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Thursday, 30 October 2025

ज्योतिषी बन कर भाभी को बच्चा दिया

 

मेरे पास जॉब नहीं थी, मैं फर्जी ज्योतिषी बनकर हाथ देख कर कमाई करने लगा. एक भाभी मेरे पास बच्चे की चाह में आई. वह माल भाबी थी.

भाभी की रंडी बनने की यह भाबी Xxx कहानी उस समय की है जब मैं घर पर जॉब छोड़ कर रहता था.

मुझको कई दिनों से जॉब नहीं मिल रही थी.
इसलिए मैंने एक फर्जी काम शुरू कर दिया था.
मैं हाथ देख कर भविष्य बताने लगा था.
इस काम में मेरे पास पैसा आने लगा था.

एक दिन की बात है.
उन दिनों मेरे पास भाभियां आंटियां और बहुत सी लड़कियां मेरे पास अपना हाथ दिखाने के लिए आती रहती थीं.

एक दिन एक भाभी मेरे पास आईं.
वह भाबी दिखने में एक नंबर की हॉट रंडी लग रही थीं.

उनका फिगर इतना टाइट और गदराया हुआ था कि उसे देखते ही मेरा दिमाग और लाँड़ दोनों हिल गए.

वे मेरे करीब आईं और उन्होंने मुझसे पूछा- सर, लकी जी (बदला हुआ नाम) कौन हैं?

मैंने कहा- कहो, क्या काम है? मैं ही हूँ लकी!
मैं इधर आपको बता दूँ, भाभी का नाम वंदना था … जो मुझे उनसे बात के दरमियान माल हुआ था.

वंदना भाभी बोलीं- आप हाथ देखते हैं? मुझे अपना हाथ दिखाना है, अपने बारे में कुछ जानना है!
मैंने कहा- आओ, बैठो!

वे मेरे और पास को आईं और बैठ गईं.
फिर भाभी ने अपना हाथ मुझे दे दिया.

मैंने भाभी के हाथ को अपने हाथ में लिया और उस पर बनी रेखाओं पर अपनी उंगली फेरने लगा.

मैंने उनके बारे में बताना शुरू किया ‘आप इन दिनों भारी तनाव से गुजर रही हैं!’

मैंने इतना कहा ही था कि वे एकदम से फट पड़ीं.
उनकी शादी को चार साल हो गए थे लेकिन उन्हें बच्चा नहीं हो रहा था.

इस कारण वे बहुत परेशान थीं.

मैंने भाभी से कहा- आपको एक काम करना होगा, इसमें थोड़ा खर्चा लगेगा!
वे बोलीं- चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े, मुझे बच्चा चाहिए!

यह कह कर वे रोने लगीं. उनकी स्थिति कुछ ऐसी हो गई थी कि उन्हें मैं न संभालता तो वे गिर जातीं.

मैंने झट से उठ कर उन्हें संभाला और अपने गले से लगा लिया.
मैं भाबी को सांत्वना देने लगा.

वे भी मुझसे जोर से चिपक गईं और जोर जोर से रोने लगीं.
वे अपने मोटे-मोटे बूब्स को मेरे शरीर से रगड़ती हुई जोर-जोर से दबाने भी लगीं.

मुझे समझ में आ गया कि ये भाभी आज मुझसे अपनी चूत चुदवाकर ही वापस जाएंगी!

कुछ पल बाद मैंने उन्हें अलग किया और कहा- मैं जैसे-जैसे बताता हूँ, आप वैसे-वैसे करो … मेरी गारंटी है कि आपको बच्चा हो जाएगा!
वे बोलीं- ओके सर, आप जैसे कहेंगे, मैं वैसे ही करूँगी!

मैंने उनसे पूछा- आपके पति क्या करते हैं?
वे बोलीं- मेरे पति अक्सर बाहर ही रहते हैं, वे अपने काम के चक्कर में ही लगे रहते हैं!

मैंने कहा- ओके, आप एक काम करो. इस बार जब आपके पति आएं, तो उनके साथ बिना कंडोम के अच्छे से सेक्स करना … और जब वे चले जाएं, तो मुझे अपने घर बुला लेना. आगे की प्रक्रिया मैं आपको बता दूँगा!
शायद उन्होंने समझ लिया था कि आगे की प्रक्रिया क्या होने वाली है.

भाभी ने अपना फोन नंबर मुझे दिया और वे मुझे देखती हुई मुस्कुरा कर चली गईं.

अब मैंने उनकी मुस्कान देखी तो उन्हें चोदने का प्लान बना लिया.
सच में भाभी बहुत ही सेक्सी माल थीं.

उस दिन मैंने अपनी पत्नी की रात में दो बार आगे से ली और एक बार गांड भी मारी.
वह हैरान थी कि आज मुझे क्या हो गया.

कुछ दिन बाद वंदना भाभी का कॉल आया.
भाभी बोलीं- सर, मैं वंदना बोल रही हूँ! क्या आप फ्री हैं? अभी मेरे घर आ सकते हैं?

मैंने पूछा- हां जी भाभी जी. आपके पति आकर चले गए हैं क्या?
वे बोलीं- हां आज ही गए हैं.

मैंने कहा- तो क्या मैं आज रात को आ जाऊं … कोई दिक्कत तो नहीं है न?
भाभी इतरा कर बोलीं- नहीं सर, कोई दिक्कत नहीं है … आप कभी भी आ सकते हैं!
मैंने कहा- ओके मैं आता हूँ.

भाभी ने कहा- खाने में क्या पसंद करते हैं? और पीने में क्या पसंद करते हैं?
मैंने कहा- कुछ भी जो आप चाहें!

इसके बाद रात को 9 बजे मैं वंदना भाभी के घर गया.
मैंने बेल बजाई तो अन्दर से भाभी ने गेट खोला.

भाभी ने रेड कलर की नाइटी पहन रखी थी और चूचों पर एक आर-पार दिखने वाला जाली का दुपट्टा डाल रखा था.

सच में भाभी माल लग रही थीं … उनके दोनों दूध मेरे लौड़े की माँ चोद रहे थे.
मेरा तो मन कर रहा था कि साली को यहीं रंडी बनाकर चोद दूँ.

लेकिन पहले चेक करना था कि भाभी तैयार भी हैं या नहीं.

मैंने कहा- भाभी जी, आप तो आज बहुत ही हॉट लग रही हो!
वंदना ने कहा- थैंक्यू अन्दर आइए!

हम दोनों अन्दर आ गए.

वंदना भाभी ने मुझे पानी पिलाया और बातें करने लगीं.

फिर उन्होंने व्हिस्की की बोतल और नमकीन आदि लाकर रख दिए.
मैंने हंस कर कहा- अरे इसकी क्या जरूरत थी!

वे बोलीं- अरे लीजिए न … मैं भी अकेली बोर हो जाती हूँ तो किसी के साथ लेने का जी करता है.

अब भाभी ने दो पैग बनाए और हम दोनों चीयर्स बोल कर पीने लगे.
एक पैग खत्म होते ही मैंने सिगरेट का पैकेट निकाला और एक सिगरेट जला कर धुआँ उड़ाने लगा.

भाभी ने मेरे हाथ से सिगरेट ले ली और वे भी धुआँ उड़ाने लगीं.

अब हम दोनों दारू के साथ खुलते गए.

फिर वे खाना की पूछने लगीं तो मैंने कहा कि मैं घर से खाना खाकर आया हूँ.
वे बोलीं- अरे सर मैंने खाना बना लिया था!

फिर मैंने कहा- आप मुझे सर बोलना बंद करो और प्यार से मुझे लकी बोलो! हमारे बीच अब ये सर का सम्बोधन नहीं होना चाहिए!

वंदना भाभी ने मुझे लकी बोलना शुरू कर दिया और कहने लगीं- लकी, आपने कहा था जब मेरे पति आएं तो सेक्स करना, उसके बाद मुझे बुलाना. तो कल रात को हमारा सेक्स हुआ है. अब आप बताओ आगे क्या करना है?

मैंने न/शे में लड़खड़ाते स्वर में कहा- आपको जो मैं कहने वाला हूँ, उस बात को सही समय पर आप खूब करो … न कि गलत समय में. जो मैं कहूँ, वही करना है!

वंदना बोली- ठीक है लकी जो आप कहेंगे, मैं वैसे ही करूँगी!
मैंने वंदना से कहा- मान लो आपने दो महीने से सेक्स नहीं किया है और आपको सेक्स करने का बहुत मन कर रहा है. आपने मार्केट से एक कॉल बॉय को बुलाया है और समझें कि वह कॉल ब्वॉय मैं हूँ … तो आपको उसके साथ मस्त वाली चुदाई करवानी है!

वंदना भाभी हंस कर बोलीं- आप ये क्या बोल रहे हो! मैं कोई ऐसी वेश्या तो नहीं हूँ! आपने ये क्या बात कर दी?
मैंने भाभी के गाल पर हाथ फेरते हुए कहा- ये तो आपको करना ही होगा. अगर आपको बच्चा चाहिए … नहीं तो मैं चला!

यह कहते हुए मैंने अपने लौड़े को पैंट से बाहर निकाल दिया.

लंड देख कर और मेरे मुँह से बच्चे का नाम सुनते ही भाभी बोलीं- ठीक है राजा, आप तो गुस्सा हो गए … चलो आप अब मुझे चोद ही दो … मैं बहुत प्यासी हूँ! मुझे अपनी रखैल बना लो … मैं आज से बल्कि अभी से आपकी रंडी बनना चाहती हूँ! आ जाओ मेरी गांड भी मार लो … चुत भी चोद दो.

वे एकदम से ऐसे शब्द बोलने लगीं, तो मैं खुश हो गया.
अब मुझे और क्या चाहिए था!

मैंने उनके करीब जाकर उनकी बांहों पर किस करना शुरू कर दिया और एक हाथ से उनके बूब्स दबाने लगा.
वे मुझसे जोर-जोर से बोल रही थी- चोद दे राजा मुझे … फाड़ दो मेरी चुत गांड को और बना लो अपनी रंडी … मैं आपकी रंडी हूँ! मुझे खड़ी कर दो मार्केट में … पेशा करवाओ मुझसे … बन जाओ मेरा दलाल … मैं वेश्या हूँ!

भाभी की बातों को सुनकर मैं जोश में आ गया और उनको पूरी नंगी कर दिया.
मैं उनके बूब्स चूसने लगा.

भाबी मस्त हो रही थीं और अपने दूध अपने हाथ से पकड़ कर मुझसे चुसवा रही थीं.
‘आह खींच खींच कर चूस लो आह आह उई … चोद दे अब मुझे … डाल दे साले अपना लंड मेरी चुत की गहराई में आह!

भाभी लगातार ऐसी आवाजें निकाल रही थीं और मैं उनके एक दूध को चूस रहा था व दूसरे के निप्पल को मींज रहा था और दूध मसल रहा था.
वे मस्त हो गई थीं.

फिर मैंने उन्हें चित लिटाया और उनकी चूत को चाटने लगा.
अब तो उनकी हालत और ज्यादा खराब होने लगी.

भाबी बोलीं- मुझे भी लंड चूसना है.
यह सुनकर हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए और अब भाभी मेरे लंड जोर-जोर से चूसने लगीं.

मैं भी भाभी की चूत को तबीयत से चाटे जा रहा था. उनकी चूत से नमकीन जैसा पानी निकल रहा था और मैं उसे लपलप करके चूसता जा रहा था.

फिर वे उठीं और मेरे लंड को अपनी चूत में लेने के लिए बेताबी दिखाने लगीं.

भाभी बोल रही थीं- मैं तेरी रंडी बनकर रहूँगी … प्लीज जल्दी से मेरी चूत चोद दो और अपने ब.च्चे की माँ बना दो … जल्दी से चोद दो मेरी चूत को … अब सहन नहीं हो रहा है.

वे मेरे ऊपर आ गईं और खुद से मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत में डालने लगीं.
उन्होंने अपनी चूत में पूरा लंड ले लिया और जोर-जोर से उछलने लगीं.

मैं भी पूरे जोश में था और उसे गालियां दे रहा था- रंडी है तू साली … कुतिया है तू बहन की लौड़ी रंडी साली … आज तुझको खा जाऊंगा … मैं तुझे अब रोज चोदूँगा … तेरी गांड भी मारूँगा … चल साली रंडी और जोर से चुद मेरे लंड से … और जोर जोर से उछल रंडी साली!

वह भी चिल्ला रही थी- साले मादरचोद हरामी … चोद अपनी इस बहनचोद रंडी को … मार मेरी चूत … चोद साले कुत्ते … फाड़ मेरी चूत को! मेरी चूत की आग बुझा कमीने … देख मेरी चूत तुझसे चुद रही है … देख मैं नंगी चुद रही हूँ … आह रंडी हूँ मैं तेरी … देख साले … दलाल है तू मेरा … आह आह!

तभी वे झड़ने लगीं और उनकी चूत से जोर-जोर पानी से आने लगा.
अब भाभी ढीली होती गईं और गालियां बकती हुई मेरे सीने पर ढहने लगीं.

फिर मैंने उनको घोड़ी बनाया और उनकी गांड में लंड पेल दिया.
Xxx भाबी जोर से चिल्लाईं और बोलीं- अरे मर गई साले … मेरी जान लेगा क्या! मैं सब कुछ तो तुझसे करवा रही हूँ … तेरी रंडी भी बन गई … अब क्या … मुझे कोठे पर बिठाएगा!

मैं उन्हें जोर-जोर से चोदे जा रहा था और बूब्स दबा रहा था.

कुछ देर बाद मेरे लंड ने रस फेंक दिया और मैं भी उसके साथ ढह गया.
दोस्तो, उसके बाद मैंने उसे लगातार एक हफ्ते तक चोदा.

उसका मासिक-धर्म चक्र रुक गया तो वह मुझसे हाथ जोड़ कर बोली- बस अब और नहीं … मैं सिर्फ मां बनना चाहती थी … मैं अब आपके साथ और सेक्स नहीं कर सकती हूँ.
मैंने भी उसकी बात मान ली और कहा कि कभी दूसरी संतान का मन हो तो बुला लेना.

ऑफिस कर्मचारी बेटी बन कर चुद गयी

 

मेरे ओफीस में एक महिला सफाई करने आने लगी. वह बहुत सुंदर थी. वह मेरे साथ दोस्तों सा व्यवहार करती और पिता समान सम्मान देती.

ईश्वर मुझ पर कुछ ज्यादा मेहरबान हो गया था.

मेरी उम्र उस वक़्त 65 साल की हो चुकी थी.
मैं उन दिनों एक ऑफिस में काम करता था.

ऑफिस में सफाई के लिए किसी लड़की या महिला की आवश्यकता थी.
मैंने बॉस से गुजारिश की थी.

उस वक़्त एक लड़की जो करीबन 35 साल की थी, विवाहिता थी और तीन ब/च्चों की मां थी. वह बॉस के घर का भी काम करती थी.
बॉस ने उसी को ही ऑफिस में झाड़ू पौंछा करने के लिए नियुक्त कर दिया.

वह देखने में काफ़ी खूबसूरत थी.
उसका पति अजीत एक फाइव स्टार होटल में सुपरवाइजर का काम करता था.

यह पोर्न मेड फक कहानी इसी कर्मचारी की है.

उसने पहले ही दिन ऑफिस में आकर कुछ भी बिना बताए झाड़ू पौंछा का काम कर शुरू कर दिया.

मैं उसके ऐसे व्यवहार से चकित रह गया.

दूसरे दिन आते ही उसने खुद का परिचय देते हुए कहा था ‘मैं आपको ढेर सारा प्यार करूंगी. आपकी दोस्त बनकर रहूंगी.’
उसकी बातों ने मेरा अचरज बढ़ा दिया था.

हम दोनों रोजाना मिलते थे.
इस रिश्ते की शुरुआत कथित बाप बेटी से हुई थी.

त्यौहार, जन्मदिन या शादी की सालगिरह पर लड़की, जिसका नाम संगीता था, वह मेरे चरण छूकर मेरा आशीर्वाद लेती थी और मैं बदले में कुछ नगद राशि उसके हाथों में थमा देता था.

कभी कभार जरूरत होने पर संगीता पैसों की मांग करती थी और मैं उसकी मदद भी करता था.

मेरे लिए संगीता ईश्वर का बहुमूल्य उपहार थी.
मैं उसे किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहता था.

उसका पति अजीत सुबह 6 बजे घर से निकल जाता था और रात को नौ बजे घर लौटता था.

मैंने कभी उसके पति को कभी नहीं देखा था.
लेकिन संगीता के ब/च्चों को जानता था.
मैं उसके घर भी आता जाता रहता था.
वह ऑफिस के सामने वाली इमारत में रहती थी.

एक बार उसके पति से मिलने का मौका भी प्राप्त हुआ था.

एक बार मेरे कहने पर संगीता मेरे लिए अंडे की भुर्जी बनाकर लाई थी.
दूसरी बार मन हुआ तो मैंने उसके पति की मौजूदगी में ही उसे फरमाइश की थी ‘कल मेरे लिए भुर्जी बनाकर मेरे घर दे जाना.’

यह सुनकर उसके पति अजीत के तेवर बदल गए थे.
उसने कड़क शब्दों में कह दिया था- संगीता किसी के घर नहीं आएगी. आपको चाहिये तो यहां आ जाइए. मैं आपको 20 अंडों की भुर्जी बनाकर खिलाऊंगा.

उसकी बात सुनकर मैं भड़क गया था.
उसकी आंखों में शक की चिंगारी दहक रही थी.

मैंने फट से कह दिया था- क्या बाजार में नहीं मिलती?
यह कह कर मैं उसके घर से बाहर निकल गया था.

उसके पति ने मुझसे जो व्यवहार किया था, उसकी भनक संगीता को लग गई थी.
उसने इस बात को लेकर मुझसे माफ़ी भी मांगी थी.

हम दोनों के बीच प्लूटोनिक संबंध था.
मैं संगीता के गालों को सहलाता था. उसे चूमता था, गले लगाता था. उसके कंधे पीठ इत्यादि हिस्सों को भी सहलाता था.

छह साल तक हमने बाप बेटी का रिश्ता निभाया था.
लेकिन उस दौरान कुछ ऐसा हो गया था जिसकी वजह से मुझे संगीता के इरादों पर शक होने लगा था.

एक बार मेरे कहने पर संगीता ने मेरा सिर दबाया था.
बाद में उसने भी उसने भी सिर दर्द की शिकायत की तो मैंने भी उसका सिर दबाया था.

उसी वक़्त संगीता ने एक और शिकायत की थी- मेरी छाती में भी दर्द हो रहा है!

उस वक़्त मेरी आंखों के सामने एक कहानी की नायिका की छवि उभर आई थी.
जैसे उसने शायद अपने आशिक से ऐसी ही शिकायत की थी जो उसने तुरंत निभाई थी.

एक पल मेरे दिमाग़ में भी ख्याल आया था.
उससे पूछने का मन भी हुआ था कि मैं तुम्हारी छाती भी दबा दूँ क्या?
लेकिन मैं हिम्मत नहीं जुटा पाया था.

हालांकि मेरी दो उंगलियों ने अपना काम कर दिया था.

वे संगीता के ब्लाउज के भीतर घुसकर उसकी दोनों छातियों के बीच की कंदरा पर स्थित हो चुकी थीं.
उस पर संगीता ने कोई ऐतराज जाहिर नहीं किया था.

शायद यही बात हमारे बदलने वाले रिश्तों का संकेत दे गई थी.

फिर कुछ समय हम दोनों लंबे समय मिल नहीं पाये थे.

उसके बाद संगीता ने अपना घर बदल दिया था और मुझे उसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी.

फिर एक दिन अजीत मुझे गली के नुक्कड़ पर मिल गया था.
वह वड़ा पाव खा रहा था.
उसने मुझे भी वड़ा पाव खिलाया था.

उसके पैर पर बेल्ट बंधा हुआ था.
वह क्रेच पर चल रहा था. उसके साथ कोई अकस्मात हादसा हुआ था.

मैंने सच्चाई जानकर अफ़सोस भी जाहिर किया था.
वह पास में ही रहता था.
वह खुद मुझे संगीता से मिलवाने घर ले गया था.
उसका रवैया बिल्कुल बदल गया था.

उसके बाद हम लोग दोबारा मिलने लगे थे.
यह हमारी जिंदगी की दूसरी इनिंग थी जिसने रिश्तों को भी बदल लिया था.

हम लोग ब/च्चों की मौजूदगी में मिलते थे.
मैं उसको छूता था, गले लगाता था उसके गालों पर पप्पी भी लेता था और संगीता भी मजा लेती थी.

एक बार मैंने उसे करने को कहा, तो उसने मना कर दिया.

मैंने बेझिझक उसकी छाती पर रखा दिया इतना ही नहीं उसकी गांड को भी सहलाने लगा.

इस पर संगीता ने एतराज जताया था- क्या यह सब आपको अच्छा लगता है?
‘सॉरी … तुम्हें अच्छा लगा तो अच्छा … नहीं तो बुरा!’

उस वक़्त तो उसने कुछ नहीं कहा लेकिन दो दिन बाद फ़ोन पर सवाल दोहराया था- क्या वह सब आपको अच्छा लगा था?
जब मैंने अपना जवाब दोहराया तो उसने और झटका दिया था- मुझे भी अच्छा लगा था.

यह सुनते ही मैंने फोन पर ही उससे कहा था- मैं कल तुम्हारे घर आऊंगा!

फिर दूसरे दिन मैं उसके घर गया तो उसका छोटा लड़का कंप्यूटर पर कुछ काम कर रहा था.

संगीता ने अन्दर से दरवाजा बंद कर दिया.
मैं जाकर कुर्सी पर बैठ गया.

संगीता उस वक़्त मेरी बगल में आकर खड़ी रह गई.

मैंने उसके कंधों पर हाथ रख दिया.

उसी घड़ी संगीता ने अपनी टी-शर्ट ऊपर करके अपने पुष्ट स्तनों का नजारा दिखाया.
अब ऐसे में कोई भला कैसे नियंत्रण रख पाता. उसकी खुली छाती ने मुझे आगे बढ़ने का साहस दे दिया था.

मैं बारी बारी उसके दूध को दबोचने उतारू हो गया. इतना ही नहीं उसकी दोनों चूचियों को भी बड़ी उग्रता से चूसने भी लगा था.

वह एन्जॉय कर रही थी.
उसकी बॉडी लेंग्वेज उसका समर्थन कर रही थी.

फिर भी उसने झूठ-मूठ का गुस्सा जताकर सवाल किया था.
‘यह क्या कर रहे हो?’
‘एक छोटे बच्चे की तरह तुम्हारा दूध पी रहा हूं!’

उसे ऐसा करना अच्छा लग रहा था.
वह मजे ले रही थी.

उसके बाद मैंने उसके दोनों होंठों को कसकर चूम लिया था और उसके दूध को भी निचोड़ने लग गया था.
मुझे यह सब करना अच्छा लग रहा था.

मैंने उससे साफ साफ शब्दों में कहा था- मुझे दूध दबाना और पीना बेहद अच्छा लगता है.

यह सुनकर संगीता ने मुझसे वादा किया था- मैं हमेशा अपना दूध पिलाऊंगी.

जब कोई लड़की किसी को अपने होंठों का रस पीने देती है, तो उसका मतलब होता है कि वह उसे प्यार करती है.

हम दोनों आपस में प्यार करने लगे थे.
और संगीता रोजाना नये नये नुस्खों की आजमाइश करती रहती थी.

वह तो प्रति दिन कुछ न कुछ ऐसा करती थी, जिससे मेरे दिमाग़ में कई सवाल उठते थे.

एक तरफ उसका पति उसे बेहद प्यार करता था; उस बात के गीत गाती रहती थी.
कमाल की बात थी कि वह खुद भी अपने पति को प्यार करने का दावा करती थी … और दूसरे पुरुष के साथ ऐसे संबंध रखती थी.

दूसरी बार मिलने पर संगीता ने निर्लज्ज होकर मुझसे सवाल किया था- क्या मेरी चूत में उंगली डालोगे?

कोई भी मर्द भला कैसे इन्कार कर सकता है … मैंने हां में जवाब दिया.
तो उसने अपनी चड्डी निकाल दी.

मैंने उत्तेजित होकर बड़े जोश से एक एक करके सारी उंगलियां उसकी चूत में घुसेड़ दी थीं.

उसके बाद फिर उसने फोन पर सवाल किया था- अगली बार मेरे साथ क्या करोगे?
‘तुम्हें जमीन पर सुलाकर तुम्हारे ऊपर चढ़ जाऊंगा!’
‘क्या तुम अपना लौड़ा मेरी चूत में डालोगे?’

हालांकि उसने यह सांकेतिक भाषा में सवाल किया था.
‘क्या तुम अपना मेरे भीतर डालना चाहते हो?’

यहां भी इन्कार करने का कोई प्रश्न नहीं था.
मेरी खामोशी देखकर उसने एक और सवाल किया था.

‘क्या मेरे सारे कपड़े उतार कर यह करोगे?’
‘इरादा तो तुम्हें पूरी तरह नंगी करके तुम्हें चोदना है … यदि तुम नहीं मानी तो जबरन करूँगा.’

यह सुनकर उसका चेहरा खिल उठा था.
उसको मेरी हर कोई हरकत बेहद पसंद आती थी.

मैं बहुधा उसे किचन में ले जाकर अपनी मुरादें पूरी करता था.
उसे अपनी गांड मरवाना अपना दूध पिलाना बहुत ही भाता था.

हम दोनों एक दूसरे से काफ़ी सहमत हो गए थे.
एक दूसरों की सारी इच्छाएं पूरी करते थे.

संगीता मेरे लिए चाय का पानी गैस पर रखती थी और मैं उसके पीछे खड़ा होकर उसके दोनों संतरों को बारी बारी से कुचलता था.
उसकी गांड में लौड़ा डालता था. उसकी चूत में उंगली डालता था उसे चूसता था, गांड को अपने थूक से गीली करता था.

चाय पीने के बाद असली खेल शुरू होता था.

संगीता एक गद्दी बिछाती थी, अपने कपड़े उतार कर लेट जाती थी और मुझे अपने पास बुलाकर अपने ऊपर लेटा लेती थी. वह अपने हाथ से मेरा लौड़ा अपनी चूत में डलवा लेती थी.

मेरा लौड़ा अपने मुँह में भी लेकर चूसती थी.
अपने सशक्त स्तनों को कभी लड्डू, मोतीचूर के लड्डू, आमरस, टमाटर, दूध के अंडे … और न जाने क्या क्या नाम से बुलाती थी.

वह सेक्स के लिए तरसती रहती थी.
दूसरी ओर मेरा भी यही हाल था.

अजीत को शराब पीने की आदत लग गई थी.
वह रोज शराब पीकर आता और खाना खाकर चैन की नींद सो जाता था.
उसे अपनी बीवी की जरूरत की कोई चिंता या परवाह नहीं थी.

इसी वजह से शायद संगीता भटक गई थी जिसका उसे खुद भी इल्म नहीं था.

कभी कभी संगीता के व्यवहार में एक धंधेवाली की झलक नजर आती थी.

वह खुद मुझे हरदम गलत करने के लिए उकसाती थी- मेरे दूध में कुछ होता है! तुम्हारे छूने से बड़े हो जाते हैं! चूत में भी न जाने क्या हो जाता है! तुम अपने हाथों से उसे खुजलाओ, चूसो!

वह मुझे कहती- मुझे छोड़ना मत. मेरे दूध को लगातार दबाते रहो! मेरी छातियों के बीच में अपना लौड़ा लगा कर रगड़ो.

वह अपनी खुली छाती को दूध नाम से नवाजती थी.
उसे खुली छातियों का वीडियो देखने का बड़ा शौक था.

वह अक्सर मुझसे ऐसे वीडियो दिखाने की फरमाइश करती रहती थी.

उसने खुद कहा था कि लोगों की नजर में हम सदैव बाप बेटी बनकर ही रहेंगे.

‘हम दोनों के बीच उम्र में भी काफ़ी अंतर हैं. कहीं कोई शक की गुंजाइश नहीं है. अजीत को भी कोई शक नहीं होगा!’

मुझसे ज्यादा संगीता की सेक्स भूख तीव्र थी.
वह हमेशा डरती थी, फिर भी मुझे घर में बुलाती थी.
कभी नहीं जाता था तो वह फोन करती थी.

‘पांच मिनट में घर आ जाओ. मेरे दूध को दबाकर जाओ. ये मुझे बहुत तंग कर रहे हैं. मैंने खास तुम्हारे लिए फैंसी और महंगी ब्रा पहनी है. तुम उसे अपने हाथों निकाल कर अपनी सारी हसरत पूरी कर लो. तुम जो भी मेरे साथ करते हो, वह मुझे बेहद पसंद है!’

मैं अपने हाथों से उसकी ब्रा खोलता था, चड्डी भी निकालता था.

जब भी मैं उसके पास जाता था, वह मुझे अन्दर लेकर दरवाजा भीतर से बंद कर देती थी.

एक बार मैं दोपहर को उसके घर गया था. वह उस वक़्त बाथरूम में कपड़े धो रही थी.
मैंने घर में दाखिल होकर दरवाजा बंद कर दिया तो उसने सहज सवाल किया था.

‘दरवाजा क्यों बंद कर दिया? क्या सब कुछ करने का इरादा है?’

वह हाथ धोकर मेरे सामने आकर खड़ी हो गई.

मैं उस वक़्त कुर्सी में बैठ गया था.

वह मेरे पास आकर अपनी मैक्सी ऊपर उठाकर उल्टा मुँह करके अपनी गांड को मेरे लौड़े पर सैट करके बैठ गई.

मैंने पीछे से संगीता के दोनों दूध को पकड़ते हुए मसलते हुए उसकी नंगी पीठ पर चुम्बन करना शुरू कर दिया.

हमारे बीच मस्त सेक्स होने लगा और कुछ ही देर में हम दोनों झड़ कर संतुष्ट हो गए.

अब यह हमारा रोज का मेनू बन गया था.

जब कभी मिलना नहीं हो पाता था, तो हम लोग मोबाइल में सेक्स भरी बातें करके चुदाई जैसी मजा ले लेते थे.

हम लोग वास्तविक रूप से जो करते थे, मोबाइल में उसका एक्शन रिप्ले ही अपनी चैट में करते थे.

मुझे तो अपनी मां के दूध का स्वाद भी याद नहीं था इसलिए मैं उससे गुजारिश करता था कि स्वाद न सही अहसास ही दिला दो.

इस पर वह मेरा सर अपनी गोद में रखकर लिटा लेती थी, फिर अपनी मैक्सी को ऊपर करके अपने एक स्तन को हाथ में पकड़ कर उसके निप्पल को को मेरे मुँह में देकर स्तनपान करवाती थी.

उसी दौरान जब मैं उसकी चूत में हाथ डालता था तो मेरी उंगलियां उसकी पनियाई हुई चुत के रस से गीली हो जाती थीं.

उस वक्त वह तुरंत ही मुझे हाथ धोने को कहती थी.
जब मैं मना करता तो वह अपनी ब्रा या चड्डी से मेरे हाथ साफ कर देती थी.

घर से निकलते समय भी वह अपना मैक्सी ऊपर करके मुझे अपना दूध चुसाती थी.
दीवार की तरफ मुँह करके खड़ी रह कर अपनी गांड मरवाती थी.
चूत में उंगली डालने देती थी.
अपने होंठों का अमृत पिलाती थी.

मैंने उसके दूध का विवादस्पद फोटो लिया था.
मेरे कहने पर संगीता अपने खुले स्तनों का टॉपलेस फोटो खिचवाने तैयार हो गई थी.
उसके कई विवादास्पद वीडियो मेरे मोबाइल में कैद थे.
हम दोनों जीवंत सेक्स करते थे, फिर भी मोबाइल सेक्स भी करते थे.

रात को मैं संगीता से सपनों में संबंध बनाता था.

उस वक्त मैं कल्पना करता था कि मानो वह कह रही है कि:

अंकल मेरे दूध दबाओ न! ‘मेरे स्तन चूसो न!
‘मेरे होंठों का अमृत पिओ.’
‘मेरी पीठ को चुंबन स्नान करवाओ.’
‘मेरे पूरे कपड़े उतार दो.’
‘मेरी चूत में लौड़ा डालो.’
‘चुत को बेरहमी से चूसो.’
‘मेरी गांड चूसो.’
‘उसमें लौड़ा डालो.’

मैं उस वक़्त अपना लौड़ा पकड़ते हुए कहता था:
‘मुझे दूध पिलाओ.’
‘मेरे लौड़े से खेलो.’
‘उसे मुँह में लेकर चूसो.
‘अपनी चूचियों में फंसा कर रगड़ो.’

यह सब मुझे जीवंत चुदाई से भी बेहद ज्यादा आनन्द देता था.

उसके खुले दूध के फोटो ने हमारे बारह साल पुराने रिश्तों का खून कर दिया था.

सारे मुआमले में एक बात उभर कर सामने आई थी कि संगीता और उसके पति के बीच कोई गंभीर समस्या थी जिसने उसको मेरे पास भेजा था.

लेकिन अफ़सोस की बात थी कि कोई भी यह सच्चाई मानने या समझने को तैयार नहीं था?
क्या संगीता की जरूरत एक पुरुष से संतुष्ट नहीं होती थी?

क्या मेरे और अपने पति के अलावा उसके किसी ओर के साथ अवैध संबंध थे, जिसे उसका पति जानता था और इसी लिए वह अपनी बीवी पर शक करता था.

पति ने बिना कुछ जाने समझे मुझे अपराधी ठहराया था, मुझसे गाली गलौच भी की थी. मुझे मारने की धमकी भी दी थी.

इसी वजह से मुझे उल्टा वार करना पड़ा था.
मैंने अजीत के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की बात की तो उसकी अकल ठिकाने आ गई थी.

वह उसको दिए हुए पैसे भी लौटाने तैयार हो गया था.

लेकिन दोनों में से कोई भी अपनी गलती मानने को तैयार नहीं था.
उन्होंने आपसी लड़ाई में मुझे बेकार में मुजरिम बना दिया था.

अब आप लोग ही बताइए कि इस पूरी सेक्स कहानी में सही अपराधी कौन है.
मेरे हिसाब से तो मैं, संगीता और उसका पति अजीत तीनों ही अपराधी हैं.

सही मायनों में मेरी उंगलियां ऊपर वाले पर उठ रही हैं.
उन्होंने क्यों हमें मिलाया.
शायद उसके पीछे हम दोनों की जरूरत निभाना उसका आशय रहा होगा.
इस बात को कौन समझेगा!

इतना सब कुछ होने के बाद मैं संगीता को निर्दोष मानता हूं और उसकी सलामती की दुआ करता हूं.

पुलिस वाले ने मुझे सैट करके मेरी चूत चोद दी

 

मेरा नाम प्रिया है, उम्र 32 साल है. मेरी शादी राज से 6 साल पहले हुई थी.

शादी के कुछ दिनों बाद ही मैं अपने पति के साथ भोपाल में रहने लगी, जहां मेरे पति नौकरी करते हैं.
हम लोग हंसी-खुशी रहने लगे.

हालांकि हमारी सेक्स लाइफ सामान्य ही चल रही थी.
करीब 6 महीने पहले हमने अपना खुद का घर बनवाया और वहां शिफ्ट हो गए.

मैं अपने बारे में बता देती हूँ.
मेरी हाइट 5 फीट 2 इंच, रंग एकदम गोरा, चेहरा काफी सुंदर और फिगर भी एकदम जानलेवा 34-30-36 है … जबकि ब्रा का साइज 34D है.

आप समझ ही गए होंगे कि मेरे बूब्स और गांड की खूबसूरती कैसी है.
इनके बारे में मुझे शायद कुछ भी कहना जरूरी नहीं है.

शादी के इतने सालों बाद भी मेरे बूब्स अभी भी टाइट हैं क्योंकि मैं अपने पति को ज्यादा अपने बूब्स से खेलने नहीं देती.

मेरी गांड भी हल्की-सी उभरी हुई है, जो टाइट कपड़ों में साफ नजर आती है.
मेरे बाल भी लंबे हैं.

हमेशा तो नहीं, लेकिन कभी-कभार सज-संवर कर रहना मुझे पसंद है, जो मेरा पैशन ही समझिए.
लेकिन मुझे ये बिल्कुल पसंद नहीं कि कोई मुझे छेड़े.

हालांकि आते-जाते कई लोग मुझे घूरते हैं और कुछ तो कमेंट्स भी करते हैं. लोग मेरी कमर, बूब्स, गांड, चेहरा, होंठ और यहां तक कि मेरे पिछवाड़े पर भी कमेंट करते हैं.
ऐसे कमेंट्स मैंने कई बार सुने हैं.
लेकिन मैंने कभी किसी को जवाब नहीं दिया … क्योंकि बात बढ़ाने से कोई फायदा नहीं.

एक दिन शाम को मेरे पति का फोन आया कि उनका छोटा-सा एक्सीडेंट हो गया है.
मैं तुरंत निकली और हॉस्पिटल पहुंची जहां देखा कि उन्हें हल्की-सी चोट आई थी.

पता चला कि एक फोर-व्हीलर ने उनकी गाड़ी को पीछे से ठोक दिया था.

जब मैं अपने पति के पास पहुंची, तो एक सब-इंस्पेक्टर गुरमीत खान उनसे बयान ले रहा था.
कुछ देर बाद गुरमीत जी ने मेरा परिचय भी लिया.

फिर पति को डिस्चार्ज करने के बाद उसने मुझे घर तक ड्रॉप किया और चला गया.
उस दिन मैंने गुरमीत खान पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया.

फिर 4 दिन बाद शाम के वक्त करीब 7 बजे मैं किचन में खाना बना रही थी. मैंने उस वक्त बंधेज की नीली साड़ी और मैचिंग ब्लाउज़ पहना था और बालों का जूड़ा बना रखा था.
मैंने सामान्य कपड़े ही पहने थे.

तभी डोरबेल बजी.
मैंने जाकर दरवाजा खोला, तो सामने गुरमीत खान खड़ा था.

मैंने उसे अन्दर बुलाया और वह मेरे पति के साथ बैठकर बातचीत करने लगा.

फिर मैं चाय और कुछ नाश्ता लेकर आई.
मैंने गौर किया कि गुरमीत का ध्यान मुझ पर कुछ ज्यादा ही था.

वह मुझे बार-बार देख रहा था.
उसकी इस तरह की नजरों से मुझे काफी गुस्सा आ रहा था क्योंकि आज तक कोई मुझे ऐसे देखता तो मुझे चिढ़ हो जाती थी.

हालांकि मैंने अपनी साड़ी को ठीक किया.
मेरे पति ने गुरमीत से खाना खाने के लिए भी कहा.

लेकिन गुरमीत ने कहा- आज नहीं, मैं कभी फ्री होकर आता हूँ. फिर हम लोग साथ बैठकर खाना खा लेंगे.

फिर वह चल गया लेकिन जाते-जाते उसने दरवाजे पर मुड़कर मुझे दो बार देखा.

मैंने अपनी ओर से कोई प्रतिक्रिया या सिग्नल नहीं दिया जिससे उसे कोई बढ़ावा मिले.

लेकिन आज जब मैंने उसे गौर से देखा तो वह मुझे बहुत हैंडसम लगा.
उसकी हाइट 5 फीट 8 इंच, कसरती शरीर और उम्र करीब 30-32 साल होगी.

मेरे पति से बातचीत में उसने बताया कि उसकी अभी तक शादी नहीं हुई थी.
उस रात सोते वक्त मेरे दिमाग में बस गुरमीत का चेहरा ही घूम रहा था.
उसके बारे में सोचते सोचते कब नींद आ गई, पता ही नहीं चला.

फिर एक दिन सुबह 11 बजे मैं मार्केट में कुछ सामान लेने गई.

उस समय मैंने काला घेर वाला कुर्ता पहना था.

रास्ते में मुझे गुरमीत खान दिखा.
वह मुझे देखते ही मेरे पास आ गया और मेरे पति के बारे में पूछने लगा.

मुझे उसके साथ बात करने में काफी संकोच हो रहा था.
लेकिन चूंकि हम बीच रास्ते में थे तो मैंने सहज तरीके से सिर्फ हां और ना में जवाब दिए.

वह बार-बार मुझे हवस भरी नजरों से देख रहा था लेकिन उसने कोई ऐसी हरकत या बात नहीं की, जिससे मुझे परेशानी हो.

आखिर में जब मैं जाने लगी तो उसने कहा- प्रिया भाभी जी, आपने चाय बहुत अच्छी बनाई थी!
मैंने मुस्कुराते हुए ‘थैंक्स.’ कहा और वहां से निकल गई.

रास्ते में भी मैं उसी के बारे में सोचती रही.

दो दिन बाद शाम 5 बजे मेरे पति ने गुरमीत को फोन लगाया और रात के खाने पर इनवाइट किया.
गुरमीत ने भी रात 8 बजे आने का बोल दिया.

अब मेरे दिमाग में ये जानने की उत्सुकता जाग उठी कि गुरमीत खान मेरे बारे में क्या सोचता है.

यही सोचते हुए मैंने फैसला किया कि आज मैं अच्छे से सज-संवर कर उसके सामने जाऊंगी, ताकि उसके दिमाग को पढ़ सकूँ.
लेकिन मैंने यह भी तय कर लिया था कि उसके साथ मुझे कुछ भी गलत नहीं करना है.

शाम होते-होते मैंने सारा काम खत्म कर लिया और खाना भी पका लिया.

फिर मैं तैयार होने लगी.
मैंने लाल शिफॉन साड़ी और उसी के साथ लाल रंग का मैचिंग ब्लाउज़ पहना.

ब्लाउज़ सामने से डीप नेक और पीछे से बैकलेस था.
सामने से मेरे आधे से ज्यादा क्लीवेज दिख रहे थे.
यहां तक कि मेरे बूब्स पर जो तिल था, वह भी साफ दिख रहा था.

मैंने बालों का जूड़ा बनाया, हाथों में लाल चूड़ियां पहनीं और कानों में लटकन डाले. अब मैं पूरी तरह तैयार थी.

करीब 8 बजे डोरबेल बजी.
मैंने जाकर दरवाजा खोला तो सामने गुरमीत खड़ा था.

मैंने उससे नमस्ते की.
लेकिन वह एकटक मुझे देख रहा था.
मैं भी सामने खड़ी होकर उसकी नजरों को भाँपने में लगी थी.

कुछ समय बाद मैंने उससे कहा- कहां खो गए आप!
उसके हाथों में फूलों का गुलदस्ता था, जो उसने मुझे थमाया.

जैसे ही मैंने गुलदस्ता लिया, गुरमीत के और मेरे हाथ आपस में छू गए.
उसी पल गुरमीत बोला- ये गुलदस्ता आपके लिए!
वह मुस्कुरा दिया.

मैंने सामान्य ढंग से गुलदस्ता लिया और उसे अन्दर हॉल में ले आई.

फिर वह मेरे पति के साथ बैठकर बातें करने लगा.
पति ने उसे ड्रिंक ऑफर की लेकिन उसने मना कर दिया.

मेरा किचन का काम भी पूरा हो चुका था, तो मैं भी उनके साथ बैठकर बातें करने लगी.

कुछ देर बाद मैंने नोटिस किया कि गुरमीत की नज़रें मुझ पर ज़्यादा ही रुक रही थीं, खास तौर पर मेरे क्लीवेज पर, जो उसे साफ दिख रहे थे क्योंकि वह मेरे ठीक सामने बैठा था.

शायद मैं उसकी नज़रों को समझ चुकी थी लेकिन कई बार आंखें मिलने पर भी मैंने कोई जवाब नहीं दिया.

आखिरकार मेरे पति बोले- प्रिया खाना तो लगाओ!
मैं उठी और गर्म खाना डाइनिंग टेबल पर ले आई.

फिर मैं, मेरे पति और गुरमीत तीनों डाइनिंग टेबल पर आ गए.

बैठने का इंतज़ाम कुछ ऐसा हुआ कि मैं पति और गुरमीत के बीच की कुर्सी पर बैठी.

हमने खाना शुरू किया.
खाना खाते वक्त मेरे पति और गुरमीत बातें कर रहे थे.

अचानक गुरमीत ने नीचे से मेरे पैरों पर अपने पैर रखकर उन्हें सहलाने की कोशिश की.

मैं सहम गई और अपने पैर पीछे खींच लिए, फिर उसकी नज़रों से नज़रें चुराकर देखा.

लेकिन कुछ देर बाद गुरमीत ने फिर वही हरकत की.
इस बार मैंने पैर पीछे नहीं किए, बल्कि गुस्से से उसकी ओर देखने लगी.
पर उस पर कोई असर नहीं हुआ.

वह नीचे अपने पैरों से मेरे पैरों को सहलाता और मसलता रहा.

खाना लेते वक्त भी उसके और मेरे हाथ कई बार छू गए लेकिन मैंने ऐसा जताया जैसे कुछ हुआ ही नहीं.

एक बार तो उसने मेरा हाथ अपनी कमर पर रखकर सहला दिया.
उस पल मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया.

फिर हमारा खाना खत्म हुआ.

जब मेरे पति बाथरूम गए, मैंने गुरमीत से कहा- ये क्या कर रहे थे आप. अगर मेरे पति देख लेते तो?
वह मुस्कुराया और बोला- आपको परेशान कर रहा था प्रिया. इसमें तो बड़ा मज़ा आ रहा था!

फिर वह हाथ धोकर आया.

गुरमीत जाने लगा.

मैं अभी भी गुस्से में थी लेकिन उसे छोड़ने बाहर तक गई.

जाते-जाते गुरमीत ने कहा- काफी अच्छा डिनर था. आपके हाथों में जादू है. काश, मुझे हमेशा ऐसा खाना मिले!

उसने मेरा एक हाथ अपने हाथ में लिया, ‘थैंक्स’ कहा और मेरे हाथ को चूमकर चला गया.

उसके जाने के बाद मैं रात भर उसके बारे में ही सोचती रही.
मैं सोच रही थी कि मैंने उसे बढ़ावा क्यों दिया.

अगले दो-तीन दिनों में गुरमीत मुझसे रास्ते में दो-तीन बार टकराया लेकिन हमारी कोई बातचीत नहीं हुई.

हां, बस हमारी आंखें चार हुईं.
हालांकि, मन ही मन मुझे गुरमीत अच्छा लगने लगा था.

एक दिन शाम को मेरे पति बोले- मुझे अर्जेंट काम से दो दिनों के लिए शहर से बाहर जाना है. चलो, स्टेशन जाते वक्त रास्ते में डिनर कर लेंगे. वहां से मैं स्टेशन चला जाऊंगा और तुम घर लौट आना.
मैंने ‘ठीक है’ कहा और तैयार होने लगी.

मैंने हल्के हरे रंग की कॉटन साड़ी और काला कॉटन ब्लाउज़ पहना, बालों का जूड़ा बनाया और तैयार होकर बाहर आई.

मेरे पति भी तैयार थे.
हम सात बजे के करीब स्टेशन के लिए निकल पड़े.

रास्ते में हम एक रेस्तरां में रुके, जो फैमिली बार और रेस्तरां था.
वहां टेबल पर बैठकर हमने खाना ऑर्डर किया.

खाना आने में काफी देर हुई जिस दौरान हमने खूब बातें कीं.

करीब आठ बजे खाना आया.
मेरे पति पहले से ही देर से चल रहे थे, तो उन्होंने जल्दी-जल्दी खाना शुरू किया.

खाते वक्त मेरी नज़र दूर एक टेबल पर गई जहां गुरमीत पहले से बैठा हुआ था और शायद वह ड्रिंक कर रहा था.

खाना खत्म करने के बाद मेरे पति बोले- प्रिया, अब मैं निकलता हूँ. तुम घर चली जाना. मेरी ट्रेन का समय हो रहा है.
वे चले गए.

उनके जाने के बाद मैं सोचने लगी कि कहीं गुरमीत ने हमें देख तो नहीं लिया.
इसलिए मैं भी जल्दी-जल्दी खाना खाने लगी.

पांच मिनट बाद गुरमीत अपनी टेबल से उठकर मेरी टेबल पर आ गया और मेरा हाल-चाल पूछने लगा.
उसके मुँह से ड्रिंक की स्मेल साफ आ रही थी.

मैं उससे बात करते वक्त अपनी नज़रें चुरा रही थी.

दो-चार मिनट बात करने के बाद गुरमीत अचानक बोला- प्रिया भाभी, आप वाकयी बहुत खूबसूरत और हॉट हैं.
मैंने कहा- देखिए गुरमीत जी, अगर कोई परिचित मुझे आपके साथ इस तरह देख लेगा … तो मुझे बड़ी परेशानी हो जाएगी.

वह बोला- तो ठीक है. मुझे आपसे ढेर सारी बातें करनी हैं. बताइए, हम कहां बैठकर बात कर सकते हैं?
मैंने कहा- हम अकेले नहीं मिल सकते, ये समझिए!

वह बोला- पहले दिन से जब से मैंने आपको देखा, तभी से मैं आपसे ढेर सारी बातें करना चाहता था, लेकिन ऐसा मौका नहीं मिला. एक काम करते हैं, मैं आपको घर छोड़ देता हूँ और उसी बहाने कुछ देर बातें भी कर लेंगे.
मैंने कहा- आप नहीं समझे? घर पर अगर किसी ने हमें देख लिया, तो मेरी बदनामी हो जाएगी!

गुरमीत ने मुझे बहुत समझाने की कोशिश की, लेकिन मैं मना करती रही.

हालांकि मेरे दिल-दिमाग में भी उससे मिलकर बात करने का मन था लेकिन समाज की मर्यादाओं को मैं इस तरह नहीं तोड़ सकती थी.

आखिरकार गुरमीत ने कहा- चलिए मैं आपको घर तक तो छोड़ सकता हूँ!
मुझे राज़ी होना पड़ा.

मेरा दिल भी गुरमीत के साथ कुछ समय बिताने को बेताब था.
लेकिन उसने पी रखी थी इसलिए मैं उससे दूर भागने की कोशिश कर रही थी.

फिर हम दोनों बाहर निकले और गुरमीत ने अपनी टू-व्हीलर स्टार्ट की.

मैंने गुरमीत से कहा- एक काम करो. आपने शराब पी रखी है और शायद आप गाड़ी भी अच्छे से न चला पाओ. इसलिए आप मेरी चिंता मत करो. मैं ऑटो लेकर घर चली जाऊंगी.

इस पर गुरमीत बोला- मैडम, आप चिंता न करें. हमारे लिए तो ये रोज का काम है. आप निश्चिंत होकर बैठ सकती हैं. अभी तो बोतल आधी ही भरी है.
उसने अपनी जेब से दो और बोतलें निकाल कर मुझे दिखाईं.

मैंने उससे कहा- अभी और पियोगे?
उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया- हां. अभी तो रात शुरू हुई है.

आखिरकार मैं उसकी बाइक पर पीछे बैठ गई और उसने गाड़ी चालू की. वह मुझे लेकर मेरे घर की ओर चल पड़ा.

मैंने उससे कहा- आप मुझे घर से थोड़ा पहले ही उतार देना. वहां से मैं पैदल चली जाऊंगी.
पहले तो उसने कहा- नहीं, मैं आपको घर तक छोड़ दूँगा.

लेकिन मेरे बार-बार कहने पर वह मान गया.
फिर मैंने उससे आप की जगह तुम कहना शुरू किया और पूछा- तुमने तो मेरे पति से कहा था कि तुम शराब नहीं पीते?

गुरमीत हंसते हुए बोला- अरे अपने सारे राज थोड़ी न आपके पति के सामने खोलकर रख दूँगा.
गाड़ी चलाते-चलाते गुरमीत बार-बार मेरी तारीफ कर रहा था.

मैंने उससे दो बार कहा- गुरमीत शायद तुम आज शराब के नशे में बोल रहे हो.
उसने जवाब दिया- मैडम, नशा भी इतना नहीं चढ़ा … और वैसे भी, बोतल में वह नशा नहीं जो आप में है!

मैं उसकी बातों को समझ रही थी.

कुछ देर बाद हम घर के करीब पहुंच गए.
मैंने उसे एक सुनसान जगह पर गाड़ी रोकने को कहा और गुरमीत ने वहां गाड़ी रोक दी.

मैं जैसे ही उतरी, गुरमीत ने मेरा हाथ पकड़ लिया.
मैंने उसकी इस हरकत का विरोध करते हुए कहा- गुरमीत जी, मुझे यहां छोड़ दीजिए. कहीं किसी ने देख लिया तो मैं बदनाम हो जाऊंगी!

उसकी पकड़ इतनी मजबूत थी कि मैं अपना हाथ छुड़ा नहीं पा रही थी.
उसने मुझे अपनी ओर खींचा और मेरा चेहरा उसके चेहरे के सामने आ गया.

इससे पहले कि वह कुछ और करता, मैंने जैसे-तैसे अपने हाथ छुड़ाए और जल्दी-जल्दी घर की ओर चल पड़ी.

कुछ ही देर में मेरा घर आ गया.
मैंने जल्दी से दरवाजा अन्दर से बंद किया और राहत की सांस ली.

उसके हाथ का स्पर्श न जाने क्यों मुझे गर्म करने लगा था.
आज रात में मेरे पति राज भी घर पर नहीं थे तो मैं बेईमान होने लगी थी

मैं सोचने लगी कि आज गुरमीत ने क्या कर दिया; मैंने तो इसके बारे में सोचा भी नहीं था.

अब मेरे दिमाग में गुरमीत के प्रति कई तरह के ख्याल आने लगे.
मैं यह भी सोच रही थी कि अगर गुरमीत मुझे पकड़ कर किस ले लेता या मेरे शरीर को छूकर मुझे उत्तेजित करता तो शायद मैं भी उसके किस का जवाब देती या नहीं?
यही सब सोचती हुई मैं सोफे पर बैठी रही और आधा घंटा बीत गया.

तभी डोरबेल बजी.
मैंने समय देखा तो रात के 11 बज रहे थे.
मैं सोचने लगी कि इस समय कौन आ सकता है?

मैंने जाकर दरवाजा खोला तो सामने गुरमीत खड़ा था.
उसने शायद और ज्यादा शराब पी ली थी क्योंकि उसकी सांसों से शराब की गंध आ रही थी.

मैंने कहा- तुम अभी यहां? अब क्या काम है?
मैं तीन कदम पीछे हट गई.

इसका फायदा उठाकर गुरमीत अन्दर आ गया और दरवाजा बंद कर दिया.

मैंने कहा- तुम यहां? अगर किसी ने तुम्हें यहां देख लिया तो क्या होगा, समझो … अभी चले जाओ!

वह मुझे हवस भरी नजरों से देख रहा था.
मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि अब क्या करूँ.
मेरा दिमाग काम करना बंद कर चुका था.

अब गुरमीत आगे बढ़ने लगा और मैं पीछे हटती गई.
कुछ ही पलों में मैं दीवार से टकरा गई और गुरमीत मेरे बिल्कुल करीब आ गया.

उसने अपना एक हाथ मेरे पेट पर रखा और जोर से दबा दिया.
मेरे मुँह से आह निकल गई, जिसे मैंने मन ही मन दबा लिया.

मैं बोली- यह क्या कर रहे हो, गुरमीत? यहां से चले जाओ. कोई तुम्हें मेरे घर देख लेगा तो मैं बदनाम हो जाऊंगी.
यह कहते हुए मेरी आंखों में हल्के आंसू आ गए.

वह बोला- देखो प्रिया, जिस दिन से मैंने तुम्हें पहली बार देखा, तभी से तुम मुझे अच्छी लगने लगी थी. तुम इतनी खूबसूरत और हॉट हो कि तुम्हें देखकर कोई भी फिदा हो जाएगा.

मैं उसकी आंखों में देख रही थी लेकिन शायद शराब की वजह से वह इतने खुले ढंग से बोल रहा था.

उसने कहा- शायद मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ.
मैंने जवाब दिया- देखो गुरमीत, मेरी शादी हो चुकी है. मैं अपने पति को कैसे धोखा दे सकती हूँ?

लेकिन वह मानने को तैयार नहीं था.
हालांकि मेरे मन में भी उसके लिए आकर्षण पैदा हो चुका था शायद इसलिए मैं सिर्फ बोलकर विरोध कर रही थी.

कुछ देर बाद गुरमीत ने मेरा कंधा पकड़ कर मुझे घुमा दिया.
अब वह पीछे से मुझसे चिपक गया और मेरी गर्दन व ब्लाउज के खुले हिस्से पर अपनी पीठ पर होंठों से चूमने लगा.

मैं बस यही कह रही थी- गुरमीत, तुम गलत कर रहे हो.
लेकिन वह सुनने वाला नहीं था.

कुछ ही पलों में उसने मेरे बालों का जूड़ा खोल दिया और मेरे बाल लहराने लगे.
उसने मेरे बालों को एक तरफ करते हुए मुझे दीवार से पूरी तरह सटा दिया.

मेरे बूब्स दीवार में मानो गड़ गए थे.
उसने एक हाथ से मेरा कंधा पकड़ा और दूसरे से मेरे पेट को, इस तरह से उसने मुझे अपनी पकड़ में बांध सा लिया.

उसकी इस हरकत से मेरी आंखों से हल्के-हल्के आंसू गिरने लगे क्योंकि वह मुझे जोर से दबा रहा था.

फिर उसने अचानक मेरे ब्लाउज को पीछे से पकड़ कर खींचा, जिससे मेरा ब्लाउज पीछे से फट गया.

मेरी ब्रा की सफेद पट्टी उसकी आंखों के सामने थी.
अब वह और भी जोश में मेरी पूरी पीठ पर किस करने लगा और जहां मन करता, काट भी लेता.

उधर उसके ऐसा करने से मेरे अन्दर भी सेक्स की ज्वाला बढ़ने लगी और मेरी चूत भी गीली हो गई.

कुछ पल बाद उसने मुझे सीधा किया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
वह मेरे होंठों को चूसने और काटने लगा.

मैं अपने हाथों से गुरमीत को दूर करने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसके अन्दर मुझसे कहीं ज्यादा ताकत थी.
शायद इसलिए मेरा विरोध उसके सामने बेअसर हो रहा था.

उसने मेरे फटे ब्लाउज को मेरे शरीर से निकाल फेंका.
फिर उसने नीचे हाथ डालकर मेरी साड़ी को मेरे शरीर से खींचकर अलग कर दिया.

अब मैं उसके सामने केवल ब्रा, पेटीकोट और अन्दर पैंटी में थी.

गुरमीत ने मुझे अपनी बांहों में ले लिया था.
उसने एक बार फिर से मेरे होंठों को बुरी तरह चूसना शुरू कर दिया.

इस बार मैं उसका विरोध नहीं कर रही थी.

शायद वह भी यह बात समझ चुका था इसलिए उसने पास रखे एक टेबल पर, जो दीवार से सट कर रखी थी, मुझे उठाकर बिठा दिया.

फिर पीछे हटकर उसने अपनी शर्ट उतार दी और पैंट को जिप तक खोल दिया.

मैं उसकी मर्दाना देह को देखकर मन ही मन अपने आप को खुशकिस्मत मानने लगी और सोचने लगी कि काश इससे ही सात फेरे लिए होते!

आखिरकार वह फिर से आगे बढ़ा और मुझसे चिपक गया.
इस बार उसने मेरे साए को ऊपर करते हुए एक ही झटके में मेरी पैंटी को नीचे खींच लिया और उसे मेरे शरीर से अलग कर दिया.

कुछ ही पलों में वह मेरे गले, मेरे चेहरे, मेरे होंठों पर और धीरे-धीरे नीचे मेरे ब्रा के ऊपर मेरे बूब्स पर भी किस करने लगा.

मेरे बूब्स के ऊपर काले तिल पर तो गुरमीत ने जोर से काटा, जिससे मेरी चीख निकल गई.

अब मैं उसका विरोध नहीं कर रही थी बल्कि उसके साथ देने लगी थी.
मैं उसके बालों को पकड़ कर अपने बूब्स पर दबा रही थी.

उसने मेरी ब्रा की पट्टी को कंधे से नीचे कर दिया और ब्रा को भी खिसका दिया.
फिर मेरे बूब्स को पूरी ताकत से अपने हाथों से दबाने लगा और सहलाते हुए एक दूध को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.

मैं बोली- आह गुरमीत … यह क्या कर रहे हो? रुक जाओ प्लीज ऐसा मत करो!

लेकिन वह कहां मानने वाला था.
मैं भी उसे ऐसा बोलकर उकसा रही थी.

कुछ पल बाद मैंने अपने बूब्स खुद ही उसके मुँह में दे दिए जिन्हें वह किसी माहिर खिलाड़ी की तरह चूसने में जुट गया.
वह मुझे मदहोश करने लगा.

मैं उसके चेहरे को अपने बूब्स पर और जोर से दबा रही थी और बोल रही थी- गुरमीत आह … क्या कर रहे हो? छोड़ दो. मत काटो इन्हें … ओह … ओह … गुरमीत छोड़ो ना उम्म उई उई!

उधर नीचे मेरी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी.

उसने मेरे साए को मेरी कमर तक नीचे कर दिया था.

फिर अचानक से गुरमीत उठा और मेरी आंखों में आंखें डालकर मुझे देखने लगा.
इस बार उसने अपने इनरवियर से अपने लंड को निकाला और मेरी जांघ पर ले आया.

उधर नीचे मेरी चूत से धार बहने लगी थी जो यह बता रही थी कि मैं चुदने के लिए पूरी तरह तैयार हो चुकी थी.

गुरमीत ने मेरे चेहरे को पकड़ा और नीचे अपने लंड को मेरी चूत पर रखते हुए कहा- आई लव यू!

उसी पल उसने अपना लंड मेरी चूत में धकेल दिया.
शायद उसका लंड मोटा और बड़ा दोनों था इसलिए मुझे बहुत तेज दर्द हुआ.

मैं उसकी पीठ पर अपने नाखून गड़ाते हुए उससे चिपकने लगी.
मेरी आंखों से आंसुओं की धार बहने लगी और मेरी आह तक निकल गई.
मैं चिल्ला पड़ी- आह मर गई … निकालो प्लीज!

गुरमीत ने एक बार लंड बाहर निकाला और फिर एक बार जोर से मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया.
मैंने उसे और जोर से पकड़ा, शायद रुकने का इशारा किया.

लेकिन वह कहां मानने वाला था.
उसने मेरे होंठों को पूरी तरह काटना और चूसना शुरू कर दिया.

मैं उसे अपने से चिपकाए हुई थी.
मेरे बूब्स उसकी छाती से पूरी तरह दबे थे. उसके हाथ पीछे मेरी पीठ और कमर को सहलाते हुए मुझे चोदने में जुटे थे.

उसी पोजीशन में उसने मुझे करीब 15 से 20 मिनट तक चोदा.
इस दौरान उसने कई बार मेरे बूब्स चूसे, कभी मेरी गर्दन पर गाल काट दिए, कभी होंठों को काटा, कभी प्यार से किस किया, कभी मेरी पीठ को सहलाया, कभी मेरी कमर पर हाथ फेरा और कभी मेरी गांड पर हाथ रखकर उसे सहलाने लगा.

कभी मेरे बालों को खींचते हुए मुझे तेज रफ्तार से चोदने लगता.

वाइल्ड सेक्स विद भाभी का मजा पुलिस वाला ले रहा था और सारे कमरे में मेरी सिसकारियां गूंज रही थीं.
आखिर 15 से 20 मिनट बाद उसने अपने शॉट्स की स्पीड बढ़ा दी.

उस समय तक मैं तीन-चार बार झड़ चुकी थी और अभी फिर झड़ने की कगार पर थी.
मेरे पैर तो हवा में ही थे जिस कारण वे सुन्न पड़ गए थे.
पैरों में थिरकन-सी होने लगी थी.

मैं अब उसकी पीठ और बालों को सहलाने में जुट गई, उसे अपने सीने से चिपकाए हुई थी ताकि वह जल्द ही अपना वीर्य मेरे अन्दर गिरा दे.

उसी दौरान उसने अपने शॉट्स की स्पीड और बढ़ाई और मुझे बेरहमी से चोदते हुए अपना वीर्य मेरी चूत में डाल दिया.

फिर मुझे जोर से गले लगाते हुए हांफने लगा.

इस दौरान मैं यह भी भूल चुकी थी कि उसने शराब पी रखी थी और मैं उसका साथ दे रही थी.

मैंने उसके सिर को सहलाते हुए उसे अपने से चिपका लिया.
वह भी मेरे गले पर हल्के-हल्के किस कर रहा था.

फिर अचानक वह मुझसे दूर हुआ और अगले ही पल अपने कपड़े पहनने लगा.
मैं वहीं बैठे-बैठे उसे देख रही थी.

जब वह कपड़े पहन चुका, तो बोला- प्रिया, आज से तू मेरी है. सिर्फ मेरी है!

मैं भी अपनी ब्रा की स्ट्रिप को ऊपर करती हुई खड़ी हुई और ब्रा व पेटीकोट में ही जाकर उससे सामने से चिपक गई.
वह मेरे बालों को सहलाते हुए कुछ देर खड़ा रहा.

फिर मेरे बालों को खींचते हुए मेरे होंठों को अपने होंठों के सामने लाया और एक जोरदार स्मूच किया.

इस बार मैंने उसका पूरा साथ दिया.
हमारा स्मूच इस बार काफी लंबा चला … करीब 5-7 मिनट तक.

फिर उसने मुझे अपने से दूर करते हुए कहा- मैं जा रहा हूँ और कल मिलूँगा तुझसे!
उसने दरवाजा खोला और निकल गया.

मैंने जल्दी से दरवाजा बंद किया.

मेरी चुदाई इतनी जोरदार हुई थी कि मैं ठीक से चल भी नहीं पा रही थी.
शायद इतना मोटा, लंबा और कटा हुआ लंड मैंने जीवन में पहली बार लिया था.
लेकिन मजा मुझे बहुत मिला.

फिर मैं बेड पर आई और गुरमीत के साथ जो हुआ, उसे सोचने लगी कि किस तरह उसके लंड ने मुझे मजा दिया.
सोचते-सोचते कब आंख लग गई, पता ही नहीं चला.

दूसरे दिन सुबह उठी तो मोबाइल पर गुरमीत का मैसेज था.
मैं उस समय भी ब्रा और पेटीकोट में थी.

उसने मैसेज में काफी रोमांटिक बातें लिखी थीं और मेरी तारीफ भी की थी.

तभी गुरमीत का कॉल मेरे फोन पर आया.
उसने कहा- तो कैसी रही कल रात प्रिया डार्लिंग?
मैंने कहा- देखो गुरमीत … कल जो भी हुआ, सो हो गया. अब हम कभी नहीं मिलेंगे!

गुरमीत बोला- वह तो समय के ऊपर निर्भर करता है.
मैं बोली- मैं इसे एक हादसा समझ कर भूल जाऊंगी, तुम भी भूल जाओ!
आखिर वह बोला- ठीक है, दोपहर के वक्त मॉल में मिलो!

मैंने कहा- ठीक है … लेकिन सिर्फ मैं तुम्हें समझाने के लिए आऊंगी!
फिर मैं दोपहर के 2 बजे मॉल के लिए निकली.

मैंने व्हाइट स्किन टाइट कुर्ता पहना, जिसमें मेरे बूब्स बड़े लग रहे थे और रेड स्किन टाइट लेगिंग्स पहनी, जिसमें मेरी गांड भरी-भरी लग रही थी … साथ ही ब्लैक सैंडल पहनी.

मेरे बालों का जूड़ा बना था और होंठों पर लाइट लिपस्टिक लगाई थी.
जब मैं मॉल पहुंची, गुरमीत पहले से ही वहां खड़ा था.

मुझे देखते ही मेरे पास आया और बातचीत शुरू कर दी.
वह बोला- आज तो कड़क माल लग रही हो!
मैंने कहा- झूठी तारीफ बंद करो जनाब.

फिर हम लोग एक रेस्टोरेंट में गए, जहां हमने कुछ स्नैक्स लिए.

उस दौरान हमने काफी देर तक बातचीत की.
गुरमीत बोला- आज रात को मैं फिर आऊंगा.

मैंने उसे मना किया और कहा- आज वैसे भी मुझे एक शादी के रिसेप्शन में जाना है.
वह कुछ नहीं बोला.

मैंने कहा- वैसे भी जो हुआ, उसे भूल जाओ … मैं यही बोलने आई हूँ.
वह अब भी चुप था.

आखिर में मैंने पुनः कहा- चलो, अब मैं चलती हूँ!
फिर मैं और गुरमीत लिफ्ट से नीचे आने लगे, लिफ्ट में हम अकेले ही थे.

लिफ्ट का दरवाजा बंद होते ही गुरमीत ने अचानक मेरे हाथ को पकड़ा, मुझे अपनी ओर खींचा और मेरे चेहरे को पकड़कर अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया.
शायद उसके इस अचानक हमले के लिए मैं तैयार नहीं थी.

मेरे मुँह से बस ‘उम्म्म’ की आवाज़ निकल रही थी.

उसके हाथ पीछे मेरी गांड तक पहुंच चुके थे और उसने मेरी गांड को दबाया भी.
इतने में लिफ्ट रुकी और हम दोनों अलग हो गए.

जब मैं लिफ्ट से बाहर निकली, मैंने मुस्कुराते हुए कहा- सच में तुम पागल हो गए हो!

मॉल के बाहर तक वह मेरे साथ आया.

वह बोला- आज रात तो तुम मेरी ही रानी बनोगी प्रिया!
मैं बोली- बस रहने दो, अब ऐसा कुछ नहीं होगा.

लेकिन अब मैं शर्मा और मुस्कुरा भी रही थी.
इस बार मैं खुद ही उसके पीछे चिपक कर उसकी बाइक पर बैठ गई.

उसने मुझे घर तक छोड़ा.

मैं घर आई, रेस्ट किया और शाम को 9 बजे खाना खाकर टीवी देखने लगी.
साथ ही सोच रही थी कि गुरमीत कहीं आ तो नहीं जाएगा और आज मेरे साथ क्या करेगा.

सोचते-सोचते कब आंख लग गई, पता ही नहीं चला

Wednesday, 29 October 2025

सहकर्मी की रांड बीवी को रौंदते हुए चोदा

 

मेरे साथ काम करने वाला एक लड़का अपनी बीवी पर ध्यान नहीं देता था. तब मैंने उसकी बीवी पर ध्यान दिया तो वह एकदम से चुदाई के लिए तैयार हो गई.

मेरा नाम तारक है.
मैं एक बत्तीस साल का शादीशुदा आदमी हूँ और चेन्नई में एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करता हूँ.
मेरा कद 5 फीट 11 इंच है, चौड़े कंधे और गेहुंआ रंग है.

मैं अपनी आपबीती आप लोगों के साथ साझा करना चाहता हूँ.

मैं पहली बार अन्तर्वासना पर कुछ लिख रहा हूँ इसलिए बहुत सारी गलतियां हो सकती हैं.
इसके लिए मैं पहले ही माफी माँगता हूँ.

अब मैं बिना देर किए सीधे अपनी हॉट X स्टोरी पर आता हूँ.

बात 2018 की है.
मेरे साथ काम करने वाला नव कुमार (काल्पनिक नाम) हमेशा फोन पर चिपका रहता था.
उसके दूसरे मोबाइल पर घर से लगातार कॉल आते रहते थे, जो मुझे अजीब लगता था.

एक दिन वह फोन पर बात करते-करते दूर चला गया.
उसी समय उसके घर से उसकी पत्नी का कॉल आया.

फोन की रिंग लगातार बज रही थी इसलिए मैंने कॉल उठा लिया.

उधर से एक मीठी-सी आवाज में एक महिला ने बंगाली में बात की जो मैं ठीक से समझ नहीं सका क्योंकि मुझे बंगाली नहीं आती.
मैंने हिंदी में कहा- वह अभी दूसरे मोबाइल पर व्यस्त है. मैं उन्हें बाद में कॉल करने को कहता हूँ.

वह बोली- आप कौन हैं?
उसकी आवाज शहद से भी मीठी और बहुत ही सुरीली थी.

मैं स्तब्ध रह गया कि इतनी मीठी आवाज भी हो सकती है क्या?

एक दो पल बाद मैंने कहा- मैं उनके साथ ऑफिस में काम करता हूँ.
वह बोली- ठीक है!
उसने फोन काट दिया.

मैं उसकी आवाज के बारे में सोचता रहा.
फिर न जाने क्या सोचकर मैंने उसका मोबाइल नंबर अपने फोन में सेव कर लिया.

शाम को जब मैं अपने रूम पर गया और खाना खाने के बाद उस नंबर को चेक किया तो देखा कि उस नंबर पर व्हाट्सएप था.

मैंने ‘हाई’ का मैसेज किया, लेकिन कोई जवाब नहीं आया.
फिर मैं सो गया.

सुबह उठकर मैंने गुलाब के फूल के साथ ‘गुड मॉर्निंग’ का मैसेज भेजा.
लेकिन फिर भी कोई जवाब नहीं आया.

ऐसा मैं हर दिन करने लगा.
खूबसूरत गुलाब के फूल के साथ गुड मॉर्निंग विश करता.
लेकिन जवाब हमेशा जीरो.

यह सिलसिला करीब एक महीने तक चला.

फिर एक दिन अचानक जवाब आया- कीथ बाड़ी!

मैं- क्या आप हिंदी में बात कर सकती हैं?
जवाब आया- मुझे हिंदी नहीं आती!

मैं- आप तो बहुत अच्छी हिंदी लिख रही हैं! फिर क्यों कह रही हैं कि नहीं आती?
जवाब आया कि थोड़ी-थोड़ी जानती हूँ!

मैं- मेरे लिए इतना ही काफी है!
अब सवाल आया कि आप कौन हैं?

मैं- वही, जिसने आपके पति के फोन पर आपका कॉल रिसीव किया था ऑफिस में!

जवाब- अच्छा … तो आप हैं… क्या नाम है आपका?
मैं- तारक!

सवाल- क्या करते हैं?
मैं- आपके पति का सीनियर हूँ!

जवाब- ओह! तो आपके बारे में ही नव (उसका पति) कहता है कि सारे काम मेरा तारक सर देख लेते हैं, मुझे टेंशन नहीं रहती!

मैं- क्या करूँ? वह करता ही नहीं, फोन पर बिजी रहता है, तो मुझे करना पड़ता है. नहीं करूँगा, तो उसे भी डाँट पड़ेगी और मुझे भी जीएम से सुनना पड़ेगा!
जवाब- ओह…

मैं- आपका नाम?
जवाब- सपना! (बदला हुआ नाम)

मैं- आपकी आवाज की तरह आपका नाम भी बहुत मीठा है!
सपना- अच्छा … थैंक यू!

सपना- वह कहां बात करता है?
मैं- मुझे नहीं पता. मैं तो सोचता था कि वह आपसे बात करता है. लेकिन जब आपने फोन किया और मैंने रिसीव किया, तब मुझे लगा कि वह कहीं और बिजी रहता है!

सपना- ठीक है … बाय!
वह ऑफलाइन हो गई.

उसी रात खाना खाने के बाद और सोने से पहले मैंने सपना को ‘हैलो’ का मैसेज किया.
जवाब आया- बोलिए!

मैं- खाना खाया?
सपना- हां और आपने?
मैं- मैंने भी!

सपना- क्या कर रहे हैं?
मैं- आपको याद!

सपना- क्यों?
मैं- पता नहीं!

सपना- आपने तो सारी दुनिया के फूल मुझे दे दिए पूरे महीने में! मुझे पागल कर दिया … और बोलते हैं कि पता नहीं!
मैं- आपने मुझे बहुत इंतज़ार करवाया है!

सपना- इंतज़ार में ही तो मज़ा है ना! मैं भी सोचती थी कि कौन है जो मेरे पीछे इतना पड़ा है. मैं समझी थी कि कोई मेरे घर के आस-पास का है. लेकिन जब आपने कहा हिंदी में बात करो, तब मेरा डर निकल गया!

मैं- आपकी आवाज ने मुझे पागल कर दिया था, इसलिए मैंने आपके पति के मोबाइल से आपका नंबर चुराया!

सपना ने हँसने का एक इमोजी भेजा.
मैंने भी आंख मारने का इमोजी भेजा.

मैं- एक अपनी पिक भेजिए न!

सपना ने अपनी एक तस्वीर भेजी जो इतनी सुंदर और हॉट थी कि मैंने सपने में भी नहीं सोचा था.
मेरा मुँह खुला का खुला रह गया.

वह इतनी खूबसूरत थी, मानो स्वर्ग की अप्सरा हो!
बड़े बड़े बूब्स, खड़ी और गोल नाक, बड़ी और कटीली आंखें, पतले होंठ … आह क्या ही बताऊं!

उसके 36 के बूब्स, 30 की कमर, और 38 का पिछवाड़ा देखकर मेरे लंड में तनाव आ गया.

सपना- क्या हुआ … फ़ोटो कैसा लगा? जवाब क्यों नहीं आया?
मैं- चाँद में तो दाग भी हैं, लेकिन आपको देखकर तो चाँद भी शर्मा जाए! आपको देखकर मेरा सारा कुछ हिल गया है. रियली, आप बहुत खूबसूरत हैं! इतनी हॉट बीवी को छोड़कर नव कुमार कहां बिजी रहता है, मैं समझ नहीं पा रहा हूँ!

सपना- छोड़िए उसका … आप अपनी पिक भेजिए!
मैंने भी अपनी एक पिक भेजी जो उसे पसंद आई.

वह बोली- आपकी चौड़ी छाती पर तो सिर रखकर सोने का मन कर रहा है!
मैं- आपको किसने मना किया है?
सपना- आपकी वाइफ ने!

मैं- उसे कब बात की?
सपना- डर गए ना!
मैं- नहीं तो!

सपना- संभाल पाएंगे मुझे!
मैं- आपको क्या लगता है?

सपना- हां! मुझे लगता है कि आप जैसे हट्टे-कट्टे और चौड़ी छाती वाले ही मुझे रौंद सकते हैं! आपकी हाइट क्या है?
जब उसने यह पूछा तो मैंने बताया कि 5 फीट 11 इंच.
सपना- बहुत अच्छा है … मैं भी बहुत लंबी हूँ!

मैं- आपकी साइज़ क्या है?
सपना- क्यों? क्या आपने मेरी तस्वीर में नहीं देखा?

मैं- हां देखा! मगर आपके मुँह से सुनना चाहता हूँ!

सपना- आपका क्या अनुमान है?
मैं- छत्तीस ऊपर और अड़तीस का जलवा नीचे है.

सपना- खिलाड़ी हो आप … देख कर ही सही अनुमान लगा लेते हो!

मैं- हां वह तो है … मैं तो ये भी अनुमान लगा लेता हूँ कि कौन कितना जंप मार सकता है!
सपना- अच्छा! मगर मेरे जंप को आप संभाल नहीं पाओगे, क्योंकि मेरा पति कभी मुझे संभाल नहीं पाया है! मेरे दो उछाल में ही खलास होकर साइड में सो जाता है … मुँह खोलकर … मन करता है, मुँह में ही पेशाब कर दूँ उसके!

मैं- अच्छा, ऐसी बात है! जब तुम मुझे मिलोगी, तब पता चलेगा! बिना लंड डाले ही तुमको नहीं निचोड़ दिया, तो फिर कभी मुँह नहीं दिखाऊंगा!
सपना- अभी वह तो दिखा दो!

मैं- क्या?
सपना- हथियार … यार लड़ोगे किस हथियार से?

मैं- नहीं, पहले मुझे भी तुम्हारा देखना है!

सपना- क्या?
‘बूब्स’ मैंने कहा.

सपना- नहीं, पहले आप अपने लंड का पिक भेजो!

उसके मुँह से ‘लंड’ शब्द सुनकर मेरे लंड में तूफान मच गया.
मैंने तुरंत ही अपनी चड्डी खिसकाई और फोटो खींच कर सेंड कर दी.

अगले ही पल उधर से सपना ने वीडियो कॉल कर दी.
मैंने रिसीव किया.

वह लाल रंग की ब्रा और ग्रे रंग के पेटीकोट में बैठी थी.
ब्रा बहुत ही तंग थी और चूचे इतने बड़े थे कि ब्रा से बाहर निकल रहे थे.

मैंने कहा- बहुत मस्त हैं आपकी चूचियां … मुझे इनसे खेलना है!
वह बोली- आपका जब मर्जी हो … आकर खेल लेना! मगर आपके लंड को देखकर मेरी बुर में हलचल मच रही है … आओ न, मुझे चोद दो! मैं तेरी रखैल बनकर रहूँगी … जल्दी से आ जाओ न … मुझे रौंद डालो … मसल डालो! मुझे बूँद-बूँद निचोड़ डालो!

मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि इतनी जल्दी वह मेरे साथ इतनी ज्यादा खुल जाएगी.

फिर उसी समय हमने मिलने का प्लान बनाया.
क्योंकि चेन्नई से बंगाल जाने का मतलब 28 से 30 घंटे का रास्ता था इसलिए एक हफ्ते बाद हमने मिलने का समय निर्धारित किया.

निर्धारित दिन मैं वेस्ट बंगाल के शहर खड़गपुर में सुबह 9:10 बजे पहुंचा.
पहुंच कर सपना को कॉल किया तो उसने कहा- बस, मैं आ रही हूँ … यही कोई 20 मिनट में पहुंच जाऊंगी!

मैं स्टेशन से निकलकर बस स्टैंड पर आकर इंतज़ार करने लगा.
सपना ठीक 20 मिनट बाद एक बस से उतरी.

हम लोग वीडियो कॉल पर हमेशा बात करते थे इसलिए पहचानने में कोई परेशानी नहीं हुई.

मगर जब सामने से देखा तो क्या लग रही थी!
सुडौल शरीर, 5 फीट 8 इंच लंबी, पहाड़ जैसे तने हुए दो बड़े-बड़े मम्मे और पीछे भारी-भरकम निकली हुई गांड … सपाट पेट!

ऐसा लग रहा था मानो साक्षात कामदेवी रति खड़ी हो.
वह काफी सज-धज कर आई थी.
जब चलती थी, तो आगे दोनों खरबूजे हिलते थे और देखने वाले का ईमान हिल जाता.
आंखों में वासना तैरने लगती थी.

पीछे हर कदम पर थिरकती हुई नितंब बूढ़े के लंड में भी तनाव पैदा कर सकते थे.
मेरा हाल तो उसके सामने का सीन देखकर ही बुरा हो गया था.

मैंने आगे बढ़कर उसे हैलो बोला और हाथ मिलाकर एक-दूसरे का अभिवादन किया क्योंकि पब्लिक प्लेस में इससे ज्यादा उचित नहीं था.

फिर हम दोनों पास के एक लॉज में गए, अपना आईडी कार्ड दिखाकर रूम बुक किया और चाबी लेकर कमरे में आ गए.

अन्दर जाते ही सपना ने दरवाजे की सिटकनी लगाई और पीछे मुड़कर मुझ पर झपटने के लिए झुकी.
मगर मैंने उसे झुकने से पहले ही उसके कंधों को पकड़ कर उठाया, उसके कंधे से पर्स निकालकर सामने पड़े टेबल पर रखा और जोर से गले लगा लिया.

वह भी ऐसी चिपक गई जैसे हम दो नहीं, एक ही शरीर हों.
बिल्कुल हवा पास होने की भी जगह नहीं थी.

हम दोनों एक-दूसरे को चूमते-चाटते नहीं जानते कब मैं उसके पीछे जा चुका था.

अब मेरे दोनों हाथों में उसके दोनों बड़े-बड़े उरोज थे.
मैं दोनों हाथों से उन मदमस्त, विशाल और सख्त उरोजों को उसके सूट के ऊपर से ही मसल रहा था.

मेरे होंठ उसके गले और कानों के आस-पास चुंबनों की बौछार कर रहे थे.
मेरे लंड में इतना तनाव था कि वह सपना के चूतड़ों की दोनों घाटियों के बीच रगड़ खा रहा था.

मैं अपना सुध-बुध, होश-हवास खो बैठा था और यही हाल सपना का भी था.
वह भी आंखें बंद करके सिर्फ कामुक सिसकारियां भर रही थी.

मैं सपना के बूब्स को पीछे से पकड़ कर बुरी तरह दबाए जा रहा था, उसके कानों को अपने होंठों से चबाए जा रहा था.
सपना इतनी मस्त हो गई थी कि उसने अपने हाथों को पीछे ले जाकर मेरे लंड को टटोलना शुरू कर दिया और उसे पकड़ कर दबाने लगी.

उसकी वासना से लबरेज सिसकारियों से कमरा गूंजने लगा था.
वह बड़बड़ा रही थी- ई… स… मुझे मसल डालो! आज काट खाओ ई…इ…इ… बहुत चुल्ल है इन दोनों चूचों में … वह मेरे लंड के ऊपर अपनी गांड को दाएं-बाएं रगड़ने लगी.

मेरा लंड उसकी कोमल गांड से रगड़ खाकर अंतर्वासना के चरम पर पहुंच गया था.
तभी अचानक से डोरबेल बजी.

हम दोनों का ध्यान भंग हो गया.
मैं बाथरूम में भागा क्योंकि मेरा लंड रॉड की तरह तना हुआ था.

सपना ने दरवाजा खोला.
सामने सर्विस बॉय था जो पानी और जरूरी सामान रखकर चला गया.

मैं बाथरूम से बाहर आया.
तब सपना बोली- मेरा सारा सूट खराब हो गया!

मैंने कहा- अभी तो सूट को मसला है, बूब्स को मसलना बाकी है … तुम्हारे बूब्स बहुत अच्छे हैं, मुझे इनसे खेलने में बहुत मजा आ रहा है!
वह बोली- देखती हूं … तुम कितना खेल पाते हो!

पाठको, मैं एक बात बताना चाहता हूं. उसके अन्दर जवानी की आग भरी हुई थी.
उसकी आंखें मदमस्ती से भरी थीं.

वह इतनी कामुक हो गई थी कि अपनी आंखें पूरी तरह खोल भी नहीं पा रही थी.
अधखुली आंखों से वह मुझे हसरत भरी निगाहों से देख रही थी!

दोस्तो, इस हॉट X स्टोरी के अगले भाग में आपसे पुनः मुलाकात होगी.
और तब मैं अपने दोस्त की इस कामुक बीवी की चुत चुदाई को आगे लिखूँगा

मैंने अपने हाथों से खींच कर उसकी कुर्ती को निकाल फेंका.

उसने बहुत ही खूबसूरत जालीदार लाल रंग की फैंसी ब्रा पहनी थी जिसमें उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां बमुश्किल आधे-अधूरी कैद हो पा रही थीं.

मैंने ब्रा हटाकर उसके दोनों कबूतरों को आजाद कर दिया.
उसके दोनों पर्वतों के बीच की घाटी बहुत ही कामुक थी, जो मेरे अन्दर वासना की आग में घी डालने का काम कर रही थी.

मैं खुद को रोक नहीं पाया और अपनी जीभ उस घाटी में फिराने लगा.

मैंने दोनों हाथों से उसके बूब्स को मसलना शुरू किया और अपनी जीभ से उसकी घाटियों को चूमने, चाटने और कहीं-कहीं दांतों से काटने लगा.
यह मेरे अन्दर की अतिशय वासना के कारण हो रहा था. मुझे ऐसा लग रहा था मानो मैं इंसान नहीं, कोई नरभक्षी बन गया हूं.

वह लगातार मदभरी सिसकारियां ले रही थी और बोल रही थी- ओ … हो … ई… बहुत मजा आ रहा है … आज तक किसी ने इस तरह मसल कर मुझे इतना सुख नहीं दिया!

मैंने अब दूध की टंकियों पर हमला बोला, एक को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया और दूसरे को एक हाथ से मसलना जारी रखा.
मैं बारी-बारी से दोनों चूचियों के साथ खेलता रहा.

अब मैंने चूचियों से अपना मुँह हटाया और उसके होंठों को चूसने लगा.
वह भी बराबर का साथ दे रही थी.

फिर मैंने अपनी जीभ को उसके मुँह के अन्दर डाल दिया.
वह मेरी जीभ को ऐसे चूसने लगी जैसे कोई नवजात शिशु मां का निप्पल चूसता है.
मेरे मुँह की लार उसके मुँह में … और उसके मुँह की लार मेरे मुँह में आने जाने लगी.

ऐसा बहुत देर तक चलता रहा क्योंकि वह भी बहुत प्यासी थी.
सच कहूं तो वह वासना की एक जलती भट्टी थी जो मुझे अपनी ज्वाला से पिघला कर अपने अन्दर समाहित कर लेना चाहती थी!

इसी क्रम में कब उसकी लेगिंग्स उसके पैरों से अलग हो चुकी थी, मुझे पता ही नहीं चला.

जब मैंने नीचे की ओर देखा तो सिर्फ लाल रंग की फैंसी चड्डी थी जो बहुत मुश्किल से स्वर्ग के द्वार को ढक पा रही थी.
चड्डी उसकी कामरस से सराबोर हो चुकी थी और कुछ कामरस उसकी जांघों पर एक रेखा खींचता हुआ बह रहा था.

मैंने उसकी चड्डी को निकाल फेंका और संगमरमर सी तराशी, दूध सी गोरी जांघों को सहलाते हुए उसकी कामरस से गीली बुर में अपनी जीभ डाल दी.

मैं जीभ को ऊपर क्लिटोरिस तक ले जाता, कभी-कभी क्लिटोरिस पर दांतों से काट देता, जिसके कारण वह सातवें आसमान की सैर कर रही थी.

वह मेरे सिर को अपनी जांघों के बीच जोर से दबा रही थी, मानो मुझे अपने अन्दर घुसा लेना चाहती हो!

मैं उसकी बुर के अन्दर अपनी जीभ को कुत्ते की तरह चटखारे लेते हुए चला रहा था.
तभी उसने अपनी जांघों से मेरे सिर को जोर से भींच लिया और अपनी गांड उठा-उठा कर दो-तीन झटके दिए.

फिर उसने मेरे मुँह पर अपनी चुत का गर्म-गर्म पानी छोड़ दिया जिससे मेरा नाक, मुँह और बाकी का चेहरा उसकी चुत के रस से भीग गया.
सपना निढाल होकर पड़ी थी.

मैंने पास ही पड़ी उसकी ब्रा से अपने चेहरे को साफ किया और उसकी तरफ देखा.
मुझे अपनी ओर देखती हुई देखकर वह मुस्कुराई और शर्माती हुई अपने दोनों हाथों से अपनी आंखें बंद करके मुस्कुराने लगी.

मैंने उसके दोनों हाथ हटाए और उसके माथे पर एक चुम्बन जड़ दिया.
वह उठकर बैठ गई और मुझे अपनी गोद में खींच कर मेरा सिर रख लिया.

वह बोली- आज तक मुझे इतना सुख कभी नहीं मिला! मेरा पति कभी भी इस तरह मुझे प्यार नहीं करता!
मैं चुप रहा.

‘आपको पता है?’ उसने मुझसे कहा- मेरी बुर का पानी दो बार झड़ चुका है! मेरा पति तो कभी चोदकर भी मुझे दो बार नहीं झाड़ सका है!

फिर वह आगे बोली- मुझे भी आपका लंड चूसना है!

यह कह कर उसने मेरे बॉक्सर को हाथ से खींच कर उतार दिया.
मेरा लगभग सात इंच लंबा और चार इंच मोटा लंड उछल कर बाहर आ गया.

इतनी देर तक सेक्सुअल एक्टिविटी के कारण उसमें से प्रीकम की कुछ बूँदें निकल चुकी थीं, जिससे उसका अगला भाग गीला था.

उसने उसे हाथों में लेकर कहा- मैंने जब इसे पिक में देखा था, तभी सोच लिया था कि इस लंड से जरूर चुदूँगी!
उसकी ऐसी बातें, जिनमें ‘लंड’ और ‘चुदना’ जैसे शब्द शामिल थे, मुझे बहुत उत्तेजित कर रही थीं.

उसने थोड़ी देर तक मेरे लंड को अपनी मुलायम हथेलियों से आगे-पीछे किया और अपने होंठों पर घिसने लगी.
मेरे टमाटर जैसे गोल सुपाड़े पर उसने अपनी जीभ फिरानी शुरू की जिससे मुझे बहुत उत्तेजना होने लगी.

अब उसने इसे मुँह के अन्दर लिया और जैसे बच्चे लॉलीपॉप चूसते हैं, वैसे ही चूसने लगी.
वह किसी प्रोफेशनल रंडी की तरह मेरे लंड को चूस रही थी, उसे अपने गले तक डाल रही थी.

जल्दी ही उसका मुँह झाग से भर चुका था.
वह ‘गों गों’ की आवाज के साथ इतनी तेजी से लौड़े को चूस रही थी कि मुझे संभालना मुश्किल हो गया.

आखिरकार मैंने उसके मुँह के अन्दर अपने गन्ने का रस छोड़ दिया.
उसने सारा रस पी लिया और बोली- तेरा माल पीकर बहुत मस्त लगा! मैंने पहली बार माल पिया है. वह (पति) तो साला कभी चूसने नहीं देता, कहता है मेरा निकल जाएगा! मैं पोर्न वीडियो देखती थी, तो मुझे लंड चूसने और माल पीने का बहुत मन होता था, जो आज तूने पूरा कर दिया!

अब मैंने फिर से उसके बूब्स के साथ खेलना शुरू कर दिया.
हल्के हाथों से दोनों बूब्स पर चपत लगा रहा था और कभी-कभी निप्पल्स को मसल देता था.

मैंने दायीं चूची को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया, फिर बायीं चूची को चूसा.

कुछ देर बाद मैं उसकी गहरी नाभि में अपनी जीभ डालकर घुमा-घुमा कर चूसने लगा.
जिससे वह बहुत उत्तेजित हो गई.

उसने मुझे धक्का देकर गिरा दिया और मेरा मुरझाया हुआ लंड फिर से चूसने लगी.

मैंने भी उसके पैर उठा कर अपने शरीर के दोनों तरफ रखे और उसकी गांड पर दाँत गड़ा दिए.
उसकी बड़ी और हांडी जैसी गांड पर थप्पड़ मारने लगा.

अब हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए.
वह मेरे ऊपर थी और मैं नीचे.

मेरा लंड फिर से लोहे की रॉड की तरह उफान मार रहा था.

मैंने उसे अपने ऊपर से उतारा और उसके पैर पकड़ कर दोनों टांगें अपने कंधों पर रखीं.
वह समझ चुकी थी कि अब उसकी चूत चुदने वाली है.

वह बोली- रुको!
मैंने पूछा- क्यों, क्या हुआ?

वह बोली- मुझे तकिया अपनी कमर के नीचे लगा लेने दो!
मैंने कहा- ठीक है, ले लो. मैं कंडोम चढ़ा लेता हूँ, उसे तो जोश में मैं लगाना ही भूल गया था.

वह बोली- नहीं … मुझे ऐसे ही चोदो! मैं बिना कंडोम के चुदूँगी!
मैंने कहा- चलो ठीक है.

मैंने उसकी दोनों टांगें अपने कंधों पर रखीं और अपने लंड को उसकी रस बहाती हुई चूत पर सैट किया.
फिर उसके कंधों को पकड़ कर एक जोरदार धक्का लगाया.

वह हल्की चीख के साथ अपनी चूत को पीछे खींचने की कोशिश करने लगी.
लेकिन सफल नहीं हुई क्योंकि मैंने पहले से ही उसके कंधों को पकड़ कर अपनी ओर खींच रखा था.

वह कराह कर बोली- धीरे-धीरे करो न! मैं कहां भागी जा रही हूँ? मैं तुम्हारी हूँ, अपनी बीवी की तरह प्यार करो न!

उसकी बातें सुनकर मेरे ऊपर कोई असर नहीं पड़ रहा था.

इसी बीच मैंने अपने लंड को थोड़ा पीछे खींचा और जब वह रिलैक्स थी, तभी एक और जोरदार धक्का दे मारा.
मेरा लंड सनसनाता हुआ पूरी तरह अन्दर घुस गया और उसकी बच्चेदानी से जा टकराया.

वह हलाल होने वाले बकरे की तरह चीखी.
मैंने अब उसके कंधों को छोड़ दिया और उसके अधरों को चूसने लगा.

लगभग दो-तीन मिनट बाद उसने आंखें खोलीं और मेरे साथ तालमेल बिठाने लगी.
वह बोली- बहुत बेरहम हो तुम … अपना नहीं समझते हो? कोई ऐसे भी पेलता है क्या?

उसकी इस भाषा ने मुझे और उत्तेजित कर दिया और मैंने अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया.

थोड़ी देर बाद वह अपनी कमर उछाल उछाल कर मेरा साथ देने लगी.
उसके अधरों पर सेक्सी मुस्कान थी.

वह किसी मँजी हुई सेक्स खिलाड़ी की तरह कामक्रीड़ा का आनन्द ले रही थी.
मेरे धक्कों के साथ ताल मिलाकर अपनी कमर हिलाने लगी थी.

अब मैंने उसकी दोनों चूचियों को दोनों हाथों से पकड़ा और अपनी स्पीड बढ़ा दी.
मैंने शताब्दी एक्सप्रेस की रफ्तार से चुदाई शुरू कर दी.
मेरा लंड पिस्टन की तरह उसकी बुर के अन्दर आगे-पीछे हो रहा था.

अब उसकी हालत खराब थी.
वह अपने मुँह से क्या-क्या बड़बड़ा रही थी- अया … आह … उई … आह सी … आह … उम्म.

मैं उसकी दोनों चूचियों को जोर से भींचते हुए उसकी चूत मार रहा था.

Xxx बंगाली सेक्स करती हुई अब वह पूरी जोश में थी और गंदे शब्दों के साथ बात करने लगी थी ‘फाड़ डाल साला … मर्द है तो फाड़ मादरचोद … सिलाई करा लूँगी बाद में आह डॉक्टर से बोलूँगी कि कोई मर्द है जिसने इतना प्यार किया है मुझे … आह चोद … मैं तेरी रंडी हूँ … रखैल बनकर रहूँगी ओह… ओह… उई… यू… ई… साला… भोसड़ी के … मन करता है अपनी माँ भी चुदवा दूँ तुझसे!’

मैंने कहा- साली रंडी …माँ नहीं! अगर रंडी बहन कोई है तो बोल … चोद दूँगा उसको भी!

‘साला ठरकी … मेरे पति की गांड में अपना मूसल डालकर चोद देना और उससे बोलना कि देख कैसे चोदा जाता है … भड़वा है साला, वह कभी भी मेरी चूत नहीं मार पाया साला हिजड़ा है वह!’

ऐसे बोलते हुए उसने जोश में कमर उछाली और अपने दाँतों से काटती हुई आधी उठ बैठी.
उसकी जांघें और चूत कांप रही थीं.
इस तरह वह दूसरी बार झड़ रही थी.

मैं भी थोड़ा रुककर उसके चेहरे के बदलते भावों का मज़ा ले रहा था.

थोड़ी देर के लिए वह शिथिल पड़ गई.

मैं फिर से उसके बूब्स चूसने-चाटने लगा और उन पर थप्पड़ मार रहा था.

वह बोली- मुझे अपने ऊपर ले लो!
मैंने कहा- आ जा साली रांड … कौन रोक रहा है तुझे!

उसने अपनी चूत से मेरा लंड निकाला, जो उसकी चूत के पानी से तरबतर था.
उसने अपनी जीभ से लंड चाटकर अपनी चूत के पानी का स्वाद लिया और बोली- बड़ा टेस्टी है!

फिर लंड अपने छेद में सैट करके मेरे लंड पर धम्म से बैठ गई.
वह अपनी कमर को गोल-गोल घुमाने लगी.

थोड़ी देर बाद मेरे लंड पर उछल-उछल कर चुदवाने लगी.

वह बोली- मैं ये सब पोर्न वीडियो देखकर सीखी हूँ! मेरा पति कभी भी ऐसा सुख नहीं दे पाया!

वह जोर-जोर से उछल रही थी और उसके बड़े-बड़े बूब्स भी उछल रहे थे.
उनको देखकर मुझे दुगुना मज़ा आ रहा था.

उसका मंगलसूत्र इस तरह उछल रहा था कि उसके चेहरे से टकरा जाता था.
पूरा कमरा फच-फच और थप-थप की आवाज़ों से गूँज रहा था.

मुझे डर लग रहा था कि बाहर कोई सुन लेगा तो क्या होगा!

मैंने उछलते हुए बूब्स को पकड़ कर मसलना शुरू किया और उसी हालत में उठकर बैठ गया.

मैंने उससे कहा- दोनों हाथों से मुझे पकड़ो!
फिर उसी हालत में मैथुन करने लगा, जो उसे बहुत पसंद आया.

अब मैं उसे गोद में उठाकर खड़ा हो चुका था.
मैंने कहा- मेरे कंधों को पकड़ो और मेरे लंड पर बैठ कर झूला झूलो!
वह झूलने लगी.

मैंने दोनों तरफ से उसकी गांड को हाथों से सहारा देकर झूलने दिया.
करीब पाँच मिनट तक ऐसे झूलने के बाद मैंने उसे उतारा और उसके ऊपर चढ़ गया, उसकी ठुकाई शुरू कर दी.

अब बहुत देर हो चुकी थी.
मैं झड़ने वाला हो गया था.

मैंने जोर-जोर से चोदना शुरू कर दिया.
जांघ से जांघ टकराने से पट-पट की आवाज़ जोरों से आ रही थी.

मैंने जोश जोश में उसके दाएं हाथ का अंगूठा नीचे ले जाकर उसकी चूत के पानी से गीली गांड में घुसा दिया और आगे-पीछे करने लगा.

मेरा लंड झड़ने वाला था, तभी मैंने उसकी गांड में अंगूठे को जोर से घुसा दिया.
वह जोर से उछली और अपने पैरों को मेरी कमर से लपेट कर सीत्कार करती, कांपती हुई झड़ने लगी.

मैंने भी अपने लावा को उसके अन्दर ही छोड़ दिया और उसके ऊपर गिर पड़ा.

मैं अचेत उसके ऊपर पड़ा था.
फिर उसने मेरे बालों में हाथ फेरना शुरू किया तो मुझे होश आया.

मैंने उसके होंठों को चूमा और आंखों पर चुंबन किया.

वह बोली- आज तक जीवन में ऐसा सुख कभी नहीं मिला था! तुम क्या खाते हो जो इतना स्टैमिना है तुममें? मैं चार बार झड़ चुकी हूँ, जो कि मेरा पति एक बार भी ढंग से नहीं कर पाता!
मैं हंस दिया.

उसने पूछा- गांड में उंगली क्यों डाली थी? मुझे बहुत अच्छा लगा! मैंने सोचा भी नहीं था कि ऐसा भी होता है. अमेज़िंग यार!

फिर मैंने मोबाइल में समय देखा, अभी बारह बज रहे थे.

आगे मैंने उसकी जमकर गांड चुदाई की और बहुत तरह के प्रयोग किए, जो मैं आगे कभी लिखूँगा.

Monday, 27 October 2025

अनजान आंटी को बस में खूब चोदा

 

मैं एक सेक्स कहानी पहली बार लिख रहा हूँ, अगर कोई गलती हो तो इस कहानी को पढ़कर मुठ मार लेना और सो जाना.

मेरा लंड का साइज़ 8 इंच है.
मुझे आंटी, भाभी और विधवा महिलाएं पसंद हैं, खासकर वे जिनकी गांड बाहर से उभरी हुई हो और चूचे बाहर की तरफ को निकले हों.
गदराई गोरी टांगें तो मुझे और भी ज्यादा पसंद आती हैं.

मैं 12वीं पास हूँ, उसके बाद मैंने पढ़ाई छोड़ दी थी.

अब मैं उदयपुर में एक प्राइवेट कंपनी में काम करता हूँ और वहीं रहता हूँ.

Xxx आंटी पोर्न स्टोरी में हुआ यूँ कि एक दिन मुझे घर से अचानक जरूरी काम के लिए कॉल आया.
यह कॉल सुबह 6 बजे आया था, उस वक्त मैं ऑफिस से ही निकल रहा था.

घर से जरूरी बुलाया गया था तो मुझे जाना बेहद जरूरी था.

मैं एक प्राइवेट स्लीपर बस में चढ़ गया जो बांसवाड़ा जिले के एक गांव जा रही थी.

मैं थक गया था, ऊपर की सीट खाली थी तो मैं जाकर सो गया.

मैंने पर्दा डालकर सोचा कि कोई आएगा तो देखा जाएगा, अभी तो अच्छे से सो लेता हूँ.
कोई मेरे पास नहीं आया तो मैं चैन से सोता रहा.

फिर बस अगले स्टेशन पर रुकी, कुछ देर बाद और सवारियां चढ़ीं.
मैं जमकर सोया हुआ था.

तभी एक महिला आई और बोली- उठ जाओ … ये मेरी सीट है.

मैं गहरी नींद में सोया हुआ था तो उठा ही नहीं.
हालांकि मैं उसके उठाने की आवाज सुन रहा था.

तभी उसके मोबाइल पर किसी का फोन आ गया, तो वह बात करने लगी.
शायद यह फोन उसके पति का था, वह उसे गालियां दे रही थी और उससे झगड़ा कर रही थी.

उसका कॉल चालू था और बात करते-करते वह ऊपर मेरी सीट पर मेरे पैरों के साइड में उल्टे मुँह होकर बैठ गई.

मैंने थोड़ा आंखें खोलकर देखा तो हैरान रह गया.
मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि इतनी खूबसूरत औरत मेरे पास बैठी है.

उसकी उम्र करीब 35 साल होगी. वह थोड़ी सांवली थी … लेकिन उसका शरीर भरा हुआ था.

मैंने पीछे से देखा, उसकी गांड इतनी उभरी हुई थी कि बैठे हुए भी साफ दिख रही थी.

मेरा लंड तो खड़ा हो गया; पूरे शरीर में आग-सी दौड़ने लगी.
उसके बूब्स भी बड़े थे.

वह पलट कर मुझे देखने लगी, मैंने जल्दी से आंखें बंद कर लीं.
फिर उसने मुँह दूसरी तरफ कर लिया.

मैंने फिर से चुपके से देखना शुरू किया.
उसने सफेद रंग की साड़ी और काला ब्लाउज़ पहना था.

उसे देखकर मेरा लंड और सख्त हो गया.
उसकी गांड मेरे पैरों को छू रही थी.

वह बहुत ही कामुक लग रही थी, उसके बाल खुले थे, एकदम रंडी जैसी लग रही थी.

गज़ब की जोरदार माल थी.
मैं कैसे बताऊं आपको.

फिर उसने कॉल काट दिया.
मैंने आंखें बंद कर लीं.

वह मेरी तरफ देखने लगी और बोली- ओ हैलो, उठो जी. ये मेरी सीट है.
मैं नहीं उठा.

वह चुप हो गई और मेरी तरफ देखने लगी.
मेरा लंड तो इतना सख्त था कि साफ दिख रहा था, जैसे बाहर निकल जाएगा.

फिर वह उठी और बाहर चली गई.

मैंने सोचा कि कंडक्टर को बुलाएगी, पर उसने नहीं बुलाया.
वह वापस आकर बैठ गई.
फिर वह बुदबुदाकर बोली- एक पति भी परेशान करता है और ये लड़का भी नहीं उठ रहा है.

मैं खुश हो गया क्योंकि मेरा मन उसको चोदने का था.
मुझे ऐसा लगा कि पति उसे खुश नहीं रखता.

फिर मैं थोड़ा खिसक गया एक साइड.
वह बोली- उठ जाओ यार, मेरी सीट है.
मैं नहीं उठा.

बाहर बहुत शोर हो रहा था, लग रहा था कि बस में बहुत भीड़ थी.
अब वह मेरी एक साइड पैर लंबे करके सो गई.

जिस तरफ मेरा मुँह था, उधर उसके पैर थे और जिस तरफ मेरे पैर थे, उधर उसका मुँह था.

मेरी तो सांसें तेज हो गईं, मन में लड्डू फूट रहे थे.

इस तरह से लेटे हुए हम दोनों को बहुत देर हो गई थी.

बस रात 9 बजे बांसवाड़ा जाने के लिए निकली थी, जो 4-5 घंटे लेती है.

अब 11:30 हो गए थे.
वह मोबाइल देख रही थी, मैं सोया था.

उसे लगा कि मैं सोया हुआ हूँ और गहरी नींद में हूँ.

उसने मोबाइल रखा और मेरे लंड को सहलाने लगी.
मैं भी उसकी चूत देखने की कोशिश कर रहा था.

उसने तो पैर पर हाथ रख दिया.

मैं तो अन्दर ही अन्दर खुश हो रहा था. मुझे लग रहा था कि उसने मन बना लिया था.

वह धीरे-धीरे हाथ ऊपर करने लगी.
मेरा लंड भी ऊपर-नीचे होने लगा और वह आगे बढ़ती गई.

मैं रोक नहीं पाया … ना उसे, ना लंड को.

लंड फड़फड़ाने लगा.
उसका हाथ लंड पर चला गया, फिर वह ऊपर से ही हाथ रगड़ने लगी.
मैं खुद को रोक नहीं पा रहा था.

फिर भी क्या करूँ?
अब उसने मेरी चेन खोलकर लंड बाहर निकाल दिया.

जैसे ही लंड बाहर निकाला, उसके मुँह से आवाज आई- आह … इतना बड़ा औजार.
मेरा लंड जैसे ही बाहर निकला वह और भी सख्त हो गया और पूरा 8 इंच का हो गया.

उसने हाथ से लंड पकड़ा, पर पकड़ ही न पाई.

मेरे मोटे लंड को उसने अपने दोनों हाथों से पकड़ा.
उसके कोमल हाथ छूते ही मेरे लंड से हल्का पानी बाहर निकला, जो उसके हाथ पर गिर गया.

पानी हाथ पर गिरते ही उसने जीभ से चाट लिया.
ये सब देखकर मैं खुद को नहीं रोक पा रहा था.

वह एक रंडी की तरह मेरा लंड हिला रही थी और पेट पर हाथ फेर रही थी.
उसकी सांसें भी तेज हो गई थीं.

फिर मैं समझ गया, ये कामुक हो गई है.
मैं उसके पैर पर हाथ फेरते-फेरते उसकी जांघ तक पहुंच गया.

अब वह पसीने से लथपथ हो गई थी.
वह मेरा लंड मुँह में ले चुकी थी.

मैं तो सातवें आसमान पर था और पागल होकर बिलबिलाने लगा था.

मुझे रहा नहीं गया और मैं जोर से उठ गया.
मैंने कहा- क्या कर रही हो आंटी जी.
वह बोली- खुद मजे ले रहे हो, तुम्हें सब पता है. अब नाटक मत करो.

ये सुनते ही मैं खुश हो गया और उसे गिराकर उसके ऊपर गिर गया, उसके होंठ चूसने लगा और वह भी चूस रही थी.

भूखे कुत्ते कुतिया की तरह हम एक-दूसरे को चूम रहे थे और पागलों की तरह मजा ले रहे थे.

मैंने उसके ब्लाउज के बटन खोल कर ब्रा ऊपर कर दी और उसके मस्त रसभरे चूचे दबाने लगा.
वाह क्या बड़े-बड़े खरबूजे थे.

इतने बड़े दूध मैंने पहली बार देखे थे.
मैं तो समझो उसके चूचों पर टूट पड़ा था.

एक को हाथ से दबा रहा था, तो दूसरा मुँह से चूस रहा था.
‘आह हहहह उफ़्फ़ आह.’

क्या आवाज निकल रही थी. साली रंडी की तरह पड़ी-पड़ी मजे ले रही थी.
मैं चूचे दबा और चूस रहा था और वह मेरा लंड हिला रही थी और मेरी गांड पर हाथ फेर रही थी.

वह मुझसे बोली- अब रहा नहीं जाता … प्लीज जल्दी से मेरी चूत में अपना लंड डाल दो मेरे राजा.
मेरा लंड भी तड़प रहा था.

मैंने उसे सीधा लिटाया और पेटीकोट ऊपर किया.
उसकी चूत देखी तो मेरा दिमाग खराब हो गया.

उसकी चूत एकदम गोरी थी.
मैंने पूछा कि यह इतनी गोरी कैसे है.
तो वह बोली- मैं रोज क्रीम लगाती हूँ.

चूत को देखकर मेरा मुँह उसकी ओर खिंचा जा रहा था.

मैंने जीभ निकाली और कुत्ते की तरह टूट पड़ा.
मैंने उसकी चूत में जीभ डाल दी. पूरी चूत गीली थी.

मैंने रस चाटना शुरू कर दिया.
उसकी मादक आवाजें निकल रही थीं- आह … आह उफ्फ् … और चाट मेरे राजा और जोर से चाट.

ये सुनते ही मैं और जोश में चाटने लगा.
बहुत देर तक चाटने पर पूरी चूत लाल हो गई थी.

मैंने लाल चुत देखी तो और जोर-जोर से चाटना शुरू कर दिया.

अब उससे रहा नहीं जा रहा था और मुझसे भी.
मैंने लंड बाहर निकाला, उसके पैर फैलाए और लंड को चूत पर सैट कर दिया.

मैं धीरे-धीरे लंड अन्दर डालने लगा.
उसकी चूत बहुत टाइट थी.

मैंने लंड बाहर निकाला, थूक लगाया और एक जोरदार झटका मारा.

आधा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ अन्दर पहुंच गया.

वह फड़फड़ाने लगी, गाली देने लगी- बाहर निकाल मादरचोद … साले ने चुत फाड़ दी … आह मर गई रे!

उसके मुँह से गाली सुनकर मुझे और जोश आ गया.
मैंने झटके मारना शुरू कर दिया.
गपागप, गपागप आवाज आ रही थी.

उसकी दोनों टांगें मेरे कंधों पर थीं और मैं उसे जोर-जोर से पेल रहा था.

कुछ देर बाद उसे मजा आने लगा और उसकी आवाजें तेज होने लगी थीं ‘उफ्फ् … आह आह मर गई मैं … मेरे राजा … जोर-जोर से चोद.’

मैं घोड़े की रफ्तार से उसे पेल रहा था.
इतना जोर-जोर से पेला कि उसका पानी निकल गया और वह रोने लगी.

पर मैं नहीं रुका, उसे चोदता रहा.

मैंने लंड की रफ्तार और तेज कर दी, बहुत तेज.
वह गाली दे रही थी पर मुझे बहुत जोश आ गया था.
मैं रुकने वाला नहीं था, जोर-जोर से पेलता रहा.

मैंने उस पोर्न आंटी की टांगें पूरी ऊपर की ओर खींच ली थीं और उसे एक रंडी की तरह चोदा.
अब मेरा पानी आने वाला था.

मैंने पूछा- साली कुत्ती … जल्दी बोल बहन की लौड़ी रंडी … पानी कहां डालूँ बोल मादरचोद?
उस Xxx आंटी ने कहा- आह मेरे मालिक … मेरी चूत में ही डाल दो.

मैंने लंड की रफ्तार और तेज कर दी और बहुत चोदा.

फिर मैंने उसकी चूत अपने गर्म पानी से भर दी और उसी के ऊपर गिर गया.

मैं उसके चूचे चूसने लगा.
फिर मैं उठा और बैठ गया.

बातचीत में पता चला कि मेरे गांव से उसका घर सिर्फ 20 किलोमीटर दूर था.
उसने अपना नाम मुस्कान बताया लेकिन जाति नहीं बताई.

मैंने पूछा- उदयपुर में क्या करती हो?
उसने कहा- जॉब है.
मैंने कहा- ठीक है.

फिर मेरा मन शांत नहीं हुआ.
मैंने उसे उल्टा लिटाया और उसके ऊपर लेट गया. उसकी बड़ी-बड़ी गांड पर मेरा लंड उसकी दरार में फंसा दिया.
मैंने सोचा कि आंटी की गांड मार कर देखता हूँ.
हाय क्या सुकून था.

मेरा लंड फिर खड़ा हो गया.
मैंने पेटीकोट उठाया, पर उसने रोक दिया.
वह बोली- जब मैं उदयपुर जाऊंगी, तो आप भी उसी दिन निकल जाना. साथ में चलेंगे और आप मेरी गांड भी मार लेना.

मैंने ज्यादा जोर नहीं दिया.

दोस्तो, आगे बहुत ही मजेदार कहानी होने वाली है.

मैंने उसकी गांड भी मारी, अगर वह सेक्स कहानी जानना चाहते हो तो ईमेल करो.
मैं जल्दी ही लेकर आऊंगा. मिलते हैं अगली कहानी में.

तब तक नमस्ते. आपको ये Xxx आंटी पोर्न स्टोरी कैसी लगी

पहले भाभी की चोदा फिर उनकी बहन को

 

मेरे बहुत सारे दोस्त हैं. मेरे एक खास दोस्त हैं.
वे मेरे बड़े भाई जैसे हैं. उनका नाम रेहान भाई है.
वे उम्र में मुझसे बड़े हैं तो मैं उन्हें बड़े भाई के जैसा सम्मान देता हूँ.

रेहान भाई हुबली के रहने वाले हैं और वे शादीशुदा हैं.
उनकी पत्नी का नाम हुमा है.

यह Xxx हिंदी सेक्स विद भाभी कहानी इसी हुमा की और उसकी बहन की चूत चुदाई की है.

हुमा भाभी की उम्र सत्ताईस साल है और उनका फिगर 36-30-38 का है.
भाभी दिखने में बहुत खूबसूरत हैं.

रेहान भाई और मैं एक ही कंपनी में साथ काम करते हैं.
मैं हर रविवार को छुट्टी के दिन रेहान भाई के घर जाता हूँ और पूरा दिन वहीं बिताता हूँ.

छुट्टी के दिन रेहान भाई के घर बिरयानी बनती है.
हुमा भाभी मुझे ढेर सारी बिरयानी खिलाती हैं और इस तरह हम दोनों के बीच हंसी-मजाक चलता रहता है.

एक दिन कंपनी में मैनेजर के साथ किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया.
मैंने उस कंपनी से काम छोड़ दिया और एक दवा बनाने वाली कंपनी में नौकरी शुरू कर दी.

इस कारण मैं रेहान भाई के घर नहीं जा सका.

कुछ महीने बाद मैं फिर से रेहान भाई के घर गया.
मुझे देखकर रेहान भाई और हुमा भाभी, दोनों ही बहुत खुश हुए.

उस दिन घर में बिरयानी बनी थी.
हम तीनों ने मिलकर बिरयानी खाई.

खाने के बाद हम एक साथ बैठकर बातें करने लगे.

मैंने कहा- रेहान भाई, आपके काम पर जाने के बाद हुमा भाभी घर में अकेली रहती हैं. अगर आप भाभी को कहीं काम पर लगाएं, तो उनका भी समय अच्छा बीतेगा!
रेहान भाई बोले- इसे कहां काम पर लगाऊं? तुम तो जानते हो मेरी कंपनी का काम कैसा है. ये वह काम नहीं कर पाएगी. अगर तुम्हें कहीं अच्छी कंपनी में काम मिले, तो बता देना!

मैंने कहा- मेरी कंपनी में पैकिंग का काम है. कहो तो कल से भाभी को ले जाऊं!
मेरी बात सुनकर रेहान भाई ने हुमा भाभी को काम पर जाने की अनुमति दे दी.

मैंने हुमा भाभी को अपनी दवा कंपनी में काम दिलवा दिया.
इसके बाद मैं और हुमा भाभी एक साथ काम पर जाते और एक साथ घर लौटते.

इस तरह कई महीने बीत गए.

एक दिन काम के दौरान अचानक बिजली चली गई और कंपनी की छुट्टी हो गई.
मैं बाहर अपने जूते पहन रहा था.

हुमा भाभी ने पूछा- घर जाओगे?
मैंने कहा- घर जाकर क्या करूँगा? फिल्म देखने जाऊंगा.

हुमा भाभी हंस कर बोलीं- मैं भी तुम्हारे साथ फिल्म देखने चलूँगी!
मैंने ओके कह दिया.

अब हम दोनों एक साथ फिल्म देखने चले गए.

फिल्म देखकर लौटते समय हुमा भाभी ने देखा कि एक आदमी एक औरत को लेकर लॉज की ओर जा रहा था.

हुमा भाभी ने पूछा- रोहन, ये आदमी और औरत कहां जा रहे हैं?
मैंने कहा- ऊपर लॉज है. यहां लोग औरतों को लेकर मजे करते हैं.

हुमा भाभी मेरी बात समझ कर शर्मा गईं और तिरछी नजरों से मुझे देखने लगीं.

मैंने मजाक में कहा- क्या भाभी, आपका भी लॉज में जाने का इरादा है?
हुमा भाभी ने सिर हिलाते हुए कहा- नहीं नही … कहीं पुलिस पकड़ लेगी, तो मुसीबत हो जाएगी.

मैंने पूछा- तो फिर भाभी?
हुमा भाभी आंख मारती हुई बोलीं- कभी छुट्टी के दिन घर पर ही मजे करते हैं.

मैंने कहा- अगर रेहान भाई को पता चल गया तो?
हुमा भाभी ने जवाब दिया- उन्हें पता नहीं चलेगा.

फिर हम दोनों अपने-अपने घर चले गए.

हुमा भाभी अगले दिन काम पर नहीं गईं.

रेहान भाई के काम पर जाने के बाद भाभी ने मुझे फोन करके अपने घर बुलाया.
मैं भी झट से भाभी के घर पहुंच गया.

मेरे मन में हजारों लड्डू फूट रहे थे.
इतने दिनों बाद मेरी तमन्ना पूरी होने वाली थी.

आज मुझे हुमा भाभी की खूबसूरती को करीब से देखने का मौका मिलने वाला था.

हुमा भाभी ने मुझे घर में अन्दर लेने के बाद घर का मुख्य दरवाजा बंद कर दिया.

उन्होंने अपनी साड़ी उतारी और मेरे पास आकर बैठ गईं.

मैं हुमा भाभी के संगमरमर जैसे बदन को काले ब्लाउज और काले पेटीकोट में देख रहा था.

मैंने हुमा भाभी से कहा- इसे भी उतार दो!
हुमा भाभी ने जवाब दिया- क्यों तुम्हारे हाथ में चोट लगी है क्या … तुम ही उतार दो न!

मैंने धीरे धीरे हुमा भाभी का ब्लाउज़ उतारा, फिर उनकी ब्रा भी खोल दी.
हुमा भाभी की चूचियां ब्लाउज़ और ब्रा से आज़ाद हो गईं.

उनकी चूचियों के निप्पल मुझे बेसब्री से ताक रहे थे.
मैंने अपने दोनों हाथों से भाभी की चूचियों को पकड़ा और दम से मसलना शुरू कर दिया.

भाभी अपनी दोनों चूचियां मेरे हाथों में सौंपकर जोश भरी आंखों से मुझे देख रही थीं.

मैंने भाभी की चूचियों को पकड़ा और उनकी एक चूची के निप्पल को अपने मुँह में भर लिया.

भाभी की आह निकलने लगी और मैं उनके दूध चूसने लगा.

हुमा भाभी ने अपने दोनों हाथों से मेरा सिर अपनी चूचियों पर दबाना शुरू कर दिया.

मैंने भी भाभी की दोनों चूचियों के बीच अपना मुँह रखकर रगड़ना शुरू कर दिया.
हम दोनों ने पूरी मस्ती के साथ सेक्स का मजा लेना शुरू कर दिया था.

इसके बाद मैंने हुमा भाभी के पूरे बदन को चूमना शुरू कर दिया.
चूमते-चूमते मैं भाभी की नाभि तक पहुंच गया और नाभि को चाटने लगा.

अब मैंने धीरे से भाभी की पैंटी उतारी और उनकी दोनों जांघों पर हाथ रखकर उन्हें फैलाने लगा.
हुमा भाभी ने अपने दोनों पैर फैला दिए.

मैंने देखा कि भाभी की चूत ने पानी छोड़ दिया था.
मैंने पोजीशन बनाई और भाभी की चूत में अपना मुँह लगा कर चूसना शुरू कर दिया.

मेरी जीभ की गर्माहट से भाभी मस्त होने लगीं और मेरे सर को अपनी चुत पर दबा कर मीठी सिसकारियां भरने लगीं.

कुछ देर बाद हुमा भाभी ने अपनी गांड उठाकर मेरे मुँह पर रगड़ना शुरू कर दिया.
मैं भी जोश में था और किसी पागल कुत्ते की तरह भाभी की चूत को चाट रहा था.

तभी भाभी की चूत ने रोना शुरू कर दिया और मैं उनकी बुर का पानी पीता जा रहा था.

मेरा लंड आठ इंच लंबा और छह इंच मोटा था.
मैं नीचे लेट गया.

हुमा भाभी ने मेरे लंड को पकड़ कर हिलाना शुरू कर दिया.
मेरा मोटा और लंबा लंड देखकर वे खुश हो गई थीं.

भाभी ने मेरे लंड की चमड़ी को नीचे-ऊपर करके लंड का लाल, मोटा सुपारा अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगीं.

वे चमड़ी वाले लंड को बड़े प्यार से मुँह में लेकर चूस रही थीं और अपने हाथों से मेरे लंड की गोटियों को सहलाती जा रही थीं.

कुछ देर तक लंड चुसवाने के बाद मैंने हुमा भाभी को नीचे लिटाया और उनके दोनों पैर फैला दिए.

फिर अपने दोनों हाथों से भाभी की चूत को फैलाया.
हुमा भाभी की चूत का छेद एक इंच मोटे लंड के मतलब का था जबकि मेरे लंड का सुपारा ही किसी बड़े आंवले के जैसा था.

मैंने अपने लंड का सुपारा हुमा भाभी की चूत के छेद पर रख दिया और रगड़ने लगा.
सुपारे की गर्मी से हुमा भाभी की चूत ने फिर से रस छोड़ना शुरू कर दिया.

जल्दी ही मेरा लंड भाभी की चुत के पानी में भीगकर चिपचिपा हो गया.

मैंने हुमा भाभी के कंधे पकड़ कर ज़ोर से धक्का मारा.
मेरा लंबा और मोटा लंड हुमा भाभी की संकरी चूत के छेद को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया.

हुमा भाभी जोर से चिल्लाईं- आह मर गई!
मैंने वापस धक्का मारा और अबकी बार के झटके में मैंने अपना आठ इंच लंबा लंड हुमा भाभी की चूत में घुसेड़ दिया.
अब वे कराह रही थीं और लंड निकाल लेने के लिए कह रही थीं.

कुछ देर के दर्द के बाद सब कुछ सामान्य होने लगा.

मैं हुमा भाभी के कंधों को पकड़ कर धीरे धीरे उन्हें चोदने लगा.

काफी देर तक भाभी की चुत चोदने के बाद मेरे लंड ने भाभी की प्यासी चूत में वीर्य छोड़ना चालू कर दिया.

मैं झड़ कर भाभी के ऊपर ही सो गया.

कुछ देर बाद मेरा लंड भाभी की चूत के अन्दर ढीला पड़ गया और धीरे धीरे बाहर आने लगा.

हुमा भाभी चुदने के बाद हंसने लगीं.
मैंने पूछा- क्या हुआ?

हुमा भाभी ने जवाब दिया- चूत के अन्दर गुदगुदी हो रही है!
मेरे लंड की चमड़ी हुमा भाभी के ब/च्चेदानी के मुँह में फँस गई थी, जिससे उन्हें मज़ा आ रहा था.

उस दिन उन्हें दोबारा चोदने के बाद मैं अपने घर चला गया.

इस तरह से हुमा भाभी और मैं हफ्ते में एक या दो बार चुदाई करने लगे थे.

हुमा भाभी को मेरे लंड से चुदने में मज़ा आने लगा था.

मैं भाभी के घर आता और उन्हें चोद कर वापस चला जाता.

फिर एक बार मौलाना रेहान कुछ काम से हुबली चले गए थे.

हुमा भाभी पूरी तरह फ्री थीं.
उसी दौरान हुमा भाभी की बड़ी बहन शीना उनके घर आ गईं.

उन्हें अपने शौहर से सेक्स का सुख ही नहीं मिला था.
दरअसल जिस दिन उनका निकाह हुआ था, उसी दिन उनके शौहर की पोल खुल गयी थी. वह हिजड़ा था.
उनका तलाक हो गया था.

शीना दीदी को देखते ही हुमा भाभी ने मुझको घर आने से मना कर दिया.

उधर हुमा भाभी मेरे लंड के बिना बेचैन थीं और इधर मैं भी भाभी की चूत के बिना बेचैन था.

अगले दिन हुमा और शीना दोनों बहनें एक ही बिस्तर पर लेटी थीं.
हुमा भाभी ने अपनी बड़ी बहन शीना के सीने पर हाथ रखा.

शीना ने कुछ नहीं कहा तो हुमा भाभी ने धीरे-धीरे अपनी बड़ी बहन शीना की चूचियां दबाना शुरू कर दीं.
शीना दीदी फिर भी चुप रहीं.

हुमा भाभी ने तभी झटके से अपनी बड़ी बहन शीना की मैक्सी ऊपर उठाई और अन्दर हाथ डालकर उनकी चूचियां दबाना शुरू कर दीं.
शीना दीदी ने हुमा भाभी की ओर देखा और मुस्कुराती हुई बोलीं- ये क्या कर रही हो हुमा?

हुमा भाभी ने जवाब दिया- शीना दीदी, कुछ महीनों से हमने वह नहीं किया!
शीना दीदी ने पूछा- तो अब करने का इरादा है क्या?

हुमा भाभी मुस्कुराती हुई बोलीं- हां बड़ी प्यास लगी है!
शीना दीदी खुद भी चुदास से पीड़ित थीं तो उन्होंने कहा कि चल शुरू हो जा!

हुमा भाभी ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और शीना दीदी के भी कपड़े उतार दिए.
अब वे दोनों पूरी तरह नंगी हो गईं.

हुमा भाभी और शीना दीदी एक-दूसरे की चूचियां दबाने लगीं.

भाभी ने अपनी बहन की एक चूची को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया.

शीना दीदी ने भी हुमा भाभी की चूची को मुँह में भर लिया और चूसने लगीं.
फिर दोनों ने अपनी-अपनी पैंटी उतार दी.
हुमा भाभी ने शीना दीदी की चूत को चाटना शुरू कर दिया.

शीना दीदी की चूत से काफी दिनों बाद पानी निकलने लगा था और हुमा भाभी मस्ती से उस नमकीन पानी को चाटती जा रही थीं.

फिर शीना दीदी ने भी हुमा भाभी की चूत को चाटना शुरू कर दिया.
हुमा भाभी की चूत से पानी का फव्वारा निकलने लगा.

हुमा भाभी ने शीना दीदी को नीचे लिटा कर उनके पैर फैला दिए.

इसके बाद हुमा भाभी ने अपनी चूत को शीना दीदी की चूत पर रखकर रगड़ना शुरू कर दिया.

दोनों बारी-बारी से चुत से चुत रगड़ने लगीं और दोनों झड़ गईं.

इसके बाद दोनों एक-दूसरे को पकड़ कर नंगी ही लेट कर बातें करने लगीं.

हुमा भाभी बोली- शीना दीदी … ऐसा करने में बड़ा मज़ा आता है. अगर हमारे साथ कोई लड़का होता, तो और मज़ा आता!
शीना दीदी ने जवाब दिया- अब लड़का कहां से मिलेगा?

हुमा भाभी ने कहा- अगर तुम्हें चुदवाना है, तो मेरे पास एक लड़का है. घर में अभी हम दोनों के सिवा कोई नहीं है. उसे बुलाते हैं, खूब चुदाई करेंगे. उसका नाम रोहन है. मैं कई बार उससे चुद चुकी हूँ!

शीना दीदी ने उत्साह से कहा- ठीक है बुला ले … मेरी भी प्यासी चुत ठंडी हो जाएगी!

हुमा भाभी ने तत्काल मुझको फोन किया.
उनकी बात सुनकर मेरे मन में हज़ारों हजार लड्डू फूटने लगे.

मैं झट से हुमा भाभी के घर पहुंच गया.

मुझे आया देखकर हुमा भाभी और शीना दीदी दोनों खुश हो गईं.

मैं उनके बीच में बैठ गया.
मैंने हुमा भाभी और शीना दीदी को बारी-बारी से चूमा.

उसके बाद मैंने शीना दीदी की चूचियों को पकड़ कर मसलना शुरू किया.

जल्दी ही हुमा भाभी और शीना दीदी ने अपने अपने कपड़े उतार दिए और वे दोनों नंगी होकर मेरे पास बैठ गईं.

हुमा भाभी ने उत्साह से कहा- रोहन, आज तुम पहले शीना दीदी को चोदो. अभी तक उन्होंने लंड का मज़ा नहीं लिया. दीदी की कुंवारी चूत में लंड डालकर उसे फाड़ डालो!

मैंने शीना दीदी को नीचे लिटाया और उनकी चूचियों को पकड़ कर मसलने लगा.
मैंने दीदी की रसभरी चूचियों को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया.
कुछ देर तक मम्मों का मजा लेने के बाद मैंने शीना दीदी के पूरे बदन को चूमना शुरू कर दिया.

चूमते-चूमते मैं शीना दीदी की नाभि तक पहुंचा और उसे चाटने लगा.
मैंने शीना दीदी के पैर फैलाए और उनकी चूत को चाटना शुरू कर दिया.

शीना दीदी के पूरे बदन में आग-सी लग गई और उनकी चूत से पानी का फव्वारा निकल गया.
मैं दीदी की कुंवारी चूत को चाटता रहा.

तभी शीना दीदी ने उठ कर मुझको अपने नीचे लिटाया और मेरा आठ इंच लंबा व खूब मोटा लंड पकड़ लिया.

दीदी ने मेरे लंड की चमड़ी को ऊपर-नीचे करके सुपारे को चाटना शुरू किया.

कुछ देर लंड चुसवाने के बाद मैंने दीदी को फिर से नीचे लिटाया और उनके दोनों पैर फैला दिए.

फिर पोजीशन बना कर मैंने शीना दीदी की चूत को फैलाया और उनके छोटे से छेद में अपने लंबे और मोटे लंड का सुपारा रखा.
दीदी की चुत कसमसा उठी.

मैंने धीरे-धीरे करके दीदी की चुत में लंड को अन्दर घुसाना शुरू किया.
शीना दीदी को अच्छा लग रहा था तो उन्होंने जोश में आकर अपने पैर और फैला दिए ‘आह … पेल दे एक ही बार में पूरा लंड आह…!’
उनकी अति कामुक आवाजें निकलने लगीं.

मैंने भी एक जोरदार धक्का मारा.
शीना दीदी को समझ में आ गई कि लंड क्या चीज होती है.
उनके मुँह से दर्द भरी चीख निकल गई.

उनकी चीख को दबाने के लिए भाभी ने झट से अपना हाथ दीदी के मुँह पर रख दिया.
इधर मैं बेदर्दी से अपना पूरा लंड शीना दीदी की चूत में घुसेड़ता चला गया.

शीना दीदी की कुंवारी चूत फट गई और खू.न का फव्वारा निकल पड़ा.

मैंने शीना दीदी के कंधों को पकड़ा और धकापेल चोदना शुरू कर दिया.

कुछ ही देर के दर्द के बाद अब शीना दीदी को लंड का मज़ा आने लगा था.
वे भी अपनी गांड उठा उठा कर मेरा साथ देने लगी थीं.

मैंने दीदी को काफी देर तक चोदा उसके बाद मैंने अपना वीर्य दीदी की ब/च्चेदानी में ही छोड़ दिया और उनके ऊपर लेट गया.

कुछ देर बाद मेरा लंड छोटा होने लगा. शीना दीदी को लंड की चमड़ी से गुदगुदी होने लगी
मेरे लंड की चमड़ी दीदी की ब/च्चेदानी में फंस गई थी.

मैंने उस रात शीना दीदी को जन्नत की सैर करा दी थी.

अब मैंने हुमा भाभी को भी चोदा और घर चला गया.

इसके बाद तो मैं हर रोज़ हुमा भाभी और शीना दीदी को चोदने आ जाता और एक घंटा तक उन दोनों की चुत का भोसड़ा बनाने का काम पूरी तबीयत से करता.

इसके बाद मैंने भाभी की और दीदी की गांड भी मारी थी.
वह मैं अगली सेक्स कहानी में लिखूँगा.

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