मेरे गांव की चौधराइन सनम का गदराया हुआ बदन, उसके बड़े बड़े दूध, उसकी
गोल मटोल चेहरा, सुर्ख लाल लाल गाल, उसकी मस्तानी गांड और उसकी गजगामिनी
जैसी चाल देख कर मैं तो उसका दीवाना हो गया हूँ।
मुझसे ज्यादा मेरा लण्ड उसका दीवाना हो गया है।
मैं जाने कितनी बार उसका नाम ले ले कर मुट्ठ मार चुका हूँ।
क्या करूँ उसे देखते ही मेरा लण्ड साला खड़ा हो जाता है और जब तक मैं मुट्ठ नहीं मारता तब तक वह बैठता ही नहीं.
वह है तो 42 साल की … पर हरामजादी लगती है केवल 28/30 साल की मस्त जवान।
सबसे ज्यादा मजेदार बात यह है कि वह बोलती बड़े प्यार से है, मजाक भी खूब बड़े प्यार से करती है.
कभी कभी अपने मुंह से कुछ अश्लील शब्द भी बोल देती है।
यह भी देखने में आया है कि जिससे वह बहुत ज्यादा प्यार करती है, उससे तो गालियां दे दे कर बात करती है।
यह Xxx डबल सेक्स कहानी इसी सनम की है.
एक दिन मैंने उसे किसी पड़ोसन से बाते करते हुए सुन लिया था.
पड़ोसन का नाम था मिसेज कामिनी।
पड़ोसन बोली- यार सनम, तू आजकल ज्यादा सेक्सी और खूबसूरत दिख रही है क्या बात है?
चौधराइन बोली- अरे यार, जब मन माफ़िक लण्ड मिलता है तो मैं ख़ुशी के मारे झूम उठती हूँ। मेरा मन खिल उठता है।
पड़ोसन बोली- हां सही कह रही हो तुम! जब मेरे हाथ में भी पराये मरद का
लण्ड आता है तो मैं सारी दुनिया भूल जाती हूँ और लण्ड पर टूट पड़ती हूँ।
चौधराइन बोली- यार कुछ भी हो … मज़ा तो पराये मर्दों से चुदवाने में ही आता है।
पड़ोसन बोली- सच कह रही हो। मैं जब तक 2/3 पराये मर्दों से चुदवा नहीं लेती तब तक मुझे नींद नहीं आती.
चौधराइन बोली- हां, सही बात है यार! मैं तो ग़ैर मर्दों के लण्ड पर जान देती हूँ। आज तक मेरे भोसड़ी वाले शौहर को पता ही नहीं कि मैं कितने लोगों से चुदवा चुकी हूँ और कितने लोगों से आजकल चुदवा रही हूँ।
यह सुनकर मैंने ठान लिया कि मैं भी किसी दिन अपना लण्ड चौधराइन के भोसड़ा में पेलूँगा।
मुझे यकीन था कि मेरा लण्ड चौधराइन को पसंद आ जायेगा क्योंकि मेरा लण्ड बड़ा भी है और मोटा भी।
जब पड़ोसन जाने के लिए उठी तो मैं फ़ौरन वहां से भाग खड़ा हुआ।
मैं घर से बाहर दूर चला गया।
मन ही मन मैं बड़ा खुश हो रहा था कि आज मुझे चौधराइन की असलियत मालूम हो गयी है कि वह एक चुड़क्कड़ औरत है.
मेरा नाम बलबीर सिंह है, पर लोग मुझे बल्लू के नाम से ज्यादा जानते हैं।
मैं चौधराइन का मैनेजर हूँ और उसका सारा काम काज मैं ही देखता हूँ।
उसे मैं मालकिन कह कर पुकारता हूँ।
मैं तो उससे रोज़ बातें करता हूँ और बड़ी देर तक बातें करता हूँ।
हम दोनों एक दूसरे को अच्छी तरह से जानते हैं।
मुझसे ज्यादा उससे अगर कोई और नजदीक है तो वह है उसका शौहर यानि चौधरी अलताफ!
चौधरी साहब अपने काम काज में बहुत बिजी रहते हैं और वे हमेशा अपनी शान में ही रहतें हैं।
उन्हें गुरुर बहुत है, घमंड बहुत है। उन्हें अपनी मस्त जवान बीवी की तरफ ध्यान देने का वक्त ही नहीं है।
उन्हें यह भी नहीं पता कि उसकी बीवी को इस जवानी में पैसों की नहीं बल्कि लण्ड की जरूरत है। एक लण्ड नहीं उसे कई लण्ड की जरूरत है।
उसे तो केवल लण्ड चाहिए बस लण्ड!
लेकिन हकीकत यह है कि वह बेचारी अपने शौहर के लण्ड के लिए तरस जाती है।
कभी कभी तो कई हफ्ते गुज़र जाते हैं उसे अपने शौहर का लण्ड नसीब नहीं होता.
अब ऐसे में चौधराइन बेचारी क्या करे?
यह बात केवल मैं ही समझता हूँ कोई और नहीं।
हालाँकि उसने मुझे कभी बताया नहीं … पर मैं उसके हाव भाव से सब समझ जाता हूँ।
मैं बस इसी मौके का फायदा उठाना चाहता था इसलिए मैं मालकिन की गांड के पीछे
लग गया, उसकी चमचागीरी करने लगा उसकी हां में हां मिलाने लगा।
मेरे सारे कपड़े भीग गए और मैं वैसे ही मालकिन के घर पहु
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