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Saturday, 24 February 2024

मौसी के साथ पहला सेक्स एक्सपीरियंस

 मेरी रीयल फॅमिली सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि नानी के घर मेरी कुंवारी मौसी ने मुझसे अपनी चूत चुदवायी. असल में मौसी ने मुझे पोर्न वीडियो देखकर लंड हिलाते हुए पकड़ लिया.

आज जो मैं कहानी आप लोगों को बताने जा रहा हूं वह रियल फॅमिली सेक्स स्टोरी है. यह मेरे साथ हुई सच्ची घटना पर आधारित है. मैंने इसमें कुछ भी असत्य नहीं लिखा है. जो भी मेरे साथ हुआ मैंने वैसे ही बयां किया है. मैं उम्मीद करता हूं कि आपको मेरी इस सेक्स स्टोरी में मजा आयेगा.

चलिये अब रिश्तों में चुदाई की कहानी शुरू करते हैं.

वैसे तो मेरी नाम नितिन है मगर मेरे दोस्त और घरवाले मुझे प्यार से नीटू बुलाते हैं. मेरे लंड का साइज 6.5 इंच का है. शरीर से मैं औसत ही हूं, मगर देखने में ठीक लगता हूं.

यह घटना मेरे साथ कुछ दिन पहले ही हुई थी. उन दिनों मैं अपनी परीक्षा के परिणामों का इंतजार कर रहा था और छुट्टियों में अपनी नानी के घर गया हुआ था. मैं आपको बता दूं कि मैं अपनी छुट्टियां बिताने के लिए अक्सर अपनी रिश्तेदारी में ही जाया करता हूं.

मेरी नानी वाले घर में नाना, मामा और एक छोटी मामी और छोटी वाली मौसी रहते हैं. नाना-नानी अपने कामों में व्यस्त रहते थे और मामा जी अपनी नौकरी पर ज्यादा ध्यान देते थे. मेरी मौसी अपने फोन में ही टाइम पास करती रहती थी.

नानी के घर में गये हुए मुझे दो दिन हुए थे. मैं सब जगह घूम कर बोर हो गया था. इसलिए अब मैं घर पर ही रहता था. एक दिन की बात है कि मैं छत वाले कमरे में लेटा हुआ अपने फोन में टाइम पास कर रहा था.

ऐसे ही लेटे-लेटे सेक्सी पोर्न वीडियो देखने का मन किया तो मैंने एक सेक्स वीडियो साइट खोल ली. उस साइट पर मैं अक्सर कुंवारी लड़कियों की चूत चुदाई के वीडियो, लड़कियों की गांड चुदाई के वीडियो क्लिप और इंडियन सेक्स वीडियो देखा करता था.

देसी सेक्स वीडियो देखने में मुझे ज्यादा मजा आता था. मैं अपने फोन में पोर्न देखने में इतना खो गया कि मुझे ध्यान ही नहीं रहा कि मुझे ऐसा काम दरवाजा बंद करके करना चाहिए.

आपको तो पता ही होगा कि जब फोन में पोर्न साइट खुल जाती है तो फिर लंड भी खड़ा होना तय है. मेरा लंड भी तन गया था. मैं सेक्स वीडियो देखते हुए अपने लंड को भी सहला रहा था. उस पोर्न वीडियो का मजा लेते हुए मैं इतना खो गया कि मुझे पता नहीं चला कि कब मेरी मौसी मेरे पीछे आकर खड़ी हो गई.

उसने मुझे लंड को सहलाते हुए देख लिया. मैं तो ये भी नहीं जान पाया कि वो कितनी देर से मुझे मेरे लंड को सहलाते हुए देख रही थी.

उन्होंने एकदम से आवाज दी- ये क्या कर रहे हो तुम?
मैं हड़बड़ा गया और फोन को बंद कर दिया. मगर मेरा लंड अभी भी तना हुआ था. मैंने उसको शर्ट के नीचे छुपाने की नाकाम सी कोशिश की. मौसी ने लंड को तो देख ही लिया था. फिर भी मैंने लिहाज करते हुए उसको छिपाना चाहा.

घबराते हुए मैंने मौसी से कहा- वो … मौसी … मैं तो … बस ऐसे ही फोन में कुछ वीडियो देख रहा था.
वो बोली- मैंने सब देख लिया है कि तुम फोन में क्या देख रहे थे.

मौसी की बात सुनकर मेरी गांड फटने लगी थी. मुझे डर था कि कहीं यह घर में सबको न बता दे कि मैं अकेले में सेक्स वीडियो देख कर लंड हिलाने जैसा गंदा काम कर रहा था.
मैंने मौसी से कहा- मौसी सॉरी, आप इस बारे में किसी को मत बताना.
वो बोली- बताऊं क्यों नहीं, तुम काम ही ऐसा कर रहे थे. ये सब करने के लिए आये थे तुम यहां पर? मैं तो सबको बता कर ही रहूंगी.

ये बात बोल कर मौसी चली गई. उस वक्त मौसी तो चली गई मगर मेरी गांड फट रही थी. मैं लेटा हुआ सोच रहा था कि जरूर कुछ गड़बड़ होने वाली है. मैंने सोचा कि अब तो मौसी सबके सामने मेरी बेइज्जती करके ही रहेगी.

सोचते हुए मुझे नींद आ गयी. मगर शाम को जब मैं उठा तो सब कुछ नॉर्मल ही था. किसी को कुछ नहीं बताया था मौसी ने. ये सोच कर मुझे थोड़ी राहत मिली कि मौसी ने मेरी बात किसी को नहीं बताई. मगर डर अभी भी बना हुआ था क्योंकि रात को खाने के समय सब लोग इकट्ठा होने वाले थे.

मगर सबने खाना भी खा लिया और सब अपने अपने कमरों में सोने के लिये चले गये. मैं भी अपने कमरे में चला गया. कुछ देर के बाद मौसी मेरे पास आई और मुझे अपने साथ चलने के लिए कहने लगी. मैंने उनको कह दिया कि मैं थोड़ी देर में आऊंगा.

वो बोली- थोड़ी देर क्या मतलब है, अभी चलो.
मैं घबरा गया और उनके साथ चला गया.

उनके कमरे में जाने के बाद वो बेड पर बैठ गयी और बोली- बताओ, तुम्हारी दोपहर वाली बात का मैं क्या करूं?
मैंने मौसी से मिन्नत करते हुए कहा- मौसी वो बात किसी को मत बताना. अगर मेरे घर तक बात पहुंच गई तो मां बहुत मारेगी. मैं आपसे वादा करता हूं कि आगे से कभी पोर्न नहीं देखूंगा.

वो बोली- चलो ठीक है. इस बारे में हम कल बात करेंगे. अब तुम जाओ.
मैं उनके कमरे से वापस आ गया. लेकिन आते वक्त मैं अपना फोन उनके कमरे में ही छोड़ आया. पांच मिनट के बाद मैं उनके कमरे की ओर वापस गया. दरवाजा थोड़ा ढाल दिया गया था. मैंने भी नॉक करना जरूरी नहीं समझा और सीधा अंदर चला गया.

जैसे ही सामने देखा तो मैं चौंक गया. मौसी ने अपनी टीशर्ट उतार दी थी. वो केवल ब्रा में थी और अपना बेड लगा रही थी.
मुझे देख कर वो बोली- क्या हुआ, सोना है क्या?
मैं उनकी ब्रा को घूर रहा था.
मैंने कहा- नहीं मौसी. मैं तो अपना फोन लेने के लिए आया था.
उसके बाद मैं अपना फोन उठा कर वहां से निकल गया.

मेरे दिमाग में मौसी की ब्रा का नजारा घूम रहा था. उनके बूब्स का साइज 34 के करीब था. उनका फीगर 34-30-36 का था. बदन एकदम से गोरा था. मैंने देखा कि उनके गले में दो तिल भी थे. एक तिल कमर में भी था.

रात को लेटा तो उनके बारे में सोच कर मेरा लंड खड़ा हो गया. मैं मुठ मार कर सो गया. फिर अगले तीन दिन तक मौसी और मेरे बीच में कुछ खास बातचीत नहीं हुई.

एक रोज की बात है कि दोपहर के 11 बज रहे थे. मैं उस वक्त टीवी देख रहा था. घर में कोई नहीं था. नाना-नानी कहीं बाहर गये हुए थे. मामा नौकरी पर और मामी कहीं पड़ोस में थी. घर में मेरे और मौसी के अलावा कोई तीसरा नहीं था.

कुछ देर के बाद मौसी मेरे रूम में आई और टीवी में पेन ड्राइव लगाने लगी. मैंने सोचा कि मौसी कोई अपनी पसंद की मूवी लेकर आई होगी. मगर जब मूवी शुरू हुई तो मैं दंग रह गया. वो एक पोर्न मूवी थी.

मैंने कहा- मौसी ये क्या लगा दिया आपने!
वो बोली- तुम्हें पसंद है न ये? तुम्हारे लिये ही लगाई है.
कहते हुए वो मुस्कराने लगी.

फिर वो आकर मेरे पास लेट गई.
मेरे सीने पर हाथ रख कर बोली- कैसा फील हो रहा है?
एक तो सामने पोर्न मूवी चल रही थी और ऊपर से मौसी मुझे उकसा रही थी. मेरा लंड खड़ा हो गया.

मैंने कहा- मौसी इसे देख कर तो वो (सेक्स) करने का मन करता है.
वो बोली- तो फिर आओ, करो मेरे साथ.
मेरी तो जैसे लॉटरी लग गई.

लंड तो मेरा पहले से खड़ा हुआ था. मैं उठ कर मौसी के ऊपर आ गया. उनके ऊपर आते ही मौसी ने मेरे खड़े लंड को हाथ में लेकर सहलाना शुरू कर दिया. मैंने भी मौसी के बूब्स को पकड़ कर हाथ में ले लिया और दबाने लगा.

Mausi Real Family Sex Story
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अब हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे. मौसी मेरे होंठों को चूस रही थी और मैं मौसी के होंठों को चूस रहा था. कुछ देर तक एक दूसरे के होंठों का रस पीने के बाद मौसी ने मुझे अपने से अलग किया और अपनी टीशर्ट में हाथ डाल कर अपनी ब्रा से कॉन्डोम निकाल कर मेरी तरफ बढा़ दिये.

मौसी पूरी तैयारी के साथ आई थी.
मैंने हंसते हुए कहा- आप तो पूरे सेक्स के मूड में लग रही हो.
वो बोली- हां, बिल्कुल.
मैंने कहा- ठीक है, मैं कॉन्डम लगा लेता हूं.
वो कहने लगी- नहीं, अभी नहीं, चुदाई के समय लगाना.

मैं दोबारा से अब मौसी की चूचियों को जोर से दबाने लगा जैसे वो बूब्स नहीं रबर की गेंद हो. मैंने उनकी टीशर्ट को निकाल दिया. उनकी चूचियों को पीने लगा. उनके बूब्स के निप्पल को सक करने लगा.

जब मुझसे रहा न गया तो मैंने अपनी पैंट को उतार दिया और अपने अंडरवियर को भी निकाल दिया. मौसी ने मेरे लंड को अपने हाथ में भर लिया और उसकी मुठ मारने लगी. मैंने अब पोजीशन बदल ली और उनकी चूत की तरफ मुंह कर लिया.

मेरा लंड उनके मुंह की तरफ चला गया. मौसी ने मेरे लंड को मुंह में ले लिया और मैंने उनकी सलवार को नीचे करके उनकी चूत को चाटना शुरू कर दिया. मैं मौसी की चूत में जीभ देकर चाटने लगा.

मौसी मेरे लंड को लॉलीपोप की तरह मुंह में लेकर चूसने लगी. मैं मौसी की चूत में जीभ देकर उनकी चूत को चोदने लगा. उनकी लार ने मेरे लंड को पूरा गीला कर दिया.

उसके बाद मैंने मौसी को डॉगी स्टाइल में सोफे पर झुकने के लिए कहा. मैंने अपनी शर्ट भी उतार दी और मौसी ने भी सलवार को टांगों से उतार कर अलग कर दिया. दोनों अब पूरे नंगे हो गये. मौसी की गुलाबी चूत देख कर मेरा लंड फड़फड़ाने लगा.

मैंने जल्दी से उनकी पुस्सी में अपना लंड लगा कर अंदर पेल दिया.
उनके मुंह से जोर की चीख निकली- आह्ह… आराम से नीटू, धीरे करो.
मैंने अपने लंड को निकाला और उस पर थोड़ा थूक लगा कर फिर से धीरे-धीरे मौसी की चूत में लंड को धकेल दिया. अब मौसी को ज्यादा दर्द नहीं हुआ.

अब मैंने मौसी की चुदाई शुरू कर दी. कुछ ही देर में मौसी के मुंह से आह्ह … आह्ह की आवाजें आने लगीं. उनको इस तरह से कामुक सिसकारियां लेते हुए देख कर मेरी रफ्तार और बढ़ गई. उनकी चूत की चुदाई मैं अब और तेजी के साथ करने लगा.

दो मिनट के बाद मेरा वीर्य छूटने को हो गया तो मैंने उनकी चूत से लंड को निकाल लिया और उनकी गांड पर वीर्य छोड़ दिया.
वो बोली- अरे! इतनी जल्दी? अभी तो फिल्म शुरू ही हुई थी.
मैंने कहा- कोई बात नहीं मौसी, पिक्चर अभी बाकी है.

उसके बाद हम दोनों फिर से बेड पर आ गये. मैं मौसी के चूचों को पीने लगा. कुछ ही देर में मेरा लंड फिर से तन गया. मैं दोबारा से मौसी को चोदने के लिए तैयार था.
वो बोली- रुको, मैं तुम्हारे औजार पर टोपा पहना देती हूं ताकि उसकी गोलियां एकदम से खाली न हो जायें.

मौसी ने मेरे लंड पर कॉन्डम लगा दिया. फिर उन्होंने मुझे सोफे पर बैठने के लिए कहा. मैं नीचे बैठ गया और मौसी मेरी जांघों के बीच में आकर बैठ गई. उसने मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत में लगाया और मेरे लंड को अपनी चूत में ले लिया. फिर मौसी उछलने लगी और खुद ही मेरे लंड से चुदने लगी.

मेरा लंड अभी पूरे तनाव में नहीं आया था इसलिए बार-बार चूत में से फिसल कर बाहर निकल रहा था. मौसी दस मिनट तक मेरे लंड पर कूदती रही. इस तरह से मेरा लंड अब पूरे तनाव में आ गया.

मैंने उनको सोफे पर पटका और उनकी चूत में थूक दिया. अब मैंने चूत में लंड को पेल दिया और उनकी चूत की जोरदार चुदाई करने लगा. मैं कस-कस कर धक्के लगा रहा था और मौसी एक बार फिर से उम्म्ह… अहह… हय… याह… करती हुई अपनी चूत चुदवाने लगी थी.

धक्के पर धक्के लगाते हुए मैंने मौसी की चूत का पानी निकलवा दिया. मगर अब भी वो कह रही थी- नीटू, रुकना मत, जितना दम है तुम्हारे अंदर मुझे चोदते रहो.

मैंने और ताकत के साथ मौसी की चूत को रौंदना शुरू कर दिया. कॉन्डम लगा होने के कारण मेरे लंड से वीर्य निकलने में भी देरी हो रही थी. अब उनकी चूत छप-छप की आवाज करने लगी थी. उनकी चूचियां ऊपर नीचे हिल रही थीं. पांच-सात मिनट के बाद मौसी फिर से झड़ गई. मगर अब भी उनके मुंह से सिसकारियां निकल रही थीं.

लगभग पच्चीस मिनट तक मैंने मौसी की चूत में लंड को इसी तरह से ताकत लगा कर पेला. अब मेरे लंड से वीर्य निकलने की फीलिंग हो रही थी मुझे.
मैंने पूछा- कहां गिराऊं मौसी अपने माल को?
वो बोली- मेरे पेट पर गिरा दो.

यह सुनते ही मैंने तुरंत उनकी चूत से लंड को निकाल लिया और कॉन्डम हटा कर अपने लंड को एक दो बार अपने हाथ में लेकर हिलाया और लंड से वीर्य की पिचकारी निकलने लगी. मैं मौसी के पेट पर झड़ गया.

उसके बाद मौसी उठ कर बाथरूम में चली गई. मैं भी उनके पीछे गया. मौसी की गांड पर लंड को लगा कर धकेलने लगा तो मौसी बोली- बस आज के लिए इतना ही काफी है.
फिर हम दोनों फ्रेश हो गये. बाथरूम से निकल कर अपने कपड़े पहन लिये हमने.

बाहर आकर हम टीवी देखने लगे. अब हम हिन्दी फिल्म देख रहे थे. पोर्न वीडियो नहीं. इस तरह से मौसी के साथ सेक्स करते हुए उस दिन मैं दो बार झड़ा और मौसी तीन बार.

मैंने पूछा- मौसी आपने इससे पहले भी सेक्स किया था क्या?
वो बोली- हां, अपने बॉयफ्रेंड के साथ किया था.
फिर वो पूछने लगी- और तुमने?
मैंने कहा- मेरा तो फर्स्ट टाइम ही था.

मौसी ने कहा- चलो अच्छा है. तुम्हें भी सेक्स का पहला एक्सपीरियंस मिल गया.
दोस्तो, इस तरह से मौसी ने मुझे पहली बार सेक्स का मजा दिया. उन्होंने मुझे सेक्स के बारे में काफी कुछ सिखाया.

आपको मेरी यह फॅमिली सेक्स स्टोरी पसंद आई या नहीं … आप मुझे बतायें. मैं आपके साथ अपने जीवन के और भी सेक्स एक्सपीरियंस शेयर करूंगा.
जल्द ही मैं आप लोगों के लिए एक नई सेक्स कहानी लेकर आऊंगा. मगर इस कहानी के बारे में अपने विचार मुझे बताना न भूलें. मुझे आपके मैसेज पढ़ कर अच्छा लगेगा.

चाची को पटाकर चूत चुदाई का मजा लिया-2

 चाची को पटाने के बाद अब उनकी चुदाई की बारी थी. चाची भी तैयार थी. उनको मेरी हरकतों के बारे में सब पता था. मैंने चाची को कैसे चोदा, आगे कहानी में जानें.मैंने आपको बताया था कि अपनी कज़न सिस्टर की शादी में मैंने चाची की गांड पर लंड लगा दिया था. फिर उनके घर में जाकर मैंने चाची को दबोच लिया. मगर चाची ने मुझे डांट दिया.

उसके बाद मैंने चाची को सॉरी कहा और यह बात किसी से न बताने की रिक्वेस्ट की. फिर चाची मेरे साथ राशन की दुकान पर सामान लेने के लिए गयी थी तो मैंने उनसे शिकायत की.

धीरे-धीरे वो मेरी बातों में आने लगी. वापस आकर मैं अपने घर के लिए चल पड़ा था कि चाची मुझे रोकने लगी. मैंने चाची को कहा कि मैं काम खत्म करके वापस आऊंगा. मेरी चाची को मैंने अपनी बातों में पटा लिया था.

जब मैं चाची के घर पहुंचा तो मैं सीधा उनके रूम में गया.
वो बोली- तुझे अंदर आते हुए किसी ने देखा तो नहीं?
मैंने कहा- नहीं, मुझे किसी ने नहीं देखा.
चाची की बातों से लग रहा था कि अब वो भी तैयार हो चुकी है अपनी चूत को चुदवाने के लिए.

फिर वो उठ कर जाने लगी. मैंने पूछा तो वो कहने लगी कि मैं गेट बंद करके आ रही हूं. यह बात सुन कर मैं तो जैसे खुशी से झूम उठा था. मुझे पूरा यकीन हो चला था कि चाची मेरी पटाई में आ चुकी है और अब मुझे चाची की चूत मिलने ही वाली है. मेरे लंड में हलचल होना शुरू हो गई थी.

गेट बंद करने के बाद चाची वापस आ गयी.
आते ही मैंने उनको अपनी बांहों में भर लिया.
वो बोली- बड़ी जल्दी है तुझे हरामखोर, थोड़ा सब्र तो कर ले.
मैंने कहा- नहीं चाची, अब तो मैं एक पल के लिए भी नहीं रुक सकता.

वो मेरी बात को सुन कर हंसने लगी. उनकी चूचियां मेरी छाती से सट गई थीं.
वो बोली- अच्छा, एक बात तो बता, ये सब कब से चल रहा है तेरे दिमाग में?
मैंने कहा- सच कहूं चाची?
वो बोली- तो क्या अब भी छिपाएगा मुझसे!

मैंने कहा- नहीं चाची, मैं तो आपको बहुत पहले से ही पसंद करता था. कई बार छत पर आपको कपड़े सुखाते हुए देखा करता था. आपकी मोटी सी गांड को देख कर मेरा लौड़ा सलामी देने लग जाता था.
वो बोली- धत्त… बहुत बदमाश हो गया है.

चाची मेरी बांहों में थी और मैंने उनके होंठों को चूसना शुरू कर दिया. वो भी मेरा पूरा साथ देने लगी. अब मेरे हाथ चाची के बूब्स को भी दबा रहे थे. चाची के मुंह से अब कुछ मादक आवाजें निकलना शुरू हो गई थीं. मेरा लंड भी पूरा तन गया था.

मैंने चाची की जांघों में अपने लंड को सटा दिया. दोनों एक दूसरे के होंठों को पीने लगे.
चाची बोली- तूने कांगना खिलाई में भी कुछ इस तरह की हरकत मेरे साथ की थी न?
मैंने कहा- आपको पता चल गया था क्या?

वो बोली- औरत को सब पता चल जाता है कि उसके बदन पर पड़ने वाली मर्द की नजर में क्या छिपा हुआ है.
मैंने कहा- तो फिर आपका भी मन करता था क्या?
वो बोली- नहीं, मैंने तो तेरे चाचा के साथ ही किया है. वो मुझे पूरा सुख देते हैं.

मगर उस दिन जब तू शादी में मेरे पिछवाड़े पर लंड को सटा कर खड़ा हुआ था तो मुझे कुछ अच्छा भी लग रहा था. तेरे चाचा के साथ शादी को सालों बीत चुके हैं. ऐसा नहीं है कि मुझे उनके साथ मजा नहीं आता, मगर जब एक जवान लड़के का लंड इतना मचल रहा हो तो फिर उसको ज्यादा तड़पाना भी ठीक नहीं होता.

चाची की बात सुन कर मैंने उनके होंठों को जोर से पीना शुरू कर दिया. मेरे हाथ अब मेरी फेवरेट जगह पर चले गये थे. वो जगह थी मेरी सेक्सी चाची की गांड. मैं अपने हाथों से चाची की गांड को दबा रहा था.

कभी उनकी चूचियों को मसल रहा था तो कभी उनकी गांड को दबा रहा था. चाची अब धीरे-धीरे गर्म हो रही थी. उनके हाथ मेरे जिस्म पर चल रहे थे. वो मुझे अपनी बांहों में भरने की कोशिश कर रही थी.

दस मिनट तक तो हम ऐसे ही एक दूसरे के होंठों का रस पीते रहे. मेरा इतने सालों का इंतजार खत्म हुआ था इसलिए मैं चाची के होंठों का पूरा रस निचोड़ लेना चाह रहा था.

फिर मैंने उनकी साड़ी को उतारना शुरू कर दिया. साड़ी के पल्लू को मैंने उतार दिया. अब चाची ब्लाउज में थी. वो पीछे हाथ ले जाकर अपने ब्लाउज को खोलने लगी. मैं खुद ही उनके पीछे चला गया.

मैंने उनके ब्लाउज के हुक खोलना शुरू कर दिया. उन्होंने नीचे से ब्रा भी नहीं पहनी हुई थी. हुक खुलते ही उनकी कमर पीछे से नंगी हो गई. मैंने उनको पीछे से अपनी बांहों में भर लिया और अपना लंड उनकी गांड में सटा दिया.

वो बोली- आह्ह … तुझे मेरी गांड इतनी पसंद है क्या?
मैंने कहा- चाची आपकी गांड नहीं, एटम बम है. ऐसी गांड बहुत कम औरतों की देखी है मैंने.
वो बोली- तेरे चाचा भी यही कहते हैं.
मैंने उनकी चूचियों को हाथ में लेकर भींचते हुए पूछा- तो क्या चाचा ने आपकी गांड भी चोदी हुई है.

चाची बोली- हां, उनको भी तेरी तरह मेरी गांड बहुत पसंद है. लेकिन यह बात तेरे और मेरे बीच में ही रहनी चाहिए.
मैंने कहा- आह्ह… चाची, आप तो पूरी खिलाड़ी हो. वैसे चाचा का औजार कितना बड़ा है?
वो बोली- काफी लम्बा और मोटा है उनका.

मैंने पूछा- तो फिर पूरा ले लेती हो आप?
वो बोली- हां, जब मर्द का लंड खड़ा हो जाता है तो वो पूरा घुसा कर ही दम लेता है.
मैंने कहा- मेरा लौड़ा देखना चाहोगी?
वो बोली- खुद ही दिख जायेगा. तू कौन सा मुझे छोड़ने वाला है.

उनकी बात पर मैंने लंड को जोर से उनकी गांड में धकेलते हुए कहा- मेरा मन तो कर रहा है कि आपकी गांड को चोद-चोद कर उसका कुआं खोद दूं.
वो बोली- कुआं बाद में खोद लेना, अगर अभी कोई आ गया तो सारा मजा खराब हो जायेगा.

वो सही कह रही थी.
मैंने उनकी साड़ी को उनके बदन से अलग कर दिया और उनके पेटीकोट भी निकाल दिया. चाची ने नीचे से जांघिया पहनी हुई थी.
मैंने उनको बेड पर लिटा दिया और उनकी जांघिया को निकाल दिया.

चाची अब पूरी तरह से नंगी थी. उनकी चूचियां काफी मोटी थीं. मैं उनके ऊपर कूद गया और अपने हाथों में उनकी चूचियों को भर लिया. चाची भी अब पूरी गर्मजोशी के साथ मेरा साथ दे रही थी.
मैंने चाची की चूचियों को काफी देर तक भींचा और फिर उनकी एक-एक चूची को बारी-बारी से मुंह में भरने लगा.

स्तनपान करवाते हुए चाची के मुंह से अब जोरदार आवाजें निकलने लगीं थीं. वो हर पल और ज्यादा गर्म हो रही थी. फिर मैंने उनकी चूचियों को छोड़ दिया और उनकी नाभि को चूसा. धीरे-धीरे मैं चाची की चूत की तरफ बढ़ रहा था.

Chachi Ko Choda
Chachi Ko Choda

चाची की चूत पर काफी घने झांट थे. मैंने कहा- चाची आपकी गुफा पर तो घनी झाड़ियां हैं.
वो बोली- कई दिनों से तेरे चाचा का शेर इस गुफा की तरफ नहीं आया है. इसलिए झाड़ियां उग आई हैं.
मैंने कहा- तो फिर अपने भतीजे के शेर को जगह दे दो.

वो बोली- हां, अब बातें ही चोदेगा या कुछ और भी करेगा.
मैंने चाची की चूत में मुंह दे दिया.
उसकी चूत में जीभ लगा कर मैंने पूरी जीभ को अंदर घुसा दिया. चाची के मुंह से जोर की सिसकारी निकल गई.

जैसे-जैसे मेरी जीभ चाची की चूत में जा रही थी, उसके साथ ही उसके मुंह से सीत्कार और ज्यादा तेज हो रहे थे. चाची की चूत अब गीली होना शुरू हो गयी थी.

काफी देर तक मैंने चाची की चूत को चाटा और चूसा. उसकी चूत से अब काफी मात्रा में कामरस निकलने लगा था. मैं उसकी चूत का स्वाद लेते हुए चूत चुसाई का मजा ले रहा था.

फिर वो बोली- बस कर, अब डाल भी दे कमीने.
मैंने कहा- क्या हुआ चाची, थोड़ा रस तो पीने दो.
मेरे कहते ही उसने मेरे मुंह को अपनी चूत में घुसा दिया.
मेरी नाक चाची की चूत में घुस गई.

मैं भी जोर से चाची की चूत में जीभ चलाने लगा. वो अब तड़पने लगी.
वो बोली- बस कर अब, डाल दे, क्यूं तड़पा रहा है!
मैंने कहा- थोड़ा सब्र और कर लो चाची.

उसके बाद मैंने चाची की चूत में उंगली दे दी. उनकी चूत में उंगली डाल कर उनकी चूत को कुरेदने लगा. चाची की चूत अंदर से बहुत गर्म थी. मैंने उनकी चूत में तेजी के साथ उंगली करना शुरू कर दिया वो चुदाई के लिए बुरी तरह से तड़प उठी.

वो बोली- मादरचोद, अब डाल भी दे.
मैं उठ गया और अपने कपड़े निकालने लगा.
अपनी शर्ट उतारी और फिर जल्दी से पैंट को खोल दिया. मेरे कच्छे में मेरे लंड बुरा हाल हो चुका था. सारा अंडरवियर प्रीकम से भीग गया था.
मैंने कच्छा भी उतार दिया.

चाची मेरे लंड को देखने लगी.
मैंने चाची के सामने लंड को हिलाते हुए कहा- कैसा है चाची?
वो बोली- तेरे चाचा के जैसा ही है.
मैंने कहा- लेना चाहोगी?
वो बोली- हरामी, अब कौन से मुहूर्त का इंतजार कर रहा है!

मैंने कहा- चाची, एक बार मुंह में तो ले लो.
वो बोली- नहीं, मैं तेरे चाचा का भी नहीं लेती.
मैंने कहा- बस एक बार, बहुत मन कर रहा है. मैंने आज तक किसी के साथ मुखमैथुन नहीं किया है.
वो बोली- नहीं, मुझे गंदा लगता है.

अपना अंडरवियर उठा कर मैंने लौड़े को पोंछ दिया.
फिर बोला- लो, अब तो ले लो.
वो बोली- तू ऐसे नहीं मानेगा.
मैंने फिर से विनती की- बस एक बार चाची.

वो बोली- ठीक है.
वो उठ गई और मैं नीचे लेट गया. अब चाची मेरी टांगों के बीच में आ गयी. उसने मेरे लंड के पास अपने मुंह को किया तो बोली- नहीं हो पायेगा मुझसे.
मैंने कहा- एक बार ट्राई तो करो. अगर पसंद न आये तो निकाल देना.

चाची ने मेरे लंड को मुंह में ले लिया. जैसे ही चाची ने लंड अंदर मुंह में डाला मैंने चाची के सिर को पकड़ लिया. उनके सिर को अपने लंड पर दबाने लगा. आह्हह … चाची के मुंह में लंड देकर मैं तो जन्नत की सैर कर रहा था.

मैंने चाची के सिर को लंड पर दबाये रखा और फिर दो मिनट के बाद वो खुद ही मेरे लंड को चूसने लगी.
मुझे मजा आने लगा. चाची अब मस्ती से मेरे लंड को चूस रही थी.
मैं पांच मिनट के अंदर ही झड़ गया.

चाची ने मेरे वीर्य को बाहर थूक दिया. फिर वो अपने कपड़े पहनने लगी.
मैंने कहा- ये क्या चाची, अभी तो हमने कुछ किया ही नहीं.
वो बोली- कोई आ जायेगा.
मैंने कहा- कोई नहीं आयेगा. इतने दिनों के बाद तो मौका मिलेगा. आज मैं इसको हाथ से नहीं जाने दूंगा.

मैंने चाची को पकड़ लिया और उनकी चूचियों को दबाने लगा. अपने सोये हुए लंड को उनकी गांड पर लगाते हुए मैं चाची की चूचियों को भींचने लगा. उनकी गर्दन पर किस करने लगा.

थोड़ी ही देर में मेरे लंड में फिर से तनाव आने लगा. जैसे ही लंड खड़ा हुआ मैंने चाची को बेड पर लेटने के लिए कहा. वो मेरे सामने अपनी चूत को फैला कर लेट गई.

मैंने चाची की चूत में लंड को लगाया और फिर उनके ऊपर लेटता चला गया. मेरा लंड गच से चाची की चिकनी हो चुकी चूत में उतर गया. उनकी झांटों के बीच से होता हुआ लंड पूरा अंदर चला गया. ऐसा लग रहा था जैसे मेरा लंड कहीं गुम हो गया है चाची की चूत के जंगल में.

अब मैंने उनकी चूत की चुदाई शुरू कर दी. एक बार मेरा वीर्य तो पहले से ही चाची के मुंह में निकल चुका था, अब जल्दी निकलने वाला नहीं था, इसलिए मैं तेजी के साथ बिना रुके उनकी चूत को चोदने लगा. चाची की चूत अंदर से जैसे आग उगल रही थी. बहुत गर्म चूत थी उनकी.
लंड से चुदाई का मजा चाची को भी आने लगा. वो भी अपनी चूचियों को मसलते हुए मेरे लंड से चुदाई का आनंद लेने लगी.

उनके मुंह से अब मेरे लिए कामुक सीत्कार निकल रहे थे- आह्ह जानू, और तेजी के साथ. बहुत दिनों से लंड नहीं लिया था.
मैंने कहा- हां मेरी जान, अब तो मैं रोज ही तुम्हारी चूत की चुदाई कर दिया करूंगा.

मैं तेजी के साथ चाची की चूत को चोद रहा था. उनकी चूत से निकलने वाले कामरस में भीग कर मेरा लंड एकदम से चिकना हो गया. मैं बीच-बीच में चाची की चूचियों को भी दबा रहा था.
दस मिनट तक मैंने चाची की चूत चुदाई का मजा लिया और फिर मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ.

उनकी चूत में धक्के लगाते हुए ही मैंने वीर्य की पिचकारी मार दी. अब मैं हाँफते हुए चाची के ऊपर गिर गया. चाची की चूत से भी कुछ गर्म-गर्म पदार्थ शायद निकल गया था. उनकी चूत की गर्मी बहुत ज्यादा थी.

कुछ देर तक हम दोनों ऐसे ही पड़े रहे. फिर चाची उठने के लिए कहने लगी.
मैंने कहा- चाची, गांड को भी चोदने दो न एक बार.
वो बोली- आज नहीं, फिर कभी. अगर कोई आ गया तो बहुत बदनामी होगी. वैसे भी तुम्हें मेरे घर आये हुए काफी देर हो चुकी है.

तभी दरवाजे पर बाहर खटखटाने की आवाज हुई.
मैं और चाची एकदम से उठ गये.
चाची ने अंदर से आवाज लगा कर पूछा- कौन है?
बाहर से आवाज आई- चाची, खाने के लिए आ जाओ.
वो बोली- ठीक है, पांच मिनट में आती हूं.

वो मेरे कज़न भाई की आवाज थी.
चाची डांटते हुए बोली- देखा, मैंने कहा था न कोई भी आ सकता है. अब जल्दी से कपड़े पहन ले और निकल.
मैं और चाची दोनों अपने कपड़े पहनने लगे.

उस दिन के बाद से मैं चाची को चार बार चोद चुका हूं. चाची को घर में जब भी मौका मिलता था वो मुझे बुला लेती थी. मैं भी चाची की चुदाई करने के लिए तुरंत पहुंच जाता था. मैं उनके साथ बहुत खुश था.

पहले दिन मैंने चाची की चूत चोदी. मगर अभी चाची की गांड चुदाई करना बाकी था. चाची की गांड को मैंने कब और कैसे चोदा वो सब मैं आपको फिर कभी बताऊंगा.

तो दोस्तो, आपको मेरी यह इंडियन सेक्स स्टोरी कैसी लगी, आप मुझे इसके बारे में मेल करके बताना. मुझे आपके मैसेज का इंतजार रहेगा.

Friday, 23 February 2024

होटल में गर्लफ्रेंड की सील तोड़ी

 

मेरी सेक्स कहानी में पढ़े कि कैसे मैंने कोचिंग की एक लड़की की मदद की, उससे दोस्ती हुई. फिर मैंने एक दिन उसे प्रोपोज किया और होटल लेजाकर उसकी कुंवारी चूत चोदी.

मेरा नाम सचिन है, मैं रोहतक हरियाणा का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 25 साल है और मैं जाट हूँ. मेरी सेक्स कहानी लगभग 6 साल पुरानी है, जब मैंने बाहरवीं पास करके कॉलेज में दाखिला लिया था. कॉलेज की पढ़ाई के साथ साथ मैं एसएससी एग्जाम की तैयारी भी कर रहा था.

सुबह से दोपहर तक कॉलेज में, फिर कोचिंग सेंटर पर जाता था. वहां पर बहुत से लड़के लड़कियां आते थे. उनमें एक बला की खूबसूरत लड़की आती थी. उसका नाम पिंकी (बदला हुआ) था. सब लड़के उस पर मरते थे.

हरियाणा का जाट होने के कारण मेरा शरीर खिलाड़ी टाइप का है और हाइट 5 फुट 10 इंच है. चूंकि मैं जमींदार घर का लड़का हूँ, इसलिए मेरे रहन सहन का स्तर भी बहुत अच्छा है.

मैं भी पिंकी पर ट्राय करता था. उसका 32-28-32 का फिगर बहुत ही कमाल का था.

कोचिंग में पढ़ते हुए लगभग एक साल निकल गया. चूंकि मैं पढ़ाई में भी होशियार हूँ. मेरे ग्रुप में भी सबसे ज्यादा होशियार मैं ही था. पढ़ाई के चलते पिंकी और मेरी कभी कभी थोड़ी बहुत बात होती रहती थी.

एक दिन की बात है मैं बाइक से कोचिंग सेंटर की तरफ जा रहा था. मेरे आगे आगे पिंकी स्कूटी पर जा रही थी. उसकी स्कूटी को एक कार वाले ने साईड से टक्कर मार दी और वो वहीं पर गिर गयी.
कार वाला तो भाग गया, पिंकी सड़क पर गिरी पड़ी थी. जैसे ही मैंने उसे गिरते देखा, तो मुझे मौका मिल गया. मैंने भाग कर उसके पास अपनी बाइक रोकी और उसको अपनी बांहों का सहारा देते हुए उठाकर हॉस्पिटल लेकर गया. उसको ज्यादा चोट नहीं आई थी, बस मामूली सी खरोंच थी. उसके बाएं पैर में मोच आ गयी थी जिस कारण से उससे चला नहीं जा रहा था.

जिधर दुर्घटना हुई थी, उधर पिंकी की स्कूटी पड़ी थी. जब मैं पिंकी को अस्पताल ले जाने लगा था, तब मैंने एक अपने दोस्त को फोन कर दिया था और उसे सारी बात बताकर उससे पिंकी की स्कूटी उसके घर छोड़ने को बोल दिया था.

इधर अस्पताल से पिंकी को दवा आदि दिला कर मैंने उसे अपनी बाइक पर बिठाया और उसको उसके घर की तरफ ले गया.

रास्ते में जब मैंने उससे उसके अपनी किसी घर के सदस्य को न बुलाने की बात पूछी, तो उसने बताया कि घर पर कोई भी नहीं है, घर वाले सब घूमने गए हुए है. वो एग्जाम की वजह से नहीं जा सकी.

उसके घर पहुँचने के बाद मैंने उसको बिठाया और चाय बना कर पिलाई. अब कोचिंग सेंटर पर जाने का टाइम नहीं था, तो मैं पिंकी को उसके कमरे में लिटा कर अपने घर आ गया.

रात को 9 बजे की करीब मुझे एक अनजान नंबर से कॉल आयी और बड़ी मीठी सी आवाज में पूछा कि सचिन बोल रहे हो?
मैंने हां कहा, तो उसने कहा- मैं पिंकी बोल रही हूँ.

पहले तो मैंने सोचा कि इसके पास मेरा नंबर कहां से आया, फिर फालतू की बातों को पीछे छोड़ते हुए उससे पूछा- हां पिंकी बोलो … कुछ काम है क्या?
वो रोने लग गयी और बोली कि मुझे भूख लगी है और हाथ पैर मैं चोट आने की वजह से खाना नहीं बना सकती.
मैंने कहा कि मैं खाना लेकर आ रहा हूँ.

मैंने उससे उसकी पसंद की डिश पूछी और फ़ोन रख दिया. अब मैंने भी खाना नहीं खाया था, तो एक होटल में जाकर हम दोनों के लिए खाने का आर्डर दे दिया. तभी उसका व्हाट्सएप्प आया कि आते समय वनीला आइसक्रीम भी लेते आना.

मैंने खाना पैक करवाया और उसके घर के बाहर जाकर उसके पास कॉल की, उसने पहली रिंग में ही फ़ोन रिसीव किया और बोली- दरवाजा तभी से खुला है, जब से तुम गए थे … अन्दर आ जाओ.

मैं अन्दर चला गया और उसके रूम में हम दोनों ने खाना खाया. खाने के बाद मैंने उसके घर में दोनों तरफ से लगने खुलने वाला लॉक लगाया और मैं अपने घर आ गया.

उस रात देर तक हमारी बात होती रही. अगली सुबह मैं उसके लिए घर से खाना पैक करवा कर ले गया और उसको खाना खिला दिया.

फिर दिन में भी हमारी बात होती रही. कोचिंग सेंटर का टाइम खत्म होने पर उसकी कॉल आयी औऱ बोली कि जो क्लास में जो टॉपिक करवाया है, वो मुझे बता जाओ.

मैं भी उससे मिलने के बहाने खोज रहा था. मैं सीधा उसके घर गया और बेल बजाई. उसने दरवाजा खोला. वो आज ठीक थी और धीरे धीरे चल रही थी.

जब उसने दरवाजा खोला, तो क्या बला की खूबसूरत लग रही थी. सफेद जीन्स की पैन्ट और स्काई ब्लू कलर की शर्ट.

मेरा मन कर रहा था कि उसको यहीं दबोच कर किस कर लूं.

अचानक उसने चुटकी बजाई और बोली- ओ हैलो … कहां खो गए.
मैंने उसकी तरफ एक छोटी सी स्माइल दी और उसका हाल-चाल पूछा. उसने भी एक स्माइल दी.

उससे सही से चला नहीं जा रहा था, तो वो कुर्सी के सहारे चल रही थी. तभी अचानक से उसका बैलेंस बिगड़ा और वो मेरी तरफ आ गिरी. मैंने उसको पकड़ा और उसको कमरे तक ले गया. उसको क्लास के टॉपिक करवाए और थोड़ी देर इधर उधर की बातें हुईं.

तभी मेरे पापा की कॉल आयी और मुझे मजबूरन घर आना पड़ा. शाम को मैं उसको खाना देकर आया. अब 4 दिन तक यही रूटीन रहा.

पांचवें दिन मैंने बातों ही बातों में पूछ लिया कि तुम्हारा बॉयफ्रेंड क्या करता है?
उसने मना कर दिया कि मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है. उसने मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में पूछा, तो मैंने भी मना कर दिया.

हम दोनों ने एक दूसरे की तरफ मुस्कुरा कर देखा और मैंने उसकी तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहा- मेरी फ्रेंड बनोगी?
उसने भी झट से मेरा हाथ थाम लिया और कहा- यस नाओ वी आर फ्रेंड्स.

मुझे बड़ा सुकून मिला, शायद उसे भी अच्छा लगा था. इसके बाद हम दोनों की फोन पर बातें बढ़ती चली गईं. हम दोनों एक दूसरे को ब्वॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड के नजरिये से देखने लगे थे. हम फ़ोन पर नॉनवेज चुटकुले भी शेयर करने लग गए थे.

ऐसे ही एक महीना और गुजर गया. अब वो बिल्कुल ठीक हो गयी थी. एक दिन रात को उसने कहा कि कल मूवी देखने चलते हैं.
मैंने हां कहा और कहा कि मैं ऑनलाइन टिकट करवा लेता हूं.
वो बोली- पार्टी मैं दे रही हूँ, तो टिकट भी मैं ही करवाऊंगी.

सुबह 10:30 की मूवी थी, मैं टाइम से थोड़ा पहले पहुंच गया था. मैं मॉल के बाहर उसका वेट करने लगा, तभी वो सफेद पैन्ट और सफेद शर्ट में आई.

मां कसम … कमाल का काँटा लग रही थी. मैंने सोचा कि आज इसको प्रपोज़ करके रहूंगा.

उसने कॉर्नर की टिकट ले रखी थी. ये तो मेरे लिए सोने पे सुहागा जैसी बात हो गयी. मैंने आखिर थोड़ी हिम्मत करके उसे प्रपोज़ कर ही दिया.

एक बार तो वो थोड़ा गुस्सा हुई, फिर थोड़ी हँसने लगी. वो बोली- ये कहने में तुमको बड़ी देर लग गई … अगर आज तुम मुझे प्रपोज़ नहीं करते, तो मैं तुम्हें प्रपोज़ कर देती.
मैंने उसको ‘आई लव यू..’ कहा, तो वो मुझसे लिपट गयी और ‘आई लव यू टू..’ बोली.

कॉर्नर की सीट होने के कारण हम दोनों किस करने लगे. अब वहां पर ज्यादा कुछ हो नहीं सकता था, तो हम दोनों वहां से निकल आए.

मैंने एक दोस्त को कॉल की और किसी सेफ से होटल के बारे में पूछा, तो उसने अपने किसी रिलेटिव के होटल के बारे में बताया. हम दोनों वहां गए, तो वहां पर दोस्त की बुआ का लड़का बैठा मिला. वो मुझे जानता था, तो कुछ ज्यादा प्रॉब्लम नहीं हुई.

हम दोनों रूम में आ गए और अन्दर जाते ही आपस में लिपट गए और एक दूसरे को ऐसे किस करने लगे, जैसे हमारे अन्दर जन्मों की प्यास छुपी हुई थी.

मैंने उसको बेड पर लिटाया और उसकी शर्ट के बटन खोल दिए. उसने सफेद कलर की ही ब्रा पहन रखी थी. उसने मेरी शर्ट उतार दी. वो मुझे किस करने लगी. मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी और उसके कबूतरों को आजाद कर दिया. उसके निप्पलों को अपने दांतों से काटने लगा, तो वो कराहने लगी.

फिर मैंने उसकी पैन्ट ओर पैंटी एक साथ उतार दी. उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था. बाद में उसने बताया कि वो स्पेशल मेरे लिए ही शेव करके आयी थी.

अब मैंने अपनी पैन्ट ओर जॉकी भी निकाल दी. उसने शर्मा कर अपनी आंखें बंद कर लीं.

Hotel Sex Kahani
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मैं उसकी चूत में उंगली करने लगा. पिंकी की चूत एकदम टाइट थी, उसमें उंगली भी मुश्किल से गयी. मेरा तो जैकपॉट लग गया था.

अब मेरा भी पहली बार था, लेकिन अन्तर्वासना पर कहानी पढ़ पढ़ कर मैं एकदम एक्सपर्ट हो गया था. मैंने उसके हाथ में अपना 7 इंच का लंड पकड़ा दिया. मेरा लंड देख कर वो एकदम से घबरा गई और एक बार तो उसने अपना हाथ हटा लिया … लेकिन दूसरी बार में उसने लंड पकड़ लिया.

वो लंड को देख कर घबराकर बोली- ये मेरी चुत में कैसे जाएगा, मेरी तो छोटी सी है.
मैंने कहा- ये अपना रास्ता अपने आप बना लेता है … तुम चिंता न करो.

मैं उसको फिर से किस करने लगा. अब मेरी एक उंगली उसकी चुत में थी और मेरे होंठों में उसके निप्पल दबे थे. वो जोर जोर से कराहने लगी.

वो बोली- सचिन मेरी चुत में जल्दी से कुछ डालो … वरना मैं मर जाऊँगी.

मैं 69 की पोजीशन में आ गया और उसकी चुत में जीभ फेरने लगा. वो और ज्यादा ‘आह उह..’ की आवाज करने लगी. मैंने लंड पकड़ कर उसके मुँह की तरफ कर दिया. पहले दो बार तो उसने मना कर दिया, लेकिन तीसरी बार वो लंड चूसने को तैयार हो गयी. वो जोर जोर से लंड चूसने लगी.

फिर चार पांच मिनट में ही वो झड़ गयी और साथ में मैं भी झड़ गया. हम दोनों एक दूसरे का सारा माल पी गए. हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे.

दस मिनट क़िस करने के बाद लंड फिर से खड़ा हो गया. मैं एक बार फिर उसकी चुत में उंगली करने लगा.

वो बोली- जान इसमें जल्दी से कुछ डालो.

मैंने उसको थोड़ा और तड़फाना चाहा. थोड़ी देर उंगली करने के बाद उसकी दोनों टांगों को अपने कंधे पर रख कर लंड का सुपारा उसकी चुत पर रगड़ने लगा.

मैंने थोड़ा आराम से झटका दिया, तो लंड चुत से फिसल कर नीचे की और चला गया. वो हंसने लगी.

मैंने उसे देख कर एक आंख मारी और फिर से लंड को सैट किया. इस बार मैंने कुछ ज्यादा जोर का झटका मार दिया. मेरा लंड शायद आधा अन्दर चला गया था. लंड क्या घुसा, पिंकी ने जोर की चीख मारी उम्म्ह… अहह… हय… याह… और रोने लग गयी.

मैं उसको किस करने में लग गया. कोई एक मिनट बाद वो थोड़ी नार्मल हुई और अपने दोनों चूतड़ों को ऊपर उठाने लगी.

मैंने भी हल्के हल्के से धक्के लगाने शुरू कर दिए. वो मस्त होने लगी, उसे दर्द तो हो रहा था, लेकिन वो मेरे थोड़े से घुसे लंड को एन्जॉय कर रही थी.

तभी मैंने उसके होंठों पर होंठ रखे और एक जोर का झटका लगा दिया. इस बार मेरा पूरा का पूरा लंड चूत के अन्दर हो गया था. पिंकी की तो मानो मां चुद गई थी. वो जोर से छटपटाने लगी और उसने अपने होंठ हटा कर जोर जोर से आवाज करना शुरू कर दिया.

मैंने उसके होंठों को अपने फिर से अपने होंठों में दबाया और जोर जोर से झटके मारने चालू कर दिए. उसकी गूं गूं की आवाज आती रही, मगर मैं लगा रहा.

कोई 10-12 झटकों के बाद उसे मजा आना चालू हो गया. अब वो मुझे जोर जोर से गालियां देने लगी और बोलने लगी- आह मादरचोद … फाड़ दे मेरी चुत को … आह … आज इस चुत का भोसड़ा बना दे … साली बड़ी परेशान करती है मुझे … उन्ह सचिन … साले जोर लगा कर चोद भैन के लौड़े. … और जोर लगा कर पेल हरामी..

मैं उसकी गालियां सुनकर मस्त हो गया था और उसकी चूचियों को दबाता हुआ उसकी ताबड़तोड़ चुदाई में लगा हुआ था.

लगभग 25 मिनट की चुदाई में वो 2 बार झड़ चुकी थी. अब मैं भी झड़ने वाला था.

मैंने उससे पूछा- अन्दर निकालूं या बाहर?
पिंकी बोली कि अन्दर ही निकाल दे … आज मैं तुझे अपने अन्दर महसूस करना चाहती हूँ.

मैंने 5-7 झटकों के बाद उसकी चुत में ही रस झाड़ दिया.

झड़ने के बाद हम दोनों यूं ही पड़े रहे. वो मुझे अपने सीने से लगाए पड़ी रही. कोई दस मिनट आराम करने के बाद मैं उठा, तो देखा कि बेड की चादर खून से लाल हो गयी थी.

मैंने पिंकी को उठाया, तो उससे चला भी नहीं जा रहा था. मैं उसे गोद में उठाकर बाथरूम में ले गया. उधर ले जाकर उसे साफ किया और एक बार फिर बाथरूम में चुदाई का आनन्द प्राप्त किया.

फिर हम दोनों में चुदाई की ऐसी लत लगी कि हम लोग हफ्ते में 3 बार तो सेक्स करते ही थे. उसके बाद मैंने उसकी गांड भी मारी और उसकी 2 सहेलियों को भी चोदा … वो भी उसी के सामने. ये सब अगली चुदाई की कहानी में बताऊंगा.

अब पिंकी की शादी हो चुकी है और वो अपनी लाइफ में खुश है. हम दोनों का अब भी कई बार मिलन हो जाता है. मुझे पिंकी के बाद एक नए साथी की तलाश है.

यह थी मेरी सेक्स कहानी, उम्मीद है आपको पसन्द आयी होगी. आप अपनी राय मुझे जरूर मेल करना. ताकि मैं अपनी अगली कहानी लिख सकूँ.

Thursday, 22 February 2024

चाची को पटाकर चूत चुदाई का मजा लिया-1

 

अपनी पड़ोसन चाची की चूत चुदाई का सपना मैं कई साल से देख रहा था. एक बार कज़न सिस्टर की शादी में अपनी बातों से मैंने सेक्सी चाची को पटाने की कोशिश की.

मेरा नाम विजय (बदला हुआ) है. मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूं. मेरी उम्र 23 साल से ऊपर है. देखने में मैं ठीक-ठाक हूं. मेरा शरीर न ज्यादा मोटा है और न ज्यादा पतला. शक्ल-सूरत से भी ठीक दिखाई देता हूं.

मैं आप लोगों को बताने जा रहा हूं अपनी सेक्स स्टोरी. यह कहानी एकदम सच है. मैंने इसमें कोई भी झूठ बात नहीं लिखी है. गोपनीयता के लिए मैंने सिर्फ नाम बदल दिये हैं.

दोस्तो, जवान होने के बाद भी अभी मुझे चूत चोदने का मजा नहीं मिल पाया था. अभी तक मुझे गर्लफ्रेंड की चुदाई नसीब नहीं हुई थी. न ही किसी जवान लड़की की चूत का रस चखने का स्वाद ले पाया था मैं. सेक्स के लिए मैं तड़प रहा था.

इसी तड़प के बीच यह घटना हुई. यह कहानी मेरे और मेरी पड़ोसी चाची के बीच हुई थी. उनका नाम सपना है. मैंने चाची का नाम बदल कर लिखा है. मैं अपनी चाची से प्यार करता हूं और नहीं चाहता कि उनकी पहचान किसी को पता चले.

हिन्दी सेक्स कहानी पढ़ कर मैं मुठ तो काफी बार मारा करता था. अन्तर्वासना के माध्यम से मैंने भी अपने मन की बात शेयर करने की सोची. यह घटना मेरे साथ करीबन एक महीना पहले हुई थी.

सपना चाची की चुदाई का सपना मैं पिछले तीन-चार साल से देख रहा था. मगर मुझे सही मौका नहीं मिल पा रहा था. कई बार प्लान करने के बारे में सोचा भी मैंने. अभी तक मेरा काई प्लान सफल नहीं हो पाया था.

अपनी सेक्सी चाची को देख कर मेरा लंड खड़ा हो जाता था. मेरी वासना हिलौरें मारने लगती थी. ऐसा इसलिए होता था कि क्योंकि उनके घर की छत और हमारे घर की छत आपस में मिली हुई थी. कई बार चाची छत पर मुझे दिख जाया करती थी.

चाची की चूचियां देख कर उनको चोदने का मन करता था. उनकी गांड का भी जवाब नहीं था. कई बार जब वो छत पर कपड़े सुखाने के लिए आती थी तो मैं उनकी गांड को देखा करता था.
कई बार चाची ने मुझे उनके बदन को ताड़ते हुए देखा भी था. मगर वो कुछ कहती नहीं थी.

चाची की उम्र 37 साल के करीब है. चाची ने अपनी चूत से 4 बच्चे निकाले हुए हैं. मगर उनको देख कर नहीं लगता है कि वो चार बच्चों की मां है. उनका फीगर देख कर कोई इस बारे में अंदाजा भी नहीं लगा सकता.

उनके बच्चों में 2 लड़कियां और दो लड़के हैं. उन्होंने अपने आप को मेंटेन करके रखा हुआ है. कोई उनको देख कर ये नहीं बता पायेगा कि उनकी उम्र कितनी होगी. बदन पर कहीं भी अतिरिक्त चर्बी नहीं है.

जब-जब उनको देखता था तो मन में टीस सी उठने लगती थी. कई बार बहाने से उनके बदन को छूने की कोशिश किया करता था. वो कई बार हमारे घर पर भी आ जाती थी. आंगन में वो नीचे बैठी होती थी.

ऊपर से मैं चाची की चूची की घाटी के अंदर झांकने की कोशिश करता था. बार-बार उनके घर पर जाने के बहाने ढूंढा करता था. मेरा मकसद उनके बदन को छूना होता था. चाहे मुझे उसके लिए कोई भी पैंतरा लगाना पड़े.

चाची की गांड पर कई बार मैं हाथ मार देता था. वैसे तो बहाने से ही मैं ऐसा करता था. मगर चाची को पता लग गया था कि मैं जानबूझकर करता हूं ऐसा. एक बार उन्होंने मुझे इस बात के लिए डांटा भी था. मगर मैं भी जिद्दी था.

हर हालत में चाची की चुदाई करना चाह रहा था. एक बार तो मैंने चाची को नहाते हुए भी देखा था. उनके घर में बाथरूम अलग से नहीं बना हुआ था. हम लोग गांव के रहने वाले हैं तो वहां पर बाथरूम नहीं होता है. महिलाएं अक्सर अपने घरों में कपड़े की आड़ में ही नहाया करती हैं.

अपनी छत से एक दो बार मैंने चाची को जब नहाते हुए देखा तो उनकी चुदाई की धुन तभी से सवार थी मुझ पर. बहुत बार कोशिश की उनको पटाने की. उनको गर्म करने की. मगर मुझे निराशा हाथ लग रही थी.

मेरी किस्मत तब खुली जब मेरी कज़न सिस्टर की शादी थी. उस वक्त फेरे चल रहे थे. जब फेरे हो गये तो उसके बाद हिन्दू रिवाज में शादी के बाद एक रस्म होती है. इसमें दूल्हा-दुल्हन को एक रस्म करनी होती है.

देसी भाषा में उसको कांगना खिलाना कहते हैं.
कांगना खिलाई में होता ये है कि घर और आस पड़ोस की सारी लेडीज जमा हो जाती हैं. बीच में दूल्हा-दुल्हन को बिठा दिया जाता है. एक बड़ी सी थाली या थाल में दूध और फूल वैगरह मिला दिया जाता है. उसमें अंगूठी या कोई अन्य आभूषण डाला जाता है. उस आभूषण को दूल्हा और दुल्हन को ढूंढना होता है.

जब ये रस्म हो रही थी तो चाची भी वहां पर मौजूद थी. वो मेरे सामने ही थी. मैं पीछे से जाकर चाची की गांड पर लंड लगा कर खड़ा हो गया. चूंकि वहां पर काफी भीड़ थी तो किसी को शक भी नहीं होना था.

चाची की गांड पर लंड लगा तो मेरा लंड एकदम से तन गया. मैंने बहाने से चाची की गांड पर लंड का दबाव दिया. बहुत मजा आ रहा था. चाची के चूतड़ों की घाटी में मेरा लंड लगा हुआ था.

मजे के मारे मेरी तो आंखें बंद होने लगी थीं. बार-बार बहाने से चाची की गांड में लंड को धकेलते हुए मैं उन पर चढ़ा जा रहा था. चाची का ध्यान आगे चल रही रस्म की तरफ था. पांच-सात मिनट तक लंड को ऐसे ही मैंने चाची की गांड में सटाये रखा.

सेक्स की उत्तेजना में मेरे लंड से वीर्य का स्खलन हो गया. मैंने आज तक किसी के साथ सेक्स किया ही नहीं था इसलिए मैं खुद को रोक नहीं पाया. उसके बाद मैं थोड़ा पीछे हट गया. मगर मेरा मन अभी भी नहीं भरा था.

भीड़ का फायदा उठाने के लिए एक बार और सोच रहा था. रस्म अभी चल रही थी. पांच मिनट के बाद मैंने दोबारा से चाची की गांड में लंड को लगा दिया. मेरा लौड़ा फिर से तन गया. अब मैं चाची के कंधे पर हाथ रखते हुए थोड़ा सा आगे झूल गया ताकि उनको ये लगे कि पीछे से धक्का आ रहा है. उनकी गांड में लंड को पूरा सटा दिया मैंने.

गांड में लंड लगा कर मैं उनके मजे लेता रहा. जब रस्म खत्म हुई तो तब तक मैं दूसरी बार झड़ गया था. मेरे लंड को पहली बार मेरी सेक्सी चाची के कोमल जिस्म का स्पर्श मिला था.

जब रस्म खत्म हुई तो सब लोग बाकी के कामों में लग गये. फिर विदाई हो गई. रात को काम खत्म होते होते 1 बज गया. जब मैं बेड पर लेटा तो मुझे दिन वाली घटना का ख्याल आया.

मुझे पहली बार चाची के साथ ऐसी हरकत करने का मौका मिला था इसलिए मैं उस अहसास को पूरा भोगना चाह रहा था. मैंने अपने लंड को बाहर निकाल लिया और चाची की गांड के बारे में सोच कर मुठ मारने लगा.

मैं तेजी से अपने लंड की मुठ मारने लगा. जल्दी ही मैं झड़ भी गया क्योंकि उत्तेजना बहुत अधिक थी. मुठ मारकर वीर्य निकलने के बाद मैं शांत हो गया लेकिन अभी भी मेरा मन नहीं भरा. पूरी संतुष्टि नहीं हुई थी.

हस्तमैथुन करने का दोबारा से मन किया. मैंने फिर से लंड को हाथ में लेकर हिलाना शुरू कर दिया. मैं फिर से लंड की मुठ मारने लगा. अबकी बार ज्यादा देर तक लंड की मुठ मारी और फिर से वीर्य निकाल दिया.

दो बार हस्तमैथुन के प्रभाव से मेरे लंड में दर्द होने लगा. फिर मैंने सोचा कि अब और नहीं करूंगा. फिर मैं आराम से लेट कर सो गया. अभी सुबह भी काफी सारा काम करना बाकी था.

सुबह उठा तो टैंट का सामान समेटना था. जो लोग गांव से संबंध रखते हैं उनको जानकारी होगी कि गांव की शादियों में टैंट का सारा सामान लोकल टैंट सप्लायर के यहां से मंगवाया जाता है. मुझे अब टैंट का सामान काउंट करना था.

अपने बाकी कज़न के साथ मैं टैंट का गुम हुआ सामान ढूंढ रहा था.
शादी के लिए बैंक्विट हॉल तो होता नहीं है इसलिए अलग जगह टैंट लगा था. हम लोग आस-पास के घरों में जाकर सामान पूरा करने की कोशिश कर रहे थे. जब मैं अपने घर में सामान देखने के लिए पहुंचा तो चाची भी वहीं बैठी हुई थी.

मैंने चाची से पूछा- चाची, आपके यहां पर टैंट का कुछ सामान जैसे प्लेट या चम्मच वगैरह तो नहीं है?
चाची बोली- मुझे घर जाकर देखना पड़ेगा.

चाची मुझे अपने साथ लेकर अपने घर जाने लगी. मैंने उनके घर पहुंच कर देखा कि चाची के घर में कोई नहीं था. घर में चाची को अकेली देख कर मेरे मन में हवस उठ गई और मैंने चाची को पीछे से अपनी बांहों में जकड़ लिया.

वो एकदम से डर गई.
चाची बोली- ये क्या कर रहा है!
मैंने उत्तेजना में उनकी गांड पर लंड लगा कर कहा- चाची, बस एक बार करने दो.
वो बोली- तू पागल हो गया है क्या! छोड़ मुझे.

मैं नहीं हटा और लंड लगाये रखा.
चाची आगे हटते हुए बोली- विजय, मैं तुझे अपने बेटे के जैसा मानती हूं.
चाची की बात सुन कर मैंने उनको छोड़ दिया और पीछे हट गया. उत्तेजना वश मैंने शायद गलत कदम उठा लिया था.
मैंने चाची से कहा- सॉरी चाची, आप इस बारे में किसी से कुछ मत कहना. मैं थोड़ा बहक गया था.

जब मैंने अपनी गलती मानी तो चाची भी नॉर्मल हो गई.
वो बोली- ठीक है, मैं नहीं बताऊंगी. अगर तू फ्री है तो मेरा एक काम कर दे.
मैंने कहा- जी चाची.
वो बोली- मुझे राशन का कुछ सामान लेकर आना है. मेरे साथ चल सकता है क्या?

मैंने कहा- चाची अभी तो मैं शादी के काम में बिजी हूं. वो काम निपटा कर आपके साथ चलूंगा.
वो बोली- ठीक है. मैं तेरा इंतजार करूंगी.
मैंने कहा- एक बार टैंट का सामान तो देख लो.
वो बोली- मेरे यहां पर कोई सामान नहीं है.

उसके बाद मैं चाची के घर से आ गया. बीस मिनट के बाद काम खत्म करके मैं वापस उनके घर गया. मैंने चाची को बाहर से आवाज दी. वो बाहर आई तो मैंने कहा कि चलो आपको राशन की दुकान पर ले चलता हूं.

वो तैयार हो गई. फिर हम लोग बाइक पर चल पड़े. पीछे बैठे हुए चाची ने शादी की बात छेड़ दी.
चाची कहने लगी- शादी में बहुत मजा आया विजय.
मैं चाची की हामी भर रहा था.

बाइक पर बैठे हुए चाची की चूची मेरी पीठ पर सटी हुई थी. मैं भी जान-बूझ कर ब्रेक लगा रहा था ताकि उनकी चूचियां बार-बार मेरी पीठ पर आकर लगें. मेरा ध्यान अभी भी चाची की चूत चुदाई पर ही अटका हुआ था.

फिर बातों ही बातों में मैंने चाची से कहा- चाची आपने आज मेरे साथ अच्छा नहीं किया.
वो बोली- मैंने क्या बुरा किया है तेरे साथ?
मैं बोला- चाची मैं आपको बहुत पसंद करता हूं. आपसे इतना प्यार करता हूं और आपने मुझे हाथ तक नहीं लगाने दिया.

वो बोली- देख विजय, जो तू बोल रहा है वो काम गलत है. समाज में बहुत बदनामी होगी अगर किसी को पता लग गया तो.
मैंने कहा- बदनामी तो तब होगी जब किसी को पता लगेगा. अगर किसी को पता ही न लगा तो कैसे बदनामी होगी!

मेरी बात को चाची टालती रही. फिर आखिर में उसने स्माइल पास कर दी. मैं समझ गया कि चाची के मन में तो हां है लेकिन वो सिर्फ मुंह से ना कह रही है.
ऐसे ही बातें करते हुए राशन वाले की दुकान भी आ गयी.

राशन की दुकान पर जाकर मैंने लाइन में राशन कार्ड दे दिया. कुछ देर के बाद मेरा नम्बर आ गया. राशन वाले ने कहा कि ये राशन कार्ड का नम्बर गलत है. उसने हमें 10 मिनट इंतजार करने के लिए कहा.

मैं खुश हो गया. अब मुझे चाची के साथ कुछ और वक्त बिताने का मौका मिल गया था. हम दोनों एक तरफ जाकर खड़े हो गये. चाची से बात करते हुए मैंने उनको फिर से अपनी बातों के जरिये पटाना शुरू कर दिया.

वो बोली- देख, तेरी मां को पता लग गया तो बहुत बुरा होगा.
मैंने कहा- चाची मान जाओ न, किसी को कुछ पता नहीं लगेगा.
अब चाची मेरी बातों में फंसने लगी थी.

मैंने कहा- चाची, आपको पता है, रात को मैंने आपके बारे में सोच दो बार लंड की मुठ मार डाली.
मेरी बात सुन कर चाची हंसने लगी.
चाची बोली- अच्छा, इतनी पसंद करता है क्या तू मुझे?
मैंने उनकी चूचियों को घूरते हुए छेड़ने की कोशिश की.
वो बोली- क्या कर रहा है हरामी, यहां सबके सामने ऐसी हरकत करते हुए तुझे शर्म नहीं आती!

मैंने कहा- चाची मैं आपको देख कर ही बड़ा हुआ हूं. अब तो मेरा पप्पू भी बड़ा हो गया है. आपको देख कर हमेशा खड़ा रहता है. मान जाओ न मेरी बात को. बस एक बार मुझे मौका तो दो.
वो बोली- बहुत बेशर्म हो गया है तू. मैं कुछ कह नहीं रही तो इसका मतलब ये नहीं कि तू कुछ भी अनाप-शनाप बोलेगा.

इतने में ही राशन की दुकान वाले ने हमें बुलाया. हमने राशन लिया और फिर हम लोग राशन लेकर घर आने लगे. रास्ते में वापस आते हुए चाची ने मेरी जांघ पर हाथ रखा हुआ था. मेरा लंड तो टनटना गया था. मन कर रहा था यहीं बाइक रोक कर चाची को चोद दूं.

बातों से तो लग रहा था कि चाची शायद अब मान जायेगी. मगर मैं पूरी तरह से आश्वस्त नहीं था. इसलिए अभी आग में थोडा़ सा और घी डालना बाकी था. मैं चाची की हवस को भड़काना चाहता था.

वैसे मेरे चाचा हट्टे कट्टे थे. मुझे पता था कि चाचा मेरी चाची की चूत चुदाई जमकर करते होंगे, तभी तो चाची ने इतनी कम उम्र में चार बच्चे पैदा कर डाले. हैरानी तो चाची की जवानी को देख कर होती थी. वो ढलने का नाम नहीं ले रही थी.

चाची के घर आकर मैंने राशन रखवा दिया और फिर मैं जाने लगा.
चाची बोली- कहां जा रहा है?
मैंने कहा- चाची घर में कुछ गेस्ट हैं. उनके पास जा रहा हूं. देखना है उनको किसी चीज की कमी न रह जाये.

वो बोली- मुझे तुझसे कुछ बात करनी थी.
मैंने कहा- चाची, बस मैं एक बार ये आखिरी काम खत्म करके आता हूं.
वो बोली- मैं तेरा इंतजार कर रही हूं.
मैंने कहा- आपको ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा.

इतना बोल कर मैं चाची के घर से अपने घर चला गया. मन ही मन मैं खुश हो रहा था. इस तरह से खुल कर चाची ने पहली बार मेरे साथ बात की थी. हो सकता है कि कांगना खिलाई के दौरान चाची को अपनी गांड पर मेरे लंड का अहसास भी हुआ हो.

मगर चाची ने इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा था. आज मगर चाची काफी नॉर्मल लग रही थी. मैं सोच रहा था कि चाची अब पट चुकी है. मुझे लगने लगा था कि अब बस मेरी हवस और चाची की चूत चुदाई के बीच कुछ ही मिनटों का फासला रह गया है.

कहानी अगले भाग में जारी रहेगी.
कहानी के बारे अपने विचार मुझे बतायें. यह मेरी रीयल सेक्स स्टोरी है. इसलिए आपके विचार जानने के लिए मैं आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार करूंगा. कहानी पर कमेंट करके अपनी राय दें

Tuesday, 20 February 2024

बस में मिली हसीना को पटाकर चोदा-2

 आप सभी से बस में एक भाभी से मिलने का जिक्र किया था. उधर हमारे बीच दोस्ती हो थी और हमने बस में एक दूसरे के जिस्म के साथ खेल लिया था.

अब आगे:

जब वो बस से उतरने लगी थीं, तो हमने आपस में नम्बर एक्सचेंज कर लिए थे.

कुछ दिन बाद उसका मैसेज आया और हमारी बात होने लगी. कुछ समय तक तो बहुत ज्यादा बात नहीं हुई, लेकिन कुछ ही दिनों में हम बहुत अच्छे दोस्त बन गए और एक दूसरे हर बात शेयर करने लगे.

तब हम लोगों का घूमना, पार्क जाना, मूवी देखने जाना, शॉपिंग, ये सब आम बात हो गई.

अब आप ये मत सोचना कि शादीशुदा महिला इतना सब समय दूसरे मर्द के साथ कैसे बिता सकती है. शुरू में मैं भी यही सोचता था.

एक दिन पूछा तो उन्होंने बताया- ऐसा नहीं है कि मैं अपने पति से खुश नहीं हूँ. वो मुझे हद से ज्यादा प्यार करते हैं और पूरी तरह से संतुष्ट भी रखते हैं. लेकिन मैं बहुत खुले विचारों की हूँ. उस दिन जब बस में अचानक तुमने मेरे हाथ पकड़ लिया था, तो मैं शॉक थी, क्योंकि सबके सामने इस तरह से कोई लोफर ही कर सकता है या जिसके अन्दर बहुत गट्स हों. तुम्हारे गट्स देख कर मैं तुम पर कब फिदा हो गई, पता ही नहीं चला.

मैं उनकी बात सुनकर काफी हद तक संतुष्ट भी था और खुश भी था.

हमारी ऐसी ही बहुत दिनों तक बातें होते होते, एक दिन हम दोनों ने एक रोमांटिक मूवी देखने का प्लान बनाया, जिसके लिए वो तैयार हो गई.

हम मूवी देख रहे थे और मैं उनके मम्मों दबा रहा था.

उन्होंने दूध दबाते हुए देखा तो बोलीं- अच्छा … इसीलिए रोमांटिक मूवी देखनी थी.
मैंने कहा- बड़ी देर में समझ में आया सन्नी जी.

वो सन्नी नाम सुनकर कमसिन स्माइल और शरारती आंखों से मुझे देखने लगीं. फिर उन्होंने कहा कि ऐसी फ़िल्म तो मैं लाइव दिखा देती … इसके लिए इधर आने की क्या जरूरत थी.

मुझे तो दोस्तों जैसे ग्रीन सिग्नल मिल गया. मैंने आव देखा न ताव, उनके होंठों को चूसने लगा. वो लिपस्टिक या लिप ग्लॉस नहीं लगाती थीं. उसके बाद भी उनके होंठ बिल्कुल सुर्ख लाल और इतने रसीले जैसे मैं मधुशाला की देसी शराब पी रहा हूँ. मैडम के इतने मुलायम होंठ थे कि शायद गुलाब की पंखुड़ी भी इतनी मुलायम न हो.

कोई 5 सेकंड में ही मेरे होंठ भी बिल्कुल मुलायम हो गए, इतने ज्यादा मुलायम होंठ थे उनके कि मैं कभी उनके ऊपर के होंठ को चूसता, कभी नीचे का होंठ चूसता. वो भी मेरे दोनों होंठों को चूस रही थीं. मैं उनकी जीभ अपने होंठों में दबा कर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगा. आह क्या मधु रस था … जैसे सच में मुझे चाशनी मिल गई थी. उनका हाथ मेरी पैन्ट में जा चुका था और मेरा हाथ उनकी पैंटी के अन्दर खेल रहा था.

हम दोनों एक दूसरे की जीभों को चूसते हुए पागलों की तरह एक दूसरे के लंड और चूत को रगड़ रहे थे.

मैंने उनके ब्लाउज के हुक खोल दिए और ब्लाउज उतार दिया. चूंकि मेरा प्लान पहले से ही उसके साथ मजा लेने का था, तो मैंने कार्नर सीट ली थी. नसीब से उस लाइन और आगे वाली लाइन में कोई नहीं था. इस वजह से कोई दिक्कत नहीं थी. वहां और कोई न आए … इसकी सैटिंग भी कर ली थी.

ब्लाउज के हटने के बाद अब वो काले रंग की ट्रांसपेरेंट ब्रा में थी, जिसमें से उनके निप्पल छोड़कर सब कुछ दिख रहा था. उनका जिस्म जितना गोरा अन्दर से था, उतना बाहर से भी था. बिल्कुल सफ़ेद चांदनी सी चूचियां चमक रही थीं. उनका गला भी इतना मदमस्त और गोरा था कि वो पानी भी पिएं, तो गले में से पानी जाता दिख जाए.

अब हम और करीब आ गए. उन्होंने मेरा सामने से खुलने वाला हाफ कुर्ता खोल दिया और मैंने उनकी ब्रा खोल दी. उनके दोनों दूध हवा में मचलने लगे.

मैं उनके दोनों मम्मों को दबाने लगा उनके निप्पल बिल्कुल गुलाबी थे, जरा भी निशान नहीं था. क्या बताऊं वो किसी अप्सरा सी थीं. उन्होंने मेरा पैन्ट खोल दिया और सीट के नीचे बैठ गईं.

इधर हम कितनी भी आवाज़ कर सकते थे, कोई दिक्कत नहीं थी क्योंकि सिनेमा की आवाज गूँज रही थी और हमारी हल्की फुल्की आवाजें किसी तक नहीं जा सकती थीं.

उन्होंने मेरा लंड पहले तो हाथ में लिया और मुट्ठी में मसलने लगीं. फिर वो लंड के टोपे पर अपनी जीभ फेरने लगीं और मेरी आंखों में देखने लगीं. मैं मस्त हो चला था … और मैंने अपना हाथ उनके सर पर रख लिया था. अब मेरे पूरे लंड पर उनकी जीभ चलने लगी थी, वो मजे से लंड के सुपारे पर ऐसे जुबान फेर रही थीं … जैसे आइसक्रीम चाट रही हों.

फिर धीरे धीरे उन्होंने मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया और कुछ ही पलों में पूरा लंड मुँह में भर कर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं. इस समय मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कोई रंडी लंड चूसती है, शायद वो भी इतना अच्छे से लंड न चूसे. मेरी आह निकली जा रही थी.

कम से कम उन्होंने बीस मिनट तक मेरा लंड चूसा. कमाल की बात ये थी कि उसने मेरे लंड को इस अदा से चूसा था कि मेरा लंड झड़ न सका.

फिर मैंने उन्हें सीट पर बिठाया और उनकी टांगें खोल कर साड़ी हटाकर पेटीकोट हटा दिया. उनकी पैंटी पूरी चुतरस से तर हो चुकी थी. मैं पैन्टी में लगे रस को ही चाटने लगा. अभी तक मैंने उनकी चुत नहीं देखी थी, लेकिन उनकी चूत के पानी की खुशबू बता रही थी कि चुत बेहद हसीन है.

मैं सारी गीली पैंटी चाट गया और फिर पैंटी उतार दी.

ओह्ह माय गॉड … क्या चुत थी, मैं बयां भी नहीं कर सकता. बिल्कुल जैसे किसी 18-19 साल की लड़की की चूत हो, एकदम सुर्ख लाल और अन्दर से गुलाबी बिल्कुल साफ बंद चुत थी. शादी के बाद चुदाई होने के बाद भी ऐसी चुत को देखना … आह्ह. … मैं तो बस चुत देखता रह गया. मेरे होंठ ओर गले दोनों सूख गए थे.

मुझे उनकी उस बात पर संदेह होने लगा था, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके पति उनको मस्त चोदते हैं. मगर अब मुझे इन सब बातों का कोई मतलब समझ नहीं आ रहा था.

मुझे तो बस हसीन चुत दिख रही थी … उफ़्फ़ आआहाह क्या चुत थी.
तभी उन्होंने मेरे करीब आकर होंठों को चूमा, तब मैं जागा.

वो बोलीं- ऐसे ही देखते रहोगे या कुछ करोगे भी …
सच में क्या चुत थी. मैं अब भी सोचता हूं … तो पागल हो जाता हूं.

मैं उनकी चुत की फांक पर उंगली घुमाने लग गया, जिससे उनके जिस्म में कम्पन होने लगा. अब मुझे उन्हें तड़पाना था … क्योंकि लड़की को तड़पाकर उसे चोदने में ज्यादा मजा आता है.

अब धीरे धीरे मैं उनकी चुत के ऊपर अपना हाथ फेरने लगा था. कभी धीरे से अपनी उंगली चुत के अन्दर करने लगा था. वो अपनी गांड उठा उठा कर मेरी उंगली अन्दर ले लेना चाहती थीं. वो पागल हो चुकी थीं. वो अपने होंठ दबाने लगी थीं और अपने मम्मों को रगड़ने लगी थीं. अपने होंठों को काटने लगीं और इसी के साथ उस वक्त उन्होंने मेरी कमर पर अपने नाखून से अपनी मोहब्बत के निशान बना दिए.

मैं अब उनकी चुत को जीभ से चाटने लगा और वो गांड उठा उठा कर मेरे मुँह में अपनी पूरी चूत भरने को मरी जा रही थीं. कुछ ही देर में वो झड़ने वाली हो गई थीं. मैंने जीभ अन्दर डालकर उनकी चुत को मुँह में पूरा भर लिया और चुत में जीभ घुमाने लगा. इतने में ही वो गांड उठाते हुए झड़ गईं और उनका सारा रस मेरे मुँह के अन्दर आ गया था.

मेरा गला भी तृप्त हो गया और होंठ भी गीले हो गए थे. दोस्तों चुत का रस कोई साधारण पानी नहीं था … वो चुत की क्रीम थी … जैसे दूध के ऊपर से मलाई निकाल लेते है न … एकदम गाढ़ी सी … बिल्कुल ऐसे ही उनकी चुत से रस निकला था. कुछ देर तक चुत का रस मेरे मुँह में निकलता रहा. मतलब इतनी ज्यादा क्रीम निकली थी कि मेरा सारा मुँह भर चुका था. मेरे मुँह में बाहर से भी काफी रस लग चुका था.

मेरी आंखें एकदम नशीली हो गई थीं. मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे मैंने पूरी एक बोतल शराब नीट ही पी ली हो.

इसके एक मिनट बाद उन्होंने मुझे खड़ा किया और वापस से मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगीं. वो अब बिल्कुल पागल हो चुकी थीं और हमारे पास टाइम भी कम बचा था. मैं सीटों के बीच में वहीं लेट गया और वो मेरे ऊपर बैठ गईं. उन्होंने मेरा लंड चुत पर सैट करके ऊपर से नीचे हुईं. मेरा लंड नहीं गया … क्योंकि अभी भी उनकी चुत टाइट थी … जबकि मेरा लंड लोहे जैसा कड़क था. जब मेरा लंड चुत में नहीं गया, तब मैंने उन्हें नीचे ज़मीन पर लिटाया, एक टांग खोल कर सीट पर रखी और चुत पर लंड सैट कर दिया.

पहले दबाव में लंड का सुपारा अन्दर किया. इससे उन्हें दर्द हुआ, वो हाथ पैर फटकारने लगीं. सिर्फ टोपा अन्दर होते ही उनकी आंखों में आंसू आ गए. वो मुझे हटाना चाहती थीं … लेकिन उससे ज्यादा आज उन्हें अपनी चुत का जनाजा निकलवाना था.

सुपारा लगाए हुए ही मैंने अपने होंठ उनके होंठ की तरफ बढ़ा दिए. वो अपने हाथों से अपने मम्मों को मसल रही थीं. उनके बूब्स लाल हो चुके थे और चेहरा सुर्ख लाल था. एक मिनट बाद मैंने अचानक एक झटका दे दिया, जिससे आधे से थोड़ा ज्यादा लंड अन्दर घुस गया. उनकी आंखें दर्द से बाहर आ गईं … आवाज निकल ही न सकी … क्योंकि मेरे होंठ लगे थे. उनकी तो जैसे हलक में जान अटक गई थी.

वो रोने लगीं … उनकी आंखों में आंसू आ गए थे और वो लंड बाहर निकलने के लिए कहने लगीं.

जैसे ही उन्होंने लंड हटाने के लिए कहा, मैंने एक शॉट और मार कर पूरा लंड अन्दर कर दिया. शायद आज उनकी झिल्ली फटने को थी. मेरा आधे से ज्यादा लंड अन्दर चला गया था. उनकी सील तो टूट चुकी थी … लेकिन फिर भी खून निकल रहा था. मैं उनके ऊपर ऐसे ही लेट गया और उनकी गर्दन छाती कान होंठों को चूमने लगा.

वो कराह रही थी, जब उसे दर्द में थोड़ा आराम हुआ … तो मैंने आराम आराम से चोदना शुरू किया. अब उसे भी मजा आने लगा था. वो नीचे से गांड मटकाते हुए ‘आआहहह … ऊऊहहह … ऊऊईईई..’ की आवाज़ें करने लगी. जैसे ही लंड अन्दर जाता, उसकी मस्त ‘आहहहह..’ निकल जाती … और जैसे ही लंड बाहर निकलता, तो उसकी ‘उऊहह..’ निकल जाती.

वो भी चुदाई में गांड ऊपर कर करके पूरा साथ दे रही थी … और बीच बीच में उसकी आवाजें ‘मुझे चोद दो … आह … मुझे रंडी बना दो … अब मैं सिर्फ तुम्हारी हूँ. … अब मैं सिर्फ तुमसे ही चुदा करूंगी … आह … मुझे अपनी रानी बना लो..’ निकलतीं, तो मेरी स्पीड और बढ़ जाती.

मुझे उसे चोदते हुए लगभग 20 मिनट हो गए थे, जिसमें वो एक बार झड़ चुकी थी … लेकिन मैं अभी कहां रुकने वाला था. लंड पेलने के साथ बीच बीच में मैं उसकी जीभ, उसके होंठ और मम्मों को चाटता रहता.

अब मेरा भी निकलने वाला था. मैंने उनसे कहा- मुँह में लोगी या जिस्म में?
वो समझ गई. उनका उत्तर सुनकर मुझे उनसे मोहब्बत हो गई. उन्होंने कहा- इतनी खूबसूरत और कीमती चीज़ तिजोरी में रखते हैं.

मैं समझ गया कि पहली बार का रस ये अन्दर लेना चाहती है. मैंने लंड की सारी क्रीम उनकी चुत में डाल दी. उन्होंने भी उस सारी क्रीम को अपनी चुत के अन्दर ही भर लिया … उन्होंने अपनी टांगें मेरी कमर पर जकड़ ली थीं, जिससे थोड़ी सी भी क्रीम बाहर नहीं निकल सकी.

कुछ मिनट हम दोनों यूं ही पड़े रहे, फिर हम दोनों ने उठ कर सबसे पहले अपने कपड़े पहने और सीट पर बैठ गए.

फिल्म खत्म होने से पहले ही हमारी फिल्म का एंड हो गया था और हम दोनों अंधेरे में ही बाहर निकल आए. बाहर आकर हम दोनों ने वाशरूम में जाकर अपना हुलिया ठीक किया और निकल गए.

ऐसे मैंने उस अप्सरा को थियेटर में चोदा था. आज भी हमारी बातें होती हैं और अब भी हम दोनों मौक़ा मिलते ही चुदाई कर लेते हैं.

जब मैंने पहली बार उसे चोदा था तो वो अक्षतयौवना थी. लेकिन यह बात मुझे कभी समझ नहीं आयी कि उसने मुझे झूठ क्यों बोला कि वो शादीशुदा है और उसके पति उसे मस्त चोदते हैं. मैंने इस बारे में उससे कभी बात भी नहीं की.

Sunday, 18 February 2024

बस में मिली हसीना को पटाकर चोदा-1

 

मेरी सहेलियाँ मेरे फ़्लैट पार्टी कर रही थी. मगर मेरी रूममेट पार्टी में शामिल नहीं होना चाह रही थी. तो मेरी सहेली ने क्या किया. फिर सबने मिल कर कैसे मस्ती की?

मैं स्वाति, एक अमीर मस्तीखोर लड़की हूं. अभी मैं जयपुर मैं रह कर कॉलेज की पढ़ाई कर रही हूं. वहां पर मैंने कॉलेज के पास में ही एक पोश अपार्टमेंट बिल्डिंग में एक बढ़िया फर्निशड फ्लैट किराये पर लिया हुआ है.

मुझे जिन्दगी के मजे लेना बहुत पसंद है. मैं अपनी दोस्तों के साथ भी ऐसे ही हमेशा मजे लेती हूं. मेरी दो बेस्ट फ्रेंड हैं जिनका नाम सुरेखा और मेघा है. फ्लैट में मेरे साथ मेरी रूम पार्टनर प्रिया भी रहती है.

प्रिया जब मुझसे शुरू में मिली थी तो वह एक शर्मीली किस्म की लड़की थी और ज्यादा खुल नहीं पाती थी मगर जब से मेरी और उसकी दोस्ती हुई, मैंने उसको भी अपने ही रंग में रंग दिया था. यह सब मैंने कैसे किया, कहानी में जानें.

एक दिन मेरी बेस्ट फ्रेंड्स मेघा और सुरेखा ने मेरे रूम पर पार्टी करने के लिए कहा. मैं तो मौज-मस्ती के लिए हमेशा तैयार रहती थी इसलिए उनके पूछते ही मैंने हां कर दी.

मगर मेरे साथ रूम पर प्रिया भी थी. प्रिया की मेघा और सुरेखा से बात तो हुई थी मगर वो उनके साथ कभी खुल नहीं पाई थी. इसलिए प्रिया को मनाने की जिम्मेदारी मेरे ही कंधों पर थी.

मैंने प्रिया से इस बारे में बात की तो वो कहने लगी कि जिस दिन तुम लोग पार्टी करोगे उस दिन मैं बाहर घूमने के लिए चली जाऊंगी. मगर मेघा और सुरेखा चाहती थीं कि प्रिया भी हमारे साथ पार्टी में शामिल हो.

जब प्रिया मेरी बात पर आनाकानी करने लगी तो मैंने मेघा और सुरेखा से इस बारे में बात की. मेघा एक नम्बर की चालू लड़की है. वो कहने लगी कि प्रिया को पार्टी वाले दिन फ्लैट पर ही रखना. उसको पार्टी में शामिल करने का काम मेरा है.

मैं भी हैरान थी कि वो प्रिया को कैसे मनायेगी जबकि मेघा और प्रिया की बात बहुत कम होती थी. मगर वो इतने आत्मविश्वास के साथ प्रिया के लिए बात कर रही थी जैसे कि प्रिया मेरी नहीं उसकी दोस्त है और प्रिया को मुझसे बेहतर तरीके से जानती है.

खैर मैंने जैसे-तैसे करके प्रिया को पार्टी वाले दिन रूम पर ही रुकने के लिए मना लिया. शनिवार को मेघा और सुरेखा ने पार्टी करने का प्लान किया था. शनिवार की सुबह ही मेघा का फोन आ गया कि वो लोग शाम के सात बजे तक मेरे फ्लैट पर पहुंच जाएंगी.

मेघा ने मुझसे कहा कि दो बड़ी बोतल कोल्ड ड्रिंक की पहले से ही फ्रिज में लेकर रख लेना. उसने जोर देकर कहा कि कोल्ड ड्रिंक सफेद रंग वाली नहीं बल्कि काले रंग की होनी चाहिेए यानि कि उसका इशारा कोला की तरफ था.

मैंने सोचा कि शायद मेघा पार्टी के लिए कोल्ड ड्रिंक लाने की बात कर रही है. इसलिए उसके कहने पर मैंने दिन में ही कोल्ड ड्रिंक की दो बड़ी बोतलें लाकर फ्रिज में रख दी. एक काले रंग की कोक और दूसरी ओरेन्ज रंग वाली.

साथ में कुछ खाने-पीने का कुछ सामान भी ले आयी मैं. अब मैं पार्टी की तैयारी करने लगी. घर खाना बनाने के लिए मैंने कुक रखी हुई थी. उस दिन मैंने खाना बनाने वाली बाई को थोड़ा जल्दी आने के लिए कह दिया था.

6.30 बजे खाना बनाने वाली बाई फ्लैट पर पहुंच गई. मैंने उसको मसालेदार पनीर वाली सब्जी बनाने के लिए कहा. वो खाना बनाने लगी और मैंने प्रिया से कहा कि वो भी पार्टी के लिए तैयार हो जाये.

प्रिया नहाने के लिए बाथरूम में चली गई.
नहाने के बाद वो बाहर निकली तो उसकी चूचियों पर ग्रे रंग की ब्रा को देख कर मेरी नजर वहीं पर ठहर गई. मैंने इससे पहले भी उसको बिना टॉप के देखा था मगर आज उसने जो ब्रा पहनी हुई थी वो उसकी चूचियों को एक बहुत ही सेक्सी शेप में दर्शा रही थी.
उसने एक ग्रे रंग की पैंट पहन ली और फिर टॉप भी पहन लिया.

उसके बाद मैं भी नहाने के लिए बाथरूम में चली गई. नहा-धोकर मैं भी बाहर आ गयी. मैंने एक काले रंग की लैगिंग पहन ली और लाल रंग की ब्रा को अपनी मीडियम साइज की चूचियों की में फंसा लिया. उसके ऊपर मैंने सफेद रंग का टॉप डाल लिया.
अब मैं भी तैयार थी.

तब तक खाना तैयार हो गया था. मगर अभी तक मेघा और सुरेखा का कोई अता-पता नहीं था. मैंने सोचा कि ऐसे तो खाना ठंडा हो जायेगा और पार्टी का सारा मजा खराब हो जायेगा.

उन दोनों को बुलाने के लिए मैंने फोन उठाया ही था कि मेघा के नम्बर से फोन रिंग करने लगा.
मैंने फोन उठा कर कहा- कमीनी, कहां ऐसी-तैसी करवा रही हो तुम दोनों! मैं कब से तुम दोनों का इंतजार कर रही हूं.

मेघा बोली- डार्लिंग बस पहुंच रहे हैं. प्रिया रूम पर ही है?
मैंने कहा- हां, बस तुम दोनों का ही इंतजार हो रहा है.
वो बोली- बस, दस मिनट में पहुंच रही हूं.
मैंने पूछा- सुरेखा नहीं आ रही क्या?

मेरे सवाल पर मेघा हंसते हुए बोली- उसके बिना पार्टी का मजा कहां आने वाला है. वो कुतिया भी मेरे साथ ही बैठी हुई ऑटो में. बस हम पहुंचने ही वाले हैं.
हंसते हुए मैंने कहा- ठीक है बेबी, थोड़ा जल्दी करो, खाना ठंडा हो रहा है.
वो बोली- खाना भले ही ठंडा हो जाये लेकिन हम तो ठंडे नहीं है, पार्टी में आग न लगा दी तो कहना.
मैंने कहा- हां मैडम, अब बातें बनाना बंद करो और जल्दी से रूम पर पहुंचो.

इतना कह कर मैंने फोन रख दिया. चूंकि अब दोनों दोस्त पहुंचने ही वाली थी तो मैंने पार्टी की तैयारी शुरू कर दी. मैंने खाना बेड पर रख लिया. कोल्ड ड्रिंक के लिए गिलास भी तैयार कर लिये. अब बस उन दोनों के आने का इंतजार हो रहा था.

दो मिनट के बाद ही डोर बेल बजी और मैंने तपाक से उठ कर दरवाजा खोला तो वो दोनों कमीनी हंसती खिलखिलाती हुई मेरे गले से लग पड़ीं और सीधी अंदर घुस गईं. मैंने दरवाजा बंद कर दिया और अंदर से लॉक कर दिया.

पार्टी की तैयारी पूरी हो चुकी थी. सब सामान रेडी था. हम तीनों साथ में बैठ गईं मगर प्रिया कुछ शरमा रही थी. हम तीनों ने उसको हमारे साथ शामिल होने के लिए कहा. वो मना करने लगी.
मैंने मेघा की तरफ देखा तो वो प्रिया से बोली- अरे यार प्रिया, तुम खाना खाने के लिए तो हमें ज्वाइन कर ही सकती हो?

प्रिया बोली- नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है. अभी मुझे भूख नहीं है. तुम लोग इंजॉय करो, मैं बाद में खा लूंगी.
मेघा ने कहा- यार ये क्या बात हुई, हम तीनों यहां तु्म्हारे बिना खाते हुए अच्छी लगेंगी क्या?

मैंने भी मेघा की ताल में ताल मिलाते हुए प्रिया को हमारे साथ आने के लिए फोर्स किया. हमारे कहने पर वो भी हमारे साथ आ गयी. अब हम चारों बैठ कर खाने लगीं. सबने हल्का-फुल्का खाना लिया और फिर मेघा कोल्ड ड्रिंक लाने के लिए कहा.

उसके कहने पर मैं उठ कर फ्रिज से कोल्ड ड्रिंक की बोतल निकाल ले आयी. मेघा ने चार गिलास में कोल्ड ड्रिंक भर दी. सबमें कोक भरी हुई थी. अब हम चारों ने गिलास हाथ में लिये और चीयर किया. मगर पहली घूंट भरने से पहले ही मेघा ने बीच में सबको रोक दिया.

मेघा बोली- यार बिना म्यूजिक के कुछ अधूरा सा लग रहा है.
उसने प्रिया से कहा कि कुछ म्यूजिक चला दे. उसके कहने पर प्रिया उठ कर म्यूजिक सिस्टम के पास गई और कुछ म्यूजिक बजाने की कोशिश करने लगी.

इतने में ही मेघा ने अपने बैग से बीयर की बोतल निकाली और प्रिया के गिलास की कोक को निकाल कर उसके गिलास को बीयर से आधे से ज्यादा भर दिया. अब उसने ऊपर से उसमें कोल्ड ड्रिंक मिला दी. मैं ये सब देख रही थी. मेघा सच में बहुत चालू निकली.

अब म्यूजिक सिस्टम ऑन करने के बाद प्रिया भी वापस आकर हमारे साथ कोल्ड ड्रिंक पीने लगी. उसको शायद पता नहीं चला कि उसके गिलास में बीयर मिला दी गई है. हम तीनों ही प्रिया को देख रही थीं. मगर उसको जाहिर नहीं होने दिया कि उसके साथ क्या गेम खेला जा रहा है.

जब पूरा गिलास खाली हो गया तो मेघा ने दूसरा पैग बनाना शुरू किया. अब उसने प्रिया से कहा कि जाकर किचन से नमक ले आये. प्रिया उठ कर नमक लाने के लिए गई तो मेघा ने दूसरे गिलास को भी बीयर से भर दिया और उसमें थोड़ी सी कोक ऊपर से मिला दी.

मेघा ने अपने गिलास में नमक डाला और हल्का सा नमक सबके गिलास में डाला. चारों ने फिर से गिलास खाली कर दिया.

खाना-पीना हो चुका था और अब मस्ती करने की बारी थी. मेघा ने कहा- यार ऐसे बैठे-बैठे क्या पार्टी कर रहे हैं हम लोग! चलो उठ कर डांस करते हैं.

हम तीनों ने प्रिया की तरफ देखा तो उसको हल्का नशा होने लगा था. वो भी डांस करने के लिए तैयार थी. हम चारों उठे म्यूजिक की धुन पर नाचने लगीं. देखते ही देखते मेघा ने अपना टॉप उतारना शुरू कर दिया. उसने टॉप उतार कर एक तरफ फेंक दिया और ब्रा में ही नाचने लगी.

उसकी देखा-देखी सुरेखा ने भी वही किया. अब मेघा अपनी पीली ब्रा में कैद चूचियों को उछालती हुई नाच रही थी. सुरेखा की नीली ब्रा में उसकी चूचियां भी मस्त लग रही थीं. चूंकि वो दोनों ब्रा में आ गई थीं तो मैंने भी उनके इशारे को समझ कर अपने टॉप को उतार दिया.

अब हम तीनों ब्रा में थीं. मगर प्रिया ने अभी भी टॉप पहना हुआ था. मगर वो नाच रही थी. शायद उसको अभी इतना नशा नहीं हुआ था कि वो अपने कपड़े उतारने लगे. मेघा ने उसके पास जाकर उसके टॉप को उतारने के लिए हाथ बढ़ाये और प्रिया ने बिना किसी विरोध के अपना टॉप उतर जाने दिया. उसकी चूचियां सच में मस्त लग रही थीं.

चारों दोस्त अब ब्रा में नाच रही थीं. फिर मेघा ने अपनी ब्रा को भी खोल दिया. उसकी चूचियां अब नंगी हो गई थीं. प्रिया भी अब शर्म छोड़ कर मस्ती में नाच रही थी. उसको बीयर का सुरूर था और वो मजे ले रही थी. मेघा की उछलती हुई चूचियां देख कर मेरा मन भी नंगी होने के लिए करने लगा.

मैंने भी अपनी ब्रा को खोल दिया और ऊपर से नंगी हो गई. अब सुरेखा और प्रिया की ब्रा ही उनकी चूचियों पर बची थी. हम दोनों की नंगी उछलती हुई चूचियां देख कर सुरेखा ने भी अपनी ब्रा उतार दी और अपनी चूचियों को मसलते हुए मस्ती में नाचने लगी.

प्रिया ने देखा कि हम तीनों की चूचियां नंगी हैं मगर अभी भी वो ब्रा नहीं उतार रही थी. फिर मेघा उसके पास गई और उसकी ब्रा को खोलने लगी. प्रिया को नशा हो रहा था. मगर अभी उतना नशा नहीं था कि वो नंगी होने के लिए तैयार हो जाये.

मेघा उसकी चूचियों को ब्रा के ऊपर से दबा दिया. प्रिया हंसने लगी और नाचती रही. फिर मेघा ने प्रिया की ब्रा को खोलने के लिए फिर से कोशिश की. मगर प्रिया अभी भी तैयार नहीं थी. लेकिन मेघा कहां रुकने वाली थी. उसने प्रिया की चूचियों को दबाना शुरू कर दिया और प्रिया को मस्ती चढ़ने लगी.

दो मिनट तक वो उसकी चूचियों को ब्रा के ऊपर से दबाती रही और फिर प्रिया ने खुद ही अपनी ब्रा को खोल दिया. अब वो भी ऊपर से नंगी हो गई थी. मेघा ने उसकी चूचियों को पकड़ कर अपने हाथ में भरना चाहा मगर प्रिया ने चूचियों पर हाथ से ढक लिया. लेकिन मेघा ने उसके हाथ हटा कर उसकी चूचियों को पकड़ कर भींच दिया.

अब वो दोनों एक दूसरे की चूचियां दबाने लगीं. इधर सुरेखा और मुझे भी मस्ती चढ़ने लगी और हमने भी एक दूसरे की चूचियों को पकड़ कर उनसे खेलना शुरू कर दिया. अब चारों को ही मस्ती चढ़ चुकी थी. कुछ देर हमने एक दूसरे की चूचियों को दबाया और फिर चारों एक ग्रुप बना कर नाचने लगीं.

बहुत मजा आ रहा था. अब प्रिया ने चारों की ब्रा को उठा लिया और उनको एक साथ अपने हाथ में लेकर हवा में घुमाने लगी. हम तीनों उसको देख कर हंसने लगीं. फिर हमने अपनी-अपनी ब्रा उसके हाथ से ली और उसको हवा में घुमाते हुए नाचने लगीं.

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कुछ देर तक ऐसे ही मस्ती में नाचते रहने के बाद मेघा ने प्रिया की पैंट को खोल दिया. उसकी पैंटी को उतारने लगी और प्रिया ने कोई विरोध नहीं किया. वो उसको बेड की तरफ ले गई और उसकी पैंटी को उतार कर उसे पूरी नंगी कर दिया.

वो प्रिया की चूत को अपने हाथ से सहलाने लगी और प्रिया बेड पर तड़पने लगी. फिर उसने प्रिया की चूत को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया. अब प्रिया कामुक हो गई और मेघा के मुंह को अपनी चूत पर दबाने लगी.

उन दोनों को इस तरह से लेस्बियन सेक्स का मजा लेते देख कर मैंने और सुरेखा ने भी एक दूसरे को नंगी कर दिया और मैंने सुरेखा का मुंह अपनी चूत पर रखवा दिया. वो मेरी चूत में जीभ अंदर देकर चाटने लगी. मैं भी पागल सी हो उठी.

चारों की चारों बेड पर एक दूसरे के नंगे जिस्मों के साथ खेलने लगीं. कभी प्रिया मेरी चूचियों के अपने हाथों से दबा रही थी तो कभी मैं मेघा की चूचियों को मसल रही थी. चारों को ही लेस्बियन सेक्स में मजा आने लगा.

फिर मेघा ने प्रिया की चूत में उंगली करनी शुरू कर दी और मैंने सुरेखा की चूत को चाटना शुरू कर दिया. प्रिया और सुरेखा दोनों ही एक दूसरे की चूचियों को हाथों में भर कर दबाने लगीं और कामुक सिसकारियां लेने लगीं.

करीबन दस मिनट तक मैंने और मेघा ने उन दोनों की चूत को चाटा और वो दोनों गांड को उठा-उठा कर एकदम से झड़ने लगीं. प्रिया और सुरेखा की चूत ने पानी छोड़ दिया.

हमने भी उन दोनों को यही करने के लिए कहा. अब प्रिया मेरी चूत में उंगली करने लगी और सुरेखा मेघा की चूत में. मेघा और मैं एक दूसरे की चूचियों के दबाने लगीं. मेघा मेरे निप्पलों को पकड़ कर मसल रही थी. मैं मेघा से पहले ही झड़ गई.

दो मिनट के बाद मेघा की चूत ने भी पानी छोड़ दिया. हम चारों ही मस्ती में नंगी बेड पर पड़ी रहीं और ऐसे ही सो गईं. सुबह उठी तो चारों के कपड़े यहां-वहां बिखरे हुए थे. प्रिया का सिर दर्द कर रहा था. मगर अब उसकी शर्म खुल गई थी.

हम चारों बारी-बारी से फ्रेश हुईं और फिर मेघा और सुरेखा अपने घर वापस चली गईं. अब प्रिया और मैं अक्सर एक दूसरे की चूत की प्यास को चूत चाट कर शांत करती रहती हैं. कभी-कभी मेघा और सुरेखा को भी हम अपने साथ शामिल कर लेती हैं. इस तरह जिन्दगी के मजे लेती रहती हूं मैं.

ज्योतिषी बन कर भाभी को बच्चा दिया

  मेरे पास जॉब नहीं थी, मैं फर्जी ज्योतिषी बनकर हाथ देख कर कमाई करने लगा. एक भाभी मेरे पास बच्चे की चाह में आई. वह माल भाबी थी. भाभी की रंड...