मेरा नाम प्रिया है, उम्र 32 साल है. मेरी शादी राज से 6 साल पहले हुई थी.
शादी के कुछ दिनों बाद ही मैं अपने पति के साथ भोपाल में रहने लगी, जहां मेरे पति नौकरी करते हैं.
हम लोग हंसी-खुशी रहने लगे.
हालांकि हमारी सेक्स लाइफ सामान्य ही चल रही थी.
करीब 6 महीने पहले हमने अपना खुद का घर बनवाया और वहां शिफ्ट हो गए.
मैं अपने बारे में बता देती हूँ.
मेरी हाइट 5 फीट 2 इंच, रंग एकदम गोरा, चेहरा काफी सुंदर और फिगर भी एकदम जानलेवा 34-30-36 है … जबकि ब्रा का साइज 34D है.
आप समझ ही गए होंगे कि मेरे बूब्स और गांड की खूबसूरती कैसी है.
इनके बारे में मुझे शायद कुछ भी कहना जरूरी नहीं है.
शादी के इतने सालों बाद भी मेरे बूब्स अभी भी टाइट हैं क्योंकि मैं अपने पति को ज्यादा अपने बूब्स से खेलने नहीं देती.
मेरी गांड भी हल्की-सी उभरी हुई है, जो टाइट कपड़ों में साफ नजर आती है.
मेरे बाल भी लंबे हैं.
हमेशा तो नहीं, लेकिन कभी-कभार सज-संवर कर रहना मुझे पसंद है, जो मेरा पैशन ही समझिए.
लेकिन मुझे ये बिल्कुल पसंद नहीं कि कोई मुझे छेड़े.
हालांकि आते-जाते कई लोग मुझे घूरते हैं और कुछ तो कमेंट्स भी करते हैं.
लोग मेरी कमर, बूब्स, गांड, चेहरा, होंठ और यहां तक कि मेरे पिछवाड़े पर
भी कमेंट करते हैं.
ऐसे कमेंट्स मैंने कई बार सुने हैं.
लेकिन मैंने कभी किसी को जवाब नहीं दिया … क्योंकि बात बढ़ाने से कोई फायदा नहीं.
एक दिन शाम को मेरे पति का फोन आया कि उनका छोटा-सा एक्सीडेंट हो गया है.
मैं तुरंत निकली और हॉस्पिटल पहुंची जहां देखा कि उन्हें हल्की-सी चोट आई थी.
पता चला कि एक फोर-व्हीलर ने उनकी गाड़ी को पीछे से ठोक दिया था.
जब मैं अपने पति के पास पहुंची, तो एक सब-इंस्पेक्टर गुरमीत खान उनसे बयान ले रहा था.
कुछ देर बाद गुरमीत जी ने मेरा परिचय भी लिया.
फिर पति को डिस्चार्ज करने के बाद उसने मुझे घर तक ड्रॉप किया और चला गया.
उस दिन मैंने गुरमीत खान पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया.
फिर 4 दिन बाद शाम के वक्त करीब 7 बजे मैं किचन में खाना बना रही थी.
मैंने उस वक्त बंधेज की नीली साड़ी और मैचिंग ब्लाउज़ पहना था और बालों का
जूड़ा बना रखा था.
मैंने सामान्य कपड़े ही पहने थे.
तभी डोरबेल बजी.
मैंने जाकर दरवाजा खोला, तो सामने गुरमीत खान खड़ा था.
मैंने उसे अन्दर बुलाया और वह मेरे पति के साथ बैठकर बातचीत करने लगा.
फिर मैं चाय और कुछ नाश्ता लेकर आई.
मैंने गौर किया कि गुरमीत का ध्यान मुझ पर कुछ ज्यादा ही था.
वह मुझे बार-बार देख रहा था.
उसकी इस तरह की नजरों से मुझे काफी गुस्सा आ रहा था क्योंकि आज तक कोई मुझे ऐसे देखता तो मुझे चिढ़ हो जाती थी.
हालांकि मैंने अपनी साड़ी को ठीक किया.
मेरे पति ने गुरमीत से खाना खाने के लिए भी कहा.
लेकिन गुरमीत ने कहा- आज नहीं, मैं कभी फ्री होकर आता हूँ. फिर हम लोग साथ बैठकर खाना खा लेंगे.
फिर वह चल गया लेकिन जाते-जाते उसने दरवाजे पर मुड़कर मुझे दो बार देखा.
मैंने अपनी ओर से कोई प्रतिक्रिया या सिग्नल नहीं दिया जिससे उसे कोई बढ़ावा मिले.
लेकिन आज जब मैंने उसे गौर से देखा तो वह मुझे बहुत हैंडसम लगा.
उसकी हाइट 5 फीट 8 इंच, कसरती शरीर और उम्र करीब 30-32 साल होगी.
मेरे पति से बातचीत में उसने बताया कि उसकी अभी तक शादी नहीं हुई थी.
उस रात सोते वक्त मेरे दिमाग में बस गुरमीत का चेहरा ही घूम रहा था.
उसके बारे में सोचते सोचते कब नींद आ गई, पता ही नहीं चला.
फिर एक दिन सुबह 11 बजे मैं मार्केट में कुछ सामान लेने गई.
उस समय मैंने काला घेर वाला कुर्ता पहना था.
रास्ते में मुझे गुरमीत खान दिखा.
वह मुझे देखते ही मेरे पास आ गया और मेरे पति के बारे में पूछने लगा.
मुझे उसके साथ बात करने में काफी संकोच हो रहा था.
लेकिन चूंकि हम बीच रास्ते में थे तो मैंने सहज तरीके से सिर्फ हां और ना में जवाब दिए.
वह बार-बार मुझे हवस भरी नजरों से देख रहा था लेकिन उसने कोई ऐसी हरकत या बात नहीं की, जिससे मुझे परेशानी हो.
आखिर में जब मैं जाने लगी तो उसने कहा- प्रिया भाभी जी, आपने चाय बहुत अच्छी बनाई थी!
मैंने मुस्कुराते हुए ‘थैंक्स.’ कहा और वहां से निकल गई.
रास्ते में भी मैं उसी के बारे में सोचती रही.
दो दिन बाद शाम 5 बजे मेरे पति ने गुरमीत को फोन लगाया और रात के खाने पर इनवाइट किया.
गुरमीत ने भी रात 8 बजे आने का बोल दिया.
अब मेरे दिमाग में ये जानने की उत्सुकता जाग उठी कि गुरमीत खान मेरे बारे में क्या सोचता है.
यही सोचते हुए मैंने फैसला किया कि आज मैं अच्छे से सज-संवर कर उसके सामने जाऊंगी, ताकि उसके दिमाग को पढ़ सकूँ.
लेकिन मैंने यह भी तय कर लिया था कि उसके साथ मुझे कुछ भी गलत नहीं करना है.
शाम होते-होते मैंने सारा काम खत्म कर लिया और खाना भी पका लिया.
फिर मैं तैयार होने लगी.
मैंने लाल शिफॉन साड़ी और उसी के साथ लाल रंग का मैचिंग ब्लाउज़ पहना.
ब्लाउज़ सामने से डीप नेक और पीछे से बैकलेस था.
सामने से मेरे आधे से ज्यादा क्लीवेज दिख रहे थे.
यहां तक कि मेरे बूब्स पर जो तिल था, वह भी साफ दिख रहा था.
मैंने बालों का जूड़ा बनाया, हाथों में लाल चूड़ियां पहनीं और कानों में लटकन डाले. अब मैं पूरी तरह तैयार थी.
करीब 8 बजे डोरबेल बजी.
मैंने जाकर दरवाजा खोला तो सामने गुरमीत खड़ा था.
मैंने उससे नमस्ते की.
लेकिन वह एकटक मुझे देख रहा था.
मैं भी सामने खड़ी होकर उसकी नजरों को भाँपने में लगी थी.
कुछ समय बाद मैंने उससे कहा- कहां खो गए आप!
उसके हाथों में फूलों का गुलदस्ता था, जो उसने मुझे थमाया.
जैसे ही मैंने गुलदस्ता लिया, गुरमीत के और मेरे हाथ आपस में छू गए.
उसी पल गुरमीत बोला- ये गुलदस्ता आपके लिए!
वह मुस्कुरा दिया.
मैंने सामान्य ढंग से गुलदस्ता लिया और उसे अन्दर हॉल में ले आई.
फिर वह मेरे पति के साथ बैठकर बातें करने लगा.
पति ने उसे ड्रिंक ऑफर की लेकिन उसने मना कर दिया.
मेरा किचन का काम भी पूरा हो चुका था, तो मैं भी उनके साथ बैठकर बातें करने लगी.
कुछ देर बाद मैंने नोटिस किया कि गुरमीत की नज़रें मुझ पर ज़्यादा ही
रुक रही थीं, खास तौर पर मेरे क्लीवेज पर, जो उसे साफ दिख रहे थे क्योंकि
वह मेरे ठीक सामने बैठा था.
शायद मैं उसकी नज़रों को समझ चुकी थी लेकिन कई बार आंखें मिलने पर भी मैंने कोई जवाब नहीं दिया.
आखिरकार मेरे पति बोले- प्रिया खाना तो लगाओ!
मैं उठी और गर्म खाना डाइनिंग टेबल पर ले आई.
फिर मैं, मेरे पति और गुरमीत तीनों डाइनिंग टेबल पर आ गए.
बैठने का इंतज़ाम कुछ ऐसा हुआ कि मैं पति और गुरमीत के बीच की कुर्सी पर बैठी.
हमने खाना शुरू किया.
खाना खाते वक्त मेरे पति और गुरमीत बातें कर रहे थे.
अचानक गुरमीत ने नीचे से मेरे पैरों पर अपने पैर रखकर उन्हें सहलाने की कोशिश की.
मैं सहम गई और अपने पैर पीछे खींच लिए, फिर उसकी नज़रों से नज़रें चुराकर देखा.
लेकिन कुछ देर बाद गुरमीत ने फिर वही हरकत की.
इस बार मैंने पैर पीछे नहीं किए, बल्कि गुस्से से उसकी ओर देखने लगी.
पर उस पर कोई असर नहीं हुआ.
वह नीचे अपने पैरों से मेरे पैरों को सहलाता और मसलता रहा.
खाना लेते वक्त भी उसके और मेरे हाथ कई बार छू गए लेकिन मैंने ऐसा जताया जैसे कुछ हुआ ही नहीं.
एक बार तो उसने मेरा हाथ अपनी कमर पर रखकर सहला दिया.
उस पल मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया.
फिर हमारा खाना खत्म हुआ.
जब मेरे पति बाथरूम गए, मैंने गुरमीत से कहा- ये क्या कर रहे थे आप. अगर मेरे पति देख लेते तो?
वह मुस्कुराया और बोला- आपको परेशान कर रहा था प्रिया. इसमें तो बड़ा मज़ा आ रहा था!
फिर वह हाथ धोकर आया.
गुरमीत जाने लगा.
मैं अभी भी गुस्से में थी लेकिन उसे छोड़ने बाहर तक गई.
जाते-जाते गुरमीत ने कहा- काफी अच्छा डिनर था. आपके हाथों में जादू है. काश, मुझे हमेशा ऐसा खाना मिले!
उसने मेरा एक हाथ अपने हाथ में लिया, ‘थैंक्स’ कहा और मेरे हाथ को चूमकर चला गया.
उसके जाने के बाद मैं रात भर उसके बारे में ही सोचती रही.
मैं सोच रही थी कि मैंने उसे बढ़ावा क्यों दिया.
अगले दो-तीन दिनों में गुरमीत मुझसे रास्ते में दो-तीन बार टकराया लेकिन हमारी कोई बातचीत नहीं हुई.
हां, बस हमारी आंखें चार हुईं.
हालांकि, मन ही मन मुझे गुरमीत अच्छा लगने लगा था.
एक दिन शाम को मेरे पति बोले- मुझे अर्जेंट काम से दो दिनों के लिए शहर
से बाहर जाना है. चलो, स्टेशन जाते वक्त रास्ते में डिनर कर लेंगे. वहां से
मैं स्टेशन चला जाऊंगा और तुम घर लौट आना.
मैंने ‘ठीक है’ कहा और तैयार होने लगी.
मैंने हल्के हरे रंग की कॉटन साड़ी और काला कॉटन ब्लाउज़ पहना, बालों का जूड़ा बनाया और तैयार होकर बाहर आई.
मेरे पति भी तैयार थे.
हम सात बजे के करीब स्टेशन के लिए निकल पड़े.
रास्ते में हम एक रेस्तरां में रुके, जो फैमिली बार और रेस्तरां था.
वहां टेबल पर बैठकर हमने खाना ऑर्डर किया.
खाना आने में काफी देर हुई जिस दौरान हमने खूब बातें कीं.
करीब आठ बजे खाना आया.
मेरे पति पहले से ही देर से चल रहे थे, तो उन्होंने जल्दी-जल्दी खाना शुरू किया.
खाते वक्त मेरी नज़र दूर एक टेबल पर गई जहां गुरमीत पहले से बैठा हुआ था और शायद वह ड्रिंक कर रहा था.
खाना खत्म करने के बाद मेरे पति बोले- प्रिया, अब मैं निकलता हूँ. तुम घर चली जाना. मेरी ट्रेन का समय हो रहा है.
वे चले गए.
उनके जाने के बाद मैं सोचने लगी कि कहीं गुरमीत ने हमें देख तो नहीं लिया.
इसलिए मैं भी जल्दी-जल्दी खाना खाने लगी.
पांच मिनट बाद गुरमीत अपनी टेबल से उठकर मेरी टेबल पर आ गया और मेरा हाल-चाल पूछने लगा.
उसके मुँह से ड्रिंक की स्मेल साफ आ रही थी.
मैं उससे बात करते वक्त अपनी नज़रें चुरा रही थी.
दो-चार मिनट बात करने के बाद गुरमीत अचानक बोला- प्रिया भाभी, आप वाकयी बहुत खूबसूरत और हॉट हैं.
मैंने कहा- देखिए गुरमीत जी, अगर कोई परिचित मुझे आपके साथ इस तरह देख लेगा … तो मुझे बड़ी परेशानी हो जाएगी.
वह बोला- तो ठीक है. मुझे आपसे ढेर सारी बातें करनी हैं. बताइए, हम कहां बैठकर बात कर सकते हैं?
मैंने कहा- हम अकेले नहीं मिल सकते, ये समझिए!
वह बोला- पहले दिन से जब से मैंने आपको देखा, तभी से मैं आपसे ढेर सारी
बातें करना चाहता था, लेकिन ऐसा मौका नहीं मिला. एक काम करते हैं, मैं आपको
घर छोड़ देता हूँ और उसी बहाने कुछ देर बातें भी कर लेंगे.
मैंने कहा- आप नहीं समझे? घर पर अगर किसी ने हमें देख लिया, तो मेरी बदनामी हो जाएगी!
गुरमीत ने मुझे बहुत समझाने की कोशिश की, लेकिन मैं मना करती रही.
हालांकि मेरे दिल-दिमाग में भी उससे मिलकर बात करने का मन था लेकिन समाज की मर्यादाओं को मैं इस तरह नहीं तोड़ सकती थी.
आखिरकार गुरमीत ने कहा- चलिए मैं आपको घर तक तो छोड़ सकता हूँ!
मुझे राज़ी होना पड़ा.
मेरा दिल भी गुरमीत के साथ कुछ समय बिताने को बेताब था.
लेकिन उसने पी रखी थी इसलिए मैं उससे दूर भागने की कोशिश कर रही थी.
फिर हम दोनों बाहर निकले और गुरमीत ने अपनी टू-व्हीलर स्टार्ट की.
मैंने गुरमीत से कहा- एक काम करो. आपने शराब पी रखी है और शायद आप गाड़ी
भी अच्छे से न चला पाओ. इसलिए आप मेरी चिंता मत करो. मैं ऑटो लेकर घर चली
जाऊंगी.
इस पर गुरमीत बोला- मैडम, आप चिंता न करें. हमारे लिए तो ये रोज का काम
है. आप निश्चिंत होकर बैठ सकती हैं. अभी तो बोतल आधी ही भरी है.
उसने अपनी जेब से दो और बोतलें निकाल कर मुझे दिखाईं.
मैंने उससे कहा- अभी और पियोगे?
उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया- हां. अभी तो रात शुरू हुई है.
आखिरकार मैं उसकी बाइक पर पीछे बैठ गई और उसने गाड़ी चालू की. वह मुझे लेकर मेरे घर की ओर चल पड़ा.
मैंने उससे कहा- आप मुझे घर से थोड़ा पहले ही उतार देना. वहां से मैं पैदल चली जाऊंगी.
पहले तो उसने कहा- नहीं, मैं आपको घर तक छोड़ दूँगा.
लेकिन मेरे बार-बार कहने पर वह मान गया.
फिर मैंने उससे आप की जगह तुम कहना शुरू किया और पूछा- तुमने तो मेरे पति से कहा था कि तुम शराब नहीं पीते?
गुरमीत हंसते हुए बोला- अरे अपने सारे राज थोड़ी न आपके पति के सामने खोलकर रख दूँगा.
गाड़ी चलाते-चलाते गुरमीत बार-बार मेरी तारीफ कर रहा था.
मैंने उससे दो बार कहा- गुरमीत शायद तुम आज शराब के नशे में बोल रहे हो.
उसने जवाब दिया- मैडम, नशा भी इतना नहीं चढ़ा … और वैसे भी, बोतल में वह नशा नहीं जो आप में है!
मैं उसकी बातों को समझ रही थी.
कुछ देर बाद हम घर के करीब पहुंच गए.
मैंने उसे एक सुनसान जगह पर गाड़ी रोकने को कहा और गुरमीत ने वहां गाड़ी रोक दी.
मैं जैसे ही उतरी, गुरमीत ने मेरा हाथ पकड़ लिया.
मैंने उसकी इस हरकत का विरोध करते हुए कहा- गुरमीत जी, मुझे यहां छोड़ दीजिए. कहीं किसी ने देख लिया तो मैं बदनाम हो जाऊंगी!
उसकी पकड़ इतनी मजबूत थी कि मैं अपना हाथ छुड़ा नहीं पा रही थी.
उसने मुझे अपनी ओर खींचा और मेरा चेहरा उसके चेहरे के सामने आ गया.
इससे पहले कि वह कुछ और करता, मैंने जैसे-तैसे अपने हाथ छुड़ाए और जल्दी-जल्दी घर की ओर चल पड़ी.
कुछ ही देर में मेरा घर आ गया.
मैंने जल्दी से दरवाजा अन्दर से बंद किया और राहत की सांस ली.
उसके हाथ का स्पर्श न जाने क्यों मुझे गर्म करने लगा था.
आज रात में मेरे पति राज भी घर पर नहीं थे तो मैं बेईमान होने लगी थी
मैं सोचने लगी कि आज गुरमीत ने क्या कर दिया; मैंने तो इसके बारे में सोचा भी नहीं था.
अब मेरे दिमाग में गुरमीत के प्रति कई तरह के ख्याल आने लगे.
मैं यह भी सोच रही थी कि अगर गुरमीत मुझे पकड़ कर किस ले लेता या मेरे शरीर
को छूकर मुझे उत्तेजित करता तो शायद मैं भी उसके किस का जवाब देती या
नहीं?
यही सब सोचती हुई मैं सोफे पर बैठी रही और आधा घंटा बीत गया.
तभी डोरबेल बजी.
मैंने समय देखा तो रात के 11 बज रहे थे.
मैं सोचने लगी कि इस समय कौन आ सकता है?
मैंने जाकर दरवाजा खोला तो सामने गुरमीत खड़ा था.
उसने शायद और ज्यादा शराब पी ली थी क्योंकि उसकी सांसों से शराब की गंध आ रही थी.
मैंने कहा- तुम अभी यहां? अब क्या काम है?
मैं तीन कदम पीछे हट गई.
इसका फायदा उठाकर गुरमीत अन्दर आ गया और दरवाजा बंद कर दिया.
मैंने कहा- तुम यहां? अगर किसी ने तुम्हें यहां देख लिया तो क्या होगा, समझो … अभी चले जाओ!
वह मुझे हवस भरी नजरों से देख रहा था.
मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि अब क्या करूँ.
मेरा दिमाग काम करना बंद कर चुका था.
अब गुरमीत आगे बढ़ने लगा और मैं पीछे हटती गई.
कुछ ही पलों में मैं दीवार से टकरा गई और गुरमीत मेरे बिल्कुल करीब आ गया.
उसने अपना एक हाथ मेरे पेट पर रखा और जोर से दबा दिया.
मेरे मुँह से आह निकल गई, जिसे मैंने मन ही मन दबा लिया.
मैं बोली- यह क्या कर रहे हो, गुरमीत? यहां से चले जाओ. कोई तुम्हें मेरे घर देख लेगा तो मैं बदनाम हो जाऊंगी.
यह कहते हुए मेरी आंखों में हल्के आंसू आ गए.
वह बोला- देखो प्रिया, जिस दिन से मैंने तुम्हें पहली बार देखा, तभी से
तुम मुझे अच्छी लगने लगी थी. तुम इतनी खूबसूरत और हॉट हो कि तुम्हें देखकर
कोई भी फिदा हो जाएगा.
मैं उसकी आंखों में देख रही थी लेकिन शायद शराब की वजह से वह इतने खुले ढंग से बोल रहा था.
उसने कहा- शायद मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ.
मैंने जवाब दिया- देखो गुरमीत, मेरी शादी हो चुकी है. मैं अपने पति को कैसे धोखा दे सकती हूँ?
लेकिन वह मानने को तैयार नहीं था.
हालांकि मेरे मन में भी उसके लिए आकर्षण पैदा हो चुका था शायद इसलिए मैं सिर्फ बोलकर विरोध कर रही थी.
कुछ देर बाद गुरमीत ने मेरा कंधा पकड़ कर मुझे घुमा दिया.
अब वह पीछे से मुझसे चिपक गया और मेरी गर्दन व ब्लाउज के खुले हिस्से पर अपनी पीठ पर होंठों से चूमने लगा.
मैं बस यही कह रही थी- गुरमीत, तुम गलत कर रहे हो.
लेकिन वह सुनने वाला नहीं था.
कुछ ही पलों में उसने मेरे बालों का जूड़ा खोल दिया और मेरे बाल लहराने लगे.
उसने मेरे बालों को एक तरफ करते हुए मुझे दीवार से पूरी तरह सटा दिया.
मेरे बूब्स दीवार में मानो गड़ गए थे.
उसने एक हाथ से मेरा कंधा पकड़ा और दूसरे से मेरे पेट को, इस तरह से उसने मुझे अपनी पकड़ में बांध सा लिया.
उसकी इस हरकत से मेरी आंखों से हल्के-हल्के आंसू गिरने लगे क्योंकि वह मुझे जोर से दबा रहा था.
फिर उसने अचानक मेरे ब्लाउज को पीछे से पकड़ कर खींचा, जिससे मेरा ब्लाउज पीछे से फट गया.
मेरी ब्रा की सफेद पट्टी उसकी आंखों के सामने थी.
अब वह और भी जोश में मेरी पूरी पीठ पर किस करने लगा और जहां मन करता, काट भी लेता.
उधर उसके ऐसा करने से मेरे अन्दर भी सेक्स की ज्वाला बढ़ने लगी और मेरी चूत भी गीली हो गई.
कुछ पल बाद उसने मुझे सीधा किया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
वह मेरे होंठों को चूसने और काटने लगा.
मैं अपने हाथों से गुरमीत को दूर करने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसके अन्दर मुझसे कहीं ज्यादा ताकत थी.
शायद इसलिए मेरा विरोध उसके सामने बेअसर हो रहा था.
उसने मेरे फटे ब्लाउज को मेरे शरीर से निकाल फेंका.
फिर उसने नीचे हाथ डालकर मेरी साड़ी को मेरे शरीर से खींचकर अलग कर दिया.
अब मैं उसके सामने केवल ब्रा, पेटीकोट और अन्दर पैंटी में थी.
गुरमीत ने मुझे अपनी बांहों में ले लिया था.
उसने एक बार फिर से मेरे होंठों को बुरी तरह चूसना शुरू कर दिया.
इस बार मैं उसका विरोध नहीं कर रही थी.
शायद वह भी यह बात समझ चुका था इसलिए उसने पास रखे एक टेबल पर, जो दीवार से सट कर रखी थी, मुझे उठाकर बिठा दिया.
फिर पीछे हटकर उसने अपनी शर्ट उतार दी और पैंट को जिप तक खोल दिया.
मैं उसकी मर्दाना देह को देखकर मन ही मन अपने आप को खुशकिस्मत मानने लगी और सोचने लगी कि काश इससे ही सात फेरे लिए होते!
आखिरकार वह फिर से आगे बढ़ा और मुझसे चिपक गया.
इस बार उसने मेरे साए को ऊपर करते हुए एक ही झटके में मेरी पैंटी को नीचे खींच लिया और उसे मेरे शरीर से अलग कर दिया.
कुछ ही पलों में वह मेरे गले, मेरे चेहरे, मेरे होंठों पर और धीरे-धीरे नीचे मेरे ब्रा के ऊपर मेरे बूब्स पर भी किस करने लगा.
मेरे बूब्स के ऊपर काले तिल पर तो गुरमीत ने जोर से काटा, जिससे मेरी चीख निकल गई.
अब मैं उसका विरोध नहीं कर रही थी बल्कि उसके साथ देने लगी थी.
मैं उसके बालों को पकड़ कर अपने बूब्स पर दबा रही थी.
उसने मेरी ब्रा की पट्टी को कंधे से नीचे कर दिया और ब्रा को भी खिसका दिया.
फिर मेरे बूब्स को पूरी ताकत से अपने हाथों से दबाने लगा और सहलाते हुए एक दूध को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.
मैं बोली- आह गुरमीत … यह क्या कर रहे हो? रुक जाओ प्लीज ऐसा मत करो!
लेकिन वह कहां मानने वाला था.
मैं भी उसे ऐसा बोलकर उकसा रही थी.
कुछ पल बाद मैंने अपने बूब्स खुद ही उसके मुँह में दे दिए जिन्हें वह किसी माहिर खिलाड़ी की तरह चूसने में जुट गया.
वह मुझे मदहोश करने लगा.
मैं उसके चेहरे को अपने बूब्स पर और जोर से दबा रही थी और बोल रही थी-
गुरमीत आह … क्या कर रहे हो? छोड़ दो. मत काटो इन्हें … ओह … ओह … गुरमीत
छोड़ो ना उम्म उई उई!
उधर नीचे मेरी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी.
उसने मेरे साए को मेरी कमर तक नीचे कर दिया था.
फिर अचानक से गुरमीत उठा और मेरी आंखों में आंखें डालकर मुझे देखने लगा.
इस बार उसने अपने इनरवियर से अपने लंड को निकाला और मेरी जांघ पर ले आया.
उधर नीचे मेरी चूत से धार बहने लगी थी जो यह बता रही थी कि मैं चुदने के लिए पूरी तरह तैयार हो चुकी थी.
गुरमीत ने मेरे चेहरे को पकड़ा और नीचे अपने लंड को मेरी चूत पर रखते हुए कहा- आई लव यू!
उसी पल उसने अपना लंड मेरी चूत में धकेल दिया.
शायद उसका लंड मोटा और बड़ा दोनों था इसलिए मुझे बहुत तेज दर्द हुआ.
मैं उसकी पीठ पर अपने नाखून गड़ाते हुए उससे चिपकने लगी.
मेरी आंखों से आंसुओं की धार बहने लगी और मेरी आह तक निकल गई.
मैं चिल्ला पड़ी- आह मर गई … निकालो प्लीज!
गुरमीत ने एक बार लंड बाहर निकाला और फिर एक बार जोर से मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया.
मैंने उसे और जोर से पकड़ा, शायद रुकने का इशारा किया.
लेकिन वह कहां मानने वाला था.
उसने मेरे होंठों को पूरी तरह काटना और चूसना शुरू कर दिया.
मैं उसे अपने से चिपकाए हुई थी.
मेरे बूब्स उसकी छाती से पूरी तरह दबे थे. उसके हाथ पीछे मेरी पीठ और कमर को सहलाते हुए मुझे चोदने में जुटे थे.
उसी पोजीशन में उसने मुझे करीब 15 से 20 मिनट तक चोदा.
इस दौरान उसने कई बार मेरे बूब्स चूसे, कभी मेरी गर्दन पर गाल काट दिए, कभी
होंठों को काटा, कभी प्यार से किस किया, कभी मेरी पीठ को सहलाया, कभी मेरी
कमर पर हाथ फेरा और कभी मेरी गांड पर हाथ रखकर उसे सहलाने लगा.
कभी मेरे बालों को खींचते हुए मुझे तेज रफ्तार से चोदने लगता.
वाइल्ड सेक्स विद भाभी का मजा पुलिस वाला ले रहा था और सारे कमरे में मेरी सिसकारियां गूंज रही थीं.
आखिर 15 से 20 मिनट बाद उसने अपने शॉट्स की स्पीड बढ़ा दी.
उस समय तक मैं तीन-चार बार झड़ चुकी थी और अभी फिर झड़ने की कगार पर थी.
मेरे पैर तो हवा में ही थे जिस कारण वे सुन्न पड़ गए थे.
पैरों में थिरकन-सी होने लगी थी.
मैं अब उसकी पीठ और बालों को सहलाने में जुट गई, उसे अपने सीने से चिपकाए हुई थी ताकि वह जल्द ही अपना वीर्य मेरे अन्दर गिरा दे.
उसी दौरान उसने अपने शॉट्स की स्पीड और बढ़ाई और मुझे बेरहमी से चोदते हुए अपना वीर्य मेरी चूत में डाल दिया.
फिर मुझे जोर से गले लगाते हुए हांफने लगा.
इस दौरान मैं यह भी भूल चुकी थी कि उसने शराब पी रखी थी और मैं उसका साथ दे रही थी.
मैंने उसके सिर को सहलाते हुए उसे अपने से चिपका लिया.
वह भी मेरे गले पर हल्के-हल्के किस कर रहा था.
फिर अचानक वह मुझसे दूर हुआ और अगले ही पल अपने कपड़े पहनने लगा.
मैं वहीं बैठे-बैठे उसे देख रही थी.
जब वह कपड़े पहन चुका, तो बोला- प्रिया, आज से तू मेरी है. सिर्फ मेरी है!
मैं भी अपनी ब्रा की स्ट्रिप को ऊपर करती हुई खड़ी हुई और ब्रा व पेटीकोट में ही जाकर उससे सामने से चिपक गई.
वह मेरे बालों को सहलाते हुए कुछ देर खड़ा रहा.
फिर मेरे बालों को खींचते हुए मेरे होंठों को अपने होंठों के सामने लाया और एक जोरदार स्मूच किया.
इस बार मैंने उसका पूरा साथ दिया.
हमारा स्मूच इस बार काफी लंबा चला … करीब 5-7 मिनट तक.
फिर उसने मुझे अपने से दूर करते हुए कहा- मैं जा रहा हूँ और कल मिलूँगा तुझसे!
उसने दरवाजा खोला और निकल गया.
मैंने जल्दी से दरवाजा बंद किया.
मेरी चुदाई इतनी जोरदार हुई थी कि मैं ठीक से चल भी नहीं पा रही थी.
शायद इतना मोटा, लंबा और कटा हुआ लंड मैंने जीवन में पहली बार लिया था.
लेकिन मजा मुझे बहुत मिला.
फिर मैं बेड पर आई और गुरमीत के साथ जो हुआ, उसे सोचने लगी कि किस तरह उसके लंड ने मुझे मजा दिया.
सोचते-सोचते कब आंख लग गई, पता ही नहीं चला.
दूसरे दिन सुबह उठी तो मोबाइल पर गुरमीत का मैसेज था.
मैं उस समय भी ब्रा और पेटीकोट में थी.
उसने मैसेज में काफी रोमांटिक बातें लिखी थीं और मेरी तारीफ भी की थी.
तभी गुरमीत का कॉल मेरे फोन पर आया.
उसने कहा- तो कैसी रही कल रात प्रिया डार्लिंग?
मैंने कहा- देखो गुरमीत … कल जो भी हुआ, सो हो गया. अब हम कभी नहीं मिलेंगे!
गुरमीत बोला- वह तो समय के ऊपर निर्भर करता है.
मैं बोली- मैं इसे एक हादसा समझ कर भूल जाऊंगी, तुम भी भूल जाओ!
आखिर वह बोला- ठीक है, दोपहर के वक्त मॉल में मिलो!
मैंने कहा- ठीक है … लेकिन सिर्फ मैं तुम्हें समझाने के लिए आऊंगी!
फिर मैं दोपहर के 2 बजे मॉल के लिए निकली.
मैंने व्हाइट स्किन टाइट कुर्ता पहना, जिसमें मेरे बूब्स बड़े लग रहे थे
और रेड स्किन टाइट लेगिंग्स पहनी, जिसमें मेरी गांड भरी-भरी लग रही थी …
साथ ही ब्लैक सैंडल पहनी.
मेरे बालों का जूड़ा बना था और होंठों पर लाइट लिपस्टिक लगाई थी.
जब मैं मॉल पहुंची, गुरमीत पहले से ही वहां खड़ा था.
मुझे देखते ही मेरे पास आया और बातचीत शुरू कर दी.
वह बोला- आज तो कड़क माल लग रही हो!
मैंने कहा- झूठी तारीफ बंद करो जनाब.
फिर हम लोग एक रेस्टोरेंट में गए, जहां हमने कुछ स्नैक्स लिए.
उस दौरान हमने काफी देर तक बातचीत की.
गुरमीत बोला- आज रात को मैं फिर आऊंगा.
मैंने उसे मना किया और कहा- आज वैसे भी मुझे एक शादी के रिसेप्शन में जाना है.
वह कुछ नहीं बोला.
मैंने कहा- वैसे भी जो हुआ, उसे भूल जाओ … मैं यही बोलने आई हूँ.
वह अब भी चुप था.
आखिर में मैंने पुनः कहा- चलो, अब मैं चलती हूँ!
फिर मैं और गुरमीत लिफ्ट से नीचे आने लगे, लिफ्ट में हम अकेले ही थे.
लिफ्ट का दरवाजा बंद होते ही गुरमीत ने अचानक मेरे हाथ को पकड़ा, मुझे
अपनी ओर खींचा और मेरे चेहरे को पकड़कर अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख
दिया.
शायद उसके इस अचानक हमले के लिए मैं तैयार नहीं थी.
मेरे मुँह से बस ‘उम्म्म’ की आवाज़ निकल रही थी.
उसके हाथ पीछे मेरी गांड तक पहुंच चुके थे और उसने मेरी गांड को दबाया भी.
इतने में लिफ्ट रुकी और हम दोनों अलग हो गए.
जब मैं लिफ्ट से बाहर निकली, मैंने मुस्कुराते हुए कहा- सच में तुम पागल हो गए हो!
मॉल के बाहर तक वह मेरे साथ आया.
वह बोला- आज रात तो तुम मेरी ही रानी बनोगी प्रिया!
मैं बोली- बस रहने दो, अब ऐसा कुछ नहीं होगा.
लेकिन अब मैं शर्मा और मुस्कुरा भी रही थी.
इस बार मैं खुद ही उसके पीछे चिपक कर उसकी बाइक पर बैठ गई.
उसने मुझे घर तक छोड़ा.
मैं घर आई, रेस्ट किया और शाम को 9 बजे खाना खाकर टीवी देखने लगी.
साथ ही सोच रही थी कि गुरमीत कहीं आ तो नहीं जाएगा और आज मेरे साथ क्या करेगा.
सोचते-सोचते कब आंख लग गई, पता ही नहीं चला