिए आंटी मेरे बदन पर हाथ फेरते हुए बड़बड़ा रही थीं- आह … और तेज जान … हां और तेज … फाड़ दे इसे … पूरा घुस जा इसमें … आह बहुत मजा आ रहा है … और तेज चोद राजा … आह आज से तू मेरा पति है … आह मुझे जम कर चोद दे.

मैंने कुछ देर तक आंटी की चूत चुदाई की. फिर मैंने लंड बाहर निकाला, तो आंटी मेरी तरफ गुस्से से देखने लगीं.
उन्होंने मुझे तरेरते हुए कहा- निकाला क्यों?

मैंने लंड हिलाते हुए उनको आंख मारी और उनसे घोड़ी बनने को कहा. वो तुरंत घोड़ी बन गई. फिर मैं उन्हें पीछे से चोदने लगा.

लगभग दस मिनट बाद मेरा रस निकलने वाला था, तो मैंने आंटी से पूछा- कहां निकालूं?

उन्होंने कहा- अन्दर ही निकाल दो … बहुत से दिनों अन्दर सूखा पड़ा है. अन्दर ही अपना पानी डाल दो.

मैं तेज झटके लगाते हुए उनके अन्दर ही झड़ गया. इतनी देर में वो दो बार झड़ चुकी थीं. मैं झड़ने के बाद उनके ऊपर ही लेट गया.

फिर कुछ देर बाद हम दोनों उठे. हम साथ में नहाये, किस किया. इसके बाद उन्होंने मुझे चाय पिलाई.

आंटी ने मुझे कुछ पैसे देते हुए कहा- अब से जब भी तू मुझे चोदेगा, मैं तुझे पैसे दूंगी. लेकिन जैसे एक जिगोलो होता है, वैसे ही तुझे सर्विस देनी पड़ेगी.
मैं उनकी हां में हां करता रहा, फिर वहां से चला आया.

तो दोस्तो, यह थी मेरी पहली चुदायी की कहानी. मुझे मालूम है कि इस कहानी में मैंने आपको बोर बहुत किया है. लेकिन क्या करूं दोस्त … सॉरी ये मेरी पहली और सच्ची कहानी थी, तो मुझसे जैसा लिखा गया … मैंने लिख दिया है.

आगे की क्सक्सक्स कहानी में मैं बताऊंगा कि कैसे मैंने अपनी गर्लफ्रेंड को अपने रूम पर ले जाकर चोदा. अभी के लिए टाटा बाय बाय … लव यू आल.

आपको मेरी क्सक्सक्स स्टोरी अच्छी लगी या नहीं … प्लीज मुझे मेल कीजिए.

दीदी की चुदाई मैंने कैसे की

 

दीदी की चुदाई की इस सेक्सी स्टोरी में पढ़ें कि दीदी के मोबाइल से मुझे पता लगा कि उनकी चूत सेक्स के लिए मचल रही है. और उनकी सहेली भाई से सेक्स की बात कर रही है. दीदी ने बनाया मुझे अपना शिकार!

हेलो दोस्तो, मेरा नाम मनीष है और मैं दिल्ली का रहने वाला 25 साल का युवक हूँ। यह कहानी मेरी और मेरी सगी दीदी की है और सिर्फ एक साल पुरानी कहानी है।

पहले मैं आपको अपने और दीदी के बारे में बता देता हूँ। मैं अभी एक मल्टी नेशनल कंपनी में सॉफ्टवेयर डेवेलपर का काम करता हूँ और मेरी दीदी एक दूसरी कंपनी में सीनियर मैनेजर है।

दीदी 28 साल की है और सच कहूँ तो बिल्कुल माल है। 34डी साइज की चूचियां, 32″ की कमर और 36″ की गांड है दीदी की! बिल्कुल चिकना पेट! लम्बाई 5 फ़ीट 5 इंच की है।

बचपन से ही वो खुद को सबसे अलग समझती थी और अपने ऊपर कुछ ज्यादा ही ध्यान देती थी। लेकिन कभी भी किसी लड़के को उन्होंने अपने पास आने नहीं दिया। उसका एकमात्र कारण था कि उन्हें अच्छी जॉब और अच्छे पैसे कमाने का भूत सवार पढ़ाई के दिनों में ही हो गया था।

कॉलेज ख़त्म करते ही उन्होंने एक अच्छी कंपनी ज्वाइन कर ली थी और तब से वो जॉब कर रही हैं।

एक दिन ऑफिस से लौटने में मुझे देर हो गयी तो दीदी का फ़ोन मेरे पास आया।
मैंने दीदी को बताया कि मुझे थोड़ा समय लगेगा.
तो उन्होंने कहा- जल्दी आना, मम्मी पापा को चाचा के पास जाना है। वो लोग अभी एयरपोर्ट के लिए निकल रहे हैं और मुझे अकेले रहना पड़ेगा जब तक तुम नहीं आओगे।
मैंने दीदी से कहा कि आता हूँ जल्दी ही और ये कहकर मैंने फ़ोन रख दिया।

करीब 10 बजे जब मैं घर पहुंचा तो दीदी मेरा इंतज़ार ही कर रही थी।
दीदी मुझे देखते ही बोली- बोला था ना जल्दी आने को .. फिर भी देर लगा दी तुमने मनीष? अब जल्दी से चेंज कर लो, मुझे भूख लग रही है।
यह कहकर दीदी रसोई की तरफ चली गयी.

मैं कमरे में आकर कपड़े बदलने लगा।

तभी दीदी का फ़ोन बजा। मैं चेंज करके बाहर आया तो दीदी फ़ोन पर किसी से बात कर रही थी।
दीदी ने फ़ोन मुझे देते हुए कहा- लो, मम्मी का फ़ोन है, वो फ्लाइट में बैठ गयी हैं।

मैं फ़ोन लेकर मम्मी से बात करने लगा और दीदी खाना लगाने के लिए रसोई में चली गयी।

बात करने के बाद जैसे ही मेरी नज़र फ़ोन पर गयी तो उसमें एक पोर्न साइट खुली हुयी थी। शायद दीदी फ़ोन पर वो पोर्न वीडियो देख रही थी और तभी फ़ोन आ गया और दीदी साइट बंद करना भूल गयी थी।

मैंने चौंक कर दीदी की तरफ देखा तो वो मेरी तरफ पीठ कर के खड़ी थी और खाना लगा रही थी।

मैं उनका फ़ोन लेकर बाथरूम में घुस गया और देखने लगा कि और क्या क्या है दीदी के फ़ोन में।

मुझे कुछ ज्यादा तो नहीं मिला लेकिन दीदी की एक बेस्ट फ्रेंड नीरा के साथ हो रही चैट मुझे दिख गयी। दीदी को उस पोर्न साइट की लिंक उन्होंने ही भेजी थी और उन दोनों की चैट पढ़कर लगा कि दीदी और उनकी दोस्त लेस्बियन हैं।
काफी सेक्सी और हॉट बातें हुई थी दोनों के बीच पिछले आधे घंटे में।

नीरा ने तो चैट में ये भी लिखा था- यार, हम दोनों के साथ कोई लड़का होता तो हम दोनों उसका एक साथ लंड चूसकर चुदाई करते।
दीदी ने नीरा से कहा- ठीक है, बना ले एक बॉयफ्रेंड हम दोनों के लिए।
तो नीरा ने कहा- मुझे तो तेरा भाई ही पसंद है. तू सेटिंग करवा दे मेरी।

दीदी ने कहा- पागल है क्या तू?
नीरा ने कहा- यार जब चुदने का मन करता है रात में तो सच में मुझे मनीष का ही चेहरा दिखता है और मैं उंगली करती हूँ उसे ही सोच कर! काश वो मेरा भाई होता तो मेरा तो घर में ही जुगाड़ हो जाता।

तब दीदी ने कहा- बना ले भाई उसे, मैंने कब रोका है।
नीरा ने कहा- मुझे तो बनाना पड़ेगा. तेरा तो वो भाई है ही, उसके साथ बात कर के देख ना? किसी बाहर वाले की जरूरत ही नहीं पड़ेगी हम दोनों को।

इस पर दीदी और नीरा दोनों हंस पड़ी और दीदी ने कहा- लगता है कि तू मेरी भाभी बन कर ही रहेगी।

नीरा ने फिर एक लिंक भेजा और लिखा- देख ये मूवी भाई बहन सेक्स वाली। फिर तुझे भी मन न हो जाये तो कहना।
इस पर दीदी ने जवाब दिया- अच्छा देखती हूँ फिर बात करती हूँ।

यह पढ़कर मुझे अचानक से झटका भी लगा और मेरा हाथ अपने आप मेरे लंड को सहलाने लगा। वैसे तो मैंने कभी दीदी के बारे में ऐसा सोचा नहीं था लेकिन उनकी चैटिंग पढ़ कर अचानक ही दीदी के बारे में गलत ख्याल मेरे मन में आ गए।

नीरा भी मुझसे चुदने के सपने देखती है, यह जान कर सच में मेरा लंड काफी टाइट हो गया था।

तभी दीदी ने मुझे बाहर से आवाज़ दी और मैं फ़ोन बंद करके बाहर आ गया।
दीदी ने नाइटी पहन रखी थी और मेज पर मेरा इंतज़ार कर रही थी। मुझे देखते ही बोली- तुम आज मुझे भूखे ही मार दो। कब से इंतज़ार कर रही हूँ खाने के लिए। अब आओ और शुरू करो।

मैं दीदी की सामने बैठ कर चुपचाप खाने लगा। मेरे दिमाग में उनकी चैटिंग वाली बात ही घूम रही थी और मैं उनसे नज़र बचा कर उनको देख रहा था। नाइटी के अंदर उनके बड़े बूब्स पर मेरी नज़र बार बार जा रही थी।

दीदी मेरी सोच से अनजान हो कर खाना खा रही थी कि तभी उसे अपने फ़ोन की याद आयी- मनीष, मेरा फ़ोन कहाँ रखा तूने?
“ओह्ह दीदी, वो मेरे पास ही रह गया था।” मैंने पॉकेट से फ़ोन निकाल कर देते हुए कहा और फिर सर झुका कर खाना खाने लगा।

दीदी के फ़ोन में लॉक लगा हुआ था। जैसे ही दीदी ने लॉक खोला स्क्रीन पर वो पोर्न वीडियो वाला पेज आ गया। दीदी के चेहरे का रंग बदल गया और तुरंत उन्होंने मोबाइल को बंद कर दिया और चुपचाप खाना खाने लगी।

मैं कभी कभी खाते हुए उनकी तरफ देख रहा था पर अब वो चुपचाप सर नीचे कर खाना ख़तम करने लगी और प्लेट उठा कर रसोई में जाने लगी। मेरी नज़र उनकी कमर पर पड़ी जो आज मुझे अचानक ही बहुत सेक्सी लग रही थी।

दीदी प्लेट रसोई में रखकर वापस आयी और बोली- मैं जा रही हूँ सोने, तुम भी सो जाना।
मैंने उन्हें देख कर सर हिलाया और प्लेट रसोई में रख कर अपने बैडरूम में आ गया।

बेड पर लेटते ही मुझे वही सारी चैटिंग याद आने लगी और मैं अपने लंड को हाथ में लेकर मुठ मारने लगा। अपनी सगी दीदी से चुदाई के बारे में सोच कर ही मेरा लंड तुरन्त ही खड़ा हो गया।
फिर मेरी आँखों के सामने दीदी अपने कपड़े उतारते हुए मेरा लंड चूसते हुए और फिर मुझसे चुदते हुए दिखने लगी और मेरे मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया।
जब मैं अपना हाथ और लंड को साफ करने के लिए उठकर बाथरूम की तरफ जा रहा था तो मुझे दीदी के कमरे की लाइट जलती हुयी दिखी और दीदी की आवाज़ भी सुनाई पड़ी।

मैं वहीं रुक कर दरवाजे से कान लगा कर सुनने की कोशिश करने लगा कि इतनी रात में दीदी किससे बात कर रही है।

थोड़ी देर सुनने पर समझ आ गया कि दीदी अपनी सहेली नीरा से बात कर रही थी और कह रही थी- तू बहुत कमीनी है। ऐसी वीडियो भेजी है जिसे देख कर मेरा मन कर रहा है कि अभी मनीष के पास जा कर चुद लूँ।

उधर से नीरा ने कुछ कहा तो दीदी ने जवाब दिया- तू सच में पागल हो गयी है। मैंने तो ऐसे ही कह दिया लेकिन वो मेरा भाई है। मैं ऐसा कैसे कर सकती हूँ उसके साथ। तुझे बहुत मन कर रहा है तो आ जा घर पर। मम्मी पापा कोई है नहीं, तू कर लेना मनीष के साथ। बोल आएगी तो मैं भेज देती हूँ मनीष को तुझे लाने के लिए?

दीदी शायद वीडियो कॉल कर रही थी और नीरा से कह रही थी- जो तेरे बड़े बड़े चूचे हैं ना आज मनीष से तू मसलवा ही ले।
फिर नीरा ने कुछ कहा तो दीदी ने जवाब दिया- अगर तू सच में आ रही है तो बोल? तेरे आने के बाद क्या होगा, वो तब सोंचेंगे। ठीक है, फिर मैं मनीष को बोलती हूँ, तुझे लेकर आ जायेगा वो।
यह बोल कर दीदी ने फ़ोन कट कर दिया।

मैं दरवाजे पर खड़ा ये सुनकर जल्दी से बैडरूम में वापस आ कर सोने का नाटक करने लगा। मैं सिर्फ लोअर पहन कर लेटा हुआ था और उन दोनों की बातें सुनकर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था।

तभी दरवाजे पर आ कर दीदी बोली- मनीष भाई, सो गए क्या?
मैंने कोई जवाब नहीं दिया तो दीदी अंदर आ गयी और मुझे सोये हुए देखने लगी।
मेरा लंड लोअर में तना हुआ था और मैं सोने का नाटक करते हुए मजे लेने लगा।

दीदी मेरे बिल्कुल पास आ गयी और मेरे लंड को देख रही थी और फिर वीडियो बनाने लगी मेरा।
वो मेरी तरफ देख भी रही थी कि कहीं मैं जगा हुआ तो नहीं हूँ।

फिर धीरे से दीदी ने मेरे लंड को लोअर के ऊपर से ही छू कर देखा और तुरंत हाथ हटा किया और मेरी तरफ देखने लगी।
मैं सोने का नाटक कर रहा था और दीदी ने दुबारा मेरा लंड धीरे से हाथ में ले लिया। मैं दीदी के हाथ अपने लंड पर महसूस कर रहा था और मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया।

तब दीदी ने हाथ हटा लिया और मुझे दुबारा देखने लगी कि कहीं मैं जग तो नहीं गया।
जब मैंने देखा कि दीदी मुझे सिर्फ देख रही है और कुछ कर नहीं रही तो मैंने जागने का नाटक करते हुए कहा- अरे दीदी … क्या हुआ? तुम यहाँ? सोई नहीं अभी तक?
दीदी ने तुरंत जवाब दिया- कब से उठा रही हूँ, उठ ही नहीं रहे हो।
मैंने कहा- उठा तो दिया अब और कितना उठाओगी?
यह कहकर मैंने दीदी के सामने ही अपने खड़े लंड को दबा दिया।

दीदी शायद वीडियो कॉल में अपनी नाईटी के सारे बटन खोल कर बात कर रही थी क्योंकि जब मेरी नजर उधर पड़ी तो ऊपर के 4 बटन खुले थे और चूचियों के बीच की गहराई साफ दिख रही थी। दीदी ने ब्रा नहीं पहन रखी थी।

मैं दीदी की चूचियों को देखते हुए बोला- क्या हुआ दीदी क्यों उठाया मुझे?
दीदी संभलते हुए बोली- भाई मनीष, नीरा का फ़ोन आया था। वो भी घर में अकेली है और उसे अकेले डर लग रहा है। तुम जाकर उसे यहाँ लेते आओ। मैंने उससे कह दिया है कि तुम आ रहे हो उसे लेने।

दीदी की तरफ देख कर मैंने कहा- अभी ही जाना है क्या लाने के लिए नीरा को या थोड़ी देर बाद?
“थोड़ी देर बाद क्यों? अभी कुछ काम करना है क्या तुझे?”
मैंने दीदी की तरफ देख कर कहा- हाँ … और वो तुम भी जानती हो क्या काम करना है।
दीदी मेरी बात सुनकर घबरा गयी जैसे उसकी चोरी पकड़ी गयी हो।

“मतलब क्या है तुम्हारा?” उसने कहा।
मैंने दीदी का हाथ पकड़ा और अपनी तरफ खींच कर बोला- मेरा मतलब वही है दीदी … जो तुम समझ रही हो.
और उनका हाथ अपने लोअर के ऊपर से लंड पर रख दिया।

दीदी ने झटके से हाथ हटाते हुए कहा- ये क्या कर रहे हो मनीष?
मैंने कहा- दीदी अब शरमाओ मत … मुझे सब पता चल गया है। तुम अभी इसे छू कर देख रही थी ना? और नीरा से तुम्हारी फ़ोन पर क्या बात हुई है और चैट में क्या बात हुयी है, सब जानता हूँ मैं। अब नीरा तो बाद में भी आ जाएगी लेकिन अभी हम दोनों तो हैं ना एक साथ।

यह कहते हुए मैंने अपना लोअर खींच कर नीचे कर दिया और दीदी का हाथ अपने लंड पर रख दिया।

दीदी अचानक से ये सब सुनकर शायद हड़बड़ा गयी थी और उनके मुंह से कोई शब्द नहीं निकल रहा था।

मैंने दीदी के हाथ में अपना लंड देकर उसकी चूचियों को नाईटी के ऊपर से पकड़ कर दबा दिया।
दीदी ने मेरी तरफ देखा और मैंने दीदी की तरफ और अगले ही पल दीदी के हाथ मेरे लंड को ऊपर नीचे करने लगे और मैं दीदी की चूचियों को दबाने लगा।

फिर मैंने दीदी को अपनी बेड पर लिटाया और उसके बगल में लेटकर उसकी चूचियों को दबाते हुए उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।

दीदी मेरे लंड को मसलते हुए मुझे चूमने लगी और मैं भी उसके होंठ चूमते हुए उसकी नाईटी का अंदर हाथ डालकर उनकी नर्म और मुलायम चूचियां दबाने लगा। दीदी और मैं एक दूसरे के होंठ चूसते हुए जीभ से चाटने भी लगे।
मैं दीदी की जीभ चूसने लगा और दीदी मेरी।

करीब 5 मिनट तक एक दूसरे को चूसने के बाद हम दोनों अलग होकर एक दूसरे को देखने लगे।
अब हमारी आँखों में एक दूसरे के लिए वासना साफ़ दिख रही थी और बिना कुछ बोले हम फिर एक दूसरे से लिपट कर चूमने लगे।

मेरा हाथ दीदी की नाईटी के अंदर उनकी चूचियों को मसल रहा था और दीदी मेरे पूरे चेहरे को चूमती जा रही थी बिना कुछ बोले।
मैंने दीदी से फुसफुसा कर कहा- दीदी, अपनी नाईटी उतारो ना!

“कभी पहले देखा है किसी नंगी लड़की को बिना कपड़ों के?” दीदी ने मुझसे पूछा और अपनी नाईटी खुद ही उतारने लगी।
मैंने कहा- नहीं!
तो दीदी ने नाईटी उतार कर मेरे चेहरे को पकड़ कर अपनी चूचियों में दबा दिया और बोली- देख अच्छे से अपनी दीदी को ही नंगी पहली बार।

मैं दीदी की चूचियां चूसने और दबाने लगा। दीदी मजे लेकर अपनी चूचियां चुसवाने लगी और मुझे अपने ऊपर खींचने लगी। मैंने अपना लोअर उतार दिया और दीदी की चूचियों को मसलने लगा और चूसने लगा।

तभी दीदी के फ़ोन की घंटी बजी। उधर से नीरा का कॉल था।
दीदी ने मुझे रुकने का इशारा किया और फ़ोन उठा कर बोली- सॉरी नीरा, मनीष सो गया है। अभी उसको उठाना ठीक नहीं है। कल बात करते हैं। मैं भी सोने जा रही हूँ अब।
यह कहकर दीदी ने फ़ोन काट दिया और मेरे लंड को हाथो में ले कर ऊपर नीचे करने लगी।

“ओह्ह मनीष … तुम्हारा लौड़ा कितना बड़ा है!” यह कहते हुए दीदी नीचे सरक कर मेरे लंड को चूसने लगी। पहली बार किसी ने मेरे लंड को मुंह में लिया था और मुझे स्वर्ग जैसा महसूस हो रहा था।
मैं मजे ले कर अपना लंड चुसवाने लगा और दीदी के चेहरे को पकड़ कर अपनी कमर हिलाने लगा।

मेरा लंड पूरा तन गया था और दीदी किसी पोर्न स्टार की तरह उसे चूसे जा रही थी।

फिर दीदी ने अचानक ही अपने भाई का लंड चूसना बंद कर दिया और बोली- अब तेरी बारी।
दीदी बेड पर लेट गयी और अपनी पेंटी उतरने को मुझसे कहा।

मैंने एक ही झटके में दीदी की पेंटी उतर कर उसे पूरी नंगी कर दिया और उसकी चूत को चाटने लगा। दीदी की चूत पर एक भी बाल नहीं था। मैं जोर जोर से दीदी की चूत को चूस रहा था और चूत की लिप्स को दांतों से बीच बीच में काटने भी लगा।

“उम्म्ह … अहह … हय … ओह … मनीष … उम्म्म उम्म्म!” करती हुई दीदी मुझसे अपनी चूत को चटवा रही थी और बिस्तर पर अपना सर इधर उधर कर रही थी।

अचानक ही दीदी ने जोर से उम्म्म आह करना शुरू कर दिया और मेरा चेहरा उसके चूत के रस से भर गया। यह मेरे लिए पहली बार था जब किसी लड़की की चूत का रस का स्वाद मुझे मिला था। मैंने पूरी चूत को चाट कर दीदी का रस अपने मुंह में ले लिया।

दीदी की सांसें तेज़ चल रही थी। वो पूछने लगी- कैसा लगा मनीष मेरा पानी?
“दीदी, पहली बार टेस्ट किया है, कुछ अजीब सा स्वाद है!” मैंने जवाब दिया।

दीदी मुझे अपने ऊपर खींचते हुए बोली- तूने तो मुझे अपना पानी टेस्ट करवाया ही नहीं? अब मेरी चूत को करवा दे। चोदेगा मेरी चूत? डाल अपना लंड मेरी चूत में।
मैंने दीदी की चूत पर लंड का सुपारा रखा और धक्का दिया लेकिन वो फिसल गया।

फिर दीदी ने अपनी गांड के नीचे तकिया लगा कर कहा- अब डाल।
इस बार मैंने चूत की छेद पर सुपारा रख कर जोर से धक्का मारा और मेरा लंड आधा घुस गया।

“ओह्ह इतनी जोर से नहीं … आराम से कर ना … चुदाई करनी है, जान नहीं लेनी है मेरी!”
“ओह्ह सॉरी दीदी!” बोलकर मैंने अपने लंड को दुबारा धक्का दिया और इस पर मेरा सात इंच का लंड पूरी चूत में समा गया।

दीदी की मानो आँखें बाहर आ गयी। मैं कुछ देर के लिए रुका और फिर अपनी कमर को आगे पीछे करने लगा।
“उम्म मनीष … उम्म्म हाँ ऐसे ही … करते रहो … ओह्ह उम् उम्!” करती हुयी दीदी मुझसे चुदवाने लगी।

“ओह्ह … आज पहली बार लंड का मजा मिला है … उम्म्म उम्म्म ओह्ह … चोद मनीष मुझे … और चोद!” बोलती हुयी दीदी मुझे अपने ऊपर खींचने लगी।
मेरी स्पीड बढ़ गयी थी और मैं जोर जोर से धक्के मारने लगा और मेरे हर धक्के से दीदी की चूचियां हिल रही थी। मैंने चूचियों को मसलते हुए चुदाई जारी रखी।
दीदी मुझे ‘और चोदो … और चोदो …’ बोलकर उकसाती जा रही थी।

मेरे लंड की गोटियां दीदी की चूत से टकरा रही थी।

“ओह्ह दीदी … उम्म … उम्म … कितनी कसी हुई है तुम्हारी चूत! मेरा लंड चूस रही है!”
“उम्म्म … हाँ मनीष पहली बार किसी का लंड घुसा है न इसलिए मजे ले कर चूस रही है।”

करीब 7-8 मिनट तक चोदने के बाद मुझे लगा कि मेरा पानी आने वाला है, मैं बोला- दीदी मेरा पानी आने वाला है … ओह्ह!

“अंदर मत गिराना!” यह बोल कर दीदी ने मेरा लंड अपनी चूत से निकाल दिया और अपने हाथों से मुठ मारने लगी।
मेरे लंड ने पिचकारी छोड़ दी जो उनके गले और चूचियों पर जा कर गिरी।
“ओह्ह दीदी … उम्म्म्म उम्म्म!” करते हुए मैंने पूरा पानी अपने लंड से निकाल दिया। कुछ दीदी के हाथ में भी लगा जिसे दीदी ने चाट लिया और मुझे आँख मारते हुए बोली- उम्म्म … बहुत नमकीन हो तुम मनीष।

तो इस तरह मैंने पहली बार अपनी दीदी की चुदाई की.

फिर दीदी बोली- चलो अब इसे साफ भी तो करना है.
और वो बाथरूम की तरफ जाने लगी।

मैं भी उनके साथ बाथरूम में गया और दीदी ने मेरे लण्ड की सफाई की और मैंने दीदी की चूत और चूचियों की।

वापस बेड पर आकर हम दोनों एक दूसरे के गले लग गए और दुबारा चूमने लगे।
मैंने दीदी से पूछा- कि तुमने पहले किसी के साथ किया है क्या?
तो दीदी ने कहा- नहीं।
“फिर तुम्हारी चूत में मेरा लंड इतनी आसानी से कैसे घुस गया और तुम्हारा खून भी नहीं आया?”
“वो इसलिए क्योंकि मैं उंगली से करती हूँ … और नीरा भी करती है मेरे साथ!”

“तो फिर नीरा को तुमने ये क्यों कहा कि मैं सो गया हूँ अभी?”
“मनीष जब तेरे साथ मुझे करना ही था तो नीरा के साथ क्यों करती? हम दोनों अकेले भी तो मजा ले सकते हैं। क्यों?” यह बोलकर दीदी मेरे लंड को फिर से ऊपर नीचे करने लगी।

“चल ना फिर से करते हैं!” यह बोलकर दीदी ने अपनी नंगी टाँगें मेरी टांगों पर चढ़ा दी।

तभी दीदी के मोबाइल पर मैसेज आया। दीदी ने मैसेज पढ़ा और फिर मुझे दिया पढ़ने को!
नीरा का था- साली कमीनी … मुझसे झूठ मत बोल! तूने मनीष के साथ चुदवाया ना अभी? नहीं चुदवा रही होती तो बिना मेरे साथ किये तुझे नींद आती ही नहीं। कल तेरे घर आ कर मैंने तेरे सामने मनीष से नहीं चुदवाया तो मेरा नाम नीरा नहीं।

मैंने दीदी की तरफ देखा तो दीदी मेरा लंड चूसने को तैयार थी। मैंने एक बार फिर अपनी नंगी दीदी की चुदाई कर डाली.

उस रात 3 बार मैंने दीदी की चुदाई का खेल खेला। अगले दिन नीरा आयी और क्या हुआ ये आप लोगों के मेल के जवाब के बाद ही बताऊंगा।

Monday, 28 August 2023

खेल वही भूमिका नयी-12

 आपने पढ़ा कि इस कहानी के अंतिम किरदार के रूप में मैं निर्मला और राजशेखर के साथ सम्भोग में संलग्न थी.
अब आगे:

फिर उसने मेरा हाथ पकड़ अपनी ओर खींच लिया. उसने मुझे सवारी करने का इशारा किया. उसके कहने के अनुसार मैं उसके ऊपर आ गई और लिंग अपनी योनि में प्रवेश करा के अपने चूतड़ आगे पीछे करते हुए धक्के लगाने लगी. मैं मस्ती से संभोग को आगे बढ़ाने लगी. मुझे बहुत आनन्द आ रहा था, मगर मुझसे कहीं ज्यादा आनन्द राजशेखर ले रहा था. क्योंकि मेहनत तो मुझे करनी पड़ रही थी, वो तो केवल मजे ले रहा था.

जैसे जैसे मैं जोर लगाती जा रही थी, वैसे वैसे मेरे पसीने छूटने लगे थे और मेरी योनि में झनझनाहट होने लगी थी. मैं पूरी ताकत लगा कर अपने चूतड़ों को आगे पीछे करते हुए अपनी योनि में उसके लिंग का घर्षण करती रही.

अंततः मेरे पूरे बदन में सैंकड़ों चींटियों के रेंगने की अहसास होने लगा और मैं खुद को न रोक पाई. मैं जोरों से चीखती हुई झड़ने लगी.

मैं- हाय शेखर जी आहहह … ओह्ह … ईईई … मैं झड़ गई.

मैं राजशेखर के कंधों पर अपना सिर रख ढीली पड़ गई, जिसके वजह से वो उत्सुक होने लगा. उसने मुझे किसी तरह अपने ऊपर से उतारा और निर्मला को पकड़ कर उसे बिस्तर पर पेट के बल लिटा दिया. उसकी टांगें जमीन पर कर दीं. अब उसने खूंखार रूप ले लिया था. वो निर्मला के पीछे जाकर अपना लिंग उसकी योनि में प्रवेश करा के किसी दुश्मन की भांति उसे धक्के मारने लगा था.

निर्मला चीखने ऐसे लगी, जैसे उसे अत्यधिक पीड़ा हो रही हो. मेरे ख्याल से उसे हो भी रही थी, जिस प्रकार राजशेखर उसे धक्के मार रहा था.

मैं ये देख कर सहम सी गई. निर्मला चादर को दोनों मुट्ठियों से पकड़ कराहते हुए और चीखते हुए राजशेखर के धक्के झेलती रही.

राजशेखर अब एकदम अलग अलग तरह से धक्के मार रहा था और मैं यकीन से कह सकती हूं कि उसका एक एक धक्का निर्मला की बच्चेदानी पर जोरदार चोट कर रहा होगा. वो निर्मला के कंधों को पीछे से पकड़ कर लिंग आधा उसकी योनि से बाहर खींचता … और फिर झटके से पूरी ताकत लगा फिर घुसा देता.

निर्मला हर धक्के पर इतने जोर से कराह देती, मानो वो रो पड़ेगी. पता नहीं राजशेखर को क्या हुआ था. वो झड़ने का नाम नहीं ले रहा था … जबकि हम दोनों औरतें झड़ चुके थे. ये हम दोनों औरतों के लिए शर्म की बात थी कि हम दोनों एक मर्द को तृप्त नहीं कर सकी थीं.

मैंने सोच लिया था कि मैं राजशेखर को ठंडा कर ही दूंगी. राजशेखर को धक्के मारते हुए दस मिनट हो चले थे और अब तो निर्मला की आंखों में आंसू आने को थे. मैं आगे बढ़ी और निर्मला के बगल में जा बैठी. मैंने बड़े ही कामुक अंदाज़ में राजशेखर की आंखों में आंखें डाल कर उसके गले को पकड़ा और उसे खींचते हुए अपने होंठ उसके होंठों से लगा दिए. मैंने उसके होंठों को जैसे ही चूसना शुरू किया, वो भी मेरा साथ देने लगा और मेरे होंठों को चूसते हुए जुबान के साथ खेलने लगा.

मेरी इस हरकत से राजशेखर ने झटके मारने बंद कर दिए और उसकी जगह एक गति से तेजी के साथ धक्का मारना शुरू कर दिया.

मेरी ये तरकीब अब काम आयी क्योंकि मुझे अनुभव है कि मर्दों को ज्यादा उत्तेजित करने के लिए स्त्री को आगे आना पड़ता है. उन धक्कों की वजह से निर्मला की कराहने की आवाज कम हो गई और वो मादक सिस्कियां लेने लगी. उसने जोर से मेरी जांघ पकड़ ली और नाखून गड़ाने लगी.

मैं समझ गई कि अब निर्मला झड़ने वाली है और कुछ ही पलों मैं वो ‘ह्म्म्म … आह्ह्ह … ओह्ह्ह … सीस्स्स्स …’ करती हुई झड़ गई.

उसके ढीले पड़ते ही राजशेखर ने उसकी योनि से लिंग बाहर खींचा और मुझे अपनी तरफ खींचते हुए बिस्तर के नीचे खड़ा कर दिया.

अब मेरे मन में भी इस सम्भोग को कामुकता और रोमांच भरे अन्दाज में खत्म करने की इच्छा जागृत हो गई थी. ये ख्याल आते ही पता नहीं मेरे भीतर किसी 25 साल की युवती की भांति कामनाएं जागने लगीं और मैं पूरे तरोताजा हालत में पूरे जोश के साथ उसके साथ चुम्बन और आलिंगन में लग गई.

मेरे स्तन अब फ़िर से सख्त होने लगे और योनि में गुदगुदी के साथ हलचल होने लगी. पता नहीं राजशेखर ने शायद निर्मला को इशारा किया या वो खुद अपनी मर्जी से आयी. उसने मेरी एक टांग उठा दी और अपने हाथ से सहारा देकर फ़ैला दिया. दूसरे हाथ से राजशेखर का लिंग पकड़ कर उसने मेरी योनि में प्रवेश करा दिया. मैं एक टांग पर खड़ी थी और निर्मला मेरी एक टांग पकड़े हुई थी. मैं राजशेखर के गले में हाथ डाले झूलने सी लगी. मैं उसके होंठों से होंठ लगाए चुम्बन में मस्त थी और वो मेरी कमर पकड़ कर मुझे धक्के मारने में लगा था.

ये शायद हमारी सम्भोग क्रिया का सबसे कामुक पल था, जिससे मेरा रोम रोम रोमन्चित हो उठा था. उसके लिंग का हर धक्का ऐसा प्रतीत हो रहा था … मानो सीधा मेरी नाभि में जा रहा हो.

मेरी योनि में अब पहले से कहीं ज्यादा पानी आने लगा था और मैं राजशेखर से और अधिक खुल कर चिपकती जा रही थी. अब तो मुझे एहसास होने लगा था कि मेरी योनि से पानी रिसते हुए मेरी एक टांग जो जमीन पर थी, उसकी जांघों की तरफ बहने लगा. मैंने अपनी आंखें बन्द कर रखी थीं और होंठों को राजशेखर के होंठों से चिपका रखा था. राजशेखर और मैं दोनों ही बहुत गर्म थे और शायद इस बात की कोई फ़िक्र नहीं थी कि हम किस अवस्था में सम्भोग कर रहे हैं. मेरे मन में तो राजशेखर का लिंग दिखने लगा कि कैसे मेरी योनि की दीवारों को चीरता हुआ अन्दर बाहर हो रहा था.

मेरे मन में बात चलने लगी थी कि राजशेखर और तेज़, शेखर करते रहो, आह शेखू रुकना मत.

राजशेखर का जोश इतना बढ़ने लगा था कि वो अब धक्के मारते हुए मेरे चूतड़ों और जांघों को ऐसे सहलाने और दबाने लगा, जैसे अब वो मुझे अपनी गोद में उठा लेगा.

निर्मला बराबर मेरी जांघों को सहारा दिए हुई थी. वो राजशेखर को धक्के मारने में जरा भी परेशानी नहीं होने दे रही थी.

एकाएक राजशेखर ने अब मेरी एक टांग जो जमीन पर थी, उसे उठाने की प्रयास शुरू कर दिया. निर्मला ने भी उसकी मदद की और राजशेखर ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया.

अब निर्मला ने मुझे राजशेखर की गोद में ही छोड़ दिया और अलग हो गई. मैं अभी भी राजशेखर की गोद में लटकी हुई पागलों की तरह उसके होंठों को चूम रही थी और चरम सुख की कामना में थी. राजशेखर भी अब अन्तिम क्षण के लिए पूरे जोश में दिख रहा था और मेरी जांघों को पकड़े हुए पूरी ताकत से मुझे धक्के मार रहा था.

हम दोनों लम्बी लम्बी सांसें लेने के साथ कराह और सिसक भी रहे थे. मेरी मस्ती इतनी भर गई थी कि मेरा मन हो रहा था कि मैं खुद राजशेखर को जमीन पर पटक दूँ और उसके लिंग पर मनमाने तरीके से सवारी करूं. तभी राजशेखर ने मुझे बिस्तर पर एकाएक गिरा दिया और मेरे साथ खुद भी मेरे ऊपर आ गिरा. उसने मेरी बांयी टांग को घुटने के नीचे से हाथ डाल उठा कर ऊपर कर दिया, इससे मेरी टांग मेरे सीने तक उठ गई. दूसरी टांग मैंने खुद ही उठा कर उसकी कमर में रख दी ताकि धक्के अन्दर गहरायी तक जाएं और किसी तरह की रुकावट न हो. इसके साथ ही मैंने उसे दोनों हाथों से गले में हाथ डाल पकड़ लिया. उसने भी मुझे दूसरे हाथ से मेरे कंधे को ऐसे पकड़ा कि अगर जोरों के धक्के भी लगें तो मैं अपनी जगह से आगे सरक न पाऊं.

हम दोनों अब चरम शिखर पर पहुंचने को तैयार थे और एक दूसरे को चूमना छोड़ कर एक दूसरे की आंखों में आंखें डाल कर देखते हुए धक्कों की गिनती बढ़ाने लगे.

उसका लिंग मेरी बच्चेदानी में जोर जोर से चोट करने लगा और मेरे मुँह से कामुक आवाजें निकलने लगीं.

उधर राजशेखर के मुँह से भी आवाजें आने लगीं … और हमारे जोरदार सेक्स की आवाजें भी कमरे में गूंजनी शुरू हो गईं. धक्कों की अवाज् … थप … थप … फंच … फंच … आ रही थी.

राज- उम्म्म … ह्म्म्म्म …
मैं- आह्ह्ह … अह्ह्ह … ओह्ह्ह …

हम दोनों मानो एक दूसरे को पछाड़ने में लगे थे.

करीब 3-4 मिनट तक हम ऐसे ही सम्भोग करते रहे. मुझे उसके लिंग से इतना आनन्द आ रहा था कि क्या कहूँ. उसके लिंग की चमड़ी घुसते निकलते मेरी योनि की दीवारों से खुलते बंद होते हुए रगड़ती. मेरी बच्चेदानी पर चोट लगती तो हर बार ऐसा लगता जैसे उसका लिंग एक करंट सा छोड़ रहा है, जो मेरी नाभि तक जा रहा और मेरी योनि की नसों को ढीला करने पर मजबूर कर रहा है.

राजशेखर जितना जोर ऊपर से लगा रहा था, उतना ही जोर मैं भी नीचे से लगाने का प्रयास करने में लगी थी. अब तो मन में केवल झड़ने की लालसा थी. वो भले कुछ नहीं कह रहा था, पर उसकी आंखों से लग रहा था मानो मुझसे कह रहा हो कि बस थोड़ी देर और साथ दो … मैं अपना प्रेम रस तुम्हें देने ही वाला हूँ.

मैं भी उसे ऐसे ही देख रही थी और मेरी आंखों में भी मेरी रजामंदी थी- हां मैं अंत तक साथ दूँगी … तुम्हारे रस को ग्रहण करने तक साथ बनी रहूँगी.

मेरे दिल में बस चरम सुख की एक ही चाहत जग रही थी और मैं मन ही मन में हर धक्के पर बोलने लगी थी कि राज और जोर से … और अन्दर तक … और जोर से … और अन्दर.

फ़िर अचानक मुझे ऐसा लगा कि उसके लिंग से एक चिंगारी छूटी और अगले ही पल मुझे मेरी नाभि से फ़ुलझड़ी सी जलने सा महसूस हुआ.

मैं एक पल चिहुंक उठी और पूरी ताकत से राजशेखर को पकड़ कर अपने चूतड़ों को उठाते हुए योनि एकदम ऊपर करके बोल पड़ी- आईईई. … रुकना मत मारते रहो.

राजशेखर भी तो बस पास में ही था, वो भी जोरों से गुर्राया- गुर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र … ले …

उसने एक सांस में धक्के तेज़ी से मारना शुरू कर दिए. मेरा पूरा बदन झनझनाने लगा और मेरी योनि की मांसपेशियां आपस में जैसे सिकुड़ने सी लगीं. मुझे ऐसा लगा कि जैसे मुझे बहुत जोरों से पेशाब लगी हो, पर मैं उसे रोकना चाह रही हूँ. पर ये सम्भव नहीं था. मेरी योनि तथा जांघों, हाथों, पेट सभी की नसें सख्त हो गई थीं. पर लिंग के लगातार हो रहे प्रहार से मेरे भीतर का सैलाब न रुक पाया और मैं थरथराते हुए झड़ने लगी.

मैं राजशेखर को पूरी ताकत के साथ पकड़ कर लिंग से हो रहे धक्कों के बावजूद अपनी योनि उठा-उठा लिंग पर चोट करती रही और मेरी योनि से पिच-पिच कर पानी छूटता रहा.

मैं अभी करीब 5 से 7 बार उसके लिंग पर चोट कर चुकी थी और शायद और भी चोट करती, क्योंकि मैं एक लय में थी और बहुत तीव्रता से झड़ रही थी.

तभी राजशेखर का भी लावा फूट पड़ा और उसके लिंग से वीर्य की पिचकारी छूटते ही उसने समूचा लिंग मेरी योनि में धंसा दिया. उसने मुझे बिस्तर पर पूरी ताकत से दबा दिया. उसका पूरा लिंग मेरी योनि में जड़ तक था. वो लिंग बाहर ही नहीं खींच रहा था, बल्कि उसी अवस्था में झटके मारते हुए झड़ने लगा.

मैं खुद भी नीचे से अपने चूतड़ों को उठाना चाह रही थी, मगर मैं उसके दबाव के आगे असमर्थ थी.

फ़िर भी आनन्द में कोई कमीं नहीं आयी बल्कि हम दोनों ने सफलता पूर्वक अपने लक्ष्य को पा लिया था. उसके लिंग से निकलता गर्म वीर्य भी बहुत सुखदायी लग रहा था. मैं तब तक योनि उठाने का प्रयास करती रही, जब तक मैं पूरी तरह से झड़ न गई और मेरी योनि तथा शरीर की नसें ढीली न पड़ने लगीं. हालांकि मैं अपने चूतड़ उठा नहीं पा रही थी. ठीक मेरी तरह ही राजशेखर मुझे तब तक झटके मारता रहा, जब तक उसने अपने वीर्य की थैली की आखिरी बूंद मेरी योनि की गहरायी में न छोड़ दी. फ़िर हम दोनों एक दूसरे की गोद में ढीले होने लगे. मन में संतोष और पूरे बदन में थकान महसूस होने लगी थी, पर मेरा मन राजशेखर को अलग नहीं होने देने को हो रहा था.

इतना आनन्द आने वाला है, अगर ये पहले से पता होता तो शायद मैं कान्तिलाल को पिछली रात खुद को रौंदने न देती और शायद ये मजा और कई गुणा बढ़ गया होता.

हम दोनों काफ़ी देर तक आपस में लिपटे सोये रहे. तभी राजेश्वरी की आवज आयी.

राजेश्वरी- तुम दोनों आज ऐसे ही सो जाओ, बहुत जबर्दस्त तरीके से चुदायी की तुम दोनों ने.

राजेश्वरी की बातें सुन हम थोड़े अलग हुए, पर राजशेखर का लिंग अब भी मेरी योनि के भीतर था. वो थोड़ा और ऊपर उठा और मुझे मुस्कुराते हुए देख कर बोला- मजा आ गया, आज से पहले ऐसे किसी को नहीं चोदा था … न ही किसी ने मुझसे चुदवाया था.

इस पर राजेश्वरी ने रुखे शब्दों में कहा- इसका मतलब तुम्हें मेरे साथ मजा नहीं आता?

राजशेखर फ़ौरन उठा और राजेश्वरी के हाथ पांव जोड़ने लगा और माफ़ी मांगने लगा. सभी ख़ुशी ख़ुशी हंसने और मजाक करने लगे और माहौल फ़िर खुशमिजाज हो गया.

सुबह के 5 बज गए थे और हम सब सम्भोग और नशे से थक चुके थे. हल्की फ़ुल्की बातें और हंसी मजाक करते हुए, जिसको जहां जगह मिली, सो गए.

अगले दिन 12 बजे मेरी नींद खुली, तो देखा कि बिस्तर, सोफ़े, जमीन हर जगह वीर्य और हम औरतों के पानी के दाग थे, जो सूख गए थे. चादर का तो कोई एक कोना बाकी नहीं था, जिसमें दाग न हो. मेरी खुद की योनि और जांघों पर वीर्य सूख कर पपड़ी बन चुकी थी, क्योंकि अन्तिम औरत मैं ही थी, जिसने वीर्य ग्रहण किया था. जिसको थकान की वजह से बिना साफ किए सो गई थी.

सब लोग उठ गए और फ़िर नहा धो कर तैयार हो गए. रात भर की मौज मस्ती इतनी हो गई थी कि अगले दिन किसी में हिम्मत ही नहीं बची थी कि कुछ कर पाए.

अन्त में हम सब अपने अपने घर के लिये तैयार हो गए. निर्मला और उसका पति मुझे मेरे घर छोड़ने को तैयार हुए. सबने मेरा फोन नम्बर लिया और फ़िर शाम को 7 बजे मुझे हवाई जहाज से धनबाद छोड़ दिया. निर्मला और उसका पति धनबाद तक मेरे साथ आए और फ़िर मुझे हवाई अड्डे पर छोड़ कर अपने घर को चले गए.

आने से पहले कविता ने मुझसे बोला कि तुम्हारी वजह से रवि ने पहली बार किसी दूसरी महिला की तारीफ की और इसका बदला वो मुझसे जरूर लेगी.

खैर ये उसने मजाक में कहा था, बाकी मेरे जीवन का सबसे यादगार और सबसे अधिक अनुभवी साल यही रहा.

मैंने न केवल उन चीजों को देखा, जो असल जीवन में मैंने कभी नहीं देखा था. उन सुख सुविधाओं का भोग किया, जो मेरे लिये संभव नहीं था.

एक संतुष्ट और कामुक भोग से नये साल की शुरूवात हुई और इससे बेहतर क्या नया साल होगा.

मेरी सेक्स कहानी कैसी लगी अपनी राय मुझे जरूर भेजें. आप सबकी चहेती लेखिका

Sunday, 27 August 2023

सेक्सी कहानियां: जूनियर ने चूत की गुरुदक्षिणा दी

 

फ्री हिन्दी सेक्सी कहानियां मुझे बहुत पसंद है. मैं अपनी गर्लफ्रेंड की पहली चुदाई, जिसमें मैंने उसकी सील तोड़ी की कहानी आपको बता रहा हूँ. मजा लें!

कहानी शुरू करने से पहले सभी पाठकों को मेरा प्रणाम. सेक्सी कहानियां साईट अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है, अतः मेरे लेखन में अगर कोई गलती हो गयी हो, तो पहले ही माफी मांग रहा हूँ.

मैं जयंत महाराष्ट्र के सतारा में रहता हूं. मैं आज आपके सामने मेरे जीवन एक की घटना लेकर आया हूँ. यह घटना मेरे लाइफ में एक साल पहले हुई थी.

यह बात उन दिनों की है, जब मैं ग्रेजुएशन (B.Sc) के अंतिम वर्ष में था. मेरा विषय गणित था … मैं पढ़ने में काफी होशियार था तथा क्लास में सदा ही दूसरे या तीसरे नंबर पर रहता था. मुझे स्टडी के साथ साथ सेक्स का भी शौक था. मुझे जब भी टाइम मिलता, तब घर पर ब्लू फिल्म देखकर मैं मुठ मार लेता था.

एक हमारे यहां की एक आंटी, जो कि थोड़ी पढ़ी लिखी कम थीं, उनके साथ मेरे संबंध थे. लेकिन वो सिर्फ ऊपर से ही करने देती थीं … मतलब दूध दबवाने तक ही सीमित थीं, नीचे चूत में कुछ करने नहीं देती थीं. उनको डर था कि कहीं उनको बच्चा ना रह जाए.

मैं आते जाते जब तब उनके स्तन दबा देता था और कभी कभी किस भी कर लेता था. आंटी अपनी फैमिली की वजह से मुझे ज्यादा टाइम दे नहीं पाती थीं. उनके साथ की गई सारी हरकतों को मैं विस्तार से अपनी अगली कहानी में बता दूंगा. अभी मैं अपनी इस कहानी पर आता हूं

हमारे सर एक दिन क्लास में आकर बोले कि सेंकड ईयर के कुछ विद्यार्थियों को कुछ शंका है . … और मुझे अभी मीटिंग के लिए जाना है. मैं उन सभी की शंका निवारण के लिए जयंत से कह रहा हूँ. वो सभी की मदद कर देगा.

फिर उन्होंने मुझे बुला कर कहा- तुम क्लास के अपने सभी जूनियर साथियों की शंकाओं का निवारण करो, जिस सवाल में तुम मदद नहीं कर सकोगे, उनको मैं बाद में समझा दूंगा.
मैं बोला- ठीक है सर.

मैं उस दिन सेकंड ईयर की क्लास में गया, तो वहां सिर्फ लड़कियां ही थीं. मैंने उनसे पूछा- किस किस से कौन कौन सी प्रॉब्लम्स हल नहीं हो रही हैं?

पहले दो लड़कियों ने उनकी प्रॉब्लम्स पूछ लीं. मैंने उन सबको हल करके बता दिया. वो लड़कियां चली गईं.

उसके बाद उनमें से एक लड़की, जिसका नाम वर्षा (बदला हुआ नाम) था. वो मेरे पास आई. मैंने उसे गौर से देखा, वर्षा दिखने में सांवली थी, लेकिन वो किसी गोरी लड़की से कम नहीं दिखती थी. वो एकदम सीधी-साधी रहती थी, मतलब ज्यादा बनाव शृंगार नहीं करती थी. उसको देखकर मुझे उसी दिन से कुछ कुछ हेनू हेनू सा होने लगा था, जिस दिन से वो कॉलेज में आयी थी. लेकिन मैंने कभी उसको बोला नहीं था.

वो मेरे करीब आई, तो मैं उसको देखकर खो सा गया था. उसने मुझसे हैल्लो किया और मैं जैसे गहरी नींद से जाग गया. मैं एक पल के लिए झेंपा, फिर संयत हो गया.

उसने अपनी समस्याएं बता दीं. उसके अलावा और किसी के कोई प्रॉब्लम्स नहीं पूछने रह गए थे, तो बाकी लड़कियां भी क्लास से बाहर चली गईं.

मैंने वर्षा के सारे प्रॉब्लम्स को हल करने का तरीका बताने में लग गया. इसमें मुझे कुछ ज्यादा समय लग गया और मेरा एक घंटा चला गया. लेकिन मुझे क्या पता था कि इसी एक घंटे की मुझे गुरुदक्षिणा मिलने वाली थी.

कुछ ही वक़्त में कॉलेज की भी छुट्टी हो गयी तो मुझे अपनी क्लास समाप्त करनी पड़ी.
वो मुझे थैंक्स बोलते हुए कहने लगी कि मेरे लिए आपने अपना टाइम दिया.
मैं बोला- ऐसी कोई बात नहीं … तुमको पढ़ाते वक़्त मेरा भी रिवीजन हो गया है.

मेरी बात सुनकर वो औपचारिकता में हंस कर जाने लगी. जाते जाते उसने मेरा मोबाइल नंबर ले लिया.
मैंने नम्बर दिया, तो उसने कहा कि मैं आपसे फोन पर सवालों के हल पूछ सकती हूँ न?
मैंने हंस कर कहा- बेशक तुम मुझसे कुछ भी पूछ सकती हो.

उसके बाद वो हर रोज मुझे फोन करती और अपने प्रॉब्लम्स पूछती रहती. मैं उसको उत्तर देता रहता.

हमारे बीच में दोस्ती सी बढ़ने लगी थी, जिसका हमें पता ही नहीं चल पाया था. लेकिन सारे कॉलेज को पता चल गया था. हम दोनों पढ़ाई की बातें करते थे और पूरा कॉलेज इसे लव का नाम देने लगा था. ऐसे करते करते हम दोनों कब प्यार में फंस गए, पता नहीं चला.

इस बीच उसने मुझे प्यार से गुरु बोलना शुरू कर दिया था … क्योंकि वो ज्यादातर गणित मेरे से ही सीख लिया करती थी.

ऐसे करते करते एक दिन मैंने चैटिंग करते वक़्त सेक्स का विषय उठाया, तो वो ऑफ़लाइन चली गयी.

उसे दूसरे दिन मैंने उससे कॉलेज में बात करने की कोशिश की, लेकिन वो मुझे नजरअंदाज करके चली गई. उसी रात को उसका मैसेज आया कि मैं आपकी रिस्पेक्ट करती हूं, हमारे बीच अभी ये बातें अच्छी नहीं हैं. यह सब शादी के बाद देख लेंगे.
मैंने रिप्लाई दिया कि मुझे और कुछ नहीं, मुझे मेरी गुरुदक्षिणा मिलनी चाहिए.

उसने कुछ रिप्लाई नहीं दिया.
मुझे लग रहा था कि कहीं मैंने जल्दी तो नहीं कर दी. लेकिन मुझे नहीं पता था कि उसने मेरी बातें गंभीरता से ली हैं.

उसके बाद ऐसे ही चार दिन निकल गए. फिर एक दिन उसका मैसेज आया और उसने पूछा- क्या आप मेरे घर आ सकते हो?
मैंने पूछा- क्यों?
उसका रिप्लाई आया- आपको गुरुदक्षिणा देनी है.
मैंने पूछा- घर में बाकी लोग भी होंगे ही ना?
तो वो बोली- आप आ तो जाओ … बाकी सब समझ जाओगे.

उसकी इस बात से मुझे जो समझना था, मैं समझ गया था. इसलिए मैंने तुरंत हां कर दी. मुझे पता था कि कुछ ना कुछ आज हो सकता है, इसलिए जाते वक्त मैंने कंडोम का पैकेट ले लिया.

मैं इधर एक बात बताना भूल गया. उसके घर में मेरे और उसकी फ्रेंडशिप के बारे में सभी को पता था. वर्षा के घर वालों का उस पर बहुत विश्वास भी था … इसलिए उसके घर में मेरे जाने से कोई दिक्कत नहीं होगी, यह मुझे पता था.

मैं उसके घर पहुँचा और बेल बजा दी. जब दरवाजा खुला, तो मैं अपने लंड पर काबू ही नहीं कर पा रहा था. क्या मस्त फन्टिया दिख रही थी वो … उसकी उम्र 19 साल थी, लेकिन मुझे तो वो कमसिन सी दिख रही थी. उसने नीचे लेगिंग्स और ऊपर टी-शर्ट पहनी थी.

लेकिन जैसे ही मैं अन्दर गया, मेरा मूड खराब हो गया. क्योंकि उसका छोटा भाई घर में ही था.

मैं सोफे पर बैठ गया. वर्षा ने मुझे पानी लाकर दिया और थोड़ी देर हम घर के हॉल में बैठे रहे. फिर वर्षा ने अपने भाई को उसकी ट्यूशन की याद दिलाई. वो चला गया.

इसके बाद वर्षा और मैं उसके बेडरूम में चले गए. वहां मैं उसे प्रॉब्लम समझाने लगा था.
इतने मैं उसका भाई आ गया और बोला- दीदी मैं ट्यूशन के लिए जा रहा हूँ … आज दो घंटे की ट्यूशन है, मुझे आने में देरी होगी. आप दरवाजा बंद कर लेना.

उसकी बात सुनकर मैं बहुत खुश हो गया. वर्षा जैसे ही दरवाजा बंद करने को चली, मैं उसके पीछे चला गया. उसने जैसे ही दरवाजा बंद किया, मैं उसको पीछे से कसके पकड़ कर उसके स्तन दबाने लगा.

उसको अचानक से जैसे करंट सा लगा. लेकिन उसने खुद को सम्भाला और पीछे मुड़ गयी, वो मुझसे बोली- इतनी भी क्या जल्दी है … अन्दर चल कर धीरे धीरे सब करते हैं.
मैंने उसको उठा लिया और उसको बेडरूम मैं लेकर आया. बेडरूम का दरवाजा हमने लॉक किया … क्योंकि उसकी माँ उसी दिन आने वाली थीं और माँ के पास घर की एक्स्ट्रा चाभी थी.

जैसे ही बेडरूम लॉक हुआ … उसके बाद उसको मैंने किस करना शुरू कर दिया. हम अगले दस मिनट एक दूसरे को किस करते रहे.

क्या मस्त फीलिंग थी … हम दोनों की आंखें दस मिनट तक खुद ब खुद बंद थीं और मेरी जीभ से उसकी जीभ खेल रही थी. मैं किस करते करते उसके स्तन भी दबा रहा था.

उसके बाद उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मेरा लंड बाहर निकाल लिया.
वो लंड देखते ही घबरा गयी और बोली- इतना बड़ा?
मैंने उससे पूछा- तुझे यह सब कैसे पता कि कितना बड़ा होना चाहिए?
वो बोल दी- मैं भी वैसे वीडियो देख चुकी हूं.

मैंने पूछा- क्यों किया ऐसा … मैं तो तुम्हें अच्छी लड़की समझ रहा था.
वो बोली- मेरी पहली चुदाई आप जैसे हवस के पुजारी से जो होने वाली है. मुझे पता था और मैं भी आपको अच्छा ही समझ रही थी.

मैं हल्के से मुस्कुरा दिया. वो भी मुझे आंख मार कर हंसने लगी.
मैंने कहा- अब हमारे बीच से ये आप बोलने की दीवार हटा दो.
वो मुस्कुरा दी.

उसी वक्त उसने मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया. वो अगले 5 मिनट मेरा लौड़ा चूसती रही. मैं उसके मुँह में ही झड़ गया, वो सारा वीर्य पी गयी. मुझे हैरत होने लगी कि इसका ये पहली बार था, इसने बिना किसी हिचक के लंड भी चूसा और माल भी खा गई. मैं सोचने लगा कि कहीं साली खेली खाई तो नहीं है. मुझे उसको लेकर ये अंदाज़ होने लगा था कि जैसी ये दिखती है, वैसी है नहीं. फिर मैंने सोचा कि अभी तो इसका मजा लो … गुठलियां बाद में गिन लूंगा.

उसके बाद मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए. उसने अन्दर ब्रा और पैंटी नहीं पहनी थी. मैं उसको देखता ही रह गया. उसके बूब्स क्या मस्त आम से दिख रहे थे.

मुझसे रहा नहीं गया, तो मैंने एक आम चूसना शुरू कर दिया. दूध चूसना क्या शुरू हुआ … वो मादक सिसकारियां भरने लगी. मैं बीच बीच में उसके मम्मों को अपने दांतों से काटता भी जा रहा था, जिससे उसे मीठा दर्द होने लगता था.

कुछ ही देर बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. अब मैं अपना मुँह उसकी चूत की तरफ लेकर गया.
हाय क्या मस्त चूत थी उसकी … उसने चूत को साफ़ भी किया हुआ था, इससे तो वो ज्यादा चमक रही थी. उसने बताया कि ये सफाई भी उसने एक वीडियो देख कर ही की थी.

मैंने उसे लिटाया और उसकी चूत में अपनी जीभ से चुदाई करना शुरू कर दिया. शुरूआत में मुझे थोड़ी गंदी सी महक आयी.

उसके बाद मैंने उससे बोला- चलो बाथरूम में … और पहले अपनी चूत साफ करो.
वो समझ गयी और बाथरूम की तरफ चली गई.

मैं उसके पीछे पीछे आ गया. मैं खुद उसकी चूत को पानी से साफ करने लगा. चूत साफ करते वक़्त मैंने उसकी चूत में अपनी एक उंगली डाल दी. उंगली घुसेड़ते ही वो चिल्लाने लगी, तो मैं घबरा गया. उसकी चीखने चिल्लाने से मुझे लगा कि कोई आ न जाए. इसलिए मैंने उंगली निकाली और वापस कमरे में बेड पर आकर बैठ गया.

उसके बाद मुझे ध्यान में आया कि घर में कोई है ही नहीं, तो मैं फ़ालतू में घबराया.

मैं फिर से बाथरूम की तरफ जाने लगा, लेकिन तब तक वो खुद बाहर आ गयी.

उसके आते ही मैंने उसे उठा लिया और किस करने लगा. किस करते करते उसको मैंने बेड पर लिटा दिया और फिर से उसकी चूत चाटने लगा.

अब मुझे पहले से ज्यादा मज़ा आ रहा था और वो अब पहले से भी जोर से सिसकारियां भरने लगी थी. वो मेरा सर अपनी टांगों से दबाने लगी थी. मुझे भी मजा आ रहा था … मैंने उसकी चूत दस मिनट तक चाटी, फिर वो झड़ गयी. मैं उसका सारा पानी पी गया.

उसके बाद हम दोनों से भी रहा नहीं जा रहा था. वो अंगड़ाई लेते हुए बोली- गुरु जी, अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है … तुम अपने इस बड़े हथियार से मेरी सील तोड़ डालो.

मैंने लंड पर कंडोम चढ़ाया तो वो बोली- मुझे देखना है कि कंडोम लगाने के बाद लंड चूसने में मजा आता है या नहीं.

इतना बोलते ही उसने मेरा कंडोम चढ़ा लंड अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगी. मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा था … लेकिन उसको अच्छा लग रहा था. क्योंकि मैंने स्ट्राबेरी फ्लेवर वाला कंडोम चढ़ाया था और उसको स्ट्राबेरी पसंद थी.

करीब पांच मिनट बाद उसने बोला- अब आगे चलो गुरु जी.

मुझे भी इसी बात का इंतज़ार था. मैंने उसकी टांगें फैलाईं और उसकी चूत पर अपना कड़क लंड सैट कर दिया. मैंने धक्का दिया, तो लंड का सुपारा चूत की फांकों में फंस गया.

वो जोर से चिल्ला दी और मुझे पीछे धकेलने लगी, लेकिन मैंने और जोर से अपना लंड फिर से अन्दर डाला.

इस बार तो वो और जोर से चिल्लाई उम्म्ह … अहह … हय … ओह … क्योंकि उसकी सील इस झटके के वक़्त टूट गई थी.

मैंने अपना लंड बाहर निकाला, तो ढेर सारा खून निकल आया. मैंने एक कपड़े से खून साफ कर दिया, लेकिन मेरा लंड और उसकी चूत अभी शांत नहीं हुए थे.

एक बार फिर से हमने चुदाई शुरू कर दी. इस बार वो थोड़े दर्द के बाद मेरा साथ देने लगी. मैंने उसके स्तन को एक हाथ से पकड़ा और दबाने लगा. इधर हम चुदाई के साथ किस भी करने लगे थे. इसकी वजह से दर्द तो खत्म हो चला था. लेकिन मेरा लंड अब भी उसकी चूत में पूरा अन्दर नहीं जा पा रहा था.

कुछ देर बाद मैंने उसकी कमर के नीचे एक तकिया लगा दिया, जिससे वो सही पोजीशन में आ गयी. फिर मैंने मेरा लंड सैट कर दिया और उसको चोदने लगा.

इस वक़्त वो बहुत सेक्सी हो गयी और मुँह से मदमस्त आवाज निकलने लगी थी.

“आह गुरु मेरी जान … आज अपनी इस वर्षा की आग मिटा दो मेरे सेक्सी गुरु जी … चोद दो मुझे!”

वो चूत चुदाई के साथ बहुत कुछ कुछ बोलने लगी थी. उसकी वासना से भरी हुई सिसकारियों के कारण मुझे भी जोश चढ़ गया था. मैंने अब मेरे शॉट लगाने शुरू किए और पूरी ताकत से अपना लंड उसकी चूत में अन्दर घुसा दिया, जिससे वो बहुत जोर से चिल्लाई और मुझे दूर धकेलने लगी.

लेकिन मैंने मेरा खेल जारी रखा. धीरे धीरे वो साथ देने लगी.

करीब दस मिनट की चुदाई के बाद मैंने वीर्य छोड़ दिया. झड़ने के बाद वो और मैं वैसे ही बेड पर पड़े रहे.

कोई 15 मिनट के बाद वो उठकर बाथरूम की ओर जाने लगी, तो उससे चला भी नहीं जा रहा था.
मैं उससे बोला- इधर आओ.

मुझे अब उसकी गांड दिख रही थी. मैंने बोला कि मुझे तुम्हारी गांड में लंड डालना है.
उसने फट से ना कर दिया. वो बोली- चाहे और एक बार चूत चोद लो, लेकिन वहां नहीं डालने दूंगी.

मैंने उसको अपने ऊपर खींच लिया और फिर से पोजीशन लेकर उसकी चूत मैं अपना तनतनाता हुआ लंड डालने वाला था.

तभी वो बोली- कंडोम तो चेंज कर लो गुरु जी.
मैं और वो दोनों हंसने लगे.

फिर उसने ही कंडोम चेंज कर दिया और हम दोनों में फिर से चुदाई शुरू हो गयी. इस बार 15-16 मिनट के बाद मैंने मेरा वीर्य छोड़ दिया.

वो बोली- अब बस करो … मम्मी के आने का वक़्त हो गया है.
मैंने बोला- ठीक है.

मैं बाथरूम जाकर फ्रेश होकर आया और वो भी फ्रेश होकर आयी.

लेकिन मेरी उसकी गांड मारने की इच्छा अधूरी थी. वो मैंने उससे बोल दिया, तो वो बोली- ठीक है … लेकिन इस वक़्त सब कुछ ऊपर से ही कर लो … मतलब पूरे नंगे नहीं होंगे.

हम दोनों ने अपनी पैंट उतार दी. मैंने उससे कहा- थोड़ा तेल मिलेगा?

उसने तेल ला दिया. मैंने उसको उसकी गांड पर लगाया. मैंने आखिरी बचा हुआ कंडोम लगा लिया. कंडोम चिकना होने के बावजूद भी उस पर तेल लगा लिया और उसकी गांड में सुपारा को धीरे धीरे से धक्के देने लगा.

इस बार वो बहुत चिल्लाने लगी, लेकिन मैंने थोड़ा और तेल लगाया, जिससे वो अब थोड़ा कम चिल्लाने लगी.

मैंने उसकी गांड करीब 5 मिनट तक चोदी और अब मैं और वो फ्रेश होकर बाहर हॉल में आकर बैठ गए.

अगले दस मिनट में उसकी माँ आ गयी. हमारा नसीब अच्छा था.
माँ बोली- बेटा जयंत तू अब तक गया नहीं!
मैंने बोल दिया- नहीं आंटी, वो वर्षा को थोड़ा कमजोरी आ गई है, इसलिए वो बोली कि माँ के आने तक रुक जाओ.

वर्षा ने भी मेरे बात पर हां कर दी. उसके बाद मैं घर चला गया. लेकिन वर्षा अगले दिन कॉलेज को कमजोरी की वजह से नहीं आ पायी. उसके बाद उसके घर वाले जब भी घर में रहते थे … उस समय सिर्फ उसको किस कर पाता था. लेकिन जब कोई घर में नहीं रहता था, उस वक़्त मैं उसकी जमकर चुदाई करता था.

उसके बाद मैंने उसको बहुत बार चोदा. फिर वर्षा के एक सहेली को, मैंने कैसे चोदा … यह मैं मेरी अगली कहानी में बताऊंगा.

Friday, 25 August 2023

बॉस की प्यासी चूत की चुदाई कहानी

 

प्यासी चूत की चुदाई कहानी में पढ़ें कि कैसे मैंने पढ़ाई के साथ साथ मैंने एक पार्ट टाइम जॉब कर ली. मेरी बॉस एक शादीशुदा लड़की थी. वो मुझे अच्छी लगी. एक दिन उसने मुझे …

दोस्तो, अन्तर्वासना पर मेरी यह पहली चूत की चुदाई कहानी है. मैंने अन्तर्वासना पर बहुत सारी कहानियां पढ़ी हैं जिसमें लिखने वालों ने सेक्स की परिभाषा ही बदल दी तो मैंने सोचा कि मैं भी अपनी कहानी लिखता हूं और इसी वजह से मैं आपके साथ मेरी आप बीती साझा कर रहा हूं.

ये सिर्फ एक चुदाई कहानी नहीं है बल्कि वो सच्चाई है जो कहीं ना कहीं आप लोगों ने भी महसूस की होगी या हो सकता है कि कई लोगों के साथ तो ऐसा हुआ भी होगा।
दोस्तो, मेरा नाम राज है और मैं इंदौर में रहता हूँ। मेरी लम्बाई 5 फीट और 11 इंच है. आप कह सकते हो कि मैं करीब 6 फीट लम्बा नौजवान हूं. मैं कभी जिम तो नहीं गया लेकिन फिर भी मेरी बॉडी एकदम शेप में है और देखने में फिट लगती है. मेरा रंग गेहुंआ है. लंड की लम्बाई 7 इंच के करीब है और मोटाई 2.5 इंच के आसपास है.

मुझे लड़कियों को चोदने में ज्यादा मजा नहीं आता बल्कि शादीशुदा भाभी या आंटी को चोदने में ज्यादा मजा आता है क्योंकि वो बिस्तर पर रिस्पॉन्स अच्छा करती हैं।

अब आपका ज्यादा समय न लेते हुए सीधे कहानी पर आते हैं. इस कहानी में नाम के अलावा हर एक शब्द सच है. आशा करता हूं कि आपको मेरी चुदाई कहानी पसंद आएगी।

बात आज से 2 साल पहले की है. मैं इंदौर में कॉलेज की पढ़ाई करने आया था और आप सभी को पता है कि इंदौर जैसे शहरों में जीवन-यापन करना कितना मुश्किल होता है, इसलिए मैंने पार्ट टाइम जॉब करना शुरू कर दिया।

मेरे एक मित्र की मदद से मुझे एक सरकारी कार्यालय में कंप्यूटर संचालक की जॉब मिल गयी। उस ऑफिस की एक अधिकारी का कंप्यूटर संबंधी कार्य मुझे करना था। ऑफिस एक बहुमंजिला इमारत में था और मुझे सबसे ऊपर वाले माले पर जाना था क्योंकि वहीं पर वो ऑफिस अभी नया नया ही शिफ्ट हुआ था।

मुझे सोमवार को जाकर उनसे मिलना था तो मैं नियत दिन ठीक समय पर पहुंच गया, जब मैं वहाँ पहुँचा तो मुझे इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि जिसके पास मैं जा रहा हूँ वो कौन है, मैं तो सोच रहा था कि कोई सर होंगे जिन्हें सिर्फ अपने काम से मतलब होगा और कुछ नहीं।

मगर दोस्तो जब मैं सोनू (बदला हुआ नाम) मैडम से मिला तो मैं तो उसे देखता ही रह गया।
31-32 साल की उम्र होगी सोनू की, निहायती खूबसूरत औरत थी. लंबाई 5’8″ फीट के करीब. बड़ी बड़ी काली आँखें, दूध सा सफेद रंग, बाल खुले हुए थे. क्रीम कलर के सलवार और सूट में अपनी सीट के पीछे शरीर का वजन टिकाये वो दोनों आंखों को बंद करके बैठी हुई थी.

चूंकि उसका बदन पीछे की तरफ झुका हुआ था तो उसके गोल-गोल बूब्स जो उसके सूट में कैद थे एकदम उभर कर सामने खड़े हुए थे. उनको देख कर लग रहा था कि जैसे कह रहे हों कि आ जाओ, आकर हमें दबा लो. हमें पी लो. मैं तो उसको देखता ही रह गया.

उसका फिगर 36-30-38 का था. मैंने एक नजर उसको देखा और फिर मैं उससे मुखातिब हुआ. कुछ औपचारिक बातें हुईं हम दोनों के बीच और मैं अगले दिन से अपने काम पर जाने लगा।

शुरुआत के कुछ दिन तो ज्यादा बातचीत हम दोनों के बीच नहीं हुई लेकिन मेरा ध्यान काम में कम रहता था और पूरे समय मैं बस सोनू को ही देखता रहता था. और यह बात सोनू ने भी नोटिस करती रहती थी.

मुझे जॉब करते हुए 2 महीने हो गए थे और अब हमारे बीच अच्छी खासी बातचीत होने लगी थी.
और क्लोजिंग का टाइम भी आ गया था. जब पहली बार सोनू ने मुझसे पूछा कि राज क्या तुम मेरे घर पर आकर भी काम कर सकते हो क्या? काम बहुत ज्यादा है और ऑफिस टाइम में काम पूरा नहीं हो सकता है। तब पहली बार मुझे ऐसा लगा कि अब मेरा काम बन सकता है। काम ज्यादा होने के कारण कभी कभी सोनू मुझे अपने घर भी बुला लेती थी।

एक शाम जब मैं सोनू के घर गया तो वह मुझे कुछ परेशान लगी.
मैंने पूछा- क्या हुआ मैडम?
तो सोनू ने कहा कि कुछ नहीं, थोड़ा परेशान हूं।
मैंने पूछा- क्यों, क्या हुआ आपको?

पहली बार सोनू ने खुलकर बात करना शुरू की, बोली कि जिंदगी में सब कुछ है मेरे पास एक अच्छा पति, एक प्यारा सा बेटा लेकिन फिर भी मैं अकेली हूं. इससे बड़ी विडम्बना और क्या होगी कि सब कुछ है मेरे पास लेकिन सब कुछ होते हुए भी जैसे कुछ भी नहीं है।

मैं उसकी बात का मतलब समझ ही नहीं पाया. मैंने पूछा- आपके पति और बेटा आपके पास नहीं रहते क्या?
वो बोली- पति के पास मेरे लिए समय नहीं है और लड़का बोर्डिंग स्कूल में पढ़ता है जो साल में एक बार आता है.
सोनू इतना कह कर उदास सी हो गई और फिर किसी सोच में खो सी गई.

मैंने कहा- मैं आपकी निजी जिंदगी के बारे में क्या बोल सकता हूँ?
वो बोली- छोड़ो, मैं भी क्या बात लेकर बैठ गई. तुम ये बताओ कि तुम चाय लोगे या कॉफी?

उसने एक हल्की मुस्कान के साथ मुझसे पूछा.
मैंने कहा- कुछ नहीं.
वो बोली- ऐसा कैसे … तुम हाथ मुंह धो लो, जब तक मैं चाय बना कर लाती हूँ.

इतना बोलते हुए वो किचन में चली गयी. मैं भी उठा और बाथरूम में जाकर फ्रेश हो गया।

बाहर आकर देखा तो सोनू अभी भी किचन में ही थी. मेरी आवाज सुन कर वो भी चाय लेकर आ गयी और हम दोनों चाय पीने लगे।

“तुम्हारी कोई गर्लफ्रैंड है?” सोनू ने मुझसे पूछा.
“गर्लफ्रेंड … और मेरी? हो ही नहीं सकता है मैडम!” मैंने उसकी बात का जवाब देते हुए कहा.
“क्यों अच्छे खासे हो, हैंडसम हो, फिर कोई गर्लफ्रैंड क्यों नही है?”

उसका सवाल बिल्कुल सीधा सटीक था. बात भी सही थी. मेरी उम्र में और मेरे जैसे स्मार्ट से लड़के की कोई गर्लफ्रेंड न हो तो किसी के मन में भी ये सवाल पैदा हो सकता था.
मैंने कहा- गर्लफ्रैंड बनाना तो बहुत आसान है लेकिन …
वो बोली- लेकिन क्या? मेरी बात पूरी होने से पहले ही सोनू ने बड़ी उत्सुकता से पूछा.

मैंने कहा- आपको तो पता ही है कि आज कल लड़कियां कितना पैसा खर्च करवाती हैं. साल भर अपने आगे पीछे घुमाती हैं फिर भी मिलता कुछ नहीं, ऊपर से कभी शॉपिंग तो कभी मूवी इतना पैसा कहां है मेरे पास जो मैं गर्ल फ्रेंड पर खर्च कर सकूं?

मैंने बड़ी शालीनता से उसके सवाल का जवाब दिया. मुझे यह कहते हुए यकीन भी होने लगा था कि आज तो यह चूत देने के लिए मूड में ही लग रही है. इसलिए मैं बड़े आराम से उसको अपनी बातों में फंसा रहा था.

वो बोली- बात तो तुम्हारी भी सही है और तुम्हारी सोच भी मुझे अच्छी लगी. तुमने कभी सेक्स किया है? सोनू ने मेरी आँखों में आंखें डाल कर कहा।
“नहीं!” मैंने रुखा सा जबाब दिया।
उसने पलट कर पूछा- क्यों?
मैंने कहा- आज तक कोई ऐसी मिली ही नहीं जिसके साथ मैं सेक्स कर सकूं और भला कोई मेरे साथ क्यों सेक्स करेगी जब मेरी कोई गर्लफ्रेंड ही नहीं है तो मैं किसके साथ सेक्स करुं?

वो बोली- क्या तुम मेरे साथ सेक्स करोगे? तुम्हें लाइफ में जो भी चाहिए मैं तुम्हें दूंगी. तुम्हारी जरूरत, हर ख्वाहिश मैं पूरी करूंगी. बस तुम मेरी चुदाई की जरूरत या यूं कह लो कि मेरी लाइफ में सेक्स की कमी को पूरा कर दो. मैं तुम्हारी हर कमी को पूरा कर दूँगी।

अब भला सामने से ही कोई मस्त सी प्यासी चूत खुद को चुदवाने का न्यौता दे रही हो तो कौन ऐसे मौके को हाथ से जाने देगा.
मैंने मन ही मन कहा ‘नेकी और पूछ पूछ?’ मैंने सोनू की गर्दन को पकड़ा और उसे किस करने लगा.

किस करते करते कब सोनू ने अपनी टीशर्ट निकाल दी मुझे पता भी नहीं चला.
मुझे तो तब मालूम हुआ जब सोनू बोली- देख यही देखता है ना तू ऑफिस में?
मैंने सोनू को देखा तो उसके दोनों दूध उसके हाथ में थे.

मुझे तो जैसे जन्नत मिल गयी … मैं अपनी कुर्सी से बिना कुछ बोले उठा और जाकर सोनू का एक दूध मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरे हाथ से उसका दूसरा दूध मसलने लगा.

सोनू के मुंह से एक मीठी आहह निकली और उसने मेरे सिर को पकड़ कर अपने दूधों पर दबा लिया. मैंने थोड़ी देर तक उसने दूधों को पीना जारी रखा तो वो बोली- अब यही करते रहोगे क्या? या फिर बेडरूम में भी चलने का इरादा है?

वो जैसे मुझे राह सी दिखा रही थी.

मैंने उसको गोदी में उठाया और उसको उसके बेडरूम में ले गया. बेड पर लिटाते ही मैं उसके होंठों पर टूट पड़ा। किस करते हुए ही मैंने उसकी केपरी भी निकाल दी. मैं उसकी चूत में उंगली करने लगा.

वो गर्म हो गयी और उसने एक ही झटके में मेरे सारे कपड़े निकाल दिये. मेरे 7 इंच लंबे और 2.5 इंच मोटे लंड को पकड़ कर अपने मुंह के हवाले कर दिया जिससे मेरा लंड लोहे की रॉड जैसा तन गया।

लेकिन मुझे मजा नहीं आ रहा था. मैं उसकी चूत को अपने होंठों से छूने के लिए तरस रहा था.
मैंने सोनू से कहा- तुम मेरे ऊपर आ जाओ.
उसने पोजीशन बदली और हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए।

अब मेरा पूरा लंड उसके मुंह में बिल्कुल गले तक जा रहा था और मैं उसकी चूत को अपने मुंह में लेकर चूस रहा था. वो पागल हुई जा रही थी. अब मैंने अपनी जीभ को उसकी चूत में डाल दिया, मेरे जीभ डालते ही उसके मुंह से ऊऊऊ … अअअअअ … मम्म … जैसी सिसकारियां निकलने लगीं और उसने अपनी जांघों से मेरे मुंह को अपनी चूत पर और जोर से दबा दिया.

करीब 10 मिनट तक एक दूसरे की चुसाई करते हुए उसने अपनी चूत का पानी मेरे मुंह पर ही निकाल दिया जिसे मैंने बड़े प्यार से साफ किया लेकिन अभी मेरा माल निकलना बाकी था और वह मेरे लंड को बड़े जोरों से चूसे जा रही थी. मैं भी कोई कम खिलाड़ी नहीं था. मैंने सोनू को उठा कर पलंग पर बैठाया उसके सिर को पकड़ा और उसके मुंह को चोदने लगा.

करीब 5 मिनट बाद मैंने अपना पूरा माल उसके मुंह में खाली कर दिया जिसे वह बड़े स्वाद लेते हुए चट कर गई।

इसके बाद हम दोनों को ही थोड़ी थोड़ी थकान हो गई थी तो सोनू ने पूछा- क्या लोगे?
मैंने बोला- जो आप पिला दो.

उसने दोनों के लिए ड्रिंक बनाई. दोनों ने करीब दो-दो पैग लिए, लास्ट पैग लेते हुए मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. मैं एक बार फिर सोनू को किस करने लगा. किस करते करते उसके दोनों दूधों को दबाने लगा. सोनू भी मेरा भरपूर साथ दे रही थी.

अब उससे बर्दाश्त कर पाना मुश्किल हो रहा था, वह बोली- अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है.
तो फिर मैंने सोनू को बिस्तर पर लिटाया और उसके ऊपर आ गया.
जैसे ही में ऊपर आया तो वो कहने लगी- आराम से करना।
मैं- क्यों?
सोनू- 14-15 महीनों से मैंने सेक्स नहीं किया है।
मैं- ओके।

फिर मेरे लंड को मैंने उसकी चूत पर सेट किया और एक हल्का सा धक्का दिया जिससे कि मेरा आधा लंड सोनू की चूत में घुस गया।
जैसे ही लंड उसकी चूत में घुसा तो उसके मुंह से एक चीख निकल गई ‘उम्म्ह … अहह … हय … ओह …’ वो बोली- मेरे बोलने के बाद भी तुम नहीं माने.
सोनू ने नाराजगी वाले लहजे में कहा.

मैंने उसे सॉरी कहा और मैं थोड़ी देर रुका.

जैसे ही उसका दर्द कुछ कम हुआ तो एक जोरदार धक्के के साथ मैंने अपना पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया. अभी मैंने 5-6 धक्के ही लगाये थे कि सोनू का पूरा बदन अकड़ने लगा, एक जोरदार चीख के साथ सोनू ने अपना पानी छोड़ दिया।

मुझे भी कोई जल्दी नहीं थी इसलिए मैंने भी अपना लंड चूत से बाहर निकाल लिया. सोनू अपनी सांसों को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही थी. साँसों के नॉर्मल होते ही सोनू बिस्तर से उठी और मुझे जोरदार किस करते हुए थैंक्यू कहने लगी.

मैंने कहा- आपका काम तो मेरे लंड ने किया है. थैंक्यू तो आपको इसे कहना चाहिए न कि मुझे.

मेरा इतना बोलना था कि सोनू ने मेरे लंड को वापिस से अपने मुंह में ले लिया और हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए.

5 मिनट में सोनू फिर से गर्म हो गयी. उसने मेरा लंड अपने मुंह से निकाला और मुझे सीधा लेटा कर मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत पर सेट किया और एक ही झटके में बैठ गयी जिससे हुआ ये कि मेरा लंड सीधा उसकी बच्चेदानी से जा लगा।

अब मैं सोनू के नीचे था और वो मेरे ऊपर बैठ कर मुझे चोद रही थी लेकिन उसकी चुदाई ज्यादा देर तक नहीं चली और वह थक कर नीचे आ गयी. फिर मैंने सोनू को डॉगी स्टाइल में होने के लिए बोला तो वह बेड पर डॉगी स्टाइल में आ गयी. मैंने उसके पीछे आकर लंड को उसकी चूत में फसाया और जोर जोर से धक्के देना शुरू कर दिया।

15-20 मिनट तक मैंने सोनू को डॉगी स्टाइल में चोदा. इस दौरान उसने एक बार और अपना पानी छोड़ा. 8-10 धक्कों के बाद मेरा भी माल निकलने वाला था तो मैंने सोनू को पूछा कि मेरा आने वाला है, कहाँ निकालूं?
उसने बोला कि अंदर ही निकाल दो.

सोनू अभी बोल ही रही थी कि मेरे लंड ने पिचकारी मार दी और मैंने मेरा सारा माल सोनू की चूत में ही खाली कर दिया।
उसके बाद हम दोनों एक दूसरे को अपनी बांहों में लेकर सो गए।

अब एक बार जब सोनू मैडम की चूत मार ली तो फिर तो चुदाई का खेल शुरू ही हो गया था. अब ऑफिस में काम कम और चुदाई की बातें ज्यादा होती थीं. उस दिन के बाद तो मैंने सोनू के साथ कई बार चुदाई की।

तो दोस्तो और मेरी प्यारी भाभियो, आपको मेरी चुदाई कहानी कैसी लगी मुझे मेल करके जरूर बतायें.

Thursday, 24 August 2023

https://ai-ml-honeyvig.blogspot.com/2020/11/ai-can-predict-and-tell-better-how-can.html

 आपने पढ़ा कि रमा और रवि से उनकी उत्तेजना सहन नहीं हुई और उन दोनों ने किरदारों की भूमिका पेश किए बिना ही एक बड़ा ही जबरदस्त सम्भोग किया.
अब आगे:

अब राजशेखर निर्मला और मैं बच गए थे. देखा जाए तो हम तीनों ही उत्तेजित लग रहे थे. रमा और रवि अब तक सुस्ता कर तरोताजा दिख रहे थे.

फिर रमा ने कहा- चलो अब जिनकी बारी है … वो बिस्तर पर आ जाएं.

सबसे पहले निर्मला और राजशेखर बिस्तर पर गए और जैसा कि प्रतिदिन की एक तरह की कामक्रीड़ा से ऊब चुके लोग केवल औपचारिक रूप से संभोग करते हैं, वैसा दर्शाने लगे.

जहां राजशेखर को बदलाव की इच्छा थी, वहीं निर्मला संतुष्टि की अपेक्षा रखती थी. इसी वजह से दोनों का यौनजीवन बहुत उबाऊ हो चुका था. इसी संदर्भ में आखिरकार दोनों एक नतीजे पर पहुंच गए थे.

पहले तो दोनों ने ऐसा दिखाया, जैसे सोने से पहले कोई काम था, वो कर लिया हो. राजशेखर अपने लिंग को हिलाते हुए निर्मला से अपना लिंग चूसने को कहने लगा. पर निर्मला ने मना कर दिया. फिर जैसे तैसे उसे लिटा कर राजशेखर निर्मला के ऊपर चढ़ कर संभोग शुरू करने को हो गया. राजशेखर का लिंग अब तक की काम क्रीड़ा देखकर पहले से ही खड़ा था, इसलिए वो सीधे धक्के लगाने लगा.

निर्मला- आजकल मेरा मन नहीं होता आप जबरदस्ती मत करिए.
राजशेखर- मेरा तो मन करता है … पर तुम्हारे अलावा कोई विकल्प भी नहीं है.
निर्मला- आप तो पहले जैसा अब कर भी नहीं पाते … इसी वजह से मेरा भी मन नहीं होता.
राजशेखर- तो तुम क्या कोई कुंवारी हो, जो पहले जैसा मजा देती हो.

कहानी के अनुसार उन दोनों में लड़ाई होने लगी. राजशेखर उसे धमकी देने लगा कि मैं तुमको छोड़ दूँगा.

निर्मला का किरदार एक ऐसी महिला का था, जो उम्रदराज थी. वो इस धमकी से डर गई. उन्होंने झूठ मूठ का जल्दी झड़ने का नाटक किया. इसके बाद राजशेखर अपने से मतलब रखता हुआ सोने को हो गया.

उस वक्त निर्मला उससे बात करने लगी कि कैसे इस तरह के जीवन को सुखी बनाया जाए. इस पर राजशेखर ने सुझाव दिया कि हम कुछ नया करें, तभी कोई रास्ता निकल सकता है.

निर्मला ने उसकी तरफ सवालिया नजरों से देखा, तब राजशेखर ने एक उपाय बताया कि क्यों न हम दोनों के साथ कोई तीसरा व्यक्ति भी आ जाए, जो इस उबाऊ यौनजीवन को रोमांटिक बना दे. राजशेखर ने उसे तीसरे इंसान के रूप में स्त्री और मर्द के दोनों विकल्प दिए, जहां तीन लोग साथ में संभोग करेंगे.

जब निर्मला राजी हो गई, तो राजशेखर ने उसको फुसलाना शुरू किया. उसकी नजर अपनी समधन यानि मुझ पर थी, इसलिए उसने निर्मला को मुझे अपने इस खेल में शामिल करने को कहा.

निर्मला तो इस किरदार में अपनी पति की दासी थी, उसे मानना पड़ा. फिर उसने मुझे राजी करके संभोग के लिए राजी कर लिया, क्योंकि मैं भी एक औरत हूँ और मेरी भी काम इच्छाएं थीं. वो मुझे अपने साथ अपने पति के बिस्तर पर ले गई और फिर हम तीनों का खेल शुरू हो गया.

पहले थोड़ा सा संवाद होता है फिर कामक्रीड़ा का आरंभ हो जाती है.

निर्मला- देखो सारिका, तुम भी अकेली हो और हम भी ऊब चुके हैं, तो क्यों न तुम इस कमी को दूर करो और हम इसे रोमांटिक बना लें.
राजशेखर- हां सारिका, और ये बात सिर्फ हम तीनों में रहेगी, किसी को कुछ पता नहीं चलेगा.
मैं- क्या इस तरह का रिश्ता सही है, हम आपस में संबंधी हैं.
राजशेखर- रिश्ता हमारा सही है, हमें तो केवल अपने बचे हुए जीवन को मजे से जीना है और जब तक किसी को पता नहीं चलता, ये गलत कैसे हो सकता है. मैं और निर्मला तो राजी हैं और तुमसे जबरदस्ती भी नहीं कर रहे हैं.
निर्मला- मान भी जाओ सारिका, तुम भी तो कई सालों से सूखी पड़ी हो, राजशेखर तुम्हें चोदकर तृप्त कर देगा. तुम याद रखोगी कि असली मर्द कैसा होता है.

ये कहते हुए निर्मला ने राजशेखर की पैंट उतार दी और उसके लिंग को पकड़ हिलाते हुए बोली- देखो कितना तगड़ा मोटा और लंबा है इसका लंड, तुम्हारी चुत में घुसाते ही तुम पानी छोड़ने लगोगी.

इतना कहने के बाद निर्मला ने उसके लिंग को मुँह में भर चूसना शुरू कर दिया और कुछ देर चूसने के बाद दोबारा बोली- तुम भी थोड़ा चूस कर देखो सारिका … मजा आएगा.

मैं शर्माने का नाटक करने लगी, तो निर्मला ने कहा- लगता है सबसे पहले तुम्हें ही तैयार करना पड़ेगा सारिका.
इतना कहकर उसने मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए और मुझे पूरा नंगा कर दिया. फिर मुझे बिस्तर पर लेट जाने को कहा.

मैं बिस्तर पर पीठ के बल सीधी होकर लेट गई. निर्मला ने अपने भी कपड़े उतार दिए और वो खुद भी पूरी नंगी हो गई. उसने राजशेखर को भी नंगा कर दिया. फिर वो मेरे ऊपर आकर बोली- सबसे पहले तुम्हारा मूड बनना जरूरी है, तभी तुम्हें मजा आएगा.

ये कहकर वो मेरे होंठों को चूमने लगी और स्तनों को सहलाने लगी. ये बात मुझे अचंभित करने वाली लगी. क्योंकि मुझे नहीं पता था कि निर्मला स्त्रियों के साथ भी सक्रिय रूप से कामक्रीड़ा में माहिर थी.

उसके चूमने और सहलाने के अंदाज़ से मुझे पक्का हो चला था कि ये समलैंगिक भी है. कुछ देर मेरे बदन से खेलने के बाद निर्मला ने मेरी जांघें टटोलते हुए उन्हें फैला दिया और योनि पर हाथ फेरते हुए बोली- राजशेखर देखो, कितनी प्यारी चुत है सारिका की, बहुत प्यासी भी दिख रही है, इसे तैयार करना तुम्हारी जिम्मेदारी है और प्यार से इसे चोदना भी.

इस खेल में मैंने सोचा नहीं था कि निर्मला इतनी अभद्रता दिखाएगी, पर अब खेल शुरू हो चुका था, तो सब सही था.

निर्मला मेरी कमर के पास बैठ गई और मेरी जांघें फैला कर दोनों हाथों से मेरी योनि को फैलाते हुए चूमा और बोली- कितनी मादक खुश्बू है तुम्हारी चुत की और स्वाद भी बहुत मजेदार है. राजशेखर जरा चाट कर तो देखो.

निर्मला की बात सुन राजशेखर मेरे सामने आया और झुक कर मेरी योनि पर अपनी जुबान फिरा कर बोला- सच में बहुत बढ़िया स्वाद है.
इस पर निर्मला बोली- चलो अब देर मत करो … इसे जल्दी से तैयार करो.

राजशेखर ने मेरी योनि चाटनी शुरू कर दी, मैं तो पहले से ही काफी उत्तेजित थी और अब तो लगने लगा कि मैं पानी छोड़ दूंगी. मैं उत्तेजना में छटपटाने सी होने लगी और कभी निर्मला के स्तन, तो कभी उसके चूतड़ों को दबाने लगी.

मुझे ऐसा करते देख निर्मला मुझसे लिपट गई और मेरे होंठों को चूमने लगी. मैं पहली बार समलैंगिक चुम्बन कर रही थी हालांकि बहुत सी स्त्रियों ने पहले भी मेरे स्तन और योनि का स्वाद लिया था, पर आज ये पहली बार था, जिसमें मैं चुम्बन कर रही थी.

वो मेरे स्तनों को मसलती हुई किसी मर्द की तरह मुझे चूम रही थी और मैं भी इतनी उत्तेजित थी कि ये भूल बैठी कि वो मर्द नहीं औरत है.

धीरे धीरे वो मेरे स्तनों की ओर बढ़ने लगी और जैसे ही उसने मेरा एक स्तन चूसा और मुझे अचंभित होकर एकटक देखने के बाद दूसरा स्तन चूसा. फिर वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगी.

मैं अभी समझ पाती कि तभी उसने अपनी जुबान बाहर करके मुझे दिखाया कि उसके मुँह में मेरा दूध है.

मैं तब समझ गई कि वो अचंभित इसलिए हुई होगी क्योंकि इस उम्र में शायद ही किसी महिला के स्तनों से दूध आता हो.

उसे ख़ुशी भी हुई और उसने फिर से मेरे स्तनों से बारी बारी चूस कर मेरा दूध पीना शुरू कर दिया. दूसरी तरफ राजशेखर मेरी योनि पर अपने जुबान से खिलवाड़ किए जा रहा था और मैं अपने बस से बाहर होती जा रही थी.

वो मेरी योनि में एक उंगली डाल लगातार जीभ से चाटता था, जिससे मेरी योनि से पानी रिसते हुए उसके मुँह और बिस्तर पर गिरने लगा.

अचानक पूरे बदन में मुझे झनझनाहट हुई … मैं खुद को रोक न पाई और थरथराते हुए झड़ गई. झड़ने के क्रम में मैंने पूरी ताकत से निर्मला को पकड़ लिया था.

जैसे ही मेरी पकड़ ढीली हुई निर्मला ने कहा- देखो तो, तुम तो अभी से ही झड़ने लगी, लंड से चुदने पर क्या होगा.

ये कह कर उसने मुझे छोड़ दिया और राजशेखर के पास गई.

वो बोली- तुम्हारी समधन चुदने को तैयार है … अब तुम भी तैयार हो जाओ. उसने राजशेखर को पीठ के बल लेटने को कहा और खुद उसके लिंग को पकड़ चूसने लगी.
तब राजशेखर ने मुझसे कहा- जब तक निर्मला मुझे तैयार करती है, मुझे अपना दूध पिलाओ.

उसके कहने के अनुसार मैं उसके बगल लेट गई और अपना स्तन उसके मुँह में दे दिया. सच कहूँ तो उस वक्त बड़ा आनन्द आया, जब उसने मेरा स्तन चूसना शुरू किया. उसके मुँह में जैसे जादू था. जैसा उसने मेरी योनि को सुख दिया था, अब मेरे स्तनों को दे रहा था. वो जहां मेरे स्तनों को चूस रहा था, वहीं दोनों हाथों से मेरी मोटी मोटी जांघों और चूतड़ों को सहला भी रहा था.

काफी देर मेरे बदन से खेलने के बाद उसने कहा- निर्मला आओ तुम भी तैयार हो जाओ, तुम दोनों को मुझे बारी बारी से चोदना है.

राजशेखर चाहता था कि मैं निर्मला की योनि चाटूं, पर मुझसे ये होने वाला नहीं था.

तब उसने मुझे अपना लिंग चूसने को कहा और निर्मला को अपने मुँह के ऊपर बिठा कर खुद उसकी योनि चाटने लगा. मैंने जैसे ही राजशेखर का लिंग हाथ में पकड़ा, मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे मैंने कोई मोटा गरम सरिया पकड़ लिया हो. मैंने उसे ऊपर नीचे हिलाया, तो उसका सुपारा खुल गया और ऐसा दिखने लगा जैसे अंगार उगलने को है. उसका सुपारा एकदम लाल और कठोर हो चुका था.

मैं खुद भी बहुत उत्तेजित थी, मैंने ज्यादा देर नहीं लगाई और उसके सुपारे पर जीभ फिराते हुए थूक से गीला कर दिया. फिर मुँह में भर उसे चूसने लगी. एक तरफ निर्मला तैयार हो रही थी, दूसरी तरफ मैं राजशेखर को तैयार कर रही थी.

वैसे ये सब केवल उस नाटक के लिए था तैयार तो हम तीनों पहले से ही थे. क्योंकि इतने लोग आपके सामने संभोग कर रहे हों और आप को कुछ हुआ न हो, ऐसा तो केवल नपुंसकों के साथ हो सकता है.

थोड़ी ही देर में राजशेखर ने निर्मला को अपने ऊपर से हटाया और मुझे बिस्तर पर पीठ के बल लिटा संभोग का आसन ले लिया.

तभी निर्मला ने कहा- अब तुम्हारी सालों की प्यास बुझने वाली है सारिका, राजशेखर प्यार से चोदना इसे.
राजशेखर ने कहा- बिल्कुल मेरी जान, इसकी प्यारी गीली चुत खराब थोड़े करूंगा.

ये कहने ने बाद उसने मेरी जांघें फैलाईं और मेरे ऊपर झुक गया. उसका लिंग मेरी योनि को छूने लगा था. तभी निर्मला ने राजशेखर का लिंग पकड़ कर उसे मेरी योनि में थोड़ा सा घुसा दिया.

फिर वो राजशेखर के चूतड़ों में थपकी मारते हुए बोली- चलो अब चुदाई शुरू करो.

निर्मला के कहते ही राजशेखर ने हल्के हल्के धक्के देना शुरू कर दिया और 4-5 धक्कों में ही उसका लिंग मेरी योनि की गहराई में जाने और आने लगा.

हर धक्के पर उसका सुपारा मेरी बच्चेदानी को छूकर वापस आने लगा. मेरे आनन्द का अब ठिकाना ही नहीं रहा, मैं मजे से एक तरफ कराहती जा रही थी, तो दूसरी तरफ हर बार जांघें और अधिक खोलती जा रही थी.

मेरी योनि से चिपचिपा तरल रिसता हुआ लिंग के साथ बाहर आने लगा था. अब तो मैंने जांघें इतनी खोल दी थीं कि राजशेखर को मेरी योनि से अपने लिंग को घुसाने में जरा भी परेशानी नहीं हो रही थी.

कुछ ही पलों में मेरी हालत अब इतनी बुरी हो गई थी कि मैंने राजशेखर के बांहों को जोर से पकड़ रखा था और बीच बीच में खुद से अपने चूतड़ों को उठा कर उसे चोदने का न्यौता दे रही थी.

मैं अब किसी भी पल झड़ सकती थी और करीब 10 मिनट के धक्कों के बाद एक पल आया कि मैं अपने पर काबू न रख सकी और जोरों से हिचकोले खाते हुए पानी छोड़ने लगी.

निर्मला वहीं बार बार मेरे स्तनों को बीच बीच में चूसती जा रही थी. मैं झड़कर जैसे ही ढीली हुई, निर्मला ने कहा- देखा मेरे पति की मर्दानगी, झड़ गई न अभी तो और कितनी बार झड़ोगी पता नहीं.

राजशेखर अभी भी हांफता हुआ मुझे धक्के दे रहा था. पर जब मैं ढीली पड़ी, तो वो भी रुक गया था. राजशेखर ने अब निर्मला के होंठों को अपने होंठों से चूमना शुरू किया और मेरी योनि से अपना लिंग बाहर खींच लिया. निर्मला ने राजशेखर को चूमते हुए उसे बिस्तर के एक किनारे गिरा दिया और उसके ऊपर चढ़ गई.

राजशेखर उसकी थुलथुली बड़े गांड को दोनों हाथों से मसलने लगा और निर्मला उसे चूमती हुई एक हाथ से उसका लिंग पकड़ कर अपनी योनि से सीध बना कर बैठ गई. राजशेखर का लिंग सर्र से फिसलता हुआ निर्मला की योनि में समा गया. राजशेखर का पूरा लिंग निर्मला की योनि में जड़ तक था. उसके बाद वो सीधी उठी और रवि के सीने पर दोनों हाथ रख कर धक्के देने लगी.

राजशेखर मजे से भर गया और कामुकता के साथ उसके चूतड़ों को, तो कभी स्तनों को मसलने लगा. कुछ ही पलों में कमरा निर्मला की दर्द भरी और कामुक कराहों से गूंजने लगा. निर्मला का जैसे मैंने पहले भी बताया था कि इस उम्र में भी वो बहुत सक्रिय और कामुक महिला थी. अब उसका रूप दिख रहा था. जिस प्रकार वो अपनी मदमस्त सुडौल थुलथुल चूतड़ों को हिला रही थी, उससे तो अंदाज लगाया जा सकता है कि राजशेखर शायद ही खुद को ज्यादा देर रोक सकता था.
वाकयी राजशेखर का चेहरा देखकर भी लग रहा था कि वो बहुत आनन्द ले रहा था. पर मेरे ख्याल से राजशेखर इतनी जल्दी झड़ने वाला नहीं था और हुआ भी वैसा ही. निर्मला इस अंदाज में धक्के इसलिए लगा रही थी क्योंकि वो स्वयं बहुत उत्तेजित और गर्म हो चुकी थी और थोड़ी ही देर में वो राजशेखर की छाती के दोनों स्तनों के चूचुकों को मुट्ठी में दबोच पूरी ताकत से धक्के मारने और चीखने लगी.

राजशेखर को जरूर दर्द हो रहा होगा मगर एक मर्द के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि तो यही होगी कि उसके मर्दाना ताकत के आगे औरत झुक जाए. राजशेखर उस दर्द को दरकिनार करते हुए निर्मला की कमर पकड़ खुद भी नीचे से अपने चूतड़ों को उठा उठा कर उसकी मदद करने लगा. नतीजन निर्मला तेज गति से झड़ने लगी. उसकी योनि से चिपचिपा तरल छूटने लगा और राजशेखर के अण्डकोषों और जांघों से होता हुआ बिस्तर पर फैलने लगा.

झड़ने के बाद निर्मला राजशेखर के ऊपर ही निढाल पड़ गई, पर रवि नीचे से ही हल्के हल्के धक्के लगाता रहा. ढीली होने की वजह से निर्मला का शरीर भारी पड़ गया था, जिसकी वजह से राजशेखर पूरा जोर नहीं लगा पा रहा था. इसलिए उसने उसे सरका कर किनारे कर दिया.

Wednesday, 23 August 2023

मेरी स्टेप मम्मी की चुदाई का खेल

 

यह सेक्स स्टोरी मेरी स्टेप मम्मी की चुदाई की है. मेरी मम्मी बहुत सेक्सी हैं. पापा घर से बाहर रहते हैं तो मुझे लगता था कि उनकी प्यासी जवानी लंड के लिए तरसती होगी.

दोस्तो, मेरा नाम सोनू है. मैं 20 साल का हूँ. मेरे घर में कुल 4 लोग हैं. मेरी दीदी कुसुम 22 साल की, मम्मी कुन्ती 36 साल की और पापा. मेरे पापा की उम्र 48 साल है, वे दूसरे शहर में जॉब करते हैं तो वो महीने में दो दिन के लिए ही घर आते हैं.

मम्मी मेरी सगी मम्मी नहीं हैं. मेरी सगी मम्मी लापता हो गयी थी तो मेरे पापा ने अपने से 12 साल छोटी लड़की जो गरीब घर की थी, से शादी कर ली थी.

मेरी मम्मी देखने में एक 30-32 साल की सेक्सी औरत लगती हैं. उसे देखकर किसी बूढ़े के दिल में भी अरमान जाग जाएं. उनका साइज 38-24-36 है.
फिर मैं तो एक जवान लड़का हूँ, जो उसे हमेशा देखा करता था. मेरी इस बात से आप लोग सोच सकते हैं कि मेरी क्या स्थिति हो रही होगी. मैं हमेशा उसे घूरता रहता था.

घर में मम्मी साड़ी पहनती हैं, उनके सभी ब्लाउज डीप कट वाले होते हैं. उनको पीछे से देखने पर उनके बड़े बड़े चूतड़ों के पहाड़ दिखते हैं. पीछे से ब्लाउज की एक पतली सी पट्टी होने के कारण पूरी पीठ लगभग नंगी रहती है. गहरे गले के ब्लाउज में से उनकी चूचियां ऐसी नजर आती हैं मानो बाहर निकलने को मचल रही हों.

मैं उन्हें अक्सर घूरता रहता था और यह बात मेरी मम्मी को भी पता थी. लेकिन वह ना ही मेरा कभी विरोध करतीं और ना ही अपने मम्मों को मुझसे छुपाने की कोशिश करतीं.
इससे मेरी हिम्मत और बढ़ती गई.

एक दिन मम्मी शाम को रसोई में रात का खाना बना रही थीं और दीदी अपने रूम में थी. मैं मौका पाकर रसोई में गया और मम्मी की कमर को पीछे से सहलाने लगा.
मम्मी बोलीं- क्या बात है बेटा आज बहुत प्यार आ रहा है.
मैंने कहा- मम्मी, आप हमें इतना प्यार करती हैं, तो थोड़ा सा प्यार तो हम भी कर सकते हैं.

मेरे हाथ अभी भी मम्मी की कमर पर थे और मैं उसे सहला रहा था. मैं सोच रहा था कि अगर मम्मी की चुदाई का मौक़ा मिल जाए तो मजा आ जाए.

मम्मी बोलीं- वो तो ठीक है … लेकिन मुझे अभी बहुत काम है. बेटा तुम्हें बहुत प्यार आ रहा है, तो जब काम खत्म हो जाए … तो जितना मन हो प्यार कर लेना.

मैं उनकी इस बात को सुनकर वापस हॉल में आ गया और सोचने लगा कि मम्मी के ये कहने का मतलब क्या था. क्या यह मेरे लिए हरी झंडी थी या फिर ऐसे ही कह दिया था.

फिर मैंने सोच लिया कि जो भी हो, आज खतरा उठा ही लिया जाए. अगर मम्मी मान जाती हैं, तो मेरे लिए स्वर्ग का दरवाजा खुल जाएगा … और अगर नहीं, तो ज्यादा से ज्यादा मुझे डांट ही तो पड़ेगी.

रात में खाना खाने के बाद हम सब अपने अपने रूम में सोने चले गए. थोड़ी देर बाद मैं अपनी स्टेप मम्मी के कमरे में आ गया.

मेरी मम्मी बेड पर लेटी हुई थीं. रूम में धीमी रोशनी का नाइट बल्ब जल रहा था. मैं मम्मी की चुदाई के अरमान दिल में लेकर उनके बगल में जाकर लेट गया और अपना हाथ मम्मी के पेट पर रख कर सहलाने लगा.

मम्मी ने मेरी तरफ देखा और मुस्कुरा कर कहा- बेटा, तुम मुझसे कितना प्यार करते हो?
मैं बोला- मम्मी जी, मैं आपसे इतना प्यार करता हूं … अगर आप इजाजत दो, तो बेटा के प्यार के साथ साथ पापा की कमी पूरी कर दूँ.
मम्मी हंस कर बोलीं- अच्छा बच्चू … अब तू इतना बड़ा हो गया है, जो अपने पापा की कमी पूरी कर देगा … और तू कैसे करेगा अपने पापा की कमी पूरी, जरा बता तो?

मम्मी की चुदाई की पहली कोशिश

इस बात पर मैंने अपने होंठों को मम्मी के होंठ रख दिए और उनको जोरदार किस करने लगा. साथ ही अपने हाथों से उनके मम्मों को दबाने लगा.

मम्मी ने नाममात्र का विरोध किया, फिर शांत हो गईं. वो भी मुझे सहयोग करने लगीं. कोई पांच मिनट के बाद हमारी चूमाचाटी खत्म हुई.

फिर मैंने मम्मी से कहा- मैं ऐसे करूंगा कमी पूरी, मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं.
मम्मी बोलीं- इतने से तेरे पापा की कमी पूरी नहीं होगी … तुम्हें बहुत मेहनत करनी पड़ेगी.
मैंने कहा- मम्मी आप हुक्म तो करो, मैं इतनी मेहनत करूंगा, इतनी मेहनत करूंगा कि आप पापा को भूल जाएंगी.
मम्मी हंसने लगीं और बोलीं- बेटा तू आज कर मेहनत … मैं देखती हूं कि मेरा बेटा कितना जवान हुआ है.

ये सुनकर मेरी तो मानो जैकपॉट लग गई. मैं मम्मी के होंठों को चूसने लगा. इस बार मम्मी ने भी पूरा साथ दिया. हम दोनों की जीभ एक दूसरे के मुँह में जा रही थी और दोनों ही उसे चूस रहे थे.

इस बार हमारी किस लगभग 12 से 15 मिनट तक चली. फिर मैं मम्मी के मम्मों को ब्लाउज के ऊपर से ही काटने लगा.
मम्मी सिहरते हुए बोलीं- बेटा इतना उतावला क्यों हो रहा है … पहले कपड़े तो खोल लेने दे … फिर जी भर कर दूध पीना.

मैं रुक गया. मम्मी ने पहले अपना ब्लाउज खोला. ब्लाउज के अन्दर मम्मी ने लाल रंग की ब्रा पहनी थी. मम्मी का गोरा बदन लाल ब्रा में क्या कामुक रहा था … ऊपर से नाइट बल्ब की धीमी रोशनी में उनकी चूचियां और भी ज्यादा चमक रही थीं.

फिर मम्मी ने अपनी ब्रा को खोल कर मम्मों को आजाद कर दिया. मैं भी उनके मम्मों पर टूट पड़ा और जोर जोर से पीने लगा. मैं बीच बीच में उसके दूध को काट भी लेता था, जिससे मम्मी एकदम से मचल जाती थीं.
मम्मी मेरे सर पर हाथ फेरते हुए बोल रही थीं- आह … पी जा बेटा … अपनी मम्मी की चूची को पूरा पी जा … खा जा इनको.

मैं भी पूरा जोर से दूध पिए जा रहा था. इसके बाद मैंने मम्मी के पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और अलग कर दिया. अब मम्मी मेरे सामने केबल छोटी सी पेंटी में थीं.

मम्मी बोलीं- बेटा अपने कपड़े भी तो उतारो.
मैं बोला- क्यों नहीं मम्मी … अभी उतार देता हूं.

अपने सारे कपड़े खोल कर मैं मम्मी के सामने नंगा हो गया. मम्मी मेरा मोटा लंबा लंड देखकर बोलीं- वाह बेटा तेरा सामान तो तेरे पापा से भी बड़ा हो गया है. तू तो सच में जवान हो गया है.

मैं बोला- हां मम्मी … आज तुम्हें अपनी जवानी का जलवा दिखा ही दूँगा.
मैंने मम्मी की पेंटी उतार दी और मम्मी को पूरा नंगी कर दिया.

मम्मी की चूत पर बहुत बड़े बड़े और घने बाल थे और धीमी रोशनी में उनकी चूत बिल्कुल नजर नहीं आ रही थी.
मैंने बोला- मम्मी, आप बाल क्यों नहीं काटती हो.
मम्मी बोलीं- तेरे पापा आते हैं तो एक दिन पहले साफ़ कर लेती हूँ. उनके जाने के बाद जरूरत ही नहीं पड़ती. मुझे क्या पता था तू मुझे चोदेगा. चल आज ऐसे ही मम्मी की चुदाई कर ले … कल से चिकनी चूत मिलेगी.
मैं बोला- मम्मी वो तो मैं आज चोद ही दूंगा … लेकिन आप पहले मेरी लॉलीपॉप तो चूस लो.

मम्मी ने मेरे लंड को पकड़ लिया और मैंने अपना लंड मम्मी के मुँह में डाल दिया. वो भी पूरा लंड मुँह में लेकर मजे से चूसने लगीं. लंड चुसाते समय मैं उनकी चूत को सहला रहा था.

थोड़ी देर बाद मैं बोला- मम्मी मैं झड़ने वाला हूं.
मम्मी बोलीं- बेटा निकाल दे अपना पानी मेरे मुँह में … मैं इसे पीना चाहती हूं.

मैंने भी अपना सारा पानी मम्मी के मुँह में डाल दिया और वो भी पूरा वीर्य पी गईं.

अब पानी पीने की मेरी बारी थी. मैंने मम्मी की चूत पर मुँह लगाया, लेकिन घने बाल के कारण मुझे अजीब सा लगा. मम्मी भी अब इतनी गर्म हो गई थीं कि वो रुक ही नहीं पा रही थीं.

वो बोलीं- बेटा अब मुझे मत तड़पाओ … जल्दी से अपना मोटा मूसल लंड अन्दर डाल दो और मेरी चूत को चोद दो.
मैंने भी अब मम्मी की चुदाई शुरू करना सही समझा और मम्मी की दोनों टांगों को फैला कर बीच में आ गया. अपने लंड को चूत पर सैट कर धक्का लगाया, तो लंड फिसल गया.

मम्मी बोलीं- बेटा बेटा पहले आराम से धक्का लगा, जब थोड़ा अन्दर चला जाए, तो पूरा दम से पेलना.

मैंने फिर से लंड को सैट किया. अबकी बार मम्मी ने खुद लंड को पकड़ कर चूत के मुँह पर रखा और बोलीं- हां बेटा, अब आराम से धक्का लगा.

जब मैंने पहली बार धक्का लगाया, तो थोड़ा अन्दर चला गया. फिर मैंने एक जोरदार धक्का दिया, तो मेरा लंड आधा से ज्यादा अन्दर चला गया.

मम्मी को दर्द हुआ उनके मुख से निकला- उम्म्ह … अहह … हय … ओह …
तो मैंने पूछा- मम्मी आपकी तो बहुत बार चुदाई हो चुकी है, तो आपको दर्द क्यों हो रहा है … आपकी चूत तो बहुत टाइट भी लग रही है.
मम्मी बोलीं- बेटा बहुत दिन तक अगर चूत की चुदाई ना हो, तो चूत का मुँह चिपकने लगता है … इसलिए चूत टाईट हो गई है. पर तू अपना काम शुरू कर, इसी दर्द में तो चुदाई का मजा है.

फिर मैं मम्मी की चूत में लंड आगे पीछे करने लगा.
मेरी मम्मी भी गांड उठा उठा कर मेरा साथ दे रही थीं और बोल रही थीं कि आह चोद बेटा और जोर से चोद पेल दे अपना पूरा लंड … फाड़ दे मेरी चूत फाड़ दे बेटा … अपनी मम्मी की चूत.

मैं भी ताबड़तोड़ मम्मी की चुदाई रहा था, लेकिन मेरा पूरा लंड मम्मी की चूत में जा नहीं रहा था.

मैंने मम्मी की नीचे तकिया लगाया और उनके पैरों को अपने कंधे पर रख लिया. अब जब मैंने दोबारा मम्मी की चुदाई शुरू की, तो मेरा पूरा लंड मम्मी की चूत में जा रहा था.

मम्मी को भी अब पूरा मजा आ रहा था. मम्मी धीमी धीमी सिसकरियां ले रही थीं. वो ‘आह आह आ..’ किए जा रही थीं. कुछ देर बाद उनका बदन अकड़ने लगा था … और उनकी सिसकरियां और बोलना भी तेज हो गया था.

मम्मी बोलने लगी थीं- आह … चोदो बेटा और जोर से चोद दे … आह और जोर और जोर से चोद … पेल दे पूरा लंड फाड़ दे मेरी बुर.

मैं भी पूरे जोर से धक्का लगाने लगा. थोड़ी देर में मम्मी झड़ गईं और शांत हो गईं … लेकिन मेरा अभी भी पानी नहीं निकला था. मैं मम्मी की चूचियों को चूसने और दबाने लगा. उनके होंठों को चूमने लगा. थोड़ी देर बाद फिर से मम्मी में जान आ गई.

इस बार मैंने मम्मी को घोड़ी बनने को कहा.
मम्मी बोलीं- नहीं बेटा, गांड में नहीं लूंगी.
मैंने कहा- मम्मी, मैं चूत में ही पेलूँगा … लेकिन पीछे से करने का मन है.

मम्मी पीछे से चुदाई के लिए मान गईं और घोड़ी बन गईं.

मैंने अपने लंड को चूत पर सैट किया और एक ही धक्के में पूरा लंड अन्दर डाल दिया. मम्मी की चूत गीली होने के कारण आसानी से चूत में लंड चला गया. मैंने मम्मी की डॉगी स्टाइल में चुदाई चालू कर दी. मम्मी भी पूरा साथ दे रही थीं.

कोई बीस मिनट की इस चुदाई के बाद हम दोनों झड़ने वाले थे.
मम्मी बोलीं- बेटा अन्दर ही डाल दो, मैं अपने बेटा का वीर्य महसूस करना चाहती हूं.
मैंने भी अपना सारा वीर्य मम्मी की चूत में छोड़ दिया. मम्मी की चूत ऊपर तक भर गई और वीर्य बाहर निकलने लगा.

मम्मी की चुदाई के बाद मैं थोड़ी देर उनके पास लेटा रहा. फिर मैंने मम्मी से पूछा- कैसा रहा मम्मी … पापा की कमी पूरी हुई या नहीं?
तो मम्मी बोलीं- अरे बेटा, तेरे पापा में इतना दम कहां बचा है. उनको अब सुगर की बीमारी हो गई है न … इसलिए अब तो उनका खड़ा ही नहीं होता है. तू तो अब अपनी मम्मी की चुदाई करके मजा दिया कर … लेकिन अभी तू अपने रूम में जा … नहीं तो सुबह कुसुम तुम्हें यहां देखकर न जाने क्या सोचेगी.

फिर मैंने बाथरूम में जाकर अपना लंड साफ़ किया और कपड़े पहन कर अपने रूम में जा कर सो गया

Tuesday, 22 August 2023

खेल वही भूमिका नयी-10

 अब तक आपने पढ़ा था कि नए साल का स्वागत करने के बाद हम सभी ने एक ऐसा कार्यक्रम शुरू किया, जिसमें सेक्स से भरी हुई पटकथा का मंचन किया जाना था. इसमें पहले सुहागरात का सीन पेश किया और उसके बाद लड़के का भाई लड़की की बहन को पटा कर उसे चुदाई के लिए बिस्तर पर ले आता है.
अब आगे:

कमलनाथ ने एक एक करके राजेश्वरी के कपड़े उतार दिए और खुद के भी कपड़े उतार दिए. दोनों पूरी तरह से नंगे हो चुके थे.

फिर कमलनाथ ने पहल शुरू की.

कमलनाथ- आ जाओ अब तुम्हें बताता हूं कि शादी के बाद लड़का लड़की क्या करते हैं.

उसने राजेश्वरी को बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी टांगें फैला कर बोला- ये जो तुम्हारी चुत है, ऐसा ही छेद तुम्हारी दीदी का भी है … और जैसा मेरा लंड है, वैसा ही मेरे भइया का है. इसी में भइया अपना लंड डाल कर तुम्हारी दीदी को चोदते हैं.
राजेश्वरी- तो क्या अभी तुम भी मुझे चोदोगे?
कमलनाथ- हां … और देखना तुम्हें बहुत मजा आएगा … जैसा तुम्हारी दीदी को आता है.

इसके बाद कमलनाथ ने कहा कि संभोग़ से पूर्व मर्द और औरत को गर्म रहना चाहिए और इसके लिए उसे राजेश्वरी की योनि चाटनी पड़ेगी. फिर राजेश्वरी को कमलनाथ का लिंग चूसना पड़ेगा.

राजेश्वरी तैयार हो गई.

फिर कमलनाथ ने पेट के बल लेट कर राजेश्वरी की योनि चाटना शुरू कर दी. कुछ ही पलों में राजेश्वरी गर्म होने लगी थी. उसकी कामुक सिसकारियां छूटनी शुरू हो गईं. कमलनाथ लगातार उसकी योनि में दो उंगली डाल अन्दर बाहर करते हुए उसकी योनि चाटे जा रहा था.

राजेश्वरी अब इतनी उत्तेजित हो चुकी थी कि उसने चादर को पकड़ खींचना शुरू कर दिया और अपना पूरा बदन मरोड़ना शुरू कर दिया.

करीब 10 मिनट तक कमलनाथ ने उसकी योनि का रस पान किया और फिर घुटनों के बल खड़ा हो गया. राजेश्वरी फ़ौरन उठ बैठी और लपक कर कमलनाथ का लिंग अपने मुँह में भर चूसने लगी. राजेश्वरी इतनी अधिक गर्म हो उठी थी कि वो लिंग इस प्रकार चूसने लगी थी कि मानो वो कितनी भूखी है.

वो कभी कमलनाथ के चूतड़ों सहलाती, कभी अण्डकोषों को सहलाती दबाती, तो कभी जोरों से लिंग को मुट्ठी में पकड़ आगे पीछे हिलाती. वो सुपाड़े पर अपनी जुबान फिराने में लग गई.

कमलनाथ का लिंग भी इस तरह से चूसे जाने की वजह से कठोर हो कर पत्थर सा दिखने लगा था. अब तो स्थिति ये थी कि दोनों संभोग के लिए व्याकुल हो चले थे.

कमलनाथ ने झट से राजेश्वरी को रोका और उसे पीठ के बल चित्त लिटा दिया. फिर उसकी टांगें चौड़ी करके उसके भीतर जा बैठा. एक ही पल में उसने अपने लिंग को सीधा पकड़ा और राजेश्वरी की योनि में धकेलना शुरू कर दिया. राजेश्वरी की योनि पहले से इतनी गीली थी कि 2-3 बार के धक्के में ही समूचा लिंग भीतर पहुंच गया.

कमलनाथ ने अपने दोनों हाथों को राजेश्वरी के सिर के अगल बगल रखा और झुक कर धक्का मारना शुरू कर दिया.

राजेश्वरी ने भी धक्के लगने के साथ ही अपनी टांगें उठा हवा में उठा दिया और कमलनाथ की कमर को पकड़ कर धक्कों को झेलने लगी.

कमलनाथ इतना अधिक उत्तेजित था कि वो शुरूआत से ही गहरे और ताकतवर धक्के लगाने लगा था. मैं खुद में ही सोच कर खुश थी कि किसी तरह मेरी जोड़ी कमलनाथ के साथ नहीं बनी, वरना इतनी जोर से वो धक्के मार रहा था मुझसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो जाता.

राजेश्वरी का पता नहीं, वो कैसे बर्दाश्त कर ले रही थी. मगर उसकी दर्द भरी कराह से पता चल रहा था कि धक्कों में बहुत ताकत थी.

जैसे जैसे धक्के बढ़ते गए, वैसे वैसे कमलनाथ उत्तेजना में और अधिक खूंखार दिखने लगा. वहीं दूसरी तरफ राजेश्वरी लंबे समय तक टांगें फैलाने की वजह से असहज दिखने लगी थी.

हालांकि उसकी भी चरम सीमा की लालसा खत्म नहीं हुई थी, मगर इस असहजता की वजह से वो लय उसमें नहीं दिख रही थी, जो शुरूआत में दिख रही थी.

राजेश्वरी ने कमलनाथ से आसन बदलने को कहा और उसे अपने ऊपर से हटने को कहा.

कमलनाथ जैसे जानता था कि अब क्या होने वाला है, इसलिए बिना किसी बात के, वो पीठ के बल चित लेट गया. कमलनाथ का लिंग गवाही दे रहा था कि राजेश्वरी की योनि कितनी गीली थी.

राजेश्वरी को भी पता था कि उसका अब क्या काम था. वो कमलनाथ की कमर के पास दोनों जांघें फैला कर पीछे की तरफ से बैठ गई. मतलब राजेश्वरी की पीठ का हिस्सा कमलनाथ की तरफ था और चेहरे का हिस्सा पैरों की तरफ था.

इस तरह से हम सब साफ साफ राजेश्वरी की योनि में लिंग घुसता निकलता देख सकते थे. राजेश्वरी ने अपने चूतड़ों उछालने शुरू किए और हमें उसकी योनि में लिंग घुसता निकलता दिखने लगा.

लिंग घपाघप अन्दर बाहर हो रहा था और दोनों आनन्द के सागर में गोते लगाने लगे थे. इस दौरान राजेश्वरी के मुँह से हांफने और कराहने की आवाजें लगातार निकलती रहीं, जिससे ये अंदाज लग रहा था कि उसे कितना आनन्द आ रहा.

इधर बाकी हम सब भी इतने उत्तेजित हो गए थे कि सबके चेहरे पर पसीना आने लगा था.

तभी रमा को रवि ने कहा- अब यार बर्दाश्त नहीं हो रहा.
उसने रमा का हाथ पकड़ उसे बिस्तर के बगल नीचे जमीन पर बिठा दिया और अपनी पैंट उतार रमा के मुँह में अपना लिंग डाल दिया.

रमा और रवि आम पति पत्नी की भूमिका में थे, पर उनके लिए कहानी ये थी कि लड़की की माँ यानि मैं, जो एक विधवा रहती है, उसे भी काम की इच्छा कभी कभी होती थी. इसी संदर्भ में रमा, जो कि देवरानी थी, मैं उससे अपनी व्यथा कहती हूँ. इस पर वो सुझाव देती है कि उसके पति यानि जो रिश्ते से मेरे देवर की भूमिका में था, उसके साथ संभोग करके अपनी कामेच्छा की पूर्ति कर ले.

ऐसा इसलिए था ताकि घर की बात घर में रहे और देवरानी को भी रोज रोज की संभोग क्रिया से थोड़ा आराम मिल सके. दूसरी तरफ लड़की के सास ससुर यानि निर्मला और राजशेखर अपनी रोज रोज की संभोग क्रिया से ऊब चुके थे और वो कुछ नया करना चाहते थे. राजशेखर, जो कि किरदार में मेरा संबंधी होता था, उसकी नज़र मुझ पर थी. क्योंकि मैं अकेली महिला थी.

दूसरी बात ये कि निर्मला राजशेखर का संभोग में परस्पर साथ नहीं दे पाती थी. इसी वजह से निर्मला इस बात पर राजी हो गई कि मुझे राजशेखर के साथ संभोग के लिए राजी कर ले … ताकि अपनी व्यवाहिक जीवन बचा सके.

पर जिस तरह की कहानी हमने बनाई थी, वैसा रमा और रवि से नहीं हो पाया बल्कि रवि की उत्सुकता की वजह से दोनों आपस में ही शुरू हो गए.

ऊपर बिस्तर पर कमलनाथ राजेश्वरी को रौंद रहा था और नीचे रमा और रवि अपनी वासना का खेल शुरू कर रहे थे.

दस मिनट के बाद कमलनाथ के लिए भी धक्के लगाना मुश्किल होने लगा था. वो रह रह कर राजेश्वरी की जांघों को पकड़ ले रहा था. इस दौरान आधे मिनट तक वो थर-थराने लगती. शायद वो झड़ने के क्रम में खुद पर संतुलन न रख पाती होगी, पर करीब 4-5 बार ऐसा हुआ था.

जब उससे धक्का लगाना असंभव सा होने लगा, तो वो ऊपर से लुढ़क कर बिस्तर पर गिर गई.

कमलनाथ ने भी बहुत फुर्ती दिखाई और फ़ौरन राजेश्वरी की टांगें फैला कर उसके बीच में आ गया. कमलनाथ ने अपना लिंग एक झटके में प्रवेश करा दिया और एक लय में धक्का मारना शुरू कर दिया.

राजेश्वरी धक्कों के शुरू होते ही एक सुर में बकरी की भांति मिमियाने और उम्म्ह… अहह… हय… याह… सिसकने लगी.

थपथप की आवाजों से पूरा कमरा गूंजने लगा और करीब 10 मिनट तक ये चला. पर कुछ ही पलों में कमलनाथ की भी सांसें जवाब देने लगी थी, उसके सिर पर चरमसीमा तक पहुंचने की लालसा उसे न ढीला होने दे रही थी, न कमजोर.

वो पूरी ताकत से राजेश्वरी को पकड़ उसके ऊपर लेट कमर उचकाते हुए संभोग किए जा रहा था.

इतनी मेहनत के बाद अंततः वो समय आ ही गया. आखिरकार कमलनाथ जोर से गुर्रा उठा और एक जोरदार झटके में अपना सम्पूर्ण लिंग राजेश्वरी की योनि में अंत तक धंसा कर रुक रुक झटके खाने लगा. उसका पूरा बदन थरथराने लगा और राजेश्वरी भी उस सुखमयी दर्द से कराहने लगी. उसने अपनी टांगें कमलनाथ के चूतड़ों के इर्द गिर्द लपेट लीं और उसे खुद में समा लेने की चेष्टा करने लगी.

करीब एक मिनट की इस स्खलन प्रक्रिया के बाद दोनों ही ढीले होकर एक दूसरे से लिपटे रहे. साँसों को थामते हुए धीरे धीरे जब वो अलग हुए, तो लगा कि दोनों में किसी प्रकार की शक्ति बाकी नहीं रही.

दूसरी तरफ रमा और रवि अपना खेल शुरू कर चुके थे और दोनों ही अब नंगे हो चुके थे. काफी देर तक लिंग चूसने के बाद रवि ने रमा को बाजू पकड़ कर उठाया और बिस्तर पर एक किनारे पीठ के बल लिटा दिया.

रमा की कमर के नीचे का हिस्सा बिस्तर से बाहर था. रवि ने उसकी टांगें पकड़ कर अपने कंधों पर रख लीं और घुटनों पर आकर अपना मुँह रमा की योनि से लगा दिया.

रवि ने जैसे ही अपनी जुबान रमा की योनि की दरार में फिराई, रमा अपना समूचा बदन मरोड़ते हुए सिसक उठी. रवि का लिंग इस तेज़ी से फनफना रहा था … मानो वो अपना लक्ष्य पाने को अत्यंत आतुर हो.

अभी रवि को रमा की योनि को प्यार करते हुए थोड़ी ही देर हुई थी कि रमा काफी उत्तेजित हो उठी. रमा ने रवि का सिर दोनों हाथों से पकड़ लिया और टांगें हवा में लहराने लगी. वो बार बार सिसकती हुई, सिर उठा कर अपनी योनि का स्वाद लेते हुए उसे देखने लगी.

थोड़ी देर और इस मुख मैथुन के बाद रमा रवि को अपनी ओर खींचने लगी. ये इशारा था कि रमा अब पूरी तरह गर्म हो गई है और वो संभोग के लिए पूरी तैयार हो चुकी है.

रवि ने भी समय को पहचाना और उठकर खड़ा हो गया. उसने रमा की टांगों को चूमते हुए कंधों पर रखा और हाथ में थूक लगा कर अपने लिंग के सुपाड़े में मल लिया. फिर हाथ से लिंग को पकड़ कर उसने दिशा दिखाते हुए रमा की योनि की छेद में लिंग को डालने लगा. लिंग का सुपाड़ा जैसे ही रमा की योनि में घुसा, रमा ने ऐसा दिखाया, जैसे उसे न जाने कितना सुकून मिल गया हो.

अब रवि ने अपने एक एक हाथों से उसकी दोनों जांघों को पकड़ा और अपनी कमर से दबाब देते हुए पूरा का पूरा लिंग रमा की योनि में उतार दिया. रमा उस सुकून भरे पल को मजे से झेलती हुई अपनी आंखें बंद कर चुपचाप आने वाले सुखमयी पलों की कल्पना में खो गई.

रवि ने धीरे धीरे लिंग को आगे पीछे करना शुरू किया और 20-30 धक्कों के बाद उसकी रफ्तार में तेज़ी दिखने लगी. जैसे जैसे धक्कों में तेज़ी आनी शुरू हुई, वैसे वैसे ही रमा की सिसकियां मादक कराहों में बदलनी शुरू हो गईं.

करीब 20 मिनट तक इसी रफ्तार से संभोग के बाद रमा ने उत्तेजना भरे स्वर में कहा- अब मेरी बारी है, मैं तुम्हारे लंड की सवारी करूँगी.

ये सुनते ही रवि ने रमा को तुरंत छोड़ दिया और बिस्तर पर चित्त लेट गया. उसका लिंग किसी खंबे की तरह सीधा खड़ा था. रमा ने फौरन उसके दोनों तरह टांगें फैला कर लिंग पर बैठ गई.

रमा की गीली योनि में किसी तरह की सहायता की जरूरत नहीं पड़ी. जैसे जैसे उसने अपनी विशाल गोलाकार चूतड़ नीचे किए, वैसे वैसे लिंग उसकी योनि में खोता हुआ दिखने लगा. अंत में पूरा का पूरा लिंग उसकी योनि में कहीं लुप्त हो गया.

इसके बाद उसने रवि के सीने पर अपनी हाथ रखे और कमर को रवि के मुँह की दिशा में धकेलने लगी. बहुत ही कामुकता के साथ रमा संभोग करने लगी. जिस प्रकार से वो धक्के मार रही थी, उससे उसके चूतड़ बहुत लुभावने दिख रहे थे. रमा सेक्स में बहुत अनुभवी थी. वो जानती थी कि कैसे किसी मर्द को संभोग का सुख देना है … और इस वक्त वो वही कर रही थी.

वो धक्के तो मार ही रही थी, साथ साथ रवि को बीच बीच में चूम भी रही थी ताकि लय बनी रहे.

कुछ ही देर में दोनों अब पसीने से तर होने लगे थे. रमा के बाल भी पसीने में भीग कर उसे और भी कामुक दिखा रहे थे. दोनों अब इस कदर एक दूसरे में खो गए थे कि मानो वो भूल गए हों कि हम सब उन्हें देख रहे थे.

ऐसा ही तो होता है, जब दो बदन एक दूसरे से मिलकर एक दूसरे को अपना लेते हैं और केवल आनन्द ही आनन्द होता है.

दोनों के बीच अब ऐसा लगने लगा था मानो कुश्ती कर रहे हों और उनका केवल चरमसुख पाना ही एक मात्र लक्ष्य था.

रमा धक्कों के साथ जैसे कराह रही थी, उससे ऐसा लग रहा था कि अब वो रो ही पड़ेगी. इधर उन दोनों को देख कर मेरी योनि से भी तरल रिसने लगा था. और ऐसा हो भी क्यों न … इतना उत्तेजक और कामुक दॄश्य, जो सामने चल रहा था.

अब आधा घंटा होने चला था. मेरे ख्याल से अब तक रमा अनगिनत बार झड़ चुकी होगी … क्योंकि उसकी योनि के इर्द-गिर्द झाग सा बनना शुरू हो गया था. ऐसा लगातार लिंग और योनि के घर्षण से होने लगता है. रवि के अण्डकोषों से एक एक बूंद बूंद करके वो झाग बिस्तर पर गिर कर फैल गया था.

तभी अचानक रवि ने रमा को धकेल कर नीचे गिरा दिया और उसे घसीटता हुआ पलट दिया. फिर उसने रमा को किसी कुतिया की भांति झुका दिया.

रमा जरा भी विरोध नहीं कर रही थी, बल्कि ऐसा लग रहा था … जैसे वो रवि की दासी बन चुकी थी. रवि के इस आक्रामक रूप देख कर मैं समझ गई कि अब वो चरमसीमा से ज्यादा दूर नहीं है. उसने एक ही बार में लिंग जोर से अन्दर को धकेला और रमा की योनि की गहराई में धंसा दिया.

इससे रमा जोर चिहुंक उठी- आहहहईईईई..

तभी रवि ने रमा के बाल एक हाथ से समेट कर मुट्ठी में पकड़े और दूसरे हाथ से उसके कंधे को थामा. फिर आधा लिंग बाहर खींच कर पूरी ताकत से धक्का दे मारा.

रमा फिर से कराह उठी- आहहह … मर गईई..

मेरे ख्याल से इस बमपिलाट धक्के से रवि का लिंग उसकी योनि में अंत तक चला गया होगा. फिर अगले ही पल उसी प्रकार का रमा को एक और जोरदार धक्का लगा.

रमा फिर चीखी- आहहहईईई..

मैं समझ गई कि रवि अब इसी तरह से संभोग करेगा.

मैंने गिनती शुरू कर दी. रमा दर्द से कराह जरूर रही थी, मगर वो गर्म थी. इसलिए मेरे अनुसार उसे ये दर्द भी मीठा लग रहा होगा. वो इस आनन्द का मजा ले रही थी … तभी तो वो न ही किसी प्रकार विरोध कर रही थी, न ही कोई असहजता दिखा रही थी. बल्कि वो तो हर धक्के पर अपने चूतड़ों को यूं हिला डुला रही थी, मानो पिछले धक्के का आकलन कर अगले धक्के को सही अंजाम देना चाहती हो.

रमा सच में बहुत अनुभवी थी और रवि को बहुत अधिक सुख दे रही थी. इसी लिए उसकी हरकत से लग रहा था कि पिछले धक्के में जो कमी रह गई हो, वो अगले धक्के में न हो.

मैंने गिनना शुरू किया तो पाया कि रवि के 1 2 3 से 4 सेकंड के बीच धक्के लग रहे थे. सभी धक्के एक ही प्रकार से और एक ही ताकत से लग रहे थे.

रवि भी इतना अनुभवी था कि एक ही सीमा तक लिंग बाहर खींचता और एक ही ताकत से धक्का मारता … मानो जैसे उसे इस तरह की आदत हो.

उसकी इस आदत को ठीक उसी तरह से समझा जा सकता है, जैसे अगर हम खाना खा रहे हों, उसी वक्त बिजली चली जाए और अंधेरा हो जाए, तब भी हम अपने हाथ में उतना ही कौर लेते हैं … जितना हमेशा लेते हैं. हमें अपने निवाले के लिए अपना मुँह भी नहीं ढूंढना पड़ता.

मुझे सच में उन्हें सम्भोग करते देख कर बहुत आनन्द आ रहा था. मेरी हालत ऐसी हो गई थी कि मेरे हाथ स्वयं कभी मेरे स्तनों पर … या योनि पर चले जा रहे थे. एक दो बार तो मुझे ऐसा महसूस हुआ कि मैं अपने आप ही झड़ जाऊंगी. पर मैंने स्वयं को रोका और गिनती जारी रखी.

कोई 20 मिनट तक धक्के रमा को लगते रहे और मेरी गिनती 400 तक पहुंच गई. जैसे ही मेरी गिनती 401 पहुंची, रवि के चूतड़ किसी मशीन की भांति आगे पीछे होने लगे. जब 457 तक मेरी गिनती पहुंची, तो रवि अपना लिंग रमा की योनि में धंसा कर रुक गया और रमा की पीठ पर लेट गया.

रमा की सिसकियां, कराहने चीखने की आवाजों ने पूरे कमरे का माहौल ही बदल दिया था.

मैंने गौर किया कि रवि का लिंग रमा की योनि में अभी भी फंसा हुआ है और उसके अंडकोष धीरे धीरे सिकुड़ कर छोटे हो गए थे. संभव है कि दूसरी बार झड़कर उसके वीर्य की थैली पूरी खाली हो चुकी थी. वही जब रवि रमा के ऊपर से हटा और लिंग को बाहर खींचा, तो उसका वीर्य रमा की योनि से बह निकला.

वीर्य ज्यादा तो नहीं था … मगर चिपचिपी पानी का तरल बहती हुई नदी सा रमा के दोनों जांघों से होकर बिस्तर पर गिरने लगा था.

ये इस बात का सबूत था कि रमा ने भी कम आनन्द नहीं लिया था. वो भी एक से अधिक बार झड़ चुकी थी. रवि पहले ही बिस्तर पर गिर कर हांफ रहा था. उसके बाद रमा भी सीधी हो कर चित्त हुई और लंबी लंबी सांस लेने लगी. दोनों के चेहरे पर संतुष्टि और सुकून की झलक थी.

मैं अपने तरीके से कहूं, तो ये एक सफल संभोग था, जिसमें दो लोगों ने परस्पर एक दूसरे का साथ दिया. अपनी शारीरिक पीड़ा और थकान को लक्ष्य के बीच आने नहीं दिया. अंत में दोनों ने एक दूसरे का सहयोग देते हुए चरम सीमा पार की.

संभोग में केवल पीड़ा स्त्री को नहीं होती … बल्कि पुरुष को भी होती है. ज्यादातर लोगों को लगता है कि केवल कौमार्य भंग के समय लड़कियों को पीड़ा होती और खून आता है. पर ऐसा बिल्कुल नहीं है. जब तक एक स्त्री अपने जीवनकाल में संभोग में सक्रिय रहती है, तब तक पीड़ा होती है. कभी योनि में नमी न होने की वजह से … या कभी मन न होने की वजह से … तो कभी गलत तरीके या अत्यधिक ताकत के धक्के से. पर एक मर्द चाहे, तो अपने अनुभव और तरीके से इस पीड़ा को सुख में बदल सकता है. यदि पुरुष ने ऐसा कर लिया, तो स्त्री पीड़ा से प्यार करने लगेगी और पीड़ा सहते हुए भी अपने पुरुष साथी को चरम सुख प्रदान करेगी. वहीं मर्दों को भी लंबे समय के घर्षण से लिंग में पीड़ा होती है. क्योंकि पुरुष साथी ही संभोग के दौरान धक्कों की जिम्मेदारी लेता है, इसलिए स्त्री को समय समय पर आसन बदल कर धक्कों की जिम्मेदारी लेते रहनी चाहिए ताकि संभोग का आनन्द बना रहे और पुरुष को थोड़ा सुस्ताने का समय देते रहना चाहिए. ऐसी ही समझदारी से संभोग को सफल बनाया जा सकता है. जैसा कि रमा और रवि ने दिखाया.

अगर इस दौरान कोई एक साथी स्वार्थी बन गया, तो फिर इस मिलन में आनन्द खो जाएगा और केवल औपचारिकता ही रह जाएगी.

रमा और रवि ने भले कहानी के अनुरूप काम नहीं किया, पर एक कामुक दृश्य सबको जरूर दिखाया.

ज्योतिषी बन कर भाभी को बच्चा दिया

  मेरे पास जॉब नहीं थी, मैं फर्जी ज्योतिषी बनकर हाथ देख कर कमाई करने लगा. एक भाभी मेरे पास बच्चे की चाह में आई. वह माल भाबी थी. भाभी की रंड...