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Tuesday, 31 October 2023

माँ की चुदाई मामा ने की

 

यह कहानी मेरी माँ की चुदाई की है. मम्मी और मैं नाना के घर गए हुए थे तो मैंने अपने मामा के दोस्त को मेरी मॉम की चुदाई करते हुए देखा था.

मेरा नाम अमित है। यह माँ की चुदाई की कहानी उस समय की है जब मैं बहुत छोटा था।

गर्मियों की छुट्टियाँ हुई तो मम्मी ने पापा और मुझे कहा- नानी के घर चलते हैं।
आपको बता दूँ कि मेरी मम्मी का नाम मंजू है और अभी उम्र क़रीब 45 वर्ष की है। उनकी चूचियाँ बहुत विशाल 42″ की हैं और वो ब्लाउज से बाहर ही दिखती है।
उस समय पापा ने कहा- तुम दोनो चले जाओ।
तो मैं और मम्मी नानी के घर चले गये।

नानी के घर में नाना, नानी, मामा, मामी व दो उनके छोटे बच्चे हैं। मामी मायके गई हुयी थी। मामा किसी काम से शहर गये हुये थे।

हम घर पहुँचे तो नाना नानी बहुत ख़ुश हुये।

नानी के घर में ही पास में एक मनोज नाम का व्यक्ति रहता था जो मेरे मामा का दोस्त भी था। उस समय मनोज भी वहाँ था। मैं उसे जानता था और मामा ही कहता था.
मनोज मामा ने मम्मी से कहा- अच्छा हुआ मंजू कि तुम आ गई भाभी मायके गयी हुई हैं तो तुम चाचा चाची का ध्यान रख लोगी।

फिर मम्मी घर के काम में लग गई और रात हो गई हम सो गये।

सुबह हुई तो मनोज हमारे घर आ गया था और वो और मम्मी कुछ बातें कर रहें थे।

मनोज ने नाना जी से कहा- चाचा जी, मैं शहर जा रहा हूँ कुछ काम से … शाम को वापिस आऊँगा. कुछ सामान लाना हो तो बताओ?
तो नानी ने कहा- मंजू को साथ ले जा, उसको भी कुछ सामान लाना है शहर से!
मनोज- क्यों नहीं।

मम्मी- हाँ मुझे काम है में चलती हूँ। मैं तैयार होकर आयी।
थोड़ी देर में मम्मी तैयार होकर आयी मनोज ने कहा- चलो।

तो मैंने भी कहा- मैं भी चलूँगा!
तो मम्मी ने कहा- तुम क्या करोगे? बेकार परेशान होओगे।
मैं जिद करने लगा तो उन्होंने मुझे भी साथ ले लिया।

अब हम मनोज मामा की कार में बैठ गये। मनोज के साथ उसका दोस्त था जो गाड़ी चला रहा था। मनोज आगे बैठा था, मैं और मम्मी पीछे।

मुख्य सड़क पर आकर मामा ने अपने दोस्त से कहा- यार गाड़ी रोको जरा।
गाड़ी रुकी तो मनोज मामा उतरकर पीछे आ गया और उसने मेरे को आगे बैठा दिया।

अब मामा और मम्मी पीछे बैठे थे।

मैंने देखा कि मनोज मामा और मम्मी धीरे-धीरे बातें कर रहें थे जो मेरे कुछ समझ में नहीं आ रही थी। उस वक्त मैं बहुत छोटा था।

मनोज- आज बहुत दिन बाद मौक़ा मिला है मंजू!
मम्मी- मनोज, आज तो बेटा मेरे साथ है, फिर करेंगे।
मनोज- ये तो बहुत छोटा है, इसको क्या पता चलेगा।

मम्मी ने आगे मनोज के दोस्त की ओर इशारा किया।
तो मनोज ने कहा- इसकी चिंता मत करो ये मेरा दोस्त है, कहीं कुछ नहीं कहेगा।

अब मनोज मामा ने मम्मी को बाँहों में लिया और किस करने लगा, मम्मी भी उसका साथ देने लगी।
मम्मी- आह … मनोज काटो मत! दर्द होता है, आराम से चूसो।
इस पर मामा बोला- बहुत दिन बाद तुम्हें चोदने का मौका मिल रहा है मेरी जान … आज ऐसी ही थोड़ी छोड़ूँगा।

मनोज ने अब सलवार के ऊपर से मम्मी की चूत को दबाने लगा। मम्मी भी गर्म हो गई। गाड़ी में केवल मेरी मम्मी और उनके यार मनोज दोनों की सिसकारियों की आवाज आ रही थी।

अपने दोस्त से मनोज ने कहा- यार गाड़ी को खेतों की तरफ ले लो!
और उसने गाड़ी को कच्चे रास्ते की तरफ ले लिया।

मनोज मामा और मम्मी एक दूसरे को चूम रहे थे।

अब मनोज मामा ने मम्मी के कमीज को ऊपर उठा कर उतार दिया तो मैंने देखा कि मम्मी की चूचियाँ ब्रा से बाहर निकलने को आतुर हो रही थी। मम्मी ने लाल रंग की ब्रा पहन रखी थी।
मनोज अब मम्मी के बड़े बड़े चूचों को दबाने लगा व मम्मी के होंठ चूसने लगा।

अब मामा ने मम्मी की सलवार का नाड़ा खोल दिया व सलवार को नीचे खिसका दिया। मम्मी ने लाल रंग की फूल वाली पैंटी पहनी थी।

अब मम्मी ने मनोज की पैंट का हुक खोला तो मनोज का लंड बाहर निकाला जो फनफना रहा था। मनोज ने मम्मी को ऐन गाड़ी के पीछे की सीट पर लेटाया और मेरी मम्मी की सलवार को पूरा निकाल दिया। मेरी मामी अब सिर्फ ब्रा पेंटी में थी और उनकी गोरी चिकनी जांघें दमक रही थी.

मम्मी बोली- जल्दी करो मनोज यार! किसी ने हमने इस हालत में देख लिया तो पंगा हो जाएगा।
मनोज- मंजू डार्लिंग, तुम चिंता मत करो, हमें कोई नहीं देखेगा यहाँ।

अब मामा ने मम्मी की पैंटी उतारी जिसे मम्मी ने अपनी सलवार पर रख दी। अब मम्मी की चूत को देखकर मनोज का लण्ड उग्र रूप धारण कर चुका था।

मम्मी- कंडोम नहीं है क्या तुम्हारे पास?
मामा- मेरी मंजू डार्लिंग, बिना कंडोम के जो मज़ा आएगा वो तुम देखना!
मम्मी- नहीं मनोज … कल को कुछ हो गया तो?
मामा- कुछ नहीं होगा मंजू। तुम चिंता मत करो, जब निकलने वाला होगा तो मैं बाहर निकाल लूँगा।

अब मनोज मामा ने अपने लंड का सुपारा मम्मी की चूत पर रखा तो मम्मी के मुँह से आह की आवाज निकली और उनके शरीर में एक मस्ती सी छा गई।

मामा का लंड धीरे धीरे मम्मी की चूत में समाये जा रहा था और मम्मी के मुँह से मादक सिसकारियाँ निकल रही थी।
मेरी माँ की चुदाई मेरे सामने हो रही थी.

Maa Ki Chudai
Maa Ki Chudai

अब मनोज का लंड धीरे से बाहर आता और एक ही झटके में मम्मी की चूत में समा जाता। ऐसे मनोज मामा ने क़रीब 20 मिनट तक मम्मी को पेला।

अब मनोज ने जब लंड बाहर निकाला तो मम्मी की चूत खुली की खुली रह गई। चूत फूलकर कुप्पा हो गई।
मम्मी ने कहा- चलो मनोज, लेट हो जाएँगे अब हम चलते हैं।

मनोज मामा ने अपने लंड को मम्मी की पैंटी से पौंछा। मम्मी ने भी अपनी चूत को पैंटी से साफ किया।

मम्मी ने अब सलवार पहनी तो मनोज मामा ने एक उंगली मम्मी की गांड में डाल दी।
मम्मी चिल्ला उठी- आह मनोज … वहाँ नहीं … बहुत दर्द होता है।
मनोज मामा- साली नाटक करती है? कितनी बार तो इतना बड़ा लंड तो तूने गांड में लिया है। अभी तुम्हारी गांड मारने की बहुत इच्छा है।
मम्मी- मनोज, आज नहीं फिर कभी।

ऐसा करके दोनों ने कपड़े पहन लिए और बाज़ार चले गये.

वहाँ से मम्मी ने कुछ निरोध कंडोम ख़रीदे। मनोज से चुदवाना जो था।

मैं और मम्मी नानी के घर 15 दिन रहे. इन दिनों में मनोज मामा ने हर रोज मेरी मम्मी को ख़ूब चोदा. मैंने कई बार अपनी माँ की चुदाई अपनी आँखों से देखी.

दोस्तो, कैसी लगी मेरे मामा और माँ की चुदाई की कहानी?

Monday, 30 October 2023

चाची की चुत और मेरी वासना

 

मैंने अपनी चाची की चुत की चुदाई की. असल में चाची के उभरे चूचों को देख कर मेरा लंड खड़ा हो जाता था और मैं मौके की तलाश में था. एक बार बहाने से मैंने चाची को गर्म कर दिया और …

मेरा नाम आर्यन है और मैं बिहार के जमुई जिले के पास में झाझा का रहने वाला हूं.

मैं हिंदी बेस्ट सेक्स स्टोरी अन्तर्वासना की कहानियां काफी समय से पढ़ रहा हूं और मैंने इसकी कहानियां ख़ासकर चाची की चुत की चुदाई कहानी पढ़ना आज से करीब 8 या 10 साल पहले शुरू किया था. अभी मैं 28 के ऊपर का हो चुका हूं और अभी तक कुंवारा ही हूं. मगर अन्तर्वासना से मेरा नाता बहुत पुराना है.

यह कहानी वैसे तो वास्तविक है लेकिन इस कहानी में मनोरंजन के लिए मैंने थोड़ा सा मसाला भी डाल दिया है ताकि आपको कहानी पढ़ने में मजा आये.

यह कहानी मेरे और मेरी चाची के बीच में हुई घटना की है. इसलिए मैं अपनी चाची का नाम यहां पर नहीं बताऊंगा.

दोस्तो, वैसे तो मैंने आज तक अपनी जिन्दगी में बहुत सी लड़कियां और भाभी चोद कर मजा लिया. मेरी गर्लफ्रेंड की चुदाई भी मैंने खूब की है. मगर चाची की चुत चुदाई की ये घटना कुछ निराली थी. इसलिए मैंने सोचा कि पाठकों के साथ अपनी चाची की चुत चुदाई का किस्सा शेयर करूं.

मैंने रंडी की चुदाई के साथ-साथ रिश्तों में चुदाई भी खूब की है. जिसमें मेरी मौसी की चुदाई भी शामिल है. मगर इस कहानी में मैंने अपनी चाची की चुत कैसे मारी सिर्फ उस घटना का जिक्र ही किया है. तो अब आपका ज्यादा समय न लेते हुए मैं अपनी कहानी पर आता हूं. मैं उम्मीद करता हूं कि आपको मेरी चाची की चुत की कहानी पढ़ते हुए मजा आयेगा.

कहानी तब की है जब मैंने अपनी कॉलेज की पढ़ाई शुरू की थी. उस वक्त मेरी पढ़ाई पूरी करने के लिए मैं पहली बार घर से बाहर गया था. कॉलेज के समय में मेरा लंड भी बहुत परेशान करने लगा था. मैंने कॉलेज में जाते ही गर्लफ्रेंड बना ली थी. कुछ ही दिन के बाद उसकी चुत को चोद दिया. मगर चुत की प्यास और बढ़ गई थी.

जब मेरे कॉलेज का पहला साल खत्म हुआ तो मैं घर वापस आ गया था. एक महीने की छुट्टी थी. घर आये हुए मुझे एक सप्ताह ही हुआ था कि मेरे लंड ने मुझे फिर से परेशान करना शुरू कर दिया. कई दिनों तक मैं अन्तर्वासना सेक्स स्टोरी साइट पर सेक्सी कहानियां पढ़ कर लंड को हिलाता रहा लेकिन मुझे चुत चाहिए थी.

एक दिन मेरी चाची मेरे घर पर आयी. मैंने एक रात पहले ही चाची की चुत की चुदाई की कहानी पढ़ी थी. कहानी को पढ़कर मेरी नजर चाची के चूचों पर गई तो मेरा लंड खड़ा हो गया. उस दिन मैंने चाची के चूचों के बारे में सोच कर मुठ मारी. फिर मैंने सोचा कि क्यों न चाची की चुत चुदाई का मजा ले लूं.

मैंने चाची की चुदाई करने का प्लान सोचना शुरू कर दिया लेकिन मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं यह कैसे कर पाऊंगा. एक दिन की बात है कि मेरे घर पर कोई भी नहीं था. पापा काम से बाहर गये हुए थे और मां किसी रिश्तेदार के यहां पर गई हुई थी. उस दिन चाची घर आई और मेरी मां के बारे में पूछने लगी.

चाची कई बार मेरी मां के पास आ जाती थी और दिन भर बैठ कर बातें करती रहती थी. मैं भी चुपके से चाची के उभारों को देख कर मजा लिया करता था. उस दिन भी मैंने सोचा कि चाची मेरी मां के पास आई है. मैंने मां के बारे में बताया तो चाची ने कहा कि ठीक है मैं फिर बाद में आऊंगी.

मैं बोला- चाची कुछ काम है तो मुझे बता दो.
चाची बोली- नहीं कुछ खास नहीं, मेरे सिर में दर्द हो रहा था. मैं तो तुम्हारी मां के पास बाम लेने के लिए आई थी. मेरे घर में मुझे बाम नहीं मिल रही थी.
मैं बोला- कोई बात नहीं चाची, मैं आपको बाम ढूंढ कर दे देता हूं.

मैं चाची के सामने ही बाम ढूंढने लगा और मुझे मिल गई.

चाची को बाम थमाते हुए मैंने चाची के ब्लाउज की तरफ देखा तो मुझे चाची के क्लिवेज दिख गये. मेरे मन में वासना जाग गई.
मैंने कहा- चाची अगर ज्यादा दर्द हो रहा है तो मैं आपके सिर में बाम लगा देता हूं.
वो बोली- नहीं, मैं खुद से लगा लूंगी.
मैंने कहा- अरे चाची, दूसरे के हाथ से मालिश करवाने में ज्यादा आराम मिलता है.

फिर मेरे जोर देने पर चाची मान गई. मैंने चाची को अन्दर वाले कमरे में चलने के लिए कह दिया. चाची मेरे सामने बेड पर जाकर लेट गई और मैंने चाची के सिर बाम लगाना शुरू कर दिया. अब चाची के उठे हुए चूचे मुझे और अच्छी तरह नजर आ रहे थे.

ब्लाउज में मेरी चाची के चूचे ऐेसे तने हुए थे जैसे कोई मिसाइल हो. चाची के उभारों को देख कर मेरे लंड में तनाव आ चुका था. मैं बेड के किनारे पर खड़ा होकर चाची के सिर में बाम की मालिश कर रहा था. मेरा तना हुआ लंड मेरी लोअर में मुझे परेशान करने लगा था.

मालिश करने के बहाने धीरे धीरे मैं चाची के कंधे पर अपने तने हुए लंड को टच कर देता था. जब मेरा लंड चाची के कंधे से टच होता था उसमें और उत्तेजना आ जाती थी और चाची के कंधे पर झटका लगता था. मेरी वासना बढ़ती जा रही थी.

सामने चाची के चूचों की दरार मुझे दिख रही थी और दूसरी तरफ चाची के कंधे पर लंड के छूने से मेरा बुरा हाल हो रहा था.
मैं बोला- चाची कई बार सिर में दर्द पीछे गर्दन की वजह से भी हो जाता है.
वो बोली- ठीक है तो फिर थोडी़ मालिश गर्दन की भी कर दो.

मेरे कहने पर चाची पलट गई. चाची के पलटते ही उसकी भारी सी गांड मुझे साड़ी के अंदर ही उठी हुई दिखाई देने लगी. अब चाची की नजर मेरी लोअर पर थी. मेरी लोअर में तना हुआ लंड चाची को दिख गया. मगर चाची ने कुछ नहीं बोला.

मैं भी देख रहा था कि चाची मेरे तने हुए लंड को देख रही थी. इस वजह से मेरे लंड में और ज्यादा उत्तेजना हो रही थी. मैं जान बूझ कर लंड में झटके दे रहा था ताकि चाची मेरे लंड को देख कर उत्तेजित हो सके. कई बार मैंने चाची की नजर के सामने ही अपने लंड को झटका दिया.

अब चाची की नजर मेरे लंड पर गड़ गई थी. वो बार-बार बहाने से मेरे लंड की तरफ ही देख रही थी. मैं भी अपने तने हुए लंड को चाची के होंठों के पास लेकर जाने लगा था. एक बार तो मैंने बहाने से चाची की नाक को अपने लंड से छू भी दिया.

मुझसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था लेकिन चाची कुछ पहल नहीं कर रही थी. फिर मैंने चाची की गर्दन पर मालिश करने के बहाने हाथ पीछे तक ले जाना शुरू कर दिया. अब चाची की पीठ पर उसकी ब्रा की पट्टियों पर मेरी उंगलियां छू रही थी. मैं जान बूझकर चाची की ब्रा को छू रहा था. मुझे बहुत मजा आ रहा था.

कुछ देर ऐसे ही करने के बाद अब मेरी मेहनत का असर दिखने लगा था. चाची पलटते हुए बोली- अब गर्दन की मालिश बहुत हो गई. अब सिर की ही मालिश कर दे.
चाची ने अपनी साड़ी का पल्लू अपने चूचों के ऊपर से हटा दिया था. चाची के ब्लाउज में तने हुए चूचे मुझे साफ नजर आ रहे थे.

मैंने बाम की शीशी चाची की बाजुओं की बगल में पेट पास रख दी. इस तरह से कोण बनाया कि जिस तरफ मैं खड़ा था उसके दूसरी तरफ शीशी रखी हुई थी. अब मैं जब शीशी उठाने के लिए चाची के ऊपर झुका तो मेरा लंड चाची के सिर पर लग गया और मेरी कुहनी चाची के चूचों से छू कर जाने लगी.

एक दो बार मैंने ऐसा ही किया. अब चाची की टांगें भी फैलने लगी थीं. शायद चाची की चुत गीली हो रही थी. मैंने मालिश करना जारी रखा.

फिर जब चाची से रहा न गया तो उसने पीछे हाथ लाकर मेरे लंड को पकड़ लिया और उसको सहलाने लगी. चाची की आंखें बंद थीं.

मुझे भी इसी पल का इंतजार था. मैंने तुरंत चाची के चूचों को दबाना शुरू कर दिया. अगले ही पल हम दोनों के होंठ एक दूसरे के होंठों से मिले हुए थे. मैं चाची के चूचों को दबाते हुए उसके होंठों का रस पी रहा था. चाची भी मेरा पूरा साथ दे रही थी. उसके 36 के चूचे दबाते हुए मुजे गजब का मजा आ रहा था.

फिर चाची खुद ही उठते हुए अपने ब्लाउज को खोलने लगी. उसकी ब्रा को मैंने झट से आजाद करवा दिया. चाची ऊपर से नंगी हो गई. मैंने चाची के स्तनों को मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया. चाची इतनी गर्म हो गई कि मुझे अपने ऊपर लेकर लेटती चली गई.

नीचे से मैंने चाची की साड़ी को खोल दिया और उसके पैटीकोट का नाड़ा खोल कर उसे नीचे किया तो उसकी पैंट पर हाथ जा लगा. मैंने पैंटी को हाथ से रगड़ा और चाची की गीली चुत पर हाथ लगा कर देखा तो वो उभर कर ऊपर अलग से मेरे हाथ में महसूस हो रही थी.

चाची की चुत चाटी

अब तो हद ही हो गई थी. मैंने तुरंत चाची की चड्डी को खींच कर चाची की चुत को नंगी कर दिया और उसकी टांगों को उठा कर उसकी चुत में जीभ लगा दी. चाची तड़पते हुए मेरे मुंह को अपनी चुत में दबाने लगी. मैं चाची की चुत में जीभ डाल कर उसे चोदने लगा.

उसके बाद चाची उठी और मेरे लोअर को निकाल दिया. उसने मेरे कच्छे को भी नीचे खींच दिया और फिर मेरे लंड को सीधा मुंह में भर कर जोर से चूसने लगी. मैं तो आनंद में डूबने लगा. चाची मेरे लंड को मुंह में लेकर तेजी के साथ चूस रही थी. दो मिनट तक चाची ने मेरे लंड को चूसा. इस बीच में मैंने टीशर्ट भी उतार दी थी. अब दोनों नंगे थे.

Chachi Ki Chut
Chachi Ki Chut

मैंने चाची की टांगों को फैलाया और उसके थूक से सराबोर हो रहे लंड को उसकी चुत पर टिका दिया. मैंने जोर लगाते हुए चाची की चुत में लौड़े को घुसा दिया. चाची ने मुझे बांहों में भर लिया और अपनी चुत को चुदवाने लगी.

दोस्तो मुझे इतना मजा आ रहा था कि मैं बता नहीं सकता. मैंने चाची की चुत चुदाई जारी रखी और पांच मिनट के बाद मेरा वीर्य निकलने को हो गया तो मैंने चाची से पूछा कि कहां निकालूं तो उसने कहा कि अन्दर मत निकालना.

चाची के कहने पर मैंने लंड को बाहर निकाल लिया और उसके पेट पर अपने वीर्य को छोड़ दिया. हम दोनों शांत हो गये. उसके बाद चाची ने अपने कपड़े वापस से दुरुस्त किये और चली गई. मुझे मजा आ गया उस दिन.

मेरी चाची दिखने में भले ही साधारण थी लेकिन उसके अंदर सेक्स की आग बहुत थी. उस दिन मैंने इस बात को महसूस किया. एक दिन चाचा जब घर पर नहीं थे तो चाची ने काम के बहाने से मुझे रात को घर पर बुला लिया.

उस दिन मैंने चाची की चुत में उंगली की तो चाची बोली- मुझे तेरे लंड चाहिये, उंगली से काम नहीं चलेगा.
उस रात को मैंने चाची की चुत की चुदाई लगभग 35 मिनट तक की. फिर तो मैं मौका मिलते ही चाची की साड़ी को ऊपर उठा कर चाची की चुत में उंगली कर देता था.

ऐेसे ही एक बार मेरी मां मेरे मामा के यहां पर गई हुई थी. उस दिन घर पर खाना बनाने की जिम्मेदारी चाची की ही थी. हम दोनों तो बस मौके की तलाश में थे. पापा के लिए नाश्ता बनाने के बाद वो काम पर निकल गये और मैंने किचन में ही चाची को पकड़ लिया. चाची की साड़ी उठा कर वहीं पर उसकी कच्छी निकाल दी.

किचन के स्लैब पर चाची को झुका कर चाची की चुत मारी. उस दिन मैंने चाची की चुत में ही अपना माल गिराया. दोस्तो, चुत के अंदर माल गिराने का अलग ही मजा है. चाची अब अपनी चुत में ही माल गिरवाती थी.

उसके बाद फिर मैं पढ़ाई के लिए बैंगलोर चला गया. वहां से चार साल के बाद वापस आया. वापस आने के बाद मैंने और चाची ने आते ही चुदाई शुरू कर दी मगर चाची के बेटे ने हम दोनों को देख लिया. उसको तो हमने किसी तरह चुप करवा दिया.

मगर सच कभी न कभी सामने आ ही जाता है. ऐसे ही एक दिन मेरी मां ने मुझे और चाची को रंगे हाथ चुदाई करते हुए पकड़ लिया तो चाची ने सारा इल्जाम मेरे सिर पर लगा दिया.

उस दिन के बाद से मेरी और चाची की लड़ाई हो गई. फिर हम दोनों ने कभी चुदाई नहीं की. लेकिन मैंने चाची की चुत को चोद कर खूब मजे लिये. मुझे कई बार दुख होता है कि चाची ने मेरे साथ सही नहीं किया.

आपकी राय मेरी आपबीती के बारे में क्या है मुझे जरूर बतायें. मुझे आपके मेल का इंतजार रहेगा. अपनी हिंदी बेस्ट सेक्स स्टोरी पर आपकी प्रतिक्रिया के इंतजार में आपका आर्यन.

Sunday, 29 October 2023

माँ की चुदाई मामा ने की

 

यह कहानी मेरी माँ की चुदाई की है. मम्मी और मैं नाना के घर गए हुए थे तो मैंने अपने मामा के दोस्त को मेरी मॉम की चुदाई करते हुए देखा था.

मेरा नाम अमित है। यह माँ की चुदाई की कहानी उस समय की है जब मैं बहुत छोटा था।

गर्मियों की छुट्टियाँ हुई तो मम्मी ने पापा और मुझे कहा- नानी के घर चलते हैं।
आपको बता दूँ कि मेरी मम्मी का नाम मंजू है और अभी उम्र क़रीब 45 वर्ष की है। उनकी चूचियाँ बहुत विशाल 42″ की हैं और वो ब्लाउज से बाहर ही दिखती है।
उस समय पापा ने कहा- तुम दोनो चले जाओ।
तो मैं और मम्मी नानी के घर चले गये।

नानी के घर में नाना, नानी, मामा, मामी व दो उनके छोटे बच्चे हैं। मामी मायके गई हुयी थी। मामा किसी काम से शहर गये हुये थे।

हम घर पहुँचे तो नाना नानी बहुत ख़ुश हुये।

नानी के घर में ही पास में एक मनोज नाम का व्यक्ति रहता था जो मेरे मामा का दोस्त भी था। उस समय मनोज भी वहाँ था। मैं उसे जानता था और मामा ही कहता था.
मनोज मामा ने मम्मी से कहा- अच्छा हुआ मंजू कि तुम आ गई भाभी मायके गयी हुई हैं तो तुम चाचा चाची का ध्यान रख लोगी।

फिर मम्मी घर के काम में लग गई और रात हो गई हम सो गये।

सुबह हुई तो मनोज हमारे घर आ गया था और वो और मम्मी कुछ बातें कर रहें थे।

मनोज ने नाना जी से कहा- चाचा जी, मैं शहर जा रहा हूँ कुछ काम से … शाम को वापिस आऊँगा. कुछ सामान लाना हो तो बताओ?
तो नानी ने कहा- मंजू को साथ ले जा, उसको भी कुछ सामान लाना है शहर से!
मनोज- क्यों नहीं।

मम्मी- हाँ मुझे काम है में चलती हूँ। मैं तैयार होकर आयी।
थोड़ी देर में मम्मी तैयार होकर आयी मनोज ने कहा- चलो।

तो मैंने भी कहा- मैं भी चलूँगा!
तो मम्मी ने कहा- तुम क्या करोगे? बेकार परेशान होओगे।
मैं जिद करने लगा तो उन्होंने मुझे भी साथ ले लिया।

अब हम मनोज मामा की कार में बैठ गये। मनोज के साथ उसका दोस्त था जो गाड़ी चला रहा था। मनोज आगे बैठा था, मैं और मम्मी पीछे।

मुख्य सड़क पर आकर मामा ने अपने दोस्त से कहा- यार गाड़ी रोको जरा।
गाड़ी रुकी तो मनोज मामा उतरकर पीछे आ गया और उसने मेरे को आगे बैठा दिया।

अब मामा और मम्मी पीछे बैठे थे।

मैंने देखा कि मनोज मामा और मम्मी धीरे-धीरे बातें कर रहें थे जो मेरे कुछ समझ में नहीं आ रही थी। उस वक्त मैं बहुत छोटा था।

मनोज- आज बहुत दिन बाद मौक़ा मिला है मंजू!
मम्मी- मनोज, आज तो बेटा मेरे साथ है, फिर करेंगे।
मनोज- ये तो बहुत छोटा है, इसको क्या पता चलेगा।

मम्मी ने आगे मनोज के दोस्त की ओर इशारा किया।
तो मनोज ने कहा- इसकी चिंता मत करो ये मेरा दोस्त है, कहीं कुछ नहीं कहेगा।

अब मनोज मामा ने मम्मी को बाँहों में लिया और किस करने लगा, मम्मी भी उसका साथ देने लगी।
मम्मी- आह … मनोज काटो मत! दर्द होता है, आराम से चूसो।
इस पर मामा बोला- बहुत दिन बाद तुम्हें चोदने का मौका मिल रहा है मेरी जान … आज ऐसी ही थोड़ी छोड़ूँगा।

मनोज ने अब सलवार के ऊपर से मम्मी की चूत को दबाने लगा। मम्मी भी गर्म हो गई। गाड़ी में केवल मेरी मम्मी और उनके यार मनोज दोनों की सिसकारियों की आवाज आ रही थी।

अपने दोस्त से मनोज ने कहा- यार गाड़ी को खेतों की तरफ ले लो!
और उसने गाड़ी को कच्चे रास्ते की तरफ ले लिया।

मनोज मामा और मम्मी एक दूसरे को चूम रहे थे।

अब मनोज मामा ने मम्मी के कमीज को ऊपर उठा कर उतार दिया तो मैंने देखा कि मम्मी की चूचियाँ ब्रा से बाहर निकलने को आतुर हो रही थी। मम्मी ने लाल रंग की ब्रा पहन रखी थी।
मनोज अब मम्मी के बड़े बड़े चूचों को दबाने लगा व मम्मी के होंठ चूसने लगा।

अब मामा ने मम्मी की सलवार का नाड़ा खोल दिया व सलवार को नीचे खिसका दिया। मम्मी ने लाल रंग की फूल वाली पैंटी पहनी थी।

अब मम्मी ने मनोज की पैंट का हुक खोला तो मनोज का लंड बाहर निकाला जो फनफना रहा था। मनोज ने मम्मी को ऐन गाड़ी के पीछे की सीट पर लेटाया और मेरी मम्मी की सलवार को पूरा निकाल दिया। मेरी मामी अब सिर्फ ब्रा पेंटी में थी और उनकी गोरी चिकनी जांघें दमक रही थी.

मम्मी बोली- जल्दी करो मनोज यार! किसी ने हमने इस हालत में देख लिया तो पंगा हो जाएगा।
मनोज- मंजू डार्लिंग, तुम चिंता मत करो, हमें कोई नहीं देखेगा यहाँ।

अब मामा ने मम्मी की पैंटी उतारी जिसे मम्मी ने अपनी सलवार पर रख दी। अब मम्मी की चूत को देखकर मनोज का लण्ड उग्र रूप धारण कर चुका था।

मम्मी- कंडोम नहीं है क्या तुम्हारे पास?
मामा- मेरी मंजू डार्लिंग, बिना कंडोम के जो मज़ा आएगा वो तुम देखना!
मम्मी- नहीं मनोज … कल को कुछ हो गया तो?
मामा- कुछ नहीं होगा मंजू। तुम चिंता मत करो, जब निकलने वाला होगा तो मैं बाहर निकाल लूँगा।

अब मनोज मामा ने अपने लंड का सुपारा मम्मी की चूत पर रखा तो मम्मी के मुँह से आह की आवाज निकली और उनके शरीर में एक मस्ती सी छा गई।

मामा का लंड धीरे धीरे मम्मी की चूत में समाये जा रहा था और मम्मी के मुँह से मादक सिसकारियाँ निकल रही थी।
मेरी माँ की चुदाई मेरे सामने हो रही थी.

Maa Ki Chudai
Maa Ki Chudai

अब मनोज का लंड धीरे से बाहर आता और एक ही झटके में मम्मी की चूत में समा जाता। ऐसे मनोज मामा ने क़रीब 20 मिनट तक मम्मी को पेला।

अब मनोज ने जब लंड बाहर निकाला तो मम्मी की चूत खुली की खुली रह गई। चूत फूलकर कुप्पा हो गई।
मम्मी ने कहा- चलो मनोज, लेट हो जाएँगे अब हम चलते हैं।

मनोज मामा ने अपने लंड को मम्मी की पैंटी से पौंछा। मम्मी ने भी अपनी चूत को पैंटी से साफ किया।

मम्मी ने अब सलवार पहनी तो मनोज मामा ने एक उंगली मम्मी की गांड में डाल दी।
मम्मी चिल्ला उठी- आह मनोज … वहाँ नहीं … बहुत दर्द होता है।
मनोज मामा- साली नाटक करती है? कितनी बार तो इतना बड़ा लंड तो तूने गांड में लिया है। अभी तुम्हारी गांड मारने की बहुत इच्छा है।
मम्मी- मनोज, आज नहीं फिर कभी।

ऐसा करके दोनों ने कपड़े पहन लिए और बाज़ार चले गये.

वहाँ से मम्मी ने कुछ निरोध कंडोम ख़रीदे। मनोज से चुदवाना जो था।

मैं और मम्मी नानी के घर 15 दिन रहे. इन दिनों में मनोज मामा ने हर रोज मेरी मम्मी को ख़ूब चोदा. मैंने कई बार अपनी माँ की चुदाई अपनी आँखों से देखी.

दोस्तो, कैसी लगी मेरे मामा और माँ की चुदाई की कहानी?

Friday, 27 October 2023

मेरी चालू दीदी सेक्स की भूखी

 

मेरी दीदी सेक्स की भूखी थी. यह मुझे तब पता चला जब उनके कॉलेज में सूना वो अपने कॉलेज के प्रिंसिपल से चुदवाती है. एक दिन छुट्टी के बाद मैंने देखा भी कि …

सभी दोस्तों को मेरा नमस्कार, मेरा नाम रघु है। मैं बनारस का रहने वाला हूँ। दोस्तो, मेरी उम्र 19 के करीब हो रही है. मैं अपने बहन भाइयों में सबसे छोटा हूं. मेरे पापा बनारस में ही जॉब करते हैं और मेरी मां हाउसवाइफ है।

घर में मां और पापा के अलावा मेरी तीन बहनें हैं- सरिता, स्वरा और सलोनी. मेरे घर में सभी स्वरा पाठ पर बहुत ध्यान देते हैं खासकर मेरी मां और बहनें.
सरिता दीदी की उम्र 26 साल है और उसकी शादी हो चुकी है.
स्वरा दीदी की उम्र 23 साल है और वो यूनिवर्सिटी में स्नात्कोत्तर की पढ़ाई कर रही है.
मेरी सबसे छोटी बहन सलोनी की उम्र 21 साल है और उसने अभी ग्रेजुएशन कॉलेज के फाइनल में प्रवेश किया है.

यह कहानी मेरी और मेरी स्वरा दीदी के बारे में है. स्वरा दीदी मेरी बीच वाली बहन है. जब वो अपनी ग्रेजुएशन कर रही थी तब की यह घटना है जो आज मैं आप लोगों को बताने जा रहा हूं. मेरी बहन पढ़ाई करने में ज्यादा ध्यान नहीं देती थी मगर वह देखने में काफी सुंदर और सेक्सी है.

कॉलेज में कई बार जब मैं उसको छोड़ने के लिए जाता था तो मैंने नोटिस किया था कि उसकी गांड और चूचियों को सभी लड़के ऐसी सेक्स भरी नजर से ताड़ते थे कि उसको चोद ही देंगे. और शायद स्वरा दीदी सेक्स के नशे में अपनी गांड को ऐसे मटका कर चलती थी कि उसको देख कर मेरा लंड भी खड़ा हो जाता था.

फिर ऐसे ही एक बार मुझे पता लगा कि अपने कॉलेज के प्रिंसिपल से भी स्वरा दीदी सेक्स करती है. उस वक्त मुझे यह जान कर अजीब लगा था क्योंकि मुझे उस बात पर यकीन नहीं हो रहा था. मैं सोच रहा था कि शायद किसी ने बदनाम करने के लिए दीदी सेक्स के किस्से बात चला रखे हैं कॉलेज में.
लेकिन मुझे क्या पता था कि सच में ही दीदी सेक्स की दीवानी और चुदक्कड़ निकलेगी. इस बात के बारे में मुझे तब पता लगा जब मेरे साथ ही एक घटना हो गई.

एक बार की बात है कि मैं दीदी को कॉलेज में लेने के लिए गया हुआ था. उस दिन दीदी ने मुझसे कहा- तुम जाओ मैं थोड़ी देर रुक कर आऊंगी.

मैं एक बार तो मैं जाने लगा लेकिन तभी मेरे मन में शक सा हुआ कि दीदी सेक्स के लिए तो नहीं रुकी … क्योंकि मैंने प्रिंसीपल के साथ उसकी चुदाई की बातें सुनी हुई थीं. वो हर दिन मेरे साथ ही आती थी लेकिन आज उसने मना क्यों कर दिया, मैं इसी बात को सोच रहा था. इसलिए मैंने इस बात की पड़ताल करने के बारे में सोचा.

स्वरा के कहने पर एक बार तो मैं बाहर आ गया. लेकिन मेरे मन में कुछ चल रहा था. मैं बाहर आकर छिप गया. कॉलेज से सभी विद्यार्थी जा चुके थे. इसलिए मैं छिप कर वहीं पर देखने लगा. जब कोई भी दिखाई नहीं दिया तो मैं प्रिंसीपल के ऑफिस की तरफ चला.

वहां पर रूम के बाहर पहुंचने के बाद मैंने देखा कि दरवाजा बंद था. मेरा शक और गहरा होता जा रहा था. उसके बाद मैंने यहां वहां देखा और फिर रूम के दरवाजे में बने चाबी वाले छेद से झांक कर देखने लगा. मेरी आंखों के सामने जो नजारा था उसे देख कर मेरी आंखें फटी की फटी रह गयी. अंदर दीदी सेक्स कर रही थी प्रिंसिपल के साथ!

मैंने देखा कि प्रिंसीपल मेरी स्वरा दीदी के चूचों को शर्ट के ऊपर से ही दबा रहे थे. वो भी मजे से अपने चूचों को दबवा रही थी. मेरी दीदी ने प्रिसींपल के लंड को पकड़ रखा था जो उसकी पैंट में तना हुआ दिखाई दे रहा था. वो उसके लंड को पकड़ कर सहला रही थी. दीदी के बाल खुले हुए थे और प्रिंसीपल के हाथ दीदी के चूचों को जोर से मसल रहे थे.

यह सब देख कर एक बार तो मुझे गुस्सा आया लेकिन मैं फिर उत्सुकतावश वहीं पर छिप कर देखता रहा कि आगे क्या होने वाला है. कुछ देर तक स्वरा दीदी के चूचों को दबाने के बाद प्रिंसीपल ने मेरी दीदी के चूचों को छोड़ कर उसकी शर्ट को उतारना शुरू कर दिया. अब स्वरा दीदी की ब्रा दिखने लगी थी. उसके बाद उसने मेरी दीदी की ब्रा के ऊपर से ही उसके चूचों को सहलाया और उसके चूचों को जोर से दबाने लगा.

कुछ देर तक ऐसे ही उसके चूचों को दबाने के बाद उसने दीदी की ब्रा को भी खोल दिया और उसके चूचे अब नंगे हो गये थे. फिर वो मेरी दीदी के चूचों को पीने लगा. स्वरा भी अब अपने चूचों को उसके मुंह में देकर सिसकारियां लेने लगी थी. कुछ देर तक वो ऐसे ही दीदी के बूब्स को पीता रहा.

बूब्स को पीने के बाद उसने दीदी की स्कर्ट को भी खोल दिया. अब मेरी दीदी केवल पैंटी में मेरे सामने थी. उसके नंगे चूचे एकदम तने हुए थे और वो प्रिंसीपल अब दीदी की पैंटी के ऊपर से उसकी चूत को अपनी हथेली से रगड़ रहा था. अब दीदी की टांगें खुलने लगी थीं. उसने दो मिनट तक दीदी की पैंटी को रगड़ा और फिर उसकी पैंटी को नीचे खींच दिया.

पैंटी को नीचे करने के बाद मैंने भी दीदी की चूत देखी. उसकी चूत पर बाल थे. वो प्रिंसीपल अब नीचे बैठ कर दीदी की चूत को चाटने लगा. मेरी दीदी ने उसके कंधे पर पैर रख लिया था और अपनी चूत को चटवा रही थी. वो तेजी से मुंह से मच-मच की आवाज करते हुए मेरी दीदी की चूत को चाट रहा था. यह नजारा देख कर मेरे लंड में भी पूरा तनाव आ गया था. मैं भी बाहर खड़ा होकर अपने लंड को सहलाने लगा था.

बाहर खड़े हुए मैं इस बात का ध्यान भी रख रहा था कि कोई मुझे देख न रहा हो. वैसे तो उस समय तक सब जा चुके थे लेकिन चपरासी के आने का डर था. मगर शायद प्रिंसीपल ने उस दिन चपरासी को भी पहले से छुट्टी दे दी थी. इसलिए वो दोनों इतने आराम से अंदर रासलीला कर रहे थे.

काफी देर तक वो दीदी को चूत को चाटता रहा और फिर जब दीदी से रहा न गया तो उसने प्रिंसीपल को खड़ा किया और उसके होंठों को चूसने लगी. वो जोर से उसके होंठों को चूस रही थी जैसे कोई रंडी हो. अब प्रिंसीपल ने अपनी पैंट खोलनी शुरू कर दी थी. उसने अपनी पैंट को खोल कर नीचे कर दिया.

उसकी पैंट नीचे गिर गयी और उसका लंड उसके कच्छे में तना हुआ अलग ही दिखाई दे रहा था. मेरी दीदी ने उसके लंड को कच्छे के ऊपर से ही पकड़ लिया और उसको तेजी के साथ सहलाने लगी. दो मिनट तक एक दूसरे के होंठों को चूसते हुए उसने लंड को तेज गति से सहलाया. फिर प्रिंसीपल ने अपना कच्छा भी नीचे कर दिया.

मेरी दीदी ने कच्छा नीचे होते ही उसके लंड को हाथ में ले लिया. उसके लंड को पकड़ कर उसकी मुठ मारने लगी. वो अब जोर से दीदी के होंठों को काट रहा था. कभी गर्दन पर काट रहा था तो कभी उसके चूचों को जोर से दबा रहा था. काफी देर तक ऐसे ही मेरी दीदी के बदन को चूसने के बाद उसने दीदी को नीचे बैठा दिया.

उसने दीदी के सामने अपना लंड हिलाना शुरू किया. दीदी के सामने लंड को हिलाते हुए वो दीदी के मुंह पर लंड को पटक रहा था. एक दो बार उसके चेहरे पर लंड को लगा कर उसने दीदी के मुंह को खुलवा दिया और अपना लंड मेरी दीदी के मुंह में दे दिया.
मेरी दीदी अपने सर के लंड को अपने मुंह में लेकर जोर से चूसने लगी.

अब प्रिंसीपल के मुंह से सिसकारियां निकल रही थीं. वो तेजी से अपने लंड को उसके मुंह में अंदर और बाहर कर रहा था. दीदी भी मजे से रंडियों की तरह उसके लंड को चूसती जा रही थी. काफी देर तक उसके लंड को चूसने के बाद दीदी ने उसके लंड को निकाला तो उसका लंड दीदी की लार से एकदम चिकना होकर चमकने लगा था.

उसके बाद उसने फिर से दीदी के सिर को पकड़ा और दोबारा से उसके मुंह में लंड को देकर चुसवाने लगा. दीदी के मुंह में उसका लंड पूरा का पूरा अंदर तक उतर जा रहा था. मैं भी देख कर हैरान था कि मेरी बहन सच में इतनी चुदक्कड़ और चुसक्कड़ हो चुकी है कि वो पूरे लंड आराम से मुंह में लेकर चूस लेती है.

दो मिनट तक लंड को चुसवाने के बाद उसने दीदी को वहीं पर टेबल पर पीठ के बल लेटा दिया. उसने ऐसी पोजीशन में लेटाया कि दीदी की टांगें नीचे जमीन की ओर लटक रही थीं और उसका धड़ ऊपर टेबल पर लेटा हुआ था. उसने दीदी की चूत में उंगली करनी शुरू कर दी.

एक हाथ से वो प्रिंसीपल मेरी दीदी की चूत में उंगली कर रहा था और दूसरे हाथ से दीदी के मोटे चूचों को दबा रहा था. अब दीदी के मुंह से जोर जोर की आवाजें निकलने लगी थीं जो कमरे के बाहर तक आ रही थीं. ये सब देख और सुन कर मेरे लंड का भी बुरा हाल हो गया था. मैंने अपने लंड को वहीं पर पैंट से बाहर निकाल लिया और उन दोनों की रासलीला देखते हुए मुठ मारने लगा.

कुछ देर तक दीदी की चूत में उंगली करने के बाद उसने दीदी की चूत को फिर से जीभ देकर चाटा और उसको पागल कर दिया. अब दीदी तड़पते हुए उसको चूत में लंड डालने के लिए जैसे भीख सी मांग रही थी.

वो प्रिंसीपल तेजी से दीदी की चूत में जीभ को देकर चाट रहा था. फिर उसने अपनी शर्ट भी उतार दी और वो पूरा नंगा होकर दीदी की चूत पर लंड को रगड़ने लगा. उसने दीदी की चूत पर लंड को लगाया और उसकी चूत में लंड को धीरे धीरे अंदर डालने लगा.

देखते ही देखते प्रिंसीपल का लंड मेरी दीदी की चूत में अंदर तक चला गया. वो दीदी की चूत की चुदाई करने लगा. अब दोनों के मुंह से ही सिसकारियां निकल रही थीं. उसने दीदी की टांग को और फैला दिया और उसकी चूत में लंड को पेलने लगा. अब दीदी जोर से सिसकारियां लेते हुए अपनी चूत उस प्रिंसीपल से चुदवा रही थी.

वो कह रही थी- उम्म्ह … अहह … हय … ओह … सरर्र… आह्ह … आज तो मेरी चूत को फाड़ ही दो. आह्ह … बहुत मजा आ रहा है सर … मेरी चूत में आपका लंड बहुत मजा दे रहा है.
प्रिंसीपल बोला- हां साली चुदक्कड़ रंडी. तेरी चूत को अच्छे तरीके से बजाऊंगा मैं. तेरे जैसी चूत को चोदने का मजा ही अलग है.
दीदी बोली- सर एग्जाम में मार्क्स तो पूरे दोगे ना?
वो बोला- हां मेरी रंडी, अगर तू चुदाई के इम्तिहान में इतना अच्छा कर रही है तो फिर पढ़ाई में भी तुझे पूरे नम्बर दूंगा. तू उसकी चिंता मत कर.

इस तरह से वो दोनों गंदी गंदी बातें करते हुए एक दूसरे के साथ चुदाई का पूरा मजा ले रहे थे. इधर मेरे लंड से भी वीर्य छूटने ही वाला था. वो तेजी से मेरी दीदी की चूत मार रहा था और मैं बाहर खड़ा होकर अपने लंड की मुठ मार रहा था.

दो मिनट के बाद मेरे लंड ने वहीं पर वीर्य छोड़ दिया. अब प्रिंसीपल ने दीदी को सोफे पर आने के लिए कहा. स्वरा दीदी उठ कर सोफे की तरफ आई. वो पहले से ही जानती थी कि उसे कौन सी पोजीशन लेनी है. वो सोफे पर आकर झुक गई. अब उसने पीछे से दीदी की चूत में लंड को पेल दिया और उसकी चूत को चोदने लगा.

पांच मिनट तक स्वरा दीदी की चूत को अपने मोटे लंड से रौंदने के बाद उसने एकदम से झटके देने शुरू कर दिये. उसका वीर्य दीदी की चूत में निकल रहा था शायद. वो झटके देते हुए दीदी के ऊपर ही लेट गया. दोनों ही हांफ रहे थे. दो मिनट तक वो दोनों वहीं सोफे पर पड़े रहे और उसके बाद दीदी ने उसको उठने के लिए कहा.

जब वो उठा तो उसका लंड सिकुड़ कर अपने सामान्य आकार में आ गया था. उसने अपनी टेबल से एक कपड़ा निकाला और अपने लंड को साफ किया. फिर उसी कपड़े से दीदी ने भी अपनी चूत को साफ किया और दोनों ने अपने अपने कपड़े पहनने शुरू कर दिये.

दीदी सेक्स कर चुकी थी तो अब मेरा भी वहां पर रुकना ठीक नहीं था. मैं वहां से आ गया. मुझे दीदी से पहले ही घऱ पहुंचना था. मैंने बाहर आकर बाइक स्टार्ट की और घर के लिए निकल गया.
आंधे घंटे के बाद दीदी भी घर में वापस आ गयी. मैंने जान बूझ कर उससे पूछा कि वो इतनी लेट क्यों हो गई तो दीदी ने कहा कि कॉलेज में एक प्रोजेक्ट का काम कर रही थी.

मगर मैं भी जानता था कि दीदी कॉलेज में पढ़ाई का नहीं बल्कि चुदाई का प्रोजेक्ट पूरा कर रही थी. अब दीदी को लेकर मेरा नजरिया बदल गया था. मैं भी उसकी चूत चोदने की फिराक में था. मुझे भी दीदी की चूत चोदने का मौका मिला.

वह सारा वाकया मैं आपको अपनी अगली स्टोरी में बताऊंगा कि कैसे मैंने दीदी की चूत को चोदा और दीदी ने मेरे लंड को कैसे मजा दिया. उसके लिए आपको मेरी अगली कहानी का इंतजार करना होगा. फिलहाल इस कहानी में इतना ही.

जल्दी ही मैं आप लोगों के लिए अपनी अगली कहानी लिखूंगा. मेरी दीदी सेक्स कहानी पर अपनी प्रतिक्रिया देकर बताएं कि आपको कहानी कैसी लगी. मुझे आपके मैसेज का इंतजार रहेगा.

Thursday, 26 October 2023

मैंने हॉस्टल गर्ल की सील तोड़ी-3

 

हालांकि उनका घर विपरीत दिशा में था, लेकिन शायद वक़्त कुछ और चाह रहा था. उनका घर विद्यालय से 43 किलोमीटर दूर था. मम्मी पीछे बैठी थीं, पूजा भी पीछे थी. संध्या ने उसे आगे नहीं बैठने दिया था.

संध्या आगे मेरी बगल की सीट पर थी. वो हर बार वहीं हाथ ले आती, जब मैं गियर लगाता. जब उसका हाथ टच होता, तो वो मुस्कुरा देती. लेकिन मैं सिर्फ मिरर से पूजा को देखने लगता.

करीब एक घंटे चलने के बाद हम किसी गांव में आ गए थे, जो कि उनका था. आगे का रास्ता कच्चा था, तो मैं धीरे कार चला रहा था. करीब दस मिनट चलने पर हम लोग मंजिल पर आ गए थे. उनका घर काफी अन्दर था. जब हम सब उनके घर पहुंचे, तब शाम हो रही थी.

उनके घर में उनके पिता, मम्मी और दो भाई थे, जो शहर में काम करते थे. पूजा के दोनों भाई बहुत कम घर आते थे. अभी घर में सिर्फ उनकी माँ और पिता थे. पूजा और संध्या के मम्मी पापा ने मेरी मम्मी और मेरा काफी सत्कार किया.

अब शाम हो रही थी … यही कोई 6 बज रहा था. अंधेरा शुरू होने लगा था और उस गांव में बिजली नहीं थी.

संध्या और पूजा खाना बना रही थीं. उनके माता पिता हमें रोक रहे थे. वो कह रहे थे- हमें भी खातिरदारी का मौका दीजिए.
उधर अंधेरा भी काफी हो चुका था और मेरा भी रुकने का मन था.
मैंने मम्मी को मनाया … हालांकि वो थोड़ा नाराज़ हुईं … मगर मान गईं.

कुछ देर बाद हम सब खाना खा चुके थे. हम सभी ने लालटेन की रोशनी में खाना खाया. खाने के बाद मीठे की बारी थी. अंधेरे में साफ नजर तो नहीं आ रहा था, लेकिन शायद वो पूजा थी, जो मिठाई लेकर आई थी. उसने पहले मम्मी को खिलाई … फिर मेरे पास आकर मुझे खिलाने लगी. मैं बैठा था और अंधेरा भी था, तो मैंने उसकी कमर पर एक हाथ और एक हाथ उसके कपड़े के ऊपर से चूत पर रगड़ा. मुझे कुछ अजीब लगा कि उसकी कमर पतली कैसे हो गयी … चूत इतनी टाइट … वो भी बिना पैंटी के.

मैंने तुरन्त हाथ पीछे किया … क्योंकि वो पूजा नहीं संध्या थी. लेकिन शायद वो गर्म हो चुकी थी … इसीलिए उसने मेरा सर अपने सीने से चिपका लिया.

उसके जिस्म की क्या मस्त महक आ रही थी … मैं बता नहीं सकता. संध्या ने मुझे कामुक कर दिया था.

करीब दो मिनट वो वैसे ही खड़ी रही. उसने मुझे टाइट पकड़ रखा था, तो मैंने भी उसके चूतड़ों को दबा कर मजे लिए. मैं तो खुशी से फूला नहीं समा रहा था कि मैं तो छाछ पीना चाह रहा था, यहाँ तो मक्खन मिल रहा था.

तभी अचानक उसे किसी ने बुलाया. वो कोई और नहीं पूजा थी.
उसने कहा- संध्या जाओ … मेम और भैया के लिए बिस्तर लगा दो.

संध्या चली गयी. अब वहां मैं और पूजा थे … क्योंकि मम्मी उनके पेरेंट्स से बात कर रही थीं, जो कि थोड़ी दूर पर बैठे थे.

अचानक पूजा ने मेरा सर पकड़ा और अपने होंठों से होंठों मिला दिए. वो मेरे लिए क्या मस्त एक्सपीरियंस था. एक तरफ चुदी हुई पूजा और दूसरी तरफ चुदासी कमसिन संध्या … वो तो अच्छा था कि मैं पूरी तैयारी के साथ आया था. मैंने सभी तरह की पिल्स रख ली थीं. क्योंकि आज की रात मेरे लिए बहुत ज्यादा हसीन होने वाली थी.

मैंने सब प्लान कर लिया था कि कैसे दोनों को चोदना है. बस सबके सोने का इंतज़ार था.

सब सो चुके थे. अब रात के 12 बज रहे थे. मैं गाड़ी चैक करने के बहाने से उठा और बाहर आ गया. मैं धीरे से आगे बढ़ता हुआ चुपचाप दोनों के पास पहुंचा. उन दोनों को देख कर मैं कंफ्यूज था कि कैसे पहचानूं कि संध्या कौन है … क्योंकि पूजा को ये बात नहीं पता थी कि आज उसकी बहन भी चुदने वाली है. वो भी उसी के चुदक्कड़ आशिक़ से लंड लेगी.

मैंने नीचे की तरफ करके मोबाइल की टॉर्च को जलाया और हल्के से देखा कि संध्या कहां है.

मैंने संध्या के मुँह पर हाथ रख कर उसे उठाया, वो समझ गयी कि आज उसको वो आनन्द मिलने वाला है, जो शायद वो जानती थी कि उसकी दीदी ले चुकी है.

वो धीरे से उठ गई. मैं उसका हाथ पकड़ कर चल रहा था. वो मुझे कहीं ले जा रही थी.
मैंने फुसफुसा कर पूछा- हम लोग कहां जा रहे हैं.
उसने कहा- वहां … जहां हम अकेले हों.

वो घर से बाहर मुझे किसी खंडहर में ले गयी. मैंने देखा कि वहाँ कुछ बोरी और चटाई पड़ी थीं.

मैंने कहा- लगता है पूरी तैयारी कर ली थी.
वो मुस्कुराई और उसने मुझसे पूछा- अब क्या?
मैंने कहा कि बस आज तुम्हें उसके दर्शन होंगे, जिसे तुम ढूंढ रही हो.
उसने पूछा- कैसे?
मैंने कहा कि जब तुम उसे अपने मुँह में लोगी … तो तुम्हें खुद पता चल जाएगा.
उसने कहा- कैसे लूं मुँह में … जैसे दीदी ने लिया था विद्यालय में … वैसे?

मैं हैरान था कि उसे कैसे पता चला. मैं समझ रहा था कि इस देसी लड़की की कामाग्नि पूरी प्रज्जवलित है.

उसने कहा- मैं भी वहां आयी थी … दीदी के पीछे मैंने सब देखा था कि कैसे आपने दीदी को मजे से चोदा. आपकी मर्दानगी देखकर मैंने सोच लिया था कि एक बार आपसे जरूर चुदवाऊंगी.

मैंने संध्या को देखा, वो चुदने को तैयार थी. उसने मेरे लोअर को धीरे से उतारा और मेरे लंड को वासना भरी निगाहों से देखने की कोशिश में लगी दिखी.

उसने जैसे ही लोअर नीचे किया, मेरा लंड हवा में लहरा उठा था. लंड पूरे साइज में झूम रहा था.

जब उसने मेरा खड़ा लंड देखा, तो वो कुछ भय से भरी आवाज में कहने लगी- उई माँ … इतना बड़ा कैसे जाएगा … अंधेरे में कल आपका सही से दिखा नहीं था … लेकिन अब मैं समझ गयी हूँ कि दीदी क्यों लंगड़ा रही थी … इतनी छोटी चूत में इतना बड़ा लौड़ा जाएगा तो चुत की तो माँ चुदना पक्का ही है.

वो लंड चुत जैसे शब्द बड़ी बिंदास होकर बोल रही थी. एक बार को मुझे संदेह हुआ कि साली की फटी हुई चुत तो नहीं है. लेकिन फिर भी माल करारा था, सो लंड चुत चुत करने लगा था.

मैंने उसके दूध दबाते हुए कहा- तुमने अपनी दीदी को देखा है … मैंने ही उसे फूल बनाया है … क्या तुम वैसी नहीं बनना चाहती हो?
वो मुस्कुराई- मुझे उससे भी ज्यादा मस्त बनना है.

मैंने ये कहते हुए उसके हाथ को पकड़ कर अपने लंड पर रखवा दिया- तो लो इसको सहलाओ.

सन्ध्या ने जैसे ही मेरा लिंग छुआ. मुझे एक अलग आनन्द मिलने लगा था. तभी मेरी उम्मीद से आगे वो एकदम से झुकी और उसने अपने मुँह में मेरा लंड भर लिया. वो लंड को धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगी. मुझे तो एकदम से तरन्नुम मिल गई. उसका पूरा मुँह मेरे लंड से भरा हुआ लग रहा था.

संध्या के इस अवतार का मैंने पूरा मज़ा लिया. उसका सर पकड़ कर अपने लंड को उसके गले तक पहुंचा दिया. पूरा हलक तक लंड घुस जाने से वो सांस भी नहीं ले पा रही थी. उसकी आंखें उबली पड़ रही थीं. मैंने लंड बाहर निकाला और फिर अन्दर डाला. करीब 15 मिनट ऐसे ही किया.

वो अभी भी कपड़े पहने हुए थी. उसने कुर्ती और लैगी पहनी थी. मैंने उसे खड़ा किया और उसकी कुर्ती उतार दी. उसने हाथ उठा कर मुझे सहयोग किया. मैंने देखा उसने नीचे सफ़ेद ब्रा पहनी हुई थी. उसके चूचे पूजा से छोटे थे … लेकिन काफी सेक्सी और टाइट थे.

मैंने संध्या के होंठों को चूसना शुरू किया. पहले उसे कुछ समझ नहीं आया, लेकिन धीरे धीरे वो मेरा साथ देने लगी. मैं उसके चुचे दबाता हुआ उसके होंठों को चूस रहा था.

फिर मैंने एक हाथ उसकी चूत पर रख दिया. उसने लैगी के नीचे पैंटी नहीं पहनी थी. मेरी उंगली जैसे ही उसकी चूत को छुई, वो काफी टाइट और गर्म हल्की गीली थी.

मैंने पूछा- पहले कभी चुदी हो?
उसने कहा कि नहीं … चाहा तो बहुत से लड़कों ने था, लेकिन इज़्ज़त की वजह से और घर में पता न चल जाए, इस वजह कभी नहीं चुदी. हां लेकिन मैंने सोचा था कि किसी बाहर के लड़के से चुदूँगी और वो तुम पहले हो, जिसे मेरी चूत चोदने का मौका मिल रहा है.

संध्या की मस्तराम बातें सुन कर मैं और ज्यादा कामुक हो गया था.
मैंने उसकी चूत को ज्यादा देर इंतजार नहीं कराया और संध्या की तरफ देखा. उसने पास रखी तेल की शीशी की तरफ इशारा किया. मतलब साली पूरी तैयारी करके आई थी. मैंने सोचा तेल लाई है, तो गांड भी मारी जा सकती है. पर पहले चूत का भोग लगा लिया जाए, फिर गांड की तरफ देखूँगा.

मैंने शीशी से तेल लेकर उसकी चूत के मुँह पर मल दिया और धीरे से लंड को अन्दर करने लगा. जैसे ही थोड़ा सा लंड अन्दर गया, वो कराही. उसी समय मैंने अन्दर की तरफ एक तेजी से झटका दे मारा.

मेरा पूरा लंड जैसे ही अन्दर गया, वो चिल्ला दी … शायद उसे दर्द हो रहा था. उसकी सील टूट चुकी थी … क्योंकि हल्का खून निकल रहा था. मैं रुका नहीं, उसने मुझे हल्का पीछे धक्का देना चाहा … लेकिन मैंने उसे जकड़ लिया और तेजी से उसकी चूत मारने लगा.

पहले वो हल्का रोई … लेकिन बाद में उसे मजा आने लगा.

अब वो गांड हिलाते हुए कह रही थी- आह … मुझे इतना चोदो कि मेरी चुत की सारी खुजली मिट जाए.

उसकी चूत से पानी जल्दी ही आ गया. मैं फिर भी नहीं रुका.

उस वक्त करीब रात के डेढ़ बज रहे होंगे. मैं पहले काफी थक चुका था. इसलिए मैं थोड़ा स्लो हो गया.
उसने कहा- क्या हुआ?
मैंने कहा- मैं थक गया हूं … मुझे आराम चाहिए.
उसने कहा- आप नीचे लेट जाइए.

मैं लेट गया, अब वो मेरे ऊपर चढ़ गई थी और मेरे लंड को अपनी चूत में डालकर ऊपर नीचे करने लगी.

करीब आधा घंटा वैसे ही चलता रहा. उसने कहा कि आपका लंड इतना टाइट और बड़ा है … लेकिन कुछ निकल क्यों नहीं रहा.

मैंने कहा- जान, ये मेरी सेक्स टीचर की वजह से है … वरना मुझे तो ये सब कुछ भी नहीं पता था. लेकिन एक बात कहूं, जब मैंने तुम्हें पहली बार मम्मी के विद्यालय में देखा था, तुम्हारे फिगर को देखकर उसी समय से तुम्हें चोदने का मन कर रहा था. देखो आज तुम मेरे लंड पर बैठी हो.

वो मस्त गांड उठा उठा कर चुत पटक रही थी. मुझे भी अब अच्छा लग रहा था. फिर मैंने एकदम से उसकी कमर जकड़ी और तेजी से उसकी चूत मारने लगा. वो भी लंड के मजे ले रही थी. उसके मुँह से निकलती हुई आवाजें मुझे सुकून दे रही थीं. इतने तेज घर्षण से वो अब तक दो बार झड़ चुकी थी.

अब मुझे भी लग रहा था कि मैं बहने वाला हूँ. मैंने अपना माल उसकी चूत में झाड़ दिया.
उफ्फ क्या चूत थी उसकी … बहुत टाइट थी. लेकिन मेरे लंड ने उसे भी ढीला कर दिया.

हम दोनों झड़ने के बाद वैसे ही पड़े रहे. करीब पौने घंटे बाद हम फिर चार्ज हो उठे थे. मैंने इस बार उसकी गांड मारने की बात सोची.

मैंने उसकी गांड के छेद को टटोला, तो वो खुद से बोली- सही जगह उंगली लगाई है … मैं तेल की शीशी इसी लिए लाई थी.
मैं उसकी बात सुनकर मस्तराम हो गया. मैंने उसे कुतिया बनाया और गांड में तेल डाल कर छेद को ढीला किया. फिर उसके पीछे से चढ़ कर उसके चूचे दबा दबा कर उसकी गांड मारी.

बीस मिनट तक गांड बजाने के बाद मैंने उसकी गांड में ही अपना माल छोड़ दिया.
उसकी गांड एकदम चिकनी थी. सारा माल बाहर बह गया.

अब 3 बजने वाले थे. उसने कहा- अब हमें चलना चाहिए … क्योंकि यहां गांव में लोग जल्दी उठ जाते हैं.

मैंने कहा- एक आखिरी बार मेरे लंड को जल्दी से चूस कर राहत दिला दो.

उसने जल्दी से मेरे लंड को चूसना शुरू किया. उसकी जीभ का स्पर्श मेरे टोपे को बहुत मजा दे रहा था. उसके चूसने की स्पीड इतनी तेज थी कि मैंने कब माल उसके मुँह में छोड़ दिया, मुझे पता ही नहीं चला.

वो माल थूकना चाह रही थी.
मैंने कहा- इसे पी लो, तुम्हारी जवानी चमक जाएगी.
उसने मेरे रस को पी लिया और मेरे होंठों से अपने होंठों को पौंछ दिया. उसने मुझे भी मेरे वीर्य का स्वाद दिला दिया.

फिर हम दोनों ने अपने आपको साफ किया, कपड़े पहने और वापस चल दिए. जब वो चल रही थी, तो हल्का लंगड़ा रही थी.
उसने कहा- मुझे दर्द हो रहा है.
मैंने उसे दवा दी और कहा- इसे ले लेना.

मैं घर में जाकर अपनी जगह पर सो गया और वो भी सो गई.

जब हम सुबह उठे, तो फ्रेश होने के बाद जब मैं नाश्ता कर रहा था. तब पूजा ने संध्या को लंगड़ा कर चलते हुए देखा. उसने पूछा- क्या हुआ संध्या?

उसने कहा- दीदी मैं फिसल गई थी.

मैं धीरे से मुस्कुरा दिया, पूजा ने मेरी तरफ गौर से देखा, उसने मुझे इशारे से अकेले में बुलाया और पूछा कि आखिर तुमने ऐसा क्यों किया?
मैंने कहा- जान जैसे तुमने किया, वैसे उसने किया.

इसके बाद उसने कुछ नहीं कहा. वो वहां से चली गयी. उसके इस तरह से रिएक्ट करने से मुझे लगा कि अब मेरा सारा काम खत्म हो गया.

लेकिन वक़्त कुछ और चाह रहा था.

शायद संध्या का दिल अभी नहीं भरा था. इसीलिए उसने कहा- मैं तुम्हें आज अपना गांव घुमाऊंगी.
उतने में पूजा आ गयी. उसने कहा- मैं भी साथ चलूंगी.
मेरी तो समझ में नहीं आ रहा था कि क्या चल रहा है.

मैंने कहा- मम्मी को घर जाना है.
तब पूजा ने कहा- चिन्ता न करो, वो माँ बाबा के साथ आज कहीं जाने वाली हैं.
संध्या ने कहा- मैंने घूमने के लिए उनसे पूछ भी लिया है, बस तुम तैयार हो जाओ.
मैंने कहा- ठीक है.

हम तीनों घूमने चल दिए.

हम लोग कार से थे. इस बार पूजा ने संध्या को आगे नहीं बैठने दिया.

करीब 20 मिनट बाद पूजा ने बोल ही दिया कि तुम दोनों के बीच क्या चल रहा?
मैं कुछ बोलता, उससे पहले संध्या ने बोल दिया कि वही … जो आप दोनों के बीच चल रहा है.

काफी देर बहस करने के बाद मैंने कह ही दिया कि एक बात सुनो … मैं तुम दोनों से प्यार नहीं करता, तो लड़ना बेकार है.
इतना सुन कर दोनों चुप हो गईं.

करीब 20 मिनट बाद पूजा ने कहा- अब क्या?
मैंने कहा- अगर और इच्छा बची है … तो मैं तुम दोनों की खुजली मिटा सकता हूँ.

आखिरकार दोनों तैयार हो गईं. फिर एक सुनसान जगह पर कार ले जाकर हम तीनों ने खूब सेक्स किया.

ये दो लड़कियों को एक साथ सेक्स का मेरा पहला अनुभव था. आज वो दोनों शादीशुदा हैं … और मैं आज भी कुँवारा हूँ. लेकिन उस दिन के बाद मैंने उन्हें कभी नहीं चोदा.

दोस्तो, मेरी मस्तराम सेक्स स्टोरी कैसी लगी? ज़रूर बताएं, वैसे मेरी सेक्स लाइफ की शुरुआत कैसे हुई, ये मैं आपको अपनी अगली कहानी लिखूँगा जिसमें एक टीचर ने मुझे चुदक्कड़ बना डाला था.
तो दोस्तो, फिर मिलता हूँ.

Wednesday, 25 October 2023

मैंने अपनी चुदासी बुआ को चोदा

 

रिश्तों में चुदाई की इस कहानी में पढ़ें कि कैसे मैंने अपनी बुआ को चोदा. बुआ का फिगर बहुत ही मस्त था. मैं उन्हें बाथरूम में नंगी नहाती देखता था. वो बहुत चुदासी थी और बाथरूम में अपनी चूत में उंगली करती थी.

मेरा नाम केशव है. मैं जयपुर का रहने वाला हूँ. मेरे घर में मेरे मम्मी पापा, बड़ा भाई और एक बुआ रहती थीं जो तब तक कुंवारी थीं. रिश्तों में चुदाई की इस कहानी में मैं आपको बताऊँगा कि कैसे मैंने अपनी बुआ को चोदा.

बुआ का फिगर बहुत ही मस्त था. उनके मोटे मोटे चूचे बड़े ही मस्त थे. पतली कमर और उसके नीचे बुआ की उभरे हुए चूतड़ थे. जब वो चलती थीं, तो उनकी मटकती गांड देख कर मेरा आठ इंच का लंड एकदम सिग्नल सा खड़ा हो जाता था.

ये हालत मेरे लंड की ही नहीं थी, जो भी उनकी मटकती गांड को एक बार देख भर ले, गारंटी है कि उसका लंड खड़ा हो जाएगा.

जब बुआ नहाने जाती थीं, तो मैं बाथरूम के छेद से चुपके से उन्हें नहाते हुए देखता रहता था. वो भी जब अन्दर नहाती थीं, तो बिल्कुल नंगी होकर नहाती थीं. ख़ास बात ये थी कि बुआ नहाते समय अपने मोटे चूचों को खूब मसलती थीं.

वो अपनी चूत को भी अपने हाथ से सहलाती थीं और कभी कभी तो उसमें उंगली भी डाल लेती थीं. बुआ की चूत बड़ी गद्देदार थी.

ऐसे ही एक बार मैं बुआ को नंगी नहाते हुए देख रहा था. उस दिन बुआ अपनी चूत में उंगली कर रही थीं. बुआ की चूत पर छोटे छोटे बाल थे, ऐसा लगता था कि उन्होंने थोड़े दिन पहले ही अपनी झांटों को साफ किया था.

बुआ के नंगे चूचे और मस्त गांड देखते ही मेरा लंड खड़ा होने लगा. उन्होंने अपने पूरे बदन पर साबुन लगाया और चूचों को दबाने लगीं. कुछ पल बाद बुआ अपने एक हाथ से अपनी चुत में उंगली डालने लगीं.
उनकी हल्के स्वर में कराहने की मादक आवाज निकलने लगी. थोड़ी देर में ही वो झड़ गईं और एक हाथ से अपने चूचों को सहलाते हुए चूत में से उंगली निकाल कर चाट ली.

फिर कुछ देर बाद बुआ नहा कर बाहर आ गईं. मैं वापस अपनी जगह आ कर बैठ गया. वो अपने कमरे में जा कर कपड़े पहनने लगीं. उन्होंने पिंक रंग की ब्रा और पेंटी पहनी. उस ब्रा पेंटी के सैट में वो बहुत ही मस्त लग रही थीं.

फिर मैं नहा धो कर विद्यालय चला गया. जब शाम को घर वापस आया, तो मम्मी और पापा घर पर नहीं थे.

मेरे पूछने पर बुआ ने बताया कि किसी रिश्तेदार की मृत्यु हो गई है, वहां चले गए हैं. शायद उनको आने में कुछ दिन लग जाएं.

बुआ ने खाना परोसा और मुझे दे दिया. मैंने खाना खाया और अपने कमरे में जाकर पढ़ाई करने में लग गया.

शाम होने से कुछ देर पहले बुआ ने मेरे पास आकर पूछा कि शाम के खाने में क्या खाएगा?
मैंने कहा- बुआ ऐसा खाना बनाओ, जो मस्त लगे.
बुआ हंस दीं और खाना बनाने चली गईं.

मैं बाहर खेलने चला गया. मैं शाम को 7 बजे वापस आया, तो बुआ ने खाना बना लिया था.
बुआ ने बोला- खाना खा ले.
मैंने कहा- बुआ साथ में ही खाएंगे.
बुआ ने कहा- मैं तो नहाने के बाद खाऊंगी.
मैंने कहा- ठीक है. आप आ जाओ फिर साथ ही खाएंगे.
तब बुआ बोलीं- ओके, मैं नहाने जा रही हूँ.

बुआ नहाने चली गईं और बाथरूम का दरवाजा बंद कर लिया. दरवाजा बंद होते ही मेरी आंख बाथरूम के उसी छेद में लग गई. मैंने देखा कि बुआ ने अपनी पेंटी और ब्रा उतारी और नहाने लगीं. उन्होंने पहले अपने पूरे बदन पर साबुन लगाया और वे अपनी बुर के बाल साफ करने लगीं.

चूत के बाल साफ करके बुआ अपनी एक उंगली चूत में लेने लगीं. ये देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया.

थोड़ी देर मैं बुआ झड़ गईं और नहा कर कपड़े पहन कर बाहर आने लगीं. मैं वहां से हट गया. वो अपने कमरे में चली गईं.

फिर बुआ ने कहा- खाना खा लें क्या?
मैंने कहा- बुआ आप बुरा न मानो, तो आज मैं थोड़ा एन्जॉय कर लूं?
बुआ ने आंखें नचाईं और पूछा- कैसा एन्जॉय?

मैंने अंगूठा उठाया और दारू पीने का इशारा किया.

बुआ हंस दीं और बोलीं- तू पीता भी है?
मैंने हंस कर कहा- कभी मौक़ा मिल जाता है, तो मजा कर लेता हूँ.
बुआ बोलीं- बाजार जाएगा क्या?
मैंने बुआ से कहा- नहीं, पापा की दारू की बोतल में से हम दोनों थोड़ी टेस्ट कर लेते हैं … उनको क्या पता चलेगा.

ये कह कर मैंने उनको भी लपेटने की कोशिश की थी.

बुआ हंस दीं और बोलीं- ज़्यादा नहीं लेंगे … कहीं नशा वशा हो गया, तो दिक्कत हो जाएगी.
मैंने उत्साहित होकर कहा- बुआ बस दो दो पैग ही लेंगे. दो पैग से कुछ नहीं होता है. मैं अभी लाया, आप जरा गिलास और नमकीन का इंतजाम करो.

फिर मैं पापा की दारू की बोतल ले आया. तब तक बुआ ने टेबल पर दो गिलास और साथ में आइस भी रख दी थी. एक प्लेट में भुने हुए काजू भी रख लिए थे. मुझे देख कर आश्चर्य हुआ कि बुआ को दारू लेने के बारे में सब कुछ मालूम है.

मैंने दोनों गिलासों में दारू डाल कर पैग बनाए. मैंने बुआ का गिलास थोड़ा ज़्यादा हार्ड बना दिया.

हम दोनों ने चियर्स बोल कर जाम टकराए.

बुआ पहला सिप लेते ही बोलीं- ये तो बड़ी कड़वी है यार … लोग कैसे पी लेते हैं.
मैंने कहा- बुआ इससे बड़ी मस्ती चढ़ती है. आपको मजा आ जाएगा … लो तो.

मैंने बुआ को ज़बरदस्ती शराब पिला दी. फिर हम दोनों थोड़ी देर इधर उधर की बातें करने लगे.

मैं बुआ से बोला- बुआ शादी कब कर रही हो … अब तो आप पूरी जवान हो गई हो.
बुआ मस्ती में बोलीं- तुझे कैसे मालूम है कि मैं जवान हो गई हूँ.
मैं शरमाते हुए बोला- आपको देख कर ही लगता है.
फिर बुआ ने गिलास से घूँट लेते हुए कहा- हां करेंगे जल्दी ही.

कुछ देर में दो दो पैग खत्म हो गए.

मैंने एक एक पैग और बनाया और हम दोनों दारू पीने के साथ साथ खाना खाने लगे.

खाना खत्म करते करते बुआ को नशा होने लगा. उन्होंने अपनी टांगें टेबल पर पसार दी थीं और मस्त बातें करने लगी थीं.

मैंने सारे बर्तन रसोई में रख कर बुआ को बोला- चलो, मैं आपको आपके कमरे में ले चलता हूँ.
बुआ नशे में बोलीं- क्यों?
मैंने कहा- आपको सुला देता हूँ.
बुआ ने बोला- नहीं, आज हम एक साथ ही सोएंगे … रात में मुझे कुछ हो गया, तो में क्या करूंगी … तू साथ रहेगा, तो मुझे संभाल तो लेगा.

मैं कुछ नहीं बोला मुझे बुआ की चुत मिलने जैसी लगने लगी थी.

बुआ कुछ देर बाद लड़खड़ाते हुए उठीं और मेरा सहारा लेते हुए अपने कमरे में जाकर लेट गईं. मैं भी लाइट बंद करके बुआ के पास जा कर सोने लगा.

करीब एक बजे मुझे सर्दी लगी, तो मैं बुआ से चिपक गया. उनसे चिपकने के बाद मुझे लगा कि नीचे से बुआ नंगी हैं. मैंने हाथ से टटोल कर देखा, तो मेरा हाथ बुआ की नंगी गांड पर जा लगा. नंगी गांड को टच करते ही मेरा लंड खड़ा हो गया. उनकी पेंटी नीचे को सरकी हुई पड़ी थी.

मैंने अब देर नहीं की और बुआ के चूचे दबाने लगा. मुझे बुआ के मम्मों को दबाने में मज़ा आने लगा.

फिर धीरे से मैंने उनकी पेंटी पूरी तरह से निकाल दी और धीरे धीरे बुआ की चुत को सहलाने लगा. बुआ को नशा चढ़ा था, इसलिए उन्हें मेरे हाथ का मालूम ही नहीं चला.

मैंने उनकी नाइटी भी खोल दी और ब्रा भी खोल दी. ब्रा को खोलते ही उनके मोटे चूचे बाहर आ गए. मैं उनके चूचे चूसने लगा. फिर मैंने लाइट ऑन करके देखा, तो मेरा दिमाग़ खराब हो गया.

बुआ का बदन सफ़ेद संगमरमर की तरह चिकना लग रहा था. मैंने अपना कंट्रोल खो दिया और बुआ के पास जा कर उनकी चुत को चाटने लगा.

मुझे बुआ की चुत की खुशबू बड़ी मदहोश कर रही थी. दस मिनट तक चुत की चुसाई करने के बाद मैंने बुआ के चूचों को जम कर चूसा.

अब बुआ की सांसें तेज चलने लगीं. मुझे लगा कि बुआ जागी हुई हैं, लेकिन वो भी मज़े ले रही हैं.

ये सोचते ही मैं बेख़ौफ़ हो गया और बुआ के ऊपर चढ़ गया. मैं बुआ के होंठों को चूसने लगा.

मैंने देखा कि बुआ ने अपनी आंखें खोल दी थीं. मुझे एक पल के लिए तो थोड़ा डर लगा, लेकिन बुआ मेरा साथ देने लगीं.
वो कहने लगीं- आह … केशव आज मेरी प्यास बुझा दे … मैं बहुत प्यासी हूँ.
मैंने बुआ से कहा- मैंने तो पहले ही कहा था कि आप जवान हो गई हो.
बुआ मेरे लंड को टटोलते हुए बोलीं- हां, तू भी तो पूरा मर्द हो गया है.

मैंने लंड पर बुआ का हाथ महसूस किया तो मैंने कहा- मेरा लंड चूसो ना बुआ.
बुआ ने हामी भर दी.

मैं उठ कर पोजीशन में आ गया और बुआ मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगीं. कुछ ही देर में हम दोनों 69 की पोज़ीशन में आ गए. अब वो मेरा लंड और मैं उनकी चुत को चूसने लगा.

बुआ ने दस मिनट में अपनी चुत से पानी छोड़ दिया. मैंने चूत का सारा पानी पी लिया.

थोड़ी देर बाद मेरा भी होने वाला था, तो मैंने बुआ को बोला- बुआ मेरा निकलने वाला है.
बुआ ने लंड चूसते हुए ही कहा- हम्म … आने दे … तू मेरे मुँह में ही छोड़ दे.

मैंने बुआ के मुँह में वीर्य छोड़ दिया. बुया ने न केवल वीर्य खा लिया, बल्कि वे मेरे लंड को चूसती ही रहीं. इससे ये हुआ कि थोड़ी ही देर बाद मेरा लंड वापस खड़ा हो गया.

बुआ ने मुझे अपने ऊपर ले लिया. मैं बुआ की चुत पर अपना लंड रगड़ने लगा.

बुआ चुदास भरी आवाज में बोलीं- आह … केशव अब मत तड़पा … जल्दी से डाल दे मेरी चुत में अपना मूसल …

मैंने बुआ की टांगों को फैला कर उनके बीच में बैठ कर अपना सुपारा चुत के छेद पर लगा कर एक तेज झटका दे मारा. मेरा आधा लंड बुआ की चुत में चला गया.
बुआ ज़ोर से चीख उठीं ‘उम्म्ह … अहह … हय … ओह …’

मैंने अपनी प्यारी बुआ की सील तोड़ दी थी … उनके चिल्लाने से मुझे कोई असर नहीं पड़ा. मैंने फिर से ज़ोर का झटका से मारा. इस बार मेरा पूरा लंड बुआ की चुत में जड़ तक समा गया.

बुआ ज़ोर से चिल्लाने लगीं और बोलीं- केशव प्लीज़ अपना लंड बाहर निकाल … मुझे बहुत दर्द हो रहा है.
मैंने बुआ से कहा- सील टूटी है बुआ, थोड़ा दर्द तो सहन करना ही पड़ेगा.

मैं शांत होकर उनके ऊपर चढ़ा रहा. बुआ का थोड़ा दर्द कम होने के बाद मैं लंड को धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा. थोड़ी देर बाद बुआ अपनी गांड उठा उठा कर मेरा साथ देने लगीं. बुआ को भी मज़ा आने लगा.

फिर बीस मिनट तक मैंने बुआ की धुआंधार चुदाई की. इस बीच बुआ दो बार झड़ गई थीं.
बुआ ने मुझे कसके पकड़ लिया और कहने लगीं- केशव, आई लव यू.
मैंने भी कहा- बुआ, आई लव यू टू.

मैं उनके एक चूचे को चचोरने लगा और धक्का मारते हुए मैंने बुआ की चुत को अपने पानी से भर दिया.

झड़ने के बाद मैं बुआ के ऊपर ही लेट गया. कुछ देर बाद बुआ उठ कर बाथरूम में जाने लगीं, तो बुआ ने देखा बिस्तर की सफ़ेद चादर लाल हो गई थी. ये खून के छींटे उस पर दाग बन कर दिखने लगे थे.
ये देख कर बुआ बोलीं- केशव, आज तूने अपनी बुआ को चोदा. तूने मुझे पूरी औरत बना दिया है.
मैं हंसने लगा.

बुआ बाथरूम में जाकर अपनी चुत को साफ करके वापस आ गईं और चादर बदल कर हम दोनों सोने लगे.

हम दोनों चिपक कर सो गए. सुबह करीब सात बजे हमारी आँख खुली, तो मेरा लंड खड़ा हो रहा था.
बुआ ने लंड टटोल कर कहा- केशव तेरा हमेशा ही खड़ा रहता है क्या?
मैंने कहा- बुआ, आप जैसी मस्त लड़की पास हो … तो बुड्डों का लंड भी खड़ा हो जाएगा.

वो शरमाने लगीं. फिर बुआ नंगी ही रसोई में चाय बनाने चली गईं … और मैं भी उनके पीछे जा कर खड़ा हो गया.

मैं बुआ की गांड में लंड पेलने की कोशिश करने लगा.
बुआ हंस कर बोलीं- सुबह सुबह ही लग गया … थोड़ा रुक जा, चाय पी ले … फिर कर लेना, जो करना है.
मैंने कहा- बुआ आज आपकी गांड मारनी है.
बुआ बोलीं- ठीक है.

मैंने बुआ की गांड कैसे मारी, ये आगे की रिश्तों की चुदाई कहानी में बताता हूँ. आपको कैसा लगा जब मैंने अपनी बुआ को चोदा?

Tuesday, 24 October 2023

चुदक्कड़ चाची सेक्स की प्यासी

 

मेरी चाची सेक्स की प्यासी रहती है हर समय … रिश्तों में सेक्स की इस कहानी में पढ़ें कि कैसे चाची को मैंने चोदा और चाची की चूत की प्यास बुझायी और उसके बाद …

दोस्तो कैसे हो, मेरा नाम राहुल है मेरे लंड बहुत बड़ा है, ये पूरे 8 इंच का एक मोटा खीरा जैसा है. ये मेरी पहली सेक्स कहानी है, मैं उम्मीद करता हूँ कि आप सब को बहुत अच्छी लगेगी. हालांकि ये रिश्तों में सेक्स की कहानी है लेकिन ये एक रियल स्टोरी है.

मेरी चाची का नाम अलका है, वो बहुत सेक्सी हैं. उनका फिगर लगभग 36-30-38 का होगा. ये चाची सेक्स कहानी कुछ ऐसी हॉट है कि लड़कों व लड़कियों का पानी निकलवा देगी. मेरी चाची एक बहुत ही ज्यादा मस्त माल हैं. आज से पहले मैंने बहुत सी लड़कियों की चुत व गांड मारी है, पर मेरी चाची जैसे चुदक्कड़ औरत कोई भी नहीं मिली.

अन्तर्वासना पढ़ना पसंद करने वाली लड़कियों को बता दूं कि मेरा लंड 8 इंच का इतना मजबूत लंड है, जो अन्दर जाते ही चुत का पानी निकलवा देता है.

ये गर्मियों की छुट्टियों की बात है, जब मेरे चाचा दस दिनों के लिए जयपुर गए थे, उनके बच्चे अपनी नानी के पास गए थे. उस समय रात हो गई थी, तेज बारिश हो रही थी और बिजली कड़क रही थी.

मेरी चाची ने मुझसे कहा- मुझे अकेले सोने में डर लग रहा है. तुम आज मेरे पास ही सो जाना.
मैंने चाची की चूचियां देखते हुए कहा- ठीक है चाची.
मैंने सोचा कि आज रात चाची सेक्स के लिए मान जाए . … काश चाची की चुत मिल जाए.

मैं उस रात चाची के साथ सोने के लिए उनके पास चला गया. हालांकि खाना वगैरह हो गया था और मेरी चाची भी सोने के लिए बस जा ही रही थीं.

मुझे देख कर मेरी चाची ने कहा- आ गया … चल उधर कमरे में चला जा. मैं अभी आती हूँ.
मैंने कहा- ओके चाची.

कुछ देर में चाची आई और ने मेरी तरफ देख कर कहा- राहुल यार . … मुझे मेरे पैरों में बड़ा दर्द हो रहा है. तुम मेरी पैरों पर थोड़ी सरसों के तेल की मालिश कर दो.
मैंने सही मौक़ा देखा और हां कर दी.

चाची ने कहा- तो मैं तेल गर्म करके लाती हूँ.
मैंने कहा- ठीक है चाची!
मैं खुश हो गया कि अब चाची के बदन को छूने का मौक़ा मिलेगा.

पांच सात मिनट बाद चाची एक मस्त नाइटी पहन कर कमरे में आ गईं. उनकी ये नाइटी सामने से खुलने वाली थीं, जो एक डोरी से बंधी थी. साफ़ दिख रहा था कि चाची ने अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी, पर पेंटी का मालूम नहीं चल रहा था कि पहनी है या नहीं.

तेल की कटोरी मुझे देकर चाची पैर फैला कर बिस्तर पर लेट गईं. मैं उनके पैरों पर मालिश करने लगा.

चाची ने अपनी टांगें घुटने से उठा ली जिससे उनकी नाइटी से कुछ अन्दर का झांकी दिखने की पोजीशन बन गई थी, लेकिन तब भी अभी कुछ दिख नहीं रहा था. मैं उनके पैर की पिंडली पर मालिश करने लगा. चाची को बड़ा मजा आने लगा था. मैंने उनके दोनों पैरों की बढ़िया से मालिश की. इससे चाची को बड़ा अच्छा लगा.

फिर उन्होंने कहा- तू तो बड़ी अच्छी मालिश कर लेता है. जरा मेरे हाथों और बाजू की भी मालिश कर दे.
मैं चाची की बगल में बैठ कर उनकी बाजू और कन्धों की मालिश करने लगा.

तभी मुझे एक आईडिया आया, मैंने ऊंघने का नाटक किया और तेल की कटोरी चाची के पेट पर गिरा दी.

इस तरह सारा तेल उनकी नाइटी पर मम्मों के पास गिर गया और चाची के मम्मों पर चला गया. मैं उसे साफ करने लगा.

तो चाची ने कहा- ओये . … एडवांटेज मत ले, मैं अपने आप साफ कर लूंगी.
मैंने उनकी तरफ डरते हुए देखा, पर उन्होंने ये मज़ाक में कहा था.

चाची दूसरे कमरे में चली गईं और दूसरी नाइटी पहन आईं. ये नाइटी एक फ्रॉक जैसी थी.
मैंने उनसे कहा- चाची आप इस नाइटी में बड़ी अच्छी लग रही हैं.
वो मुस्कुराते हुए आकर लेट गई. मैंने भी उनकी मालिश शुरू कर दी.

कुछ ही देर में उनकी मालिश हो चुकी तो वो बोलीं- बस अब रहने दे.

मैंने धीरे से कहा- मेरे बदन में भी दर्द हो रहा है. चाची प्लीज़ आप मेरे भी पैरों और पीठ की मालिश कर दो.
वो पहले तो मुझे घूरने लगीं और हंसते हुए बोलीं- तेरी मालिश वाली जल्द ही लानी पड़ेगी.
मैं उनका अर्थ समझते हुए गर्मा गया.

लेकिन मैंने भी यूं ही तुक्के में कह दिया- जब तक वो नहीं आती, तब तक आप ही मालिश वाली बन जाओ ना.
और मैंने अपनी शर्ट उतार दी. नीचे मैंने छोटी सी निक्कर पहनी हुई थी.
चाची ने भी मेरी बात को कुछ समझ लिया था. वो मेरे बदन की मालिश करने लगीं.

उसी समय मेरे लंड ने हरकत करनी शुरू कर दी. मैंने जानबूझ कर आंखें बंद कर लीं और नींद आने का बहाना करने लगा.

चाची के कोमल हाथों की मालिश से मेरा लंड खड़ा हो गया था. चाची ने मेरे लंड को खड़ा होते देख लिया. इधर मैं सोने का ड्रामा कर रहा था.

उन्होंने मेरी निक्कर के नीचे से हाथ डाला और मेरे लंड के पास की मालिश करने लगीं. ये देख कर मुझे समझ आ गया कि चाची ने आज चुदने का मूड बना लिया है. मैंने कुछ भी नहीं किया, लेकिन उनके स्पर्श से मेरे लंड ने हिचकोले लेना शुरू कर दिया.

चाची ने आव देखा न ताव … उन्होंने मेरे लंड को पकड़ लिया और दोनों हाथों से लंड की मालिश करने लगीं. तभी मुझे रहा नहीं गया और मैं उठ गया.
मैंने चाची से कहा- ये आप क्या रही हो?
वो बोलने लगीं- ये भी मालिश करवाने के लिए खड़ा हो गया था, तो सोचा कि इसकी भी मालिश कर दूँ.

ये कहते हुए चाची ने मुझे आँख मार दी. मैंने भी मौके पर चौका मार दिया और कहा कि लंड की मालिश करने से आपकी चुत में खुजली नहीं हो रही होगी?

चाची ने मेरे मुँह से लंड चुत सुना, तो उन्होंने मेरे लंड को चूम लिया और बोलीं- तो तुम मेरी चूत की भी मालिश कर दो ना … सोच क्या रहा है, आजा जल्दी से कर दे.

मैंने चाची के दूध दबाते हुए कहा कि मेरा लंड का साइज़ तो देख ही लिया है … आपकी चूत फट जाएगी … बहुत दर्द होगा देख लो.
चाची ने लंड रगड़ते हुए बोला- वही दर्द तो लेना है.

मैंने चाची की नाइटी खोल दी. अब वो सिर्फ पैंटी में ही थीं.

मैं उनके मम्मों को चूसने लगा और चाची के एक दूध के निप्पल को अपने होंठों के बीच दबा कर कुछ मिनट तक चूसता रहा. चाची बोलीं- सिर्फ एक ही चूसेगा या दूसरा भी चूसेगा.

मैंने चाची के दूसरे निप्पल को भी खूब चूसा और उसी के साथ पहले वाले दूध को रगड़ कर खूब मसला.

चाची ने आह भरना शुरू कर दिया था.

दस मिनट बाद चाची ने मुझे रोकते हुए कहा- चूसने का मजा मुझे भी लेना है

मैंने अपनी निक्कर उतार दी और लंड हिलाने लगा. चाची एक रंडी के जैसे मेरे लंड के पास आईं और मेरे खड़े लंड को पकड़ कर चूसने लगीं. चाची काफी मस्ती भरे अंदाज से लंड के सुपारे को चाट रही थीं, लंड को गले तक ले रही थीं और साथ ही मेरे टट्टों को भी चूस चाट रही थीं.

चाची काफी देर तक लंड चूसती रहीं. मैं भी उनके मम्मों मसलता रहा. अब वो सिसकारियां लेने लगी थीं. कमरे का माहौल गर्म हो गया था.

फिर मैंने चाची से कहा- चाची 69 की स्थिति में आ जाओ. मुझे भी आपकी चूत का रस चाटना है.

वो इतनी अधिक चुदासी हो गई थीं कि उनकी भाषा बदल गई. वो मुझे बोलीं- भोसड़ी के तू मुझे चाची नहीं, रंडी बोल मादरचोद.
मैंने भी गाली दी और कहा- आ जा भैन की लौड़ी … साली मेरी रंडी आज तेरी चूत के चिथड़े उड़ा दूँगा.

चाची मादक अंदाज से अपनी गांड हिलाते हुए उठीं और पेंटी उतार कर उल्टी होकर लेट गईं. अब मैं उनकी चूत को चाटने लगा और वो मेरे लंड को चूसने लगीं.

कुछ देर बाद चाची बोलीं- आ जा भड़वे … अब लंड पेल दे.
ये सुनकर मैं चाची के पैरों के बीच आ गया. मेरे लंड को चाची ने चूस चूस कर चिकना कर दिया था.

चाची ने भी अपनी टांगें हवा में उठाकर चूत खोल दी थी. मैंने लंड का सुपारा चाची की चूत की फांकों में लगाया और एक ही झटके में अपना 8 इंच का लंड अन्दर डाल दिया.
मैंने एकदम से पूरा लंड अन्दर घुसेड़ा, तो चाची की माँ चुद गई और वो बहुत जोर से चिल्ला दीं- उम्म्ह … अहह … हय … ओह … मादरचोद … फाड़ दी भैन के लौड़े …

मैं लंड पेले हुए यूं ही रुक गया और उनकी चूचियों को दबाने लगा. थोड़ी ही डर बाद चाची को राहत मिल गई और वे शांत हो गईं.

मैंने अब भी कुछ नहीं किया, तो चाची ने नीचे से गांड हिलाई और कहा- अब चोद बे … ऐसे ही डाले पड़ा रहेगा क्या?

मैं धीरे धीरे से चूत में धक्के देने लगा. फिर मैंने झटकों की स्पीड अचानक से तेज कर दी और फास्ट सेक्स स्टार्ट कर दिया.
चाची चीखने लगी थीं- आह मर गई … बाहर निकाल भोसड़ी के … दर्द हो रहा है.
पर मैंने उनकी एक भी ना सुनी और चोट मारता रहा.

वो गंदी गालियां निकाल रही थीं- भोसड़ी के बाहर निकाल मादरचोद … छोड़ दे मुझे कमीने … बहन के लौड़े निकाल … वर्ना तेरे चाचा को कह दूँगी.

मैंने कहा- साली रंडी बनने का इतना शौक था, तो अब रंडी ही बना कर छोडूंगा … मादरचोदी … जा किसी से भी जा कर कह देना … जब तक लंड का पानी नहीं निकल जाता, तब तक लंड नहीं निकलेगा … भोसड़ी की … आज तेरी फाड़ कर ही तुझे छोडूँगा साली रंडी.

वो चिल्लाती रहीं और मैं पेलता रहा. कोई पांच मिनट बाद लंड की चूत से दोस्ती हुई, तब चाची को मजा आना शुरू हुआ.

मैंने कई मिनट तक तेज झटके मारने के बाद कहा- बोल रस कहां निकालूं?
तो चाची रंडी ने बोला- आह मेरी चूत में ही निकाल दे कमीने..

मैंने 5 मिनट बाद चाची की चूत में ही रस निकाल दिया. मेरी चाची ने बाद में बताया कि उनका अब तक दो बार हो गया था.

थोड़ी देर बाद मैंने लंड को निकाला और चाची के सामने कर दिया. चाची ने लंड को चाट कर साफ कर दिया.

मैं कुछ देर बाद फिर से चुदाई के लिए तैयार हो गया.
मेरी चाची सेक्स के लिए दुबारा तैयार थी, मेरे लंड को खड़ा करके चाची ने कहा- बता अब कहां डालेगा?

मैं समझ गया कि चाची अपनी गांड में डालने को कह रही हैं. मैंने रंडी चाची को कुतिया बना कर उनकी गांड में लंड का सुपारा पेल दिया. चाची की गांड फट गई, लेकिन तेल की कटोरी से तेल टपका टपका कर मैंने चाची की गांड को खूब मजे से मारा और उनकी गांड में ही झड़ गया.

फिर हम दोनों साथ में नहाने चले गए. उस पूरी रात में हम दोनों ने कई बार चुदाई की. मैंने चाची की चूत को रंडी का भोसड़ा बना दिया. उस रात सुबह चार बजे तक सिर्फ सेक्स ही चला … हम दोनों पूरी रात नहीं सोये.

सवेरे तो मेरी चाची चल भी नहीं पा रही थीं.

अब हम दोनों ऐसे ही रोज चुदाई का खेल खेलने लगे थे. चाचा दस दिनों के लिए बाहर गए थे. तो ये मजेदार सेक्स का खेल पूरी पूरी रातों में ऐसे ही तक दस दिनों तक चला.

चाचा के आने के बाद भी हम दोनों टाइम निकाल कर दिन में भी चुदाई का मजा ले लेते थे. दिन में भी एक दो राउंड चाची सेक्स के हो जाते थे.

एक बार घर पर कोई नहीं था. उस दिन मेरे पांच दोस्त घर पर आए हुए थे.

घर पर चाची को मिला कर हम 7 लोग थे.

चाची ने मुझे बुला कर कहा- किसी तरह से अपने दोस्तों के साथ मेरी चूत की खुजली मिटवा दो.
मैंने चाची सेक्स की इस अनोखी इच्छा से हैरान होते हुए चाची से पूछा- सबका एक साथ लोगी?
चाची ने मुझे चूमते हुए कहा- हां आज बड़ी इच्छा हो रही है.

मैं राजी हो गया. मैंने अपने दोस्तों से कहा- यार चाची जी का मन हो रहा है. उनके साथ सेक्स करना है.
मेरे दोस्त फ्री में चुत की जुगाड़ मिलने की बात सुनकर एकदम से राजी हो गए.

चाची जी हम सभी को अपने कमरे में ले गईं.
मैं तो नीचे लेट गया और चाची की गांड मारने लगा. विक्रम ने चूत में लंड पेल दिया था. नरेश और महेंद्र ने दोनों चूचों को पकड़ लिया. चाची उन दोनों के लंड हाथ में पकड़ कर आगे पीछे कर रही थीं. अभिषेक ने चाची के मुँह में लंड डाल रखा था. इस तरह कोई भी जगह या छेद खाली नहीं छोड़ा गया था,

आखिरी में तो चाची की गांड चुत और उनके मुँह का कबाड़ा हो गया था.

हम सब जब झड़ने को हुए, तो चाची ने सारा पानी अपने मुँह में ले लिया और पी गईं.
उस दिन मुझे पता लगा कि चाची सेक्स के लिए कितनी ज्यादा प्यासी हैं. तब के बाद से जब भी घर में कोई नहीं होता है, हम सब चाची के साथ ग्रुप सेक्स का मज़ा ले लेते हैं.

दोस्तो, आप सब जरूर बताना कि आपको मेरी ये चाची सेक्स की गंदी कहानी कैसी लगी.

Monday, 23 October 2023

देवर भाभी की चुदाई मस्ती

 

देवर भाभी की चुदाई की इस हिंदी सेक्स कहानी में पढ़ें कि कैसे मेरी भाभी ने मुझे उत्तेजित करके अपनी वासना शांत की. भाई भाभी को पूरी चुदाई का मजा नहीं दे पाते थे.

मेरे प्यारे दोस्तो, मेरा नाम बबलू है और मैं दिल्ली में रहता हूं। हमारे घर में मेरे मम्मा-पापा और भैया भाभी रहते हैं। मैं अभी फाइनल ईयर में हूं. पापा और भैया का बिज़नेस है।
बिज़नेस के सिलसिले में भैया ज्यादातर बाहर ही रहते हैं।

इस देवर भाभी कहानी की नायिका मेरी भाभी हैं। भैया-भाभी की शादी को अभी 8 महीने ही हुए हैं, भाभी का स्वभाव काफी मिलनसार है और मुझको तो वो ज्यादातर सभी बातें बताती हैं क्योंकि ज्यादातर मैं ही उनके पास रहता हूँ। उनका नाम निहारिका है और उनका फिगर तो बस ऐसा है कि जो देखे वो देखता रह जाये।
34″ साइज़ के बूब 28″ की कमर और 36″ साइज़ की गांड … मरे हुए का भी लण्ड खड़ा कर दे।

अब आप सभी लड़कियाँ और भाभियाँ अपनी अपनी चूत में उंगली करते हुए कहानी का मजा लें। कोई गलती हो तो मुझे सुझाव दें ताकि मैं आगे भी लिखने की कोशिश करता रहूँ।

मेरी एक गर्लफ्रेंड थी जिसके साथ अभी अभी मेरा ब्रेअकप हो गया था और इसी वजह से मैं उदास रहने लगा और भाभी से बातें करना भी कम कर दिया। घर के काम की वजह से भाभी ने भी कुछ नहीं पूछा।

लेकिन एक सुबह भैया 3-4 दिन के लिये कहीं बाहर गये थे तो भाभी आज मेरे पास आई और मुझसे मेरी उदासी के बारे में पूछने लगी।
मैंने उन्हें अपने ब्रेअकप के बारे में सब बात दिया।
भाभी ने बोला- इसमें इतना उदास होने की क्या बात है?

मैंने भाभी को बताया भाभी उसके बिना मुझे अकेलापन महसूस हो रहा है।
भाभी ने बोला- ऐसा नहीं होत्ता है देवरजी … आप अकेले कहाँ हो? मैं भी तो हूँ आपके पास।

भाभी का ऐसा बोलना मुझे अजीब लगा पर मैंने उस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और मैंने भाभी को विश्वास दिलाया कि मैं उदास नहीं रहूँगा।

रात को मम्मी खाना खाकर सो गई थी और मैं और भाभी हॉल में टीवी देख रहे थे, तभी भाभी एकदम से मुझसे लिपट गयी। मैं कुछ समझ पाता, उसके पहले उन्होंने मेरे होठों से अपने होठों को लगा दिया और मुझे किस करने लगी।

अब मैंने उन्हें अपने से दूर किया और बोला- भाभी यह सब गलत है; मैं आपकी इज्जत करता हूँ, और आपके साथ ये सब नहीं कर सकता।
इस पर भाभी रोने लगी और बोली- तुम्हारे भैया के पास मेरे लिये समय ही नहीं है, मैं कामवासना की आग में जलती रहती हूं. फिर भी मैंने कभी कुछ नहीं बोला. लेकिन आज जब मैंने तुम्हारे ब्रेअकप के बारे में सुना तो मुझे लगा कि हम दोनों एक दूसरे की जरूरत को पूरा कर सकते हैं, क्या मुझे सभी औरतों की तरह शारिरीक सुख लेने का कोई हक़ नहीं है?
यह बोल कर वो रोती हुई अपने कमरे में चली गईं।

अब मुझे भाभी पे दया और प्यार दोनों आ रहे थे. मैं सोचने लगा कि भाभी सही बोल रही हैं। और वैसे भी मेरा भी तो काम बन रहा था। यह सोचकर मैं उनके कमरे में चला गया.

भाभी उल्टी लेटी हुई थीं। मैं उनके पैरों के पास बैठ गया और धीरे धीरे उनके पैरों पे अपने होठों को रख कर चूमने लगा।
ऐसा करते ही भाभी सिहर गईं और उठकर बैठ गई।

मैंने उनसे माफ़ी मांगी और उन्होंने मुस्कुराते हुए अपने होठों को एक बार फिर मेरे होठों से जोड़ दिया। हम दोनों 15 मिनट तक एक दूसरे को चूमते रहे.

फिर मैंने उनकी साड़ी और पेटीकोट उतार दिया अब भाभी सिर्फ ब्रा और पेन्टी में थी। मैंने अपने भी सारे कपड़े निकाल दिये. अब मैं जन्मजात नंगा था। मैंने भाभी को सीधा लिटाया और खुद उनके पैरों के पास आ गया।

मैंने भाभी के पैरों के तलवे चाटने शुरु किये. भाभी तो बिना जल मछली की तरह तड़पने लगी. वो कमर उठा-उठा कर गर्म गर्म सासें ले रही थी।

अब भाभी से बरदाश्त नहीं हुआ और वो उठकर मुझे किस करने लगीं. भाभी मुझे ऐसे किस कर रही थी कि मुझे लगा कि मुझे खा ही जायेंगी।

तब मैं उनको किस करते हुए वापिस नीचे ले गया, लिटाते हुए उनके कान की लौ को चूमने लगा, उनकी गर्दन को चूमने चाटने लगा, नीचे सरकते हुए मैं उनके चूचों को मुख में भरकर चूसने लगा. भाभी की हालत खराब थी और उनके हाथ मेरे सिर पे थे. वो सिसकारियां ले रही थीं।

अब मैं धीरे धीरे नीचे सरकते हुए उनकी चूत पे आ गया, भाभी की चूत एकदम चिकनी थी. मैंने बिना पल गंवाये अपने होंठों को लगा दिया उनकी मस्त चूत से। मैं पूरी तसल्ली से भाभी की चूत को चूस रहा था और अपनी जीभ से भाभी की चूत को चोद रहा था।

भाभी की हालत पूरी तरह से खराब हो चुकी थी; भाभी चाहकर भी कुछ बोल नहीं पा रही थीं, उनकी मादक आवाजें बता रही थी कि आज उन्हें पूरा सुख मिल रहा है.

जब तक भाभी का पानी नहीं निकल गया तब तक मैं उनकी चूत चूसता रहा।

पानी निकलते ही भाभी निढाल होके बिस्तर पे गिर गईं।

कुछ देर बाद भाभी ने मेरा लण्ड अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगीं. लेकिन मैं अब भाभी को चोदना चहता था क्योंकि काफी देर से मेरा लण्ड खड़ा था और वैसे भी मुझे लण्ड चुसवाने में नहीं बल्कि चूत चूसने में मजा आता है।

अब मैंने भाभी के मुंह से लण्ड निकाला और उनकी चूत पे लगाकर घुसाने लगा तो भाभी बोली- ज़रा रुको देवर जी, मैं कंडोम चढ़ा देती हूँ आपके लंड पे! मैं अभी जिन्दगी में सेक्स का मजा लेना चाहती हूँ, अभी 2-3 साल मैं बच्चा नहीं करूंगी.

भाभी ने ड्राअर से कंडोम निकाला, उसे मुंह से फाड़ा और मेरे लंड पर चढ़ा दिया.

उसके बाद मैंने भाभी को बिस्तर पर लिटाया और उनके नंगे बदन के ऊपर आकर लंड को भाभी की चूत पर टिका कर झटका लगाया और लंड चूत के अंदर कर दिया. भाभी की आँखों में हल्के हल्के आंसू थे जो शायद खुशी के थे और मुँह पे कराह थी जो शायद काफी कम चुदाई का नतीजा थी।

मैं भाभी को चोद रहा था और साथ साथ में भाभी को किस भी कर रहा था. भाभी के हाथ मेरी कमर पे थे जो मुझे अपनी तरफ खींचने की कोशिश कर रहे थे।

10 मिनट चोदने के बाद मैंने भाभी को घोड़ी बना कर चोदना शुरु कर दिया. बीच बीच में मैं लण्ड निकालकर भाभी की चूत को चूस लेता था. अब तक भाभी 2 बार झड़ चुकी थी और अब मैं भी झड़ने के करीब था तो मैंने तेज तेज झटके लगाने शुरु कर दिये और भाभी ने तो अपना चेहरा तकिये में दबा लिया था और उनके मुख से गूँ-गूँ की आवाजें आ रही थीं।

कुछ ही देर में हम दोनों अपने चरम पे पहुँच गए और झड़ गए. भाभी निढाल होकर नीचे और मैं भाभी के ऊपर।

थोड़ी देर बाद हम उठे और भाभी ने मुझे किस करके बोला कि आज मैंने उन्हें सबसे बड़ी खुशी दी है उनके जीवन की।

उस रात हमने 3 बार सेक्स किया.

और अब तो हम देवर भाभी जब चाहे सेक्स कर लेते हैं।

आपको देवर भाभी की चुदाई की यह कहानी कैसी लगी? आप मुझे बताएं.

Sunday, 22 October 2023

पुराने साथी के साथ सेक्स-2

 मेरे बचपन के साथी सुरेश ने मुझसे अपने दिल की बात साझा करते हुए बताया था कि वो मुझसे प्यार करता था. इसी क्रम में मैंने उसे फोन पर शाम को घर आने के लिए कहा.

अब आगे:

शाम वो करीब 7 बजे आया, हम चाय पीते हुए बात करने लगे और 8 बज गए.

अब रात हो चुकी थी, तो मैंने उससे खाने के लिए भी पूछ लिया और रात 9 बजे तक मैंने खाना बना लिया. खाते पीते और बातें करते 10 बज गए और फिर पता नहीं, वो बात घुमा फिरा कर अपनी बीवी और अकेलेपन की बात करने लगा.

मुझे उसकी बातों पर थोड़ा संदेह होने लगा और फिर मैं बहाने बनाने लगी ताकि वो मेरे घर से चला जाए. पर वो हिलने का नाम नहीं ले रहा था और मेरा डर और उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी.

किसी तरह वो जाने को राजी हुआ, तो मेरी जान में जान आयी.
वो मुझे जाने को बोल कर बाहर की ओर बढ़ने लगा. तब मैं भी उसके पीछे जाने लगी कि उसके जाते ही मैं दरवाजा बंद कर दूँ.

अभी वो दरवाजे के पास ही पहुंचा था कि अचानक से वो मेरी तरफ पलट गया. मैं एकदम से चौंक गयी, पर मैं जब तक कुछ समझ पाती कि उसने झट से मुझे पकड़ कर अपनी बांहों में भर लिया.

मैं उसके विरोध में चिल्लाती कि उसने अपने होंठों से मेरे मुँह को बंद कर दिया. मैं एक पल के लिए भौचक्की रह गई, पर अगले ही पल उससे दूर होने के लिए संघर्ष करने लगी. उधर उसने अपनी पूरी ताकत से एक हाथ से मुझे पकड़ रखा था, दूसरे हाथ से मेरे बालों को.

दो मिनट तक वो मेरे होंठों के रस को जबरदस्ती चूसता रहा और मैं संघर्ष करती रही. उसकी चूमाचाटी से मुझे अन्दर से आग लगने लगी थी. तब भी इस वक्त मुझे उससे छूटना ज्यादा जरूरी लगने लगा था.

आखिरकार मैं जोर लगाकर उससे अलग हुई और पलट कर भागना चाहा मगर उसके चंगुल में मेरी साड़ी और ब्लाउज थे. साड़ी का पल्लू मेरे स्तनों से हट गया और उसकी गांठ मेरे कमर से खुल गयी. वहीं दूसरी तरफ से मेरा ब्लाउज फट कर एक स्तन का हिस्सा उसी के हाथ में रह गया.

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ, मुझे जिधर जगह मिली, मैं भागने लगी. फिर मैं भीतर कमरे में चली गयी और दरवाजा बंद कर लिया. पर मेरी किस्मत इतनी खराब थी या पता नहीं मुझे किस मोड़ पर ले जाना चाहती थी कि क्या बोलूं. उस दरवाजे का कुंडा ही टूटा था. मैं जैसे तैसे भागती हुई एक कोने में सिमट गई और साड़ी उठा कर उससे अपना शरीर ढकने का प्रयास करने लगी.

कुछ ही पलों में सुरेश मेरे पीछे पीछे कमरे में हांफता हुआ आया और गरम नजरों से मुझे घूरने लगा. उसकी आँखों में वासना की ललक थी. मैं कुछ बोल नहीं पा रही थी बल्कि शर्म से अपनी नजरें छुपाने की कोशिश कर रही थी.

धीरे-धीरे वो मेरे नजदीक आने लगा. फिर मेरे मुँह से उससे दूर होने वाली बातें निकलनी शुरू हो गईं.
मैं उससे बोली- ये तुम क्या कर रहे हो सुरेश, मैं शादीशुदा हूँ और तुम मेरे दोस्त हो. ऐसा तुम सोच भी कैसे सकते हो.

पर वो चुपचाप मेरी ओर बढ़ता चला आया और फिर मेरे बदन से मेरी साड़ी अलग करने में लग गया. मैं भी उसकी चुप्पी से समझ गयी कि अब मेरे लिए बच पाना नामुमकिन है. मैंने कभी ये सोचा भी नहीं था, मैं उसके साथ सम्भोग की बात सोचने तो लगी थी मगर ये सब इस तरह से होगा, ये मैंने नहीं सोचा था. मैं सेक्स करने को तैयार भी थी फिर भी मुझसे जब तक हो रहा था मैं विरोध करती रही.

वो मेरी साड़ी मुझसे छीनने में सफल हो गया और मेरी बांहों को जकड़ कर मेरे गालों, गले और स्तनों के इर्द-गिर्द चूमने लगा. मैं निरंतर उससे खुद से दूर करने का प्रयास करती रही, पर वो पीछे हटने का नाम नहीं ले रहा था.

मेरा ब्लाउज तो एक तरफ से फट ही गया था, सो उसे उतारने में ज्यादा देर नहीं लगी. एक कोने में वो मुझे खड़े खड़े पागलों की तरह चूमे जा रहा था. वो मुझे चूमते हुए कभी मेरे स्तनों को दबाता, कभी चूतड़ों को, कभी जांघों को सहलाता और मैं बस उसके हाथ झटकती रहती.

मैं अब केवल ब्रा और पेटीकोट में थी और मेरे साथ जोर जबरदस्ती में उसने सट से खींच मेरी पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया. नाड़ा खुलते ही मेरा पेटीकोट नीचे गिर गया. मैं घर पर पैंटी नहीं पहनती हूँ और मेरे दोनों हाथ मेरी योनि को छुपाने में लग गए.

इससे उसे एक सुनहरा सा अवसर मिल गया और वो दोनों हाथों से मेरे एक एक स्तन को दबाते हुए मुझे चूमने लगा. मैं दोनों हाथों से अपनी योनि को ढक कर उसके चूमाचाटी को सहती रही.

फिर उसने हाथ पीछे ले जाकर मेरी ब्रा का हुक भी खोल दिया. मैं अब कुछ नहीं कर सकती थी, उसने जबरदस्ती खींच कर मेरी ब्रा भी मुझसे अलग कर दी थी. मैं उसके सामने अब बिल्कुल नंगी थी. मेरे पास कोई रास्ता नहीं था. उसने मुझे छोड़ तो दिया, पर खुद के कपड़े उतारने लगा.

मैं उसके आगे एक हाथ से दोनों स्तनों को और एक हाथ से योनि को छुपाने के प्रयास करती रही. अब तो मैंने किसी तरह की विनती भी करनी बंद कर दी थी.

कुछ ही पलों में वो अपने कपड़े उतार खुद भी नंगा हो गया. उसका लिंग किसी गुस्सैल नाग सा तन कर फनफना रहा था. काला लिंग बालों से घिरा करीबन 7 इंच लंबा और 3 इंच मोटा था. उसके लिंग के सुपारे के ऊपर की चमड़ी हल्की सी खुली थी, जिसमें उसका मूत्र द्वार दिख रहा था और चिपचिपी पानी की बूंद सी निकल रही थी.

उसके इस आकार के लिंग को देख कर मेरी कामना भी भड़कने लगी थी.

अब वो मेरी ओर बढ़ा और मेरे दोनों हाथों को पकड़ मेरे स्तनों और योनि से हटा कर मुझे अपनी बांहों में भर लिया. वो मुझे फिर से चूमने लगा. उसका सख्त कड़क लिंग मुझे मेरी नाभि के इर्द गिर्द चुभता सा महसूस होने लगा. अब मैंने सोच लिया कि इसे जो भी करना है, कर लेने देती हूँ क्योंकि विरोध का कोई लाभ नहीं था.

वैसे भी मुझे कोई खासा फर्क तो पड़ने वाला नहीं था क्योंकि मैं खुद काम की प्यासी रहा करती हूं. पर ये मेरे बचपन का मित्र था, इस बात से अटपटा सा लग रहा था.

मैंने तो अब तक कईयों बार अनजान व्यक्तियों के साथ संभोग किया था, सो अब मैंने सोचा कि सुरेश का साथ देना ही उचित होगा. पर मैं अपनी तरफ से कोई हरकत नहीं कर रही थी, बस जैसा वो कर रहा था, करने दे रही थी.

उसने जी भर कर मेरे स्तनों को चूसा, दूध पिया, जहां जहां मर्ज़ी हुई मुझे चूमा और धीरे धीरे मुझे जमीन पर गिराते हुए लिटा दिया.

मैं सामान्य नजरों से उसे देखे जा रही थी और वो भी बीच बीच में मुझे देखता मगर उसकी आँखों में सिवाए वासना के कुछ नहीं दिख रहा था.

वो अब मेरे ऊपर आ गया था और मेरी दोनों जांघें फैला कर वो बीच में आ गया. उसने अपने लिंग को हाथ में लेकर 2-3 बार आगे पीछे हिलाया और मेरी योनि पर सुपारा खोल मेरी योनि के छेद से भिड़ा दिया.
मेरी योनि अब बालों से घिरी हुई थी. उसे शायद मेरी योनि का द्वार नहीं दिख रहा था, इसलिए उसने लिंग को पकड़ कर सुपारे से मेरे छेद को टटोलने सा किया और लिंग टिका दिया.

फिर वो अपने दोनों हाथ मेरे सिर के अगल बगल रख कर मेरे ऊपर झुक गया. पर उसने अपना वजन मुझ पर नहीं डाला था. जब उसकी संभोग की स्थिति पक्की बन गयी थी तो उसने कमर के जोर से अपने कड़ियल लिंग को मेरी योनि में धकेलना शुरू किया और मैं दर्द से चिहुंकने लगी.

मेरी योनि बिल्कुल सूखी थी. अनायास ही सम्भोग की स्थिति बन जाने से, कुछ डर और घबराहट की वजह से मेरी योनि गीली ही नहीं हुई थी. जिसके कारण जब वो अपना लिंग धकेलता, मेरी योनि की पंखुड़ियां अन्दर की ओर खिंचती, जिससे मुझे दर्द होता.

काफी देर मेहनत करने के बाद भी उसका लिंग मेरी योनि में नहीं घुसा और दर्द की वजह से मैं अपनी जांघें सिकोड़ लेटी रही, जिससे वो और परेशान होता रहा. उसके लिंग धकेलने के क्रम में मेरी योनि में खिंचाव ऐसा होता कि मैं उसकी छाती, तो कभी कमर पर नाखून गड़ा देती और उसे रोकने का प्रयास करती.

किसी तरह इतना संघर्ष करने के बाद एक बार के धक्के में उसका सुपारा योनि में घुस गया, पर मेरी चीख निकल गयी- आआ ईईई!
अपने होंठों को भींचती हुई मैं कसमसाने लगी. मुझे ऐसा लगा कि मानो योनि की दोनों पंखुड़ियां, योनि के भीतर की तरफ मुड़ कर अन्दर को चली गयी हों.

उसे भी शायद अपने लिंग की चमड़ी में खिंचाव महसूस हुआ, तभी उसने लिंग वापस बाहर खींच लिया और हाथ में थूक लगा कर सुपाड़े से जड़ तक मल लिया. फिर दोबारा थूक हाथ में लिया और मेरी योनि पर मल कर, एक उंगली से भीतर भी मल दिया.

किसी ने सही कहा है कि जब तक खुद पर न बीते, दर्द कोई दूसरे का समझ नहीं सकता. उसको खुद के लिंग पर दर्द हुआ था, तभी उसने मेरी योनि के दर्द को समझा था.

अब उसने फिर से लिंग पकड़ कर मेरी योनि की छेद पर टिका कर हल्के हल्के अन्दर धकेलना शुरू किया. कोई 3-4 बार में उसका लिंग सुपारे से थोड़ा ज्यादा मेरी योनि में चला गया. मुझे ऐसा महसूस हुआ मानो कोई गर्म लोहे का सरिया हो.

फिर इसी तरह कई बार करके उसने करीबन पूरा लिंग मेरी योनि के अन्दर घुसा दिया.

मैं ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ करती रही.

उसकी जांघों का हिस्सा मेरी योनि के किनारों से सटने लगा था और सुपारे के स्पर्श से मेरी बच्चेदानी में गुदगुदाहट भी हो रही थी. मुझे लगा कि उसका समूचा लिंग मेरी योनि में चला गया. उसके लिंग की मोटाई की वजह से अब भी मेरी योनि की दीवार फैल रही थी और खिंचाव महसूस हो रहा था.

तभी उसने एक जोर का धक्का मारा, मैं अभी तक ‘आह … ओह्ह …’ कर ही रही थी. तभी मेरी आवाज आआइई में बदल गयी. अब जाकर उसका पूरा लिंग घुसा था और मेरी बच्चेदानी मानो सुपारे से दब गई हो, मुझे ऐसा महसूस हुआ.

पर मेरी इस पीड़ा से उसे कोई फर्क नहीं पड़ा बल्कि अगले ही पल उसने हौले हौले लिंग मेरी योनि में अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया. मैं कुछ देर तो दर्द से वैसे ही कराहती रही, पर कुछ क्षणों के बाद उसके धक्कों से मुझे राहत सी मिलनी शुरू हो गयी और अब अच्छा लगने लगा था.

करीबन 10 मिनट तक वो उसी धीमी गति से धक्के मारते हुए संभोग करता रहा.

मुझे लगा था कि जिस प्रकार से वो उत्तेजित था, दस मिनट में ही झड़ जाएगा. मगर अब ऐसा लगने लगा था कि ये संभोग का दौर लंबा चलेगा. अब उसकी उत्तेजना में भी वृद्धि दिख रही थी और कमर भी तेज चलने लगी थी.

इधर मेरी योनि ने भी सब स्वीकार लिया था और अपना रस छोड़ते हुए अपनी स्वीकृति दे दी. मैं अब भी कराह रही थी मगर अब ये आनन्द की कराह थी. मेरी मादक सिस्कारियां अब उसे और तेज होने का न्यौता दे रही थीं … उसे खुल कर संभोग करने की बात कह रही थीं.

मैं अपनी बांहों में उसे पकड़ कर अपनी ओर खींचने लगी और जांघें और चौड़ी करने लगी. वो भी मेरी मस्ती से समझ गया था कि अब मैं विरोध नहीं बल्कि साथ दूंगी, इसलिए उसने अपना पूरा वजन मेरे ऊपर डाल दिया और धक्के मारते हुए मेरे स्तनों को बा री बारी से चूसने लगा.

मैं भी अब पूरी तरह से उत्तेजित हो गयी थी, जिसके वजह से उसे अपना दूध पिलाने में सहयोग करने लगी. साथ ही मैं अब उसके सिर को सहलाती, तो कभी टांगों से उसकी जांघों को जकड़ कर अपनी ओर खींचते हुए चूतड़ों को उठा देती.

अब हम दोनों आनन्द में खो गए थे और हमारा लक्ष्य केवल चरमसुख पाना था. हम दोनों का बदन गर्म होकर अब पसीना छोड़ने लगा था और वो हांफता हुआ मेरे होंठों को चूमने लगा.

मेरी भी स्थिति अब ये थी कि मैं चूमने में उसका खुल कर साथ दे रही थी. हम दोनों धक्कों के साथ एक दूसरे के होंठों को चूसते, जुबान को चूसते, एक दूसरे के मुँह से निकलती लार को पीते. इस बीच वो दोनों हाथों से मेरे बड़े-बड़े स्तनों को दबाता रहता. मुझे दर्द तो होता … मगर मजा भी आ रहा था. ठीक इसी तरह वो एक लय में धक्के मारता और फिर जोर जोर के 3-4 टापें मार कर फिर वापस उसी लय में धक्के मारने लगता.

मैं उसकी हर टाप पर उसे पूरी ताकत से पकड़ लेती और जोरों से हर टाप पर आह … आह.. चिल्ला देती. फिर जब वो एक लय में धक्के देना शुरू करता, तो मैं अपनी पकड़ ढीली कर देती.

शायद अब 20 मिनट से ज्यादा हो चुका था और हम दोनों पसीने से तर हो चुके थे. सुरेश के पसीने की खुशबू मुझे और पागल बना रही थी. उसके सिर से पसीना टपक कर मेरी गर्दन के पसीने से मिलने लगा था. उसके सीने का पसीना मेरे सीने के पसीने से मिलने लगा था और अंडकोषों से पसीना मेरी योनि के पानी जांघों के किनारों के पसीने से मिल कर मेरे चूतड़ों की घाटी से होता हुआ फर्श पर गिरने लगा. मेरे कराहने, उसके हांफने और संभोग की क्रिया से हो रही थप-थप की आवाज से कमरा गूंजने लगा था.

हम दोनों सांपों की तरह लिपटने लगे थे और उसके हांफने से मुझे अंदाज हो गया था कि वो बहुत थक गया था. मुझे उसके लिंग में पहले की भाँति तनाव महसूस नहीं हो रहा था. इधर मेरी वासना की चिंगारी भी अपने शिखर पर आ गई थी और शर्म करने का कोई लाभ नहीं था, तो उससे कहने का मन बना लिया.

मैंने बोला- सुरेश बिस्तर पर चलो.

मेरी बात सुन कर उसने जबरन 4-5 धक्के लगाए और हांफता हुआ वो खड़ा हो गया. उसका लिंग मेरी योनि के रस से नहाया हुआ और हल्का स्थूल पड़ा लटक सा रहा था. उसका पूरा बदन पसीने में डूबा हुआ था. मैं भी उठ कर बैठी, तो मेरी योनि के किनारे गोलाकार में सफेद झाग सा बना हुआ था. वो बिस्तर के पास गया और मैं भी.

मैंने उससे बोला- तुम लेट जाओ.

मेरे कहते ही वो लेट गया और मैं उसके लिंग के ऊपर टांगें फैला कर बैठ गयी. इतनी देर में उसकी थकान थोड़ी दूर हो गई थी. मैंने उसके लिंग को पकड़ 8-10 बार हिलाया, तो उसका लिंग वापस पूरे तनाव में आकर कड़क हो गया.

लिंग इतना अधिक चिपचिपा था कि हिलाने के क्रम में मेरे हाथ से फिसल जा रहा था. खैर अब तो दोनों ही एक किश्ती में सवार हो चुके थे और लक्ष्य भी एक ही था.

मैंने उसके कड़क टनटनाते हुए लिंग को योनि की छेद में टिकाया और बैठ गयी. उसका लिंग सर्र से मेरी योनि में घुस गया. मुझे उसके लिंग की फूली हुई नसें ऐसी महसूस हुईं मानो वे मेरी योनि की नसों से ताल मेल बिठा रही हों. नसों में तेज दौड़ता हुआ खून मानो मुझे कोई संदेश भेज रहा हो.

मैंने अपने घुटने मोड़े, हाथ उसके सीने पर रखा और अपनी कमर से दबाव बनाते हुए आगे की ओर धक्का लगाना चालू कर दिया. चार धक्कों में ही सुरेश के चेहरे का आव भाव बदल गया. वो मस्ती से भर गया और मेरी कमर पकड़ कर मुझे सहारा देते हुए अपने होंठों को भींचते हुए कराहने लगा.

उसे भी समझ आ गया होगा कि मैं इस कामक्रीड़ा के खेल में कितनी माहिर हूँ. मेरी उत्तेजना इतनी बढ़ चुकी थी कि कुछ ही पलों में पूरे लय में धक्के लगाने लगी. मेरी मस्ती इतनी बढ़ गयी थी कि बस दिमाग में झड़ जाने की चाहत थी.
मैं बहुत गर्म हो चुकी थी और लग रहा था कि किसी भी पल झड़ जाऊंगी. इसलिए मैं एक लय में धक्के मारे जा रही थी. मेरे मुँह से आह.. आह.. आह.. एक सुरताल में निकल रहा था और मन में बस चरमसुख चरमसुख और चरमसुख था. आनन्द इतना अधिक बढ़ चुका था कि अब तो कोई मुझे रोक नहीं सकता था. मेरे दिमाग में बस यही था कि अब हुआ … अब हुआ.

इस सेक्स कहानी में मैं आपको सुरेश की मस्ती और सेक्स को लेकर और भी ज्यादा खुल कर लिखूँगी.

आप मुझे मेल कर सकते हैं पर प्लीज़ भाषा का ध्यान रहे कि आप एक ऐसी स्त्री से मुखातिब हैं जो सिर्फ अपनी चाहत को लेकर ही सेक्स करने की सोचती है.
मुझे उम्मीद है मेरी सेक्स कहानी पर आपके विचार मुझे जरूर मिलेंगे.

Saturday, 21 October 2023

पुराने साथी के साथ सेक्स-1

 

मैं अपने पति के साथ बाजार में थी कि मेरे गाँव का मेरा सहपाठी मिल गया. हमने उसे घर आने का न्यौता दिया. उसके बाद तो जब तब आने लगा. और फिर बात आगे बढ़ी …

नमस्कार दोस्तो, आप सब कैसे हैं … आपने मेरी सेक्स कहानी को सराहा, इसके लिए मैं सदा आपकी आभारी रहूंगी. आप सबके प्यार ने ही मुझे अगली कहानी लिखने की प्रेरणा दी.

मैं आशा करती हूं कि हर बार की तरह ये उत्तेजक और गर्म कहानी भी आपको पसंद आएगी.

ए साल की मस्ती के बाद मैं करीब एक महीने तक शांत रही, इस बीच केवल पति के ही साथ 2 बार संभोग हुआ और फिर एक महीना ऐसे ही बिना संभोग के बीत गया. केवल दूसरों को कैमरे पर सेक्स का मजा लेते देते देखती रही.

इस दौरान कविता से मेरी काफी नजदीकियां बढ़ गयी थीं. वो हमेशा मुझे फ़ोन कर बातें करती रहती थी या वीडियो कॉल कर मुझे देखना पसंद करती थी.

मैं ये बात समझ गयी थी कि उसे समलैंगिक सम्भोग पसंद है, इसी वजह से मुझसे इतना बात करती थी.

इसी दौरान एक दिन मेरे घर पर प्रीति आयी हुई थी और उसी वक्त कविता ने वीडियो कॉल किया. वो मेरे साथ बैठी प्रीति को देख मुग्ध हो गयी. ठीक इसी के बाद उसने मुझ पर जोर देना शुरू कर दिया कि प्रीति के साथ उसकी मुलाकात करवाऊं.

मैंने उससे कुछ समय मांगा क्योंकि मुझे यकीन तो था नहीं कि प्रीति समलैंगिक रिश्तों को पसंद करती थी. दूसरी तरफ मुझे ये भी डर था कि मेरी दोहरी जीवनशैली का उसे पता चल सकता था. इसलिये मैं कविता को किसी न किसी बहाने से टालने लगी.

इसी तरह 15-20 दिन गुजर गए और एक दिन मैं पति के साथ बाजार गयी हुई थी. हम दोनों कुछ फल और सब्जियां खरीद रहे थे. तभी एक बड़ी सी गाड़ी हमारे सामने आकर रुकी. उस गाड़ी में एक आदमी और उसका ड्राइवर था. मुझे देख कर वो मुस्कुराया, मैं कुछ देर सोच में पड़ गयी, पर जब मैंने उसे ध्यान से देखा, तो वो मुझे जाना पहचाना चेहरा लगा.

मुझे अचानक से याद आया कि ये सुरेश है, जो मेरे साथ बचपन में पढ़ता था.
सुरेश हम दोनों के पास आया और मुझे बोला- पहचाना मुझे?
मैं थोड़ी आश्चर्य से देखती हुई बोली- हां, पहचान लिया.

फिर उसने मेरे पति को अपने बारे में बताया और फिर उन दोनों की जान पहचान हो गयी.

अब मैं सुरेश के बारे में बताती हूँ, सुरेश और मैं एक साथ ही स्कूल में पढ़े थे, वो मेरे ही गांव का था. उसके पिता सरकारी नौकरी में थे और हम 3 सहेलियां और वो अच्छे दोस्त थे. उसके पिता के पास काफी पैसा था तो वो आगे पढ़ने के लिए बाहर चला गया. अब सुरेश कोयले की इसी सरकारी कंपनी में एक बड़ा अधिकारी है और हाल ही में उसका तबादला यहां हुआ है.

हम दोनों की उम्र बराबर है, इसलिए मेरे पति को आप कह कर बात कर रहा था. मेरे पति को भी जब लगा कि उसकी इस सरकारी नौकरी की वजह से उसका काम निकल सकता है, तो उन्होंने फ़ौरन उसे हमारे घर बुला लिया और चाय नाश्ता करवाया. इसी बीच बातों-बातों में पता चला कि उसकी केवल एक बेटी है, जो बाहर पढ़ रही और पत्नी का 2 साल पहले बीमारी की वजह से स्वर्गवास हो गया.

ये सुन कर मुझे बहुत बुरा लगा, इसलिए मैंने उससे कहा- जब हम लोग एक ही शहर में रहते हैं, तो जब मन हो … खाना खाने आ जाया करे.
मेरे पति ने भी इस बात का समर्थन किया और उसने भी कहा कि जरूर आएगा.

उस दिन वो चाय नाश्ता करके चला गया और फिर रविवार को आया.

मैंने उसे सम्मान से बिठाया और खाना पीना दिया. वो मेरे पति से काफी घुल मिल गया था. मुझे भी अच्छा लग रहा था कि चलो इतने सालों के बाद कोई तो बचपन का साथी मिला, पर ये अंदेशा नहीं था कि आगे क्या होने वाला है.

खैर इसी तरह करीब एक महीने तक हर शनिवार और रविवार वो हमारे घर आ जाता, कभी दिन या कभी रात में.

फिर एक दिन मेरे पति बाहर गए थे और मैं अकेली थी. उस दिन न तो रविवार था न शनिवार. अचानक किसी ने दरवाजा खटखटाया. मैंने दरवाजा खोला, तो सामने सुरेश था.
मुझे कोई खासा हैरानी नहीं हुई क्योंकि वो मेरे बचपन का दोस्त था.

वो अन्दर आया, तो मैंने उसे बिठाया और खाना आदि खिलाया.

खाना खाते हुए उसने बताया कि आज उसे डॉक्टर के पास जाना था, इसलिए छुट्टी ले रखी थी.

मैंने भी खाना खा लिया और फिर दोनों बातें करने लगे. हम अपनी पुरानी बचपन की यादें करते हुए हंसी मजाक करने लगे.

तब उसने बताया कि उस समय उसने मुझे एक पेन दिया था, जो कि दो रुपये का था … और मैंने अभी तक उसका उधार नहीं चुकाया था. बात अब इसी एक बिंदु पर अटक गई और हंसी मजाक करते हुए मैं उसे उसके पैसे देने लगी.

उस वक्त का दो रुपया भी आज के हिसाब से बहुत ज्यादा था. हमारे बीच हंसी मजाक चलता रहा और मैं पैसे उसके हाथ में जबरदस्ती थमाने लगी. इसी लेने देने के जोर जबरदस्ती में अचानक उसका हाथ मेरे स्तनों से जा लगा और फिर हम दोनों शांत हो गए.
उसने भी शर्मिंदगी सी महसूस करते हुए नजरें झुका लीं और मैं भी शर्माती हुई उससे अलग होकर बैठ गयी.

थोड़ी देर हम यूँ ही चुप बैठे रहे. फिर उसने जाने को बोला और जाने लगा.
वो अभी दरवाजे तक भी नहीं पहुंचा था कि पता नहीं मेरे मन में क्या आया कि मैंने उससे रुकने को बोल दिया.
मैंने कहा- रुक जाओ, अकेले मेरा भी मन नहीं लगता … थोड़ी देर और बातें करते हैं.

वो शायद इसी ऑफर का इन्तजार कर रहा था, वो रुक गया और वापस आकर बैठ गया. हमने फिर से हल्की फुल्की बातों से सुख दुख कहना शुरू किया. फिर बात उसके अकेलेपन की शुरू हो गयी.
उसने बताया के पत्नी के गुजरने के बाद वो बिलकुल अकेला हो गया है.

मैंने भी अपनी जीवन की सारी बात कहनी शुरू कर दी. मैंने उसे बताया कि कैसे मैं ससुराल वालों से परेशान होकर यहां आयी और अब यहां भी अकेली रहती हूँ … क्योंकि पति ज्यादातर बाहर रहते हैं.

चूंकि हम दोनों बचपन के दोस्त थे, सो ज्यादा देर दिल की बात दिल में न रख सके और उसने खुल कर तो नहीं, पर ये इशारा दे दिया था कि उसे एक साथी की कमी महसूस हो रही है.

इस बात को अनदेखा करती हुई मैं अन्दर रसोईघर में चली गयी और बोली- मैं चाय बना कर लाती हूं.

चाय बना कर मैं अभी कप में डाल ही रही थी कि सुरेश वहां पहुंच गया.
मैं चौंक गयी, पर खुद को संभाला और उसे चाय दी.

वो चाय पीते पीते बात करने लगा और फिर एक ऐसा सवाल उसने मुझसे पूछा, जिसके बारे में मैंने कभी सोचा ही नहीं था. उसने मुझसे पूछा कि मैं बचपन के दिनों में उसके बारे में क्या सोचती थी.
मैंने सीधा सा उत्तर दिया कि हम एक ही गांव के थे और केवल दोस्त ही समझते थे.

फिर उसने मुझसे कहा कि वो मेरे बारे में कुछ और ही समझता था.
मैं बात समझ गयी, पर अनजान बन उस बात को टालना चाही.
पर चाय खत्म होते होते उसने आखिर अपने दिल में छुपी बात कह दी कि वो मुझसे प्यार करता था.

गांव में ये सब नहीं चलता था और दूसरी जाति में शादी भी नहीं होती थी. ये सब बात हमें बहुत कम उम्र में ही सिखा दिया गया था.

मैं उससे कन्नी काटती हुई बाहर निकली और उसे कहा- काफी देर से तुम यहां हो … किसी ने देखा तो गलत समझेगा.
मैंने उसे जाते जाते साफ साफ कह दिया कि हम दोनों के अपने अपने परिवार हैं और ऐसी पुरानी बातें करने से कोई मतलब नहीं बनता.

वो रूखे मन से चला तो गया, पर मुझे कुछ अलग सा महसूस हुआ कि आखिर उसने बेमतलब पुरानी बात क्यों की, जबकि हम जब साथ थे, उस वक्त न करके आज इतने सालों बाद की.
मैं काफी देर तक सुरेश के सोच में डूबी रही. फिर 8 बज चुके थे.

उधर पति ने फोन करके बोल दिया था कि वो दो दिन के बाद आएंगे. फिर मुझे कुछ याद आया और मैंने सुरेश को फ़ोन लगाया. उससे पूछा कि अगर वो मुझसे प्यार करता था, तो सरस्वती के साथ उसका क्या था?
तब उसने मुझे बताया कि वो सरस्वती से मुझे पटाने के लिए ही बात करता था. मैं नहीं जानती कि वो सच कह रहा था या झूठ … पर मुझे उस वक़्त ऐसा लगता था कि दोनों का चक्कर है.

अब मैं आपको कुछ देर अपने बचपन में ले चलती हूँ क्योंकि ये कहानी इसी बचपन के दोस्त की है.

हम एक गांव के 4 दोस्त थे, जिनमें से सुरेश ही एक लड़का था … बाकी हम 3 सहेलियां थीं. मैं, सरस्वती और विमला. हमारा स्कूल 4 किलोमीटर हमारे गांव से दूर था और केवल हम चार ही अपने गांव से पढ़ने जाते थे. हम 3 सहेलियों के पिता ठेकेदारी में एक ही जगह काम करते थे और सुरेश के पिता सरकारी नौकरी में थे. गांव में लड़कियों की पढ़ाई पर ज्यादा जोर नहीं दिया जाता था, इसलिए हम शुरूआती पढ़ाई के बाद पास के कॉलेज में पढ़ने चले गए.

विमला और मैं और सरस्वती, इंटर के बाद गांव में ही रहीं और फिर सबसे पहले उसी की शादी हो गयी. सुरेश दसवीं के बाद ही बाहर चला गया था, पर जब कभी गांव आता तो हम सबसे जरूर मिलता. उसका रुझान ज्यादातर सरस्वती पर ही रहता, इस वजह से विमला मुझसे कहा करती कि इन दोनों का चक्कर है.

पर उस समय ये प्यार मोहब्बत करना तो दूर की बात, लोग आपस में बातें भी नहीं करते थे. खासकर गांव का माहौल तो बहुत अलग होता था, जात-पात का समाज में भेदभाव बहुत था.

हमारे गांव में 3 अलग अलग जाति के लोग थे, जिनमें से हम चारों थे. मेरी और विमला की जाति एक थी, बाकी सरस्वती और सुरेश अलग अलग जाति के थे. पर चाहे जितनी भी बंदिश हों … लोग, जिनको मौका मिलता है, अपने तरह से छुप-छिपा कर मौज मस्ती कर ही लेते हैं. वैसे दसवीं तक तो हमें इन सब चीजों के बारे में नहीं पता था. ये सब तो कॉलेज जाने के बाद पता चला.

कॉलेज में बहुत से लड़के हमें भी परेशान करते थे, मगर हम सबसे बच के रहते थे. क्योंकि वो ऐसा जमाना था, जहां कौमार्य बहुत मायने रखता था. शादी से पहले संभोग एक पाप समझा जाता था और हम लड़कियों में ये भावना पैदा की गई थी कि मर्द पहचान लेते थे कि हमारा कौमार्य भंग हुआ या नहीं. इसी वजह से अगर कोई लड़की किसी से प्यार करती भी थी, तो संभोग से दूर रहती थी. क्योंकि यदि उसकी शादी किसी और से हुई, तो उसके मर्द को पता चल जाएगा.

अभी का दौर बहुत बदल गया है. मैं करीबन 5 साल से एक वयस्क साइट की सदस्य हूँ और ये मैंने जाना कि कौमार्य अब कोई मायने नहीं रखता. छोटे शहरों और गांवों में आज भी ये प्रचलन है … मगर बड़े शहरों में ये अब छोटी बात है … और आजकल की फिल्मों में भी यही सब दिखाया जाता है.

तो ये सारी बातें थीं, पर मेरे दिमाग में ये चल रहा था कि आखिर इतने सालों के बाद सुरेश ने मुझसे आज ये बात क्यों कही.

उस दिन मैंने उसे साफ साफ कह दिया था कि इस बारे में दोबारा न चर्चा करे और मैंने फ़ोन रख दिया. पर मेरी बेचैनी कम नहीं हो रही थी. मैं सोच में डूब गई थी. मैं अपनी पुरानी जिंदगी में खो गयी और रात भर यही सब सोच सोच कर सोई ही नहीं. एक एक कड़ियां खुद जोड़ने लगी, क्यों मैं सरस्वती और सुरेश पर ज्यादा ध्यान देती थी, क्यों विमला से उनके बारे में सुनना चाहती थी, क्यों एक समय के बाद मुझे सरस्वती से जलन सी होने लगी थी.

अगली सुबह जल्दी ही मेरी नींद खुल गयी, जब कि मैं रात में देरी से सोई थी फिर भी.

खैर … भला हो नए जमाने का कि फ़ोन की वजह से मेरे पास विमला का नंबर था और मैंने उसे फ़ोन लगाया. उससे बात घुमा फिरा कर मैंने सरस्वती का नंबर लिया. फिर इतने सालों के बात उससे बात हुई, मैंने उससे हाल चाल पूछे. मिलने को हम शादी के बाद भी बहुत बार गांव में मिले थे … मगर कभी नंबर नहीं लिया था. दिन भर बात करने के बाद जब मुझे लगा कि अब हम बचपन की तरह से मिल गए हैं.

तब मैंने उसे सुरेश के बारे में बताया. सुरेश का नाम सुनते ही वो ऐसे चहक उठी जैसे उसका पुराना प्यार हो. तब मुझे लगा कि सुरेश झूठ बोल रहा था. वो सरस्वती से ही प्यार करता था. पर कुछ देर और बात करने के बाद उसने मुझे बताया कि सुरेश मुझसे प्यार करता था और मुझे मनाने के लिए सरस्वती से हमेशा कहता रहता था.

अब मेरी दुविधा तो दूर हो गयी, पर इस उम्र में ये कह कर आखिर सुरेश क्या करना चाहता था. वैसे मेरी जीवनशैली अब बहुत अलग थी. मेरी दोहरी जिंदगी थी. एक सीधी साधी घरेलू महिला की, तो दूसरी कामक्रीड़ा की अभिलाषी … बरसों की प्यासी महिला की.

इस अवस्था में प्यार का इजहार करना तो केवल एक ही ओर इशारा कर रहा था और वो इशारा शरीर की भूख की तरफ का था. पर एक बार ये भी ख्याल आया कि शायद बचपन की अभिलाषा इस उम्र में इसलिए निकल आयी … क्योंकि उस वक्त हिम्मत नहीं हुई होगी और अब कुछ हो नहीं सकता … इसलिए बात कह कर अपना मन हल्का करना चाहता हो.

मैं फिर से दुविधा में फंस गयी, जहां मुझे 90% शरीर की भूख लग रही थी, वहीं 10% मन की बात पर जा रहा था. अगर 90% वाली बात सही हो गयी, तो फिर कोई परेशानी नहीं थी. मगर इस 90% के चक्कर में 10% वाली बात सच हुई, तो फिर मेरी बुरी छवि उसके सामने आ जाएगी. बस अब सब कुछ साफ हो गया था … इसलिए कोई दुविधा नहीं थी. सुरेश के मन में क्या है, ये मैंने उसी पर छोड़ दिया.

दोपहर सुरेश ने फ़ोन किया और मुझसे माफी मांगी, मैंने भी पुरानी बात कह कर और अपना दोस्त समझ माफ कर दिया. हम फिर से पहले जैसे हो गए.
पति घर पर नहीं थे, सो अकेला लग रहा था. मैंने उससे कहा- शाम चाय पीने आ जाना.

मुझे उसके लिए अब कुछ प्यार होने लगा था. मैं शादीशुदा थी और कई पुरुषों के साथ सेक्स भी कर चुकी थी. ये सब सोच कर मुझे लगा कि सुरेश बचपन का साथी है और वर्तमान दौर में वो पत्नी के न रहने से सेक्स का भूखा भी है. मुझे उससे सम्भोग की बात भी मन में आई, लेकिन मैंने इस विचार को सुरेश की पहल पर छोड़ने का निश्चय किया और उसके आने का इन्तजार करने लगी.

आगे इस सेक्स कहानी में मैं आपको सुरेश की मस्ती और सेक्स को लेकर और भी ज्यादा खुल कर लिखूँगी.

आप मुझे मेल कर सकते हैं … पर प्लीज़ भाषा का ध्यान रहे कि आप एक ऐसी स्त्री से मुखातिब हैं, जो सिर्फ अपनी चाहत को लेकर ही सेक्स करने की सोचती है. मुझे उम्मीद है मेरी सेक्स कहानी पर आपके विचार मुझे जरूर मिलेंगे.

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