Product

Sunday, 19 October 2025

झांटू पति के बॉस के लौड़े से चूत फड़वाई

 

हिंदी Xxx अफेयर स्टोरी में मेरे पति मुझे चोद कर संतुष्ट नहीं कर पाते थे, उनका लंड छोटा था. एक बार उनके बॉस हमारे घर आये तो उनकी वासना भरी नजर मेरे सैक्सी बदन पर टिक गयी.

यह कहानी सुनें.

Audio Player
00:00
00:00

नमस्कार दोस्तो, मैं सोनम वर्मा आप सभी लोगों का एक बार फिर से स्वागत करती हूँ.

मैं उम्मीद करती हूँ कि मेरे द्वारा भेजी गई कहानियां आप लोगों को पसंद आ रही होंगी.

मेरे अन्तर्वासना के पाठक मुझे लगातार अपनी अपनी कहानियां भेज रहे हैं और मुझे जो कहानी सच्ची और कामुक लगती है, उन्हीं कहानियों को आप लोगों के सामने प्रस्तुत करती हूँ.

आज की कहानी मेरी पुरानी पाठिका ने भेजी है, उनका नाम दीपा है.
आगे की हिंदी Xxx अफेयर स्टोरी दीपा की कलम से सुनें.

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम दीपा है और मेरी उम्र 24 साल है. मैं किस शहर से हूँ, ये तो नहीं बता सकती.

मेरा फिगर 36-32-38 का है और मेरा वजन 56 किलो है.
मेरी हाइट 5 फ़ीट 6 इंच है और शरीर भरा और गदराया हुआ है.

सन 2020 में मेरी शादी हुई है और मैं अपने पति की दूसरी बीवी हूँ.
मेरे पति एक सरकारी कर्मचारी हैं. उनकी पहली पत्नी के निधन के बाद मेरी उनसे शादी हुई.

मेरे पति की उम्र 44 साल है और मैं उनसे 20 साल छोटी हूँ.

आप लोग सोच रहे होंगे कि इतनी बड़ी उम्र के आदमी के साथ मैंने कैसे शादी कर ली!

दरअसल मैं एक बहुत गरीब परिवार से हूँ और जब मेरे लिए शादी का रिश्ता आया, तो हम सब इस रिश्ते को लेकर बात करने लगे.
चूंकि यह रिश्ता एक अच्छे परिवार से आया था और मेरे पति की सरकारी जॉब थी तो मेरे परिवार ने मेरी भलाई के लिए ही इस शादी के लिए हां कर दी.

शादी से पहले मैंने कभी सेक्स नहीं किया था.
मैंने शादी के बाद ही अपने पति ने मेरे साथ पहली बार सेक्स किया था.

मेरे पति के पहले से कोई बच्चा नहीं था क्योंकि उनकी पहली पत्नी काफ़ी बीमार रहती थीं.

शादी के बाद मैं और मेरे पति सरकारी आवास में रहते हैं.
मेरे सास ससुर गांव में रहते हैं.

शादी से पहले भले ही मैंने कभी सेक्स नहीं किया था लेकिन सेक्स के बारे में मुझे पूरी जानकारी थी क्योंकि मेरी कई सहेलियों की शादी हो चुकी थी और कई सहेलियां अपने दोस्तों से सेक्स कर चुकी थीं.

सहेलियों के द्वारा ही मुझे सेक्स की जानकारी मिलती रहती थी.
इसके अलावा मैं हमेशा मोबाइल पर नंगी वीडियो और अन्तर्वासना की कहानियां पढ़ा करती थी.

कई बार जब मैं घर पर अकेली रहती थी, तो नंगी वीडियो देखती हुई इतनी गर्म हो जाती थी कि खुद ही अपनी चूत को सहला सहला कर अपना पानी निकाल लेती थी.

मुझे हमेशा से ही सेक्स के लिए मन में एक उत्तेजना थी कि शादी के बाद मेरा पति क्या क्या करेगा, हम दोनों कैसे सेक्स करेंगे!
ये सब सोच सोचकर मन में एक अलग ही उत्तेजना रहती थी.

लेकिन जब शादी के बाद मेरी सुहागरात थी तो उस रात मेरा मन टूट गया.

उस रात मेरे पति ने मेरे साथ सेक्स की शुरुआत की और मुझे पूरी नंगी करने लगे.
मुझे नंगी करने के बाद वे मेरे कुंवारे बदन को चूम चूमकर मुझे बहुत ज्यादा उत्तेजित करने लगे.

उन्होंने मुझ जैसी जवान लड़की को खूब गर्म तो कर दिया लेकिन जब मैंने उनका लंड देखा तो मैं कुछ मायूस हो गई.

उनका लंड केवल 4 इंच का था और पतला सा लंड था.
लंड देख कर मेरा मन ही टूट गया उसके बाद उन्होंने लंड मेरी चुत में पेला और 2-3 मिनट ही चुदाई की होगी कि उनके लंड का पानी निकल गया.

उनका लंड इतना बड़ा भी नहीं था कि मेरी चूत को अच्छे से खोल पाता.
इसलिए मुझे खास दर्द नहीं हुआ क्योंकि मैंने अपनी चुत में अलग अलग समय पर गाजर मूली आदि को डाला हुआ था.

सुहागरात के दिन से ही मैं बिल्कुल उदास हो गई क्योंकि पहले मैं नंगी वीडियो में देखती थी कि मर्द का लंड 6-7 इंच का होता है और वह लड़की को तरह तरह की पोजीशनों में चोदता है.
लेकिन मेरे साथ ऐसा बिल्कुल भी नहीं हुआ और मैं अभी भी कुंवारी चूत लिए ही अशांत सी रह गई थी.

शादी के इतने दिन बाद भी आज तक मेरे पति ने मुझे कभी संतुष्ट नहीं किया.
वे कभी भी 2-3 मिनट से ज्यादा नहीं टिक पाते थे और उनका मन कभी कभी ही सेक्स के लिए होता था.

मैं हमेशा बिस्तर पर मचलती रहती और मेरे पति झड़ कर मुझसे अलग होकर पलट कर सो जाते थे.

शादी के बाद हम दोनों गांव के घर से शहर के सरकारी आवास में आ गए थे.
यहां तो मैं बिल्कुल अकेली रह गई और मैं अपनी वही पुरानी आदत में आ गई.

पति के जाने के बाद मोबाइल पर अन्तर्वासना की कहानियां पढ़ना, नंगी वीडियो देखना और फिर अपने हाथ से अपनी चूत को सहलाते हुए अपने आप को शांत करना … वापस शुरू हो गया था.

बस ऐसे ही मेरी जिंदगी चल रही थी.

इसके बाद 2022 में मेरी जिंदगी में वह हुआ जिसके बारे में मैंने कभी भी नहीं सोचा था.

सन 2022 में होली के समय की बात है.
होली में मेरे पति की 2 दिन की छुट्टी थी और वे घर पर ही थे.

होली के दिन उन्होंने अपने बॉस को खाने के लिए आमंत्रित किया.

सुबह से ही मैं नहाने के बाद तैयार हुई और खाने की तैयारी में लग गई.
दोपहर तक मैंने खाना बनाकर तैयार कर लिया और दोपहर एक बजे पति के बॉस खाने के लिए हमारे घर आ गए.

शुरुआत में मैं उनके लिए पानी लेकर गई और उन्होंने पहली बार मुझे देखा.
मैंने उन्हें पानी दिया और वे मुझे बहुत गौर से देखते हुए पानी का गिलास लेकर पीने लगे.

इसके बाद वे दोनों बाहर कमरे में ही बैठकर शराब पीने लगे और मैं अन्दर बैठी हुई थी.
इसके बाद खाना खाने की तैयारी हुई.

मैंने खाना लगाया और वे दोनों खाना खाने लगे.
पति के बॉस का नाम सुरेंद्र था.

उन्होंने मुझे भी साथ में बैठकर खाना खाने के लिए कहा.
मैं मना करने लगी.

फिर उनके बार बार बोलने के कारण मैं भी उन दोनों के साथ खाना खाने लगी.
मेरे पति शराब के न/शे में चूर थे और वे चुपचाप केवल खाना खा रहे थे.
उनके बॉस सुरेंद्र मुझसे बात कर रहे थे.

कुछ देर बाद मैंने गौर किया कि सुरेंद्र जी की नजर मेरे सीने पर जा रही है क्योंकि मैं गहरे गले का ब्लाउज पहनी हुई थी और मेरे ब्लाउज के बीच से मेरे दूध की लाइन दिख रही थी.

मैं बार बार अपने आंचल से अपने सीने को ढक रही थी लेकिन बार बार आंचल गिरा जा रहा था.

सुरेंद्र जी बहुत ही कामुक निगाहों से देखते हुए मुझसे बात कर रहे थे जो कि उस वक्त न जाने क्यों मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था.
खाना खाने के बाद मेरे पति को कुछ ज्यादा ही न/शा हो गया था.
वे बिस्तर में लेट गए और सुरेंद्र जी सामने सोफे पर बैठकर मुझसे बातें करने लगे.

इसके बाद जब वे जाने के लिए उठे तो उन्होंने मुझसे कहा- अरे आज होली है और हमने आपको ग़ुलाल तक नहीं लगाया … ये तो आपकी और आपकी खूबसूरती की तौहीन है!

इसके बाद उन्होंने अपनी जेब से ग़ुलाल का पैकेट निकाला और मेरे माथे पर हल्का सा ग़ुलाल लगाने के बाद मेरे दोनों गालों पर भी ग़ुलाल लगाने लगे.
मैं उन्हें रोकती रही लेकिन उन्होंने गालों के साथ साथ मेरे गले तक हाथ डाल दिया और मेरे ब्लाउज के ऊपर तक गुलाल लगा दिया.

इसके बाद वे मुस्कुराते हुए बोले- आपकी खूबसूरती में ये ग़ुलाल का रंग भी फीका पड़ गया!

उनके द्वारा इस तरह की बात सुनकर मुझे बहुत अजीब और गन्दा सा लगा.
मैं नजरें नीचे किए हुए बस उनकी बात सुन रही थी.

उस दिन के बाद से सुरेंद्र जी का हमारे घर आना जाना शुरू हो गया और अक्सर वे किसी न किसी बहाने से हमारे घर आने लगे.
जब भी वे घर आते तो मेरे पति से ज्यादा मुझसे बात करने की कोशिश करते.

मैं इतना तो समझ रही थी कि सुरेंद्र जी की नजर मेरे ऊपर है क्योंकि वे हमेशा अजीब नजर से मुझे देखते थे.

कई बार तो ऐसा हुआ कि जब मेरे पति घर पर नहीं होते तो वे घर आ जाते और चाय पीने के बहाने से मुझसे घंटों बात किया करते.

एक दिन उन्होंने मुझसे मेरा मोबाइल नंबर भी मांग लिया और वे अब आए दिन मुझसे फोन पर बात करने लगे.

धीरे धीरे मैं भी उनके साथ घुल-मिल गई और उनसे एक दोस्त की तरह बात करने लगी.

सुरेंद्र जी की उम्र 56 साल थी और वे मेरे पति से भी उम्र में बहुत बड़े थे.
उनकी हाइट 6 फ़ीट के करीब थी और वे करीब 100 किलो के हट्टे-कट्टे मर्द थे.

शुरुआत में तो मुझे उनसे बात करना अच्छा नहीं लगता था लेकिन धीरे धीरे मैं भी उनके करीब जाने लगी.
यूं कहें कि मेरा अकेलापन और मेरे बदन की प्यास मुझे उनके करीब ले जा रही थी.

फिर एक दिन जब सुबह मेरे पति काम पर गए, उसके थोड़ी देर बाद ही सुरेंद्र जी हमारे घर आ गए.
मैंने उनके लिए चाय बनाई और हम दोनों साथ में चाय पीने लगे.

कुछ देर बाद सुरेंद्र जी उठे और मेरे बगल में आकर बैठ गए.

उनके पास आते ही मैं खड़ी हो गई.
तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझसे अपने प्यार का इजहार कर दिया.

मैं ऊपर से नीचे तक पसीने पसीने हो गई और बस आंख नीचे किए हुए खड़ी रही.
सुरेंद्र जी बार बार मुझसे मेरी राय पूछते रहे लेकिन मैं कुछ नहीं बोल पा रही थी.

उन्होंने मेरी ख़ामोशी को ही मेरी हां समझ लिया और मुझे एक झटके में अपनी बांहों में ले लिया और मेरा चेहरा ऊपर करते हुए मेरी आंखों में देखने लगे.

मैं उनसे छूटने के लिए मचलती रही लेकिन उन्होंने मुझे कस लिया.
मैं कुछ समझ पाती इससे पहले ही उन्होंने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और मेरे होंठ चूमने लगे.

कुछ देर तक मैं उनका विरोध करती रही.
लेकिन जल्द ही मेरे जिस्म ने मेरा साथ छोड़ दिया और मैंने उनके सामने घुटने टेक दिए.

अब मैं भी Xxx अफेयर में उनका साथ देने लगी और मेरी उंगलियां उनके बालों में चलने लगीं.

काफ़ी देर मेरे होंठ चूमने के बाद जैसे ही उनका हाथ मेरे सीने पर गया, मैं एकदम से होश में आई और उनको रोक दिया.

मैंने उनसे कहा- नहीं नहीं अभी इससे आगे मत बढ़िए … अभी मुझे कुछ समय दीजिए!
अगर मैं चाहती तो उसी दिन वह मुझे चोद लेते लेकिन उस समय मैं मासिक धर्म से थी इसलिए मैंने उन्हें रोक दिया.

मेरे रोकने पर वे मान गए और मुझे छोड़ दिया.
उस दिन से हम दोनों और ज्यादा नजदीक आ गए और मैंने उनसे वादा लिया कि ये बात कभी किसी को पता नहीं चलनी चाहिए.

फिर करीब एक महीने तक हम दोनों ऐसे ही दूर दूर रहे और उसके बाद उन्होंने ही मेरे पति को 3 दिन के लिए बाहर किसी काम से भेज दिया.
उसके बाद उन्होंने 3 दिन तक मेरी ऐसी चुदाई की, जो मेरी जिंदगी की तब तक की सबसे बेहतरीन चुदाई थी.

मैं आपको बता रही हूँ कि हम दोनों के बीच पहली चुदाई कैसी रही … और उनकी पहली चुदाई के बाद ही मुझे पता चला कि एक असली मर्द का लंड क्या होता है, जो एक औरत को निचोड़ सकता है. उसे वह हर खुशी दे सकता है … जो उसे चाहिए.

मेरे और सुरेंद्र जी के रिश्ते को करीब एक महीने हो चुके थे और अभी तक हम दोनों के बीच जिस्मानी संबंध नहीं बने थे.
लेकिन आग दोनों तरफ लगी हुई थी और हम दोनों ही जिस्म की प्यास बुझाने के लिए तैयार थे.

सुरेंद्र जी कई बार हमारे घर आए लेकिन ऐसा मौका नहीं मिल रहा था जिससे कि हम दोनों चुदाई कर पाते.

सुरेंद्र जी भले मुझसे उम्र में काफी बड़े थे लेकिन मैं उन्हें अपना सब कुछ देने को तैयार थी.
जब से मेरी दोस्ती सुरेंद्र जी से हुई थी तब से मेरे अन्दर और ज्यादा हलचल मची हुई थी.

मैं हमेशा सुरेंद्र जी के घर आने का इंतजार करती थी और उनके लिए ही सजती संवरती थी.

हम दोनों फोन पर भी बहुत बात करते थे और रात में पति के सोने के बाद फोन पर चैटिंग करते थे.
चैटिंग से ही हम दोनों और ज्यादा नजदीक आते चले गए क्योंकि वहां हम दोनों बिना किसी झिझक के बात करते थे.

आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी बस हम दोनों को सही मौके का इंतजार था.

वह मौका भी बनाया सुरेंद्र जी ने.
सुरेंद्र जी मेरे पति के बॉस थे और उन्होंने इसका फायदा उठाया और मेरे पति को दफ़्तर के काम से ही 3 दिनों के लिए बाहर भेजने का फैसला लिया.

मेरे पति उस दिन घर आए और उन्होंने मुझसे कहा- मुझे 3 दिन के लिए बाहर जाना है, तुम घर पर अकेली क्या करोगी … चलो तुम भी साथ में घूम आना और तुम्हारा मन भी बहल जाएगा.

मैंने सोचा कि अगर मैं इनके साथ चली गई तो हमारा पूरा प्लान धरा का धरा रह जाएगा … फिर पता नहीं ऐसा मौका कब मिलेगा!
मैंने अपने पति को तबियत का बहाना बनाया और किसी तरह उन्हें अकेले जाने के लिए राजी कर लिया.

दो दिन के बाद पति को जाना था और मेरे अन्दर ख़ुशी के साथ साथ अजीब सी हलचल पैदा हो गई.

दो दिन बाद मेरे पति सुबह सुबह ही चले गए और मैं घर पर अकेली रह गई.

सुबह से ही मैंने घर की अच्छे से साफ सफाई की और बिस्तर पर नई चादर बिछाई.

नहाते समय मैं अपने पूरे बदन को अच्छे से साफ की इसके साथ ही चूत और अंडरआर्म्स के बालों को साफ करके चिकना कर लिया.
उस दिन मैंने नई ब्रा पैंटी निकाली और नई साड़ी पहनी.

दोपहर में ही मेरी सुरेंद्र जी से बात हो गई थी और उन्होंने मुझसे कहा कि मैं रात 9 बजे पीछे के दरवाजे से आऊंगा ताकि मुझे आते हुए कोई देख न पाए.

ठीक 9 बजे सुरेंद्र जी ने मुझे फोन किया और पीछे का दरवाजा खोलने के लिए कहा.

मैंने जाकर पीछे का दरवाजा खोला और तुरंत ही सुरेंद्र जी अन्दर आ गए.
अब वे अगले 3 दिन मेरे साथ ही रहने वाले थे.

रात 10 बजे तक हम दोनों खाना खाकर फ्री हो गए.
उसके बाद हम दोनों सोफे पर बैठे हुए बातें कर रहे थे.

मैं उनसे बातें जरूर कर रही थी लेकिन मेरी दिल की धड़कन बढ़ी हुई थी और बदन में अजीब से जकड़न हो रही थी.

कुछ देर बात करने के बाद सुरेंद्र जी सोफे से उठे और उन्होंने मेरा हाथ पकड़ते हुए मुझे खड़ी कर दिया.

फिर उन्होंने मुझे अपनी तरफ खींचते हुए अपनी बांहों में भर लिया.

उन्होंने एक हाथ मेरी नंगी कमर में लगाया हुआ था, जो कि साड़ी पहनने की वजह से दिख रही थी.

उनके हाथों का स्पर्श पाकर मेरा रोम रोम मानो खड़ा हो गया.
वे मेरे होंठों पर झुकते चले गए और मेरे होंठों का रसपान करने लगे.

मैं भी उनका साथ देती रही.
काफ़ी देर तक वे मेरे होंठों गालों को चूमते रहे.

फिर उन्होंने एक झटके में मुझे गोद में उठा लिया और बेडरूम की तरफ चल दिए.
मैं किसी ब/च्ची की तरह उनकी गोद में थी.

बेडरूम में उन्होंने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरे ऊपर लेट गए. इधर उन्होंने पुनः मेरे गालों व होंठों को चूमना शुरू कर दिया.
उनके दोनों हाथ मेरे बदन पर चल रहे थे.

मेरे पेट नाभि सीने को हल्के हल्के सहला रहे थे.
कुछ देर बाद उन्होंने अपना हाथ मेरे पैरों की तरफ किया और साड़ी को ऊपर उठाते हुए मेरी जांघों को सहलाने लगे.
उनके द्वारा ऐसा करने से मेरा अंग अंग मचल गया और मुझे शर्म आने लगी.

मैंने उनसे कहा- प्लीज आप पहले लाइट बंद कर दीजिये!
‘क्यों क्या हुआ?’
‘कुछ नहीं बस ऐसे ही …!’

वे समझ गए कि मुझे शर्म आ रही है और उन्होंने तुरंत लाइट बंद करके नाईट बल्ब जला दिया.
अब कमरे में हल्की हल्की लाल रोशनी बस थी.

बिस्तर पर आते ही उन्होंने मेरी साड़ी ब्लाउज और पेटीकोट निकाल दिए.
मैं बस ब्रा पैंटी में अर्धनग्न लेटी हुई थी.

उन्होंने भी अपने कपड़े निकाल दिए और केवल चड्डी पहने हुए मुझसे लिपट गए.

उनके नंगे जिस्म का स्पर्श पाकर मेरे बदन में आग लग गई.

वे मुझे बेइंतहा चूमने लगे.
मेरे गाल होंठ गले और ब्रा के ऊपर से मेरे दूध पर उन्होंने चुंबनों की झड़ी लगा दी.

उनके हाथ कभी मेरी मोटी जांघों को सहलाते, कभी ब्रा के ऊपर से मेरे तने हुए दूध को मसलते.

मेरे दूध इतने टाइट हो गए थे, जैसे वह ब्रा फाड़कर बाहर उछल पड़ेगे.
जल्द ही मेरी पैंटी में मुझे गीलापन महसूस हुआ क्योंकि मेरी चूत ने कुछ ज्यादा ही पानी छोड़ना शुरू कर दिया था.

मेरी नजर बार बार उनकी चड्डी की तरफ जा रही थी.
उस हल्की रोशनी में ज्यादा कुछ समझ नहीं आ रहा था लेकिन इतना पता चल रहा था कि उनकी चड्डी में तम्बू बना हुआ था.

कई बार उनका लंड मेरी जांघों से टकराया जिससे मुझे इतना तो अंदाजा हो गया कि इनका लंड काफ़ी मजबूत है.

कुछ देर बाद उन्होंने ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा को जैसे ही अलग किया, मेरे दोनों बड़े बड़े दूध उछलकर उनके सामने आ गए.

मेरे बदन में सबसे आकर्षित करने वाले मेरे दूध ही हैं, जो बिल्कुल तने हुए टाइट और नुकीले हैं.

सुरेंद्र जी दोनों हाथों से मेरे दोनों चूचों को जकड़ते हुए उन पर एकदम से टूट पड़े और जोर जोर से मसलते हुए निप्पलों को चूसने लगे.

उनके निप्पल चूसने से मुझे बेइंतहा मजा आ रहा था और मैं उनके सर को अपने सीने में ही दबाती हुई मदमस्त हुई जा रही थी.
‘आ आआह आअ ह्ह्ह आअह.’

मैं बिल्कुल कंट्रोल से बाहर हो चुकी थी और मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे मैं स्वर्ग का मजा ले रही हूँ.
सुरेंद्र जी जिस तरह से मेरे दोनों दूध चूस रहे थे, ऐसा कभी मेरे पति ने नहीं चूसा था.

मुझसे रहा नहीं जा रहा था और मैं अपने पैरों को बिस्तर पर आगे पीछे कर रही थी.

काफ़ी देर तक मेरे मम्मों को मसलने के बाद सुरेंद्र जी मेरे बदन को चूमते हुए नीचे की तरफ जाने लगे.
मेरे पेट पर पहुंचकर मेरी बड़ी सी नाभि में जीभ डालकर उसे चाटने लगे जिससे मुझे बहुत गुदगुदी हो रही थी.

फिर वे और नीचे गए और पैंटी के ऊपर हाथ फिराते हुए मेरी उभरी हुई चूत को सहलाने लगे; फिर पैंटी के ऊपर से ही चूत की चुम्मी लेने लगे.

इसके बाद उन्होंने पैंटी को पकड़ा और हल्के हल्के से नीचे करने लगे.
उस वक़्त मैंने शर्म से अपनी आंखों को बंद कर लिया और जल्द ही मैं पूरी तरह से नंगी हो गई.

पैंटी उतारने के बाद सुरेंद्र जी मेरे पैरों की तरफ से चूमते हुए ऊपर की ओर आने लगे.
जांघों को सहलाते और चूमते हुए जल्द ही वे मेरी चूत तक आ गए.

पहले उन्होंने अंगूठे से चूत को सहलाया, फिर एक प्यारी सी पप्पी चूत पर ली और अपनी दो उंगलियों से चूत को फैलाकर अपनी जीभ चूत में लगा दी.

उनकी जीभ का अहसास पाते ही मैं मीठी आह के साथ सिसक उठी.

वे इस तरह से जीभ चला रहे थे, जैसे मलाई चाट रहे हों.

पहले तो मेरे दोनों पैर आपस में सटे हुए थे लेकिन बाद में मेरे दोनों पैर अपने आप ही खुलने लगे.
सुरेंद्र जी मेरी दोनों जांघों के बीच में आ गए.

उनके चूत चाटने से मानो मैं हवा में तैर रही थी.
इतना मजा उससे पहले मुझे कभी नहीं मिला था और मैं उस पल को पूरी तरह एन्जॉय कर रही थी.

मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरे चूतड़ अपने आप हवा में उठ गए.

सुरेंद्र जी ने अपने दोनों हाथ मेरे चूतड़ों के नीचे लगा दिए और चूतड़ों को दबाते हुए मेरी पूरी चूत को अपने मुँह में भर ली.
फिर जैसे ही उन्होंने मेरी चूत को जोर से चूसा, मैं एकदम से तिलमिला गई और मेरे मुँह से जोर से निकल पड़ा ‘उईई … मम्मीई ईई … आह हहह.’

मेरी मदमस्त सिसकारी सुनकर सुरेंद्र जी को और जोश आ गया और उन्होंने अपनी जीभ चूत के अन्दर तक डाल दी.
मैं उस आनन्द के कारण उछल पड़ी और अपनी कमर ऊपर नीचे हिलाने लगी.

मैंने कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि कोई मेरे साथ ऐसा भी करेगा … वाकयी में चुदाई का असली मजा आज ही मुझे मिल रहा था!

सुरेंद्र जी जैसे अनुभवी मर्द ही एक औरत को असली सुख दे सकता है.

मैं उस आनन्द को ज्यादा देर तक नहीं झेल पाई और झड़ गई.
मेरी चूत पूरी तरह से चिपचिपा गई.

सुरेंद्र जी ने कपड़े से मेरी चूत को साफ किया और फिर से चाटने लगे.

एक बार झड़ने मात्र से ही मेरा पूरा बदन कांपने लगा था.
सुरेंद्र जी लगातार चूत चाट रहे थे जिससे जल्द ही मैं फिर से गर्म हो गई.

इसके बाद जैसे ही सुरेंद्र जी को अहसास हुआ कि मैं गर्म हो चुकी हूँ, तो उन्होंने चूत चाटना छोड़ दिया और अपनी चड्डी भी निकाल दी.

जैसे ही उन्होंने चड्डी निकाली, मेरी तिरछी नजर उनके लंड पर जा पड़ी.

हल्की लाइट में ज्यादा अच्छे से तो नहीं दिख रहा था लेकिन मुझे इतना समझ आ गया कि इनका लंड मेरे पति के लंड से कहीं ज्यादा बड़ा मोटा और फौलादी है.

उनका लंड 8 इंच लम्बा था, ठीक वैसा ही जैसा मैं हमेशा ब्लू फिल्मों में देखती थी.

उनका लंड बिल्कुल आसामान की तरफ उठा हुआ था और सुरेंद्र जी उसे अपने हाथ से आगे पीछे कर रहे थे.

इसके बाद उन्होंने मेरे घुटनों को पकड़ा और दोनों घुटनों को फैला दिया.

मेरी चूत फ़ैलकर उनके लंड का इंतजार करने लगी और सुरेंद्र जी मेरे ऊपर आ गए.

उनके ऊपर आते ही उनका लंड मेरे पेट से टकराया, जो बेहद सख्त और गर्म था.
फिर उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और अपने लंड को मेरे हाथ में देने लगे.
मैं शर्मा रही थी और लंड को नहीं पकड़ रही थी लेकिन उन्होंने जबरदस्ती लंड मेरे हाथ में थमा दिया.

जैसे ही मैंने उनके लंड को पकड़ा तो मन से आवाज आई कि बाप रे इतना मोटा है इनका!

उनका लंड कम से कम ढाई से 3 इंच मोटा था और सुपारा तो और भी ज्यादा.
मैं उनके लंड को आगे पीछे करने लगी जिससे उनका सुपाडा बार बार बाहर आकर मेरी हथेली में आ रहा था.

कुछ देर बाद सुरेंद्र जी ने लंड को चूत में लगाया और मुझे जोर से अपनी बांहों में भर लिया.

मैं भी उनसे चिपक गई.
मेरे दोनों दूध उनके बाल भरे सीने में दबे जा रहे थे

उन्होंने मेरी चिकनी जांघों को अपनी जांघों से दबा लिया था.

फिर उन्होंने लंड पर जोर दिया और उनका सुपारा छेद को फैलाकर गप्प से अन्दर चला गया.

मेरी चुत चिर गई, जिससे मेरे मुँह से आवाज निकल पड़ी ‘उउउई अम्मा … सीईई आराम से.’
सुरेंद्र जी इतने अनुभवी थे कि वे तुरंत समझ गए.

वे बोले- ओह्ह्ह मेरी जान … तुम तो बिल्कुल अनछुई जैसी हो. तुम्हारा पति मेहनत नहीं करता क्या!

उनकी बात सुनकर मैंने शर्म से चेहरा घुमा लिया.

अब सुरेंद्र जी ने लंड को आहिस्ता आहिस्ता अन्दर डालना शुरू किया और मैंने उन्हें कसकर जकड़ लिया.

जैसे जैसे लंड अन्दर जा रहा था, मेरा मुँह अपने आप खुलता जा रहा था..
मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कोई गर्म राड चूत में जा रही हो.

कुछ ही पल में उन्होंने पूरा लंड मेरी चूत में डाल दिया.
मेरी दोनों जांघें बुरी तरह काँप रही थीं और मैं सुरेंद्र जी से बुरी तरह चिपक गई थी.

दर्द को सहते हुए मेरे मुँह से आवाज निकलने लगी थी- ओह्ह बस्स्स …

मेरी चूत की कसावट को देख सुरेंद्र जी जोश से भर गए थे.
उन्होंने मेरे होंठों को चूमते हुए मेरी जीभ को अपने मुँह में भर लिया था.
वे उसे किसी कुल्फी के जैसे चूसने लगे.

जल्द ही उन्होंने लंड आधा बाहर किया और फिर से अन्दर पेल दिया.
ऐसा करने से मेरी तो आह निकलने को हुई मगर मेरे मुँह पर उनका मुँह लगा हुआ था.

कम से कम 8-10 बार ऐसे ही धकापेल करते हुए उन्होंने चूत में लंड के लिए जगह बना ली.

अब उन्होंने आहिस्ता आहिस्ता मुझे चोदना शुरू किया और मेरे गाल होंठ को चूमते रहे.

मैं ‘आअ ह्ह्ह आअह’ की सिसकारियां लेती हुई बस उनके सीने से चिपकी जा रही थी.

अभी मुझे मजा तो नहीं आ रहा था क्योंकि मुझे डर लग रहा था कि अगर सुरेंद्र जी ने जोरदार धक्का लगा दिया तो मेरी क्या हालत होगी.

लेकिन सुरेंद्र जी वास्तव में काफ़ी एक्सपीरियंस वाले मर्द थे, वे हल्के हल्के अपनी रफ़्तार बढ़ा रहे थे ताकि मुझे तकलीफ न हो.

उनका लंड इतना मोटा था कि मेरी चूत में हवा तक जाने की जगह नहीं थी और लंड चूत की चमड़ी से बिल्कुल रगड़ कर जा रहा था.
करीब 5 मिनट बाद मेरी चूत ने पानी छोड़ना शुरू किया और तब मुझे भी मजा आने लगा.

सुरेंद्र जी भी समझ गए थे कि अब मुझे मजा आ रहा है.
यह समझते ही उन्होंने अपनी रफ़्तार तेज कर दी.

अब फट फट की आवाज आने लगी.
जल्द ही वे अपनी पूरी रफ़्तार में थे और मैं बुरी तरह से सिसकारियां ले रही थी ‘आअ ह्ह्ह ऊऊ ऊआअ ह्ह्ह मम्मीई आआ आह मर गई आह.’

सुरेंद्र जी- मजा आ रहा है न?
मैं- हां बहुत … आअह्ह्ह.

सुरेंद्र जी- कैसा लग रहा है?
मैं- बहुत अच्छा … आअह्ह्ह

मैं मस्ती में डूब चुकी थी और मेरे मुँह से पता नहीं कैसी कैसी आवाज निकल रही थी.

पूरा बिस्तर बुरी तरह से हिल रहा था और मेरी सिसकारियां पूरे कमरे में गूंज रही थीं.

मेरे दूध उनके सीने के नीचे इतनी बुरी तरह दबे हुए थे कि मुझे दूध में दर्द हो रहा था लेकिन उस दर्द से कहीं ज्यादा मजा मुझे उनके चोदने से मिल रहा था.

जल्द ही उन्होंने मेरे दोनों पैरों में अपने हाथ फंसा लिए, जिससे मेरे पैर हवा में उठ गए और चूत भी कुछ ऊपर को उठ गई, जिससे उन्हें और अच्छे से शॉट मारते बनने लगा.

अब लंड चूत की गहराई तक जा रहा था और उनके धक्कों की फट फट की आवाज जोर जोर से गूंजने लगी थी.

कुछ 5 मिनट की चुदाई के बाद मेरा बदन अकड़ने लगा और मैं उनसे चिपक कर झड़ गई.

आज मुझे जिंदगी में पहली बार वह मजा मिला था, जिसके लिए मैं सालों से तरस रही थी.
आज पहली बार चूत की गहराई तक किसी मर्द का लंड पहुंचा था.

चूत ज्यादा गीली होने से फच फच फच की आवाज आने लगी.
सुरेंद्र जी ने भी अपनी रफ़्तार और तेज कर दी और मुझे जोर से जकड़ लिया.

मैं कुछ समझ पाती, इससे पहले ही उन्होंने अपने लंड का सारा पानी मेरी चूत में भर दिया और मुझे बुरी तरह चूमने लगे.

हम दोनों जोर जोर से हांफ रहे थे और पसीने से भीगे हुए थे.
कुछ देर मेरे ऊपर लेटे रहने के बाद वे मुझसे अलग हुए और मेरे बगल में लेट गए.

कुछ देर बाद जब मेरी सांसें संयत हुईं तो मैंने कपड़े से चूत को साफ किया और गाउन पहन कर बाथरूम चली गई.

मैंने बाथरूम में पेशाब की और जब वापस आई तो कमरे की लाइट जल रही थी.
सुरेंद्र जी नंगे ही बिस्तर पर लेटे थे.

जैसे ही मैं बिस्तर में गई, उन्होंने फिर मुझे अपनी बांहों में भर लिया और फिर से मुझे चूमने लगे.

मुझे भरोसा नहीं था कि वे इतनी जल्दी दुबारा चुदाई के लिए तैयार हो जाएंगे.

इस बार उन्होंने बिना लाइट बंद किए ही मेरा गाउन निकाल दिया.
मैं अन्दर कुछ नहीं पहनी थी इसलिए गाउन हटते ही मैं पूरी नंगी हो गई और मेरा गोरा बदन उनके सामने आ गया.

इसके बाद हम दोनों एक दूसरे से लिपटे हुए एक दूसरे को चूमने लगे.

अब तो मेरे अन्दर की शर्म भी खत्म हो गई थी और मैं खुद ही उनके लंड को हाथ में लेकर सहला रही थी.

जल्द ही हम दोनों गर्म हो गए और एक बार फिर से उन्होंने मुझे चोदना शुरू कर दिया.

इस बार उन्होंने मुझे कई अलग अलग पोजीशनों में हचक कर चोदा.
कभी लिटाकर, कभी घोड़ी बनाकर. तो खड़ी करके अपनी गोद में उछाल उछाल कर चोदा.

इस बार उन्होंने आधा घंटा से ज्यादा टाइम तक मुझे चोदा जिसमें मैं 3 बार झड़ी.

उस रात उन्होंने मुझे 4 बार चोदा और रात 3 बजे तक चुदाई चलती रही.

मैं बहुत ज्यादा थक चुकी थी और मेरी कब आंख लग गई पता ही नहीं चला.

सुबह जब मेरी नींद खुली तो 9 बज रहे थे.
मैं नंगी ही सोई हुई थी और सुरेंद्र जी भी नंगे मुझसे लिपटे हुए थे.

मेरा पूरा बदन बुरी तरह से टूट रहा था और रात की धुआंधार चुदाई का असर साफ साफ दिखाई दे रहा था.

मैं उठी और बाथरूम गई, जहां मैंने अपनी चूत को देखा.
Xxx वाइफ की चुत का छेद सामने से फ़ैल गया था, जो पहले बिना फांकों को फैलाए सही से दिखाई ही नहीं देता था, वह अब भोसड़ा की तरह मुँह बाए दिख रहा था.

एक रात की चुदाई में ही उनके लंड ने मेरी चूत का नक्शा बदल दिया था.
दोस्तो इसके बाद दोपहर में हम दोनों ने साथ में ही नहाते हुए चुदाई की.

उसी रात को उन्होंने मेरी कुंवारी गांड को भी चोद लिया.
वे 3 दिन मेरे साथ थे और उन 3 दिनों में मेरी करीब 15 बार चुदाई हुई.

इसके बाद भी वे मुझे चोदने आते रहे.
जब भी पति ऑफिस में होते, वे मुझे चोदने आ जाते.

हफ्ते में लगभग 3 बार हम लोग मिलने लगे.

अब 5 महीने हो गए, जब से उन्होंने मुझे नहीं चोदा क्योंकि जब मैं ये कहानी लिख रही हूँ … मैं 5 महीने की प्रेग्नेंट हूँ.
मेरे होने वाले बच्चे के पिता सुरेंद्र जी ही हैं.

No comments:

Post a Comment

ज्योतिषी बन कर भाभी को बच्चा दिया

  मेरे पास जॉब नहीं थी, मैं फर्जी ज्योतिषी बनकर हाथ देख कर कमाई करने लगा. एक भाभी मेरे पास बच्चे की चाह में आई. वह माल भाबी थी. भाभी की रंड...