इतने में उसका पति दर्शन आ गया और उसने सब सामान की बोरी बांध कर मुझे दे दी.
मैं वहां से वापस चल दिया.
अब मेरे मन में सलोनी भाभी का ख्याल आने लगा कि कैसे उसको चोदने का जुगाड़ किया जाए.
उन्हीं दिनों मेरा वर्क टाइम चेंज हो गया और अब मुझे दोपहर से लेकर लेट नाईट रात के एक बजे तक काम करना पड़ रहा था.
इसलिए मैं खाना आदि खाकर ही फ्लैट पर आ जाता और यहीं सो जाता.
वैसे मैं सुबह घर से ब्रेकफास्ट करके फ्लैट पर आता था पर अभी बड़े हुए समय के कारण मैं फ्लैट पर ही अपनी चाय वगैरा बनाने लगा था.
सुबह सलोनी का पति दर्शन दूध दे जाता और महीने का हिसाब घर से ले लेते.
फिर एक दिन दर्शन की जगह सलोनी भाभी दूध देने आयी.
मैंने पूछा- आज आप?
उसने कहा कि दर्शन को कोविड पॉजीटिव आया और वे अपने ही घर में क्वारंटीन हो गए हैं. अभी 15-20 दिन तक मैं ही दूध देने आऊंगी.
यह सुन कर मैं खुश हो गया और मैंने अपने मन में सोच लिया कि यह तो इस रंडी को चोदने की व्यवस्था हो गई.
मेरे मन में ख्याली पुलाव बनते ही सलोनी भाभी ने भी भांप लिया था कि मैं क्या सोच रहा हूँ.
वह मुस्कुराती हुई बिल्डिंग के ऊपर वाली फ्लोर पर एक बूढ़ी आंटी के वहां दूध देने चली गई.
दस मिनट बाद वह बिल्डिंग से चली गई.
फिर दूसरे दिन बेल बजी और मैं ख़ाली शॉर्ट्स पहने हुए अपने लंड को खुजाते हुए आया और मैंने दरवाजे को खोला.
मुझे एक शॉर्ट्स में देख वह थोड़ी शर्मा गई.
मैं- अच्छा … दूध देने आई हो आप!
मैंने अपने लंड को सैट करके लौड़े से हाथ हटाया जिससे मेरे शॉर्ट्स पर बड़े लंड का आकार बन गया था और साफ साफ दिखाई देने लगा.
सलोनी भाभी मेरे लंड को देखते मुँह पर हाथ रखकर बोल पड़ी- अरे बाप रे!
मैं- क्या हुआ?
सलोनी शर्माती हुई नजरों को लंड पर से हटाती हुई बोली- अरे कुछ नहीं.
उसने यह कह कर अपने होंठों को दांतों के बीच दबा लिया.
मैं समझ गया था कि अब यह चुदाई के लिए मान गई.
तभी ऊपर वाली आंटी ने सलोनी को आवाज लगायी और वह दूध देने ऊपर चली गई.
मैंने भी प्लान बनाया और दूध में नींबू डाल कर जल्दी से गर्म कर दिया, जिससे दूध फट गया.
फिर सलोनी भाभी जैसे ही जाने लगी तो मैंने उसको रोक लिया.
मैं उसके बड़े चूचे देखते हुए कहने लगा- आपका दूध तो फट गया?
उसने साड़ी पहनी हुई थी और ब्लाउस में आगे की साइड हुक थे.
मेरे कहने पर उससे लगा कि ब्लाउज फटा है और मम्मे दिख रहे हैं.
वह पल्लू साइड में करके अपने ब्लाउज को चेक करने लगी.
अपने हाथ से अपने मम्मों को इधर-उधर करके देखने लगी.
फिर मैंने हंसते हुए कहा- अन्दर दूध गर्म करने रखा था, वह फट गया है.
इस बात पर सलोनी भी हंस दी.
उसे पता ही नहीं था कि ब्लाउज के दो हुक निकल गए हैं और इस सबमें उसके मम्मे बाहर आकर और साफ दिखाई देने लगे हैं.
सलोनी भाभी- ऐसे कैसे, मैंने तो चेक करके ताज़ा पैक ही दिया था!
मैं- ऐसा है तो आप अन्दर किचन में आकर चेक कर लो.
सलोनी भाभी ने जल्दी जल्दी में अपना पल्लू वगैरह कुछ ठीक नहीं किया और वैसे ही अन्दर आ गई.
मैं उसके मम्मों को ऐसे घूरने लगा कि अभी ही पकड़ कर मसल दूँ.
सलोनी भाभी किचन में गई और उसने गैस स्टोव पर रखा हुआ फटा दूध देखा- अरे यह कैसे हुआ? कोई बात नहीं, मैं आपको दूसरा दे जाती हूँ.
मैं- आप ही गर्म कर लेना उसे, नहीं तो कहेंगी कि मैंने जानबूझ कर दूध में कुछ किया.
सलोनी भाभी मुस्कुराती हुई बोली- अच्छा कहां है दूसरा पतीला?
मैं- नीचे के ड्रॉअर में है.
सलोनी नीचे पतीला लेने झुकी और मेरे सामने उसके मम्मे पूरे दिखने लगे.
मेरी हवस की लार टपकती देख कर सलोनी भी मुझे खुल कर मम्मे दिखाने लगी.
फिर वह पतीले में दूध भर कर स्टोव की साइड मुड़ी और दूध का पतीला गर्म करने लगी.
मैं उसके पीछे खड़ा हो गया.
वह कुछ नहीं बोली और मैं अपने खड़े लंड के साथ और करीब को हो गया और मैंने अपने कड़क लंड को उसकी गांड पर टच करवा दिया.
सलोनी भाभी अभी भी कुछ नहीं बोली, इससे मेरी हिम्मत और बढ़ गई. मैंने
लंड सीधा उसकी उठी हुई बड़ी गांड के बीच की फांक में सैट कर दिया और उसकी
गांड पर अपने आपको टच करके खड़ा हो गया.
सलोनी भाभी थोड़ी हिचकिचायी पर उसने कुछ नहीं किया.
वह बस लंड के मजे लेने लगी.
अब मैंने उसकी कमर पर हाथ रख कर उसे अपनी ओर खींचा और लंड को जोर जोर से रगड़ने लगा.
वह मेरे हाथ पकड़ती हुई बोलने लगी- यह क्या कर रहे हो पंकज!
मैं- बस गर्म कर रहा हूँ.
सलोनी भाभी- दूध तो स्टोव पर गर्म हो रहा है न!
मैं- अब इतना भी मत बन, मैं तेरी चूत गर्म करने की बात कर रहा हूँ.
सलोनी भाभी- यह सब ग़लत है यार, कोई देख लेगा … और मेरे पति को पता
चलेगा तो … ये सब मेरे लिए अच्छा नहीं है. वैसे भी अभी कुछ ठीक होकर ही
चुका है.
मैं- कुछ नहीं होगा भाभी … फ्लैट लॉक है अन्दर से, कोई नहीं आएगा … और तेरा
पति कोविड के चलते घर में ही क्वारंटीन है. वह नहीं आने वाला ढूँढने … और
जब किसी को कुछ पता ही नहीं चलेगा तो उसको कौन बताएगा?
यह कहते कहते मैंने दोनों हाथों से उसके दोनों बड़े बड़े बबलों को मसल दिया.
अहह क्या मस्त और सॉफ्ट मम्मे थे.
मेरे हाथों से दूध मसलवाते ही भाभी की मादक सिसकारियां निकलने लगीं.
वह अपनी गांड को खुद ही मेरे लंड पर दबाती हुई रगड़ने लगी और सिसकारियां
लेती हुई बोली- अभी नहीं पंकज. अभी बहुत काम है. मैं बाद में आती हूँ.
ये कह कर भाभी ने मेरे हाथों से खुद को छुड़ाया और दरवाजे की तरफ चली गई.
फिर उसने अपना पल्लू वगैरह ठीक किया और मुझसे प्यार से देख कर बाहर चली गई.
मैं अब उसके आने का इंतजार करने लगा.
लंच करने मुझे घर जाना था.
जब मैं घर जा रहा था, उसी वक्त रास्ते में मैंने दुकान की तरफ देखा.
उसकी दुकान आजकल बंद थी.
मैं थोड़ा उदास हो गया कि सुबह ही साली रांड को पटक कर चोद देना था.
मन मसोस कर मैं आगे बढ़ गया.
कुछ देर बाद खाना खाकर फ्लैट पर आया और काम में लग गया.
शाम को बेल बजी और मैंने दरवाज़ा खोला तो सलोनी भाभी पल्लू से अपना मुँह ढके खड़ी थी.
मैंने तुरंत उसको अन्दर खींच लिया और बाहर सर निकाल कर इधर-उधर देखा कि कोई देख तो नहीं रहा है.
फिर दरवाज़ा बंद करके सीधा सलोनी भाभी को अपनी बांहों में जकड़ लिया और उसके होंठों को किस करने लगा.
वह मुझसे छूट कर कहने लगी- इतनी जल्दी भी क्या है, मैं अभी 3 घंटे तक यहीं हूँ. थोड़ा आराम से.
मैंने उसको ऊपर से नीचे तक ताड़ा, साली रांड … साड़ी में क्या माल लग रही थी.
फिर उसके नज़दीक जाकर उसके मुलायम रसीले होंठों को चूसते हुए किस करने लगा.
साड़ी का पल्लू हटा कर उसकी कमर पर हाथ रख कर धीरे धीरे उसको रूम की तरफ धकेलते हुए ले जाने लगा.
साथ में धीरे धीरे उसके कपड़े भी उतारने लगा और उसके बड़े बड़े मम्मों को दोनों हाथों में भर भर के मसलने लगा.
वह भी अभी मस्ती से मेरा साथ देने लगी.
रूम में जाते ही देर ना करते हुए मैंने अपनी टी-शर्ट को निकाल दिया और केवल शॉर्ट्स में आ गया.
फिर उसकी साड़ी ब्लाउज पेटीकोट आदि निकाल कर उसे ब्रा और पैंटी में ला दिया.
साली क्या मस्त माल थी … एकदम दूध सी गोरी चिकनी भाभी … उसका 36-30-38 का फिगर और उठी हुई मटकती लचीली बड़ी गांड मेरे सामने थी.
बस लग रहा था कि उसे किस करता रहूँ और चूमते हुए उसके दोनों दूध हाथों से दबाता रहूँ.
उसके गोरे और मुलायम से बड़े बड़े दूध मुझे मदमस्त करने लगे.
मैं सोचने लगा कि बस भी आगे बढ़ कर इसे अपने दोनों हाथों से उसे दबोच लूँ
और उसके एक दूध को ब्रा के ऊपर से ही अपने मुँह में भर कर चूसना चालू कर
दूँ.
सलोनी भाभी भी खुद चुदासी थी और चुदने में भरपूर साथ देने वाली थी.
मैं काफी खुश हो गया था कि आज तो लॉटरी ही लग गई है.
सलोनी भाभी- क्या इतना सोच रहे हो?
मैं- बस … आज तेरी चुदाई कैसे कैसे करूं … वही सोच रहा था!
सलोनी भाभी कसमसाती हुई बोली- जैसे तुमको चोदना हो चोद दो बस … तुम्हारे
जवान लंड के लिए कब से तड़प रही हूँ. आज तुम बस जैसे चोदना चाहते हो, चोद
दो … और मेरी सुलगती चूत को ठंडी कर दो.
मैंने देर ना करते हुए उसको उल्टा कर दिया और दरवाजे पर हाथ रखवा कर खड़ा कर दिया.
उसकी बड़ी गांड को सहलाते हुए दोनों जांघों के बीच में लंड सैट करके उसकी चूत पर रगड़ने लगा.
अपने दोनों हाथों को भाभी की कमर को सहलाते हुए ऊपर को लाया और उसके बड़े बड़े मम्मों को जोर जोर से मसलने लगा.
वह अहह अह्ह अहह करके और अपनी आंखें बंद करके मदभरी सिसकारियां लेने लगी.
साथ ही भाभी अपनी मखमली गांड को बाहर निकाल कर लौड़े पर रगड़ने और तड़फने
लगी.
पीछे से मैं भाभी की गर्दन और कंधे पर किस करने लगा. अपनी लंबी जीभ निकाल कर उसकी गर्दन को चाटने लगा.
मेरे मुँह से निकल रही लार से उसकी गर्दन को मैं चिकना कर रहा था.
साथ ही हल्के हल्के धक्के लगाते हुए उसकी पूरी गांड से चिपक कर लंड रगड़ने लगा था.
क्या मस्त उसकी सॉफ्ट गुब्बारे जैसी गांड थी.
मैं एक हाथ से बायाँ दूध मसल रहा था और दूसरे हाथ से उसकी लचीली गांड को दबाना चालू कर दिया था.
हम दोनों दिमाग से तो चुदासे थे ही … शरीर से भी गर्म हो चुके थे.
फिर मैंने पीछे से उसकी ब्रा का हुक खोला और उसकी ब्रा निकाल दी.
अब उसको अपनी ओर पलटा कर सामने कर लिया.
वह दरवाजे पर पीठ के बल टिक गई थी.
उसके गोरे गोरे बबलों को मैं और जोर जोर से मसलने लगा जिससे उत्तेजित होकर वो कामुक सिसकारियां और जोर से निकालने लगी.
वह अपनी चूत को और जोर से मेरे लंड पर रगड़ने लगी.
मैं अपने मुँह को जितना बड़ा हो सकता था, खोल कर उसके एक नर्म मम्मे को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.
इसी तरह से मैं बारी बारी से उसके दोनों मम्मों को अपने मुँह में भरने लगा और चूसने लगा.
दूध चूसते समय मैं अपने हाथ से मुँह में लिए हुए मम्मे को उसकी जड़ से
पकड़ कर दबाने लगा, जिससे उसका दूध मेरे मुँह में और ज्यादा समाने लगे और
दूसरे हाथ से उसके दूसरे दूध को मसलने का मजा लेने लगा.
इधर वह और छटपटाने लगी और जोर जोर से अह्ह अह्ह अह्ह की आवाज करने लगी.
मैं मम्मे से भरे हुए मुँह को अपनी जीभ से चाटने लगा और उसकी चूची के निप्पल को जीभ से रगड़ कर मथने सा लगा.
साथ ही मैं अपनी जीभ को बाहर निकाल कर चूचियों के आजू बाजू गोल गोल भी फिराने लगा.
साला ऐसा लग रहा था कि काश मैं और बड़ा मुँह खोल पाता, जिससे पूरा मम्मा अपने मुँह में समा लेता.
इधर सलोनी भाभी ने अपने एक हाथ से मेरे सिर को पकड़ कर अपने एक मम्मे पर दबाना शुरू कर दिया था.
साथ ही भाभी ने अपने दूसरे हाथ से मेरे लंड को पकड़ लिया और सहलाने लगी.
सलोनी भाभी- कितना तगड़ा लंड है … इसे कितनी चूतों का पानी पिला कर बड़ा किया है?
मैं- बहुत सारी चूतों का पानी पिया है इस लंड ने … और बहुत सारे छेदों की आग भी बुझाई है. पर तेरी जैसी सेक्सी माल अब तक नहीं मिली!
सलोनी भाभी- अह्ह अह्ह … आज तो इस लंड के पूरे मजे लेकर चुदूँगी और इस लंड की रंडी बन जाऊंगी.
मैं- हां साली छिनाल, आज तेरी चूत का भोसड़ा और गांड का गोदाम बना कर ही यह लंड शांत होगा.
दोस्तो, हॉट भाभी गुजराती सेक्स कहानी कैसी लग रही है, प्लीज मेल जरूर करें.
आगे भाभी की चुदाई की रसधार आपको और भी मजा देगी.
मैंने सलोनी भाभी की पैंटी को भी उतार कर साइड में रख दी.
वह अब पूरी नंगी खड़ी थी.
उसकी मस्त साफ गुलाबी, फूली हुई चूत गीली हो रही थी.
इधर उसने भी मेरे लंड को बाहर निकाल लिया था और वह अपने हाथ से ही लंड का टोपा अपनी चूत में रगड़ने लगी थी.
मैं खड़े खड़े उसके मम्मों को मसल रहा था और किसी एक को मुँह में लेकर खींच खींच कर चूस रहा था.
कभी दायें मम्मे को खींचता तो कभी बाएं को.
साथ ही अपनी हथेली में चूचे को भर कर मसलते हुए दबा रहा था.
नीचे लंड पर चूत का गीलापन लगने से एकदम अलग अहसास हो रहा था.
सलोनी भाभी भी बहुत उत्तेजित हो गई और अपनी गांड को हिलाते हुए धक्के से लगाने लगी थी.
वह अपने हाथ में मेरा लंड पकड़े हुई थी और चूत में घुसेड़ने की कोशिश करने लगी थी.
पर लंड का सुपारा बड़ा होने से और खड़े खड़े चुदाई की पोजीशन नहीं बन पा रही थी जिस वजह से लंड चूत के अन्दर नहीं जा पा रहा था.
फिर मैंने उससे दरवाजे से टेक लेकर बैठने को कहा.
मैं- बस अभी इस लंड को अपने मुँह में गटक ले.
सलोनी भाभी- यह बहुत बड़ा लंड है, मैं अन्दर नहीं ले पाऊंगी!
मैं- साली रंडी … ज़्यादा नखरे मत कर बहन की लौड़ी जल्दी से लंड मुँह में
ले ले … बाक़ी सबका भी तो मुँह में लेती थी. बड़े से कुछ नहीं होता … तू
लंड चूसने में एक्सपर्ट है. मुझे मालूम है तू आराम से ले लेगी.
उसने मेरी बात सुनी और कुछ न कहती हुई बस अपने मुँह को खोल कर मेरे मोटे
लंड के भारी सुपारे के साथ 3-4 इंच लंड मुँह में लिया और चूसने लगी.
क्या मस्त चूस रही थी वह मेरा लंड … आह बड़ा मजा आ रहा था.
पहले भाभी को थोड़ी दिक़्क़त हुई, फिर एक चुदासी रांड की तरह लंड लेने लगी.
पर अभी भी वह आधा लंड ही ले पा रही थी और मैं इतनी अच्छी लंड चुसाई से पागल हो रहा था.
मेरा लंड भी तन कर टाइट हो गया था और फटने जैसा हो रहा था.
तभी मैंने अपने दोनों हाथों से उसके सिर को पकड़ा और दरवाजे से चिपका दिया.
अपने पैरों को उसकी कमर के आजू-बाजू रख कर उसके मुँह के और नज़दीक आ गया.
सलोनी भाभी दरवाजे से सट कर बैठी थी और मैं उसका सिर पकड़े हुए ही धक्के लगाने लगा.
अब पोज सही बन गया था तो मैं उसके मुँह को चोदने लगा.
इस वजह उसके मुँह से ‘गॉक गॉक …’ की आवाज़ आने लगी और उसके मुँह में से थूक भर भर कर बाहर निकलने लगा.
थोड़ी देर में ही उसका मुँह ज्यादा खुलने लगा और बहुत सारा थूक निकल कर मेरे लंड को काफी चिकना कर दिया.
उसकी लार मेरे लंड से चिपक कर बहती हुई मेरे गोटों तक आ गई.
वह अपने दोनों हाथों से मेरे गोटों से खेलने लगी.
उसकी इस हरकत से मैं अति-उतेजित हो गया और मैंने उसके मुँह को चूत समझ कर
उसमें एक जोरदार धक्का दे दिया. जिससे मेरा पूरा लंड उसके मुँह में चला
गया.
आधा लंड उसके मुँह में था और आगे का आधा लंड सुपारे के साथ गले में उतर गया था.
वह मेरी जांघों को दोनों हाथों से धकेलती हुई तड़फ उठी और पूरी ताकत लगा कर मेरे लंड को बाहर निकालने की कोशिश करने लगी.
मैंने उसके सिर को टाइट पकड़ लिया और लंड को अन्दर ही फंसा कर रखा.
मैं लंड को और अन्दर को ऐसे धकेलने लगा, जैसे मेरे गोटे भी इसके मुँह में चले जाएंगे.
सलोनी की आंखों में से आँसू आने लगे और शायद वह सांस भी ठीक से नहीं ले पा रही थी.
इसी वजह से वह मेरे पैर पर अपने हाथों से मारने लगी और छूटने की कोशिश करने लगी.
मैंने थोड़ी देर ऐसे ही रख कर लंड को बड़े आराम से पूरा बाहर निकाला,
जिससे बहुत सारा थूक और सलोनी के आंखों से निकलते हुए आंसू … उसके चेहरे से
गिरते हुए उसके मम्मों पर टपकने लगे.
सलोनी भाभी- साले, बहन के लौड़े … मार ही डालेगा क्या?
मैं हंसने लगा.
भाभी के मुँह से गालियां सुनना बड़ा ही सुखद लग रहा था.
अब भाभी ने अपनी कुछ लार को पौंछते हुए और कुछ को गटकते हुए गहरी सांस ली.
मैं- अरे भाभी, इसे डीप थ्रोट ब्लो जॉब (deep-throat blowjob) कहते हैं. मज़ा आया कि नहीं?
सलोनी भाभी- हां मज़ा तो आया. पूरा लंड गले तक उतर गया था. मस्त गर्म गर्म
लग रहा था … बस ऐसा लग रहा था कि लंड अभी पेट में चला जाएगा.
मैं- चलो एक और बार करते हैं!
वह राजी हो गई.
मैंने एक बार फिर से सलोनी के सिर को कसके पकड़ा और पूरा लंड उसके गले तक उतार दिया.
उसी समय मैंने उसके सिर को जोर से खींचा और गले तक अन्दर उतारने लगा.
सलोनी भी बड़ी रंडी थी, साली एक ही बार में सब समझ गई थी कि किस तरह से लौड़े को गले तक लेना है.
उसने अपनी जीभ को बाहर निकाल लिया था और लंड को मुँह के अन्दर गले तक उतार लिया.
उसकी जीभ बाहर निकल कर मेरे गोटों को टच करने लगी और वह अपनी जीभ को थोड़ा लपलपा कर हिलाती हुई मेरे गोटों को सहलाने लगी.
भाई उस फीलिंग के सामने सब बेकार था.
मादरचोद ऐसा लग रहा था कि उसके गले में लौड़े को फंसाए घंटों तक ऐसे ही खड़ा रहूँ और उसके मुँह की गर्मी से लंड को मजे दिलाता रहूँ.
अब वह कुछ देर लौड़े को सुख देती … और जब उससे सहन नहीं होता, तो वह अपने
हाथों को मेरे पैर पर मार कर लंड बाहर निकालने का इशारा कर देती.
मैं आराम से लंड बाहर निकाल लेता और बहुत सारा थूक उसके मुँह से टपक कर मम्मों पर जमा होने लगता.
फिर 4-5 बार ऐसे करने से उसके मम्मे और पेट सब गीला हो गए.
ऐसा लगने लगा था जैसे वह अपनी लार से ही नहा ली हो.
मैं- मैं झड़ने वाला हूँ.
सलोनी भाभी ने लंड को बाहर निकालने का इशारा किया और लंड के बाहर निकलते ही उसने कहा कि मुझे तेरा गर्म माल चखना है.
बस इतना कह कर भाभी ने अपने एक हाथ से मेरे लंड को पकड़ लिया और आधा लंड मुँह में लेकर जोर जोर से चूसने लगी.
मैं उसके सिर को हल्के से पकड़ कर हल्के हल्के से धक्का लगाते हुए अपनी आंखों को बंद करके लौड़े की चुसाई का मजा ले रहा था.
उस वक्त मैं एकदम बेफिक्र था कि मेरा लंड कभी भी झड़ जाए, कोइ चिंता नहीं थी.
उसी वक्त लौड़े ने 3-4 तेज पिचकारी मारीं और वह हिचकोले लेते हुए सलोनी के मुँह में झड़ गया.
सलोनी ने मजे से पूरा माल गटक लिया और लंड चूस कर अपना मुँह साफ करती उठ गई.
मैंने उसको उठाकर बेड पर लेटा दिया और जो लार उसके मम्मे और पेट पर लगी
थी, उसी से उसके दूध और चूत और जांघों को सहलाते हुए उसको पूरी चिकनी कर
दिया था.
वह भी इतनी शान से थूक मलवा रही थी मानो वह किसी से अपनी मसाज करवा रही हो.
फिर उसके ऊपर आकर मैं उसके होंठों में होंठ लगा कर उसे किस करने लगा और एक हाथ से उसके एक दूध को मसलता जा रहा था.
वह भी मेरे लंड को एक हाथ से सहलाने लगी थी.
मैं उसकी गर्दन को चूमते, मम्मों को चाटते, पेट को किस करते करते अपने मुँह को उसकी चूत पर ले गया.
उसकी साफ झांट रहित चूत, मस्त मलाई की तरह लग रही थी. गीली और गुलाबी …
और चूत के होंठों से पता चल रहा था कि इस छेद ने बहुत सारे मर्दों के लौड़ों
को अन्दर घुसने के मजे दिए होंगे.
मैंने भी देरी नहीं की. उसकी मस्त रसमलाई सी चूत को चाटने लगा.
वह कसमसाती हुई सिसकारियां भरने लगी थी- अह्ह अह्ह चूस ले आह.
वह अपने दोनों हाथों से चादर पकड़ कर खींच रही थी.
मैं भी जीभ निकाल कर उसकी चूत को ऊपर से नीचे तक ऐसे चाटने लगा, जैसे कोई रोलर से दीवार पर ऊपर नीचे करते पेंट कर रहा हो.
चूत को 4-5 मिनट तक चाटने के बाद मैंने दोनों हाथों से उसकी चूत को ऊपर
को उठाया और उसे खींच कर उसकी चूत के दाने को जीभ से लिकलिक करते हुए
रगड़ने लगा.
सलोनी की ‘अह्ह अह्ह अह्ह … मर गई … आह.’ सिसकारियां कुछ ज्यादा ही जोर से निकलने लगीं.
अब चादर छोड़ कर उसने मेरा सिर पकड़ लिया था.
मैंने अपने हाथ की एक उंगली उसकी चूत में डाल दी.
भोसड़े जैसी चूत में मेरी एक उंगली बड़ी आसानी से चली गई.
मैंने तुरंत दूसरी उंगली भी पेल दी और उंगली को आगे पीछे करने लगा.
साथ में जोर जोर से जीभ से चूत के दाने को चूसने लगा.
सलोनी तड़पते हुए कहने लगी- और चाट मेरी चूत … आह साले पूरा मुँह घुसा
ले और जोर से चाट … अहहा अहहा अहह … कैसा मस्त चाट रहा है भोसड़ी के!
मैंने अपने दूसरे हाथ को उसकी टांग के पीछे से निकाल कर दूध को मसलना
शुरू किया और चूत में घुसायी हुई दोनों उंगलियों को थोड़ा टेढ़ा करके उसके
जी-स्पॉट को टच किया.
फिर वैसे ही फिक्स पोजीशन में सैट कर दिया.
अब मैं हाथ को चूत में ऊपर नीचे करने लगा.
इससे वह और तड़प उठी और उसने अपने दोनों पैरों से मेरे सिर को जकड़ लिया.
उसकी कामतुर आवाजें ‘अहह् अहह …’ जोर जोर से निकलने लगीं.
कुछ मिनट ऐसा करने से वह पागलों जैसी हो गई और एक बिन पानी की मछली की तरह तड़पते हुए उसने अपनी चूत से ढेर सारा पानी निकाल दिया.
चूत से निकलते हुए पानी के दौरान भी मैंने अपनी दोनों उंगलियों को उसकी चूत में ही रखा और हाथ चलाता रहा.
वह झड़ जाने के बाद भी तड़पती रही और चरमसुख के शिखर पर पहुंच गई.
झड़ने के बाद सलोनी थक सी गई थी.
वह मुझे गले लगाती हुई कहने लगी- ऐसा मज़ा मुझे कभी किसी ने नहीं दिया.
मैं- अभी तो शुरू ही हुआ है मेरी जान. यह तो फोरप्ले था. चुदाई हुई ही
कहां है? चुदाई तो अब होगी, लंड खड़ा करो फिर देखना चूत का क्या हाल बनाता
हूँ.
यह कह कर मैंने उसको अपने लंड की तरफ इशारा किया.
वह मुस्कुराती हुई मेरे लंड की ओर आई और चूसने लगी.
दो मिनट की ही चुसाई से मेरा लंड खड़ा हो गया और मैंने सलोनी को बेड पर पीठ के बल लेटा दिया.
उसकी गांड की नीचे दो तकिये रख दिए और खुद अपने हाथ से चॉकलेटी फ्लेवर का कंडोम पहन लिया.
लंड लहराते हुए मैं उसके ऊपर आ गया. उसके दोनों पैरों को घुटने से पकड़
कर मोड़ा और दोनों पैरों को फैलाते हुए उसकी दोनों जांघों को कमर के बाजू
से सैट कर दिया.
इससे उसकी चूत चौड़ी होकर खुल गई.
अब मेरे लंड को उसकी चूत में घुसने में आसानी हो गई.
उसकी गांड के नीचे रखे दोनों तकियों की वजह से चूत ऊपर निकली हुई थी ताकि मैं लंड को उसकी चूत की गहरायी तक पेल सकूँ.
मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर टिकाया और रगड़ने लगा.
सलोनी भाभी मादक सिसकारियां लेती हुई बड़बड़ा रही थीं- आह चोद दे मुझे …
अब नहीं रहा जा रहा … जल्दी से डाल दे यह लंड को पूरा अन्दर और शांत कर दे
मेरी चूत की अगन को … पंकज जल्दी से चोद मुझे साले बहन के लौड़े.
मैंने उसको कसके पकड़ा और अपने लंड को बिना छुए सलोनी की चूत पर सैट कर दिया.
फिर लंड के सुपारे को उसकी चूत के मुख पर रख कर हल्का सा जोर दे दिया.
इससे लंड का सुपारा उसकी चूत में थोड़ा अन्दर जाकर रुक गया.
मैंने अपनी पैरों से लेकर अपनी जांघों को टाइट करते हुए बॉडी के पूरे भार के साथ जोर का धक्का दिया.
देसी भाभी की चूत बहुत गीली थी और कंडोम पे लगी हुई चिकनाई की वजह से मेरा लंबा और मोटा लंड पूरा का पूरा चूत में घुसता चला गया.
सलोनी भाभी- अहहह मैं मर गयी … साले निकाल अपने लंड को … आह मादरचोद ने
मेरी चूत फाड़ दी … अह साले धीरे धीरे डालना था लौड़े … कहां भागी जा रही
हूँ मैं?
मैं- साली रांड … तू लंड का मजा ले. भोसड़ी वाली तेरा दर्द तो अभी चला जाएगा. बस तू अपनी चूत ढीली छोड़ दे रांड.
मैंने हल्के हल्के से आधा लंड बाहर निकाला और स्लो स्लो धक्के लगाने लगा.
कुछ धक्के देने के बाद भाभी का दर्द कम हो गया और वह अपनी गांड उठा कर तेज चुदाई के लिए कसमसाने लगी.
ये देख कर मैंने उसकी बॉडी को जोर से पकड़ा और उसको उठाते हुए अपने लंड को टोपे तक बाहर निकाल लिया.
अगले ही पल पूरा लंड वापस चूत में … उसकी फिर से आह निकल गई.
अब मैं इसी तरह से भारी और तगड़े झटके लगाने लगा था.
इस तरह की चुदाई से बेड भी हिल कर चरर चरर करने लगा.
दोस्तो, उम्मीद है कि आपका आइटम भी भीग गया होगा.
सलोनी मेरे लौड़े से चुदती हुई और जोर से अहह अहह करने लगी और बोलने लगी-
आह … और जोर से चोदो … फाड़ दो मेरी चूत को … डाल दो अन्दर तक अपना यह
मोटा तगड़ा लंड आह!
उसकी ये सब बातें सुन कर मैं और उत्तेजित होने लगा और मैंने झटकों की रफ्तार बढ़ा दी.
अब उसकी चूत मक्खन की तरह मेरा लंड अपने अन्दर उतारने लगी थी.
मुझे भी भाभी को चोदने में बहुत मज़ा आ रहा था.
करीब 4-5 मिनट की जोरदार चुदाई के बाद वह कराहती हुई झड़ गई और चूत से पानी निकलने लगा.
मैंने सलोनी भाभी की चूत में लंड को फंसाए रखा और उसके पैरों को पीछे
धकेलते हुए उसकी चूत को और ऊपर उठा कर मैं उसकी चूत पर उकड़ू बैठ गया.
इस आसन से मेरा लंड बाहर खींचते हुए और कड़ा व मजबूत हो गया था.
चूत के रस से सराबोर लंड में उसकी उभरी हुई रगें अपना शानदार जलवा बिखेर रही थीं.
अब मैं सलोनी की चूत पर सवार था और अपनी गांड को ऊपर उठा उठा कर जोर जोर से लंड पेलने लगा था.
इससे सलोनी दर्द के मारे अपने हाथों से अपने पैरों की पकड़ को छुड़वाने का जतन करने लगी.
पर मैं उसकी जमकर चुदाई किए जा रहा था.
थोड़ी देर में वह भी ढीली पड़ गई और साथ देती हुई अहह अह्ह करने लगी.
मैंने सलोनी को उसके हाथों से उसके पैरों को पकड़ने को कहा.
उसने अपने हाथों से अपने पैर पकड़ लिए.
उसके हाथों के एक्शन में आते ही मैंने अपने हाथों को छोड़ दिया और थोड़ा झुक कर उसके मम्मे मसलने लगा.
आह क्या मज़ा आ रहा था … लंड को चिकनी चूत में सरपट पेलने का मज़ा अलग ही आ रहा था.
साथ में उसके मोटे मम्मों को दबाते हुए … और पकड़ कर खींचते हुए, चूत पर धक्के लगाने का मज़ा ही अलग था.
यार सच में … मुझे बहुत मजा आ रहा था.
क्या लुगाई चोदने को मिली थी … मैं अपने लौड़े के नसीब पर इतरा रहा था.
मैं भाभी की चूत में लंड को और तेजी से घुसेड़ कर उसकी चुदाई करने लगा था.
पूरे कमरे में बेड की चरर मरर चरर मरर की आवाज के साथ सलोनी भाभी की
अहह्हा अहह्हा … और इसकी के साथ तीसरी चुदाई की फच्च फच्च की मीठी आवाज़
गूंजने लगी थी.
दस मिनट तक यूं ही चूत में लंड पेलने के बाद भाभी फिर से झड़ गयी.
उसने अपने हाथ हटा लिए और पैर पसर गए.
इसी वजह से मेरा लंड बाहर निकल आया था मगर वह अभी भी चुदाई के लिए गुर्रा रहा था.
मैंने भाभी से डॉगी स्टाइल में सैट होने के लिए कहा.
सलोनी धीरे से कराहती हुई बेड पर कोहनी के बल झुक गई और अपने घुटने बिस्तर पर टेक कर कुतिया बन गई.
मैंने उसकी पीठ पर हाथ रखा और उसकी पीठ को दबाते हुए गांड को उठाने के लिए इशारा किया.
साली रांड ने मचलते हुए अच्छे से अपनी गांड हिलाई और चूतड़ ऊपर को उठा कर बाहर निकाले.
उसकी मस्त गुब्बारे जैसी गांड मेरे सामने थी.
मैंने अपने हाथ के पूरे पंजे से उसकी गांड पर हल्के से एक थप्पड़ मारा और सहलाने लगा.
उसको भी इसमें मजा आ रहा था.
अब मैं कभी इस चूतड़ पर हाथ मारता, तो कभी दूसरे पर!
उसको मजा आ रहा था और वह हंसती हुई आह आह कर रही थी.
कुछ 10-15 थप्पड़ों के बाद उसकी गांड काटे हुए लाल तरबूज के रंग की सी हो गई.
मेरा मन अभी उसकी गांड मारने का था.
मुझे पता था कि सीधे पूछने पर वह मना ही करेगी, पर मुझे यह भी पता था कि इस साली की गांड कैसे चोदनी है.
मैंने उसकी चूत को थोड़ी देर तक चाटा, जिससे वह थोड़ा रिलेक्स महसूस करने लगी.
फिर मैंने सलोनी भाभी को डॉगी पोजीशन में ही उसके दोनों पैरों को चौड़ा कर दिया और खुद दोनों टांगों के बीच में सैट हो गया.
नीचे से भाभी की चूत पर लंड को ठप ठप ठप करके मारने लगा.
लंड की हर थाप के साथ वह अह्ह अह्ह आवाज़ निकालती.
मैंने लंड को उसकी चूत पर रगड़ते हुए अचानक से एक ही झटके में अन्दर
घुसेड़ दिया और उसकी गांड को दोनों हाथों के साथ खींचते हुए जोर जोर के
झटके लगाने लगा.
उसकी बड़ी और गुब्बारे जैसी मुलायम गांड मेरी बॉडी से टच होकर ठप ठप ठप आवाज़ करने लगी.
वह भी अचानक से लौड़े के अन्दर आ जाने से मचल उठी और आह आह करने लगी.
फिर मैंने एक उंगली में बहुत सारा थूक लिया और उसकी गांड के छेद पर रगड़ने लगा.
सलोनी भाभी- आह्हा अहहा … आज तुम मेरी गांड को छोड़ दो … गांड चुदाई कभी दूसरी बार कर लेना … आज रहने दो.
मैं- अरे जानेमन, कुछ नहीं होगा. मैं तो सिर्फ़ तेरी गांड सहला रहा हूँ. अगर तुझे मजा ना आए, तो मना कर देना.
वह चुप हो गई.
मुझे भी उसकी गांड में उंगली डालने से अंदाजा हो गया था कि ये लौड़े को झेल लेगी.
मैं उसकी गांड में एक उंगली डाल कर अन्दर बाहर करने लगा.
उसके दोनों छेद भरे होने से उसको एक अलग ही मज़ा आने लगा और वह कुछ ज्यादा उत्तेजित होकर अपनी गांड उठा कर मेरा साथ देने लगी.
उसकी चुदास भी बढ़ने लगी.
थोड़ी देर बाद सलोनी भाभी बोली- ओह पंकज … तुम आज ही मेरी गांड चोद दो … इसमें अपना मोटा लंड डाल कर मेरी चुदाई की तड़प को मिटा दो.
मैंने लंड को चूत में से आराम से बाहर निकाला और कंडोम निकाल कर तेल की शीशी ले आया.
अब मैं उसकी गांड पर हाथ घुमाते हुए किस करने लगा और उसकी गांड में बहुत सारा तेल लगा दिया.
पहले मैंने एक उंगली को अन्दर डाल दिया, फिर दूसरी उंगली आराम से डाल कर अन्दर बाहर करने लगा.
मेरी दोनों उंगलियों ने उसकी गांड के छेद को हल्का सा चौड़ा कर दिया था.
उस छेद में मैं तेल की पतली धार गिराने लगा, जिससे तेल उसकी गांड के अन्दर जाने लगा.
अब मैंने अपने लंड पर तेल लगाया और सुपारे पर तेल ज़्यादा सा लगा कर लंड को उसकी गांड के छेद पर सैट कर दिया.
फिर मैंने उसके घुटनों को थोड़े अन्दर खिसकाते हुए दोनों पैरों को थोड़ा चौड़ा कर दिया.
इससे उसकी गांड थोड़ी नीचे को आ गयी और मेरे गोटे उसकी चूत के मुख पर बराबर टच होने लगे.
अभी मैंने अपने लंड को हाथ से पकड़ कर टोपे के पीछे अंगूठा रखा, जिससे
लंड का टोपा उसकी गांड में कायदे से घुस जाए और इधर उधर ना छिटके.
फिर एक हाथ को उसकी पीठ पर रख कर दबाव देते हुए एक जोर सा झटका दिया.
तेल की अधिकता से मेरा लंड 3-4 इंच तक उसकी गांड में घुसता चला गया.
सलोनी भाभी- हाय अम्मा, मेरी गांड फट गई … बहुत दर्द हो रहा है … जल्दी से निकालो अपने लंड को बाहर … मुझे नहीं मरवानी गांड … आह.
मैं उसकी पीठ को सहलाने लगा और एक हाथ से उसकी कमर को टाइट पकड़े रखा ताकि उसके आगे पीछे होने की कोशिश में लंड बाहर ना निकल जाए.
थोड़ी देर तक मैंने लंड को ऐसे ही घुसेड़े रखा और पीठ सहलाना बंद कर दिया.
फिर दोनों हाथों से उसकी कमर पकड़ कर लंड को थोड़ा सा बाहर खींचा और वापस जोर से एक धक्का दे दिया.
इस बार उसकी गांड फटती चली गई और पूरा लंड अन्दर घुस गया.
मैं मज़बूती से उसकी गांड को दोनों हाथों से पकड़ कर अपने लंड पर खींचते
हुए चिपकाए रखे रहा, साथ ही मैं आगे को झुक कर उसकी पीठ पर किस करने लगा.
सलोनी भाभी अपनी आंखों में आँसू भर कर गाली बकने लगी- बहनचोद … मेरी
गांड फाड़ दी … निकाल ले अपना लौड़ा … भोसड़ी के आराम से नहीं पेल सकता था.
कमीने ने मेरी गांड फाड़ दी. आह मैंने पहले मेरी गांड नहीं मरवायी थी. आह …
बहुत दर्द हो रहा है.
वह गाली तो दे रही थी लेकिन अपनी गांड को हटा नहीं रही थी.
थोड़ी देर मैंने लंड को अन्दर ही घुसाए रखा और हल्के से आगे पीछे करने लगा.
कुछ देर बाद सलोनी भाभी भी शांत हो गई और उसको भी गांड मरवाने में मज़ा आने लगा.
वह हल्की हल्की ‘अहह अह्ह’ की सिसकारियां लेने लगी.
मैं भी उसकी पीठ से उठ कर दोनों हाथों से कमर को खींचते हुए धक्के लगाने लगा.
धकापेल करते हुए उसकी गांड की चुदाई से फिर से ठप ठप की आवाज़ रूम में गूंजने लगी.
उसकी बड़ी मटके जैसी गांड मेरे लंड को बहुत मजे दे रही थी.
जब मैं अपना लंड टोपे तक बाहर निकाल कर अन्दर तक पेलता, तो उसके दोनों
मुलायम चूतड़ों के बीच मेरा लंड दबते और रगड़ते हुए वापस उसके छेद में अन्दर
घुसता, तो कुछ अलग ही मज़ा आने लगता.
यह ऐसा मजा था कि इससे मेरे लंड की गर्मी और बढ़ने लगी.
मैं उसके बालों को पकड़ कर खींचते हुए जोर जोर से गांड चोद रहा था.
कुछ 6-7 मिनट में सलोनी की गांड मेरे लंड को लेकर चौड़ी हो गई और गांड का गोदाम बन गया था.
मुझ पर उसकी गांड की चुदाई से एक अलग ही नशा चढ़ गया था.
मैंने उसके बालों को छोड़ दिया और आगे झुक कर उसके हाथों को कोहनी से पकड़ कर पीछे खींचते हुए उसको उठा लिया.
पोर्न भाभी Xxx सलोनी अब घुटनों के बल थी, उसके दोनों हाथों की कोहनियों को मैंने सलोनी की पीठ के पीछे पकड़ कर रखा था.
इस वजह से उसका पेट बाहर की ओर आया और गांड एकदम उठ गई.
उसके दोनों चूतड़ आपस में चिपक गए थे जिससे उसकी गांड और टाइट हो गई.
मैंने अपने बदन को कुछ और टाइट किया और अपनी गांड को टाइट करके लंड को थोड़ा बाहर निकालते हुए उसकी गांड मारने लगा.
सलोनी की गांड मुझे पहले से भी ज़्यादा मज़ा देने लगी और मैं उत्तेजित
होकर अपनी स्पीड बढ़ाते हुए पूरा लंड बाहर खींच कर अन्दर पेलने लगा.
हर धक्के के साथ में मेरे गोटे उसकी चूत पर चमाट मारने लगे.
इससे सलोनी को भी बड़ा मजा आने लगा.
वह आह आह करने लगी और उस पर एक अलग ही नशा छा गया.
थोड़े टाइम के बाद सलोनी भाभी ऐसे लड़खड़ाने लगी, जैसे उसमें अभी कुछ ताकत ही नहीं बची हो.
पर मैंने उसको कसके पकड़ा हुआ था और अपनी फुल स्पीड से गांड मार रहा था.
रफ़्तार के साथ लंड को उसकी गांड की गहराई तक पेलने से ठप ठप ठप की आवाज़ कुछ और बढ़ गई थी.
साथ में उसके बड़े बड़े मुलायम गुब्बारे जैसी गांड पर चुदाई के झटके से एक लहर बनने लगी.
कुछ देर के बाद मैं भी झड़ने को आया और 4-5 टाइट झटकों के साथ उसकी गांड को कसके चिपकाते हुए चरम पर आ गया.
उसी वक्त मुझे लगा कि माल अब नहीं रुकेगा.
तो अपने लंड को और अन्दर डालने की कोशिश करते हुए मैंने पूरा माल भाभी की गांड के अन्दर ही गिरा दिया.
झड़ने के बाद मैं लंबी लबी सांसें लेने लगा.
मैंने सलोनी भाभी को ढीला छोड़ा और वह बेड पर वैसे ही गिर गई.
मैं भी उसकी गांड में लंड घुसाए हुए ही उसके ऊपर पड़ा रहा.
फिर एक बाजू हट कर हम दोनों वैसे ही बेड पर शिथिल अवस्था में पड़े रहे.
करीब 15 मिनट बाद हम दोनों उठे और उसने मुझे गले लगा लिया.
मैंने उसको सम्भाल कर उठाया और नंगा ही रसोई में चला गया.
उसने आराम से अपने कपड़े पहने और इतने में मैंने चाय बना ली.
हम दोनों ने चाय पी और थोड़ा नाश्ता किया.
मैंने टाइम देखा तो 2 घंटे निकल गए थे.
सलोनी भाभी- अब मुझे जाना पड़ेगा, नहीं तो घर पर शक हो जाएगा.
मैं- फिर कब आओगी … मेरे इस फ्लैट पर कोई नहीं आता. जब भी मन हो बेझिझक आ जाना.
सलोनी भाभी मुस्कुराती हुई- हां मेरे राजा, अब तुम्हारे लंड की आदत जो
लगी है. अब यहीं पर रंडी की तरह आकर चुद लिया करूंगी. अब तुम बाहर देखो कि
रास्ता साफ है तो मैं जाऊं!
मैंने बाहर देखा कि कोई है तो नहीं.
कोइ नहीं था तो सलोनी भाभी अपने पल्लू से मुँह को ढक कर चली गई.
उससे ठीक से चला नहीं जा रहा था; वह अपनी टांगों को फैला कर चल रही थी.
मैं समझ गया कि आज साली रांड की मस्त ठुकाई हुई है.