कस्बे के एकमात्र बड़ी कोठी वाले किराना के व्यापारी लाला विजय कुमार हैं, जिन्हें लोग बिज्जू लाला के नाम से जानते हैं.
मोटा थुलथुला शरीर, पर बातें इतनी मीठी कि शक्कर भी शरमा जाए.
एक नम्बर के बेईमान, मिलावटबाज़, मौके का फायदा उठाने वाले लालची और झूठ बोलने में माहिर व्यक्ति.
बिज्जू लाला की मुख्य चौराहे पर बड़ी किराना की दूकान थी, पीछे गोदाम, ऊपर तिमंजला मकान.
किराना दूकान क्या, छोटा मोटा सुपर स्टोर समझिये. रोजाना की जरूरत का हर सामान वहां मिलता, वह भी बिना पैसे के.
मतलब लाला के पास कस्बे के हर आदमी का उधार खाता था.
सबको उधार मिलता था.
पर था वह केवल एक महीने का.
अगर अगले महीने पैसे नहीं दिए, तो आगे उधार नहीं.
लाला लंगोट के कच्चे थे.
पता नहीं, कितनों के पेटीकोट और ब्लाउज के अन्दर घूम आए थे, उन्हें खुद भी कुछ याद नहीं था.
अब वे भी क्या करें … हर इतवार को वसूली पर जाते थे, जहां से जो वसूल हो जाए.
साथ में एक जवान बांका गबरू लड़का रहता था राजू.
राजू बिज्जू लाला की रखैल का लड़का था, बीज उन्हीं का था.
वह रखैल तो मर गयी पर लाला को कसम दे गयी कि राजू को उन्हें ही पालना पोसना पड़ेगा.
लाला ने राजू का दाखिला पास के शहर में करा दिया.
राजू ने इंटर कर लिया और लाला के पास उनके कच्चे-पक्के हिसाब देखने लगा.
राजू गठीले बदन का मजबूत कद-काठी का नौजवान था.
लाला की बीवी भी कोविड में चल बसी.
उनका एक ही लड़का था, जो पढ़ लिख कर मर्चेंट नेवी में लग गया था.
वह साल में 8-9 महीने पानी वाले जहाज़ पर ही रहता था, बाकी समय लाला के पास रहता.
लाला की पत्नी ने कोविड से ठीक पहले उसकी शादी शहर की एक बहुत सुंदर लड़की रिशा से यह झूठ बोल कर करवा दी कि लड़का शादी के बाद अपनी बीवी को जहाज पर ले जाएगा.
पर हुआ उलटा.
लड़की बहुत रोई … पर फिर उसने अपना नसीब मान लिया और इसी बीच लाला की बीवी चल बसी.
अब लाला के घर को तो मानो ग्रहण लग गया.
घर पर अकेली नयी बहू.
लाला का इतना बड़ा कारोबार … लाला की एक रिश्ते की भाभी कुछ दिनों तक तो आकर रहीं, फिर उनका अपना भी घर था.
लाला तो मानो हंसना ही भूल गए थे.
रात को दुकान बढ़ा कर शराब पीने लगे.
सबने यही राय बनायी कि अब तो उनका लड़का अजय जॉब छोड़ कर यहीं आ जाए.
पर अजय ने जॉब छोड़ने को मना कर दिया.
सच तो ये था कि वह शादी के लिए भी राजी नहीं था.
उसे शादी का दैहिक सुख बाहर से लेने की आदत पड़ चुकी थी.
पर मां की जिद के आगे वह झुक गया.
उसका अपनी दुल्हन रिशा से कोई ख़ास लगाव भी नहीं हो पाया था.
हां इतना था कि बेड पर दोनों एक दूसरे की शारीरिक जरूरतों को जी भर कर पूरा कर देते.
रिशा ने अजय को साफ़ बोल दिया कि वह बच्चा तब ही करेगी, जब अजय उसे अपने साथ रखे.
अंततः सभी रिश्तेदारों ने दबाव बनाकर लाला से बहुत छोटी एक गरीब पढ़ी-लिखी लड़की सरिता को ढूंढकर उनकी शादी करवा दी.
सरिता तलाकशुदा थी. उसके पति ने उसको बाँझ करार दे दिया था.
वैसे सरिता सुंदर और भरे शरीर की खुशमिजाज लड़की थी.
अब लाला को बच्चे तो पैदा करने नहीं थे, तो उन्हें ये रिश्ता ठीक ही लगा.
अजय से पूछा तो उसने अनमने ढंग से हां कह दी.
हां, रिशा खुश थी कि चलो मां के रूप में ही सही, कोई तो घर में होगा … जिससे वह मन की बात कह सकेगी.
बिज्जू लाला ब्याह तो कर लाये पर वे सरिता का साथ बिस्तर पर नहीं दे पाए.
मोटा थुलथुला शरीर, मन टूटा हुआ. कुल मिलाकर वे सरिता पर चढ़े तो कई बार, पर
न तो धक्के लगा पाए, न पानी निकाल पाए. बस मम्मे चूस कर और चूत में उंगली
करके लाला ठंडे पड़ जाते और बाजू होकर खर्राटे लेने लगते.
सरिता को तो एक खूंटा चाहिए था.
वह इसी से खुश थी कि चलो चूत तो गीली होनी शुरू हुई.
घर में किसी चीज़ की कमी नहीं थी.
पर हां … वह अपनी दोनों शादियों में शारीरिक सुख से वंचित रही.
पहली शादी में तो मानसिक और शारीरिक प्रताणना मिली थी तो सेक्स के बारे में सोचने का समय नहीं था.
पर इस घर में सुख सुविधाएँ सभी थीं, तो मोबाइल, टी-वी देख उसकी चूत अब कुलबुलाने लगी थी.
वह अब एकांत में उंगली या सब्जियों का इस्तेमाल करने लगी थी.
इस तरह से घर में दो दो भूखी चूतें थीं, जो रिश्ते की शर्म के चलते आपस में अपने दुःख भी नहीं बाँट सकती थीं.
रिशा ने शुरू में तो सरिता को मां कहना चाहा, पर दोनों की उम्र में दो तीन साल का ही फर्क था तो सरिता ने उससे दीदी ही कहलवाया.
इसी तरह छह महीने बीत गए.
लाला ने तिमंजले पर एक कमरे का सैट राजू के लिए भी बना रखा था.
राजू तो घर का ही सदस्य था, खाना-नाश्ता भी घर पर ही खाता.
वह सरिता को सेठानी और रिशा को भाभी कहता.
राजू गठीले बदन का बांका नौजवान तो था ही, सलीकेदार और साफ़ सुथरा रहता.
लाला की नस उससे दबती थी क्योंकि लाला के सारे हिसाब किताब और गड़बड़ धंधों की जानकारी राजू के पास ही रहती.
अब तो तकादे पर अक्सर राजू ही जाता.
लाला की तरह अब वह भी पेटीकोट और ब्लाउज के अन्दर के नाप लेने लगा था.
जब लाला को मालूम पड़ा तो उन्होंने उसे कसम दे दी कि वह ये सब न करे.
उसके 25 साल का होने पर लाला उसकी शादी करा देंगे.
इधर राजू रिशा और सरिता से बहुत घुल-मिल गया था.
जब लाला ज्यादा खर्राटे भरते, तो कभी कभी सरिता ऊपर की मंजिल पर बने रिशा के कमरे में सोने चली जाती, जहां दोनों देर रात तक हंसी मजाक करतीं, टीवी देखतीं और सो जातीं.
एक रात बारिश जोर की हो रही थी.
लाला तो ठण्ड का बहाना करके दो पैग लगा कर लुढ़क लिए.
सरिता के मन में न जाने क्या आया.
उसने भी एक बड़ा सा पैग बनाया और गिलास लेकर ऊपर रिशा के कमरे में चली गयी.
रिशा उसे पैग लेकर आते देख कर हंस दी और बोली- दीदी आज क्या मूड है!
सरिता ने झट से कमरा बंद किया और बोली- चल हम भी आज पीकर देखती हैं.
रिशा ने मना भी किया पर सरिता बोली- चल थोड़ी थोड़ी पी लेती हैं.
दोनों ने बुरा सा मुँह बना कर दो चार घूँट ले ही लिए.
बिजली जोर से कड़क रही थी.
ठण्ड भी थी तो दोनों रजाई में घुस गईं.
रिशा बाथरूम में गयी तो सरिता उसका मोबाइल देखने लगी.
सरिता ने देखा कि रिशा कोई सेक्स कहानी पढ़ रही थी.
वह अन्तर्वासना की साईट थी.
सरिता उसे पढ़ने लगी.
उसकी सांस जोर से चलने लगी.
कहानी बहुत गर्म थी … चुदाई से भरपूर!
सरिता को लगा कि उसकी चूत में कुछ हो रहा है.
उसकी उंगली अपनी नाईटी के अन्दर जा घुसी.
वह चूत कुरेदने में मस्त थी.
तभी उसने देखा कि उसके पास रिशा खड़ी है.
दोनों की आंखें मिलीं.
आंखों ही आंखों में वासना ने अपना रस साझा किया.
अब सरिता ने मोबाइल एक ओर रख दिया.
रिशा ने लाईट बंद की और वह रजाई में लेट गयी.
दोनों चुप थीं.
तभी अचानक बिजली कड़की.
रिशा सरिता से चिपट गयी.
दोनों एक दूसरे को चूमने लगीं.
रिशा सरिता को भींचे जा रही थी.
काफी देर की चूमाचाटी के बाद सरिता ने पहल की और अपनी और रिशा की नाइटी उतार दी.
अब वे दोनों एक दूसरे से नंगी ही चिपट गयीं.
दोनों के जिस्म गर्म हो रहे थे.
आज जैसा होंठों का मिलन … शायद उन्होंने कभी ऐसा सुख लिया ही नहीं था.
रिशा ने फिर भी बिस्तर पर अजय के साथ भरपूर चुदाई की थी पर उसमें अपनापन नहीं था.
अजय ने केवल अपनी जिस्म की भूख मिटाई थी उसके साथ.
रिशा ने अपनी एक उंगली सरिता की चूत की ओर की.
सरिता की चूत बालों के झुण्ड से भरी थी.
रिशा बोली- ये क्या दीदी … इतनी झाड़ियां!?
सरिता बोली- किसके लिए साफ़ करूँ!
खैर … आज के लिए शायद इतना ही काफी था.
दोनों एक दूसरे को चूमती चाटती हुई एक दूसरे के आगोश में सो गयीं.
अब तो उनका ये आए दिन का हो गया.
रिशा ने सरिता को भी चिकना कर दिया था.
दोनों अब एक दूसरे के छेद में उंगली और खीरे, केले करतीं.
खूब पोर्न देखतीं.
रिशा से गर्मी पाकर अब सरिता खुद पहल करके लाला का लंड सहला देती या चूस देती.
लाला खुश हो जाते और सरिता को ऊपर बैठाकर उससे चुदते.
सरिता का मन तो नहीं भरता, बल्कि आग और भड़क जाती.
पर फिर भी लाला का लंड उसे कुछ तो सुख दे ही जाता.
अब वह जिस रात लाला के साथ रासलीला कर लेती तो उस रात ऊपर नहीं जाती.
उसने ये इशारा रिशा को भी दे दिया था.
एक दिन लाला ने रिशा से कहा- राजू के कमरे में हिसाब किताब का लेजर रखा होगा, वह ले आओ.
उस वक्त अजय कहीं गया हुआ था.
कमरे में लेजर देखते समय रिशा को उसके बिस्तर के नीचे एक छोटा रूमाल सा मिला जो कलफ लगे कपड़े जैसा कड़क हो रहा था.
फिर बिस्तर के गद्दे के नीचे दो तीन अश्लील किताबें दिखीं.
उनमें से एक किताब रिशा ने छिपा कर अपने साथ रख ली.
वह रुमाल के कड़कपन का राज भी समझ गई कि राजू मुठ मारता है.
अब उसके जेहन में राजू का बांकापन आया.
उसने महसूस किया कि राजू के बारे में सोचने से उसकी चूत में गुलगुली सी हो रही है.
वह लाला को लेजर देकर अपने कमरे में आ गयी और किवाड़ बंद करके किताब के पन्ने देखने लगी.
उसमें सेक्स की ढेरों फ़ोटोज़ थीं.
रिशा की उंगली अपनी चूत में पहुंच गई और वह राजू के लंड का ख्वाब देखती चूत मसलने लगी.
रात को रिशा की चूत जब ज्यादा ही चुलबुलाने लगी तो वह पता नहीं क्या
सोचकर दबे पाँव नीचे सरिता के कमरे के बाहर पहुंची और दरवाजे की दरार से
अन्दर का नजारा देखने लगी.
अन्दर लाला और सरिता दोनों नंगे थे.
सरिता लाला के ऊपर बैठ उसका लंड अन्दर करने की नाकाम कोशिश कर रही थी.
पर लाला उसके मांसल मम्मों को मसल रहा था.
रिशा की इच्छा हुई कि वह भी नंगी होकर कमरे में घुस जाए.
पर कुछ भी हो आखिर लाला उसका ससुर था.
वह गर्म सांसों के साथ वापिस ऊपर आ गयी.
ऊपर उसने राजू के कमरे में लाईट जलती देखी तो अन्दर झांकने की कोशिश की.
वहां भी वही नजारा था.
राजू नंग धड़ंग वही अश्लील किताब पढ़ रहा था.
उसके हाथों में उसका मूसल जैसा लंड था, जिसे वह मसल रहा था.
अब मामला रिशा के काबू से बाहर था.
उसने तय कर लिया कि अब चाहे जो भी हो जाए, उसे भी लंड चाहिए.
उसने अपने कमरे से आकर राजू को फोन किया कि उसके पैरों में बहुत दर्द है, क्या वह आ सकता है. पर बिना आवाज के आए क्योंकि नीचे लाला ज़ी सो रहे हैं, वे न उठ जाएँ.
राजू बहुत हरामी था.
वह सही मायनों में रिशा को सोच सोच कर ही मुठ मारता था.
वह समझ गया कि आज भाभी की चूत मिल सकती है क्योंकि केवल आने से कितनी आवाज होनी थी.
उसने बहुत ही मीठे ढंग से कहा- भाभी, अभी आया.
राजू जब कमरे में आया तो रिशा ने उससे कहा- आज मैं दिन में सीढ़ी से फिसल गयी थी, तो क्या तुम मेरे पैरों पर तेल लगा दोगे?
राजू की तो मानो लॉटरी लग गयी.
वह फटाफट तेल की शीशी निकाल लाया.
रिशा से रुका नहीं जा रहा था.
उसने कहा- राजू कमरे की लाइट हल्की कर दो. वर्ना लाइट जलती देख, दीदी ऊपर आ जाएँगी.
राजू ने लाइट धीमी कर दी.
वह नीचे बैठ कर धीरे धीरे रिशा की तलवों की मालिश करता रहा.
रिशा बोली कि सीढ़ी पर लुढ़कने से चोट ऊपर को लगी है. कुछ कमर की तरफ भी है, तो घुटने के ऊपर तक और कमर की भी मालिश कर दे.
ऐसा कह कर बिना उसके उत्तर का इंतज़ार किए रिशा औंधी होकर लेट गयी.
उसकी चिकनी टांगें और पाजेब राजू का ईमान डिगा गयीं.
पर उसकी ज्यादा हिम्मत नहीं हो रही थी.
वह नीचे खड़ा मालिश करता रहा.
रिशा अब उस पर झुंझलाई और बोली- करना है, तो ढंग से कर … वरना जा!
यह कह कर रिशा ने उसका हाथ अपनी जांघों पर रख दिया और कहा- यहां अच्छे से मालिश करो … और ऊपर बेड पर आकर बैठ कर मालिश करो.
राजू का तो लंड तम्बू बना हुआ था.
खैर … उसने हिम्मत करके रिशा की नाइटी को ऊपर करके उसकी चिकनी पिंडलियों पर मालिश शुरू की.
उसकी सांसें तेज चलनी शुरू हो गयी थीं.
तभी रिशा पलट गयी और उसकी टी-शर्ट का कॉलर पकड़कर उसे नीचे खींच कर बोली-
साले हरामी, तू कैसी कैसी किताबें पढ़ रहा था और अपने मूसल को मसल रहा था,
तेरी वीडियो बना ली है मैंने … सुबह लाला ज़ी को दिखाऊंगी.
राजू घबरा कर बोला- नहीं भाभी, ऐसा कुछ नहीं कर रहा था.
रिशा ने उसके बरमूडा के ऊपर से उसका लंड पकड़ लिया और कहा- फिर ये कैसे बंबू बना हुआ है! चल अब ढंग से मेरी मालिश कर!
यह कह कर रिशा सीधी लेट गयी और अपनी नाइटी के अन्दर उसका हाथ सीधी अपनी चूत पर रख दिया.
वह बोली- अब इधर की कर मालिश. हाथ, उंगली, जीभ और अपना औज़ार सब इस्तेमाल कर!
राजू की हिम्मत अब खुल गयी.
वह रिशा की जांघों के ऊपर उसकी मखमली चूत की फांकों को मसलने लगा.
उसने सपने में ऐसा नसीब नहीं सोचा था.
रिशा की गर्म सांसें अब बढ़ने लगीं.
उसने अपनी नाइटी उतार फेंकी और राजू को भी नंगा कर दिया.
राजू को उसने बालों से पकड़ कर खींचा और उसका मुँह अपने मांसल मम्मों पर रख दिया.
वह किसी भूखे बच्चे की तरह अपनी भाभी के मम्मे चूसने लगा.
रिशा ने उसका लंड पकड़ लिया और लगी मसलने.
राजू का लंड अजय के लंड के मुकाबले मजबूत था.
रिशा की चूत में चीटियां रेंग रही थीं.
उसने राजू से कहा- ज़रा मेरी मुनिया को चूस तो दे!
राजू नीचे हुआ तो रिशा ने अपनी टांगें फैला दीं.
तब राजू ने उसकी फांकों को चौड़ाया और अपनी जीभ घुसा दी.
राजू ने अब तक जो भी दो चार चूत चोदी थीं, वह सब गाँव की गंवार औरतों की गंदी चूतें थीं.
इतनी चिकनी और मखमली चूत तो उसने केवल मोबाइल में पोर्न मूवी में देखी थी.
उसने अपनी जीभ पूरी अन्दर तक घुसा दी.
रिशा की आहें निकलनी शुरू हो गयीं.
उसने अपनी उंगलियों से फाँकों को और चौड़ा कर दिया और राजू के बाल खींचकर उसका सर अपनी चूत में और नजदीक कर दिया.
अब रिशा राजू के लंड का स्वाद भी लेना चाह रही थी.
तो उसने राजू को ऊपर खींचा और उसका लंड अपने मुँह के पास कर दिया.
पहले तो उसने उसके टोपे को चूमा, थोड़ा थूक लगाया और हाथों से मालिश करते हुए उसे मुँह में ले लिया.
मुँह में लेते ही रिशा ने उसे बाहर निकाल दिया और बोली- साले, कब से नहीं धोया है इसे … जा धो कर आ!
अब राजू क्या कहता, उससे रिशा ने बुलाते समय थोड़े ही यह कहा था कि उसे अपनी चूत चुदवाना है, लंड धोकर आना.
राजू झट से खड़ा हुआ और खींसें निपोरता हुआ बगल के स्नानघर में जाकर धो आया.
अब आकर रिशा ने उसे नीचे लिटाया और फिर उसका लंड लपर लपर करती हुई चूसने लगी.
राजू कोई भी पहल करने में हिचक रहा था; उसे तो सब सपना सा लग रहा था.
रिशा बार बार उसे झिड़कती. कभी उसके हाथ अपने मम्मों पर रखती कि मसल डाल इन्हें.
अब रिशा की चूत भी लंड को अन्दर लेना चाहती थी तो रिशा ने ढेर सारा थूक राजू के लंड पर और अपनी चूत के मुहाने पर लगाया और बैठ गयी राजू के ऊपर … और अपने हाथ से उसका लंड अपनी गुफा के महाने पर रख दिया.
अब वह राजू से बोली- पेल दे!
नीचे से राजू ने धक्का लगाया, ऊपर से रिशा ने हाथ का सहारा दिया, तो लंड सीधा अन्दर गहराई तक उतर गया.
रिशा की जान निकल गयी.
इतना कड़क मर्दाना लंड पहली बार उसकी चूत ने लिया था.
उसकी तो चीख निकलते निकलते रह गयी.
वह नीचे हो गयी और राजू से बोली- आह दर्द होने लगा है साले … धीरे धीरे चोद मादरचोद!
राजू ने गाली को भी भाभी का प्यार समझा और बड़ी नफासत से अपना लंड रिशा की चूत में घुसेड़ कर धीरे से निकाला.
इस तरह से धीरे धीरे चुदाई शुरू हो गई.
अब रिशा लंड को प्यार से लेने लगी थी.
उसका दर्द भी जाता रहा था, मजा आने लगा था.
रिशा अब अपनी जोरदार चुदाई चाह रही थी.
उसने अपने लम्बे नाख़ून राजू की पीठ में गड़ा दिए और उसे अपने सीने से भींच लिया.
अब तक राजू का लंड पूरी गहराई में उतर चुका था.
रिशा ने थोड़ा ढीला छोड़ा और बोली- अब रेलगाड़ी तेज चला, देखूं कितना मर्द है तू!
अपनी मर्दानगी की बात आने से राजू भी तन गया और उसने जोरदार पेलम पाली शुरू कर दी.
अब दोनों की आहें निकल रही थीं.
रिशा को डर था कि कहीं आवाज़ नीचे न चली जाए; उसने अपनी आवाज पर काबू किया.
राजू ने स्पीड पकड़ ली थी.
रिशा की दोनों टांगें ऊपर पंखे की ओर थीं, रिशा के मम्मे राजू की गिरफ्त में थे.
उसके गोरे गोरे कबूतरों को राजू ने मसल मसल कर लाल कर दिया था.
राजू का स्खलन होने वाला था.
उसने पूछा- कहां निकालूं?
रिशा ने कॉपर-टी लगवाई हुई थी तो उसने कहा कि अन्दर ही निकाल ले.
राजू ने ढेर सारा वीर्य उसकी चूत और पेट पर निकाल दिया.
अब रिशा ने उससे कहा- चुपचाप यहां से निकल ले … और हां ये बात किसी को कानों कान भी खबर हुई तो घर से निकलवा दूँगी.
राजू अपने कपड़े पहन कर वहां से रपट लिया.
रिशा उठी और अपने को साफ़ करके सो गयी.
अगली सुबह सरिता ने मुस्कुराते हुए उससे पूछा- रात को तेरे कमरे से कुछ आवाज आ रही थी! शायद तूने टीवी पर कोई पोर्न लगा ली थी … तो पगली आवाज थोड़ी धीमी कर लिया किया कर!
रिशा ने भी कह दिया- मैं नीचे पानी लेने आई थी तो आपका कमरा हिल रहा था.
सरिता हंस दी और बोली- लाला जी चढ़ाई की कोशिश कर रहे थे … पर बार बार फिसल जा रहे थे, तो मैंने ही चढ़ाई कर ली थी. पर लालाजी से प्यास बुझाई तो जाती नहीं है, उलटे भड़का और देते हैं. मैं सोच रही थी तेरे पास आ जाऊं … पर लालाजी ने कमरे की चिटकनी कसके बंद कर दी थी, जो मुझसे खुली ही नहीं.
रिशा की तो यह सुन कर जान निकलते निकलते बची.
वह सोच रही थी कि दीदी अगर ऊपर आ जातीं तो क्या होता!
रिशा ने सरिता से कहा- मेरे से तो अब बर्दाश्त नहीं होता. मैं सोचती हूँ कि भाग जाऊं या अजय को तलाक दे दूं.
सरिता सुन कर सन्न रह गयी.
वह रिशा का हाथ पकड़ कर कमरे में ले गयी और कमरा बंद करके उससे चिपट गयी.
दोनों रोने लगीं.
सरिता ने उससे कहा- कहां जाएगी पगली. दुनिया तुझे नोंच खसोट लेगी. यहां जब हम दोनों रानियों की तरह रह रही हैं. बस शरीर की आग नहीं बुझ रही है, तो हमें बर्दाश्त करना होगा … और यहीं रहकर कोई रास्ता निकालेंगी.
दोनों आपस में लिपट कर एक दूसरे को संभालने लगीं.
रिशा ने सरिता के होठों को चूमना शुरू किया.
सरिता ने उससे कहा- अभी शांत हो, आज रात को दोनों साथ सोयेंगी. गर्मी मिटाने को मैं कुछ लाऊंगी अपने साथ!
रिशा हंस पड़ी.
दिन में राजू रिशा के सामने आने से बचता रहा.
दोपहर को जब खाना खाने आया तो रिशा ने उसकी खाने में मिर्च ज्यादा ही तेज कर दी.
राजू ने जैसे ही निवाला मुँह में रखा तो उसकी आह निकल गयी.
पास खड़ी सरिता बोली- क्या हुआ?
राजू धीरे से बोला- शायद सब्जी कुछ तीखी ज्यादा है.
रिशा हँसती हुई बोली- अभी लालाजी खा कर गए हैं, उन्होंने तो कुछ नहीं
कहा. तूने कुछ गर्म ले लिया होगा मुँह में, तो तेरा मुँह कट गया है.
यह कह कर उसने सरिता से नजर बचाकर राजू को आंख मार दी.
राजू ने जैसे तैसे खाना खाया.
फिर रिशा ने उससे कहा- ऊपर मेरे कमरे में आ जाना, ग्लिसरीन दे दूँगी. वह मुँह में लगा लेना, आराम मिल जाएगा.
यह कहकर वह ऊपर कमरे में चली गयी.
पीछे पीछे सरिता ने राजू को जबरदस्ती भेज दिया- जा, भाभी से ग्लिसरीन ले आ, नहीं तो परेशान रहेगा.
ऊपर कमरे में उसके पहुंचते ही रिशा उससे चिपट गयी और ताबड़तोड़ चूमने लगी.
रिशा ने उसके पजामे के ऊपर से ही उसका लंड कसके पकड़ लिया और मसलने लगी.
राजू गिड़गिड़ाया- भाभी ज़ी अभी जाने दो. लालाजी राह देख रहे होंगे.
वे दोनों नीचे आ गए.
रात को खाने से निबटकर सरिता ने लालाजी को कह दिया- आज रात मैं रिशा के पास सोऊंगी, मेरा जी खराब हो रहा है.
लालाजी भी समझते थे.
वे सरिता से बोले- अबकी बार जब अजय आए, तो उसे समझाओ कि वह नौकरी छोड़ दे. यहां क्या कमी है!
सरिता ऊपर चली गयी.
रिशा उसका इंतज़ार कर रही थी.
उसने किवाड़ बंद कर लिया और रिशा के साथ बिस्तर पर बैठ गयी.
सरिता के हाथ में थैले में कुछ था.
रिशा ने जानना चाहा, तो सरिता हंस दी और बोली- अभी दिखा दूंगी.
तब रिशा ने अपनी अल्मारी से दो नाइटी निकालीं जो उसने नीचे से कटवा ली थीं.
मतलब वह बहुत शॉर्ट नाइटी बन गयी थीं.
रिशा सरिता से बोली- आप फ्रेश होकर इसे पहन लेना.
सरिता हंस पड़ी और बोली- इसकी भी क्या जरूरत है हमें!
पर रिशा ने जिद की तो दोनों ने पहन ली.
अब दोनों किसी सहेलियों की तरह नजर आ रही थीं.
हँसते खिलखिलाते दोनों बेड पर पसर गईं और टीवी देखने लगीं.
रिशा की चूत सुलग रही थी.
उसने धीरे धीरे अपने पैरों को सरिता के ऊपर रगड़ना शुरू कर दिया.
सरिता असहज हुई और बोली- थोड़ा सब्र तो रख!
इस पर रिशा ने उसका मुँह अपनी ओर किया और लगी चूमने!
इसके बाद जो होना था, वही हुआ.
दोनों की नाइटी उतर गईं और दोनों एक दूसरे के जिस्म से खेलने लगीं.
सरिता के मम्मे भारी थे.
रिशा उसके निप्पल चूसने लगी और दांतों से काटने लगी.
अब सरिता की चूत भी फुंफकार मारने लगी.
उसने रिशा को अपने ऊपर कर लिया.
रिशा अपनी चूत से उसकी चूत रगड़ने लगी.
दोनों कसमसा रही थीं.
सरिता ने पास रखे थैले से एक बहुत मोटी मोमबत्ती निकाली जिसके दोनों सिरे उसने लंड के सुपारे की तरह घिस रखे थे.
सरिता ने थूक लगा कर उसका एक सिरा रिशा की चूत में कर दिया और अन्दर बाहर करने लगी.
रिशा तो पागल जैसी हो गयी.
मोमबत्ती उसे राजू के लंड जैसा मजा दे रही थी.
वह हांफने लगी.
अब सरिता ने दूसरा सिरा अपनी चूत में किया और दोनों बगल बगल लेटकर एक दूसरे को धक्के लगाने लगीं.
दोनों के होंठ मिले हुए थे.
मोमबत्ती तो मोमबत्ती ही होती है, उससे लंड सा मजा कहां.
तब भी दोनों तड़पती हुई मोमबत्ती से मजा लेती रहीं.
रिशा बोली- दीदी, तुम तो लालाजी के औज़ार से खेल लेती हो, मैं क्या करूँ. कब तक अपने दाने को हाथ और खीरे से मसलती रहूँ. अपन दोनों को तो एक असल का मर्द चाहिए.
सरिता चुप रही.
तो आखिर में रिशा ने उसे कल रात की पूरी बात बता दी.
रिशा सरिता से चिपट गयी और बोली- दीदी, मेरी गलती है, पर क्या करूँ. मैं तो शादी से पहले भी बहुत चुदासी थी, सहेलियों की बात सुन सुन कर चूत भड़क जाती थी, पर फिर भी ब्याह होने का इंतज़ार किया. ब्याह हुआ पर आदमी भी केवल नोच खसोट कर चला जाता है. कुछ प्यार-व्यार नहीं हैं हम दोनों में. वह कहता है, बच्चा कर लो. मैंने शर्त रखी है कि जब तुम साथ रहोगे, तभी करूँगी. इन मर्दों का भरोसा नहीं कि कब इल्जाम लगा दें कि बच्चा हमारा नहीं है.
सरिता की चूत भी राजू के लंड की बात सुनकर गीली हो गयी थी.
असल में उसने भी कई बार राजू के लंड के उभार को महसूस किया था.
उसने रिशा से राजू और उसकी चुदाई की सारी बातें पूछी और आखिर में वह रिशा से चिपटती हुई बोली- तूने तो कमाल का काम किया है. अब अकेली तू ही नहीं, मैं भी अपनी चूत रगड़वाउंगी उससे!
इस पर दोनों ने एक प्लान बनाया.
अगले दिन रिशा ने राजू को पैसे दिए और एक कागज़ पर लिखकर बाज़ार से हेयर रेमूविंग क्रीम मंगवाई.
राजू चुपके से वह क्रीम ले आया.
रिशा ने उसे समझाया कि इस्तेमाल कैसे होती है और कह दिया कि रात को दस बजे के बाद सबके सोने के बाद नहा धोकर उसके कमरे में आ जाए.
रात को रिशा खाने से जल्दी फारिग होकर अपने कमरे में आ गयी और नहाकर एक हल्की सी फ्रॉक डालकर लेट गयी.
आते समय उसने आंखों ही आंखों में सरिता को इशारा कर दिया.
किचन से निबटकर सरिता कमरे में आई तो लालाजी शराब का गिलास लिए बैठे थे.
आज सरिता ने लालाजी से शराब को लेकर कुछ नहीं कहा, बल्कि पैग ख़त्म होने पर एक बड़ा पैग खुद ही बना कर दे दिया.
लालाजी हैरान थे कि आज सूरज पश्चिम से कैसे उग गया!
सरिता बोली- पीकर तुम अच्छे से करते हो इसलिए!
लालाजी तो निहाल हो गए.
दोनों पैग चढ़ा कर ऊपर चढ़ने की कोशिश में फिसल गए और जल्दी ही खर्राटे लेने लगे.
ऊपर राजू ने जब सरिता को किचन से बाहर जाते देखा तो वह चुपके से रिशा के कमरे में पहुंच गया.
रिशा ने उसे अन्दर करके दरवाजा भेड़ लिया.
तभी रिशा ने कमरे की लाइट बंद की और दोनों चूमाचाटी करने लगे.
आज कोई जल्दी नहीं थी.
पर राजू घबरा रहा था.
रिशा ने उसे उकसाया- तेरी क्यों फट रही है भोसड़ी के … आराम से कर न!
थोड़ी देर में राजू सामान्य हो गया.
रिशा ने राजू के पजामे में हाथ डाला तो पाया कि राजू ने अच्छे से सफाई कर ली है; उसका लंड चिकना हो गया था और इस समय तना हुआ था.
तब रिशा ने राजू का पजामा उतार दिया और नीचे घुटनों पर बैठ कर लंड चूसने लगी.
रिशा के हाथों में राजू का औज़ार मचल रहा था.
उसने उसे थूक से भिगो दिया था और वह उसे मसल रही थी.
अब राजू भी बेधड़क हो गया था.
उसने रिशा को खड़ा किया और उसकी फ्रॉक उतार दी.
साथ ही अपनी कमीज भी.
अब दोनों एकदम नंगे थे.
कमरे में बाहर से हल्की सी रोशनी आ रही थी.
राजू रिशा के मम्मे चूमने चूसने लगा.
रिशा के इशारे पर उसने रिशा की चूत में उंगली कर रखी थी.
अब रिशा अपनी चूत चुसवाना चाह रही थी तो वह बेड पर टांगें फैला कर लेट गयी.
उसने राजू को भी अपने पास घसीट कर उसका सर अपनी टांगों के बीच कर दिया.
राजू समझ गया कि रिशा उससे क्या चाहती है.
उसने अपनी जीभ रिशा की चूत की फाँकों के बीच में कर दी.
रिशा की आहें निकलनी शुरू हो गयीं.
चूत चूसते चूसते राजू ने उसकी चूत थूक से भर दी.
अब राजू का मूसल भी तनतना रहा था और अन्दर आने को बेताब था.
उसने बेड के नीचे खड़े होकर रिशा को अपनी ओर खींचा और उसकी टांगें फैला कर अपना मूसल पेल दिया.
राजू के अब दमदार धक्के लगने लगे थे.
राजू का मजबूत लंड रिशा की चूत की गहराइयां नाप रहा था.
रिशा पीछे को खिसकी और उसने राजू को बेड पर अपने ऊपर खींच लिया.
अब रिशा ऊपर आना चाह रही थी पर राजू की मजबूत पकड़ के आगे उसकी एक न चली.
राजू ने उसकी टांगें ऊपर कर दीं और रेलम पेल करने लगा.
दमदार धक्कों और स्पीड से रिशा की चुदाई एक्सप्रेस फुल स्पीड पर थी.
उसकी पाजेब छनछन की तेज आवाज कर रही थी.
राजू बीच बीच में उसके मम्मे मसल देता.
तभी अचानक से किवाड़ खुला.
सरिता आ गयी थी.
उसने लाईट जलाई तो रिशा और राजू नंग-धड़ंग थे और चिपटा चिपटी में लगे थे.
राजू एक झटके से उतरा और अपना पजामा उठा कर अपने लंड को छिपा लिया.
इधर रिशा ने भी अपना नंगा जिस्म चादर से ढक लिया.
राजू तो डर के मारे कांप रहा था.
सरिता ने उसे एक झापड़ लगाया.
राजू नंगा ही अपनी कमीज उठा कर अपने कमरे में भाग गया.
सरिता ने किवाड़ बंद कर लिया, लाईट बंद कर दी.
बेड पर सरिता रिशा से चिपट गयी.
रिशा खिलखिलाती हुई बोली- मेरा होने वाला था. आप और पांच मिनट बाद आतीं, तो काम पूरा हो जाता.
सरिता ने अपने होंठ रिशा के होंठों से भिड़ा दिए और पूछा- कैसा है राजू का औज़ार?
रिशा बोली- बहुत दमदार है.
यह कहकर रिशा ने सरिता की चूत में उंगली घुसा दी और बोली- चुद मैं रही थी और पानी आपकी मुनिया बहा रही है. अब क्या करना है?
सरिता बोली- मैं राजू को नीचे लेकर जाती हूँ और उससे अपनी मुनिया को शांत कराती हूँ. अब तू चुपचाप उंगली करके सो जा, मैं चली!
रिशा बोली- यहीं बुला लेते हैं. दोनों एक साथ कर लेंगी.
सरिता बोली- कुछ तो शर्म कर, तेरी सास हूँ मैं!
दोनों हंस पड़ीं.
सरिता बोली- मैं जाती हूँ, तू राजू को नीचे भेज और उससे कहना कि मुझसे माफ़ी मांगे वरना सुबह उसकी छुट्टी हो जायगी.
कह कर सरिता कमरे से चली गयी.
रिशा ने राजू को फोन करके बुलाया.
राजू आया तो रिशा उससे चिपट गयी.
वह दिखावटी घबराहट दिखाते हुए बोली- दीदी बहुत गुस्सा हैं. अब तू एक काम
कर. नीचे जा और कैसे भी उन्हें मना ले. उन्होंने हमारी वीडियो बना ली है,
इसलिए उनसे पंगा मत लेना.
राजू नीचे पहुंचा.
कमरे से तो लालाजी के खर्राटों की आवाज आ रही थी.
सरिता बराबर में बैठक पर सोफे पर अधलेटी थी.
राजू कमरे में घुसा और सरिता के पैर पकड़ लिए.
सरिता ने उसे धक्का दिया और कहा- तेरी हिम्मत कैसे हुई … सुबह तू अपना सामान बाँध लेना, मुझे सुबह दिखाई नहीं देना चाहिए!
राजू वहीं नीचे बैठ गया और बोला- ऐसा जुल्म नहीं करें, मैं आपकी गुलामी करूंगा. आप जैसा कहेंगी, वैसा ही करूंगा!
सरिता मुस्कुरा दी और बोली- फिर आज से तू मेरी भी ऐसी ही सेवा करेगा, जैसी बहू की कर रहा था … और आज से तू लालाजी से ज्यादा मेरा वफादार रहेगा … बोल मंजूर है?
राजू ने पैर पकड़ लिए और बोला- जैसा आप कहेंगी, वैसा ही होगा!
सरिता बोली- चल अब किवाड़ बंद कर और मेरे जिस्म की बिना तेल के मालिश कर!
राजू ने किवाड़ बंद किए.
सरिता बोली- लाईट भी बंद कर और मेरे और अपने कपड़े उतार … और शुरू हो जा. और हां अगर लालाजी की आंखें खुल जाएं तो इधर सोफे के पीछे छिप जाना, बाकी मैं संभाल लूंगी.
राजू ने अपने और सरिता के कपड़े उतारे.
सरिता ने उसका लंड पकड़ लिया और बोली- अब समझ में आया कि रिशा तेरे से चुद क्यों गयी!
तब सरिता ने लंड को पकड़ा और चूसने लगी.
पहली बार सरिता को मालूम पड़ा कि मर्द का लंड होता कैसा है.
लंड चूसते चूसते सरिता ने चुप खड़े राजू से कहा- तू ऐसे ही खड़ा रहेगा भोसड़ी के, कुछ तू भी तो कर … मादरचोद मुझे चोदने आया है या मेरी आरती उतारने? अब शर्मा मत और मजे दे मुझे!
अब राजू की भी हिम्मत बढ़ गई.
उसने सरिता को लिटाया और उसकी चूत में जीभ घुसा दी.
सरिता तो तड़प उठी.
ऐसा सुख उसे उसके दोनों पतियों ने किसी ने नहीं दिया था.
उसने टांगें चौड़ा दीं तो राजू ने जीभ और अन्दर घुसा दी.
सरिता अपने मम्मे मसलने लगी.
उसने राजू का हाथ पकड़ा और अपने मम्मों पर रख दिया.
राजू उन्हें जोर जोर से मसलने लगा.
सरिता दो दो मर्दों से चुदी हुई थी.
उसके मम्मे रिशा के मुकाबले मांसल थे.
राजू ने अपना एक हाथ नीचे किया और सरिता के दाने को मसलने लगा.
सरिता की चूत गीली हुई पड़ी थी.
अब तो सरिता राजू का लंड अन्दर लेने के लिए मचल रही थी.
सरिता ने राजू को हटाया और नीचे लिटाया.
वह उसके लंड के ऊपर चढ़ गई, अपने हाथों से उसका लंड अपनी चूत के ऊपर सैट किया और अन्दर धकेला.
नीचे से राजू ने उकसाया तो लंड सीधा अन्दर दरक गया.
सरिता को ऐसा अहसास हुआ मानो वह सातवें आसमान पर पहुंच गयी हो.
वह संभल कर और कसके नीचे होकर बैठी तो लंड उसकी बच्चेदानी को छू गया.
अब सरिता धीरे धीरे गांड उछालने लगी और राजू को भी गांड उछालने को उकसाती रही.
अभी दोनों की चुदाई ने रफ़्तार नहीं पकड़ी थी.
सरिता राजू से बोली- हरामी, ऊपर तो बड़ी जोर से पेलम पाल कर रहा था, यहां तेरी क्यों फटी पड़ी है?
राजू ने इस पर सरिता को नीचे किया और उसकी टांगें चौड़ा कर लंड पेल दिया.
आखिर सरिता ने उसकी मर्दानगी को छेड़ा था.
उसने जल्दी ही सरिता की आहें निकाल दीं.
सरिता भूल गयी कि बगल में लालाजी सो रहे हैं. वह राजू को और जोर से करने के लिए उकसा रही थी.
राजू ने स्पीड बढ़ा दी; उसका होने को ही था.
उसने सरिता से पूछा- कहां निकालूं?
सरिता बोली- रुक मत, अन्दर ही निकाल दे!
तभी लालाजी की आवाज आई- कहां गयीं?
सरिता हांफ रही थी. उसका उफान जोरों पर था.
राजू ने एक झटके में सरिता की चूत में ही सारा माल निकाल दिया.
लालाजी की दोबारा आवाज़ आई तो सरिता ने राजू को धक्का दिया और फटाफट नाइटी डाल कर कमरे में चली गयी.
जाते जाते उसने राजू को ऊपर जाने का इशारा किया.
सुबह सरिता और रिशा दोनों आमने सामने हुई तो मुस्कुरा उठी.
सास बहू Xxx जुगाड़ मिलने से बहुत खुश थीं.
सरिता ने रिशा से कहा कि रिशा तू राजू को ऐसा दिखाना, जिससे उसे पता
नहीं चल पाए कि मैंने उसे माफ़ कर दिया या नहीं … और तू जब भी राजू को चुदाई
के लिए बुलाये तो मुझको पहले बता दे.
रिशा ने हां कह दी.
सरिता आगे बोली- इसी तरह जब मैं बुलाऊंगी, तो तुझको बता दूँगी. राजू को हमेशा एक दूसरे का डर बना रहना चाहिए.
इस तरह से सास बहू दोनों को घर में एक ऐसा मजबूत लंड मिल गया था, जो उनके काबू में आया हुआ सांड था. दोनों उससे अपनी अपनी चूत की प्यास बुझवा लेतीं और मजे से रहतीं.
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