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Thursday, 16 October 2025

हिजड़े का लंड चूस के उसकी गांड मारी

 

छक्का सेक्स कहानी में मैं गांड मारने मरवाने, लंड चूसने चुसवाने यानि गे सेक्स का शौकीन हूँ. एक बार ट्रेन में मुझे एक हीजड़ा पसंद आ गया. स्टेशन पर मैंने उससे बात की.

दोस्तो, मेरा नाम नेहा है।
वैसे तो मैं एक लड़का हूँ पर जिन्होंने मेरी पिछली कहानी
हिजड़े शीमेल ने मेरी गांड मार ली
पढ़ी हैं, उन्हें पता है कि मैं क्या हूँ.

ये छक्का सेक्स कहानी मेरी तीसरी कहानी है।

मैं ट्रेन से सूरत जा रहा था।

सबको पता है कि ट्रेन में हिजड़े पैसे माँगने के लिए आते हैं।

मैं ट्रेन में बैठा था और हेडफोन लगाकर म्यूजिक सुन रहा था।

अचानक मुझे ताली बजाने की आवाज़ सुनाई दी।
मैंने देखा तो हिजड़े पैसे माँगने के लिए आए थे।

वो मेरे पास आए और पैसे माँगने लगे।
मैंने कुछ नहीं दिया।

वो जबरदस्ती से पैसे निकालने में एक्सपर्ट होते हैं।

“अरे, पैसे दे!” उन्होंने कहा।
मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

थोड़ी देर बाद वो चले गए।

उसी समय मेरा स्टेशन आ गया तो मैं उतर गया।

उस हिजड़ों के ग्रुप में एक बहुत चिकना दिखने वाला हिजड़ा था।

मैं उतरा, वो थोड़ा दूर खड़ा था।
मैं उधर गया, वहाँ सब लोग थे।

मैंने उसको इशारे से बुलाया।
वो मेरे पास आने लगा।
मैं आगे चलने लगा।

थोड़ी देर बाद हम स्टेशन से बाहर आ गए।
उसने मुझे पीछे से आवाज़ लगाई।

मैं खड़ा हो गया।

“बुलाकर कहाँ चल दिए!” उसने कहा।
मैंने कहा, “मुझे काम है, पर यहाँ सब लोग हैं, इसलिए मैंने तुमसे बात नहीं की।”

“क्या काम है?” उसने पूछा।
मैंने कहा, “तुम्हारे पास वो है।”

“क्या वो? मुझे बताओ!” उसने कहा।
मुझे भी शर्म आ रही थी।

उसने कहा, “थोड़ा खुलकर कहो!”
मैंने कहा, “लंड है!”

वो हँसने लगी- “क्यों, तुमको क्या काम है!”
मैंने कहा, “मैं तुम्हें पैसे दूँगा, 500 रुपये!”

वो बात समझ गई छक्का सेक्स की।
उसने कहा, “ठीक है, पर यहाँ कहाँ? पकड़े गए तो बदनामी हो जाएगी!”

मैंने कहा, “तुम कुछ करो, तुम्हें तो पता होगा!”
उसने कहा, “ठीक है, रुको!”

वो किसी को कॉल करने लगी।
थोड़ी देर बाद बोली, “एक केबिन है, वहाँ चलते हैं।”

मैंने कहा, “कोई आ गया तो?”
उसने कहा, “वो पुरानी है, वहाँ कोई नहीं आता। तुम चलो!”

मैंने कहा, “ठीक है!”
फिर मैं चला।

हम केबिन में गए, वो टूटी-फूटी थी।
अंदर गए, वहाँ बहुत गंदा था।

फिर अंदर उसने कहा, “बोलो, क्या करना है!”
मैंने उसको पकड़ लिया और किस करने लगा।

थोड़ी देर बाद मैं घुटनों के सहारे बैठ गया।
उसने अपना घाघरा ऊपर किया।

मैंने उसकी पैंटी खिसकाई।
उसका लंड मेरी आँखों के सामने आ गया।
इतना बड़ा नहीं था, अच्छा-खासा था।
थोड़े-थोड़े बाल थे।

मैंने उसको हाथ में पकड़ा।
वो सिहर उठी।

मैंने उसको धीरे-धीरे आगे-पीछे करना शुरू किया।
वो सिसकारियाँ ले रही थी।

थोड़ी देर बाद मैंने हल्के से उसे मुँह में लिया और चूसने लगा।

करीब 2-3 मिनट तक चूसा।
उसके बाद मैं खड़ा हो गया और फिर से किस करने लगा।
उसके लिप पर किस करते हुए उसका लंड हिलाने लगा।

वो भी सिसकारियाँ ले रही थी।
थोड़ी देर बाद उसका पानी निकल गया।

फिर वो मुझसे चिपक गई।
थोड़ी देर बाद हम अलग हुए।

फिर मैंने अपना पैंट खोला और उसने मेरा चूसना शुरू किया।
मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था।

सच में, क्या चूस रही थी, पूरी अपनी जीभ से!

थोड़ी देर बाद मैंने उसको दीवार के सहारे घोड़ी बनाया।
मेरे बैग से कंडोम निकाला, अपने लंड पर लगाया।

फिर घाघरा ऊपर करके उसकी गाँड में डाला।
2-3 मिनट के छक्का सेक्स के बाद मैं झड़ गया।

फिर उसने मेरा लंड साफ किया।
हमने लिप किस किया।

उसने कहा, “तुम निकल जाओ!”
मैं निकला, फिर ऑटो पकड़कर चला गया।

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