आपने पढ़ा था कि कैसे मैंने कविता के अन्दर सेक्स की उत्तेजना जागृत कर दी और उसने खुद से मुझे सेक्स के लिए आमंत्रित किया.
अब आगे की देसी टीन चुदाई कहानी में आप मेरी कुंवारी पड़ोसन की चुदाई का मजा लीजिए.
मैं और कविता पूरी तरह से नंगे हो चुके थे, क्या कमाल की चूत थी उसकी.
दूध जैसे रंग की चूत के नम होंठ … एकदम गुलाबी रंग की चूत की पंखुड़ियां.
बिल्कुल छोटी सी फूली हुई बंद चूत बड़ी ही प्यारी सी लग रही थी.
काले काले घुँघराले बालों के बीच में कविता की चूत ऐसी लग रही थी जैसी कोई काल कोठरी में परी बंद हो.
मैंने उसको दीवार से लगाया और उसके होंठों को, चूचियों को, पेट को चूसते हुए नीचे आ गया.
मैंने नीचे बैठकर उसकी एक टांग को अपने कंधे पर रख लिया और उसकी चूत के दाने को उंगलियों से रगड़ने लगा.
इससे वह तड़पने लगी और मचलने लगी.
उसकी आई आई आह आह आवाज निकलने लगी.
फिर मैंने उंगली उसकी चूत में डाली और अन्दर बाहर करने लगा.
उसकी आह आह की आवाज पूरे घर में गूँज रही थी.
वह मेरे बालों को नोंच रही थी और बोल रही थी कि अब रहा नही जा रहा … जल्दी से कुछ करो यार!
मैंने कहा- जान आज तो पूरी रात मजे करने हैं … जल्दी क्यों कर रही हो!
यह कह कर मैं उसके होंठों को चूसने लगा.
मैंने उससे कहा कि तुम्हारी चूत के बाल साफ़ करने है … कैंची है क्या?
वह कैंची लाई और मैंने कैंची से उसकी चूत के बाल साफ़ किए.
उसकी चूत को मैंने पानी से साफ़ किया जैसे ही मैंने उसकी चूत पर ठंडा पानी डाला … वह मचल गई और आह आह करने लगी.
अब हम दोनों के अन्दर ही वासना भरी हुई थी.
मैंने फिर से नीचे बैठकर उसकी एक टांग को अपने कंधे पर रखी और उसकी चूत को मुँह में भर लिया.
वह एकदम से मचल गई और नीचे बैठने लगी.
मैंने उसे कस कर पकड़ लिया और चूत में जीभ डालने लगा … चूत को चूसने लगा.
वह मानो पागल हो गयी थी.
उसके मुँह से बस ‘आह आह ओह ओह नितेश मेरी चूत को फाड़ दो आज …सारी खुजली मिटा दो इसकी …’ यही सब निकल रहा था.
मैंने भी कहा- आज तो कविता बस तुम मजा लो और मेरा साथ दो!
मैंने भी चूत में उंगली चालू कर दी और साथ साथ चूसने भी लगा.
वह अब सातवें आसमान पर थी. उससे अब रहा नही जा रहा था.
कुछ मिनट उसकी चूत चूसने और चाटने के बाद उसकी चूत का पानी निकल गया.
वह बहुत थक गयी थी और बोली- यार, तुमने तो आज मेरा बुरा हाल कर दिया!
मैं बोला कि ये तो अभी शुरूआत है मेरी जान … अब तुम्हारी बारी है मेरा लंड चूसने की!
मेरे लंड का हाल बहुत बुरा हो चुका था, पूरा दर्द कर रहा था क्योंकि बहुत टाइम से सेक्स का न/शा चढ़ा हुआ था.
मैंने कविता को नीचे बैठाया.
उसने पहले तो मेरे लंड को आगे पीछे किया और धीरे से मुँह में लेकर चूसने लगी.
मेरा पूरा लंड उसने गीला गीला और रसीला कर दिया था.
मैंने उससे बोला- कुछ भी कहो लंड तो बड़ा मस्त चूस रही हो तुम तो!
यह सुनकर वह और अच्छे से लंड चूसने लगी.
दस मिनट की लंड चुसाई के बाद मेरा पानी निकल गया.
फिर हम दोनो शांत बैठ गए.
उसके बाद मैंने फिर से उसकी चूत में उंगली चालू कर दी और देखते देखते वह गर्म हो गई.
उसने मेरा लंड भी चूसा और उसको अपनी चूत के लिए तैयार कर दिया.
अब मैंने उसको फोल्डिंग पर लिटाया और दोनों टांगें उसकी चूचियों तक मोड़ दीं.
वह बोली- बेड पर चलो ना!
मैंने कहा- बेड खराब हो जाएगा इसलिए फोल्डिंग ठीक है.
मैंने उसकी टांगें मोड़ दीं और उसकी चूत चाटने लगा.
उसके मुँह से मादक आवाज निकल रही थी- फाड़ दो मेरी चूत को आज … आह आह आज इसको अपने लंड की चढ़ाई करवा दो.
मैं उसकी चूत के साथ खेलता रहा.
फिर ज़्यादा देर न करते हुए मैंने अपने लंड पर कंडोम चढ़ाया और उसकी चूत पर रगड़ने लगा.
कविता भड़क कर और बोली- साले, क्यों इतना पागल कर रहा है? डाल दे ना इसको मेरी चूत में!
देसी टीन चुदाई के लिए तरस रही थी.
मैंने कहा- बेबी, सब्र का फल मीठा होता है, रुक जाओ ना! देखो न तुम्हें चोदने के लिए मैं कंडोम भी लेकर आया था!
वह हंस दी.
अब मैं उसके ऊपर चढ़ गया, उसके होंठ चूसने लगा और नीचे से उसकी चूत पर अपना लंड सहलाने लगा.
वह अपनी गांड उठा कर चुत में लंड लेने की कोशिश कर रही थी.
मैंने अपना लंड उसकी चूत पर सैट किया और उसके ऊपर सही से सैट हो गया.
मैं उसके होंठ चूसने लगा, क्योंकि मुझे पता था कि अब ये साली लंड लेते ही चिल्लाएगी.
मैंने थोड़ा दबाव दिया तो मेरा लंड उसकी चूत में घुसने लगा और उसे दर्द महसूस होने लगा.
मैं रुका और कविता के होंठों को चूसने लगा.
जब उसे अच्छा महसूस हुआ तो मैंने फिर से एक धक्का मारा जिससे उसकी चूत फट गई और उसकी आंखों से आंसू आने शुरू हो गए.
उसने अपने होंठ मुझसे अलग किए और रोने लगी.
मैंने उसे समझाया- पहली बार में ऐसा होता है. पांच मिनट रुको, सब ठीक हो जाएगा.
मैंने फिर से उसके होंठ और चूचियों को अपने मुँह में लिया और चूसने लगा.
थोड़ी देर में वह शांत हो गई.
फिर मैं धीरे धीरे उसकी चूत में धक्के मारने लगा और उसके चूत के दाने को भी रगड़ने लगा.
इससे वह पूरे जोश में आ गई और अपना सारा दर्द भूलकर ‘आह आह’ की आवाजें निकालने लगी.
कुछ ही देर में मस्ती का आलम छा गया था.
पूरे हॉल में ‘पच-पच’ की आवाजें गूँजने लगी थीं.
दस मिनट मिशनरी पोजीशन में चुदाई करने के बाद मैंने उसे गोद में उठा लिया और दीवार से लगा दिया.
वह बस पांच फुट की थी और पतली-सी थी.
मैंने दीवार के सहारे फिर से उसकी चूत की चुदाई शुरू कर दी.
ऐसे ही वह झड़ गई और पांच छह धक्कों के बाद मैं भी कंडोम में झड़ गया.
फिर मैं उसे बाथरूम ले गया, गर्म पानी से उसकी चूत को साफ किया, उसे ब्रा और पैंटी पहनाई और बेड पर लिटा दिया … जो कुछ खराब हुआ था, उसे साफ किया.
सब साफ करने के बाद मैं भी बेड पर उसी के कंबल में सो गया.
मैंने उससे पूछा- मजा आया?
वह बोली- बहुत मजा आया. पर अब दर्द हो रहा है.
हम दोनों हंस पड़े.
फिर मैंने उसके होंठ चूसते हुए कहा- ये दर्द एक दिन का है. कल दोपहर तक तो तीन राउंड और कर लेंगे.
वह मना करने लगी, लेकिन मैंने समझाया- नहीं करोगी तो फिर दोबारा दर्द होगा.
वह मान गई.
अब रात के बारह बज चुके थे और हम दोनों सो गए.
सुबह पांच बजे मेरी आंख टॉयलेट के लिए खुली. उस समय मेरा लंड खड़ा था. पहले मैं टॉयलेट गया, फिर कविता की चूत को सहलाने लगा.
मेरा पूरा मन चुदाई करने का हो गया था.
मैंने उसकी पैंटी उतार दी, थोड़ा थूक लगाया और अपने लंड को उसकी चूत पर सैट कर दिया.
उसकी एक टांग अपने ऊपर ले ली और एक जोरदार झटका मारा.
मेरा लंड उसकी चूत में घुस गया और उसकी आवाज निकलने से पहले ही मैंने उसका मुँह दबा दिया.
मैंने कहा- आराम से चिल्लाओ यार!
वह गुस्से में बोली- मुझे दर्द हो रहा है और तुम मेरी चुदाई करने में लगे हो.
मैंने कहा- इसी तरह से दर्द खत्म होगा बेबी.
मैं उसकी चूत को रगड़ने लगा, धक्के मारने लगा.
मैं रुक रुक कर उसकी चूत की चुदाई कर रहा था क्योंकि उसे वैसे ही मजा आ रहा था.
दस मिनट बाद वह बोली- अब तेज तेज करो न!
तो मैंने तेज-तेज धक्के मारने शुरू कर दिए और हम दोनों एक साथ फिर से शांत हो गए.
इस बार कविता को दर्द बहुत कम हुआ और मजा बहुत आया.
उसकी चूत थोड़ी खुल गई थी.
फिर से मैंने उसके होंठ चूसे और हम दोनों सो गए.
इसके बाद सीधे दस बजे मेरी आंख खुली और मुझे अहसास हुआ कि कोई मेरा लंड दबा रहा है.
मैंने आंख खोली तो कविता मेरे लंड से खेल रही थी.
मैं भी जोश में आ गया और उसे अपने ऊपर ले लिया, उसके होंठों को चूसने लगा.
देखते ही देखते हम दोनों फिर से नंगे हो गए.
लेकिन मुझे ध्यान आया कि घर वाले आने वाले होंगे.
मैंने उससे कहा- अपनी मौसी को फोन करो कि उनके आने का क्या है और अपनी तबीयत की भी उन्हें बता दो.
वह फोन करने लगी.
इधर मैंने भी अपने घर वालों को फोन किया.
मुझे पता चला कि दोनों ही शाम तक आएंगे.
उधर कविता की मौसी भी नहीं आ रही थीं.
उसका फोन रखते ही मैंने फिर से उसे ऊपर से नीचे तक पूरा चूसा.
उसकी चूत और चूचियों का तो चूस-चूसकर बुरा हाल कर दिया.
मैंने उसे गोद में उठाया और बोला- मुझे टाइट से पकड़ लो!
उसने वैसा ही किया.
मैंने अपना लंड उसकी चूत की गहराई में डाल दिया और धक्के मारने लगा.
चुदाई के साथ ही हम दोनों एक दूसरे की जीभ और होंठ चूसने लगे.
बीस मिनट की दमदार देसी टीन चुदाई के बाद हम साथ में नहाए और खाना खाया.
वह बोली- तुम्हें कुछ इनाम देने का मन हो रहा है!
मैंने कहा- अपनी चुत तो दे दी तुमने और अब क्या इनाम देने की सोच रही हो!
मुझे लगा कि यह शायद गांड मरवा लेगी!
वह बोली- तुम बस जो भी माँगोगे, मैं दे दूँगी!
मैंने उसकी गांड पर हाथ फेरा तो वह एकदम से बोली- ए मिस्टर मेरा मतलब इससे नहीं है … गलत फायदा उठाने की कोशिश मत करो.
मैंने उससे कहा- अच्छा तो हमारी कॉलोनी की उस नेपाली लड़की की चूत और दिलवा दे यार, जो तुम्हारी सहेली है!
वह मुस्कुरा दी और बोली- हां वह तो आराम से मान जाएगी … मैं उससे बात करूँगी.
अभी तक नेपाली लड़की की चुदाई का मौका नहीं मिला.
जैसे ही मिलेगा, मैं आप सबको सेक्स कहानी के माध्यम से बताऊंगा.
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