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Wednesday, 31 January 2024

मेरी सौतेली बहन की कामुकता-2

 मेरी बहन गज़ब की सेक्सी थी. उसका जिस्म ठीक जगह से भरा हुआ था, उसे सुन्दर और सेक्सी दिखने में कोई ज्यादा कष्ट करने की जरूरत नहीं थी.जब तक आशिमा ऊपर देखती, मैं चुपके से घर के अन्दर खिसक गया और धीमे से लॉक बंद कर दिया.

दो मिनट बाद लॉक पर बाहर से चाबी लगाने की आवाज़ आई, आशिमा ने दरवाज़ा खोला, वह बहुत बदहवास और काफी डरी हुई लग रही थी.
आशिमा अपने कमरे में गयी, अपना बैकपैक रखा, अपने बैग से अपना सिप्पर निकाला पानी पीया और वाशबेसिन के सामने जाकर मुंह धोने लगी.

आज मैंने पहली बार देखा, आशिमा गज़ब की सेक्सी थी. उसका जिस्म ठीक जगह से भरा हुआ था, उसे सुन्दर और सेक्सी दिखने में कोई ज्यादा कष्ट करने की जरूरत नहीं थी.
उसके सिल्की बाल स्टेप कट थे जो उसके कन्धों पर बिखरे हुए थे. मैंने कभी पहले गौर नहीं किया था वह कैसे कपड़े डालती है. आज देखा तो तो उसने स्लिम फिट जीन्स और ऊपर से लगभग सफ़ेद स्लीवलेस टॉप पहनी थी जिसके पीछे से उसकी ब्रा का स्ट्रेप नज़र आ रहा था.

जब वह कुल्ले के लिए वॉशबेसिन पर झुकी तो उसकी पैन्टी की आउटलाइन उसकी जीन्स पर उभर आई. मुझे पीछे खड़ा देख, आशिमा मुझे अवॉयड करने के लिए बाथरूम में घुस गयी.

मेरा लोड़ा इतनी बुरी तरह तना हुआ था, वह अपने आप गीला हो गया था और मेरा टोपा पीछे की और खिसक गया था. मैं ठरक से जला जा रहा था और मेरा लंड अपने आप झटके मार रहा था. यह तो शुक्र है मैंने अपने लोअर के नीचे बॉक्सर डाले थे वर्ना छुपाना नामुमकिन हो जाता.
यह सच है कि अगर मुझे इस बात का ध्यान न होता कि वह मेरी बहन है वह आज हर हाल में उसे चोद डालता.

उस समय मुझे आशिमा पर कोई गुस्सा नहीं आ रहा था. बल्कि मुझे उसे डरा देख कर बुरा लग रहा था.

मैं ठरक में अपनी जो हालत हो गयी थी वह तो देख ही रहा था, मैंने सोचा आशिमा भी तो जवान है, उसकी भी जिस्मानी ज़रूरतें होंगी, जैसे सेक्स के नशे में हम लड़के बहकते हैं, वह भी बहक सकती है. ऐसे वक़्त पर मुझे उसका साथ देना चाहिए, ना कि उसे डांटना-डपटना चाहिए, या फिर पापा-मम्मी को उसकी शिकायत करनी चाहिए.

आशिमा जब दस मिनट तक बाथरूम से बाहर नहीं आयी तो मैंने दरवाजा खड़काया और पूछा- आशिमा कब आ रही हो, मुझे भी जाना है.
उसी हल्की सी आवाज़ आई- बस आ रही हूँ मन्नू भैया.

जब वह बाहर आई तो उसका चेहरा रुआंसा था, और वह मुझसे आँख नहीं मिला रही थी.

मैं दिखावे के लिए बाथरूम गया, मूत करने की कोशिश की मगर लंड खड़ा होने के कारण मूत नहीं निकला पाया, मैंने दिखावे के लिए फ्लश चला दिया और वापस आकर उसे बोला- चलो आशिमा खाना खा लेते हैं.
आशिमा ने कहा- आप खा लें भैया, मुझे अभी भूख नहीं.

मुझे लगा यह मामला तब तक तय नहीं होगा जब तक मैं आशिमा से इस बारे में बात नहीं करूँगा. वर्ना यह लड़की तो तनाव से ही मर जायेगी.
मैं उसके पास गया और बहुत आराम से उससे पूछा- आशिमा, वह लड़का कौन था?
“कॉलेज का एक दोस्त है!” आशिमा ने डरते हुए धीरे से बोला.
मैंने बहुत आराम से उसे बोला- ठीक है … पर आशिमा अपना ध्यान रखना, ज़रूरी नहीं सब लड़के अच्छे ही हों, कुछ गलत भी होते हैं.

मैंने बात को जारी रखते हुए कहा- डरो मत, मैं मम्मी-पापा को कुछ नहीं बताऊँगा, लेकिन अगर कभी किसी तरह की भी गड़बड़ हो जाए तो तुम मुझसे वादा करो मुझे ज़रूर बताओगी.
उसकी आँखें भर आई और बस उसके मुंह से सिर्फ एक ‘जी भैया’ निकला.
मैंने कहा- देखो आशिमा, तुम्हारी ज़िम्मेदारी मेरी है. मगर तुम मेरी बहन पहले हो, इस लिए अगर तुमसे कुछ गलती भी होगी तब भी मैं तुम्हारा साथ दूंगा.

इतना सुनना था कि वह सुबक सुबक कर रोने लगी.
मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा और कहा- अब चलो मुंह धोओ, खाना खाते हैं.
उसके मन से तो मानो जैसे एक पहाड़ उतर गया हो, वह वॉशबेसिन पर मुंह धोकर किचन में गयी और खाना माइक्रोवेव में गर्म करने लगी.

बाद में हमने टीवी देखते हुए खाना खाया, आशिमा मुंह नीचे कर ही खाती रही, ख़त्म होने पर बर्तन रखे और बोली- भैया, मैं सोने जा रही हूँ.

हालाँकि यह अभी सोने का वक़्त नहीं था, मगर मुझे पता था उसे नींद क्यूं चाहिए थी. उस लड़के ने आज इसकी जवानी को पूरा निचोड़ डाला था. उसकी चूत ही नहीं उसके शरीर का अंग-अंग दर्द कर रहा होगा.

मैं अपने कमरे में गया, और बिस्तर पर लेटे हुए मैं सोचने लगा कि मुझे तो पता ही नहीं लगा कब मेरी छोटी सी बहन आशिमा एक जवान लड़की बन गयी है और आज दूसरे मर्दों से चुदने भी लग गयी है.
उस लड़के और आशिमा का सेक्स याद करके मेरा रोम-रोम वासना से भर रहा था.

मैंने उठ कर दरवाज़े पर अन्दर से कुण्डी लगाई, अपना लोअर और बॉक्सर नीचे किया, हाथ में थूक लगायी और आशिमा को सोच कर धीरे धीरे चमड़ी ऊपर नीचे खिसकाने लगा.
हैरानी की बात थी कि मेरे मन में आज ज़रा सी भी इस बात की शर्म या ग्लानि नहीं थी कि मैं उस दिन अपनी छोटी बहन को आज सिर्फ और सिर्फ एक चूत की तरह देख रहा था.

उस दिन पहली बार मैं ज्यादा देर नहीं टिक पाया, एक तो कई दिन से टट्टे वीर्य से भारी थी, और ऊपर से जो आज मैंने देखा उसका प्रभाव. अचानक मेरे लोड़े ने चार-छह छोटी-बड़ी पिचकारियाँ हवा में निकलीं, उनमें आज इतना जोर था कि एक दो तो मेरे मुंह पर आ कर गिरी.
मैंने उठ कर अपने पुराने तौलिये से अपने को साफ़ किया और लाइट बंद कर के सो गया.

वह रात और अगला दिन दोनों बेचैनी से गुज़रे. सारा दिन आशिमा को याद कर के मैं उत्तेजित होता रहा. मुझे अब हर हाल में सेक्स चाहिए था, मुझे अपना लोड़ा या तो किसी के मुंह में ठूँसना था या फिर चूत या गांड में घुसाना था, जो भी हो हर हाल में मुझे अपना कामरस निकालना था.

जो भी जवान मर्द हैं वे समझते होंगे कि कई बार आदमी ऐसे स्थिति में पहुँच जाता है जहाँ ठरक से वह पागल हो चुका होता. ऐसे में रिश्तों की कोई अहमियत नहीं रहती. हर औरत और लड़की बस उसकी हवस ठंडी करने का एक जरिया होता है. मुझे भी आज आशिमा की जरूरत थी, मैं इसी उधेड़बुन में था कि कैसे मैं अपना लोड़ा अपनी बहन की चूत में घुसाऊँ.

यह तो था नहीं कि वह कोई कुंवारी थी, जिस हिसाब से वह उस लड़के को किस कर रही थी, उससे फिन्गरिंग करवा रही थी, उसका लोड़ा चूस रही थी तो यह पक्का था कि यह चुद भी चुकी है. उस दिन भी शायद वह उस लड़के से चुद जाती अगर कहीं मन के अन्दर अनजाने में पकड़े जाने का डर ना होता. तभी दोनों ने सीढ़ियों में ही अपना काम कर लिया था.

मुझे किसी तरह घर पहुंचना था. एक बार फिर खराब तबीयत का बहाना बना कर आधे दिन बाद घर आ गया.

आशिमा अभी नहीं आई थी. मैं उसके कमरे में गया, उसकी अलमारी खोली और उसके कपड़े देखने लगा. उसके हर कपड़े को पकड़ कर मुझे ठरक चढ़ रही थी.
मैंने अलमारी में पीछे हाथ मारा तो एक साइड पर उसकी कच्छियां (पंजाबी में पैन्टी को यही कहते हैं) और ब्रा पड़ी थीं.

मैंने बाहर निकाली और देखा दोनों अच्छी क्वालिटी की थी, पतले स्ट्रेप, बॉडी की शेप के टाइट कप, कहीं जाली और कहीं सुन्दर कढ़ाई, मतलब देखते ही सेक्स आ जाये. कुछ ब्रा स्किन कलर थीं, एक दो काली और लाल भी थी, एक पूरा सेट लेमन कलर का था, ब्रा का साइज़ बत्तीस था जो उसके शरीर की बनावट और उसके वज़न के लिये एकदम उचित था.

पैन्टी अट्ठाईस साइज़ की थी और बहुत से रंगों में थीं. कई पतली थोंग जैसी, कोई बिकिनी जैसी, कई सूती और कई सेक्सी साटिन की. मन में आशिमा को यह पैन्टी और ब्रा डाले हुए सोचा तो लंड ने एक ठुमका मारा.

उसकी ब्रा पैन्टी को छूकर मैं ऐसे मुकाम पर पहुँच गया जहाँ बगैर सेक्स किये अब मैं वापस नहीं जा सकता तथा. पहले सोचा किसी रंडी को बुला लूं. जब मैं और आफताब यहाँ रहते थे तो एक दो बार हमने रंडी बुलाई थी, मगर तब हम दो थे और थ्रीसम किया था, पैसे भी आधे आधे कर लिए थे.

लेकिन अब मैं अकेला था सोचा पता नहीं कितना सुरक्षित होगा, कहीं कोई गलत लड़की से चक्कर में फंस ना जाऊं, दूसरी बात यह कि एक ट्रिप में तीन से पांच हज़ार तक लग जायेंगे, और ज्यादा से ज्यादा आधा घंटा चलेगा. इतनी ज्यादा ठरक में तो हो सकता है और भी जल्दी झड़ जाऊं. मुझे यह फिजूलखर्ची लग रही थी, विशेषतः जब मुझे रंडी चोदने में कोई ख़ास मज़ा नहीं आता था.
आखिर हार कर वही पुरानी मुठ मारने की सोची. सोचा आशिमा अपने अंडरगारमेंट धोने के लिए कहाँ रखती होगी, मुझे उसकी चूत की खुशबू सूंघनी थी.

वाशिंग मशीन के पास लांड्री बास्केट पड़ी थी, हमारी मेड दो-तीन दिन बाद जब कुछ कपड़े हो जाते थे, मशीन में धो देती थी. बास्केट में पड़े कपड़े बाहर निकाले तो सबसे नीचे कच्छियाँ और ब्रा मिलीं.

मैंने पैन्टी उठायी और अपने कमरे में ले आया. आज मुझे पूरा नंगा होकर मुठ मारने का मन था. मैंने कपड़े उतारे और आशिमा की पैन्टी को चूत वाली जगह से सूंघने लगा, पैन्टी ताज़ी ताजी उतरी हो तो उसमें चूत की खुशबू होती है, बाद में सूख जाए तो ख़त्म हो जाती है.

मैंने अपनी जीभ निकाल कर चूत से लगने वाले भाग को चाटना शुरू किया. साथ साथ अपने हाथ में थूक लगा कर लंड पर चलाना भी शुरू कर दिया. पूरे कमरे में मेरे सेक्स की खुशबू भर गयी, तभी मैंने उसकी पैन्टी ही लंड पे लपेट ली और उसके साथ ही मुठ मारने लगा.

मैं सेक्स करते हुए गालियाँ देता हूँ, विशेषतः जब वीर्य छूटने को होता है, मगर पता नहीं क्यूं अभी भी आशिमा को जिस टाइप की गाली देने का मैं आदी था, कहने में झिझक हो रही थी,
बस सेक्सी, बिच जैसे अंग्रेजी शब्द ही मुंह से निकल रहे थे.

कुछ देर में ही यह सब मेरे लोड़े की बर्दाश्त के बाहर हो गया और मैं बोला ‘ये ले मेरी बिच, अपने भाई का सीमन ले!’ और मेरा लोड़ा ज़ोरदार धार मारने लगा, मेरे हल्के पीले सॉलिड माल से आशिमा की सारी पैन्टी भीग गयी.

थोड़ी देर में मैं उठा, आशिमा की ही दूसरी पैन्टी से अपने लंड को पौंछ कर साफ़ किया और फिर आँखें बंद करके कुछ देर के लिए लेट गया.

जब उठा तो बाथरूम गया, पैन्टी को वॉशबेसिन पर थोड़ा धोया ताकि मेरा माल छूट के निकल जाए, और फिर लांड्री बास्केट में फ़ेंक दी.
पता नहीं क्यूं अब मुझे डर नहीं रहा था कि आशिमा या मेड को शक हो जाएगा.

रात को सोते हुए मैं सोच रहा था कि अब यह किस्सा जहाँ पहुँच गया है, आशिमा को चोदे बगैर मुझे चैन नहीं आएगा. अब यही सोचना है कि किस तरह से इसे अंजाम दिया जाए कि कुछ ज़बरदस्ती भी ना हो और काम भी बन जाये.

मन में शर्म और ग्लानि थी ही नहीं. बायोलॉजिकली ना तो आशिमा मेरी बहन थी ना मेरे बाप की बेटी. रिश्ते में ज़रूर मेरी बहन थी, मगर मैं कोई इस से ज़बरदस्ती करने वाला तो नहीं था, अगर कुछ होना है उसकी मर्ज़ी से ही होना था, फिर इसमें बुरा क्या!

Monday, 29 January 2024

मेरी प्यारी भाभी की चूत चुदाई की कहानी

 

मैं एक बार चाचा के घर गया तो उनकी बहू यानि मेरी भाभी अकेली थी. उन्होंने मुझे रोक लिया और बात करते करते … भाभी की चूत चुदाई की कहानी का मजा लें.

दोस्तो, मेरा नाम पंकज है और मैं एक जिगोलो हूँ. मैं राजस्थान जयपुर का रहने वाला हूँ, मेरी उम्र 25 साल है. ये मेरी पहली सेक्स कहानी मेरी प्यारी भाभी की चूत चुदाई की है. मेरी भाभी ने मुझसे चूत चुदवा कर जिगोलो बना दिया था.

मैं आपको अपने बारे में बता देता हूँ, मेरी हाइट 5 फुट 7 इंच है. कद-काठी भी ठीक-ठाक है. मेरे लंड का साइज 6 इंच है, जो किसी भी गर्ल, आंटी या भाभी की चूत को चोद कर उनकी पूरी तरह से प्यास बुझा सकता है.

ये बात 2017 की है. मैं अपने किसी काम से अपने चाचा के घर गया था, जो जयपुर में ही दूसरी कॉलोनी में रहते थे. उनका एक बेटा था, जो कि शादीशुदा था … और उम्र में मुझे कुछ बड़ा था. उसकी पत्नी मेरी भाभी लगती थीं. भाभी का नाम रूपा था.

मैं दिन मैं 2 बजे चाचा के घर पहुँचा. मैंने घर के बाहर लगी कॉलबेल बजाई. एक मिनट बाद रूपा भाभी ने दरवाजा खोला. उनको देख कर तो मेरे होश ही उड़ गए … रूपा भाभी आज क्या मस्त माल दिख रही थीं. उनको देख कर तो मैं दरवाजे पर खड़ा खड़ा ही अपनी आंखों से भाभी को चोदने लगा.

फिर रूपा भाभी ने आवाज दी- कहां खो गए?
इस पर मैं झेंप गया और बोला- कहीं नहीं.

उन्होंने मुझे अन्दर बुलाया और पानी दिया. मैंने चाचा के लिए पूछा, तो उन्होंने बोला कि चाचा और आपके भैया किसी काम से बाहर गए हैं … शाम तक आएंगे.
मैंने पानी पी कर जाने को बोला, तो भाभी बोलीं- थोड़ी देर तो रुको, बाद में चले जाना. मैं आपके लिए चाय बनाती हूं.

वो रसोई में जाने लगीं, मैंने अपनी आंखों से उनकी चुदाई फिर से शुरू कर दी. पीछे से क्या मस्त गांड मटकती हुई दिख रही थी. मेरा मन कर रहा था कि झपट कर पकड़ लूं और भाभी को चोद डालूं.

मुझे रहा नहीं जा रहा था तो मैं ऐसे ही बातें करते हुए उनके पीछे पीछे चला गया. मैं भाभी के साथ कुछ घर की बातें करने लगा. बातें करना तो एक बहाना था, मैं तो लगातार उनको ही देख रहा था.

वो हंस कर पूछने लगीं- आप हमारी तरफ तो आते ही नहीं हो?
इस पर मैंने भी मजे लेते हुए बोल दिया- आप बुलाती ही नहीं हो.

फिर हम दोनों चाय ले कर हॉल में आ गए और चाय पीने लगे. मेरी नजर भाभी के बोबों पर ही टिकी थी … क्या मस्त लग रहे थे.

उन्होंने मुझे अपने चूचे देखते हुए देख लिया. वो अचानक से बोलीं- क्या देख रहे हो?
भाभी की एकदम से निकली तेज आवाज से डर के मारे मेरे हाथों से कप गिर गया.
मैंने सॉरी बोल दिया और उन्होंने कहा- कोई बात नहीं.

वो कप के टुकड़े उठाने में लग गईं. इस वक्त भाभी झुक कर सफाई कर रही थीं. इसलिए मेरी मादरचोद नजर फिर से उनके बोबों पर चली गई. तभी एकाएक उनका साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया,. जिससे उनके बोबे साफ साफ दिखाई देने लगे. ये हरकत कैसे हुई थी, मुझे नहीं मालूम था, लेकिन पल्लू गिरने के बाद भाभी ने अचानक से मेरी तरफ देखा.

वो अपना पल्लू ठीक करते हुए बोलीं- क्या देख रहे हो?
मैंने बोला- कुछ नहीं भाभी … बस आपको सफाई करते देख रहा था.
ये सुनकर वो मुस्कराने लगीं … और अपने काम में लग गईं.

फिर उन्होंने मुझसे अचानक से पूछा- आपकी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या?

इस पर मैंने मना कर दिया तो भाभी बोलीं- यार आप तो इतने स्मार्ट और गुड लुकिंग हो … और कोई गर्लफ़्रेंड नहीं है … ऐसा हो ही नहीं सकता. कोई मिली नहीं क्या?
उनकी बातों से मुझे लगने लगा कि आज भाभी को चोदने का काम बन सकता है.

मैं बोला- हां भाभी … मुझको कोई आपके जैसी मिली ही नहीं.
इस पर वो मुस्कराने लगीं और बोलीं- मेरे में ऐसा क्या ख़ास है?
मैंने कहा- भाभी आप बहुत नहीं, बहुत ही ज्यादा सुंदर हो.
इस पर वो आंख नचाकर बोलीं कि अच्छा … मैं इतनी सुन्दर लगती हूँ, तो आप मुझे ही अपनी गर्लफ्रेंड बना लो.

भाभी से यही सब बातें करते करते मेरा लंड पैन्ट के अन्दर तम्बू की तरह खड़ा हो गया. मैंने गौर किया कि भाभी मेरे लंड को फूलते हुए देख रही थीं.

मैंने भी जानबूझ कर अपने लंड को ठीक करने के बहाने भाभी के सामने ही लंड को सहला दिया.
इस पर भाभी बोलीं कि बेचैनी हो रही है क्या?
मैंने कुछ नहीं कहा.

तो भाभी ने आगे पूछा- अब तक किसी लड़की के साथ मजे किए हैं?
इस पर मैं समझ गया कि अब मामला साफ़-साफ़ होने लगा है. मैं समझ गया था कि भाभी चुत चुदाने के लिए तैयार हैं … बस मुझे पहले पहल करनी होगी.

मैं बोला- नहीं … लेकिन आज मन है.
ये कहते हुए मैंने आगे को सरक कर भाभी को थाम लिया और उन्हें किस करने लगा. भाभी भी मेरा साथ देने लगीं.

हम दोनों सोफे पर बैठे हुए ही आपस में एक दूसरे में खो गए. हम दोनों हॉल में ही एक दूसरे से लिपलॉक करने लगे. मैं आहिस्ता आहिस्ता उनके बोबों को दबाने लगा, जिससे भाभी और भी गर्म हो गईं.

मैं हल्के से उनकी साड़ी में हाथ डालकर उनकी चूत को सहलाने लगा, जिससे वो और भी ज्यादा उत्तेजित हो गईं.
अब भाभी बोलने लगीं- ओअह … उम्म्ह … अहह … हय … याह … जानू और प्यार करो मुझे … मैं बहुत दिनों से प्यासी हूँ, आज मुझे खूब प्यार करो.

भाभी मेरे लंड को पैन्ट के ऊपर से मसलने लगीं और उन्होंने मेरी पैन्ट की चैन खोल कर लंड को बाहर निकाल लिया. भाभी मेरे खड़े लंड कोई हिलाने लगीं.
मैंने उनकी साड़ी को उनकी जांघों तक सरकाया तो भाभी बोल उठीं कि बेडरूम में चलते हैं.

हम दोनों बेडरूम में आ गए. जैसे ही हम बेडरूम में पहुंचे, मैंने उनको पीछे से पकड़ लिया और उनके गले पर चूमने लगा.
मुझे रुका नहीं जा रहा था, तो भाभी बोलीं- थोड़ा रुको तो सही.

पर मैं कहां रूकने वाला था. मैं लगातार भाभी को किस करता रहा और उनको दरवाजे से ही अपनी बांहों में उठा कर बेड पर ले गया. भाभी को बिस्तर पर लिटा कर मैं उनको किस करने लगा. जिससे वो और भी ज्यादा गर्म हो गईं. उनके मुँह से मादक सिसकारियां निकलने लगीं.

भाभी- ओअह … उम्म्ह … अहह … हय … याह … मज़ा आ रहा है … ऊह और करो.

मैंने भाभी को किस करते करते उनका ब्लाउज खोल दिया. उन्होंने ब्लैक कलर की ब्रा पहन रखी थी, जिसे मैंने निकाल फेंका. आह क्या मस्त बोबे थे. मैं भाभी के दूध पीने लगा और दबाने लगा. जिससे शायद भाभी को दर्द हो रहा था.

भाभी बोलीं कि आह … प्यार से दबाओ न … अब मैं तुम्हारी ही हूँ … मैं भी तुम से चुदाने को बेकरार हूँ.

मैंने उनकी साड़ी को पूरी निकाल फेंकी. अब वो मेरे सामने सिर्फ चड्डी में पड़ी थीं. मैं चड्डी के ऊपर से भाभी की चूत को मसलने लगा, जिससे वो और गर्म हो गईं. भाभी की चड्डी गीली होने लगी थी. मैंने अपने पैरों से उनकी चड्डी भी निकाल दी और मैंने उनको पूरी तरह से नंगा कर दिया.

अब मैं भाभी की खूबसूरत फिगर को देख रहा था और एकदम से झपट्टा मारते हुए मैं उन पर चढ़ गया. मैं भाभी के गले पर किस करने लगा. ऐसे ही किस करते हुए मैं नीचे आता गया और उनकी नाभि पर किस करने लगा. इससे भाभी इतना ज्यादा उत्तेजित हो गईं कि मेरे सिर को पकड़ कर दबाने लगीं और उत्तेजित होकर ‘शीईईईई उईईई … आह ओऊऊ …’ करने लगीं.

मैंने नीचे खड़े होकर अपना लंड उनको हाथ में दे दिया. मैंने भाभी से लंड को किस करने को बोला. वो मेरे लौड़े को मुँह में ले कर चूसने लगीं.

फिर मैं 69 की पोजीशन में आ गया. मैं उनकी टांगों के बीच में आकर उनकी चूत को किस करने लगा, जिससे भाभी और भी ज्यादा उत्तेजित हो गईं और बोलने लगीं- देवर जी, अब और मत तड़पाओ … अपना लंड अपनी प्यासी भाभी की चूत में डाल दो … आआहह उईईईई … शीई … मेरी चूत को चोद चोद कर फाड़ दो.

मैंने भाभी के दूध दबाते हुए कहा- भाभी, आज मैं आपकी चुत के चिथड़े उड़ा दूँगा.
भाभी हंस कर बोलीं- फिर इसके बाद क्या अपनी भाभी को बिना चुत के कर दोगे?
मैंने भी हंस कर भाभी को चूम लिया.

भाभी- यार तेरे भैया अपने काम में इतने ज्यदा बीजी रहते हैं कि मुझे चोदना ही भूल गए.
मैंने कहा- कोई दिक्कत नहीं है भाभी. आपका देवर तो आपकी सेवा के लिए आ गया है.

फिर मैंने भी भाभी की टांगें फैला कर अपना लंड उनकी चूत में डाल दिया. अभी मेरा आधा लंड ही अन्दर गया था कि भाभी की चीख से कमरा भर गया.
भाभी दर्द से तड़फते हुए बोलने लगीं- आह मार दिया … हरामजादे मेरी चूत फाड़ दी.

मेरा लंड भाभी की चूत में आधा चला गया था. मैंने उनकी चीख पुकार पर कोई ध्यान नहीं दिया. बल्कि फिर से एक और धक्का दे मारा.

Bhabhi Ki Chut Chudai Ki Kahani
Bhabhi Ki Chut Chudai Ki Kahani

इस मर्तबा मेरा पूरा लंड उसकी चुत में समा गया. भाभी फिर से रोने लगीं, लेकिन मुझे उनकी परवाह थी ही नहीं.

मैंने भाभी की जोरदार चुदाई चालू कर दी. अपने लंड के लम्बे लम्बे धक्के भाभी की चुत में देता रहा.

थोड़ी देर उनके मुँह से कामुक आवाजें आने लगीं- इश यस्स आह आह. वो ‘आह ओन्हन्न यस … और ज़ोर से चोदो मुझे … आह!
चुदाई की मस्ती छाने लगी थी. मैं अपने पूरे जोश से उनकी चुदाई करने लगा.

कुछ देर बाद वो अकड़ने लगीं, शायद वो झड़ गई थीं … पर मेरा अभी बाकी था. मैं पूरे जोश से लगा रहा.

थोड़ी देर बाद भाभी भी दुबारा से तैयार हो गईं और मेरा साथ देने लगीं. वो अब पूरे जोश के साथ थीं, उनके मुँह से कामुक आवाजें कमरे के माहौल को और भी मस्त कर रही थीं- अह्ह्ह्ह … इसस्स … इश्स … चोद दे मुझे … और ज़ोर से चोद मेरी चूत का भोसड़ा बना दे … आज जैसी चुदाई मिली इस चूत को … मानो ऐसा लग रहा था जैसे पहले कभी चुदाई नहीं हुई हो.

मैं अपने जोश में लगा था. बीस मिनट की चुदाई में वो दूसरी बार झड़ने वाली थीं. अभी मेरा भी होने वाला था. मैंने कहा- रुको यार … मेरा भी होने वाला है … जल्दी बोलो … कहां निकालूं?
भाभी बोलीं- अन्दर ही निकाल दो … मुझे तुम्हारा वीर्य अन्दर महसूस करना है.
मैंने भाभी की चूत के अन्दर ही रस निकाल दिया.

वो मुझसे लता की तरह लिपट गईं. थोड़ी देर हम ऐसे ही पड़े रहे. कोई दस मिनट बाद हम दोनों अलग हो गए.

भाभी बोलीं- आज से मैं तेरी गुलाम हो गई हूँ, जब भी तेरा चोदने का मन हो, मुझे चोद लेना.
वो मुझे किस करने लगीं. मैंने भी उनको चूमा.

फिर हमने अपने अपने कपड़े पहने और बाहर हॉल में आ गए. कुछ देर हम इधर उधर की बातें करने लगे. थोड़ी देर में मेरा लंड फिर से चोदने को तैयार था.
मैंने रूपा भाभी से बोला- मैं आपको एक बार और चोदना चाहता हूँ.
रूपा भाभी ने मना कर दिया और बोलीं- पंकज … अब घर वालों के आने का टाइम हो गया है … तो फिर कभी करेंगे.

रूपा भाभी ने मुझे जब यह बोला, तो मैंने भी मोबाइल में समय देखा. हमको काफी देर हो चुकी थी. फिर मैं वहां से उनको एक हग और किस करके घर चला आया.

उसके बाद मैंने बहुत बार मेरी प्यारी भाभी की चूत चुदाई की. उसके बाद भाभी ने अपनी पड़ोसन भाभी को मेरे बारे में बताया, तो वो भी मुझसे चुदने को बोलने लगी. फिर भाभी ने मुझे बताया, तो मैंने मना कर दिया.

भाभी के जोर देने पर मैंने उनसे मिलने के लिए हां बोल दिया. उस दिन मैंने दोनों को एक साथ चोदा.

फिर भाभी की पड़ोसन मुझे बार बार बुलाने लगीं और होटल में मिलने लगीं. वो मुझे चुदाई के लिए पैसे भी देने लगीं.

उन पड़ोसन भाभी ने मेरा नंबर एक अन्य औरत को भी दे दिया और फिर इस तरह मैं लंड की सर्विस देने लगा.

तो दोस्तो, यह थी मेरी प्यारी भाभी की चूत चुदाई की कहानी और मेरे जिगोलो बनने की सेक्स स्टोरी. भाभी की चुदाई में मुझे बहुत मज़ा आया. आपको मेरी ये कहानी पढ़ कर मजा आया या नहीं … कुछ कहना हो, तो प्लीज़ मुझे ईमेल करें.

Saturday, 27 January 2024

वी आई पी लेडी की चुदाई-1

 

मैं एक जिगोलो हूँ, पैसे लेकर लोगों की सेक्स पूर्ति करता हूँ। एक दिन मुझे एक पुरुष ने बुलाया. मैं गया तो उसने मुझे किसी अमीर वी आई पी लेडी के लिए बुलाया था.

दोस्तो, मेरा नाम जॉर्डन है, असली नाम तो कुछ और ही है, मगर ये मेरा बिज़नस नाम है। बिज़नस नाम मतलब, आप सोचेंगे कि बिज़नस में नाम बदलने की क्या ज़रूरत है। मैं आपको बताता हूँ।
मैं एक जिगोलो हूँ। मैं पैसे लेकर लोगों की सेक्स पूर्ति करता हूँ। दूसरे शब्दों में मैं एक मर्द वेश्या हूँ। अब समझ गए।
ऐसी बात नहीं है कि मैं सिर्फ औरतों को ही अपनी सेवाएँ देता हूँ, कई बार मुझे मर्दों ने भी बुलाया है, कुछ मेरा लंड चूसते हैं, कुछ मुझसे अपनी गांड मरवाते हैं। एक दो ने मेरी भी मारी है। मगर मुझे अपनी गांड मरवाने में कोई मज़ा नहीं आता, इसलिए मैंने अब मर्दों को सिर्फ अपने लंड की सेवा ही देता हूँ।

हाँ, औरतों के लिए ये ऑप्शन मैंने खुली रखी है, क्योंकि बहुत सी औरतों को आदत होती है, अपनी भोंसड़ी मरवाते हुये, मर्द की गांड में उंगली करने की, या बस यूं ही मर्द को तड़पाने या सताने के लिए उसकी गांड में कुछ घुसेड़ देने की। औरतों के लिए मैं ये दर्द भी सहन कर लेता हूँ। क्योंकि इसके बाद मैं जो उनकी माँ चोदता हूँ, तो बस फिर तो उनकी चीखें दिल्ली से दक्षिण तक सुनती हैं।
अब वैसे तो मैं अपनी बॉडी का बहुत ख्याल रखता हूँ। रोजाना जिम जाता हूँ। अच्छे खासे मसल बना रखे हैं। मगर अपने लंड के लिए मैंने खास अपने एक डॉक्टर दोस्त की हेल्प लेता हूँ जिससे मैं अपने लंड को अपनी मर्ज़ी तक खड़ा रख सकता हूँ, अपनी मर्ज़ी तक अपना पानी गिरने से रोके रख सकता हूँ.

और खास बात यह कि मेरा लंड पहले नॉर्मल सा ही था। सिर्फ 6 इंच का मगर अब ये 8 इंच का हो गया है और मोटा भी। औरतें तो मेरे लंड की लंबाई और मोटाई देख कर मर ही जाती हैं। शायद ही एक या दो औरतें होंगी जिन्होंने मेरे को सामान्य सा देखा, नहीं तो ज़्यादातर औरतें तो इसे देखते ही अपने हाथ में पकड़ती हैं और सीधा मुँह में लेकर चूसना शुरू कर देती हैं।
पता नहीं सालियों को बड़े लंड में क्या मज़ा आता है।
खैर!

एक दिन मैं अपने घर पर ही बैठा था कि मुझे एक कॉल आई।
मैंने फोन उठाया, तो एक मर्द के आवाज़ आई- हैलो मिस्टर जॉर्डन।
मैंने कहा- जी कहिए?
वो बोला- मैं आपसे मिलना चाहता हूँ।

मैंने येस की तो हम दोनों मिलने की जगह और समय निश्चित किया। उसी शाम मैं उस आदमी के घर गया। वो एक शानदार कोठी थी, मैं बाहर सेक्योरिटी गार्ड को अपना परिचय दिया तो वो मुझे अंदर ले गया।
अंदर मुझे एक रूम में बैठाया गया।

तभी सफारी सूट में एक आदमी मेरे सामने आया। औपचारिक अभिवादन के बाद उसने मुझे एक बगल वाले कमरे में चलने को कहा।

वहाँ बैठते ही वो बोला- हमने आपकी बहुत तारीफ सुनी है, मगर इससे पहले कि मैं आपको मैडम से मिलवाऊँ, मैं चाहता हूँ, आपकी जो विशेषता है, मैं भी उसे देखूँ ताकि मैं मैडम को आपकी उस विशेषता के बारे में ठीक से बता सकूँ।
मतलब वो आदमी पहले मेरा लंड देखना चाहता था।

मैंने उठ कर अपनी पैंट खोली, और अपनी पैंट और चड्डी दोनों नीचे को सरका दिये। मैंने उसके सामने नंगा खड़ा था।
उस आदमी ने मेरे लंड को बड़े ध्यान से देखा और बोला- सच में आप तो बहुत बढ़िया हो।
मैंने कहा- मैं औरतों के अलावा मर्दों को भी अपनी सेवाएँ देता हूँ।
वो हंस पड़ा और बोला- जी नहीं, मुझे आपकी सेवाओं की कोई ज़रूरत नहीं, बस मैडम की किसी सहेली ने आपकी बहुत तारीफ कर मैडम के पास, तो मैडम ने कहा कि आपसे मिलना है।

मैंने पूछा- ये मैडम कौन हैं?
वो बोला- ये जान कर आप क्या करोगे, आप बस अपना काम ढंग से करना।
मैंने कहा- कोई बात नहीं, ये तो मैंने वैसे ही पूछ लिया, वरना मुझे किसी से कोई मतलब नहीं।

वो बोला- तो ठीक है, फिर कब मिल सकते हो?
मैंने कहा- मैं तो अभी तैयार हूँ, आप चाहो तो मैडम को अभी बोल दो।

वो मुझसे इजाज़त लेकर चला गया, और मैं बैठ कर इंतज़ार करने लगा।
थोड़ी देर में वो आया और मुझे अपने साथ ले गया।

हम उस कोठी के पीछे बनी एक और कोठी में गए, ये कोठी एक घर जैसी थी। पहले वाली कोठी ऐसे थी, जैसे किसी बड़े नेता या व्यापारी का कोई दफ्तर हो, सिर्फ बाहर से आने जाने वाले लोगों से मिलने के लिए।

हम कोठी के अंदर एक बेडरूम में गए। मुझे वहाँ बैठा कर वो आदमी चला गया। मैं बैठ कर इंतज़ार करने लगा।

करीब पाँच मिनट बाद एक 40-45 साल की गोरी चिट्टी औरत अंदर आई। सफ़ेद रंग की लाल बार्डर वाली साड़ी, सुर्ख लाल ब्लाउज़। भरा हुआ बदन। देखने में भी सुंदर, मोटी कजरारी आँखें, भरे हुये गाल, रसीले होंठ, तीखा नाक। बदन की थोड़ी भरी थी, मगर फिर भी बहुत ही शानदार औरत थी।
मैंने उसे हैलो कहा।

वो मुस्कुराई और सामने बेड पर बैठ गई।
“तो क्या नाम है आपका?” उसने पूछा।
मैंने कहा- जी जॉर्डन।
वो बोली- अच्छा होगा यदि हम इस तकल्लुफ से बाहर निकले और दो दोस्तों की तरह आपस में बात करें। मेरा नाम आकृति है और शायद आपने मुझे पहचाल ही लिया होगा कि मैं कौन हूँ।

मैंने कहा- वैसे लगता तो है कि मैंने आपको कहीं देखा है, मगर याद नहीं आ रहा।
वो मुस्कुराई और बोली- फिर तो बहुत अच्छा है अगर तुम्हें पता नहीं कि मैं कौन हूँ। और अगर कल को पता लग भी जाए कि मैं कौन हूँ, तो मेरे बारे में किसी को बताना मत।
मैंने कहा- जी नहीं, मैं अपने धंधे के असूलों का बड़ा पक्का हूँ। आपकी हर बात मेरे साथ सेफ है।
वो मुस्कुराई और बोली- तो उठ कर यहाँ आओ, मेरे पास।

मैं सोफ़े से उठ कर बिल्कुल उसके सामने उसके बेड पर जा बैठा।
उसने मेरा हाथ अपने हाथ में पकड़ा और बोली- देखो, मैं अपने पति से बिल्कुल भी खुश नहीं हूँ, वो हर वक्त अपने काम में बिज़ी रहते हैं, और मैं अपने काम मे। तो हमें मिलने का मौका बहुत कम ही मिलता है. और इसी लिए मैं हमेशा प्यासी ही रहती हूँ। बाहर मैं बेशक बहुत ही शरीफ और इज़्ज़तदार औरत हूँ मगर यहाँ अपने बेडरूम में मैं सिर्फ रांड हूँ। मुझे हर वक्त किसी मर्द द्वारा मसले जाने की इच्छा होती है. कुछ दिन हुये, तुम मिसेज शर्मा से मिले थे। नईमा शर्मा।
मैंने हाँ में सर हिलाया।

वो बोली- वो मेरी बहुत अच्छी सहेली है उसने ही मुझे तुम्हारे बारे में बताया। अब मैं चाहती हूँ कि तुम नईमा की तरह मेरी भी खूब सेवा करो ताकि मैं तुम्हें बार बार बुलाऊँ। अब मैं जिस पोजीशन पर हूँ, वहाँ मैं हर किसी के नीचे नहीं लेट सकती। मुझे सिर्फ एक मर्द चाहिए और पक्का चाहिए। अगर तुम मुझे पसंद आए तो मैं तुम्हें अपने साथ ही पक्का रख लूँगी। पैसे की तुम चिंता मत करना, जितना बोलोगे उतना मिलेगा।
मैंने कहा- ठीक है, मैडम।
तो वो बोली- मैडम बाहर, यहाँ मैं आकृति हूँ, आकृति रंडी, आकृति रांड, आकृति गश्ती, कुत्ती, कामिनी, हरामखोर, या जो भी गली तुम मुझे देना चाहो, बस मेरे पर कोई रहम मत करना। ये मत सोचना कि तुम मेरी सेवा करने आए हो, ये सोचो कि तुम मुझे मसलने आए हो। मुझे मारो, पीटो, गाली दो, जो मर्ज़ी करो, बस निशान वहाँ डालना जहां को देख न सके।

मैंने समझ गया कि इसे क्रूर काम पिपासा है।
मैंने कहा- तो ये बता, शुरू कब करूँ?
वो बोली- अभी।

मैंने उसे हाथ पकड़ कर खड़ा किया- आपके पूर्ण सम्मान के सहित मैं आपको ये निवेदन करता हूँ कि जो कुछ भी मैं आपके साथ करने जा रहा हूँ, उसमें आपकी पूर्ण सहमति है, आपके घर परिवार मान प्रतिष्ठा का मैं पूरा सम्मान करता हूँ, पर तेरी जैसे दो कौड़ी की रंडी की माँ चोदना अब ज़रूरी हो गया है ताकि तुझे तेरी औकात बता सकूँ, साली मादरचोद!
कह कर मैंने उसे धक्का मारा और वो बेड पर गिर गई और उसकी साड़ी उठ कर उसके घुटनों तक आ गई।

उसने अपने हाथ से अपनी साड़ी ठीक करनी चाही तो मैंने एकदम उसका हाथ झटक दिया- बहुत शर्मीली बनती है, साली रांड, सारी उम्र यहाँ वहाँ मुँह मरने वाली कुतिया, मुझे शर्म, अपने यार से शर्म?
कह कर मैंने उसकी साड़ी और पेटीकोट पूरा ऊपर उठा दिया।

गोरी मोटी चर्बी से भरी हुई जांघें, और ऊपर सुर्ख लाल पैंटी। मैंने उसे ज़बरदस्ती उल्टा दिया। मोटे मोटे चूतड़ों पर कसी लाल पैंटी काफी सेक्सी लग रही थी मैंने ज़ोर से एक चपत उसके मोटे चूतड़ पर मारी- क्या मस्त गांड है तेरी मादरचोद।
चांटा जोरदार था, तो जैसे ही चांटा उसके चूतड़ पर पड़ा, उसके मुँह से जोरदार ‘आह …’ निकली और उसकी मोटी गांड पर मेरी उंगलियों के निशान छप गए।

वो बोली- इतनी ज़ोर से नहीं, दर्द होता है। मुझे प्यार करो, मुझे तड़पाओ, मगर मारो मत!

मैंने उसकी चोटी पकड़ कर खींची, एक और ‘आह …’ उसके मुँह से निकली. मैंने कहा- क्यों री भोंसड़ी की तू तो बहुत छिनाल बनी फिरती थी, एक ही हाथ में अकल ठिकाने आ गई क्या?
वो बोली- औरत चाहे कितनी भी मुँह ज़ोर हो, मर्द का एक तगड़ा हाथ पड़े तो उसकी अकाल तो वैसे ही ठिकाने आ जाती है।

मैंने उसकी साड़ी का आँचल पकड़ा और खींच कर उसकी सारी साड़ी खोल दी, ठीक जैसे फिल्मों में विलेन हीरो की बहन के साथ जबर करते वक्त खींचता है।
और वो भी घूम कर ऐसे नीचे गिरी जैसे कोई दीन हीन अबला किसी वहशी दरिंदे की चुंगल में फंस कर फर्श पर बैठी हो। मेरी तरफ उसने देखा भी बड़ी बेबसी से, जैसे मुझसे किसी रहम की फरियाद कर रही हो।

VIP Lady Ki Chudai
VIP Lady Ki Chudai

मैंने अपनी कमीज़ के बटन खोले, अपने जूते उतारे और पैंट भी उतार दी। अब मैं सिर्फ चड्डी में था, और वो मेरे सामने पेटीकोट और ब्लाउज़ में फर्श पार बैठी थी। ब्लाउज के गहरे गले में से उसका बड़ा सा क्लीवेज दिख रहा था।

उसे कंधों से पकड़ कर मैंने उठाया और उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर उसके होंठों को चूमना चाहा तो उसने मुझे धक्का दे कर गिरा दिया।

कहानी जारी रहेगी.

Friday, 26 January 2024

मेरी सौतेली बहन की कामुकता-1

 मेरी सौतेली बहन मेरे साथ ही रह कर पढ़ रही थी. एक बार मैं जल्दी अपने फ़्लैट पर आ गया. उस दिन मैंने देखा कि मेरी बहन सीढ़ियों में अपने लवर के साथ …उम्मीद है जितना मुझे यह कहानी लिखने में मज़ा आया आपको पढ़ने में भी आएगा. अपनी राय, सलाह, नीचे कमेन्ट में और मेल में लिखना ना भूलें.

मेरा नाम ‘मनन’ है और उम्र लगभग सत्ताईस साल. यह करीबन दो साल पुरानी बात है, उन दिनों में दिल्ली में रहता था. वैसे हम लोग पंजाब से हैं और चंडीगढ़ में सेटल्ड हैं. पापा पंजाब सरकार में एक बड़ी पोस्ट पर हैं और मम्मी पंजाब यूनिवर्सिटी के एक कॉलेज में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं.

मेरी एक छोटी बहन भी है, ‘आशिमा’ जो मेरे से 6 साल छोटी है. दरअसल जब मैं आठवीं में था तो मेरी मम्मी गुज़र गयीं थे, तब मेरी बुआ और दादी ने पापा की दूसरी शादी करवा दी थी. आशिमा मेरी दूसरी मम्मी की ही बेटी है.
नयी मम्मी बहुत ही अच्छी हैं, उन्होंने हम सबको बहुत प्यार दिया और घर-बार सब सम्भाल लिया. आशिमा ने भी मुझे हमेशा अपना सगा भाई समझा और मैंने भी उसे अपनी ‘बेबी सिस्टर’ से कम नहीं समझा.

हाई स्कूल के बाद मैं इंजीनियरिंग के लिए पिलानी चला गया था, सिर्फ छुट्टियों में ही घर आ पाता था. केम्पस प्लेसमेंट में ही जॉब मिल गयी थी, और मैं नौकरी करने पुणे चला गया. दो साल पुणे में ही रहा.
वहीं मेरी एक गर्लफ्रेंड भी बन गयी थी. वह हरियाणा के हिसार शहर की थी और यहाँ पर नौकरी के लिए आई थी.

जनाब, क्या गज़ब की ठरकी थी, जब तक … मैं वहां रहा, उसने मेरी जवानी की प्यास को जी भर के बुझाया. हफ्ते में दो बार तो मैं उसको ज़रूर चोदता ही था.

अच्छा वक़्त भी एक दिन ख़त्म हो जाता है. मुझे अपनी तब वाली जॉब से कहीं बेहतर पैकेज वाली एक जॉब गुडगाँव में मिली और मुझे वहां शिफ्ट होना पड़ा.

पापा ने एक छोटा सा डीडीए फ्लैट गुरूग्राम के पास ही दिल्ली में ले रखा था. यह सोच कर कि शायद बच्चों को आगे पढ़ाई या नौकरी के लिए कभी जरूरत पड़े, नहीं तो एक अच्छा निवेश तो था ही.
मैंने नयी नौकरी ज्वाइन करी और उसी फ्लेट में शिफ्ट हो गया. साथ में ही अपनी बोरियत कम करने के लिए अपनी ही कंपनी का एक सहकर्मी ‘आफताब’ को अपना फ्लैटमेट भी बना लिया.
आफताब और मेरी काफी पक्की दोस्ती हो गयी थी. वह ना सिर्फ अच्छे खाने बनाने और खिलाने का शौकीन था बल्कि रोज़ मुझे खींच कर जिम भी ले जाता था.
सारा दिन ऑफिस में गुज़र जाता, शाम में हम दोनों आपस में बतियाते रहते या फिर लैपटॉप पर अंग्रेजी फिल्में या संगीत सुनते रहते.

सब ठीक था, मगर जवानी का रस निकालने का कोई जुगाड़ नहीं थी. कोई गर्लफ्रेंड तो अब तक बनी नहीं थी और पोर्न देख कर मुठ मारना कुछ मजेदार नहीं था. ना तो मुझे अपनी मर्ज़ी का पोर्न मिलता था, ना ही मुठ मार के आसानी से मेरा माल निकलता था.

हाल यह था कि सारा दिन टट्टे भारी रहते और जब भी खाली होता, मन में चूत का ही ख्याल आता. यहाँ तक कि जो भी लड़की मुझे दिखती उसमें मुझे सिर्फ चूत ही नज़र आती थी. आफताब का भी यही हाल था, और आप शायद मानेंगे कि कुंवारे लड़के की यही हालत रहती है.

कभी वीर्य का प्रेशर बहुत ज्यादा हो जाता तो मुठ काम कर जाती थी, मगर यह तो खाली पेट को खील से भरने जैसा था, मुठ मारने में ना तो चूत की वह गर्माहट और फिसलाहट मिलती थी, ना ही इसमें लड़की के कोमल बदन को अपने नीचे मसलने आनंद. और जो स्वर्गिक सुख गर्म चूत के आखिर तक घुस कर पिचकारी छोड़ने का है, वह मुठ में कहाँ.

बहरहाल किसी तरह हमने भी लगभग एक साल निकाल दिया.

इस दौरान आशिमा ने हाईस्कूल बहुत अच्छे नंबरों से क्लियर किया और अपनी ग्रेजुएशन के लिए उसने दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक कॉलेज में एडमिशन लेने की सोची. जब यह पक्का हो गया कि आशिमा यहीं आएगी ही तो मुझे मजबूरन आफताब को कहीं और रहने का इंतज़ाम करने को बोलना पड़ा. उसने मेरी मजबूरी एकदम समझी और जल्दी से शिफ्ट हो गया.

आशिमा को सेटल करने के लिए मम्मी एक महीने की छुट्टी लेकर दिल्ली आयीं. वह आशिमा के साथ उसके कॉलेज तक भी गयीं और देखा कि मेट्रो से उसे आने-जाने में ज्यादा तकलीफ तो नहीं है!

उन्होंने घर में पार्टटाइम मेड वगैरह भी बदल दी, अब सारा काम उसे सिखा दिया, अब सब कुछ अच्छे से हो जाता था. पहली बार घर, घर जैसा, लगने लगा था.
एक महीने बाद, जब मम्मी को पूरी तसली हो गयी, तो वह वापस चंडीगढ़ चली गयीं.

मेरा तो पहला जैसा ही रूटीन रहा, आशिमा भी सुबह निकल जाती थी पर वह मेरे आने से पहले ही घर होती थी. शाम को हम लोग कुछ छोटी मोटी बातें कर लेते, उसे कुछ रोजमर्रा की तकलीफ होती तो मैं उसका हल बता देता. कभी लेट आता था तो वह खाना खा लेती थी, वरना हम दोनों इकट्ठे ही खाते थी. बाद में दोनों अपने अपने कमरे में सोने चले जाते थे.

अब तक सब वैसा ही चल रहा था जैसे एक आम घर में चलता है.

एक दिन मेरी तबीयत कुछ ढीली थी तो मैं जल्दी घर आ गया और यहीं से ऑफिस के सर्वर में लॉग कर लिया और काम करने लगा.

करीब चार बजे सर भारी सा लगा तो उठ कर किचन में गया और कॉफ़ी तैयार करने लगा. हमारा घर सबसे ऊपर की तीसरी मंजिल पर था, और दूसरी पर तब कोई नहीं रहता था. किचन में एक खिड़की थी जो बाहर आगे की और खुलती थी.

जब मैं कॉफ़ी बना रहा था तो नीचे एक कार रुकने की आवाज़ आई, क्यूंकि मेरी कार भी वहीं खडी थी मैंने खिड़की की ग्रिल से नीचे झाँका. क्या देखता हूँ कि एक हौंडा सिटी रुकी है और आशिमा उस कार से उतर रही थी. ड्राईवर साइड से एक लड़का भी उतरा और दोनों सीढियों की ओर बढे.

एक बार तो मैं कुछ चौंका, मगर फिर सोचा कोई कॉलेज का दोस्त होगा, इधर आ रहा होगा तो यह भी साथ हो ली होगी. फिर सोचा, अब इतनी छोटी भी नहीं है, उन्नीस की हो जायेगी, अगर कोई बॉयफ्रेंड बन भी गया हो तो क्या बुराई है.
इसी ऊहापोह में पांच-दस मिनट निकल गए, मगर आशिमा ऊपर नहीं आई, ना ही वह गाड़ी ही वहां से हिली.

मुझसे रहा न गया और मैंने धीरे से दरवाज़ा खोल नीचे सीड़ियों में झाँका. दूसरी मंजिल, और हमारे वाली मंजिल पर सीढ़ियों की लाइट नहीं जल रही थी मगर उससे नीचे वाली मंजिल पर लाइट जल रही थी. उसी बल्ब की रोशनी ऊपर भी आ रही थी.

देखता हूँ कि दूसरी मंजिल की सीढ़ियों के मोड़ पर वह लड़का दीवार के सहारे खड़ा है और उसने आशिमा को बांहों में भींच रखा है. वे दोनों लगातार किस किये जा रहे हैं और वह लड़का आशिमा के मुंह पर अपना मुंह लगा कर चूस रहा था. आशिमा भी उसका पूरा साथ दे रही थी.

चूंकि मेरे फ्लोर पर अँधेरा था तो उन्हें मैं आसानी से नज़र नहीं आ सकता था. दूसरा आशिमा को यह उम्मीद भी नहीं थी कि मैं घर पर हूँगा.
किस करने के साथ वह लड़का नीचे से आशिमा की गांड को अपने हाथों के जोर से अपनी तरफ तरफ दबा रहा था ताकि कपड़ों के ऊपर से ही सही, उसका लंड आशिमा की चूत के आसपास लग जाए.

कुछ देर बाद उसने आशिमा को कन्धों से नीचे की और दबाने की कोशिश की, मैंने देखा आशिमा प्रतिरोध कर रही थी, मगर वह बहुत बलिष्ट था, आशिमा से दो-तीन साल बड़ा भी लग रहा था, शायद कोई हरियाणा का जाट या गुर्जर होगा.

उसके मर्दाने जोर के आगे आशिमा की एक ना चली, और उसने आशिमा को नीचे की होकर बैठने को मजबूर कर दिया. आशिमा अब उस कोने वाली बड़ी सीढ़ी पर उसके सामने घुटने के बल बैठ गयी.
लड़के ने ज़िप खोली और लंड बाहर निकालने की कोशिश करी. मगर क्यूंकि शायद उसका लंड शायद बुरी तरह तना था वह बाहर निकल नहीं पा रहा था. उसने उसी समय अपनी बेल्ट खोली, पैन्ट और चड्डी थोड़ी से नीचे करी. उसका लोड़ा उछल के बाहर निकल आया.

जब उसका लंड बाहर आया तो मैंने देखा उसका लंड काफी बड़ा और मोटा सा था. वह खुद तो गोरा था, मगर उसका लंड कुछ काला था. उसने एक हाथ अन्दर डाल के अपने टट्टे भी बाहर निकाल दिए.
उसके बाद उसने आशिमा के सर को अपने लंड की और दबाया ताकि वह उसे मुंह में ले ले.

Sauteli Behan ki Kamukta
Sauteli Behan ki Kamukta

आशिमा ने एक बार तो मुंह में लिया मगर फिर बाहर निकाल दिया और उस लड़के से हल्के से कुछ बोली. मेरा ख्याल है उस लड़के का लंड उस समय पूरी तरह साफ़ नहीं था, वैसे भी गर्मी का मौसम था, ऐसे में लंड और टट्टे अगर साफ़ ना हों तो एक नशीली सी बदबू देते हैं जो हर लड़की को पसंद हो यह ज़रूरी नहीं.

लड़के ने जेब से एक वेट नेपकिन निकाला और उस से लंड को और टट्टे को अच्छे से साफ़ किया. साफ़ होने के बाद उसने फिर से लोड़ा आशिमा के मुंह में लंड ठूँस दिया. आशिमा धीरे धीरे उसका सुपारा चूसने लगी.

अब तक लड़का ठरक से ज़ालिम हो चुका था, उसके चेहरे से यह ज़ाहिर हो रहा था, उसने आशिमा का सर को दोनों तरफ पकड़ लिया और खुद आगे-पीछे होकर उसके मुंह की तेज़-तेज़ चुदाई करने लगा. यह चोदना लगभग पांच सात मिनट तक चला. उसका लोड़ा आशिमा की थूक और उसके प्री-कम से बुरी तरह से चमकने लगा था. साथ-साथ उसके मुख से सिसकारियां भी निकल रहीं थीं.

वो जिस बेदर्दी से वह उसका मुंह चोद रहा था, आशिमा का दम घुटने लगा. उसने उठने की कोशिश की मगर लड़के ने उसे उठने नहीं दिया.
कुछ देर बाद लड़के ने खुद ही आशिमा को पकड़ कर उठाया. और उसे फिर से किस करने लगा. उसने आशिमा की टीशर्ट के नीचे से एक हाथ अन्दर डाल दिया और बेदर्दों की तरह उसकी चूचियां भींचने लगा.

कुछ ही देर में उसने मोम्मे छोड़ दिए और उसने आशिमा की जींस का बटन खींच कर खोल जीन्स नीचे खिसका दी, साथ-साथ आशिमा की पैंटी भी नीचे खिसक गयी.
उसने अपना हाथ नीचे की ओर करके आशिमा की चूत पर रखा और शायद एक या दो उंगली आशिमा की चूत में डाल दी. आशिमा के मुंह से एक दबी हुई चीख सी निकली. इस सब से वह ठरक से बेहाल हो गयी, और उस लड़के से बुरी तरह से चिपकने लगी.
कोई भी लड़का अपने साथ सेक्स करने वाली लड़की की यही दशा करना चाहता है. ऐसी हालत में लड़की वासना में डूब कर अपने होश खो बैठती है. ऐसे में आप उसको चौक में नंगा करके भी चोदोगे तो मना नहीं कर पाएगी.

खैर, अब लड़के का पूरा ध्यान आशिमा कि चूत पर था, उसने नीचे की और हाथ करके उसकी चूत में उंगलियाँ जल्दी-जल्दी अन्दर बाहर करनी शुरू कर दीं. वह चाहता था कि आशिमा जल्द से क्लाइमेक्स पर पहुँच जाए.
और ठीक वैसा ही हुआ, आशिमा की हालत बदहवास हो चली थी, वह उस लड़के पर गिरती चली गयी, जब तक वह चरमोत्कर्ष तक नहीं पहुंची लड़का नीचे से उसे फिंगर-फक करता ही रहा.

मैंने कभी अपनी बहन के बारे में नहीं सोचा था कि वह इतनी गज़ब की सेक्सी होगी. इस समय वह एक वासना से भरी हुई कुतिया लग रही थी, जिसे सिर्फ और सिर्फ एक मर्द की जरूरत थी,

सच बात तो यह कि मैंने आज से पहले मैंने कभी उसकी और इस निगाह से देखा ही नहीं था. हर लड़की किसी की बेटी और किसी की बहन तो होती ही है मगर सेक्स में तो हर लड़की को रंडी की तरह बनना ही पड़ता है तभी उसे भी सुख मिलता है और आदमी को भी मज़ा आता है.

इधर आशिमा को फारिग करने के बाद उस लड़के को अपने माल निकालने की जल्दी थी.
उसने अपने होंठ फिर से आशिमा के होंठ पर रखे और पूरी जीभ उसके मुंह में डाल दी.
एक हाथ से वह अपने अकड़े हुए लंड पर मुठ मारने लगा, दूसरा हाथ अब भी आशिमा की चूत में था, उसका लोड़ा पूरी तरह चिकना हो रहा था और उसकी चमड़ी फटाफट आसानी से उसके सुपारे पर ऊपर-नीचे हो रही थी.

अचानक उस लड़के ने आशिमा की चूत से हाथ निकाला और पहले सूंघा फिर चारों उँगलियों को चूसने लगा. शायद उनमें आशिमा की चूत का पानी लगा था.
उसकी आँखें बंद हो गयीं थीं और उसका मुंह ऊपर की ओर था, वह वासना के उस क्षण तक पहुँच गया जहाँ से अब वापसी संभव नहीं. तभी मैंने देखा उसके लंड से एक के बाद तीन चार धार निकली और आगे सीढ़ी पर जा गिरी. लगभग एक मिनट तक वह अपना लंड हिलाता रहा और आह-आह करता रहा.

जिस पल वह शांत हुआ उसकी आँखें खुली तो उसे लगा कि कोई ऊपर से उसे देख रहा है. वह एकदम घबरा गया, उसने आशिमा को कुछ धीरे से बोला, लोड़ा पैन्ट में ठूसा और पैन्ट बंद करता हुआ नीचे की तरफ भागा.

जब तक आशिमा ऊपर देखती, मैं चुपके से घर के अन्दर खिसक गया और धीमे से लॉक बंद कर दिया.

कहानी जारी रहेगी.

Thursday, 25 January 2024

मैं क्या करूं? मेरा बेटा मेरा नहीं है!

 

मेरे 3 साल के बेटे का डीएनए टेस्ट हुआ किसी कारण से तो मुझे पता चला कि उसका डीएनए मेरे डीएनए से मेल नहीं खाता. मैं क्या करूं?

प्रिय पाठको, मैं 32 वर्षीय पुरुष हूँ. मेरे 3 साल के बेटे का डीएनए टेस्ट हुआ किसी कारण से तो मुझे पता चला कि उसका डीएनए मेरे डीएनए से मेल नहीं खाता है. मुझे शक है कि वह बच्चा मेरा नहीं है. इस स्थिति में मेरे लिए कौन सा कदम उठाना सही रहेगा. कृपया मेरी समस्या का निवारण करें.

समाधान- आपने जिस समस्या का जिक्र यहां पर किया है दरअसल इसके पीछे किसी एक कारण को सही मान कर किसी भी नतीजे पर पहुंच जाना एक मूर्खतापूर्ण फैसला ही कहा जायेगा.
यदि आपके बच्चे का डीएनए आपके डीएनए से मेल नहीं खाता है तो इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं. इसके लिए आपको अपनी सूझ-बूझ से काम लेना होगा.

बच्चे का डीएनए आपके डीएनए से मेल न खाने का कोई एक कारण नहीं हो सकता है. इसलिए यदि आप ऐसा सोच रहे हैं कि आपकी पत्नी आपके अलावा किसी गैर मर्द से शारीरिक संबंध बना रही थी तो यह सोचना आपके रिश्ते को खराब कर सकता है.

आपका ऐसा सोचना कि पत्नी आपको धोखा दे रही थी, इसकी पुष्टि किये बिना ही आप अपनी पत्नी पर चरित्रहीनता का आरोप लगाने का प्रयास करेंगे तो यह आपके वैवाहिक संबंधों के लिये समस्या खड़ी करने वाला फैसला साबित होगा.

डीएनए टेस्ट के आधार पर आप अपनी पत्नी का चरित्र परिभाषित नहीं कर सकते हैं और न ही यह आपकी पत्नी के चरित्र का प्रमाण पत्र हो सकता है. डीएनए टेस्ट मेल न खाने के जो संभावित कारण हो सकते हैं उनके बारे में आपको जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है. इन सभी पहलुओं पर गंभीरता पूवर्क विचार करने के उपरान्त ही आप किसी निर्णय पर पहुंचे.

आपकी समस्या के लिए संभावित कारणों में से कुछ कारण नीचे विस्तार बताये गये हैं जिनके बारे में आप अपने विवेक का प्रयोग पुष्टि कर सकते हैं और एक सही निर्णय ले सकते हैं.
1. डीएनए टेस्ट मेल न खाने का कारण बेबी स्वैपिंग अथवा बच्चे की अदला बदली मुख्य कारणों में से एक है. कई बार अस्पताल में इस तरह की घटनाएं आमतौर पर देखने को मिलती रहती हैं.
इस तरह की घटनाएं ज्यादातर उन अस्पतालों में होती हैं जहां पर ज्यादा भीड़-भाड़ रहती है. ऐसे में जब अस्पताल में एक साथ कई बच्चे पैदा हो रहे होते हैं तो कई बार नर्स या पीडियाट्रिक डॉक्टर की गलती से बच्चे की अदला बदली हो जाती है.

ऐसी स्थिति में बच्चे के माता पिता को किसी अन्य का बच्चा मिल जाता है और जो उस दम्पत्ति का जैविक बच्चा होता है वो किसी अन्य के पास चला जाता है. आप इस बात पर गौर करें कि आपके बच्चे का जन्म कहीं ऐसे किसी अस्पताल में तो नहीं हुआ था जहां पर इस तरह की लापरवाही होने की संभावना हो.

2. जो दम्पत्ति आईवीएफ (इन विट्रो फर्टीलाइजेशन) के द्वारा कोख के बाहर एक प्रयोगशाला में अपने अंडाणु और शुक्राणु का निषेचन करवाते हैं, वहां भी इस घटना होने की पूर्ण संभावना होती है जिसमें अंडाणु अथवा शुक्राणु के सैम्पल पर गलत टैग लगा दिया जाता है.
इस तरह की संभावित मानविक त्रुटि के कारण भी कई बार आपको अपना स्वयं का जैविक बच्चा मिलने की बजाय किसी अन्य का बच्चा मिल जाता है.

यदि आप विश्व भर में घटने वाली बेबी स्वैपिंग की घटनाओं से अवगत नहीं हैं तो आपकी जानकारी के लिए कुछ बहुचर्चित बेबी स्वैपिंग की घटनाएं यहां पर बतायी जा रही हैं ताकि आप अनुमान लगा सकें कि इस तरह की घटनाएं होना बहुत आम बात है.

साल भर पहले ही एक नर्स का किस्सा सामने आया था जिसमें उसने जानबूझकर बेबी स्वैपिंग की थी. वह नर्स उस अस्पताल में तीन दशकों से भी ज्यादा समय से कार्यरत थी और अपने कार्यकाल में उसने बेबी स्वैपिंग की अनगिनत घटनाओं को अन्जाम दिया.

आपको जानकार हैरानी होगी कि उसने यह सब केवल अपने मनोरंजन और मौज मस्ती के लिए किया था. वह न तो किसी मानसिक रोग से ग्रसित थी और न ही यह सब करने के पीछे उसका कोई निजी स्वार्थ था. वह केवल मनोरंजन भर के लिए बच्चों की अदला-बदली कर दिया करती थी.

दूसरी घटना ब्रिटेन के एक डॉक्टर की भी है जो काफी समय तक सुर्खियों में रही. उस डॉक्टर के बारे में जब खुलासा हुआ तो पता चला कि वह महिला का अंडाणु और उसके पति का शुक्राणु लेकर कभी भी पति के शुक्राणु का प्रयोग भ्रूण बनाने में नहीं करता था.

वह डॉक्टर महिला के अंडाणु के साथ उसके पति का शुक्राणु प्रयोग न करके अपितु अपना स्वयं का शुक्राणु इस्तेमाल करता था. जब उसके बारे में जांच पड़ताल की गई तो यह पता चला कि इस तरह से अब तक वह डॉक्टर 400 बच्चों का जैविक पिता बन चुका था.

आपकी समस्या का समाधान-
आपके बच्चे का डीएनए यदि आपके डीएनए से मेल नहीं खा रहा है तो ऐसी स्थिति में आपके जो बेहतर विकल्प हो सकता है, वह इस प्रकार है-
1. यदि बच्चे की उम्र तीन साल या उससे ऊपर है और आपके परिवार में हर तरह सुख-शांति का माहौल है, इसके साथ ही आपका परिवार उस बच्चे को चाहता है, प्यार व दुलार देता है, उस बच्चे से आपके परिवार का लगाव हो गया है तो बेहतर यही होगा कि आप उस बच्चे को अपना लें. यह आपके लिए एक उत्तम समाधान होगा.

2. यदि आपका बच्चा आईवीएफ प्रक्रिया से न होकर साधारण निषेचन से हुआ है और आपको अपनी पत्नी के चाल-चलन और उसके चरित्र पर शंका है तो आप अपनी पत्नी का भी डीएनए टेस्ट करवाइये.
पत्नी का डीएनए टेस्ट करवाने के उपरान्त यदि उस बच्चे के साथ आपकी पत्नी का डीएनए भी मैच नहीं होता है तो आपका अपनी पत्नी के चरित्र पर शक करना एकदम गलत है. ऐसी स्थिति में पूरी संभावना है कि आपका बच्चा अस्पताल में बदला गया है.
इस स्थिति में आप कानूनी रास्ता अपना सकते हैं. आप कोर्ट का सहारा लेकर उस अस्पताल में उस दिन जन्मे बच्चों के डीएनए टेस्ट की मांग कर सकते हैं. यदि बेबी स्वैपिंग हुई है तो आपके जैविक बच्चे को खोजने का यही एक मात्र उपाय है.

दूसरी स्थिति में यदि पत्नी का डीएनए बच्चे के डीएनए से मिल जात है तो आपका अपनी पत्नी के चरित्र पर शक करना जायज है और इसका सीधा सा तात्पर्य निकलता है कि वह आपको धोखा दे रही थी. इस परिस्थिति में आप अपनी पत्नी से तलाक की मांग कर सकते हैं.

3. आपका बच्चा यदि आईवीएफ से जन्मा है तो उसका डीएनए टेस्ट आपकी पत्नी से मिले या न मिले, आपका अपनी पत्नी पर शक करना व्यर्थ है और न ही आपको इस तरह का अर्थविहीन इल्जाम लगाने का कोई अधिकार है.

उपरोक्त सभी संभावनाओं को जांच परख कर ही आप कदम बढ़ायें क्योंकि बच्चे का डीएनए टेस्ट आपकी पत्नी का चरित्र प्रमाण पत्र नहीं कहा जा सकता है. यदि आप ऐसा सोचते हैं तो इस भ्रांति को अपने दिमाग से निकाल बाहर करें.

इसके अतिरिक्त आपके लिए बेहतर विकल्प यही होगा कि यदि आपका बच्चा आपके परिवार के साथ घुल-मिल गया है और आपका अपने परिवार सहित उस बच्चे के साथ लगाव है तो आपका उस बच्चे को अपना लेना ही सबसे उपयुक्त विकल्प होगा.

Wednesday, 24 January 2024

मेट्रो में मिली लड़की को होटल में चोदा

 

एक दिन मैंने मेट्रो में एक लड़की की मदद की, उससे दोस्ती हो गयी. धीरे धीरे उसे मुझसे प्यार होने लगा, फिर मिलना शुरू हो गया। एक दिन मैं उसे होटल में ले गया.

मेरा प्यार का नाम प्रिंस है. मैं दिल्ली के पास फरीदाबाद का रहने वाला हूँ; आजकल नौकरी के चलते गुड़गाँव में रह रहा हूँ।

 पुरानी कहानी की अच्छी सफलता और आपके प्यार की वजह से दूसरी कहानी बहुत ही जल्दी लिखने के लिए प्रेरित किया है।

कहानी शुरू करने से पहले अपने बारे में बताना चाहता हूँ. मेरी उम्र 22 साल है कद 5 फुट 8 इंच है दिखने में अच्छा और रंग गोरा और साथ ही राष्ट्रीय खिलाड़ी होने की वजह से बहुत चुस्त और फिट हूँ। और लंड 6.5 इंच इतना है कि किसी भी आंटी औरत और भाभी और लड़की की प्यास बुझाने को काफ़ी है.

आप सभी को ज्यादा बोर ना करते हुए सीधे कहानी पर आते हैं।

यह कहानी है एक कमसिन जवान लड़की की जिसकी तारीफ करूँ तो पूरी कहानी निकल जाएगी. मैं उसके बारे में आपको बताता हूँ। सफ़ेद दूध सा गोरा रंग चूचियाँ 34″ कमर एकदम पतली 28″ बड़ी कमाल की बनाया उसको भगवान ने।

उसका नाम नूर … उसकी और मेरी पहली मुलाक़ात गुडगाँव मेट्रो में हुई. कसम से उसे देखते ही पागल हो गया मैं पर मैंने देखा कि वो परेशान दिख रही है तो मैंने उसकी मदद करने का सोचा. तो पता लगा उसका पर्स खो गया है और उसके पास पैसे नहीं है.
मैंने उसकी मदद की तो उसने मेरा नम्बर लिया.

फिर अगले दिन उसका मैसेज आया- थँक्स फॉर हेल्पिंग मी।
मैंने उसको इट्स ओके बोला.
फिर यहां से शुरू हुई कहानी. मैंने उसको फ़्रेंड बनने के लिए बोला तो फ़ौरन मान गयी।

धीरे धीरे उसे मुझसे प्यार होने लगा फिर मिलना शुरू हो गया।

एक दिन हम फ़िल्म देखते हुए मैंने उसे किस कर दिया. उसका साथ पाकर मैंने उसे अच्छे से पकड़ लिया और लगातार चूमने लगा. अब वो भी गर्म हो चुकी थी. मैंने देर ना करते हुए उसके चूचे दबाने शुरू कर दिये. फिर एक हाथ से मैं उसकी चुत सहला रहा था और एक हाथ से चूची दबा रहा था.

क्या मादक आवाजें ‘उउउ अह्ह्ह उह्ह्ह आह्ह …’ की गूंज रही थी. आसपास कोई नहीं तो कोई डर नहीं था।

अब आग दोनों तरफ लगी थी तो मैंने ओयो होटल में जाने की बात की.
तो वो मान गयी.

आज मेरी किस्मत खुलने वाली थी. अब जाते ही मैंने उसको अपनी बांहों में जकड़ लिए और चूमना शुरू कर दिया. चूमते चूमते हमें पता नहीं लगा कि कब हमारे कपड़े बदन से अलग हो गए.
अब वो सिर्फ लाल ब्रा और नीली पेंटी में थी … बिल्कुल कातिल लग रही थी।

उसकी बदन की खुशबू मुझे पागल कर रही थी. अब मैं भूखे शेर की तरह उस पे टूट पड़ा. मैंने उसकी ब्रा की कैद में से उसकी चूचियाँ आजाद कर दी. मैं उसकी चूचियां मसलने और चूसने लगा. कुछ देर के बाद मैंने पेंटी अपने दांतों से उतार कर फेंक दी।

अब मैंने उसको चूमना शुरू किया. मैंने पैर से लेकर उसको गले तक चूमा. फिर मैंने उसकी चूत पर जैसे ही जीभ लगाई, वो पागल हो उठी और बहुत गर्म होने लगी. अब मैंने उसकी चुत को जीभ से चोदना शुरू कर दिया.

उसे भी बहुत मजा आ रहा था और वो मेरा सर अपनी चुत में दबाये जा रही थी. अब धीरे धीरे वो अकड़ना शरू हुई और मेरे मुँह में झड़ गयी.
उसकी चूत से क्या नमकीन पानी निकला था। मैंने सारा पानी चाट चाट कर नूर की चुत को साफ कर दिया.

अब नूर ने मेरा लंड पकड़ लिया और उसे मुंह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी. कसम से … उसके लंड चूसने के अन्दाज़ ने तो मुझे पागल ही कर दिया.
मैं 10 मिनट मैं ही झड़ गया और मेरी नूर जान मेरा सारा माल बड़े स्वाद से पी गयी।

अब मैं कहाँ रुकने वाला था … मैंने उसे चूसना शुरू किया और मैं उसकी चूचियाँ दबाने लगा. वो गर्म हो गयी और मेरा लंड अपने हाथ में लेक हिलाने लगी.

अब बारी थी नूर की चुत चुदाई की! मैंने नूर को बिस्तर पर लिटाया और खुद उसके नंगे जिस्म पर आ गया. मैं उसके लब चूसने लगा और कुछ पल बाद मैंने अपना लंड नूर की चूत कर छेद पे सेट किया और जोर का झटका मारा.
तो नूर की चीख निकल गयी.

और मैंने देखा कि मेरा लंड अभी आधा ही नूर की चूत में गया था.

मैंने एक और जोरदार झटका मारा. अब मेरा लंड पूरा उसकी चुत के अंदर घुस चुका था. अब नूर रोने लगी और दर्द के मारे मचलने लगी. मैंने उसको समझाया और 2 मिनट रुका. फिर मैं झटके लगाने शुरू किये.

फिर कुछ देर बाद उसकी चूत में दर्द कम हुआ तो वह धीरे धीरे अपनी गांड उठा उठा कर मेरा साथ देने लगी.

अब जो घमासान चुदाई शुरू हुई तो पूरे 25 मिनट चली और नूर इतनी देर में दो तीन बार झड़ गयी।
हम दोनों लेट कर आराम करने लगे. मैं उसकी चूचियों को सहला रहा था और उसके होंठों को चूसते हुए उससे बातें भी कर रहा था. मेरे पूछने पर उसने बताया कि वो इस चुदाई से खुश थी.

थोड़ी देर आराम करने के बाद फिर मेरा लंड खड़ा होने लगा. एक बार फिर से मैं नूर के नंगे बदन के ऊपर आ गया. मैंने उसकी चूचियाँ चूसनी शुरू की और नूर की चुत में उंगली से सहलाने लगा.
फिर थोड़ी देर में नूर गर्म हो गयी और मेरा लंड तो हमेशा तैयारी में रहता है.

इस बार मैंने नूर को घोड़ी बनाया और उसके पीछे आकर पूरा लंड एक बार में ही उसकी चूत के अंदर डाल दिया. नूर एक बार फिर से कराह उठी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
जोरदार झटकों के साथ घमासान चुदाई करते करते मेरा मन नूर की गांड मारने का करने लगा.

मैंने नूर से अपनी लालसा बतायी तो वो मना करने लगी, कहने लगी कि पीछे डलवाने में तो बहुत ज्यादा दर्द होगा.

मैंने उसकी मानमनौव्वल की तो थोड़ा जोर देने पर मान गई.

Gand Ki Chudai
Gand Ki Chudai

अब मैंने नूर के पर्स से कोल्ड क्रीम निकाली, थोसी सी अपने लंड पे लगायी और थोड़ी सी नूर की गांड के छेद पर!
तब मैंने लंड उसकी गांड के छेद पर रखा और जोर लगाने लगा. मेरा लंड धीरे धीरे नूर की गांड में घुसने लगा. नूर दर्द से कराहने लगी उसकी गांड बहुत टाइट थी लेकिन फिर भी उसने हिम्मत रखी और लंड अपनी गांड में घुसवाती रही.

आधा लंड घुसाने के बाद मैंने एक झटका मारा और नूर की तेज चीख़ निकल गई, लंड पूरा घुसते ही अब मैंने धीरे धीरे झटके मारने शुरू किए. अब लंड आराम से अंदर बाहर होने लगा.

उसको मैंने बीस मिनट चोदा. इस घमासान चुदाई के बाद मेरे लंड की हालत भी ख़राब हो गई थी और नूर भी इस चुदाई के बाद बहुत दर्द में थी, उसकी गांड में से खून निकल रहा था.
मैंने अपना वीर्य उसकी गांड में ही निकाल दिया. तन मैंने अपना लंड उसकी गांड में से बाहर खींचा तो उसकी गांड में से मेरा वीर्य बाहर बहाने लगा.

तब वो उठ कर बाथरूम में गई और खुद को साफ किया. पर वो अच्छे से चल नहीं पा रही थी … चलने में दर्द हो रहा था उसे बहुत।

अब मैंने खाना आर्डर किया, हम दोनों ने खाना खाया. फिर मैंने उसे एक दर्द की दवाई और एक गर्भ निरोध गोली दी. ये दवाइयां मैंने पहले ही केमिस्ट से लेकर रख ली थी.

फिर थोड़ी देर में दर्द कम होने से वो सही चल पा रही थी।

नूर अपनी चुदाई से इतनी खुश थी कि उसने बाद में अपनी दो सहेलियों को भी मुझसे चुदवा दिया था.

अब नूर का गुड़गाँव से ट्रांसफर हो गया, वो अब मुंबई रहती है. जब तक वो गुड़गाँव में रही, हमने बहुत सेक्स किया, बहुत मजे किए. लेकिन अब सब खत्म हो गया, मैं अकेला रह गया।

अब नूर से बात नहीं होती. पर वो जहाँ होंगी खुश होगी और मेरी चुदाई याद कर रही होगी. हमने बहुत हसीन चुदाई की।

Tuesday, 23 January 2024

सौतेली माँ की चुदाई का आनन्द-2

 मैंने अपनी मॉम को अपने पापा के साथ विडियो सेक्स काल करते देखा. मेरी माँ पूरी नंगी होकर विडियो कॉल में पापा को अपनी चूत दिखा रही थी. आप भी मजा लें.तभी मॉम के मोबाइल में पापा का फोन आया और वो कॉल टीवी से ऑटोमैटिक कनेक्ट हो गया.
अब मॉम और पापा, दोनों लाइव थे वीडियो में, पापा ने जेंट्स गाउन पहन रखा था.

फिर पापा बोले- सीमा, तुम्हारी याद बहुत आती है. तुम्हारी जैसी बात यहां की औरतों में नहीं है.
मॉम बोली- फिर जल्दी आ जाओ, आपकी सीमा भी आपके बिना अधूरी है.
पापा बोले- जल्दी ही आऊंगा. अभी अपना काम चालू करते हैं. मुझे फिर ऑफिस जाना है.

फिर पापा ने अपना गाऊन उतार दिया. अब पापा पूरी तरह नंगे थे. लेकिन पापा का लन्ड देख कर तो मेरा दिमाग चकरा गया. बहुत बड़ा और मोटा था. मेरे से बहुत बड़ा था और एकदम सीधा खड़ा था.

अब मॉम ने अपनी नाईटी के आगे का रिबन निकाला और नाइटी को उतार दी. अब मॉम ब्रा और पैंटी में थी। मॉम की सारी ब्रा पैंटी सेक्सी और हॉट ही थी। दोनों का कलर काला था.

मेरा तो यह लाइव वीडियो देख के बुरा हॉल था और मैं खुद भी नंगा हो गया था. मेरा लन्ड तो ऐसे चीजों से जल्दी ही खड़ा हो जाता था.

फिर मॉम ने अपनी ब्रा और पैंटी उतार दी, मेरी मॉम अब पूरी नंगी खड़ी थी.
पापा बोले- सुंदर … अति सुंदर मेरी जान!
फिर मॉम सोफे पर बैठ गई और बोली- मेरे दोनों दूध के डेयरी यानि मेरे दोनों बूब्स में अभी दर्द है और लाल भी बहुत हैं. डॉक्टर ने बूब्स के साथ कुछ दिनों तक कुछ नहीं करने को कहा है।
पापा बोले- अच्छा डार्लिंग।

फिर मॉम ने नकली लन्ड को अपनी चूत में डालना शुरू कर दिया और पापा ने भी अपने लन्ड को नकली चूत में डालना शुरू कर दिया. मॉम आज यह सभी बिना मन के कर रही थी क्योंकि उनकी प्यास तक कल रात को ही बुझ गई थी. वो भी असली वाले लन्ड से!
मॉम सिर्फ पापा की दिखाने के लिए यह नाटक कर रही थी. वो जल्दी जल्दी यह खत्म करना चाहती थी तो उसने नकली लन्ड को अपनी चूत में स्ट्रोक मारना शुरू कर दिया और पापा भी नकली चूत में शॉट मारे जा रहे थे.

पापा की स्पीड तो बहुत तेज थी लेकिन मॉम धीरे धीरे कर रही थी और आवाज भी करनी शुरू कर दी- आ आ आ ह ह ह ई!

5 मिनट में ही मॉम ने नकली लन्ड से अपनी चूत की चुदाई बंद कर दी. मॉम की चूत से पानी नहीं निकला था लेकिन पापा को यह दिखाई नहीं दे रहा था और वो पापा को बोली- मेरा हो गया.
फिर पापा ने अपने लन्ड की नकली चूत से चुदाई बीच में रोक दी, पापा अभी भी संतुष्ट नहीं हुए थे.
उन्होंने कहा- सीमा डार्लिंग, आज जल्दी ही झड़ गई हो. लेकिन संतुष्ट हो गई ना?
मॉम बोली- हां आज थोड़ी थकी हुई हूं इसलिए जल्दी हो गया. लेकिन आपका नहीं हुआ अभी तक, सॉरी!

पापा बोले- अरे सॉरी की जरूरत नहीं है सीमा, मैं तो तेरे लिए कर रहा था मेरे लिए यहां पर बहुत सारी चूत तैयार रहती हैं.
फिर पापा बोले- अच्छा सीमा, अभी वीडियो कॉलिंग डिस्कनेक्ट करता हूं. मुझे ऑफिस जाना है. अपना और अर्जुन का ध्यान रखना.
और दोनों तरफ से ‘बाय बाय लव यू.’ कहकर वीडियो कॉलिंग डिस्कनेक्ट हो गई.

मैंने फटाफट अपने कपड़े पहन लिए और लैपटॉप में देख रहा था मॉम भी अपनी ब्रा पैंटी पहन रही थी फिर उन्होंने अपनी नाइटी भी पहन ली और नकली लन्ड को लेकर अपने बेडरूम की चली गई फिर मैंने लैपटॉप बंद कर दिया और अपने बेड पर सोने का नाटक करने लग गया क्योंकि मॉम नकली लन्ड को अपने कमरे में रखकर मेरे कमरे में आयेंगी.

ऐसा ही हुआ … मॉम मेरे रूम का दरवाजा खोल कर अंदर आई और बोली- बेटा, सो गया क्या?
मैं आँखें खोलकर बेड पर बैठकर बोला- नहीं मॉम, ऐसे ही लेटा था. आपकी बात हो गई पापा से?
मॉम वही नाइटी में थी. मॉम बोली- हां हो गई बेटा, तू अभी हॉल में टीवी बंद कर दे और पढ़ाई कर! फिर मैं भी रात का खाना बना देती हूं. फिर मैं भी हॉल में आती हूं.

मैंने ड्रॉइंग हॉल में टीवी को बंद कर दिया और अपने मोबाइल का कैमरा भी और अपनी कॉलेज की बुक्स लेकर हॉल में ही पढ़ाई करने लगा.

करीब एक या डेढ़ घंटे बाद मॉम हॉल में आई और बोली- बेटा खाना बना दिया, तू टेबल पर आ जा, खाना खा लेते हैं.
फिर रोज की तरह हम दोनों मां बेटे ने रात का खाना आया. फिर मॉम रसोई चली गई फिर थोड़ी रसोई का काम निपटा के हॉल में आ गई.

मैंने पूछा- मॉम, पापा से कैसी बात हुई?
मॉम बोली- वैसी जैसी रोज होती है … कुछ खास नहीं! वो तेरी और मेरी फिक्र करते रहते हैं.

फिर मॉम के मोबाइल पर उनकी सहेली रेशमा का कॉल आ गया और दोनों के बीच औरतों वाली बातें शुरू हो गई.
मैं भी अपने मोबाइल में चैटिंग में व्यस्त हो गया.

आधे घंटे बाद मॉम और रेशमा की बात खत्म हुई.
फिर मॉम बोली- बेटा मैं नहाने जा रही हूं. थोड़ा फ्रेश महसूस करूंगी.
मैं बोला- ओ.के. मॉम!
मॉम अपने कमरे में चली गई.

मैं समझ गया था कि मॉम अपनी चूत को साफ करना चाहती थी, पापा के कारण गंदी हो गई थी.
मेरी इच्छा तो मॉम के साथ नहाने की थी लेकिन ज्यादा जल्दबाजी करने से सब काम खराब हो सकता था.

थोड़ी देर बाद मॉम की कमरे से आवाज आई- अर्जुन बेटा, बेडरूम में आ जा!
मैं बेडरूम में गया. वहां मॉम ड्रेसिंग टेबल के सामने अपने बाल बना रही थी. उन्होंने वही दोपहर वाला टाईट टी शर्ट जैसा लेडीज बनियान और लेडीज सेक्सी हाफ पैंट पहन रखी थी.

मैं बेड पर बैठ गया और मॉम को बाल बनाते देख रहा था. मॉम तो मॉम ही थी … पूरी तरह सेक्सी गुड़िया नजर आ रही थी. नहाने के बाद तो और भी कड़क और मलाई माल नजर आ रही थी.
फिर मॉम बाल बनाकर मेरे पास बेड पर आकर बैठ गई और मेरे गाल को प्यार से हल्का खींच के बोली- क्या हॉल है मेरे बेटा जी का? मॉम से नाराज़ तो नहीं?
मैं बोला- नहीं मॉम, मैं क्यों आपसे नाराज़ होऊंगा, आप जैसी मॉम तो किस्मत वालों को मिलती है.
मॉम मेरे जवाब से मुस्कराई और बोली- गुड बेटे!

फिर वो बोली:
बेटे, आज पूरे दिन मैंने तेरी परीक्षा ली थी. तेरा मेरे प्रति, मेरे सेक्सी शरीर के प्रति और तेरी वासना के प्रति कंट्रोल देखना चाहती थी. और उसमें तू पूरा पास हो गया.
तू मेरा गुड बेटा है. अगर तेरी जगह कोई दूसरा लड़का होता, वो भी एक अकेली सेक्सी औरत के साथ रहता होता और मेरे जैसी सेक्सी क्वीन और सेक्सी हॉट फिगर वाली औरत की देख कर वो कंट्रोल नहीं कर पाता और सुबह से अब तक जबरदस्ती मेरी चुदाई कर लेता, मेरे चूत को फ़ाड़ देता और बूब्स को चूस चूस के सुजा देता.
लेकिन तू तो एक सगे बेटे से भी ज्यादा मेरा ध्यान रखता है, मेरी भावनाओं का सम्मान करता है, मुझे प्यार करता है. तेरे पापा से भी ज्यादा तू मुझे प्यार करता है. मेरे शरीर के अंगों का ध्यान रखता है. बेटा एक बड़ी बात और बोलूंगी कि मेरे दिल में तेरे पापा से भी ज्यादा तेरे लिए प्यार हो गया है. आई लव यू बेटा!

यह कह कर मॉम ने भावुक होकर मुझे बांहों में भर लिया और मेरे सर पर, गाल पर और होंठ पर ममता वाली किस और चुम्बन दिया. मैं भी बड़ा प्रसन्न और खुश था … मॉम की बातें सुनकर थोड़ा मैं भी भावुक हो गया था कि मैं मॉम की परीक्षा में मैं पास हो गया.

ये तो सिर्फ मैं ही जानता था कि मैंने आज पूरे दिन कैसे कंट्रोल किया और कैसे अपनी हवस और उत्तेजना पर काबू रखा.
कोई बात नहीं … आखिरकार मेहनत रंग लाई।

अब मॉम ने मुझसे अपने आप को अलग किया और बोली- बेटा टैबलेट खा ले. मैंने तो स्प्रे की डबल डोज चूत पर लगा दी है.
मैंने टैबलेट की बोतल से टैबलेट निकाली और बोला- मॉम कितनी लूं? डबल लूं?
मॉम बोली- बेटा, डबल से पूरी रात प्रोग्राम चलेगा, मेरी तो हालत खराब हो जाएगी. लेकिन तुझे अब सब छूट है, डबल ले ले … तेरे पापा तो ट्रिपल भी लेते थे.

फिर मैंने टैबलेट की डबल डोज पानी के साथ ले ली.
मॉम बोली- आज जो करना है तू कर अपने हिसाब से, जैसी पोजिशन में करना है कर, तेज धीरे जैसे भी करना है कर … मैं कुछ नहीं बोलूंगी और मैंने अपने स्तनों के दर्द के लिए पैन किलर गोली ली हुई है अब पूरी रात बूब्स में कोई दर्द नहीं होगा.

मैं बोला- थैंक्स मॉम!
फिर मैंने मॉम का खड़ा होने को बोला. वो खड़ी हो गई, मैंने मॉम का बनियान उतार दिया. अब मॉम काली सेक्सी ब्रा में थी. फिर मैंने ब्रा भी अपने हाथ से उतार दी. अब मॉम के शांत बैठे दो बड़े वाले स्तन आजाद हो गए थे. आज बूब्स थोड़े लाल काम थे लेकिन सेक्सी और हॉट तो जबरदस्त थे.

मॉम की हाइट मेरे जितनी ही थी इसलिए खड़े खड़े बूब्स चूसने और दबाने में मुझे तकलीफ़ होती तो मैंने मॉम को पलंग पर पालथी मार के बैठने को बोला.
मॉम बैठ गई.
फिर मैं एक छोटे दूध पीते बच्चे की तरह पलंग पर लेटकर अपना मुंह मॉम की गोद में ले गया और बोला- मेरी प्यारी मॉम, अब आपका बेटा आपका दूध पियेगा!
मॉम मुस्करा के बोली- पी लीजिए बेटा जी, मॉम की दूध की डेयरी आपके लिए खुली है.

मैंने मॉम के एक बूब को अपने मुंह में लगा दिया और छोटे बच्चे की तरह निप्पल चूसने लगा, मॉम भी सपोर्ट कर रही थी. मैं बूब्स को भींच कर चूस रहा था. मुझे तो असीम आनंद की प्राप्ति हो रही थी. दूध तो नहीं आने वाला था.

फिर मैंने दूसरे बूब को मुंह में ले लिया. मॉम को भी मज़ा आ रहा था. मॉम के बूब्स का वजन बहुत था. मेरा मुंह पर दबाव बना रहे थे लेकिन मुझे तो चूसने में मज़ा आ आ रहा था. मेरा लन्ड तो पहले से खड़ा था और टैबलेट लेने के बाद तो आग की रॉड बन गया था.

मॉम ने बैठे बैठे ही मेरी हाफ पैंट और अंडरवियर उतार दी और मेरा लन्ड बाहर आ गया.
मॉम बोली- मस्त बेटा … आज तेरा सामान बहुत बड़ा नजर आ रहा है.

मैं तो मॉम के बूब्स पर टूटा हुआ था. मैंने अब स्पीड बड़ा दी और ज़ोर से एक एक करके दोनों बूब्स को चूसे जा रहा था और ज़ोरदार भींच भी रहा था. मॉम हल्की हल्की आवाज़ कर रही थी. मॉम मेरे लन्ड का बैठे बैठे अपने हाथ से खेलना चाहती थी लेकिन मैंने मॉम के हाथों को रोक रखा था.

20 मिनट के बाद मैंने दोनों बूब्स को जमकर चूस लिया था भींचा भी जबरदस्त था.

मॉम के साथ सेक्स की कहानी जारी रहेगी.
धन्यवाद

Monday, 22 January 2024

मेरी गोरी किराएदार भाभी की चुदाई

 आपका मैं समय खराब ना करते हुए सीधे पॉइंट पर आता हूँ।

मैं मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में रहने वाला एक 28 साल का युवा लड़का हूं। मेरे यहां किरायेदारों को किराए से कमरे देने का बिजनेस है।

बात उस समय की है जब मेरी पत्नी सावन के त्यौहार में अपने घर गई हुई थी। मेरे यहां उसी समय किराये से रहने के लिए एक पंडित बिरादरी का जोड़ा आया। पति का नाम शिव कुमार पांडे था वह कम से कम 40 साल का था. और उसकी पत्नी तो देखते ही किसी का भी लंड खड़ा हो जाए और सलामी देने लगे। बिल्कुल दूध की जैसे सफेद गोरी।

मुझे उसकी पत्नी को देखते हुए आश्चर्य होता था कि उसने इस आदमी से कैसे शादी कर ली है। उसकी किस्मत और उससे भी कहीं ज्यादा सुंदर उसकी बेटी जो करीब 19 साल की थी। जवानी में उसने अभी अभी ही कदम रखा था।

लेकिन उसका फिगर भी क्या फिगर … उसे तो देखकर ही मुंह में मेरे पानी आ जाता था। अपनी मां से भी ज्यादा सुंदर, किसी अप्सरा की तरह बहुत ही सुंदर, बहुत ही ज्यादा गोरी।

इन किरायेदारों को आए हुए करीब 2 माह हो चुके थे. मेरी पत्नी मायके गई हुई थी और मेरे माता-पिता भी मेरे परिवार में किसी कार्यक्रम को लेकर बाहर गए हुए थे। मैं घर में बिल्कुल अकेला था।
मैं आपको बता दूं कि मेरे मां-बाप का कमरा नीचे और मेरा कमरा ऊपर था। ऊपर को जाने हुए एक बाहर की ओर एक सीढ़ी थी। जिसमें मेरा कमरा और उसके सामने किरायेदारों का कमरा था।
किरायेदारों को अपने कपड़े डालने के लिए ऊपर छत जाना पड़ता था मेरे कमरे के सामने वाली सीढ़ी से।

अक्सर उसकी पत्नी गाउन में होते हुए मुझे देखते हुए ऊपर जाती रहती थी। कई बार मैं दरवाजा खोले बिना शर्ट, टीशर्ट पहने के सामने बैठा रहता था।

शुरु शुरु में तो वह कभी कभी अपनी आंखें झुका लेती थी लेकिन कुछ दिनों से वह मुझे मेरी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए नीचे चली जाती थी। मैं भी अनजान बनते हुए कुछ भी नहीं कहता था।

पर एक दिन वह मुझे देखकर जोर से मुस्कुराते हुए नीचे चली गयी. मैं तो वैसे ही अपनी पत्नी के ना होने पर भरा हुआ बैठा था और दिन भर अंतर्वासना में कहानी पढ़ते हुए मैंने भी चांस लेने का सोचा।

तो जब वो दोबारा आई तो मैं भी उसे देखकर मुस्कुरा दिया. वह मुस्कुराती हुई मेरे कमरे में आकर बोली- क्या बात है आजकल आप बहुत उदास उदास रहते हैं?
मैं बोला- हां भाभी।
“क्या हुआ?”
मैंने कहा- मेरी पत्नी बाहर गयी हुई है, मेरे मां-बाप बाहर गए हैं. और मैं अकेले बैठे बैठे बोर हो जाता हूं।
तो उन्होंने बोला- आप चिंता क्यों करते हैं. मैं हूं ना … मुझे बताइए मैं क्या करूं? आपके लिए कुछ बना कर लाऊँ?

आपको बताना तो भूल गया कि उनका नाम माधुरी था।
तो मैं बोला- नहीं भाभी!

उसके बाद उन्होंने मेरी पत्नी के बारे में पूछा।
मैंने उनको बताया कि हमारी लाइफ बहुत ही अच्छी चल रही है।
और थोड़ी देर बाद वह चली गई।

फिर कभी कभी वह खुद आकर बैठ जाती और बातें करने लगती।

एक दिन वह थोड़ी उदास दिख रही थी। मैंने उन्हें देखा और वह कुछ बोले बिना नीचे चली गई।

फिर मैं उनके कमरे में गया, मैंने पूछा- माधुरी भाभी, आप उदास क्यों हैं? क्या हुआ, कोई परेशानी है तो मुझे बताइए? मैं आपके पति से बात करूंगा।
तो उन्होंने कुछ नहीं बोला और मेरे लिए पानी ले आई।

फिर उन्होंने कहा- आप नहीं समझेंगे। हम पति-पत्नी का मामला है।
तो मैं ऐसे उठकर जाने लगा।

फिर उन्होंने रोका- सुनिए, आप तो नाराज हो गए।
तो मैंने कहा- नहीं, मैं नाराज नहीं हुआ। लेकिन जब आप मुझसे वह बात नहीं बता सकती तो मैं कैसे आपकी तकलीफ दूर करूंगा.

उन्होंने बताया- मेरे पति समय से घर नहीं आते और शराब बहुत पीते हैं। इसके कारण मैं बहुत परेशान रहती हूं और मेरी जिन्दगी अच्छे से नहीं चल रही।
मैंने कहा- आप चिंता नहीं करें, मैं उन्हें समझा लूंगा, धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा।

मेरे ऐसा कहते ही उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा- आप कितने अच्छे हैं।
जैसे ही उसने मेरा हाथ पकड़ा … पता नहीं शरीर में ऐसा लगा जैसे करंट दौड़ गया। मेरा पूरा शरीर हल्का सा हो गया और मेरे शरीर का रोम रोम सा खिल गया।

शायद उन्हें अहसास हो गया और उन्होंने कहा- क्या बात है? पत्नी की याद आ गई।
तो मैं भी मुस्कुरा दिया।

फिर वह चाय बनाने के लिए रसोई में चली गई। उनकी लड़की भी कोचिंग के लिए बाहर गई हुई थी।

माधुरी भाभी मेरी तरफ पलट के देखते हुए बार बार मुस्कुरा रही थी। मुझे पता नहीं क्या हो रहा था। मैं भी उनकी पीठ जो गोरी गोरी दिख रही थी देख रहा था. और उनके उभरे हुए चूतड़ देख कर मेरा लंड में आग लग रही थी मानो मेरा लंड कपड़े फाड़ के बाहर निकल जाएगा।

फिर पता नहीं मुझ पर क्या धुन सवार हुई … मैं उनके पीछे पीछे किचन की तरफ चला गया।

थोड़ी देर बाद उन्हें मुझे पलट के देखा- आप यहां क्यों आ गए? मैं तो चाय ला ही रही थी।

मुझसे रहा नहीं गया … मैंने उनको कसके अपनी बांहों में ले लिया। वह भी कराहने सी होने लगी।

फिर भाभी ने मुझे अपने से दूर किया और कहा- यह सब गलत है.
मैंने भी सोचा कि भाभी सही कह रही है. और मैं जाने लगा.

पर जैसे ही मैं मुड़ा … तो भाभी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और अपनी ओर खींच लिया और मुझे एक जोरदार चुम्बन किया जिससे मेरा पूरा शरीर खिल उठा.

फिर मैंने उनके गाऊन को ऊपर करते हुए उनकी पेंटी में हाथ डाल दिया. भाभी की चूत पर काफी बाल थे जैसे महीनों से साफ ना किये हों. तब भी मैंने उनके गड्ढे को ढूंढते हुए योनि में उंगली डाल दी.

Gori Bhabhi ki Chudai
Gori Bhabhi ki Chudai

वो तो बिल्कुल लगता था कि जैसे स्वर्ग में चली गई. उनके मुंह से आनन्द भरी आवाजें निकलने लगी.
फिर मैंने अपने होंठ उनकी रसीले होंठों पर चिपका दिए. ऐसा मैंने कम से कम 15 मिनट तक किया.

फिर मैंने उनका गाऊन निकाल दिया. क्या दूध जैसा गोरा बदन … उसमें काली ब्रा पेंटी … अब तो मैं और बेकाबू हो गया और मैंने अपनी टी-शर्ट जो पहनी थी, वहीं उतार के फेंक दी और उनको पागलों के जैसे चाटने लगा.

जैसे ही मैं उनको चाटने लगा, भाभी और तेजी से सांस भरने लगी और उनका पूरा शरीर गर्म हो गया. मैं उनको गोद में उठाकर बिस्तर की ओर ले गया. फिर मैंने उन्हें अपने बिस्तर पर लेटा दिया और एक हाथ उसकी पैंटी के अंदर डाला और जोर से उनकी चूत मसलने लगा. दूसरा हाथ उनकी गर्दन के नीचे रख कर माधुरी भाभी को जोर से किस करने लगा.

ऐसा हम लोगों ने आधे घंटे तक किया. मैंने उनके होंठ गाल आँखें, गला, ब्रा से बाहर निकले बूब्स, सब जगह चूमा और चाटा.

इससे भाभी की वासना पूरी प्रज्ज्वलित हो गयी और उन्होंने जल्दी से मेरा अंडरवियर उतार दिया. मेरे लंड को देखकर भाभी बहुत खुश हुई. मेरा साढ़े 7 इंच का लंड देख कर भाभी खुद को रोक नहीं पायी और उसको हाथ में पकड़ कर जोर से हिलाने लगी और उससे खेलने लगी.

मैं समझ गया कि भाभी चुदाई की प्यासी हैं. फिर भाभी ने मेरा लंड अपने मुंह की ओर खींचा. मैंने यह आज तक कभी नहीं किया था. ना मेरी पत्नी ने कभी मुझसे करवाया था.

भाभी मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर जोर जोर से चूसने लगी. यह मेरे लिए पहली दफा था. भाभी मेरा लंड ऐसे चूस रही थी जैसे कोई लॉलीपॉप!

मुझसे रहा नहीं गया और 10 मिनट तक अपने आप को संभालने के बाद मैं उनके मुंह में ही झड़ गया. और भाभी हंसती हुई बाथरूम की ओरचली गयी.

फिर भाभी मुंह धोकर मेरे पास आई और दोबारा मेरे लंड से खेलने लगी और फिर उसको चूसने लगी.

ऐसे करते करते 5 मिनट बाद मेरा लंड दोबारा खड़ा हो गया. फिर मैंने जोर से उनकी ब्रा खींच ली. ब्रा के हुक टूट गए और उनकी पूरी नंगी चूचियां मेरे सामने थी. फिर मैं उनके बूब्स पर टूट पड़ा और मैंने एक एक करके उनके बूब्स बहुत जोर से दबाया और चूसा. मैं जैसे ही बूब्स दबाता … उनके मुंह से एक छोटी सी आह निकल जाती.

ऐसे करते-करते करीब 15 मिनट हो गये तो उन्होंने बोला- ऊपर ही रहोगे? नीचे नहीं जाओगे?
मैं उनका इशारा पाकर समझ गया और उनके पूरे बदन को चूमता हुआ नीचे आया फिर मैंने उनकी झांट के बालों को हटाकर उनकी योनि में उंगली डाली.

और जैसे ही मैंने योनि में उंगली डाली, मुझे लगा कि वो सातवें आसमान पर चली गयी और ‘जोर से … और जोर से …’ करने को बोले लगी.
फिर मैं और जोर से भाभी की चूत में उंगली करने लगा.

ऐसा करते करते ही भाभी को पूर्ण आनन्द प्राप्त हो गया, वो झड़ गई और उन्होंने मुझे अपने सीने से चिपका लिया और बोली- मुझे आज तक ऐसा मजा किसी ने नहीं दिया.
फिर वे बोली- सिर्फ उंगली से ही काम चलाओगे? अपने उसका जलवा भी तो दिखाओ!

मैं समझ गया, मैंने एक टांग ऊपर करके धीरे से अपना लंड उनके गड्ढे में सेट किया और जैसे ही मैंने झटका मारा, उनकी मुंह से एक जोरदार चीख निकल गयी.
मैं तो डर ही गया. मैं थोड़ी देर रुका.

फिर मैंने उनसे दर्द होने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया- मेरे पति को सेक्स करने का ज्यादा शौक नहीं है तो मैं प्यासी ही रह जाती हूं. पिछली बार उन्होंने करीब 6 महीना पहले किया था.

मैं उनकी पीड़ा समझ गया. फिर मैंने अपने लंड को भाभी की चूत से निकालकर जोरदार तरीके से फिर थोक दिया. लेकिन इस बार मैंने अपने होंठ भाभी के होंठों के ऊपर रख लिए थे.

अब मैं और जोर-जोर से झटके मारने लगा. भाभी भी अपने चूतड़ उठा उठा कर मेरा साथ दे रही थी और तेज तेज चुदाई के लिए कह रही थी.
मुझे भी बहुत मजा आ रहा था.

हम लोग ऐसे ही काफी देर करते रहे. फिर मैंने उनसे पोजीशन बदलने को कहा लेकिन उन्होंने मुझे बोला- मैंने पीछे कभी नहीं करवाया.
तो मैंने उन्हें दिलासा दी- मैं कर लूंगा.

फिर मैंने उनसे थोड़ी सा तेल या घी मंगवाया. भाभी तेल ले आयी.

मैंने थोड़ा तेल भाभी की गांड में लगाया और उंगली अंदर डाली तो मैं समझ गया कि यह पहली बार है.

फिर मैंने अपना लंड भाभी के पीछे वाले छेद में रखा. मैंने उनके दोनों हाथ जोर से दबा लिए और उनकी टांगें फैला दी और लंड पर दबाव बनाया. मेरा लंड भाभी की गांड में घुसने लगा.
भाभी बोली- धीरे धीरे!
मेरा आधा लंड भाभी की गांड में घुस चुका था.

फिर मैंने एक जोरदार शॉट मारा और मेरा पूरा लंड अंदर जा चुका था. भाभी के मुंह से इतनी जोरदार चीख निकली कि मैं तो डर ही गया.
मैंने देखा तो भाभी रो रही थी.

मैंने फिर अपना लंड थोड़ा बाहर निकाला और उनके मुंह पर अपना हाथ रख कर अंदर बाहर धीरे धीरे करने लगा. थोड़ी देर बाद भाभी को दर्द होना बंद हो गया, फिर भाभी मेरा साथ देने लगी औरउम्म्ह… अहह… हय… याह… की आवाज निकालने लगी.

मैं समझ गया कि अब भाभी को गांड मरवाने में मजा आ रहा है. ऐसा करते-करते करीब 10 मिनट हो गयातो उन्होंने मुझे गांड स लंड निकालने को कहा. मैंने लंड बाहर निकाल लिया.
उसके बाद भाभी ने मुझे अपने सीने से लगा लिया और मुझसे कहा- मैं तुम्हारा माल अपने मुंह में फिर से लेना चाहती हूं.

मुझे भी अच्छा लगा, मैंने अपना लंड उनके हाथ में दे दिया और वे उसे जोर जोर से चूसने लगी. ऐसे करते-करते करीब 5 मिनट बाद माल निकल गया और वे उसे जोर जोर से चूसने लगी.
मुझे भी बहुत अच्छा अनुभव हुआ.

फिर उन्होंने बताया कि ऐसा सुख में जीवन में जीवन में कभी नहीं मिला.
यह कहकर वह मुझसे जोर से लिपट गई.

फिर इसके बाद जब भी मौका मिलता … हम लोग सेक्स करते.
कभी वह मेरे कमरे में खुद कपड़े छत पर डालने के बहाने आ जाती या मैं कभी-कभी उनके घर जब पति और उनकी लड़की नहीं रहती, तब चला जाता.

इसके बाद मैंने उनकी लड़की को भी चोदा. वह मैं आपको दूसरी कहानी में बताऊंगा.

आपको मेरी कहानी पसंद आई या नहीं … मेरे ईमेल पर मेल भेजें और कमेंट करें.

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