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Friday, 12 July 2024

मेरी बेकरार बीवी

 

यह हमारी शादी के लगभग दो साल बाद की घटना है और इस दौरान हम लोग लगभग साथ ही रहे क्योंकि मेरा कोई टूरिंग जॉब नहीं है और हम स्टाफ क्वाटर्स में रहा करते थे जो ग्राउंड फ्लोर पर था, मेरे भाई और माता पिता दूसरे शहर में थे तो हमें भरपूर एकांत भी मिला हुआ था।

कई बार वो दिन में ऑफिस में भी फोन कर लेती थी और सेक्सी बहाने बनाती थी जैसे नहाने गई थी सारे कपड़े उतार कर सर्फ़ में डाल दिए पूरे शरीर पर साबुन लगा है और जाने कैसे नल में पानी ही नहीं आ रहा है, ऊ ओह्ह्ह आ आउच और ठण्ड से काम्पने जैसी उत्तेजक आवाजें निकालती, मुझे आना ही पड़ता, और वास्तव में जब में घर आता तो वो मुझे उसी हालत में मिलती बस सिर्फ एक बात झूठ निकलती वो यह कि नल बिल्कुल ठीक होता था और वो दरवाजे के पीछे साबुन समेत नंग धडंग छुपी मिलती और झपट कर पीछे से मुझे पकड़ लेती, यह भी नहीं देखती कि मेरे ऑफिस के नए कपड़े खराब हो जायेंगे।

और फिर वासना का जो खेल चलता तो मैं ऑफिस में लेट हो जाता और कपड़े बदल कर ऑफिस जाना पड़ता शरमाते हुए।

मेरे कहने का मतलब है कि ऐसे साथ रहने वाले हम दोनों को अगर दस बीस दिन अलग रहना पड़े तो यह तकलीफदेह तो होना ही था।

तो दोस्तो हुआ यों कि मुझे ऑफिस की तरफ से एक महत्वपूर्ण ट्रेनिंग के लिए मुंबई जाने को कहा गया। यह ट्रेनिंग मेरे जॉब और आगे के कैरियर के लिहाज से बहुत महत्व रखती थी इसलिए मैं जाने के लिए बहुत ही उत्साहित था, पर मेरी पत्नी अलग होने से उदास थी, वो भी जानती थी कि यह जरूरी है,

ये बीस दिन मेरे तो अच्छे निकल गए, नया काम सीखना था, नए लोग मिले और ऊपर से मुंबई जैसा शहर। बीवी से बात होती थी, वो बेसब्री से दिन गिन रही थी।

आखिरकार वापिसी का दिन भी आ ही गया, मेरी फ्लाईट रात नौ बजे लैंड होने वाली थी, मैंने कहा था कि मैं टेक्सी लेकर घर आ जाऊँगा पर उसकी जिद थी कि वो खुद ही लेने आएगी।

मेरी बीवी की यह जिद मुझे भी अजीब लग रही थी, साथ ही साथ चिंता भी हो रही थी पर वो नहीं मानी।

वैसे तो गर्मियों का मौसम था, वो अच्छे से कर ड्राइव कर लेती थी और एअरपोर्ट वाली सड़क पर ट्रेफिक भी नहीं रहता था, मैंने काफ़ी मना किया पर फिर लगा कि उसका इतना मन है तो आने देता हूँ।

फ्लाईट सही समय पर आ गई थी, मुझमें भी उससे मिलने का, उसे इतने लम्बे समय बाद देखने का उतावलापन था। मैं ट्रॉली लेकर बाहर टैक्सी और कार लाउंज में आया पर मुझे मेरी कार कहीं नहीं दिखी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

मैंने सोचा कि चलो अच्छा है कि अन्दर इतने ट्रैफिक में लेकर नहीं आई। मैं बाहर गया पर बाहर भी वो नज़र नहीं आई तो मैंने उसे फोन लगाया।

तो वो चहकते हुए बोली- हाँ मैं आगे हूँ, सीधे चले आओ !

मैं तेज़ कदमों से उस ओर बढ़ चला, दूर मुझे मेरी कार दिखाई दे गई पर वो नहीं दिखी।

अब मुझे थोड़ा अजीब लगा, मैं सोचे बैठा था कि वो दौड़ कर मेरे पास आएगी और लिपट जायेगी, पर वो बाहर आना तो दूर कार से ही नही उतरी और कार का शीशा भी चढ़ा हुआ था।

मैं अनमने मन से भारी बैग को उठाये कार के पास पहुँचा तब अचानक उसने दूसरा दरवाज़ा खोला, एक शानदार खुशबू का झोंका आया, साथ ही मेरी बीवी का हाथ एक बेहद खूबसूरत गुलाब के फूल के साथ बाहर आया, साथ ही उसकी खनकती हुई दिलकश आवाज आई- वेलकम होम डार्लिंग !

जब मैंने अन्दर झाँक कर देखा तो हक्का बक्का रह गया, वो ड्राइविंग सीट पर सिर्फ बिना बाहों वाली और बहुत ही डीप गले की नाइटी पहने ही बैठी हुई थी। मैंने घबरा क़र अन्दर बैठते हुए फ़ौरन दरवाज़ा बंद क़र लिया, मुझे लगा कि आसपास के लोगों को झलक मिल गई तो क्या सोचेंगे। और अन्दर आते ही उसने अपनी अनावृत बाहों में मुझे जकड़ लिया, और दोस्तों इतने लम्बे समय बाद उसके जिस्म से लिपटते ही में रास्ते की सारी थकान उसके एअरपोर्ट आने की चिंता सब भूल गया, मेरे हाथ भी उसके बदन को कसने लगे और फिर उसकी तरफ से चुंबनों की जो बारिश शुरू हुई तो मैं अभिभूत हो गया, अब मैं भी उसके माथे, गाल, नाक, ठोड़ी रसीले होठों को चूमते हुए उसका सर ऊपर उठाते हुए उसकी सुराहीदार गर्दन को भी चूमता हुआ उसके उन्नत वक्षस्थल पर आ पहुँचा और वक्ष का जितना भी हिस्सा बाहर निकल रहा था, उसे भी चूमा या कहो कि चाट ही डाला।

तभी पास से कोई अन्य कार गुजरी तो उसकी आवाज से हमारा ध्यान बंटा और मौजूदा स्थिति का अहसास भी हुआ। मैंने अपने आप को संभाला पर वो अभी भी वासना के आवेश में दिख रही थी।

मैंने उसे पुचकारते, सहलाते, समझाते हुए कहा- जानू, अभी घर पहुँच क़र प्यार करेंगे !

पर वो लिपटे ही जा रही थी।

तब मैंने उसे कहा- जानू मेरा तो अभी सामान भी सड़क पर ही पड़ा है, उसे तो डिक्की में रखने दो।

तब जाकर वो मुझसे अलग हुई, मैंने जल्दी से सामान डिक्की में रखा, तब तक वो ड्राइविंग सीट खाली क़रके वो पास वाली सीट पर अन्दर से ही पहुँच गई।

मैंने आकर स्टीयरिंग सम्भाला और एअरपोर्ट से निकल पड़े और वो अपने आप को रोक नहीं सकी और फिर मेरी बाहों में झूल गई उसने एक हाथ मेरी शर्ट के अन्दर घुसा दिया और मेरी छाती के बालों में उंगलियाँ फिराने लगी और दूसरे हाथ से अपनी नाइटी को खुद की जांघों से भी ऊपर सरका लिया, दोनों टाँगें नग्न क़र ली और उसमें से एक टांग मेरी टाँग के ऊपर पसरा दी।ऐसा करने से नाइटी इतनी ज्यादा ऊँची हो गई की उसकी अंडरवियर तक दिखाई देने लग गई। अब मैं भी और बेचैन हो गया मैंने एक हाथ से स्टीयरिंग संभालते हुए दूसरा हाथ उसकी नंगी जांघों पर रख दिया और कार की गति थोड़ी कम क़र दी ताकि कार काबू में रहे क्योंकि मैं अब अपने ही काबू से बाहर होता जा रहा था।

उस बदमाश ने अपने घुटने से पैंट के ऊपर से ही मेरे लण्ड पर रगड़ देना शुरू कर दिया। उसकी इस हरकत से मेरे लण्ड में भी उत्तेजना की चिंगारी सुलग उठी, वो आकार में बढ़ने लगा, सख्त होने लगा, अभी तक वो एक तरफ़ को दुबका पड़ा था। कड़क होते ही उसने ऊपर की दिशा में भी होना शुरू कर दिया और जब लिंग उत्तेजित हो जाता है तो वो दिमाग को भी अपने काबू में कर लेता है।

मैंने हाथ बढ़ाया तो था उसकी जांघ को हटाने के लिए लेकिन लण्ड की तरफ से इशारा हुआ उसे सहलाने का और मैं आहिस्ता-आहिस्ता दबाते हुए जांघ को सहलाने लगा।

ऐसा करने से उसकी आग और भी बढ़ गई और उसने दूसरा पैर भी मेरे उपर इस तरह से रख दिया कि क़ार का गियर हेंडल उसकी जांघो के बीचों बीच आ गया।

तो अब मेरे हाथ भी गियर संभालते संभालते उसकी अंडरवियर तक जा पहुँचे। वो उत्तेजना के मारे और पसर गई मैंने भी अब आहिस्ता से अपना हाथ उसकी अंडरवियर में सरका दिया और जैसे ही मैंने उसकी घनी, काली, घुंघराले और मुलायम बालों वाली चूत को स्पर्श किया, उसके मुख से गहरी सिसकारियाँ निकलने लगी। अब मेरे लिए सड़क पर ध्यान लगाना मुश्किल हो रहा था, उसकी चूत सहलाते सहलाते अचानक स्पीड ब्रेकर की वजह से गियर बदलने की वजह से मुझे उसकी चूत में से हाथ बाहर हटाना पड़ा तो वो उत्तेजना में इतनी पागल हो गई कि अपने कूल्हे ऊँचे उठा कर अपनी चूत को गियर के हत्थे में घुसा दिया और रगड़ने लगी।

अब मुझसे उसकी हालत देखी नहीं जा रही थी, वो अपने वक्ष भी अपने ही हाथों से मसल रही थी, उसकी नाइटी भी अस्त-व्यस्त हो चली थी, एक कंधे से ढलक गई थी और नीचे से भी पेट की नाभि तक साफ़ दिखाई दे रही थी। मैं खुद उत्तेजित हो गया था मेरे लण्ड का अब पैंट में समाना मुश्किल हो गया था, मुझसे बैठा भी नहीं जा रहा था इसलिए मैंने ज़िप खोल कर अंडरवियर में से लण्ड बाहर निकाल लिया।

अब हमारी हालत ऐसी हो गई थी कि घर तक पहुँचना भी मुश्किल लग रहा था। मेरी बीवी वासना की आग में तप रही थी और उसकी ऐसी उत्तेजना और अस्त-व्यस्त अर्धनग्नावस्था में अश्लीलता से पसरा हुआ उसका शरीर मुझ से भी देखा नहीं जा रहा था।

रात के दस बज चुके थे, सड़क पर इक्का-दुक्का वाहन ही नज़र आ रहा था, उसी समय मन में एक विचार कौंधा कि थोड़ा आगे जाते ही सुनसान बाय-पास है जो एक सरकारी बिल्डिंग की तरफ जाता है और जो रात को बंद रहती है इसलिए रात को वहाँ कोई नहीं जाता।

उस तरफ चलते हैं, वहाँ कोई भी नहीं होगा दूर दूर तक ! और वो जगह एकदम उपयुक्त है अन्तर्वासना की आग मिटाने के लिए !

यही सोच कार मैंने कार को उस दिशा में ही घुमा दिया और वहाँ से मुख्य सड़क छोड़ कर उस बाय-पास वाली सड़क में भी आगे जाकर थोड़ा सा कच्चे में चल कर एक ऊँचाई वाली खुली जगह में जाकर मैंने अपनी कार रोक दी।

वहाँ किनारे पर ऊँची ऊँची झाड़ियाँ थी जिससे किसी के देखे जाने का भी डर नहीं था और आने का रास्ता भी वही था जिससे हम आये थे, और फिर मैं अपनी बीवी के साथ था, किसी कालगर्ल के साथ नहीं और उसके पास खुद का आईडी प्रूफ भी था उसका ड्राइविंग लाइसेंस !

वहाँ जाकर जब मैंने अपनी कार रोकी तब जाकर बीवी उठ कर बैठी और खिड़की से बाहर झाँक कर बोली- यह कहाँ आ गये?

मैंने कहा- जानू, मैं इस हालत और कार नहीं चला सकता, घर अभी दूर है ! और इन सब की कसूरवार तुम हो जो इतनी उत्तेजक और सेक्सी ड्रेस पहन कर एयरपोर्ट आ गई ! और तुम्हे यह खूब सूझी, तुमने गज़ब का सरप्राइज़ दिया यार ! कुछ भी कहो, मज़ा आ गया !

यह कहते हुए मैंने उसे अपनी बाहों में खींच लिया और अब हम एकांत में थे, गाड़ी भी रुकी हुई थी, जिसके मैंने हैंडब्रेक और गियर भी लगा दिया था ताकि ऊंचाई पर भी सुरक्षित रहे।

बीवी से इतने दिनों का अलगाव अब उत्तेजना के साथ बाहर आ रहा था। मेरे हाथ उसकी नाइटी में अन्दर पहुँच गए और उसके बदन पर फिसलने लगे। वो भी जब मेरे आलिंगन में आई तो उसके गर्म बदन से मेरा तना हुआ लण्ड छू गया और लण्ड में सरसराहट सी दौड़ गई। उसने अपने हाथ में मेरा लण्ड पकड़ लिया तो मेरी सिसकारी निकल गई और लण्ड झटके मारने लगा।

मैंने तुरंत होश से काम लिया और अपने लण्ड को उसके हाथ से छुड़ाया, अगर मैं ऐसा नहीं करता तो मेरा वीर्य स्खलित होने को ही था।

मैं अब उसको अपने से अलग किया- जानू, क्या कर रही हो? इतने दिनों से यह ताव खा रहा है ! रुको, वरना अभी पानी छूट जाएगा।

वो भी इस बात को समझ गई क्योंकि नई नई शादी के बाद मेरे साथ कई बार ऐसा हो चुका था और मुझे शर्मिंदगी उठानी पड़ी थी।

पर अब मैंने बहुत से तरीके अपना कर अपनी स्तम्भन शक्ति को काफी बढ़ा लिया है पर आज बात कुछ और थी, आज बीस दिनों बाद मेरा अपनी गर्म बीवी से सामना हुआ था और वो भी वो इतने बोल्ड अंदाज़ में आई थी कि मैं अपने ऊपर काबू खो रहा था। इसलिए मैं उससे अलग होकर बाहर आया और पानी की बोतल अपने तन्नाते हुए लण्ड पर उड़ेल ली, फ़िर मूत कर उसे शांत किया और वापिस पैंट में डाल कर चेन चढ़ा ली क्योंकि आज मुझे लम्बे समय तक इसे रोकना था। जब जब भी मेरी बीवी इतनी गर्म हो जाती है तो हम बहुत ही उत्तेजक और गन्दी गन्दी काम क्रीड़ाएँ करते हैं, और आज भी यहाँ वही माहौल बन रहा था।

मैं वापिस उसके पास आया, उसे बाँहों में समेट लिया, लेकिन इस बार मेरे हाथ उसके कपड़ों के अन्दर थे और बदन को सहला रहे थे, मसल रहे थे। वो भी कसमसा रही थी।

अब मैंने उसकी नाइटी उसके बदन से उतार कर अलग कर दी, अब उसके गदराये जिस्म पर सिर्फ दो अंतर्वस्त्र ही बचे थे उन्हें भी मैंने आहिस्ता-आहिस्ता उसके शरीर से अलग कर दिया और उसे पूर्ण नग्नावस्था में ला दिया।

अब वो बोली- पीछे की सीट पर चलें?

मैं मुस्कुराया, मुझे शरारत सूझ रही थी, मैंने कहा- नहीं ! पहले बाहर चलो, मैं तुम्हें खुले आसमान में चाँदनी रात में नग्न देखना चाहता हूँ।

वो बोली- छोड़ो, यह क्या बचपना है !

मैंने कहा- प्लीज़ एक बार मेरी खातिर !

“ओ के !” वो बोली और अपने भारी भारी कूल्हे मटकाती हुई बाहर निकल आई।

चाँदनी रात में नहाया हुआ उसका मादक और निर्वस्त्र शरीर क़यामत ढा रहा था, खुले में जाकर उसने एक मादक अंगडाई लेकर अपने बदन को सीधा किया। बाहर बहुत ही शीतल और तेज़ हवा चल रही थी।

उसने दोनों बाहों को फैला कर अपनी कांख में ठंडी हवा ली फिर वो नग्नावस्था में ही बाहर इधर उधर दौड़ने लगी। उसे बाहर मज़ा आ रहा था !

फिर उसने वो हरकत की कि आपको पढ़ कर अजीब लगेगी, मुझे भी हंसी आ गई जब उसने भागते भागते ही पेशाब भी कर डाला और बच्चो की तरह हवा में धार को लहराने लगी।

इस कहानी को पढ़ने वाले मेरे शादीशुदा मित्र या वो लोग जो अपनी प्रेमिका से बहुत दिन अलग रह चुके होंगे, वे इस बात को समझ रहे होंगे कि प्रेमी स्त्री-पुरुष जब लम्बे समय बाद मिलते हैं तो उनकी क्या हालत हो जाती है, उनके लिए सारी दुनिया सिर्फ उन दोनों में ही सिमट जाती है, समय, स्थान और अवस्था का उन्हें कोई होश नहीं रहता।

ऐसा ही कुछ मेरी पत्नी के साथ भी हो रहा था, वो मेरी कोई भी बात टालने के मूड में नहीं थी और मेरे ज़रा से आग्रह पर ही ना सिर्फ पूर्ण निर्वस्त्र हो गई बल्कि कार से बाहर खुले में भी भाग गई।

दोस्तो, यहाँ मैं बता दूँ कि मुझे सेक्स को लेकर उन्मुक्त और अजीबोगरीब कल्पनाएँ करने का शौक है और आज एकाएक विचार आया कि खुले आसमान के नीचे प्रकृति के बीच किसी सुन्दर नारी को उसकी प्राकृतिक अवस्था में यानि पूर्णतया नग्न देखना कितना उत्तेजक होगा।

आज यही दृश्य मेरे सामने था, बाहर निकल कर मैदान में दौड़ते हुए अब उसे भी अहसास हो गया था कि दूर दूर तक कोई देखने सुनने वाला नहीं था, तो वो और मस्ती में आ गई थी।

खुले में ही मूत्र धारा छोड़ने का उसका अंदाज़ इसी बात का सबूत था कि वो अब पूरी मस्ती में थी क्योंकि वो अब अश्लील और उत्तेजक इशारे करके मुझे भी बाहर बुला रही थी, कभी दोनों हाथों से अपने वक्ष पकड़ कर मेरी तरफ हिला रही थी तो कभी पीछे घूम कर नीचे झुक कर अपने बड़े बड़े तरबूज जैसे चूतड़ मटका रही थी।

अब भला मैं कहाँ रुकने वाला था, मैं भी भाग कर उस समय उसके पीछे पहुँचा जब वो अपने कूल्हे उठाए झुकी हुई थी, उसे पता ही नहीं चला कि मैं कब उसके पीछे आ गया। मैंने पास जाकर उसके दोनों कसे-उभरे-फैले हुए कूल्हों पर जोरदार चपत लगाई, वो आउच करके पलटी और वो संभलती उससे पहले ही मैंने उसके मादक, नग्न जिस्म को अपनी बाहों में समेट लिया, गोद में उठा कर मैदान के किनारे पर बैचनुमा एक चट्टान पर ले गया और बैठ कर उसे अपनी गोदी में उलट कर इस तरह से लेटा लिया कि उसके कूल्हे मेरी गोदी में कुछ इस तरह से आ गए जैसे कोई दो तबले अपनी गोदी में लेकर बैठा हो।

अधिकतर मर्द मेरी इस बात से सहमत होंगे कि स्त्री के कूल्हे नारी-सौन्दर्य का महत्त्व पूर्ण हिस्सा होते हैं और उत्तेजक शारीरिक नाप में इसका बड़ा योगदान होता है, मर्द इन्हें प्यार करने, चूमने के साथ साथ इस पर निर्दयता भी करते हैं जैसे दबाना, हिलाना, मसलना और चपत लगाना !

यही सब कुछ मैं भी कर रहा था और वो मजे ले रही थी, जैसे ही में चपत लगाता, वो चिहुंक कर चिल्लाती !

पर मैं जानता था कि यह मजे की चिल्लाहट है तो मैं फिर और जोर से लगाता। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

पर उसके इस तरह लेटने से उसकी चूत बिल्कुल मेरे लण्ड के करीब आ गई, उसकी गुच्छेदार झांटे और चूत का गीलापन में अब अपने लण्ड पर महसूस कर रह रहा था। मैं सोचा करता था कि लण्ड में दिमाग नहीं होता पर अभी जाने मेरे लण्ड को चूत की खुशबू आ गई या क्या हुआ, वो अपने विकराल रूप में आने लगा, ऊपर उठने लगा और पैंट के अन्दर से ही उसने चूत को अहसास करा दिया कि चूत रानी, फ़िक्र मत कर तेरा लण्ड राजा आ रहा है और अब मैं इस अरुण के रोके भी ना रुकुँगा, ना शांत होऊँगा, चाहे जितना भी पानी डाले !

मैं भी लण्ड के ऐसे तेवर देख कर डर गया कि अब तो चुदाई करनी ही पड़ेगी वर्ना बिना किये ही झड़ गया तो बीबी बहुत मारेगी !

और इतने दिनों बाद जो मिले हैं, उसका सब मज़ा खराब हो जाएगा।

मैंने उसे उठाया और कहा- जानू चलो, कार में चलते हैं ! मुझसे अब रहा नहीं जा रहा !

तो वो शरारत से बोली- तो करो ना ! मैंने कब मना किया? तुम्हें तो तबला बजाने से ही फुर्सत नहीं है, एक बार तो जंगल में से निपट कर निकल लो, फिर घर जाकर चाहे पूरी रात ही तबला बजाना ! वैसे भी मेरे चूतड़ों में इन दिनों बहुत दर्द रहता है। पर अभी तो मेरी चूत की सोचो, गीली हो कर कब से टपक रही है, सारा पानी टपक जाएगा तो क्या सूखी चुदाई करोगे?

मैं उसकी बातें सुन कर हंस पड़ा, बिंदास कामुक बातें करती हुई वो बहुत ही अच्छी लगती है, मैंने फ़िर कहा- चलो कार की पिछली सीट पर चलते हैं।

वो बोली- नहीं यहाँ खुले में ही करेंगे, कार में एक बार किया था, उसमें तुम्हें तो मज़ा आया था पर मेरी तो जान निकल गई थी और मैं कुछ नहीं कर पाई थी, फंस गई थी, जगह कम होती है।

दोस्तो, हमने एक बार कार में भी जबरदस्त सेक्स किया था, वो भी मजेदार घटना है, याद दिलाना कभी उसे भी लिखूँगा।

मैंने उसे कहा- यहाँ कैसे करेंगे? नीचे मिटटी है, गन्दगी है, और तुम एकदम नंगी हो और तुम्हें ही नीचे आना है ! सोचो ज़रा !

वो कूल्हे मटकाती हुई उठी और बोली- सब सोच लिया !

और कार के पास गई, डिक्की खोली, कार का तिरपाल का कवर मैं हमेशा डिक्की में ही रखता हूँ, आज वो काम आने वाला था क्योंकि वो नंगी-पुंगी उस तिरपाल को उठाये हुए और अपनी चूत के दीदार कराती हुई चली आ रही थी।

इसलिए जब वो नज़दीक आई तो मैंने शरारत से उसकी चूत सहलाते हुए कहा- यानि चुदाई का सारा इंतजाम है?

वो बोली- और क्या ! हमें ही सब सोचना पड़ता है, तुम्हें क्या, जब चाहो इसे तैयार कर लेते हो !

यह कहते हुए उसने भी मेरे लण्ड पर एक धौल जमा दी और कहा- इसे निकालो जल्दी ! अब रहा नहीं जा रहा है।

और फिर उसने तिरपाल को इस तरह से बिछाया कि उसके सर के नीचे एक तकिया जैसा बन गया और वो उस पर बहुत ही कामुक, उत्तेजक और अश्लील अवस्था बना कर पसर गई।

मैं क्या लिखूँ ! उसकी इस अवस्था को शब्दों में बयान करना मेरे लिए मुश्किल है, मैं सोच रहा था कि उसके नंगे बदन से और खेलूँगा, सताऊँगा लेकिन मेरे लण्ड ने मेरा साथ नहीं दिया, वो उत्तेजना के मारे उछालें मारने लगा।

फिर मैंने आव देखा ना ताव ! सिर्फ नीचे के कपड़े हटा कर अपने लण्ड को उसकी एकदम गीली चूत में समां दिया। वो भी अपनी चूत में लण्ड लेने को व्याकुल थी क्योंकि उसने लण्ड डालते समय अपने दोनों पैर पूरे फैला लिए थे इसलिए लण्ड चूत के अन्दर तक जा धंसा और उसकी आनंदमिश्रित और गगन भेदी उत्तेजक चीख से आसमान गूँज गया, आसपास पेड़ों पर सो चुके बेचारे पक्षी भी फड़फड़ा कर उड़ गए और उड़ते ही रहे क्योंकि चुदाई ने अपनी गति पकड़ ली थी और अब उसकी चीखों में मेरी भी चीखें शामिल हो गई थी।

इस घटना को लिखते लिखते मैं खुद इतना उत्तेजित हो गया हूँ कि बस बता नहीं सकता !

वो बिंदास पैर पटक पटक कर कूल्हे उछाल-उछाल कर सेक्स में मेरा साथ दे रही थी।

दोस्तो, तूफ़ान थमने के बाद भी हम करीब आधे घंटे तक वहीं पड़े रहे।

और इसी के साथ यह अद्भुत और रोमांचक आउट डोर सेक्स समाप्त हुआ, घर से दूर, बाहर खुले आसमान के नीचे चांदनी रात में किया सम्भोग हम दोनों के लिए ही एक यादगार अनुभव है और रहेगा !

मुझे उसकी यह बेकरारी और बिंदास स्वागत भूले नहीं भूलता।

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