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Tuesday, 30 July 2024

भाभी किराएदार

 

यह बात आज से 1 साल पुरानी है जब हमारे मकान में एक किरायदार रहने के लिए आए थे। में उन्हें भैया और भाभी कहता था। धीरे धीरे उनसे अच्छे सम्बंध बनते गये और मैं उनके करीब पहुंचता गया।

भाभी का पति तो ज़्यादातर तौर पर बाहर ही रहता था। एक दिन यूँ हुआ कि भाभी के पति गये हुए थे और मेरे घर वाले भी आउट ऑफ मुंबई गये थे और कमरे की चाबी भाभी को दे गये, मुझे घरवालो ने फोन कर के बता दिया था की चाबी भाभी के पास है।

मैं घर पे आया और सीधा भाभी के कमरे की बेल बजाई तो भाभी निकली उस वक़्त उन्होंने क्रीम रंग का गहरे गले सूट पहन रखा था और सिर पे दुपट्टा भी नहीं था। वैसे भाभी का फिगर 36 32 36 होगा, ब्रा इतनी टाइट पहन रखी थी कि मुमे बाहर आने के लिए फड़फड़ा रहे थे।

मैंने कहा- भाभी चाबी चाहिए!
तो भाभी ने कहा- अंदर आ जाओ! मैं चाबी लाती हूं!

इत्तफ़ाक़ से क्या हुआ कि भाभी चाबी रख कर भूल गई. भाभी थोड़ी देर बाद आई और मुझसे कहा कि चाबी तो पता नहीं कहाँ रख कर भूल गई मैं?

मैंने कहा- भाभी, चाबी तो चाहिए… नहीं तो मैं रात को कहाँ पर लेटूंगा?

तो भाभी ने कहा की ठीक है, मैं और अच्छी तरह से एक बार और देख लूँगी। यह कह कर वो सोफे पर बैठ गई और मुझसे बात करने लगी और फ़्रिज़ में से पेप्सी निकाल कर ले आई। मुझे भाभी ने पेप्सी दी लेकिन खुद नहीं ली।

इस पे मैंने कहा- आप भी लो।

भाभी ने कहा की नहीं मैं नहीं लूँगी मेरे सर में दर्द हो रहा है सुबह से.

तो मैं भाभी के पास उठ कर गया और मैंने कहा कि मैं आपका सर दबा देता हूं भाभी!

वो मना करने लगी कि नहीं तुम तक़लीफ़ मत करो मैं दवाई ले लूँगी तो मैंने कहा- भाभी क्या मुझे इतना भी हक़ नहीं है कि मैं आपका सर दबा सकूं?

मेरे जोर देने पर भाभी मान गई. मैं सोफे पर चढ़ कर भाभी का सर इस अंदाज़ से दबा रहा था कि भाभी की रीड की हड्डी मेरे लंड से छू रही थी।

मेरा लंड भाभी के स्पर्श से ही फ़नफना गया और ऊपर से भाभी के कमीज़ का गला गहरा था जिसके कारण उनकी चूची ऊपर से साफ़ दिखाई दे रही थी। मैं धीरे धीरे सर दबा रहा था। भाभी मदहोश सी होती जा रही थी।

फिर क्या था मैंने भाभी को अपनी आगोश में ले लिया और वहीं सोफे पर लेट गया तो भाभी ने एकदम से उठ कर कहा कि यह क्या कर रहे हो?

तो मैंने भाभी से कहा कि भाभी आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो, मैं आपसे बहुत बहुत प्यार करता हूं, तो भाभी ने इतरा कर कहा कि वाह जी वाह! बड़ा आया प्यार करने वाला प्यार करने वाले इतनी देर नहीं लगाते हैं!

मैंने जो देखा तो भाभी की सलवार नीचे खुली पड़ी थी। मुझे ग्रीन सिग्नल मिलते ही मैं लग गया अपने काम पर।

पहले तो मैंने भाभी के होंठों को चूस चूस कर लाल कर दिया फिर उसके बाद मैंने कहा भाभी से कि भाभी! कभी लंड का भी स्वाद चखा है तुमने?

तो कहने लगी- छी! मुझे तो घिन आती है!

मैंने कहा- घिन किस बात की? अरे यह तो बाहर के देशों में खूब जम के होता है वो लोग तो पहले लंड ही चूसाते हैं और अगर बिना लंड चूसाए वो चोदेंगे तो उनका खड़ा ही नहीं होगा।

तो भाभी ने कहा- जैसे भी हो मैं नहीं चूसूंगी!

मैंने कहा- ठीक है आज नहीं तो कल पता चलेगा इसके ज़ायके का!

तो मैं खड़ा हुआ। लंड तो खड़ा ही था, मैंने अपनी पैन्ट खोली, लंड निकाला, मेरा लंड तकरीबन 6 इंच लंबा है और 2.5 इंच मोटा है भाभी मेरा लंड देख कर चेहरे पर थोड़ी सी मुस्कुराहट ला कर बोली तुम्हारा लंड तो बहुत तगड़ा है!

मैंने कहा- अरे खाते पीते घर का है ऐसे वैसे थोड़ी ना है!

मैं भाभी के पास जा कर खड़ा हो गया और भाभी भी खड़ी थी। मैंने खड़े ही खड़े भाभी की चूत पर हाथ फेरा और भाभी इतनी उतावली थी कि उसने आव देखा ना ताव, फटाफट लंड को अपनी चूत में डालने के लिए कहने लगी।

मैं खड़े खड़े ही उसकी चूत में लंड डालने की कोशिश कर रहा था मगर मेरी कोशिश नाकाम हो गई। वहीं एक कुर्सी रखी थी। मैं कुर्सी पर बैठ गया। मैंने कहा भाभी से कि अब आओ मेरे ऊपर, तो भाभी एकदम मेरे पास आ कर मेरे लंड पर बैठ गई और अपनी गांड हिलाने लगी।

थोड़ी देर बाद मेरे झड़ने का टाइम आया तो मुझे याद आया कि भाभी ने कहा था कि अन्दर मत झड़ना दिक्कत हो जाएगी मैंने झट से अपना लंड चूत में से निकाला और दीवार पर पिचकारी छोड़ दी।

उस दिन भाभी और मैंने जम कर 5 बार चुदाई की। यह सिलसिला 4 महीने तक चलता रहा।

जब भी मुझे और भाभी को मौका मिलता हम लोग जम के चुदाई करते थे। मगर 2 महीने पहले भाभी ने अपना घर बदल लिया क्योंकि उनके पति को गाड़ी पार्क करने की दिक्कत थी। उन्होंने ऐसी जगह घर ले लिया जहा पार्किंग का हिसाब ठीक था।

अब 15 20 दिन मे एक-आध बार चुदाई का मौका मिलता है तो हम लोग काम कर लेते है नहीं तो वो अपने घर में अपने घर!

मेरी अपनी राय यह है औरतो के बारे में कि औरत के कभी भी साथ सेक्स करो तो उन्हें पूरी तरह नंगा मत करो क्योंकि नंगी औरत कभी भी अच्छी नहीं लगती एक परदा होना चाहिए जो सेक्स को बढ़ाए!

जैसे मैंने जब भी भाभी की चूत मारी मैंने कभी भी उनके पूरे कपड़े नहीं उतारे कभी उनको ब्रा में चोदा कभी सूट पहने ही पहने सूट को उपर करके उनके चूचियों को चूसा। कभी साड़ी का पेटीकोट उपर करके चूत मारी।

सबसे ज़्यादा मज़ा आता है साड़ी में चूत मारने का! साड़ी को उतारो, पेटीकोट के नीचे से पेंटी को उतारो, पेटीकोट को ऊपर चढ़ा कर खड़े खड़े चूत मारो, गोदी में उठा कर चूत मारो, कितना आनंद आएगा!

मेरी प्यारी भाभी सुनयना की चूत

 

मैं सुरेन्द्र वर्मा, 21 साल पठानकोट का रहने वाला, 5′ 9″, अच्छी सुगठित काया, सात इन्च का लण्ड, अपने पांच भाई बहनों में सबसे छोटा हूं और प्यार से मुझे सब छोटू कहते हैं।

मेरी भाभी सुनयना वर्मा, 24 साल, मेरे बड़े भाई की बीवी, स्तनाकार 34, कमर 28 और कूल्हे 36″, खूब सुन्दर हैं और मुझ से काफ़ी खुली हुई हैं।

मेरे भाई नरेन्द्र वर्मा दुबई में नौकरी करते हैं, 28 साल के हैं और कुछ बेचैन से रहते हैं।
तीन बहनें हैं, तीनों शादीशुदा पर उनमें से एक विधवा है जो यहीं घर पर रहती है और अपनी पढ़ाई पूरी कर रही है, उसका नाम सुमीना है।

हमारा एक मध्यम श्रेणी का परिवार है, मां बाप और पांच भाई बहन, पापा सरकारी नौकरी से सेवानिवृत हुए हैं और घर पर ही रहते हैं लेकिन आजकल चारों धाम की यात्रा पर गए हुए हैं।

घर पर मैं, मेरी भाभी और सुमीना ही हैं। बहन अकसर कालेज़ में रहती है।
मेरी भाभी की शादी को तीन साल हो गए पर उन्हें मां ना बन पाने का गम है, इसलिए हम दोनों में समझौता है कि जब तक वो गर्भवती ना हो जाएं, मैं उनसे सेक्स कर सकता हूं।

भाई अभी तक यहीं थे, पांच दिन पहले ही दुबई वापिस गए हैं और मेरे लिए मैदान खुला छोड़ गए हैं।
सुमीना के कालेज़ जाने के बाद मैं अक्सर भाभी से छेड़खानी और चुदाई किया करता हूं।

बात कुछ यूं हुई कि एक दिन भैया और भाभी काफ़ी मूड में थे और आपस में गुफ़्तगू कर रहे थे।
मैं भी बैठा था।
भाभी बोली कि आप चले जाते हो दुबई, यहां मेरा मन नहीं लगता, बताओ मैं क्या करूं?

तो भैया बोले- अरे! ये छोटू है ना तुम्हारा मन लगाने के लिए, इसको सब अधिकार है तुम्हारे साथ यह कुछ भी कर सकता है।

भाभी बोली- वो सब भी?

भैया बोले- बाहर वालों से तो घर वाला अच्छा है।

भैया जब चले गए तो एक दिन सुमीना कालेज़ जा चुकी थी, तो मैंने भाभी से कहा- आज बहुत मन हो रहा है कि आपके साथ कोई पिक्चर देखी जाए।
भाभी बोली- कौन सी देखनी है?

मैंने कहा- “ख्वाहिश” देखें?

हम दोनों पिक्चर देखने चले गए।
उस फ़िल्म में कई किस सीन थे, मन हुआ कि भाभी को चूम लूं पर हिम्मत ना कर सका।

पिक्चर खत्म होते होते मैं इतना गर्म हो गयाकि मैंने भाभी की चूची दबा दी।

जिससे वो चोंक गई और बोली- इसलिए पिक्चर देखना चाहते थे!
मैंने कहा- हां भाभी!

हंसी मज़ाक हो रहा था और फ़िल्म खत्म होने पर हम लोग घर आ गए।

इतने में सुमीना के आने का समय भी हो गया था, इस लिए हम दोनों चुप हो गए।

दूसरे दिन सुबह सुबह ही सुमीना को कहीं जाना था और वो तैयार होकर चली गई।

सुबह का सुहाना मौका देखकर मैने पीछे से जाकर भाभी को चूम लिया।
पर मेरे चूमने से नाराज़ ना होकर बोली- देखो छोटू! आओ हम तुम एक समझौता कर लें! तुम जब चाहो मुझको चोद सकते हो पर इन इक्कीस दिनों में मैं गर्भवती होना चाहती हूं।

मैंने हामी भर दी और इस तरह शुरू हुआ अपना सेक्स का सफ़र!

हम दोनों नहा धो कर कमरे में आ गये और मैंने भाभी को किस करना शुरू किया।
चूमते हुए ही मैं उनके ब्लाऊज़ में हाथ डाल कर उनके मम्मे दबाने लगा और धीरे धीरे ब्लाऊज़ के बटन खोलने लगा।

जैसे जैसे बटन खुलते जा रहे थे, भाभी के चेहरे पर चमक आ रही थी।

पूरा ब्लाऊज़ उतार कर मैंने उनकी ब्रा का हुक भी खोल दिया।
अब भाभी मेरे सामने अपने 34 डी के बूब्स लेकर खड़ी थी और हंस कर मुझे देख रही थी, कह रही थी- छोटू! ये सब कहां से सीखा?

मैंने मुस्कुरा कर कहा- सब आप लोगों को करते देख कर अन्दाज़ा लगाया और सीख लिया।

मैं उनकी चूचियां चूसने लगा और वो आह! उफ़्फ़ ऽऽऽ आह ओहऽऽ करने लगी।

अब मेरा हाथ उनके पेटिकोट पर था और मैंने उसका इज़ारबंद खोल दिया।
इज़ारबंद खुलते ही पेटिकोट नीचे गिर गया और भाभी एकदम नंगी हो गई।

अब उनकी बारी थी।
वो मेरी टीशर्ट उतार कर मेरे जिस्म को चूमने लगी।

मुझे उनके जिस्म से भीनी भीनी खुशबू आ रही थी और मैं मस्त हो रहा था।

भाभी ने मेरी पैन्ट की ज़िप खोल कर मेरे लण्ड को बाहर निकाल लिया और उसे सहला कर खड़ा करने लगी और फ़िर अपने मुंह में लेकर चूसने लगी।

मैं उनकी चूचियां दबा रहा था और वो मेरा लौड़ा चूस रही थी।

चूसते चूसते थोड़ा सा प्री-कम भी निकला जो उन्होंने चाट लिया।

अब मैं उनकी चूत को चाटने लगा।
पहले धीरे धीरे फ़िर तेज़ी से अपनी जीभ चूत के अन्दर बाहर करने लगा।

भाभी आनन्दित हो रही थी और धीरे धीरे बोल रही थी- करे जाओ! मज़ा आ रहा है!

इस आनन्द को उठाते हुए करीब एक घण्टा बीत गया था और दोनों तरफ़ से कोई कमी नहीं आ रही थी, कभी वो मुझे कस कर गले लगाती और कभी मैं उनको गले लगाता।

एक दूसरे को चूमते चाटते काफ़ी समय हो गया तो भाभी बोली- अब कर डालो छोटू! नहीं तो सुमीना आ जाएगी।

हम दोनों बिस्तर पर चले गए और भाभी को पलंग पर लिटा कर मैं उनकी जांघें सहलाने लगा।
भाभी ने आनन्दित होकर अपनी टांगें फ़ैला ली जिससे उनकी चूत अब साफ़ दिखने लगी थी।

मेरे लण्ड का भी बुरा हाल था। मैंने भाभी की चूत पर अपना लण्ड रख कर धक्का लगा दिया और अपना आधा लण्ड अन्दर कर दिया।
एक दो धक्कों के बाद पूरा का पूरा लण्ड अन्दर चला गया।

भाभी जोर से चीखी।
मैंने उनका मुंह बंद कर दिया और झटके मारता रहा।
वो मेरे बदन को चूमती, मैं उनकी चूची को चूमता, इस तरह करते करते मैंने अपना पूरा माल भाभी की बुर में डाल दिया।

वो बुरी तरह से मुझ से चिपक गयी।

इस तरह हम करीब आधा घण्टा पड़े रहे फ़िर सुमीना के आने का समय हो गया था इस लिए एक दूसरे को किस करके अलग हो गए।

अब एक चिन्ता मन में थी कि अगर सुमीना को पता चल गया इस बात का तो क्या होगा।
अभी 21 दिन चुदाई करनी है और अगले पूरे हफ़्ते उसकी छुट्टी है। मैंने भाभी को आग्रह किया कि इस जाल में सुमीना को भी फ़ंसाना पड़ेगा, नहीं तो हम दोनों को मंहगा पड़ेगा।

हम यह सब सोच ही रहे थे कि सुमीना आ गयी।

भाभी ने धीरे से कहा- यह तुम मुझ पर छोड़ दो, दो तीन ब्लू फ़िल्मों की सी डी लाकर मुझे दे दो, मैं उसे पटा लूंगी।

मैंने कहा- ठीक है! मैं ले आऊंगा।

मैंने चार सी डी लाकर भाभी को दे दी और खाना खा कर घर से निकल गया और सारा दिन बाहर रह कर भाभी का जादू देखने को बेताब रहा।
शाम हुए घर आया।

भाभी ने हंस कर स्वागत किया तो तबीयत मस्त हो गई।

क्या मैं सुमीना को भी चोद लूंगा??

रीना की भाभी मोना

 

उस दिन बारिश में रीना और अंजलि को चोदने के बाद मैं अपने घर चला गया और अगले दिन रीना का फोन आया. उसने कहा कि मुझे आप के साथ बहुत मजा आया और मेरी भाभी आप से चुदवाना चाहती है. तो क्या आप मेरी भाभी को चोद देंगे तो वो आप को 2000/- रुपये देगी.
मैंने झट से हाँ कर दी और उसके बताये हुए पते पर 2 बजे दोपहर पहुंच गया.

वो भी एक आलीशान कोठी थी. मैंने जैसे ही डोरबेल बजाई पहले रीना ने दरवाजा खोला और मुझे अंदर बुलाकर सोफ़े पर बिठाया और उसने उसकी भाभी को पानी के लिये आवाज़ लगायी.
तो उसकी भाभी जैसे ही पानी लेके आयी मैं तो उसे देखते ही खड़ा हो गया. क्या मस्त जवान, गोरी, सुन्दर और बड़े बूब्स वाली औरत थी.
फिर रीना ने कहा कि राजेश ये मेरी भाभी मोना है तो आप दोनों एन्जॉय करो मैं चलती हूं.
और रीना उठकर चली गयी फिर मोना मुझे अपने बेडरूम में ले गयी.

अंदर जाते ही वो मुझ से लिपट गयी और मुझे अपनी बाहों में लेकर मुझे चूमने लगी. वो मेरे लिप्स को बड़ी जोर जोर से किस करने लगी तो मैंने उसे कहा कि आराम से करो तो बहुत मजा आयेगा.

मैंने उसे पूछा कि आप का पति कहाँ है तो उसने कहा कि मेरी शादी दो साल पहले हुई थी. तब से लेकर आज तक मेरे पति ने कभी भी मुझे संतुष्ट किया नहीं. उसका लंड 3′ का है और चूत में जाने से पहले ही झड़ जाता है. मेरी फ़ीगर 38-28-36 होने के बावजूद उसका लंड खड़ा नहीं होता और कल जब मेरी ननद ने मुझे आप के बारे में बताया तो मैंने ही उसे कहा कि मुझे भी एक बार आप से मिलाये ताकि मैं आपसे चुदवा सकूँ.

उसके बाद मैंने धीरे धीरे उसकी साड़ी और पेटीकोट निकाल दिया. अब वो सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में थी. उसे देख कर मेरा लंड झट से टाइट हो गया और मैं गर्म होने लगा. अब मैंने उसे धीरे से उसके होंठ को किस करने लगा 10 मिनट के बाद मैंने उसकी ब्रा खोल दी और उसके बूब्स चूसने लगा और वो आह आह आह आअह आह आह करने लगी और उसकी सांसे तेज हो गयी.

फिर उसने मेरे सारे कपड़े उतार के मुझे नंगा कर दिया और वो मेरे लंड को चूसने लगी. 15 मिनट के बाद मैं उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा और अपनी जीभ से चाटने लगा और वो एकदम मस्त होने लगी.

फिर उसने कहा कि अब आप अपना लंड डाल दो तो मैंने उसकी दोनों टांगे उठा के मेरा 7′ का लंड उसकी चूत में डालने लगा लेकिन उसकी चूत टाइट होने के कारण 3′ तक ही गया और वो चीखने लगी. फिर थोड़ी देर बाद मैंने एक जोर का शोट मारा कि मेरा पूरा लंड चूत में चला गया. अब उसको भी बहुत मजा आने लगा और मैं जोर जोर से उसे चोदने लगा और वो मजा लेने लगी. करीब 30 मिनट चोदने के बाद में झड़ गया. इस बीच वो दो बार झड़ चुकी थी. और मैं झड़ने के बाद थोड़ी देर उसके ऊपर लेटा रहा.

बाद में फिर से मेरा लंड खड़ा हो गया और इस बार मैंने उसे डौगी स्टाइल में चोदा.

फिर मैं अपने कपड़े पहनकर तैयार हो गया. फिर उसने मुझे 2000/- रुपये दिये और मैं चला गया.

भाभी की चुदाई दोस्त के साथ

 

मैं आप लोगों को एक गर्म सच्ची कहानी बता रहा हूं अपने दोस्त की बीवी की चुदाई की !

मेरा एक बचपन का दोस्त है। हम दोनों एक साथ बड़े हुए और उसकी शादी हो गई। शादी के कुछ दिनों बाद वो हमेशा अपनी बीवी की चुदाई कैसे करता है, बताता रहता था। जिसे सुनकर मेरा मन भी चुदाई करने को करता था और मैं सोचता था कि वो कैसे भाभी को चोदता होगा और भाभी कैसे चुदवाती होगी।

एक दिन मैंने उसे कहा- यार ! मेर मन चुदाई के लिए करता है और मेरे पास कोई जुगाड़ भी नहीं है। उसने कुछ नहीं कहा, लेकिन अगले दिन उसने मुझे कहा कि मैं उसकी बीवी को चोदना चाहूं तो चोद सकता हूं, उसे कोई परेशानी नहीं। मैंने कहा कि भाभी क्या चुदाई के लिए मान गई

तो उसने कहा- नहीं, लेकिन मान जाएगी क्योंकि उसे ग्रुप सेक्स की कहानियाँ सुनने में अच्छी लगती हैं और मैं उसे तुम्हारे बारे में कुछ नहीं बताऊंगा। आज रात को जब मैं उसे ग्रुप सेक्स की कहानी सुना कर उसकी आंखों पर पट्टी बांध कर चोदूंगा, तभी तुम भी चोद लेना। बाद में उसे बताएंगे कि तुमने भी उसकी चुदाई की है।

रात को मैं उसके कमरे में छुप गया। फ़िर भाभी आई और बोली कि तुम्हारा दोस्त गया क्या?

तो वो बोला- हाँ ! गया।

तो भाभी ने दरवाज़ा बंद कर लिया और बोली- कोई सेक्सी नग्न फ़िल्म दिखाओ ना !

मेरे दोस्त ने XXX फ़िल्म लगा दी। भाभी फ़िल्म देखते देखते गरम हो गयी और मेरे दोस्त के कपड़े उतारने लगी। फ़िर अपने कपड़े भी उतार दिए। मैं तो भाभी का जवानी से भरा बदन देख कर पागल हो गया- क्या फ़ीगर थी उनकी ३६-२६-३४ उनकी चूत पर एक भी बाल नहीं था, उनकी इतनी खूबसूरत चूत छूने के लिए मेरा मन मचलने लगा। मेरे दोस्त ने भाभी की आंखों पर पट्टी बांध कर मुझे पास आने के लिए इशारा किया और भाभी के बदन से लिपट गया। सामने भाभी को नंगी देख कर मेरे लंड में तूफान आ गया।

फिर मेरा दोस्त भाभी की चूत घोड़ी बना कर लेने लगा थोड़ी देर में उसने अपना लंड निकाल लिया और मुझे इशारा किया कि मैं लंड डाल दूँ। मैंने तुंरत ही अपना लंड भाभी की चिकनी चूत में डाल दिया।

लंड जाते ही भाभी बोली- अचानक तुम्हारा लंड इतना मोटा क्यों लग रहा है? तो मेरे दोस्त ने उसकी आंखों पर से पट्टी खोल दी तो भाभी ने पलट कर मुझे देखा तो मुस्कराई और कहा कि मुझे अच्छा लग रहा है मैं भी यही चाहती थी कि मेरी चुदाई दो दो लंड से हो, मुझे आज खूब जोर जोर से चोदो।

फिर क्या था मैं तो भाभी को खूब मस्ती में चोदने लगा और भाभी आहें भरने लगी। मैं कभी भाभी की कमर पकड़ता तो कभी चूची। फिर थोड़ी देर बाद मैंने लंड निकल लिया और भाभी को लेटा दिया और कहा कि तुम बहुत सेक्सी लग रही हो और भाभी की चूत को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा भाभी सिसकने लगी और मैं चूत को अपने होटों से जोर जोर से चूमने लगा। भाभी एक दम तड़पने लगी और कहा कि मेरी प्यासी चूत में अपना मोटा लंड डाल कर इसकी प्यास बुझा दो।

फिर मैंने भाभी के उप्पर चढ़ कर चूत में लंड डाल दिया और चूची मुंह में लेकर स्वर्ग का मजा लेने लगा उस समय मेरे दोस्त ने भाभी से कहा कि मैं तो पहले ही जानता था कि तुम चुदवा लोगी क्योकि ग्रुप सेक्स की कहानी सुन कर तुम बहुत जोशीली हो जाती थी। आज तुम्हें चुदते हुऐ देखने में बड़ा मज़ा आ रहा है, लेकिन तुम दोनों मेरे सामने ही चुदाई करना ! नहीं तो लोगों को शक हो सकता है।

तो भाभी ने कहा कि अगर किसी को न पता लगे तो हर औरत चुदवाना चाहती है और यहाँ तो आप मुझे चुदवा रहें हैं, अब तो मैं हर रात आप दोनों से चुदवाना चाहती हूँ।

फिर रात भर मैंने और मेरे दोस्त ने मिल कर भाभी को खूब चोदा उसके पूरे बदन को खूब प्यार किया फिर हर दो तीन दिन में हम तीनो साथ साथ चुदाई करने लगे। फिर एक दिन मेरे दोस्त की बदली पुणे हो गई और हम लोग अलग हो गए। आज कल मेरा मन चुदाई के लिए तड़पता है दिल करता है कि भाभी वापस आ जाए लेकिन ये हो नहीं सकता।

शबनम भाभी की चुदाई की सच्ची सेक्सी कहानी

 

दोस्तो! मेरा नाम रेहान है और मैं हैदराबाद में रहता हूँ और यह सेक्सी कहानी मेरी और मेरी भाभी की चूत चुदाई की सच्ची कहानी है।

मेरी भाभी का नाम शबनम है और वो एक मध्यम परिवार से है। घर पर सिर्फ़ हम पाँच लोग ही रहते हैं। मेरी भाभी का साइज़ 36-26-36 है और वो एक दम सेक्सी है। मेरे भाई की शादी को 3 साल हुए थे और उन की कोई औलाद नहीं थी। इसी कारण मम्मी पापा मेरी शादी करना चाहते थे और उन्होंने एक लड़की भी देखी थी पर वो लड़की पसंद नहीं आई थी।

एक बार मेरे मम्मी और पापा को उनके एक रिश्तेदार की शादी में जाना था और उन्होंने मुझे भी चलने के लिए कहा तो मैंने मना कर दिया क्योंकि मुझे काम पर से छुट्टी नहीं मिल रही थी तो भाभी ने भी मना कर दिया क्योंकि घर पर मैं अकेला ही रह जाऊँगा। वो लोग चले गए और भैया को भी उन के काम से शहर से बाहर जाना पड़ा था और वो 6 महीने के लिए शहर से बाहर गए थे। उस वक्त घर पर सिर्फ़ हम दोनों ही थे।

सब कुछ ठीक चल रहा था कि अचानक एक दिन मैं काम से छुट्टी ले कर घर आ गया था। जब मैं कम से घर आया तो मैंने दरवाज़ा खुला पाया। मैं अन्दर घुसा तो मैंने भाभी को आवाज़ नहीं लगाई और उन के कमरे में चला गया। मैंने देखा कि भाभी एक दम नंगी हैं और वो अपनी चूत और अपने बूब्स को दबा रही हैं और कुछ अजीब सी आवाज़ें निकाल रही हैं- आआ आआ आआ आआऊऊ ऊऊ ऊऊ ऊऊओस्श्श्श्श् श्श्श्श्श्श् ऊऊ ऊऊ ऊऊ ऊऊओ!

जब भाभी ने मुझे देखा तो एक दम हक्की बक्की रह गई और जैसे ही उन्होंने मुझे देखा मैं वहाँ से चला गया और फिर कुछ देर बाद भाभी कमरे से बाहर आई और मुझे देख कर सेक्सी तरीके से मुस्कुरा दी। मैं उस समय कुछ नहीं समझा।

रात को डिनर के बाद जब मैं सोने जा रहा था तो उन्होंने मुझ से पूछा कि क्या मैं उनके साथ सो सकता हूँ क्योंकि उनको अकेले सोने की आदत नहीं है। मैं उनके कमरे में चला गया और मैंने अपना बिस्तर नीचे लगाया तो भाभी ने कहा कि तुम मेरे साथ बेड पर सो सकते हो।

मैं ये सुन कर एक दम उनके बेड पर चढ़ गया। कुछ देर बाद मैं परेशानी महसूस कर रहा था तो उन्होंने पूछा कि क्या हुआ तो मैंने उनसे कहा कि मैं रोज़ सिर्फ़ अपने कच्छे में ही सोता हूँ।

तो भाभी ने कहा कि तो क्या हुआ यहाँ भी वैसे ही सो जाओ।

मैं ये सुन कर एक दम हैरान हो गया और फिर मैंने अपने कपड़े उतारे और सिर्फ़ कच्छे में ही सो गया। ऐसा कुछ दिनों तक चलता रहा।

एक दिन मैं रोज़ की तरह सोने की तैयारी कर रहा था तो भाभी ने भी अपने कपड़े उतार दिए।

मैंने पूछा तो कहने लगी कि जब तुम अपने अन्डरवीयर में सो सकते हो तो मैं अपनी ब्रा और पेंटी में क्योँ नहीं सो सकती?

और फिर भाभी सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में ही बेड पर सो गई। रात के 2 बजे मैंने किसी का हाथ अपनी छाती पर महसूस किया, देखा तो वो भाभी का हाथ है। मैं उन के और करीब हो गया। फिर मैंने अपना हाथ उन के बूब्स पर रख दिया जिस से मेरा लण्ड पूरी तरह खड़ा हो गया। मैं उनके बूब्स को आहिस्ता से सहलाने लगा। मुझे और थोड़ा जोश आया तो मैंने अपना हाथ उनकी पेंटी पर रखा और अपनी उंगली उनकी फुद्दी पर फ़िराने लगा। वो भी मजा लेने लगी, मैंने देखा तो वो सिर्फ़ अपनी ऑंखें बंद कर के लेटी हुई थी। फिर मैंने अपनी उंगली उनकी पेंटी के अन्दर डाल दी और उनकी फुद्दी में अपनी उंगली को अन्दर बाहर करने लगा।

वो जोश के कारण आआअ ऊऊओ श्ह्श्श्श्श्श श्श्ह्स ओइ ओइओइ ऊऊ ओईइ ऊइओई ओइओइ ओओइओइ ओओइओइ ओइओइओ अहह हहछाहहछा कर रही थी। मैं समझ गया कि भाभी को अब मेरे लण्ड के दर्शन करने ही पड़ेंगे। मैंने अपना कच्छा उतार दिया और अपना लण्ड उनके हाथ में दे दिया। जैसे ही मैंने अपना लण्ड उनके हाथ में दिया, वो झट से उठ कर बैठ गई और मेरे लण्ड को देख कर बोली कि तेरा तो तेरे भैया से भी बड़ा है।

भाभी ने उसको थोडी देर मसलने के बाद उसे अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। मैं जैसे सातवें आसमान में था। वो उसे ऐसे चूस रही थी जैसे कोई बच्चा लोलीपॉप चूसता हो। कुछ देर चूसने के बाद मैंने भाभी से कहा कि मैं झड़ने वाला हूँ, तो उन्होंने कहा कि मुंह के अन्दर झड़ जाऊँ और मैंने उनके मुँह में एक लम्बी सी पिचकारी मारी जिस से उन का पूरा मुँह भर गया और वो मेरा सारा रस पी गई। फिर मैंने उनको बेड पर लिटाया और उनकी पेंटी उतारी और उनकी फुद्दी को अपनी उंगली से चोदने लगा और फिर उनकी फुद्दी को अपनी जीभ से चाटने लगा। कुछ देर बाद वो भी झड़ गई और मैंने उनका सारा रस पी लिया।

हम दोनों ऐसे लेटे रहे और उसी दौरान मैंने उनके स्तन चूसना शुरू किया और उन्होंने मेरा लण्ड फिर चूस कर खड़ा किया, मैंने उन के पैर फैलाये और मैंने अपना लण्ड उन के फुद्दी में डालना चाहा पर नहीं घुस रहा था। फिर भाभी ने कहा कि और थोड़ा ज़ोर लगाओ!

फिर मैंने एक और जोरदार धक्का मारा जिससे मेरा आधा लण्ड उनकी फुद्दी में घुस गया और उनके मुँह से एक चीख निकली। फिर मैंने एक और धक्का मारा तो मेरा पूरा का पूरा लण्ड उनकी फु्द्दी में घुस गया और भाभी को दर्द होने लगा। मैंने कहा कि मैं थोडी देर रुक जाता हूँ तो भाभी ने कहा की नहीं रुको नहीं, पहले पहले ऐसा होता है। फिर मैंने अपना काम चालू किया और लण्ड अन्दर बाहर करने लगा। भाभी को भी मजा आने लगा और फिर वो जोश में आआ ऊऊओ ईई श्श्श्श्श्श हहः करने लगी और मुझसे कहने लगी कि और जोर से! और जोर से! और जोर से!

फिर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। जैसे ही मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई, भाभी को और ज्यादा मजा आने लगा और वो और जोर से आआ आ आआअ ऊऊ श्श्श्श्श्श श्श्श्श्श्श्श्श ऊऊओ ईईइ करने लगी। फिर आधा घंटा चुदाई के बाद मैंने भाभी को कहा कि मैं झड़ने वाला हूँ तो उन्होंने कहा कि मैं तो दो बार झड़ चुकी हू और तू अब झड़ रहा है!

फिर भाभी ने कहा कि तू मेरी फुद्दी में ही झाड़ दे और मैंने ऐसा ही किया। उस रात हम देवर भाभी ने सात बार चुदाई की और मैंने भाभी की गांड भी मारी।

और क्या मजा आया उनकी गांड मार के!

भाभी और उसकी बहन के साथ सेक्स

 

मैं मुकेश, राजस्थान से, एक अच्छे व्यक्तित्व वाला और अच्छा दिखने वाला लड़का हूँ। मैं आप को एक कहानी सुनाने जा रहा हूँ।

मेरा एक दोस्त है राहुल। राहुल और मैं साथ साथ पढ़े लिखे, मगर राहुल की शादी मुझसे पहले हो गई। राहुल एक पायलट है। उसकी शादी शिमला की निधि नाम की लड़की से हुई थी। वो जब भी बाहर जाता मुझे हमेशा कह कर जाता कि निधि का ख्याल रखना। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था।

एक दिन मैं भाभी के घर गया, दरवाज़ा बन्द था, मैंने बेल बजाई मगर कुछ देर तक कोई नहीं आया। कुछ देर बाद राहुल की 3 साल की बेटी ने दरवाज़ा खोला।
मैंने उससे पूछा- मम्मी कहाँ है?
तो वो बोली- मम्मी अपने कमरे में काम कर रही हैं, मैं उसके कमरे की तरफ़ गया, मुझे वहाँ कोई नहीं दिखाई दिया। मैं वापिस आ रहा था कि इतने में मुझे बाथरूम से कुछ आवाज़ आई- आ ऽऽऽआआ आआआऽऽऽ ऊऊऊमम्म म्मम्म!

मुझे आवाज़ अजीब सी लगी और मैं बाहर चला आया। कुछ देर बाद भाभी बाथरूम से बाहर निकली बिना कपड़ों के पूरी नंगी। उनको नंगा देख कर मेरा लण्ड जो कि 8 इन्च का है खड़ा हो गया। भाभी जल्दी से बाथरूम की तरफ़ भाग गई और तौलिया लपेट कर बाहर आई। मुझे काफ़ी डर लग रहा था कि भाभी मुझ पर चिल्लाएंगी। मगर भाभी मेरे पास आई और मुझसे कहने लगी- मुकेश तुम कब आये?
मैं उनकी बातें समझ नहीं पा रहा था। मैंने भाभी से कहा- मैं चलता हूँ, फ़िर आऊँगा।

मैं घर पहुँचा मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। मुझे सारा दिन सारी रात भाभी का वही नंगा बदन याद आ रहा था। बार बार मेरा लौड़ा खड़ा हुए जा रहा था। मैंने उसे एक हसीन सपना समझकर भूलने की काफ़ी कोशिश की मगर भूल नहीं पा रहा था।

लेकिन एक दिन अचानक मेरे सेल पे भाभी का कॉल आया और उन्होंने मुझे घर आने को कहा। मुझे लगा कि शायद भाभी को कोई काम होगा इसलिये बुलाया है, मैं घर पहुँचा, मैंने दरवाज़े पर घण्टी बजाई, भाभी ने गेट खोला और मुझे अंदर आने को कहा। मैंने भाभी से पूछा कि श्वेता कहाँ है?
तो वो बोली- अपनी सहेली के घर गई है।
उन्होंने मुझे अपने कमरे में आने को कहा और मैं उनके पीछे चला गया।

मैंने वहाँ एक 18-19 साल की लड़की को देखा। मैंने भाभी से पूछा- यह कौन है?
तो भाभी बोली- ये मेरे मामा की लड़की है, कल ही शिमला से आई है। उसका नाम रानी है।
मैंने भाभी से पूछा- भाभी! कुछ काम था जो आपने मुझे याद किया?
तो भाभी बोली- क्या काम होगा, तभी बुला सकती हूँ क्या?

मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था कि भाभी क्या चाहती हैं मुझसे। फिर मैं रानी से बातें करने लगा और धीरे धीरे वहो मेरे करीब आने लगी । उसने मेरे लण्ड पे हाथ रखा मेरा, लण्ड खड़ा हो गया। मैं बेकाबू हो गया, मैंने उसे पकड़ लिया और उसके होंठ चूमने लगा। मुझे कुछ ख्याल नहीं था कि मैं कहाँ और किसके घर में हूँ।

मुझमें और जोश आने लगा, मैं उसके स्तन जो कि काफ़ी छोटे और नरम थे ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा। वो मुझसे कहने लगी- धीरे करो मुकेश!

मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मेरा लण्ड बहुत तड़प रहा था। मैंने उसके कपड़े उतारने शुरु किए और सारे कपड़े उतार दिये। उसने भी मेरे सारे कपड़े उतार दिये, बस अण्डरवीयर उतरना बाकी था।

उसमें भी काफ़ी जोश आ चु्का था, उसने मेरा अण्डरवीयर फ़ाड़ दिया और कहने लगी- जल्दी डालो मुकेश जल्दी डालो! मुझसे रहा नहीं जा रहा!

मैंने उसकी छोटी सी चूत में अपना लण्ड डाला, वो ज़ोर से चिल्लाई- मुकेश! आऽऽऽऽ आआ आअह्ह ह्हह बाहर निकालो!

इतने मैं भाभी आ गई और उन्होंने हम दोनों को नंगा देखा तो उनमें भी जोश आ गया और वो भी अपने कपड़े उतारने लगी। मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था कि क्या हो रहा है।

फिर उन्होंने मुझे अपने बेड पे धकेल दिया और मेरे ऊपर रानी को बैठाया और कहने लगी- अपना लण्ड इसकी चूत में डालो! मैंने अपना लण्ड उसकी चूत में डाला। वो फिर ज़ोर से चिल्लाई- आआऽऽऽ ह्हह्ह ह्हह…! मुकेश धीरे!

मुझसे अब नहीं रहा जा रहा था, मैंने ज़ोर ज़ोर से चूत मारना शुरु कर दिया।

वो चिल्लाने लगी- आआआअ… ह्हह् ह्ह…ई… ऊउ… हाय रे…!
मैं और ज़ोर-ज़ोर से शॉट मारने लगा। 10-12 शॉट के बाद मेरा माल निकल गया और उसकी चूत में से खून निकलने लगा, वो डर गई मगर भाभी ने कहा- कुछ नहीं पहली बार ऐसा ही होता है।

उसके बाद मैं अपने कपड़े पहन ही रहा था कि भाभी मुझसे कहने लगी- नहीं मुकेश! रुको! अभी मैं बाकी हूँ!
मैं उस दिन काफ़ी जोश में था। अब भाभी मेरे ऊपर थी और मैं उनके होंठों पे किस कर रहा था। मुझमें काफ़ी जोश आ रहा था। वो मेरे लण्ड को चूसने लगी।

आआआआ… ह्हह्ह ह्हह… ओ… ह… ह्ह्हह्ह हह्हह्ह… प…पप्पप्पु… स्सस स्सस्स… ह्हह्ह ह्हह।
मुझे काफ़ी मजा आ रहा था। उन्होंने मुझमें और जोश ला दिया। फिर मेरा लण्ड खड़ा हो गया और मुझसे रहा नहीं गया। मैंने अपना लण्ड भाभी की चूत में डाल दिया।
वो कहने लगी- मुकेश तुम में काफ़ी जोश है! मेरी प्यास बुझा दो।

मेरे दिलो-दिमाग पे भाभी छा रही थी, मैं भी बेकाबू हो गया था। मैं शॉट मारने लगा।
भाभी आआआआ आआअ…न… इ…स…ए… जी…तु… कहने लगी।

मैं और ज़ोर ज़ोर से शॉट मारने लगा। उन्हें काफ़ी मजा आ रहा था। वो कम ओन मुकेश…कम ओन मुकेश…डू इट! कह रहि थी और मैं पूरे जोश से शॉट मार रहा था, लेकिन इस बार मेरा माल बाहर नहीं आ रहा था। मैं और ज़ोर-ज़ोर से शॉट मारने लगा।
भाभी आआ…ह… ह्हह्ह… ऊऊऊओ… स…सओ… म…ए… मुकेश! कहे जा रही थी।

15 बार शॉट मारने के बाद मेरा माल निकल गया और फिर कुछ देर के लिये मैं उनसे लिपट गया। उसके बाद मैंने कपड़े पहने और भाभी से कहा- मैं अब घर जा रहा हूँ!
भाभी कहने लगी- मुकेश आते रहना!
और उसके बाद हमारा सिलसिला ऐसा ही चलता रहा।

लेकिन एक दिन राहुल का तबादला दिल्ली हो गया और हम दोनों जुदा हो गये।
मुझे आज भी भाभी की याद सताती रहती है और साथ साथ रानी कि भी जो शिमला वापिस चली गई।
मुझे आज भी किसी भाभी का या किसी रानी का इन्तज़ार है!

चुदक्कड़ भाभी

 मैं जानू! अपनी नई कहानी के साथ! शायद ये कहानी आपको पसंद आ जाए!

2 साल पहले जब मेरी उम्र 22 की थी, सेक्स क्या होता है, यह मैं जानता तो था पर कभी किया नहीं था।

मेरे पड़ोस में एक भाभी रहती है, वह मेरी जवानी देख कर मचलने लगी थी शायद। वैसे उसका पति है पर लम्बाई में तो उससे छोटा तो था ही पर शायद उसका हथियार भी छोटा था। इसीलिए भाभी संतुष्ट नहीं हो पाती थी और दूसरे लण्ड की तलाश में रहती।

मेरी जवानी उसे पसंद आ गई और मैं भी सेक्स की चाहत के कारण उसके जाल में आ गया।

उसने मुझे एक रात पेट दर्द के बहाने बुलाया। मैं दवा लेकर पहुंचा, दवा दी और उसके कहने पर कुछ देर रुका। जब उसका दर्द कम हुआ तो अचानक वो उठी और मुझे किस कर लिया और बोली कि देवर जी! क्या दवा दी कि रोग ही ठीक हो गया! मैंने तुझे बदले में जो इनाम दिया, कहीं तुझे बुरा तो नहीं लगा?

मैंने कहा- नहीं भाभी जान! बिल्कुल नहीं!
उसका मन बढ़ गया और उसने कहा- तब तो देवर राजा और कुछ दूंगी तो बुरा नहीं मानोगे ना?
मैंने कहा- नहीं!

उसने मुझे कुछ देर सहलाया जो मुझे बहुत अच्छा लगा। सहलाते सहलाते उसने मेरी जिप खोलकर अंडरवियर के अन्दर हाथ डाला और मेरा हथियार निकाल लिया।

मुझे यह बहुत अच्छा लगा पर वह इसे देख कर आश्चर्य भरी निगाहों से देख रही थी, उसने कहा- जानू! इतना बड़ा! ये तो तेरे भाई के लौड़े से दुगना बड़ा है, उनका तो गाजर के जैसा छोटा और पतला है। क्या मैं इसे भी चूम लूँ?

मैं भी जोश में आ गया था सो बोला- भाभी जान! अभी ये तेरी अमानत है, इसे जो भी उपहार देना है दो!

वो मेरा लण्ड चूसने लगी। मुझे और अधिक जोश आ गया और मैंने उसकी साड़ी खोल कर कहा- मैं भी तेरे सामान को किस करना चाहता हूँ।

तो बोली- करो न किसने रोका है!

वह 69 के पोजिशन में हो गई, अपना पेटीकोट और ब्लाऊज़, ब्रा, पेंटी सब उतार दिया। 69 के कारण दोनों एक दूसरे का सामान चूसने लगे। चूसते चूसते उसने मेरा माल निकाल दिया और पी गई।

मैं भी कहाँ मानने वाला था! मैंने भी उसकी बुर चूस कर उसे झाड़ दिया और सारा रस जीभ से चाट गया।

इतने में उसने कहा- राजा, अब मेरी बुर को चोदो! मैं तेरा लण्ड चूसकर खड़ा किए देती हूँ।

यह कह कर वो मेरा लण्ड चूसने लगी और कुछ देर चूसने के बाद ही मेरा लण्ड फनफनाने लगा। मैंने कहा- मेरी रंडी चुदक्कड़ भाभी! अपने पति के लण्ड से तुझे तृप्ति नहीं मिली ना? आज बताता हूँ कि कुंवारे लण्ड से बुर का क्या हाल होता है!

उसने कहा- राजा यही तो मैं चाहती हूँ! आज इस हरामजादी बुर को ऐसा मजा चखाओ कि यह भोंसड़ी हमेशा तेरे ही लण्ड से चोदवाने के लिए तड़पे! अपने भरतार के लण्ड को हमेशा के लिए भूल जाए! मेरे पति ने तो कभी मुझे पूरा सुख दिया ही नहीं!

यह कह कर उसने अपने चूतड़ फैला दिए बिल्कुल रंडी की तरह!

उसे इस हालत में देख मुझे भी ताव आ गया। मैंने अपने लण्ड को उसकी बुर के ऊपर रखा और धक्का दिया, लण्ड भीतर नहीं जाकर फिसल गया, इस पर वो हंसने लगी और बोली- राजा तुम बिल्कुल अनाड़ी हो! तुमने आज तक किसी को नहीं चोदा है? लाओ मैं तेरे लण्ड को अपनी बुर के छेद पर लगाती हूँ!

उसने ऐसा ही किया और मुझे धक्का लगाने को कहा। मैंने भी एक जोर का धक्का दिया, धक्का करारा था इसलिए वो चिल्ला उठी और गन्दी गालियाँ बकने लगी- साले खेत समझा है क्या कि जैसे तैसे जोत दिया? ओह… आऽऽह… हाय… ऊह..आऽऽ साले हरामी ने फाड़ दिया रे मेरी बुर को! भाभीचोद, फाड़ दे अपनी गीता रानी की बुर को! कचूमर निकाल दे इसका! मेरे मर्द देवर! और जोर से चोद! मुझे तृप्त कर दे! अब मेरी बुर का दूसरा कोई मालिक नहीं बनेगा, मेरा भरतार भी नहीं! अब तो मैं अपने भरतार के सामने भी तुझसे ही चुदवाऊँगी तब उस साले को पता चलेगा कि मर्द क्या होता है?

इतना सुनकर मैंने और जोर से चुदाई शुरू की।

वो चिल्लाने लगी- हाय.. ओह.. ओह… अस स स सऽऽऽ

मैं अब पूरे जोश में था, एक हाथ से उसकी चूची मसल रहा था और धकाधक अपने लण्ड को अन्दर बाहर कर रहा था। मेरे मुंह से गन्दी गन्दी बातें निकलने लगी। मैंने कहा- साली रंडी! तेरी बुर ने मेरे लण्ड को फंसा ही लिया! मादरचोद! आज तेरी बुर को भोंसड़ा नहीं बनाया तो मेरा नाम नहीं! आज तो तेरी बुर की खैर नहीं! आज तो इतनी बार चोदूंगा कि तेरी बुर फ़ूल कर पावरोटी बन जाए!

उसने कहा- हाँ राजा! जोर से! और जोर से चोदो! मेरे दुधु को चूसकर उससे दूध निकाल दो!

ऐसी गन्दी बातें कहते हुए हमने 30 मिनट चोदाई की। फिर मैंने कहा- रानी मेरे लण्ड से कुछ निकलने वाला है!

इस पर उसने भी कहा- मैं भी झड़ने वाली हूँ, पर राजा! तुम अपने लण्ड के फव्वारे से मेरी बुर की प्यास बुझाना!

इतना कहते कहते मेरे लण्ड ने झटका देना चालू कर दिया। वो अपनी बुर उठा उठा कर मेरे लण्ड का सारा रस अपनी बुर में लेने लगी और कहे जा रही थी- ओह! आह! . .ओह! मेरे देवर राजा आज मैं तृप्त हुई! अब इस बुर के मालिक तुम हो, इसे चोदते रहना, रोज रात आना! मैं नया नया स्टाइल सिखाऊँगी! तुझे चुदाई का मास्टर बना दूंगी!

मैंने भी कहा- हाँ गीता रानी, अब तुम ही मुझे चुदाई का सारा तरीका सिखाओ! अब मुझे तेरी ही बुर चोदनी है पर कंडोम मँगा लेना, कहीं कोई बच्चा रह गया तो? अभी तेरी उम्र ही क्या है!
वो बोली- ठीक है, पर अगर तेरे बच्चे की माँ बन भी गई तो कोई गम नहीं!

Monday, 29 July 2024

मैं नहीं चोद सकता

 

मेरा नाम अमित है, मैं कंप्यूटर सॉफ़्टवेयर और हार्डवेयर का काम करता हूँ, मेरा ऑफ़िस है गुजरात में !

मैं और मेरे घर वाले बहुत ही साधारण हैं इसलिए मेरा स्वभाव एक अच्छे लड़के की तरह है, पर क्या पता था कि एक दिन मेरी ज़िंदगी ही बदलने वाली है।

मेरी ज़िंदगी एक भाभी और उसकी सहेली ने बदल दी। उस भाभी का नाम पुष्पा है। मैंने कभी उसे नहीं देखा था पर पुष्पा भाभी सब कुछ मेरे बारे में जानती थी।

एक दिन शाम को मेरे ऑफ़िस में उसका फोन आया और कहने लगी- यू आर अमित?

मैंने कहा- यस, हाँ बोलिए क्या काम है?

उसने कहा- मेरे घर का कंप्यूटर खराब हो गया है।

पहले मैंने उनसे पूछा- मेरा नंबर कैसे मिला आपको?

तब उस भाभी ने कहा- कभी कभार मैं तुम्हारे ऑफ़िस के रास्ते से जाती हूँ, तब तुम्हारे ऑफ़िस का नंबर मुझे तुम्हारे ऑफ़िस के बोर्ड पर से मिला और मैंने कॉन्टेक्ट किया तुमसे !

मैंने कहा- अच्छा। कल मैं आ जाता हूँ।

भाभी बोली- नहीं अभी आना होगा !

मैंने कहा- जी अभी नहीं आ सकता, अभी रात के आठ बज रहे हैं तो मैं कल आ जाऊँगा।

तब वो कहने लगी- मुझे आज कंप्यूटर में कुछ ज़रूरी काम है इस लिए तुम्हें अभी ही आना होगा।

मैंने कहा- जी अभी नहीं ! मैं कल सुबह जरूर आ जाऊँगा।

पर वो भाभी नहीं मानी, कहने लगी- मुझे आज कंप्यूटर में कुछ ज़रूरी काम है।

फिर मुझे भी उसकी बात माननी पड़ी और कहा- ओके, अपना एड्रेस बताओ?

उसने अपना पता बताया तो वो मेरी बिल्डिंग के ठीक पास वाली बिल्डिंग थी।

मैं उस पते पर गया, मैने कंप्यूटर को देखा तो उसका पीछे का तार ढील था, मैंने उसे ठीक कर दिया, वो कंप्यूटर चालू हो गया।

तब मैंने कहा- अब मैं चलता हूँ, मुझे घर जाना है, काफ़ी देर हो गई है।

पर भाभी ने मुझे कहा- अब घर नहीं जाओ, यहाँ ही सो जाओ आज, और मैं भी अकेली हूँ आज तो !

मैंने ना कह दिया- नहीं मैं यहाँ नहीं सोऊँगा।

पर उसने मुझसे ज़्यादा रिक्वेस्ट किया और कहने लगी- मेरे पति 15 दिन के लिए आउट ऑफ स्टेट गये हैं, मुझे अकेलापन महसूस हो रहा है और मुझे अकेले सोने में डर भी लगता है।

उसने मुझे अपने घर सुलाने के लिए बहुत मनाया, पर मैंने कहा- नहीं, मेरे घर वाले भी मेरा इंतजार करते होंगे।

भाभी कहने लगी- तुम घर पर फोन कर के कह दो कि आज ऑफीस में काम होने के कारण आज नहीं आ पाऊँगा।

तो मैंने घर पर फोन कर दिया और मैंने भाभी से कहा- मेरे पास तो नाइट ड्रेस भी नहीं है।

और भाभी अपने कमरे में जाकर पज़ामा लेकर आई और कहने लगी- यह पहन लो।

मैं बाथरूम में जाकर फ्रेश होकर पज़ामा पहन कर बाहर आया। भाभ्हि ने खाना लगा लिया था, हम दोनों ने खाना खाया।

तभी मैंने देखा कि कंप्यूटर चालू है तो भाभी से कहा- कंप्यूटर चालू है, उसे बंद कर दो, इतनी देर से क्यों चालू रखा है।

भाभी कहने लगी- मुझे उस पर अभी काम है।

मैंने कहा- क्या काम है?

उसने कहा- मैं रोज़ रात को ब्लू फिल्म देखती हूँ।

और भाभी मुझसे पूछने लगी- क्या तुम्हें पसंद है ब्लू फिल्म?

मैंने कहा- नहीं, मुझे बिल्कुल नहीं पसंद है ब्लू फिल्म।

मैंने नींद का बहाना कर के कहा- मुझे नींद आने लगी है, मुझे सोना है, तुम बताओ कि कहाँ सोऊँ।

भाभी मुझे सोने का बेड दिखाया और कहा- यहाँ सो जाओ !

मैं बेड पर लेट गया। बाद में ज़रा उठ कर देखा कि आख़िर भाभी क्या कर रही है तो सच में भाभी एक एडल्ट ब्लू सेक्सी फिल्म देख रही थी। मुझे उसमें इंटरेस्ट नहीं था इसलिए मैं वापस बेड पर आकर लेट गया।

थोड़ी देर के बाद मैं देखा कि मेरे पज़ामे पर कुछ है, कोई मेरे लंड को सहला रहा है. मैंने आँखें खोल कर देखा तो भाभी मेरे पास आकर सोई हुई थी और उनका हाथ मेरे लण्ड पर था। मैं घबरा गया, मैं सोने की एक्टिंग करता रहा।

तब थोड़ी देर देखता रहा तो वो और भी जोश में आकर मेरा लंड को ज़ोर ज़ोर से सहलाने लगी। थोड़ी देर बाद वो धीरे धीरे मेरे पज़ामे में हाथ डालने लगी। मैंने उठने की कोशिश की, भाभी को कहने लगा- यह क्या कर रही हो?

भाभी कहने लगी- मुझे बहुत सेक्स चढ़ गया है, मुझे तुमसे चुदवाना है।

मैंने कहा- नहीं, मैं यह काम नहीं करूँगा। मैंने किसी को यह न करने का वादा किया है।

उस पर भाभी कहने लगी- ओके, मुझे मत चोदना पर मुझसे खेल तो सकते हो?

तब मैंने कहा- प्लीज़, मुझे यह सब भी पसंद नहीं है।

तब भाभी ने थोड़ा गुस्सा करके कहा- अगर तुमने यह मुझसे नहीं किया तो मैं पूरे बिल्डिंग वालों को जगा दूँगी कि तुम मेरे घर जबरदस्ती आए हो और मुझे परेशान कर रहे हो।

तब मैं और घबरा गया पर भाभी सेक्सी फिल्म देख कर बहुत ही गर्म हो गई थी, इसलिए वो नहीं मान रही थी।

मैंने भाभी को कहा- अगर तुमने मुझे अब छुआ तो मैं यहाँ से चला जाऊँगा।

भाभी भी कहने लगी- ओके !

तब मैंने कहा- ओके, तुम मेरे साथ खेल सकती हो पर मैं तुम्हें नहीं चोद सकता।

उसने कहा- ठीक है।

भाभी ने अपने सारे कपड़े निकाल दिए और मेरा टी-शर्ट उतार दिया, वो मुझसे कहने लगी- अब मेरे ये बूब्स के निप्पल को थोड़ा अपने हाथ की उंगली से मसल दो !

और मैं मसलने लगा।

फ़िर उसने कहा- अपना मुँह ज़रा मेरे मुँह के पास लाओ।

जब मैं मेरा मुँह उसके करीब ले गया तो उसने अपने हाथ से मेरा सर पकड़ कर मुझे किस करने लगी, वो ज़ोर ज़ोर से स्मूच करने लगी।

मैंने कहा- अब बस करो, मेरा दम घुट रहा है।

तब भी जोश में आकर उसने करीबन दस मिनट तक स्मूच किया।

तब भाभी ने मेरा हाथ लेकर अपने वक्ष पर रख दिया और कहने लगी- अब अपने हाथ से मेरे बूब्स और उसके निप्पल को दबाओ।

फिर उसने अपना हाथ मेरे पज़ामे में धीरे धीरे हाथ डाल दिया और मेरे लंड को हिलाने लगी, कहने लगी- यह तुम्हारा लंड कितना छोटा है।

पर मैंने सच में यह सब कभी नहीं किया था, इसलिए मैं घबरा रहा था, मेरा लंड खड़ा नहीं हो रहा था।

पर भाभी ने कहा- अच्छा, इसे मैं अभी ठीक कर देती हूँ।

उसने मेरा पजामा उतारा और ज़ोर ज़ोर से मेरे लण्ड को मसलने लगी। फिर भाभी मुझसे कहने लगी- तुम अब मेरी चूचियाँ मुँह में लो और एक हाथ से मेरी चूत के ऊपर उंगली फिराओ।

और थोड़ी उंगली फिराने के बाद वो और भी गर्म हो गई, मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और कहने लगी- थोड़ा तो करो अभी !

मैंने कहा- नहीं, मैंने किसी को वादा किया है ! मैं नहीं करूँगा।

फिर वो अचानक मेरे मुख पर अपनी चूत रगड़ने लगी और कहा- अब मैं अपनी हवस ऐसे ही पूरी करूँगी।

बस फिर वो ज़ोर ज़ोर से मेरे मुँह से चूत को रगड़ रही थी, मैंने कहा- इसमें से तो पानी आ रहा है।

भाभी ने कहा- यह मेरी चूत का पानी है।

मेरा पूरा चेहरा उसकी चूत के पानी से भर गया था, फिर भाभी मेरे लंड को चूसने लगी और कह रही थी- तुम मेरी चूत को ज़ोर ज़ोर से चूसो, नहीं तो मैं तुम्हारे लंड को खा जाऊँगी।

मैं मजबूर होकर थोड़ा थोड़ा चूसता रहा और भाभी मेरा लंड ज़ोर ज़ोर से मुँह में हिला रही थी। और क्या पता मेरे लंड में एक गर्मी महसूस हुई और मेरे लंड से गर्म पानी निकला और पुष्पा भाभी हँसने लगी, कहने लगी- तुम्हारा इतना ज्यादा गाढ़ा पानी निकला।

फिर मैंने कहा- अब मुझे नींद आ रही है, मैं सो रहा हूँ।

पर भाभी मेरे ऊपर पूरे रात तक पड़ी रही और मुझे चूमती रही।

सुबह किसी तरह मैं उनसे पीछा छुड़ा क अपने घर आया।

मेरी भाभी की चुदास

 कहानी क़रीब १ साल पहले की है। मेरे घर में मैं माँ और पिताजी ही थे। मेरी उमर उस समय २५ साल की थी मेरा लंड ७.५ लंबा और २.५ इंच मोटा है लेकिन मुझे सेक्स का कोई अनुभव नहीं था। हाँ, मुठ मार लेता था। मैं इंजीनियरिंग कर चुका था और अभी नौकरी के लिए प्रयत्न कर रहा था।

एक दिन सुबह ७ :०० बजे मैं जब उठा और बाथरूम जा रहा था कि घर की दरवाजे की घंटी बजी। खोल के देखा तो मेरी मौसी का लड़का रमेश और उसकी बीवी रचना आए हैं। माँ ने तुरंत देखा और कहा आओ आओ दोनों ने अपना समान अन्दर रखा और माँ को प्रणाम किया थोड़ी देर कुछ बात करने के बाद भाभी तुरंत किचन में माँ के साथ काम करने लगी पिताजी बाथरूम से निकले और कपड़े पहन कर काम पर जाने के लिए तैयार हो गए, तब रमेश और भाभी ने पिताजी को भी प्रणाम किया सबने मिल कर नाश्ता किया। फ़िर रमेश ने कहा कि गाँव में उसका कोई काम नहीं चल रहा है और घर की हालत ख़राब होती जा रही है इसलिए मौसी ने कहा है कि शहर में जाकर कोई काम ढूंढो। जब तक रहने का इंतज़ाम नही होता तब तक यहाँ रुकेंगे। अगर माँ पिताजी चाहे तो। माँ पिताजी दोनों ने कहा कोई बात नही। हमारा घर बड़ा है। एक कमरा उन्हें दे दिया मेरे बाजू वाला और कहा पहले नौकरी देखो बाद में घर दूंढ लेना नाश्ता करने के बाद रमेश भी फ्रेश होकर नौकरी की तलाश में निकल गया।

रमेश के जाने के बाद भाभी माँ के साथ घर के काम में लग गई मैं स्नान करने बाथरूम में गया और तैयार होकर बाहर आया। भाभी मेरे साथ थोड़ी देर बैठ कर बातें करने लगी। थोड़ी देर में हमारी अच्छी दोस्ती हो गई। भाभी का रंग गोरा था और चूचियां एकदम कसी हुयी, पतली कमर गोल उभरी हुई गांड कुल मिलाकर भाभी एक चोदने की चीज़ थी। लेकिन अभी मेरे दिमाग में ऐसा कुछ नही आया। मुझसे बात करते हुए वो काम भी कर रही थी

शाम को रमेश वापस आया। उसे एक नौकरी मिल गई थी किसी लेथ मशीन पर वो लेथ मशीन का ओपेरटर था और उसकी तनख्वाह थी २०० रुपये रोज की। दो दिन ऐसे ही बीत गए। मैं उनके कमरे के बाजु वाले कमरे में ही सोता हूं। दोनो कमरों के बीच की दीवार ऊपर से खुली है। रात को दोनो के बीच झगड़ा होता था। भाभी की आवाज़ मैंने सुनी। तुम फ़िर से झड़ गए। मेरा तो कुछ हुआ ही नहीं। फ़िर से करो न, लेकिन रमेश कहता था तेरी चूत कोई घोड़ा भी चोदेगा तो ठंडी नही होगी। मुझे सोने दे। ऐसा दो रात हुआ। भाभी उठ कर बाथरूम जाती थी फ़िर बड़बढ़ाते हुए वापस आ कर सो जाती थी। भैय्या कहते थे “तू बहुत चुदासी है, तुझे संतुष्ट करना मुश्किल है, ख़ुद ही अपने हाथ से आग बुझा ले”।

तीसरे दिन, पापा और रमेश नाश्ता करके अपने काम पर चले गए मैं लेटा था। भाभी मेरे कमरे में आई और कहा कि नाश्ता करने चलो। माँ शायद बाथरूम में थी। मैंने किचन में जाकर नाश्ता करना शुरू किया। भाभी मेरे एकदम से क़रीब आई और बड़े प्यार से बोली संजय। एक बात पूंछू? मैंने कहा “पूछो” भाभी बोली “किसी से बताओगे तो नहीं?” मैंने पूछा ऐसी कौन सी बात है? और आप तो जानती हो मैं चुगली नही करता। भाभी फिर से बोली मैं जानती हूं लेकिन आप प्रोमिस दो आप किसी को नहीं बताएँगे मैंने कहा हाँ मैं प्रोमिस देता हूं। तब भाभी ने धीरे से कहा मेरे और तुम्हारे भैय्या के लिए कोक शास्त्र ला दो।, मैंने पूछा “क्यों?” भाभी ने कहा तुम्हारे भाई को औरत की कैसे चुदाई की जाती है वो सीखना पड़ेगा वो मुझे संतुष्ट नहीं कर पाता। मैंने कहा ठीक है मैं ला दूंगा

मैं सुबह मार्केट में गया और एक बुक स्टोर से अच्छा कोक शास्त्र और दो चुदाई की कहानी की पुस्तक ले आया। घर आकर मैंने चुदाई की पुस्तकें पढ़ी। मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने मुठ मारी और पहली बार मुझे भाभी को चोदने का ख़्याल आया। कोक शास्त्र में चुदाई की कई तस्वीरें थी। फ़िर मैंने भाभी को तीनो पुस्तकें दे दोपहर का खाना खाने के बाद भाभी वो पुस्तकें ले कर अपने कमरे में चली गई। पुस्तक पढ़ते हुये वो गरम हो गई। मैंने दरवाजे से देखा वो अपने चूत में हाथ डाल के मसल रही थी।

रात को डिनर के बाद १० :३० बजे सब अपने बेडरूम में सोने गए मैं ड्राइंग रूम में बैठ कर भाभी और रमेश भाई जो बात कर रहे थे वो सुन रहा था, रमेश ने भाभी की चुदाई की लेकिन उसे संतुष्ट नही कर सका और रोज की तरह जल्दी ही झड़ गया। भाभी उसे समझाने की कोशिश कर रही थी लेकिन वो सुनता ही नहीं था उसने कहा मुझसे फालतू बात मत कर तू कभी भी संतुष्ट नहीं होगी, आखिर में भाभी रूम से बाहर निकली और बाथरूम में गयी, बाथरूम से जब वापस आयी तब मैंने भाभी को रोका और भाभी का एक हाथ पकड़ के मेरे गरम लंड पर रख दिया, भाभी में मेरे लंड पर प्यार से हाथ फेरा और बोली ये तो बहुत बड़ा लंड है। मैंने कहा जब लंड बड़ा और मज़बूत होगा तभी ज्यादा मजा भी आयेगा।। भाभी बोली लगता है यही सच है लेकिन ये तो मेरी चूत फाड़ देगा

भाभी ने कहा आप मुठ मत मारना संजू भाई मैं रमेश के सोने के बाद तुमसे चुदाने आऊंगी, ये कह कर मेरे लंड को दबा के वो अपने रूम में चली गई, जाते ही रमेश बोला यह दूध में शक्कर डाला ही नहीं है जा के शक्कर मिला के लाओ। भाभी बिना कुछ कहे वो दूध ले के बाहर आयी और मुझे इशारे से किचन में बुलाया। मै उनके पीछे किचन में गया, भाभी धीरे से बोली कोई नींद की गोली है? मैंने कहा बहुत सी हैं , मम्मी पहले लेती थी, मैंने दो गोली निकाल के दी भाभी ने दोनो गोली पीस के दूध में डाली और शक्कर डाली फिर चम्मच से हिला के दूध तैयार किया, फिर वो बोली मुझे तुम्हारा लंड दिखाओ मैंने पाजामे से लंड बाहर निकला और भाभी के हाथ में दिया। भाभी उसे देख कर हैरान हो गई और बोली बाप रे इतना लंबा और इतना मोटा कितना सलोना और तगड़ा है आज मुझे इस लंड से चुदाना ही है। तुम आज मेरी चूत फाड़ दोगे। मेरा ७.५ इंच लंबा और २.५ इंच मोटा लंड उन्होंने हाथ में ले कर सहलाया

ये कह कर वो मेरे लंड को थपथपा के जाने लगी..मैंने उनकी चुन्ची को दबा दिया..वो उईई.कर उठी..और फुसफुसाके बोली..थोड़ा सब्र करो..सब दूंगी..राज्जा..पूरी नंगी होके चुदवाऊन्गी और वो अपने कमरे में चली गई.. जाते ही रमेश बोला यह दूध में शक्कर डाला ही नहीं है जाके शक्कर मिला के ले आओ . भाभी बिना कुछ कहे वो दूध लेके बाहर आयी और मुझे इशारा कर के किचेन में बुलाया..मैं उनके पीछे उनकी गांड से मेरा खड़ा लंड टिका के खड़ा हो गया..उन्होंने भी मेरे लंड पर अपनी गांड और चिपका दी..फ़िर बोली कोई नींद की गोली है?मैंने कहा बहुत है.. ममी पहले लेती थी मैंने दो गोली निकाल के दी भाभी ने दोनों गोली पीस के दूध में डाली और शक्कर डाल के फ़िर चम्मच से हिला के दूध तैयार किया फ़िर वो बोली मुझे तुम्हारा लंड दिखाओ , मैंने अपना पाजामा खोला और अपना मूसल बाहर निकला..उसक्? सुपाडे के छेद से अब पानी निकल रहा था. उसने अब उसे हाथ में लिया..बाप रे ये तो दुगुना लंबा और मोटा है..मेरा 7.5 इंच लंबा और 2.5 इंच मोटा लंड हाथ में लेने की कोशिश की..और कहा कितना सलोना है..और कितना तगड़ा है बहुत मोटा है ये..मेरी चूत फाड़ डालेगा..और झुक के मेरे लंड को चूमा और कहा मेरा इंतज़ार करो ऐसा बोल के दूध अपने साथ ले के वो बेडरूम में चली गयी.
मैं अपने बेड पर आ के पाजामा खोल के सो गया..लंड को मैं सहला रहा करीब 20 मिनिट के बाद भाभी बेडरूम का दरवाजा खोल के मेरे रूम में आई उसने आते ही मुझसे कहा संजय आज मेरी पूरी प्यास बुझा दो मेरी चूत को तुम्हारे मोटे लंड से तृप्त कर दो..मैंने भाभी को अपने बिस्तर पर मेरे ऊपर खीच लिया मैं तो नंगा ही था, भाभी ने मेरे लंड को महसूस किया मैं उन्हें चूमने लगा. उन्होंने फूस फुसते हुए कहा..इतना मोटा लंड मेरी चूत में धीरे धीरे डालना संजू. मैं उन्हें चूमते हुए उनका ब्लाउज खोलने लगा.अंडा ब्रा ऍ?ही पहना था शायद रमेश से चुदवाते हुए वो पहले ही खोल चुकी थी..मैंने उनकी साड़ी भी खोल के नीचे फेंक दिया..अब सिर्फ़ पेटीकोट में थी वो..कितनी गोरी थी..मैं उन्हें चूमे जा रहा था और चुन्चिया मेरे हाथो में थे..मस्त नर्म मख्खन जैसी चुन्चिया थी..मैंने उनके पेट को सहलाते हुए नीचे चूत पर हाथ लगाया उफ़ लगा जैसे आग लगी है मैंने उनके चूची को आटा गूंथने जैसे मसला वो आह..ओह्ह.. कर रही थी लेकिन बहुत धीरे…फ़िर मैंने उनका पेटीकोट का नाडा खोल दिया और उसे नीचे खीच दिया..चड्डी भी नहीं थी..मैंने भाभी को मेरे बेड परलिटा दिया उफ़ क्या छोट थी पुस्तक में कुंवारी लड़की की जैसी चूत थी ठीक वैसी ही चूत की दरार थी..मैं तो पागल होने लगा..झुक कर चूत को चूमा..चूत गीली थी..मैंने दाने को ढूंढा उसे मसल दिया भाभी ऑफ़ कर उठी..फ़िर एक उंगली गीली चूत में दाल दी..बहुत टाईट थी चूत..मेरी उंगली भी मुश्किल से जा रही थी..भाभी ने कहा अब मुझे पहले तुम्हारे लंड से च ोद दो.. .मैंने उन्हें और तडपाने के लिए अब मेरी जीभ चूत पर लगा दी और चूसने लगा अब भाभी बेचैन हो गई..अहह संजय..क्या कर रहे हो..आह्ह..इश..ओ माँ और जीभ चूत पर लगाने से उनकी चूत से और पानी निकलने लगा ..उन्होंने कहा पहले एक बार इस लंड को अन्दर दाल के चोद डालो..फ़िर बाद में जो चाहे करना..मैंने कहा ठीक है..और मैं उनके पैरों के बीच बैठ गया.मैंने देखा उनकी चूत का सूराख बहूत छोटा है..पास ही टेबल पर फेयर न लवली करें का नया ट्यूब था उसे मेरे लंड पर अच्छे से लगाया..और उंगली से भाभी के सूराख पर भी.., भाभी ने अपने पैर अच्छे से फैला दिए मैंने अपना लंड चूत पर रखा..भाभी ने तुरंत लंड हाथ में पकड़ लिया और अपनी चूत पे रगड़ने लगी , थोड़ी देर के बाद मेरे लंड का सुपाडाअपने चूत के गुलाबी छेद पर रखा और फूसफुसाके बोली संजू ये इतना मोटा है तुम मेरी चूत का ख़्याल रखना..एकदम आहिस्ता आहिस्ता अन्दर डालो..मेरी चूत फाड़ मत देना…ये सुनकर मैं और जोश म्? आ गया..फ़िर भी मैंने लंड के सुपाड़े को अन्दर धकेला..और भाभी..उईई..माँ…कर के उछल पड़ी मैंने अब लंड को धीरे धीरे अन्दर घुसाने लगा लेकिन चूत बहुत टाईट थी..मैंने थोड़ा जोर लगाया और चुन्ची दबा के धक्का दिया आधा लंड अन्दर घुस गया और भाभी उछल पड़ी..मैंने देखा चूत से थोड़ा खून निकल आया..मैं डर गया..मैंने पूंछा भाभी ज्यादा दर्द हो रहा है क्या.
भाभी ने कहा तुम फिकर मत करो अन्दर डालो पूरा..आह्ह मजा आ रहा है..लेकिन भाभी के चेहरे पर दर्द दिख रहा था..मैंने आधे घुसे लंड को अन्दर बाहर करना शुरू किया.थोड़ी देर में भाभी ने कहा और तेज ..और तेज.आह..और मैं जोश में आ गया.मैंने लंड को बाहर खीचा और पुरी ताकत से अन्दर दाल दिया और इस बार भाभी जोर से चीखने जा रही थी लेकिन अपने ही हाथो को मुँह में डाला और काट लिया उनकी कलाई से खून निकल आया लेकिन वो अब कमर उछालने लगी थीं मुझे चिपक रही थीं..आह..ऊह्ह…संजू..मैं आने वाली हूँ..और जोर से..और…और फ़िर उन्होंने दो टिन झटके मारे और मुझसे चिपक गई..उनका पूरा बदन कांप रहा था पसीना निकल आया था और मेरे लंड पर भी बहुत गर्म गर्म लगा..उनका पानी..उन्होंने मेरा चुम्मा लिया और कहा…आज मेरी चूत पहली बार झड़ी है जिंदगी में..अब तुम जैसे चाहो चोदो मुझे..मैंने कहा तुम्हारी चूत से खून भी निकला है..उन्होंने कहा ..सच्च…मैंने अपना लंड निकल कर दिखाया..जो की लाल हो रहा था..वो मुझसे और जोर से लिपटी और कहा आज ही मैं सही मायने में औरत बनी हूँ.. भाभी ने जिस तरह से चूत को झटके दिए उससे मैं तो घबरा गया था..मैं उनसे कुछ पूछने जा रहा था उन्होंने मेरा मुँह हाथ से बंद किया और मेरा लंड वापस चूत में डालने का इशारा किया इस बार मैंने लंड को एक झटके में अन्दर डाला..भाही ने फ़िर से कमर उछालना शुरू किया..शायद अभी पूरी झड़ी नहीं थी..मेरे लंड को चूत में कस लिया मैं उनकी चूची चूसते हुए जोर से झटके मारने लगा’ भाभी ने कहा संजय..बहुत मजा आया रहा है..तुम सच में अच्छा चोदते हो..और तुम्हारा ये मजबूत लंड आः..अब मुझे भी मेरे लंड में से कुछ निकलेगा ऐसा महसूस हो रहा था..लंड और कड़क हो के फुल रहा था..मैंने अब धक्को की स्पीड बड़ा दी मेरे धक्को से भाभी की चुचिया उछल रही थी..और 7-8 धक्को के बाद मैंने लंड को चूत की गहराई में पेल दिया और मेरे लंड से पिचकारियाँ निकलने लगी..एक निकली..दुसरी निकली..तीसरी..चौथी…और ऐसे क़रीब 7-8 मोटी धार की पिचकारी से भाभी की चूत पूरी भर गयी..मैं उनके ऊपर ल???ट गया..वो मेरे बालों में हाथ फेरने लगी..फ़िर हमने एक दुसरे के होठों को बहुत जोर से चूमा.. ,क़रीब 5 मिनिट के बाद भाभी ने कहा अब लंड को बाहर निकाल लो..मैं उठा और लुंड जो अभी भी आधा खड़ा था..उसे बाहर निकाला..पक्क की एक आवाज़ हुयी..और भाभी की चूत से मेरा लावा और खून दोनों बह कर चादर पर गिरने लगे , मैंने देखा पहले जो चूत सिर्फ़ एक पतली दरार दिख रही थी अब वो अंग्रेज़ी के ‘ओ’ जैसी दिखने लगी थी, मैंने सोचा भाभी को अब रमेश का लंड बहुत ही छोटा लगेगा.

भाभी ने उठाते हुए आह्ह की आवाज़ की..मैंने अहिस्ता पूंछा क्या हुआ..उन्होंने कहा चूत चरपरा रही है.. मैंने उनका हाथ पकड़ कर खड़ा किया .. उसके बाद हम दोनों बाथरूम में गए..भाभी और मैं दोनों नंगे ही थे.. बाथरूम में भाभी चूत साफ करने बैठी तो मैंने देखा और भी बहुत सा माल उनकी चूत से निकला..उन्होंने कहा..कितना माल निकाला है..रमेश का तो एक चम्मच ही गिरता है…ये तो क़रीब 10 चम्मच है..फ़िर उन् होंने मेरे लंड को साबुन लगा के धोया..लंड फ़िर खड़ा होने लगा..मैंने कहा भाभी और एक बार…भाभी ने कहा..देखते है..फ़िर हम दोनों बेद पर आ कर लेट गए नंगे..और सो गए..थोड़ी देर मैंने उनकी चूची मसली चुम्बन किया..उनकी चूत सह्लायी..भाभी भी मेरे लंड को सहला रही थी.. एक घंटे के बाद फिरसे मेरा लंड खड़ा हुआ अब मैंने भाभी को जगाने लगा.. वो जाग गई थोड़ी देर चुम्बन के बाद मैंने भाभी से कहा..मेरा लंड चुसो न..उसने पहले मना किया फ़िर किस किया..मैंने भाभी को कहा चाटो..उन्होंने चाटना शुरू किया मैंने कहा सुपाडे को मुँह में लो..,उसने कोशिश की..लेकिन पूरा नहीं ले पा रही थी…मैंने भाभी से कहा तुम अपनी चूत मेरे मुँह के ऊपर रखो..वो दोनों पैर फैला के मेरे मुँह पर बैठ गई..मैंने उन्हें कहा मेरे लंड को झुक के मुँह में लो..उसने किया..और इस तरह चूत चटवाते हुए क़रीब 12-13 मिनिट में वो उह.. आह्ह..और जोर से चाटो..जीभ मेरे अन्दर तक डाल दो..आह्ह..उनकी चूत से पानी निकल के मेरे गले और चहरे पर बहने लगा था..मैं उनकी कुंवारी गांड के छेद को उंगली से टटोल रहा था..और भाभी..आह्ह..मेरा होने वाला है..संजय..पूरी जीभ अन्दर डालो.

भाभी ने चूत मेरे मुँह पर दबा दी और झटके मारने लगी..इस बार उन्होंने अपने चूत के पानी से म???रा पूरा मुँह भिगो दिया…और बदन ऐँठ कर शांत हो गई..थोड़ा चूसने के बाद मैंने भाभी को चार पाया बनाया और पीछे से चूत में लंड डाला…इस बार क़रीब 30 मिनिट से ज्यादा मैंने भाभी को चोदा..वो बिस्तर पर पेट के बल लेट गई..लेकिन मैं चोदता रहा.. इस दौरान भाभी और 3 बार झड़ी..फ़िर मैं पीछे से ही भाभी की चूत में झड़ गया.. और उनके पीठ के ऊपर लेट गया और सामने हाथ डाल कर चूची दबाता रहा.

इस तरह आधा घंटा सोने के बाद हम लोग फ़िर नंगे ही बाथरूम में गए ..तब सुबह के चार बज रहे थे..बाथरूम में साफ होने के बाद वापस आके मैंने भाभी को नंगी ही पकड़ के .बहुत…चूमा .. मम्मे दबाये..फ़िर वो अपने कपड़े पहन कर बेड रूम में रमेश के पास चली गई.

अब तो मैं भाभी को बहुत चोदता हू हपते में तीन चार रात तो भाभी मेरे ही बिस्तर पर रात गुजारती है, और चुदाई का पूरा मजा लेती है.. शायद इस बार भाभी गर्भवती है कह रही थी मासिक नहीं हुआ अभी तक…ये बच्चा मेरा ही है.. ये कहानी पढ़़ने वाली सभी भाभियों और उनकी शादी शुदा सहेलियों से मैं उम्मीद करता हू की वो भी मेरे इस अनुभव का लाभ उठाएँगी.

भाभी के किया सेक्स

 

हाय मेरा नाम गौरव है मैं आपके लिए एक बार फिर लंड में से पानी निकल देने वाली स्टोरी लेकर आया हूँ मैंने जब चाची को चोदा तो मेरे लंड को चुदाई का पानी लग गया।

हम गाँव में रहते थे जब मैंने मेट्रिक की परीक्षा पास की तो मेरे माता पिता ने मुझे शहर में रहने वाले मेरे बड़े भैया के पास पढने भेज दिया मेरे भैया की अभी ६ महीने पहले शादी हुयी थी मेरे भैया एक मलटी नेशनल कंपनी में काम करते थे जिस कारण वह रात को भी कभी कभी घर नहीं आते थे।

एक दिन मैं मेरे दोस्त के साथ रांड चोदने गया मैंने एक लड़की पसंद की और उसका दाम दौ सौ रूपये दौ घंटे का तय हुआ मैं उसे कमरे में लेकर गया और उसे नंगा कर दिया उसके बूब्स दबाने लगा बूब्स दबाते दबाते हुए मैंने उसका नाम पुछा तो उसने रानो बताया मैं चौंक गया क्यूंकि मेरी भाभी जो कि बहुत सुंदर थी उनक नाम भी रानो था। उसके बूब्स दबाते समय सब चिल्लाने लगे भागो भागो मैंने खिड़की में से झांक कर देखा तो वहां पुलिस की रेड पड़ी है। मैं जैसे तैसे वहां से जान छुड़ाकर भागा घर पंहुचा तो रात के ११ बज चुके थे।

मैंने सोचा कि भैया भाभी को शक न हो जाये मैंने डोर बेल बजायी तो कोई ने कुछ रिस्पोंस ही नहीं दिया। तो मैं पाईप के सहारे चढकर छत पर पंहुचा और नीचे उतर कर अपने कमरे में जाने लगा तो मेरी नज़र भैया भाभी के कमरे पर गयी मैंने देखा कि कमरे कि लाईट जल रही मैंने सोचा कि भैया तो गए हुए हैं और भाभी लाईट बंद करना भूल गयी। मैं लाईट बंद करने गया तो देखा कर चौंक गया भाभी सो रही थी और उनकी साडी घुटनों से भी ऊपर थी और उनका पल्लू भी ठीक नहीं था मुझे भाभी की चिकनी चिकनी टांगे देख कर रानो का चेहरा याद आने लगा कुछ देर भाभी को घूरने के बाद मैं उनके कमरे में घुसा और उनके पेरों के पंजो को चूमने लगा

मैंने हिम्मत करके भाभी कि साडी ऊपर उठाने की कोशिश की और कुछ देर बाद मैंने वह ऊपर उठाई तो मैं यह देखा कर दंग रह गया कि भाभी ने नीचे पेंटी भी नहीं डाल रखी थी। मैं उनकी उस चिकनी चूत को देखने लगा और उन्होंने आज ही उस की तेल से मालिश की थी इसलिए वह बिलकुल चिकनी थी मैंने लाईट बंद की और कमरे में से पेंसिल टॉर्च लाकर उनकी चूत को देखने लगा।

काफी देर देखने के बाद मेरा उसे किस करने का मन किया तो मैंने उस पर एक किस कर दी उनकी चूत की भीनी भीनी खुशबू ने मुझे उनकी चूत चाटने पर मजबूर कर दिया चूत चाटते समय मेरा लंड कड़क होकर लोहे की तरह तन गया तो मुझसे रहा नहीं गया और मैंने पेंट की जिप खोल के उसे बाहर निकाला और उसे एक हाथ से सहलाने लगा तभी भाभी ने नींद में मेरा लंड पकड़ लिया और कहने लगी की जानेमन आज सेक्स करने का इरादा नहीं है क्या मैंने सोचा मुझे

भैया समझ रही और इस बात का फायदा उठाते हुए मैं मुह से कुछ ना बोला क्यूँ की मेरी पोल खुल सकती थी मैंने भाभी का ब्लाउज खोल दिया और उनके बूब्स चूसने लगा और भाभी मेरे लंड को सहला रही थी इसी बीच भाभी बोली देवर जी अब रहा नहीं जाता ये तुम्हारा ८” लम्बा मेरी चूत में डाल कर इस की प्यास बुझा दो मैं भाभी के मुह से यह सुनकर चौंक गया गया और बोला भाभी आप ने कैसे और कब जाना की ये भैया नहीं मैं हूँ भाभी बोली की जब तुम मेरे कमरे में आए थे मैं तब ही जान गयी थी की तुम हो दरअसल मैंने ही दरवाजा खुला छोड़ रखा था की तुम आओ और मैंने ही जान बुझ कर अपनी साडी घुटनों से ऊपर कर रखी थी की तुम मेरी इन मस्त और चिकनी टांगो को देखा कर मुझे चोदने का मन बना लो

मैं बोला की भाभी अपने तो मुझसे तो चुदवाने की फुल प्लानिंग कर रखी थी ।

वोह बोली की देवर जी अब फालतू की बाते करके अपना और मेरा समय खराब मत करो और मेरे इस मस्त हुस्न का फायदा उठाओ मैंने वैसा ही किया इतना कहने पर मैं भाभी के मस्त बूब्स चूसने लगा और भाभी मेरा ८’ लम्बा लंड सहलाने लगी फिर मैंने भाभी की चूत पर हाथ रखा दिया तो भाभी बोली इस में बहुत गर्मी है इसकी आग आज बुझा दो। मैं पहले तो भाभी की चूत में ऊँगली करता रहा तो भाभी आह्ह्ह् आआह करने लगी फिर मैंने भाभी की चूत पर मुह लगाकर उसे चाटा और जब भाभी पूरी तरह गर्म हो चुकी थी तो वह बोली की जानेमन अब मत तड़पाओ मुझे तुम्हारा यह ८’ लम्बा लंड मेरी चूत में डालो

मैंने भाभी की चूत पर लंड रखकर जोर से झटका मारा तो भाभी चीख पड़ी मर गैईई मैंने भाभी की एक न सुनी और १५ मिनट तक भाभी की चुदाई करता रहा छोड़ते समय मैंने भाभी से पूछ लिया की इतने सुंदर पति के होते हुआ भी आप मुझसे क्यूँ चुदवा रही हैं भाभी बोली की पति तो सुंदर है पर पति का लंड कोई काम का नहीं वह तो दो चार झटके में ही स्खलित हो
जाता है। शादी के बाद से आज अपने जिन्दगी की सबसे अच्छी चुदाई तुमसे करवाई है और मुझे आज ही सही मायनों में आज ही चुदाई का असली अर्थ आज ही मालूम पड़ा

अब जब भी भैया काम से बाहर जाते है तो मैं भाभी को वह सुख देता हूँ जो उन्हें भैया नहीं दे पाते और अब भाभी भी मुझे बहुत प्यार करती है

भाभी की माँ बनने की इच्छा

 

कई बार सपने में मैं अपनी प्रीति भाभी को उनकी तारीफ में कहता था ..” भाभी आप बहुत खूबसूरत हो आपके रसीले होंठों का रस पीने के लिए कोई भी मर्द चाहेगा गोल गोल बड़ी आँखों में अजीब सी उलझन है आपकी पतली कमर देख कर कोई भी छूने को चाहेगा काजोल की जैसे बड़ी बड़ी चुचियां है आपकी दो मोटे कूल्हों को देखकर हर कोई दीवाना हो जाएगा सच कहूं भाभी आप एक हसींन हिरोइन जैसे दिखती हो.” वो मुस्कुरा कर कहती हैं-“बस बस बहुत तारीफ करते हो वो भी झूठी ” ये क्या कहा आपने मैं भी कुर्बान जाऊँ आप पर अगर झूठा निकला तो।

भैया को अक्सर शहर से बाहर जाना पड़ता है। एक बार भाभी ने काले रंग की साड़ी और ब्लाऊज पहना। भाभी गोरी हैं इसिलिए मैंने उसकी खूब तारीफ की और कहा- भाभी आप तो काले कपड़ो में बहुत ही खूबसूरत दिखाती हो वो मुस्कुरा के बोली झूठे कहीं के।

फिर कई दिनों तक मन में एक सपना सजाता रहा कि कब भाभी को पा लूं और कस के उनकी गरम नरम चूत में अपना मोटा लन्ड डाल के उन्हें चीखने पर मज़बूर कर दूं।

एक दिन भैया ने सुबह जल्दी बाहर जाना था और मैंने उन्हें स्टेशन तक छोड़ने जाना था। मैं केवल अंडरवीयर पहने कसरत कर रहा था कि अचानक भाभी आ गई। मुझे एक झटका सा लगा और मैंने एकदम अपनी कमर पर एक तौलिया लपेट लिया। भाभी मेरे पास आईं और बोली- देवर जी ! आपकी बोडी तो बहुत जानदार है। मेरी बाजू पकड़ कर कहा- क्या सख्त बाजू है। मेर लन्ड भाभी के नर्म हाथों का स्पर्श पाते ही मचलने लगा। भाभी ने तौलिये में मेरे लन्ड को फ़ूलते हुए देख लिया। फ़िर वो जल्दी से बोली- जल्दी तैयार हो जाओ, चलो तुम्हारे भैया राह देख रहे हैं, उनकी गाड़ी का वक्त हो रहा है। वो चली गई पर मेरा लन्ड गर्म हो चुका था। मैं भैया को स्टेशन छोड़ आया और फ़िर कालेज चला गया।

शाम को जब घर आया तो भाभी पड़ोस में गप्पें हान्क रही थी। मुझे देख कर वो अन्दर आ गई। आज उन्होंने गहरे नीले रंग का गाऊन पहन रखा था और अन्दर आ कर दरवाजा बंद करते ही उन्होंने कहा- क्यों देवर जी मैं काले कपडों में सुंदर लगती हूँ ना !

मैंने कहा- हाँ. तो उन्होंने मैं कैसी दिखती हू इन काले कपड़ो में ?

मैंने हँसते हुए कहा- भाभी तुमने तो नीले रंग का गाऊन पहना है.

उन्होंने शरारत से कहा उस दिन तो कहते थे भाभी तुम काली साड़ी और काले ब्लाऊज में अप्सरा लगती हो. आज क्या हुआ ? मैंने कहा- लेकिन भाभी आपने नीला गाऊन पहना हुआ है काला नहीं.

तभी मेरा ध्यान भाभी के कंधे पर दिख रहे ब्रा स्ट्रैप पर गया। मैंने आगे बढ़ कर ब्रा स्ट्रैप के नीचे उंगली डाल कर ऊपर को उठाया और कहा- अच्छा तो ये है काले रंग की ब्रा। लेकिन दिख तो नहीं रही, भाभी जरा दिखाओ ना।

” कुछ नहीं ! कुछ नहीं ! मैं तो मज़ाक कर रही थी “भाभी बोली।

मैंने कहा- भाभी प्लीज! दिखाओ ना ! प्लीज भाभी प्लीज ! बस एक झलक एक बार !

इतना सुनते ही भाभी ने अपना गाऊन निकल दिया मैं उसे देखते ही दंग रह गया सच भाभी काले रंग की चोटी सी ब्रा और काले रंग की बिल्कुल छोटी सी पैन्टी में थी। उसकी दोनों चूचियां आधी से ज्यादा नंगी थी जब पैन्टी उसकी आधी चूत को ही ढक पा रही थी दोनों ओर से चूत नंगी दिखाई दे रही थी ये नजारा देख कर मेरा लंड अंडरवियर में खड़ा होने लगा.

भाभी ने कहा ” उस दिन तो बड़ी तारीफ करते थे आज क्या हो गया ”. मैंने कहा “भाभी तुम्हारी चूचियां और चूत का कोई जवाब मेरे पास नहीं पहली बार किसी औरत का आधा बदन नंगा देखा है सच कह रहा हूँ तुम्हारी कसम भाभी इतनी खूबसूरत गदराई हुई जवानी पहली बार देख कर मैं बाग बाग हो गया हूँ ”

ये कहते हुए मैंने आगे कदम बढाया तो भाभी हिली नहीं अपनी जगह से. मैंने भाभी को कंधो से पकड़ कर अपने से चिपटा लिया।
उन्होंने मुझसे कहा- क्या कर रहे हो, पहले अन्दर चलो !

मैं समझ गया कि आज भाभी दावत दे रही हैं। अन्दर जाते ही मैंने अपनी शर्ट निकल दी ,ऊपर का बदन नंगा हो गया फिर बिना सोचे अपनी पैंट उतार दी सिर्फ़ अंडरवियर में आ गया मेरी नजर भाभी की चुचियों पर गई छोटी सी ब्रा और बड़े कद की चूचियां कब तक छुपाती. मैंने पीछे जा के हूक खोल दी। दो नंगे फल भाभी के बदन पर झूलने लगे .वो कसमसाई मैंने उनकी बिना परवाह किए पैंटी को एक ही झटके में उतार दी और अपना अंडरवियर को निकाल दिया.

उन्होंने नकली गुस्से से कहा- यह क्या कर रहे हो?

मैंने कुछ सुना नहीं मैंने अपनी बाहों में नंगी भाभी के जिस्म को दबोच लिया वो कराहने लगी की मैंने दोनों होंठों को उसके रसीले होंठों पर रख दिए और जी भर के उसका रस पान करने लगा एक हाथ से चुचियों को दबाता मसलता रहा दूसरे हाथ से उसका जिस्म पूरा कस के मेरे जिस्म से चिपकाया ये सब अचानक हो जाने से वो हाथ पाँव मारने लगी लेकिन उसका कुछ न चला ओर मैं भाभी के जिस्म को बुरी तरह रौंदने लगा होंठों के बीच जीभ डाल के मैंने उसे बुरी तरह चूमा उसके मुह में .. आह्ह्ह उफ़. .मोनू .. मैं तुम्हारी भाभी हूँ .. ये ग़लत है .. छोड़ दो मुझे ..जग गगग ..की आवाज निकलने लगी पर मैं पूरी तरह से उनकी भरी भरी चूचियों को दबाता रहा उसकी कड़ी निप्पल को दो उंगली के बीच ले के मसलने लगा भाभी अब सिस्कारियां भरने लगी ..नही .. प्लिज्ज़ ..उईई ईई… धीरे ..मोनू ऊउऊ ..लेकिन अब उसका विरोध ख़तम हो गया था.

हम दोनों की सांसे तेज होने लगी मैंने जम कर भाभी के पूरे बदन को बेतहाशा चूमा .. .. मेरे होंठ उसके बदन पर फिसलने लगे .. एकदम गोरा और चिकना बदन था .अभी तक मैंने उसकी चूत पर हाथ नहीं लगाया था .. वो दोनों जांघो को सिकोड़े हुए थी .. मेरे हाथ और होंठो के स्पर्श से वो… ऐसी आवाजे निकलने लगी थी. प्रीति भाभी अब मीठी मीठी आहें भरने लगी मेरी ध्यान अब उसके पेट से होते हुए गहरी नाभि पर गया मैंने वहाँ सहलाया तो उन्होंने सिहर कर अपनी जांघे खोल दी और अब मेरी नजर उन की चूत पर पड़ी मैं झूम उठा एक भी बाल नहीं था गुलाबी रंग की चूत के बीच में एक लाल रंग का होल दिखाई दिया ये देख कर मुह में पानी आ गया.

भाभी के जिस्म को चारो ओर से चूमने सहलाने और दबाने के बाद चूचियों को प्यार से मुंह में लेकर कई बार चूसा भाभी का अंग अंग महक ने लगा उसकी दोनों चूचियां कड़ी ओर बड़ी हो गई उसके लाल लाल निप्प्ल उठ कर खड़े हो गए तीर की तरह नुकीले लग रहे थे. तब मेरी भाभी मुझसे जोर से लिपट गई। दो बदन एक दूसरे से रगड़ने लगे मेरी सांसे फूलने लगी हम दोनों तेजी से अपने मकसद की ओर आगे बढ़ने लग॥ 10 मिनट तक हम दोनों ने एक दूसरे को पूरा चूमा सहलाया। भाभी ने पहली बार शरमाते शरमाते लंड को पकड़ा तो बदन में बिजली सी दौड़ गई पहली बार मैंने कहा “मेरी जान उसके साथ खेलो शरमाओ मत अब हम दोनों में शर्म कैसी .”

मेरा बदन बहुत ही गरमा चुका था तब मैंने भाभी को फर्श पर लिटा दिया ओर उसके ऊपर आके जोर से चुचियों को फिर से दबाया पर बाद में मैंने चूत की तरफ़ देखा. चूत तो पूरी गीली थी. उसमे से जूस ऐसे निकल रहा था जैसे नल से पानी बह रहा हो. अब मैंने भाभी के पावों को चौडा किया तो उनकी फूली हुयी गुलाबी चूत पूरी तरह दिखने लगी .भाभी की गुलाबी चूत को देख कर मैंने कहा “भाभी सच बहुत ही चिकनी है तेरी ये चूत बिना बाल की गोरी उभरी हुई। दिल कर रहा है इसे खा जाऊँ ” इतना कह कर मैं उसकी चूत पर झुका और चूत के होठों को अपने होठों से चूमने लगा।

भाभी तो जैसे उछल पड़ी। ओह आ मोनू…॥अऽऽऽ ये क्या कर रहे हो…ऐसा तो तुम्हारे भैया भी नहीं करते कभी.. ओह मुझे अजीब सा लग रहा है। भाभी की सिस्कारियों से पूरा कमरा गूंजने लगा। मैं बड़े प्यार से भाभी की चूत को चूसता, चूमता चाटता रहा। वो अपने होठों पर जीभ फ़ेर रही थी और मचल रही थी कि अचानक चिल्लाई- मोनू छोड़ मुझे… आहऽऽमेरा हो रहा है…जोर से…कहते हुए मेरा सिर अपनी जान्घों में दबा लिया और मेरे बाल खींचने लगी।…भाभी ने आह ऽऽ भरते हुए जल्दी जल्दी तीन चार झटके पूरे जोरों से अपने चूतड़ उठा कर मारे। मैंने फ़िर भी उनको नहीं छोड़ा और अपनी जीभ से उनकी चूत से बहने वाले रस को चाट गया।

वो कह रही थी- अब हट जाओ मोनू, अब सहन नहीं हो रहा। अब अपनी प्यारी भाभी को चोदो। फ़ाड़ दो मेरी चूत को अपनी भाभी की चूत में घुस जाओ। मैं पहले से जानती थी कि तुम मुझे चोदना चाह्ते हो, मैं भी तुम से चुदना चाहती थीअब मैं भी भाभी की चूत का स्वाद अपने लौड़े को चखाना चाहता था। मैं भाभी के ऊपर आया तो भाभी ने सिर उठा कर मेरे लौड़े कि तरफ़ देखा। उन्होने कहा- देवरजी ! मैं तो मर जाऊँगी इतने मोटे और लम्बे से।

मैंने पूछा किस मोटे और लम्बे से?

वो शरमाते हुए बोली तुम्हारे लो ऽऽऽ लौड़े से !

मैंने कहा-कुछ नहीं होगा… और भाभी की टांगें चौड़ी की तो उनकी चूत के होंट ऐसे खुल गये जैसे किसी फ़ाइव स्टार होटल के दरवाजे अपने आप खुल जाते हैं किसी के आने पर। मैंने अपनी दो अंगुलियों से चूत को थोड़ा और खोला और अपना लन्ड का सिर उस पूरे खिले गुलाब के फ़ूल में रख दिया। भाभी ने कहा- थोड़ा अन्दर तो करो !

मैंने कहा- अभी करता हूं। यह कह कर मैं अपना लौड़ा धीरे धीरे बाहर ही रगड़ने लगा। भाभी बेचैन हो उठी। वो अपने चूतड़ ऊपर को उठा उठा कर लौड़े को अपनी चूत में डलवाने की कोशिश कर रही थी। मैं उनको तड़फ़ाते हुए उनकी सारी कोशिशें नाकाम कर दिए जा रहा था।

“अब डालो ना !” भाभी बोली।

“क्या डालूं… और कहाँ…” मैंने भाभी से पूछा।

“अच्छा बताऊँ तुझे? बहनचोद ! अपनी भाभी की चूत में अपना लौड़ा डाल और चोद साले ! भाभी तड़फ़ते हुए बोली।

भाभी के मुंह से ऐसी गालियां सुन कर मैं हैरान रह गया।

तभी भाभी ने एक ऐसा झटका दिया ऊपर की तरफ़ अपने चूतड़ों को कि एक बार में ही मेरा पूरा का पूरा लौड़ा भाभी की चूत की गहराई में उतर गया। भाभी के मुख से निकला- आह हय-मार दिया ! एक दर्द मिश्रित आनन्द भरी चीख !

अब मैं भाभी के ऊपर गिर सा गया और उनको हिलने का मौका ना देकर उनके होंट अपने होंटों से बंद कर दिये और अपने चूतड़ ऊपर उठा कर एक जोर का धक्का मारा तो भाभी फ़िर तड़प गई।

इसके बाद तो बस आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्… आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…धीरे…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्… आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…रुक जरा… हाँ… आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…जोर से… आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…हाँऽऽअः…हाँऽऽअः…हाँऽऽअः…ह्म्म… हाँऽऽअः

हम दोनों की एक जैसी आवाजें निकल रही थी। काफ़ी देर ऐसे ही चलता रहा। बीच बीच में भाभी बड़बड़ाती रही- मज़ा आ रहा है ! करते रहो ! चूसो !

भाभी की चूत लगातार पानी छोड़ रही थी और मेरा लौड़ा बड़े आराम से अन्दर बाहर आ जा रहा था। भाभी भी अपने चूतड़ उठा उठा कर सहयोग कर रही थी। वो मदहोश हुई जा रही थी। उनके आनन्द का कोई पारावार ना था। ऐसा मज़ा शायद उन्हें पहले नहीं मिला था।

अब मैं चरमोत्कर्ष तक पहुंचने वाला था। मैंने भाभी को कहा- ले प्रीति ! ले ले मेरा सारा रस ! पिला दे अपनी चूत को !

“हाँ ! भर दे मेरी चूत अपने रस से मेरे मोनू भैया ! ” भाभी बोली।

और मैंने पूरे जोर से आखिरी धक्का दिया तो मेर लन्ड भाभी के गर्भाशय तक पहुंच गया शायद और वो चीख पड़ी- मार डालेगा क्या?

मेरे मुंह से निकला- बस हो गया ! मेरा लन्ड भाभी की चूत में पिचकारियां मार रहा था। भाभी भी चरम सीमा प्राप्त कर चुकी थी। फ़िर कुछ रुक रुक कर हल्के हल्के झटके मार कर मैं भाभी के ऊपर ही लेटा रहा। हम दोनों अर्धमूर्छित से पड़े रहे काफ़ी देर। पता नहीं कब नींद भी आ गई।

जब मेरी नींद खुली तो देखा कि भाभी उसी तरह नंगी मेरी बगल में बेसुध हो कर सो रही थी। उनके मुख पर असीम तृप्ति का आभास हो रहा था। उनके लबों पर बहुत हल्की सी मुस्कान भी दिख रही थी। मैं धीरे से उठा और रसोई में जाकर दो कप चाय बना कर लाया तो देखा भाभी वैसे ही सो रही थी। मैं उनके पास गया और उनके लबों को हल्के से चूम लिया। जैसे ही मेरे होंठ ने उनके होंठों को स्पर्श किया, भाभी ने आंखें खोल दी और मुस्कुरा कर मेरी आंखों में झांकने लगी।

मैंने भाभी से कहा- “तो सोने का बहाना कर रही थी आप?”

भाभी बोली- मैं तो तभी जाग गई थी जब तुम यहाँ से उठ कर गए थे, लाओ अब चाय तो पिला दो जो प्यार से बना के लाए हो।

हमने चाय पी। तब तक रात के आठ बज चुके थे। मैंने भाभी से पूछा- कैसा लगा?

भाभी ने शरमा कर नज़रें झुका ली, कुछ बोली नहीं।

मैंने उनकी ठोडी पकड़ कर उनका चेहरा ऊपर को उठाया और फ़िर पूछा कि कैसा लगा आज मेरे साथ।

भाभी शर्मिली मुस्कान के साथ बोली- बहुत मज़ा आया, मज़ा तो तुम्हारे भैया के साथ भी बहुत आता है, पर तुम्हारे अन्दर नया जोश है

“पहले ऐसा ही मज़ा आता था भैया के साथ?” मैंने पूछा।

” सच कहूं तो ऐसा मज़ा मुझे कभी नहीं आया, मुझे तो पता भी नहीं था कि इतना मज़ा भी आता होगा चुदाई में” भाभी ने कहा।
भाभी के मुंह से चुदाई शब्द सुन कर मैं अवाक रह गया। फ़िर मैंने भाभी से कहा- भाभी ! मैंने आपको इतना आनन्द दिया है, मुझे ईनाम मिलना चाहिए

” हाँ ! ईनाम के हकदार तो तुम हो। बोलो क्या चाहिए तुम्हें ईनाम में?” भाभी ने पूछा।

“मैं तो ऐसे ही कह रहा हूं, आप मिल गई, मुझे तो मेरा ईनाम मिल गया” मैंने कहा।

” नहीं, फ़िर भी मैं तुम्हें कुछ ना कुछ ईनाम जरूर दूंगी” भाभी ने कहा।

” जैसी आपकी मरजी ! अगर मैंने अपनी तरफ़ से कुछ मांग लिया तो देना पड़ेगा भाभी ! ” मैंने कहा।

” हाँ हाँ जरूर ! मेरे बस में हुआ तो जरूर दूंगी” भाभी ने आश्वासन दिया।

” अच्छा अब बताओ रात के खाने में क्या बनाऊँ? ” प्रीति भाभी ने पूछा।

“अब क्या बनाओगी, मैं बाज़ार से ले आता हूं कुछ, वैसे भी मैं अभी सारी रात बाकी है। आप मुझे खाना, मैं आपको खाऊँगा” मैंने भाभी को छेड़ा।

मैंने बाज़ार जाने के लिए उठते हुए कहा- भाभी ! मैं बाज़ार से खाना ले कर आता हूं। आप बस ऐसे ही नंगी रहना, कपड़े नहीं पहनना।
भाभी भी मेरे साथ खड़ी हो गई यह कहते हुए कि दरवाजा भी तो बंद करना होगा। भाभी मेरे पीछे पीछे आईं और मुझे कहा देखो बाहर कोई है तो नहीं, मैं दरवाजा बंद कर लूं।

जब मैंने बाज़ार से आकर दरवाजे की घण्टी बजाई और भाभी ने दरवाजा खोला तो वो वही नीला गाऊन पहने थी।

अन्दर आते आते मैंने पूछा कि गाऊन क्यों पहना?

तो कमरे में पहुंच कर भाभी बोली- आज तो बस बच गई। अभी अभी थोड़ी देर पहले दरवाजे की घण्टी बजी थी और मैंने समझा तुम ही होगे और मैं बिना गाऊन पहने दरवाजा खोलने ही वाली थी कि मुझे पड़ोस वाली रितु की आवाज सुनाई दी। वो मुझे ही पुकार रही थी। मैंने दौड़ कर गाऊन पहना और फ़िर दरवाजा खोला।

क्या करने आई थी रितु? रितु वही जो चार पांच घर छोड़ कर रहती है, नमिता आन्टी की बेटी?

हाँ वही, तू तो सबको जानता है?

बड़ी मस्त चीज है वो, एक बार मिल जाए तो साली को चोद चोद कर चार छः बच्चों की माँ बना दूं।

“तेरा बस चले तो तू सारी दुनिया की लड़कियों को चोद चोद कर माँ बना दे” भाभी बोली।

“सारी दुनिया को नहीं तो भाभी आपको तो अब जरूर माँ बना दूंगा” मैंने कहा।

यह सुन कर भाभी भावुक हो उठी, उनकी आंखें गीली हो गई, वो बोली- तीन साल हो गए शादी को ! अब तक तो कोई आस बंधी नहीं, पता नहीं कब मैं माँ का शब्द सुनूंगी अपने लिए। और तुम क्या सोचते हो कि मैंने ये सारी रासलीला तुम्हारे साथ शारीरिक आनन्द के लिए रचाई है? यह सब मैंने औलाद का सुख पाने के लिए किया है। भाभी रोती जा रही थी और बोलती जा रही थी-” वैसे तो तुम्हारे भैया में कोई कमी नहीं है, वो मुझे सहवास का पूरा पूरा मज़ा देते हैं, पर पता नहीं क्यों मैं गर्भवती क्यों नहीं हो रही। अब देखो तुम क्या गुल खिलाते हो? इतना कह कर भाभी के चेहरे पर कुछ मुस्कुराहट आई।

मैंने आगे बढ़ कर भाभी को अपनी बाहों में भर लिया और कहा- भगवान ने चाहा तो अगले साल तक मैं चाचाऽऽ… नहीं आपके बच्चे का पापाऽऽ… नहीं बस चाचा… हाँ… चाचा ही ठीक है, बन जाऊँगा।

अगर ऐसा हो गया तो मैं तुम्हें मुंह मांगा ईनाम दूंगी- भाभी ने भरे गले से कहा।

तो अब दो ईनाम हो गये- एक तो आपने चाय पीते हुए वायदा किया था आज ही और दूसरा अब जो अगले साल या उससे भी पहले मिल सकता है।

मेरा पहला अनुभव चचेरी भाभी की चुदाई का

 

हाय दोस्तो, मैं आप लोगों को अपनी पहली चुदाई की सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ। उस समय मेरी उम्र 18 साल से तीन महीने ज्यादा थी और मैं इन्टरमीडिएट का छात्र था।

दशहरे के अगले दिन मैं अपने गाँव से वापस कस्बे आ गया, माँ गाँव में ही रह गयीं। उसी दिन मेरे चचेरे भाई साहब अपनी बीवी और डेढ़ साल की बेटी के साथ हमारे घर आये। वे लोग हमारे दूसरे गाँव में रहते थे। घर में मैं और मेरे पिताजी थे, उन्हें उस रात टूर पर जाना था।

भाई साहब मेरे साथ पास के शहर गये, वहाँ से वे अपनी बहन के घर चले गये और मैं वापस आ गया।

जब मैं शहर में था तभी मेरे मन में भाभी के साथ सम्भोग करने का पागलपन सवार हो गया क्योंकि रात के बारह बजे पिताजी के चले जाने के बाद घर में भाभी और मैं अकेले रहने वाले थे, बेटी उनकी काफ़ी छोटी थी।

दरअसल भाभी की शादी को चार साल हो चुके थे, वे बहुत तो नहीं पर सुन्दर हैं और शुरू से ही वे हम लोगों से काफ़ी मजाक, खासकर गन्दे मजाक किया करती थीं और वे काफ़ी खुली थीं हालाँकि मैं बहुत शर्मीला था।

पर अब मेरा लण्ड खड़ा होने लगा था और दो तीन सालों से मैं हस्तमैथुन करके अपनी बेचैनी शान्त कर लेता था, चूत चोदने का बहुत मन करता था पर कोई जुगाड़ नहीं हो पाता था।

मैंने उस रात उनको अपने साथ चुदाई के लिये राजी करने का प्लान बनाने लगा।

आधी रात को पिताजी के घर से निकलते ही मैं बाथरूम गया तो खिड़की से देखा कि भाभी जगी हैं। मैंने उन्हें आवाज दी- भाभी, आप जगी हुई हैं क्या?
उन्होंने कहा- हाँ देवर जी, नींद उचट गयी है।
मैंने कहा- भाभी, अगर चाहें तो मेरे कमरे में आ जाइये।

भाभी झट से तैयार हो गयीं और अपनी बेटी को ले कर मेरे कमरे में आ गयीं। मेरी चौकी के बगल वाली चारपायी पर अपनी बेटी को दूसरी तरफ़ सुला कर खुद मेरी तरफ चारपायी लेट गयी।
फ़िर हम बातें करने लगे, पहले से सोचे हुए प्लान के अनुसार मैंने उन से कहा- भाभी, मैं एक बात पूछना चाहता हूँ, आप नाराज तो नहीं होंगी?

उन्होंने कहा- देवर जी, ऐसी क्या बात है?
मैंने कहा- नहीं पहले वादा करो तब?
उन्होंने कहा- ठीक है बोलिये, मैं नाराज नहीं होऊँगी।

मैंने कहा- भाभी, आज मैंने अपनी एक क्लासमेट को देखा जिसकी शादी 3-4 महीने पहले हो गयी थी, आज वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी, उसका बदन भर गया है और वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी। शादी के बाद ऐसा क्या हो जाता है कि लड़कियों में इतने परिवर्तन हो जाते हैं?
मैंने यह सवाल जान बूझ कर बातों का रुख सेक्स की तरफ़ करने के लिये किया था।

उन्होंने कहा- शादी के बाद पति के साथ रहने से ऐसा होता है।
मैंने कहा- भाभी, ज़रा खुल कर बताइये ना…
तो भाभी ने मुस्कुरा कर मेरे गालों को मसल दिया।
ओह… ह… ह…!! मुझे तो मानो मन की मुराद ही मिल गयी, मैं समझ गया कि आज मेरा भाग्योदय होने वाला है।

मैं भी उनके बालों में उँगलियाँ डाल कर सहलाने लगा। वह भी मेरे बालों को सहलाने लगीं। अब तक भाभी अपनी चारपायी पर ही थी और मैं अपनी चौकी पर।
मैं भाभी के गालों को सहलाते हुए बोला- कि मेरे बिस्तर पर आ जाओ भाभी।
वो झट से मेरे चौकी पर आ गयीं और… और… और… और… और…मैं तो जैसे पागल हो गया… जोर से भाभी को अपनी बाहों में भींच लिया… उन्होंने भी मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया… और दोनों के होंठ एक दूसरे के होंठों का चुम्बन लेने लगे… दोनों के जिस्म एक दूसरे में उलझ गये…वो जोर जोर से मेरा चुम्मा लेने लगी…

मुझे भी होश कहाँ रहा खुद का। बस एक नशा सा छा गया और मुझे कुछ होश नहीं कि आगे क्या करना है।

हालाँकि मैंने पहले से अपने मस्त राम की कहानियों के द्वारा प्राप्त ज्ञान के आधार पर काफ़ी कुछ करने का सोचा था पर सब किताबी ज्ञान धरा रह गया।

मैंने सोचा था कि उनकी चूत में उंगली करुंगा, इस लिए मैंने अपने नाखून काट लिये थे। पर उनके चिपकते तथा चुम्मा चाटी करते ही मैं एकदम बेकाबू हो गया, उफ़्फ़ बरदाश्त करना मुश्किल था अब… जिस चूत को चोदने की कल्पना पिछले तीन सालों से कर रहा था, तथा जिस प्यारी भौजाई को चोदने की कल्पना मैं दोपहर से कर रहा था…वह सुनहरा मौका मेरे सामने आज आ गया था।
उफ़्फ़्फ़्फ़… अब एक पल भी रुकना असम्भव था।

उस वक्त भाभी सिर्फ़ साया और ब्लाउज में थीं। मेरा मन चूची चूसने पर इस लिये नहीं गया क्योंकि वह उन दिनों अपनी बेटी को दूध पिलाती थीं… वैसे में चूचियों को चूसने की कल्पना करते ही मन लिजलिजा सा हो जाता था।

मैंने भाभी से कहा- भाभी… दोगी?
उन्होंने पूछा- क्या?
मैंने कहा- अब तुम्हें भी बताना पड़ेगा कि क्या माँग रहा हूँ?
तो इस पर वो मुस्कराते हुए बोलीं- आपको रोका कौन है, जो इच्छा हो कर लीजिये।

अब तो मानो मेरे सपनों के साकार होने का वक़्त आ गया… मैं उनके बगल से उठ कर उनके टाँगों के बीच पहुँचा और उनका साया ऊपर उठा दिया.
फ़िर उन्होंने अपनी दोनों टाँगों को ऊपर कर लिया, अब उनकी भरी पूरी चूत जिस पर झाँटें ही झाँटें थी नजर आ रही थी जो अब मेरे लिये थी। जिन्दगी में पहली बार चूत के दर्शन हुए थे, पर नाइट लैम्प की रोशनी में जितना दिख रहा था वही बहुत था।

मैंने अपना फ़नफ़नाया लण्ड उनकी चूत में डाला… चूत एक दम गरम और गीली थी… ओह… मेरा पूरा लण्ड घचाक से उनकी चूत में बिना किसी रुकावट के चला गया… क्योंकि भाभी का चूत तो भोसड़ा हो गया था.

खैर पहली बार एक छेद में डालने का मौका तो मिला चहे वह कुँवारी चूत हो या चुदा चुदाया भोसड़ा… मैं तो गुरू ऽऽ सातवें आसमान पर था… खैर उनकी गरम चूत में पूरा लण्ड जाते ही मेरा पूरा शरीर झनझना गया और मैं तुरन्त ही झड़ गया… और सच बताऊँ मैं बेहद शर्मिन्दा भी हो गया कि पहली बार मौका मिला भी तो मैं शीघ्र पतन का शिकार हो गया।

मैं उनके ऊपर से उतर कर बाथरूम गया, लौट कर उनके बगल में लेट गया, उन्होंने मुस्कराते हुए पूछा- क्या हुआ देवर जी, बड़ा फ़ड़फ़ड़ा रहे थे, सारी मस्ती कहाँ गयी? बस हो गये शान्त?
मैं अन्दर ही अन्दर शर्मिन्दा तो था पर मैंने कहा कि दोपहर से ही तुम्हें चोदने का प्लान बना रहा हूँ और तभी से लण्ड खड़ा है, फ़िर जिन्दगी में पहली बार चूत के दर्शन हुए हैं शायद इसी वजह से डालते ही झड़ गया।
उन्होंने पूछा- क्या सचमुच पहली बार है?
मेरे हाँ कहने पर उन्होंने कहा- पहली बार ऐसा अक्सर होता है, चिन्ता मत करिये सब सीख जायेंगे।

फ़िर वो मुझ से चिपट कर लेट गयीं, मुझे चुम्मा लेने लगीं क्योंकि वो अभी भी गरम थीं। धीरे धीरे मैं भी उत्तेजित होने लगा। इस बार मेरे हाथ उनकी चूचियों को सहलाने लगे… उनके निप्पल को चुटकी में मसलने लगा तो वो सिसकारी लेने लगीं मुझे लगा कि उनको मजा आ रहा है… वो अपना निप्पल मेरे मुँह में डालने लगीं.

मेरी झिझक को भाँप कर बोली- घबराइये मत, जब तक जोर से चूसेंगे नहीं तब तक दूध नहीं निकलेगा… इसको सक करना पड़ता है तब दूध निकलता है… समझे लल्लू देवर जी!
और फ़िर उन्होंने मेरे लण्ड को सहलाना शुरू कर दिया, मैंने उनके निप्पल को मुँह में लेकर हौले हौले चूसना शुरू कर दिया
ओह… ओह.. .ओ… ओह… उम्म्ह… अहह… हय… याह…
वो सिसकारियाँ लेने लगीं और अपने भोंसड़े को मेरे लण्ड से रगड़ने लगीं।

हम दोनों करवट लेटे हुए थे वो मेरे दाहिनी तरफ़ थीं, वो मुझे और जोर जोर से निप्पल चूसने को कहने लगी. मुझे भी अब अच्छा लग रहा था और मैं उनकी घुण्डी को दाँटों से काट कर चूसने लगा जोर से बस इतना कि दूध न निकले।

वो मस्त होकर मेरा हाथ अपनी चूत पर ले जा कर रगड़ने लगीं… उनकी चूत एकदम गरम और लिसलिसी हो गयी थी… लग रहा था कि चूत को बुखार हो गया हो जैसे…
फ़िर उन्होंने करवट में ही लण्ड चूत के मुँह पे रख कर डालने को कहा.
मैंने कहा- जरा अपनी चूत तो पौंछ लो, एकदम कीचड़ कीचड़ हो रही है.
इस पर उन्होंने साया से अपनी चूत पौंछी और मुझे अपनी दोनों टाँगों के बीच लेकर मेरे लण्ड को पकड़ कर चूत के मुँह पर रख कर धक्का लगाने को कहा।

मैंने लण्ड को उनकी चूत में जोर से पेला तो एकदम जड़ तक चला गया… शायद करवट होने की वजह से इस बार चूत कुछ कम ढीली लग रही थी, खैर लण्ड अन्दर लेकर भाभी मेरा चुम्मा लेने लगीं… फ़िर होंठ चूमते हुए जीभ मेरे मुँह में डाली मुझे बड़ा मजा आया और मैं भी उनके होंठों को चूसने लगा और जीभ अन्दर करके उनकी जीभ से खेलने लगा।

अब वो अपना चूतड़ आगे पीछे करने लगीं और मैं भी अपना लण्ड बाहर भीतर करने लगा फ़च… फ़च्… फ़च… फ़चाफ़च… सट्… सट्… सटासट्… सट… की आवाजें गूंजने लगी कमरे में…
हम दोनों देवर भाभी मस्ती के हिलोरें ले रहे थे.

दरअसल मेरी भाभी बहुत ही चुदक्कड़ हैं, वो मुझे अपनी बाहों में जकड़े हुए लण्ड घचाघच अपनी चूत में लिये जा रही थीं साथ ही साथ जोर जोर से साँसें लेते हुए बोलती जा रही थी- हाए रे मेरे बबुआ, आज तो आपने एक नये लण्ड का स्वाद चखा दिया… मैं तो कब से तरस रही थी स्वाद बदलने को… कब से आपके भैया का लण्ड ले ले कर बोर हो गयी हूँ।

मैंने पूछा- मेरा लण्ड तो छोटा है, भैया का कैसा है?
तो भाभी बोली- आपके भैया का आप से बड़ा और मोटा है पर समय आने पर आप का भी तगड़ा हो जायेगा।
और मुझे जोर से भींचते हुए बोली- मेरे राजा, मजा सिर्फ़ मोटे और बड़े लण्ड से ही नहीं आता, कौन चोद रहा है और कैसे चोद रहा है यह महत्वपूर्ण है, अब देखिये आप अपने भैया से हैण्ड्सम हैं तथा पढ़ने में भी तेज हैं, कोई भी लड़की आपसे चुदवाना चाहेगी.

ऐसा कह कर वह मेरे गाल सहलाने लगी और मैं भी मारे उत्तेजना के और जोर जोर से लण्ड को उन की चूत में अन्दर बाहर करने लगा. हम दोनों ही मारे मस्ती के सटासट धक्का पे धक्का मारे जा रहे थे.
दोनों की साँसें तेज… तेज… तेज… होने लगी और उन्होंनें मुझे जोर से जकड़ते हुए कहा- हाय रे मैं तो गयी मेरे राजा… आज तो आपने मुझे जन्नत की सैर करा दी मेरे देवर जी… शादी के बाद पहली बार कोई नया लण्ड मिला है मैं तो निहाल हो गयी…
हम दोनों एक साथ ही झड़े और देर तक एक दूसरे से चिपके रहे।

उन्होंने पूछा- कैसा लगा भाभी को चोद कर?
मैंने हँसते हुए कहा- मैं तो कल्पना कर रहा था कि आप की चूत एकदम टाइट होगी लण्ड घुसाने में दिक्कत आयेगी… पर वैसा कुछ हुआ ही नहीं?
इस पर वह मुस्कराते हुए बोली- अगर कुँवारे में हम दोनों मिले होते तो वैसा होता भी, मैं तो शादी से पहले ही कई बार चुदवा चुकी हूँ और फ़िर इसी चूत में से आपकी भतीजी निकली है तो थोड़ी ढीली हो गयी है… आप का तो पहला अनुभव है मजा तो आ ही रहा है… चलिये रात काफ़ी हो गयी अब सोया जाय।

उस के बाद इतनी गहरी नींद आयी कि पूछो मत… सुबह 7 बजे ही आँख खुली, फ़्रेश होने के बाद नाश्ता करके हम दोनों आपस में बातें कर रहे थे कि भतीजी को भूख लग गयी और भाभी चौकी पर लेट कर उस को अपनी चूची खोल कर दूध पिलाने लगीं, हालाँकि आँचल से ढका था फ़िर भी थोड़ा सा दिख रहा था.

अब तो मेरा मन भी करने लगा क्योंकि दोपहर तक भाई साहब भी आने वाले थे, मैंने कहा- भाभी एक बार और चोद लेने दो.
तो उन्होंने कहा- बेटी जगी है, देखेगी तो किसी से कह सकती है.
मैंने कहा- डेढ़ साल की बच्ची क्या समझेगी।
उन्होंने कहा- यह कह सकती है कि चाचा मम्मी के ऊपर थे। यह अपने पापा से बहुत बातें करती है।

फ़िर भी मेरा मन रखने के लिये वो चौकी के किनारे चूतड़ रख कर बेटी को अपनी छाती पर रख कर उसके मुँह में निप्पल डाल कर आँचल से उसे ढक कर अपनी टाँगों को फ़ैला कर अपनी साड़ी उठा कर मुझ से बोली- लीजिये, जल्दी से चोद लीजिये, फ़िर पता नहीं कब मौका मिले ना मिले।

मैंने वहीं खड़े हो कर तुरन्त अपना पहले से खड़ा लण्ड उनके भोसड़े में डाला और चोदने लगा, वो तो कोई हरकत नहीं कर रही थी, मैं भी सावधानी से चोद रहा था ताकि उनकी बेटी डिस्टर्ब होकर हमारी हरकत ना देखने लगे।

थोड़ी देर चोदने के बाद मेरा झड़ गया और मैं उन्ही के साये में पौंछ कर अलग हो गया।

फ़िर उस दिन दुबारा मौका ही नहीं मिला, कोई कोई आ जाता था तथा उनकी बेटी भी सोई नहीं, और भाई साहब भी जल्दी ही आ गये।

भाभी ने जीना हराम करके चुदाया

 

मेरे घर में चार भाई है और मेरे पिताजी है माँ का देहांत तब ही हो गया था जब मेरी उम्र ९ साल की थी। मेरे दो भाई मुंबई में सॉफ्टवेर इन्जिनेअर है जबकि सबसे बड़ा
भाई हमारे साथ ही जालंधर में रहता है। मेरे भाई की शादी हुई तो मैं बड़ा खुश हुआ कि जो माँ का प्यार माँ से नहीं मिला वह भाभी से मिल जायेगा। शादी के बाद भाभी
हमारे साथ ही रहने लगी हम गाँव के सबसे बड़े परिवार से ह। पिताजी का धयान रखने के लिए नौकर तो था पर नौकर और घर के सदस्य में रात दिन का अंतर था। भाभी
भी मुझसे मजाक किया करती।

एक दिन की बात है मैं बाथरूम में नहाने जा रहा था तो मेने भाभी से मेरी अंडरवियर और बनियान मांगी। भाभी बोली कि देवर जी आप नहाना तो शुरू करो मैं ढूँढकर
लाती हूँ मेने कहा ठीक है जब मैं नहा लिया और मैं केवल एक पतला सा टॉवेल लपेटकर खडा था तभी भाभी आई और बोली कि लो अपने अंडरवियर लो यह कहकर वो
दरवाजे के बहार खड़ी होकर दूर से अपना हाथ दिखा रही मेने भाभी से अंडरवियर लेने के लिए जैसे ही दरवाजा खोला भाभी ने दरवाजे में जोर से धक्का दिया और मेरे
बाथरूम में घुस आई और मेरी कमर पर गुदगुदी करने लगी्।

इस मजाक में वह हो ही गया जिसका मुझे डर था मेरा टॉवेल खुल गया और भाभी के हाथ में मेरा लिंग आ गया.
इसी बीच मैं शर्म के मारे बाथरूम से नंगा बाहर निकल कर भाग गया क्यूंकि उस समय घर पर मेरे और भाभी के अलावा कोई नहीं था.

इस बात पर मैं भाभी से इतना नाराज़ हुआ कि पूरा दिन बोला नहीं।
पर शाम को वह मुझसे बोली कि सुरेश तुम मुझसे नाराज़ हो क्या?
तो मेने अपनी नाराजगी तोड़ते हुए न कहा दिया। अगले दिन जब मैं पढ़ाई कर रहा था तभी भाभी मुझसे बोली कि सुरेश मैं
नहाने जा रही हूँ तुम कल की बात का बदला लेने की कोशिश मत करना,
तो मैं बोला- नहीं भाभी, मैं तो उस बात को कब का भूल चूका हूँ।

तभी नहाते हुए भाभी बोली कि सुरेश मुझे एक साबुन लाकर दो मेरा साबुन खत्म हो गया है मैं बोला अभी तो मैं दुकान जाकर साबुन नहीं ला सकता। भाभी बोली कि
दुकान से लाने को थोड़े ही कह रही हूँ, मेरे ड्रोर में रखा वहीं से ला दो। जैसे मैं साबुन लेकर आया तो भाभी दरवाजे में से मुह निकालकर झांक रही थी तो जैसे ही मैंने जैसे
ही हाथ बढाया तो भाभी ने साबुन लेने के बहाने मेरा हाथ पकड़ कर खींच लिया और मैं बाथरूम में गिरने लगा तो भाभी ने हाथ पकड़कर मुझे संभाला तभी मेरा हाथ उनकी
चूत पर पड़ गया। मैंने देखा कि भाभी बिलकुल नंगी खड़ी थी और उनके बूब्स बहुत बड़े थे और उनके निप्पल गुलाबी रंग के थे और उनकी चूत पर बहुत बड़े बाल थे और उन
बालो के कारण चूत भी ठीक से नहीं दिख रही थी।

तभी मुझे अपन पेंट में कुछ रेंगने का अनुभव हुआ मैंने देखा जब तक तो भाभी मेरे पूरे कपडे (पेंट, अंडरवियर) दोनों उतार चुकी थी। मैं भाभी के सामने बिलकुल निवस्त्र खडा था और भाभी मेरे लंड को बड़े मजे से चूस रही थी तभी भाभी ने नीचे लेट कर पोसिशन ६९ में आ गयी और अब वो मेरा लंड चूस रही थी और मैं उनकी न चाह कर भी उनकी बालो वाली चूत चाट रहा था थोडी देर बाद वह उठी और मुझसे अपना 7″ लंबा लंड मेरी चूत में डालने को कहने लगी

मैंने जैसे ही अपना लंड भाभी की चूत पर रख कर जोर से धक्का दिया वह भाभी की चूत में न जाकर वहां से फिसलकर पीछे की और सरक गया फिर भाभी बोली जानू ऐसे नहीं और फिर वह साबुन उठाकर अपने हाथ पर लगाकर मेरे लंड पर रगड़ने लगी फिर उसके बाद उन्होंने उतना ही साबुन अपनी चूत पर लगा दिया और फिर बोलीं कि जान अब धक्का दो जैसे ही मैंने जोर से एक धक्का दिया वह चिल्ला पड़ी आआह्ह्ह् ईईइह्ह् ऊऊह्ह् फिर मैंने एक और झटका देकर पूरा लंड भाभी की चूत में समां दिया और अब उनका और मेरा शरीर आपस में रगड़ने लगे उस दिन भाभी ने मुझे जिन्दगी मैं पहली बार सेक्स करना सिखाया

लेकिन उस सेक्स के बाद मुझे उस गलती पर बड़ा पछतावा हुआ और मैंने भाभी के कितना भी उकसाने पर ये गलती न दोहराने का संकल्प लिया। एक दिन जब मैं बाज़ार सामान लेने गया तो मुझे रास्ते जाकर ध्यान आया कि मैं पैसे लाना तो भूल गया हूँ। जैसे ही मैं घर पैसे लेने वापस आया तो देखा कि भाभी एक नौकर के साथ चिपकी हुई थी मुझे देख कर वह दूर हट गयी और फिर नौकर मुझे देख कर चला गया तभी मैंने भाभी से पूंछा तो वह कहने लगी कि तुम्हारे भैया तो बस काम के कारण बाहर ही रहते है उन्हें तो मुझे संतुष्ट करने का तो उन्हें कोई ख्याल नहीं रहता और तुम भी मेरे साथ एक बार सेक्स करके ही रह गए अब तुम ही बताओ ऐसे में मैं क्या करूं

वह बोली तुम्हे तो मेरे साथ … ऐतराज़ है मै बोला ऐतराज नहीं है मैं इस काम को पाप समझता हूँ वह बोली कि तुम मुझे इस तरह खु्श करो कि तुमसे पाप भी न हो और मुझे मजा भी आ जाये। मैं बोला क्या सच में ऐसा हो सकता हैं वह बोली कि हाँ क्यूँ नहीं तो मैंने कह दिया ठीक है वो मुझे कमरे मैं ले गयी और मेरे होठ चूमने लगी तो मैंने मना किया तो वह बोली कि मैं तुमसे तुम्हारा लंड अपनी चूत में डालने को तो नहीं कह रही हूँ फ़िर उन्होंने मेरे पूरे कपडे उतार दिए फिर अपने कपडे भी उतार कर बैठ गयी और मेरा लंड जोर जोर से चूसने लगी तभी मेरी नज़र उनकी चूत पर गयी आज वह बड़ी सुंदर और चिकनी दिख रही थी अब मुझसे नहीं रहा गया और मैं अपना संकल्प भूलकर पोसिशन ६९ में आकर भाभी की चूत चाटने लगा।

फिर भाभी ने मुझे उठाकर मेरा मुंह अपने बूब्स पर रख दिया फिर मैंने दोनों स्तनों से नीचोड़ नीचोड़ कर स्तनपान किया और कुछ देर बाद भाभी की दोनों टांगें विपरीत दिशा में करके उनकी चूत पर लंड फेरने लगा भाभी के मुह से आआह्ह ऊऊउह्ह्ह् ईईह्ह्ह निकल पड़ा तभी मैंने भाभी की चूत पर एक जोर से झटका मारा तो भाभी और तेज़ और तेज़ कह कर मेरा साथ देने लगी मेरा जोश यह सुनकर दुगना हो गया फिर भाभी और मैं एक साथ स्खलित हो गए उस दिन मुझे पहली बार से भी ज्यादा आनंद आया अब भाभी और मैं जब भी हमें मौका मिलता है तब यह खेल खेलते है

भाभी की माँ बनने की इच्छा

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पड़ोस वाली भाभी की चुदाई

 

मैं राहुल… आप लोगों को अपनी पहली कहानी सुनाने जा रहा हूं।

एक दिन मैं अपने घर की तरफ़ जा रहा था कि मैंने देखा कि कोई मुझे बुला रहा है। मैं उनके पास गया तो देखा कि वो मेरे पड़ोसी हैं और बहुत ज्यादा पीने की वजह से वो चल नहीं पा रहे हैं। मैंने अंकल की मदद की और उन्हें उनके घर तक छोड़ने गया। डोरबेल बजाई तो एक औरत ने दरवाजा खोला जिन्हें मैं भाभी बुलाता था और जब उन्होंने मुझे अपने पति के साथ देखा तो चिड़चिड़ाना शुरू कर दिया।

मैंने कहा- पहले अन्दर तो आने दो फ़िर जो मर्जी कह लेना!
पर वो गुस्से से लाल हो रही थी। मैंने उनके पति को बेडरूम में ले जा कर लिटा दिया और वापिस जाने लगा तो मुझे अन्तर्वासना की एक कहानी याद आ गई और मैंने जानबूझ कर एक गिलास पानी मांगा तो भाभी पानी लेने चली गई। जब वो वापिस आई तो पानी पीने के बाद मैं उनसे बोला कि मुझे नींद आ रही है और मैं जा रहा हूं।

इस पर भाभी ने कहा- आप बहुत थक गए होंगे।
मैंने कहा- भाभी, कोई बात नहीं। मैं तो घर ही जा रहा था कि देखा भैया बुला रहे हैं.
तो वो बोली कि इनका तो रोज़ का काम है और आज तो हद कर दी इन्होंने!

मैं उनको समझा कर जाने लगा तो भाभी ने पूछा कि आप चाय लेंगे?
मैंने कहा- इतनी रात को क्यों तकलीफ़ करती हो भाभी!
तो वो बोली- क्या तकलीफ़! बस दो मिनट लगेंगे।
मैंने कहा- ठीक है।

वो चाय बनाने चली गई और मैं टीवी देखने लगा। तभी टीवी पर एक ब्लू फ़िल्म आने लगी। करीब रात के 1 बजे और आप तो जानते हैं कि दिल्ली की कालोनी में देर से ब्लू फ़िल्म आती ही है। फ़िल्म देख कर मैं एक्साईटिड हो गया और मेरा लण्ड खड़ा हो कर पैन्ट की ज़िप तोड़ने लगा। इतने में भाभी चाय लेकर आ गई और मैंने चैनल बदल दिया। फ़िर हम चाय पीने लगे तो उनकी नज़र मेरी जीन्स पर गई तो मैं थोड़ा टेढा होकर बैठ गया। फ़िर वो मेरे जोब के बारे में पूछने लगी। मैं उनकी बातों का जवाब देता रहा।

अचानक उनके मुंह से छूटा कि तुम शादी कब कर रहे हो, तो मैंने कहा कि जैसे ही कोई लड़की मिल जाएगी। तो वो हंसने लगी और कहने लगी कि तुम्हारे लिए लड़कियों की क्या कमी है।
मैंने कहा- मुझे लड़की नहीं मैच्योर औरत चाहिए।
वो बोली- तुम पागल हो।
मैं चाय पीकर जाने को उठा तो वो बोली- क्या हुआ? नींद आ रही है?
मैंने कहा- नहीं भाभी, सुबह ड्यूटी पर जाना है।
तो वो बोली- बैठो, थोड़ी देर और गप्पें मारते हैं।

मैं बैठ गया। मुझे औरतों से बात करने में शरम आती है इसलिए कुछ बोल नहीं रहा था। जितना वो पूछती, केवल उसका ही जवाब देता और चुप हो जाता।
तब वो बोली कि तुम इतना चुप क्यों रहते हो।
तो मैंने कहा- पता नहीं।

अब मैं नोर्मल हो गया था पर पता नहीं भाभी का क्या इन्टेंशन था जो मेरी समझ में नहीं आ रहा था। शायद मैं गलत हूं पर आखिरकार मुझे लगा कि मुझे ही शुरूआत करनी पड़ेगी।
मैंने उनकी दुखती रग पर हाथ रख दिया और बोला कि भाभी आप लोग फ़ैमिली प्लानिंग कर रहे हैं क्या?
वो बोली- नहीं! ऐसी कोई बात नहीं है।
“फ़िर आपकी शादी को कई साल हो गए हैं और आपके घर में नया मेहमान नहीं आया?”

तब भाभी ने बताया कि तुम्हारे भैया ने डाक्टर से चेक अप कराया था और डाक्टर ने उनमें कमी बताई है, उस दिन से ये शराब पीने लगे हैं और रोज रात को ऐसे ही लेट आते हैं।
मैं उन्हें दिलासा देने लगा और वो रोने लगी।

मैं उनके पास गया और उनके कंधे पर हाथ रख कर कहा- आप चिन्ता ना करें, सब ठीक हो जाएगा। फ़िर मैं थोड़ा पीछे हट गया क्योंकि मेरे दिमाग में गंदे ख्याल आने लगे थे।
तब भाभी बोली- कहाना बहुत आसान है पर जिस पर बीतती है उसे ही मालूम पड़ता है।
फ़िर मैंने उनका हाथ पकड़ा और कहा- आप चुप हो जाएं, नहीं तो मैं चलता हूं।
वो बोली- नहीं… बैठो… कोई और बात करते हैं, और उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर बैठा लिया।

मैंने कहा कि आप कुछ दिनों के लिए अपनी मम्मी के पास चली जाएं तो आपका दिल बहल जाएगा।
वो मेरे करीब आ कर बोली कि वहां जाने की सोच तो रही हूं पर कोई साथ नहीं मिल रहा है और इनसे कहा तो कहते हैं कि छुट्टी नहीं मिल रही है।
” ठीक है… मेरी शनिवार की छुट्टी रहती है, मैं आपको छोड़ कर रविवार को वापिस आ जाऊंगा।” मैंने कहा।

फ़िर मैंने घड़ी की तरफ़ देखा तो मुझे लगा कि काफ़ी देर हो गई है और मैं चलने को उठा तो वो बोली- शनिवार तो कल ही है।
मैंने कहा- हां मैं तो भूल ही गया था।
तो भाभी बोली- तभी तो कहती हूं, शादी कर लो, कब तक अकेले रहोगे तो मैं हंस दिया।

फ़िर भाभी मेरी होबीज़ के बारे में पूछने लगी। मैंने एकदम से उनके और हस्बैंड के सम्बंधों के बारे में पूछा तो वो बोली क्यों मूड खराब करते हो।मैंने कहा कि बस पूछ ही रहा हूं। फ़िर वो उठने लगी तो मैं भी उठ गया और कहा कि भाभी आपको भी नींद आ रही है और मैं भी सोने जाता हूं।

फ़िर मैं अपने घर आ गया और सारी रात मुझे नींद नहीं आई। अगले दिन दरवाजा खटखटाने की आवाज से मैं उठा और दरवाजा खोला तो देखा कि भाभी खड़ी थी।
वो बोली- कैसे घोड़े बेच कर सो रहे हो और वो अन्दर आ गई।
मैंने पूछा कि भैया कहां हैं तो उन्होंने कहा कि ओफ़िस गए हैं, तुम घर आ जाओ, मैंने आलू के परांठे बनाए हैं।

मैं फ़्रेश होकर गया तो भाभी टेबल पर नाश्ता लगा रही थी। उन्होंने काली टी और कैप्री पहनी थी जिसमें उनके हिप्स साफ़ दिख रहे थे।मैंने अपना ध्यान वहां से हटाया और पूछा कि भाभी आज मुझ पर आप इतनी मेहरबान कैसे?
तो वो बोली- बस! ऐसे ही।

मैं नाश्ता करने लगा। खाते खाते मुझे धस्का सा लगा तो वो भाग कर मेरे पास आई और मेरी पीठ मसलने लगी और मुझे पानी पिलाया। उनका हाथ मेरी कमर पर नाच रहा था।
मैंने कहा- अब ठीक है।
वो बोली- तुम खाओ, मैं तुम्हारे पास ही बैठ जाती हूं।

उनका हाथ अभी भी मेरी पीठ पर था। खाते खाते मैंने जान बूझ कर अपना हाथ उनके बूब्स पर लगा दिया तो उन्होंने मेरी इस हरकत को नज़र अंदाज़ कर दिया। मैं हाथ धोने को उठते हुए अपने हाथ को उनकी जांघ पर रख दिया। हाथ धोने के बाद मेरे पीछे से भाभी तौलिया लेकर बोली – लो इससे पौंछ लो, और जैसे ही मैं मुड़ा तो वो मेरे बिल्कुल पीछे ही खड़ी थी और मेरे लिप्स उनके लिप्स से टकरा गए और वो शरमा गई। मैंने सोरी बोला तो वो बोली कोई बात नहीं।

नाश्ते के बाद हम लोग इधर उधर की बातें करने लगे और भाभी धीरे धीरे मेरे पास आ गई। हम दोनो टीवी भी देख रहे थे। तभी अचानक टीवी पर एक किसिंग सीन आ गया। भाभी मुझ से पूछने लगी कि क्या तुमने किसी को किस किया है?
मैंने कहा- हां! किया है।
तो भाभी ने पूछा- किस के साथ?
मैंने कहा- आपको! अभी अभी।

तो वो हंस पड़ी और कहने लगी कि वो कोई किस है।
मैंने कहा- किस्मत से ज्यादा कभी किसी को नहीं मिलता।
तब उन्होंने कहा- ऐसा नहीं है, वो तो महज़ एक घटना थी।
मैंने कहा- जो समझ आए वो दुर्घटना और जो कुदरती हो वो घटना!
और वो हंस पड़ी, मुझे छूने लगी तो मैंने भी उनका हाथ पकड़ कर कस कर दबाने लगा। वो शरमाने लगी।
मैंने पूछा- क्यों क्या हुआ?
भाभी बोली- कुछ हलचल हो रही है।
मैंने पूछा- कहां?
तो वो बोली- नीचे।
मैंने देखा कि वो मेरे लण्ड को देख कर कह रही है।

मैंने तभी कहा- जब आप जैसी खूबसूरत औरत पास हो तो मेरा क्या भगवान की भी नियत डोल जाए।
वो बोली- अच्छा! क्या तुम्हें मैं इतनी खूबसूरत दिखती हूं?
मैंने कहा- हां! आप का फ़ीगर- वाउ! 32 30 36 ब्रिलिअन्ट!
तो वो बोली- नहीं! तुमने नापने में गलती कर दी- मैं 36 20 32 हूं।
तो मैंने कहा- क्यों झूठ बोलती हो।
तो उन्होंने कहा- खुद ही देख लो।
मैंने कहा- कैसे?
उन्होंने कहा- बताती हूं, उन्होंने झट से अपनी शर्ट उतार दी और हाथ में लेकर बोली- देखो! हैं ना 36!
मैंने कहा- भाभी चाहे कुछ भी हो, इनका साईज़ है जबरदस्त! मैं इन्हें छू लूं?
वो बोली- रुको! मैं अभी आती हूं.

और वो टायलेट जाकर वापिस आईं। मैं उनके पास गया और उनके होठों को चूमने लगा और ऐसी किस की कि मेरे ही रौंगटे खड़े हो गए। फ़िर मैं उनके बूब्स कस के दबाने लगा। वो सिसकारियां भरने लगी। अब मैंने उनके बूब्स को चूसना शुरू कर दिया तो वो जैसे पागल हो गई। शायद मैं इसी तरह करता हूं और उनके निप्पलों पर अपनी जीभ चलाने लगा।

उन्होंने मेरे शोर्ट्स में हाथ डाल कर मेरा लण्ड पकड़ लिया तो मैंने कहा- भाभी इसे चूसो!
तो भाभी मना करने लगी।
पर जब मैंने जोर दे कर कहा तो उन्होंने अपनी जीभ मेरे लण्ड पर छुआई। इससे उनको और भी मज़ा आ गया और कहने लगी और चूसने दो, तो मैंने कहा- पहले तो आप मना कर रही थी- अब क्या हुआ?
उन्होंने कहा- अच्छा लग रहा है। वो मेरे लण्ड को काफ़ी देर तक चूसती रही मगर मैं नहीं झड़ा। मैं उनकी चूत में उंगली डाल कर अन्दर बाहर करने लगा तो वो बहकने लगी और मुझे नीचे दबाने लगी।

तभी मैंने उनकी चूत पर मुंह रख दिया और कुछ देर तक उनकी प्यासी चूत को चाटता रहा। इसी बीच वो दो बार झड़ चुकी थी और अपना सारा पानी मेरे मुंह में भर दिया था।
उन्होंने मुझे कहा कि वो अब थक गई है। तब मैंने अपना लण्ड उनके मुंह में डाल कर गीला कर लिया और हिलाने लगा।
वो तड़पते हुए बोली- क्यों तड़पा रहे हो, डालो ना!

मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और उनके भी कपड़े उतार कर पूरा नंगा कर लिया। अब उनकी चूत के मुंह पर लण्ड रख कर एक झटका दिया, जिससे वो चिल्ला पड़ी और कहने लगी- अरे! आराम से डालो। मुझे कुछ भी महसूस नहीं हुआ, मैंने फ़िर एक जोरदार झटका मारा और वो रो पड़ी। उनसे बरदाश्त नहीं हो रहा था मेरा मोटा लण्ड।

मैंने कहा- रुको! अभी दर्द कम कर देता हूं!
और मैंने उन्हें अपने उपर बुला लिया। वो मेरे ऊपर आकर मेरे लण्ड पर अपनी चूत को टिका कर धीरे धीरे डालने लगी और तेज़ तेज़ आवाज़ें निकालने लगी आह ह उ उ ऊफ़्फ़ च चो चोद चोद्…आह।
अब मैं समझ गया कि वो मूड में आ गई हैं। अभी मेरा आधा लण्ड ही अन्दर गया था। मैंने उन्हें ऊपर उठाया और उनकी कमर को पकड़ कर नीचे से ही एक झटका दिया जिससे वो चिल्ला पड़ी- उई मां!
इस बार मेरा पूरा लण्ड उनकी चूत में समा गया था। थोड़ी देर मैंने कोई हरकत नहीं की पर बीच बीच में मैं उनके बूब्स दबाता रहा। जब वो सामान्य हुई तो उन्होंने तेज़ी से कमर चलानी शुरू कर दी और जल्दी ही वो एक बार फ़िर झड़ गई।

वो मुझ से बोली कि तुम अब ऊपर आ जाओ। मैंने ऊपर उनकी टांगों के बीच में आ कर अपना लण्ड फ़िर से उनकी चूत में डाल दिया और तेज़ी से अपनी कमर को हिलाने लगा। उन्होंने अपने दोनो पैर ऊपर कर लिए जिससे उनकी चूत में ढीलापन महसूस होने लगा।
मैंने कहा- भाभी पैर नीचे कर लो.
और हमने अपने पैर आपस में जोड़ लिए और वो कमर उठा कर मुझसे चुदवा रही थी। मैं भी पूरी तन्मयता से उनको चोदे जा रहा था। मुझे लगा कि अब मैं झड़ने वाला हूं तो मैंने भाभी को बताया। उन्होंने कहा कि अन्दर मत झाड़ना, मेरे मुंह में झाड़ दो। भाभी ने मेरा लण्ड अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी। मैंने पूरे वेग से ढेर सारा वीर्य उनके मुंह में डाल दिया जिससे उनका पूरा मुंह भर गया। बाद में मैंने उनकी चूत को चाट चाट कर ठण्डा कर दिया।
तो यह थी मेरी भाभी की चुदाई की कहानी

ज्योतिषी बन कर भाभी को बच्चा दिया

  मेरे पास जॉब नहीं थी, मैं फर्जी ज्योतिषी बनकर हाथ देख कर कमाई करने लगा. एक भाभी मेरे पास बच्चे की चाह में आई. वह माल भाबी थी. भाभी की रंड...