Product

Thursday, 30 November 2023

टीचर ने ओरल सेक्स करके मुझे चुदक्कड़ बनाया-2

 

अगले दिन जब मैं विद्यालय गया. क्लास में वंदना मैम का पीरियड था. जब वो क्लास में आईं, तो मैं उनके जिस्म को देख रहा था. उनके बाल खुले हुए और जिस्म पर लाल रंग की साड़ी नाभि से नीचे बंधी हुई थी. उनकी खुली नाभि देख कर, पता नहीं मुझे क्या हो रहा था. मुझे वंदना मैम इस समय नंगी नज़र आ रही थीं. तभी अचानक मेरा लंड खड़ा हो गया और पैंट में सीधा खड़ा होने की कोशिश करने लगा.

मैंने लंड पर ध्यान नहीं दिया. लेकिन मेरे उठते लंड को बगल में मेरी क्लासमेट ने देख लिया. उसका नाम प्रियंका था. वो भी वंदना मैम के द्वारा बताई गई परिभाषा के अनुसार मस्त माल थी. वो भी मेरी ही उम्र की मतलब करीब 19 साल की थी मगर मेरे मुकाबले वो बहुत चालू थी.

मैं अपनी सोच में गहरा डूब गया था. तभी मुझे कुछ अजीब से हिलता हुआ लगा. मैंने मैम से नज़र हटाई, तो देखा कि प्रियंका मेरे उभरे लंड को गौर से देख रही थी और उसका एक हाथ उसकी स्कर्ट में था. वो अपनी चूत में उंगली कर रही थी.
मैंने तुरंत नज़र हटा ली और मैम से परमिशन लेकर टॉयलेट में चला गया. मैम ने भी मेरी फूली हुई पैंट देख ली थी. उन्होंने मुस्कुरा कर मुझे जाने को कह दिया.

मैं टॉयलेट से तब तक नहीं आया, जब तक मेरा लंड सो नहीं गया
जब क्लास में आया, तो प्रियंका ने पूछा- क्या हुआ? कुछ देख लिया था क्या तुमने?
मैंने कहा- कुछ नहीं.
उसने कहा- मैं भी जल्दी ही वंदना मैम से पढ़ने आने वाली हूँ.
मैं चुपचाप सुनता रहा.

फिर छुट्टी हो गई, तो मैं घर आ गया.

मैं विद्यालय से आने के 4 घंटे बाद ट्यूशन जाता था. लेकिन मैं उस दिन आधा घंटा पहले चला गया.

मैंने मैम के घर की घंटी बजाई, लेकिन कोई नहीं आया. करीब 3 मिनट बाद गेट खुला, तो मैंने देखा कि वंदना मैम एक मैक्सी में थीं. मैं उनको देखता रह गया. वंदना मैम को देख कर ऐसा लग रहा था कि उन्होंने मैक्सी के नीचे कुछ नहीं पहना हो.

मैम ने कहा- अरे सोनू, तुम इतनी जल्दी कैसे?
मैंने कहा- मैम, मैं कल की क्लास नहीं भूल पाया.
वो मुस्कुरा दीं और उन्होंने मुझे अन्दर आने को कहा.

मैंने देखा कि घर में कोई नहीं है, मैम से पूछा तो उन्होंने बताया कि मम्मी पापा 20 दिन के लिए जम्मू गए हैं और एग्जाम की वजह से मैं नहीं जा पायी. उसके बाद वो लोग वैसे भी चार धाम जाने वाले हैं. खैर … तुम बैठो, किताब खोलो.

आधे घंटे तक मैम ने इंग्लिश पढ़ाई. वो मेरे बिल्कुल बगल में बैठी थीं. मुझे पता नहीं क्या हुआ कि मैं मैम से बिल्कुल सटकर बैठ गया. मुझे उनकी मैक्सी के ऊपर से पैर की गर्मी महसूस हो रही थी.

मैंने अचानक देखा कि मैम की टांगों के बीच में चूत के पास मैक्सी हल्की गीली सी थी.
उन्होंने मुझे उधर देखते हुए देख लिया और बोलीं- कल जो हुआ, वो अलग था … लेकिन मैं देख रही हूँ तुम चोरी से मेरे चुचों की नाली को देखते हो. आज मैंने ये भी देख लिया था कि तुम मुझे क्लास में कैसे घूर रहे थे … और अभी अभी क्या हुआ सोनू … मेरी मैक्सी की तरफ क्या देख रहे थे?

मैंने कहा- हां मैम मैं आपको देखता हूं … तो मुझे अजीब सा लगता है. अन्दर से गुदगुदी भी होती है.
तब मैम ने कहा- ये तुम्हारा पहला लेसन है … चुदाई की फीलिंग.
मैंने मैम से पूछा- चुदाई क्या होती है?
इस पर वो हंस पड़ीं और बोलीं- सोनू समय आने पर मैं सब बताऊँगी.

मैंने कुछ नहीं कहा, बस मैम के चूचे देखने लगा.

उन्होंने अपनी चूचियों को जरा जुम्बिश देते हुए हिलाया और कहा कि तुम्हें कल का माल वाला लेसन याद है ना कि जब किसी सेक्सी लड़की को देख कर एक लड़का क्या फील करता है. बस यही तुम्हारे साथ हो रहा है. तुम मुझे चोदना चाहते हो … मगर कह नहीं पा रहे हो.

मैंने कहा- मैम ये चोदना क्या होता है?
उन्होंने कहा- मैं तुम्हें सब पढ़ाऊंगी. आज हम कल के एक्स्ट्रा लेसन से आगे पढ़ेंगे कि माल को कैसे उकसाते हैं.

मैम ने कहा- खड़े हो जाओ.
मैं खड़ा हो गया.
वंदना मैम ने मेरी शर्ट उतारी और मेरे सीने पर हाथ रखकर कहा- मैं जैसा कहूं … और जो चाहूँ, तुम वही करना.
मैंने ‘यस मैम..’ कहा.

मैम ने मेरे हाथ लिए अपने मम्मों के ऊपर रखकर अपने हाथों से दबाती हुए बोलीं- ऐसा करते रहो.
इस समय हम दोनों खड़े थे. उनके हाथ मेरे बाजुओं पर थे, लेकिन मैं उनके चुचे दबाता … तो वो बैचैन हो रही थीं. अजीब आवाजें निकाल रही थीं. साथ ही मैम मेरे बाजुओं को भी दबाती जातीं. इस वक्त उनकी मुझे एक बात सुनाई दे रही थी कि आह … और तेज़ दबाओ.

कुछ ही पल बाद वो सोफे पर गिरते हुए बैठ गई. उन्होंने कहा- यहां बैठ कर दबाओ.

मैं फिर से मैम के मम्मे दबाने लगा. उन्होंने अचानक से मेरा मुँह अपनी मैक्सी के ऊपर से ही अपने चूचों में दबाना चालू कर दिया.

मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था, लेकिन गद्दे जैसी चुचियों की वजह से अन्दर गुदगुदी हो रही थी और मेरा लंड खड़ा हो चुका था.

फिर उन्होंने ऊपर से मैक्सी उतार दी और कहा- पहले चूचों को दबाओ … फिर चूसना.

मैंने जैसे वंदना मैम के नंगे मम्मों पर हाथ रखा, मेरे अन्दर एक अलग किस्म की लहर दौड़ गई. मुझे ऐसा लगा कि मेरी पैंट में कुछ गिर गया है. मुझे गीला गीला लगने लगा था, मैं शायद झड़ चुका था. लेकिन इतना ज्यादा वीर्य निकला था कि पैंट के पार भी गिरने लगा. मुझे मेरे लंड में हल्का दर्द भी हो रहा था.

मैम ने ये देख लिया. उन्होंने तुरंत मेरे गिरते हुए वीर्य को चाट लिया. मुझे थोड़ा गंदा लगा, लेकिन जब मैम ने मेरी पैंट उतारी और मेरे बहते हुए लंड को मुँह से साफ करने लगीं, टीचर के इस ओरल सेक्स से तो मेरा भेजा सुन्न हो गया.

oral-sex-teacher-sucking
Oral Sex Teacher Sucking

जैसे ही वंदना मैम ने लंड मुँह में लिया, मैं सब कुछ भूल गया और मैं एक अलग दुनिया में विचरने लगा था.

मैम ने मेरे लंड को साफ करने के बाद कहा- ये तो मेरे ब्वॉयफ्रेंड से भी जरा ज्यादा बड़ा है.
मैंने पूछा- अभी वो कहां है?
मैम ने बताया- वो भी मेरे भाई के साथ बाहर जॉब करता है.
मैंने ओके कहा.

फिर मैम ने कहा- तुम मुझे अकेले में वंदना बुलाया करो.
मैंने कहा- मैम आपने मुझे ही क्यों चुना, जिसे आप ये सब पढ़ा रही हैं.
उन्होंने बताया- तुम एकदम मेरे ब्वॉयफ्रेंड की तरह दिखते हो, चेहरे से भी बॉडी से भी, तुम सीधे भी हो और आज तो तुमने अपने लंड के भी दर्शन दे दिए हालांकि ये मेरे ब्वॉयफ्रेंड से बड़ा और मोटा है. मैं तुम्हें कुछ ऐसे गोल्डन वर्ड बताउंगी, जो तुम्हें और जिसको तुम चोदोगे, दोनों को एनर्जी देंगे.

मैंने उनकी तरफ सवालिया नजरों से देखा.

उन्होंने कहा- तुम मेरे साथ दोहराना.
मैंने कहा- ठीक है.

वंदना ने कहा- कहो वंदना रंडी.
मैंने कहा.
फिर इसी तरह से वंदना रांड, कुतिया, चुदासी, लौड़ेबाज, बहन की लौड़ी, माँ की लौड़ी … और पता नहीं क्या क्या कहलवाया.
मैं वंदना मैम का ये रूप देख कर थोड़ा हैरान था.

उसके बाद वंदना मैम ने कहा- तुमने मेरे चुचे नहीं चूसे, चलो बचा हुआ लेसन पूरा करते हैं.
उन्होंने एक दूध अपने हाथ से पकड़ कर मेरे मुँह की तरफ बढ़ाया और कहा- लो चूसो.

मैंने मैम के एक चूचे को अपने मुँह में लिया और चूसने लगा. उनकी चुचियों में अलग सी खुशबू थी.
उन्होंने कहा- अरे यार, ऐसे नहीं चूसते हैं.

मैम ने मुझे उठाया और लिपलॉक करके वो मेरे होंठों को चूसने लगीं. मुझे इतना अच्छा लग रहा था कि मैं क्या बताऊँ. उन्होंने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और तेजी से होंठों चूसने लगीं. कुछ पल बाद मैम हट गईं.
अब उन्होंने कहा- तुम भी ऐसा ही करो.

मैं कोशिश करने लगा. पहले थोड़ा टाइम लगा, लेकिन बाद में मैं भी वंदना मैम के होंठों को मस्त तरीके से चूसने लगा. उनकी लिपस्टिक को भी मैं चूस गया. मैम के होंठ बहुत ज्यादा रसीले और मीठे थे.

मैंने अपनी जीभ जैसे ही उनके मुँह में डाली, वो उसे चूसने लगीं. उन्होंने एक दो बार मेरे होंठ भी काटे, मुझे दर्द भी हुआ, लेकिन मजा आ रहा था.

करीब 15 मिनट तक वंदना मैम ने मुझे ये लेसन सिखाया. उसके बाद कहा कि अब जंगलियों की तरह चूस डालो, खेलो मेरी चुचियों से … इनको को पी जाओ … मेरे दूध को माल समझ कर निचोड़ डालो.

मैंने उनकी आज्ञा का पालन करते हुए उनके चूचों को थाम लिया. मैं पीछे की तरफ हाथ से मैम को अपनी तरफ दबाता और आगे उनके दूध मेरे मुँह में आ जाए. मैं बहुत तेजी से एक चूचे चूसने की कोशिश कर रहा था और दूसरी चूची को हाथ मसल रहा था. वो बहुत उत्तेजना में थीं. उनकी लंबी लंबी सांसें मेरे लंड को दुबारा एनर्जी दे रहे थीं. वंदना मैम अपने चूचों पर मेरे मुँह को और दबा रही थीं.

मैं मैम की चुचियों को पीता रहा. वो बहुत गर्म थीं, मैंने दूसरे चुचे के साथ भी वैसा ही किया.

वो कह रही थीं- मुझे चोद दो … अपनी रांड बना डालो.
मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था, लेकिन चुचियों की मसाज से ही मैम शायद दो बार झड़ चुकी थीं.

मैंने घड़ी देखी और कहा- वंदना … अब मुझे दो घंटे से ज्यादा हो गए हैं, मेरी नानी इंतज़ार कर रही होंगी.
वंदना मैम को मेरा जाना अच्छा नहीं लग रहा था, तब भी मजबूरी थी.

इस तरह टीचर में मेरे साथ ओरल सेक्स किया. मुझे अजीब तो लगा लेकिन अच्छा भी लगा था.

अगले भाग में मेरी टीचर वंदना मैम ने मुझे कैसे चुदाई करना सिखाया और खुद की चूत की खुजली मिटवाई, इसको विस्तार से लिखूँगा. साथ ही मेरे साथ पढ़ने वाली प्रियंका के साथ भी सेक्स का मजा लिया. उस सबको इस गंदी कहानी में पढ़ने में आपको बहुत मजा आएगा. प्लीज़ मुझे मेल करना न भूलें.

Sunday, 26 November 2023

ललक: 19 साल की उम्र में गे अनुभव

 

मेरी यह हिंदी गे सेक्स कहानी तब की है जब मैं 19 साल का था. कॉलेज में मेरे एक दोस्त ने मुझे ‘आई लव यू’ बोला तो मैंने भी बोल दिया. इसके बाद क्या हुआ?

नमस्ते दोस्तो, मेरा नाम है अधिराज।
आज मैं उस समय की बात करने जा रहा हूं जब मैं उन्नीस बरस का था। स्कूल खत्म करके मैंने कॉलेज में मैनेजमेंट की पढ़ाई के लिए दिल्ली के एक कॉलेज में एडमिशन लिया था।
मैं रहने वाला दिल्ली का ही था पर घर और कॉलेज एक दूसरे से पैंतीस किलोमीटर दूर होने के कारण कॉलेज के पास किराए के फ्लैट पे रहता था।

दोस्तों सेक्सुअलिटी को सही तरीके से समझने और ऐश करने की यही उम्र होती है।

जब मेरा एडमिशन कॉलेज में हुआ तो कई लोगों से दोस्ती हुई। कोई बर्फ के गोले की तरह सफ़ेद चमड़ी वाला तो कोई डोले शोले वाला; कोई काला तो कोई मोटा। मैं कभी सोचता नहीं था किसी के बारे में।
शुरू के महीने में पांच दोस्तों के ग्रुप में हम हलचल मचाया करते थे।

उन्हीं पांच में से मेरा एक दोस्त था पलाश! उसका कसरती बदन, शरबती होंठ, आइब्रो पियर्सिंग, नाक के नीचे का तिल, गोरी चमड़ी, बोलने का मोडर्न तरीका सब मुझे लुभाते थे।
मैं कुछ पांच फुट आठ इंच हूं तो वो पांच फुट नौ इंच।

धीरे धीरे दोस्ती बढ़ी; उठना बैठना बढ़ा; अक्सर साथ जाना, खाना पीना।
मुझे शराब पहली बार उसने पिलाई, पहली सिगरेट उसने पिलाई।

मुझे पता नहीं उसको देखते ही क्या हो जाता था। अक्सर वो मेरे फ्लैट पे आके समय बिताया करता था। पर इतने समय कभी कुछ सेक्सुअल नहीं हुआ।

अगस्त के एडमिशन से अब नवंबर की दीवाली आ गई। दीवाली की छुट्टी से पहले हम मेरे फ्लैट पे सबके जाने के बाद अकेले थे। ज़ाहिर सी बात थी हमने दारू पी थी, नशे में धुत्त थे। वो चलने लगा तो मुझे गले लगाकर, कान के पास आकर बोला- आई लव यू यार!
नशे में मैंने बोल दिया- सेम टू यू।
उसकी बात को मैंने हल्के में लेकर उसे विदा किया।

अगले दिन सुबह छोटी दीवाली होने के कारण मैं चलने से पहले की साफ सफाई कर रहा था।
तभी घंटी बजी, दरवाज़ा खोला तो देखा पलाश।

हैरानी से मैंने उसे अंदर बुलाया, पानी कोल्ड ड्रिंक नाश्ता पूछा तो वो बोला कि वो पूरा दिन मेरे साथ बिताना चाहता है।
मैंने घर फोन करके परमिशन ले ली और कहा कि मैं शाम तक घर आ जाऊंगा।

मंजूरी मिलते ही पलाश खुश हो गया और फिर बोला- आई लव यू।
मैंने कहा- मज़ाक और नशे की बात अलग है. ये सब नॉर्मल में तो मत बोला कर!

मेरी बात सुनते ही वो हंसने लगा और जबरदस्ती मुझे बांहों में भर के बोला- तू मेरा दोस्त, मेरी जान है; तेरे से प्यार ना करूं तो किससे करूँ?
मुझे ये सब पागलपन लग रहा था पर मैंने टालने के लिए बोल दिया- मी टू।

हमने नाश्ता किया और फिर टीवी पर पिक्चर देखने बैठ गए।

किस्मत कहो या कुछ भी, पिक्चर का नाम था दोस्ताना। खत्म होते होते वो किस सीन आया।
मैंने उससे कहा- कोई किसी अपने जैसे को कैसे किस कर सकता है?
पलाश मुझे देखता रहा और बोला- इसमें क्या बड़ी बात है?
और इतना बोलते ही मेरे होठों को चूमने लगा।

मैं तो घबरा के जैसे पथरा गया। पर वो मेरे बालों में हाथ घुमाने लगा। मेरे चेहरे को अपनी लंबी नर्म उंगलियों से पकड़कर चूमता रहा। जैसे उसके होंठ चल रहे थे, मैंने भी चलाने शुरू कर दिए।
अब तो वो जैसे और खुश हो गया। उसने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाली और बस किस करता रहा। मेरे हाथों को पकड़ कर उसने अपने कंधों पे रख लिया और खुद मेरी शर्ट के बटन खोलने लगा।

मुझे थोड़ा अजीब सा लगा तो मैं उससे अलग हुआ और उसे शर्ट खोलने से रोकने लगा।
अलग होते ही उसने पूछा- कैसा लगा जानेमन?
मैंने शरमा के कहा- ये मेरे साथ पहली बार हुआ है, पर अच्छा लग रहा था।

वो मुस्कुराकर फिर मेरे पास आया और बोला- तू बहुत अच्छा लगता है मुझे। एक बार और कर लूं?
मैंने मना कर दिया।
वो पूछने लगा- ऐसा किस वजह से?
मैंने घबरा के कहा- दुनिया गे कहेगी, मज़ाक बनाएगी और ऊपर से ये सब ठीक नहीं। किसी ने देख लिया तो बदनामी होगी।
कानूनन उस समय ये सब जुर्म था.

उसने मेरी एक ना सुनी, बस खिड़कियों की तरफ ढके पर्दों को देखकर और पास आके फिर मेरे होठों को किस करने लगा। मैंने मना करने की कोशिश की पर उसने मुझे बांहों में जकड़े रखा।

मैं बस उसको आनंद दे के खुद आनंद ले रहा था। उसका गीलापन मेरे मुंह को गीला कर रहा था और मेरा गीलापन उसका मुंह भर रहा था।

तभी उसने मेरी शर्ट के बटन खोलकर मेरी गर्दन, नेकबोन, छाती को देखा और किस करने लगा। किस करते करते जीभ फिराने लगा।
मेरे लिए सब नया था तो मैं बस खड़ा रहा।

तभी मेरा बनियान भी उतार के मुझ से अलग कर दिया और मुझे मेरे बिस्तर पे लिटाकर मुझे पर चढ़ गया।
मैं बस उसका साथ दे रहा था।

वो मेरी स्किन को किस करता और मेरी उंगलियां उसके बालों में चलती। धीरे धीरे सारे कपड़े उतर गए, हम दोनों बिल्कुल नग्न एक दूजे के शरीर से लिपटे हुए थे। वो पल ऐसे थे जैसे चंदन पे सांप लिपटा हो।

उसके होंठ जैसे सबसे मीठा अमृत; उसकी बांहें जैसे सबसे सुरक्षित जगह; उसका छूना जैसे सबसे ज्यादा प्यार मिलना।
जब वो मेरे चेहरे से कंधे के बीच के हिस्से … या कहूं गर्दन के ऊपर वाले हिस्से पे चूम रहा था तो मैं पागल होता जा था। मुझे बस पता नहीं था कि आगे क्या करूं।

वो मुझे अपने नशे में पागल करके धीरे धीरे नीचे जाने लगा। छाती पे चूमता हुआ मेरे निप्पल चूसने और मसलने लगा। पहले सहलाता, फिर जीभ से चटकर झटके से मुंह में भरकर चूसता।
ऐसा करते करते दूसरे हाथ से मेरे दूसरे निप्पल को मसलता। बीच में रुकता तो फिर मुझे किस करने लगता।

छाती से नीचे अब वो कमर तक आ गया। मुझे उसके चूमने से गुदगुदी हो रही थी। मैं उठना चाहता था पर उसने मेरी उंगलियां अपनी उंगलियों से उलझकर मुझे अलग नहीं होने दिया।

अब और नीचे होते होते मेरे लन्ड तक आ गया और उसे देखने लगा। मैंने अपने लिंग को हाथ लगाया तो उसने धीरे से मेरा हाथ हटाकर मेरे फोर स्किन को पीछे खींच दिया।
मुठ तो मैं हर रात मारता था इसलिए कोई फर्क नहीं पड़ा। लुल्ली कब लौड़े में बदली पाता नहीं चला।

वो मेरे टट्टे सूंघने लगा। पागल बोला- क्या खुशबू है तेरी जानेमन।
और बोलते ही गप से पूरा लन्ड गले तक ले गया।

मैं घबरा गया तो उसने धीरे धीरे टोपे को चूसना शुरू किया। मैं सातवें आसमान में था। मैं उसको रोकना और जारी रखना दोनों चाहता था।

वो गपगप चूस रहा था और मैं पागल होकर चुसवा रहा था। कभी लौड़ा चूसता तो कभी टट्टे मुंह में भरके पगला देता।

अब बस सहन नहीं हो रहा था। लं चुसवाते चुसवाते लगभग पांच मिनट हो गए और मैं उसके मुंह में झड़ गया।

मेरे झड़ते के साथ ही वो पागल मेरा वीर्य पी गया और फिर ऊपर आके मुझे फिर किस करने लगा।

मुझे घिन आ रही थी कि ये मेरे लन्ड से निकला माल पीके मेरे ही होठों कों चूम रहा है पर किसी तरह खुद को उस किस करने दिया।
आखिर आज उसने आसमान की सैर करा दी थी।

मेरा मोटा लंबा सात इंच का लन्ड सब शांत हो गया था. पर इस चंदन से बदन पर चिपका सांप अभी भी डसने को फनफना रहा था।

वो मुझ पर से उतरा और बराबर में लेटकर धीरे से कान में बोला- तुम भी मुझे थोड़ा प्यार दे दो। मैंने तो आज इजहार कर दिया है।

मुझे एक्सपीरिएंस तो नहीं था पर उसको गर्दन से लेकर उसके लन्ड तक चूमा और फिर बिना सोचे उसका लौड़ा मुंह में ले लिया।
घिन आई और मुंह में नमकीन महसूस होते ही बाथरूम में जाके थूक आया।

वो लेटा रहा और अपना लंड हिलाता रहा। मेरे वापिस आते ही वो बोला- पूरा तो कर यार!
मैंने फिर कोशिश की और शुरू हो गया।

उसने मेरे बाल खींच के लौड़ा गले तक पहुंचा दिया। लगभग पांच मिनट की मेहनत और बहुत सारे पसीने के बाद उसने अपना माल छोड़ा।
फिर हम दोनों चिपक के सो गए।

यह था मेरा प्रथम गे सेक्स अनुभव जिसे मैंने हिंदी कहानी के रूप में लिख दिया है आपके लिए.

Saturday, 25 November 2023

छोटी बहन को चोदा खूब चोदा-2

  घर में हम दोनों भाई बहन ही अकेले थे. हम दोनों ने बचपन की तरह जवानी में भी एक दूसरे के सामने नंगा होकर देखने का खेल शुरू कर दिया था.

मेरा मन अपनी बहन के मस्त चूचों को दबाने और मसलने का कर रहा था. लेकिन मैं उसके साथ कुछ भी ऐसा नहीं करना चाहता था, जिससे वो गुस्सा हो जाए.

अब आगे:

मैंने उससे कहा- अगर तुमने ये लंड देख लिया हो, तो क्या मैं तुम्हारी चुत देख लूं?
उसने पैर खोलते हुए कहा- दिख तो रही है.
मैंने कहा- ऐसे नहीं पगली … अभी अच्छे से नहीं दिख रही है.
उसने नशीली आवाज में कहा- ठीक है … जैसे देखना हो आप देख लो.
मैंने कहा- अपनी टांगें ऊपर करके लेट जाओ.

वो झट से चूत खोल कर लेट गयी. उसकी नाज़ुक सी छोटी चुत मेरे सामने पूरी खुल गयी.

अब मैं अपनी उंगलियों को उसकी चुत पर फिराने लगा और वो वासना से भरी हुई सिसकारियां लेने लगी.

मैंने पूछा- क्या हुआ?
पूर्वी बोली- मेरे बदन में हल्की सी गुदगुदी हो रही है.
मैंने कहा- हां यार … मुझे भी ऐसा ही हो रहा है.

ये कहते हुए मैंने अपनी एक उंगली उसकी चुत पर फेरते हुए धीरे से अन्दर डाल दी और आगे पीछे करके टटोलने लगा.

शायद वो अपनी चुत में उंगली करती थी इसलिए उसे मेरी उंगली से कोई दिक्कत नहीं हुई, बल्कि उसे मजा आने लगा. उसकी चुत ने लिसलिसा सा पानी छोड़ दिया था. चिकनी चुत में मेरी उंगलियों की रगड़न ने उसे मजा दे दिया और वो आहें भरने लगी.

मैंने उंगली तेज चलाना शुरू की, तो कहने लगी- भैया, आप अपनी प्लीज उंगली निकाल लो … मुझे कुछ कुछ हो रहा है.

मैंने उंगलियों को बाहर निकाल लिया. मुझे तो उसकी नाज़ुक सी छोटे से छेद वाली चुत को मुँह में भरके चूसने का बहुत मन कर रहा था. मैं उसकी इस अनछुई चुत का रस पीना चाहता था.

मैंने उससे अपने दिल की बात कही … पर उसने मना कर दिया, तो मैं वहां से हट गया. अब मैं उसकी बाजू में जाकर ऐसे नंगे ही बैठ गया.

उसने कहा- चलो भैया, हम ऐसे ही एक सेल्फी लेते हैं.
मैंने कहा- हां … ये अच्छा आईडिया है.

मैंने अपना मोबाइल का कैमरा ओपन करके उसे दे दिया और फिर साइड से उसे कसकर एक हाथ से उसकी कमर को पकड़ कर सेक्सी सा पोज़ दिया. फिर दूसरा पोज़ लेने के लिए मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया. अपनी मुंडी उसकी गर्दन में रखकर उसके गोरे गालों को अपने गालों से सटा दिया. उसका एक हाथ मेरे गाल पर था … इससे बहन की नंगी गांड पर मेरा खड़ा लंड जाकर छिप गया था. उसे लंड चुभ रहा था. उसने फोटो निकाली और अपनी गांड को मेरे लंड पर घिसने लगी.

अब मैंने पीछे से ही उसके चूचों को अपने हाथों में भरा और दबाने लगा.

वो ‘आह … भैया भैया..’ बोलकर चुदासी सिसकारियां लेने लगी.
उसने कहा- भैया, ये सब ठीक नहीं है.

मैंने उसे अपनी तरफ घुमाया और आंखों में देखकर बोला- मेरी प्यारी छोटी बहन की कम से कम हम एक दूसरे को ऊपर से तो मज़े दे सकते है न. तुम मेरा चूस कर झड़ा दो, मैं तुम्हें झड़ा दूंगा. वैसे भी ये तो हम हफ्ते में एक बार खुद से करते ही हैं. आज हम एक दूसरे से कर लेते हैं.

वो मेरी बात मान गयी और उसने कहा- ठीक है. बस हम एक दूसरे का हस्तमैथुन ही किया करेंगे … ठीक है.
मैंने भी हां कहा … और उसे पोजीशन में आने के लिए कहा.

वो नीचे झुक गयी. वो पहली बार लंड चूस रही थी, इसलिए ऊपर ही ऊपर से चूम रही थी.
मैंने कहा- इसे पूरा अपने मुँह में लो, तभी तो मज़ा आएगा.

उसने धीरे धीरे थोड़ा थोड़ा करके पूरा 6 इंच का लंड अपने मुँह में ले लिया और फिर जल्द ही बाहर निकाल दिया.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
उसने कहा- कुछ नहीं.

उसने वापिस लंड मुँह में भर लिया और धीरे धीरे आगे पीछे करने लगी. थोड़ी ही देर बाद वो मेरे लंड को ऐसे चूसने लगी, मानो उसकी सालों से प्रैक्टिस हो.

फिर मैंने कहा- रुको … अगर मैं झड़ गया तो मुझे तुम्हारी चुत चूसने में उतना मज़ा नहीं आएगा. चलो हम 69 की पोजीशन ले लेते हैं.
वो शायद यही चाहती थी. उसने कहा- ये आपने सही कहा भैया.

फिर हम दोनों बिस्तर पर 69 में आ गए. अब वो मेरा लंड चूस रही थी और मैं उसकी नाज़ुक सी कोमल चुत में अपनी जीभ चला रहा था. मैं उसकी चुत के छोटे से दाने को दांतों से हल्का सा काट भी रहा था और बार बार अपनी उंगलियों से चुत की पंखुड़ियों को फैला कर गुलाबी रसीली चुत को देख भी रहा था.

आखिर वो मेरी छोटी बहन की चूत थी. मैं अपनी बहन की चुत के काफी अन्दर तक अपनी जीभ ले जा रहा था.

वो बहुत देर से लंड चूस रही थी, इसलिए मैं झड़ने वाला हो गया था. मैंने कहा- मैं झड़ रहा हूँ.
उसने तुरंत अपने मुँह से मेरा लंड निकाल दिया क्योंकि वो मेरा मुठ पीना नहीं चाहती थी.

अगर आपकी बहन आपसे कुछ इंकार भी करे, तो मान लेना क्योंकि उन्हें इन सबकी आदत नहीं होती है. पर मुझे पता था, अगर मैंने बहन को चोदा, तो उसे आदत हो जाएगी.

अब मैं उसकी चुत लगातार चूसे जा रहा था. तभी उसने अपने बदन को ऐंठ लिया और झड़ने लगी. मैं अपनी बहन की चूत का रस पीने लगा. उसकी चुत से निकलने वाला उसका कोरा कामरस पीने का मज़ा ही अलग था. ऐसा लग रहा था मानो मुझे अमृत मिल गया हो. पूर्वी की चुत का रस स्वादिष्ट भी इसलिए था क्योंकि ये अभी उसकी नई जवानी का रस था.

फिर थोड़ी ही देर में पूर्वी पूरी तरह से स्खलित हो गयी.

दोस्तो, अगर आप भी अपना मुठ अपनी बहन को पिलाना चाहते हैं, तो इसी चीज़ से लड़कियों को भी मज़ा आता है कि उनकी चुत का रस भी कोई पिए. मैंने भी ऐसा ही किया था, मैं उसकी चुत से निकला सारा माल पी गया था.

कुछ देर बाद वो कपड़े पहनने लगी, तो मैंने कहा- अरे रात को यहां कौन आ रहा है … चल हम बिना कपड़ों के ही सो जाते हैं. फिर आज गर्मी भी ज्यादा है.
उसने हंसते हुए कहा- हां भैया आप सही कह रहे हो, चलो रात हो गयी है. हम अब सो जाते हैं … सुबह जल्दी उठना है.

हमने लाइट ऑफ की और एक चादर लेकर सो गए. गर्मी थी लेकिन चादर ओढ़ने की आदत होने की वजह से चादर ओढ़ ली थी.

इतना सब हो जाने के बाद अब मुझे नींद कहां आने वाली थी. सच्ची बात तो ये भी थी कि पूर्वी को भी अब नींद नहीं आ रही थी.

ये मैंने जान लिया था … क्योंकि सोते वक़्त वो हिल डुल रही थी. वो सिर्फ आंख बंद करके सोयी थी. मैं समझ गया था कि ये सिर्फ सोने का नाटक कर रही है.

थोड़ी देर बाद मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा. मुझे पक्का यकीन था कि पूर्वी की भी चुत से पानी आ रहा है. मैंने सोने का नाटक करते हुए उसके पेट पर अपना हाथ रख दिया और सहलाने लगा.
मैंने धीमे से कहा- पूर्वी तुम सो गई क्या?
उसने मेरी तरफ करवट लेते हुए कहा- नहीं भैया, नींद ही नहीं आ रही.

मैंने कहा- तुम मेरे पास मेरे सीने से लगकर सो जाओ, तुम्हें नींद आ जाएगी.
उसने कहा- भैया, पर आपका लंड मुझे चुभेगा ना.
मैंने कहा- बहन हम दोनों एक दूसरे की ज़रूरत पूरी कर सकते हैं, पर हम ऐसा नहीं कर रहे हैं … ऐसा क्यों?
उसने कहा- क्योंकि भैया … हम भाई बहन हैं और हम …

बस इतना कहकर वो रुक गयी, तो मैं उसके करीब सरक गया और उसे सीने से लगाकर कहा- क्या भाई बहन का ये रिश्ता, वासना के आगे जीत गया कि हम एक दूसरे की ज़रूरत ही नहीं पूरी कर सकते?

उसने कहा- हां भैया आप सच कह रहे हैं … हम भाई बहन तो बाद में हैं, पर पहले आप एक लड़के हो और मैं एक लड़की हूँ. यदि हम एक दूसरे की जरूरत पूरी करेंगे, तो शायद इससे हम दोनों भाई बहन का प्यार ही बढ़ेगा.

बस फिर क्या था … इतना सुनते ही मैंने उसके बदन को कसकर जकड़ लिया और उसके होंठों में अपने होंठ डालकर उसे किस करने लगा. वो भी मेरे होंठों को बेइंतेहा चूस रही थी.

मैंने चादर हटा कर नीचे गिरा दी और उसके ऊपर चढ़ गया. किस करने के बाद में उसके बदन को हर जगह से चूमने लगा था. मैं उसके एक बूब को हाथों में भरकर और दूसरे को मुँह में लेकर चूसने लगा. वो अपने हाथों से मेरे लंड से खेलने लगी. फिर थोड़ी देर बाद मैंने उसकी टांगों को ऊपर उठाया.

हम दोनों का ये पहली बार बहन को चोद रहा था, इसलिए मैंने उससे कहा- तुम अपने नीचे तकिया रख लो.

उसने अपनी गांड के नीचे तकिया लगा लिया, इससे उसकी चुत और ऊपर उठ कर आ गयी.

मैंने अपने लंड को पहले पूरी चुत पर से सहलाया, तो उसने गांड उठाते हुए कहा- भैया अब सब्र नहीं होता … जल्दी से अन्दर डाल दो … अब देर न करो … अपना लंड चुत के अन्दर पेलो.

मैंने अपने लंड के सुपारे को चुत पर रखा और एक झटका दे दिया, पर मेरा लंड फिसल कर साइड में चला गया. क्योंकि मेरा पहली बार था, तो मुझे भी कुछ ज्यादा पता नहीं था.

मैंने अपने लंड पर थोड़ा था थूक लगाया और पूर्वी ने लंड पकड़ कर अपनी चुत पर रखा. ने एक झटका दिया और मेरा सुपारा चुत में चला गया.

पूर्वी के मुँह से ‘उई भैय्या … मर गई..’ की चीख निकल पड़ी.
मैं उसकी चीख सुनते ही रुक गया.

मैंने एक पल रुकने के बाद दुबारा से झटका दे दिया. इस बार मेरा पूरा लंड पूर्वी की चुत में घुसता चला गया.
वो दर्द से कराहने लगी और कहने लगी- आह … भैया निकालो इसे … प्लीज भैया …

पर मुझे पता था कि बस थोड़ी ही देर दर्द होगा. मैं उसके ऊपर ऐसे ही लेटा रहा और उसे किस करने लगा, ताकि वो नीचे का दर्द भूल जाए. उसकी चुत से खून निकल रहा था.

थोड़ी देर बाद वो नार्मल हो गयी और मैंने लंड को आगे पीछे करना शुरू कर दिया. फिर तेज़ तेज़ झटके मारने लगा.
वो मचलने लगी- उफ्फ्फ … उम्म्ह … अहह … हय … ओह …

मैंने उसकी एक टांग को अपने कंधे पर रखा और लगातार झटके देने लगा.
वो मस्त से चूत चुदाई का मजा लेने लगी.

Bahan Ko Choda
Bahan Ko Choda

थोड़ी देर बाद हम दोनों झड़ गए. उस रात मैंने अलग अलग पोजीशन में अपनी छोटी बहन को चोदा.

सारी रात बहन को चोद चोद कर कब गुजर गई, कुछ पता ही नहीं चला. सुबह नाश्ता करके हम सो गए. दिन भर चुदाई की थकान में हम दोनों यूं ही पड़े रहे.

देर शाम को हम दोनों उठे और खाना आदि खाया. इस दूसरी रात को भी मैंने अपनी बहन को चोदा … खूब चोदा.

इस चोदा चोदी के चक्कर में हम वो खून वाली चादर साफ़ ही नहीं कर पाए और अगले दिन माँ पापा आ गए.

उसके बाद क्या हुआ आपको अगली कहानी में बताऊंगा.

दोस्तो, मैं बस इतना कहना चाहूंगा कि आप अपने भाई या बहन से शर्माओ मत … उन्हें खुलकर बोलो. अगर आप में प्यार है … तो आप भी जीवन का परम सुख घर पर ही उठा सकते हैं.
जैसे मैंने अपनी बहन को चोदा तो आप चाहो तो आप भी अपनी बहन को चोद सकते हो!
धन्यवाद.
लेखक का इमेल आईडी नहीं दिया जा रहा है.

Friday, 24 November 2023

टीचर की अन्तर्वासना ने मुझे चुदक्कड़ बनाया-1

 

मैं बहुत सीधा लड़का था मगर मेरी एक टीचर ने मुझसे अपनी अन्तर्वासना का इलाज करवाया. वो मुझे अपनी चूचियां और चूत दिखा कर मेरा लंड खड़ा करवा देती थी.

नमस्ते दोस्तो … मैं आपका दोस्त अपनी नई सेक्स कहानी लेकर हाज़िर हूँ … क्योंकि इस अन्तर्वासना कहानी ने मेरी टीचर में मुझे ये सिखा दिया था कि सेक्स कितनी मजेदार चीज़ है.

मेरा नाम सोनू है, मेरी हाइट 5 फुट 8 इंच है. मैं दिखने में स्मार्ट हूँ और बहुत सीधा हूँ.

यह कहानी मेरी पिछली कहानी से पहले की है और मेरे विद्यालय से शुरू होती है, जब मैं पढ़ता था. मैं विद्यालय का सबसे सीधा और पढ़ने वाला छात्र था. हालांकि मैं हर एक टीचर का प्रिय था, मगर एक अध्यापिका थीं … जिनका नाम वंदना था.

वंदना मैम की उम्र 24 साल थी. उनकी हाइट 6 फुट 3 इंच और दूध सी सफेद मदमस्त काया थी. लम्बे घने बाल, आंखों पर सेक्सी चश्मा … चूचों का उभार बड़ा ही आकर्षक था. वंदना मैम की पतली कमर और चूतड़ों ऐसे कि क्या कहूं. कुल मिलाकर वंदना मैम एक मस्त माल लगती थीं. वो इंग्लिश की टीचर थीं.

मैं पढ़ने में अच्छा था … लेकिन मेरी इंग्लिश बहुत खराब थी. वो जब क्लास में पढ़ाती थीं, तो मैं बड़े ध्यान से पढ़ता था, लेकिन हिंदी माध्यम की वजह से मुझे कुछ ज्यादा समझ में नहीं आता था.

वो मुझे बहुत पसंद करती थीं, इसलिए वो मुझे समझाने की बहुत कोशिश करती थीं.

मैं बहुत ही ज्यादा सीधा था, तो मैं हमेशा यही कोशिश करता कि कोई भी टीचर मुझसे नाराज़ न हो.

एक दिन जब वंदना मैम ने मुझे उन्होंने लेसन याद करने को दिया. मुझे याद नहीं हुआ, तो उस दिन उन्होंने मुझे बहुत डांटा. उनकी डाँट से मैं रोने लगा. ये देखकर उस समय उन्होंने कुछ नहीं कहा, लेकिन छुट्टी के बाद उन्होंने मुझे स्टाफ रूम में बुलाया और समझाने और पूछने लगीं कि आखिर क्या बात है.

मैंने उन्हें बता दिया कि मुझे बेसिक ही समझ में नहीं आता है.
उन्होंने कहा कि कल अपनी मम्मी को साथ लेकर आना.

मैं अगले दिन अपनी मम्मी के साथ विद्यालय गया. आप तो जानते ही हैं कि मेरी माँ खुद एक टीचर हैं और वो उस समय छुट्टी पर आई हुई थीं.

वो मेरे साथ विद्यालय आ गईं. जब वो वंदना मैम से मिलीं, तो मैम ने सारी बात दी.
मेरी मम्मी ने कहा कि मैं खुद विद्यालय में रहती हूं … और मुझे इसे पढ़ाने का समय नहीं मिलता है. इसकी नानी भी पढ़ी लिखी नहीं हैं, आप ही बताइए मैं क्या करूं?
तब मैम ने कहा- अगर आप कहें, तो मैं इसे होम ट्यूशन दे सकती हूं.
मम्मी ने कहा- ये तो बहुत अच्छी बात है.

लेकिन मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि ये क्या हो रहा है.

खैर अब मैम घर आकर मुझे पढ़ाने लगी थीं. मेरा कमरा अलग था और नानी काफी बूढ़ी थीं. … वो सही से चल भी नहीं पाती थीं. उनका कमरा भी अलग था.

मैम शाम को 5 बजे मेरे घर आतीं और मुझे सवा घंटे पढ़ातीं. जब वंदना मैम मेरे घर आतीं … तो एक अलग सी खुशबू फ़ैल जाती थी, जो मुझे बड़ी पसंद आती थी. वंदना मैम हर दिन नए कपड़े पहन कर आती थीं. वो विद्यालय में तो साड़ी पहन कर आती थीं, लेकिन मेरे घर पर वो सलवार कुर्ती और दुपट्टा … कभी लेगी कुर्ती, तो कभी जींस टी-शर्ट पहन कर आती थीं. लेकिन उनकी हर ड्रेस में दुपट्टा ज़रूर होता था. पर एक बात और भी थी कि रूम में आते ही उनका दुपट्टा उनके जिस्म से अलग हो जाता था. मैंने गौर किया था कि वंदना मैम की हर ड्रेस से उनके मम्मों की नाली दिखती.

वो अक्सर मेरे बगल में बैठ कर मुझे पढ़ाती थीं. मैं जब पढ़ता था, तो उनकी खुशबू मुझे एक अलग सा अहसास देती थी. मैं कभी कभी उस महक में खो सा जाता था, तो मैम मेरी जांघ पर हाथ रख कर मुझे जगा देतीं.

जब वो मुझे छूतीं, तो मुझमें एक अजीब सी तरंग उठ जाती. मेरी समझ में नहीं आता था कि ये क्या हो रहा है. मैं सीधा तो था … लेकिन जब मैं पढ़ता था, तो मेरी नज़रें उनके मम्मों पर गड़ सी जातीं. उनके बड़े बड़े मम्मे देख कर मुझे थोड़ा अजीब सा लगने लगता. मेरी आंखें बंद होने लगतीं और मेरे लंड में एक तरंग सी दौड़ जाती.

पहले मुझे ऐसा अहसास कभी नहीं हुआ था … शायद मुझे अब मैम के मम्मों को देखने में मजा आने लगा था, इसीलिए मैं उनके मम्मों को चोरी से देख लेता. मुझे बाद में पता चला कि यह तो मेरी अन्तर्वासना के कारण हो रहा था.

शायद वो भी ये बात समझ गई थीं कि मुझे उनके चूचों की नाली देख कर मजा आता है, इसीलिए वो मुझसे और भी चिपक कर बैठ जातीं और मुझे पढ़ाने लगतीं. मुझे उनकी बॉडी की गर्माहट महसूस होती, लेकिन कुछ समझ में नहीं आता कि मुझे क्या हो रहा है. शायद उस वक्त मैं कुछ ज्यादा ही बुद्धू था. हालांकि मैं उस वक्त 19 साल के करीब था.

एक दिन वो मुझे पढ़ा रही थीं. उसी बीच में उन्होंने मुझसे कहा- टॉयलेट किधर है?
मेरा टॉयलेट रूम में ही था, तो मैंने इशारा कर दिया.

वो जल्दी से उठीं और वाशरूम में चली गईं. वंदना मैम को जब काफी देर हो गई थी … मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि मैम को ऐसा क्या हो गया है.

जब वो बाहर नहीं आईं, तो मैंने दरवाजे के पास जाकर आवाज देते हुए पूछा- मैम आप ठीक तो हैं ना!
तब उन्होंने कहा कि हां मैं ठीक हूँ … बस औरतों वाली दिक्कत है … और कुछ नहीं.

अब ये औरतों वाली दिक्कत क्या होती है, मेरे भेजे में कुछ समझ में ही नहीं आया. मैं टेबल के पास खड़ा था.

जब वंदना मैम बाहर आईं, तो उनके कुर्ते से हर बार से ज्यादा उनके मम्मों की झलक दिख रही थी. मैम की कुर्ती थोड़ी छोटी थी, तो उनकी दोनों तरफ से हल्की सी कमर दिख रही थी.
वो मेरे सामने अपनी कुर्ती को सही करने लगीं. मैं उन्हें देखे जा रहा था.

उन्होंने कहा- क्या हुआ?

मैं कुछ नहीं बोला … लेकिन मेरे लंड ने सब कुछ बोल दिया था. मेरा लंड अचानक से खड़ा हो गया था. ये पहली बार ऐसा कुछ देख रहा था.

उनकी निगाह मेरे फूलते लंड पर पड़ गई थी. उन्होंने खड़े होते लंड को देख लिया था. वो हल्के से मुस्कुराईं और बोलीं- आज मुझे कुछ काम है … इसीलिए मैं जल्दी जा रही हूँ.

वो साल का आखिरी दिन था. परीक्षा शुरू हो चुकी थीं और इस बार भी मैं क्लास में अव्वल था. कमाल की बात ये थी कि इस बार मेरे इंग्लिश में और भी ज्यादा अच्छे नंबर आए थे.

अब मैं अगली कक्षा में आ गया था. मैम ने मुझसे कहा- देखा तुमने कर दिखाया.
यह कह कर उन्होंने मेरे गाल सहला दिए. उनका यूं मेरे गालों को सहलाना मुझे बड़ा अच्छा लगा.

फिर उन्होंने कहा- आज तुम्हारे लिए एक गिफ्ट है.
मैंने मैम से पूछा- क्या है?
उन्होंने कहा कि आज से मैं तुम्हें एक्स्ट्रा और कुछ नया पढ़ाऊंगी.
ये सुनकर मैं बहुत ज्यादा खुश था.
तभी उन्होंने कहा- पर मेरी एक शर्त है, आज से तुम मेरे घर आकर पढ़ोगे.

मैं अपने घर गया.
उन दिनों मम्मी घर पर ही आई हुई थीं. उन्होंने मेरा रिजल्ट देखा और अंग्रेजी में अच्छे नम्बर देख कर मुझे शाबाशी दी.

फिर मैंने मम्मी से टीचर की उनके घर जाकर पढ़ने की बात बताई.
मम्मी ने मुझसे कहा- बेटा टीचर जैसा कहें, वैसे ही करना क्योंकि आज तुम्हारा रिजल्ट बता रहा है कि वंदना कितनी अच्छी टीचर हैं. जाओ आज से उनके घर जाकर पढ़ो. जो भी सिखाएं, ध्यान से सीखना.

मुझे अब इंग्लिश समझ में आती और मेरा मन मैम के साथ पढ़ने में ज्यादा लगता. मैं रोज़ उनके घर पढ़ने के लिए जाने लगा था.

मैम अपने घर में हमेशा किसी न किसी सेक्सी सी ड्रेस में होतीं. वो कभी गाउन पहने हुए होतीं, तो कभी शर्ट एंड शॉर्ट्स में होतीं, कभी लांग स्कर्ट और टॉप पहने हुए होतीं.

लेकिन उनके हर कपड़े में उनकी बाजू खुली रहती. कुछ कपड़ों से तो साइड से उनके चूचे तक दिख जाते, पता नहीं क्यों … ये देख कर मेरा लंड खड़ा हो जाता था.

वंदना मैम के घर में उनकी मम्मी और पापा थे. उनका एक भाई भी था, पर वो बाहर कहीं जॉब करता था. मेरे अच्छे व्यवहार से उनके घर में धीरे धीरे उनके मम्मी पापा को अच्छा लगने लगा.

मुझे उनके घर पढ़ने जाते हुए करीब दो महीने हो चुके थे. अब तो वंदना मैम मुझे अपने रूम में ही पढ़ाने लगी थीं. शायद वो अपने रूम में किसी को आने नहीं देती थीं. उनके रूम में एक दीवार पर बहुत अच्छी कलाकृति बनी हुई थी. मुझे वो बड़ी अच्छी लगती थी. वो शायद खजुराहो की कोई सम्भोग वाली कलाकृति थी.

समय निकलता गया. अब मैं देखता कि टीचर जी अपने कपड़े ऐसे ही बेड पर रख देती थीं. कई बार उनकी पैंटी और ब्रा भी बेड पर ऐसे ही पड़ी रहतीं.

ये सब मैंने इससे पहले कभी नहीं देखा था … मुझे तब भी अजीब नहीं लगा. पर शायद मैम जान बूझकर ऐसा करती थीं. मैडम मेरी अन्तर्वासना से खेल रही थी शायद.

खैर अब दो महीने हो चुके थे. उस दिन मेरा 19वां जन्मदिन था. मैं मैम के घर गया.

मैंने पूछा- मैम आप मुझे कोई नया विषय भी पढ़ाने वाली थीं?
उन्होंने मुझे हैप्पी बर्थडे कहते हुए कहा- हां मुझे पता है कि आज तुम्हारा जन्मदिन है … और मैं आज ही से नया विषय पढ़ाऊंगी. लेकिन पहले मैं नहा लूं … फिर आती हूँ.
मैंने कहा- ठीक है मैम.

उनका बाथरूम उन्हीं के कमरे में अटैच था. वो नहाने चली गईं.

करीब 15 मिनट बाद उन्होंने मुझे आवाज़ दी और कहा- मैं अपनी तौलिया वहीं भूल गई हूँ … तुम मुझे दे दो.
मैंने कहा- ठीक है.

मैं बाथरूम के पास जैसे ही गया, मैंने देखा कि पूरा गेट खुला हुआ था और मैम पूरी नंगी खड़ी थीं.

मैंने हाथ से अपनी आंखें बंद कर लीं. मैंने ऐसा जाहिर किया कि मैंने कुछ नहीं देखा, लेकिन मैम ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अन्दर करके दरवाज़ा बन्द कर लिया.
मैं काँप रहा था, क्योंकि इससे पहले मैंने न ही ऐसा कुछ देखा था और न ही किया था.

वो मेरे करीब आईं और मेरा हाथ मेरी आँखों से हटा कर बोलीं- सोनू एक बार देखो तो सही.
मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि ये क्या हो रहा है. मैं कुछ बोल भी नहीं पा रहा था.

उन्होंने कहा कि नया सब्जेक्ट पढ़ना है … तो मेरी बात ध्यान से सुनो … और जैसा मैं कह रही हूँ, वैसा करो.
मुझे अपनी मम्मी की बात याद आ गई कि मैम जो सिखाएं, ध्यान से सीखना. फिर क्या था … जैसा उन्होंने कहा, मैंने आंख खोलीं और उनकी तरफ देखा. मेरी सेक्सी वंदना मैम पूरी नंगी थीं. उनके चुचे इतने बड़े और रसीले थे, कमर सेक्सी और गांड तो महा सेक्सी थी.

मेरी तो मानो सांसें ही रुक गई थीं क्योंकि इससे पहले मैंने ऐसा कुछ नहीं देखा था.
टीचर ने कहा- क्या मैं तुम्हें मस्त भरा हुआ माल लग रही हूं?
मेरी कुछ समझ में नहीं आया. मैंने सकुचाते हुए कहा- मैम, ये माल क्या होता है?
वो मुस्कुराईं और बोलीं- जरा रुको बताती हूँ.

वंदना मैम ने अपने चुचे दोनों हाथों से उठाए और दबा कर बोलीं- ये मौसंबियां हैं … इनको चूसने से माल निकलता है.

फिर एक हाथ अपने पेट को सहलाती हुई कमर पकड़ कर बोलीं- ये जवानी की निशानी है!
और फिर अपने दोनों हाथ से अपनी चूत को फैला कर बोलीं- ये जादुई गुफा है … इसमें माल भरा रहता है.

फिर मैम ने पीछे मुड़ कर अपने चूतड़ों को हाथों से हिलाकर कर कहा कि ये सब मिला कर बनता है माल, जिस लड़की के चुचे, कमर और गांड को देख कर चोदने का मन करे … तो समझ जाओ कि वो लड़की माल है. तुम अभी छोटे हो … लेकिन तुम्हें देखती हूं … तो मेरा ब्वॉयफ्रेंड मुझे याद आ जाता है.

मैं चुपचाप वंदना मैम की बातों को सुनता रहा. मेरी ट्यूशन का वक़्त भी खत्म हो चुका था. मैंने कहा- मैम अब मैं जा रहा हूँ.

उन्होंने मुझे रोका नहीं … क्योंकि घर में सब लोग मौजूद थे. लेकिन पीछे से आवाज़ आई कि अब मैं तुम्हें ये सब्जेक्ट रोज एक्स्ट्रा एक घंटे पढ़ाऊंगी … अपने घर पर कह कर आना.

मैं अपने घर चला गया, लेकिन मैं घर जाने के बाद अपने रूम में यही सोचता रहा कि ये सब क्या था. मगर मुझे भी कहीं न कहीं बहुत मज़ा आया था.

उस दिन मेरे दिमाग से टीचर का वो नंगा जिस्म नहीं भूल पा रहा था. मैं जैसे तैसे सो गया.

Thursday, 23 November 2023

चूत चुदाई की हवस-2

 आपने पढ़ा कि मेरे पड़ोस में रहने वाला सुनील मेरी वासना को समझ कर मुझे अपनी बांहों में भर कर मेरी पीठ को सहलाने लगा था.

अब आगे:

“भाभी … क्या कर रही हो?”
“तुम्हें भी यही चाहिए ना?” मैंने जवाब दिया.

मैं आज मन से पूरी तैयार थी.

“अहहऽऽऽ … पर आप दिल से तैयार हो, तब ही …”
“मैं पूरा विचार करके आयी हूँ.”
“ओह … भाभी.” मुझे अपनी बांहों में दबोचते हुए उसने मेरे गाल पर जोर से किस किया.

“उम्म … धीरे … मैं कहीं भाग नहीं रही हूं.”
“पक्का … नहीं जाओगी.”
“सुनील … आह.”

बहुत देर हम वैसे ही खड़े रहे, उसके हाथ मेरी पीठ पर घूम रहे थे और मेरे हाथ उसके चौड़े सीने पर.

धीरे धीरे उसके हाथ मेरी गांड को सहलाने लगे और मेरी सिस्कारियां बढ़ने लगीं. जिस स्पर्श को याद करके मैं अपनी चूत को सहलाती थी … आज वो स्पर्श मेरी जांघों पर और गांड पर हो रहा था. अब मुझे वह स्पर्श पूरे बदन पर चाहिए था.

धीरे धीरे वह नीचे बैठ गया, उसकी गर्म सांसें कपड़ों के ऊपर से मेरी चूत पर महसूस हो रहे थे.
“भाभी दिखाओ ना!”

वीडियो प्लेयर
00:00
01:19

उसकी इस रिक्वेस्ट से मैं शर्म से पानी पानी हो रही थी. अब तक वह अंग सिर्फ मेरे पति ने देखा था और वह उसे दिखाने की विनती कर रहा था. मेरी स्त्री सुलभ लज्जा, अभी भी मुझ पर हावी थी और मैंने अपने दोनों हाथों से अपना चेहरा ढक लिया.

सुनील को मेरी स्थिति का अंदाजा हो गया और उसने खुद ही मेरा गाउन कमर तक ऊपर उठा लिया. उसकी गर्म सांसें मैं अपनी जांघों पर महसूस कर रही थी. काली पैंटी में छुपी मेरी चूत भी अब गीली हो गयी थी.

अचानक मेरी पैंटी पर उसके होंठों का स्पर्श हुआ. चूत के उभार पर घिसते उसके होंठ मेरी उत्तेजना और बढ़ा रहे थे. उसके होंठों के … और जीभ के स्पर्श से मेरे बदन में सनसनी फैल गई और मेरे हाथ अपने आप ही उसके सर को पकड़ कर अपने गुप्तांगों पर दबाने लगे.

“उम्म … भाभी क्या स्वाद है तुम्हारे पानी का.”

वह अपनी जीभ लगातार मेरी पैंटी पर चला रहा था.

“सुनील … आह्ह..”

मैं अपनी आंखें बंद करके उसके स्पर्श का मजा ले रही थी. करीब दो साल बाद मैं यह सुख पा रही थी. खुद को उसे समर्पित करते हुए मैंने अपने पैर फैला दिए.

“भाभी … पैर फैलाने के बजाए, आप खुद अपनी पैंटी उतारो न प्लीज.”
अबकी बार मैंने उसकी बात मानते हुए खुद ही अपनी पैंटी उतार दी.

“ओह्ह … ब्यूटीफुल..” उसने मेरी नंगी चूत पर किस किया.

“अहहऽऽऽ सुनील … मत सताओ.”
“आपने भी तो इतने दिन मुझे सताया है.”

वो मेरी चूत को जीभ से चाटने लगा और हाथों से मेरी गांड मसलने लगा. मैं जैसे आसमान मैं उड़ रही थी और उसके सर को अपनी चूत पर जोर से दबाने लगी.

मेरी पकड़ से सुनील का दम घुटने लगा और वह मेरी जांघों को पकड़ कर मुझे दूर धकेलने लगा. ना जाने मुझ में कौन सी ताकत आ गयी थी.

अब मुझे अपनी चूत पर उसकी जीभ की जगह उसका पूरा मुँह महसूस हो रहा था. हर पल के साथ मेरी उत्तेजना बढ़ रही थी और मेरा शरीर अकड़ने लगा था. मेरे हाथों का दबाव भी बढ़ने लगा था. तभी दो साल से दबी मेरी उत्तेजना का ज्वालामुखी मेरे चूत में फट गया.

“आह … सु … नील.” इससे आगे मेरे मुँह से शब्द नहीं निकले, पर मेरी चूत से निकलता रस उसके मुँह पर फैलने लगा. मेरे चूत के रस से उसका पूरा मुँह भीग गया था. मुझे मेरी उत्तेजना पर काबू पाने में थोड़ा समय लगा. जब मैं होश में आयी, तब देखा कि सुनील फर्श पर लेटा था और मेरी चूत ने उसका मुँह पूरी तरह से ढंक दिया था.

उत्तेजना के मारे में कब उसके मुँह पर बैठ गई, मुझे पता ही नहीं चला. मुझे मेरा पूरा शरीर हल्का लगने लगा था और मैं अपनी सांसों को काबू करने की कोशिश करने लगी.

“भाभी यह क्या था?” मेरी पकड़ से छूटते ही वो बोला.
“दो साल से इसके लिए तरस रही थी सुनील … जिंदगी में पहली बार इतनी एक्साइटमेंट महसूस की है मैंने … थैंक्यू सुनील..”

मैं अपना गाउन ठीक करके उसके सोफे पर बैठ गयी. सुनील भी मेरे बगल में बैठ गया.

वह मेरा हाथ अपने पैंट के ऊपर से ही लंड पर रख कर बोला- थैंक्यू तो ठीक है … पर मेरा क्या … आप तो मजे से मेरे मुँह में अपना रस छोड़ कर बैठ गई हो … पर इसका क्या होगा?”
उसका लंड पैंट में ही फड़फड़ाने लगा था. उसके लंड के आकार का अंदाजा मैं उसके पैंट के ऊपर ही लगा रही थी और उस स्पर्श से मैं फिर से जोश में आने लगी थी.

उसके पैंट पर से ही उसका लंड दबाते ही वह सिसक उठा. मेरी तरफ देखते हुए बोला- आहऽऽऽ … भाभी … निकालो ना उसे बाहर … बड़ी देर से ये राह देख रहा है.

उसे इतना उतावला देख मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था. उसके पैंट के ऊपर से ही उसका लंड सहलाते हुए मैंने पैंट की हुक और फिर जिप खोल दी. उसने खड़ा होकर पैंट निकलने में मेरी मदद की. सुनील ने पैंट के अन्दर कुछ नहीं पहना था. पैंट निकालते ही उसका लंड उछल कर मेरे सामने आ गया.

सुनील का लंड नितिन के लंड से काफी बड़ा और मोटा था. उस काले लंबे लंड को देख कर मेरी धड़कनें तेज हो गईं. वही हाल मेरी चूत का था. अभी अभी झड़ चुकी मेरी चूत, फिर से गीली होने लगी थी.

कुछ घबराते हुए ही मैंने अपना हाथ उसके लंड पर रखा. मेरा स्पर्श पाकर उसका गर्म लंड और भी फूल गया.

सुनील ने अपनी आंखें बंद कर लीं- सऽऽऽ आहऽऽऽ भाभी … जादू है आपके हाथों में..
“भाभी नहीं … अब नीतू कह कर बुलाओ.” मैं उसे मुझ पर हक जताने दे रही थी.

“भाभी … सॉरी … नीतू … मुँह में लो ना इसे.”
“नहीं नहीं … तुम्हारा बहुत बड़ा है … मुझसे नहीं होगा और अब वक्त भी कम है … प्लीज जल्दी करो न.”

वह अपने तगड़े लंड को सहलाते हुए बोला- अभी शुरुआत की, तो भी एक घंटा लगने ही वाला है नीतू डार्लिंग.
“तो शुरू करो ना मेरे राजा … आज मुझे पूरी खुश कर दो … तगड़े लंड को तरस रही है मेरी चूत …”

सुनील ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे उठाया, मुझे खड़ा करके उसने एक झटके में मेरा गाउन उतार दिया. पैंटी तो मैं पहले ही उतार चुकी थी और ब्रा पहनी नहीं थी. अब मैं उसके सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी.

उसने मुझे एक पल प्यार से देखा और फिर अपनी गोद में उठाकर मुझे बेडरूम में ले गया. अपने बेडरूम में जाकर उसने मुझे बेड पर बिठा दिया. इसी बेड पर कुछ दिन पहले सुनील ने मेरी वासना को जगाया था और आज इसी बेड पर मेरी चूत की चुदाई करके उसी वासना को शांत भी करने वाला था.

अब हम एक दूसरे की बांहों में लिपटकर एक दूसरे को किस कर रहे थे.

सुनील मुझे किस करते हुए मेरे टांगों के बीच आ गया. मैंने भी अपनी टांगें फैलाकर उसके लिए जगह बना दी. वह बड़ी बेताबी से मेरे होंठ चूस रहा था, मेरे मुँह के अन्दर जीभ डालकर मेरी जीभ से खेल रहा था. उसका लंड मेरी चूत के पास रगड़ मार रहा था.

मेरी चूत के छेद से लंड ने अपनी सैटिंग बैठा ली और उसी वक्त किस करने के साथ ही उसने मेरी कमर को पकड़कर एक जोर का धक्का दे दिया. लंड घुसते ही एक तेज दर्द मेरी चूत से दिमाग तक दौड़ता चला गया. मैं चिल्लाने लगी, पर मेरी चीख उसके मुँह में ही घुट कर रह गई.

मेरी डिलीवरी भी सीज़ेरियन से हुआ था, तो मेरी चूत के अन्दर या बाहर सिर्फ मेरे पति का छोटा सा लंड ही गया था … वह भी दो साल पहले. इसलिए जैसे जैसे उसका बड़ा मूसल सा लंड मेरी चूत में घुस रहा था, मुझे जोर का दर्द हो रहा था. मुझे अपनी चूत में उसका लंड किसी गर्म की हुई लोहे की रॉड की तरह लग रहा था. मेरी चूत की दीवारें पूरी क्षमता से फ़ैल चुकी थीं. आखिर कुछ धक्कों के बाद उसका पूरा लंड मेरी चूत के अन्दर घुस गया.

“अहह … कितनी टाइट हो तुम नीतू.”

मैं उसके लंड को अपनी चूत में तांडव करता महसूस कर रही थी.

वो मेरे होंठों पर की पकड़ ढीली करते हुए वह बोला- अब चिल्लाओ जितना चिल्लाना है … आह … तुम्हारी कसी हुई चूत से मेरा पूरा लंड छिल गया.

“आहऽऽऽ सुनील … कितना दर्द हो रहा है … ऊई माँ.”

उसने अपना लंड थोड़ा बाहर निकालकर फिर से मेरी चूत के अन्दर डाल दिया.

“आ … ह … मर गई…” मैं जोर से चिल्लाई. उसने अपना हाथ मेरे मुँह पर रखा और ठोकर देते हुए कहा- धीरे ही तो डाल रहा हूँ मेरी जान … धीरे से चिल्ला मेरी रानी … मैं अपने संबंध जिंदगी भर जारी रखना चाहता हूँ … और तुम चिल्ला कर सारे मोहल्ले को बता देना चाह रही हो.

मैं दर्द से कराहते हुए बोली- मैं क्या करूँ … आह … तुम्हारा लंड है ही इतना बड़ा … ये मेरे पति से काफी बड़ा है.
“डार्लिंग आज पहली बार है ना … कुछ दिन और लंड लेती रहोगी, तो इसकी आदत हो जाएगी.”
“हां ये मुझे मालूम है.”

उसके हर धक्के से मैं दर्द से चिल्ला रही थी, पर सुनील उसकी परवाह न करते हुए मुझे तेजी से चोद रहा था. अब मेरी चूत ने पानी छोड़ने चालू कर दिया था. उस वजह से पूरे कमरे में ‘पच … पच’ की आवाजें गूँज रही थीं.

इतनी देर में मेरी चूत भी उसके लंड के आकार की आदी हो गयी थी. चूत से बह रहा पानी, लंड के लिए लुब्रीकेंट का काम करने लगा था और मेरा दर्द गायब हो गया था.

अब उस दर्द की जगह मस्ती और उत्तेजना ने ले ली थी. उस मस्ती की लहरों में झूलते हुए मैं नीचे से कमर उठाते हुए उसका साथ देने लगी.

उस वक्त सब भूल कर उसके हर धक्के पर मादक सिसकियां भर रही थी. मेरी कामुक सिसकियों से सुनील भी जोश मैं आ गया और वह लंड को पूरा बाहर खींच कर फिर से जड़ तक अन्दर घुसाकर मुझे चोदने लगा. उसके जोरदार धक्कों से बेड भी उसी लय में हिलने लगा था.

“उम्म्ह … अहह … हय … ओह …” की आवाजें पूरे कमरे में गूंज रही थीं. ये सर्दी का शुरूआती मौसम था, शायद इसीलिए मेरा पूरा बदन पसीने से तर हो गया था.

सुनील के सीने पर भी पसीना जमा हो गया था. उसके बदन की तेज मर्दाना गंध से मैं और भी उत्तेजित हो गयी और सर को ऊपर उठाते हुए उसके सीने को सूंघने और चूमने लगी.

मैंने उसके सीने पर के छोटे से निप्पल को जीभ से छेड़ते हुए उसे अपने दांतों में पकड़ कर हल्के से काटा. मेरी इस हरकत से वो और भी उत्तेजित हो गया और अपने हाथों पर संभालता हुआ अपना पूरा भार उसने मेरे बदन पर डाल कर मुझे तेजी से चोदने लगा.

“आह … सुनील..”
“क्या हुआ डार्लिंग … अभी भी दर्द हो रहा है क्या?”
“नहीं मेरे राजा … बहुत अच्छा लग रहा है … इतना मजा मुझे पूरी जिंदगी में नहीं मिला.”
“अब मैं हूँ … तुम चिंता मत करो … ये मजा मैं तुम्हें पूरी जिंदगी भर दूंगा.”
“मुझे कभी छोड़ कर नहीं जाओगे ना?”
“कभी नहीं मेरी रानी … जिंदगी भर तुम्हें ऐसे ही चोदता रहूंगा … जरा टांगें ऊपर करना.”
“आह … आज ही मेरी चूत पूरी फाड़ने का इरादा कर लिया है क्या?”
वो हंस कर बोला- मुझे चूत का मालिक बना दिया है, तो आज पूरी तरह से मस्ती करने दो डार्लिंग.
मैंने कहा- हां … तुम मेरी चूत के मालिक हो.

मैं समझ गई थी कि अब मेरी चूत की खैर नहीं. मैं अपने पैर ऊपर उठाकर उसके कमर पर लिपट गई.

“हां … आज से मैं तुम्हारे चूत का मालिक हूँ.” उसने अपनी स्पीड बढ़ा दी और मुझे बेरहमी से चोदने लगा.

उसका लंड जब भी मेरी बच्चेदानी को छू जाता … तो मेरी किलकारी निकल जाती थी. उसके बड़े लंड को इतनी गहराई मैं लेते हुए मुझे अजीब तरह की उत्तेजना महसूस हो रही थी. उसके तेज धक्कों से मैं अपने चरम तक पहुंचने वाली थी. मैं भी नीचे से कमर हिलाते हुए उसे उसके लंड को अपनी चूत में और अन्दर घुसवा रही थी.

सुनील को भी मेरी स्थिति के बारे में पता चल रहा था और वह भी गहरे धक्के लगाकर मुझे अपने चरम पर पहुंचाने मैं मदद करने लगा.

जैसे जैसे ही मैं झड़ने के करीब आ रही थी, वैसे वैसे मैं अपनी कमर ज़ोरों से हिला रही थी. वह भी मेरी चूत में अपना लंड सपासप चलाने लगा था. हम दोनों बेरहमी से एक दूसरे को भोग रहे थे. पूरे कमरे में हम दोनों की मादक सिसकियां गूंज रही थीं.

कुछ ही धक्कों के बाद मेरी चूत का सैलाब उठ गया और मैं उसे जोर से कसते हुए उसके लंड पर झड़ने लगी. मैं उसके होंठों को अपने होंठों में पकड़ कर जोर से चूस रही थी. मेरी चूत की गर्मी से उसका लंड भी कहां टिकने वाला था. दो चार गहरे धक्के देने के बाद उसका लंड मेरी चूत में वीर्य की गर्म पिचकारियां गिराने लगा. उसके लंड से वीर्य की आठ-नौ पिचकारियां निकलीं. इतना वीर्य मेरी चूत भी संभाल नहीं सकी और हम दोनों का कामरस मेरी चूत से बाहर निकलकर बेड पर गिरने लगा.

“ओह्ह … मेरे राजा … कितना गर्म … अहह … सच कहूँ … तो होली के बाद एक दिन ऐसा नहीं गया कि मैंने तुम्हारा नाम लेकर चूत में उंगली ना की हो … उस दिन तुमने शुरूआत की थी, पर मैं घबरा गयी थी. लेकिन अब कोई डर नहीं..”

मैं उसके आंखों में आंखें डाल कर बोल रही थी- कैसी लगी मेरी चूत? यही मेरा तुम्हारे लिए दीवाली गिफ्ट था … हैप्पी दीवाली.

“हैप्पी दीवाली नीतू.” हम कुछ देर वैसे ही एक दूसरे की बांहों में पड़े रहे.

उस दिन से यह सिलसिला चलता रहा. कुछ दिन बाद सुनील की शादी हो गयी, पर हफ्ते में एक दो दिन वह मेरे साथ जरूर बिताता.

Wednesday, 22 November 2023

छोटी बहन के साथ चोदा चोदी कहानी-1

 

ये मेरी और मेरी छोटी बहन की चोदा चोदी कहानी है कि कैसे मैंने अपनी छोटी बहन को चोदा और साथ ही उसे भी उतना ही मज़ा आया जितना मुझे आया था.

दोस्तो … मेरा नाम अजय है, मैं ग्वालियर का रहने वाला हूँ. मेरे घर में हम चार लोग रहते हैं. मैं 20 साल का, मेरी छोटी बहन 18 साल, माँ और पापा.

आज जो मैं आप लोगों के साथ शेयर करने वाला हूँ, वो सिर्फ एक कहानी नहीं है. ये एक ऐसा सच है, जो मेरे साथ हुआ है … और दोस्तो, यकीन मानियेगा कि ये मेरी जिंदगी का सबसे हसीन समय रहा.

ये मेरी और मेरी छोटी बहन पूर्वी की कहानी है कि कैसे मैंने अपनी छोटी बहन को चोदा और साथ ही उसे भी उतना ही मज़ा आया जितना मुझे आया था.

आप यही सोच रहे होंगे कि मैं कैसा भाई हूँ कि अपनी ही बहन के साथ चोदा चोदी का खेल खेल लिया. पर ये कुछ गलत नहीं हुआ था. बल्कि दुनिया में बहुत सारे लोग अपनी माँ और बहन के साथ चोदा चोदी करते हैं. क्योंकि हमारे जीवन में शारीरिक सुख का होना बहुत जरूरी है. हर इंसान यही सुख भोगना चाहता है. फिर चाहे वो हमारे परिवार के लोग ही क्यों न हो.

जरा सोचिए कि जब आप अपने घर में ही अपनी शारिरिक इच्छाएं पूरी कर सकते हैं, तो फिर बाहर किसी गैर के साथ क्यों सम्बन्ध बनाना.

मेरी बहन पूर्वी एक भरे पूरे गोरे बदन की है. उसका जिस्म एकदम मलाई सा कोमल है. उसके स्तन किसी छोटे और ताज़े संतरे की तरह बिल्कुल कड़क और गोल हैं. उसके कूल्हों में जवानी का थोड़ा सा उभार और लचकती हुई पतली कमर उसे मानो कामुकता की देवी बना देता है.

जिस उम्र में मैं था, उसमें मुझे चुत मारने का नशा सा होने लगा था. मुझे चोदा चोदी करने का बहुत मन करता था, पर मैं अपनी बहन के बारे में ऐसा नहीं सोचता था.

जब कुछ दिन बाद मैंने किसी से सुना कि अपनी बहन को चोदा भी जा सकता है. तो मैंने इस सम्भावना पर विचार किया कि इसमें बुराई ही क्या है. आखिर इससे एक भाई और बहन के बीच प्यार ही बढ़ेगा. आखिरकार पूर्वी भी जवानी पर है … उसे भी लंड की जरूरत होगी और उसके लिए वो कहीं बाहर क्यों जाए, जब घर पर मेरा लंड उपलब्ध है. क्या एक भाई अपनी बहन की इच्छा पूरी नहीं कर सकता.

फिर मैंने घर पर पूर्वी को देखा. उसका गोरा कामुक बदन मुझे बहुत अच्छा लगने लगा.

जब वो मेरे पास आती, तो उसके बदन की खुशबू मेरे सांसों में बैठने लगती. फर्श पर नीचे झुक कर झाड़ू लगाते वक़्त ढीली कुर्ती के अन्दर उसके स्तनों का गोरा गोरा उभार दिखने से मुझे मानो आग सी लगने लगी थी. उसके मक्खन से दो चूचों के बीच की लकीर मेरे मन में समाने लगी.

अब मैं अपनी बहन को रोज इस नजर से देखने लगा.

जब वो बाथरूम से नहाकर बाहर आती, तो सिर्फ कुर्ती पहने रहती. उसकी जांघों का वो दूध सा सफ़ेद गोरापन और मुलायम जांघों का अहसास बिना छुए ही मुझे वासना के भंवर में डाल देती.

फिर जब वो नहाने के बाद सलवार पहनने अन्दर रूम में जाती, तो कभी मौक़ा पाते ही मैं भी उसके पीछे पीछे चला जाता. मैं उसी कमरे में आइना के सामने तैयार होने का नाटक करता और पीछे से आइने में उसे सलवार पहनते हुए देखता.

पर मुश्किल यह थी कि क्या पूर्वी भी मेरे साथ चोदा चोदी के खेल में शामिल हो सकेगी?

लेकिन जैसा मैंने आपसे पहले भी कहा कि आखिर वो भी इंसान है. उसके पास भी चुत है और उसे भी लंड चाहिए. ये सोचते हुए मैं अपने मन को पक्का करने लगा था कि बहन की चुत जरूर मिल जाएगी.

फिर आखिर वो समय आ ही गया. मेरे एग्जाम चल रहे थे और पापा और माँ को किसी रिश्तेदार की शादी में दूर जाना था. पूर्वी मेरी देखरेख के लिए रुक गयी क्योंकि मेरे एग्जाम थे.

मैंने सुबह माँ पापा को ट्रेन में बैठाया और घर आ गया. अब दो रातों के लिए हम अकेले थे, पर मुझे काम आज रात को ही करना था.

रात को खाना खाकर में पढ़ने लगा और पूर्वी भी मेरे साथ बैठ गयी.

जब हम दोनों को पढ़ते हुए काफी देर हो गयी, तो पूर्वी से मैंने पूछा- तुम्हारा कोई ब्वॉयफ्रेंड है?
उसने शर्माते हुए कहा- नहीं भैया … अभी कोई अच्छा मिला ही नहीं.
मैं चुप होकर उसको देखने लगा.

अब उसने पूछा- भैया आपकी कोई गर्लफ्रेंड है?
मैंने कहा- मुझे भी ऐसी कोई मिली ही नहीं, जो तुम्हारी ही तरह खूबसूरत हो.
पूर्वी ने शर्माते हुए कहा- क्या भैया आप भी!

मैंने उसकी खूबसूरती की तारीफ़ करते हुए कहा- ये सच है कि बहुत ही खूबसूरत हो.
उसने मेरी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए पूछा- क्या सच में मैं खूबसूरत हूँ.
मैंने उसकी गोद में अपना सर रखकर उससे कहा- हां पूर्वी तुम हजारों में एक हो.

ऐसा कहते हुए मैं उसकी गोद में ही अपना सर ठीक से जमा कर किताब पढ़ने लगा. वो भी मुझे बड़े अच्छे से देख रही थी.

थोड़ी देर बाद उसे नींद आने लगी, तो वो ऊंघने सी लगी.
मैंने उससे कहा- यदि तुमको नींद आ रही है, तो तुम मेरी गोदी में अपना सर रखकर सो जाओ.
वो झट से मान गई और मेरी गोद में सर रख कर सो गई.

उसका मुलायम सा बदन मेरी रूह को तड़पा रहा था.

इससे पहले भी बहुत बार हम एक दूसरे की गोदी में सर रखकर सोये हैं, पर आज कुछ बात ही अलग थी. माँ और पापा का न होना, मेरे मन में उथल-पुथल मचा रहा था.

उसका खिलती हुई कली सा बदन, मेरे लंड को कठोर बना रहा था. मेरे फूलते हुए लंड से उसको शायद लंड खड़े होने का अहसास होने लगा था.

जब उसे लंड चुभने लगा, तो उसकी कच्ची नींद से आंख खुल गई. उसने पूरी तरह से अपनी आंखें खोलीं और वो उठ गई.
वो मेरे लंड की तरफ देखते हुए बोली- भैया, मुझे कुछ चुभ रहा है.
मेरा लंड पजामे में से अलग ही तंबू सा दिख रहा था.

दोस्तो आपको तो पता ही है कि इस उम्र में चोदा चोदी के बारे में तो सबको सब कुछ पता हो जाता है.
मैं समझ गया कि पूर्वी मेरे खड़े होते हुए लंड को देख रही थी.

मैंने पूर्वी से कहा- सॉरी पूर्वी … ये पता नहीं … रात में अपने आप ऐसा तन जाता है.
उसने कहा- हां भैया ऐसा होता है … आप अब कोई गर्लफ्रेंड बना लो.

अब तक मैं अपनी किताब अलग रख चुका था. मैंने कहा- ठीक है मैं कोशिश करता हूँ … अच्छा पूर्वी, मैं एक बात कहूँ?
पूर्वी ने कहा- हां भैया … बोलो ना!
“हम दोनों बचपन में साथ ही नंगे नहाते थे ना!”

उसने कहा- हां भैया … सच में कितना मज़ा आता था, जब मम्मी हम दोनों को एक साथ नहलाती थीं.
मैंने कहा- फिर हम एक दूसरे की मूतने वाली जगह देखते थे और सोचते थे … ये हम दोनों की अलग अलग क्यों है.
इस बात पर हम दोनों हंस पड़े.

फिर पूर्वी ने शरमाते हुए कहा- हां भैया बड़ा मजा आता था.
अब तक पूर्वी भी खुल चुकी थी.

मैंने आगे बढ़ते हुए कहा- चलो आज एक बार फिर हम दोनों बचपन की तरह एक दूसरे को नंगा देखते हैं.
वो इस बात पर चौंक गयी और उसने अपनी आंखें नीचे कर लीं.

उसने मुझसे कहा- भैया … पर हम तो अब बड़े हो चुके है न, क्या ये सब ठीक रहेगा?
मैंने कहा- तो क्या हो गया कि हम बड़े हो गए. आखिर हम भाई बहन तो अभी भी है न … और मैं तो सिर्फ एक दूसरे को नंगा देखने को कह रहा हूं … कोई सेक्स के लिए थोड़ी कह रहा हूँ पागल.

इस बात पर वो हंस दी और उसने अपनी आंखें बड़ी कर लीं.

मैंने कहा- अगर तुम्हें नहीं दिखाना, तो ठीक है … चलो सो जाओ.
उसने कहा- नहीं भैया … ऐसी बात नहीं है और वैसे भी हम भाई बहन के बीच आखिर शर्म कैसी.
मैंने कहा- बिल्कुल ठीक कहा तुमने.
वो बोली- तो नहाने की क्या जरूरत है, वो तो हम दोनों इधर ही एक दूसरे को समझ सकते हैं.

ये सुनते ही मैं समझ गया कि इसकी चुत में भी आग लगने लगी है. मैंने पहल करते हुए उसकी कुर्ती को उतार दिया.

उसने कुछ भी नहीं कहा, बल्कि कुर्ती उतारने में मुझे सहयोग किया. उसका मन देख कर मैं उसकी ब्रा खोलने लगा.
वो बोली- भैया, आप पहले अपने कपड़े उतारो.

मैंने जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार दिए और सिर्फ चड्डी में बैठ गया.

अब तक उसने भी अपना लोअर उतार दिया था. वो भी मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पेंटी में आ गयी थी.

फिर उसने कहा- भैया अब मुझे शर्म आ रही है.
मैंने कहा- हां यार मुझे भी.
उसने कहा- भैया हम एक काम करते हैं … हम दोनों अपनी आंखें बंद कर लेते हैं.

उसकी बात सुनते ही मैं राजी हो गया. अब हम दोनों ने आंखें बंद कर लीं और मैंने हाथ बढ़ा कर उसकी ब्रा और पेंटी को उतार दिया.

जब उसका हाथ मेरी चड्डी उतारने में आया, तो मेरा लंड उससे टच हो गया.

वो बोली- भैया आपका ये कहीं मुझे देखकर तो खड़ा नहीं हो गया है.
मैंने कहा- नहीं … ये तो नेचुरल है कि किसी भी पुरुष का किसी महिला को नंगी देखकर अपने आप खड़ा हो जाता है. इसे थोड़ी पता है कि तुम मेरी बहन हो.
हम दोनों इस बात पर फिर हंस दिए.

पूर्वी ने कहा- चलो भैया अब हम अपनी आंखें खोल लेते हैं.
हमने एक साथ आंखें खोल दीं. अब हम बचपन की तरह वापस एक दूसरे के सामने नंगे बैठे थे.

मैंने कहा- तुम तो बहुत कामुक लग रही हो … तुम्हारी जिससे शादी होगी, वो बहुत खुशनसीब होगा.

उसकी नजरें सिर्फ मेरे 6 इंच के खड़े लंड पर ही टिकी थीं और वो उसे बड़े ध्यान से देख रही थी. जबकि मैं उसे पूरा ऊपर से नीचे तक … बल्कि उसकी कोमल छोटी सी चुत को भी देख रहा था.

Choda Chodi
Bahan Ke sath Choda chodi

तभी हम एक साथ बोल पड़े- तुमने भी शेव किया है.
एक साथ बोलने की वजह से हम दोनों हंस दिए … क्योंकि उसकी चुत पर एक भी बाल नहीं था और मैं तो खुद मेरे लंड की शेव करते रहता हूं.

पूर्वी ने हिचकिचाते हुए कहा- भैया, क्या मैं इसे छू सकती हूं.
मैंने कहा- ये भी कोई पूछने की बात है … देख ले, जो तुझे देखना है.

वो मेरे लंड को उसके सुपारे को आगे पीछे करके ध्यान से देखने लगी. मैं भी उसके स्तन दबाने लगा.
वो बोली- भैया इसे छुओ … पर प्लीज दबाओ नहीं.
मैंने कहा- ठीक है.

उसके गोरे गोरे स्तनों के ऊपर वो छोटे से काले निप्पल क्या मस्त लग रहे थे. मैंने जितना सोचा था, मेरी बहन के मम्मे उससे कहीं ज्यादा मुलायम थे.

मेरा मन उसके मम्मों को ज़ोरों से दबाने और मुँह में लेकर चूसने को कर रहा था. पर मैंने जबरदस्ती नहीं की, क्योंकि वो फिर नाराज़ भी हो सकती थी.
मुझे उसे यकीन दिलाना था कि मैं उसे एक बहन की तरह कितना प्यार करता हूँ.

मेरी इस चोदा चोदी सेक्स कहानी का अगला भाग आपको लंड हिलाने पर मजबूर कर देगा और लड़कियों की चुत में से पानी निकलने लगेगा. आप मेरी इस सेक्स कहानी पर कमेंट्स कर सकते हैं.
लेखक का इमेल आईडी नहीं दिया जा रहा है.

पति की बेवफाई से दुखी नारी को यौन सुख

 

एक छोटी सी दुर्घटना ने मुझे एक विवाहित महिला से मिलवाया. मैंने उसकी मदद की और हमारी दोस्ती हो गयी. फिर इस दोस्ती ने क्या रूप लिया? पढ़ें इस मधुर काम कथा में!

आज मैं आपको अपनी मधुर काम कथा में देशी महिला और काम की एक ऐसी घटना सुनाऊँगा, जो काम के प्रति आपका नजरिया बदल देगी. यह घटना वास्तविक है या काल्पनिक … आपके विवेक पर निर्भर है.

आठ महीने पहले मेरा जबलपुर जाना हुआ. ठंड के दिन थे … शाम को सात बजे मैं स्टेशन पर पहुँचा।

स्टेशन से थोड़ा बाहर ही निकला कि एक महिला ने स्कूटी से मुझे टक्कर मार दी. जब मैं संभला तो देखा एक सुन्दर महिला और छोटी सी बच्ची थी. बच्ची को चोट लग गयी थी.
तमाशाईयों की भीड़ छंटने और महिला के क्षमा मांगने के बाद में उनके पास गया, उसे शांत किया और अस्पताल में उसकी बेटी की मरहम पट्टी करवायी।

एक सुखद मुस्कुराहट के साथ वो महिला मेरा फोन नंबर लेकर चली गयी.

करीब पंद्रह दिन बाद रात दस बजे मुझे फोन आया. प्यारी, कोमल, मधुर आवाज में उन्होंने अपना नाम ‘निशा’ बताया.
पता नहीं कि क्या आकर्षण था उनकी आवाज में जो उनकी आवाज मेरे हृदय में घर कर गयी।

बातों का दौर चला और चलता ही रहा. दो महीने में हम दोनों की यह पहचान गहरी हो गयी. कोई बंधन नहीं रहा, हम दोनों हर बात शेयर करने लगे. मोहल्ले के झगड़े, सास बहू और दुनिया भर की पंचायत.
आपको पता ही है कि महिलाएं कितनी बातूनी होती हैं।

काम के सिलसिले में फिर जबलपुर जाना पड़ा, जब निशा को अपने आने के बारे में अवगत कराया तो उसकी आवाज में अलग ही जोश था।

शाम सात बजे एक शानदार होटल में एकांत में मैं पहले से बुक की हुई टेबल पर बैठा निशा जी के आने की राह देख रहा था.
वो आयीं तो मैं उन्हें देखकर खुश हो गया.

गोरा बदन, तीखी आँखें, गुलाबी लिपस्टिक से सजे होंठ, लगभग 33-27-34 का फिगर, फ्लोरल साड़ी, खुले काले बाल, बिना बाजू का गहरे गले का ब्लाउज.
निशा जी मुस्कुराती हुई बोली- नमस्ते रेयान जी!

बातों बातों में एक घंटा बीत गया. दो कॉफी और तीन प्लेट पास्ता खत्म हो गया।

बातों-बातों में मैंने उनके पति के बारे में पूछ लिया.
तो निराश, दुख, खीझ के भाव उनके चेहरे पर आ गए।

उनकी लव मेरिज हुई थी. फिर कुसंगति में पड़ कर उनका पति, नशा और कई औरतों से संबंध रखने लगा था.

हालांकि पैसे की कमी नहीं थी किन्तु एक महिला को पैसे से ज्यादा प्यार, सम्मान और शारीरिक सुख की दरकार होती है।

निशा जी की आँखें भर आयीं, हालांकि मेरे मन उनके प्रति फूहड़ता नहीं आयी, क्योंकि जिस स्तर पे मैं जीता हूँ … शारीरिक कोई सुख बड़ी बात नहीं।

मैं निशा जी को कूल करने करीब गया, उनके कंधे पर हाथ रखा … तो वो खड़ी हो गयीं।

कुछ क्षण देखने के बाद निशा ज़ी मुझसे लिपट गयीं और फूट-फूट कर रोने लगी- रेयान, मुझे यहाँ से दूर ले चलो, अब नहीं सह जाता मुझसे यह दुख; बेटी के कारण मर भी तो नहीं सकती!
अपने दुखी दिल का सारा गुब्बार निशा ज़ी ने खोल दिया।

एक स्त्री की विवशता देख मेरा मन भी भर आया. मैंने भी उनको अपने सीने में छुपा लिया.
करीब पांच मिनट के आलिंगन के बाद हम अलग हुए.
मैंने देखा कि एक सुकून था निशा जी के मुखड़े पे!

उन्हें देर हो रही थी तो निशा जी चली गयीं.

लेकिन नारी विवशता का तूफान मेरे दिल में जारी रहा।

अगले दिन क्लाइंट मीटिंग बीच में ही छोड़ मैं सीधा होटल आ गया।

निशा जी का काल आया … मिलने का बोला उन्होंने … परेशान होते हुए भी मैं मना नहीं कर सका।

शाम 3:45 पर निशा जी मेरे रूम में आयीं, आज अलग ही रूप था उनका … बन्दी ने गुलाबी टॉप और क्रीम पलाजो पहना था … एकदम दृष्टि धामी लग रही थी।

मैं एक अविवाहित लड़का हूँ। हालांकि मेरी सेक्स लाइफ सुखद है … कामसूत्र की हर विधा आती है, 5’11” की ऊँचाई, गोरा और तगड़ा बदन।
मैंने स्लीवलेस प्रिंटेड टी-शर्ट और जोगर पहना था।

खुशबूदार रूम, धीमी रोशनी, संगीत और निशा जी … सुकून था दिल में!

मुस्कुरा के निशा जी मुझ से लिपट गयीं, इस बार रोने की जगह चेहरे पर मुस्कान थी. वो धीरे-धीरे मेरी पीठ सहला रहीं थीं, मैं उनके बालों से खेल रहा था।

दस मिनट चले इस आलिंगन के बाद निशा जी ने बड़ी अप्रत्याशित पहल की. मुस्कुराते हुए मेरे गर्दन के दोनों तरफ हाथ डाल के वो मेरे इतनी करीब आ गयीं कि हम एक दूसरे की सांसें महसूस कर रहे थे.
मैं एक शादीशुदा स्त्री को हर्ट नहीं करना चाहता था।

कुछ देर बाद निशा जी बोलीं- रेयान, तू बड़ा बुद्धू है यार!
और मुझे किस लगीं.

हल्के स्मूच से शुरू हुई किस … फिर मुख-लार और जीभ की अदल बदली में पैशनेट हो गयीं. हम युवा युगलों की भली … किस करते हुये … उल्टी पलटी खाते हुए बेड पर आ गए।

इसी दरमियाँ सारे कपड़े कब उतर गए पता ही नहीं चला. आज जो निशा जी दिख रहीं थीं, वो आनंद लॉस-वेगास की एक पॉर्नस्टार के साथ आया था।

फिर सिलसिलेवार शरीर चूमने और लव बाइट्स का दौर चला. 10-12 मिनट के इस फोर-प्ले में मैंने निशाजी के हर अंग का आनंद लिया.
मैंने उनकी योनि और उन्होंने मेरे लिंग का स्वाद लिया.
निशा जी की गुलाबी योनि को चाटने पर मैं मदहोश ही हो गया।

फिर मैंने उनके स्तनों के करीब पहुंच कर उन्हें चूमा, काटा, चूसा और दबाया।

निशाज़ी बोली- रेयान अब सह नहीं सकती, प्लीज़ मुझे वो सुख दे दो।
मैं उनके ऊपर आ गया। निशा जी का नंगा बदन मेरे शरीर से ढक गया।

किस करते हुए मैंने निशा जी से संसर्ग निवेदन किया, बंद आँखों में ही उन्होंने हामी दी।

मैंने उन्हें अपनी बांहों में भरा … अपना लिंग उनके योनि द्वार पर रख कर हल्के दे धक्का दिया.
निशा जी तड़प उठीं.

एक कामातुर नारी को यौन सुख ना देना बड़ा पाप है।

हल्के धक्के के बाद रफ्तार तेज की, आनन्द के आंसू निशा जी की आँखों से बहने लगे.
वो मेरी छाती को पागलों की तरह चूम और काट रहीं थीं. बीच-बीच में आनंद देने के लिए मैं उनकी गर्दन, कान, होंठ, आँखों पर चुम्बन करता।

मिशनरी आसन के बाद बैठे-बैठे, फिर वो मेरे ऊपर, साईड आसन, मेंढक आसन और फिर डॉगी स्टाइल।

हमारा चरमोत्कर्ष निकट आ गया … निशा जी की योनि से बहुत प्रवाह निकला जो मेरे लिंग को भिगोता हुआ योनि से बाहर आ रहा था।

मैंने निशा जी से कहा- अब मैं रुक जाऊं क्या?
निशा जी बोलीं- नहीं रेयान, मैं तुम्हारे वीर्य की गर्मी महसूस करना चाहती हूँ.
अंत में झटकों, चीखों की रफ्तार से पूरा कमरा और बेड हिल रहा था. निशाजी साक्षात रति और मैं कामदेव लग रहे थे. मेरी गर्म वीर्य की पिचकारियों ने निशाजी की योनि भर दी और मैं निढाल होकर उनकी बगल में लेट गया।

यह सब काम हम चादर के अंदर कर रहे थे.

हम दोनों एक दूसरे से चिपके हुए थे … दोनों के मुख पर सुखद मुस्कान थीं. कभी निशा जी मुझे किस करती … कभी मैं उनके स्तन चूसता.
वो शर्म से अपना मुख मेरे सीने में छुपा लेती और हल्के-हल्के काटती।

पूर्ण समर्पण के साथ एक दौर सम्भोग का और चला।

Madhur Kaam Katha
Madhur Kaam Katha

शाम गयी थी. मैंने निशा जी को जाने को बोला … उन्होंने तीन बार पलट के मुझे किस किया … और नम आँखों से धीमी धीमे कदमों से चलीं गयीं।

मित्रो, आपको मेरी यह मधुर काम कथा कैसी लगी? मुझे मेल करें.

Tuesday, 21 November 2023

चूत चुदाई की हवस-1

 

पति की दुर्घटना के बाद मेरी चूत की चुदाई नहीं हो रही थी. मैं अपने को काबू में रखने की कोशिश कर रही थी कि हमारे पड़ोस में एक लड़के से मेरी दोस्ती हो गयी.

मैं नीतू, उन्नीसवें साल में ही मेरी शादी नितिन से हो गई और उसके अगले ही साल मुझे एक बेटा हुआ. शायद मेरा शरीर उस वक्त तैयार नहीं था, इसलिए डिलीवरी के वक्त बहुत दिक्कतें हो गईं और उसकी वजह से मैं बाद में कभी गर्भ धारण नहीं कर पाई थी.

धीरे धीरे हमारा बेटा बड़ा होने लगा और स्कूल जाने लगा था. हमारी सेक्स लाइफ भी अच्छे से कट रही थी, मैंने शादी के पहले किसी से संबंध नहीं रखे थे और शादी के बाद भी नितिन से कभी बेवफाई नहीं की थी.

सब कुछ अच्छा चल रहा था, पर जिंदगी ने अजीब मोड़ लिया और सब कुछ बदल गया.
नितिन का बाइक चलाते समय एक्सीडेंट हो गया और उसकी रीढ़ की हड्डी को चोट लग गयी. उसे रिकवर होने में और अपने पैरों पर खड़ा होने मैं एक साल लगा, पर वह पहले की तरह चल नहीं सकते था.

थोड़े दिन बाद उसने ऑफिस जाना शुरू कर दिया. ऑफिस में नितिन को आसान काम दिया था पर उनकी पगार भी कम कर दी थी. इस वजह से मैंने भी पार्ट टाइम जॉब शुरू कर दी थी.

एक्सीडेंट के बाद हमारी सेक्स लाइफ भी खत्म हो गई थी, बहुत कोशिशों के बाद भी उनका लिंग पूरी तरह कठोर नहीं हो रहा था.

उस वक्त मेरी उम्र सिर्फ चौबीस साल थी, अभी भी मैं जवान ही थी. बहुत बार उंगली से या फिर और कोई चीज अपनी चूत में मेरी कामवासना बुझाने का प्रयास करती, पर उससे मेरी प्यास कहां बुझने वाली थी. नितिन भी मेरी बेबसी देख कर खुद को लाचार समझते और मुझसे माफी मांगने लगता.

ऐसे ही दिन बीतते गए, अपनी चूत की मांग, शारीरिक भूख को मैंने अनदेखा कर दिया था, पर उसका परिणाम मेरी सुंदरता पर और मानसिक स्थिति पर होने लगा था.

उन्हीं दिनों हमारे पास के घर में तीन बैचलर लड़के रहने आ गए थे. तीनों ने अभी अभी कॉलेज खत्म किया था और वे सब जॉब करते थे. उसमें से सुनील से हमारी थोड़ी बहुत पहचान हो गई, उन तीनों की शिफ्ट में जॉब थी, इसलिए तीनों का एक साथ मिलना मुश्किल था.

वैसे तो हमारी सोसाइटी में सब कुछ पास ही था, पर कुछ जरूरत पड़ती थी, तो ही सुनील हमारे यहां आ जाता. सुनील अक्सर नितिन के साथ बातें करने हमारे घर आता, वह हमारे बेटे संग भी घुल मिल गया था.

कुछ दिनों मैं उसके रूम पार्टनर जॉब छोड़ कर उनके शहर चले गए और सुनील अकेला ही रह गया.

एक बार होली के दिन वह हमारे घर रंग खेलने आया, नितिन का एक्सीडेंट होने के बाद मैंने होली खेलना, सजना संवरना छोड़ दिया था. बेटा अपने दोस्तों के साथ खेल रहा था कि तभी दरवाजे की घंटी बज उठी.

मैंने दरवाजा खोला, तो सामने सुनील खड़ा था. वो हरे लाल रंगों से रंगा हुआ था.
“हैप्पी होली भाभी.” वह बोला.
“सुनील मुझे रंगों से एलर्जी है … मुझे रंग मत लगाना..” मैं उसे रोकते हुए बोली.
“सिर्फ एक टीका … रंग नहीं लगाऊंगा … नितिन भाई … आप बोलो ना भाबी को!”
नितिन की तरफ देखते हुए वह बोला.

“नीतू लगाने दो उसे … सिर्फ एक ही टीका लगाने की कह रहा है.”

नितिन से अनुमति मिलने के बाद वह खुश हो गया. उसने मेरे माथे पर तिलक लगाया और दूसरे हाथ से मुट्ठी भर रंग लेकर अचानक से मेरे गालों को रंग लगाने लगा.

मैं बचने के लिए पलटी, तब तक उसने मेरे गालों को और गर्दन को रंग दिया था और छटपटाने की वजह से उसका हाथ गलती से मेरे स्तनों पर चला गया. उसने मेरे छाती को पीठ को भी रंग दिया.
मैं वहां से भाग कर मैं अन्दर चली गयी. इसके बाद सुनील ने नितिन को रंग लगाया और फिर बाहर होली खेलने चला गया.

उस घटना के बाद बहुत कुछ बदल गया, कितने दिनों बाद मेरे बदन को किसी मर्द ने छुआ था. उस वक्त तो कुछ महसूस नहीं हुआ. पर नहाते हुए गर्दन, छाती को सहलाती, तो सुनील का स्पर्श याद आता और मेरी चूत गीली हो जाती.

उसने मेरे अन्दर दबी वासना को फिर से जगा दी थी. उस दिन से सुनील को याद करते हुए ही मैं अपनी चूत को सहलाती और उंगली से उसे शांत करने लगी थी.

कुछ दिन ऐसे ही कट गए, अब नितिन को भी प्रमोशन मिल गया और उसका वर्कलोड बढ़ गया था. एक्सीडेंट के बाद उसकी गाड़ी चलाने की कभी हिम्मत नहीं हुई, इसलिए मैं अक्सर सुनील को ही साथ लेकर बाजार जाती.
बाइक पर हो रहे स्पर्श मेरे अन्दर की वासना और बढ़ाते, पर इससे आगे बढ़ने की हिम्मत मुझमें नहीं थी.

नितिन के प्रमोशन की वजह से अब मुझे नौकरी करने की जरूरत नहीं थी, तो मैंने भी जॉब करनी बंद की और घर पर रह कर बच्चे की देखभाल करने लगी. सब कुछ ठीक चलने लगा था.

कोई दो तीन दिन हो गए थे, सुनील हमारे घर नहीं आया था, तो मैंने उसके घर जाकर दरवाजा खटखटाया.

उसने दरवाजा खोला, तो मैं उसे देख कर घबरा गई.
“अरे सुनील क्या हुआ?”
“कुछ नहीं भाबी … बस थोड़ा बुखार आ गया है … डॉक्टर ने रेस्ट करने को बोला है.” सुनील कहराते हुए बोला.
“हे भगवान … तुम्हें तो बहुत तेज बुखार है … चलो लेट जाओ.”

उसके माथे पर हाथ रखा, तो मैंने पाया कि उसका पूरा बदन जल रहा था.
मैंने उससे फिर पूछा- कुछ खाया है कि नहीं?
“टिफ़िन नहीं आया … आने के बाद खा लूँगा.”
“कोई जरूरत नहीं … मैं अभी बनाकर लाती हूँ. और तुमने कमरे में कितनी गंदगी कर रखी है.”

वो कुछ नहीं बोला. मैं अपने घर आ गई और उसके लिए दाल चावल की खिचड़ी बनाकर ले आयी.

वो मना करने लगा, लेकिन मैंने जबरन उसे खिलाई. फिर उसे दवाई खिलाकर सुला दिया. उसके बाद मैंने उसके रूम की अच्छे से सफाई की.
शाम तक उसका बुखार कम हो गया.

“थैंक्स भाभी … दो दिन से बुखार कम नहीं हो रहा था, आपने तो तीन घंटे में ही उसे भगा दिया.”
“अब टिफ़िन में से कुछ मत खाना … मैं रात को खाना बनाकर लाती हूँ.” मैं उससे बोली.
“ओके डॉक्टर साहिबा.” वह मुझे चिढ़ाते हुए बोला.
“शैतान … देखूँ तो अब बुखार कितना है?” मैंने अपना हाथ उसके माथे पर रखा, तो उसने अपना हाथ मेरे हाथ पर रख लिया और बोला- थैंक्स भाभी … आपको मेरी कितनी चिंता है.

उसके अचानक हुए स्पर्श से मेरा दिल जोर से धड़कने लगा. मैं अपने आप पर काबू पाते हुए वहां से घर चली आयी.

दो दिन मैं वो बिल्कुल ठीक हो गया और आफिस भी जाने लगा. उन दो दिन में हमारी नजदीकियां और भी बढ़ गई थीं. पर हमने अभी भी अपनी मर्यादा नहीं तोड़ी थी.

दीवाली का समय चल रहा था. हमने घर को पेंट करवाने की सोची. घर में सब उथल पुथल हो गया था, तो खाना बनाने के लिए मैं सुनील के घर के किचन का इस्तमाल करने लगी.

दिन भर घर में पेंटर होते थे, तो दोपहर को आराम करने ले लिए मैं सुनील के घर चली जाती.

एक दिन मैं सुनील के घर में दोपहर को आराम करने गयी थी. काम की थकान से मुझे कब नींद आ गयी, मुझे पता नहीं चला. अचानक मुझे अपने पेट कर कुछ महसूस हुआ. नींद की वजह से कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह सच था या कोई सपना. मैं कुछ देर वैसे ही पड़ी रही.

धीरे धीरे वह स्पर्श मेरे मुझे मेरे स्तनों के नीचे महसूस होने लगा. अब मेरा रोम रोम उत्तेजित होने लगा था. लगभग दो साल बाद मैं अपने अन्दर रोमांच महसूस कर रही थी और आंखें बंद करके लेटी हुई थी.

कुछ देर बाद वह स्पर्श मेरे पेट पर से नीचे सरक कर मेरी नाभि को सहलाने लगा था, फिर वहां से सरक कर मेरी कमर पर आ गया. कुछ देर वहीं रुकने के बाद वह स्पर्श मेरे सलवार के नाड़े की तरफ बढ़ा और अगले ही पल मेरा नाड़ा खोल कर वह स्पर्श और नीचे मेरी चूत के पास महसूस होने लगा.

Choot Chudai ki Hawas
Choot Chudai ki Hawas

“उम्म … म्म.” आधी नींद में मेरे मुँह से सिसकारी निकल गयी और वह स्पर्श वहीं रुक गया.
मैं आंखें बंद कर वैसे ही लेटी रही और थोड़ी ही देर बाद वह स्पर्श और नीचे चला गया, बिल्कुल पैंटी के इलास्टिक के पास.

थोड़ी देर में वह स्पर्श मेरी चूत पर पैंटी के ऊपर से ही महसूस होने लगा. उस स्पर्श से मेरी नींद पूरी खुल गई और मैं उठ कर खड़ी हो गई.
सामने देखा तो सुनील बाजू बैठा था.
“सुनील … त … तू … म … य..यहां पर..”

नींद की वजह से मैं भूल गयी थी कि मैं उसके घर उसके बेड पर लेटी हूँ.

“भ … भाभी … मैं … वह … सो … सॉरी.” वो कुछ बोल नहीं सका और सिर नीचे झुकाकर बेडरूम से बाहर चला गया.

कुछ देर मैं वैसे ही बैठी रही और सोचने लगी कि गलती किसकी थी. उसने शुरू किया था, पर जब मेरी नींद टूटी, तो मुझे उसे रोकना चाहिए था. पर मैं नींद मैं पड़े पड़े उसकी हरकत कर मजा लेती रही.

गलती किसी की भी हो, पर जो हुआ … वो होना नहीं चाहिए था. मैंने खुद को शांत किया और अपने कपड़े ठीक किए.

“सॉरी भाभी.” बेडरूम से बाहर आते वक्त मेरे कान पर शब्द पड़े, पर मैं सीधा अपने घर चली आयी.

अब मैंने उसके सामने जाना बंद कर दिया. वह भी हमारे घर आने में हिचकिचाने लगा. मेरे घर में पेंट आदि का काम भी पूरा हो गया था.

फिर दीवाली के वक्त नितिन ने सुनील को खाने पर घर बुलाया. वह रात को घर आया. वो मेरे बेटे के लिए एक ड्रेस और मिठाई लाया था.

खाना खाते वक्त दो चार बार हमारी नजरें मिलीं, उसकी आंखों में शर्मिंदगी झलक रही थी. मुझे उसके लिए बुरा लग रहा था, पर नितिन के वहां पर होते हुए मैं कुछ नहीं कर सकती थी.

अगले दिन दीवाली थी, सुबह मेरे पति और बेटा दोनों सोए हुए थे. मैंने उठ कर घर की सफाई की और आंगन में रंगोली बनाई. सुनील का घर पास में ही था, तो मैं वहां पर भी जाकर रंगोली बनाने लगी.

“तो आखिरकार आपने मुझे माफ़ ही कर दिया.”

अचानक हुई इस आवाज से मैं डर गई और सामने देखा- सुनील तुम!
मैं गाउन ठीक करते हुए खड़ी हो गयी.

“भाभी मुझे माफ करो … उस दिन मैंने अपनी हद लांघ दी थी.”
“सुनील प्लीज.”
मैं थरथरा रही थी … न जाने मुझे क्या सूझा कि मैं वहां से चली गई.

एक तरफ मेरा पति था, जिससे मुझे दो साल तक कोई शारीरिक सुख नहीं मिला था और आगे भी मिलने की कोई गारंटी नहीं थी. दूसरी तरफ सुनील था, जो मेरी सारी जरूरतें पूरी कर सकता था पर …

उस पर भरोसा कैसे करूँ … कल कुछ हो गया तो? किसी को पता चल गया तो? मेरा घर उजड़ सकता है … नहीं नहीं, यह सही नहीं है. कुछ पल के मजे के लिए इतनी बड़ी रिस्क मैं नहीं ले सकती.

मैं रंगोली अधूरी छोड़कर ही अपने घर चली आ गयी. घर में आकर घड़ी में देखा, तो सुबह के पांच बजे थे. बेडरूम में जाकर देखा तो मेरे पति और बेटा दोनों सोये हुए थे.

मैं हॉल मैं बैठी सोचने लगी. दिमाग में क्या चल रहा था, मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा था. एक बात होती, तो समझ में आता. दिमाग में विचारों का सैलाब उमड़ा था. अच्छा बुरा, नैतिक अनैतिक, समाज डर, सब विचार अपना पक्ष रख रहे थे.

मेरे पैर अपने आप ही घर के बाहर निकल पड़े. बाहर सब कुछ शांत था … इतना शांत कि मैं अपनी धड़कनें भी सुन सकती थी.

सुनील के घर से सामने जाकर मैंने दरवाजा खटखटाया, तो दरवाजा अपने आप ही खुल गया. सुनील हॉल में ही बैठा था.

“भाभी … आप!” वह आश्यर्य से बोला.

मेरे मुँह से शब्द नहीं निकल रहे थे, दिमाग में अभी भी उथल-पुथल चल रही थी. मैंने उसके घर के अन्दर आकर दरवाजा बंद कर दिया.

“भाभी … क्या हुआ.” वह मेरे तरफ आने लगा. धीरे धीरे वह मेरे करीब आता गया.
“भाभी!”

उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा. उस स्पर्श से मेरा रोम रोम हर्षित हो गया और मेरे अन्दर सैलाब उमड़ पड़ा. उस सैलाब में सब भावनाएं बह गईं और मैंने सुनील को कस कर पकड़ कर उसके सीने को चूमने लगी.

मेरे अचानक से की गई इस हरकत से वह कुछ पल के लिए आश्चर्यचकित हो गया और मुझे दूर धकेलने की कोशिश करने लगा.

मेरी बांहों की मजबूत पकड़ से वह असफल रहा. मेरे बदन की गर्मी पाकर अब वह भी पिघल गया और मुझे अपनी बांहों में भर कर मेरी पीठ को सहलाने लगा.

दोस्तो, ये एक ऐसा सच्चा वाकिया है कि इसको कम शब्दों में चाह कर पूरा नहीं लिखा जा सकता था. इसलिए इससे आगे की अपनी चूत की हवस की सेक्स कहानी को मैं अगले भाग में पूरा लिखूंगी.

मेरी चूत पर आपके मेल का इन्तजार रहेगा.

Sunday, 19 November 2023

मां को चोदा जंगल में

 मैंने बताया था कि कैसे मैंने अपने बेटे के लंड को अपनी चूत में लिया था. उसने अपनी मां को चोदा था. उसके बाद वो बाहर चला गया था. मैं जानती थी कि वो अपने दोस्तों के साथ कहां पर होता था. मुझे भी शॉपिंग करने के लिए बाहर जाना था इसलिए मैं भी घर का काम निपटा कर तैयार हो गई. जिस रास्ते पर प्रकाश होता था मेरा रास्ता भी वहीं से होकर गुजरता था.

मैं अपने रास्ते पर निकल पड़ी. वो रास्ते में वहीं पर खड़ा हुआ था अपने दोस्तों के साथ. जब मैं वापस आ रही थी तो मैंने उसको उस वक्त भी वहीं पर खड़े हुए देखा. वो मुझे घूर रहा था. फिर मैं वहां से घर आ गयी. घर आकर मुझे खाना बनाना था.

उसके बाद जब मैं खाना बना रही थी तो उसका मैसेज आया कि कुछ मीठा खाने के लिए लाता हूं तो मैंने बोल दिया कि ले आना.
वो घर आया और मुझे गिलास में डाल कर कुछ दिया. मैंने पूछा- ये क्या है?
वो बोला- ठंडाई है, पीकर देखो.
मैंने ठंडाई को पी लिया तो मुझे अच्छा महसूस हुआ. उसमें हल्का सा नशा हो रहा था.

उसके बाद हम दोनों ने साथ में खाना खाया. फिर वो मेरे पास बैठ गया और मुझे फोन में सेक्स वीडियो दिखाने लगा. सेक्स वीडियो में मैंने देखा कि एक मोटे लंड वाला आदमी एक औरत की गांड में लंड डाल रहा था.

वो वीडियो देखते हुए हम दोनों ही गर्म हो गये थे. उसके बाद हम उसने मेरे ब्लाउज को उतार दिया और मेरे चूचों को दबाने लगा. उसने मेरे चूचों को पीना शुरू कर दिया. मैं भी उसके लंड को सहलाने लगी. फिर मैंने उसके लंड को मुंह में ले लिया और चूसने लगी. उसने मेरी चूत में उंगली करनी शुरू कर दी. उसके लंड को चूसते हुए वो बहुत गर्म हो गया और उसने मुझे बेड पर गिरा कर मेरी चूत मार ली. उसने दूसरी बार मेरी चूत में लंड दिया था. मेरी चूत में पानी गिरा कर उसे फिर से भर दिया.

फिर वो उठ कर जाने लगा तो मैंने पूछा- कहां जा रहा है.
वो बोला- बस कुछ काम है. तुम शाम को तैयार रहना. हमें शाम को कहीं पर जाना है.
मैंने पूछा- कहां पर जाना है?
वो बोला- वो सब शाम को पता लग जायेगा.

मैं शाम की तैयारी करने लगी. उसके बाद कब शाम हो गयी पता नहीं चला. शाम को वो गाड़ी लेकर आ गया. उसके हाथ में एक साड़ी थी. मैंने पूछा कि ये किसके लिए है?
वो बोला- आज मैं तेरे साथ सुहागरात मनाऊंगा. तुम जल्दी से चलने की तैयारी करो.
मैंने पूछा- लेकिन हम कहां पर जा रहे हैं?

वो बोला- तुम तैयार हो जाओ. बाकी सब पता चल जायेगा.
मैं तैयार होने लगी. मैंने वो साड़ी ले ली और उसके साथ निकल पड़ी. हम लोग गाड़ी से जा रहे थे. घर से दूर 10 किलोमीटर पर एक जंगल था. उसमें काफी अंधेरा था लेकिन जुगनुओं की रोशनी हो रही थी. बहुत घने पेड़ थे.

उसने गाड़ी को बीच जंगल में रोक दिया. फिर वो मेरी तरफ देख कर बोला- तुम जल्दी से तैयार हो जाओ.
फिर वो मुझे गाड़ी से बाहर ले गया. उसके बाद मैंने आस पास देखा तो पूरा जंगल ही जंगल दिखाई दे रहा था. वहां किसी राजा महाराजा की पुरानी शिकारगाह थी और पास में ही एक तालाब था. चांद भी निकल आया था. चारों तरफ बीच जंगल में हम बैठे हुए थे और जुगनू हमारे चारों तरफ घूम रहे थे. बहुत ही अच्छा नजारा था.

वहां पर पहले से ही गद्दी बिछी हुई थी. मेरा बेटा पहले ही आकर वहां मां को चोदने की पूरी तैयारी कर गया था शायद.

मैं उसकी बात मान कर साड़ी पहन कर तैयार हो गयी.

मैं वहां पर जाकर बैठ गई. मैंने घूंघट निकाला हुआ था. उसने मेरे घूंघट को उठाया और मुझे देखा.
वो बोला- मां तुम सांवली जरूर हो लेकिन बहुत सेक्सी दिखती हो.
मैंने उसके गालों को चूम लिया.

घर से निकलने से पहले मैंने ठंडाई पी रखी थी जिसका नशा अभी भी मेरे दिमाग में था. मैंने उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया. मेरे बेटे ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और तुरंत ही मेरे चूचों को दबाना शुरू कर दिया. उसने मेरी साड़ी को खोलना शुरू किया जैसे मेरी पहली सुहागरात हुई थी. उसने मुझे पूरी नंगी कर दिया.

Maa Ko Choda Jungle Me
Maa Ko Choda Jungle Me

वो मेरे चूचों को पीने लगा और उनको भींचते हुए उनका रस निचोड़ने लगा. मैंने भी उसके लंड सहलाना शुरू कर दिया. मेरे बेटे ने मेरे लिए बहुत ही अच्छा सरप्राइज रखा हुआ था. मैं उसके लंड को मजे से सहला रही थी और मेरे चूचों को पीने में लगा हुआ था. चारों तरफ पूरा सन्नाटा था. बस हमारे चूमा-चाटी की आवाजें आ रही थीं.

फिर उसने मेरी चूत के अंदरूनी को खींचना शुरू कर दिया. मेरी चूत मैंने दिन में ही साफ़ केर ली थी, सारे बाल हटा दिये थे. वो मेरी चूत के लबों को सहला रहा था और मैंने अपनी आंखें बंद कर लीं. मेरी सांसें तेज होने लगी थीं. उसके बाद मेरे बेटे ने मेरी चूत को दोनों हाथों से फैला दिया. वो मेरी चूत को चाटने लगा. मुझे गजब का मजा आने लगा. वो मेरी चूत में जीभ देकर चूस और चाट रहा था. मैं पागल सी होने लगी थी.

उसके बाद उसने तेल की एक शीशी निकाली. उसमें सरसों का तेल था. मैंने पूछा- ये किसलिए है.
वो बोला- मैं तेल लगा कर चूत में डालूंगा अपना लौड़ा.
उसने मेरी चूत के मुंह पर तेल लगाया और फिर उंगली से मेरी चूत के अंदर भी तेल लगाने लगा.

फिर उसने अपने लंड पर तेल लगाना शुरू कर दिया. उसने अपने लंड को तेल लगा कर एकदम से चिकना कर दिया. उसका लंड रात में चांदनी में भी चमक उठा था.

उसने मेरी टांगों को फैला दिया और मेरी बालों वाली चूत पर अपने लंड का सुपारा रख दिया. उसके बाद उसने हल्का सा जोर लगाया तो मेरे मुंह से हल्की सी आह्ह निकल गयी. उसके लंड का सुपारा मेरी चूत में चला गया था. चूंकि चूत पर तेल लगा था और उसके लंड पर भी तेल लगा था इसलिए लंड आसानी से चूत में घुस गया.

मुझे महसूस ऐसा हो रहा था कि उसके लंड का टोपा अंदर चला गया है लेकिन ऐसा वास्तव में नहीं था. वो मेरी चूत के साथ खेल रहा था. उसका लंड काफी बड़ा लग रहा था. मेरी चूत उसके लंड के सामने छोटी लग रही थी.

मेरे बेटे का लंड देख कर मैं खुश हो रही थी. उसका लंड सात इंच के करीब लग रहा था और उसकी मोटाई भी सुबह के बदले काफी ज्यादा दिख रही थी.

उसके बाद मेरे बेटे प्रकाश ने मेरी चूत को सहलाया और दोबारा से अपना लंड मेरी चूत पर लगा दिया. उसने अपने लंड को मेरी चुदासी हो चुकी चूत पर टिका कर एक हल्का सा धक्का दे दिया. अबकी बार उसने लंड चूत में घुसा दिया था. मुझे मजा आ गया.

फिर वो धक्के देने लगा और उसने पूरा लंड मेरी चूत में घुसा दिया. उसके बाद वो मेरे होंठों को पीने लगा और मैं भी चुदाई में उसका साथ देने लगी.

अंधेरे में जंगल में बेटे का लंड लेते हुए अलग ही रोमांच पैदा हो रहा था मेरे अंदर. वो भी कुछ ज्यादा ही जोश में लग रहा था अपनी मां की चूत मारते हुए. उसने मेरी चूत में धक्के दे कर पूरा लंड जड़ तक घुसा दिया तो मुझे तकलीफ होने लगी और मैं कराहने लगी.
उसने पूछा- दर्द कर रहा है क्या मेरा लंड?
मैंने कराहते हुए कहा- हां, बहुत दर्द हो रहा है. सुबह से ये तीसरी चुदाई है. मेरी चूत शायद अंदर से छिल गई है.

अब उसने मेरी दोनों कलाईयों को पकड़ कर एक जोर से झटका मारा तो मैं तो जैसे पूरी तरह से कांप गई। अब उसने मेरे मम्मों के चूचकों को मुँह से पकड़ लिया और काटने लगा. वो मेरे चूचों को पीने लगा और धीरे धीरे नीचे से अपनी कमर को भी चलाने लगा. उसके धक्के पहले से ज्यादा ताकतवर लग रहे थे. मेरी चूत में उसका लंड अंदर तक घुसा हुआ था.

ऐसे ही चूत में लंड को धकेलते हुए अब वो मस्ती में मेरी चूत की चुदाई करने लगा. मुझे भी अब मजा आने लगा था. मेरे मुंह से कामुक आवाजें निकलने लगी थीं. उसकी स्पीड और तेज हो गई थी.

मैं बोली- थोड़ा आराम से कर बेटा… आह्ह … दर्द कर रहा है तेरा लौड़ा.
वो बोला- साली रंडी, चुपचाप करके लेटी रह, तेरी चूत का मजा लेने दे मुझे. मैं आज इसकी चटनी बना दूंगा.
इतना बोल कर वो फिर से जोर के धक्के देने लगा.

फिर उसने पूछा- मजा आ रहा है क्या मां?
मैंने कहा- मुझे मां मत बोल कुत्ते, मुझे आरती कह कर बुला.

वो बोला- कितना मजा आ रहा है आरती?
मैंने कहा- बहुत मजा आ रहा है मेरे लाल.
वो बोला- आइ लव यू आरती डार्लिंग. तुम कितनी सेक्सी और हॉट हो. तेरी चूत मारने में कमाल का आनंद मिल रहा है.

मैंने पूछा- सुबह भी तुम्हें मजा आया था क्या?
वो बोला- हां, सुबह तो बाथरूम में मैंने लौड़े पर साबुन लगा कर चूत में डाला था. इसलिए मजे से अंदर चला गया था.
उसके बाद वो फिर से जोर के धक्के देने लगा.
मेरी चीख निकलने लगी. आह्ह … प्रकाश … चोद मुझे … आहह्ह चोद दे मेरी चूत को आईई … आह्हह …

प्रकाश ने अपने होंठों को मेरे होंठों पर कस लिया और फिर तेजी के साथ मेरी चूत को चोदने लगा. उसकी लार मेरे मुंह में जा रही थी और मैं उसकी लार को खींच कर पी रही थी. उसके लंड से चुद कर मेरी प्यास बुझ रही थी. उसने अपनी कमर को झटके देते हुए पूरे लंड को जड़ तक पेलना शुरू कर दिया और हर धक्के पर उसकी गोलियां मेरी चूत से टकरा जाती थीं. मेरी चूत का बैंड बजने लगा था.

उसने पता नहीं कौन सा टॉनिक पी लिया था. उसका लंड मेरी चूत को फाड़ने पर तुला हुआ था. मगर दर्द के साथ ही मुझे मजा भी बहुत दे रहा था मेरे बेटे का लौड़ा. मैं उसके लंड के नीचे पड़ी हुई अंधेरे जंगल में खुले में चुद रही थी. ऐसी चुदाई मेरी जिंदगी में पहली बार हो रही थी. उसके हर धक्के जवाब मैं अपनी गांड को उठा कर दे रही थी.

कुछ देर ऐसे ही दोनों एक दूसरे से युद्ध करते रहे. फिर उसने उठने के लिए कहा और अपने लंड पर बहुत सारा तेल लगा दिया. उसके बाद उसने मुझे घोड़ी बना दिया और मेरी गांड में उंगली से तेल अंदर करना शुरू कर दिया. उसकी उंगली मेरी गांड में जाने लगी तो मुझे दर्द हुआ लेकिन थोड़ी ही देर में मजा आने लगा. उसके बाद उसने लंड को मेरी गांड पर पटका और पीछे से मेरे चूचों को दबाते हुए उनको खींचने लगा. उसका लंड मेरी गांड पर रगड़ने लगा.

उसके बाद उसने अपने लंड को मेरी गांड के छेद पर लगाया और मेरी गांड में अपना तेल लगा हुआ लंड पेल दिया. मेरी जान हलक में अटक गई. वो मेरी पीठ को काटने लगा और उसने पूरा लंड मेरी गांड में घुसा दिया.
मैं बोली- बात सुहागरात मनाने की हुई थी हरामी. गांड मारने की नहीं.
वो बोला- सुहागरात में गांड भी मारी जाती है आरती.

फिर उसने पूरा लंड मेरी गांड में ठोक कर मेरी गांड को चोदना शुरू कर दिया. उसके धक्के मेरी गांड में तेजी के साथ लगने लगे. मुझे भी मजा आने लगा. पांच-सात मिनट तक उसने मेरी गांड को चोदा और फिर अपने लंड को बाहर निकाल लिया. उसके लंड में अभी भी उतना ही तनाव था.

उसने दोबारा से मेरी चूत में लंड को पेल दिया और मेरे बालों को पकड़ कर मेरी चूत मारने लगा. मुझे मजा आने लगा और मैं एकदम से झड़ने लगी. जंगल के सन्नाटे में चूत का पानी निकाल दिया मेरे बेटे के लंड ने. उसके बाद चुदाई में पच-पच की आवाज होने लगी. उसके धक्के अब और तेज हो गये.

दो मिनट तक मेरी चूत तो जोरदार तरीके से चोदने के बाद उसने मेरी चूत में ही अपना माल गिरा दिया और मेरे ऊपर हांफते हुए गिर गया. मैं भी थक गई थी. सुबह से उसने मेरी इतनी चुदाई कर दी थी कि मेरी हालत खराब हो गई थी. हम कुछ देर ऐसे ही पड़े रहे और उसके बाद उठने लगे. मेरी चूत और गांड में दर्द हो रहा था लेकिन मैं पूरी तरह से खुश हो गयी थी.

मेरे जवान बेटे ने अपनी मां को चोदा. मेरी चूत की प्यास को बुझा दिया था. इस तरह से हम दोनों ने जंगल में सुहागरात मनाई.
उस दिन के बाद से हम दोनों चुदाई का मजा लेते रहते हैं.

बेटे ने मां को चोदा. आपको यह कहानी पसंद आई या नहीं … कहानी पर राय दें. मुझे अपने बेटे से चुदाई करवाना बहुत पसंद है. मैं अक्सर उसके साथ इसी तरह मजे लेती रहती हूं.

Saturday, 18 November 2023

दो लड़कियों की प्यासी जवानी

 

मैं लड़कियों की प्यासी जवानी का इलाज करता हूँ. किसी लड़की को कैसे खुश करना, कैसे उसकी चूत की प्यास को बुझाना है; ये मुझे बड़े अच्छे से पता है.

मेरा नाम अरमान है और मैं पानीपत शहर से हूं. मेरी उम्र 21 साल की है. मैं इस उम्र में एक कॉलब्वॉय बन चुका हूं. मैं प्यासी जवानी का इलाज करता हूँ. मैं दिखने में बहुत ही साधारण महसूस करता हूँ जबकि मेरी ग्राहकों को मैं बड़ा कामुक लगता हूँ.

एक लड़की को कैसे खुश करना, कैसे उसकी चूत की प्यास को बुझाना है; ये मुझे बड़े अच्छे से पता है.

जब मैंने सारिका के बड़े परिवार की सारी औरतों और लड़कियों को चोदा था. तब मुझे पता चल गया था कि एक प्यासी जवानी, गर्म चुत को ठंडा करने का तरीका क्या है. क्या उसकी चुत को सिर्फ लंड से ही चैन मिलता है, या चुत चटवाने से भी मजा आता है. साथ ही एक प्यासी जवान लड़की या औरत को लंड के अलावा उसे कितनी देर तक और किस तरीके से चोदा जाता है, इस बात का बड़ा महत्त्व होता है.

हालांकि मर्द का बलिष्ठ शरीर औरत को आकर्षित करता है लेकिन तब भी एक औरत या लड़की बिस्तर पर मर्द की कलाबाजी की शैदाई होती है.

तो दोस्तो, सारिका के परिवार की लड़कियों और चुदक्कड़ औरतों की प्यासी जवानी ने मुझे मुझे कॉल ब्वॉय बन कर रख दिया था.

सारी की सारी चूतें एक से बढ़ कर एक चुदक्कड़ थीं. किसकी चुत को कैसे शान्त करना है … मुझे सब समझ आ गया था. खूब पैसे भी मिलते थे, सो मुझे उसके घर की हर चुत को रगड़ने में मजा आने लगा था. न केवल खुद चुदवाने में आगे थीं … बल्कि उन सभी की सहेलियां भी एक से बढ़ कर एक रंडी थीं.

एक रात भर की चुदाई में मैं अपने महीने की सैलरी पूरी कर लेता था. भगवान की कृपा से मेरा लंड भी काफ़ी मजबूत और दमदार है. मेरे लंड की एक खासियत है कि ये एक एक घंटे तक झड़ता ही नहीं है. इस योग्यता के कारण मेरा लंड हर औरत की चुत को शांत करने में मेरा पूरा साथ देता है.

मेरे लंड की ख़ास बात ये थी जब तक वो पूरी चुत के पानी से न नहा लेगा. तब तक वो अपना पानी नहीं निकालता था. मेरे लंड को कई भाभियां, तो समझो कच्चा ही खा गयी थीं. मेरे लंड की मर्दानगी पर कई लड़कियां मर मिटी थीं.

फिर पता नहीं क्या हुआ कि मुझे सारिका के रंडी परिवार की चूतों को चोदने का काम मिलना बंद हो गया.

कुछ समय से मुझे कोई चुत मारने का मौक़ा ही नहीं मिल रहा था. मेरा लंड किसी चुत में जाने के लिए बेसब्री से तड़प रहा था.

उस दिन शाम को मैं गुमसुम बैठा लंड सहला रहा था कि तभी मेरे फोन पर एक अनजान नंबर से फोन आया. मैंने फोन उठाया, तो मुझे दूसरी तरफ़ से एक लड़की की आवाज सुनाई दी. उसकी आवाज सच में बहुत मस्त थी. उसकी आवाज सुनते ही मैं समझ गया था कि साली को मेरा लंड लेना है

लड़की- राजन जी मुझे आपका नंबर काजल ने दिया है … और मेरा नाम रीता है.
मैं बीच में उसकी बात को काटते हुए बोला- बस रीता जी मैं समझ गया, आपने मुझे फोन क्यों किया है.
रीता- आप तो बड़े स्मार्ट हो. अच्छा आगे सुनो … मैं सोनीपत से हूँ … आज मेरे घर पर कोई नहीं है.

मैं- सोनीपत में कहां आना है?
रीता- मैं सोनीपत से हूँ उधर रहती नहीं हूँ. मैं पानीपत में ही रहती हूँ. मगर शहर से थोड़ा दूर रहती हूँ. यहां के लिए बस चलती है.
मैं- तो उधर का आने का चार्ज अलग से देना होगा.

रीता- क्या यार चार्ज के लिए बात करते हो … आ जाओ … पैसे की फ़िक्र मत करो. आप जितने कहेंगे, मैं उतने पैसे आपको दे दूंगी. बस आप मुझे किसी तरह से शांत कर दीजिए.
मैं- आप उसकी फ़िक्र मत कीजिये. ये मेरा रोज़ का नाम है.
रीता- ठीक है … जल्दी से जल्दी आ जाओ. आपको आज की पूरी रात बस मेरे नाम करना है, मेरी प्यासी जवानी का इलाज करना है.
मैंने कहा- ओके रीता जी. मैं बस आ रहा हूँ.

उसने कहा- मैं पता मैसेज कर रही हूँ.
मैंने ओके कहा और फोन काट दिया.

मेरे मोबाइल पर मैसेज की घंटी आई, मैंने मैसेज पढ़ा और पता समझ लिया. ये शहर की एक आभिजात्य कॉलोनी का पता था, जिधर मुझे पहली बार जाने का मौक़ा मिल रहा था.

तभी रीता का फिर से मैसेज आया- तुम कॉलोनी के बाहर ही रुके रहना. मैं खुद अपनी काली रंग की ऑडी कार, जिसका नम्बर नीचे लिख रही हूँ, का इंतजर करना.
मैं समझ गया कि कॉलोनी में हर किसी का घुसना सम्भव नहीं था.

बस मैं लंड की झांटें साफ़ करके अच्छे से तैयार होकर घर से निकल गया. मैंने बस स्टैंड से उधर की बस पकड़ी और सीधा उस जगह पर आ गया. इधर बस से उतर कर मैं उसके दिए हुए पते पर पहुंच गया.

कुछ ही देर में मेरा फोन बजा और उसने मुझे अपनी कार का बताया कि किधर खड़ी है. मैं पास गया, तो वो कार से हाथ बाहर निकाल हिला कर मुझे बुला रही थी.

मैं उसकी कार के आगे वाले गेट को खोल कर अन्दर बैठ गया. कार दौड़ने लगी.

कुछ ही देर में मैं उसके घर में आ गया था. वो देखने में काफी सुंदर लग रही थी. मैं तो उसके रूप का दीवाना सा होने लगा था.

उसने घर के सब दरवाजे और खिड़कियां बंद कर दीं. फिर वो मेरे साथ सोफे पर बैठ कर बोली- यार तुम तो इतने जवान और खूबसूरत हो … तुम कॉलब्वॉय क्यों बन गए हो. तुम तो बहुत आराम से किसी लड़की को पटा कर जिन्दगी भर चोद सकते थे.

मैं चाहता, तो ठीक यही उससे भी पूछ सकता था. लेकिन मैंने अपने ग्राहक का सम्मान करना सीखा था. इसलिए चुप रह गया.
मैंने उससे पूछा- क्या सचमुच … मैं इतना सुन्दर हूँ कि कोई लड़की मुझसे पट सकती है?
रीता- और क्या … लड़कियां पटना तो छोड़ो … बल्कि तुम्हारे पास आ आकर खुद से चुदाने को मचलेंगी.

मैं मन ही मन सोचने लगा कि साली रंडी तूने भी तो खुद को चुदवाने के लिए मुझे बुलाया है … बल्कि तू तो अपनी चुत की खाज शांत करवाने के लिए मुझे पैसे भी देगी.

लेकिन मैं सामने से उससे ये नहीं बोल सकता था.

मैं- पर क्या करूं … मेरे पास तो कोई लड़की चोदने के लिए है ही नहीं.
रीता- मैं तो हूँ … मेरी प्यासी जवानी है राजा, तुम बस मुझे चोद दो.

तभी रीता मेरे सामने जाकर खड़ी हो गयी और एक एक करके अपने कपड़े उतारने लगी और अपना नंगा बदन मुझे दिखाने लगी.

वीडियो प्लेयर
00:14
00:42

जब वो पूरी नंगी हो गयी तो वो अपनी चूत अपने हाथ से सहलाने लगी.

कुछ देर बाद रीता मेरे ऊपर चढ़ गई … और मेरे होंठों को जोर जोर से चूसने में लग गई.

उसने जैसे ही मुझे चूमना चालू किया, तो मैं भी उसके होंठों को चूसने लगा.

तभी रीता ने मेरी कमीज खोल दी और मेरे सीने की घुंडियों को अपनी जीभ से चाटने लगी. कुछ ही देर में उसने मेरी पैंट और अंडरवियर को भी मेरे जिस्म से अलग कर दिया.

अंडरवियर हटते ही मेरा लंड उछल कर बाहर आ गया. मेरा टनटनाता लंड देख कर रीता मस्त होकर बोली- अरे वाह … जितने खूबसूरत तुम हो, उतना ही खूबसूरत तुम्हारा लंड है.

ये कहते हुए वो मेरे लंड को अपने मुँह लेकर जोर जोर से चूसने लगी. लंड को रीता के मुँह की गर्मी मिली तो वो और भी ज्यादा फनफनाने लगा. रीता मेरे लंड को पूरी मस्ती से चूस रही थी. मैं मजे से अपनी आंखें बंद करके अपने लंड को पूरी मस्ती से अपना लंड चुसवा रहा था.

उसी समय साथ के कमरे में से एक जवान लड़की बाहर आ गई. वो मुझे और रीता को चूमाचाटी करते देख कर अपने कपड़े निकालने लगी.

रीता ने मेरा लंड अपने मुँह से बाहर निकाला और बोली- डरो मत … आ जाओ सोनम.
उसने सोनम से मेरा परिचय करवा दिया.
ये जो नई लौंडिया आई थी, उसका नाम सोनम था.

रीता- आज तुम भी मेरे साथ इसके मस्त लंड का मजा ले लोगी. आ जाओ सोनम … पार्टी शुरू करें.
उसकी बात सुनते ही वो नंगी हो कर मेरे पास आ गई.

एक तो रीता मेरे लंड को चूसने में लगी थी … और अब ये दूसरी मुझसे अपने चूचे चुसवाने लगी.

मेरी तो निकल पड़ी थी. एक साथ दो दो चूतें मेरे लंड का शिकार करने में लग गई थीं. मुझे अपने लंड पर भरोसा था कि आज इन दोनों की बुर का भोसड़ा बना कर ही दम लेगा.

अब कमरे में हम तीनों चुदाई की मस्ती में लग गए थे. लंड और मम्मों की चुसाई का खेल करीब दस मिनट तक चला.

उसके बाद मैं उनको बिस्तर पर ले गया. मैंने उन दोनों को बिस्तर से नीचे टांगें लटका कर लेटने को कहा. वे दोनों समझ गईं कि अब चूत चुसाई का मजा मिलने वाला है. वो झट से अपनी अपनी चूत पसार कर बिस्तर पर इस तरह से लेट गईं कि वे आपस में एक दूसरे के मम्मों को मसल कर भी मजा ले सकें.

मैंने उन दोनों की चूत को बारी बारी से चाटना शुरू कर दिया. उन दोनों की चूतें एकदम चिकनी थीं. मैं अपनी जीभ निकाल कर बारी बारी से दोनों की चुत को जीभ से चोदने लगा. सोनम की चूत एकदम टाईट थी.

मैंने दोनों की चूत का छेद ध्यान से देखा. जब मैं सोनम की चुत को चाट रहा था, तभी मुझे सोनम की कसी हुई चुत का अंदाज लग गया था कि उसकी चूत बहुत तंग है … और हो सकता है कि इसकी चूत सील पैक हो. लेकिन वे दोनों लड़कियां साली थीं तो रंडियां ही.

फिर मैंने चूत की चुदाई करने का मन बना लिया था … क्योंकि उन दोनों की चूतों से जबरदस्त पानी टपकने लगा था और दोनों की ही प्यासी जवानी चुदासी होकर चुदने को मचलने लगी थीं.

चूत चुदाई करने से पहले मैंने अपना लंड फिर से एक बार बारी बारी से उन दोनों से चुसवाया.

चूंकि रीता ने मुझे चोदने के लिए बुलाया था … इसलिए मुझे पहले उसी को चोदना था.

मैंने रीता को घोड़ी बना दिया और सोनम को उसके मुँह के आगे लगा दिया. रीता की चूत में जब मेरा लंड जाता, तो सोनम की चूत को चाटने का मजा भी उन दोनों को मिल जाता.

मैंने पीछे से अपना लंड रीता की चुत की फांकों में सैट किया और बिना कोई इशारा दिए मैंने पूरी ताकत से लंड को पेल दिया. मेरा लंड एक ही झटके में रीता की चूत को फाड़ता हुआ उसकी चूत में जड़ तक घुसता चला गया.

रीता की चुत की माँ चुद गई वो बहुत जोर से गाली देते हुए चीख पड़ी- आह … मादरचोद … चुत चुदवाने के लिए बुलाया था भैन के लौड़े … फाड़ना नहीं है. आह … मार दिया हरामी ने.
मैंने हंसते हुए कहा- जब एकदम से लंड गया न … तभी तो जीवन भर मुझे रखोगी कि हां किसी मर्द का लंड घुसा था.

रीता चूंकि पुरानी चुदक्कड़ थी, इसलिए कुछ ही पलों में उसने मेरे लंड को झेल लिया.

वो गांड हिलाते हुए मुझसे कहने लगी- आंहा … तुम हो तो टॉप के मर्द … यदि तुमसे ही चुदवाती रही, तो मेरी चुत का भोसड़ा बनने में देर नहीं लगेगी … उम्म्ह … अहह … हय … ओह … पेलो मेरे राजा … बड़ा मस्त चोद रहे हो.

तभी सोनम अब मेरे मुँह के सामने चूत रख कर खड़ी हो गई.

मैं जोर जोर से रीता की चुत को चोद रहा था. साथ में सोनम की चुत को भी मैं अपनी जीभ से जोर जोर से चाट रहा था. उसकी चूत में से थोड़ी ही देर में पानी निकल गया. जैसे ही सोनम की चुत का रस झड़ा, मैंने अपनी जीभ से सड़ाके मार मार कर उसकी चुत का सारा रस पी लिया. वो भी अपनी चुत को मेरे मुँह पर दबाते हुए रस स्खलित करते हुए चीख रही थी.

तभी इतने में रीता की चुत ने भी अपना रस निकाल दिया था, जिससे मेरे लंड को ऐसा लगने लगा था, जैसे इसकी चुत में मलाई का तालाब सा बन गया हो. मेरा लंड बड़ी चिकनाई के साथ अन्दर बाहर होने लगा था. जिससे मुझे चुत रगड़ने का मजा नहीं मिल पा रहा था. मैंने लंड बाहर निकाल लिया.

मैंने अपना लंड बाहर निकला और सोनम के मुँह में दे दिया. उसने भी बड़ी मस्ती से मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया और लंड चूसने लगी.

सोनम ने मेरे लंड को अपने गले गले तक लेकर बड़ी मस्ती से चूस चूस कर रीता की चुत की मलाई को साफ़ कर दिया था.

इसके बाद मैंने सोनम को नीचे किया और उसकी चुत में लंड पेल दिया. उसकी चुत बड़ी टाईट थी, लेकिन रस के कारण चिकनी पड़ी थी. जिस वजह से लंड को अन्दर घुसने में कोई दिक्कत नहीं हुई. लेकिन उसकी चुत की दीवारों को मेरे मोटे लंड से बड़ा दर्द होने लगा था. वो दर्द से कराहने लगी थी. उधर रीता उठ कर सोनम के मुँह को चूसते हुए उसकी चूचियां मसलने लगी, जिससे कुछ ही देर में सोनम की चुत को लंड का मजा आने लगा था.

मैंने लगभग दस मिनट तक सोनम की चुत चोद कर उसकी चूत का रायता निकाल दिया था.

अब मेरे लंड का पानी भी निकलने को ही गया था. रीता मेरे मुँह से निकलती आहों से समझ गई थी कि मैं झड़ने वाला हूँ. उसने मेरी तरफ देख कर अपना मुँह खोल दिया. मैंने उसका इशारा समझ लिया और सोनम की चुत से लंड खींच कर अपना वीर्य रीता को पिला दिया.

लंड रस चाटने के बाद रीता ने लंड को अपने मुँह से बाहर निकाला ही था कि सोनम ने मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया. फिर मैंने अपने लंड को सोनम से चुसवा कर उसके मुँह को खूब चोदा. इससे मेरा लंड सोनम के मुँह में ही फिर से खड़ा हो गया.

मेरा लंड खड़ा हो गया, तो मैंने सोनम की चुत को फिर से प्यार से चोदा. मुझे सोनम से मानो प्यार हो गया था. क्योंकि वो बहुत खूबसूरत और सेक्सी माल थी. उसे मैंने बिना रुके कई मिनट तक चोदा.

इस बार की चुदाई में सोनम की चुत तीन बार रस छोड़ चुकी थी … पर मेरा लंड अपना पानी निकालने का नाम तक नहीं ले रहा था.

तभी सोनम ने हरकत की. उसने मेरी गांड मुझे उंगली डाल दी … इससे मैं एकदम से उत्तेजित हो गया और मेरे लंड का पानी निकल गया.

इस बार मैंने उसकी चूत में ही अपने लंड का पानी भर दिया था.

मस्त चुदाई के बाद हम सब थक गए थे. रीता ने व्हिस्की के तीन पैग बनाए और खाने के लिए भी तले हुए बादाम काजू रखे. हम तीनों ने दो दो पैग लेकर खुद को तरो ताजा किया. मैंने सिगरेट जलाई और उन दोनों को भी सिगरेट का मजा दिया.

एक घंटे के इस इंटरवल के बाद हम तीनों फिर से चुदाई के लिए गर्म हो गए थे.

मैंने उस पूरी रात में दोनों को हचक कर चोदा. करीब तीन बजे रात तक चुदाई का घमासान चला. उसके बाद हम तीनों यूं ही नंगे लिपट कर सो गए.

सुबह रीता ने मुझे 20000 रुपये दिए.

सोनम ने मुझे आई लव यू कहा.
मैंने उसकी तरफ देख कर उसे आंख मारी और कहा- एक कॉल ब्वॉय को आई लव यू बोल रही हो.
वो मुझसे लिपट गई और बोली- हां मुझे तुमसे प्यार हो गया है.

इस तरह आज मुझे सोनम मिल गई. सोनम अब मेरी गर्लफ्रेंड बन गई थी और मैं उसको मुफ्त में हर तीसरे दिन चोदता हूँ.

मुझे उम्मीद है कि आपको प्यासी जवानी की कहानी अच्छी लगी होगी. आप प्लीज मुझे विचार जरूर भेजें.

ज्योतिषी बन कर भाभी को बच्चा दिया

  मेरे पास जॉब नहीं थी, मैं फर्जी ज्योतिषी बनकर हाथ देख कर कमाई करने लगा. एक भाभी मेरे पास बच्चे की चाह में आई. वह माल भाबी थी. भाभी की रंड...