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Wednesday, 10 September 2025

भाई के दोस्तों ने रात भर चोदा

 

मैं आगे बढ़ने से पहले आपको अपने बारे में बता दूँ कि मैं एक 20 साल की खूबसूरत लड़की हूँ, जिसे देखकर कोई भी लड़का मुझे चोदे बिना नहीं रह सकता.

वैसे मैं हूँ भी चुदक्कड़ किस्म की लड़की.

मेरा साइज़ 32-28-34 का है.

ये कहानी 15 दिन पहले की है जब मैं शाम को अपने घर पर थी.
हमारा घर ज्यादा बड़ा नहीं है इसलिए आंगन खुला हुआ है.

शाम को जब मैं पेशाब करने के लिए आंगन में बैठी थी, तभी मेरे भाई का दोस्त आ गया और मुझे पेशाब करते देख लिया.

मैं जल्दी से खड़ी हुई तो मेरी सलवार नीचे गिर गई.
उसने मेरी पैंटी के दर्शन कर लिए.
मेरे देखने के बाद उसने तुरंत अपना मुँह घुमा लिया.

मैंने जल्दी से सलवार उठाई और भागकर कमरे में चली गई.
थोड़ी देर बाद जब मैं बाहर आई, तो उसने मेरे भाई का नाम लेते हुए मुझसे पूछा- राजेश कहां है?

मैंने बताया- वह मार्केट गया है.
फिर वह चला गया.

थोड़ी देर बाद भाई आया, मुझे सामान दिया और कुछ देर बैठकर वह भी बाहर चला गया.

रात को भाई के दोस्त की शादी थी, तो उसे भी जाना था.

उसका कॉल आया- मेरे कपड़े प्रेस कर दो, मुझे थोड़ी देर में शादी में जाना है.

कुछ समय बाद वह आया, नहाकर कपड़े पहने और चला गया.

मम्मी-पापा भी मामा के घर जा रहे थे क्योंकि मामा जी की छोटी बेटी की मृत्यु हो गई थी, इसलिए उन्हें जाना पड़ रहा था.

मम्मी ने कहा- रात को भाई आ जाएगा!
यह कह कर वे दोनों चले गए.

मैं घर पर अकेली रह गई.
मेरी चुदास जाग गई और मैं ओनी चुत का बंदोबस्त करने में लग गई.

मैं अपने कमरे में अन्तर्वासना साइट खोल कर पढ़ने लगी.
तब तक रात के 8 बज चुके थे और मैं घर पर अकेली थी.

तभी भाई के दो दोस्त शशांक और हरप्रीत घर पर आए.
दोनों ही काफी हट्टे-कट्टे और हैंडसम थे. शशांक की उम्र 27 थी और हरप्रीत की 30 की थी.
उन्होंने घंटी बजाई.

मैंने गेट खोला, तो दोनों बाहर खड़े थे. उन्हें सामने देख कर मेरी चुत की सीटी बज गई.

उन्होंने पूछा- भाई कहां है?
मैंने इठलाते कहा- वह तो दोस्त की शादी में गया है, आप लोग नहीं गए?

उन्होंने जवाब दिया- उसने कहा था कि सब साथ चलेंगे, मगर वह अकेला चला गया.

शशांक गुस्से में बोला- आने दो, आज उससे पक्का लड़ाई होगी.
मैंने मुस्कुरा कर कहा- अरे क्यों लड़ोगे? कोई बात नहीं … मेरे भाई से गलती हो गई होगी. अभी ज्यादा समय नहीं हुआ, आप दोनों भी शादी में जा सकते हो.
शशांक बोला- अब क्या फायदा, वह तो चला गया.

मैंने कहा- आप लोग भाई का इंतजार कर सकते हैं, अन्दर आकर बैठिए.

वे दोनों अन्दर आ गए.

मैंने चाय बनाई और उन्हें दी.

चाय खत्म होने के बाद हम इधर-उधर की बातें करने लगे.

शशांक फिर बोला- आज पक्का पीटूँगा उसको, आने तो दो.
मैंने कहा- अरे अरे लड़ाई क्यों करोगे?

तभी शशांक ने बाथरूम का पूछा.
मैंने उसे बताया.

शशांक बाथरूम में गया, जहां मेरी पैंटी और ब्रा सूख रही थीं.
उसने मेरी पैंटी उठाकर अपने लंड पर रगड़नी शुरू कर दी और फिर उसे पहन कर बाहर आ गया.

कुछ देर बात करने के बाद मैंने कहा- मैं अभी आती हूँ, तब तक आप भाई का इंतज़ार कीजिए.
जब मैं बाथरूम गई, तो देखा कि मेरी पैंटी गायब थी.

मैंने इधर-उधर देखा, लेकिन वह नहीं मिली.
मुझे थोड़ा गुस्सा आया. मैं बाहर हॉल में आई, तो शशांक मुझसे नज़रें नहीं मिला रहा था.

तभी हरप्रीत बोला- इसके भाई को आने में देर लगेगी, तब तक क्या करें?
मैंने कहा- वेट करो भाई जरूर आ जाएगा!
तो वे दोनों बैठ गए.

कुछ ही देर के बाद भाई का कॉल आया कि वह सुबह तक आएगा.
अब मेरी मौज हो गई थी.
मैं मुस्कुरा दी.

मेरी मुस्कान देख कर शायद शशांक ने समझ लिया था कि लौंडिया मचल रही है.
उसने मुझसे पूछा कि आपका कोई दोस्त है?

तो मैंने होंठ गोल करते हुए कहा कि हाँ है.
तो उसने बोला कि फिर तो आपने सब कुछ किया होगा!

मैंने पूछा- सब कुछ किया होगा … इसका क्या मतलब?

हालांकि मैं समझ गई थी कि यह किस बारे में पूछ रहा है. फिर भी मैंने जानबूझ कर उससे सवाल किया था.

तो हरप्रीत ने अपने मोबाइल पर एक ब्लू फिल्म चलाई और बोला- देखो ये क्या है?
तो मैंने उसके मोबाइल की तरफ देखा और शर्मा गई.

वह बोला- तुमने यह सब किया है न!
मैंने शर्माते हुए ही हां में सर हिला दिया.

शशांक बोला कि आपके भाई नहीं आते तब तक क्या हम दोनों आपके साथ ये सब कर सकते हैं?

अब मैं तो उन दोनों को पसंद करती ही थी और आज घर में कोई था भी नहीं, तो मेरा मूड बनने लगा था.

ऊपर से शशांक ने मेरी पैंटी उठा ली थी तो मैं समझ गई थी कि आज ये दोनों मेरी चुत का भोसड़ा बनाने के मूड में हैं.

तभी शशांक ने कहा- यदि तुम ना करना चाहो तब भी कोई बात नहीं है.

यह सुनकर मेरे मुँह से तुरंत निकल गया कि अरे वह बात नहीं है … वह तो मैं बस सोच रही थी कि …

मेरी बात पूरी होने से पहले ही हरप्रीत उठा और उसने मेरे दोनों दूध पकड़ लिए और दबाने लगा.
मैं आह आह करने लगी.

तब तक शशांक भी उठा और उसने मुझे पीछे से पकड़ लिया.
वह बोला- हम तेरे भाई से लड़ाई करने आए थे क्योंकि वह अकेला चला गया. मगर अब नहीं करेंगे बस अब तुम हम दोनों को आज की रात पूरा मजा दे दो प्लीज!

पहले तो मना किया, फिर मैं तैयार हो गई.
मैंने कहा- इधर कुछ नहीं … अन्दर कमरे में चलते हैं.

मैं अपने रूम में चली गई और मेरे पीछे वे दोनों भी आ गए.

शशांक ने मुझे बिस्तर पर धक्का दे दिया और वे दोनों भी बिस्तर पर मेरे आजू बाजू में लेट गए.

उन दोनों लोगों ने मुझे पकड़ लिया और किस करने लगे.
मैं भी उनके साथ चूमा चाटी में मजा लेने लगी.

तभी शशांक ने मुझसे कहा कि अब जल्दी से तुम खुद से नंगी हो जाओ. नहीं तो हम करेंगे तो तुम्हें दिक्कत होगी और हम तुम्हारे कपड़े भी फाड़ देंगे.

मैंने कुछ नहीं कहा और जल्दी से खुद नंगी हो गई.

अब हरप्रीत ने मुझे चित लिटाया और वह मेरी छोटी सी चुत को चाटने लगा.

शशांक मेरे एक दूध को चूसने लगा और दूसरे दूध को मसलते हुए भँभोड़ने लगा.
वे दोनों मुझे शिकारी कुत्तों की तरह चाट रहे थे.

कुछ देर बाद मैंने कहा- अब यही सब करते रहोगे क्या?

यह सुनकर शशांक ने मुझे कुतिया बनाया और अपना लंड मेरी चुत में डाल दिया. उसका लंड बड़ा तगड़ा था तो घुसवाते समय मुझे हल्का सा दर्द हुआ और मैं कराह उठी- आह धीरे …
वह बिना कुछ सुने मेरी चुत बजाने लगा और तेज तेज धक्के मारने लगा.

तभी हरप्रीत मेरे सामने आ गया और मेरे मुँह में अपना लौड़ा पेल कर मुँह को चोदने लगा.

कुछ देर बाद उन्होंने पोजीशन बदली और शशांक मेरे मुँह में लंड पेलने लगा व हरप्रीत मेरी चुत फाड़ने लगा.

दस मिनट तक उन दोनों ने बारी बारी से मुझे चोदा.
उसके बाद शशांक ने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरी टांगों को ऊपर करके अपना लंड मेरे मम्मों पर रख कर रगड़ा.

फिर वह मेरी चुत को चाटने लगा.

मेरी तो जैसे हालत खराब होने लगी.
पर उन्होंने मेरी हालत को नजरअंदाज करते हुए मुझे वापस से चोदना चालू कर दिया.

शशांक के झड़ जाने के बाद हरप्रीत ने पेलना चालू कर दिया.

मेरी चुत में बहुत तेज जलन होने लगी थी मगर मुझे मजा भी बहुत आ रहा था.

हरप्रीत के झड़ जाने के बाद वे दोनों मेरे आजू बाजू लेट गए और मेरे मम्मों से खेलने लगे.

हरप्रीत बोला- गांड मरवाई है तुमने अपने यार से?
मैंने हंस कर कहा कि हां एक बार उसने मेरी पीछे से भी ली थी.

यह सुनते ही वे दोनों एक साथ बोले कि अब आज तुमको डबल पेनिट्रेशन का मजा मिलेगा.
मैंने डबल पेनिट्रेशन के बारे में सुना तो था, पर समझती नहीं थी कि यह क्या होता है.

करीब आधा घंटा के बाद हम तीनों फिर से चुदाई के लिए रेडी हो गए.

अबकी बार शशांक ने मुझे अपने लौड़े की सवारी करने को कहा.
मैं उसके लंड को अपनी चुत में हजम कर गई और मजे से चुदवाने लगी.

कुछ देर बाद शशांक ने मुझे अपने सीने से चिपका लिया और मेरे होंठ चूसने लगा.

मैं मस्त होने लगी और चुदाई का मजा लेने लगी.
तभी हरप्रीत ने मेरे पीछे वाले छेद में अपना लंड रगड़ना चालू कर दिया.

उस वक्त मैं चुदाई की मस्ती में थी तो कुछ समझ ही न पाई.

तभी हरप्रीत ने मेरी गांड में अपना मूसल ठांस दिया और मेरी चीख निकलने को हुई मगर मेरे मुँह को शशांक ने बंद किया हुआ था तो मैं कुछ कह ही न पाई.
मैं उसकी बांहों में इतनी ताकत से जकड़ी हुई थी कि टस से मस भी नहीं हो पा रही थी.

मुझे बेहद दर्द हो रहा था लेकिन मैं मजबूर कबूतरी सी मसली जा रही थी.

कुछ देर बाद उन दोनों ने मुझे एक साथ रगड़ना चालू कर दिया.
चुत को तो मजा आ रहा था लेकिन गांड में बेहद दर्द हो रहा था.

शायद एक मिनट ही हुआ होगा कि मुझे दर्द से निजात मिलने लगी और मजा आने लगा.
अब चुदाई की मस्ती अपने शबाब पर आ गई थी.

उन दोनों ने छेद बदल बदल कर मुझे खूब पेला और मेरे दोनों छेद अपने रस से भर दिए.

इस तरह से उन्होंने मुझे सुबह 4 बजे तक चोदा.

उस रात मैं दोनों से 2-2 बार अकेली अकेली में चुदी और दो बार डबल पेनीट्रेशन के मोड में सैंडविच बन कर चुदी.

चुदाई के बाद हम सब थक कर चूर हो गए थे तो सो गए.

सुबह जब मेरी आंख खुली तो वे दोनों रेडी हो रहे थे.

मुझे नंगी देख कर शशांक बोला कि तू रंडी तो बहुत मस्त है. आज तुझको और चोदने का मूड है मगर तेरा भाई आने वाला होगा इसलिए जाना पड़ रहा है वरना एक बार तो और चोद ही लेता.

मैं हंस कर बोली कि आप लोग कितने बेकार हो … आपने अपने दोस्त की छोटी बहन को ही अपने लौड़े के नीचे ले लिया. अगर आपकी बहन होती तो क्या इसी तरह उसको भी चोदते?
तो वे दोनों हंसने लगे और मेरी चूची को हॉर्न के जैसे दबा कर चले गए.

सुबह मेरा भाई आया.
तब मैं सो रही थी.

मेरे घर की एक चाबी भाई के पास भी रहती है क्यों कि अक्सर वह रात को अकेला आता है.

सुबह जब भैया कमरे में आया और मुझे सोती देख कर वह अपने कमरे में जाने लगा.
मैं भी जाग गई थी मगर कुछ न बोलती हुई चुपचाप लेटी रही.

भाई जब कमरे से बाहर जा रहा था, तो उसकी नजर गेट के पीछे पड़ी.
वहां पर मेरी ब्रा और पैंटी पड़ी थी.

भाई ने देखा और मुझे वापस देखा, आकर मेरे पास बैठ गया और मुझे देखने लगा.

तभी मैंने नींद खुलने का नाटक किया और जैसे ही अपना चादर हटाया तो भाई मुझे देखते ही रह गया.
मैं बिल्कुल नंगी पड़ी थी.

वहीं साइड में भाई ने कंडोम भी देख लिए तो उसने मुझसे पूछा- ये कौन लाया था!
मैंने चादर अपने ऊपर खींचा और भईया को सब बता दिया कि आपके दोस्तों ने मुझे पूरी रात सोने नहीं दिया.

यह कह कर मैं लंड क्रेजी बेब सेक्स की चाहत में अपने भाई से चिपकने लगी.
भाई ने मेरे जिस्म पर अपना हाथ फेरते हुए कहा- कोई बात नहीं तुम शांत हो जाओ. मैं इसका हिसाब उन दोनों से जरूर लूंगा.

तो मैंने पूछा- आप क्या करोगे?
तो भाई ने कहा कि मैं उन दोनों की मां बहन चोद दूंगा.

मैं अपने भाई के मुँह से यह सब सुनकर दंग रह गई कि मेरा भाई भी वही करेगा जो उन्होंने मेरे साथ किया. वे भी तो एक लड़की और औरत ही हैं.

फिर मैंने भाई से कहा- क्या आपको मैं अच्छी नहीं लगती, जो आप उनकी बहन चोदोगे?

यह सुनकर मेरा भाई मुझसे चिपक गया और मुझे चूमने लगा.
मैं खुश हो गई कि मेरा भाई भी आज मुझे चोद कर खुश कर देगा

मुंबई की लड़की को होटल में पेला

 

दोस्तो, मेरा नाम किशोर है और मैं 20 साल का हूँ. मैं लातूर, महाराष्ट्र में रहता हूँ.
यह यंग वर्जिन सेक्स कहानी एक 18 साल की वर्जिन लड़की के पहले संभोग की है.

दरअसल हुआ यूँ था कि मैंने फेसबुक पर एक लड़की को अपनी मित्रता सूची में ऐड किया था.
जल्द ही हमारी चैटिंग शुरू हो गई और देखते ही देखते ऐसा लगा जैसे मैं उसे सालों से जानता हूँ.

एक दिन जब मैं चैटिंग खत्म करके सोने वाला था तो सोते-सोते मैंने अपना नंबर उसे सेंड कर दिया और सो गया.
अगले दिन मुझे एक अनजान नंबर से कॉल आई.

मैंने कॉल उठाया तो उसने बताया कि वह जयश्री बोल रही है.
मैं समझ गया और मैंने उससे कहा- मैं थोड़ी देर में कॉल करता हूँ.

थोड़ी देर बाद जब मैंने कॉल किया, तो हमारी बात हुई.
बातों-बातों में पता चला कि दो दिन बाद उसका जन्मदिन है और उसकी यह इच्छा थी कि वह मेरे हाथों में हाथ डालकर समंदर किनारे घूमे.

जयश्री मुंबई में रहती थी और मैं लातूर में था.

अब मैं उलझन में पड़ गया क्योंकि मैं उससे काफी दूर था और मेरी फैमिली नहीं चाहती थी कि मैं बिना बताए इतने लंबे सफर पर निकल जाऊं.

फिर भी मैंने जैसे-तैसे प्लान बनाया और अपने घर वालों को जरूरी काम से मुंबई जाने की बात कही.
पिता जी ने अनुमति दे दी.

मैं मुंबई जाने के लिए रेलवे स्टेशन निकल गया और उधर से मुंबई जाने वाली ट्रेन में बैठ कर मैंने उसे बताया कि मैं तुम्हारी इच्छा पूरी करने आ रहा हूँ.

जब मैं उससे मिलने पहुंचा तो एक गार्डन में उससे मुलाकात हुई.

मैंने उसके लिए एक गिफ्ट लिया था, जो मैंने उसे दिया.
वह बहुत खुश हो गई.

मैंने कहा- चलो अब कहीं घूमने चलते हैं.

मैं उसे हाजी अली ले गया लेकिन वहां समंदर का पानी ज्यादा होने की वजह से हमें अन्दर जाने से मना कर दिया गया.

फिर हम जैसे-तैसे रास्ते से चलते हुए बस स्टॉप की तरफ जा रहे थे.

रास्ते में प्यास लगने पर हमने नींबू पानी पिया और एक-दूसरे के हाथों में हाथ डाले चलते रहे.
हम एक-दूसरे की बातों में इतने खो गए थे कि पता ही नहीं चला कब बस स्टॉप पीछे छूट गया.

आखिरकार मैं अगले बस स्टॉप पर रुका और हम दोनों उधर से बस में चढ़कर बांद्रा पहुंच गए.
वहां से हमें बैंडस्टैंड जाना था.

वहां पहुंच कर हमने कुछ स्नैक्स खाए और कोल्ड ड्रिंक की बोतल लेकर बीच पर बैठ गए.

अब मैं जयश्री के बारे में थोड़ा बता दूँ. वह बहुत खूबसूरत थी.

मैंने तो सोचा भी नहीं था कि वह इतनी कयामत ढाने वाली होगी, हुस्न की रानी.
उसके बूब्स काफी भरे हुए और रसीले थे … और उसकी गांड ऐसी थी कि देखते ही मजा आ जाए.

कोई भी उसे देखकर चोदने के बारे में सोचने लगेगा.
उसकी चूचियां तकरीबन 34 इंच की, कमर 30 की और गांड 36 की रही होगी.

आप खुद सोच सकते हैं, वह कैसी दिखती होगी.

हम दोनों ने कोल्ड ड्रिंक पी ली थी.
हमारे सामने एक कपल बैठा था जो एक-दूसरे को किस करते हुए रोमांस कर रहा था.

मैंने जयश्री से कहा- अगर मैं तुम्हें किस करूँ, तो क्या तुम मुझे थप्पड़ मारोगी?
पहले तो उसने कुछ नहीं कहा.

मैंने फिर से उससे कहा तो वह मुस्कुरा दी और बोली- यह तो मेरे मूड पर डिपेंड करता है. तुम ट्राय करके क्यों नहीं देख लेते हो?

उसने यह कहा तो मैं समझ गया कि बंदी चूमने के लिए ही कह रही है.

बस मैंने उसे किस करना शुरू कर दिया और किस करते-करते उसे इतना गर्म कर दिया कि वह मेरे हाथों से अपनी चूचियों को भी दबवाने लगी और सिसकारियां लेने लगी.

अब वह बोली- चलो कहीं किसी होटल में चलते हैं.
मैंने मोबाइल में नजदीक का एक ओयो होटल देखा और कमरा बुक कर दिया.

जल्दी ही हम दोनों एक टैक्सी लेकर उस होटल के कमरे में पहुंच गए.
कमरे में आते ही हम दोनों एक दूसरे से चिपक गए और हमारा प्रेमालाप शुरू हो गया.

मैं उसके दोनों बूब्स को अपने दोनों हाथों में भर कर अच्छे से दबाने लगा.
जब मुझे लगा कि वह पूरी तरह गर्म हो चुकी है तो मैंने उसका टॉप निकाल दिया और उसके बूब्स को दबा दबा कर चूसने लगा.

मुझे सचमुच बहुत मजा आ रहा था लेकिन डर भी लग रहा था कि वह वर्जिन है और पता नहीं आगे क्या होगा.

अब मैंने उसकी ब्रा निकाल दी.
क्या बूब्स थे उसके!

मैंने उसके एक निप्पल को जोर-जोर से काटना शुरू किया.

वह बहुत गर्म हो चुकी थी और कहने लगी- मुझे अपने लंड के दर्शन करा दो, अब और इंतजार नहीं होता.
मैंने कहा- खुद उतार कर देख लो, यह आज सिर्फ तुम्हारी सेवा के लिए उत्सुक है.

उसने धीरे से मेरी पैंट नीचे खींच दी और मेरे लंड को बाहर निकाल कर सीधे मुँह में ले लिया.
मैं तो सातवें आसमान पर पहुंच गया.
मैं बहुत उत्तेजित हो चुका था.

वह मेरे लंड को बहुत अच्छे से चूस रही थी.
एक सुंदर लड़की अगर लंड चूसे, तो मैं कितनी देर टिकने वाला था?

मेरे लंड ने उल्टी कर दी और उसने उसे चाट कर साफ कर दिया.

अब मेरी बारी थी.
मैंने उसकी पैंटी निकालने की इजाजत मांगी.

वह हंसती हुई शर्माने लगी और उसने अपना सर हिला कर मुझे इजाजत दे दी.

उसके पैंटी उतारने के बाद जो नजारा था, वह देखने लायक था.
उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था.

मैंने बिना देर किए उसे लिटा दिया और उसकी चुत को चाटना शुरू कर दिया.

मुझे पता चला कि वह सचमुच वर्जिन थी.
उसकी कामुक सिसकारियां मेरे जोश को और बढ़ा रही थीं.

मैं जीभ से उसके दाने को रगड़ रहा था और उसकी कुंवारी चूत में जीभ घुसाने की कोशिश कर रहा था.

वह मेरे सिर को अपनी चूत पर दबा रही थी.

अब वह पूरी तरह गर्म हो चुकी थी और मेरा लंड लेने को तैयार थी.

मैंने उसकी चूत पर लंड रखा और एक जोरदार धक्का मारा.
मेरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ अन्दर चला गया.

यंग वर्जिन सेक्स के कारण वह जोर-जोर से चीख रही थी, छटपटा रही थी और मुझे हटने को कह रही थी.
लेकिन मैं अब रुकने वाला नहीं था.

मैंने उसे किस किया और उसके बूब्स को चूसने लगा.
उसकी आंखों से आंसू निकल रहे थे लेकिन वह मीठे दर्द का आनन्द ले रही थी.

थोड़ी देर बाद जब वह नॉर्मल हो गई.
मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए और उसे अच्छे से चोदने लगा.

अब उसका दर्द खत्म हो गया था और उसे मजा आने लगा था.

वह मुझे किस करती हुई कहने लगी- और जोर से पेलो … आह और जोर से … और अन्दर तक करो!
मैंने कहा- पूरा तो अन्दर डाल दिया, अब और क्या डालूँ?

वह मेरे हर धक्के का जवाब अच्छे से दे रही थी.
फिर मैंने उसे डॉगी स्टाइल में पीछे से चोदना शुरू किया.

मैं उसके बूब्स को दबाते हुए उसे जोर-जोर से चोद रहा था.
तकरीबन 20 मिनट बाद मेरा होने वाला था तो मैंने उसके मुँह में लंड दे दिया.
उसने रस पी कर लंड को साफ कर दिया.

मैं उसे और एक बार चोदना चाहता था.
लेकिन उसने कहा- अभी बहुत दर्द हो रहा है … आज नहीं, फिर कभी कर लेना.

मैंने उसे प्यार से किस किया और कपड़े पहनाए.

उसने भी मुझे प्यार से किस किया और कहा- आज तुमने मुझे इतना प्यार दिया और मेरे इस जन्मदिन को यादगार बना दिया, जो मैं कभी नहीं भूलूँगी.
उसके बाद वह अपने घर चली गई और मैं वापस रेलवे स्टेशन आ गया.

तो दोस्तो, यह थी मेरी यंग वर्जिन सेक्स कहानी.
आपको कैसी लगी, प्लीज मुझे जरूर बताएं.

ऑनलाइन दोस्त को घर बुलाकर चुदाई का मजा लिया

 

मेरे कई पाठक मुझे मैसेज कर रहे थे कि सोनम तुम भी अपनी कोई नई कहानी भेजो … लेकिन मेरे साथ ऐसी कोई नई घटना नहीं हुई थी, जिसे मैं आप तक पहुंचा पाती.

फिर अचानक पिछले महीने मेरे साथ ऐसा कुछ हुआ, जिसे मैं आप सभी के साथ जरूर शेयर करना चाहती हूँ.

मेरी Xxx3 भाभी फक कहानी का मजा लें.

मैं पिछले कई सालों से अन्तर्वासना से जुड़ी हुई हूँ और इसके साथ-साथ मैं कई सोशल मीडिया साइट्स पर भी सक्रिय हूँ.
इस कारण मेरे बहुत सारे ऑनलाइन दोस्त भी बने हैं, जिनके साथ मैं मोबाइल पर चैटिंग करती रहती हूँ.

वैसे तो मैं उन सभी दोस्तों से मिलती नहीं हूँ और अभी तक केवल दो लोगों से ही मेरी मुलाकात हुई है.

सबसे पहले मैं किशन जी से मिली थी, जब मेरी शादी नहीं हुई थी.
उनके साथ मैंने दो दिनों तक होटल में खूब मजे किए थे.

शादी के बाद मेरी कभी किसी से मुलाकात नहीं हुई थी.
अभी पिछले महीने मेरी दूसरी मुलाकात राजेश जी के साथ हुई थी.

राजेश जी के बारे में मैं बता दूँ, उनसे मेरी दोस्ती करीब पाँच साल पुरानी है और हम दोनों लगभग रोज़ ही बात करते हैं.

अभी तक उनसे मेरा मिलना नहीं हुआ था क्योंकि शादी के बाद किसी से मिल पाना बेहद मुश्किल होता है.

फिर पिछले महीने मुझे ऐसा मौका मिला जिसके कारण मेरी और राजेश जी की मुलाकात हो पाई और मैं उनके साथ तीन दिनों तक रही.

दोस्तो, किसी नए मर्द के साथ चुदाई का मजा ही अलग होता है … और अगर वह मर्द चुदाई में मास्टर हो, तो मजा और भी बढ़ जाता है.

आगे मैं आपको बताऊंगी कि मैं और राजेश जी कैसे मिले और किस तरह से उन्होंने मेरी चुदाई की.

जो मेरे नए पाठक हैं, उन्हें मैं अपने बारे में बताना चाहती हूँ.

मेरा नाम सोनम वर्मा है, मेरी उम्र 31 साल है और अन्तर्वासना पर कहानियां भेजना मेरा शौक है.

मैं अपने फिगर के बारे में बता दूँ, मेरा फिगर साइज़ 36-32-38 है. रंग गोरा है और हाइट 5 फुट 4 इंच है.
जो लोग मुझसे काफी समय से जुड़े हुए हैं, उन्होंने मुझे मोबाइल पर देखा हुआ है इसलिए उन्हें ज्यादा कुछ बताने की जरूरत नहीं है.

आज आप सभी को मैं अपनी खुद की चुदाई की कहानी बताने जा रही हूँ और कहानी में जो कुछ भी बताऊंगी, वे सभी बातें सच्ची होंगी.

मैं और राजेश जी कई सालों से ऑनलाइन दोस्त हैं और उनसे बात करना मेरा रोज़ का काम है.
जब भी हम दोनों को समय मिलता है, हम एक-दूसरे को मैसेज करते रहते हैं.

रात में भी जब मेरे पति सो जाते हैं, हम दोनों मोबाइल पर चैटिंग करते हैं.

मोबाइल पर चैटिंग के दौरान हम दोनों ने बहुत-सी चुदाई की बातें की हैं और एक-दूसरे के अंगों को गर्म किया है.
उनसे मेरी कभी मुलाकात नहीं हुई थी क्योंकि ऐसा कोई मौका ही नहीं मिला था.

पिछले महीने हमें एक अच्छा मौका मिल गया और आखिरकार हम दोनों की मुलाकात हो गई.
वैसे भी बहुत समय से मेरा किसी नए मर्द के साथ चुदाई का मज़ा लेने का मन कर रहा था.

पिछले महीने मेरे पति को अपनी ट्रेनिंग के लिए चार दिन के लिए बाहर जाना था.
उस दौरान घर पर सिर्फ़ मैं और मेरी सास को रहना था.

लेकिन अचानक मेरी सास का भी एक पारिवारिक कार्यक्रम के लिए बाहर जाने का प्रोग्राम बन गया.
अब घर पर केवल मैं ही रहने वाली थी.

वैसे तो मैं पहले भी कई बार घर पर अकेली रह चुकी हूँ, लेकिन तब सिर्फ़ एक-दो दिन के लिए.
इस बार मुझे चार दिन तक अकेले रहने का मौका मिल गया था.

पति के बाहर जाने से एक हफ्ते पहले एक दिन मेरी और राजेश जी की चैटिंग हो रही थी.
मैंने उन्हें इस बारे में बताया.

मेरी बात सुनकर राजेश जी ने तुरंत मुझसे मिलने की इच्छा जाहिर की.
उन्होंने कहा- इस सुनहरे अवसर पर मिलना तो बनता है!

मैंने भी उन्हें निराश न करते हुए तुरंत हां कह दी- हां, ज़रूर!

फिर 7 मई 2023 को मेरे पति को जाना था.
उसके एक दिन पहले ही मेरी सास अपने कार्यक्रम के लिए चली गई थीं.

उस दिन सुबह 8 बजे मेरे पति की फ्लाइट थी और शाम 6 बजे राजेश जी की ट्रेन यहां पहुंचने वाली थी.

राजेश जी के बारे में बताऊं तो वे 48 साल के हैं और मुझसे 17 साल बड़े हैं.
लेकिन इतने सालों की दोस्ती और उनकी शानदार पर्सनैलिटी के कारण वह मुझे बहुत पसंद हैं.

हम दोनों के बीच चैटिंग में सब कुछ हो चुका है.
हमने एक-दूसरे को नंगे बदन भी देखा हुआ है.

उस दिन 7 मई को सुबह 6 बजे मेरे पति घर से चले गए और मैं घर पर अकेली रह गई.

घर का काम खत्म करने के बाद दोपहर को मैं पास के ब्यूटी पार्लर गई.
वहां मैंने पूरा बॉडी वैक्स करवाया.

अपने दोनों गुप्तांगों के साथ-साथ हाथ, पैर, जांघ … हर जगह के बालों की सफाई करवाई.
चेहरे पर फेशियल करवाने के बाद दोपहर 2 बजे मैं घर वापस आ गई.

नहाने के बाद मैंने उस दिन नई ब्रा और पैंटी पहनी.
रात में पहनने के लिए मैंने एक सेक्सी लुक वाली गाउन निकालकर अलग रख ली.

शाम 5 बजे मैं तैयार होकर अपने घर से रेलवे स्टेशन के लिए निकल गई.
स्टेशन पहुंचने के बाद मैंने अपनी कार पार्किंग में लगाई और कार के अन्दर ही बैठी रही.

मैं लगातार फोन पर राजेश जी के संपर्क में थी.
ट्रेन साढ़े छह बजे आ गई और मेरे दिल की धड़कन तेज़ रफ्तार से चलने लगी.

मुझे उस वक्त अन्दर से बहुत अजीब-सी बेचैनी हो रही थी.
मैं पहली बार राजेश जी से मिलने वाली थी.

अभी तक तो बस मोबाइल पर ही उनसे बातें होती थीं और मोबाइल पर ही उन्हें देखा था.

मैंने अपनी कार का नंबर राजेश जी को बता दिया था.
जल्द ही राजेश जी मेरी कार तक पहुंच गए.

‘हाय’ हम दोनों ने एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराते हुए कहा.
फिर राजेश जी कार में बैठ गए और हम लोग चल दिए.

रास्ते में मैंने होटल से रात का खाना पैक करवा लिया.
करीब 8 बजे हम लोग घर पहुंच गए.

घर पहुंचने के बाद मैंने सारे दरवाजे और खिड़कियां बंद कर दीं.

उस दिन बहुत गर्मी थी इसलिए मैंने पहले ही घर के सभी एयरकंडीशनर चालू कर दिए थे.

लंबे सफर के बाद राजेश जी नहाने चले गए और मैंने खाना टेबल पर लगाना शुरू कर दिया.

राजेश जी के आने से पहले मैंने भी कपड़े बदल लिए और वही गाउन पहन लिया जो मैंने सुबह अलग निकाल रखा था.

लाल रंग की ब्रा-पैंटी और क्रीम रंग का गाउन.

गाउन ऐसा था कि अन्दर की ब्रा-पैंटी साफ झलक रही थी और साथ ही मेरा गोरा बदन भी आसानी से नजर आ रहा था.

राजेश जी के आने के बाद हम दोनों ने खाना शुरू किया.
हम आमने-सामने बैठे थे और राजेश जी की नजर बार-बार मेरे तने हुए मम्मों की ओर जा रही थी.

हालांकि उन्होंने मुझे मोबाइल पर कई बार नंगी देखा था लेकिन आमने-सामने की बात ही अलग होती है.

खाना खाने के बाद हम सोफे पर बैठकर देर तक बातें करते रहे.

हम दोनों सामान्य दोस्तों की तरह बात कर रहे थे जबकि रोज़ मोबाइल पर हम केवल चुदाई की बातें ही करते थे.
लगभग एक घंटे तक बातें करने के बाद राजेश जी ने कहा- सोनम, मैं तुम्हारे लिए कुछ लाया हूँ.

उन्होंने अपना बैग खोला और उसमें से एक साड़ी और एक पैकेट निकाला.

साड़ी बेहद खूबसूरत थी.

फिर उन्होंने वह पैकेट मुझे दिया.

मैंने उसे खोला.
उसमें एक महंगी शराब की बोतल थी.
मैंने पहले ही राजेश जी से शराब पीने की इच्छा जाहिर की थी और इसलिए वे मेरे लिए यह बोतल लाए थे.

उस दिन से पहले मैंने केवल कॉलेज के दिनों में एक बार बियर पी थी.

शराब को वही रखने के बाद मैं अन्दर गई और दो ग्लास, बर्फ और खाने के लिए काजू ले आई.

इसके बाद राजेश जी अपने हाथों से शराब के पैग बनाने लगे.
पहला घूँट पीते ही शराब बहुत स्मूथ लगी और मुझे पीने में कोई दिक्कत नहीं हुई.

जल्द ही हम दोनों ने दो-दो पैग पी लिए और हमें न/शा होने लगा.
राजेश जी नहीं चाहते थे कि हम दोनों को ज्यादा न/शा चढ़े क्योंकि इससे आगे का प्रोग्राम बिगड़ सकता था.

फिर उन्होंने तीसरा और आखिरी पैग तैयार किया और मुझसे कहा- सोनम, अब ये ग्लास मैं अपने हाथों से तुम्हें पिलाना चाहता हूँ.
मैं भी खुलकर बोली- बिल्कुल, बताइए कैसे पिलाएंगे.

उन्होंने इशारा किया और मुझे अपनी जांघ पर बैठने को कहा.
मैं उठी और उनकी जांघ पर जा बैठी.

उन्होंने एक हाथ मेरी कमर में डाला और दूसरे हाथ से मुझे शराब पिलाने लगे.
धीरे-धीरे मैंने सारा ग्लास ख़त्म कर दिया.

फिर मैं अपने हाथों से राजेश जी को शराब पिलाने लगी.
उन्होंने भी जल्द ही अपना ग्लास ख़त्म कर दिया.

मैं उनकी जांघ पर ही बैठी थी और राजेश जी का हाथ मेरे घुटनों पर आ गया था.
वे मेरी सुंदरता की तारीफ करते हुए अपना हाथ मेरे घुटनों पर चला रहे थे.

जल्द ही उन्होंने गाउन को घुटनों के ऊपर तक उठा लिया और मेरी जांघों को सहलाने लगे.
उनके कठोर हाथों के स्पर्श से मेरे अन्दर दोगुना न/शा छाने लगा.

जल्द ही राजेश जी ने मुझे अपनी गोद में लिटा लिया और झुककर मेरे गालों को चूमने लगे.

देखते ही देखते उन्होंने मेरे होंठों को अपने होंठों में ले लिया और हम दोनों एक-दूसरे के होंठ चूमने लगे.

राजेश जी मेरे होंठ चूम रहे थे और साथ ही मेरे गाउन को मेरे जिस्म से अलग भी कर रहे थे.

हम दोनों के अन्दर जोश बढ़ता जा रहा था.
जल्द ही उन्होंने मेरी ब्रा उतारकर मेरे दोनों मम्मों को आज़ाद कर दिया.

मेरे तने हुए चूचों को देखकर राजेश जी खुद को रोक न सके और मेरे मम्मों पर टूट पड़े.

वह बारी-बारी से मेरे निप्पलों को चूसने लगे और दोनों हाथों से मेरे दूध को मसलने लगे.

‘सीई … सीई … आआह … आआह’ की आवाज़ों के साथ मैं उनके सिर को अपने दूध में दबाने लगी.
मैं उनकी ज़ुल्फ़ों पर अपनी उंगलियां फेरने लगी.

फिर उन्होंने मुझे उठाकर बिस्तर पर बिठा दिया और झुककर मेरे दूध को चूसने लगे.

एक हाथ से मेरी पीठ सहलाते हुए मुझे अपनी ओर दबाए जा रहे थे.

मैं भी पूरी तरह जोश से भर चुकी थी. उनकी पीठ को सहलाती हुई मैं ‘आआह … आआह … ऊऊऊऊ… ऊऊऊऊ’ की सिसकारियां ले रही थी.

इधर मेरी चूत से पानी की धार बह रही थी और उधर राजेश जी मेरे दूध को छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहे थे.
जल्द ही उन्होंने मुझे फिर से लिटा दिया और मेरे पेट और नाभि को चूमते हुए नीचे की ओर बढ़ने लगे.

वह मेरी चूत तक जा पहुंचे और पैंटी के ऊपर से ही मेरी चूत पर अपने दांत चलाने लगे.

उनके हर दांव से साफ़ पता चल रहा था कि वे चुदाई के माहिर खिलाड़ी हैं.
फिर भी, उनके अन्दर मुझे चोदने की उत्सुकता साफ़-साफ़ दिख रही थी.

उन्होंने जल्द ही मेरी पैंटी उतार दी और मुझे पूरी तरह नंगी कर दिया.
मेरे दोनों पैरों को फैलाते हुए वह मेरी चूत पर झुक गए और अपनी जीभ मेरी चूत पर चलाने लगे.

वह अपनी उंगली से मेरी चूत को फैलाकर अन्दर तक चाट रहे थे.
मेरी हालत खराब होने लगी और मेरी कमर अपने आप ऊपर-नीचे होने लगी.

मेरे चूतड़ हवा में उठ गए और मैं उस वक़्त असीम सुख का आनन्द ले रही थी.
उस पल बस यही लग रहा था कि वह ऐसे ही मेरी चूत चाटते रहें.

जल्द ही उन्होंने मेरी पूरी चूत को अपने मुँह में भर लिया और बुरी तरह चूसने लगे.
उस आनन्द को मैं ज़्यादा देर सह न सकी और उनके मुँह में ही झड़ने लगी.

उन्हें भी पता चल गया था कि मैं झड़ रही हूँ लेकिन उन्होंने फिर भी चूत चाटना जारी रखा और मेरी चूत का एक-एक बूंद पानी पीते चले गए.

झड़ने के बाद भी वे लगातार मेरी चूत चाट रहे थे.
जल्द ही मैं दोबारा गर्म हो गई थी.

उन्होंने मेरी दोनों जांघों को बुरी तरह जकड़ रखा था और बस लगातार चूत चाट रहे थे.

मैं ‘आआह … आआह … ऊऊईई … ऊऊईई … आऊच… आऊच… ऊऊफ़्फ़… ऊफ़्फ’ की सिसकारियां ले रही थी.

थोड़ी देर बाद वे मेरे ऊपर आकर लेट गए और मुझे पलट कर अपने ऊपर ले लिया.

अब मैं उनके ऊपर लेटी थी और उनके सीने को चूमते हुए नीचे की ओर बढ़ने लगी.

जल्द ही मैं उनके अंडरवियर तक जा पहुंची, जहां उनके लंड ने तंबू बना रखा था.

मैंने उनके अंडरवियर को नीचे खींच कर उनके लंड को बाहर निकाल लिया और उन्हें भी पूरी तरह नंगा कर दिया.
मैंने उनके लंड को अपनी हथेली में भर लिया और हल्के हाथों से हिलाने लगी.

उनका काला लंड 8 इंच से कम नहीं था और उसकी मोटाई भी मस्त थी.

मैंने हल्के से लंड का सुपाड़ा बाहर निकाला और उनके अंडकोष को चूमते हुए लंड पर अपने होंठ चलाने लगी.
जल्द ही मेरे होंठ सुपाड़े तक जा पहुंचे और मैं उनके सुपाड़े को चूमने लगी.

फिर मैंने उनके सुपाड़े को एक बार में ही अपने मुँह में डाल लिया और अपनी जीभ को सुपाड़े के चारों तरफ़ घुमाने लगी.

जल्द ही मैं अपने सिर को ऊपर-नीचे करती हुई उनके लंड को चूसने लगी.
मैं उनके लंड को पूरा अपने मुँह में भर रही थी, जो मेरे गले के नीचे तक जा रहा था.

काफ़ी देर तक मैं उनके लंड को चाट-चाटकर चूसती रही.
जब उनसे बर्दाश्त न हुआ तो उन्होंने मुझे रोक दिया.

अब वे मुझे चोदने के लिए बिल्कुल तैयार थे.
उन्होंने मुझे एक झटके में लिटा दिया और मेरे ऊपर आ गए.

उन्होंने मेरे दोनों हाथों को ऊपर उठाया और मेरे चिकने अंडरआर्म को चाटने लगे.
फिर उन्होंने मेरी टांगों को फैलाया और अपना सुपाड़ा मेरी चूत में लगा दिया.

उनका लंड मेरी चूत में घुसने के लिए बिल्कुल तैयार था.

वे मेरे कान में बोले- डाल दूँ जान?
मैं भी बड़ी मादकता भरी आवाज में बोली- बिल्कुल डाल दो!

‘कितना डालूँ?’
‘पूरा अन्दर तक डालो.’

‘फट जाएगी तुम्हारी.’
‘फट जाने दो आज.’

इसके बाद उन्होंने हल्का-सा धक्का दिया और लंड का सुपाड़ा अन्दर चला गया.
‘आआह मम्मीई.’

‘क्या हुआ? फट गई क्या?’
‘नहीं, मज़ा आया … और अन्दर डालो ना.’

इसके बाद उन्होंने एक ज़ोर का धक्का लगाया और अपना पूरा लंड चूत में उतार दिया.

‘सीईई … आआह …’

‘क्या हुआ?’
‘आआह, कुछ नहीं.’

‘कैसा है मेरा?’
‘बहुत मस्त है यार. सीईई ईईईई.’

इसके बाद उन्होंने मेरी पीठ को दोनों हाथों से जकड़ लिया और गप-गप-गप करते हुए धक्के मारने लगे.

‘आआह … आआह … आआह … ओओह … ऊऊईई मम्मीई … आआह … ओओह.’

‘मज़ा आ रहा है न तुम्हें?’
‘हां, बहुत मज़ा आ रहा है … और तेज़ करो … और तेज़ … आआह … आहाह.’

उन्होंने अपनी रफ़्तार तेज़ की और पूरा पलंग हिलने लगा.
थप-थप-थप की आवाज़ के साथ पूरा कमरा गूँजने लगा.

‘ऊऊईई माँ आआह … आआह … बहुत मज़ा आ रहा है आआह … ऐसे ही करते रहो आआह.’
‘आह ले आह.’
‘आई मम्मा ऊऊऊउ … ऊऊऊउ … आआह.’

फिर उन्होंने मेरी दोनों टांगों पर अपने हाथ फँसा लिए और मेरी दोनों टांगें हवा में उठाकर गपागप-गपागप, थप-थप-थप-थप की ज़ोरदार आवाज़ के साथ मेरी चुदाई शुरू कर दी.

उनका लंड मशीन की रफ़्तार से अन्दर-बाहर होने लगा.

वे मेरे गालों को लगातार चूम रहे थे और अपनी पूरी ताकत से मुझे चोद रहे थे.
उनकी पहलवानी ताकत वाले धक्कों से मेरा पूरा बदन हिल रहा था और मैं बड़ी मुश्किल से उनके इतने तेज़ धक्कों को झेल पा रही थी.

जल्द ही मेरा सब्र जवाब दे गया और मेरी चूत ने पानी फेंक दिया.
मेरी चूत पूरी तरह से पानी से भर गई और अब चूत से फच्च फच्च फच्च की आवाज़ आने लगी.

राजेश जी बुरी तरह से मुझे चोदे जा रहे थे और वे भी अपने आप को ज़्यादा देर रोक नहीं सके और झड़ गए.
उन्होंने अपना लंड बाहर निकाला और मेरे पेट पर ही हिलाने लगे.

जल्द ही उनके लंड से पिचकारी छूट पड़ी और उसकी पहली धार सीधे मेरे गाल पर आकर गिरी.

इसके बाद उन्होंने अपना पूरा गर्म-गर्म वीर्य मेरी नाभि के पास ही गिरा दिया.
मेरी गहरी नाभि पूरी तरह से उनके वीर्य से भर गई.

अपने लंड का एक-एक बूंद निकालने के बाद वह मेरे बगल में लेट गए.
उस वक्त हम दोनों का बदन पूरी तरह पसीने से भीग चुका था.

दोनों की सांसें बुरी तरह से चल रही थीं और मेरे दोनों दूध तेज़ी से ऊपर-नीचे हो रहे थे.

हम दोनों बिना कुछ बोले बस बिस्तर पर लेटे हुए थे और ऊपर की तरफ देख रहे थे.

आज बहुत दिनों बाद मेरी इतनी बुरी तरह से चुदाई हुई थी.

वैसे भी अच्छी चुदाई के लिए एक अनुभवी मर्द की ज़रूरत होती है, जिसके पास जोरदार ताकत भी हो.

राजेश जी के पास सभी चीज़ें थीं.
दमदार लंड, पहलवानों जैसा शरीर और बेजोड़ ताकत.

कुछ देर के बाद हम दोनों बाथरूम में आ गए.
मैं सुसू कर रही थी तो वे मुझे देखने लगे.

मैंने कहा- क्या देख रहे हैं?
वे- तुम्हें पेशाब करता हुआ देख रहा हूँ. वैसे मैं तो तुम्हारे पेशाब को पी सकता हूँ.

‘छि:ईईईई … गंदे आदमी!’
‘इसमें गंदा क्या है? तुम्हारी जैसी लड़की हर किसी को नहीं मिलती. इतने साल से बात कर रहा हूँ, लेकिन कभी सोचा नहीं था कि तुमको चोद पाऊंगा. जब तुमने मुझे आने के लिए कहा, तो मेरी तो किस्मत ही चमक गई.’

ये सब बात करते हुए राजेश जी भी खड़े-खड़े पेशाब करने लगे और फिर हम दोनों वापस बेडरूम में आ गए.

बिस्तर पर आते ही राजेश जी ने मुझे अपने सीने में लपेट लिया और हम दोनों नंगे बदन एक-दूसरे से लिपटे हुए बातें कर रहे थे.
राजेश जी लगातार मेरी गांड और मेरी पीठ को सहला रहे थे और मुझसे बातें कर रहे थे.

उनका लंड मेरी दोनों जांघों के बीच दबा हुआ था, जो धीरे-धीरे टाइट होता जा रहा था.

कुछ देर तक ऐसे ही हम दोनों बात करते रहे और फिर राजेश जी ने मुझे पलट दिया और मेरे ऊपर आ गए.
उन्होंने फिर से मेरे गालों को चूमते हुए मेरे होंठ चूमना शुरू कर दिया.

मैं भी उनका पूरा साथ दे रही थी और जल्द ही हम दोनों एक बार फिर से गर्म हो गए.

अब राजेश जी ने मुझे अपने ऊपर लिटा लिया और मैं उनके सीने को चूमते हुए उनके लंड तक जा पहुंची.

उनके लंड को हाथों से हिला-हिलाकर पूरी तरह से खड़ा करने के बाद मैं लंड को चूसने लगी और अब अपनी दोनों टांगें फैलाकर मैंने उनके लंड को चूत में लगा लिया.

मैं आहिस्ता-आहिस्ता लंड को चूत के अन्दर लेती हुई उस पर बैठ रही थी और जल्द ही उनका पूरा लंड मेरी चूत में समा गया.

अब मैंने अपने दोनों हाथों को राजेश जी के सीने पर टिका लिया और अपनी कमर को मटकाते हुए लंड को अन्दर-बाहर लेने लगी.
जल्द ही मैंने अपनी रफ्तार तेज कर ली और गपागप लंड को चूत में लेने लगी.

मैं उछल-उछलकर उनके लंड से चुद रही थी.
दस मिनट लगातार उछलने के बाद मैं थककर उनके सीने पर लेट गई और अब राजेश जी ने मेरी गांड को दोनों हाथों से पकड़ कर नीचे से धक्के लगाना शुरू कर दिया.

कुछ देर ऐसे ही चोदने के बाद राजेश जी ने मुझे घोड़ी बना दिया और मेरे पीछे आकर मेरी कमर को जकड़ कर मुझे बुरी तरह से चोदने लगे.
इसके बाद तो पोजीशन बदल-बदलकर हम दोनों चुदाई करते रहे.

कभी घोड़ी बनकर, कभी खड़े होकर, कभी वह मुझे गोद में उठाकर, कभी एक टांग उठाकर Xxx3 भाभी फक किया.

इस तरह से उस रात हमने तीन बार चुदाई का मज़ा लिया.

पहली रात की चुदाई के बाद अगले तीन दिन वह मेरे साथ रहे और हमने हर तरह से चुदाई का मज़ा लिया.
मुझे गांड चुदवाना ज्यादा पसंद नहीं है, लेकिन राजेश जी ने मेरी गांड को भी बुरी तरह से चोदा.

इसके बाद चौथे दिन राजेश जी वापस चले गए.
एक अच्छे मर्द और जानदार लंड से चुदाई का मज़ा ही अलग होता है.

ये मेरी अभी कुछ ही दिनों पहले की चुदाई थी और मैंने सोचा कि इस चुदाई को आप लोगों के साथ साझा करूं

Friday, 5 September 2025

ऑनलाइन दोस्त को घर बुलाकर चुदाई का मजा लिया

 

सबसे पहले मैं किशन जी से मिली थी, जब मेरी शादी नहीं हुई थी.
उनके साथ मैंने दो दिनों तक होटल में खूब मजे किए थे.

शादी के बाद मेरी कभी किसी से मुलाकात नहीं हुई थी.
अभी पिछले महीने मेरी दूसरी मुलाकात राजेश जी के साथ हुई थी.

राजेश जी के बारे में मैं बता दूँ, उनसे मेरी दोस्ती करीब पाँच साल पुरानी है और हम दोनों लगभग रोज़ ही बात करते हैं.

अभी तक उनसे मेरा मिलना नहीं हुआ था क्योंकि शादी के बाद किसी से मिल पाना बेहद मुश्किल होता है.

फिर पिछले महीने मुझे ऐसा मौका मिला जिसके कारण मेरी और राजेश जी की मुलाकात हो पाई और मैं उनके साथ तीन दिनों तक रही.

दोस्तो, किसी नए मर्द के साथ चुदाई का मजा ही अलग होता है … और अगर वह मर्द चुदाई में मास्टर हो, तो मजा और भी बढ़ जाता है.

आगे मैं आपको बताऊंगी कि मैं और राजेश जी कैसे मिले और किस तरह से उन्होंने मेरी चुदाई की.

जो मेरे नए पाठक हैं, उन्हें मैं अपने बारे में बताना चाहती हूँ.

मेरा नाम सोनम वर्मा है, मेरी उम्र 31 साल है और अन्तर्वासना पर कहानियां भेजना मेरा शौक है.

मैं अपने फिगर के बारे में बता दूँ, मेरा फिगर साइज़ 36-32-38 है. रंग गोरा है और हाइट 5 फुट 4 इंच है.
जो लोग मुझसे काफी समय से जुड़े हुए हैं, उन्होंने मुझे मोबाइल पर देखा हुआ है इसलिए उन्हें ज्यादा कुछ बताने की जरूरत नहीं है.

आज आप सभी को मैं अपनी खुद की चुदाई की कहानी बताने जा रही हूँ और कहानी में जो कुछ भी बताऊंगी, वे सभी बातें सच्ची होंगी.

मैं और राजेश जी कई सालों से ऑनलाइन दोस्त हैं और उनसे बात करना मेरा रोज़ का काम है.
जब भी हम दोनों को समय मिलता है, हम एक-दूसरे को मैसेज करते रहते हैं.

रात में भी जब मेरे पति सो जाते हैं, हम दोनों मोबाइल पर चैटिंग करते हैं.

मोबाइल पर चैटिंग के दौरान हम दोनों ने बहुत-सी चुदाई की बातें की हैं और एक-दूसरे के अंगों को गर्म किया है.
उनसे मेरी कभी मुलाकात नहीं हुई थी क्योंकि ऐसा कोई मौका ही नहीं मिला था.

पिछले महीने हमें एक अच्छा मौका मिल गया और आखिरकार हम दोनों की मुलाकात हो गई.
वैसे भी बहुत समय से मेरा किसी नए मर्द के साथ चुदाई का मज़ा लेने का मन कर रहा था.

पिछले महीने मेरे पति को अपनी ट्रेनिंग के लिए चार दिन के लिए बाहर जाना था.
उस दौरान घर पर सिर्फ़ मैं और मेरी सास को रहना था.

लेकिन अचानक मेरी सास का भी एक पारिवारिक कार्यक्रम के लिए बाहर जाने का प्रोग्राम बन गया.
अब घर पर केवल मैं ही रहने वाली थी.

वैसे तो मैं पहले भी कई बार घर पर अकेली रह चुकी हूँ, लेकिन तब सिर्फ़ एक-दो दिन के लिए.
इस बार मुझे चार दिन तक अकेले रहने का मौका मिल गया था.

पति के बाहर जाने से एक हफ्ते पहले एक दिन मेरी और राजेश जी की चैटिंग हो रही थी.
मैंने उन्हें इस बारे में बताया.

मेरी बात सुनकर राजेश जी ने तुरंत मुझसे मिलने की इच्छा जाहिर की.
उन्होंने कहा- इस सुनहरे अवसर पर मिलना तो बनता है!

मैंने भी उन्हें निराश न करते हुए तुरंत हां कह दी- हां, ज़रूर!

फिर 7 मई 2023 को मेरे पति को जाना था.
उसके एक दिन पहले ही मेरी सास अपने कार्यक्रम के लिए चली गई थीं.

उस दिन सुबह 8 बजे मेरे पति की फ्लाइट थी और शाम 6 बजे राजेश जी की ट्रेन यहां पहुंचने वाली थी.

राजेश जी के बारे में बताऊं तो वे 48 साल के हैं और मुझसे 17 साल बड़े हैं.
लेकिन इतने सालों की दोस्ती और उनकी शानदार पर्सनैलिटी के कारण वह मुझे बहुत पसंद हैं.

हम दोनों के बीच चैटिंग में सब कुछ हो चुका है.
हमने एक-दूसरे को नंगे बदन भी देखा हुआ है.

उस दिन 7 मई को सुबह 6 बजे मेरे पति घर से चले गए और मैं घर पर अकेली रह गई.

घर का काम खत्म करने के बाद दोपहर को मैं पास के ब्यूटी पार्लर गई.
वहां मैंने पूरा बॉडी वैक्स करवाया.

अपने दोनों गुप्तांगों के साथ-साथ हाथ, पैर, जांघ … हर जगह के बालों की सफाई करवाई.
चेहरे पर फेशियल करवाने के बाद दोपहर 2 बजे मैं घर वापस आ गई.

नहाने के बाद मैंने उस दिन नई ब्रा और पैंटी पहनी.
रात में पहनने के लिए मैंने एक सेक्सी लुक वाली गाउन निकालकर अलग रख ली.

शाम 5 बजे मैं तैयार होकर अपने घर से रेलवे स्टेशन के लिए निकल गई.
स्टेशन पहुंचने के बाद मैंने अपनी कार पार्किंग में लगाई और कार के अन्दर ही बैठी रही.

मैं लगातार फोन पर राजेश जी के संपर्क में थी.
ट्रेन साढ़े छह बजे आ गई और मेरे दिल की धड़कन तेज़ रफ्तार से चलने लगी.

मुझे उस वक्त अन्दर से बहुत अजीब-सी बेचैनी हो रही थी.
मैं पहली बार राजेश जी से मिलने वाली थी.

अभी तक तो बस मोबाइल पर ही उनसे बातें होती थीं और मोबाइल पर ही उन्हें देखा था.

मैंने अपनी कार का नंबर राजेश जी को बता दिया था.
जल्द ही राजेश जी मेरी कार तक पहुंच गए.

‘हाय’ हम दोनों ने एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराते हुए कहा.
फिर राजेश जी कार में बैठ गए और हम लोग चल दिए.

रास्ते में मैंने होटल से रात का खाना पैक करवा लिया.
करीब 8 बजे हम लोग घर पहुंच गए.

घर पहुंचने के बाद मैंने सारे दरवाजे और खिड़कियां बंद कर दीं.

उस दिन बहुत गर्मी थी इसलिए मैंने पहले ही घर के सभी एयरकंडीशनर चालू कर दिए थे.

लंबे सफर के बाद राजेश जी नहाने चले गए और मैंने खाना टेबल पर लगाना शुरू कर दिया.

राजेश जी के आने से पहले मैंने भी कपड़े बदल लिए और वही गाउन पहन लिया जो मैंने सुबह अलग निकाल रखा था.

लाल रंग की ब्रा-पैंटी और क्रीम रंग का गाउन.

गाउन ऐसा था कि अन्दर की ब्रा-पैंटी साफ झलक रही थी और साथ ही मेरा गोरा बदन भी आसानी से नजर आ रहा था.

राजेश जी के आने के बाद हम दोनों ने खाना शुरू किया.
हम आमने-सामने बैठे थे और राजेश जी की नजर बार-बार मेरे तने हुए मम्मों की ओर जा रही थी.

हालांकि उन्होंने मुझे मोबाइल पर कई बार नंगी देखा था लेकिन आमने-सामने की बात ही अलग होती है.

खाना खाने के बाद हम सोफे पर बैठकर देर तक बातें करते रहे.

हम दोनों सामान्य दोस्तों की तरह बात कर रहे थे जबकि रोज़ मोबाइल पर हम केवल चुदाई की बातें ही करते थे.
लगभग एक घंटे तक बातें करने के बाद राजेश जी ने कहा- सोनम, मैं तुम्हारे लिए कुछ लाया हूँ.

उन्होंने अपना बैग खोला और उसमें से एक साड़ी और एक पैकेट निकाला.

साड़ी बेहद खूबसूरत थी.

फिर उन्होंने वह पैकेट मुझे दिया.

मैंने उसे खोला.
उसमें एक महंगी शराब की बोतल थी.
मैंने पहले ही राजेश जी से शराब पीने की इच्छा जाहिर की थी और इसलिए वे मेरे लिए यह बोतल लाए थे.

उस दिन से पहले मैंने केवल कॉलेज के दिनों में एक बार बियर पी थी.

शराब को वही रखने के बाद मैं अन्दर गई और दो ग्लास, बर्फ और खाने के लिए काजू ले आई.

इसके बाद राजेश जी अपने हाथों से शराब के पैग बनाने लगे.
पहला घूँट पीते ही शराब बहुत स्मूथ लगी और मुझे पीने में कोई दिक्कत नहीं हुई.

जल्द ही हम दोनों ने दो-दो पैग पी लिए और हमें न/शा होने लगा.
राजेश जी नहीं चाहते थे कि हम दोनों को ज्यादा न/शा चढ़े क्योंकि इससे आगे का प्रोग्राम बिगड़ सकता था.

फिर उन्होंने तीसरा और आखिरी पैग तैयार किया और मुझसे कहा- सोनम, अब ये ग्लास मैं अपने हाथों से तुम्हें पिलाना चाहता हूँ.
मैं भी खुलकर बोली- बिल्कुल, बताइए कैसे पिलाएंगे.

उन्होंने इशारा किया और मुझे अपनी जांघ पर बैठने को कहा.
मैं उठी और उनकी जांघ पर जा बैठी.

उन्होंने एक हाथ मेरी कमर में डाला और दूसरे हाथ से मुझे शराब पिलाने लगे.
धीरे-धीरे मैंने सारा ग्लास ख़त्म कर दिया.

फिर मैं अपने हाथों से राजेश जी को शराब पिलाने लगी.
उन्होंने भी जल्द ही अपना ग्लास ख़त्म कर दिया.

मैं उनकी जांघ पर ही बैठी थी और राजेश जी का हाथ मेरे घुटनों पर आ गया था.
वे मेरी सुंदरता की तारीफ करते हुए अपना हाथ मेरे घुटनों पर चला रहे थे.

जल्द ही उन्होंने गाउन को घुटनों के ऊपर तक उठा लिया और मेरी जांघों को सहलाने लगे.
उनके कठोर हाथों के स्पर्श से मेरे अन्दर दोगुना न/शा छाने लगा.

जल्द ही राजेश जी ने मुझे अपनी गोद में लिटा लिया और झुककर मेरे गालों को चूमने लगे.

देखते ही देखते उन्होंने मेरे होंठों को अपने होंठों में ले लिया और हम दोनों एक-दूसरे के होंठ चूमने लगे.

राजेश जी मेरे होंठ चूम रहे थे और साथ ही मेरे गाउन को मेरे जिस्म से अलग भी कर रहे थे.

हम दोनों के अन्दर जोश बढ़ता जा रहा था.
जल्द ही उन्होंने मेरी ब्रा उतारकर मेरे दोनों मम्मों को आज़ाद कर दिया.

मेरे तने हुए चूचों को देखकर राजेश जी खुद को रोक न सके और मेरे मम्मों पर टूट पड़े.

वह बारी-बारी से मेरे निप्पलों को चूसने लगे और दोनों हाथों से मेरे दूध को मसलने लगे.

‘सीई … सीई … आआह … आआह’ की आवाज़ों के साथ मैं उनके सिर को अपने दूध में दबाने लगी.
मैं उनकी ज़ुल्फ़ों पर अपनी उंगलियां फेरने लगी.

फिर उन्होंने मुझे उठाकर बिस्तर पर बिठा दिया और झुककर मेरे दूध को चूसने लगे.

एक हाथ से मेरी पीठ सहलाते हुए मुझे अपनी ओर दबाए जा रहे थे.

मैं भी पूरी तरह जोश से भर चुकी थी. उनकी पीठ को सहलाती हुई मैं ‘आआह … आआह … ऊऊऊऊ… ऊऊऊऊ’ की सिसकारियां ले रही थी.

इधर मेरी चूत से पानी की धार बह रही थी और उधर राजेश जी मेरे दूध को छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहे थे.
जल्द ही उन्होंने मुझे फिर से लिटा दिया और मेरे पेट और नाभि को चूमते हुए नीचे की ओर बढ़ने लगे.

वह मेरी चूत तक जा पहुंचे और पैंटी के ऊपर से ही मेरी चूत पर अपने दांत चलाने लगे.

उनके हर दांव से साफ़ पता चल रहा था कि वे चुदाई के माहिर खिलाड़ी हैं.
फिर भी, उनके अन्दर मुझे चोदने की उत्सुकता साफ़-साफ़ दिख रही थी.

उन्होंने जल्द ही मेरी पैंटी उतार दी और मुझे पूरी तरह नंगी कर दिया.
मेरे दोनों पैरों को फैलाते हुए वह मेरी चूत पर झुक गए और अपनी जीभ मेरी चूत पर चलाने लगे.

वह अपनी उंगली से मेरी चूत को फैलाकर अन्दर तक चाट रहे थे.
मेरी हालत खराब होने लगी और मेरी कमर अपने आप ऊपर-नीचे होने लगी.

मेरे चूतड़ हवा में उठ गए और मैं उस वक़्त असीम सुख का आनन्द ले रही थी.
उस पल बस यही लग रहा था कि वह ऐसे ही मेरी चूत चाटते रहें.

जल्द ही उन्होंने मेरी पूरी चूत को अपने मुँह में भर लिया और बुरी तरह चूसने लगे.
उस आनन्द को मैं ज़्यादा देर सह न सकी और उनके मुँह में ही झड़ने लगी.

उन्हें भी पता चल गया था कि मैं झड़ रही हूँ लेकिन उन्होंने फिर भी चूत चाटना जारी रखा और मेरी चूत का एक-एक बूंद पानी पीते चले गए.

झड़ने के बाद भी वे लगातार मेरी चूत चाट रहे थे.
जल्द ही मैं दोबारा गर्म हो गई थी.

उन्होंने मेरी दोनों जांघों को बुरी तरह जकड़ रखा था और बस लगातार चूत चाट रहे थे.

मैं ‘आआह … आआह … ऊऊईई … ऊऊईई … आऊच… आऊच… ऊऊफ़्फ़… ऊफ़्फ’ की सिसकारियां ले रही थी.

थोड़ी देर बाद वे मेरे ऊपर आकर लेट गए और मुझे पलट कर अपने ऊपर ले लिया.

अब मैं उनके ऊपर लेटी थी और उनके सीने को चूमते हुए नीचे की ओर बढ़ने लगी.

जल्द ही मैं उनके अंडरवियर तक जा पहुंची, जहां उनके लंड ने तंबू बना रखा था.

मैंने उनके अंडरवियर को नीचे खींच कर उनके लंड को बाहर निकाल लिया और उन्हें भी पूरी तरह नंगा कर दिया.
मैंने उनके लंड को अपनी हथेली में भर लिया और हल्के हाथों से हिलाने लगी.

उनका काला लंड 8 इंच से कम नहीं था और उसकी मोटाई भी मस्त थी.

मैंने हल्के से लंड का सुपाड़ा बाहर निकाला और उनके अंडकोष को चूमते हुए लंड पर अपने होंठ चलाने लगी.
जल्द ही मेरे होंठ सुपाड़े तक जा पहुंचे और मैं उनके सुपाड़े को चूमने लगी.

फिर मैंने उनके सुपाड़े को एक बार में ही अपने मुँह में डाल लिया और अपनी जीभ को सुपाड़े के चारों तरफ़ घुमाने लगी.

जल्द ही मैं अपने सिर को ऊपर-नीचे करती हुई उनके लंड को चूसने लगी.
मैं उनके लंड को पूरा अपने मुँह में भर रही थी, जो मेरे गले के नीचे तक जा रहा था.

काफ़ी देर तक मैं उनके लंड को चाट-चाटकर चूसती रही.
जब उनसे बर्दाश्त न हुआ तो उन्होंने मुझे रोक दिया.

अब वे मुझे चोदने के लिए बिल्कुल तैयार थे.
उन्होंने मुझे एक झटके में लिटा दिया और मेरे ऊपर आ गए.

उन्होंने मेरे दोनों हाथों को ऊपर उठाया और मेरे चिकने अंडरआर्म को चाटने लगे.
फिर उन्होंने मेरी टांगों को फैलाया और अपना सुपाड़ा मेरी चूत में लगा दिया.

उनका लंड मेरी चूत में घुसने के लिए बिल्कुल तैयार था.

वे मेरे कान में बोले- डाल दूँ जान?
मैं भी बड़ी मादकता भरी आवाज में बोली- बिल्कुल डाल दो!

‘कितना डालूँ?’
‘पूरा अन्दर तक डालो.’

‘फट जाएगी तुम्हारी.’
‘फट जाने दो आज.’

इसके बाद उन्होंने हल्का-सा धक्का दिया और लंड का सुपाड़ा अन्दर चला गया.
‘आआह मम्मीई.’

‘क्या हुआ? फट गई क्या?’
‘नहीं, मज़ा आया … और अन्दर डालो ना.’

इसके बाद उन्होंने एक ज़ोर का धक्का लगाया और अपना पूरा लंड चूत में उतार दिया.

‘सीईई … आआह …’

‘क्या हुआ?’
‘आआह, कुछ नहीं.’

‘कैसा है मेरा?’
‘बहुत मस्त है यार. सीईई ईईईई.’

इसके बाद उन्होंने मेरी पीठ को दोनों हाथों से जकड़ लिया और गप-गप-गप करते हुए धक्के मारने लगे.

‘आआह … आआह … आआह … ओओह … ऊऊईई मम्मीई … आआह … ओओह.’

‘मज़ा आ रहा है न तुम्हें?’
‘हां, बहुत मज़ा आ रहा है … और तेज़ करो … और तेज़ … आआह … आहाह.’

उन्होंने अपनी रफ़्तार तेज़ की और पूरा पलंग हिलने लगा.
थप-थप-थप की आवाज़ के साथ पूरा कमरा गूँजने लगा.

‘ऊऊईई माँ आआह … आआह … बहुत मज़ा आ रहा है आआह … ऐसे ही करते रहो आआह.’
‘आह ले आह.’
‘आई मम्मा ऊऊऊउ … ऊऊऊउ … आआह.’

फिर उन्होंने मेरी दोनों टांगों पर अपने हाथ फँसा लिए और मेरी दोनों टांगें हवा में उठाकर गपागप-गपागप, थप-थप-थप-थप की ज़ोरदार आवाज़ के साथ मेरी चुदाई शुरू कर दी.

उनका लंड मशीन की रफ़्तार से अन्दर-बाहर होने लगा.

वे मेरे गालों को लगातार चूम रहे थे और अपनी पूरी ताकत से मुझे चोद रहे थे.
उनकी पहलवानी ताकत वाले धक्कों से मेरा पूरा बदन हिल रहा था और मैं बड़ी मुश्किल से उनके इतने तेज़ धक्कों को झेल पा रही थी.

जल्द ही मेरा सब्र जवाब दे गया और मेरी चूत ने पानी फेंक दिया.
मेरी चूत पूरी तरह से पानी से भर गई और अब चूत से फच्च फच्च फच्च की आवाज़ आने लगी.

राजेश जी बुरी तरह से मुझे चोदे जा रहे थे और वे भी अपने आप को ज़्यादा देर रोक नहीं सके और झड़ गए.
उन्होंने अपना लंड बाहर निकाला और मेरे पेट पर ही हिलाने लगे.

जल्द ही उनके लंड से पिचकारी छूट पड़ी और उसकी पहली धार सीधे मेरे गाल पर आकर गिरी.

इसके बाद उन्होंने अपना पूरा गर्म-गर्म वीर्य मेरी नाभि के पास ही गिरा दिया.
मेरी गहरी नाभि पूरी तरह से उनके वीर्य से भर गई.

अपने लंड का एक-एक बूंद निकालने के बाद वह मेरे बगल में लेट गए.
उस वक्त हम दोनों का बदन पूरी तरह पसीने से भीग चुका था.

दोनों की सांसें बुरी तरह से चल रही थीं और मेरे दोनों दूध तेज़ी से ऊपर-नीचे हो रहे थे.

हम दोनों बिना कुछ बोले बस बिस्तर पर लेटे हुए थे और ऊपर की तरफ देख रहे थे.

आज बहुत दिनों बाद मेरी इतनी बुरी तरह से चुदाई हुई थी.

वैसे भी अच्छी चुदाई के लिए एक अनुभवी मर्द की ज़रूरत होती है, जिसके पास जोरदार ताकत भी हो.

राजेश जी के पास सभी चीज़ें थीं.
दमदार लंड, पहलवानों जैसा शरीर और बेजोड़ ताकत.

कुछ देर के बाद हम दोनों बाथरूम में आ गए.
मैं सुसू कर रही थी तो वे मुझे देखने लगे.

मैंने कहा- क्या देख रहे हैं?
वे- तुम्हें पेशाब करता हुआ देख रहा हूँ. वैसे मैं तो तुम्हारे पेशाब को पी सकता हूँ.

‘छि:ईईईई … गंदे आदमी!’
‘इसमें गंदा क्या है? तुम्हारी जैसी लड़की हर किसी को नहीं मिलती. इतने साल से बात कर रहा हूँ, लेकिन कभी सोचा नहीं था कि तुमको चोद पाऊंगा. जब तुमने मुझे आने के लिए कहा, तो मेरी तो किस्मत ही चमक गई.’

ये सब बात करते हुए राजेश जी भी खड़े-खड़े पेशाब करने लगे और फिर हम दोनों वापस बेडरूम में आ गए.

बिस्तर पर आते ही राजेश जी ने मुझे अपने सीने में लपेट लिया और हम दोनों नंगे बदन एक-दूसरे से लिपटे हुए बातें कर रहे थे.
राजेश जी लगातार मेरी गांड और मेरी पीठ को सहला रहे थे और मुझसे बातें कर रहे थे.

उनका लंड मेरी दोनों जांघों के बीच दबा हुआ था, जो धीरे-धीरे टाइट होता जा रहा था.

कुछ देर तक ऐसे ही हम दोनों बात करते रहे और फिर राजेश जी ने मुझे पलट दिया और मेरे ऊपर आ गए.
उन्होंने फिर से मेरे गालों को चूमते हुए मेरे होंठ चूमना शुरू कर दिया.

मैं भी उनका पूरा साथ दे रही थी और जल्द ही हम दोनों एक बार फिर से गर्म हो गए.

अब राजेश जी ने मुझे अपने ऊपर लिटा लिया और मैं उनके सीने को चूमते हुए उनके लंड तक जा पहुंची.

उनके लंड को हाथों से हिला-हिलाकर पूरी तरह से खड़ा करने के बाद मैं लंड को चूसने लगी और अब अपनी दोनों टांगें फैलाकर मैंने उनके लंड को चूत में लगा लिया.

मैं आहिस्ता-आहिस्ता लंड को चूत के अन्दर लेती हुई उस पर बैठ रही थी और जल्द ही उनका पूरा लंड मेरी चूत में समा गया.

अब मैंने अपने दोनों हाथों को राजेश जी के सीने पर टिका लिया और अपनी कमर को मटकाते हुए लंड को अन्दर-बाहर लेने लगी.
जल्द ही मैंने अपनी रफ्तार तेज कर ली और गपागप लंड को चूत में लेने लगी.

मैं उछल-उछलकर उनके लंड से चुद रही थी.
दस मिनट लगातार उछलने के बाद मैं थककर उनके सीने पर लेट गई और अब राजेश जी ने मेरी गांड को दोनों हाथों से पकड़ कर नीचे से धक्के लगाना शुरू कर दिया.

कुछ देर ऐसे ही चोदने के बाद राजेश जी ने मुझे घोड़ी बना दिया और मेरे पीछे आकर मेरी कमर को जकड़ कर मुझे बुरी तरह से चोदने लगे.
इसके बाद तो पोजीशन बदल-बदलकर हम दोनों चुदाई करते रहे.

कभी घोड़ी बनकर, कभी खड़े होकर, कभी वह मुझे गोद में उठाकर, कभी एक टांग उठाकर Xxx3 भाभी फक किया.

इस तरह से उस रात हमने तीन बार चुदाई का मज़ा लिया.

पहली रात की चुदाई के बाद अगले तीन दिन वह मेरे साथ रहे और हमने हर तरह से चुदाई का मज़ा लिया.
मुझे गांड चुदवाना ज्यादा पसंद नहीं है, लेकिन राजेश जी ने मेरी गांड को भी बुरी तरह से चोदा.

इसके बाद चौथे दिन राजेश जी वापस चले गए.
एक अच्छे मर्द और जानदार लंड से चुदाई का मज़ा ही अलग होता है.

ये मेरी अभी कुछ ही दिनों पहले की चुदाई थी और मैंने सोचा कि इस चुदाई को आप लोगों के साथ साझा करूं.

Wednesday, 3 September 2025

भाई की साली की चूत चोदने को मिली

 

मेरी और मेरे भाई की साली के बीच हुए सेक्स संबंध की है.

दरअसल, मेरे भाई की शादी कुछ दिनों पहले ही हुई है.
मेरे घर में मेरा भाई, भाभी, मम्मी-पापा और मैं रहते हैं.

मैं एनआईटी से एमसीए की पढ़ाई कर रहा हूँ.
मेरी छुट्टियां हो गई थीं तो मैं घर जाने लगा.

घर पहुंचते ही मैं सबसे मिला.
तभी मुझे पता चला कि मेरी भाभी की बहन, जिसका नाम शालिनी है, वह आने वाली है.
मैंने उसे पहले कभी नहीं देखा था.

उसे स्टेशन से घर लाने की ज़िम्मेदारी भाभी ने मुझे दे दी.

मैं अपने बारे में बताना तो भूल ही गया.
मेरी उम्र 20 साल है.
आप तो जानते ही होंगे कि इस उम्र के लड़के लड़कियों के प्रति कितने उत्तेजित रहते हैं.

शाम को मैं गाड़ी लेकर निकल गया.
वहां पहुंच कर मैंने उसे कॉल किया और एक खास जगह पर आने को कहा.

जैसे ही मैंने उसे देखा, बस देखता ही रह गया.
वह गज़ब की माल लग रही थी. उसका फिगर 34-30-36 का था.

उसे देखते ही मेरे लंड के मुँह में पानी आ गया और मैं सोचने लगा कि इसको अपने लौड़े के नीचे लाने का जुगाड़ कैसे किया जाए.

खैर … अभी तो मुझे उसे घर ले जाना था.
मैं उसे पटाने के लिए रास्ते में उससे मज़ेदार बातें करता हुआ घर की ओर चल पड़ा.

वह भी मुझसे पटर पटर बातें कर रही थी.

उसकी तरफ से इस तरह से खुल कर बातें करने से मुझे उम्मीद हो गई थी कि लौंडिया लौड़े के नीचे आसानी से आ जाएगी.

घर पहुंच कर वह सबसे मिली.
मेरी नज़र उस पर गड़ चुकी थी. मैं पूरी प्लानिंग में था कि इसे कैसे सिड्यूस किया जाए.

वह फ्रेश होने के लिए बाथरूम की ओर देखने लगी लेकिन उसमें भाई नहा रहे थे तो भाभी ने उससे छत के बाथरूम को इस्तेमाल करने को कहा.

भाभी ने मुझे उसे वहां ले जाने के लिए भेज दिया.

वह नहाने चली गई.
उसे लगा कि मैं नीचे आ गया हूँ, तो उसने दरवाज़ा लॉक नहीं किया.
मैं वहीं छत पर घूम रहा था.

जब मैंने बाथरूम के दरवाजे की झिरी से अन्दर झांका तो नज़ारा देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया.
उसने अपने सारे कपड़े उतार दिए थे और वह गदराया हुआ माल लग रही थी.
उसने अपने दूध मसलने शुरू किए और आह आह करती हुई वह अपनी चूत सहलाने लगी.

उसकी हालत देख कर साफ समझ आ रहा था कि लड़की चुदासी है और उसे एक सख्त लंड की जरूरत है.

मैं उसे चूत में उंगली करते देख कर अपने लौड़े को सहलाने लगा.
कुछ देर बाद वह नहाकर कपड़े पहनने लगी तो मैं बाथरूम से दूर होकर छत पर टहलने लगा.

वह बाहर निकली और मुझे देख कर मुस्कुराती हुई नीचे चली गई.

उसके नीचे जाते ही मैं बाथरूम के अन्दर गया तो देखा कि उसने अपनी पैंटी धोकर तिपाई पर रख दी थी.

मुझे अपना लंड शांत करना था तो मैंने उसी पैंटी में मुठ मारना शुरू कर दी और माल उसी में गिरा दिया.

तभी किसी के आने की आवाज़ हुई और मैं जल्दी जल्दी फारिग होकर बाथरूम से बाहर निकल आया.
वह पैंटी लेने आई थी.

अपनी पैंटी की हालत को देखकर वह समझ गई कि मेरी नज़र उस पर है, तो वह भी मुझे लाइन देने लगी.

वह मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा कर चली गई.
उसे मुस्कुराता हुआ देखकर मुझसे रहा नहीं जा रहा था.

मैं मौके की तलाश में था कि कब मौका मिले और मैं इसे चोद डालूँ.

रात को सबने खाना खाया और सोने लगे.
वह भाभी के पास सो रही थी और मैं अपने कमरे में.

मुझे नींद नहीं आ रही थी.
मैं सोच रहा था कि बात कैसे बने.

थोड़ी देर बाद मैंने आहट सुनी.

मैंने उठकर देखा तो वह टॉयलेट गई थी.

तब मैंने उसे हल्की सी आवाज़ दी और अपने कमरे में आने को कहा.

वह मना कर रही थी पर आखिरकार मान गई.

मेरे पास आकर बोली- हम्म … क्या काम है?
मैंने कहा- यदि नींद नहीं आ रही हो तो कुछ देर बात करते हैं!

वह एक पल चुप रही, फिर बैठ गई.
मैंने उससे बात करना शुरू कर दिया.

वह भी समझ रही थी कि आधी रात को बात करने का क्या मतलब होता है.

वह बोली- अब जा रही हूँ … आप भी सो जाओ.
मैंने उससे वहीं सोने को कहा.

वह हंस कर बोली- यदि दीदी जाग गईं तो लफड़ा हो जाएगा.

जब उसने लफड़ा शब्द का इस्तेमाल किया तो मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया और वह कटी पतंग सी मेरी बांहों में आ गिरी.

मैंने कहा गया- अरे कुछ नहीं होगा यार, थीड़ी देर रुक जाओ, बाद में चली जाना.
वह कसमसाती हुई मुझसे खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसकी कोशिश में छुड़ाना कम था, मुझसे चिपकना ज्यादा था.

कुछ पल बाद वह मेरे पास लेट गई.
मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया.

वह हल्का सा विरोध करने लगी- यह सब नहीं करो प्लीज!

मैंने कहा- क्यों मन नहीं है क्या?
वह बोली- किस चीज का मन?

मैंने उसकी एक चूची को सहलाते हुए कहा- कुश्ती लड़ने का!
वह हंस दी और बोली- कुश्ती तो अखाड़े में होती है!

मैंने कहा- हां तो यह अखाड़ा ही तो है. बस लंगोट में आने की देरी है!
वह हंसने लगी और मेरे सीने पर मुक्का मारने लगी.

मैंने उससे बॉयफ्रेंड के बारे में पूछा, तो उसने कहा- अभी तक कोई नहीं मिला.
फिर मैंने पूछा- तुमने कभी सेक्स किया है?

उसने मना कर दिया.

मैंने कहा- आग तो बहुत ज्यादा लगी है तुमको?
वह बोली- तुमको कैसे मालूम?

मैंने कहा- बस मालूम है!
वह बोली- बताओ न!

मैंने कहा- सुबह देखा था मैंने …
वह बोली- बहुत गंदे हो तुम … मेरी पैंटी खराब कर दी थी सुबह तुमने!

मैंने कहा- जो हरकत तुम कर रही थीं न … उसे देख कर तो मैं अन्दर नहीं घुसा, यही बड़ी गनीमत थी.
वह हंसने लगी.

अब मैंने एक हाथ उसकी चूची पर रख दिया.
वह सिहर उठी और झट से उसने मेरे होंठ चूम लिए.

हम दोनों करीब 5 मिनट तक किस करते रहे.
वह बोली- मैंने तुम्हारी नजरों को पहली बार में ही समझ लिया था.

मैंने कहा- हां और मैंने तुम्हारी छलकती जवानी को देखते ही मन बना लिया था कि आज तो तुम्हें अपने नीचे लेना ही है!

वह हंसने लगी.

फिर मैंने उसका टॉप निकाल दिया.
अब वह सिर्फ ब्रा में रह गई थी.

उसकी गोल-गोल चूचियां मुझे और उत्तेजित कर रही थीं.

फिर मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी और एक चूची को मुँह में ले लिया, दूसरी को हाथ से दबाने लगा.

वह कामुक सिसकारियां ले रही थी. उसके मुँह से उम … आह … उई माँ … जैसी आवाज़ें आ रही थीं.
उसने नीचे जींस पहनी थी, जिसे मैंने उतार फेंका.

अब वह सिर्फ पैंटी में रह गई थी.
उसकी चूत से पानी निकल रहा था.
उसकी पैंटी गीली हो चुकी थी.

मैंने पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत पर हाथ फेरा, तो वह उछल-सी गई.
मैंने उसकी पैंटी उतार कर उसकी चूत पर मुँह रख दिया.
उसकी चूत से एक अलग ही खुशबू आ रही थी.

मैंने उसकी चूत में जीभ डाल दी और छेड़ने लगा.
वह ऐसे तड़प रही थी, जैसे हवा में हो.

करीब पांच मिनट बाद वह झड़ गई और उसकी चूत का सारा पानी मैं पी गया.

मैंने शालिनी से पूछा- कैसा लगा?
वह वासना से बोली- अब और मत तड़पाओ. जल्दी से चोद डालो.

शालिनी ने मेरा पैंट खोला और अंडरवियर नीचे कर दिया.

मेरा लंड पहले से ही खड़ा था.
यह लगभग साढ़े छह इंच लंबा और तीन इंच मोटा है.

लंड देखकर वह डर गई और बोली- इसे मैं कैसे अन्दर लूँगी?
मैंने पहले उसे लंड को मुँह में लेने को कहा.

पहले तो वह मना करने लगी लेकिन बाद में मान गई.

वह मेरे लंड को ऐसे चूस रही थी कि मुझे जन्नत का अहसास हो रहा था.

करीब पांच मिनट तक लंड चूसने के बाद शालिनी बोली- अब अन्दर डाल दो, अब कंट्रोल नहीं होता.

मैंने उसे बेड पर लिटाया और उसकी चूत पर लंड रगड़ने लगा.

वह मदहोश सी होने लगी और बार-बार कह रही थी- अब जल्दी से डाल दो.

मैंने एक जोरदार झटका मारा, पर लंड स्लिप हो गया.

फिर उसने अपने हाथ से लंड को सैट किया और झटका मारने को कहा.

जैसे ही मैंने झटका मारा, मेरे लंड का टोपा अन्दर घुस गया.
वह जोर से चीखी- उई माँ … मर गई.

उसकी आंखों में आंसू आ गए.
वह लंड निकालने को कहने लगी पर मैं वैसे ही लेटा रहा.

मुझे भी थोड़ा दर्द हो रहा था क्योंकि ये मेरा पहला बार था.

फिर उसने इशारा किया तो मैंने एक और झटका दे मारा.

अब मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया.
वह बेड पर हाथ मारने लगी और चीखने ही वाली थी कि मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए.

वह कह रही थी- प्लीज लोकेश, इसे निकालो, बहुत दर्द हो रहा है.
मैंने उसे समझाया- अब तुम्हें भी मजा आएगा.

थोड़ी देर वैसे ही रुका रहा. अब वह कमर उछालने लगी.
मैं समझ गया और धीरे-धीरे झटके देने लगा.

वह मीठी सिसकारियां ले रही थी- उम्ह… आह … आह … उह … ईम.
ये मेरे जोश को और बढ़ा रहा था.

वह चिल्लाई- और जोर से चोदो.
ये सुनकर मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी.

इस चुदाई के दौरान वह दो बार झड़ चुकी थी.

मैंने उसे घोड़ी बनने को कहा.
और वह जल्दी से बन गई.

मैंने पीछे से लंड घुसा दिया.

करीब बीस मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ने वाला था.

मैंने उससे पूछा- माल कहां गिराना है?
उसने कहा- अन्दर ही डाल दो.

कुछ ही पलों में वीर्य की पिचकारी से उसकी चूत भर गई.

अब हम दोनों नंगे ही वैसे लेटे रहे.
रात के बारह बज चुके थे.

करीब तीन बजे तक हमने दो बार और सेक्स किया.
फिर मैंने उसे भाभी के रूम में जाने को कहा.
भाभी अभी भी सो रही थीं, वे बेचारी घर के काम में थक जाती थीं.

सुबह जब मैंने शालिनी को देखा, तो उसने मुझे देखकर मुस्कुरा दिया.

मैंने भी हल्की-सी स्माइल पास की.

उससे ठीक से चला नहीं जा रहा था.
मैंने मेडिकल से गर्भनिरोधक गोली लाकर उसे दी.

शालिनी हमारे यहां दस दिन रुकी.

वैसे तो मुझे जल्दी निकलना था पर शालिनी की वजह से मैं भी घर पर ही रुका.
मैंने हर रात चूत का भोग लगाया.

अब जब भी हम मिलते हैं, सेक्स का जुगाड़ कर ही लेते हैं.

तो दोस्तो, आपको ये मेरी सच्ची कहानी कैसी लगी?

मेरी छात्रा ने गांड मरवाई

 

जैसे ही हम मेरे अपार्टमेंट में पहुंचे, मैं उत्साह और घबराहट के मिश्रण को महसूस कर रहा था।

दूसरी ओर विक्की पूरी तरह से सहज दिख रही थी, उसकी आँखें प्रत्याशा से चमक रही थीं।

हम मुश्किल से दरवाजे से अंदर आए थे कि विक्की मुझ पर टूट पड़ी, उसके होंठ मेरे होंठों का जोशीला चुम्बन ले रहे थे।

मैंने उसे धीरे से धक्का देकर दूर किया, हाँफते हुए कहा- हम थोड़ा आराम से करें, ठीक है?”
विक्की ने हाँ सिर हिलाया.

और मैं उसे लिविंग रूम में ले गया।

हम सोफे पर बैठे, और मैंने हम दोनों के लिए एक-एक ग्लास वाइन डाली।

वाइन पीते समय विक्की ने अपने कपड़े उतारने शुरू किए, उसके कपड़े फर्श पर हल्की सरसराहट के साथ गिर रहे थे।

मैं उसकी ओर देखे बिना नहीं रह सका, मेरी आँखें उसके नग्न शरीर पर टिकी थीं।
वह मेरी कल्पना से भी अधिक सुंदर थी, उसकी त्वचा कमरे की नरम रोशनी में चमक रही थी।

मैंने अपना वाइन ग्लास नीचे रखा और उसकी ओर हाथ बढ़ाया.
मेरी उंगलियाँ उसके शरीर की गोलाइयों को छू रही थीं।

विक्की ने अपनी आँखें बंद कर लीं, उसका सिर पीछे की ओर झुका और उसने एक हल्की सिसकारी भरी।

मैं उसके करीब झुका, मेरे होंठ उसके कान को छू रहे थे.

मैं फुसफुसाया- चलो, संजना को फिर से ऑनलाइन लाते हैं। मैं उसे दोबारा देखना चाहता हूँ!
विक्की की आँखें तुरंत खुल गईं, वह उत्साह से मुस्कुराते हुए सिर हिलाने लगी।

मैंने अपना लैपटॉप उठाया और DSCGirls वेबसाइट पर वापस लॉग इन किया, संजना का प्रोफाइल ढूंढने के लिए।

जब हमें वह मिली, वह पहले से ही ऑनलाइन थी, हमारा इंतज़ार कर रही थी।

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“हाय, दोस्तो!” संजना ने अपनी भारी और मोहक आवाज़ में कहा- मैं तुम्हारा इंतज़ार कर रही थी। आज रात का प्लान क्या है?
विक्की और मैंने एक-दूसरे की ओर देखा, मैंने कहा- हम सोच रहे थे किहम इस खेल में और आगे बढ़ें। तुम हमारे साथ शामिल होना चाहोगी?”

संजना की आँखें उत्साह से चमक उठीं, उसने अपने काले बालों को हिलाते हुए सिर हिलाया- मुझे बहुत अच्छा लगेगा। तुम्हारे दिमाग में क्या है?
विक्की ने धीमी आवाज़ में कहा- मैं कुछ नए पोजीशन आज़माना चाहती हूँ। शायद कुछ एनल?

संजना की आँखें चौड़ी हो गईं, उसने धीमी सीटी बजाई- वाह, ये तो बहुत हॉट लगता है। मैं इस खेल में शामिल होती हूँ!
मैंने मुस्कुराते हुए कहा- तो चलो, शुरू करते हैं!

संजना ने विक्की को सलाह दी कि मेरी पैंट को धीरे-धीरे और सावधानी से उतारे।

विक्की ने सिर हिलाया और मेरी बेल्ट खोलने लगी।
उसके चेहरे पर ऐसा भाव था जैसे क्रिसमस हो और वह अपना मनचाहा तोहफा खोल रही हो।

जैसे ही उसने मेरी ज़िप खींची, मेरा लिंग बाहर निकला गर्व से खड़ा हुआ।
विक्की ने हैरानी से कहा- ये तो बहुत बड़ा है!

स्क्रीन पर संजना मुस्कुरा रही थी, हमें देख रही थी।

जैसे ही विक्की ने मेरे सख्त लिंग पर अपने हाथ फिराए, संजना ने भी उसी समय अपनी गीली योनि पर हाथ फिराया।

विक्की की नज़रें संजना की स्क्रीन पर टिकी थीं, वह उसकी हर हरकत को देख रही थी क्योंकि संजना ने वाइब्रेटर से हस्तमैथुन शुरू किया था।

विक्की ने मेरे लिंग को ऊपर-नीचे सहलाना शुरू किया, उसका हाथ उसकी उत्तेजना के कारण थोड़ा चिपचिपा हो गया था।
“ओह प्रोफेसर!” उसने धीरे से कहा- आपका तो बहुत बडा और सख्त है!

संजना हमें गौर से देख रही थी, उसकी उंगलियाँ उसकी क्लिट के साथ खेल रही थीं।

“देखो तुम लोग!” उसने वासना भरी आवाज़ में कहा- विक्की का हाथ कितनी तेज़ी से चल रहा है, जैसे कोई छोटा सा पक्षी उड़ रहा है!”
विक्की हँसी और बोली- अब तुम्हारी बारी है, प्रोफेसर!

मैंने इशारा समझा और अपने कपड़े उतारने शुरू किए।
विक्की मुझे भूखी नज़रों से देख रही थी।
उसने अपने होंठ चाटे।

संजना की बातें चल रही थीं जो हमें हर कदम पर मार्गदर्शन कर रही थीं।

विक्की ने मेरे लिंग को अपने हाथ में लिया और उसे धीरे से रगड़ना शुरू किया।

वह सचमुच मज़े ले रही थी, मेरे साथ ऐसे खेल रही थी जैसे मैं कोई खिलौना हूँ।
“ओह प्रोफेसर!” उसने कहा- आप इतने बड़े और ताकतवर हैं!

संजना हमें देख रही थी, उसका अपना हाथ उसके खिलौने पर ऊपर-नीचे चल रहा था, उसकी आँखें स्क्रीन पर टिकी थीं।

बिना किसी संकेत के विक्की ने मेरा लिंग अपने मुँह में डाल लिया।
मैं सचमुच इसके लिए तैयार नहीं था।
मैं उछल पड़ा.
लेकिन यह बहुत अच्छा लग रहा था।

संजना ने अपनी डिल्डो को अपनी योनि में डालना शुरू किया और ज़ोर से सिसकारी भरी।

“ओह, बेबी, ये बहुत अच्छा लग रहा है!” संजना ने हमें गौर से देखते हुए कहा- जारी रखो, विक्की। तुम बहुत अच्छा कर रही हो!

विक्की की आँखें थोड़ा पानी से भरी थीं क्योंकि वह मेरे लिंग को और अधिक अपने मुँह में लेने की कोशिश कर रही थी।
वह पूरी कोशिश कर रही थी कि वह पूरा अंदर जाए.
लेकिन लंड वाकई बहुत बड़ा था।
मैं उसकी कोशिश से बहुत उत्तेजित हो रहा था।

उसने अपनी बड़ी भूरी आँखों से मेरी ओर देखा और मैं समझ गया कि वह मुझे खुश करना चाहती थी।

अचानक विक्की ने संजना की ओर मुड़कर पूछा- क्या आप मुझे बता सकती हैं कि सर को और अच्छा कैसे लगेगा?
संजना की मुस्कान और चौड़ी हो गई- बिल्कुल स्वीटी, पहले उसके टेस्टिकल्स के साथ खेलना शुरू करो। वे बहुत संवेदनशील होते हैं!

विक्की ने सिर हिलाया और मेरे ट्टटों को अपने हाथ में लिया।
उसने उन्हें धीरे से रोल किया संजना की ओर देखते हुए।

“हाँ, बिल्कुल!” संजना ने उत्साह भरी आवाज़ में कहा- अब, अपने दूसरे हाथ से उसके लिंग को सहलाओ।
विक्की ने वैसा ही किया, उसके हाथ मेरे शाफ्ट पर ऊपर-नीचे चल रहे थे।

मैं सोफे पर पीछे झुका, विक्की के मुँह में मेरे लिंग के अहसास का आनंद ले रहा था।

संजना ने उसे और ज़ोर से चूसने को कहा और उसने वैसा ही किया।
“अम्म!” मैंने सुख से कराहते हुए कहा.
मेरी आँखें आनंद में पीछे की ओर लुढ़क गईं।

विक्की की गाल अंदर की ओर खींचे गए थे क्योंकि वह मुझे और अधिक अपने मुँह में ले रही थी।
उसका हाथ इतनी तेज़ी से चल रहा था कि वह धुंधला दिख रहा था।

मैं और अधिक सहन नहीं कर सका।
मैंने विक्की को धक्का देकर दूर किया और उसे पकड़कर सोफे पर लिटा दिया- क्या तुम चुदाई के लिए तैयार हो?

मैंने दोनों लड़कियों से पूछा।
विक्की ने उत्साह से सिर हिलाया, उसका चेहरा उत्तेजना से लाल हो गया था।

स्क्रीन पर संजना ने आँख मारी और कहा- मैं हमेशा एक अच्छी चुदाई के लिए तैयार हूँ!

विक्की सोफे पर लेट गई, उसके पैर चौड़े फैले हुए थे, उसकी टाइट, गुलाबी योनि दिख रही थी।
वह बहुत छोटी थी.

संजना ने उसे खुद की चूत को छूने के लिए कहा और उसने ऐसा किया, उसकी उंगलियाँ उसकी गीलापन में फिसल रही थीं।

“अम्म हाँ!” संजना ने कहा, उसका अपना हाथ उसकी क्लिट पर तेज़ी से चल रहा था- बिल्कुल ऐसे ही! अब प्रोफेसर को कहो कि वह तुममें लंड डाले!

विक्की ने अपनी बड़ी, विनती भरी आँखों से मेरी ओर देखा और फुसफुसाई- प्लीज़ प्रोफेसर, मुझमें अपना डाल दो!

मेरा लंड इतना सख्त था कि मेरे लिंग से कीलें ठोकी जा सकती थीं।
मैंने खुद को उसके पैरों के बीच में रखा और अपने लिंग का सिर उसकी योनि के खिलाफ दबाया।

वह इतनी गीली थी कि वह आसानी से अंदर चला गया।
“आह!” उसने सुख से कराहते हुए कहा, उसकी आँखें बंद हो गईं।

जब मेरा लंड उसकी चूत में अंदर-बाहर होने लगा तो मैंने विक्की से कहा- खुद से अपनी चूत को छूते रहो!

उसने सिर हिलाया और उसकी उंगलियाँ उसकी क्लिट के चारों ओर गोल-गोल घूम रही थीं।
संजना हमें देख रही थी, उसका अपना हाथ तेज़ी से चल रहा था।

“मेरी ओर देखो!” मैंने विक्की से कहा.
तो उसने अपनी आँखें खोलीं।

उसकी आँखें वासना से चमक रही थीं।
वह मेरी आँखों में देख रही थी जब मैं उसे चोद रहा था, उसका सीना मेरे हर धक्के के साथ ऊपर-नीचे हो रहा था।

संजना विक्की को बता रही थी कि वह कितनी अच्छी दिख रही है, और उसे हमें देखने में कितना मज़ा आ रहा है।

“तुम्हारी योनि काफी टाइट है बेबी!” मैंने कराहते हुए कहा।

जब मैंने स्क्रीन की ओर देखा, मैंने देखा कि संजना ने एक विशाल डिल्डो अपनी गांड में डाल रखा था, उसके गाल हर धक्के के साथ चौड़े हो रहे थे।
विक्की ने चिल्लाकर कहा- वाह … ये तो बहुत तेज लगता है!

संजना बस सुख से कराह रही थी, उसकी आँखें हमारे छोटे से शो से हट नहीं रही थीं।

संजना ने विक्की से कराहते हुए कहा- तुम्हें इसे आज़माना चाहिए बेबी… इससे बेहतर कुछ नहीं है!
संजना के चौड़े चूतड़ों को देखते हुए, जो हर धक्के के साथ कांप रहे थे, विक्की ने उत्साह से सिर हिलाया.

वह शर्माती हुई बोली- लेकिन मैंने पहले कभी ऐसा नहीं किया!

तब मैंने उसे आश्वासन दिया- “चिंता मत करो बेबी, मैं धीरे से करूँगा।
मैंने झुककर उसकी गर्दन को चूमा, मेरा हाथ नीचे जाकर उसके गोल, टाइट नितंब को सहलाने लगा।

उसकी त्वचा इतनी नरम थी और मैं उसकी योनि से निकल रही गर्मी को महसूस कर सकता था।

विक्की ने मेरी आँखों में देखते हुए सिर हिलाया और अपनी एक उंगली अपनी टाइट, सिकुड़ी हुई गांड में डाली।
वह हांफने लगी.
और जब उसने उंगली और गहरी में धकेली तो उसका शरीर तन गया।

संजना गौर से देख रही थी, उसका अपना हाथ अब मेरे धक्कों के साथ ताल में उसकी क्लिट को सहला रहा था- हाँ बिल्कुल ऐसे ही!
संजना ने धीमी आवाज़ में कहा- महसूस करो कि ये कितना अच्छा लगता है।

मैंने नीचे झुककर विक्की को चूमा, हमारी जीभें एक साथ नाच रही थीं जबकि हमारे शरीर एक लय में चल रहे थे।

उसका हाथ अभी भी उसकी गांड पर था, उसकी टाइट छेद के साथ खेल रहा था।
उसने कराहते हुए कहा- उम्म्ह … मुझे ये पसंद आ रहा है।

संजना हमें मुस्कुराते हुए देख रही थी, उसका हाथ उसकी क्लिट पर तेज़ी से चल रहा था।

“जारी रखो बेबी!” उसने विक्की को प्रोत्साहित किया- तुम बहुत अच्छा कर रही हो।

कुछ मिनट तक उसकी योनि को रगड़ने के बाद मैंने विक्की से पूछा- क्या तुम असली चीज़ के लिए तैयार हो?
“हाँ प्रोफेसर!” उसने धीरे से कहा।

कांपते हाथों से, मैंने अपने नाइट-स्टैंड से लुब्रिकेंट की बोतल ली और विक्की को दे दी।
उसने अपनी उंगलियों पर ढेर सारा लुब्रिकेंट डाला और अपनी टाइट गांड के आसपास धीरे से रगड़ने लगी।

मैंने उत्साह से थरथराते हुए देखा।

संजना की आँखें स्क्रीन पर टिकी थीं, उसकी साँसें और रूखी हो रही थीं क्योंकि वह देख रही थी कि हम क्या करने वाले हैं।

“धीरे-धीरे करो!” उसने निर्देश दिया.
उसकी आवाज़ नरम और सांत्वनादायक थी- साँस लेना याद रखो बेबी!

विक्की ने सिर हिलाया, उसका चेहरा एकाग्रता से भरा था क्योंकि उसने मेरे लुब्रिकेंट से चिकने लिंग को अपनी टाइट गांड में धीरे-धीरे डाला।

उसने एक गहरी साँस ली और एक हल्की सिसकारी भरी.
उसका शरीर मेरे लिंग के चारों ओर तन गया।

मैंने उसके बालों को सहलाते हुए कहा- हाँ, बिल्कुल ऐसे ही!

स्क्रीन पर संजना हमें गौर से देख रही थी, उसकी आँखें वासना से भारी थीं।
“देखो तुम कर पा रही हो!” वह फुसफुसाई.

वह एक हाथ से अपनी क्लिट को सहलाते हुए और दूसरे से अपने विशाल डिल्डो को गांड में अंदर बाहर कर रही थी।
वह पूरी तरह से इसमें डूबी हुई थी, उसकी सिसकारियाँ हर सेकंड के साथ तेज़ हो रही थीं।

विक्की धीरे-धीरे मेरे लिंग को उसकी गांड में इंच दर इंच ले रही थी।
वह इतनी टाइट थी कि ऐसा लग रहा था जैसे मैं कोई नया खिलौना तोड़ रहा हूँ।

“ओह प्रोफेसर!” उसने कराहते हुए कहा- थोड़ा दर्द हो रहा है।
मैंने उसे आराम करने और साँस लेने के लिए कहा.
उसने अपनी आँखें बंद करके सिर हिलाया।

संजना हमें निर्देश दे रही थी, उसकी आवाज़ पृष्ठभूमि में एक मधुर संगीत की तरह थी- बस करते रहो, तुम्हें इसकी आदत हो जाएगी!
उसने विक्की को आश्वासन दिया।

कुछ हल्के धक्कों के बाद, विक्की ने मुझसे और गहरा करने का आग्रह किया क्योंकि उसे अब ठीक लागने लगा था.

बिना किसी देरी के मैंने अपने लंबे, मोटे लिंग को विक्की की टाइट गांड में गहराई तक धकेलना शुरू किया।

30 मिनट की लगातार कठिन पैठ के बाद मैं खुद को और रोक नहीं सका, मैंने अपनी पूरी लोड विक्की की गांड में गहराई तक छोड़ दी।

जब मैंने विक्की को देखा तो वह भी झड़ चुकी थी क्योंकि उसकी योनि से तरल पदार्थ रिस रहा था।

इस बीच जब मैंने स्क्रीन की ओर देखा तो संजना बिस्तर पर लेटी हुई थी, उसका निचला हिस्सा पूरी तरह से योनि के रस में भीगा हुआ था।

“लगता है हम दोनों ने जैकपॉट हासिल कर लिया!” मैंने विक्की से कहा.
वह मेरे बगल में लेटी थी, उसके पैर अभी भी चौड़े फैले हुए थे, मेरा वीर्य उसकी गांड से रिस रहा था।

विक्की हँसी और बोली- हाँ, ये अद्भुत था!”
संजना ने इसे सुनकर हमें स्क्रीन से थम्स अप दिया, उसका सीना हर साँस के साथ ऊपर-नीचे हो रहा था।

विक्की और मैंने संजना को इस अद्भुत अनुभव के लिए धन्यवाद दिया।
उसने हमें आँख मारी और कहा- कभी भी दोस्तो … जब चाहो और मज़ा चाहिए तो मुझे बुला लेना!

हम हँसे और वादा किया कि हम फिर से बुलाएँगे।

इसके बाद, हमने चैट बंद करके खुद को साफ किया।

साफ होने के बाद हमने सोचा कि अभी क्या हुआ था।

“वाह, ये तो मजेदार था!” विक्की ने अभी भी अपनी साँसें संभालते हुए कहा।
“बिल्कुल था!” मैंने मुस्कुराते हुए सहमति दी।

हम दोनों हँसे, संतुष्टि और अविश्वास के मिश्रण को महसूस करते हुए!

हाय दोस्तो, कृपया कमेंट में बताएँ कि क्या आपको कहानी का ये दूसरा हिस्सा स्टूडेंट गर्ल एस फक स्टोरी पसंद आया।

मौसेरी बहन की कुंवारी चूत का बाजा बजाया

 

मेरा नाम विशाल है.
मैं महाराष्ट्र से हूँ.

मेरी हाइट 6 फीट है.
लंड का साइज काफी मस्त है. यह ढाई इंच मोटा और सात इंच लंबा है.
मैं एकदम फिट लड़का हूँ.

मैं काफी समय से अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ … तो मैंने भी सोचा कि मैं भी अपनी सेक्स कहानी लिखूँ.

यह मेरी पहली सेक्स कहानी है, अगर कोई गलती हो जाए तो प्लीज माफ कर दीजिएगा.

यह पोर्न सिस सेक्स कहानी आज से 4 साल पुरानी है.
मैं पढ़ने के लिए बाहर रह रहा था.

छुट्टियों के दिनों में मैं अपने घर आया था. तब मेरी मौसेरी बहन मधु भी छुट्टियों के चलते हमारे ही घर आई थी.
हम दोनों में काफी बातें होने लगीं.

बातों-बातों में पता चला कि मधु मुझे पसंद करती है.

जब मुझे यह लगा तो मैंने उसे प्रपोज कर दिया और उसने भी झट से हां कर दी.

उसने हां की तो मैंने उसे अपने सीने से लगा लिया और उसके साथ चूमाचाटी करने लगा.

उस दिन किसी के आने की वजह से मैं अपनी बहन से बनी माशूका मधु से अलग हो गया.

अब हम दोनों मौका देख कर चूमा-चाटी कर लेते थे और यह रोजाना कई कई बार होने लगा पर चोदने का मौका नहीं मिल रहा था.

कॉलेज की छुट्टियां भी खत्म हो गईं.
मैं कॉलेज चला गया.

हमारी फोन पर रोज़ बातें होने लगीं.
पर मुझे ज्यादा टाइम नहीं मिल पा रहा था तो मधु मुझसे मिलने की जिद करने लगी.

मैंने उसे अपने पढ़ने वाले शहर में आने के लिए कहा, तो मधु तुरंत राज़ी हो गई.

कुछ दिनों बाद मधु मुझसे मिलने आई.
मैंने एक लॉज में कमरा बुक किया और मधु को लेने रेलवे स्टेशन गया.

मधु आई तो मैं उसे लेकर कैब से होटल की तरफ चल पड़ा.

रास्ते में हम दोनों ने एक जगह रुक कर खाना खाया.
फिर एक-दूसरे से बात करते हुए हम दोनों होटल पहुंच गए.

उधर हम दोनों अपने कमरे की तरफ तेज कदमों से चल पड़े.

हम दोनों से ही अब रुका नहीं जा रहा था.
कमरे में आते ही हम दोनों एक-दूसरे पर टूट पड़े और चूमा-चाटी कर ली.

फिर मैं आगे बढ़ा.

मधु ने मुझसे कहा- मैं ये सब नहीं करना चाहती!
मैंने पूछा- क्या हुआ? कोई प्रॉब्लम है?

उसने कहा- मुझे डर लग रहा है.
मैं बोला- डरने की कोई बात नहीं है. यहां हमें कोई नहीं जानता.

बहुत मनाने समझाने के बाद मधु मान गई.
फिर हमने एक-दूसरे के कपड़े उतारे.

कपड़े उतरते समय मधु बहुत शर्मा रही थी.

जैसे ही मधु ने मेरी अंडरवियर उतारी, उसकी आंखें बड़ी हो गईं.

मधु बोली- नहीं … मैं इतना बड़ा नहीं ले पाऊंगी … और अगर ले भी लिया तो 2 दिन तक चल भी नहीं पाऊंगी!

मैंने हंस कर कहा- हम दोनों यहां 2 दिन और 2 रात रुकेंगे … और अगर कुछ हुआ भी तो पेनकिलर है न!

मधु बहुत डर डर कर आगे बढ़ रही थी. फिर जैसे-तैसे हम दोनों आगे बढ़े.

वह लंड चूसने के लिए राजी तो थी लेकिन कुछ सकुचा रही थी.

हालांकि हम दोनों अपनी चैट और वीडियो कॉल में 69 की चर्चा करते रहते थे.
उस दिन भी हम दोनों जल्द ही 69 की पोजीशन में आ गए.

मैंने मधु की चूत चाटी, तो मधु गर्म हो गई.

मैंने कहा- मेरा भी चूसो!
तो मधु ने साफ मना कर दिया.

मैंने ज्यादा जोर देना ठीक नहीं समझा.
मधु को बेड पर लिटाया और मैं उसके ऊपर आया.

तो मधु बोली- धीरे-धीरे करना, तुम्हारा बहुत बड़ा है!
फिर मैंने अपना टोपा मधु की चूत पर लगाकर हल्का सा दबाया, तो मधु ने मुझे पीछे को धकेला.

उसे तकलीफ हो रही थी.
मैंने फिर से लंड लगाया, तो उसने फिर से वही किया.

अब मेरा दिमाग खराब हो गया.
मैंने कहा- करना है या नहीं?
मधु बोली- करना नहीं होता तो मैं इतनी दूर तुम्हारे पास नहीं आती.

वह रोने लगी.

मैंने उसे शांत किया और बोला- तो ऐसे कैसे होगा?
मधु बोली- तुम ऐसा करो, एक बार में पूरा डाल दो!

मैंने कहा- तकलीफ होगी?
तो मधु ने कहा- दो दिन साथ में हैं, और जब तुम्हें मेरी इतनी फिक्र है, तो मैं तुम्हारे लिए इतना तो कर सकती हूँ!

मैंने मधु से कहा- एक काम करते हैं, डॉगी स्टाइल में करते हैं.
मधु बोली- ओके.

मैं पोर्न सिस सेक्स करने के लिए पोजीशन में आया.
मधु- अब ठीक है, तुम एक बार में डालना और रुक जाना!

मैं- ठीक है, तुम अपने मुँह में कपड़ा डाल लो!
मधु- ठीक है.

फिर मैंने अपना टोपा मधु की चूत पर लगाया और मधु से पूछा- डाल दूँ?
मधु ने हां में सिर हिलाया.

तो मैंने आव देखा न ताव और एक ही झटके में पूरा 7 इंच का लंड मधु की चूत में डाल दिया.
मधु के मुँह से रोने जैसी आवाज़ आई, मैं रुक गया.

मैंने मधु से पूछा- क्या हुआ मधु?
मधु मुँह से कपड़ा निकाल कर कराही- विशाल तुमने मुझे मार ही डालना … कत्ल करना तो कोई तुमसे सीखे. आह इसे निकालो बाहर!

मैं- बस हो गया यार!
मधु रोने लगी और मिन्नतें करने लगी- प्लीज़ निकाल लो, मैं मर जाऊंगी!

मैं- मधु अगर 2 या 3 मिनट में तकलीफ कम नहीं हुई, तो मैं निकाल लूँगा!
मधु रोती हुई बोली- जैसा तुम्हें ठीक लगे!

मैं मधु को चुप कराने लगा और उसके बूब्स मसलने लगा.

मधु की तकलीफ अब कम होने लगी तो मधु बोली- अब धीरे-धीरे करो.

मैंने 2 इंच लंड बाहर निकाला तो देखा लंड पर पूरा खून लगा था.
मैंने मधु से कहा- बाहर निकालकर दोबारा डाल देता हूँ!

मधु बोली- क्या हुआ है?
मैंने कहा- कुछ नहीं, बस ऐसे ही!
मधु ने कहा- ठीक है.

मैंने जल्दी से खून साफ किया और दोबारा डालने लगा.
मधु बोली- एक बार में डालना, तुमसे मिला दर्द भी अच्छा लगा.

फिर एक बार मैंने जोर का झटका दिया, तो मधु आगे को सरक गई.

मैंने कहा- क्या हुआ?
वह बोली- आह इतना जोर से डाल दिया कि ऐसा लगा जैसे मेरे गले में जान आ गई!

मैंने मधु की कमर को अच्छे से पकड़ा और दोबारा डाल दिया.

अब मधु पुनः आगे खिसकने लगी तो मैंने अपने हाथों से जोर से पकड़ लिया और जोरदार चुदाई शुरू की.

पूरे कमरे में फच-फच और मधु की कराहने की आवाज़ों से गूँज उठा.
मैंने ताबड़तोड़ चुदाई जारी रखी.

कुछ देर बाद हम दोनों की सांसें फूलने लगीं.
तो मधु बोली- थोड़ा रेस्ट करते हैं. मैंने भी उचित समझा और हम चूमा-चाटी करने लगे.

कुछ मिनट बाद मैंने मधु को लिटाया और उसके पैर उठा कर लंड पेल दिया.

मैंने उसे धकापेल चोदना शुरू किया. अब मधु भी पोर्न सिस सेक्स में गांड उठाकर साथ दे रही थी.

मधु- आह और जोर जोर से करो विशाल!
मैं जोर-जोर से करने लगा.

करीब 15 मिनट बाद मधु चरम सीमा पर पहुंची, तब मैंने जोर से झटके देने शुरू किए.

वह भी गांड उठाने लगी. मैंने भी जल्दी-जल्दी धक्के मारने शुरू किए.
हम दोनों एक साथ झड़ गए.

उन दो दिनों में हम दोनों ने बहुत बार सेक्स किया.
मैंने उसकी 2-3 बार गांड भी मारी.

अगली सेक्स कहानी में मैं आपको बताऊंगा कि मैंने उसकी गांड कैसे मारी

प्यारी सी कुंवारी कली की मदमस्त चुदाई

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कुंवारी पड़ोसन लड़की की रात भर चुत चुदाई

 

आपने पढ़ा था कि कैसे मैंने कविता के अन्दर सेक्स की उत्तेजना जागृत कर दी और उसने खुद से मुझे सेक्स के लिए आमंत्रित किया.

अब आगे की देसी टीन चुदाई कहानी में आप मेरी कुंवारी पड़ोसन की चुदाई का मजा लीजिए.

मैं और कविता पूरी तरह से नंगे हो चुके थे, क्या कमाल की चूत थी उसकी.

दूध जैसे रंग की चूत के नम होंठ … एकदम गुलाबी रंग की चूत की पंखुड़ियां.
बिल्कुल छोटी सी फूली हुई बंद चूत बड़ी ही प्यारी सी लग रही थी.

काले काले घुँघराले बालों के बीच में कविता की चूत ऐसी लग रही थी जैसी कोई काल कोठरी में परी बंद हो.

मैंने उसको दीवार से लगाया और उसके होंठों को, चूचियों को, पेट को चूसते हुए नीचे आ गया.
मैंने नीचे बैठकर उसकी एक टांग को अपने कंधे पर रख लिया और उसकी चूत के दाने को उंगलियों से रगड़ने लगा.

इससे वह तड़पने लगी और मचलने लगी.
उसकी आई आई आह आह आवाज निकलने लगी.

फिर मैंने उंगली उसकी चूत में डाली और अन्दर बाहर करने लगा.
उसकी आह आह की आवाज पूरे घर में गूँज रही थी.

वह मेरे बालों को नोंच रही थी और बोल रही थी कि अब रहा नही जा रहा … जल्दी से कुछ करो यार!
मैंने कहा- जान आज तो पूरी रात मजे करने हैं … जल्दी क्यों कर रही हो!

यह कह कर मैं उसके होंठों को चूसने लगा.

मैंने उससे कहा कि तुम्हारी चूत के बाल साफ़ करने है … कैंची है क्या?

वह कैंची लाई और मैंने कैंची से उसकी चूत के बाल साफ़ किए.

उसकी चूत को मैंने पानी से साफ़ किया जैसे ही मैंने उसकी चूत पर ठंडा पानी डाला … वह मचल गई और आह आह करने लगी.

अब हम दोनों के अन्दर ही वासना भरी हुई थी.
मैंने फिर से नीचे बैठकर उसकी एक टांग को अपने कंधे पर रखी और उसकी चूत को मुँह में भर लिया.

वह एकदम से मचल गई और नीचे बैठने लगी.
मैंने उसे कस कर पकड़ लिया और चूत में जीभ डालने लगा … चूत को चूसने लगा.

वह मानो पागल हो गयी थी.
उसके मुँह से बस ‘आह आह ओह ओह नितेश मेरी चूत को फाड़ दो आज …सारी खुजली मिटा दो इसकी …’ यही सब निकल रहा था.

मैंने भी कहा- आज तो कविता बस तुम मजा लो और मेरा साथ दो!
मैंने भी चूत में उंगली चालू कर दी और साथ साथ चूसने भी लगा.

वह अब सातवें आसमान पर थी. उससे अब रहा नही जा रहा था.
कुछ मिनट उसकी चूत चूसने और चाटने के बाद उसकी चूत का पानी निकल गया.

वह बहुत थक गयी थी और बोली- यार, तुमने तो आज मेरा बुरा हाल कर दिया!
मैं बोला कि ये तो अभी शुरूआत है मेरी जान … अब तुम्हारी बारी है मेरा लंड चूसने की!

मेरे लंड का हाल बहुत बुरा हो चुका था, पूरा दर्द कर रहा था क्योंकि बहुत टाइम से सेक्स का न/शा चढ़ा हुआ था.
मैंने कविता को नीचे बैठाया.

उसने पहले तो मेरे लंड को आगे पीछे किया और धीरे से मुँह में लेकर चूसने लगी.
मेरा पूरा लंड उसने गीला गीला और रसीला कर दिया था.

मैंने उससे बोला- कुछ भी कहो लंड तो बड़ा मस्त चूस रही हो तुम तो!
यह सुनकर वह और अच्छे से लंड चूसने लगी.

दस मिनट की लंड चुसाई के बाद मेरा पानी निकल गया.
फिर हम दोनो शांत बैठ गए.

उसके बाद मैंने फिर से उसकी चूत में उंगली चालू कर दी और देखते देखते वह गर्म हो गई.

उसने मेरा लंड भी चूसा और उसको अपनी चूत के लिए तैयार कर दिया.

अब मैंने उसको फोल्डिंग पर लिटाया और दोनों टांगें उसकी चूचियों तक मोड़ दीं.

वह बोली- बेड पर चलो ना!
मैंने कहा- बेड खराब हो जाएगा इसलिए फोल्डिंग ठीक है.

मैंने उसकी टांगें मोड़ दीं और उसकी चूत चाटने लगा.
उसके मुँह से मादक आवाज निकल रही थी- फाड़ दो मेरी चूत को आज … आह आह आज इसको अपने लंड की चढ़ाई करवा दो.

मैं उसकी चूत के साथ खेलता रहा.

फिर ज़्यादा देर न करते हुए मैंने अपने लंड पर कंडोम चढ़ाया और उसकी चूत पर रगड़ने लगा.
कविता भड़क कर और बोली- साले, क्यों इतना पागल कर रहा है? डाल दे ना इसको मेरी चूत में!
देसी टीन चुदाई के लिए तरस रही थी.

मैंने कहा- बेबी, सब्र का फल मीठा होता है, रुक जाओ ना! देखो न तुम्हें चोदने के लिए मैं कंडोम भी लेकर आया था!
वह हंस दी.

अब मैं उसके ऊपर चढ़ गया, उसके होंठ चूसने लगा और नीचे से उसकी चूत पर अपना लंड सहलाने लगा.

वह अपनी गांड उठा कर चुत में लंड लेने की कोशिश कर रही थी.
मैंने अपना लंड उसकी चूत पर सैट किया और उसके ऊपर सही से सैट हो गया.

मैं उसके होंठ चूसने लगा, क्योंकि मुझे पता था कि अब ये साली लंड लेते ही चिल्लाएगी.

मैंने थोड़ा दबाव दिया तो मेरा लंड उसकी चूत में घुसने लगा और उसे दर्द महसूस होने लगा.

मैं रुका और कविता के होंठों को चूसने लगा.
जब उसे अच्छा महसूस हुआ तो मैंने फिर से एक धक्का मारा जिससे उसकी चूत फट गई और उसकी आंखों से आंसू आने शुरू हो गए.

उसने अपने होंठ मुझसे अलग किए और रोने लगी.

मैंने उसे समझाया- पहली बार में ऐसा होता है. पांच मिनट रुको, सब ठीक हो जाएगा.

मैंने फिर से उसके होंठ और चूचियों को अपने मुँह में लिया और चूसने लगा.

थोड़ी देर में वह शांत हो गई.

फिर मैं धीरे धीरे उसकी चूत में धक्के मारने लगा और उसके चूत के दाने को भी रगड़ने लगा.
इससे वह पूरे जोश में आ गई और अपना सारा दर्द भूलकर ‘आह आह’ की आवाजें निकालने लगी.

कुछ ही देर में मस्ती का आलम छा गया था.
पूरे हॉल में ‘पच-पच’ की आवाजें गूँजने लगी थीं.

दस मिनट मिशनरी पोजीशन में चुदाई करने के बाद मैंने उसे गोद में उठा लिया और दीवार से लगा दिया.

वह बस पांच फुट की थी और पतली-सी थी.
मैंने दीवार के सहारे फिर से उसकी चूत की चुदाई शुरू कर दी.

ऐसे ही वह झड़ गई और पांच छह धक्कों के बाद मैं भी कंडोम में झड़ गया.

फिर मैं उसे बाथरूम ले गया, गर्म पानी से उसकी चूत को साफ किया, उसे ब्रा और पैंटी पहनाई और बेड पर लिटा दिया … जो कुछ खराब हुआ था, उसे साफ किया.

सब साफ करने के बाद मैं भी बेड पर उसी के कंबल में सो गया.

मैंने उससे पूछा- मजा आया?
वह बोली- बहुत मजा आया. पर अब दर्द हो रहा है.

हम दोनों हंस पड़े.

फिर मैंने उसके होंठ चूसते हुए कहा- ये दर्द एक दिन का है. कल दोपहर तक तो तीन राउंड और कर लेंगे.

वह मना करने लगी, लेकिन मैंने समझाया- नहीं करोगी तो फिर दोबारा दर्द होगा.
वह मान गई.

अब रात के बारह बज चुके थे और हम दोनों सो गए.

सुबह पांच बजे मेरी आंख टॉयलेट के लिए खुली. उस समय मेरा लंड खड़ा था. पहले मैं टॉयलेट गया, फिर कविता की चूत को सहलाने लगा.

मेरा पूरा मन चुदाई करने का हो गया था.
मैंने उसकी पैंटी उतार दी, थोड़ा थूक लगाया और अपने लंड को उसकी चूत पर सैट कर दिया.

उसकी एक टांग अपने ऊपर ले ली और एक जोरदार झटका मारा.

मेरा लंड उसकी चूत में घुस गया और उसकी आवाज निकलने से पहले ही मैंने उसका मुँह दबा दिया.

मैंने कहा- आराम से चिल्लाओ यार!
वह गुस्से में बोली- मुझे दर्द हो रहा है और तुम मेरी चुदाई करने में लगे हो.

मैंने कहा- इसी तरह से दर्द खत्म होगा बेबी.
मैं उसकी चूत को रगड़ने लगा, धक्के मारने लगा.

मैं रुक रुक कर उसकी चूत की चुदाई कर रहा था क्योंकि उसे वैसे ही मजा आ रहा था.

दस मिनट बाद वह बोली- अब तेज तेज करो न!
तो मैंने तेज-तेज धक्के मारने शुरू कर दिए और हम दोनों एक साथ फिर से शांत हो गए.

इस बार कविता को दर्द बहुत कम हुआ और मजा बहुत आया.
उसकी चूत थोड़ी खुल गई थी.

फिर से मैंने उसके होंठ चूसे और हम दोनों सो गए.

इसके बाद सीधे दस बजे मेरी आंख खुली और मुझे अहसास हुआ कि कोई मेरा लंड दबा रहा है.

मैंने आंख खोली तो कविता मेरे लंड से खेल रही थी.
मैं भी जोश में आ गया और उसे अपने ऊपर ले लिया, उसके होंठों को चूसने लगा.

देखते ही देखते हम दोनों फिर से नंगे हो गए.
लेकिन मुझे ध्यान आया कि घर वाले आने वाले होंगे.

मैंने उससे कहा- अपनी मौसी को फोन करो कि उनके आने का क्या है और अपनी तबीयत की भी उन्हें बता दो.

वह फोन करने लगी.

इधर मैंने भी अपने घर वालों को फोन किया.
मुझे पता चला कि दोनों ही शाम तक आएंगे.

उधर कविता की मौसी भी नहीं आ रही थीं.

उसका फोन रखते ही मैंने फिर से उसे ऊपर से नीचे तक पूरा चूसा.
उसकी चूत और चूचियों का तो चूस-चूसकर बुरा हाल कर दिया.

मैंने उसे गोद में उठाया और बोला- मुझे टाइट से पकड़ लो!

उसने वैसा ही किया.
मैंने अपना लंड उसकी चूत की गहराई में डाल दिया और धक्के मारने लगा.
चुदाई के साथ ही हम दोनों एक दूसरे की जीभ और होंठ चूसने लगे.

बीस मिनट की दमदार देसी टीन चुदाई के बाद हम साथ में नहाए और खाना खाया.

वह बोली- तुम्हें कुछ इनाम देने का मन हो रहा है!
मैंने कहा- अपनी चुत तो दे दी तुमने और अब क्या इनाम देने की सोच रही हो!
मुझे लगा कि यह शायद गांड मरवा लेगी!

वह बोली- तुम बस जो भी माँगोगे, मैं दे दूँगी!

मैंने उसकी गांड पर हाथ फेरा तो वह एकदम से बोली- ए मिस्टर मेरा मतलब इससे नहीं है … गलत फायदा उठाने की कोशिश मत करो.

मैंने उससे कहा- अच्छा तो हमारी कॉलोनी की उस नेपाली लड़की की चूत और दिलवा दे यार, जो तुम्हारी सहेली है!
वह मुस्कुरा दी और बोली- हां वह तो आराम से मान जाएगी … मैं उससे बात करूँगी.

अभी तक नेपाली लड़की की चुदाई का मौका नहीं मिला.
जैसे ही मिलेगा, मैं आप सबको सेक्स कहानी के माध्यम से बताऊंगा.

मौसी की कुंवारी लड़की को होटल में चोदा

 

मेरी मौसी की बेटी मेरी दोस्त थी. एक बार मैं उनके घर गया तो उसने मुझे लहंगा दिलवाने को कहा. फिर उसने अंडरगारमेंट्स भी लिए. तब मैं उससे खुल गया.

दोस्तो, मेरा नाम सुजीत है और मेरी उम्र 30 साल है.
आज मैं आपको एक सच्ची सेक्स कहानी सुनाने जा रहा हूँ.

यह पोर्न सिस्टर सेक्स कहानी कुछ वर्ष पहले की है.
मेरी मौसी की एक लड़की थी, जिसका नाम पायल था.

उस समय वह बी.ए. प्रथम वर्ष की छात्रा थी.
मेरी अक्सर उससे बातचीत होती रहती थी.

एक बार की बात है, मैंने फोन पर पायल से कहा- मैं घर आने वाला हूँ. बताओ, तुम्हें क्या चाहिए?
पायल ने जवाब दिया- मेरी सहेली के भाई की शादी है. इस बार आपको मुझे लहंगा दिलवाना पड़ेगा.

मैंने कहा- ठीक है. इस बार जब आऊंगा, तो तुम्हें लेकर मार्केट चलूंगा. तुम अपनी पसंद का खरीद लेना.
वह खुश हो गई.

छुट्टियों में मैं मौसी के घर गया और शाम को पायल को लेकर कपड़े लेने चला गया.

पायल बोली- कपड़े आप दिलवा रहे हैं, तो आप अपनी पसंद का ही दिलवा दीजिए.
मैंने कहा- ठीक है.

मैं एक लाल रंग का लहंगा पसंद किया.
पायल को भी वह पसंद आ गया.

पायल ने चेक करने के बाद ओके कह दिया तो मैंने उसके लिए वह लहंगा खरीद लिया.

फिर हम दोनों अंडरगारमेंट्स की दुकान के सामने पहुंचे.

मैंने पायल से कहा- यह भी अपनी पसंद से ले लोगी या मेरी पसंद का ही पहनोगी?
यह सुनकर वह शर्मा गई और नज़रें नीचे करके बोली- आप मेरा बहुत मज़ा ले रहे हैं.

मैंने कहा- मज़ा तो तुम्हारा कोई किस्मत वाला ही लेगा. खैर … अभी यह बताओ कि तुम्हारी साइज़ क्या है?
वह बोली- जब आप अपनी पसंद का ले रहे हैं, तो साइज़ भी खुद ही सोच लीजिए. मैं नहीं बताऊंगी.
मैं दुकान में गया और मैंने 34 नंबर की लाल रंग की ब्रा और पैंटी ले ली.

इसके बाद हम दोनों ने एक रेस्टोरेंट में खाना खाया और घर की तरफ चल दिए.
तब तक अंधेरा हो चुका था और रास्ते में हल्की-हल्की बारिश होने लगी.

पायल ने कहा- भैया कोई जगह देखकर रुक जाइए, नहीं तो हम लोग भीग जाएंगे.
मैंने रास्ते में एक दुकान के पास गाड़ी रोक दी.

वह दुकानदार दुकान बंद करके घर जा चुका था और बारिश अब तेज़ होने लगी थी.

बात शुरू करने के लिए मैंने पायल से कहा- मैंने 34 नंबर की ब्रा और पैंटी लाल रंग की ली है. यही तुम्हारी साइज़ है ना?
वह बोली- आपको कैसे पता कि मेरी यही साइज़ है?

मैंने जवाब दिया- मेरी नज़र है. ऊपर से देखकर ही अन्दर का अंदाज़ा लगा लेती है.
यह सुनकर वह हंस दी और बोली- तब तो आपसे बचकर रहना पड़ेगा.

मैंने कहा- पर बच नहीं पाओगी.
वह मुझे देख कर मुस्कुराने लगी.

फिर मैंने पूछा- लहंगा पसंद तो है ना तुम्हें?
पायल बोली- हां, बहुत पसंद आया. पर मेरा लहंगा आपको महंगा पड़ गया … है न!

मैंने कहा- वह तो है, पर एक चुम्मा दे दोगी, तो कीमत वसूल हो जाएगी.

पायल बोली- अच्छा … तो आपको लहंगा के बदले चुम्मा चाहिए? हिम्मत है लेने की?
मैंने कहा- हिम्मत तो बहुत कुछ लेने की है.

फिर मैंने उसे अपनी तरफ खींचा और उसके चेहरे को अपने हाथों में लेकर उसके होंठों को अपने होंठों से चूसने लगा.

जब मैंने उसे छोड़ा, तो वह बोली- घर चलिए. मैं मम्मी से आपकी शिकायत करूँगी.

मैंने पूछा- क्या कहोगी?
वह बोली- यही कि आपने मेरा चुम्मा लिया है.

मैंने उसका हाथ पकड़ कर दोबारा पूछा- सच में कहोगी?
वह बोली- पागल हैं क्या … ऐसी बात किसी से कही जाती है?

मैंने कहा- जानता हूँ, पर तुम्हारे लिए पागल हूँ. आई लव यू.
पायल ने भी कहा- आई लव यू टू.

उसने मुझे बांहों में भरकर मेरे सीने पर अपना सिर रख दिया.

फिर मैंने उसके चेहरे को पकड़ कर दोबारा उसके होंठों को चूसना शुरू किया.
इस बार वह भी मेरा साथ देने लगी.

कुछ देर बाद मैंने उसे पलटा कर पीछे से अपने सीने से लगाया और अपने दोनों हाथों से उसकी दोनों चूचियों को साड़ी के ऊपर से दबाते हुए कहा- आई लव यू एंड आई वांट टू गेट यू!

वह भी मेरी बात से सहमत थी और बार-बार ‘आई लव यू टू डिअर और मुझे भी आपका प्यार चाहिए … आई लव यू!’ बोलने लगी.

जब वह यह बोलने लगी तो मैं समझ गया कि इसकी चूत लंड के लिए भभक रही है.
फिर वह बोली- भैया, बारिश बंद हो गई है और देर भी हो रही है. चलिए, घर चलते हैं.

मैंने कहा- ठीक है.
मैं उसे लेकर घर आ गया.

रास्ते में मैंने पायल को समझा दिया था कि कल शादी में घर से कह कर निकलेंगे कि सुबह आएंगे, लेकिन जयमाल के बाद खाना खाकर चले आएंगे और किसी होटल में रुकेंगे. सुबह घर लौट आएंगे.
पायल ने कहा- ठीक है, जैसी आपकी मर्ज़ी!

अगले दिन उसकी सहेली के भाई की शादी थी. शाम को पायल तैयार होकर मेरे सामने आई और पूछा- कैसी लग रही हूँ?
मैंने कहा- बहुत खूबसूरत.

मैं उसे साथ लेकर शादी में चला गया, जो मैरिज हॉल में हो रही थी.

जयमाल के बाद खाना खाकर मैं पायल के साथ वहां से निकल आया और उसे लेकर एक होटल में चला गया जहां मैंने पहले से ही एक रूम बुक किया था.

पायल को कमरे के अन्दर लाकर मैंने दरवाज़ा अन्दर से बंद कर दिया.

फिर उसके हाथों को अपने हाथों में लेकर उसे अपने सीने से लगा लिया और उसके होंठों को अपने होंठों से चूसते हुए उसे बिस्तर की तरफ ले गया.

मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़कर उसके नाज़ुक, गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होंठों से उसकी जवानी का रस चूसने लगा.

थोड़ी देर बाद मैंने अपनी जीभ पायल के मुँह में डाल दी.
पायल मेरी जीभ को चूसने लगी.

फिर पायल ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और मैं उसकी जीभ को चूसता रहा.

कुछ देर बाद मैं उठकर बैठ गया और पायल से कहा- मेरी जांघों पर आकर बैठो.
पायल मेरी जांघों पर मेरी तरफ मुँह करके बैठ गई.

मैंने पायल को अपनी बांहों में कसकर भर लिया.
पायल ने भी मुझे अपनी बांहों में कसकर भर लिया.
उसकी नर्म चूचियां मेरे सीने को दबाने लगीं.

मैंने पायल के चेहरे को अपनी दोनों हथेलियों में भर लिया और उसकी आंखों में देखते हुए कहा- आई लव यू पायल. वह भी मुझे ‘आई लव यू टू’ बोलने लगी.

इसके बाद मैंने उसके चेहरे पर चुम्बनों की बौछार कर दी.
वह भी मुझे चूमने लगी.

कुछ देर बाद जब मैंने उसे छोड़ा, तो उसकी आंखें एकदम नशीली हो गई थीं और उसकी सांसें तेज़ चलने लगी थीं.
मैंने पायल से कहा- पायल, अब तुम्हारी बारी है.

तब पायल ने मेरे चेहरे को अपने दोनों हाथों में लेकर मेरे चेहरे पर अपने नर्म, नाज़ुक होंठों से चुम्बनों की बौछार कर दी.

मैं उसकी पीठ को अपने दोनों हाथों से सहलाते हुए बोल रहा था- पायल आज मैं तुम्हें पाना चाहता हूँ मेरी जान!

पायल भी राजी थी.

कुछ देर बाद पायल ने मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसना शुरू कर दिया.
मैंने भी पायल को कसकर अपनी बांहों में भर लिया और चुम्बन में उसका साथ देने लगा.

कुछ देर बाद जब हम अलग हुए, तो हम दोनों की सांसें बहुत तेज़ चल रही थीं.

पायल ने मुझसे कहा- कुछ हो रहा है जान!
तब मैंने उसे अपने सीने से लगाते हुए कहा- जानता हूँ … मुझे भी हो रहा है. आज हमारी सुहागरात है ना?

तब पायल हंस कर बोली- सुहागरात तो है, पर आपने तो मुझे अभी अपनी दुल्हन बनाया नहीं. मेरी मांग तो अभी भी खाली है.

मैंने पास में पड़े पायल के पर्स से लाल रंग की लिपस्टिक निकाली और उसकी मांग में लगा दी.

फिर पायल से बोला- अब ठीक है ना? अब तो मेरी दुल्हन बन गई ना?
पायल ने कहा- अब से मैं आपकी दुल्हन हूँ.

मैंने पायल से कहा- अब तो तुम्हें चोदने का लाइसेंस मिल गया है ना?
वह ‘धत्त पागल’ कहती हुई मेरे सीने से लग गई.

मैंने पायल के सिर को अपने दोनों हाथों में लिया और उसके माथे पर एक चुम्बन लेते हुए कहा- आई लव यू, पायल.
उसने भी मुझे ‘आई लव यू’ बोला.

उसके बाद मैंने उसकी चोली उतार दी.
अब पायल मेरे सामने लाल रंग की प्रिंटेड पारदर्शी ब्रा में थी, जो मैंने कल खरीदी थी.

मैंने पायल की पीठ को सहलाते हुए उसकी ब्रा का हुक खोलकर उसे भी उतार दिया.

अब पायल की संतरे जैसी दोनों चूचियां बिल्कुल आज़ाद थीं.
मैंने पायल को अपनी जान को बिस्तर पर पीठ के बल लिटा दिया.

इसके बाद मैंने भी अपना कुर्ता, बनियान और पैंट उतार दिए और अंडरवियर में आ गया.

मैं फिर से पायल के ऊपर लेट गया और उसकी बायीं चूची की निप्पल को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा, साथ ही दाहिने हाथ से उसकी दाहिनी चूची की निप्पल को मसलने लगा.

वह धीरे-धीरे ‘आह मेरी जान …’ बोलने लगी.
कुछ देर बाद मैंने उसकी दाहिनी चूची की निप्पल को मुँह में लिया और बायीं चूची को हाथ से मसलने लगा.

पायल मादक आहें भरती हुई कह रही थी- आह खा जाओ मेरे दोनों कबूतर आह.

पायल की दोनों चूचियों को कुछ देर तक चूसने और मसलने के बाद मैं उसके पेट को चूमते हुए उसकी नाभि को चूमने और चाटने लगा.

पायल अपने दोनों हाथों से मेरे सिर को सहलाती हुई मुझे अपनी चूत की तरफ खींचने की कोशिश कर रही थी.

इसके बाद मैंने एक बार फिर पायल के चेहरे को कुछ देर तक चूमा और उसके बगल में पीठ के बल लेट गया.

मैंने कहा- जान अब तुम्हारी बारी.

पायल मेरे ऊपर आ गई और मेरे चेहरे को कुछ देर तक चूमा.

फिर मैंने उससे अपने निप्पल को चूसने को कहा.
उसने मेरी बायीं चूची की निप्पल को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू किया.

थोड़ी देर बाद वह मेरी दाहिनी चूची की निप्पल को भी चूसने लगी.
फिर उसने मेरे सीने और पेट पर चुम्बनों की बौछार कर दी.

इसके बाद मैंने पायल से मेरा अंडरवियर उतारने को कहा.
उसने मेरे पैरों के पास आकर मेरा अंडरवियर उतार दिया.

मेरा लंड एकदम टाइट अवस्था में उसके सामने खड़ा था.
मैंने पायल से उसे सहलाने को कहा तो उसने अपने दाहिने हाथ से मेरे लंड को धीरे-धीरे सहलाना शुरू किया.

फिर मैंने पायल से अपने लंड को चूसने के लिए कहा तो पहले उसने मना किया लेकिन जब मैंने उसे अपनी कसम दी तो वह तैयार हो गई.

मैंने अपने दाहिने हाथ से अपने लंड की चमड़ी को पीछे किया तो पायल ने मेरे सुपारे पर अपनी जीभ रखकर चाटना शुरू किया.

मैंने उससे लंड को मुँह में लेने को कहा.
उसने मेरे लंड का अगला भाग अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया.

मैं पायल के सिर को अपने हाथों में लेकर सहला रहा था.
कुछ देर तक पायल को अपना लंड चुसाने के बाद मैंने कहा- जान, ऊपर आओ.

तब पायल मेरे लंड को छोड़ कर मेरे ऊपर आ गई.
मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रखकर चूसने लगा.

उसके होंठों को चूसते हुए मैंने करवट बदलकर उसे नीचे किया और खुद उसके ऊपर आ गया.
मैं फिर से उसके पूरे चेहरे को चूमने लगा.
इसके बाद उसके गले और कंधों को चूमते हुए उसकी दोनों चूचियों को बारी-बारी चूमा और नीचे की तरफ उसके पेट को चूमते हुए उसके लहंगे तक पहुंच गया.

मैंने पायल से कहा- जान तुम्हारा लहंगा उतार दूँ?
उसने मेरी तरफ देखकर मुस्कुराते हुए हां में इशारा किया.

मैंने लहंगे की डोरी खोलकर दोनों हाथों से पायल का लहंगा उतारना शुरू किया तो उसने भी अपनी कमर उठा दी.
मैंने लहंगा उतार दिया.

अब पायल मेरे सामने लाल रंग की प्रिंटेड पारदर्शी पैंटी में लेटी हुई थी.

मैंने अपने दाहिने हाथ को पायल की बुर के ऊपर पैंटी पर फिराया तो पायल ने आंखें बंद करके एक मादक आह भरी.

फिर मैंने पायल की पैंटी भी उतार कर उसे पूरी तरह नंगी कर दिया.

अब मैंने पायल की दोनों टांगों को हल्का-सा फैलाया और अपने होंठों को पायल की बुर के ऊपर रखकर एक चुम्मा लिया.
पायल के मुँह से एक सीत्कार निकल गई.

इसके बाद मैंने अपनी जीभ को पायल की बुर के अन्दर डालकर चाटना शुरू किया.
पायल मेरे सिर को पकड़ कर चूत पर दबाती हुई बोलने लगी- आह सक इट आह … आई लव यू जान!

कुछ देर तक उसकी बुर को चाटने के बाद मैं उसके दोनों टांगों के बीच में बैठ गया और लंड पर हल्का सा थूक लगाते हुए उससे बोला- मेरी जान मेरा लंड खाकर कली से फूल बनने के लिए तैयार हो न … मेरा लंड आज तुम्हें लड़की से औरत बनाना चाहता है. क्या बनने के लिए तैयार हो?
पायल ने सिर हिलाकर इशारा किया और बोली- हां तैयार हूँ.

मैंने अपने लंड के सुपारे को पायल की बुर के छेद पर सैट कर हल्का सा धक्का लगाया.
मेरे लंड का सुपारा पायल की बुर के छेद में फँस गया.

मैंने टीवी पर चल रहे गाने की आवाज़ को थोड़ा तेज़ किया और दोनों हाथों से पायल के दोनों कंधों को दबा दिया.
फिर ‘आई लव यू’ बोलते हुए मैंने अपने लंड पर दबाव बनाया.

मेरा लंड पायल की बुर को चीरते हुए अन्दर तक धँस गया.

पायल के मुँह से एक चीख निकल गई और वह मेरे नीचे छटपटाने लगी, छूटने का प्रयास करने लगी.
मैंने उसे कसकर अपने नीचे दबा लिया.

तब वह बोली- भइया, प्लीज़ बाहर निकालिए. बहुत दर्द हो रहा है, नहीं तो मैं मर जाऊंगी.
मैंने उसे दबाए हुए ही कहा- थोड़ी देर दर्द सह लो मेरी जान. दर्द अपने आप खत्म हो जाएगा.

कुछ देर बाद जब पायल का दर्द कम हुआ तो उसने मुझे कसकर बांहों में भर लिया और नीचे से अपनी कमर हिलाने लगी.

ऊपर से मैं भी धीरे-धीरे अपना लंड उसकी बुर में अन्दर-बाहर करने लगा.

अब मैंने उससे पूछा- कैसा लग रहा है?
इस पर वह कराहती हुई आवाज में बोली- अच्छा लग रहा है.

चूंकि मैं पहले भी कई लड़कियों को चोद चुका था इसलिए मैं आराम से पायल को चोद रहा था.
वह मादक आहें भर रही थी.

कुछ देर बाद वह झड़ गई और मुझसे बोली- अब बस करो!

तब मैं तेज़ी से पायल को चोदने लगा.
करीब तीस पैंतीस धक्के और लगाने के बाद और तेज़ी से चोदने के बाद मैंने अपना वीर्य पायल के अन्दर ही निकाल दिया.

झड़ने के बाद मैं पायल के बगल में लेट गया.
पायल मेरे सीने पर अपना सिर रखकर लेट गई.

मैं उसके सिर को सहलाते हुए बोला- मेरी जान, आज तुम्हारी सील तोड़कर तुम्हें औरत बना दिया. बताओ, सुहागरात की पहली चुदाई कैसी लगी?
पायल बोली- अच्छी लगी, पर दर्द भी हुआ.
मैंने कहा- अब कभी दर्द नहीं होगा, मेरी जान.

थोड़ी देर बाद मैंने पायल से फिर से अपने लंड को चूसने के लिए कहा.

वह मेरे पैरों के पास आकर बैठ गई और अपने हाथ में मेरा सोया हुआ लंड पकड़कर चूसने लगी.

कुछ देर बाद मेरा लंड धीरे-धीरे खड़ा होने लगा और फिर से अपनी पूरी ताकत में खड़ा हो गया.

अब मैंने पायल को डॉगी स्टाइल में कर दिया और पीछे से उसकी बुर में अपना लंड डालकर उसकी कमर पकड़ कर चोदने लगा.

कुछ देर तक डॉगी स्टाइल में चोदने के बाद मैंने अपना लंड उसकी बुर से बाहर निकाला और खुद पीठ के बल लेट गया.
मैंने पायल को अपने ऊपर आने का इशारा किया.

पायल ने अपनी दोनों टांगों को मेरी कमर के दोनों तरफ़ किया और मेरा लंड अपनी बुर के छेद पर सैट कर धीरे-धीरे मेरे लंड पर बैठ गई. मेरा लंड उसकी बुर में समा गया.

अब पायल कमर हिलाकर मुझे चोद रही थी.
मैं अपने दोनों हाथों से उसकी दोनों चूचियों को पकड़कर मसलते हुए चोद रहा था.

मैं उससे बोल रहा था- आह पायल और तेज चोदो मुझको … आह और चोदो.

कुछ देर तक इसी पोज़ीशन में चुदाई करने के बाद पायल मेरे ऊपर झुक गई और अपनी कमर हिलाकर चुदाई करती रही.

मैं दोनों हाथों से उसकी गांड सहलाते हुए नीचे से धक्के लगा रहा था.

तभी मेरे फोन पर मौसी का कॉल आ गया.
पायल मेरे ऊपर आराम से लेट गई.

मैंने अपनी सांसें स्थिर कर ‘हैलो’ बोला.
मौसी ने पूछा- क्या हो रहा है?

मैंने कहा- कुछ नहीं, मैं रूम में आकर आराम कर रहा हूँ. पायल अपनी सहेली के साथ है, हम लोग सुबह आएंगे.

मौसी बोली- ठीक है, आराम से आना.
इसके बाद मौसी ने फोन कट कर दिया.

जब मैंने फोन रखा तो पायल बोली- मम्मी से झूठ बोल रहे थे न!
मैंने उसकी गांड पर हल्की सी चपत लगाते हुए कहा- और नहीं तो क्या बोलूं? मौसी, आपकी बिटिया की चुदाई हो रही है और आपका भानजा उसे दुल्हन बनाकर चोद रहा है.

यह सुनकर पायल बोली- पागल, कुछ भी बोलते हो.
मैंने कहा- मेरी जान, पागल तो तुम्हारी जवानी और तुम्हारा गदराया बदन मुझको बना रहा है.

मैंने पायल को इशारा किया.
वह हल्का-सा ऊपर उठी.

मैं उसे अपनी गोद में लिए हुए ही बैठ गया.

अब पायल मेरी जांघों पर बैठी थी और मेरा लंड उसकी चूत में था.
मैंने उसे अपने सीने से लगा लिया और उसके चेहरे को अपने हाथों में लेकर फिर से उसके होंठ चूसने लगा.

पोर्न सिस्टर सेक्स का मजा लेती हुई कमर हिलाकर उसी पोज़ीशन में चुदती रही.

फिर मैंने पायल को पीठ के बल लेटाकर उसके ऊपर जाकर फिर से चोदने लगा.

कुछ देर चोदने के बाद हम दोनों एक बार फिर साथ में स्खलित हो गए.
उस रात मैंने पायल को तीन बार चोदा और अगले दिन सुबह उसे लेकर घर आ गया.

दोस्तो, पायल के साथ यह मेरी पहली चुदाई थी. उसके बाद तीन साल तक हमारा रिश्ता चला.
हम दोनों जब भी मौका मिलता, चुदाई कर लेते थे.

फिर पायल की शादी हो गई और वह अपनी ससुराल चली गई.

आज उसकी शादी को लगभग दो साल हो गए हैं.
इस बीच न उसने मुझे कभी फोन किया और न ही मैंने उससे संपर्क करने की कोशिश की.

उम्मीद है, यह पोर्न सिस्टर सेक्स कहानी आपको पसंद आई होगी.

ज्योतिषी बन कर भाभी को बच्चा दिया

  मेरे पास जॉब नहीं थी, मैं फर्जी ज्योतिषी बनकर हाथ देख कर कमाई करने लगा. एक भाभी मेरे पास बच्चे की चाह में आई. वह माल भाबी थी. भाभी की रंड...