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Wednesday, 29 October 2025

सहकर्मी की रांड बीवी को रौंदते हुए चोदा

 

मेरे साथ काम करने वाला एक लड़का अपनी बीवी पर ध्यान नहीं देता था. तब मैंने उसकी बीवी पर ध्यान दिया तो वह एकदम से चुदाई के लिए तैयार हो गई.

मेरा नाम तारक है.
मैं एक बत्तीस साल का शादीशुदा आदमी हूँ और चेन्नई में एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करता हूँ.
मेरा कद 5 फीट 11 इंच है, चौड़े कंधे और गेहुंआ रंग है.

मैं अपनी आपबीती आप लोगों के साथ साझा करना चाहता हूँ.

मैं पहली बार अन्तर्वासना पर कुछ लिख रहा हूँ इसलिए बहुत सारी गलतियां हो सकती हैं.
इसके लिए मैं पहले ही माफी माँगता हूँ.

अब मैं बिना देर किए सीधे अपनी हॉट X स्टोरी पर आता हूँ.

बात 2018 की है.
मेरे साथ काम करने वाला नव कुमार (काल्पनिक नाम) हमेशा फोन पर चिपका रहता था.
उसके दूसरे मोबाइल पर घर से लगातार कॉल आते रहते थे, जो मुझे अजीब लगता था.

एक दिन वह फोन पर बात करते-करते दूर चला गया.
उसी समय उसके घर से उसकी पत्नी का कॉल आया.

फोन की रिंग लगातार बज रही थी इसलिए मैंने कॉल उठा लिया.

उधर से एक मीठी-सी आवाज में एक महिला ने बंगाली में बात की जो मैं ठीक से समझ नहीं सका क्योंकि मुझे बंगाली नहीं आती.
मैंने हिंदी में कहा- वह अभी दूसरे मोबाइल पर व्यस्त है. मैं उन्हें बाद में कॉल करने को कहता हूँ.

वह बोली- आप कौन हैं?
उसकी आवाज शहद से भी मीठी और बहुत ही सुरीली थी.

मैं स्तब्ध रह गया कि इतनी मीठी आवाज भी हो सकती है क्या?

एक दो पल बाद मैंने कहा- मैं उनके साथ ऑफिस में काम करता हूँ.
वह बोली- ठीक है!
उसने फोन काट दिया.

मैं उसकी आवाज के बारे में सोचता रहा.
फिर न जाने क्या सोचकर मैंने उसका मोबाइल नंबर अपने फोन में सेव कर लिया.

शाम को जब मैं अपने रूम पर गया और खाना खाने के बाद उस नंबर को चेक किया तो देखा कि उस नंबर पर व्हाट्सएप था.

मैंने ‘हाई’ का मैसेज किया, लेकिन कोई जवाब नहीं आया.
फिर मैं सो गया.

सुबह उठकर मैंने गुलाब के फूल के साथ ‘गुड मॉर्निंग’ का मैसेज भेजा.
लेकिन फिर भी कोई जवाब नहीं आया.

ऐसा मैं हर दिन करने लगा.
खूबसूरत गुलाब के फूल के साथ गुड मॉर्निंग विश करता.
लेकिन जवाब हमेशा जीरो.

यह सिलसिला करीब एक महीने तक चला.

फिर एक दिन अचानक जवाब आया- कीथ बाड़ी!

मैं- क्या आप हिंदी में बात कर सकती हैं?
जवाब आया- मुझे हिंदी नहीं आती!

मैं- आप तो बहुत अच्छी हिंदी लिख रही हैं! फिर क्यों कह रही हैं कि नहीं आती?
जवाब आया कि थोड़ी-थोड़ी जानती हूँ!

मैं- मेरे लिए इतना ही काफी है!
अब सवाल आया कि आप कौन हैं?

मैं- वही, जिसने आपके पति के फोन पर आपका कॉल रिसीव किया था ऑफिस में!

जवाब- अच्छा … तो आप हैं… क्या नाम है आपका?
मैं- तारक!

सवाल- क्या करते हैं?
मैं- आपके पति का सीनियर हूँ!

जवाब- ओह! तो आपके बारे में ही नव (उसका पति) कहता है कि सारे काम मेरा तारक सर देख लेते हैं, मुझे टेंशन नहीं रहती!

मैं- क्या करूँ? वह करता ही नहीं, फोन पर बिजी रहता है, तो मुझे करना पड़ता है. नहीं करूँगा, तो उसे भी डाँट पड़ेगी और मुझे भी जीएम से सुनना पड़ेगा!
जवाब- ओह…

मैं- आपका नाम?
जवाब- सपना! (बदला हुआ नाम)

मैं- आपकी आवाज की तरह आपका नाम भी बहुत मीठा है!
सपना- अच्छा … थैंक यू!

सपना- वह कहां बात करता है?
मैं- मुझे नहीं पता. मैं तो सोचता था कि वह आपसे बात करता है. लेकिन जब आपने फोन किया और मैंने रिसीव किया, तब मुझे लगा कि वह कहीं और बिजी रहता है!

सपना- ठीक है … बाय!
वह ऑफलाइन हो गई.

उसी रात खाना खाने के बाद और सोने से पहले मैंने सपना को ‘हैलो’ का मैसेज किया.
जवाब आया- बोलिए!

मैं- खाना खाया?
सपना- हां और आपने?
मैं- मैंने भी!

सपना- क्या कर रहे हैं?
मैं- आपको याद!

सपना- क्यों?
मैं- पता नहीं!

सपना- आपने तो सारी दुनिया के फूल मुझे दे दिए पूरे महीने में! मुझे पागल कर दिया … और बोलते हैं कि पता नहीं!
मैं- आपने मुझे बहुत इंतज़ार करवाया है!

सपना- इंतज़ार में ही तो मज़ा है ना! मैं भी सोचती थी कि कौन है जो मेरे पीछे इतना पड़ा है. मैं समझी थी कि कोई मेरे घर के आस-पास का है. लेकिन जब आपने कहा हिंदी में बात करो, तब मेरा डर निकल गया!

मैं- आपकी आवाज ने मुझे पागल कर दिया था, इसलिए मैंने आपके पति के मोबाइल से आपका नंबर चुराया!

सपना ने हँसने का एक इमोजी भेजा.
मैंने भी आंख मारने का इमोजी भेजा.

मैं- एक अपनी पिक भेजिए न!

सपना ने अपनी एक तस्वीर भेजी जो इतनी सुंदर और हॉट थी कि मैंने सपने में भी नहीं सोचा था.
मेरा मुँह खुला का खुला रह गया.

वह इतनी खूबसूरत थी, मानो स्वर्ग की अप्सरा हो!
बड़े बड़े बूब्स, खड़ी और गोल नाक, बड़ी और कटीली आंखें, पतले होंठ … आह क्या ही बताऊं!

उसके 36 के बूब्स, 30 की कमर, और 38 का पिछवाड़ा देखकर मेरे लंड में तनाव आ गया.

सपना- क्या हुआ … फ़ोटो कैसा लगा? जवाब क्यों नहीं आया?
मैं- चाँद में तो दाग भी हैं, लेकिन आपको देखकर तो चाँद भी शर्मा जाए! आपको देखकर मेरा सारा कुछ हिल गया है. रियली, आप बहुत खूबसूरत हैं! इतनी हॉट बीवी को छोड़कर नव कुमार कहां बिजी रहता है, मैं समझ नहीं पा रहा हूँ!

सपना- छोड़िए उसका … आप अपनी पिक भेजिए!
मैंने भी अपनी एक पिक भेजी जो उसे पसंद आई.

वह बोली- आपकी चौड़ी छाती पर तो सिर रखकर सोने का मन कर रहा है!
मैं- आपको किसने मना किया है?
सपना- आपकी वाइफ ने!

मैं- उसे कब बात की?
सपना- डर गए ना!
मैं- नहीं तो!

सपना- संभाल पाएंगे मुझे!
मैं- आपको क्या लगता है?

सपना- हां! मुझे लगता है कि आप जैसे हट्टे-कट्टे और चौड़ी छाती वाले ही मुझे रौंद सकते हैं! आपकी हाइट क्या है?
जब उसने यह पूछा तो मैंने बताया कि 5 फीट 11 इंच.
सपना- बहुत अच्छा है … मैं भी बहुत लंबी हूँ!

मैं- आपकी साइज़ क्या है?
सपना- क्यों? क्या आपने मेरी तस्वीर में नहीं देखा?

मैं- हां देखा! मगर आपके मुँह से सुनना चाहता हूँ!

सपना- आपका क्या अनुमान है?
मैं- छत्तीस ऊपर और अड़तीस का जलवा नीचे है.

सपना- खिलाड़ी हो आप … देख कर ही सही अनुमान लगा लेते हो!

मैं- हां वह तो है … मैं तो ये भी अनुमान लगा लेता हूँ कि कौन कितना जंप मार सकता है!
सपना- अच्छा! मगर मेरे जंप को आप संभाल नहीं पाओगे, क्योंकि मेरा पति कभी मुझे संभाल नहीं पाया है! मेरे दो उछाल में ही खलास होकर साइड में सो जाता है … मुँह खोलकर … मन करता है, मुँह में ही पेशाब कर दूँ उसके!

मैं- अच्छा, ऐसी बात है! जब तुम मुझे मिलोगी, तब पता चलेगा! बिना लंड डाले ही तुमको नहीं निचोड़ दिया, तो फिर कभी मुँह नहीं दिखाऊंगा!
सपना- अभी वह तो दिखा दो!

मैं- क्या?
सपना- हथियार … यार लड़ोगे किस हथियार से?

मैं- नहीं, पहले मुझे भी तुम्हारा देखना है!

सपना- क्या?
‘बूब्स’ मैंने कहा.

सपना- नहीं, पहले आप अपने लंड का पिक भेजो!

उसके मुँह से ‘लंड’ शब्द सुनकर मेरे लंड में तूफान मच गया.
मैंने तुरंत ही अपनी चड्डी खिसकाई और फोटो खींच कर सेंड कर दी.

अगले ही पल उधर से सपना ने वीडियो कॉल कर दी.
मैंने रिसीव किया.

वह लाल रंग की ब्रा और ग्रे रंग के पेटीकोट में बैठी थी.
ब्रा बहुत ही तंग थी और चूचे इतने बड़े थे कि ब्रा से बाहर निकल रहे थे.

मैंने कहा- बहुत मस्त हैं आपकी चूचियां … मुझे इनसे खेलना है!
वह बोली- आपका जब मर्जी हो … आकर खेल लेना! मगर आपके लंड को देखकर मेरी बुर में हलचल मच रही है … आओ न, मुझे चोद दो! मैं तेरी रखैल बनकर रहूँगी … जल्दी से आ जाओ न … मुझे रौंद डालो … मसल डालो! मुझे बूँद-बूँद निचोड़ डालो!

मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि इतनी जल्दी वह मेरे साथ इतनी ज्यादा खुल जाएगी.

फिर उसी समय हमने मिलने का प्लान बनाया.
क्योंकि चेन्नई से बंगाल जाने का मतलब 28 से 30 घंटे का रास्ता था इसलिए एक हफ्ते बाद हमने मिलने का समय निर्धारित किया.

निर्धारित दिन मैं वेस्ट बंगाल के शहर खड़गपुर में सुबह 9:10 बजे पहुंचा.
पहुंच कर सपना को कॉल किया तो उसने कहा- बस, मैं आ रही हूँ … यही कोई 20 मिनट में पहुंच जाऊंगी!

मैं स्टेशन से निकलकर बस स्टैंड पर आकर इंतज़ार करने लगा.
सपना ठीक 20 मिनट बाद एक बस से उतरी.

हम लोग वीडियो कॉल पर हमेशा बात करते थे इसलिए पहचानने में कोई परेशानी नहीं हुई.

मगर जब सामने से देखा तो क्या लग रही थी!
सुडौल शरीर, 5 फीट 8 इंच लंबी, पहाड़ जैसे तने हुए दो बड़े-बड़े मम्मे और पीछे भारी-भरकम निकली हुई गांड … सपाट पेट!

ऐसा लग रहा था मानो साक्षात कामदेवी रति खड़ी हो.
वह काफी सज-धज कर आई थी.
जब चलती थी, तो आगे दोनों खरबूजे हिलते थे और देखने वाले का ईमान हिल जाता.
आंखों में वासना तैरने लगती थी.

पीछे हर कदम पर थिरकती हुई नितंब बूढ़े के लंड में भी तनाव पैदा कर सकते थे.
मेरा हाल तो उसके सामने का सीन देखकर ही बुरा हो गया था.

मैंने आगे बढ़कर उसे हैलो बोला और हाथ मिलाकर एक-दूसरे का अभिवादन किया क्योंकि पब्लिक प्लेस में इससे ज्यादा उचित नहीं था.

फिर हम दोनों पास के एक लॉज में गए, अपना आईडी कार्ड दिखाकर रूम बुक किया और चाबी लेकर कमरे में आ गए.

अन्दर जाते ही सपना ने दरवाजे की सिटकनी लगाई और पीछे मुड़कर मुझ पर झपटने के लिए झुकी.
मगर मैंने उसे झुकने से पहले ही उसके कंधों को पकड़ कर उठाया, उसके कंधे से पर्स निकालकर सामने पड़े टेबल पर रखा और जोर से गले लगा लिया.

वह भी ऐसी चिपक गई जैसे हम दो नहीं, एक ही शरीर हों.
बिल्कुल हवा पास होने की भी जगह नहीं थी.

हम दोनों एक-दूसरे को चूमते-चाटते नहीं जानते कब मैं उसके पीछे जा चुका था.

अब मेरे दोनों हाथों में उसके दोनों बड़े-बड़े उरोज थे.
मैं दोनों हाथों से उन मदमस्त, विशाल और सख्त उरोजों को उसके सूट के ऊपर से ही मसल रहा था.

मेरे होंठ उसके गले और कानों के आस-पास चुंबनों की बौछार कर रहे थे.
मेरे लंड में इतना तनाव था कि वह सपना के चूतड़ों की दोनों घाटियों के बीच रगड़ खा रहा था.

मैं अपना सुध-बुध, होश-हवास खो बैठा था और यही हाल सपना का भी था.
वह भी आंखें बंद करके सिर्फ कामुक सिसकारियां भर रही थी.

मैं सपना के बूब्स को पीछे से पकड़ कर बुरी तरह दबाए जा रहा था, उसके कानों को अपने होंठों से चबाए जा रहा था.
सपना इतनी मस्त हो गई थी कि उसने अपने हाथों को पीछे ले जाकर मेरे लंड को टटोलना शुरू कर दिया और उसे पकड़ कर दबाने लगी.

उसकी वासना से लबरेज सिसकारियों से कमरा गूंजने लगा था.
वह बड़बड़ा रही थी- ई… स… मुझे मसल डालो! आज काट खाओ ई…इ…इ… बहुत चुल्ल है इन दोनों चूचों में … वह मेरे लंड के ऊपर अपनी गांड को दाएं-बाएं रगड़ने लगी.

मेरा लंड उसकी कोमल गांड से रगड़ खाकर अंतर्वासना के चरम पर पहुंच गया था.
तभी अचानक से डोरबेल बजी.

हम दोनों का ध्यान भंग हो गया.
मैं बाथरूम में भागा क्योंकि मेरा लंड रॉड की तरह तना हुआ था.

सपना ने दरवाजा खोला.
सामने सर्विस बॉय था जो पानी और जरूरी सामान रखकर चला गया.

मैं बाथरूम से बाहर आया.
तब सपना बोली- मेरा सारा सूट खराब हो गया!

मैंने कहा- अभी तो सूट को मसला है, बूब्स को मसलना बाकी है … तुम्हारे बूब्स बहुत अच्छे हैं, मुझे इनसे खेलने में बहुत मजा आ रहा है!
वह बोली- देखती हूं … तुम कितना खेल पाते हो!

पाठको, मैं एक बात बताना चाहता हूं. उसके अन्दर जवानी की आग भरी हुई थी.
उसकी आंखें मदमस्ती से भरी थीं.

वह इतनी कामुक हो गई थी कि अपनी आंखें पूरी तरह खोल भी नहीं पा रही थी.
अधखुली आंखों से वह मुझे हसरत भरी निगाहों से देख रही थी!

दोस्तो, इस हॉट X स्टोरी के अगले भाग में आपसे पुनः मुलाकात होगी.
और तब मैं अपने दोस्त की इस कामुक बीवी की चुत चुदाई को आगे लिखूँगा

मैंने अपने हाथों से खींच कर उसकी कुर्ती को निकाल फेंका.

उसने बहुत ही खूबसूरत जालीदार लाल रंग की फैंसी ब्रा पहनी थी जिसमें उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां बमुश्किल आधे-अधूरी कैद हो पा रही थीं.

मैंने ब्रा हटाकर उसके दोनों कबूतरों को आजाद कर दिया.
उसके दोनों पर्वतों के बीच की घाटी बहुत ही कामुक थी, जो मेरे अन्दर वासना की आग में घी डालने का काम कर रही थी.

मैं खुद को रोक नहीं पाया और अपनी जीभ उस घाटी में फिराने लगा.

मैंने दोनों हाथों से उसके बूब्स को मसलना शुरू किया और अपनी जीभ से उसकी घाटियों को चूमने, चाटने और कहीं-कहीं दांतों से काटने लगा.
यह मेरे अन्दर की अतिशय वासना के कारण हो रहा था. मुझे ऐसा लग रहा था मानो मैं इंसान नहीं, कोई नरभक्षी बन गया हूं.

वह लगातार मदभरी सिसकारियां ले रही थी और बोल रही थी- ओ … हो … ई… बहुत मजा आ रहा है … आज तक किसी ने इस तरह मसल कर मुझे इतना सुख नहीं दिया!

मैंने अब दूध की टंकियों पर हमला बोला, एक को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया और दूसरे को एक हाथ से मसलना जारी रखा.
मैं बारी-बारी से दोनों चूचियों के साथ खेलता रहा.

अब मैंने चूचियों से अपना मुँह हटाया और उसके होंठों को चूसने लगा.
वह भी बराबर का साथ दे रही थी.

फिर मैंने अपनी जीभ को उसके मुँह के अन्दर डाल दिया.
वह मेरी जीभ को ऐसे चूसने लगी जैसे कोई नवजात शिशु मां का निप्पल चूसता है.
मेरे मुँह की लार उसके मुँह में … और उसके मुँह की लार मेरे मुँह में आने जाने लगी.

ऐसा बहुत देर तक चलता रहा क्योंकि वह भी बहुत प्यासी थी.
सच कहूं तो वह वासना की एक जलती भट्टी थी जो मुझे अपनी ज्वाला से पिघला कर अपने अन्दर समाहित कर लेना चाहती थी!

इसी क्रम में कब उसकी लेगिंग्स उसके पैरों से अलग हो चुकी थी, मुझे पता ही नहीं चला.

जब मैंने नीचे की ओर देखा तो सिर्फ लाल रंग की फैंसी चड्डी थी जो बहुत मुश्किल से स्वर्ग के द्वार को ढक पा रही थी.
चड्डी उसकी कामरस से सराबोर हो चुकी थी और कुछ कामरस उसकी जांघों पर एक रेखा खींचता हुआ बह रहा था.

मैंने उसकी चड्डी को निकाल फेंका और संगमरमर सी तराशी, दूध सी गोरी जांघों को सहलाते हुए उसकी कामरस से गीली बुर में अपनी जीभ डाल दी.

मैं जीभ को ऊपर क्लिटोरिस तक ले जाता, कभी-कभी क्लिटोरिस पर दांतों से काट देता, जिसके कारण वह सातवें आसमान की सैर कर रही थी.

वह मेरे सिर को अपनी जांघों के बीच जोर से दबा रही थी, मानो मुझे अपने अन्दर घुसा लेना चाहती हो!

मैं उसकी बुर के अन्दर अपनी जीभ को कुत्ते की तरह चटखारे लेते हुए चला रहा था.
तभी उसने अपनी जांघों से मेरे सिर को जोर से भींच लिया और अपनी गांड उठा-उठा कर दो-तीन झटके दिए.

फिर उसने मेरे मुँह पर अपनी चुत का गर्म-गर्म पानी छोड़ दिया जिससे मेरा नाक, मुँह और बाकी का चेहरा उसकी चुत के रस से भीग गया.
सपना निढाल होकर पड़ी थी.

मैंने पास ही पड़ी उसकी ब्रा से अपने चेहरे को साफ किया और उसकी तरफ देखा.
मुझे अपनी ओर देखती हुई देखकर वह मुस्कुराई और शर्माती हुई अपने दोनों हाथों से अपनी आंखें बंद करके मुस्कुराने लगी.

मैंने उसके दोनों हाथ हटाए और उसके माथे पर एक चुम्बन जड़ दिया.
वह उठकर बैठ गई और मुझे अपनी गोद में खींच कर मेरा सिर रख लिया.

वह बोली- आज तक मुझे इतना सुख कभी नहीं मिला! मेरा पति कभी भी इस तरह मुझे प्यार नहीं करता!
मैं चुप रहा.

‘आपको पता है?’ उसने मुझसे कहा- मेरी बुर का पानी दो बार झड़ चुका है! मेरा पति तो कभी चोदकर भी मुझे दो बार नहीं झाड़ सका है!

फिर वह आगे बोली- मुझे भी आपका लंड चूसना है!

यह कह कर उसने मेरे बॉक्सर को हाथ से खींच कर उतार दिया.
मेरा लगभग सात इंच लंबा और चार इंच मोटा लंड उछल कर बाहर आ गया.

इतनी देर तक सेक्सुअल एक्टिविटी के कारण उसमें से प्रीकम की कुछ बूँदें निकल चुकी थीं, जिससे उसका अगला भाग गीला था.

उसने उसे हाथों में लेकर कहा- मैंने जब इसे पिक में देखा था, तभी सोच लिया था कि इस लंड से जरूर चुदूँगी!
उसकी ऐसी बातें, जिनमें ‘लंड’ और ‘चुदना’ जैसे शब्द शामिल थे, मुझे बहुत उत्तेजित कर रही थीं.

उसने थोड़ी देर तक मेरे लंड को अपनी मुलायम हथेलियों से आगे-पीछे किया और अपने होंठों पर घिसने लगी.
मेरे टमाटर जैसे गोल सुपाड़े पर उसने अपनी जीभ फिरानी शुरू की जिससे मुझे बहुत उत्तेजना होने लगी.

अब उसने इसे मुँह के अन्दर लिया और जैसे बच्चे लॉलीपॉप चूसते हैं, वैसे ही चूसने लगी.
वह किसी प्रोफेशनल रंडी की तरह मेरे लंड को चूस रही थी, उसे अपने गले तक डाल रही थी.

जल्दी ही उसका मुँह झाग से भर चुका था.
वह ‘गों गों’ की आवाज के साथ इतनी तेजी से लौड़े को चूस रही थी कि मुझे संभालना मुश्किल हो गया.

आखिरकार मैंने उसके मुँह के अन्दर अपने गन्ने का रस छोड़ दिया.
उसने सारा रस पी लिया और बोली- तेरा माल पीकर बहुत मस्त लगा! मैंने पहली बार माल पिया है. वह (पति) तो साला कभी चूसने नहीं देता, कहता है मेरा निकल जाएगा! मैं पोर्न वीडियो देखती थी, तो मुझे लंड चूसने और माल पीने का बहुत मन होता था, जो आज तूने पूरा कर दिया!

अब मैंने फिर से उसके बूब्स के साथ खेलना शुरू कर दिया.
हल्के हाथों से दोनों बूब्स पर चपत लगा रहा था और कभी-कभी निप्पल्स को मसल देता था.

मैंने दायीं चूची को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया, फिर बायीं चूची को चूसा.

कुछ देर बाद मैं उसकी गहरी नाभि में अपनी जीभ डालकर घुमा-घुमा कर चूसने लगा.
जिससे वह बहुत उत्तेजित हो गई.

उसने मुझे धक्का देकर गिरा दिया और मेरा मुरझाया हुआ लंड फिर से चूसने लगी.

मैंने भी उसके पैर उठा कर अपने शरीर के दोनों तरफ रखे और उसकी गांड पर दाँत गड़ा दिए.
उसकी बड़ी और हांडी जैसी गांड पर थप्पड़ मारने लगा.

अब हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए.
वह मेरे ऊपर थी और मैं नीचे.

मेरा लंड फिर से लोहे की रॉड की तरह उफान मार रहा था.

मैंने उसे अपने ऊपर से उतारा और उसके पैर पकड़ कर दोनों टांगें अपने कंधों पर रखीं.
वह समझ चुकी थी कि अब उसकी चूत चुदने वाली है.

वह बोली- रुको!
मैंने पूछा- क्यों, क्या हुआ?

वह बोली- मुझे तकिया अपनी कमर के नीचे लगा लेने दो!
मैंने कहा- ठीक है, ले लो. मैं कंडोम चढ़ा लेता हूँ, उसे तो जोश में मैं लगाना ही भूल गया था.

वह बोली- नहीं … मुझे ऐसे ही चोदो! मैं बिना कंडोम के चुदूँगी!
मैंने कहा- चलो ठीक है.

मैंने उसकी दोनों टांगें अपने कंधों पर रखीं और अपने लंड को उसकी रस बहाती हुई चूत पर सैट किया.
फिर उसके कंधों को पकड़ कर एक जोरदार धक्का लगाया.

वह हल्की चीख के साथ अपनी चूत को पीछे खींचने की कोशिश करने लगी.
लेकिन सफल नहीं हुई क्योंकि मैंने पहले से ही उसके कंधों को पकड़ कर अपनी ओर खींच रखा था.

वह कराह कर बोली- धीरे-धीरे करो न! मैं कहां भागी जा रही हूँ? मैं तुम्हारी हूँ, अपनी बीवी की तरह प्यार करो न!

उसकी बातें सुनकर मेरे ऊपर कोई असर नहीं पड़ रहा था.

इसी बीच मैंने अपने लंड को थोड़ा पीछे खींचा और जब वह रिलैक्स थी, तभी एक और जोरदार धक्का दे मारा.
मेरा लंड सनसनाता हुआ पूरी तरह अन्दर घुस गया और उसकी बच्चेदानी से जा टकराया.

वह हलाल होने वाले बकरे की तरह चीखी.
मैंने अब उसके कंधों को छोड़ दिया और उसके अधरों को चूसने लगा.

लगभग दो-तीन मिनट बाद उसने आंखें खोलीं और मेरे साथ तालमेल बिठाने लगी.
वह बोली- बहुत बेरहम हो तुम … अपना नहीं समझते हो? कोई ऐसे भी पेलता है क्या?

उसकी इस भाषा ने मुझे और उत्तेजित कर दिया और मैंने अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया.

थोड़ी देर बाद वह अपनी कमर उछाल उछाल कर मेरा साथ देने लगी.
उसके अधरों पर सेक्सी मुस्कान थी.

वह किसी मँजी हुई सेक्स खिलाड़ी की तरह कामक्रीड़ा का आनन्द ले रही थी.
मेरे धक्कों के साथ ताल मिलाकर अपनी कमर हिलाने लगी थी.

अब मैंने उसकी दोनों चूचियों को दोनों हाथों से पकड़ा और अपनी स्पीड बढ़ा दी.
मैंने शताब्दी एक्सप्रेस की रफ्तार से चुदाई शुरू कर दी.
मेरा लंड पिस्टन की तरह उसकी बुर के अन्दर आगे-पीछे हो रहा था.

अब उसकी हालत खराब थी.
वह अपने मुँह से क्या-क्या बड़बड़ा रही थी- अया … आह … उई … आह सी … आह … उम्म.

मैं उसकी दोनों चूचियों को जोर से भींचते हुए उसकी चूत मार रहा था.

Xxx बंगाली सेक्स करती हुई अब वह पूरी जोश में थी और गंदे शब्दों के साथ बात करने लगी थी ‘फाड़ डाल साला … मर्द है तो फाड़ मादरचोद … सिलाई करा लूँगी बाद में आह डॉक्टर से बोलूँगी कि कोई मर्द है जिसने इतना प्यार किया है मुझे … आह चोद … मैं तेरी रंडी हूँ … रखैल बनकर रहूँगी ओह… ओह… उई… यू… ई… साला… भोसड़ी के … मन करता है अपनी माँ भी चुदवा दूँ तुझसे!’

मैंने कहा- साली रंडी …माँ नहीं! अगर रंडी बहन कोई है तो बोल … चोद दूँगा उसको भी!

‘साला ठरकी … मेरे पति की गांड में अपना मूसल डालकर चोद देना और उससे बोलना कि देख कैसे चोदा जाता है … भड़वा है साला, वह कभी भी मेरी चूत नहीं मार पाया साला हिजड़ा है वह!’

ऐसे बोलते हुए उसने जोश में कमर उछाली और अपने दाँतों से काटती हुई आधी उठ बैठी.
उसकी जांघें और चूत कांप रही थीं.
इस तरह वह दूसरी बार झड़ रही थी.

मैं भी थोड़ा रुककर उसके चेहरे के बदलते भावों का मज़ा ले रहा था.

थोड़ी देर के लिए वह शिथिल पड़ गई.

मैं फिर से उसके बूब्स चूसने-चाटने लगा और उन पर थप्पड़ मार रहा था.

वह बोली- मुझे अपने ऊपर ले लो!
मैंने कहा- आ जा साली रांड … कौन रोक रहा है तुझे!

उसने अपनी चूत से मेरा लंड निकाला, जो उसकी चूत के पानी से तरबतर था.
उसने अपनी जीभ से लंड चाटकर अपनी चूत के पानी का स्वाद लिया और बोली- बड़ा टेस्टी है!

फिर लंड अपने छेद में सैट करके मेरे लंड पर धम्म से बैठ गई.
वह अपनी कमर को गोल-गोल घुमाने लगी.

थोड़ी देर बाद मेरे लंड पर उछल-उछल कर चुदवाने लगी.

वह बोली- मैं ये सब पोर्न वीडियो देखकर सीखी हूँ! मेरा पति कभी भी ऐसा सुख नहीं दे पाया!

वह जोर-जोर से उछल रही थी और उसके बड़े-बड़े बूब्स भी उछल रहे थे.
उनको देखकर मुझे दुगुना मज़ा आ रहा था.

उसका मंगलसूत्र इस तरह उछल रहा था कि उसके चेहरे से टकरा जाता था.
पूरा कमरा फच-फच और थप-थप की आवाज़ों से गूँज रहा था.

मुझे डर लग रहा था कि बाहर कोई सुन लेगा तो क्या होगा!

मैंने उछलते हुए बूब्स को पकड़ कर मसलना शुरू किया और उसी हालत में उठकर बैठ गया.

मैंने उससे कहा- दोनों हाथों से मुझे पकड़ो!
फिर उसी हालत में मैथुन करने लगा, जो उसे बहुत पसंद आया.

अब मैं उसे गोद में उठाकर खड़ा हो चुका था.
मैंने कहा- मेरे कंधों को पकड़ो और मेरे लंड पर बैठ कर झूला झूलो!
वह झूलने लगी.

मैंने दोनों तरफ से उसकी गांड को हाथों से सहारा देकर झूलने दिया.
करीब पाँच मिनट तक ऐसे झूलने के बाद मैंने उसे उतारा और उसके ऊपर चढ़ गया, उसकी ठुकाई शुरू कर दी.

अब बहुत देर हो चुकी थी.
मैं झड़ने वाला हो गया था.

मैंने जोर-जोर से चोदना शुरू कर दिया.
जांघ से जांघ टकराने से पट-पट की आवाज़ जोरों से आ रही थी.

मैंने जोश जोश में उसके दाएं हाथ का अंगूठा नीचे ले जाकर उसकी चूत के पानी से गीली गांड में घुसा दिया और आगे-पीछे करने लगा.

मेरा लंड झड़ने वाला था, तभी मैंने उसकी गांड में अंगूठे को जोर से घुसा दिया.
वह जोर से उछली और अपने पैरों को मेरी कमर से लपेट कर सीत्कार करती, कांपती हुई झड़ने लगी.

मैंने भी अपने लावा को उसके अन्दर ही छोड़ दिया और उसके ऊपर गिर पड़ा.

मैं अचेत उसके ऊपर पड़ा था.
फिर उसने मेरे बालों में हाथ फेरना शुरू किया तो मुझे होश आया.

मैंने उसके होंठों को चूमा और आंखों पर चुंबन किया.

वह बोली- आज तक जीवन में ऐसा सुख कभी नहीं मिला था! तुम क्या खाते हो जो इतना स्टैमिना है तुममें? मैं चार बार झड़ चुकी हूँ, जो कि मेरा पति एक बार भी ढंग से नहीं कर पाता!
मैं हंस दिया.

उसने पूछा- गांड में उंगली क्यों डाली थी? मुझे बहुत अच्छा लगा! मैंने सोचा भी नहीं था कि ऐसा भी होता है. अमेज़िंग यार!

फिर मैंने मोबाइल में समय देखा, अभी बारह बज रहे थे.

आगे मैंने उसकी जमकर गांड चुदाई की और बहुत तरह के प्रयोग किए, जो मैं आगे कभी लिखूँगा.

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ज्योतिषी बन कर भाभी को बच्चा दिया

  मेरे पास जॉब नहीं थी, मैं फर्जी ज्योतिषी बनकर हाथ देख कर कमाई करने लगा. एक भाभी मेरे पास बच्चे की चाह में आई. वह माल भाबी थी. भाभी की रंड...