Product

Saturday, 31 August 2024

मेरी चुदक्कड़ बीवी जवान लड़के से चुदने लगी

 

दोस्तो, मेरा नाम राहुल मीणा है, मैं नोएडा में अपनी पत्नी सुदिति के साथ रहता हूं.
मैं वैसे राजस्थान का हूं. मेरी नौकरी 2016 में नोएडा में उस वक्त लग गई थी, जब मैं 28 साल का था.

मेरी चीटिंग वाइफ पोर्न स्टोरी यहाँ से शुरू होती है.

फिर दो साल बाद मेरी शादी घर वालों ने सुदिति से कर दी.

वह अभी 28 साल की है और काफी सुन्दर है. वो एक मॉडल की तरह लगती है.

जब मैं उसे देखने गया तो एक बार में पसंद आ गई थी. सच में सुदिति बहुत गोरी है, जबकि मैं सांवला हूं.
उसका फिगर 34-30-36 का है. वो बहुत ही सेक्सी लगती है.

मेरी शादी जब उससे हो गई थी तो मैं बहुत खुश था क्योंकि वो बिस्तर में भी बहुत मस्त माल है.
शादी के बाद मुझे पता चला कि उसके कई बॉयफ्रेंड थे.

मैंने सोचा कि अब तो इससे शादी हो ही गई है, अब क्या फर्क पड़ेगा.
मुझे इस बात से कोई विशेष फर्क नहीं पड़ा था कि वो चुदी चुदाई है.

मैं खुली सोच का इंसान हूँ और इस बात को समझता हूँ कि आजकल के दौर में ये सब सामान्य सी बात है.

शादी के बाद हम 2018 में नोएडा गए थे. उस वक्त हम एक फ्लैट में रहते थे.
शुरू में हमारी शादीशुदा जिंदगी अच्छी चल रही थी.
पर ऑफिस का काम ज्यादा हो जाने के कारण मैं सुदिति को ज्यादा समय नहीं दे पा रहा था.

मुझे 2019 मैं मुझे मलेरिया हो गया था, तो मैं उसे शारीरिक रूप से खुश नहीं रख पा रहा था.

वह मुझसे सेक्स को लेकर बार बार लड़ाई करने लगी थी.
इसमें मेरी ही गलती थी कि मैं शारीरिक रूप से उसे संतुष्ट नहीं कर पा रहा था.

उसे एक रात में कम से कम दो या तीन बार चुदाई चाहिए होती थी जबकि मैं एक ही बार उसे ढंग से नहीं चोद पा रहा था.

फिर मैंने उसकी एक बात को नोटिस किया कि वह मेरे सामने दूसरे लड़कों की तारीफ करने लगी थी.
वो कहती कि वह लड़का अच्छा था या फलां लड़का अच्छा लगता था. काश मेरी शादी उस हैंडसम लड़के से हो जाती तो मैं कितनी खुश होती. वह मेरी पूरी प्यास बुझा पाता.

मेरी झांटें सुलग जातीं मगर मैं कुछ नहीं कर पा रहा था.

फिर कुछ समय बाद मेरी मल्टीस्टोरी बिल्डिंग में एक लड़का रहने आया.
उसका नाम जॉन था, उसकी बॉडी बहुत अच्छी थी. वो बहुत स्मार्ट लगता था.

वह 22 साल का था और जिम जाने वाला पट्ठा था. वो हमारे फ्लैट के सामने ही रहने लगा था, जिस वजह से उसके विषय में मुझे काफी जानकारी हो गई थी.

मेरी पत्नी सुदिति जब भी छत पर कपड़े डालने जाती थी तो जॉन वहां अक्सर एक्सरसाइज कर रहा होता था.
सुदिति पहले 5 मिनट के लिए छत पर जाती थी लेकिन अब वह जॉन से बात करते करते आधा घंटे रुक वहां रुकने लगी थी.

कुछ ही दिनों में सुदिति ने जॉन का व्हाट्सएप नंबर भी ले लिया था.
वह दोनों फोन पर और व्हाट्सैप पर बात करने लगे थे.

जॉन सुदिति को भी एक्सरसाइज सिखाने लगा ताकि उसका फिगर मस्त बना रहे.
कुछ दिनों बाद मैंने नोटिस किया कि सुदिति मेरे सामने हर समय जॉन की ही बातें करती रहती थी.

मैंने सोचा कि वो दोनों शायद अच्छे दोस्त बन गए हैं, इसी वजह से ऐसा है.
लेकिन फिर मैंने एक दो बार सुदिति को जॉन के कमरे से पसीने में लथपथ हुए बाहर निकलते देखा तो मुझे कुछ अजीब सा लगा.

मैंने ये भी नोटिस किया कि सुदिति अब मुझे हाथ भी लगाने नहीं देती थी.
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ये सब क्या चल रहा है.

उधर मेरे ऊपर काम का लोड भी बढ़ रहा था, तो मैं भी इस विषय में ज्यादा नहीं सोच पा रहा था.
अब तो सुदिति जॉन के साथ फिल्म देखने भी जाने लगी थी और उसके साथ में घूमने जाने लगी थी.

जब मैं उसे फ्लैट में नहीं पाता और उसे फोन करता तो वो बिंदास कह देती कि मैं जॉन के साथ फिल्म देखने आई थी. अभी आ जाऊंगी. तुम खाना खाकर सो जाना.
मैं चूतियों सा उसकी बात सुनकर रह जाता था.

सुदिति 28 साल की हो गई थी और जॉन 22 साल का था तो मैंने सोचा कि मैं फ़ालतू की बात सोच रहा हूँ, इनका कोई चक्कर नहीं हो सकता.
जॉन सुदिति से 6 साल छोटा था तो ये बात मुझे नहीं जमती थी कि उन दोनों में कोई चक्कर हो सकता है.

फिर जब एक दिन सुदिति काम कर रही थी तो उसका मोबाइल बेड पर रखा था.
मैंने ऐसे ही चैक करने के लिए उसका मोबाइल उठा लिया और उसका व्हाट्सएप चैक करने लगा.

मेरी सबसे पहली नजर जॉन की ही चैट पर जा पड़ी.
उसने जॉन को पिन किया हुआ था तो उसका नम्बर सबसे ऊपर था.

मैंने चैट पढ़ी, तो मेरे होश उड़ गए क्योंकि चैट में वो दोनों इस तरीके से बात कर रहे थे जैसे गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड हों.

मैंने देखा कि दोनों लव यू जानू कह का मैसेज करते थे.
फिर जब मैंने और हिस्ट्री चैक की तो देखा कि जॉन ने सुदिति को ब्लू फिल्में भेजी हुई थीं.

अब मैंने मोबाइल रख दिया और लेट गया.
मुझे उस रात नींद नहीं आ रही थी. मैं बस आंखें मूंदे यूं ही लेटा था.

सुदिति मेरे बाजू में लेट गई थी.

फिर सुदिति रात को दो बजे उठी और उठा कर बाहर जाने लगी तो मैंने उसे पीछे से देखा.
वो जॉन के रूम में गई थी.

मैंने जॉन के रूम की खिड़की में से देखना चाहा तो उसकी खिड़की अन्दर से बंद थी. कुछ साफ से दिखाई नहीं दे रहा था मगर मैं हल्का हल्का देख पा रहा था कि सुदिति जॉन के ऊपर चढ़ी थी और उसे किस कर रही थी.
फिर जॉन ने लाइट बंद कर दी, तो कुछ भी नहीं दिख रहा था.

मैं अपने रूम में आ गया.

सुदिति एक घंटे बाद चुपके चुपके से कमरे में आ गई.
मैंने देखा कि सुदिति के बाल बिखरे हुए थे और वह पसीने में नहाई हुई थी.

मैं समझ गया कि मेरी बीवी सुदिति जॉन से चुदवा कर आई है.

अगले दिन जब मैं शाम को घर वापस आया तो मैंने सुदिति का मोबाइल चैक किया.

जॉन का नम्बर खोल कर व्हाट्सएप हिस्ट्री देखने लगा.
मैंने जो देखा, उसे देखकर मैं दंग रह गया.

जॉन ने सुदिति को अपने लंड की फोटो भेजी हुई थी.
मैंने देखा कि उसका लंड बहुत बड़ा और मोटा था. वह 7 इंच का था जबकि मेरा सिर्फ 5 इंच का है.

इससे मैं हैरान था कि 22 साल के लड़के का लंड इतना लंबा और मोटा कैसे हो सकता है.

मैं घर से बाहर चला गया और उसी रात को मैं शराब पीकर घर आया. मैं नशे में अपने गम भूल गया था और आते ही सो गया था.
सुदिति भी मेरे साथ सो रही थी.

अचानक रात के 12 बजे मैंने देखा कि सुदिति बिस्तर पर नहीं थी.
मैं बाहर गया तो देखा कि जॉन के कमरे की लाइट जल रही थी. आज उसकी खिड़की खुली भी थी.

मैंने देखा कि जॉन और सुदिति किस कर रहे थे और जॉन सुदिति के बूब्स दबा रहा था.
सुदिति भी बहुत उत्तेजित थी.

सुदिति बहुत देर तक किस करने के बाद घुटनों पर नीचे बैठ गई और उसने जॉन का पैंट निकाल दिया.
जॉन का लंड अंडरवियर में से फूला हुआ साफ़ दिख रहा था कि बहुत बड़ा लंड है.

सुदिति उसके लंड को ऊपर से सहलाने लगी. फिर उसने अंडरवियर भी निकाल दिया.
जॉन का लंड एक झटके से बाहर आ गया, सच में बहुत बड़ा लंड था.

सुदिति उसका लंड जोर से पकड़ कर सहलाने लगी.
कुछ देर बाद सुदिति जॉन का लंड अपने मुँह में लेकर चाटने लगी.

सुदिति इतने प्यार से लंड चूस रही थी मानो उसको मनपसंद लंड मिल गया हो.
साली ने इतनी प्यार से मेरा लंड कभी नहीं चूसा था.

कुछ देर बाद जॉन ने सुदिति को ऊपर उठाया और दीवार से चिपका दिया.

उसने मेरी बीवी का ब्लाउज खोल दिया.
सुदिति के बूब्स बहुत ही मस्त और तने हुए थे. सुदिति उस समय सिर्फ ब्रा में थी.

जॉन उसके मम्मों को किस कर रहा था.
उसने कुछ देर तक मेरी बीवी के दूध चूसे और नीचे आने लगा. उसने सुदिति की साड़ी और नीचे का पेटीकोट भी निकाल दिया.

अब सुदिति सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी.

जॉन ने सुदिति को खींचा और बिस्तर पर पटक दिया.
वो उसे किस करने लगा और एक हाथ से बूब्स दबाने लगा.

जॉन ने अपने दूसरे हाथ को मेरी बीवी की पैंटी में हाथ डाल दिया और उसकी चूत में उंगली करने लगा.

फिर उसने सुदिति की ब्रा खोल दी और अब वह अपना लंड उसके दोनों बूब्स के बीच में रगड़ने लगा.
कुछ देर बाद जॉन ने अपने लंड को सुदिति के मुँह में डाल दिया.

सुदिति बड़े प्यार से लंड चूसने लगी थी.
जॉन ने सुदिति की पैंटी निकाल दी और अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा.

सुदिति लंड के लिए बहुत ज्यादा तड़पने लगी थी और आहें भरने लगी थी.
मेरी बीवी सुदिति एक गैर मर्द कर लंड लेने के लिए फुल तैयार थी.

जॉन ने भी बिना देरी किए मेरी बीवी सुदिति की चूत में लंड डाल दिया.

जब वह सुदिति की चूत में झटके देने लगा तो मैंने देखा कि मेरी बीवी सुदिति को बहुत मजा आ रहा था.

यह सही बात थी कि ऐसे झटके मैंने उसे कभी नहीं दिए थे.
शायद इसी लिए मेरी बीवी एक गैर मर्द से मस्ती में चुद रही थी.
मैं सोच में था कि साला एक 6 साल छोटा लड़का चुदाई में इतना मजा कैसे दे सकता है.

तभी मैंने चीटिंग वाइफ पोर्न में देखा कि जॉन ने अब अपने झटके देने की स्पीड दुगनी कर दी थी.
सुदिति को बहुत ही मजा आ रहा था.

कुछ देर बाद जॉन ने लंड चूत से निकाला और सुदिति की गांड में चपत मारकर उसे चौपाया बनने का कहा.
सुदिति जल्दी से घोड़ी बन गई थी.

जॉन डॉगी स्टाइल में मेरी बीवी की चूत में पीछे से लंड डालने लगा था.

जब वह झटके से सुदिति की चूत में लंड डालता था तो सुदिति जोर से आ आ आ आहा चिल्लाती थी.

आज तक मैंने सुदिति को इतनी मजे से चुदवाते नहीं देखा था.
जॉन उसकी चूत में अपना पूरा लंड झटके से डाल रहा था और उसकी गांड पर जोर से थप्पड़ मार रहा था.

सुदिति की गांड पूरी लाल हो चुकी थी.
कुछ देर बाद उन दोनों ने फिर से पोजीशन बदली.

अब सुदिति ने जॉन को नीचे कर दिया और वो खुद ऊपर आ गई थी.

मेरी बीवी सुदिति ने अपना एक दूध खुद अपने हाथ से पकड़ा और जॉन के मुँह में घुसा दिया.
जॉन जोर जोर से बूब्स चूसने लगा.

फिर सुदिति ने अपना दूसरा दूध भी चूसने के लिए उसके मुँह में डाल दिया.

सुदिति जॉन की बॉडी को चूमते हुए नीचे आ गई और उसका लंड चूसने लगी.

जॉन का लंड बहुत टाइट हो गया था.
सुदिति उसके ऊपर चढ़कर अपनी चूत से रगड़ने लगी.

फिर सुदिति ने उसका लंड अपनी चूत में ले लिया और बहुत जोर से चिल्लाने लगी- कम ऑन जॉन फाड़ दो मेरी … और जोर जोर से चोदो मुझे!

मैंने सुदिति को इतना उत्तेजित पहले कभी नहीं देखा था.
अब वह ऐसे ही हफ्ते में दो या तीन बार जॉन का लंड लेने लगी थी.

उसके बाद मेरी बीवी सुदिति ने जॉन की मदद से कुछ और मर्दों के लंड भी अपनी चूत में लिए.

वो एक साथ अपनी चूत और गांड में दो मर्दों के लंड लेने लगी थी.
ये सब मैं आपको अगली सेक्स कहानी में लिखूंगा.

नई पड़ोसन शादीशुदा भाभी को पटाकर चोदा

 

दोस्तो, मैं युवराज, मेरी ये सेक्स कहानी न्यू भाभी की चूत की एक सच्ची घटना पर आधारित है.

आज से एक साल पहले जब मेरे पड़ोस में एक नई शादीशुदा सरोज नाम की भाभी आई थी तो मैं उसे देखता ही रह गया था.

सरोज भाभी के घर में उसकी बूढ़ी सास और पति ही था. उसका पति काम के सिलसिले में अक्सर बाहर रहता था.
वो अपने सेल्स के काम के चलते महीने में बीस दिन बाहर रहता था.

मेरे घर की छत और उसके घर साथ में ही लगी थी.
मैं रोज सुबह सुबह अपनी छत पर कसरत करता था.

अपनी शादी के एक महीने बाद ही सरोज ने निकलना शुरू कर दिया था.
वो सुबह के समय छत पर टहलने आया करती थी.

एक बार मेरी नजर पड़ी.
वो मुझे ही छिप कर देख रही थी.
मैंने समझा कि भाभी मुझसे खुलना नहीं चाहती होगी शायद इसी लिए छिप कर देख रही है.

अगले दिन फिर से वही हुआ.
भाभी अपनी छत पर बने जीने की ममटी वाले कमरे के दरवाजे से छिप कर देख रही थी.

अब मुझसे रहा न गया, मैंने उसी तरफ जाकर भाभी से राम राम की- भाभी जी, राम राम!

भाभी एकदम से सकपका गई और धीमे स्वर में बोली- राम राम भैया जी.
मैंने कहा- आप मुझसे इतना क्यों शर्मा रही हैं. मैं तो आपका देवर हूँ.

भाभी हंस कर बोली- जी देवर जी.
मैंने कहा- आपको भी सुबह सुबह की ताज़ी हवा खाने की आदत है क्या?

भाभी बोली- हां अभी मां जी सो रही थीं और आपके भैया बाहर गए हैं तो मैं सुबह छत पर टहलने आ गई थी.
मैंने कहा- तो आप टहली कहां हैं?

वो बोली- जब आप नीचे चले जाएंगे तब टहल लूंगी.
मैंने कहा- क्यों ऐसा क्यों … क्या आपको मुझसे शर्म आती है क्या?

भाभी बोली- हां अभी नई नई बहू हूँ न … तो कोई देख कर कुछ कहने न लगे. इसलिए जरा पर्दा कर रही थी.
मैंने कहा- अरे भाभी आप शरमाओ मत. मैं आज ही आपके घर पर चाची से मिलने आता हूँ.

भाभी मेरी बात सुनकर खुश हो गई और नीचे चली गई.

फिर उसी दिन दस बजे के आस पास मैं भाभी के घर चली गया.
भाभी की सास के पैर छूकर मैं उनसे राम राम चाची कहा और उनके हाल चाल पूछे.

चाची बड़ी खुश हुईं और उन्होंने अपनी बहू को आवाज लगाई- सरोज बेटा, देख तो तेरा देवर युवी आया है.
भाभी झट से आ गई.
उसने एक लोअर टॉप पहना था.
बड़ी मस्त माल लग रही थी.

शायद उसने उस वक्त अपनी चूचियों को ब्रा से नहीं कसा था, जिस वजह से सरोज की चूचियों के कड़क निप्पल उसके टॉप से साफ़ नुमाया हो रहे थे.

मैंने चाची की नजर बचा कर सरोज भाभी के कड़क निप्पल देखे और आंख दबा दी.

ये देख कर भाभी एकदम से सकपका गई लेकिन अगले ही पल उसने मुस्कान दे दी.
अब मैंने भाभी को काफी हद तक झिझकने से मुक्ति दे दी थी.

कुछ देर बाद मैं भाभी के हाथ की बनी चाय पीकर और उनकी तारीफ़ करके वापस आ गया.
दूसरे दिन छत पर भाभी पहले से ही कल जैसी ड्रेस में खड़ी थी.

मैं आया तो भाभी राम राम करने लगी.

मैंने उसके पास जाकर राम राम की तो भाभी बोली- हरामी हो.
मैंने हंस दिया और कहा- क्या हरामीपन देख लिया भौजी?

वो हंसी और उसने अपनी चूचियां हिला कर मुझे इशारा दिया कि कल क्या ताड़ रहे थे देवर जी?
मैंने कहा- अब ताड़ने वाली चीज को ही न ताड़ूंगा भौजी तो किस काम की मर्दानगी?

भाभी हंस दी और बोली- बड़े मर्द बने फिरते हो … कैसे मानूँ कि असली मर्द हो?
मैंने कहा- मर्द को समझने के लिए तो औरत को ही खुलना पड़ता है भौजी. तुम ही कुछ कहो कि मैं कैसे मर्दानगी साबित कर सकता हूँ?

भाभी मेरे लंड की तरफ देखने लगी. मैंने उसी पल अपने लौड़े को सहलाया और हाथ से ढक लिया.
वो हंसी और बोली- क्या हुआ … डर गए क्या?

मैंने उससे पूछ लिया कि तुम ऐसे खतरनाक नजर से देखोगी भौजी तो मैं तो डर ही जाऊंगा.
भाभी- क्यों मैंने ऐसे क्या देख लिया?

मैंने लंड से हाथ हटाया और कहा- क्या देख रही थी, तुम ही बताओ भौजी?
उसने कहा- मैंने तो आपकी बॉडी को देखा था. बहुत अच्छी बनाई है.
मैंने उससे पूछा- ठीक से देखना है क्या?

उसने बोला- कैसे दिखाओगे?
मैंने कहा- चलो आड़ में, दिखाता हूँ.

मैं उसकी छत पर कूद कर उसके जीने की ममटी में उसे ले आया और गेट लगा दिया.
मैंने उसी समय अपनी टी-शर्ट उतार दी.
वो देखती रह गई.

मैंने उससे कहा- छू कर देखो.
उसने जैसे ही छुआ, मैंने उसे सीने से लगा लिया.

वो बोली- कोई आ जाएगा.
मैंने कहा- कोई नहीं आएगा.

उसी समय मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से जोड़ दिया.
उसकी टी-शर्ट के ऊपर से ही मैंने उसके मम्मों को दबाना शुरू कर दिया.

वो सिहर उठी और उसकी सांसें तेज चलने लगीं.
मैंने कहा- सरू मजा आ रहा है?

वो बोली- हां कुछ मत बोलो … बस मुझे मन की कर लेने दो.

मैंने कहा- मन में क्या है?
वो बोली- मर्द की चाहत.

मैंने कहा- क्यों तेरा मर्द कुछ नहीं करता है?
वो बोली- करता होता तो गैरमर्द को देखती भी न!

मैंने कहा- अब मर्द को खा ले.
वो बोली- हां आज खा ही जाऊंगी.

मैं उसकी टी-शर्ट को ऊपर करने लगा, साथ ही उसकी गर्दन को किस करने लगा.

वो वासना से पागल होती जा रही थी, उसका हाथ मेरे लोअर की ओर जा रहा था और मेरा हाथ उसके ब्रा के हुक को खोलने की कोशिश में था.

जैसे ही उसका हुक खुला, उसकी ब्रा नीचे गिर गई और मैं उसके तने हुए मम्मों को देख कर पागल सा हो गया.

मैंने उसके मम्मों को कसके मसला और अपने होंठों में उसकी एक चूची के निप्पल को दबा लिया.

वो आह आह करके मुझे दूध चुखाने लगी.
मैं भी मस्ती से उसके दूध चूसने लगा.

दोस्तो, मुझे चूची को अपने होंठों और दांतों से काट कर खींचना पहुत पसंद है.

मैं उसकी चूची को काटते हुए खींचने लगा.
वो मदमस्त और पागल होती जा रही थी, खुद अपने हाथ से अपने दूध को पकड़ कर मेरे मुँह में दे रही थी.

अब उसका हाथ मेरे लोअर के अन्दर जाने लगा था.

उसका हाथ मेरे निक्कर के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाने लगे थे.

मैंने उससे कहा- बस सहला कर ही देखोगी या पकड़ोगी भी?
उसने मेरे निक्कर में हाथ डाला और लंड पकड़ लिया.

उसने जैसे ही मेरा लंड पकड़ा, मैंने उसे नीचे बिठा दिया.
अब मैंने अपना लोअर नीचे उतारा और मेरा लंड फनफनाते हुए उसके सामने आ गया.

वो लंड देख कर डर गई और बोली- इतना बड़ा … मैं इसे नहीं ले पाऊंगी.
मैंने कहा- वो तो तेरी चूत बताएगी.

वो लंड देखती हुई बोली- हां ये तो है. पर फट जाएगी.
मैंने कहा- आज तक कभी किसी लुगाई की चूत मर्द के लंड से नहीं फटी.

वो लंड की मुठ मारने लगी.
मैंने उससे कहा- मुँह में लेकर प्यार करो इसे!

वो बोली- हां अब से ये मेरा ही है.
ये कह कर न्यू भाभी ने अपना मुँह खोला और जीभ से लंड को चाट लिया.

मैंने उसके मुँह को पकड़ा और गाल दबा कर उसके मुँह को पूरा खोल दिया.
वो कुछ समझ पाती कि मैंने अपना लंड उसके मुँह में ठूंस दिया.

वो गपागप मेरा लंड चूसने लगी.
तभी मैंने उसके बाल पकड़ कर अपना लंड उसके गले तक उतार दिया.

वो गों गों करके हाथ फटकारने लगी; उसकी सांस रुकने लगी थी.
मैंने लंड बाहर निकाल लिया.

उसकी ढेर सारी लार मेरे लंड पर लग गई थी, इससे मेरा लंड बहुत चिकना हो गया था.

वो बोली- मार ही दिया था.
मैंने कहा- अभी कहां भौजी … चूत मारूंगा तब बताना कि क्या हुआ?

वो हंस दी और लंड पकड़ने लगी.
मैंने उसको वहीं जमीन पर लिटा दिया और उसका लोअर और पैंटी उतार फैंकी.

जब मुझे उस न्यू भाभी की सफाचट चूत के दीदार हुए, तो वो गीली हो कर महक रही थी.

मैंने चूत पर हाथ फेरा और कहा- मुंडन करके आई हो भौजी?
वो हंसी और बोली- हां, सारी रात से तुम्हारे लंड के लिए रो रही है.

मैंने कहा- अब पहले इसकी चाशनी तो चटाओ मेरी जान!
सरोज भाभी ने टांगें फैला कर चूत खोल दी.

मैंने जैसे ही उसकी चूत को चूसा, वो तेज तेज सांसें लेने लगी.

मैंने तुरंत ही उसकी चूत में दो उंगली डालीं और उसकी चूत के होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
उसकी चूत बहुत गर्म और लाल हो रही थी.

मैंने उसकी चूत में अपनी पूरी जीभ घुसा दी. वो लंबी लंबी सिसकारियां लेने लगी.
अब मेरा लंड मीनार बन चुका था.

वो भी बोलने लगी थी कि अब देर मत करो, मुझसे रहा नहीं जा रहा.

उसने मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत के मुहाने पर रख दिया.
मैंने कुछ देर तक उसकी चूत पर लंड रगड़ा और एकदम से उसकी चूत में लंड ठूंस दिया.

वो तैयार नहीं थी, एकदम से लंड घुसेड़ देने से उसकी चीख निकल गई.
मैंने झट से उसका मुँह दबा लिया और उसको तेजी से चोदने लगा.

वो दर्द से कराहने लगी और बोली- एक महीने से पति चोद रहे हैं, तब तो इतना दर्द नहीं हुआ पर तुम्हारा लंड जाते ही चूत कांपने लगी.

मैं बिना रुके उससे चोदे जा रहा था.
वो भी कामुक सिसकारियां लिए जा रही थी.

अब मैंने उसके हाथ पकड़ कर उसे खड़ा किया और एक ग्रिल के सहारे टिका दिया.

उसका एक पैर मैंने हवा में करते हुए अपने हाथ से पकड़ लिया और उसको झुका कर लंड उसकी चूत में घुसा दिया.

वो एक बार और बहुत तेज़ से चिल्ला दी.

मैं चुदाई के साथ साथ उसकी चूची को दबा दबा कर ढीली कर रहा था.
उसके दूध को पीछे अपनी तरफ करके पीने लगा.

चुदाई की आवाज इतनी तेज़ थी कि आवाज नीचे के फ्लोर तक जा रही थी.

मैंने उससे कहा- मेरा रस छूटने वाला है, माल कहां डालूं?
वो बोली- मेरे अन्दर ही डाल दो.

मैं उसे और तेजी से चोदने लगा.
अब मेरा लावा उसकी चूत में गिरने वाला था, मैंने उसे कसके अपनी बांहों में भर लिया और उसकी चूत में पूरा माल डाल दिया.

चूत से मेरा माल वापस आते हुए टपकने लगा.
मैंने उससे पूछा- कैसा लगा मेरा प्यार?

वो मुझे चूमने लगी और खुशी से अपना प्यार देने लगी.
वो बोली- आज तक की जिदंगी में सबसे अच्छा सेक्स हुआ है.

मैंने कहा- अब तो इस न्यू भाभी की चूत का मैं हमेशा का हकदार बन गया?
वो बोली- हां … जब आपका मन हो, मेरी चूत का मजा ले लेना.

इसी वादे के साथ मैं छत से वापस नीचे आ गया.

पड़ोसी अंकल का प्यार पाकर चुद गयी

 

मेरा नाम चांदनी है, प्यार से सभी मुझे चंदा कह कर बुलाते हैं.
मैं 29 वर्ष की एक शादीशुदा महिला हूँ. मेरे पति काफी हैंडसम हैं और मेरा एक दो साल का बेटा है.

मेरा वैवाहिक जीवन सुखमय चल रहा है. मेरे पति एक प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं.

मैं पति और बच्चे के साथ किराए के घर में रहती हूँ.
मेरी मकान मालकिन लगभग 45 साल की एक महिला हैं, जिनके पति कुछ साल पहले ही स्वर्गवासी हो गए थे.
उनका एक बेटा बाहर नौकरी करता है.

यहां तक तो सब ठीक था किंतु मेरे बगल वाले फ्लैट में एक महाशय जिनका नाम मोहन है, किराए पर रहने आए.
मोहन बाबू थे तो शादीशुदा … किन्तु यहां वो अकेले ही रहते थे और सरकारी नौकरी करते थे.

मोहन बाबू देखने में बहुत ही आकर्षक लगते थे.
उनकी उम्र लगभग 40 साल की लगती थी. अक्सर वो मेरे पति से बातचीत करते थे.

फिर धीरे धीरे मोहन बाबू मुझसे भी कुछ इधर उधर की बातें करने लगे थे.
आते जाते जब भी उनसे मेरी नज़र मिलती, वो मुस्करा देते थे तो मैं भी व्यवहारिक रूप से मुस्कुरा देती थी.

ऐसे ही धीरे धीरे लगभग 6 माह बीत गये.
इधर मैं नोटिस कर रही थी कि वो किसी न किसी बहाने मुझे देखते रहते थे.
उनकी आंखों को मैं समझ पा रही थी, उनका देखना अब सामान्य नहीं था फिर भी पता नहीं क्यों मुझे उनका देखना और उनसे बातें करना अच्छा लगता था.

एक तरह से कहूं तो मन ही मन मैं उनको चाहने लगी थी किन्तु लोकलाज के कारण मैं अपनी सीमा में ही रहती थी.

यहां मैं एक बात बताना चाहती हूं कि मेरे पति जब डयूटी चले जाते थे तो मैं मकान मालकिन, जिन्हें आंटी कहती थी, के साथ बैठ गपशप करके समय बिताती थी.
धीरे धीरे आंटी से मेरी हर तरह की बातें होने लगी थीं.

यहां तक कि वो मेरे और मेरे पति के बीच के अंतरंग बातों को भी कुरेद कुरेद कर सुनती थीं.

शायद उनकी विधवा की जिन्दगी में सेक्स का सुख पाना नहीं बचा था, जिस कारण वो मेरे साथ सेक्स की बातों से रस लेकर अपनी कामोत्तेजना को ठंडा कर लेती थीं.
मैं उनकी इस बात को समझती थी तो कभी कभी मैं उनके जिस्म को छेड़ कर उन्हें खुश करने की कोशिश करती रहती थी.

हालांकि मेरा उनके साथ लेस्बियन सेक्स करने का कोई इरादा नहीं था.
मगर तब भी मुझे आंटी के साथ छेड़खानी में मजा आने लगा था.

एक दिन मैं आंटी के साथ किसी गैर मर्द को लेकर बात करने लगी.
आंटी भी मूड में आ गईं.

मैंने मौक़ा देख कर आंटी के सामने मोहन बाबू की बातें करना शुरू दिया.
आंटी को कसम देकर उनका देखना, उनके प्रति मेरा आकर्षण सभी कुछ बातें बता दीं और दुबारा से वादा लिया कि वो किसी से कुछ नहीं कहेंगी.

आंटी ने भी हां कहा कि इसमें गलत क्या है, यदि तुम भी उनको चाहती हो, तो खुल कर देख कि मोहन बाबू कहां तक बढ़ते हैं.
मैंने हंस कर बात टाल दी लेकिन आंटी की बातें मुझे उत्साहित कर गईं.

उधर मोहन बाबू केवल मुझे देखने, बात करने और मुस्कुराने तक ही सीमित थे, आगे बढ़ने की उनकी हिम्मत ही नहीं हो रही थी.

इधर मेरे पति की अपने काम के प्रति बढ़ती व्यस्तता ने सेक्स को पीछे छोड़ दिया.
अब वो भी मेरे साथ हफ़्तों तक चुदाई नहीं करते थे.

उधर पति की सेक्स में बढ़ती कमी और इधर मोहन बाबू की मादक नजरों ने मेरी प्यास को बढ़ाना शुरू कर दिया.

मेरी चूत में लंड के लिए खुजली बढ़ने लगी थी.
अब मुझे किसी भी हाल में लंड चाहिए था और वो भी मोहन बाबू का लंड चाहिए था.

मेरे पति का नियम है कि वो ठीक 8 बजे सुबह ही डयूटी पर निकल जाते और वापस आने का कोई समय नहीं था.
तब भी शाम को सात से पहले कभी नहीं आए थे.

उधर मोहन बाबू सुबह 10.30 के बाद काम पर जाते थे.

मैं अब मन ही मन कुछ आगे करने की प्लानिंग करने लगी.

जैसे जैसे दिन निकल रहे थे, मेरी चूत में मोहन बाबू के लंड की प्यास बढ़ती ही जा रही थी.

एक दिन पति के जाने के बाद मैं नहाने गयी.
अभी मैंने अपने ऊपर दो चार मग पानी डाला ही था कि नल में पानी आना बंद हो गया और संयोग ऐसा कि बिजली भी गोल थी.
पानी को लेकर बड़ी समस्या हो गई थी.

मैं नंगी बाथरूम में अपनी सोच में पड़ी थी कि क्या करूं. उसी बीच मेरा हाथ मेरी चूत पर चला गया.

चूत पर हाथ गया तो चूत भभक उठी.
मेरे मन में कुछ खुराफात जागने लगी और मैंने नंगी ही बाहर निकल कर मोहन बाबू को फोन कर दिया.

उधर से मोहन बाबू की आवाज आई- हैलो कौन?
मैंने इठलाते हुए कहा- मैं बोल रही हूँ.

मोहन बाबू ने जब महिला की आवाज सुनी तो एकदम विनम्र हो गए- जी, मैं पहचान नहीं पाया. आप कौन बोल रही हैं मैडम!

मुझे बड़ी हंसी आई.
मैं नंगी तो थी ही और मेरे कान में मेरी चाहत मोहन बाबू की आवाज लंड की मस्ती घोल रही थी.

मैं एक हाथ में फोन और दूसरे हाथ को अपनी चूत में फेरती हुई मोहन बाबू के मजे लेने लगी.
मैंने कहा- अरे आप मुझे पहचान नहीं पाए? ये तो बड़ी अजीब बात है.

मोहन बाबू असमंजस में थे कि कौन सी महिला उनकी ले रही है.
मैंने इसी तरह से मोहन बाबू के साथ कुछ देर खेल खेला और उनसे कहा- अरे मैं आपकी पड़ोसन बोल रही हूँ. आप मुझसे बात करते हैं तब भी मेरी आवाज नहीं पहचान आ रहे हैं.

तब जाकर मोहन बाबू को एकदम से करंट सा लगा और वो चहक उठे- अरे चंदा जी आप … आपने मुझे फोन किया है. मैं समझ ही नहीं पा रहा था कि कौन बोल रहा है. क्षमा कीजिए. अब बताएं कि मुझे नाचीज को कैसे याद किया है?

उनकी इस भाषा को सुनकर मेरे मन में गुदगुदी होने लगी कि मोहन बाबू तो फिसलने के मोड में आ गए.

दरअसल मेरे पास उनका मोबाइल नंबर था क्योंकि मेनगेट को रात बिरात खोलने हेतु हम सबने एक दूसरे का नंबर ले रखा था.
मेरे पति ने मोहन बाबू का नम्बर डायरी में लिख रखा था, जो मुझे मिल गया था.

मैंने उनसे कहा- मोहन जी, प्लीज़ एक बाल्टी पानी दे दीजिए, मेरे बाथरूम में पानी खत्म हो गया है. मुझे नहाना है.
तो मोहन बाबू हंस कर बोले- हां हां क्यों नहीं. अभी लाता हूँ.

मोहन बाबू ने पानी की बाल्टी मेरे दरवाजे पर लाकर रखी और आवाज़ दी.

मैंने उनसे पानी की बाल्टी बाथरूम के पास रख देने का अनुरोध किया.
उस समय मैं अर्धनग्न हो गई थी यानि मैं पूरी नंगी होने की जगह ब्रा पैंटी पहन ली थी और कमर के ऊपर तौलिया लपेट ली थी.

मोहन बाबू जैसे ही बाल्टी लेकर अन्दर आए.
मैं अपने फ्लैट के दरवाजे को सटाकर खुद दरवाजे से सट कर खड़ी हो गयी.
मेरी सांसें तेज तेज चल रही थीं … मन में ऊहापोह थी कि कहीं मोहन बाबू ने मुझे नकार दिया तो मेरी बड़ी बेइज्जती हो जाएगी.

ये मेरे लिए शुक्र की बात थी कि मोहन बाबू ने मुझे देख कर मुस्कान बिखेर दी.
उनको मेरे इस तरह से खड़े होने से सिग्नल मिल चुका था.

वो धीरे से मेरे पास आए और सामने से मुझे देखने लगे.
उनकी नजरें मेरी आंखों में थीं. मेरे दोनों कबूतर उठ बैठ रहे थे.

अचानक से मोहन बाबू ने अपने हाथ आगे बढ़ाए और मेरे दोनों हाथ पकड़ लिए.
वो मुझे एकटक देखते रहे.

जब मैं कुछ नहीं बोली तो उन्होंने मेरे हाथ पकड़े पकड़े अपने होंठ मेरे होठों पर रख दिए और किस करने लगे.
मैं वासना में मदहोश हो चुकी थी, मेरी कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था.

इसी बीच मेरे बदन का तौलिया कब नीचे गिर गया, कुछ पता ही नहीं चला.
अब मैं केवल ब्रा और पैंटी में उनके सामने थी और वो मुझे बेतहाशा चूमे जा रहे थे.

वो जान गए थे कि मैं 6 माह से इस दिन के इंतजार में थी.
उनका इन्तजार भी खत्म हो गया था.

फिर वो धीरे से बोले- कैसा लग रहा है?

मैं भी कुछ बोलना चाहती थी किन्तु सांसें तेज चल रही थीं, धड़कन तेज थी.
मदहोशी की अवस्था में मुँह से शब्द नहीं निकल पा रहे थे.

तभी मोहन बाबू ने मुझे बिस्तर पर चलने का इशारा किया ‘कमरे में चलें?’
मैंने कुछ नहीं कहा और उनका हाथ पकड़ कर कमरे की तरफ बढ़ गई.

हम दोनों बेडरूम में आ गए.
मैं बेड पर लेट गयी.

मोहन बाबू मेरी ब्रा को खोल मेरी चूचियों को जीभ से चाटने लगे.
मैं पूरी तरह से गर्म हो गयी थी, मुँह से कुछ आह आह की सिसकारियां आने लगी थीं.

मेरी चूत पूरी तरह गीली हो गयी थी.
अब मन यही हो रहा था कि कब मोहन बाबू अपना लंड मेरी चूत में डाल दें और मुझे चोदना शुरू करें.

मोहन बाबू मरी रसभरी चूचियों को चाटते चूसते नीचे आ गए. वो मेरे पेट और नाभि को चाटने लगे.
फिर उन पोर्न अंकल ने मेरी पैंटी को खींच कर उतार दिया और अपनी जीभ मेरी चूत के अगल बगल घुमाने लगे.

मेरे पति मुझे चोदते जरूर थे किंतु उन्होंने कभी भी मेरी चूत को जीभ नहीं लगाई थी.
यह मेरे लिए बिल्कुल नया अनुभव था.

मोहन बाबू मेरी चूत को जीभ से चाटने लगे और बीच बीच में कसके चूस लेते थे.

उनके खींच कर चूत चूसने से मेरी तो जान ही निकल जाती थी.

कुछ देर बाद मुझमें भी हिम्मत आ गयी थी.
मैं उठ कर मोहन बाबू के लोवर के ऊपर से उनके लंड पर हाथ रख सहलाने लगी.
उन्होंने लोवर उतार दिया.

फिर मैंने उनकी अंडरवियर खींच कर नीचे कर दी.
ओह माय गॉड … इतना लंबा और मोटा लंड…!!

मैंने पहली बार इतना हब्शी लंड देखा था.
मेरे पति का भी लंड बड़ा है, किंतु इतना लम्बा मोटा नहीं है.
मुझे लगा कि ये अंकल सेक्स का पूरा मजा देंगे मुझे!

मैंने मोहन बाबू के लंड को हाथों से थोड़ी देर सहलाया.

फिर मोहन बाबू ने मुझे बेड पर लिटाया और 69 की पोजीशन में आकर चूत चाटने लगे.
मैं भी उनके लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी.

जब मैं लंड को चाटती, तो वो भी चूत को चाटते … और जब मैं कस कर लंड को चूसती, तो वो भी चूत को कसके चूसने लगते.
क्या बताऊं … बहुत ही मज़ा आ रहा था.

दस मिनट चूत चूसने के बाद अब वो उठे और सीधे मेरे ऊपर आकर लेट गए.
मुझे किस करते हुए मोहन बाबू ने अपना लंड चूत पर सैट कर दिया और हल्के हल्के से लंड आगे पीछे करने लगे.

फिर दोनों हाथों से मेरी चूचियों को कसके दबाया और मुँह को मुँह में लेकर एक मंज़े हुए खिलाड़ी की तरह एकाएक पूरी ताकत से अपना मोटा लंड, चूत में ठोक दिया.

मुँह बंद होने से मेरी आह की आवाज तक बाहर नहीं आ सकी, मैं बस तड़फ कर रह गई.

उसके बाद मोहन बाबू लंड आगे पीछे करके मुझे मस्त चोदने लगे.
मेरे पूरे बदन में आग लगी थी, मैं भी चूत उछाल उछाल कर चुदाई का मज़ा ले रही थी.

लगभग 10 मिनट तक चुदाई के बाद मुझे लगा कि अब मैं झड़ने वाली हूँ, तभी वो भी बोले कि अब मैं छूटने वाला हूँ.
तो मैं बोली- मैं भी …

फिर उन्होंने एकाएक स्पीड बढ़ा दी.
पोर्न अंकल सेक्स से मैं झड़ गयी और उनका भी गर्म गर्म ढेर सारा वीर्य मेरी चूत में भर गया.

मुझे ऐसी चुदाई का मज़ा कभी नहीं मिला था.
सच में बहुत आनन्द आया.

मोहन बाबू लंड से माल झड़ जाने के बाद जल्दी से मेरे ऊपर से उठे और जल्दी से अपने कपड़े पहन कर निकल गए.
मैं मुस्कुराती हुई महाने बाथरूम में चली गयी.

दोस्तो, मुझे लगता है कि यदि मोहन बाबू मुझे नहीं चोदते तो जीवन के एक सुख से मैं अनजान ही रहती.
खैर अब तो लगभग रोज ही मैं मोहन बाबू से चूत चुसाई का मजा और चुदाई का मज़ा लेने लगी.

Friday, 30 August 2024

प्यासी विधवा मकान मालकिन की चूत चुदाई

 

मेरा नाम राजेंद्र है. मैं राजस्थान के कोटा जिले से हूँ.
मेरी उम्र 37 साल की हो गई है.

मैं आपको अपने जीवन को सच्ची हॉट भाभी फक़ स्टोरी सुनाने जा रहा हूँ, जो मेरे साथ घटी थी.
पहले मैं एक कंपनी में काम करता था, जहां मुझे सिरोही में किसी प्रोजेक्ट के काम के लिए जाना पड़ा.
वहां काम संभालने के लिए मुझे वहीं रहना था.

वैसे तो मैंने एक होटल बुक कर लिया था मगर गांव के दौरे पर जाने के लिए मुझे गांव के नजदीक कहीं किसी कमरे की जरूरत थी, जहां से मैं कंपनी का काम संभाल सकूं.

मुझे वहां के मुख्य गांव के पास मेरे एक सलाहकार ने मुझे कमरा दिलाने में मदद की.
वो आदमी वहां का लोकल बंदा था और कंपनी का मुलाजिम था.
उसने मुझे अपने किसी रिश्तेदार के यहां एक कमरा दिलवा दिया.

उस घर में जहां मेरा कमरा था, वह छत पर था.
मेरे कमरे पर जाने के लिए जो सीढ़ी निकलती थी, वो घर के भीतर से होकर जाती थी.

यह मकान मेरे उस सलाहकार की चाची का था और उसके चाचा का निधन हो चुका था.
इस मकान में उसकी चाची सुनीता और उसका 8 साल का लड़का ही रहता था.

सुनीता कोई 30 साल की भरी हुई औरत थी. मैंने उसे जब पहली बार देखा तो मन में लगा कि ये तो चोदने लायक माल है.

मगर गांव का माहौल था, जरा सी बात पर बखेड़ा खड़ा हो सकता था और मैं वो सब नहीं चाहता था.

मैंने मन में सोचा कि अभी पहले इसे समझना चाहिए कि इसका मन क्या है. यदि ये खुद से राजी होगी, तो बिना चोदे छोड़ूंगा नहीं.
उस दिन में अपने कमरे में आ गया और खाना आदि के प्रबंध के बारे में सोचने लगा.

कुछ देर बाद जब मैं बाहर निकला तो सुनीता का लड़का आवाज देने लगा- अंकल मम्मी ने खाना बना दिया है. बस कुछ ही देर में आपके कमरे में ला रहा हूँ.

मुझे यह बाद में पता चला कि मेरे खाने की व्यवस्था भी उसी घर में कर दी गई थी.
मैंने हाथ मुँह धोया और खाने का इन्तजार करने लगा.

सुनीता का लड़का खाना लेकर आया और मैंने खाना खा लिया. सुनीता ने खाना अच्छा बनाया था.

मैं खाली बर्तन लेकर नीचे गया और उसके लड़के को आवाज देकर बर्तन दे दिए.

अब मैं सुबह ही नहाकर अपने काम पर निकल जाता था और शाम को खाना खाकर सो जाना, यह मेरी दिनचर्या थी.

पहले तो लड़का आकर मेरा खाना दे जाता था मगर अब सुनीता खुद ही खाना देने मेरे कमरे में आने लगी थी.

उसको देख कर मैं अपनी आखें सेंक लेता था. वो एक शर्मीली महिला थी और साड़ी वगैरह सलीके से पहनती थी.

कुछ दिन बाद मुझे लगा कि सुनीता को लेकर मेरी सोच गलत नहीं होनी चाहिए, ये एक अच्छी महिला है.

रविवार को मेरी छुट्टी रहती थी इसलिए मैं कहीं नहीं जाकर सुनीता के लड़के के साथ दिन भर खेलता रहता था.
शायद मेरे आने से सुनीता को भी कोई मर्द घर में रहना अच्छा लगने लगा था.

वो मुझसे बात करने लगी थी और मैं भी उससे सामान्य तौर पर बात करने लगा.

हमारी बातें अधिकतर खाने को लेकर ही होती थीं.
मैं उससे पूछ कर सब्जी वगैरह मंगवा देता था.
बाजार से कोई चीज आनी होती तो सुनीता मुझे बता देती.

रविवार को वो भी मेरे कमरे में आकर अपने बेटे के साथ बैठ जाती थी और हम तीनों बात करते हुए मन बहला लेते थे.

उस दौरान कभी भी ऐसा नहीं हुआ था कि सुनीता ने मुझे एक मर्द की नजर से देखा हो या मैंने उसकी चुदाई के बारे में कुछ सोचा हो.
हां जब वो पलट कर बाहर जाने लगती थी तब मैं जरूर उसकी गांड देख कर एक ठंडी आह भर लेता था.

अब तक इतना हो गया था कि वो मेरे साथ खुल कर बात करने लगी थी और मेरे कमरे में आने लगी थी.

एक दिन की बात है, सुबह के साढ़े आठ बजे थे. मुझे नहाना था.

मेरे बाथरूम में पानी नहीं आ रहा था इसलिए मैं बनियान और टावल पहने नीचे चला गया.
मैं नीचे गया तो मुझे कोई भी नजर नहीं आया इसलिए मैं सीधा अन्दर चला गया.

उसका बेटा शायद स्कूल चला गया था.

जैसे ही मैंने बिना आवाज किए हाथ से पर्दे को हटाया तो देखता हूं कि सुनीता के हाथ में मूली थी, जिसे वह अपनी चूत में डाल रही थी और अन्दर बाहर कर रही थी.

उसका ध्यान अपनी चूत के मजे लेने में था और सिसकारियां लेने के कारण वो मदहोश थी.

मैं उसे देखता ही रह गया.
मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया.
मैं वहीं खड़ा होकर उसे देखता रहा.

फिर अचानक से सुनीता ने दरवाजे की तरफ देखा.
उसे पता ही नहीं था कि मैं कब उसके कमरे में आ गया था.
उसकी नजरें मेरे ऊपर पड़ीं और वो एकदम से अकबका गई.

उसी समय मैं पलट गया और कमरे में आ गया.

थोड़ी देर के बाद सुनीता मेरे कमरे में आई.
तब तक मैं बेड पर लेटा उसी के बारे में सोच रहा था.

मेरा लंड सुनीता के बदन को देख कर अभी तक खड़ा हुआ था.
सुनीता मेरे कमरे में आकर खड़ी हो गई.

उसे आया देखकर मैं बेड से उठ खड़ा हुआ.
मेरा लंड एकदम सीधा खड़ा था और उसी अवस्था में सामने को निकला हुआ था.

सुनीता मेरे खड़े लंड को देखती हुई बोली- आप मुझे गलत मत समझिएगा. मेरी पति को गुजरे हुए बहुत साल हो गए, तब से मैं तड़प रही थी इसलिए समाज के डर से मैं खुद को ऐसे शांत कर लेती हूं. आप किसी से यह बात मत बोलिएगा वरना मेरी बदनामी होगी.

यह कहते हुए उसका ध्यान मेरे खड़े हुए लंड पर ही लगा था और वो लंड को ही देख रही थी.
जैसे ही वो अपनी बात खत्म करके जाने लगी.

मैंने कहा- सुनीता तुम बहुत खूबसूरत हो.
वो पलट कर मुझे देखने लगी और उसके होंठों पर हल्की से मुस्कान आ गई.

मैंने उससे कुछ नहीं कहा और आगे बढ़ कर उसके नजदीक आ गया.
वो भी ठिठक कर खड़ी हो गई थी और उसकी सांसें तेज तेज चल रही थीं.

मैंने उससे कहा- क्या हम दोनों प्यार कर सकते हैं?
वो चुप थी मगर मैं रुकने वाला नहीं था.

मैंने उससे प्यार करने की कह कर उसका हाथ पकड़ा और उसे अपनी बांहों में खींच लिया.
वो भी कटी डाल की तरह मेरे सीने से आ लगी. हॉट भाभी फक़ के लिए तैयार थी.

मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
वो तो मुझसे लता सी ऐसी लिपट गई मानो इसी बात का इंतजार कर रही हो.

हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर चुम्बन का मजा लेने लगे थे.
वो मेरे साथ एकदम बिंदास लिपटी थी. हमारे होंठ जुड़े हुए थे तो आवाज तो आ ही नहीं रही थी, बस गर्म सांसों की गर्मी ही हम दोनों को उत्तेजित किए जा रही थी.

कुछ देर बाद मैंने उसके मुँह में जीभ डाल दी तो वो मेरी जीभ को चूसने लगी और हमारी आंखें मुंद गई थीं.

करीब दस मिनट तक हम दोनों के बीच चुम्बन चला, फिर हम दोनों अलग हुए और एक दूसरे को देखने लगे.

हमारे बीच मौन सम्वाद चल रहा था; चुदाई की सहमति बन चुकी थी.

मैं उसे लेकर बेड पर आ गया और उसके मुलायम मम्मों को उसके कपड़ों के ऊपर से ही दबाने लगा.

मुझसे सब्र नहीं हो रहा था इसलिए मैंने उसके ब्लाउज के बटन खींच कर ब्लाउज के दोनों सामने खोल दिए.
उसने अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी, जिस वजह से उसके दोनों मम्मे एकदम से उछल कर बाहर आ गए.

मैंने मम्मों को देखा और एक को मुँह में भर कर चूसने लगा.
सुनीता जोर जोर से सांस लेने लगी और मेरा साथ देने लगी. वो खुद भी चुदासी थी और इतने दिनों से मेरे लंड से चुदवाने के चक्कर में थी.

वो मुझे अपने दोनों मम्मों का रस बारी बारी से पिलाने लगी.
उसे खुद भी अपने दूध चुसवाने में मजा आ रहा था.
सालों बाद किसी मर्द ने उसके दूध चूसे थे.

वो धीमी आवाज में बोली- अब आगे भी बढ़ो न. मेरे कपड़े उतार दो.
मैं एक एक करके उसके कपड़े खोलने लगा.

सुनीता भी मेरा साथ देने लगी और बेड से उठ कर खुद ही अपनी साड़ी अलग करने लगी.
साड़ी उतार कर उसने मुझे अपने पास खींच लिया.

मैंने खड़ी हुई सुनीता के घाघरे में हाथ डाला और उसकी आग छोड़ती चूत को छुआ तो वो बिल्कुल गीली हो चुकी थी.
मैंने उसके घाघरे के नाड़े को ढीला कर दिया तो उसका घाघरा नीचे गिर गया.
नीचे उसने पैंटी भी नहीं पहनी थी.

वो अब मेरे सामने पूरी नंगी थी, उसके अधखुले ब्लाउज को भी मैंने उतार कर अलग कर दिया और उसे अपनी गोदी में बिठा लिया.

सुनीता ने मेरी बनियान उतार दी और मेरा लंड को पकड़ लिया.

मैं उसे बिस्तर पर लेटा कर उस पर चढ़ गया और उसके एक दूध को पकड़ कर पीने लगा, उसका पूरा दूध अपने मुँह में भर कर चूसने लगा.
जिससे वो कामुक सिसकारियां लेने लगी और मेरे बालों में हाथ फेरने लगी.

मैं सुनीता के जिस्म को चूम रहा था, जिसका वो मजा ले रही थी.
अब सुनीता ने हाथ बढ़ा कर लंड को पकड़ा और नीचे बैठ गई.

मेरी चड्डी नीचे खींच कर उसने मेरे लंड को मुँह में भर लिया.
मैं तो जैसे स्वर्ग में पहुंच गया.

कुछ देर वो लंड चूसती रही.

अब हमारे बदन मिलन को तैयार थे.
मैंने देर न करते हुए सुनीता को पकड़ लिया और उसके ऊपर आकर उसकी चिकनी चूत पर अपना लंड टिका दिया.

सुनीता की चूत पहले से पानी पानी थी, मेरे एक धक्के में ही लंड चूत में फच की आवाज के साथ अन्दर घुसता चला गया.

उसकी तेज चीख निकल गई.
मैंने झट से उसके होंठों पर अपने होंठ रखे और उसकी आवाज को दबा दिया.

हम दोनों ने एक दूसरे को बांहों में कस लिया.
वो काफी दिन बाद लंड ले रही थी तो चूत कस सी गई थी.

बाद में सुनीता ने बताया कि मेरा लंड उसके पति से काफी बड़ा था, जिस वजह से उसकी आवाज निकली थी.

धीरे धीरे करके मैं लंड पेलता गया और सुनीता की चूत ने लंड को चूत में जज्ब कर लिया.

दस मिनट तक मैं चूत में ठोकर मारता रहा ओर सुनीता के नितंबों से मेरी जांघें टकराने की आवाज सुनाई देती रही.
थोड़ी देर के बाद मैंने सुनीता को गोद में बैठा कर लंड पर बैठा लिया और नीचे से चोदते हुए उसके मम्मों को चूसने लगा.

फिर घोड़ी बना कर सुनीता की भट्टी को ठंडा कर दिया और हम दोनों लिपट कर बेड पर आ गए.
थोड़ी देर बाद सुनीता उठ कर नीचे चली गई और मैं सो गया.

अब सुनीता रोजाना अपने बेटे को स्कूल भेजने के बाद मेरे कमरे में आ जाती थी और हम दोनों चुदाई का मजा लेने लगे थे.
ये थी मेरी रियल सेक्स स्टोरी.

नई कॉलोनी की पड़ोसन भाभी की चूत चुदाई

 मेरा नाम दीपक है और मैं जयपुर का रहने वाला हूँ.

आज से 2 साल पहले ये कहानी शुरू हुई थी.

उस वक्त हमने नया घर लिया था और जहां पर हमने नया घर लिया वह कॉलोनी एकदम खाली थी.
उस वक्त वहां बहुत कम लोग रहते थे.

मैं वहां अकेला बोर हो जाता था और सोचता रहता कि कैसी जगह घर लिया है, जहां कुछ नहीं है.

फिर अचानक ऐसा हुआ, जिसने मेरी सोच बदल दी.
हुआ यूं कि हमारे पास में एक खाली प्लाट था, जिसे एक पंजाब के किसी आदमी ने खरीदा था.
वहां मकान बनाने का काम शुरू होना था.

उन्होंने प्लाट पर काम शुरू होने से लेकर खत्म होने तक के लिए वहीं एक मकान किराए पर ले लिया और मेरे बाजू वाले उस मकान में रहने लगे.

उस फैमिली में तीन मेंबर थे. भैया का नाम हर्ष था और भाभी का नाम अविषा था. उनका एक छह साल का बच्चा अतुल भी था.
पंजाबी भाभी की उम्र कुछ 33 साल होगी और उनका फिगर 36-30-38 का था.

अविषा भाभी के बारे में मैं क्या बताऊं, उनके बारे में मैं जितना बोलूँ, उतना ही कम है.
वो सुंदरता की देवी थीं, जिनको देख कर ही कोई भी पागल हो जाए.
उनको जब पहली बार देखा, उस दिन से मैं बस उन्हीं के बारे में सोचने लगा था.

मैं रात दिन बस सेक्सी पंजाबी भाभी चुदाई के सपने देखता रहता और लंड हिला कर कब सो जाता, कुछ पता ही नहीं चलता.

उस दिन भी ऐसा ही हुआ.
मैं दोपहर का खाना खाकर भाभी के सपने देखता हुआ लंड हिलाने लगा और सो गया.

जब शाम को मेरी नींद खुली तो अविषा भाभी हमारे घर पर आई हुई थीं, वो मेरी मम्मी से बातें कर रही थीं.

उनको ऐसे अपने घर पर आया देख कर मुझे झटका सा लगा और विश्वास ही नहीं हुआ कि ये सपना है या हकीकत.

बाद में मम्मी ने मुझे बताया कि ये लोग अपने पास घर बना रहे हैं और अविषा जी मुझसे बात करने के लिए आई हैं कि इनकी कोई जरूरत हो तो हम इनकी मदद करें.
भाभी ये सब सुन रही थीं और मेरी तरफ देख रही थीं.

मैंने मम्मी की बात सुन कर एकदम से बोल दिया- हां जरूर भाभी जी, आपको कभी भी किसी भी चीज की जरूरत हो तो बेहिचक बोल दीजिएगा.
भाभी जी ने मुस्कुरा कर थैंक्यू कहा.
उनकी मुस्कान देख कर मेरा दिल बाग़ बाग़ हो गया.

फिर उन्होंने हमारे पास में ही अपना नया घर बना लिया.
मकान बनने में काफी समय लगा.
उस दौरान भाभी काफी बार हमारे घर आती थीं और जब दिन में घर का काम चलता था, तो सारा दिन हमारे घर पर ही रहती थीं.

उनका बेटा अतुल मेरे साथ ही खेलता रहता था और भाभी से भी मेरी अच्छी दोस्ती हो चुकी थी.
हम दोनों आपस में हर बात साझा कर लेते थे.

फिर बात तब की है जब मेरे मम्मी पापा नानी के घर गए हुए थे और मैं घर में अकेला भाभी को याद करके एक मस्त ब्लू फिल्म देख रहा था.
तभी दरवाजे की घंटी बजी.

मैंने पूछा- कौन?
उधर से अविषा भाभी की आवाज़ आयी- मैं हूँ.

मैंने बोला- हां अन्दर आ जाओ भाभी.
जब वो आईं, तो बोलीं- हमारा टीवी नहीं चल रहा है, जरा देख लो.

मैंने उनके घर जाकर देखा तो पता चला कि उसका रिचार्ज खत्म हो चुका था.
उनको मैंने बोला कि मैं रीचार्ज कर देता हूं.

मुझे याद आया कि मैं अपना मोबाइल तो अपने रूम में ही छोड़ आया हूँ.
मैंने भाभी से कहा कि प्लीज आप ले आओ.

जब मैं ब्लू फिल्म देख रहा था तो भाभी के आने से मैंने फ़िल्म बन्द नहीं की थी.
शायद जल्दबाजी में ऐसा हुआ था. मैंने सीधा बंद कर दिया था.

मैं अपने मोबाइल में कोई लॉक का पासवर्ड या पैटर्न नहीं रखता हूँ.

भाभी जब मेरा मोबाइल लेने गईं तो उन्हें वापस आने में थोड़ा टाइम लगा.

जब वो आईं तो उनके चेहरे पर कुछ अजीब सी स्माइल थी.
शायद उन्होंने फिल्म देख ली थी.

वो मुझे मोबाइल देती हुई बोलीं- दीपक जी, आप तो छुपे रुस्तम निकले!
मैंने पूछा- क्या हुआ भाभी?

मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि उन्होंने मेरे मोबाइल में कुछ स्पेशल देख लिया है.
मैं समझ गया कि भाभी को चुदाई की फिल्म ने मजा दे दिया है.

मैंने झेम्पते हुए कहा- अरे भाभी, वो तो ऐसे ही!
भाभी ने एकदम से पूछ लिया- गर्लफ्रेंड की याद में देख रहे थे ना?

ये सुन कर मैं एकदम से चौंक गया और हकलाते हुए बोला- न..नहीं.. नहीं भाभी जी … ऐसी कोई बात नहीं.
अब मैं उनसे नज़रें नहीं मिला पा रहा था.

भाभी ने कहा- अरे यार शर्माओ मत, कोई बात नहीं, इस उम्र में ऐसा होता है.
फिर उन्होंने पूछा- गर्लफ्रेंड से मिलते हो क्या?
मैंने कहा- भाभी जी, मेरी कोई गर्लफ्रेंड ही नहीं है, तो मिलूंगा किस से?

भाभी बोलीं- क्यों नहीं है आपकी गर्लफ्रेंड?
मैंने कहा कि अभी तक कोई मिली ही नहीं.
भाभी बोलीं- मैं कुछ हेल्प कर सकती हूं क्या … मुझे बताओ कैसी चाहिए?

मैंने सीधा बोल दिया कि भाभी आपके जैसी होनी चाहिए.
भाभी हंस कर बोलीं- मेरी जैसी क्यों … आखिर मुझमें ऐसा क्या ख़ास है?

मैंने कहा- भाभी आप में ऐसा क्या कुछ नहीं है … वो तो मैं ही जानता हूँ.
इस पर भाभी बोलीं- मतलब?

मैंने बोल दिया- भाभी आप बहुत सेक्सी हो … और जब से आप इधर रहने आई हो, उसी दिन से मैं आपको पसंद करता हूँ. लेकिन आपसे बोलने में डरता था.
उन्होंने भी अपने होंठ काटते हुए कहा- आप भी मुझे बहुत अच्छे लगते हो.

ये सुनकर पता नहीं मुझे अचानक से क्या हुआ कि मैंने एकदम से भाभी को गले से लगा लिया और उनको किस करने लगा.
शायद वो मेरी अचानक हुई इस हरकत के लिए तैयार नहीं थीं तो सकपका गईं.

फिर धीरे धीरे वो भी मुझे किस करने लगीं और दस मिनट तक हम एक दूसरे के होंठों को चूसते रहे.
उनके बेटे के स्कूल से वापस आने का समय हो गया था तो भाभी ने मुझे बताया.
मैं मन मसोस कर भाभी से अलग हो गया.

फिर भाभी इठला कर बोलीं- आज आपके भैया कुछ काम से दिल्ली गए हुए हैं, तो रात को मेरे घर पर आ जाना और खाना भी यहीं खा लेना.
मैंने कहा- और रात को यहीं सो भी जाऊं न?
भाभी ने आंख दबाई और कहा- सोने के लिए नहीं बुला रही हूँ.

तो मैं समझ गया कि सेक्सी पंजाबी भाभी चुदाई के लिए बुला रही हैं.

मैं अपने घर आ गया और अपने लंड को अपने हाथ से शांत करके खुशी में सो गया.
जब रात को जागना है तो सोने में ही भलाई थी.

जब रात को मैं भाभी के घर गया तो भाभी का लड़का अतुल सो चुका था.
भाभी टीवी देख रही थीं और उन्होंने ब्लैक कलर की मैक्सी पहन रखी थी जिसमें वो कामदेवी लग रही थीं.

हम दोनों ने साथ में खाना खाया और रूम में आ गए.
रूम में जाते ही मैं भाभी को पकड़ कर किस करने लगा और वो भी साथ देने लगीं.

कुछ मिनट किस करने के बाद मैंने भाभी को बेड पर सीधा लेटाया और उनको ऊपर चढ़ कर उन्हें किस करने लगा.

धीरे धीरे मैंने भाभी की मैक्सी उतार दी.
अब भाभी का गोरा बदन मेरे सामने था, लाल रंग की ब्रा पैंटी में भाभी कयामत माल लग रही थीं.

मैं भाभी के बूब्स चूसने लगा और धीरे धीरे नीचे आता हुआ उनके पेट में उनकी नाभि में जीभ फेरने लगा.
भाभी की सिसकारियां पूरे कमरे में तेज तेज गूँजने लगीं- इस्स आह दीपक … और चूस लो मेरी चूचियों को!

फिर मैंने उनकी पैंटी में हाथ डाला तो महसूस किया कि अन्दर गीला हो रखा है.

मैंने झट से भाभी की चूत में अपनी उंगली को डाल दिया.
चूत गीली होने की वजह से उंगली सट से चिकनी चूत के अन्दर हो गई.
भाभी की एक आह निकल गई.

फिर मैंने भाभी की पैंटी उतार दी और उनकी दोनों टांगों के बीच में आकर उनकी चूत पर जीभ लगा कर चाटने लगा.

यह मेरा पहली बार था तो उनकी चूत से भीनी भीनी खुशबू मुझे मदांध कर रही थी.
चूत का टेस्ट नमकीन लग रहा था.

फिर भाभी ने मुझे अलग किया और मेरे कपड़े उतार दिए.
मेरा 6 इंच का लंड देख कर पागल हो गईं.
उन्होंने मेरे लंड को मुँह में ले लिया और लंड चूसने लगीं.

फिर हम लोग 69 की पोजीशन में आ गए और लंड चूत की चुसाई का मजा लेने लगे.

इस बीच भाभी एक बार झड़ चुकी थीं.
मैं उनकी चूत चाटता रहा तो वो फिर से चार्ज हो गईं.

भाभी बोलीं- अब जल्दी से अपने लंड को मेरी चूत में अन्दर डाल दो.
मैंने भी देर न करते हुए उनकी दोनों टांगों को खोला और उनकी चूत के मुहाने पर अपना लंड टिका दिया.

कुछ देर चूत की फांकों में लंड के सुपारे को घिसा और भाभी की आंखों से आंखें मिलाईं.

भाभी की आंखों में चुदाई का नशा दिखाई दे रहा था.

मैंने अपनी आंख दबाई और हल्का सा धक्का लगा दिया.
मेरा आधा लंड अन्दर घुसता चला गया.

भाभी एकदम से चीख उठीं- अअह मर गई आह!
मैंने पहली बार अपना लंड चूत में डाला था तो मुझे ऐसा लग रहा था जैसे किसी गर्म भट्टी में मैंने पना लंड डाल दिया हो.

कुछ देर तक मैं धीमे धीमे झटके देता रहा, फिर ताबड़तोड़ चुदाई का खेल शुरू हो गया.

करीबन दस मिनट में मेरा रस निकलने वाला हो गया था.
मुझे पता ही नहीं चला, एकदम से भाभी की चूत में सारा माल निकल गया और मैं भाभी के ऊपर ही लेट गया.

मैं उनको किस करने लगा, उनकी जीभ को चूसने लगा.

कुछ देर बाद भाभी बाथरूम में गईं और चूत साफ करके आ गईं.
मैं भाभी को फिर से किस करने लगा और उनकी चूत पर हाथ फिराने लगा.

मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और फिर से चुदाई का संग्राम होने लगा.
उस रात हमने दो बार और चुदाई की.

उसके बाद से मैं जब तब भाभी को चोदने लगा था.
भैया का कम बढ़ गया था तो वो आए दिन शहर से बाहर रहने लगे थे.
अतुल भी स्कूल में ज्यादा समय के लिए जाने लगा था.

तो मैंने कुछ ऐसा सिस्टम बना लिया था कि अतुल के स्कूल जाने के बाद मैं अपने घर में कोचिंग जाने के बहाने से निकल जाता था.

जिस दिन भैया के बाहर रहने से भाभी का चुदने का मन होता था उस दिन वो मेरी मम्मी से किसी रिश्तेदार के घर जाने की बात कह कर निकल जाती थीं.
हम दोनों अपने अपने घर से बाहर निकल जाते और पीछे के रास्ते से घर में वापस आ जाते थे. उसके बाद से हम दोनों का चुदाई समारोह शुरू हो जाता था.

कुछ समय बाद उनके घर में कुछ आर्थिक दिक्कत होना शुरू हो गई थी जिस वजह से भाभी अपना मकान बेच कर अपने गांव चली गयी.

लेकिन अब भी वो मुझे बुलाती हैं और मैं उनके पास चला जाता हूं. उधर हम दोनों खूब चुदाई करते हैं.

चुदाई के चाव में कुंवारी बुर की सील तुड़वाई

 

दोस्तो, मेरा नाम विनोद है. मैं राजस्थान के अलवर जिले में एक छोटे से गांव में रहता हूं.
गांव में मेरी फुटवियर की दुकान है जिससे मेरा गुजारा चल जाता है.

मेरे परिवार में मेरे मां, बाबा, पत्नी रम्या और मेरी एक मुँह बोली बहन अन्नू रहते हैं.

मेरी शादी अभी 2 साल पहले ही हुई थी.
मेरी दो बहनें और हैं, जिनकी शादी बहुत पहले हो गई थी.
वो अपने ससुराल में रहती हैं.

कहानी शुरू करने से पहले बता दूँ कि ये सेक्स कहानी कोरी कल्पना है, इस कहानी के सभी किरदार भी केवल पसंद के नाम के अनुसार काल्पनिक चुने गए हैं. किसी भी प्रकार की परिस्थिति इस कहानी को सच नहीं बनाती है.

देसी गर्ल सेक्स कहानी को सच्ची प्रतीत करने के लिए ही जीवंत किरदार बनाए गए हैं और बड़ी होने के कारण मैं इसको कुछ भागों में आपके सामने पेश करूंगा.

मेरी मां के एक मुँहबोले भाई हैं, जो यहीं हमारे गांव में काम करते हैं.
आर्थिक तंगी के कारण वो रहते हमारे घर ही हैं. उनकी दो बेटियां शुरू से ही यहीं रहती थीं.

बड़ी वाली का नाम सुमन है और छोटी वाली का नाम अन्नू है.
सुमन स्कूल की पढ़ाई के बाद पुनः अपने गांव चली गई और अन्नू अब भी यहीं रहती है.

दोनों बहनें एक दूसरे से दिखने और स्वभाव में अलग अलग हैं.
सुमन दिखने में भरी पूरी है जबकि अन्नू पतली है, पर देखने में सुंदर है.

सुमन शुरू से बिंदास टाइप है, लेकिन अन्नू उसके उलट शर्मीली है.

मैं, सुमन और अन्नू शुरू से ही साथ ही रहते थे. साथ खाना, साथ खेलना, साथ सोना, यहां तक कि साथ नहाना.

तीनों में मैं बड़ा था तो अक्सर मैं ही उनको नहलाता था.
लेकिन तब इतनी समझदारी नहीं थी.
मैं उनको हर जगह छूता था, लेकिन उससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता था और न ही उन दोनों को.

फिर अब जब हम बड़े हो गए तो सब अलग अलग नहाने लगे.

मैं और सुमन एक दूसरे से बातों में पूरे खुले थे.
अक्सर मैं और सुमन अन्नू को चिड़ाते रहते के लिए एक दूसरे के अंगों को हाथ लगाते थे, तो वो शर्मा कर वहां से चली जाती या फिर नीचे गर्दन कर लेती.
और हम दोनों उस पर हंसने लग जाते.
लेकिन अन्नू किसी को ये सब बताती नहीं थी.

आज जब सोचता हूं तो पता चलता है कि हम तीनों में सबसे समझदार वो ही थी.

छोटी होने के बावजूद उसको ये पता था कि ऐसी बातें किसी को बताते नहीं हैं.
वैसे हम ऐसा सब कुछ इसलिए करते थे क्योंकि इस समय हम ये सब समझते नहीं थे.

अन्नू कुछ ज्यादा ही शर्मीली थी तो उसको चिढ़ाने के लिए ही ये सब करते थे.
अक्सर खेलते टाइम, नहाते टाइम भी हम उसको बहुत चिड़ाते थे.

ये समय बहुत जल्दी आगे बढ़ गया और मेरी मामी जी की तबियत खराब रहने लगी.
जिस वजह से सुमन को अपने गांव ही जाना पड़ा.
आगे की पढ़ाई उसने वहीं से की और अब उसकी शादी भी हो चुकी है. उसको अब एक लड़का भी है.

सुमन और मैं एक दूसरे के साथ सारी बातें शेयर करते हैं.
पहले हम नॉनवेज बातें कुछ लिमिट तक शेयर करते थे, बाद में एक बार ऐसा मौका आया, जिसके बाद हम हर बात बिंदास शेयर करने लगे.

अन्नू अब भी हमारे साथ ही है.
अब घर में हम दोनों ही थे तो हम दोनों साथ रहने लगे.

मैंने उसे चिड़ाना भी बंद कर दिया था. तो वो भी मेरे साथ अच्छे से रहने लगी थी.

अब मैं वो घटना बता रहा हूं, जिसके बाद मैं और सुमन एक दूसरे से सभी बातें शेयर करने लगे थे.

एक बार में देर रात मामा जी के घर गया था, तो वहां खाना खाकर मैं सोने चला गया.
तब सुमन मेरे पास आई.

इस बार मैं कोई चार पांच साल बाद मामा जी के घर आया था तो सुमन से भी अभी मिला था.
वो अब एक जवान भरी पूरी लड़की बन चुकी थी.

मैं तो उसे देखते ही रह गया था.
उसकी छाती इतनी अधिक फूल गई थी कि उसकी कुर्ती से बाहर आने की कोशिश कर रही थी.

उसकी बड़ी बहन भी उस दिन घर आई हुई थी.
उसका नाम संगीता था, दिखने में वो सुमन से ज्यादा गोरी थी, बस पतली थी. उसकी साइज भी औसत थी.

संगीता की शादी 7 साल पहले हो चुकी थी, उसको कोई बच्चा नहीं था; देखने में वो अब भी 18–20 साल की लग रही थी.

वो भी मेरे पास आकर बैठ गई.
हम तीनों बहुत देर तक बातचीत करते रहे.

फिर संगीता को नींद आने लगी तो वो हम दोनों को छोड़ कर सोने चली गई.
मैं भी बिस्तर पर लेट गया और सुमन को भी वहीं सो जाने को बोला लेकिन सुमन ने मना कर दिया.

मैंने कारण पूछा तो वो बोली- अब हम बड़े हो गए हैं, हम दोनों एक साथ नहीं सो सकते.
मैं समझ गया कि ये अब खेली खाई लड़की है.

मैंने उससे अनजान बनते हुए पूछा- ऐसी क्या बड़ी हो गई … उतनी ही तो है.
ऐसा बोलते हुए मैंने उसके हाथ को पकड़ कर मेरे पास खींच लिया.

मैं पीठ के बल लेटा हुआ था और वो मेरे ऊपर पेट के बल आ गिरी.
पहली बार मुझे उसके बूब्स का कोमल अहसास हुआ, लेकिन सुमन को गिरने के कारण दर्द हुआ.

वो धीरे से कराह उठी.

मैंने उससे पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- चोट लगी मुझको!

मैंने पूछा- कहां लगी चोट?
तो वो शर्माने लगी.

मैंने जोर देकर पूछा तो उसने अपने बूब्स पर हाथ रख कर बताया.
तो मैं बोला- ला मैं दबा देता हूँ. दर्द अभी ठीक हो जाएगा.

ये कहते हुए मैंने अपने दोनों हाथ उसके दोनों मम्मों पर रख दिए और उनको दबा दिया.
जिंदगी में पहली बार मुझे किसी लड़की के बूब्स दबाने का मौका मिला था.

मेरे लिए वो अहसास बहुत ही कीमती था.
लेकिन फिर भी मैं अनजान बनते हुए बोला- सुमन, तेरे तो ये बहुत ज्यादा बड़े हो गए, पहले तो नहीं थे इतने बड़े.

वो शर्माती हुई बोली- तभी तो बोला था न कि हम बड़े हो गए.
मैं फिर भी अनजान बनते हुए बोला- बड़ा तो मैं भी हुआ हूं लेकिन मेरे तो ये इतने बड़े नहीं हुए हैं.

तो वो शर्माती हुई बोली- तुम्हारे ये नहीं कुछ और बड़ा होता है.
तो मैंने पूछा- तेरे को कैसे पता, तूने कुछ और बड़ा होता है ये देखा है क्या?

अब वो शर्माने लगी और कुछ नहीं बोली.
मैंने फिर से उसको मेरे पास बिस्तर पर सुला लिया.

अब हम दोनों के मुँह आमने सामने थे.
सुमन शर्मा रही थी.

मैं उससे बोला- मुझे सब पता है, बस मैं जानने की कोशिश कर रहा था कि तुम्हें भी इन सब के बारे में पता है या नहीं, लेकिन लगता है तुम तो इस खेल को खिलाड़ी हो गई हो.
इतना सुनते ही उसने शर्म से गर्दन नीचे कर ली.

मैंने अपनी उंगलियों से उसकी ठोड़ी को पकड़ कर उसका चेहरा ऊपर उठाया और कहा- क्या ऐसा कुछ है, जो तुम मुझे बताना चाहो?
तब उसने कुछ संशय से मेरी आंखों में देखा.

मैं समझ गया कि वो डर रही है.
मैंने उससे कहा- हम दोनों बचपन के दोस्त हैं और दोस्तों में सीक्रेट आउट नहीं होते. मैं तुम्हें किसी भी बात के लिए जज नहीं करूंगा.

वो हिम्मत करके बोली- मुझे शर्म आ रही है, तुम किसी से नहीं कहोगे न?
मैंने उससे वादा किया कि मैं किसी को कुछ भी नहीं बताऊंगा.

दोस्तो, यह कहानी भी मैं उसको पूछ कर ही लिख रहा हूं. आगे की कहानी आप उसी की जुबान सुनिए.

दोस्तो, मेरा नाम सुमन है. मेरा पूरा परिचय आपको मेरे भाई ने लगभग दे ही दिया है.
इसके अलावा मैं दिखने में ठीक हूं, फिगर और रूप किसी साधारण इंसान को लंड हिलाने पर मजबूर कर सकता है.

मेरी 10वीं तक की पढ़ाई मेरी बुआ के घर यानि मेरे भाई के घर हुई. उसके बाद की पढ़ाई मेरे गांव में हुई थी.

जब मैं यहां गांव आई, तब सभी दोस्त और जान पहचान वाले पीछे ही छूट गए थे.
मेरे गांव में मेरे लिए सब नए थे क्योंकि मैं शुरू से ही बुआ के घर रही थी.

यहां केवल मेरे जानने वालों में मेरी बहन थी, जिससे मैं बातचीत कर सकती थी.
गर्मी की छुट्टी खत्म होने के बाद पापा ने मेरा एडमिशन गांव के ही एक स्कूल में करवा दिया.

पढ़ने में मैं इतनी अच्छी नहीं थी तो मैंने आर्ट्स सब्जेक्ट लिया था.
शुरू शुरू में मुझे स्कूल में परेशानी हुई … यहां मेरा कोई दोस्त या कोई जान पहचान वाला नहीं था.

बस स्कूल के बाद मेरी दीदी से मिलने के बाद मुझे कुछ सुकून मिलता.
मेरी दीदी उस समय पास के शहर में कॉलेज कर रही थीं.

मेरा घर मेन रोड पर ही खुलता है, सामने ही बाजार है. घर के बाहर बैठने का चबूतरा बना हुआ है.
मैं अक्सर वहीं आकर बैठ जाती हूँ और आते जाते लोगों को व चहल-पहल को देखती रहती हूं.

ऐसे ही एक दिन स्कूल की छुट्टी थी, मैं बाहर बैठी हुई थी तो मुझे देख कर मेरी बहन भी अपना काम पूरा होने के बाद वहीं आकर बैठ गई.
हम दोनों अक्सर वहां बैठ कर बातें करते थे.

हम दोनों शुरू से दूर थीं तो दोनों में पटती भी अच्छी थी और एक दूसरे से लड़कों वाली बातें भी खुल कर कर लेती थीं.

उस दिन वो खुश नजर आ रही थी, तो मैंने उससे खुश होने का कारण पूछा.
उसने बताने में आना कानी की.

मुझे शक था कि मेरी दीदी का कहीं न कहीं चक्कर चल रहा है, लेकिन वो मुझे बताती नहीं थी.

उस दिन मैंने थोड़ा जोर लगाकर पूछा तो भी उसने नहीं बताया.

मैंने उसे चिढ़ाने के लिए यूं ही बोल दिया- मेरा एक ब्वॉयफ्रेंड है और मैंने उसके साथ सब कुछ किया है. तू मुझसे बड़ी है और अभी तक कोई लड़का नहीं पटाया.
वैसे मैं कभी किसी लड़के के साथ नहीं रही.
स्कूल में भी मेरा पहला मौका था.

बुआ के वहां मैं गर्ल्स स्कूल में पढ़ती थी.

मैंने जैसे ही दीदी को ये कहा, तो उसको वो चैलेंज सा लगा.
वो बोली- तेरे को किसने बोला मेरा ब्वॉयफ्रेंड नहीं है और मैंने ये सब कुछ नहीं किया?

मैंने कहा- मुझको किसी ने नहीं कहा मगर किसी ने ये भी नहीं कहा कि तूने सब कुछ किया है.
तब उसने मेरे को अपने बॉयफ्रेंड और उसके साथ सभी रिश्तों के बारे में बताया, जो मैं आपको फिर कभी और बताऊंगी.

उसने मुझसे अपने ब्वॉयफ्रेंड और मेरे रिश्ते के बारे में पूछा, तो मैं कुछ सोच नहीं पाई क्योंकि मेरा कोई ब्वॉयफ्रेंड नहीं था.
तो मैं यूं ही सामने देख रही थी.

सामने की दुकान पर एक लड़का काम कर रहा था. वो दिखने में ठीक ठाक था.
तो मैंने उसी समय एक कहानी बनाई और उस लड़के के लिए बोल दिया.

दीदी ने उसको देखा और पूछा- तू इससे कब मिली?
मैंने बोल दिया- पिछली बार छुट्टियों में जब गांव आई थी, तब मिली थी. तब हमारे बीच दोस्ती हो गई थी.

दीदी ने जिज्ञासु टाइप में सीधे ही पूछ लिया- इसके साथ सेक्स कब किया?
अब मेरे लिए ये भी मुसीबत थी तो बोल दिया कि इस बार जब आई थी, तब हुआ था.

उस टाइम मैंने दीदी को कैसे जैसे करके टाल दिया.
अब उस लड़के को तो मैं जानती भी नहीं थी कि ये कौन है. इसलिए मैंने दीदी को चूतिया बना कर उधर से अन्दर चली गई.

उन दिनों मेरा वो ही रूटीन था. घर, स्कूल और चबूतरे पर बैठना.

शुरू के कुछ दिन बीत गए.
मुझे स्कूल में कुछ भी अच्छा नहीं लगता था.
मेरा कोई दोस्त भी नहीं था.

हमारे स्कूल में सुबह प्रार्थना के समय हर क्लास से कोई एक लड़का या लड़की कोई अच्छे मैसेज वाली बात बताने के लिए आगे आते हैं.
उस दिन रोज की तरह में नीचे गर्दन करके मिट्टी में उंगली से कुछ बना रही थी.

तभी रोज की तरह एक लड़का आगे गया और अपना प्रेरक किस्सा सुनाने लगा.
उस आवाज ने मुझे ऊपर देखने पर मजबूर कर दिया.

मैंने ज्यों ही देखा तो ये तो वही लड़का था, जिसके लिए मैंने दीदी को बोला था.
अब तो मुझे दीदी को बताने के लिए एक और मजबूत प्वाइंट मिल गया था कि ये लड़का मेरे साथ स्कूल में पढ़ता है.

उसी बारे में सोचते रहने के कारण उस लड़के में मेरी दिलचस्पी और बढ़ने लगी.
मैं अब हमेशा स्कूल में उसे ही खोजती रहती.

एक लड़की से मैंने उसकी क्लास का पता किया, वो मेरे से एक क्लास आगे था.
मैं अब कुछ हद तक उसके बारे में सोचने लगी और वो अहसास मेरे लिए नया था तो वो मुझे उस अकेलेपन की आदत लगने लगी.

अक्सर मैं खाना खाकर छत पर टहलने आ जाती थी और उसके ख्यालों में खोई रहती थी.
ऐसे ही घूमते हुए मुझे एक रात पड़ोसियों के घर से लड़ने झगड़ने की आवाजें आने लगीं.

पहले मैंने गौर नहीं किया और मकान की दीवार पर बैठ गई.
हमारे मकान से लगभग 10 मकानों की छत जुड़ी हुई है, कोई भी किसी भी मकान की छत पर आ जा सकता है.

उनको केवल हर मकान की एक छोटी दीवार पार करनी होती है.

हमारे मकान की उसी दीवार पर बैठी बैठी मैं उस लड़के के बारे में सोच रही थी.

तभी उस झगड़े वाले घर से एक आवाज तेज होने लगी और उस आवाज ने मेरा ध्यान खींच लिया.
वो आवाज वाला शक्स धीरे धीरे ऊपर आ रहा था.

मुझे आवाज जानी पहचानी लगी लेकिन अंधेरे में मैं उसे पहचान नहीं सकी.

वो मुझे ऊपर देख कर मेरी तरफ आने लगा.
अब मुझे वहां बैठने का अफसोस होने लगा कि ये अब मुझसे कुछ बात करेगा, कुछ पूछेगा.

मुझे किसी से बात नहीं करनी थी, मैं तो बस उन ख्यालों में ही खोई हुई रहना चाहती थी.

तभी उसने मेरी पीठ पर एक जोर से धौल लगाई और मेरे पास बैठ गया.
मुझे दर्द हुआ और मुँह से आह निकल गई.

मैंने गुस्से से उसकी ओर देखा, तो उसने भी मेरी तरफ देखा.
मैं उसको देखते ही हक्की बक्की रह गई.

ये वही लड़का था, उसको देखते ही मेरे मुँह से निकल गया- तुम!
उसने भी मुझे देखा और बोला- तुम कौन हो?

मैंने अपने आपको संभाला और उसको डांटने के अंदाज में बोली- तुमने मुझे मारा क्यों?
अब वो लड़का डरने लग गया.
उसने मुझसे सॉरी कहा और बोला- मुझको लगा कि संगीता है, इसलिए मैंने आपको मारा था.

तब मुझे अहसास हुआ कि वो यहीं पास में रहता है और दीदी को भी जानता है.

मेरे पूछने पर उसने बताया कि आज घर में कुछ समस्या हो गई थी और इन सबसे बचने के लिए मैं ऊपर आ जाता हूं. लगभग हर बार मुझे तुम्हारी दीदी ऊपर मिलती है, बस इसी लिए तुम्हें संगीता समझकर मार दिया.

तभी मुझे सीढ़ियों से किसी के आने की आहट सुनाई दी, वो दीदी थी.
उसने आते ही हमें देख लिया.

उसको पहले ही मैंने झूठ बोल रखा था और वही लड़का मेरे साथ बैठा था.
तो दीदी को लगा कि इन दोनों के बीच सच में कुछ है.

दीदी ने मेरे ऊपर ताना कसते हुए कहा- तुम दोनों यहीं पर मत शुरू हो जाना, घर के और कोई भी ऊपर आते जाते रहते हैं.

मैं उस समय झेम्प गई क्योंकि मैं दीदी की बात समझ गई थी.
लेकिन उस लड़के को कुछ समझ नहीं आया; वो हमारी तरफ देखने लगा.

तभी दीदी ने दूसरा मुद्दा छेड़ दिया और बोली- ओए राकेश, तू क्यों रोज रोज लड़ता है. आज फिर से क्या हो गया?

तब मुझे पता चला कि उसका नाम राकेश है.
वो बोला- वही रोज रोज का लफड़ा यार!

इस तरह वो दोनों बातें करने लगे और मैं राकेश को देखने लगी.
उसका बोलना देखना मुझे सब अच्छा लग रहा था.

तभी दीदी को मम्मी ने आवाज लगाई, तो वो नीचे चली गई.

मैं भी राकेश को चलने के लिए बोलकर उठी, तभी मैंने यूं ही पूछ लिया- वैसे तुम्हारा नाम क्या है?

वो मुझे घूरकर देखते हुए बोला- तुम जानती तो हो!
मैं हकला गई और बोली- मैं कैसे जानूंगी तुम्हारा नाम?

वो बोला- मेरा नाम राकेश है और ये तुम जानती हो … और ये ‘यहीं पर शुरू नहीं हो जाना’ वाला क्या लफड़ा है, जो तेरी दीदी ने बोला था. मैं कब से सोच रहा था कि तुम देखी हुई लग रही हो, अब मुझे सब याद आ गया. तुम शायद मेरे स्कूल में ही पढ़ती हो.

उसका एकदम से ये रूप देख कर मैं हैरान रह गई.
मुझे लगा था इसे कुछ नहीं पता होगा.
मैंने कुछ नहीं कहा और नीचे आ गई.

अब मेरे लिए ये सब कुछ नया था और मेरा मन अन्दर ही अन्दर उछल रहा था कि जिसे मैं बाहर ढूंढ रही थी, वो मेरे ही घर के बगल में रहता है.

दूसरे दिन स्कूल में हम दोनों की आंखें कई बार मिलीं और वो हर बार मुझे देख कर मुस्कुरा देता.
मैं भी जवाब में मुस्कुरा देती.

इसी तरह कुछ दिन बीत गए.

अब हम अक्सर छत पर मिलते और बस इधर उधर की बातें करते.

मुझे पता चला कि उसके मामा की कपड़ों की दुकान है. स्कूल के बाद वो वहीं रहता है. वो यहां बचपन से रह रहा है. उसका गांव बहुत छोटा है, वहां पर उस समय स्कूल नहीं था, तो उसको मामा के यहां भेज दिया था.

वो भी पढ़ाई में इतना अच्छा नहीं था तो उसके मामा उसको डांटते रहते थे.
उस डांट से बचने के लिए वो ऊपर आ जाता था, दीदी वहां पहले ही मिल जाती थी और वो उसको समझाती थी.

वो दोनों खूब देर तक बातें करते रहते थे.
घर पर भी वो सबसे मिला-जुला था, तो अक्सर वैसे भी आ जाता था. कभी कभार मामा ज्यादा डांटते, तो वो बिना खाना खाए हमारे घर आ जाता था.

उसके मामा की लड़की पहले ही हमारे घर आकर बता जाती थी कि उसने खाना नहीं खाया है, तो मेरी मम्मी उसको खाना खिला देती थीं और उसको कमरे में सोने को बोल देती थीं.
ये सब मुझे दीदी ने बाद में बताया था.

एक रात यूं ही हम छत पर बैठे थे और बातचीत कर रहे थे.

जब रात को हम जाने लगे तो उसने मेरे चेहरे को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख कर उन्हें चूम लिया.

मेरे लिए ये पहला मौका था, जब किसी लड़के ने मुझको किस किया था.
उस वक्त उसका मुझे इस तरह से किस करने का आभास भी नहीं था, तो मैं उसे किस करते ही एकदम से डर गई और एक अजीब से अहसास से अन्दर से हिल गई.

डर के कारण मेरी आंखों से आंसू भी आ गए.
मेरी आंखों में आंसू देख कर राकेश डर गया और मुझसे माफ़ी मांगने लगा.

वो किसी को नहीं बोलने के लिए बोलने लगा.
उस समय मुझे उस पर गुस्सा भी आ गया और मैं गुस्से में नीचे चली गई.

उस रात के बाद मैंने कुछ दिनों तक उससे बात नहीं की. उसने स्कूल में भी मेरे से बात करने की कोशिश की, लेकिन मैंने उससे बात नहीं की.

वो अब मुझसे डरने लगा और मेरे सामने डर से गर्दन नीचे कर लेता.
फिर धीरे धीरे मुझे उस पर दया आने लगी और मुझे अहसास होने लगा कि वो गलत नहीं था.

मैं भी उसकी तरफ आकर्षित होने लगी थी. हमारा रोज मिलना, एक दूसरे के बिना अच्छा नहीं लगना, ये सब उस हालात के कारण थे.
मैंने भी उसे माफ करने का मन बना लिया था.

इस दौरान मुझे पता चला कि दो दिन बाद राकेश का बर्थडे है, तो मैंने मन ही मन प्लान बना लिया था.
उस समय आज की तरह स्कूल में टेबल, स्टूल नहीं होते थे.

क्लास में केवल एक कुर्सी होती थी, जो अध्यापक के लिए होती थी, बाकी बच्चों के लिए दरी पट्टी होती थी. जिनको क्लास के एक बच्चे को अपनी बारी के अनुसार छुट्टी के बाद समेटकर एक जगह रखना होता था.

मैंने दो दिन तक भी उससे बात नहीं की. मैंने उसके बर्थडे वाले दिन शाम को छुट्टी का इंतजार किया.

राकेश का दरी पट्टी समेट कर रखने का नंबर बर्थडे वाले दिन से दो दिन बाद आने वाला था.
उससे पहले दो और लड़कियों का नंबर था.

मैंने उन लड़कियों को बहाना बना कर निकल जाने के लिए मना लिया था.
स्कूल की छुट्टी होने के बाद प्लान के अनुसार दोनों लड़कियां बहाना बना कर निकल गईं जिस वजह से राकेश को दरी समेटने के लिए रुकना पड़ा.

मेरी क्लास में एक लड़की का नंबर था तो मैं उसका साथ देने के बहाने रुक गई.

कुछ देर मैं उसके साथ दरियां समिटवाने लगी.
चूंकि हम दो थीं, तो काम से जल्दी फ्री हो गई थीं.

मैंने उस लड़की को भेज दिया और बाहर किसी को नहीं पाकर मैं सीधा राकेश की क्लास में आ गई.
उसने भी अपना काम लगभग कर दिया था और सभी दरियों को एक जगह रखने में बिजी था.

मेरे आ जाने का उसे बिल्कुल भी पता नहीं चला.
मैंने मौके का फायदा उठाया और राकेश को पीछे से जाकर पकड़ लिया.

इस तरह अचानक से मेरे पकड़ने से वो घबरा गया और एकदम से पीछे मुड़ा.
मैं भी उसको पकड़ी हुई थी, तो मैं भी उसके साथ घूम गई.

हम दोनों का बैलेंस नहीं बन पाया और हम दोनों उन समेटी हुई दरियों पर ही गिर गए.

मैं राकेश के नीचे दब गई, मेरे मुँह से चीख निकल गई.

राकेश को कुछ समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है.
उसने उठने के लिए अपने हाथ को सहारे के लिए नीचे दबाया तो उसका हाथ सीधे मेरे एक स्तन पर गिरा.

उसके उठने के कारण मेरा स्तन दब गया और फिर से मेरे मुँह से चीख निकल गई.
लेकिन तब तक राकेश संभल गया था तो उसने मेरा मुँह दबा लिया और मेरे को उंगली से चुप रहने का इशारा करने लगा.

तब तक मैं भी अपने होश में आ गई थी.
मुझे सब कुछ समझ में आया तो मुझे हंसी आ गई कि यहां क्या प्लान होने वाला था और क्या हो गया.

मुझे हंसते हुए देख कर राकेश की जान में जान आई.
तब उसने खड़ा करने के लिए मुझे अपना एक हाथ दिया.

मैं ज्यों ही खड़ी हुई, मेरे स्तन में दर्द हुआ … जिससे मैं लड़खड़ा गई और राकेश की बांहों में गिर गई.

इसी बहाने मैंने उसे कस कर पकड़ लिया.
फिर उसने मुझे अलग किया तो मैंने गुस्से वाला चेहरा बना दिया.
उसने मुझसे पूछा- कहां दर्द हो रहा है?

मैंने शर्माते हुए मेरे स्तन की ओर इशारा किया.
तो उसने बोला- दबा दूं क्या?

मैंने गुस्से और प्यार से उसे उसकी छाती पर एक मुक्का मारा.
उसने मुझसे फिर से माफी मांगी और मुझे कस कर गले लगा लिया.

तब मैंने उसे बर्थडे विश किया, वो बोला मेरा बर्थडे गिफ्ट कहां है?
मैंने कहा- आज रात को छत पर खाना खाने के बाद मिलना.

ये कह कर मैं चली आई और उसको वो बिखरी हुई दरियां फिर से समेटनी पड़ीं.

शाम को खाना खाकर मैं जल्दी से ऊपर आ गई.

मैंने एक टाइट टी-शर्ट और टाइट लैगी पहन रखी थी.
लैगी इतनी टाइट थी कि उसमें से मेरी चूत के दोनों होंठों को आराम से महसूस किया जा सकता था.

लेकिन रात को किसी ने ध्यान नहीं दिया.

ऊपर छत पर राकेश पहले से वहीं इंतजार कर रहा था.
मैंने उससे कहा- इतनी जल्दी है क्या गिफ्ट की?

वो कुछ बोलता, उससे पहले मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसके होंठों को अच्छे से चूम लिया.

आज आश्चर्यचकित होने की बारी उसकी थी लेकिन फिर वो भी मेरा साथ देने लगा.
उसने अपना मुँह खोल दिया और मेरी जीभ को अन्दर जाने दिया.

मेरे लिए ये सब नया था, लेकिन इतना मुझे पता चल गया था कि राकेश के लिए भी ये सब कुछ पहली बार और नया था.

वो लगातार मेरा साथ देने लगा.
मैं उससे सटी हुई खड़ी थी तो मुझे उसकी पैंट में उभार महसूस होने लगा था और वो उभार बढ़ता ही जा रहा था.
किस करते करते राकेश के हाथ मेरी पीठ पर घूमने लगे.

मैं तो जैसे सातवें आसमान में घूमने लगी.

मुझे ये सब इतना अच्छा लग रहा था कि मैं किसी और दूसरी बात को सोचना भी नहीं चाहती थी.

धीरे धीरे उसका एक हाथ मेरे दूध को टी-शर्ट के ऊपर से मसलने लगा.
मैं बस पूरी तरह से खो गई थी.

राकेश ने मेरे बूब्स को ऊपर से ही जोर से दबा दिया था.
मेरे निप्पल कड़े हो गए थे, तो दबाने से उनमें दर्द होने लगा था.

एक बूब में पहले से दर्द हो रहा था लेकिन आज मैं रुकना नहीं चाहती थी.

राकेश ने एक हाथ को मेरी कमर पर लगाया और अपने औजार को मुझ पर दबाने लगा.
वो एक हाथ से मेरे सिर को पकड़ कर किस कर रहा था और अपना कमर वाला हाथ धीरे धीरे टी-शर्ट के अन्दर ऊपर उठाने लगा था.

मेरी टी-शर्ट टाइट थी, तो उसे हाथ ऊपर ले जाने में दिक्कत हो रही थी.
उसने टी-शर्ट को खोलने के लिए ऊपर उठाया, लेकिन मैंने मना कर दिया क्योंकि दोनों में से किसी के घर से कोई भी ऊपर आ सकता था.

मैंने अपनी टी-शर्ट को बिंदास तरीके से बूब्स तक ऊपर कर दिया और अपने दोनों मम्मों को आजाद कर दिया.

मैंने आज पहले से सब कुछ प्लान कर रखा था तो अन्दर ब्रा और पैंटी नहीं पहनी थी.

राकेश के हाथ सीधे मेरे बूब्स पर चले गए, वो मेरे दोनों मम्मों को मसलने लगा.

इस सबसे मेरे शरीर में बहुत ज्यादा सनसनाहट पैदा होने लगी.
ऊपर वो मेरे होंठों को किस कर रहा था और एक हाथ से मेरे बूब्स दबा रहा था.
नीचे उसका औजार खड़ा हो गया था और मुझे छू रहा था.

मेरे चूचुक बहुत ज्यादा टाइट हो गए थे. मुझे लग रहा था कि बस अभी मेरे चूचे फट जाएंगे.

उसने धीरे धीरे अपने औजार को मुझसे रगड़ना शुरू कर दिया.
रगड़ से उसमें भी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई.

अब वो मुझे और गहरा किस करने लगा और अपने हाथों से मेरे बूब्स को और जोर से दबाने लग गया.
साथ ही वो मेरे निप्पलों को भी दबाने में लग गया.

फिर उसने अपना मुँह मेरे होंठों से हटा कर मेरे एक दूध पर रख दिया और उसे चूसने लगा.

आज समझ सकती हूं कि वो इस काम के लिए एकदम नया था लेकिन उस समय तो वो ही मेरे लिए जॉनी सीन्स था.

वो जो कुछ भी कर रहा था, जहां भी छू रहा था, मेरे शरीर में उत्तेजना पैदा हो रही थी.
ऐसे में उसने मेरे दोनों बूब्स को हाथ में ले लिया और दोनों को बारी बारी से चूसने लगा.

मेरे शरीर की हालत पूरी तरह से बिगड़ गई थी.
मेरी सांसें उखड़ गई थीं, धड़कन तेज हो गई थीं, गला सूख गया था.

तभी उसका एक हाथ धीरे धीरे नीचे मेरी लैगी की ओर जाने लगा.
मैं अपने होश खो बैठी थी.
ये सब कुछ इस तरीके से हो रहा था कि मैं अपने बस में नहीं थी.

उसने अपना एक हाथ मेरी लैगी के अन्दर डालना शुरू कर दिया.
मुझे पता नहीं, कुछ कुछ होने लग गया था … तो मैंने उसके हाथ को पकड़कर खींचने की असफल कोशिश की.

उसने अपना हाथ अन्दर डाल दिया और ज्यों ही उसकी उंगली अन्दर मेरी चूत ले दाने तक पहुंची, मेरे मुँह से एक तेज आवाज के साथ मादक सिसकार निकली.

उसी पल मुझे एक भयंकर झटका सा लगा और मैं वहीं पर खड़ी खड़ी झड़ने लगी.

मुझे कुछ भी पता नहीं चल रहा था.
कुछ पल के लिए जैसे मेरे लिए सब कुछ थम सा गया था.

यही जन्नत थी मेरे लिए!

इससे पहले मैंने कभी कभार उंगली से भी अपने आपको शांत किया था.

लेकिन ये जो अहसास अब हो रहा था, उसका कोई विवरण नहीं था.

मैं वहीं खड़ी खड़ी कांपने लगी और मेरी चूत से पानी बाहर आने लगा.

मैंने अपने शरीर को पूरी तरह से राकेश की बांहों में छोड़ दिया था, उसने जैसे तैसे करके मुझे संभाला.

मेरी चूत से पानी निकलने लगा था, जो मेरी टांगों के साथ नीचे आने लगा.

आज से पहले मेरी चूत ने इतना पानी कभी नहीं छोड़ा था, मैं बस सब कुछ भूल कर उसी पल में रहना चाहती थी.

लेकिन राकेश ने मुझे नीचे बिठा दिया और लिटा दिया.
मैं समझ गई थी कि अब मेरी चूत फटने की बारी है.

मैंने राकेश को कुछ देर रुकने को कहा क्योंकि मुझमें अब ताकत ही नहीं बची थी.
राकेश मुझे किस करने लगा और मेरे मम्मों को फिर से दबाने लगा.

अब राकेश ने अपना मुँह मेरे निप्पल पर रख दिया और उसे चूसने लगा.
मेरे निप्पल बहुत ज्यादा कड़े हो चुके थे.

वो उसे किसी बच्चे की तरह चूस रहा था और अपने हाथों को मेरे शरीर पर घुमा रहा था.

मैंने उसको अपनी बांहों में दबा कर भर लिया था और उसकी पीठ को मसलने लगी थी.

धीरे धीरे उसका हाथ मेरी जांघों पर आ गया था और वो हल्के हाथों से सहला रहा था.

इस सबसे मेरी चूत फिर से तैयार होने लगी थी.

धीरे धीरे उसने अपने हाथ को ऊपर उठाना शुरू कर दिया और मेरी चूत के चारों ओर घुमाने लगा.

मैं अब उत्तेजित हो चुकी थी.
मेरी चूत तो पहले से बहुत गीली थी.

उसने अपनी एक उंगली मेरी चूत के ऊपर रख दी और उसे चूत के दोनों होंठों के बीच घुमाने लगा.

मैं अब पूरी तरह से तैयार थी तो उसकी उंगली को मेरी चूत में लेने के लिए मैंने अपनी गांड को ऊपर उठा दिया.
लेकिन राकेश ने पहले ही अपनी उंगली हटा ली.

उसका प्लान कुछ और था.
उसे पता चल गया था कि मैं अब तैयार हूं और वो मौका गंवाना नहीं चाहता था.

वो ऊपर हुआ और सीधे अपनी पैंट और अंडरवियर नीचे घुटनों तब खोल दिया.

मैंने पहली बार किसी लड़के का लंड देखा था, वो फिल्मों वाले लंड से बहुत छोटा था.
उसका लंड करीब 5 इंच का रहा होगा और वो ज्यादा मोटा भी नहीं था.

राकेश का लंड इस समय सीधा खड़ा था और वो इस समय अपने घुटनों पर खड़ा हुआ था.
मैं उसके नीचे अपने पैरों को चौड़ा करके लेटी हुई उसके लंड को अन्दर डालने का इंतजार कर रही थी.

वर्जिन देसी गर्ल Xxx चुदाई के लिए एकदम तैयार थी लेकिन वो थोड़ा हिचकिचा रहा था.
फिर उसने अपने लंड को मेरी चूत पर सैट किया और धक्का देने लगा.

उसने मेरी चूत के ऊपरी हिस्से पर लंड को सैट किया था, जो धक्का देने से फिसल गया था.

तब मैं पूरी तरह से समझ गई थी कि इसको पता नहीं है कि लंड कहां डालना होता है.
मैं भी नहीं चाहती थी कि वो अपने आपको बेइज्जत महसूस करे.
मैंने उसके लंड को पकड़ लिया.

जिंदगी में पहली बार मैंने लंड को अपने हाथ में पकड़ा था तो जोश जोश में थोड़ा दबा दिया.

उसके मुँह से दर्द भरी आवाज निकल गई- आह उई!

फिर मैंने उसके लंड के सुपाड़े को मेरी चूत पर सैट किया और उससे धक्का लगाने को बोला.

उसने धक्का लगाया तो चूत गीली होने से उसके लंड का सुपारा मेरी चूत में आसानी से घुस गया.

पहली बार कोई असली वाला लंड मेरी चूत में गया था, मुझे दर्द भी बहुत हुआ तो मैंने राकेश को वहीं रुकने का इशारा किया.

लेकिन मैंने सुना था कि पहली बार में बहुत दर्द होता है.
वो ही हुआ.

हालांकि वो दर्द कुछ समय में ही कम हो गया.

अब मैं निश्चिंत हो गई थी कि अब बस मजा ही आने वाला है, दर्द तो हो चुका है.

मैं झिल्ली फटने की बात को भूल गई थी तो जोश जोश में मैंने राकेश को धक्का लगाने को बोल दिया.

राकेश ने मेरा इशारा पाते ही अपने लंड को जोर से अन्दर धकेला.
राकेश का लंड भी पतला था और वो धक्का इतना तेज था कि मेरी झिल्ली को तोड़ते हुए पूरा अन्दर चला गया.

झिल्ली फटने के दर्द से मेरे मुँह से जोर से चीख निकल गई.
राकेश ने मेरे मुँह को जल्दी से अपने हाथ से दबाया.

दर्द के मारे मेरी आंखों में से आंसू आने लगे.
राकेश ने अपना हाथ हटा कर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और लगभग आधा मिनट लंड को वैसे ही पेले रखा.

मेरा भी दर्द कम हो रहा था और मैं भी अपने होश में आने लगी थी.

राकेश ने बिल्कुल धीरे धीरे अपने लंड को अन्दर ही आगे पीछे किया जिससे मुझे दर्द भी नहीं हुआ और मैं वापस उत्तेजित होने लगी.

एक दो मिनट बाद ही राकेश मुझे तेज तेज चोदने लगा.
मैं भी अपनी गांड उठा कर उसका साथ देने लगी.

मेरे हाथ राकेश की पीठ पर घूमने लगे और मैंने दोनों पैरों से राकेश को बांध लिया था.

राकेश अब बहुत ज्यादा हांफ रहा था और मुझे किस करते हुए धकापेल चोद रहा था.
हम दोनों के मुँह से आह आह की आवाज आ रही थी.

ये सब कुछ मेरे लिए जन्नत सी थी.
मैं बस जिंदगी भर यूं ही चुदना चाहती थी.
बस मन कह रहा था कि ये चुदाई कभी पूरी ही न हो.

राकेश का भी ये मौका पहला था और मैं भी गांड उठा उठा कर उसका साथ दे रही थी.

कुछ देर बाद राकेश बोला- मेरा होने वाला है, कहां निकालूं?
मैं इसके लिए तैयार नहीं थी और मुझे पता था कि इसको अन्दर डालने से मैं प्रेगनेंट हो सकती हूँ.

तो मैंने उसको बाहर निकालने को बोला.
उसने आनन-फानन में झट से अपने लंड को चूत से बाहर निकाल दिया और एक तेज पिचकारी के साथ उसका सामान झटकों के साथ अपने माल को मेरे ऊपर डालने लगा.

उसकी पिचकारी मेरे चेहरे से भी आगे तक जाकर गिरी.
मेरा चेहरा भी उसके माल से भीग गया और मेरी टी-शर्ट पर भी उसका माल लग गया.

राकेश का माल निकलते ही वो मेरे पास में निढाल होकर गिर गया और जोर जोर से हांफने लगा.
फिर जैसे ही उसने मेरी तरफ देखा, तो मैं पहले से ही उसे देख रही थी.

उसने उखड़ी हुई आवाज में मुझसे कहा- ये मेरी जिंदगी की सबसे बढ़िया वाली गिफ्ट है, जिसे में कभी भूल नहीं सकता.

ऐसा बोल कर उसने मुझे किस कर लिया.
फिर हम कुछ टाइम वैसे ही लेटे रहे.

तभी मेरी मम्मी ने मुझको पुकारा तो हम दोनों को होश आया और हम दोनों ने जल्दी जल्दी कपड़े ठीक किए.

मैंने टी-शर्ट से अपने चेहरे को भी साफ किया.
टी-शर्ट अन्दर से गंदी हुई थी क्योंकि वो ऊपर पलटी हुई थी तो टी-शर्ट को नीचे कर लिया.

मेरे खड़े होते ही राकेश को मेरे नीचे खून दिखा, वो कुछ बूंदें ही थीं, तो उसे कुछ डर लगा.
उसने मुझे बताया तो डर मुझे भी लगा लेकिन मैं उसके सामने खुद को कमजोर नहीं बताना चाहती थी और पता भी था कि पहली बार में ये सब हो सकता है.

मैंने उसे समझाया और वो सामान्य हो गया.
फिर हम दोनों ने एक जोरदार किस की और एक दूसरे को कस कर बांहों में भर लिया.

फिर मैं ज्यों ही चलने लगी तो दर्द के मारे मेरे पैर उखड़ने लगे.
मैंने दीवार का सहारा लिया.

राकेश तब तक जा चुका था.
मैं कैसे भी करके नीचे पहुंची.

नीचे दीदी सीढ़ियों के पास मेरा इंतजार कर रही थी.
मां सोने चली गई थीं.

मैंने पैरों को अच्छे से रखने की कोशिश की लेकिन थोड़ा बहुत बदलाव रहता ही है और मैं जैसे तैसे कमरे तक पहुंच गई.

मेरी दीदी ने मुझसे कहा- पहली बार में ये सब होता है, छुपाने से नहीं छुपता ये!

इतना सुनते ही मैं चौंक गई और समझ गई कि दीदी को आज की घटना के बारे में पता चल गया.

मैंने अनजान बनते हुए कहा- क्या पहली बार … किस बारे में बात कर रही हो तुम?
दीदी ने कहा- बड़ी हूं तेरे से और तेरे से ज्यादा एक्सपीरियंस है मुझे … अब चल तुझे सुसु करवा लाऊं, तुझसे तो चला नहीं जाएगा.

ऐसा बोल कर दीदी ने मुझे पकड़ा और सुसु करवाने ले गई.

वापस आकर दीदी ने मेरे को एक गोली दी.
मैंने बिना कुछ बोले वो गोली ले ली और हम दोनों सो गए.

दोस्तो इस प्रकार से पहली बार मैंने किसी से चुदाई की थी.
मैंने बाद में कई बार और भी राकेश के साथ सेक्स किया था.

आंटी का गैर मर्द के साथ चुदाई का चक्कर

This summary is not available. Please click here to view the post.

गुजराती भाभी की चूत चुदाई का मजा

 

दोस्तो, मेरा नाम अमन है. मेरी उम्र 23 साल है. मैं 6 फुट का हूँ. मेरी बॉडी स्लिमफिट है. मेरा लंड 6 इंच का है.

यह देसी चुत की चुत चुदाई कहानी तब की है जब मैं अपनी दीदी के पास अहमदबाद रहने गया था.
तब मैं 20 साल का था.

मेरी दीदी हॉस्पिटल में जॉब करती थी तो वो दिन भर वहीं रहती थी और मैं घर पर रहता था.

मेरा 2-3 महीने तक रुकने का प्रोग्राम था और मैं इतने दिन तक बिना सेक्स के नहीं रह सकता था.
दोस्तो आप जानते ही हैं गुजरात में अहमदाबाद काफ़ी मॉडर्न शहर है. यहां लड़कियां भाभियां आंटियां काफ़ी मॉडर्न और खुले विचारों की होती हैं.

मैं देखने में काफी स्मार्ट लड़का हूँ और एकदम सिंपल तरीके से रहता हूँ.
इसलिए दीदी की सोसाइटी की लड़कियां और भाभियां मुझे काफी पसंद करने लगी थीं.

मैं अपना काफी समय सोसाइटी के पार्क में बिताता था, तो उधर कई सारी भाभियां मुझसे बात करने लगी थीं.

एक दिन की बात है. दीदी 2-3 दिन के लिए कहीं बाहर गई हुई थी और खाना मुझे ही बनाना था.

मैंने सोच लिया था कि किसी लड़की को पटाकर अपने फ्लैट पर लाने का यही सबसे बढ़िया मौका है.

मेरे फ्लैट के सामने एक गुजराती फैमिली रहती थी. उनके दो बच्चे थे. एक तो अभी एक साल का ही हुआ था.

भाभी एकदम देसी माल थीं. बच्चों के बहाने उनसे कभी कभार मेरी बातचीत हो जाती थी.

मैंने उनसे कहा- भाभी, मुझे कुछ सब्जी बनानी है, थोड़ी हेल्प कर दीजिए.
भाभी ने कहा- अरे भैया, आप क्यों परेशान होते हैं. मैं ही बना देती हूँ.

मैंने हामी भर दी और भाभी मेरे घर के किचन में आकर सब्जी बनाने लगीं.

अब मैंने सोचा कि बस अब पकड़ लेता हूँ और चढ़ कर चोद दूँगा.
फिर सोचा कि इतनी जल्दी ठीक नहीं है, कहीं भाभी नहीं मानी तो इज्जत की वाट लग जाएगी.

मैंने भाभी की बनाई हुई सब्जी की बहुत तारीफ की और उन्हें धन्यवाद करते हुए शाम को फिर से आने के लिए कहा.
भाभी एकदम से मान गईं कि वो सब्जी बनाने के लिए आ जाएंगी.

शाम को वो एकदम रेडी होकर आई थीं.
उनकी सजधज देख कर मैं चौंका कि माजरा क्या है.
भाभी ने लाल साड़ी, लाल लिपस्टिक और मस्त मेकअप किया हुआ था.

मैंने पूछा- भाभी इतना सजधज कर … आज आपको कहीं जाना है क्या?
भाभी मुस्कुराती हुई कहने लगीं- बस आपसे मिलने आई थी.

मैं समझ गया कि भाभी लाइन दे रही हैं.

भाभी किचन में जाकर सब्जी बनाने लगी थीं.
मैंने अन्दर जाकर धीरे से उनकी पीठ पर हाथ रख दिया.
उन्होंने कुछ नहीं कहा.

उनकी सिहरन बता रही थी कि उन्हें मेरा हाथ रखना अच्छा लगा है.

मैंने दूसरा हाथ उनके नंगे पेट पर रखा इस बार वो कहने लगीं- भैया, ये क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- भाभी जी, मसाले टेस्ट कर रहा हूँ.

ये कह कर भाभी को मैंने पीछे पकड़ लिया और उनकी गर्दन, पीठ पर किस करने लगा.
वो भी पलट गईं और मेरा साथ देने लगीं.

मैंने उनके मम्मों को मसलना शुरू कर दिया.
भाभी गर्माने लगीं और मेरे लंड को पकड़ कर सहलाने लगीं.

मैंने धीरे से भाभी का ब्लाउज खोल दिया और देखा कि भाभी के चूचुकों से दूध निकल रहा था.

चूची से दूध निकलते देख कर मैं और ज्यादा उत्तेजित हो गया और उनके एक बोबे कि मुँह में दबा कर चूसने लगा.
भाभी के निप्पल एकदम कड़क और बड़े हो गए थे.

उनको किस करते हुए मैंने उनकी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर उठाया और उनकी पैंटी में हाथ डाल दिया.
मैंने देखा कि भाभी की चूत एकदम चिकनी थी, झांटें बनी हुई थीं और चूत एकदम गीली हो गई थी.

मैंने पूछा, तो कहने लगीं- मुझे पता था तू बिना चोदे नहीं मानेगा, इसलिए आज शाम को आने से पहले ही सफाई की है … और खास तेरे लिए.
भाभी ने मेरी जींस के ऊपर से ही मेरा लंड मसलना शुरू कर दिया.

मेरी जींस का पैंट भी गीला हो चुका था तो मैंने उतार दिया.
मैंने भाभी को कमरे में चलने के लिए कहा.

तो भाभी कहने लगीं- रूको अभी ये सब नहीं करो … मैं घर पर बोलकर आती हूँ कि थोड़ा टाइम लगेगा.
मैंने कहा- किस से कहना है? भैया तो हैं नहीं.

भाभी बोलीं- मुझे मम्मी से कह कर आना है. वो मेरा इन्तजार कर रही होंगी.
वो अपने घर चली गईं.

आधा घंटा बाद जैसे ही भाभी वापस आईं, मैंने उन्हें गोदी में उठा लिया और सीधा कमरे में ले जाकर बिस्तर पर गिरा दिया.

हम दोनों ने चूमाचाटी शुरू कर दी.
भाभी मेरा लंड भी हिला रही थीं.

मैंने भाभी से कहा- भाभी मुँह में ले लो.
वो मना करने लगीं.
मैंने उनको समझाया तो वो मान गईं.

उनको लेटाकर मैंने उनके मुँह में ऊपर से अपना लंड डाल दिया और पहली बार में ही दम से 20-30 शॉट लगा दिए.
भाभी को खाँसी आ गईं, वो समझ गईं कि लड़का बहुत बड़ा हब्शी है.

भाभी कहने लगीं- अमन, तुम्हारे लंड का स्वाद बहुत अच्छा है, मैं इसका रस पीना चाहती हूँ.
मैंने कहा- हां तो लंड चूसती रहो भाभी … अभी मलाई निकलेगी तो स्वाद ले लेना.

भाभी बोलीं- ऐसे नहीं … मुझे आराम आराम से लंड चूसने का मजा लेना है. तुम धकापेल कर रहे हो. जल्दी जल्दी में लंड चूसने में कोई मजा नहीं आता है.
मैं मान गया और भाभी के कहने पर मैं सीधा लेट गया और लंड हिलाने लगा.

वो मेरा लौड़ा मुँह में लेने लगीं और इतने प्यार से जीभ से सुपारे को चाटते हुए लंड को मुँह में ले रही थीं कि मजा आ गया.

मैंने पूछा- भाभी, आप तो बड़ा मस्त लंड चूसती हो … आपने पहले लंड चूसने की ट्रेनिंग ली है क्या?
भाभी कहने लगीं- मेरे भोले देवर जी. तुम्हें मालूम नहीं है … अगर किसी लड़की को सेक्स चढ़ जाता है, तो वो सब सीख जाती है. लंड चूसना तो छोड़ो, वो चुदाई में मस्त मजा देती है.

उनके मुँह से ये बात सुनकर मैंने उनका मुँह पकड़ा और 10-15 झटके में उनके मुँह में ही झड़ गया.

उनको ये थोड़ा अजीब सा लगा पर वो मेरा मुठ निगल गईं.

लंड चूसने के बाद वो फिर से मेरे गोटे चूसने लगीं.
मैं समझ गया कि भाभी बहुत बड़ी वाली रांड हैं.

कुछ देर बाद वो अपनी उंगली से चूत को कुरेदने लगीं.
मैं समझ गया कि भाभी की चूत में खुजली हो रही है.

मैंने भाभी को 69 पोज़िशन में लिया और उनकी चूत चाटने लगा.
भाभी ऐसी मादक आवाज़ें निकाल रही थीं कि मैं सुनकर और भी कामुक हो रहा था.

इधर भाभी की चूत इतनी सुंदर और गर्म थी कि बस मन कर रहा था कि चाटते ही जाओ.
भाभी दस मिनट में झड़ गईं और मैं उनकी चूत का पूरा पानी चाट गया.

कुछ मिनट बाद भाभी ने कहा- अब चोदेगा भी या इतने में ही हो गया तेरा?
ये कह कर भाभी ने मेरा लंड मुँह ले लिया और देखते देखते लंड वापस खड़ा हो गया.

भाभी मेरे खड़े लंड के ऊपर चढ़ गईं और अपनी चूत में लंड घुसवा लिया.
मुझे वो गर्म गर्म चूत का अहसास इतना अच्छा लग रहा था कि शब्दों में ब्यान नहीं कर सकता.

भाभी धीरे धीरे ऊपर नीचे होने लगीं उस पल मैं अपनी दुनिया की सारी टेंशन और समस्याएं सब भूल गया.
बस लंड चूत की चुदाई का आनन्द ले रहा था.

भाभी मुझे किस कर रही थीं.
कभी मेरे होंठों को, तो कभी मेरी गर्दन पर, तो कभी मेरे निप्पलों पर किस कर रही थीं.
मेरे रोंगटे खड़े हो रहे थे.

फिर भाभी ने अपना एक दूध मेरे मुँह में दे दिया और मुझे अपना दूध पिलाती हुईं अपनी चूत की प्यास बुझाने लगीं.

कुछ देर बाद भाभी झड़ गईं और मैं नीचे से कमर उठा कर उन्हें चोदने लगा.
फिर मैं उन्हें नीचे लेकर उनके ऊपर चढ़ गया और धकापेल चुदाई का मजा लेने लगा.

करीब 15 मिनट बाद मैं झड़ने वाला था तो मैंने तेज तेज धक्के मारना शुरू कर दिए.
उसी समय भाभी भी फिर से झड़ने वाली हो गई थीं.

मैंने पूछा- भाभी अन्दर निकाल दूँ?
भाभी ने चिल्लाते हुए कहा- जिधर निकालना हो निकाल देना … बस मेरी चुत की चुत चुदाई करता जा.

हम दोनों ने अपनी स्पीड बढ़ा दी.
पहले भाभी झड़ गईं और अब कमरे में फ़च फ़च की आवाज़ गूँजने लगी थी.

फिर मैं भी झड़ गया.
लंड चूत गीले हो गए.

मैं स्वर्ग की सैर कर रहा था.
दो मिनट रुकने के बाद भाभी फिर धक्के देने लगीं.

मेरा लंड उनकी चूत में ही फिर से कड़क हो गया.
मैं भाभी को चोदने लगा.

उनके पैर मेरी कमर के पीछे जकड़े हुए थे और मैं जोर से जोर से चोदने में लगा था.

उस समय मैं एकदम जानवर की तरह धक्के मारने लगा था.
दस मिनट बाद भाभी फिर से झड़ गईं पर मेरा नहीं निकल रहा था.

भाभी ने हांफते हुए कहा- अब छोड़ दे … मुझे जाना है, फिर कभी कर लेना!
मैंने कहा- मुँह में ले लो प्लीज़.

भाभी ने मेरा लंड मुँह में ले लिया और मैं भी ज़ोर से झटके देने लगा.
पांच मिनट में मैं उनके मुँह में ही झड़ गया.

भाभी कहने लगीं- अब तो और मीठा लग रहा है.
मैंने भी मज़ाक में कह दिया- तो दूध में मेरा मुठ डालकर पिया करो.

भाभी ने मुझे किस किया और हंस कर चली गईं.
मैं उस दिन बहुत गहरी नींद में सोया.

सुबह 7 बजे घंटी बजी.
मैंने देखा तो भाभी जी दूध का गिलास लेकर आई थीं.

वो कहने लगीं- तुमने बोला था ना कि दूध में मुठ डालकर पीना, तो मैं आ गई.
मैं खुश हो गया.

मैंने भाभी को अन्दर लिया और दरवाजे बंद करके चूमने लगा.
भाभी भी चुदासी रांड के जैसे लपक लपक कर मेरे होंठ चूस रही थीं.

मैंने भाभी की एक चूची दबाते हुए कहा- कल से ज्यादा मजा आज दे रही हो भाभी.
भाभी बोलीं- हा मेरे देवर राजा, मुझे भी कल से ज्यादा आज खुजली हो रही है. जल्दी से चोद दो अब नहीं रहा जाता.

मैंने भाभी को घोड़ी बनाया और लंड पेल कर भाभी की चुदाई चालू कर दी.
बीस मिनट चोदने के बाद मैंने लंड बाहर निकाला और भाभी ने दूध का गिलास आगे कर दिया.

मैंने सारा मुठ दूध में मिला दिया.
भाभी ने चम्मच से मुठ मिला कर पिया और मेरी तरफ देख कर अपने होंठों पर जीभ फेर कर मुझे आंख मारने लगीं.

ऐसे ही मैं जब तक वहां रहा, हम दोनों ने खूब चुदाई लीला रची.

आज भी मैं उनके संपर्क हूँ.
जब भी मेरा अहमदाबाद जाना होता है तो हम ज़रूर मिलते हैं और कुछ ना कुछ नया होता ही है.

दोस्तो, मैं उम्मीद करता हूँ कि देसी चुत की चुत चुदाई कहानी आपको पसंद आई होगी. आप मुझे कमेंट्स में जरूर बताएं.

पड़ोसन किरायेदार भाभी की मस्त चुदाई

 

दोस्तो, मैं एक मस्तमौला इंसान हूं. और अन्तर्वासना की कहानियां सन 2012 से पढ़ता आ रहा हूं.
अब तो हाल ये गया है कि मुझे इसकी कहानी पढ़े बगैर नींद ही नहीं आती है.

मैंने इसकी लगभग सभी कहानियां पढ़ी हैं, सच में मुझे इन सेक्स कहानियों को पढ़ कर बहुत मजा आता है.
मैं 5 फुट 8 इंच लंबा खूबसूरत और आकर्षक मर्द हूं. मेरे लंड की लम्बाई 6 इंच है.

अब इस सेक्सी भाभी हॉट चुदाई कहानी का मजा लीजिये.

मैं सोने के आभूषण बनाने का कार्य करता था.
पिछले साल लॉकडाउन खत्म होने के बाद कर्जा होने के कारण अब मैं एक प्राइवेट कंपनी में काम कर रहा हूं.

इसी कठिन समय में मुझे दूसरे शहर में जाकर अपना काम करना पड़ा था.

वहां हमारे कमरे के बिल्कुल सामने एक मदमस्त औरत रहती थी.

मेरी उम्र उस समय 24 साल की थी. उसकी 38 साल थी और उसके पति की 42 साल थी.
एक बार मेरी पत्नी हमारी बहन की शादी के कारण 15 दिन पहले ही चली गई.

पड़ोसन मुझे मस्त नजरों से देखती थी.
मैं भी उसे काफी पसंद करता था.

मेरी बीवी के जाने के बाद रात को मैं पेशाब करने के लिए जा रहा था, तो मैंने देखा कि उसके कूलर का पिछला ढक्कन खुला हुआ था और अन्दर कमरे में उसका पति उसे चोदने की तैयारी कर रहा था.

मेरे लिए ये एक अचानक से घटी घटना थी.
मैं आंखें फाड़े उन्हें देखने लगा.

मगर ये क्या … भाईसाब ने 2-3 धक्के लगाए और धड़ाम से गिर गए.
मैं चकित था कि भाईसाब चोदने के नाम पर भाभी के साथ मजाक करते हैं.

मैं यही सोचता हुआ पेशाब करके भाभी के नाम की मुठ मारकर अपने कमरे में आकर सो गया.
सारी रात मैं पड़ोसन भाभी के ख्वाबों में ही सोता रहा और देर तक सोता रहा.

जब मैं उठा तब भाईसाब अपनी ड्यूटी पर चले गए थे.
नौ बजे के करीब भाभी की लड़की ने मेरा दरवाजा खटखटाया, जिससे मेरी अचानक नींद खुली.

मैंने हड़बड़ाहट में अपने किबाड़ खोले और देखा तो सामने भाभी खड़ी हुई मुस्करा रही थीं.
वो मेरे निक्कर में बने हुए तम्बू को बड़ी गौर से देख रही थीं.

मैं शर्माकर पीछे हो गया और लोअर पहन कर नित्यक्रिया करने चला गया.
वापस कमरे में आने के बाद मैं रसोई में चाय बनाने जाने लगा तो भाभी एक प्याला चाय और सिकी हुई ब्रेड लिए हुए सामने आ गईं.

भाभी बोलीं- कभी हमारी भी चाय पी लिया करो.
मैंने उनसे चाय ब्रेड लेकर नाश्ता किया.

फिर वो बोलीं- आज इतनी देर तक क्यों सोते रहे, क्या काम नहीं है?
मैं बोला- आज कुछ काम भी नहीं है और रात कुछ ऐसा देखा कि मैं उसी बारे में सोचते विचारते कुछ कर बैठा. फिर नींद इतनी गहरी आई कि अभी आंख खुली है.
वो बोलीं- ऐसा क्या देख लिया रात में?

उसी वक्त मेरी नजर इत्तफ़ाक़ से उनके कूलर की तरफ चली गयी, जिसे देख कर वो एकदम से मायूस हो गईं और रोने लगीं.
फिर मेरी तरफ आशा भरी नजरों से देखने लगीं और नजरें चुराकर बोलीं- आज काम पर नहीं जाओगे क्या?

मैं बोला- रात मेरा दिल बहुत दुखा है, इसलिए आज तबियत खराब लग रही है. आज काम की छुट्टी कर लेता हूँ.
ये सुनकर भाभी के चेहरे पर एक मुस्कान दौड़ गई.

मैं समझ गया कि भाभी को मुझसे क्या चाहिए.

फिर वो खाना बनाने लगीं.
मैं अपने कमरे में टीवी देखने लगा.

थोड़ी देर बाद उनकी लड़की आई और तोतली आवाज में कहने लगी- अंतल त्या छ्बजी थाओदे? (अंकल क्या सब्जी खाओगे)
मैंने बाहर देखा तो भाभी मेरे दरवाजे के बाहर खड़ी हुई मुस्करा रही थीं और बहुत ही मस्त नजरों से मुझे देखे जा रही थीं.

मैं उनसे बोला- मैं तो होटल में खा आऊंगा.
इस पर भाभी बोलीं- आप तो हमें अपना समझते ही नहीं, लेकिन हम तो आपको अपना समझते हैं. जब तक आपकी बीवी नहीं आती हैं, तब तक मैं आपको कुछ नहीं बनाने दूंगी.

मैं बोला- उसे या आपके आदमी को पता चलेगा तो हमारे बारे में गलत बात ना सोचने लगें.
वो बोलीं- ना मैं इन्हें कुछ बताऊंगी और ना तुम अपनी बीवी को बताना.

मैं बोला- इतनी मेहरबानी की वजह?
उस पर वो बोलीं- तुम देखने में तो बुद्धू तो नहीं लगते, फिर क्यूं इतने बुद्धू बन रहे हो?

मैं बोला- मतलब?
भाभी बोलीं- रात कूलर का ढक्कन मैंने जानबूझकर खुला छोड़ा था, जिससे तुम्हें पता लगे कि कोई कितना प्यासा है. जब रात को तुम्हारे कमरे से तुम्हारी बीवी की पाजेबों की और मस्त सिसकारियों की आवाज आती है … और मेरे ये मुझे ऐसे ही छोड़ देते हैं, तो तुम नहीं जानते कि मेरे दिल में कैसे बिजलियां गिरती थीं. प्लीज़ मुझे भी थोड़ा सा सुख दे दो.

मैं बोला- अगर किसी को पता चला तो?
वो बोलीं- किसी को पता नहीं चलेगा.

ये सुनकर मैंने उनके कमरे में जाकर उन्हें बहुत ही जोर से अपने सीने से लगा लिया और हम दोनों के होंठ ऐसे चिपक गए, जैसे अब छूटेंगे ही नहीं.
उसी बीच उन्होंने नीचे मेरा लंड पकड़ लिया.

मैंने उनकी चूची दबानी शुरू कर दी.
इतने में ही उसकी लड़की पीछे से बोली- मेली मम्मी है ये.
मैं बोला- नई मेली मम्मी है ये.

भाभी हंस कर बोलीं- मैं इसे सुलाकर अभी आई.
फिर उन्होंने उसे मेरे सामने ही अपनी चूचियों से दूध पिलाना शुरू कर दिया.

भाभी की चूचियां देख कर मुझ पर काबू ना रहा, मैं अपना लंड निकाल कर उनके सामने ही सहलाने लगा.

वो लंड देखकर और मस्त होने लगीं, अपने होंठों पर जीभ फिराने लगीं.

मैं धीरे से भाभी के पास पहुंच गया और लंड को उनके होंठों के पास ले गया.
उन्होंने मुँह दूसरी ओर कर लिया.

मैं बोला- एक चुस्सा तो लगा दो.
ये कह कर मैंने भाभी की दूसरी चूची अपने मुँह में ले ली.
वो आआऊऊईई करने लगीं.

मैं बोला- प्लीज़ मेरे लंड को एक चुस्सा तो दो.
भाभी बोलीं- मैंने आज तक मुँह में नहीं लिया.

मैं बोला- तो आज ले लो न … मजा आ जाएगा.
वो बोलीं- कोशिश करती हूँ.

उन्होंने पहले मेरे सुपारे पर एक चुम्बन किया, फिर सुपारे को होंठों के बीच दबाकर धीरे धीरे चुसकने लगीं.
मैं तो आनन्द के मारे आसमान में उड़ने लगा था.

फिर मैंने धीरे धीरे पूरा लंड उनके मुँह में डाल दिया.
वो उसे बाहर निकाल कर बोलीं- पहले इसे सुला दूं. तुम मेरा इन्तजार करो.

भाभी वो अपने कमरे में लड़की को सुला कर मेरे कमरे में आ गईं.

मैंने उनकी चूची पकड़ कर जोर से भींच दी.
वो बोलीं- धीरे … दर्द होता है.
मैं बोला- दर्द में ही तो मजा है.

मैंने अपना लंड उनके मुँह में दे दिया, जिसे वो चूसने लगीं.
मैं लेटे हुए ही उनके लोअर के पास जाकर उसे उतारने लगा.
भाभी शर्माकर अपने चूतड़ इधर उधर करने लगीं.

मैंने उनके चूतड़ पकड़कर उनका लोअर उतार दिया.
मेरे सामने एक मनमोहक चूत थी, जिस पर नाखून जितनी झांटें थीं.

मैंने प्यार से उसे सहलाया, फिर उस पर एक चुम्बन दिया. फिर उसे होंठों में भर लिया.
भाभी ‘आआ ऊऊईई मर गई मम्मी …’ करने लगीं.

मैं बोला- क्या हुआ … मेरा लंड क्यूं नहीं चूस रही हो?
भाभी बोलीं- आज मेरी चूत में किसी ने पहली बार मुँह लगाया है, बहुत मजा आ रहा है.

मैं बोला- जैसे तुम्हें मजा आ रहा है ऐसे ही मुझे भी आ रहा था. प्लीज़ मेरा लंड मुँह में ही रखो.
भाभी ने मेरा लंड मुँह में ले लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं.

मैं अपनी जीभ से उसके दाने को चचोरने लगा.
भाभी की चूत पानी छोड़ रही थी.
मेरे लंड से भी प्रीकम निकल रहा था.

फिर वो बोलीं- अब मुझसे रहा नहीं जा रहा … एक बार अपने लंड से मेरी चूत की प्यास बुझा दो, फिर खूब चुसवा लेना और मेरी चूत भी खूब चाट लेना. प्लीज़ अभी रहा नहीं जा रहा.

मुझे उन पर बहुत प्यार आया, मैंने भाभी को सीधा लिटाया और अपने लंड से उनकी चूत के दाने को रगड़ने लगा.
वो आआ ऊऊईई करने लगीं.

फिर मैंने धीरे से एक धक्का मारा, जिससे मेरा सुपारा भाभी की चूत में घुस गया.

वो जोर से बिलखने लगीं और आह आऊ ऊईई करती हुई बोलीं- बाहर निकालो जानू … बहुत दर्द हो रहा है.
मैं बोला- तुम्हारी तो लड़की हो चुकी है फिर दर्द क्यूं?

वो बोलीं- इसके पापा तो दो तीन धक्के में ही खलास हो जाते हैं, फिर इनका तुम्हारे से आधा ही है. घर वालों ने इनकी नौकरी देखकर मेरी जिन्दगी खराब कर दी. लड़की भी ऑपरेशन से हुई है. आज इनके अलावा मैं तुम्हारा ही लंड ले रही हूं.

मैं बोला- अभी तो सुपारा ही घुसा है. अभी तो पूरा बाकी है. तुम कैसे सहन करोगी?

भाभी बोलीं- धीरे धीरे करो, कोशिश करती हूं.
फिर मैंने धीरे से धक्का लगाया तो मुझे लगा मेरा लंड किसी गर्म और तंग गुफा में बहुत ही मुशिकल से कुछ ही अन्दर जा पाया.

इतने में ही वो चिल्लाने के लिए हुईं तो मैंने अपने होंठों से उनके होंठ जकड़ कर एक ही धक्के में अपना पूरा लंड उनकी चूत में घुसा दिया.
वो मेरी पकड़ से निकलने के लिए तड़पने लगीं, उनकी आंखों से गंगा जमुना बहने लगी.

मुझे भी लगा कि मेरा लंड किसी शिकंजे में फंस गया है; मुझे भी बहुत जलन होने लगी.
कुछ द्रव्य भी मुझे अपने लंड पर महसूस होने लगा.
मैंने नीचे झांक कर देखा तो उनकी चूत से खून बहने लगा था.

वो रोती हुई बोलीं- अब निकाल लो, मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है.
मैंने फिर से उनके होंठों को अपने होंठों के बीच दबाकर बहुत ही मुश्किल से धीरे धीरे अन्दर बाहर करना शुरू किया.

मेरे लंड पर भी ऐसा लग रहा था, जैसे कई जगह से कट फट गया हो लेकिन मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए.
फिर थोड़ी देर बाद वो भी अपने चूतड़ धीरे धीरे चलाने लगीं तो मैंने उनके होंठ छोड़ दिए.

वो आआ ऊऊई ई करने लगीं.
मैंने उनकी एक चूची मुँह में ले ली और दूसरी को धीरे धीरे दबाने लगा.

वो बोलीं- तुमने तो मेरी जान ही निकाल दी, ऐसे भी कोई करता है क्या?

फिर मैं उन्हें धीरे धीरे चोदने लगा. वो उई उई आऊ ईई कर रही थीं.
मुझे भाभी की टाईट चूत चोदने में थोड़ी कठिनाई हो रही थी लेकिन आनन्द की भी कोई सीमा नहीं थी.

उनकी चूत भी चिकनाई छोड़ने लगी थी जिससे अब लंड को थोड़ी आसानी हो गई थी.
मैं अपनी रफ्तार थोड़ी बढ़ाकर एक्सप्रेस पर आ गया.

फिर मैं उन्हें घोड़ी बनाकर चोदने लगा, उनकी गांड के छेद में अपनी बीच वाली उंगली दे दी.
वो एकदम आगे को हो गईं और बोलीं- पहले मेरी चूत तो ठंडी करो, बहुत सुलग रही है.

मैंने कहा- जब चूत ठंडी हो जाएगी तो गांड भी मारूंगा.
वो बोलीं- तुमने तो चूत में डालने में ही जान निकाल दी … सुना है कि गांड में तो बहुत दर्द होता है, मैं तो मर ही जाऊंगी.

मैंने कहा- चूत गांड मरवाकर अगर कोई मरी हो, तो मुझे एकाध नाम बताओ. तुम्हें न जाने किसने बहका दिया है.
वो बोलीं- आंटी कह रही थीं.

भाभी हमारी मकान मालकिन को आंटी कहती थीं.
मैंने कहा- क्या अपने आदमी से बुढ़िया ने भी गांड मराई थी? वैसे तुम दोनों आपस में ऐसी बातें कर लेती हो?

वो बोलीं- हां, हम जब अकेली होती हैं तो ऐसी बातें कर लेती हैं.
मैं बोला- तो आंटी बिना अंकल के अब क्या करती हैं?

वो बोलीं- बुढ़िया खीरे से अपनी चूत की प्यास बुझाती है. मुझसे भी कह रही थी लेकिन मैंने कह दिया. मैं तो अपने सुनार से ही चुदाऊंगी.
मैं जरा हैरान हुआ.

“वो कह रही थीं कि वाकयी जब इसकी बीवी की पाजेबों की आवाज आती है तो मेरी चूत भी पनिया जाती है. पहले तू चुद ले सुनार से, फिर मुझे भी उसके लंड का स्वाद दिलवा देना. बुढ़िया की नजर भी है तुम पर!”
मैं बोला- क्या कह रही हो भाभी. ऐसा भी होता है कहीं … वो तो उम्र में मेरी मां से भी बड़ी ही होंगी. उनका लड़का बहू भी है. वैसे आजकल सुबह से ही आंटी कहां चली जाती हैं.

भाभी बोलीं- उनका दूसरा घर बन रहा है. सुबह से शाम तक वहीं रहती हैं.
फिर भाभी बोलीं- जो औरत प्यासी होती है, वो छोटा बड़ा नहीं देखती. हम दोनों में भी कितना ज्यादा फ़र्क है. मैं भी तो तुमसे चुदवा रही हूं. ऐसे ही आंटी को भी ठंडी कर देना.

मैं बोला- देखेंगे, पहले तुम्हें तो जी भर कर प्यार कर लूं. जब से यहां आया हूं तब से तुम पर नजर थी … आआह क्या मजा आ रहा है भाभी … जी करता है कि यूँ ही लंड तुम्हारी चूत या गांड में ही डाल कर बस चोदता ही रहूं … बड़ा मजा आ रहा है. तुम्हें आ रहा है या नहीं?
भाभी बोलीं- हां बहुत मजा आ रहा है … बस अब जल्दी जल्दी कर लो … कहीं बुढ़िया आ गई तो मुझे उतारकर खुद तुम्हारे लंड पर बैठ जाएगी.

मैं बोला- उसे बताओगी कि आज हमने चुदाई कर ली?
भाभी बोलीं- उसी ने तो मुझे तुमसे चुदवाने को कहा था. यदि उसे ना करती हूँ तो उसे शक होगा कि आज तुम कहीं गए भी नहीं … और मैं चुदी भी नहीं!

मैं बोला- तुम्हें मेरे साथ मजा आ रहा है या नहीं?
भाभी बोलीं- बहुत ही मजा आ रहा है … आह आअय मर गई रे … सुनार ने पण्डितानी चोद दी … आआई ऊऊऊ आआह … और जोर से चोदो राजा.

मैं भी पूरी ताकत से उन्हें चोदने लगा ‘आआह क्या नई चूत का मजा आ रहा था … आह आअय …’

भाभी मेरे लंड पर अपनी कमर पटकने लगीं और ‘अह आह आआह …’ करने लगीं.
अब तक मुझे कोई 20 मिनट उन्हें चोदते हुए हो गए थे और मेरा लंड अब कभी भी पानी फैंक सकता था.

मैं भाभी से बोला- पानी कहां निकालूँ?
भाभी बोलीं- मेरी चूत अपने रस से भर दो, मुझे तुमसे एक बेटा चाहिए.

मैं ये सुनकर भाभी को ताबड़तोड़ चोदने लगा.
इतने में ही उन्होंने अपने चूतड़ मेरे लंड पर पूरे कस दिए जिससे मेरे आंड भी भिंच गए और वो बहुत ही जोर से झड़ने लगीं.

झड़ने के बाद वो शिथिल स्वर में बोलीं- आह मेरा हो गया … तुम्हारा हुआ या नहीं?
मैं गाली देता हुआ बोला- बहन की लौड़ी तूने तो मेरे आंड ही भींच दिए.

भाभी हंसती हुई बोलीं- आह … आज लंड से पहली बार झड़ी हूं … जानू माफ कर दो प्लीज़.

मैंने भाभी के होंठों को अपने होंठों में दबाकर जोरदार कस कस कर 20-25 धक्के मारे और उसके बाद अपना सारा माल उनकी चूत में ही छोड़ दिया.
झड़ कर मैंने उन्हें देखा, तो वो तो आंखें बंद करके मजे में पड़ी थीं.

शायद इतनी जोरदार चुदाई से भाभी को सुकून मिल गया था.
सेक्सी भाभी हॉट चुदाई के बाद आंखें बंद किए हुई ही बोलीं- आआह … आज शादी के 6 साल बाद मेरी असली सुहागरात मनी है.

मैं बोला- सुहागरात या सुहागदिन?
वो हंस कर बोलीं- हां सुहागदिन … पर अब रात को तुम संभल कर सोना, कहीं आंटी तुम्हारे पास सुहागरात मनाने ना आ जाए.

मैं बोला- जो होगा देखा जाएगा.

फिर भाभी उठने लगीं लेकिन उनसे उठा नहीं जा रहा था.
मैंने उन्हें अपनी बांहों में उठाकर उनके कमरे में ले जाकर लिटाया और गर्म पानी से भाभी की चूत की सिकाई की.

थोड़ी सी सिकाई अपने लंड की भी की.
फिर उन्हें थोड़ा बहुत चलवाया.

भाभी की तो चाल ही बदल गई थी.
मैं उन्हें फिर से दुलारने लगा, तो बोलीं- अब बाजार जाकर कुछ काम देख आओ.

मैं बोला- मन नहीं कर रहा तुम्हें छोड़ने का!
तभी बाहर घर की घंटी बजी तो मैं अपने कमरे में आ गया.

मैं अपने कमरे में आकर बाहर का जायजा लेने लगा.
आंटी ही आई थीं, अन्दर आते ही बोलीं- आज तो घर बड़ा महक रहा है. बड़ी अच्छी खुशबू आ रही है.

दोस्तो, भाभी का नाम नीतू (बदला हुआ) था.
आंटी- अरी नीतू, आज क्या बना लिया, जो इतनी प्यारी महक आ रही है?

फिर फुसफुसाने की आवाज आने लगी. उन दोनों की हल्की हंसी की आवाज सुनाई देने लगी. जिसमें आंटी की सिसकारी भी शामिल थीं.
मैं समझ गया कि नीतू भाभी ने आंटी को बता दिया है कि आज क्या हुआ.

मैं भी रसोई में जाकर चाय बनाकर पी कर बाजार निकल गया.
फिर रात को 9 बजे वापिस आ गया.

इशारों में नीतू भाभी ने बताया कि खाना आंटी के पास रख दिया है.
आंटी भी मुझे घूर रही थीं और मंद मंद मुस्करा रही थीं.

मैं जब खाना लेने लगा, तो आंटी बोलीं- आज अपने कमरे की कुंडी मत लगाना.

मुझे आंटी से शर्म आ रही थी तो मैं बिना कुछ बोले अपने कमरे में आकर पर्दा गिराकर टीवी देखने लगा.
मुझे बार बार आंटी की शक्ल याद आ रही थी और मैं सोच रहा था कि सेक्स की खुमारी न जाने किस उम्र तक ज़िंदा रहती है. उस समय आंटी 60 साल की थीं.

खैर … अब जो भी होना होगा, सो देखा जाएगा.
आंटी की चुदास किस तरह से खत्म हुई, वो मैं आपको अगली सेक्स कहानी में लिखूंगा.

ज्योतिषी बन कर भाभी को बच्चा दिया

  मेरे पास जॉब नहीं थी, मैं फर्जी ज्योतिषी बनकर हाथ देख कर कमाई करने लगा. एक भाभी मेरे पास बच्चे की चाह में आई. वह माल भाबी थी. भाभी की रंड...