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Thursday, 28 September 2023

सेक्सी आंटी को मेरे दोस्त ने चोदा

 मैं एक सेक्सी आंटी को काफी दिन से चोद रहा था. लेकिन आंटी की वासना बढ़ रही थी तो मैंने अपने एक दोस्त से उन इंडियन सेक्सी आंटी को चुदवाया.

दोस्तो, अपने मेरी सेक्सी आंटी की पहली स्टोरी तो पढ़ी ही होगी. यह उसके आगे की कहानी है. मैंने मोनिषा आंटी को बहुत बार चोदा. मैंने आंटी को चोद चोद कर उनके जिस्म को एक नया आकार दे दिया था, जिससे आस पास के लोग मोनिषा आंटी को चोदने की चाहत रखने लगे थी. उनकी खोपड़ी में यही चलने लगा था कि बस एक बार मोनिषा की चूत मिल जाए.

मेरे बहुत से दोस्त भी मोनिषा आंटी के नाम की मुठ मारने लगे थे. मैंने मोनिषा आंटी को चोद चोद कर एक हसीन हॉट सेक्सी आंटी बना दिया था, उनके दूध अब पुराने ब्लाउज़ में फिट ही नहीं आते थे. दूध बड़े हो गए थे और गांड का साइज भी बड़ा हो गया था. मोहल्ले का हर एक मर्द मोनिषा आंटी को चोदना चाहता था.

मेरे लंड का रोज रस पीकर मोनिषा आंटी और भी जवान हो रही थीं. उनकी जवानी अब अपने उबाल पर थी. वो मुझसे बहुत चुदती थीं, मेरा रोज रस पीती थीं. मेरे लंड की बहुत अच्छी मालिश भी करती थीं. मेरे लंड का साइज पहले से काफी बढ़ गया था और ये सब मोनिषा आंटी के कारण हुआ था. मैं भी मोनिषा आंटी की जम कर चूत चुदाई करता और चूत का रस पीता था.

मैंने मोनिषा आंटी को दिन में चार चार घंटे तक बहुत बार चोदा था. अंकल की नामौजूदगी में मैं आंटी को पूरी पूरी रात चोदता था. मोनिषा आंटी भी मेरी दीवानी थीं, वे मेरे लंड की प्यासी थीं.

उनकी लंड से चुदने की आदत सी हो गयी थी. अगर वो मेरे लंड का रस ना पिएं तो उनको चैन नहीं आता था. मेरे लंड का रस पी कर उनका चेहरा और भी ज्यादा खिल गया था या कहूँ तो और भी ज्यादा खूबसूरत हो गया था.

करीब 6 महीने तक मैंने मोनिषा आंटी की चूत को खूब चोदा. उसके बाद एक दिन मैंने उनसे उसकी गांड को चोदने को कहा- मोनिषा आंटी, आज तो मैं आपकी गांड चोदना चाहता हूं.
मोनिषा आंटी ने कहा- नवीन, तुम पहले अपने लंड का साइज देखो और मेरी गांड का छेद देखो … कैसे जाएगा इसमें?
मैंने कहा- मैं तो सब कुछ कर लूंगा. बस आप हां बोल दो.

मोनिषा आंटी ने कहा- ठीक है … तुम जो करना चाहते हो, कर सकते हो. मैं तुमको मना नहीं करूंगी … मगर आराम से करना … मुझे बहुत दर्द होगा.
मैंने कहा- मोनिषा आंटी दर्द में ही तो मजा है.

उस दिन में कंडोम भी ले आया.
मैंने मोनिषा आंटी से कहा- तेल लगा लेना. थोड़ा दर्द आपको कम होगा.
मोनिषा आंटी तेल ले आईं और मैं शुरू हो गया. उनके साथ बहुत सारा रोमांस करने के बाद मैंने मोनिषा आंटी को घोड़ी बनने को कहा … और उनकी गांड पर तेल लगा कर उनकी गांड को थोड़ा ढीला करने लगा ताकि मेरे लंड को भी तकलीफ कम हो.

मैंने कंडोम अपने लंड के ऊपर चढ़ाया और मोनिषा आंटी की गांड के मुँह पर रख दिया. फिर एक जोर का झटका मार कर अपने लंड को मोनिषा आंटी की गांड में उतार दिया.

सच में मोनिषा आंटी की गांड का छेद बहुत छोटा था. मुझे भी बहुत दर्द हुआ, मगर मुझसे ज्यादा दर्द तो मोनिषा आंटी को हो रहा था. वो बहुत जोर से चीख पड़ीं ‘उम्म्ह … अहह … हय … ओह …’
मैंने उसी वक्त उनका मुँह दबा दिया ताकि ज्यादा आवाज न निकले, मगर दर्द इतना तेज़ था कि मोनिषा आंटी की आंखों में आंसू आ गए थे.

मोनिषा आंटी जोर से चिल्लाईं- आह नवीन … साले तूने मार डाला … निकालो बहुत दर्द हो रहा है.
मैंने कहा- मोनिषा आंटी अब तो ये और भी अन्दर जाएगा.

मैंने और जोर से लंड को अन्दर की तरफ धक्का दे दिया. मोनिषा आंटी और जोर से चीखने लगीं. मैंने फिर से उनका मुँह बंद कर दिया और थोड़ी देर रुका रहा. थोड़ी देर बाद मोनिषा आंटी नार्मल हुईं. मैंने उनको चोदना शुरू कर दिया और लगातार चोदता रहा.

मुझे आंटी की गांड मारने में बहुत मजा आ रहा था और मोनिषा आंटी को भी मजा आने लगा था. मगर दर्द के कारण उनकी गांड फूल गयी थी और लाल भी हो गयी थी.
अब आंटी के दोनों छेद चालू हो गए थे. मैं काफी दिनों तक मोनिषा चाची की चूत और गांड को चोदता रहा.

फिर एक दिन आंटी ने मुझसे अपनी आर्थिक समस्या की बात की. उन दिनों मैं भी बेरोजगार था.
आंटी ने कहा- कोई तरकीब लगाओ कि कुछ पैसा मिल जाए.
मैंने हंसी मजाक करते हुए आंटी से कह दिया- आंटी आप हां तो करो … पैसे देने वालों की तो मैं लाइन लगा दूंगा.

आंटी समझ गई थीं कि मैं पैसे के लिए चुदाई की बात कर रहा हूँ. उन्होंने कहा- मुझे कोई दिक्कत नहीं है … बस देख लेना कोई बदनामी न हो जाए.
मैंने आंटी का मन समझ लिया था कि आंटी को अब दूसरे लंड की जरूरत होने लगी है. पैसे की बात तो सिर्फ एक दिखावा है.

लेकिन मुझे क्या दिक्कत होनी थी. ऊपर से कुछ पैसा भी मिलने की जुगाड़ हो रही थी. मैंने आंटी से फिर पूछा- क्या वास्तव में पैसा चाहिए या कोई दूसरा लंड लेने का मन है?
आंटी ने झिझकते हुए कह दिया- तुम कुछ भी समझ लो.
मैं समझ गया, मैंने आंटी के लिए लंड तलाशना शुरू कर दिया.

मेरा एक बेस्ट फ्रेंड था संजय, जो मुझसे हर एक बात शेयर करता था और मैं भी उससे हर एक बात शेयर किया करता था.

दूसरे दिन मैं उससे मिला और लड़की चोदने की बात छेड़ दी.
उसने मुझसे कहा- भाई मोनिषा आंटी बहुत ही ज्यादा हॉट और सेक्सी हो रही हैं. एक बार कुछ भी करके मुझे मोनिषा आंटी की चूत दिला दे.
उसे नहीं पता था कि मैं रोज सेक्सी मोनिषा आंटी को चोदता हूं.

मैंने उससे कहा- ऐसा क्या है मोनिषा आंटी में … जो तू उसे चोदना चाहता है?
उसने कहा- भाई इस टाइम मोनिषा को देखा है तूने … कितनी हॉट और सेक्सी हो रही हैं. उनका जिस्म कितना कातिलाना हो रहा है. उनके चेहरे का रंग कितना गोरा हो रहा है. उनका बदन दूध जैसा सफ़ेद होता ही जा रहा है.
मैंने कहा- मुझे क्या मिलेगा अगर मैं मोनिषा आंटी की चूत तुझे दिलवा दूं?
संजय ने कहा- भाई तू जो कहेगा, वो कर दूंगा … बस तू एक बार मोनिषा आंटी की चूत दिलवा दे.
मैंने कहा- ठीक है … मैं कोशिश करूंगा मगर फिर मैं जो बोलूंगा, वो तुझे करना पड़ेगा.
संजय ने कहा- ठीक है भाई. सेक्सी आंटी की चूत के लिए मैं कुछ भी करूंगा.

मैंने दूसरे दिन मोनिषा आंटी से कहा- मैंने आपसे कहा था न कि मोहल्ले के बहुत से मर्द आपके जिस्म को निचोड़ कर चोदना चाहते हैं. क्या आप पक्का किसी और से चुदना चाहती हो?
तो मोनिषा आंटी ने मना करते हुए कहा- वैसे तो मेरे लिए तुम और तुम्हारा लंड ही काफी है.

मैंने आंटी का मन समझ लिया और मैंने कहा- मेरा दोस्त संजय आपको चोदना चाहता है. वो आपको चोदने के सपने देखता है और मैं भी चाहता हूं कि मेरे सामने आपको कोई चोदे. आपको लंड का रस इतना अच्छा लगता है, तो आपके लिए संजय के लंड के रस का इंतजाम भी हो जाएगा.
मोनिषा आंटी कुछ नहीं बोलीं, मैं समझ गया कि वो भी चुदने को तैयार हैं.

फिर तीसरे दिन मैंने अपने दोस्त से कहा- एक रात के लिए मैं तुझे मोनिषा आंटी के साथ सब कुछ करने दे सकता हूं … मगर तुमको मुझे 10000 रूपये देने पड़ेंगे.
क्योंकि उस टाइम मेरे पास पैसे बिल्कुल भी नहीं थे.

संजय ने कहा- ठीक है … मैं तुझे 10000 रूपये दे दूंगा, मगर मैं रात भर मोनिषा आंटी को चोदूंगा.
मैंने कहा- ठीक है.

उसी दिन मैंने मोनिषा आंटी को चोदते हुए कहा कि मोनिषा आंटी संजय आपको बहुत चोदना चाहता है और बदले में मुझे 10000 रूपये भी देना चाहता है. वो भी बस एक रात के लिए … तो आप मान जाओ.
शायद मोनिषा आंटी को भी लंड की जरूरत थी, तो उन्होंने हां कर दी.

मैंने संजय से कहा- मैं तुझे मोनिषा आंटी को चोदने का एक मौका दे सकता हूं … मगर मैं पहले पैसे लूंगा.
उसने कहा- ठीक है.
मैंने कहा- अंकल को कहीं बाहर जाने दे … मैं तेरा काम फिट करवाता हूँ.

दो दिन बाद एक दिन मोनिषा आंटी के यहां कोई नहीं था, अंकल बाहर गए हुए थे. मैंने मोनिषा आंटी से कहा- आज अंकल नहीं हैं, तो मैं संजय को लेकर आ रहा हूं.
आंटी ने कहा- ठीक है.

फिर मैं संजय को लेकर रात के टाइम मोनिषा आंटी के यहां पहुंचा. मैंने दिन में ही मोनिषा आंटी की दुल्हन की तरह तैयार होने को कह दिया था कि ऐसे सेक्सी तरीके से तैयार होना कि संजय आपको देखता ही रहे. ठीक वैसे ही दुल्हन जैसी सजना, जैसे मैं आपको बहुत बार दुल्हन के लिबास में चोद चुका हूं. मैंने बहुत बार आपके साथ सुहागरात मनाई है और बहुत बार सुहाग दिन भी मनाये हैं.
आंटी मुस्कुरा दीं और उन्होंने आंख दबा कर हामी भर दी.

रात को करीब 8 बजे थे और हम दोनों मोनिषा आंटी के घर पहुंच चुके थे. मोनिषा आंटी एकदम दुल्हन की तरह सजी संवरी थीं, जिसे देख संजय पागल हो गया.

उसने उसी समय मुझे 10000 रूपये दिए और कहा- भाई आज तो इस हॉट और सेक्सी आंटी को चोद ही लेने दे. बहुत दिन से इनके नाम की मुठ मार रहा था. आज जाकर आंटी मेरे सामने आई हैं … आज तो मैं आंटी की चूत फाड़ दूँगा.
मैंने कहा- ठीक है भाई, जो जी में आए कर ले.

वो बिना देर किए मोनिषा आंटी को अपनी बांहों में उठा कर उनके बेडरूम में ले गया. पीछे पीछे मैं भी चला गया. उसने मोनिषा आंटी को बेड पर लिटा दिया और उनके ऊपर जाकर किस करने लगा.

उसने मोनिषा आंटी को बेतहाशा किस करना शुरू कर दिया था. मोनिषा आंटी भी उसका साथ दे रही थीं.

उसने मोनिषा आंटी से कहा- मोनिषा आंटी, बहुत दिनों से आपको चोदने की इच्छा थी. आपका जिस्म इतना मादक हो गया है कि क्या बताऊं. आप इतनी हॉट और सेक्सी हो कि रोज आपके नाम की मुठ मार कर सोना पड़ता था. आप मेरे सपनों में आती थीं. आज आपको इतना चोदूंगा कि आपकी चूत फट जाएगी.
इतना बोलते ही वो मोनिषा आंटी को जोर जोर से भंभोड़ने करने लगा … जोर जोर से उनके दूध दबाने लगा और उनके कपड़े उतारने लगा.

मोनिषा आंटी भी अपना होश खो बैठी थीं. वो भी बहुत जोर जोर से संजय को किस करने लगीं.

संजय से संयम नहीं हो रहा था, इसलिए उसने जल्दी से अपना लंड मोनिषा आंटी के मुँह में दे दिया और कहा कि मोनिषा आंटी आज आप मेरे लंड को चूसोगी.

मोनिषा आंटी ने जब उसका लंड देखा, तो लंड देखते ही उसको अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं. संजय का लंड भी मेरे जितने ही बड़ा था.

थोड़ी देर संजय ने अपना लंड मोनिषा आंटी को चुसवाया, फिर उनके दूध ऐसे चूसने लगा, जैसे पहली बार दूध चूसने को मिले हों. मोनिषा आंटी भी बड़ी जोर जोर से सेक्सी आहें भर रही थीं. संजय ने जोर जोर से निप्पलों को भी दबाया. मोनिषा आंटी की चीखें निकलने लगीं.

फिर संजय मोनिषा आंटी की चूत की तरफ बढ़ा और जोर जोर से उनकी चूत को चूसने लगा. उनकी चूत को अपने दांतों से काटने लगा. मोनिषा आंटी और जोरो से आहें भरने लगीं, जिससे संजय और भी ज्यादा उत्तेजित हो गया.

अब मोनिषा आंटी की चूत लंड लंड करने लगी थी. उन्होंने संजय के लंड को पकड़ा और बोलने लगीं- अब देर न करो मेरे राजा … जल्दी से लंड पेल दो … मेरी चूत की प्यास बुझा दो.

आंटी एकदम ऐसे बोल रही थीं, जिससे संजय को लगा कि यार आंटी तो बड़ी चुदासी है.

उसने मोनिषा आंटी की चूत पर लंड रखा और उनकी चूत के अन्दर डाल दिया. मोनिषा आंटी की चीख निकल उठी ‘उम्म्ह … अहह … हय … ओह …’
उन दोनों की इतनी उत्तेजना देख मेरा लंड भी खड़ा हो गया. मेरा मन भी मोनिषा आंटी को चोदने का होने लगा.

करीब 15 मिनट संजय ने मोनिषा आंटी की लपक कर चुदाई की और उनकी चूत ने रस छोड़ दिया.

अब मुझसे रहा नहीं गया और मैं भी बिना कपड़ों के वहां पहुंच गया.

उस टाइम संजय मोनिषा आंटी को अपने ऊपर बिठा कर नीचे से उनकी चूत में झटके दिए जा रहा था.

मैं भी सामने से गया और मोनिषा आंटी के मुँह में लंड को चूसने के लिए दे दिया. नीचे से संजय जोर जोर से चोद रहा था और ऊपर से मैं अपना लंड चुसवा रहा था. मैंने सेक्सी आंटी का सर पकड़ा और अपने लंड को उनके मुँह की गहराई में उतारने लगा. बहुत बार उनके गले तक लंड फँसा कर बाहर निकाल लिया करता था. उनको ठसका सा लग जाता, तो वो आहें भरने लगतीं. इससे मेरा लंड भी उबाल मार जाता.

मैंने मोनिषा आंटी को कहा- आज तो हम दोनों ही आपको चोदेंगे.

इतना बोला था मैंने कि संजय मोनिषा आंटी की चूत में लंड को फंसाने लगा. मैंने भी सेक्सी आंटी की गांड पर लंड रखा और फंसा दिया.

हम दोनों के लंड के करारे प्रहार से मोनिषा आंटी जोर से चीख उठीं- आह … मर गयी … उम्म्ह … अहह … हय … ओह …
उनकी आंखों से आंसू निकल पड़े. मैंने जल्दी से पीछे से उनका मुँह दबा दिया ताकि ज्यादा चीखें न निकलें.

अब संजय और मैंने एक साथ अपना लंड मोनिषा आंटी की चूत और गांड में पेल दिया.

लंड पेलने कर थोड़ी देर रुकने के बाद हमने अपने लंड को उनकी चूत और गांड के अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया. मोनिषा आंटी की आहें और तेज़ हो गईं. हम दोनों ने अपनी भी स्पीड तेज कर दी. हम दोनों आंटी की जोर जोर से सैंडविच चुदाई करने लगे.

थोड़ी देर में ही मोनिषा आंटी दोबारा से झड़ गईं. उनकी चूत दो बार रस छोड़ चुकी थी. मगर हम दोनों का अभी तक कुछ नहीं हुआ था.

हम दोनों ने अपनी स्पीड और तेज कर दी. फिर दोनों ही चरम पर आने को हो गए. हम दोनों ने एक साथ मोनिषा आंटी की चूत और गांड में अपने लंड का रस निकाल दिया.

उस रात हम दोनों ने मोनिषा आंटी को रात भर चोदा और पांच बार मोनिषा आंटी को अपने लंड का रस पिलाया. उन्होंने भी जी भर करके हम दोनों के लंड का रस पिया.

उसके बाद रोज सेक्सी आंटी को हम दोनों के लंड का रस मस्त लगने लगा और हम भी जी भर कर मोनिषा आंटी की चुदाई का मजा लेने लगे.

हम दोनों ने मिलकर बहुत बार उनको एक साथ चोदा बहुत बार सेक्सी आंटी के साथ सुहागरात मनाई. थ्रीसम चुदाई में हम तीनों ने बहुत सारी पोजीशनें ट्राय कीं. संजय और मैंने मिल कर मोनिषा आंटी को बहुत चोदा. उनको चुदाई का वो मजा दिया, जो उन्होंने अपनी जिंदगी में कभी नहीं लिया था. आंटी भी हमारे लंड का रस पिए बिना नहीं रह पाती थीं.

सेक्सी आंटी की ये हॉट स्टोरी आपको कैसी लगी … मेरी इस सेक्स कहानी के लिए आप मुझे मेल करके बताएं.

 

Wednesday, 27 September 2023

मेरी चूत स्टोरी बॉयफ्रेंड से सील तोड़ चुदाई की

 

मेरी चूत स्टोरी में पढ़े कि मेरी चूत की पहली बार चुदाई कैसे हुई. मेरा पहला बॉयफ्रेंड मुझे अपने दोस्त के कमरे में ले गया. लेकिन वो साला फिसड्डी निकला तो मैंने नया यार बना लिया.

हैलो फ्रेंडज़, मेरा नाम नीलम है. मैं मध्यप्रदेश की रहने वाली हूँ. मैं एक बहुत सेक्सी लड़की हूँ और मेरा साइज 28-30-32 है.

यह चूत स्टोरी उन दिनों की है, जब मैं बीएससी फर्स्ट ईयर में थी. मैं एक लड़के को बहुत चाहती थी, वो लड़का भी मुझे पसंद करता था.

एक दिन बात है, जब मैं कॉलेज जा रही थी. तब मैं बस स्टॉप पर खड़ी अपनी बस का इंतजार कर रही थी. तभी मेरा ब्वॉयफ्रेंड बाइक से आया और उसने मुझे साथ चलने को कहा. मैं भी बड़ी खुशी से उसके साथ बाइक पर बैठकर कॉलेज के लिए निकल पड़ी.

उसने बाइक को लम्बे वाले रास्ते से ले जाने का कहा. मैं उसके साथ मस्ती से चिपकी बैठी थी. मैंने भी उससे कह दिया कि जानी जब तू मेरे साथ है, तो क्या डर है, तू जिधर भी ले चल मैं तेरे साथ राजी हूँ.

वो हंस दिया और वोला- सोच ले मेरी जान … मैं तुझे जंगल के रास्ते से ले जाने वाला हूँ.
मैंने उसकी छाती से चिपकते हुए कहा- हां ले चल … मुझे कोई चिंता नहीं है.
उस समय तक हमने कभी सेक्स नहीं किया था लेकिन हम दोनों अपने पहले सेक्स के लिए उतावले हो रहे थे, चूत स्टोरी बनाने के लिए आतुर हो रहे थे.

वो मुझे जंगल के रास्ते से ले आया. एक सुनसान जगह देख आकर उसने रास्ते से अलग हटते हुए एक कच्ची पगडंडी पर बाइक उतार दी.

कुछ आगे ले जाकर उसने साइड में बाइक रोकी और मुझे किस करना शुरू कर दिया. मैं भी उसका साथ देने साथ देने लगी. उसने मेरी चूची पर हाथ लगाया और चूची पकड़ कर जोर जोर से दबाने लगा. मैं आज उसके साथ इस घने जंगल में मतवाली हुई जा रही थी. मैं चुदास से पागल हो रही थी और मेरी चूत में पानी निकलने लगा था.

उसके बाद उसने मेरी पैन्ट का हुक खोला और पैन्टी सरका कर मेरी चूत में उंगली करने लगा. मैं मस्त होने लगी. अब मेरा भी मन हो रहा था कि आज मैं इसके लंड से यहीं पर चुद जाऊं. लेकिन रास्ते में कांटें होने की वजह से चुदाई नहीं हो सकती थी. मेरा मन बेक़ाबू हो रहा था, तो मैंने उसके पैंट के अन्दर से ही उसके लंड को पकड़ लिया और हिलाने लगी. मैं उसके लंड को आगे पीछे करने लगी. वो भी मेरी चूत में लगातार उंगली पेले जा रहा था.

थोड़ी देर बाद मेरी चूत से पानी निकलने को हो गया … मैं अकड़ने लगी. तभी मैंने जोश में उसका लंड मरोड़ दिया.
वो जोर से चीख़ उठा- आं आह … उई … क्या कर रही है … लंड उखाड़ेगी क्या.

मेरी हंसी छूट गई और मैंने उसका लंड छोड़ दिया. लेकिन उसी वक्त उसने भी मेरी चूत के दाने को पकड़ कर खींच दिया. मुझे भी बहुत दर्द हुआ. मैंने भी उसको धक्का दे दिया. फिर हम दोनों हंस दिए और फिर से एक दूसरे से खेलने लगे. उसने मेरी चूत में फिर से उंगली करना शुरू कर दी. मैंने भी उसके लंड की मुठ मारना चालू कर दी. कुछ देर के बाद उसका पानी निकल गया. मेरी चूत भी झड़ गई.

उसके बाद हम दोनों कुछ देर अपनी साँसें काबू में करते रहे. फिर हम वहां से निकल पड़े.

वो रास्ते में बोला- यार, मेरा मन शांत नहीं हुआ.
उसकी बात सुनकर मुझे भी चुदास भरने लगी. मैंने फिर भी उससे कहा- क्यों … मजा नहीं आया क्या?
वो बोला- पानी भर तो निकला है, ऐसा तो मैं मुठ मार कर भी निकाल लेता हूँ.
मैंने कहा- तो फिर क्या चाहते हो?
वो बोला- चलो एक दोस्त के फ्लैट में चलते हैं.
मैंने कहा- कोई परेशानी तो नहीं होगी न?
वो बोला- मैं पहले उससे बात कर लेता हूँ.
मैंने कहा- उसको फ्लैट से जाने की कह देना … तभी ठीक रहेगा.
उसने कहा- ठीक है.

उसने फोन पर अपने दोस्त से बात की, दोस्त ने हामी भर दी और वो बोला कि आ जा … मैं कुछ देर में वैसे भी जाने वाला हूँ.
अब मेरे ब्वॉयफ्रेंड ने मुझसे पूछा- अब तो ठीक है?
मैंने मुस्कुरा कर हां कर दी. हम दोनों उसके फ्लैट की तरफ चल दिया.

उसके फ्लैट में पहुँच कर उसके दोस्त ने पानी वगैरह दिया और बोला- यार, मुझे जाना है. तू ये चाभी ले ले और बंद करके बाहर एक जगह छिपा कर रख देना.
मेरे ब्वॉयफ्रेंड ने उसको हां कहा और उसका दोस्त फ्लैट से चला गया.

दोस्त के जाते ही उसने फ्लैट का दरवाजा बंद किया और मुझे पकड़ कर मेरी चूची मसलने लगा. अब मैं भी बिंदास हो गई थी.

उसने मेरे कपड़ों को हाथ लगाया, तो मैंने उससे कहा- मैं उतार देती हूँ … मेरे पास यही ड्रेस है … तुम्हारी जल्दीबाजी में कहीं फट न जाए.
वो हंसने लगा और बोला- फटना तो है ही.
मैंने उसकी तरफ देखा और पूछा- फटना मतलब … मैं उतार तो रही हूँ.
वो फिर हंसने लगा.

मैं समझ गई और उसकी छाती पर प्यार से मुक्का मारने लगी. मैंने कहा- उसको फड़वाने के लिए ही तो तेरे साथ आई हूँ. आई लव यू जान.
उसने भी मुझे अपनी बांहों में भरा और मेरे होंठ चूमते हुए मुझसे कहा- आई लव यू टू मेरी जान.
यह कह कर वो मेरे कपड़े उतारने लगा.

कुछ ही पलों में उसने मुझे पूरी नंगी कर दिया था. वो मेरी चूची को चूसने और चूमने लगा. मैं मस्त हो गई और उसके सर को अपनी छाती से दबाते हुए उसको अपना दूध पिलाने लगी.

वो मुझे चूमते चूमते बिस्तर पर ले आया और मुझे लिटा कर मेरे ऊपर चढ़ गया. मैं भी बेतहाशा चूम रही थी. उसका साथ मुझे बड़ा ही मस्त लग रहा था.

फिर वो मुझे चूमते चाटते हुए नीचे को होने लगा. उसने मेरी चूत को सहलाया और अपनी जीभ रखने लगा. मुझे उसकी जुबान का टच बहुत ही गर्म लगा और मैंने एकदम से सिहर उठी. वो मेरी चूत चाटने लगा.

तभी मुझे उसका लंड देखने मन किया. मैंने उसके लंड को हाथ लगाया और बोली- मुझे तुम्हारा देखना है.
वो बोला- क्या देखना है?
मैंने उसके लंड को पैन्ट के ऊपर से मसला और कहा- इसको.
वो मुझे ठिठोली करने लगा- पैन्ट को क्या देखना है?
मैंने कहा- पैन्ट को नहीं, इसके अन्दर जो है, उसको देखना है.
वो बोला- पैन्ट के अन्दर तो चड्डी है. तुमको चड्डी देखना है?

मैंने झुझलाते हुए कहा- चड्डी के अन्दर जो छुपा रखा है न … उसको देखना है.
उसने कहा- चड्डी के अन्दर क्या है?
मैंने उसका लंड मसलते हुए कहा- इसको देखना है.
उसने मेरी दूध दबाए और कहा- उसका कोई नाम भी तो होगा.

मैं समझ गई कि ये मुझसे लंड कहने के लिए कह रहा है. मैंने कहा- हाँ उसका नाम है न.
वो मेरी आंखों में आंखें डाल कर बोला- बताओ न क्या नाम है इसका?
मैंने भी उसकी आंखों में आंखें डाल कर कहा- मुझे तुम्हारा लंड देखना है.
उसने मुझे चूमा और कहा- अब ये मेरा नहीं है … ये तुम्हारा लंड है.
मैंने फिर उसको चूमा और कहा- हां मुझे अपना लंड देखना है.

उसने अपने सारे कपड़े निकाल दिए. उसका लंड हवा में झूल रहा था.
वो बोला- लो, अपना लंड देख लो और इसे प्यार भी कर लो.

मैं उसके लंड को हाथ में पकड़ कर हिलाने लगी. मैंने पहली बार लंड देखा था. मुझे बड़ा अजीब सा लग रहा था. मैं जोर जोर से लंड हिलाने लगी. कुछ ही समय में उसका रस मेरी हथेली में ही निकल गया.

मैंने पूछा- ये कैसे निकल गया?
वो बोला- यार नीलम, मेरा जल्दी निकल जाता है … ये पहले से बीमारी है. हम कल मिलते हैं और चुदाई करेंगे.
ये बोल कर वो अपने कपड़े पहनने लगा.

मुझे उस वक्त तक लंड के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी कि ये दुबारा भी खड़ा हो सकता है, यदि कुछ देर कोशिश की जाए.

अपनी नाकाम चूत स्टोरी से मैं मायूस हो गई और हम दोनों वहां से निकल आए. इस वक्त मेरी तो चुत में आग लगी थी … मगर क्या कर सकती थी.

उसके बाद 3 दिन तक मेरी उससे बात नहीं हुई. फिर उसने कॉल किया, तो वो मुझसे फिर से बोला कि मिलना है.

मैंने हां तो बोल दी … लेकिन उससे नहीं मिली. उससे मेरा ब्रेकअप हो गया.

कुछ दिन बीत जाने के बाद मेरे नम्बर पर एक अनजान नम्बर से कॉल आई. उसने अपना नाम हेमंत बताया. मुझे उसकी बातें अच्छी लगीं. फिर हम दोस्त बन गए.

एक महीना बाद उसने मुझे प्रपोज किया और मैंने भी हां कर दी, क्योंकि मैं हेमंत के लंड को चूत में लेना चाहती थी. उसके बाद हेमंत ने मुझे मिलने के लिए एक होटल में बुलाया. मैंने भी हां कर दी और उससे मिलने होटल में चली गई. मैंने वहां जाकर हेमंत को देखा, तो वो बहुत ही हैंडसम था. उसकी हाइट 5 फ़ीट 6 इंच की थी. हालांकि उसकी बॉडी औसत ही थी.

उसके बाद हम दोनों एक कमरे में चले गए. उधर कुछ देर बैठ कर बात हुई, फिर मैं कमरे के बाथरूम में जाकर फ्रेश हुई. उसने मेरे साथ कोई जल्दबाजी नहीं की. इससे मुझ पर उसका अच्छा प्रभाव पड़ा.

इसके बाद हम दोनों खाना खाने बाहर आ गए. खाना खाने के बाद वापस होटल के कमरे में आने के बाद उसने मुझे किस किया. मैंने भी उसको किस किया. हम दोनों में गर्मी बढ़ने लगी. कुछ देर बाद उसने मेरे सारे कपड़े निकाल दिए. मुझे भी लगने लगा था कि अब मैं जल्दी से चुद जाऊं.

उसने मेरे कपड़े निकालने के बाद अपने भी निकाल दिए. अब मैं सिर्फ पैन्टी में उसके सामने बेड पर चित लेटी थी. वो अपने लंड को मेरे सामने निकाल कर हाथ से आगे पीछे करने लगा. उसका लंड काफी सुन्दर दिख रहा था. एकदम लाल सुपारा अपनी चमक से मेरी आग को भड़का रहा था. उसके लंड का साइज यही कोई 6 इंच का था.

मैं भी उसके लंड को देख कर मन ही मन खुश होने लगी थी. साथ ही मैं अपनी चूचियों के निप्पलों को अपनी उंगलियों में दबा कर मींजने लगी थी. मेरी आंखों में वासना का खुमार चढ़ने लगा था. पर अभी भी मैं कुछ सोच रही थी कि कहीं इसके लंड का काम तमाम न जाए. मुझे पिछले अनुभव से अभी भी उसके लंड की ताकत को देखना था.

कुछ पल लौड़ा हिलाने के बाद वो मेरे पास आ गया. उसने मुझे किस किया और अपने होंठों में मेरी चुची को दबाकर चूसने लगा.
उसकी चूची चुसाई से मेरे मुँह से कामुक आवाजें निकलने लगी- आंआह … उन्हह … उई … इस्स … धीरे … आह मैं मर गयी.

उसने मेरी दोनों चूचियों को मन भर चूसा और मेरा हाथ अपने लंड पर रखवा दिया. मुझे उसका लंड बड़ा सख्त सा लगा. मैं उसके लंड को अपने हाथों से सहलाने लगी. उसने मेरी आंखों में अपनी आंखें डालीं और अपना लंड मेरे मुँह की तरफ बढ़ा दिया. मैंने खुद उसके लंड को पकड़ कर अपने मुँह की तरफ खींचा तो उसने मेरे मुँह में अपना लंड डाल दिया.

मैं उसके मस्त मोटे लंड को चूसने लगी. कुछ देर तक लंड चुसाने के बाद उसने मेरी चूत में लंड लगा दिया. वो मेरी चूत की फांकों में लंड का सुपारा घिसने लगा. मुझे इस वक्त बेहद आग लग चुकी थी और उसका कड़क लंड मुझे इस समय अपनी चूत की खुराक दिखने लगा था.

वो मेरी चूत में लंड डालने लगा. लेकिन चूत सील पैक थी और लंड मोटा था. इसलिए लंड चूत के अन्दर नहीं जा रहा था. वो बार बार इधर उधर फिसला जा रहा था. उसके लंड की बेबसी पर मैं हंस रही थी.

वो बोला- हंस मत यार … मुझे गुस्सा आ रहा है.
मैं बोली- तो निकाल दो अपना सारा गुस्सा मेरी चूत में … फट क्यों रही है?
उसने कहा- ठीक है … देखता हूँ कि किसी फटती है.

उसने मुझे फिर से पकड़ा. अपना लंड पकड़ कर चूत में लगाया और एक बार में ही पूरा लंड चूत में उतार दिया. मैं दर्द से तड़पने लगी और उसे मना करने लगी.

मैंने कहने लगी- उम्म्ह … अहह … हय … ओह … मर गई … निकाल लो … मुझे नहीं चुदाई करवाना … आह मेरी फट रही है.
लेकिन इस बार उसने मेरी एक न सुनी और लंड से चूत की चुदाई करता रहा. उसका लंड अन्दर तक पेवस्त हो गया था, जिससे मेरी सील टूट चुकी थी और मैं दर्द से आह भर रही थी.

वो मस्त सांड सा मेरी चूत में पिला पड़ा रहा. कुछ समय बाद मेरा दर्द कम हुआ और मैं भी उसका साथ देने लगी. वो मेरी चूची दबाते हुए मेरी चूत के चीथड़े उड़ाने में लगा था. जल्दी ही मैं निकल गई. मगर वो लगा रहा.

मेरे झड़ने के कोई दस मिनट बाद वो भी चरम पर आ गया. उसने मुझे कुछ कहा ही नहीं … बस सीधा मेरी चूत में अपना लावा निकाल कर मेरे ऊपर ढेर हो गया.
हम दोनों स्खलित हो चुके थे और एक दूसरे की बांहों में पड़े थे.

कुछ देर बाद मैं उठी और देखा तो बिस्तर पर खून ही खून के दाग लग गए थे. मैं घबराई, तो वो हंसने लगा.
फिर उसने मुझे समझाया कि तेरी सील टूट गई है … अब तू मजे लेने के लिए खुल गई है.

मुझे भी मजा आने लगा. मैंने सोचा कि अब खेल खत्म हो गया है. मगर कुछ देर बाद उसका लंड फिर से खड़ा हो गया. मैं हैरान थी कि इसका लंड तो फिर से खड़ा हो गया.
मैंने उससे पूछा- अब ये कैसे खड़ा हो गया?

उसकी समझ में नहीं आई, तो उसने मुझसे पूछा- ये खड़ा क्यों नहीं हो सकता?
मैं चुप थी, उससे कह भी नहीं सकती थी कि पिछली बार क्या हुआ था.

मैंने कुछ नहीं कहा … बस मुस्कुरा दी. उसने मुझे फिर से लंड चूसने के लिए कहा. मैंने लंड चूसा तो वो फिर से एकदम लोहा बन गया. मेरी समझ में आ गया कि लंड में दम हो, तो वो कितनी ही बार खड़ा हो सकता है.
उस दिन हम दोनों ने चार बार चुदाई की. मैं आज पूरी तरह से तृप्त हो गई थी.

इसके बाद उसने मुझे कई बार चोदा और हर बार उसने मुझे चोद कर मस्त कर दिया.

तो दोस्तो, यह थी मेरी चूत स्टोरी! आपको कैसी लगी, मुझे जरूर बताइएगा. आप अपनी राय मुझे ईमेल कीजिये.

Monday, 25 September 2023

पोर्न स्टोरी हिंदी: सगाई टूटी तो …

 

मेरी पोर्न स्टोरी हिंदी में पढ़ें कि कैसे मेरी सगाई हुई और टूट गयी. एक दिन मुझे वही लड़की मिली तो हमने बात की और वो मेरे कमरे पर आ गयी. उसके बाद क्या हुआ?

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम मंसूफ़ अली है. यह मेरी पहली पोर्न स्टोरी हिंदी भाषा में है, मैं आशा करता हूँ कि आप लोगों को मेरी पोर्न स्टोरी पसंद आएगी. चूंकि पहली बार लिख रहा हूँ, मुझसे लिखने में कोई गलती हो जाए, तो प्लीज़ माफ़ कर देना.

मैं गुजरात में दाहोद में रहता हूँ और मैं अभी 29 साल का हूं. मैं सेक्स का खूब दीवाना हूं. मेरी पोर्न को लेकर दीवानगी का आलम ये है कि जब तक मैं सेक्स ना कर लूं, तब तक मुझे चैन नहीं मिलता है. मैं डेढ़ से दो घंटे तक लगातार चुदाई बड़ी आसानी से कर लेता हूं. हो सकता है कि मेरे कुछ साथियों को मेरी ये बात कुछ फेंकालॉजी लगे, मगर ये सही बात है. मुझे पोर्न स्टोरी हिंदी में पढ़ने का भी शौक है.

मैंने आज तक जिस भी लड़की या औरत के साथ सेक्स किया है … वो मेरी दीवानी हो गई है. क्योंकि मेरा लंड ही ऐसा है कि सब इस बेजोड़ लंड से अपनी चूत चुदवा कर इसकी दीवानी और मस्तानी हो गई हैं.

ये बात उन दिनों की है. जब मेरी सगाई हुई थी … जो कुछ ही दिनों में टूट चुकी थी. कारण ये रहा कि मेरे अम्मी अब्बू को लड़की कुछ समझ में नहीं आई … और इसी लिए मेरी उससे सगाई टूट गई थी.
ये सगाई सिर्फ दस बारह दिन ही रही थी. इस बीच में हम दोबारा नहीं मिले थे.

मैं ड्राइविंग करता हूं और मुझे कहीं भी जाना पड़ता था. मेरा काम ही ऐसा है कि मैं अपने इस काम के लिए कहीं भी कभी भी चला जाता हूं. अपने काम के चलते मैं अपने अम्मी अब्बू से दूर रहता हूँ. मेरे अम्मी अब्बू दूसरे शहर में रहते हैं. मेरे घर पर मैं अकेला ही रहता हूं.

एक दिन मैं कार लेकर ड्यूटी पर गया हुआ था. मैं अमदाबाद गया हुआ था. अमदाबाद में मैं जिस जगह पर था. उधर वो ही लड़की मुझे दिखाई दी, जिस लड़की से मेरी सगाई होकर टूट गई थी. वो भी उधर आई हुई थी. हालांकि मुझे पहले से नहीं पता था कि वो भी यहां आई हुई है.

आज ये वाकिया सगाई टूटने के करीब तीन महीने बाद का था, जब मुझे वो लड़की मिली थी. उसका नाम परी (नाम बदला हुआ) था.

वो मुझे देखते ही मेरे पास आ गई और हाथ मिला कर मेरे पास बैठ गई. हमने ढेर सारी बातें की. बातें करते करते कब वक्त निकल गया, पता ही नहीं चला. फिर हमने साथ ही खाना खाया और उसकी फ्रेंड से भी मिला. उस पूरे दिन हम घूमे फिरे.

वो देखने में ठीक ठाक थी. उसका साइज़ करीब 32-28-30 का था.

शाम को उसने मेरे घर आने की इच्छा जताई. तो मैंने कुछ इंतजाम किया और उसे मैंने अपने शहर जाने वाली बस में बिठा दिया. मैंने उससे कहा कि तुम मेरे घर पहुंचो, मैं सवारी छोड़ कर कार लेकर सीधा घर आ जाऊंगा.

जब वो बस में बैठी, तब शाम के करीब छह बज चुके थे. वो रात को 11 बजे के करीब मेरे घर पर पहुंच चुकी थी. मैं भी लगभग उसी समय घर आ गया था.

मैंने उसे अपने घर का पता बता दिया था. वो उधर पहुंच गई और उसने मुझे फोन किया, तो मैं उसे रात को अपने ले आया.

मैं उस दिन बाहर से खाना लेकर आया था. हम दोनों ने मिलकर रात को खाना खाया और बातें करना शुरू कर दीं.
उसकी बातों से मुझे लग रहा था कि वो मुझमें कुछ ज्यादा ही रूचि दिखा रही थी. उसने मुझसे कहा भी कि मैंने तुमको उस समय पसंद कर लिया था.

हम दोनों ने काफी देर तक इधर उधर की बातें की और टीवी देखते रहे. फिर रात को मैंने उससे सोने को कहा और हम दोनों बेडरूम में जाने लगे.

मेरे इस घर में एक ही बिस्तर था. हम दोनों बिस्तर पर आ गए और लेट कर बातें करने लगे. अचानक वो मुझसे चिपक कर सोने लगी.

मैंने उसकी तरफ देखा, तो उसने कहा- हमारी शादी नहीं हुई, तो क्या हुआ. हम सुहागरात तो मना ही सकते हैं ना!
मुझे क्या दिक्कत थी. मेरी तो मानो लॉटरी लग गई थी. मैं तो जैसे उसके कहने का ही इंतजार कर रहा था.

मैंने उसको चूमना शुरू किया और सीधे अपने होंठ उसके गुलाबी होंठों पर रख कर उसे चूसने लगा. परी भी मेरा साथ देने लगी और मेरे होंठ चूसने लगी.

करीब दस मिनट तक हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसते रहे. होंठों की चुसाई से हम दोनों ही गर्म हो उठे थे. मैं और धीरे धीरे नीचे की ओर बढ़ा और बढ़ता ही गया. ऊपर मैं उसकी गर्दन पर चुम्मी लेते हुए उसकी चूचियों को चूसने लगा.

परी और भी ज्यादा मदहोश होने लगी और उसके मुँह से वासना से भरी हुई सिसकारियां निकलने लगीं- ओह … उन्ह … ऊंह और जोर से चूसो मेरे राजा … आह … ऐसे ही … आह … मजा आ रहा है.
वो मस्ती से करहाने लगी थी.

मैंने अब उसके धीरे धीरे सारे कपड़े निकालने चालू कर दिए. उसने टी-शर्ट और इजार पहनी हुई थी. फिर मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और फिर से परी को चूमने लगा.

कुछ देर तक ये चूमाचाटी और सहलाने का सिलसिला चलता रहा. तभी मैंने परी का एक हाथ अपने लंड पर महसूस किया. उसका हाथ मेरे लंड पर जैसे ही पड़ा, मेरी गर्मी एकदम से बढ़ गई.

उसका दूसरा हाथ धीरे धीरे मेरे बदन पर और मेरे सिर के बालों पर चलने लगा. नीचे उसने मेरे लंड को सहलाना चालू कर दिया था. वो मेरे लंड को खींचने लगी थी.

मेरा लंड पूरा नपा तुला आठ इंच लंबा और इंची टेप से लंड की गोलाई नापी जाए, तो ये पांच इंच मोटा है.

वो हाथ में मेरा लंड महसूस करके बोलने लगी- या अल्लाह … कितना लंबा और मोटा है. मैं तो आज़ तक ऐसे लंड से चुदी ही नहीं हूं.
उसकी इस बात से मुझे समझ आ गया कि बंदी इससे पहले भी चुद चुकी है. फिर मैंने सोचा मां चुदाए … अपने को तो चूत मिल रही है … बस मजा लो … और मैं कौन सा दूध का धुला हूँ … मैंने भी कईयों की चूत बजाई है.

ये सोचने के बाद मैंने परी को मेरा लंड चूसने का इशारा किया. वो झट से तैयार हो गई, मानो उसे इसी बात का इंतज़ार था. मेरा लंड उसके मुँह में घुस गया और अब मैं सिसकारियां भर रहा था.

लंड का चुसाई समारोह शुरू हुआ तो मैं तो सातवें आसमान में पहुंच चुका था. क्या मस्त रंडी की तरह लंड चूस रही थी … आह मैं क्या बताऊं आपको. वो तो आपका लंड किसी के मुँह से चुसे न, तब आपको लंड चुसाई के मजे का अंदाजा हो सकता है.

परी तो ऐसे लंड चूस रही थी, मानो वो मेरा लंड खा जाना चाहती हो. मुझे भी जन्नत का मज़ा आ रहा था.

करीब दस मिनट लंड चूसने के बाद मैंने परी को उठाया और उसे लिटा कर हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए. अब मैं परी की चूत चाट रहा था और चूस रहा था और परी मेरा लंड चूस रही थी.

मैंने जैसे ही परी की चूत में अपनी जीभ घुसाई, उसको तो जैसे करेंट लग गया हो … वो मस्ती से चिल्लाने लगी- आह … अब नहीं रहा जाता … घुसा दो … मेरी चूत में अपना लंड … फाड़ दो इसे … चोदो मुझे चोदो.
वो चिल्लाते हुए झड़ गई.

इसके बाद मैंने फिर से परी की चूचियों को मसलना और चूसना शुरू किया और परी तुरंत चुदाई की पोजीशन बना कर ऐसे लेट गई, जैसे सदियों से चुदने के लिए भूखी हो.

मैंने अपना लम्बा और गज़ब के मोटे लंड से परी की चूत के दरवाज़े पर दस्तक दी और हल्का सा झटका दिया. उसकी चूत एकदम रस से भीगी हुई थी, मेरे लंड का सुपारा फक से अन्दर घुस गया.

लंड घुसते ही परी के मुँह से ‘आह मर गई..’ निकल गई. मैंने एक और झटका लगा दिया. इस बार मेरा आधे से ज्यादा लंड अन्दर घुस गया.

वो मेरा लंड नहीं सह पा रही थी, इसलिए उसके मुँह से चीखें निकलने लगीं- उम्म्ह … अहह … हय … ओह … मैं मर गई … बहुत मोटा है … मेरी फट जाएगी … बस अब इसे निकाल लो … मुझे नहीं चुदना.
ये कहते हुए ही परी की आँखों से आँसू निकलने लगे.

वो दर्द करहाते हुए कहने लगी और मुझसे चिरौरी करने लगी- आह … बहुत दर्द हो रहा है … निकाल लो इसे … कमीने निकाल जल्दी से … मेरी चूत फट गई है … लंड बाहर निकाल … आह तेरा लंड है कि क्या है!

पर मैं कहां मानने वाला था. मैंने उसकी चिल्लपौं अनसुनी की … और एक और ज़ोरदार झटका लगा दिया. इस बार मेरा पूरा लंड परी की चूत में अन्दर तक घुस गया था.

वो एकदम से चीख पड़ी, मुझसे छूटने की कोशिश करने लगी. मगर मैंने उसे अपनी बांहों में जकड़े रखा. मैं रुक गया और उसकी चूत की गर्मी से अपनी लंड की फुंफकार को शांत करने लगा. कुछ पल बाद उसे भी कुछ ठीक लगने लगा.

अब मैं धीरे-धीरे झटके लगाने लगा और वो मादक सिसकारियां लेने लगी. मैं भी अब कहां रुकने वाला था. मैंने उसकी कमर को जकड़ लिया और जोर जोर से उसे चोदने लगा.

करीब दस मिनट तक झटके लगाते लगाते ही परी को भी मज़ा आने लगा और वो भी अपनी कमर उछाल उछाल कर मेरा साथ देने लगी.

अब वो मस्ती से सिसकारियां लेने लगी थी- उम्म्म … आह … उम्मम … ओहह
मैंने अपने झटकों की स्पीड और बढ़ा दी. कोई बीस मिनट की धकापेल चुदाई के बाद परी ने मुझे अपने शरीर से जकड़ लिया और झड़ गई. लेकिन मेरा अभी बाकी था. मैं उसे चोदता रहा.

करीब एक घंटे की इस दमदार चुदाई में परी न जाने कितनी बार झड़ी होगी. मैं उसे अलग अलग पोजीशन में चोदता रहा. उसको चूत में जलन होने लगती, तो मैं उसकी चूत से लंड खींच कर उसके मुँह में दे देता था. फिर कुछ पल बाद उसकी पोजीशन बदल कर फिर से चोदने लगता.

फिर एक घंटे की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद आखिर मेरा लंड झड़ने वाला हो गया था. मैंने परी की चूत में ही लंड का सारा पानी निकाल दिया.

ऐसे ही मैंने उसे रात को तीन बार चोदा और लगभग चार घंटे तक चोदा. इस बीच उसने न जाने कितनी बार पानी छोड़ दिया होगा … कुछ मालूम ही नही चला.

लंबी चुदाई के बाद उसे बुखार चढ़ गया. वो बेसुध हो गई. मैंने उसे अपनी बांहों में ले लिया. फिर हम दोनों चिपक कर सो गए.

सुबह जब हम लोग उठे … तो बाथरूम में जाकर नहाया. उस दिन हम दोनों ने कई और बार चुदाई के मज़े लिए.

उसके बाद हम दोनों न जाने कितनी और बार मिले … हमारे बीच मस्त रिश्ता बन गया था. वो मेरी दीवानी हो गई थी. उसने मेरे साथ किस किस तरह से सेक्स किया … वो मैं आप सबको अगली बार बताऊंगा. आप मुझे मेल करके अपने विचारों को लिखिएगा … ताकि मैं अपनी दूसरी पोर्न स्टोरी हिंदी लिख सकूं.

Sunday, 24 September 2023

हॉट भाभी की गांड मार ली

 

मेरी पड़ोसन भाभी पटाखा माल लगती थी मुझे. हॉट भाभी की गांड को देख कर अक्सर मैं उसकी गांड चुदाई करना चाहता था. मैंने कैसे भाभी की सेक्सी गांड मारी?

सभी दोस्तों को मेरा नमस्कार.
मैं पड़ोसन भाभी की गांड चुदाई की कहनी आपने सामने ला रहा हूँ. एक लेखक के रूप में अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है लेकिन मैं काफी समय से इसकी कहानियों को पढ़ कर ही मजा ले रहा था. इसलिए मैंने सोचा कि आप लोगों के साथ आज मैं अपनी कहानी बताऊं.

अब मैं आपका ज्यादा समय न लेकर आपको सीधे कहानी की तरफ लेकर चलता हूं. उससे पहले मैं अपना संक्षिप्त परिचय देना चाहूंगा ताकि कहानी को समझने में आपको कोई दिक्कत न हो.

मेरा नाम विकी सेठ है और मैं जयपुर से हूं. मेरी उम्र 24 साल है. यह कहानी पड़ोस में रहने वाली मेरी भाभी की है. भाभी के साथ उसका पति ही उस मकान में रह रहा था जिसको मैं भैया कह कर बुलाता था. भैया एक निजी कंपनी में काम करते हैं जबकि भाभी परीक्षा की तैयारी कर रही थी उस समय.

भाभी का फिगर बहुत ही कातिलाना है. उनके बूब्स का साइज 34B और उसका पिछवाड़ा 36 का है. उनकी कमर बिल्कुल पतली सी है. ज्यादा से ज्यादा 28 ही होगा भाभी की कमर का माप.

मेरी भाभी की गांड इतनी सेक्सी है कि जब वो चलती है तो उसको हर कोई देखने लग जाता है. मैं भी उसको देख कर ऐसे मचल जाता था कि अगर इसकी गांड चोदने के लिए मिल जाये तो बस मजा ही आ जाये.

मैं रोज भगवान से यही दुआ मांगता था कि एक बार बस भाभी को चोदने का मौका मिल जाये. एक दिन मेरी यह प्रार्थना स्वीकार भी हो गयी जब मुझे भाभी की चुदाई करने का मौका मिल गया.

उस दिन भाभी का कोई एग्जाम था. एग्जाम का सेंटर घर से 15-20 किलोमीटर की दूरी पर था. चूंकि भाभी के घर में मेरे भैया यानि कि उनके पति के अलावा कोई नहीं था तो इसलिए उन्होंने मुझे भाभी को एग्जाम सेंटर तक छोड़ने के लिए कह दिया. भैया को उस दिन किसी मीटिंग में जाना था.

जब उन्होंने मुझे यह बात बताई कि मुझे ही भाभी को एग्जाम के लिए लेकर जाना है तो मेरे मन में तो जैसे लड्डू फूटने लगे थे. मैं तो बहुत दिनों से इस मौके की तलाश में था कि भाभी के साथ कुछ करने का मौका मिल जाये. आज वह मौका मेरे पास आता हुआ मुझे दिखाई दे रहा था.

मैं जल्दी से तैयार होकर भाभी के घर चला गया. भैया ने मुझे कार की चाबी दे दी. उन्हीं की कार में मैं भाभी को लेकर एग्जाम सेंटर के लिए लेकर चल पड़ा. चलते हुए मेरे और भाभी के बीच में बातें होना शुरू हो गईं.

रास्ते में बातें करते हुए मैंने बहाने से भाभी से उनकी सेक्स लाइफ के बारे में पूछने की कोशिश की. भाभी की बातों से मुझे पता लग रहा था कि भाभी को अपनी सेक्स लाइफ में कुछ संतुष्टि नहीं मिल पा रही है. इस वजह से मेरा काम मुझे और आसानी से होता हुआ दिखाई दे रहा था.

कुछ टाइम के बाद हम एग्जाम सेंटर में पहुंच गये. भाभी परीक्षा देने के लिए चली गई. दो घंटे की परीक्षा थी तो मैं गाड़ी में बैठा हुआ बोर होने लगा. मैंने सोचा कि बाहर उतर कर थोड़ा टहल लेता हूं. फिर कुछ देर के बाद मुझे पेशाब लगा तो मैंने यहां-वहां देखा कि कोई जगह मिल जाये.

सामने ही एक दूसरा स्कूल था. वहां पर टॉयलेट बना हुआ था. मैं वहां पर चला गया. अंदर जाकर देखा तो वहां पर दो लड़के पहले से ही मौजूद थे. उस दिन छुट्टी का दिन था और वो लोग वहां पर आये हुए थे क्योंकि स्कूल उन्हीं के पिताजी का था.

मेरी उनसे बात हुई तो पता चला कि उनका नाम सोनू और मोनू है और वो स्कूल के मालिक के बेटे हैं. दोनों की उम्र मेरे बराबर यानि कि 25-26 के करीब थी. थोड़ी ही देर में उनके साथ हंसी मजाक होने लगा और हम तीनों की आपस में अच्छी जमने लगी. वो लोग भी मेरे ही टाइप के थे. काफी मजाकिया और दिल खोल कर बात करने वाले.

जल्दी हम तीनों में दोस्ती हो गई. फिर ऐसे ही करते-करते हमारे बीच में सेक्स की बातें भी होने लगीं. वो कहने लगे कि रंडी की चुदाई करके तो मन भर गया है. अब तो लंड किसी देसी माल के लिए भूखा है जो घरेलू हो. मैं उनका मकसद समझ गया. वो किसी भाभी या आंटी की चूत चुदाई की फिराक में थे.

मेरे दिमाग ने वहीं पर काम करना शुरू कर दिया. मैं कहने लगा कि मैं तुम लोगों के लिए एक जुगाड़ करवा सकता हूं लेकिन उसमें थोड़े पैसे लगेंगे. मेरे पूछने पर वो कहने लगे कि यार तू जितना कहेगा हम देने के लिए तैयार हैं लेकिन माल मस्त होना चाहिए.

मैंने कहा- ठीक है, दस हजार में ऐसी चूत दिलवा दूंगा कि तुम हमेशा मेरा अहसान नहीं भूलोगे.
वो दोनों बोले- सच में? दिलवा यार, अब देर किस बात की है?
उनके अंदर चूत चुदाई की प्यास ऐेसी लगी थी कि वो आराम से दस हजार रूपये देने के लिए तैयार हो गये.

तब तक एग्जाम भी खत्म हो गया था और मैं भाभी को लेने के लिए चला गया. मैंने सोनू और मोनू को बोल दिया था कि वो लोग कुछ देर मेरा इंतजार करें. इतना कह कर मैं भाभी को लेने के लिए चला गया. एग्जाम देने के बाद भाभी बाहर आ गयी.

बाहर आने के बाद मैंने भाभी को जूस पिलाया. भाभी से पूछा कि उनका एग्जाम कैसा गया?
तो भाभी बोली- ठीक ही गया है.

फिर हम दोनों गाड़ी में बैठ गये. गाड़ी में बैठने के बाद मैंने भाभी के हाथ पर हाथ रखा और बोला- भाभी, अगर बुरा न मानो तो मैं कुछ कहना चाहता हूं.

वो बोली- क्या बात है? कहो.
मैंने कहा- मैं जानता हूं कि आपकी और भैया की सेक्स लाइफ कुछ ठीक नहीं चल रही है. लेकिन आप इस तरह से कब तक अपनी फीलिंग्स को मारती रहोगी.
अगर आप बुरा न मानो तो मैं आपके लिए इंजॉय करने का जुगाड़ कर सकता हूं. आपको उसमें पैसे भी बहुत मिल जायेंगे.

भाभी बोली- पागल हो गये हो क्या तुम? मैं तुम्हें धंधे वाली लग रही हूं?
भाभी ने गुस्से से कहा.

लेकिन मैंने बात को संभालने की कोशिश की और भाभी को अपने झांसे में लेने की कोशिश करने लगा.
मैंने कहा- नहीं भाभी, मैंने ऐसा कब कहा! मैं तो बस आपको खुश देखना चाहता हूं. अगर आपको खुशी के साथ ही पैसा भी मिल जाये तो क्या बुरी बात है.
भाभी ने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया.

मैंने फिर से कोशिश करते हुए कहा- देखो, औरत की इच्छाएं अगर पूरी न हों तो फिर ऐसे रिश्ते के बारे में ज्यादा क्या सोचना. मैं तो आपको यही कहूंगा कि अगर आपको मौका मिल रहा है मजे लेने का तो उसको हाथ से क्यों जाने दे रही हो. साथ ही साथ आपको पैसा भी मिल रहा है. वो भी पूरे दस हजार!

जब मैंने पैसे की बात बताई तो भाभी ने मेरी तरफ हैरानी से देखा.
फिर कुछ सोच कर बोली- लेकिन किसी को पता चल गया तो?
मैंने कहा- किसी को पता नहीं चलेगा. ये बात आप मुझ पर छोड़ दो.
वो बोली- ठीक है, लेकिन कुछ गड़बड़ नहीं होनी चाहिए.
मैंने कहा- आप बिल्कुल चिंता मत करो.

फिर भाभी बोली- लेकिन इतने पैसे देगा कौन?
मैंने कहा- वो सब बात मैंने कर ली है. लेकिन आपको मुझे भी खुश करना होगा.
वो बोली- तुम तो घर जैसे ही हो. तुम्हारे साथ मुझे कोई दिक्कत नहीं है लेकिन जो बाहर वाले हैं वो कौन हैं?
मैंने कहा- मेरे दोस्त हैं. अभी वो यहीं पर हैं. अगर आपकी मर्जी तो हम चलें अभी?

वो बोली- ठीक है.
इतना सुनने के बाद मैंने भाभी को कार से नीचे उतरने के लिए कहा और कार को लॉक कर दिया. फिर हम दोनों स्कूल में चले गये जहां पर सोनू और मोनू मेरा इंतजार कर रहे थे.

जब सोनू और मोनू ने भाभी को मेरे साथ देखा तो उनकी आंखों में हवस की एक चमक सी आ गई. दोनों के मुंह से लार टपक रही थी जैसे. उसके बाद मैं अपने दोस्तों के पास गया और एक तरफ जाकर हमने कुछ बात की.

उसके बाद मैं भाभी के पास वापस आ गया. भाभी को लेकर हम तीनों ही स्कूल के वेटिंग हॉल की तरफ चल दिये. वहां पर जाकर देखा कि छोटे-छोटे दो बेड डाले गये थे. उस हॉल में सेफ्टी भी थी और किसी को कुछ पता नहीं चलने वाला था कि अदंर क्या हो रहा है.

अंदर जाने के बाद हमने मेन डोर को बंद कर दिया और उसके बाद दोनों छोटे बेड को मिला कर एक कर दिया. अब एक बड़ा बेड बन गया था. हम चारों वहां पर बैठ कर बातें करने लगे. कुछ देर यहां-वहां की बातें हुईं.

मैं देख रहा था कि सोनू और मोनू भाभी को ऐसी निगाहों से देख रहे थे जैसे उसको अभी कच्ची ही चबा लेंगे. फिर उन्होंने भाभी के कन्धे पर हाथ रख दिया. यह इस बात का इशारा था कि अब उनसे और इंतजार नहीं हो रहा है. भाभी मेरी तरफ देख कर मुस्कराने लगी.

उसके बाद हमने भाभी को बेड के बीच में बैठा दिया. वो दोनों भाभी के चूचों पर टूट पड़े. उनको कमीज के ऊपर से दबाने और मसलने लगे. ऐसा लग रहा था जैसे भूखे शेरों के सामने कोई मांस का टुकड़ा डाल दिया गया हो. कभी भाभी की गर्दन को चूम रहे थे तो कभी उसको बांहों में भर रहे थे.

यह देख कर मेरा लंड भी टनटना गया. अब सोनू ने भाभी के होंठों को चूसना शुरू कर दिया. तब तक मोनू ने उसकी कमीज को ऊपर कर दिया. भाभी ने उनका साथ देते हुए अपनी कमीज को हाथ ऊपर करते हुए निकलवा दिया.

लाल रंग की ब्रा में भाभी का गोरा जिस्म अब हम तीनों के सामने था. उनकी ब्रा से उनके चूचे बाहर ही गिरने वाले थे. बहुत बड़े चूचे थे मेरी सेक्सी भाभी के. उनको देख कर ऐसा लग रहा था कि इनको जबरदस्ती ब्रा में ठूंसा गया है. वो दोनों बाहर निकलने के लिए बेताब नजर आ रहे थे.

तभी सोनू ने भाभी की ब्रा को जोर से खींच दिया. चट्ट की आवाज के साथ गर्म भाभी की ब्रा के हुक टूट गये और मोनू ने उसकी ब्रा को उसके चूचों के ऊपर से हटा दिया. भाभी ऊपर से नंगी हो गई और उसके चूचे हवा में झूल गये.

चूचे बाहर आते ही वो दोनों उन पर टूट पड़े और उसको दबाने और चूसने लगे. एक चूचे को सोनू ने मुंह में ले लिया और दूसरे को मोनू ने. वो नजारा देख कर ऐसा लग रहा था कि वो दोनों मेरी भाभी के बोबों का दूध पीने में लगे हुए हैं जैसे कोई बच्चा अपनी मां के चूचों से लिपटा हुआ होता है.

मेरी हालत खराब हो रही थी. मैं एक तरफ बैठ कर ये सब देख रहा था और अपनी बारी आने का इंतजार कर रहा था. मेरा लंड मेरी पैंट में उधम मचा रहा था. मैंने उसको तब तक अपनी पैंट के ऊपर से ही सहलाना शुरू कर दिया था क्योंकि सामने का नजारा इतना कामुक था कि मुझसे भी रुकना मुश्किल हो रहा था.

कुछ देर तक भाभी के चूचों को चूसने के बाद उन्होंने भाभी को लिटा दिया और भाभी की सलवार का नाड़ा खोल दिया. सलवार को निकाला तो भाभी की गोरी जांघों में फंसी हुई नीले रंग की पैंटी दिखाई देने लगी. उन लोगों ने पैंटी को अगले दो पल में खींच कर भाभी को पूरी नंगी कर दिया.

अब हॉट भाभी उन दोनों के बीच में पूरी तरह से नंगी लेटी हुई थी. फिर उन्होंने भाभी को बेड से नीचे उतार लिया और खड़ी कर लिया. वो दोनों भाभी के जिस्म से लिपटने लगे. मोनू ने भाभी के चूचों को हाथों में भर लिया और सोनू ने पीछे भाभी की गांड को दबाना शुरू कर दिया.

उन दोनों के बीच में खड़ी हुई नंगी भाभी सेंडविच के जैसे लग रही थी. फिर उन दोनों ने अपने कपड़े उतार और पूरे के पूरे नंगे हो गये. अब तीनों के तीनों नंगे होकर एक दूसरे के जिस्म से लिपटने लगे. उन दोनों के लंड एकदम से तन कर भाभी के जिस्म में जैसे घुसने को बेताब लग रहे थे.

अब उन्होंने दोबारा से भाभी को बेड पर लिटा दिया और मोनू भाभी की चूत को चाटने लगा. जबकि सोनू ऊपर की तरफ जाकर भाभी के मुंह पर अपना लौड़ा मसलने लगा. फिर उसने भाभी के मुंह को खुलवाकर अपना लंड भाभी के मुंह में दे दिया और सिसकारियां लेते हुए अपना लंड चुसवाने लगा.

भाभी भी हॉट हो चुकी थी और उसके लंड को मजे से चूस रही थी क्योंकि नीचे से भाभी को चूत चटवाने का मजा भी साथ में ही मिल रहा था. उसके बाद दोनों ने पोजीशन बदल ली. अब पहले वाला लंड चुसवाने लगा और ऊपर वाला नीचे आकर भाभी की चूत को चाटने लगा. भाभी बेड पर तड़प रही थी.

मैं भी भाभी की गांड मारने के लिए उस सुनहरे पल का इंतजार कर रहा था. लेकिन अभी पहले सोनू और मोनू को फारिग होना था. इसलिए मैं बड़ी मुश्किल से अपने आपको रोक कर रखे हुए था.

कुछ देर तक दोनों ने भाभी के नंगे जिस्म को खूब चूसा चाटा और अपना लंड भी चुसवाया. फिर मोनू ने भाभी को नीचे लेटते हुए अपने लंड पर बैठने के लिए कहा. मोनू नीचे आ गया और भाभी ने अपनी टांगों को फैलाते हुए मोनू के लौड़े को अपने हाथ में लिया और उसके लंड पर बैठती चली गई.

इधर सोनू ने भाभी के मुंह में लंड को ठूंस दिया. एक तरफ गर्दन घुमा कर भाभी सोनू के लंड को चूसती हुई मोनू के लंड पर कूदने लगी. अब मैं भी नंगा होना शुरू हो गया क्योंकि अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था.

मैंने अपने सारे कपड़े निकाल दिये और अपने लंड को हिलाने लगा. फिर मैं भी बेड पर चढ़ गया. अब मोनू ने भाभी को अपने ऊपर लेटा लिया. भाभी के बड़े-बड़े नंगे चूचे मोनू की छाती से जा सटे. मोनू के सिर के पास सोनू चला गया और उसने वहां बैठ कर भाभी को लंड चुसवाना शुरू कर दिया.

अब भाभी की मोटी गांड मेरे सामने ऊपर की तरफ उठ गई थी. मुझे इसी पल का इंतजार था. मैंने भाभी की गांड अपने हाथों से मसला और कस कर तीन-चार बार दबाया. फिर अपने लंड पर थूक लगा कर भाभी की गांड के छेद पर भी थूक मल दिया.

भाभी समझ गई कि उनकी गांड को चोदने की तैयारी हो चुकी है इसलिए वो उठने लगी लेकिन सोनू ने भाभी के सिर को पकड़ लिया और अपने लंड पर दबाते हुए उसको लंड चुसवाता रहा. मैंने पीछे भाभी की गांड के छेद पर लंड लगाया और उसकी गांड में लंड को धकेल दिया. भाभी ने दर्द के मारे सोनू के लंड पर दांत गड़ा दिये लेकिन सोनू ने लंड नहीं निकाला मैंने पूरा जोर लगा कर भाभी की गांड में लंड को उतार दिया.

आह्ह … भाभी की गुदाज गांड में लंड गया तो मजा आ गया. इतना मजा मुझे कभी महसूस नहीं हुआ था. मैंने धीरे-धीरे अब भाभी की गांड को मसलते हुए उसकी गांड में लंड को चलाना शुरू किया. नीचे से मोनू का लंड भाभी की चूत में जा रहा था. आगे से भाभी के मुंह में सोनू का लंड था.

तीन लंड अपने तीनों छेदों में लेकर भाभी शायद गांड चुदाई के दर्द को भी भूल गई थी. अब वह भी तीनों लंडों का मजा लेने लगी. कुछ ही देर में मोनू का वीर्य भाभी की चूत में निकल गया और वो नीचे से हट गया. अब उसकी जगह सोनू लेट गया और उसकी चूत चुदाई करने लगा.

मुझे भाभी की गांड चोदते हुए काफी देर हो चुकी थी और अब मेरा माल भी निकलने वाला था. मैंने तीन-चार जबरदस्त झटके भाभी की गांड में देते हुए अपना माल उसकी गांड में छोड़ दिया. फिर दो मिनट के बाद सोनू ने भी भाभी की चूत को उछल-उछल कर चोदते हुए उसकी चूत को अपने वीर्य से भर दिया.

तीनों ने ही भाभी के छेदों में अपना वीर्य निकाल दिया था. जब भाभी उठी तो उसकी चूत और गांड से वीर्य टपक रहा था. हम तीनों अभी भी हांफ रहे थे. मैं पीछे सोफे पर जाकर गिर गया. वो दोनों भाभी के साथ वहीं बेड पर पड़े हुए थे.

कुछ देर के बाद सब कुछ जब सामान्य हो गया तो हम लोग उठे और अपने अपने कपड़े पहनने लगे. कपड़े पहनने के बाद सोनू और मोनू ने अपने वादे के मुताबिक हमें दस हजार रूपये दे दिये. हम पैसे लेकर बाहर आ गये. भाभी के चेहरे पर एक संतुष्टि और खुशी दिख रही थी.

मैं भी हॉट भाभी की गांड चोद कर खुश हो गया था. उसके बाद हम गाड़ी में आकर बैठ गये. भाभी और मैं फिर वहां से निकल गये. फिर रास्ते में मैंने भाभी को फिर से अपना लंड चुसवाया और गाड़ी में ही उसकी चूत चोदी. भाभी को बुरी तरीके से थका दिया था उस दिन तीन लौड़ों की चुदाई ने.

उसके बाद कई बार भाभी ने मौका पाकर मुझसे अपनी चूत मरवाई और मैंने भी भाभी के पूरे मजे लिये. जब भी भैया घर पर नहीं होते थे या फिर भाभी और मुझे बाहर जाने का अवसर मिलता तो हम पूरे मजे लेने लगे थे.

दोस्तो, मेरी इस हॉट भाभी की गांड चुदाई कहानी में आपको मजा आया या नहीं … मुझे बतायें. कहानी के बारे में अपनी राय भी भेजें.

Saturday, 23 September 2023

मेरी दीदी सेक्स की प्यासी-2

 आपने पढ़ा कि कैसे मैंने दीदी को अपने और सुनील के साथ सेक्स के लिए राज़ी किया।
आज आप पढ़ेंगे कि कैसे मैंने दीदी की प्यासी जवानी को चोदा और अपने कुछ दोस्तों से चुदवाया।
अब शुरू करते हैं।

अब मैं झड़ चुका था पर दीदी को गर्म करना भी जरूरी था। मैं तो अब दीदी की चूत देखना चाहता था। अब मैंने दीदी की सलवार खोल दी। दीदी ने काले रंग की पैंटी पहनी थी। जो कि गीली हो गयी थी। इससे मुझे पता चल गया कि दीदी भी मजे ले रही है और मेरा लण्ड लेने के लिए तैयार हो गई है।

अब मैंने अपनी दीदी की पैंटी भी खोल दी। मेरी दीदी की चूत एकदम साफ थी; चूत पर एक भी बाल नहीं था।
मैंने दीदी से कहा- दीदी आपकी चूत बहुत प्यारी है। अब समझ में आया कि सुमित आपको इतना प्यार क्यूँ करता है।

अब मैंने दीदी की चूत को सूंघा। दीदी की चूत से बहुत मोहक खुशबू आ रही थी। पहले मैंने दीदी की चूत को अपने हाथों से सहलाया; निशा दीदी की चूत को महसूस किया, फिर मैंने अपनी जीभ निकली और दीदी की चूत में डाल दी और ऊपर-नीचे, अंदर-बाहर करने लगा।

मुझे बहुत मजा आ रहा था और दीदी तो उम्म्ह… अहह… हय… याह… अरे … आह … आई … ओह … कर रही थी और मदहोश हो गयी थी। दीदी ने अपनी आँखें बंद कर ली थी और उस पल का आनंद ले रही थी।
10 मिनट तक मैंने दीदी की चूत चाटी। अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था। मेरा लौड़ा फिर से सलामी देने लगा था। अब मेरा लण्ड निशा दीदी की गुफ़ा में जाने के लिए बेसब्र था।

मैंने दीदी की तरफ देखा तो दीदी मेरी तरफ देख रही थी। दीदी सेक्स के आतुर दिख रही थी. ये वो पल था जिसका मैं सालों से इंतज़ार कर रहा था। अब मैंने अपना लण्ड दीदी की प्यारी सी चूत पर रखा और रगड़ा। इससे दीदी और मैं मदहोश हो गए।

दीदी ने अपनी आँखें बंद कर दी और मेरे लौड़े के उनकी चूत के अंदर जा के तबाही मचाने का इंतज़ार करने लगी। मैंने भी पूरी ताकत से ज़ोर का झटका मारा और आधा लण्ड पहली ही बार में अंदर चला गया और दूसरे धक्के में पूरा लण्ड अंदर चला गया।

उस समय ऐसा महसूस ही रहा था जैसे ज़िन्दगी की सारी ख्वाहिशें पूरी हो गयी हों। मैं तो एकदम पागल हो गया और ज़ोर ज़ोर से दीदी की चूत में धक्के मारने लगा।
हालांकि मैं पहले भी 1-2 बार चुदाई कर चुका था पर अपनी दीदी को चोदने का मज़ा कुछ और ही होता है दोस्तो।

मैं इतनी जोर ज़ोर से दीदी की चूत मार रहा था कि सारे कमरे में ‘पट-पट’ की आवाज़ गूंझ रही थी. दीदी को इतना दर्द हो रहा था कि वो मुझे अपने ऊपर से हटाने के लिए धक्का मारने लगी. दीदी की चीख निकलने वाली थी पर मैंने दीदी के हाथ पकडे और दीदी के मुंह पर रख कर ज़ोर से दबा दिया ताकि दीदी की आवाज हमारे मकानमालिक को न सुनाई दे जाए।

इतनी ज़ोर ज़ोर से चुदाई करने से दीदी की चूत लाल हो गयी थी। दीदी को इतना दर्द हो रहा था कि दीदी रोने लगे गयी थी और मुझे खुद से दूर करने कि कोशिश कर रही थी। मुझे पता था कि दीदी को बहुत दर्द हो रहा है पर मैं रुकना नहीं चाहता था। मैं इस मजे को खोना नहीं चाहता था।

20 मिनट तक मैंने दीदी को चोदा और दीदी की चूत में ही झड़ गया और दीदी के ऊपर ही तक कर लेट गया।
अब दीदी का मुंह भी खुल गया। मुंह खुलते ही दीदी ज़ोर ज़ोर से दर्द से रोने लगी।

तब मैं दीदी के ऊपर से हटा और दीदी की चुप करने लगा। मैंने कहा- दीदी रोओ मत, नहीं तो कोई आ जायेगा।
तब दीदी थोड़ा चुप हुई और सिकुड़ कर बैठ गयी और दबी हुई आवाज में रोने लगी।

मैं बहुत डर गया; मैंने कहा- दीदी माफ़ कर दो। आपको दर्द तो नहीं हो रहा है?
दीदी ने रोते हुए कहा- तू सच में पागल जानवर है। तेरा बस चले तो तू तो मुझे मार ही देगा। कुत्ता कहीं का। और तो और तूने फिर से अपना वीर्य मेरी चूत में डाल दिया.

मैंने कहा- दीदी माफ़ कर दो, वो गलती से हो गया। आप चिन्ता मत करो, मैं कल सुनील से दवाई मंगवा लूंगा। आप डरो मत!
तो दीदी मान गयी और चुप हो गयी।
मैंने तभी सुनील को मेसेज कर दिया दवाई लाने के लिए!

अब हम दोनों बिस्तर पर नंगे ही लेटे थे। दीदी ने अपनी चूत अपनी पैंटी से साफ़ की और लेट गयी।

तभी मैं उठ गया और सामने से तेल के बोतल उठा के लाया और दीदी से कहा- मैं आपकी मालिश कर देता हूँ।
मैंने दीदी की मालिश करते हुए कहा- दीदी, आपको यकीन नहीं होगा पर मैं आपको बहुत पहले से चोदना चाहता था और आज वो इच्छा पूरी हो गयी है। आज आपको चोद कर मेरा दीदी सेक्स का सपना पूरा हो गया।
इस पर दीदी ने कुछ नहीं कहा।

मैं दीदी की मालिश करता रहा; पहले स्तनों की और बाद में चूत की भी।

अब मैंने दीदी को उल्टा होकर घोड़ी बनने को कहा तो दीदी जल्दी ही मान गयी. क्यूंकि दीदी को पता था कि मेरा लौड़ा फिर से चुदाई के लिए तैयार हो गया है। फिर मैंने दीदी की चूत और गांड पर बहुत सारा तेल लगाया। फिर मैंने अपने लौड़े पर भी तेल लगाया।

अब मैंने तेल की बोतल को पास में रखा और अपने लौड़े को निशा दीदी की गांड पर रख दिया और अंदर डाल दिया। तेल की वज़ह से मेरा बादशाह दीदी की गांड की गुफ़ा में जल्दी ही चला गया। अब की बार मैंने दीदी की गांड आराम से मारी पर वीर्य गांड में ही डाला।

उस रात मैंने दीदी को 4 बार चोदा।

सुबह लगभग 11:30 बजे हमारा दरवाजा किसी ने खटखटाया।

दीदी इतनी तक गयी थी कि दीदी को दरवाजे की आवाज सुनाई ही नहीं दी। तो मैं जल्दी उठा और कपड़े पहन कर दरवाजा खोला तो देखा कि मेरा दोस्त सुनील आया था और उसके साथ मेरा एक और दोस्त राहुल भी था।

मैंने दोनों को अंदर बुलाया। मैंने सुनील से कहा- सुनील यार, राहुल तेरे साथ कैसे?
सुनील- यार, तू घबरा मत। मैं तुझे सारी बात बताता हूँ। देख राहुल को सब पता ही है। इसने भी उस दिन निशा का पीछा कर के तेरी मदद की है तो अब ये और सुभाष (मेरा एक और दोस्त) भी चाहते है कि ये भी इस मनोरंजन का हिस्सा बनें।

मैंने कहा- यार, ये कैसी बात हुई मैं कैसे सबसे अपनी दीदी को चुदवा सकता हूँ?
सुन- यार देख, एक बार ही की तो बात है। मैं तुझसे वादा करता हूँ कि ये एक ही बार तेरी दीदी को चोदेंगे और मैं भी एक ही बार तेरी दीदी की चुदाई करूँगा।

मैंने सोचा कि ये सही है। अपने सभी दोस्तों को एक एक बार दीदी से सेक्स करने देता हूँ। अगर मैं मना कर देता तो सुनील हर रोज़ मेरी दीदी को चोदता।

तो मैंने कहा- ठीक है। राहुल यहाँ है और सुभाष को बुला दे। आज की दीदी की चुदाई जम के कर देना और बाद में यहाँ से चले जाना।
सुनील- यार, सुभाष तो आज यहाँ नहीं है वो कल आएगा। उसका काम कल करवा देना।
तो मैंने कहा- ठीक है। वैसे भी दीदी एक बार में 3 लोगों से चुदवाने में कभी नहीं मानेगी। तुम लोग यहीं रुको को दीदी को सब समझाता हूं और मना के लाता हूँ।

जैसे ही मैं अंदर गया तो मैंने देखा कि दीदी उठ गई है और दीदी ने सब सुन लिया है। जैसे ही मैं कुछ बोलता दीदी ने ही बोल दिया- मैंने सब सुन लिया है। मैं तैयार हूँ। वैसे भी इसके बाद इन सब से पीछा तो छूटेगा। रमेश, उनको अंदर आने को बोल दो।

मैं तो अंदर से खुश हो गया कि दीदी बिना बोले ही मान गयी।मैं बाहर गया और सुनील और राहुल को अंदर आने के लिए बोल दिया।
जैसे ही वो अंदर आये तो उन लोगों ने देखा कि दीदी पहले से ही नंगी बिस्तर पर बैठी हुई है।
वो दोनों तो खुश हो गए और वो सीधे ही दीदी के पास जा के बैठ गए और दीदी की चूत और स्तनों को सहलाने लगे।

मेरे सामने मेरी सगी दीदी को मेरे दोस्त चोद रहे हैं ये सब मैं नहीं देखना चाहता था तो मैं बाहर चला गया और उनसे कहा- ज्यादा आवाज़ मत करना, नहीं तो कोई आ भी सकता है।
इतना कह कर मैंने दरवाजा बन्द कर दिया और वो अंदर दीदी को चोदने के मजे लेते रहे।

मैंने बाहर देखा कि सुनील एंटी-प्रैग्नेंसी टेबलेट ले आया था।

तभी राहुल बाहर आया और उसने कहा- यार रमेश! मैं समझ सकता हूँ कि तू अपनी दीदी को ऐसी हालत में नहीं देख पायेगा। इसलिये तू थोड़ी देर बाहर घूमने चला जा।
मैंने सोचा कि राहुल ठीक ही बोल रहा है। इसलिए मैं 2 घण्टे के लिए बाहर चला गया।

2 घण्टे बाद मुझे सुनील का फ़ोन आया और उसने कहा- हम लोग जा रहे हैं और तू आ जा।
तो मैं तुरंत रूम में आ गया।

वापिस आ कर मैंने देखा कि दोनों राहुल और सुनील बाहर बैठे हैं और जाने की तैयारी कर रहे हैं।
मैंने उनसे पूछा- कैसा रहा?
तो उन लोगों ने हंसते हुए कहा- बहुत ज्यादा मज़ा आया भाई। तेरी बहन सच में एक नंबर की रंडी है। हम दोनों ने उसको बहुत अच्छे से चोदा।
मैंने कहा- ठीक है, कल सुभाष को भेज देना और अब कभी भी दीदी को चोदने के बारे में मत बोलना। अब दीदी को चोदने का हक सिर्फ मेरा है।
अब वो लोग मान गए और चले गए।

मैं अंदर दीदी के पास गया तो देखा दीदी बिस्तर पर लेटी हुई है और दीदी के पास 2 कंडोम पड़े हुए थे जो पिछले दिन मैं ले के आया था। ये देख कर मुझे अच्छा लगा कि उन लोगों ने दीदी को बिना प्रोटेक्शन के नहीं चोदा।

मैंने दीदी से कहा- दीदी … क्या सब ठीक है?
दीदी- हाँ, सब ठीक है पर इतनी चुदाई के बाद मेरी उठने की हिम्मत नहीं हो रही है। मैं नहाना चाहती हूँ पर उठने की ताकत नहीं बची है।
मैंने कहा- कोई बात नहीं दीदी, मैं आपको बाथरूम में ले जा कर नहलाता हूँ।

इतना कहकर मैंने भी अपने कपड़े खोले और नंगा होकर दीदी को उठाया और बाथरूम में ले गया। वहाँ मैंने शावर चालू किया और दीदी के बदन पर साबुन लगाने लगा और साथ में खुद को भी साबुन लगाया।

दीदी का भीगा बदन देख कर मेरा मन फिर से दीदी को चोदने का हो गया। पर मुझे पता था कि दीदी की बहुत चुदाई हो गयी है इसलिए मैंने दीदी के मुंह में अपना लण्ड डाला और दीदी के मुंह को चोद दिया।

नहाने के बाद मैंने ही दीदी को कपड़े पहनाये और मैं बाहर से खाना ले कर आया था। हम दोनों से मिलकर खाना खाया और बाद में मैंने दीदी को वो दवाई दे दी।
उसके बाद दीदी ने सारा दिन आराम किया।

रात को दीदी को सुमित का फ़ोन आ गया और दीदी डर के मुझसे कहने लगी- अब क्या करूँ?
तो मैंने कहा- उसको बोलो कि आज आपकी तबीयत खराब है और रमेश मेरे साथ है। इसलिए मैं 4-5 दिन तेरे साथ नहीं आ सकती।

दीदी ने सुमित के साथ ये सब बोल दिया और दीदी अपनी चूत और ज्यादा फड़वाने से बच गयी।

अगले दिन सुभाष को मैंने फ़ोन किया और वो भी दोपहर 2 बजे घर आ गया और उसने भी दीदी की चूत और गांड खूब मारी।

उसके बाद वो सब दीदी से दूर हो गए। हालाँकि हम दोस्तों में ऐसी गन्दी बातें तो चलती ही रहती थी। निशा दीदी की चुदाई के बाद भी हम सब दोस्तों ने कई लड़कियों को चोदा था पर मैं उनके साथ ज्यादा नहीं जाता था क्यूंकि मुझे तो घर में ही चुदाई की दुकान मिल गयी थी।

मैंने दीदी को एक साल तक हर रोज़ चोदा है। हम एक साथ एक ही बिस्तर पर सोते थे। मैं रोज़ रात को दीदी की चुदाई करता था और हम दोनों नंगे ही एक दूसरे के साथ सोते थे। कभी मैं दीदी को बाथरूम में नहाते बार चोदता तो कभी रसोई में खाना बनाते बार तो कभी सफ़ाई करते वक्त।

वो एक साल मेरी ज़िन्दगी का बहुत सुन्दर साल था।

उसके बाद दीदी का कॉलेज खत्म हो गया और दीदी गाँव चली गयी और नौकरी की तलाश करने लगी। उसके बाद हम जब भी अकेले में मिलते तो मैं दीदी सेक्स का मजा लेता। कभी गाँव वाले घर में रात को मैं चुपके से दीदी के कमरे में जाता और मजे ले के वापिस अपने कमरे में वापिस हो जाता था।

कुछ साल बाद दीदी की सुमित से शादी हो गयी और मैं नौकरी लग गया था। समय के साथ हम सब दोस्त दूर हो गए और अब उनसे मिले काफी समय हो गया।

अभी भी शादी के बाद भी जब निशा दीदी अकेली मिलती है तो मैं दीदी की चूत मार लेता हूँ। फर्क बस इतना है कि अब दीदी की चूत नहीं भोसड़ा बन गया है।

तो दोस्तो, कैसी लगी आपको मेरी दीदी सेक्स की कहानी? मुझे जरूर बताइयेगा।
और क्या आप भी अपनी दीदी से सेक्स चाहते हैं, ये भी बताइयेगा।

Friday, 22 September 2023

मेरी दीदी सेक्स की प्यासी-1

 

मेरी दीदी सेक्स की बड़ी प्यासी हैं. यह बात मेरे एक दोस्त ने मुझे बतायी. मेरी दीदी उसके भाई से सेट थी और उससे भी चुदती थी. मैं भी अपनी बहन की चुदाई करना चाहता था.

नमस्ते दोस्तो, मेरा नाम रमेश है और में उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूं। मेरी उम्र 25 वर्ष है। मैं एक प्राइवेट कंपनी में काम करता हूं।

मेरी दीदी का नाम निशा है और वो 27 साल की है। मेरी दीदी बहुत भोली है। अभी उसकी शादी हो गयी है।

ये कहानी 4 साल पहले की है जब मेरी बहन 23 साल की और मैं 20 साल का था। अब ज्यादा न बोलते हुए मैं कहानी शुरू करता हूं।

मुझे शुरू से ही चुदाई को शौक था पर कोई मिलती नहीं थी। और मुझे मेरी दीदी के साथ सेक्स की चाहत भी बहुत पहले से थी। हम दोनों शहर में रहते थे पढ़ाई के लिए। हमने एक रूम ले रखा था। मम्मी पापा गाँव में रहते थे।

हम दोनों एक ही कॉलेज में पढ़ते थे। दीदी फाइनल ईयर में और मैं फर्स्ट ईयर में। हम दोनों एक दूसरे से बहुत बातें करते थे और मस्ती करते थे। जब वो हंसती थी तो मन करता था कि उसके मुंह में तभी अपना लौड़ा डाल दूँ। मैं रोज़ रात को उसके नाम पर मुठ मारता था।

मैं दीदी को चोदने के लिए मरा जा रहा था।

एक दिन कुछ ऐसा हुआ जिससे मेरी दीदी सेक्स की कामना पूरी ही गयी।

निशा दीदी हमेशा रात को मुझसे यह कहकर घर से चली जाती थी कि उसे अपनी सहेली के साथ रात भर पढ़ाई करनी है। दरअसल वो अपनी किसी सहेली के घर नहीं जाती थी। वो अपने बॉयफ्रेंड के साथ उसके घर जाती थी और दीदी सेक्स करती थी उसके साथ।
यह बात मुझे मेरे दोस्त ने बताई। मेरा दोस्त मेरी निशा दीदी के बॉयफ्रेंड का भाई था। मेरे दोस्त का नाम सुनील था।

उसने मुझे ये बात इसलिए बताई क्यूंकि पहले वो भी मेरी दीदी से सेक्स करता था।
पर कुछ दिन पहले उसके भाई ने उससे कहा- मैं निशा से शादी करना चाहता हूँ इसलिए आज से तू निशा से दूर रहेगा।
यह सुन कर सुनील को बहुत बुरा लगा और जब सुनील ने कहा कि एक आखिरी बार मुझे मजे लेने दो तो उसके भाई ने उससे बहुत मारा।

ये सब सुनकर मुझे बहुत धक्का लगा। मैं सोचने लगा कि मेरी दीदी कितनी बड़ी रंडी है। यह सुनकर मैंने सुनील को तो कुछ नहीं कहा पर मुझे उसके भाई और निशा दीदी बहुत गुस्सा आ रहा था। मैं हमेशा से ही दीदी की सील तोड़ना चाहता था पर मुझसे पहले किसी और ने ही दीदी की सील तोड़ दी थी। मेरे दिल में मेरी दीदी के लिए ऐसी भावना है ये बात मेरे दोस्त भी जानते थे। मैं हमेशा से दीदी को चोदने की बातें उनसे करता रहता था।

तब मैंने और सुनील ने और मेरे बाकी दोस्तों ने एक प्लान बनाया कि जब भी अगली बार दीदी अपने बॉयफ्रेंड के घर जायेगी तब सुनील दीदी सेक्स की वीडियो बनायेगा और बाद में मैं दीदी को वो वीडियो दिखाऊंगा और उसे चुदाई के लिए ब्लैकमेल करूँगा।

उस दिन मैं घर गया और निशा दीदी से ज्यादा बात नहीं कि तो उसको कुछ शक़ हीने लगा।

दो दिन बाद रात को जब मैं घर आया तो दीदी कहीं जाने की तैयारी कर रही थी। मैंने दीदी से पूछ लिया- तुम कहाँ जा रही हो?
तो दीदी ने कहा- मैं अपनी सहेली सुमिता के घर पढ़ाई की लिए जा रही हूँ। तेरे लिए खाना बना लिया है, खा लेना।
इतना कहकर दीदी जल्दी में निकल गयी।

मैंने मेरे एक दोस्त को फ़ोन किया जो पास में ही रहता था। उसको मैंने दीदी का पीछा करने को कहा, तो वो दीदी के पीछे पीछे गया और उसने मुझे फ़ोन कर के बताया कि वो सुमित के साथ कार में बैठ कर चली गयी है। सुमित उसका बॉयफ्रेंड है।

मैंने सुनील को फ़ोन किया और उसको बता दिया कि दीदी और उसका भाई यहाँ से निकल चुके हैं। तो उसने जल्दी से सुमित के रूम में जाकर कैमरा फिट कर दिया।
और बाकी का तो आपको पता ही है क्या होने वाला था।

सुबह सुनील ने मुझे वो वीडियो भेजी। मैं तो दीदी को देख कर दंग रह गया। क्या बॉडी थी दीदी की। एक दम रंडी लग रही थी।

उस दिन दीदी सुमित के घर से ही कॉलेज गयी थी। मैं कॉलेज नहीं गया था मैं तो रात का इन्तज़ाम कर रहा था। मैंने चॉकलेट फ्लेवर के एक्स्ट्रा डॉटेड कंडोम लिए ताकि दीदी को अच्छा लगे।

शाम 5 बजे दीदी घर आई और मैं दीदी को देख कर बहुत ख़ुश हुआ पर मैंने अपना चेहरा गुस्से वाला बनाये रखा। दीदी रूम में आयी और इसके पहले कि निशा दीदी कुछ बोलती मैंने दीदी को अपने पास बुलाया और दीदी को अपने फ़ोन से वो सेक्स वीडियो दिखा दी।
और दीदी उस वीडियो को देख कर डर गई।

मैंने दीदी से कहा- दीदी ये क्या है? पापा मम्मी ने ये करने के लिए आपको यहाँ भेजा है?
दीदी ने कहा- ये वीडियो तुम्हारे पास कहाँ से आयी?
मैंने कहा- ये मुझे सुनील ने दी है और उसने मुझे सब कुछ बता दिया है।
ये सुन कर दीदी बहुत डर गई और रोने लग गयी।

मेरी दीदी बहुत भोली है। वो जल्दी ही किसी की बातों में आ जाती है। इसलिए ही तो दीदी सेक्स के लिए तैयार हो गयी थी सुमित के साथ … साथ ही सुनील के साथ चुदने के लिए तैयार हो गयी थी। उसके इस भोलेपन का फायदा मैंने भी उठाया।

मैंने दीदी से कहा- मैंने तो सोचा था कि आप बहुत शरीफ़ हो और कभी झूठ नहीं बोलती हो। पर आप तो मुझ से झूठ बोल के सुमित के साथ ये सब करने जाती हो?
तो दीदी ने रीते हुए कहा- मुझे सुमित ने कहा था कि जब भी मैं तुम्हें लेने आऊंगा तो तुम रमेश को ये सब बोल देना।
तब मुझे पूरा यकीन को गया कि सुमित ने निशा दीदी के भोले पन का पूरा फ़ायदा उठाया है।

तो मैंने दीदी से कहा- मुझे बहुत गुस्सा आ रहा है मैं उस सुमित को मार डालूंगा और पापा को सब कुछ बता दूंगा।
हमारे पापा बहुत गुस्से वाले हैं और अगर उन को ये सब पता चल जाता तो वो दीदी को सच में मार डालते।

तो दीदी बहुत ज्यादा डर गई और रोते हुए कहने लगी- ऐसा मत करना रमेश प्लीज। पापा मुझे और सुमित को मार डालेंगे। मैं सुमित से बहुत प्यार करती हूँ।
मैंने थोड़ी सी एक्टिंग की और दीदी को कहा- नहीं दीदी, मैं सुबह गाँव जा रहा हूँ और पापा को सब बता दूंगा।
तो दीदी मेरे पैर पकड़ के बोलने लगी- नहीं रमेश, प्लीज, ऐसा मत करना।
दीदी का रोते हुए बुरे हाल हो गए थे।

तो मैंने फिर वो बात कर ही दी जो मैं करना चाहता था। मैंने कहा- दीदी मैं एक शर्त पर मानूँगा। अगर वो बात मान ली तो तुम और सुमित बच जाओगे।
ये सुन कर दीदी ने तुरंत हाँ बोल दिया।
दीदी ने कहा- ठीक है तुम जो कहोगे मैं वो करुँगी।
मैंने कहा- खाओ मेरी और सुमित की कसम कि आप मना नहीं करोगी।
दीदी ने कहा- मैं कसम खाती हूँ।

तब मैंने हिम्मत कर के बोल ही दिया- जो तुमने सुमित और सुनील के साथ किया है वो मेरे साथ भी करना होगा।
तो दीदी ने हैरानी से मुझे देखा और कहा- क्या मतलब है तुम्हारा?
मैंने कहा- देखो दीदी, मैं भी जवान हो चुका हूँ, मेरी भी इच्छा होती है कि मैं अपनी प्यास बुझाऊँ।

दीदी गुस्से से बोली- ये क्या कह रहे हो तुम रमेश? मैं तुम्हारी बहन हूँ। मैं तुम्हारे साथ ऐसा बिल्कुल नहीं करुँगी। तुम्हारी हिम्मत कैसे हो गयी ऐसा बोलने की?

इससे पहले दीदी ज्यादा कुछ बोल पाती, मैंने गुस्से से दीदी को बोला- तुम घर से बाहर किसी और से चुदवाती हो; क्या ये मैं बर्दाश्त कर लूँ?
पर दीदी मानने को तैयार ही नहीं थी।

तो मैंने दीदी को फिर याद दिलाई और कहा- दीदी अभी अभी तुमने मेरी और सुमित की कसम खाई थी ना? उसका क्या हुआ?
दीदी थोड़ी डर गई।

मैंने देखा कि दीदी को मेरी बातों का असर पड़ रहा है। तो मैंने दीदी को और समझाया और आखिरकार दीदी मान ही गयी।
पर दीदी ने कहा- अगर सुमित को पता चला तो वो मुझसे शादी नहीं करेगा।
तो मैंने कहा- सुमित को कैसे पता चलेगा? आप घबराओ मत।
दीदी ने कहा- सुनील को तो सब पता है। अगर उसने बता दिया तो?

तभी मेरे दिमाग में एक प्लान आया।
मैंने दीदी से कहा- दीदी एक रास्ता है जिससे वो सुमित को कुछ नहीं बतायेगा।
दीदी ने कहा- क्या रास्ता है?
मैंने कहा- दीदी, उसने मुझे आपके बारे में इसलिये बताया था क्यूंकि आप दोनों ने उससे आपकी चुदाई करने से मना कर दिया था। तो अगर आप उसको 1-2 बार उसको मजे दिला दो तो उसका गुस्सा खत्म हो जायेगा।

दीदी फिर से सोच में पड़ गयी और मना करने ही वाली थी कि मैंने दीदी से फिर बोला- दीदी सिर्फ 1-2 बार की ही तो बात है।
तो दीदी ने मजबूरी में सेक्स के लिए हां कर दिया।

फिर मैंने जल्दी से दीदी को पीछे से पकड़ लिया। पर दीदी ने मेरे हाथों को हटा दिया और मुझसे दूर हो गयी और कहा- रमेश ये सब ठीक नहीं है। हम दोनों भाई बहन हैं।
तो मैंने कहा- दीदी कुछ नहीं होगा। इससे हम दोनों के बीच और नज़दीकियां आ जायेगी।
पर दीदी मान नहीं रही थी और कहने लगी- मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा है।

अब मुझे गुस्सा आ गया और मैंने दीदी को कहा- दीदी, आप अब चाहे कुछ भी कह लो, अब तो मैं आपकी चूत मार कर ही रहूँगा। अब आप बोलो पापा को मैं सब बता दूँगा तो आपके और सुमित के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं होगा। इसलिए सीधे सीधे मेरी बात मानो। इसी में आपकी भलाई है।

दीदी समझ गयी और खुद ही मेरी तरफ मुड़ गयी। मैं बहुत खुश हो गया। फिर मैंने दीदी को ज़ोर से गले लगाया। दीदी के स्तन मेरी छाती से लग रहे थे। मेरा लौड़ा तो उसी वक्त खड़ा हो गया।
फिर मैंने दीदी की गर्दन पर चुम्मा किया और धीरे धीरे गालों और फिर होंठों तक किस्स करता रहा। वो फीलिंग ऐसी थी कि मैं आपको बता नहीं सकता। मैं तो मानो स्वर्ग में पहुँच गया था।

दीदी अभी भी पूरे मन से मेरा साथ नहीं दे रही थी। पर होंठों पर चुम्बन करने से दीदी मदहोश होने लगी इसलिए मैंने दीदी को 10 मिनट तक चुम्बन किया।

अब मैंने दीदी को अपनी गोद में उठाया और दीदी को उनके चूतड़ों से पकड़ कर अपने बेडरूम में ले गया और दीदी को वहाँ लिटा दिया।
मैंने जल्दी से अपने सारे कपड़े खोल दिए और मेरा 8 इंच का लौड़ा दीदी के सामने आ गया।

दीदी मेरे लण्ड को देख कर शर्मा गयी।
मैंने दीदी से पूछा- दीदी, क्या सुमित का भी इतना बड़ा है?
दीदी ने कहा- हाँ … पर सुनील का थोड़ा छोटा है।

यह सुन कर मुझे पता चल गया कि अब दीदी मेरे साथ घुल-मिल रही हैं। अब मैंने दीदी को खड़े होने को कहा। फिर मैंने दीदी की कमीज़ उतार दी और दीदी के स्तन ब्रा छुपने की कोशिश कर रहे थे।
फिर मैंने दीदी की ब्रा भी खोल दी और दीदी के स्तन मेरे सामने आ गए। दीदी के स्तन ज्यादा बड़े नहीं थे। पर मेरा लौड़ा उनको देख कर सलामी मारने लगा।

मैंने दीदी से पूछा- दीदी आपके स्तन ज्यादा बड़े नहीं हैं। ऐसा क्यूँ?
दीदी ने शर्माते हुए कहा- सुमित और सुनील सिर्फ सिर्फ मेरी चूत पर ही ध्यान देते हैं। स्तनों से उनको ज्यादा लगाव नहीं है।
मैंने कहा- दीदी आप चिन्ता मत करो, मैं आपके स्तनों को पहाड़ जितने बड़े बना दूंगा।

अब मैंने दीदी को लिटा दिया और दीदी के स्तनी को हाथों से ज़ोर ज़ोर से मरोड़ने लगा और चूचियों को ज़ोर ज़ोर से पीने लगा। मैं इतना मदहोश हो गया था कि मैं पागलों की तरह दीदी के स्तनों से खेल रहा था। इससे दीदी को बहुत दर्द हो रहा था और दीदी आ … आ … करने लगी। निशा दीदी की ये आवाज़ सुन कर मुझे और मज़ा आने लगा।

दीदी को भी मजा आ रहा था पर साथ में दर्द भी हो रहा था। दीदी कहने लगी- रमेश ये तुम क्या कर रहे हो! आ … अयि … थोड़ा धीरे करो। आ … आह … मुझे बहुत दर्द हो रहा है। आ … आह …
तब मैं दीदी के स्तनों से हट गया।

मैंने देखा दीदी रो रही है और दीदी के स्तन लाल हो गए हैं।

दीदी ने अपने स्तनों को पकड़ा और रोते हुए बोली- तुम जानवर हो क्या? तुम्हें पता भी है मुझे कितना दर्द हो रहा है?
मैंने कहा- मुझे माफ़ कर दो दीदी। वो मैं आपको देख कर पागल सा हो गया था। अब मैं आराम से करूँगा।
दीदी ने कहा- नहीं स्तनों में बहुत दर्द हो रहा है। अब कुछ और कर लो।

फिर क्या था दोस्तो … मैंने झट से अपने लौड़े को अपने हाथ में पकड़ा और दीदी के मुँह के सामने रख दिया।
दीदी ने एक झलक मुझे देखा और मैंने इशारा करते हुए कहा कि इसे चूसो।

फिर दीदी से जैसे ही मेरा लण्ड अपने हाथ में पकड़ा और अपने होंठों पर रखा तो मेरी आआह … निकल गयी। दीदी ने अब सारा लण्ड अपने मुंह डाल दिया और अंदर बाहर करके चूसने लगी।
मैंने दीदी से कहा- दीदी, क्या चूस रही हो आप! आ … आह … और तेज़ चूसो ना!

तो दीदी ने और स्पीड बढ़ा दी।

15 मिनट लगातार चूसाते हुए मैं इतना मग्न हो गया था कि मैंने दीदी के मुँह में ही अपना वीर्य छोड़ दिया। दीदी ने झट से मेरा लण्ड अपने मुंह से निकाल दिया और वीर्य को अपने मुंह से थूक कर निकाल दिया।
निशा दीदी ने गुस्से से कहा- ये क्या कर दिया रमेश तूने? आधा वीर्य मैंने पी लिया। ये अच्छा नहीं हुआ।
मैंने कहा- दीदी, माफ़ कर दो, मैं चुसाने में मस्त हो गया था। मुझे याद ही नहीं रहा कि मुझे बाहर झड़ना चाहिए था।

निशा दीदी ने कहा- अब क्या होगा अगर मैं गर्भवती बन गयी तो?
मैंने कहा- दीदी आप फ़िक्र मत करो, उससे आप को कुछ नहीं होगा।
दीदी ने कहा- ठीक है पर अब नीचे करती बार ध्यान रखना।
मैंने कहा- ठीक है ध्यान रखूँगा।

दोस्तो, आगे भी आपको बहुत मजा आने वाला है। बने रहिये मेरे साथ और आगे दीदी सेक्स कहानी में पढ़िए कि मैंने और मेरे दोस्तों ने कैसे मेरी निशा दीदी को चोदा।

Thursday, 21 September 2023

कुंवारी चूत चोदकर दी सेक्स नॉलेज

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सगी भाभी की वासना की कहानी

 

वासना की कहानी में पढ़ें कि कैसे मैंने भाभी की वासना शांत की? भाई की शादी हुई तो भाभी से मेरी दोस्ती हो गयी. एक बार भाई एक महीने के लिए बाहर गए तो …

दोस्तो, मेरा नाम मनीष है … और मैं इंदौर से हूं. आज मैं आपको अपनी लाइफ की सच्ची घटना सुनाने जा रहा हूं. यह मेरी पहली वासना की कहानी है. मेरी उम्र 25 साल है और मेरा कद 5 फिट 5 इंच है, मेरा रंग सांवला है.

हम अपने परिवार में 6 लोग रहते हैं. मम्मी पापा, भैया भाभी और छोटी बहन हैं. मेरी छोटी बहन का नाम रानी है, जो कि अभी 20 साल की है. मेरी बहन देखने में काफी खूबसूरत है और अभी अभी उसने जवानी की दहलीज पार की है. मेरे पिताजी सरकारी कर्मचारी हैं और मां हाउस वाइफ हैं. मेरे भैया की मोबाइल की दुकान है, जो कि घर से एक किलोमीटर दूर है. भैया की अभी अभी शादी हुई है.

मेरी भाभी का नाम निधि है. निधि भाभी देखने में बहुत ही खूबसूरत हैं. उनकी फिगर साइज 32-26-34 की है. भाभी इतनी अधिक कमनीय और मस्त दिखती हैं कि उनको देख कर किसी का भी लंड खड़ा हो जाए.

जब भाभी की शादी हुई थी, तब मैं भाभी की ओर उतना ज्यादा आकर्षित नहीं था. मैं भाभी की बहुत सम्मान करता था और मैंने उनको शुरुआत में कभी मैली नजर से देखा ही नहीं था. भाभी भी घर के सभी सदस्यों का आदर करती थीं. कुछ ही दिनों में मैं भाभी के साथ इतना घुल मिल गया था, जैसे हम दोनों क्लोज फ्रेंड हों. भाभी भी मुझसे अपनी पर्सनल बातें शेयर करने लगी थीं.

एक बार ऐसे ही बात करते करते भाभी ने मुझसे पूछ लिया कि आपकी कोई गर्लफ्रेंड है?
मैंने कहा- नहीं है भाभी.
भाभी बोलीं- अरे यार अभी गर्लफ्रेंड नहीं बनाओगे … तो कब बनाओगे?
मैंने कहा- भाभी, मुझे तो कोई लड़की भाव ही नहीं देती.

भाभी हंस पड़ीं और बोलीं कि तुमने इस बात पर ज्यादा गौर नहीं किया होगा. कोई भी लड़की अपनी तरफ से कुछ नहीं कहती. ये तो लड़के को ही कहना पड़ता है.

मुझे उनकी बात सुनकर लगने लगा कि हां ये बात तो सही है, मैंने खुद ही कभी किसी लड़की को प्रपोज नहीं किया है. मैंने सोच में डूब गया.

मुझे देख कर भाभी फिर से हंसने लगीं और बोलीं कि अब जब भी किसी को पसंद करो, तो खुल कर इजहार कर देना.
मेरे मुँह से निकल गया कि मैं तो अपनी भाभी को ही पसंद करता हूँ.
भाभी हंसने लगीं और बोलीं- मगर मैं तो शादीशुदा हूँ.

इस तरह से मैं भाभी से अब लड़की को लेकर खुल कर बात करने लगा. मुझे वो लड़कियों की पसंद नापसंद के बारे में बताने लगीं. मेरा उनसे इस टॉपिक पर बात करने में बड़ा मन लगता था.

एक बार अचानक कुछ काम से भैया को एक महीने के लिए मुंबई जाना हुआ. उस दिन मैंने भाभी को बहुत उदास होता हुआ देखा.
मैंने पूछा- क्या हुआ भाभी … आप इतनी उदास क्यों हो?
भाभी बोलीं- कुछ नहीं … बस ऐसे ही.
मैंने कहा- भाभी आप तो मेरी बेस्ट फ्रेंड हो ना … आप मुझे भी नहीं बता सकतीं क्या?
भाभी बोलीं- तुम्हारे भैया एक महीने के लिए मुंबई जा रहे हैं, तो मुझे अच्छा नहीं लग रहा है. मैं क्या करूं … मेरा कुछ भी करने का मन नहीं कर रहा है.
मैंने बोला- डोंट वरी भाभी … मैं हूं ना … वैसे भी भैया एक ही महीने के लिए तो जा रहे हैं ना. एक महीने तो वे बाद वापस आ ही जाएंगे.

भाभी मेरी बात सुनकर कुछ नहीं बोलीं, लेकिन वे मुस्कुरा दीं.

उनकी इस मुस्कराहट के अर्थ को समझ नहीं पाया. बस मुझे लगा कि भाभी खुश हो गई हैं, ये बहुत है.

फिर ऐसे ही एक हफ्ता गुजर गया. भाभी की बेचैनी और भी ज्यादा बढ़ती गई. अब तो मुझे भी भाभी को अकेला छोड़ना अच्छा नहीं लगता था.

फिर एक दिन में भाभी के कमरे में बिना दरवाजा खटखटाए अन्दर चला गया, तो मैं देख कर दंग रह गया. भाभी पलंग में लेटी थीं और वासना के वशीभूत जोर-जोर से अपनी चूचियों को दबा रही थीं. लेकिन मेरे इस तरह से अन्दर आ जाने से भाभी भी सकपका गईं और उन्होंने शर्म से सिर झुका लिया.

मैंने उनसे पूछा- भाभी आप ये क्या कर रही थीं?
भाभी- कुछ नहीं देवर जी … तुम्हारे भैया की याद बहुत सता रही थी.

अब मुझे भी लगा कि भाभी को भैया की जरूरत नहीं … बल्कि लंड की जरूरत है.

मैंने भाभी से कहा- भाभी मैं आपकी समस्या दूर कर सकता हूं, पर उसके लिए आपको एक काम करना पड़ेगा.
भाभी बोलीं- कौन सा काम?
मैंने बोला- अभी नहीं शाम को बताता हूं.

फिर मैं शाम होने का इंतजार करने लगा. शाम को हम सभी ने खाना खाया और मैं टीवी देखने लगा. जब सब सोने चले गए, तो मैं भाभी के पास उनके कमरे में चला गया.

जब मैं अन्दर गया, तो देखा कि भाभी मोबाइल में कुछ देख रही थीं. मेरे अन्दर जाते ही भाभी चौंक गईं और उन्होंने मोबाइल को नीचे रख दिया.

मैंने कहा- क्या कर रही हो भाभी?
भाभी बोलीं- कुछ नहीं … गेम खेल रही थी, वैसे आप कुछ बताने वाले थे ना!
मैं- हां भाभी मैं आपको इस तरह से उदास नहीं देख सकता … भाभी मुझे पता है कि आप पर क्या बीत रही है.

इतना कह कर मैं भाभी की तरफ देखने लगा. भाभी भी मेरी ही बात को पूरा सुनने के लिए बेचैन सी दिखीं.

मैंने अपनी बात को जारी रखा. मैंने कहा- भाभी अगर आप बुरा न मानो, तो मैं आपकी समस्या को दूर कर सकता हूँ.
भाभी- आपको जो भी कहना है, साफ़ साफ़ कहो.
मैंने कहा- पहले आप वायदा करो कि आप मेरी बात से बुरा नहीं मानेंगी. यदि मेरी बात आपको पसंद न आए, तो मुझसे साफ़ बता देना.

भाभी कुछ कुछ समझ गई थीं.

वे बोलीं- हां हां आप मेरे बेस्ट फ्रेंड हो … मैं आपकी किसी बात का बुरा नहीं मानूँगी.
मैंने कहा- भाभी, मैं आपके साथ सेक्स करना चाहता हूं.

तब भाभी एक पल के लिए चुप हो गईं, फिर बोलीं- मैं तो खुद भी यही चाहती थी … पर आपसे बोल नहीं पा रही थी.
मैंने कहा- हां भाभी, मुझसे आपका दुःख देखा नहीं जा रहा था. मगर मैं कुछ कह भी नहीं पा रहा था. मगर मुझे आपकी वो बात याद आ गई, जब आपने कहा था कि लड़कियां अपनी तरफ से पहल नहीं करती हैं. लड़के को ही पहल करना चाहिए.

ये कहते हुए मैंने भाभी को अपने गले से लगा लिया. इस पर भाभी ने भी मुझे सहयोग किया. मैं अब भाभी को चूमने लगा. भाभी ने भी मुझे कसकर अपनी बांहों में जकड़ लिया.

मैं भाभी के होंठों को बेइंतेहा चूमने लगा. भाभी भी होंठों से होंठों को चिपका कर मेरा पूरा साथ दे रही थीं. हम दोनों ने कम से कम दस मिनट तक एक दूसरे से चूमाचाटी करते रहे. फिर मैंने पहले कमरे की कुंडी लगाई और उनके पास आ गया.

मैंने भाभी की साड़ी उतारी और उनका ब्लाउज भी निकाल दिया. उनकी ब्रा देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया था. एकदम झीनी सी जाली वाली स्किन कलर की ब्रा थी. उसमें से भाभी के मम्मे एकदम साफ़ दिख रहे थे. मैंने पहले नीचे का पेटीकोट भी निकाला और भाभी को ब्रा पेंटी में ला दिया.

भाभी के गोरे बदन को देख कर मेरा तो और भी नशा बढ़ गया था. भाभी ने अपने हाथों से मेरी टी-शर्ट और लोअर उतार दिया. अब मैं सिर्फ अंडरवियर में था और भाभी पैंटी और ब्रा में थीं. मैं भाभी के पूरे बदन को चूमने लगा.

फिर मैंने भाभी की ब्रा का हुक खोल दिया और उनके दोनों मम्मों को आजाद कर दिया.

उनके मस्त रसभरे चूचे हवा में फुदकने लगे थे. मैंने उनके दोनों मम्मों को बारी बारी से चूसना शुरू कर दिया. भाभी खुद अपने हाथ से मुझे अपने दूध चुसवा रही थीं. निप्पल चूसे जाने से भाभी की वासना शिखर पर आ गई थी. वे मेरा सर पकड़ कर अपने मम्मे चुसवाते हुए मस्त सीत्कार कर रही थीं. मैंने भाभी के मम्मों को इतना ज्यादा चूसा कि भाभी की चूचियां एकदम लाल हो गईं.

अब मैंने अपना लंड निकाला और भाभी के हाथ में रख दिया. भाभी मेरा लम्बा लंड देखकर एकदम से चौंक गईं.
मैंने पूछा- क्या हुआ भाभी?
वे बोलीं- इतना बड़ा लंड … ओ माइ गॉड … तुम्हारे भैया का तो इससे बहुत छोटा है.
मैंने कहा- आपको पसंद आया?

भाभी मेरे लंड को प्यार से सहलाने हुए उससे खेलने लगीं. वे बोलीं- इस प्यारे से औजार से कौन लड़की प्यार न करेगी.
मैंने कहा- लंड को प्यार करने का क्या ये तरीका ठीक है?
भाभी बोलीं- मतलब?
मैंने कहा- यदि आपको लंड प्यारा लग रहा है, तो इसे मुँह में लेकर प्यार करो न.

भाभी तो शायद मेरे मुँह से यही सुनना चाह रही थीं. उन्होंने मेरा लंड झट से अपने मुँह में ले लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं. भाभी ने मेरे पूरे लंड को अपने गले तक उतार लिया और 10 मिनट तक चूस चूस कर आगे पीछे करती रहीं. मुझे भाभी के मुँह की गर्मी से अपने लंड की मालिश करवाना बड़ा अच्छा लग रहा था.

कोई दस मिनट की लंड चुसाई के बाद मेरा माल निकल गया. भाभी ने मेरे लंड रस को अपने मुँह में ही पूरा ले लिया और गटक लिया.

अब मैंने भाभी की पेंटी निकाली और अपने मुँह से उनकी चूत को चाटने लगा. मेरी जीभ के स्पर्श से भाभी की सिहरन ने मुझे बता दिया था कि भाभी कितनी अधिक चुदासी हो गई हैं. मैंने अपनी पूरी जीभ को भाभी की चूत की गहराई तक डाल दिया और चूत को चूसने लगा.

भाभी ने भी अपने हाथों से मेरा सिर जोर से अपनी चुत में दबा लिया और सेक्स भरी आवाज से कहने लगीं- आह कितना मस्त चूत चूसते हो … आह खा जाओ देवर जी … मेरी चूत को खा जाओ … आहह … चूसो चूसो खा जाओ अअम्म … आंह … मर गयी … देवर जी अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है … अब मेरी चुत में अपना लंड पेल दो.

फिर मैंने अपना लंड भाभी की चुत में रखा और एक ही धक्के में आधा लंड पेल दिया. भाभी की चीख निकल गई. उनके मुँह से गाली निकलने लगी- अबे भाभीचोद कमीने … साले आराम से पेल न … मैं कहीं भाग नहीं रही हूँ.

भाभी की ऐसी बात सुनकर मुझे और जोश आ गया और मैंने फिर से एक जोरदार धक्का दे दिया. इस बार के धक्के से मेरा पूरा का पूरा लंड भाभी की चुत में समा गया.

भाभी फिर से चीख पड़ीं- उम्म्ह … अहह … हय … ओह … बहनचोद … जान लेगा क्या …

फिर मेरे मुँह से भी गाली निकलने लगी- साली रंडी कुतिया … आज तो तेरी इतनी चुदाई करूंगा कि फिर कभी किसी और के लंड को लेने का नाम नहीं लेगी.

भाभी बोलीं- अबे चूतिये … साले गंडफट … तेरी भाभी तो कब से तेरी रंडी बनने को तैयार थी … तू ही चूतिया था … इतने दिन लगा दिए अपनी भाभी को रंडी बनाने में … आह अब जरा धीरे चोद … मेरी चूत चोदना है … फाड़ना नहीं है.

मैं भाभी की बात सुनकर मस्त हो गया. अब मैं उनकी इतनी जोर से चुदाई कर रहा था कि मेरे हर धक्के में उनकी आह निकल रही थी. पूरा कमरा में फच्च फच्च की आवाज से गूँजने लगा था.

फिर मैंने भाभी को बोला- भाभी मुझसे ही पूरी मेहनत करवाओगी. मैं ऊपर से नहीं … अब नीचे से चोदना चाहता हूँ … अब आप मेरे लंड के ऊपर आओ.

भाभी मेरे ऊपर मेरे लंड पर बैठकर ज़ोर ज़ोर से ऊपर नीचे करने लगीं. इस दौरान भाभी की चूचियां भी जोर जोर से हिल रही थीं. मैं उनके मम्मे मसलता हुआ उनकी चुदाई कर रहा था.

करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद भाभी झड़ने लगीं. भाभी की मुँह से एक मदहोशी से भरी तेज आवाज निकली- आह … मैं गई … आह. … मर गई..
उनका रस निकलने लगा. इस वक्त भाभी की चूत इतनी गर्म लग रही थी जैसे ज्वालामुखी से लावा फूट रहा हो.

झड़ने के बाद भाभी मेरे ऊपर ही निढाल पड़ गईं. फिर मैंने भाभी को नीचे किया और मैं उनकी चुदाई करने लगा. पर मैं उनकी गर्मी को ज्यादा समय तक नहीं झेल पाया और मैं भी झड़ने वाला हो गया था.

मैं- भाभी मेरा निकलने वाला है … कहाँ डालूं?
भाभी बोलीं- मेरी चूत की गहराई में ही डाल दे.

फिर मैंने 10-12 झटके देने के बाद भाभी की चूत में अपना पानी छोड़ दिया.

इस घमासान चुदाई के बाद भाभी की आँखों में एक अलग ही खुशी दिखी.

मैंने कहा- भाभी आप खुश तो हो न!
भाभी बोलीं- हाँ मैं आज बहुत खुश हूं, लेकिन मुझे एक बात का अफसोस है.
मैं- क्या बात भाभी?
भाभी बोलीं- मैं तुमसे पहले ही क्यों नहीं चुद गई.
मैंने कहा- डोंट वरी मेरी जान … अब तो हम रोज चुदाई करेंगे.

उस रात मैंने भाभी को पांच बार चोदा. इसी बीच हमारी चुदाई का खेल मेरी छोटी बहन रानी भी देख रही थी. फिर किस तरह मैंने अपनी छोटी बहन की सील तोड़ी और फिर हम सामूहिक चुदाई का कैसा प्लान बनाया. वो मैं अपनी अगली वासना की कहानी में लिखूँगा.

आपको मेरी ये वासना की कहानी कैसी लगी … मुझे जरूर बताना.

ज्योतिषी बन कर भाभी को बच्चा दिया

  मेरे पास जॉब नहीं थी, मैं फर्जी ज्योतिषी बनकर हाथ देख कर कमाई करने लगा. एक भाभी मेरे पास बच्चे की चाह में आई. वह माल भाबी थी. भाभी की रंड...