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Thursday, 30 October 2025

ज्योतिषी बन कर भाभी को बच्चा दिया

 

मेरे पास जॉब नहीं थी, मैं फर्जी ज्योतिषी बनकर हाथ देख कर कमाई करने लगा. एक भाभी मेरे पास बच्चे की चाह में आई. वह माल भाबी थी.

भाभी की रंडी बनने की यह भाबी Xxx कहानी उस समय की है जब मैं घर पर जॉब छोड़ कर रहता था.

मुझको कई दिनों से जॉब नहीं मिल रही थी.
इसलिए मैंने एक फर्जी काम शुरू कर दिया था.
मैं हाथ देख कर भविष्य बताने लगा था.
इस काम में मेरे पास पैसा आने लगा था.

एक दिन की बात है.
उन दिनों मेरे पास भाभियां आंटियां और बहुत सी लड़कियां मेरे पास अपना हाथ दिखाने के लिए आती रहती थीं.

एक दिन एक भाभी मेरे पास आईं.
वह भाबी दिखने में एक नंबर की हॉट रंडी लग रही थीं.

उनका फिगर इतना टाइट और गदराया हुआ था कि उसे देखते ही मेरा दिमाग और लाँड़ दोनों हिल गए.

वे मेरे करीब आईं और उन्होंने मुझसे पूछा- सर, लकी जी (बदला हुआ नाम) कौन हैं?

मैंने कहा- कहो, क्या काम है? मैं ही हूँ लकी!
मैं इधर आपको बता दूँ, भाभी का नाम वंदना था … जो मुझे उनसे बात के दरमियान माल हुआ था.

वंदना भाभी बोलीं- आप हाथ देखते हैं? मुझे अपना हाथ दिखाना है, अपने बारे में कुछ जानना है!
मैंने कहा- आओ, बैठो!

वे मेरे और पास को आईं और बैठ गईं.
फिर भाभी ने अपना हाथ मुझे दे दिया.

मैंने भाभी के हाथ को अपने हाथ में लिया और उस पर बनी रेखाओं पर अपनी उंगली फेरने लगा.

मैंने उनके बारे में बताना शुरू किया ‘आप इन दिनों भारी तनाव से गुजर रही हैं!’

मैंने इतना कहा ही था कि वे एकदम से फट पड़ीं.
उनकी शादी को चार साल हो गए थे लेकिन उन्हें बच्चा नहीं हो रहा था.

इस कारण वे बहुत परेशान थीं.

मैंने भाभी से कहा- आपको एक काम करना होगा, इसमें थोड़ा खर्चा लगेगा!
वे बोलीं- चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े, मुझे बच्चा चाहिए!

यह कह कर वे रोने लगीं. उनकी स्थिति कुछ ऐसी हो गई थी कि उन्हें मैं न संभालता तो वे गिर जातीं.

मैंने झट से उठ कर उन्हें संभाला और अपने गले से लगा लिया.
मैं भाबी को सांत्वना देने लगा.

वे भी मुझसे जोर से चिपक गईं और जोर जोर से रोने लगीं.
वे अपने मोटे-मोटे बूब्स को मेरे शरीर से रगड़ती हुई जोर-जोर से दबाने भी लगीं.

मुझे समझ में आ गया कि ये भाभी आज मुझसे अपनी चूत चुदवाकर ही वापस जाएंगी!

कुछ पल बाद मैंने उन्हें अलग किया और कहा- मैं जैसे-जैसे बताता हूँ, आप वैसे-वैसे करो … मेरी गारंटी है कि आपको बच्चा हो जाएगा!
वे बोलीं- ओके सर, आप जैसे कहेंगे, मैं वैसे ही करूँगी!

मैंने उनसे पूछा- आपके पति क्या करते हैं?
वे बोलीं- मेरे पति अक्सर बाहर ही रहते हैं, वे अपने काम के चक्कर में ही लगे रहते हैं!

मैंने कहा- ओके, आप एक काम करो. इस बार जब आपके पति आएं, तो उनके साथ बिना कंडोम के अच्छे से सेक्स करना … और जब वे चले जाएं, तो मुझे अपने घर बुला लेना. आगे की प्रक्रिया मैं आपको बता दूँगा!
शायद उन्होंने समझ लिया था कि आगे की प्रक्रिया क्या होने वाली है.

भाभी ने अपना फोन नंबर मुझे दिया और वे मुझे देखती हुई मुस्कुरा कर चली गईं.

अब मैंने उनकी मुस्कान देखी तो उन्हें चोदने का प्लान बना लिया.
सच में भाभी बहुत ही सेक्सी माल थीं.

उस दिन मैंने अपनी पत्नी की रात में दो बार आगे से ली और एक बार गांड भी मारी.
वह हैरान थी कि आज मुझे क्या हो गया.

कुछ दिन बाद वंदना भाभी का कॉल आया.
भाभी बोलीं- सर, मैं वंदना बोल रही हूँ! क्या आप फ्री हैं? अभी मेरे घर आ सकते हैं?

मैंने पूछा- हां जी भाभी जी. आपके पति आकर चले गए हैं क्या?
वे बोलीं- हां आज ही गए हैं.

मैंने कहा- तो क्या मैं आज रात को आ जाऊं … कोई दिक्कत तो नहीं है न?
भाभी इतरा कर बोलीं- नहीं सर, कोई दिक्कत नहीं है … आप कभी भी आ सकते हैं!
मैंने कहा- ओके मैं आता हूँ.

भाभी ने कहा- खाने में क्या पसंद करते हैं? और पीने में क्या पसंद करते हैं?
मैंने कहा- कुछ भी जो आप चाहें!

इसके बाद रात को 9 बजे मैं वंदना भाभी के घर गया.
मैंने बेल बजाई तो अन्दर से भाभी ने गेट खोला.

भाभी ने रेड कलर की नाइटी पहन रखी थी और चूचों पर एक आर-पार दिखने वाला जाली का दुपट्टा डाल रखा था.

सच में भाभी माल लग रही थीं … उनके दोनों दूध मेरे लौड़े की माँ चोद रहे थे.
मेरा तो मन कर रहा था कि साली को यहीं रंडी बनाकर चोद दूँ.

लेकिन पहले चेक करना था कि भाभी तैयार भी हैं या नहीं.

मैंने कहा- भाभी जी, आप तो आज बहुत ही हॉट लग रही हो!
वंदना ने कहा- थैंक्यू अन्दर आइए!

हम दोनों अन्दर आ गए.

वंदना भाभी ने मुझे पानी पिलाया और बातें करने लगीं.

फिर उन्होंने व्हिस्की की बोतल और नमकीन आदि लाकर रख दिए.
मैंने हंस कर कहा- अरे इसकी क्या जरूरत थी!

वे बोलीं- अरे लीजिए न … मैं भी अकेली बोर हो जाती हूँ तो किसी के साथ लेने का जी करता है.

अब भाभी ने दो पैग बनाए और हम दोनों चीयर्स बोल कर पीने लगे.
एक पैग खत्म होते ही मैंने सिगरेट का पैकेट निकाला और एक सिगरेट जला कर धुआँ उड़ाने लगा.

भाभी ने मेरे हाथ से सिगरेट ले ली और वे भी धुआँ उड़ाने लगीं.

अब हम दोनों दारू के साथ खुलते गए.

फिर वे खाना की पूछने लगीं तो मैंने कहा कि मैं घर से खाना खाकर आया हूँ.
वे बोलीं- अरे सर मैंने खाना बना लिया था!

फिर मैंने कहा- आप मुझे सर बोलना बंद करो और प्यार से मुझे लकी बोलो! हमारे बीच अब ये सर का सम्बोधन नहीं होना चाहिए!

वंदना भाभी ने मुझे लकी बोलना शुरू कर दिया और कहने लगीं- लकी, आपने कहा था जब मेरे पति आएं तो सेक्स करना, उसके बाद मुझे बुलाना. तो कल रात को हमारा सेक्स हुआ है. अब आप बताओ आगे क्या करना है?

मैंने न/शे में लड़खड़ाते स्वर में कहा- आपको जो मैं कहने वाला हूँ, उस बात को सही समय पर आप खूब करो … न कि गलत समय में. जो मैं कहूँ, वही करना है!

वंदना बोली- ठीक है लकी जो आप कहेंगे, मैं वैसे ही करूँगी!
मैंने वंदना से कहा- मान लो आपने दो महीने से सेक्स नहीं किया है और आपको सेक्स करने का बहुत मन कर रहा है. आपने मार्केट से एक कॉल बॉय को बुलाया है और समझें कि वह कॉल ब्वॉय मैं हूँ … तो आपको उसके साथ मस्त वाली चुदाई करवानी है!

वंदना भाभी हंस कर बोलीं- आप ये क्या बोल रहे हो! मैं कोई ऐसी वेश्या तो नहीं हूँ! आपने ये क्या बात कर दी?
मैंने भाभी के गाल पर हाथ फेरते हुए कहा- ये तो आपको करना ही होगा. अगर आपको बच्चा चाहिए … नहीं तो मैं चला!

यह कहते हुए मैंने अपने लौड़े को पैंट से बाहर निकाल दिया.

लंड देख कर और मेरे मुँह से बच्चे का नाम सुनते ही भाभी बोलीं- ठीक है राजा, आप तो गुस्सा हो गए … चलो आप अब मुझे चोद ही दो … मैं बहुत प्यासी हूँ! मुझे अपनी रखैल बना लो … मैं आज से बल्कि अभी से आपकी रंडी बनना चाहती हूँ! आ जाओ मेरी गांड भी मार लो … चुत भी चोद दो.

वे एकदम से ऐसे शब्द बोलने लगीं, तो मैं खुश हो गया.
अब मुझे और क्या चाहिए था!

मैंने उनके करीब जाकर उनकी बांहों पर किस करना शुरू कर दिया और एक हाथ से उनके बूब्स दबाने लगा.
वे मुझसे जोर-जोर से बोल रही थी- चोद दे राजा मुझे … फाड़ दो मेरी चुत गांड को और बना लो अपनी रंडी … मैं आपकी रंडी हूँ! मुझे खड़ी कर दो मार्केट में … पेशा करवाओ मुझसे … बन जाओ मेरा दलाल … मैं वेश्या हूँ!

भाभी की बातों को सुनकर मैं जोश में आ गया और उनको पूरी नंगी कर दिया.
मैं उनके बूब्स चूसने लगा.

भाबी मस्त हो रही थीं और अपने दूध अपने हाथ से पकड़ कर मुझसे चुसवा रही थीं.
‘आह खींच खींच कर चूस लो आह आह उई … चोद दे अब मुझे … डाल दे साले अपना लंड मेरी चुत की गहराई में आह!

भाभी लगातार ऐसी आवाजें निकाल रही थीं और मैं उनके एक दूध को चूस रहा था व दूसरे के निप्पल को मींज रहा था और दूध मसल रहा था.
वे मस्त हो गई थीं.

फिर मैंने उन्हें चित लिटाया और उनकी चूत को चाटने लगा.
अब तो उनकी हालत और ज्यादा खराब होने लगी.

भाबी बोलीं- मुझे भी लंड चूसना है.
यह सुनकर हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए और अब भाभी मेरे लंड जोर-जोर से चूसने लगीं.

मैं भी भाभी की चूत को तबीयत से चाटे जा रहा था. उनकी चूत से नमकीन जैसा पानी निकल रहा था और मैं उसे लपलप करके चूसता जा रहा था.

फिर वे उठीं और मेरे लंड को अपनी चूत में लेने के लिए बेताबी दिखाने लगीं.

भाभी बोल रही थीं- मैं तेरी रंडी बनकर रहूँगी … प्लीज जल्दी से मेरी चूत चोद दो और अपने ब.च्चे की माँ बना दो … जल्दी से चोद दो मेरी चूत को … अब सहन नहीं हो रहा है.

वे मेरे ऊपर आ गईं और खुद से मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत में डालने लगीं.
उन्होंने अपनी चूत में पूरा लंड ले लिया और जोर-जोर से उछलने लगीं.

मैं भी पूरे जोश में था और उसे गालियां दे रहा था- रंडी है तू साली … कुतिया है तू बहन की लौड़ी रंडी साली … आज तुझको खा जाऊंगा … मैं तुझे अब रोज चोदूँगा … तेरी गांड भी मारूँगा … चल साली रंडी और जोर से चुद मेरे लंड से … और जोर जोर से उछल रंडी साली!

वह भी चिल्ला रही थी- साले मादरचोद हरामी … चोद अपनी इस बहनचोद रंडी को … मार मेरी चूत … चोद साले कुत्ते … फाड़ मेरी चूत को! मेरी चूत की आग बुझा कमीने … देख मेरी चूत तुझसे चुद रही है … देख मैं नंगी चुद रही हूँ … आह रंडी हूँ मैं तेरी … देख साले … दलाल है तू मेरा … आह आह!

तभी वे झड़ने लगीं और उनकी चूत से जोर-जोर पानी से आने लगा.
अब भाभी ढीली होती गईं और गालियां बकती हुई मेरे सीने पर ढहने लगीं.

फिर मैंने उनको घोड़ी बनाया और उनकी गांड में लंड पेल दिया.
Xxx भाबी जोर से चिल्लाईं और बोलीं- अरे मर गई साले … मेरी जान लेगा क्या! मैं सब कुछ तो तुझसे करवा रही हूँ … तेरी रंडी भी बन गई … अब क्या … मुझे कोठे पर बिठाएगा!

मैं उन्हें जोर-जोर से चोदे जा रहा था और बूब्स दबा रहा था.

कुछ देर बाद मेरे लंड ने रस फेंक दिया और मैं भी उसके साथ ढह गया.
दोस्तो, उसके बाद मैंने उसे लगातार एक हफ्ते तक चोदा.

उसका मासिक-धर्म चक्र रुक गया तो वह मुझसे हाथ जोड़ कर बोली- बस अब और नहीं … मैं सिर्फ मां बनना चाहती थी … मैं अब आपके साथ और सेक्स नहीं कर सकती हूँ.
मैंने भी उसकी बात मान ली और कहा कि कभी दूसरी संतान का मन हो तो बुला लेना.

ऑफिस कर्मचारी बेटी बन कर चुद गयी

 

मेरे ओफीस में एक महिला सफाई करने आने लगी. वह बहुत सुंदर थी. वह मेरे साथ दोस्तों सा व्यवहार करती और पिता समान सम्मान देती.

ईश्वर मुझ पर कुछ ज्यादा मेहरबान हो गया था.

मेरी उम्र उस वक़्त 65 साल की हो चुकी थी.
मैं उन दिनों एक ऑफिस में काम करता था.

ऑफिस में सफाई के लिए किसी लड़की या महिला की आवश्यकता थी.
मैंने बॉस से गुजारिश की थी.

उस वक़्त एक लड़की जो करीबन 35 साल की थी, विवाहिता थी और तीन ब/च्चों की मां थी. वह बॉस के घर का भी काम करती थी.
बॉस ने उसी को ही ऑफिस में झाड़ू पौंछा करने के लिए नियुक्त कर दिया.

वह देखने में काफ़ी खूबसूरत थी.
उसका पति अजीत एक फाइव स्टार होटल में सुपरवाइजर का काम करता था.

यह पोर्न मेड फक कहानी इसी कर्मचारी की है.

उसने पहले ही दिन ऑफिस में आकर कुछ भी बिना बताए झाड़ू पौंछा का काम कर शुरू कर दिया.

मैं उसके ऐसे व्यवहार से चकित रह गया.

दूसरे दिन आते ही उसने खुद का परिचय देते हुए कहा था ‘मैं आपको ढेर सारा प्यार करूंगी. आपकी दोस्त बनकर रहूंगी.’
उसकी बातों ने मेरा अचरज बढ़ा दिया था.

हम दोनों रोजाना मिलते थे.
इस रिश्ते की शुरुआत कथित बाप बेटी से हुई थी.

त्यौहार, जन्मदिन या शादी की सालगिरह पर लड़की, जिसका नाम संगीता था, वह मेरे चरण छूकर मेरा आशीर्वाद लेती थी और मैं बदले में कुछ नगद राशि उसके हाथों में थमा देता था.

कभी कभार जरूरत होने पर संगीता पैसों की मांग करती थी और मैं उसकी मदद भी करता था.

मेरे लिए संगीता ईश्वर का बहुमूल्य उपहार थी.
मैं उसे किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहता था.

उसका पति अजीत सुबह 6 बजे घर से निकल जाता था और रात को नौ बजे घर लौटता था.

मैंने कभी उसके पति को कभी नहीं देखा था.
लेकिन संगीता के ब/च्चों को जानता था.
मैं उसके घर भी आता जाता रहता था.
वह ऑफिस के सामने वाली इमारत में रहती थी.

एक बार उसके पति से मिलने का मौका भी प्राप्त हुआ था.

एक बार मेरे कहने पर संगीता मेरे लिए अंडे की भुर्जी बनाकर लाई थी.
दूसरी बार मन हुआ तो मैंने उसके पति की मौजूदगी में ही उसे फरमाइश की थी ‘कल मेरे लिए भुर्जी बनाकर मेरे घर दे जाना.’

यह सुनकर उसके पति अजीत के तेवर बदल गए थे.
उसने कड़क शब्दों में कह दिया था- संगीता किसी के घर नहीं आएगी. आपको चाहिये तो यहां आ जाइए. मैं आपको 20 अंडों की भुर्जी बनाकर खिलाऊंगा.

उसकी बात सुनकर मैं भड़क गया था.
उसकी आंखों में शक की चिंगारी दहक रही थी.

मैंने फट से कह दिया था- क्या बाजार में नहीं मिलती?
यह कह कर मैं उसके घर से बाहर निकल गया था.

उसके पति ने मुझसे जो व्यवहार किया था, उसकी भनक संगीता को लग गई थी.
उसने इस बात को लेकर मुझसे माफ़ी भी मांगी थी.

हम दोनों के बीच प्लूटोनिक संबंध था.
मैं संगीता के गालों को सहलाता था. उसे चूमता था, गले लगाता था. उसके कंधे पीठ इत्यादि हिस्सों को भी सहलाता था.

छह साल तक हमने बाप बेटी का रिश्ता निभाया था.
लेकिन उस दौरान कुछ ऐसा हो गया था जिसकी वजह से मुझे संगीता के इरादों पर शक होने लगा था.

एक बार मेरे कहने पर संगीता ने मेरा सिर दबाया था.
बाद में उसने भी उसने भी सिर दर्द की शिकायत की तो मैंने भी उसका सिर दबाया था.

उसी वक़्त संगीता ने एक और शिकायत की थी- मेरी छाती में भी दर्द हो रहा है!

उस वक़्त मेरी आंखों के सामने एक कहानी की नायिका की छवि उभर आई थी.
जैसे उसने शायद अपने आशिक से ऐसी ही शिकायत की थी जो उसने तुरंत निभाई थी.

एक पल मेरे दिमाग़ में भी ख्याल आया था.
उससे पूछने का मन भी हुआ था कि मैं तुम्हारी छाती भी दबा दूँ क्या?
लेकिन मैं हिम्मत नहीं जुटा पाया था.

हालांकि मेरी दो उंगलियों ने अपना काम कर दिया था.

वे संगीता के ब्लाउज के भीतर घुसकर उसकी दोनों छातियों के बीच की कंदरा पर स्थित हो चुकी थीं.
उस पर संगीता ने कोई ऐतराज जाहिर नहीं किया था.

शायद यही बात हमारे बदलने वाले रिश्तों का संकेत दे गई थी.

फिर कुछ समय हम दोनों लंबे समय मिल नहीं पाये थे.

उसके बाद संगीता ने अपना घर बदल दिया था और मुझे उसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी.

फिर एक दिन अजीत मुझे गली के नुक्कड़ पर मिल गया था.
वह वड़ा पाव खा रहा था.
उसने मुझे भी वड़ा पाव खिलाया था.

उसके पैर पर बेल्ट बंधा हुआ था.
वह क्रेच पर चल रहा था. उसके साथ कोई अकस्मात हादसा हुआ था.

मैंने सच्चाई जानकर अफ़सोस भी जाहिर किया था.
वह पास में ही रहता था.
वह खुद मुझे संगीता से मिलवाने घर ले गया था.
उसका रवैया बिल्कुल बदल गया था.

उसके बाद हम लोग दोबारा मिलने लगे थे.
यह हमारी जिंदगी की दूसरी इनिंग थी जिसने रिश्तों को भी बदल लिया था.

हम लोग ब/च्चों की मौजूदगी में मिलते थे.
मैं उसको छूता था, गले लगाता था उसके गालों पर पप्पी भी लेता था और संगीता भी मजा लेती थी.

एक बार मैंने उसे करने को कहा, तो उसने मना कर दिया.

मैंने बेझिझक उसकी छाती पर रखा दिया इतना ही नहीं उसकी गांड को भी सहलाने लगा.

इस पर संगीता ने एतराज जताया था- क्या यह सब आपको अच्छा लगता है?
‘सॉरी … तुम्हें अच्छा लगा तो अच्छा … नहीं तो बुरा!’

उस वक़्त तो उसने कुछ नहीं कहा लेकिन दो दिन बाद फ़ोन पर सवाल दोहराया था- क्या वह सब आपको अच्छा लगा था?
जब मैंने अपना जवाब दोहराया तो उसने और झटका दिया था- मुझे भी अच्छा लगा था.

यह सुनते ही मैंने फोन पर ही उससे कहा था- मैं कल तुम्हारे घर आऊंगा!

फिर दूसरे दिन मैं उसके घर गया तो उसका छोटा लड़का कंप्यूटर पर कुछ काम कर रहा था.

संगीता ने अन्दर से दरवाजा बंद कर दिया.
मैं जाकर कुर्सी पर बैठ गया.

संगीता उस वक़्त मेरी बगल में आकर खड़ी रह गई.

मैंने उसके कंधों पर हाथ रख दिया.

उसी घड़ी संगीता ने अपनी टी-शर्ट ऊपर करके अपने पुष्ट स्तनों का नजारा दिखाया.
अब ऐसे में कोई भला कैसे नियंत्रण रख पाता. उसकी खुली छाती ने मुझे आगे बढ़ने का साहस दे दिया था.

मैं बारी बारी उसके दूध को दबोचने उतारू हो गया. इतना ही नहीं उसकी दोनों चूचियों को भी बड़ी उग्रता से चूसने भी लगा था.

वह एन्जॉय कर रही थी.
उसकी बॉडी लेंग्वेज उसका समर्थन कर रही थी.

फिर भी उसने झूठ-मूठ का गुस्सा जताकर सवाल किया था.
‘यह क्या कर रहे हो?’
‘एक छोटे बच्चे की तरह तुम्हारा दूध पी रहा हूं!’

उसे ऐसा करना अच्छा लग रहा था.
वह मजे ले रही थी.

उसके बाद मैंने उसके दोनों होंठों को कसकर चूम लिया था और उसके दूध को भी निचोड़ने लग गया था.
मुझे यह सब करना अच्छा लग रहा था.

मैंने उससे साफ साफ शब्दों में कहा था- मुझे दूध दबाना और पीना बेहद अच्छा लगता है.

यह सुनकर संगीता ने मुझसे वादा किया था- मैं हमेशा अपना दूध पिलाऊंगी.

जब कोई लड़की किसी को अपने होंठों का रस पीने देती है, तो उसका मतलब होता है कि वह उसे प्यार करती है.

हम दोनों आपस में प्यार करने लगे थे.
और संगीता रोजाना नये नये नुस्खों की आजमाइश करती रहती थी.

वह तो प्रति दिन कुछ न कुछ ऐसा करती थी, जिससे मेरे दिमाग़ में कई सवाल उठते थे.

एक तरफ उसका पति उसे बेहद प्यार करता था; उस बात के गीत गाती रहती थी.
कमाल की बात थी कि वह खुद भी अपने पति को प्यार करने का दावा करती थी … और दूसरे पुरुष के साथ ऐसे संबंध रखती थी.

दूसरी बार मिलने पर संगीता ने निर्लज्ज होकर मुझसे सवाल किया था- क्या मेरी चूत में उंगली डालोगे?

कोई भी मर्द भला कैसे इन्कार कर सकता है … मैंने हां में जवाब दिया.
तो उसने अपनी चड्डी निकाल दी.

मैंने उत्तेजित होकर बड़े जोश से एक एक करके सारी उंगलियां उसकी चूत में घुसेड़ दी थीं.

उसके बाद फिर उसने फोन पर सवाल किया था- अगली बार मेरे साथ क्या करोगे?
‘तुम्हें जमीन पर सुलाकर तुम्हारे ऊपर चढ़ जाऊंगा!’
‘क्या तुम अपना लौड़ा मेरी चूत में डालोगे?’

हालांकि उसने यह सांकेतिक भाषा में सवाल किया था.
‘क्या तुम अपना मेरे भीतर डालना चाहते हो?’

यहां भी इन्कार करने का कोई प्रश्न नहीं था.
मेरी खामोशी देखकर उसने एक और सवाल किया था.

‘क्या मेरे सारे कपड़े उतार कर यह करोगे?’
‘इरादा तो तुम्हें पूरी तरह नंगी करके तुम्हें चोदना है … यदि तुम नहीं मानी तो जबरन करूँगा.’

यह सुनकर उसका चेहरा खिल उठा था.
उसको मेरी हर कोई हरकत बेहद पसंद आती थी.

मैं बहुधा उसे किचन में ले जाकर अपनी मुरादें पूरी करता था.
उसे अपनी गांड मरवाना अपना दूध पिलाना बहुत ही भाता था.

हम दोनों एक दूसरे से काफ़ी सहमत हो गए थे.
एक दूसरों की सारी इच्छाएं पूरी करते थे.

संगीता मेरे लिए चाय का पानी गैस पर रखती थी और मैं उसके पीछे खड़ा होकर उसके दोनों संतरों को बारी बारी से कुचलता था.
उसकी गांड में लौड़ा डालता था. उसकी चूत में उंगली डालता था उसे चूसता था, गांड को अपने थूक से गीली करता था.

चाय पीने के बाद असली खेल शुरू होता था.

संगीता एक गद्दी बिछाती थी, अपने कपड़े उतार कर लेट जाती थी और मुझे अपने पास बुलाकर अपने ऊपर लेटा लेती थी. वह अपने हाथ से मेरा लौड़ा अपनी चूत में डलवा लेती थी.

मेरा लौड़ा अपने मुँह में भी लेकर चूसती थी.
अपने सशक्त स्तनों को कभी लड्डू, मोतीचूर के लड्डू, आमरस, टमाटर, दूध के अंडे … और न जाने क्या क्या नाम से बुलाती थी.

वह सेक्स के लिए तरसती रहती थी.
दूसरी ओर मेरा भी यही हाल था.

अजीत को शराब पीने की आदत लग गई थी.
वह रोज शराब पीकर आता और खाना खाकर चैन की नींद सो जाता था.
उसे अपनी बीवी की जरूरत की कोई चिंता या परवाह नहीं थी.

इसी वजह से शायद संगीता भटक गई थी जिसका उसे खुद भी इल्म नहीं था.

कभी कभी संगीता के व्यवहार में एक धंधेवाली की झलक नजर आती थी.

वह खुद मुझे हरदम गलत करने के लिए उकसाती थी- मेरे दूध में कुछ होता है! तुम्हारे छूने से बड़े हो जाते हैं! चूत में भी न जाने क्या हो जाता है! तुम अपने हाथों से उसे खुजलाओ, चूसो!

वह मुझे कहती- मुझे छोड़ना मत. मेरे दूध को लगातार दबाते रहो! मेरी छातियों के बीच में अपना लौड़ा लगा कर रगड़ो.

वह अपनी खुली छाती को दूध नाम से नवाजती थी.
उसे खुली छातियों का वीडियो देखने का बड़ा शौक था.

वह अक्सर मुझसे ऐसे वीडियो दिखाने की फरमाइश करती रहती थी.

उसने खुद कहा था कि लोगों की नजर में हम सदैव बाप बेटी बनकर ही रहेंगे.

‘हम दोनों के बीच उम्र में भी काफ़ी अंतर हैं. कहीं कोई शक की गुंजाइश नहीं है. अजीत को भी कोई शक नहीं होगा!’

मुझसे ज्यादा संगीता की सेक्स भूख तीव्र थी.
वह हमेशा डरती थी, फिर भी मुझे घर में बुलाती थी.
कभी नहीं जाता था तो वह फोन करती थी.

‘पांच मिनट में घर आ जाओ. मेरे दूध को दबाकर जाओ. ये मुझे बहुत तंग कर रहे हैं. मैंने खास तुम्हारे लिए फैंसी और महंगी ब्रा पहनी है. तुम उसे अपने हाथों निकाल कर अपनी सारी हसरत पूरी कर लो. तुम जो भी मेरे साथ करते हो, वह मुझे बेहद पसंद है!’

मैं अपने हाथों से उसकी ब्रा खोलता था, चड्डी भी निकालता था.

जब भी मैं उसके पास जाता था, वह मुझे अन्दर लेकर दरवाजा भीतर से बंद कर देती थी.

एक बार मैं दोपहर को उसके घर गया था. वह उस वक़्त बाथरूम में कपड़े धो रही थी.
मैंने घर में दाखिल होकर दरवाजा बंद कर दिया तो उसने सहज सवाल किया था.

‘दरवाजा क्यों बंद कर दिया? क्या सब कुछ करने का इरादा है?’

वह हाथ धोकर मेरे सामने आकर खड़ी हो गई.

मैं उस वक़्त कुर्सी में बैठ गया था.

वह मेरे पास आकर अपनी मैक्सी ऊपर उठाकर उल्टा मुँह करके अपनी गांड को मेरे लौड़े पर सैट करके बैठ गई.

मैंने पीछे से संगीता के दोनों दूध को पकड़ते हुए मसलते हुए उसकी नंगी पीठ पर चुम्बन करना शुरू कर दिया.

हमारे बीच मस्त सेक्स होने लगा और कुछ ही देर में हम दोनों झड़ कर संतुष्ट हो गए.

अब यह हमारा रोज का मेनू बन गया था.

जब कभी मिलना नहीं हो पाता था, तो हम लोग मोबाइल में सेक्स भरी बातें करके चुदाई जैसी मजा ले लेते थे.

हम लोग वास्तविक रूप से जो करते थे, मोबाइल में उसका एक्शन रिप्ले ही अपनी चैट में करते थे.

मुझे तो अपनी मां के दूध का स्वाद भी याद नहीं था इसलिए मैं उससे गुजारिश करता था कि स्वाद न सही अहसास ही दिला दो.

इस पर वह मेरा सर अपनी गोद में रखकर लिटा लेती थी, फिर अपनी मैक्सी को ऊपर करके अपने एक स्तन को हाथ में पकड़ कर उसके निप्पल को को मेरे मुँह में देकर स्तनपान करवाती थी.

उसी दौरान जब मैं उसकी चूत में हाथ डालता था तो मेरी उंगलियां उसकी पनियाई हुई चुत के रस से गीली हो जाती थीं.

उस वक्त वह तुरंत ही मुझे हाथ धोने को कहती थी.
जब मैं मना करता तो वह अपनी ब्रा या चड्डी से मेरे हाथ साफ कर देती थी.

घर से निकलते समय भी वह अपना मैक्सी ऊपर करके मुझे अपना दूध चुसाती थी.
दीवार की तरफ मुँह करके खड़ी रह कर अपनी गांड मरवाती थी.
चूत में उंगली डालने देती थी.
अपने होंठों का अमृत पिलाती थी.

मैंने उसके दूध का विवादस्पद फोटो लिया था.
मेरे कहने पर संगीता अपने खुले स्तनों का टॉपलेस फोटो खिचवाने तैयार हो गई थी.
उसके कई विवादास्पद वीडियो मेरे मोबाइल में कैद थे.
हम दोनों जीवंत सेक्स करते थे, फिर भी मोबाइल सेक्स भी करते थे.

रात को मैं संगीता से सपनों में संबंध बनाता था.

उस वक्त मैं कल्पना करता था कि मानो वह कह रही है कि:

अंकल मेरे दूध दबाओ न! ‘मेरे स्तन चूसो न!
‘मेरे होंठों का अमृत पिओ.’
‘मेरी पीठ को चुंबन स्नान करवाओ.’
‘मेरे पूरे कपड़े उतार दो.’
‘मेरी चूत में लौड़ा डालो.’
‘चुत को बेरहमी से चूसो.’
‘मेरी गांड चूसो.’
‘उसमें लौड़ा डालो.’

मैं उस वक़्त अपना लौड़ा पकड़ते हुए कहता था:
‘मुझे दूध पिलाओ.’
‘मेरे लौड़े से खेलो.’
‘उसे मुँह में लेकर चूसो.
‘अपनी चूचियों में फंसा कर रगड़ो.’

यह सब मुझे जीवंत चुदाई से भी बेहद ज्यादा आनन्द देता था.

उसके खुले दूध के फोटो ने हमारे बारह साल पुराने रिश्तों का खून कर दिया था.

सारे मुआमले में एक बात उभर कर सामने आई थी कि संगीता और उसके पति के बीच कोई गंभीर समस्या थी जिसने उसको मेरे पास भेजा था.

लेकिन अफ़सोस की बात थी कि कोई भी यह सच्चाई मानने या समझने को तैयार नहीं था?
क्या संगीता की जरूरत एक पुरुष से संतुष्ट नहीं होती थी?

क्या मेरे और अपने पति के अलावा उसके किसी ओर के साथ अवैध संबंध थे, जिसे उसका पति जानता था और इसी लिए वह अपनी बीवी पर शक करता था.

पति ने बिना कुछ जाने समझे मुझे अपराधी ठहराया था, मुझसे गाली गलौच भी की थी. मुझे मारने की धमकी भी दी थी.

इसी वजह से मुझे उल्टा वार करना पड़ा था.
मैंने अजीत के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की बात की तो उसकी अकल ठिकाने आ गई थी.

वह उसको दिए हुए पैसे भी लौटाने तैयार हो गया था.

लेकिन दोनों में से कोई भी अपनी गलती मानने को तैयार नहीं था.
उन्होंने आपसी लड़ाई में मुझे बेकार में मुजरिम बना दिया था.

अब आप लोग ही बताइए कि इस पूरी सेक्स कहानी में सही अपराधी कौन है.
मेरे हिसाब से तो मैं, संगीता और उसका पति अजीत तीनों ही अपराधी हैं.

सही मायनों में मेरी उंगलियां ऊपर वाले पर उठ रही हैं.
उन्होंने क्यों हमें मिलाया.
शायद उसके पीछे हम दोनों की जरूरत निभाना उसका आशय रहा होगा.
इस बात को कौन समझेगा!

इतना सब कुछ होने के बाद मैं संगीता को निर्दोष मानता हूं और उसकी सलामती की दुआ करता हूं.

पुलिस वाले ने मुझे सैट करके मेरी चूत चोद दी

 

मेरा नाम प्रिया है, उम्र 32 साल है. मेरी शादी राज से 6 साल पहले हुई थी.

शादी के कुछ दिनों बाद ही मैं अपने पति के साथ भोपाल में रहने लगी, जहां मेरे पति नौकरी करते हैं.
हम लोग हंसी-खुशी रहने लगे.

हालांकि हमारी सेक्स लाइफ सामान्य ही चल रही थी.
करीब 6 महीने पहले हमने अपना खुद का घर बनवाया और वहां शिफ्ट हो गए.

मैं अपने बारे में बता देती हूँ.
मेरी हाइट 5 फीट 2 इंच, रंग एकदम गोरा, चेहरा काफी सुंदर और फिगर भी एकदम जानलेवा 34-30-36 है … जबकि ब्रा का साइज 34D है.

आप समझ ही गए होंगे कि मेरे बूब्स और गांड की खूबसूरती कैसी है.
इनके बारे में मुझे शायद कुछ भी कहना जरूरी नहीं है.

शादी के इतने सालों बाद भी मेरे बूब्स अभी भी टाइट हैं क्योंकि मैं अपने पति को ज्यादा अपने बूब्स से खेलने नहीं देती.

मेरी गांड भी हल्की-सी उभरी हुई है, जो टाइट कपड़ों में साफ नजर आती है.
मेरे बाल भी लंबे हैं.

हमेशा तो नहीं, लेकिन कभी-कभार सज-संवर कर रहना मुझे पसंद है, जो मेरा पैशन ही समझिए.
लेकिन मुझे ये बिल्कुल पसंद नहीं कि कोई मुझे छेड़े.

हालांकि आते-जाते कई लोग मुझे घूरते हैं और कुछ तो कमेंट्स भी करते हैं. लोग मेरी कमर, बूब्स, गांड, चेहरा, होंठ और यहां तक कि मेरे पिछवाड़े पर भी कमेंट करते हैं.
ऐसे कमेंट्स मैंने कई बार सुने हैं.
लेकिन मैंने कभी किसी को जवाब नहीं दिया … क्योंकि बात बढ़ाने से कोई फायदा नहीं.

एक दिन शाम को मेरे पति का फोन आया कि उनका छोटा-सा एक्सीडेंट हो गया है.
मैं तुरंत निकली और हॉस्पिटल पहुंची जहां देखा कि उन्हें हल्की-सी चोट आई थी.

पता चला कि एक फोर-व्हीलर ने उनकी गाड़ी को पीछे से ठोक दिया था.

जब मैं अपने पति के पास पहुंची, तो एक सब-इंस्पेक्टर गुरमीत खान उनसे बयान ले रहा था.
कुछ देर बाद गुरमीत जी ने मेरा परिचय भी लिया.

फिर पति को डिस्चार्ज करने के बाद उसने मुझे घर तक ड्रॉप किया और चला गया.
उस दिन मैंने गुरमीत खान पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया.

फिर 4 दिन बाद शाम के वक्त करीब 7 बजे मैं किचन में खाना बना रही थी. मैंने उस वक्त बंधेज की नीली साड़ी और मैचिंग ब्लाउज़ पहना था और बालों का जूड़ा बना रखा था.
मैंने सामान्य कपड़े ही पहने थे.

तभी डोरबेल बजी.
मैंने जाकर दरवाजा खोला, तो सामने गुरमीत खान खड़ा था.

मैंने उसे अन्दर बुलाया और वह मेरे पति के साथ बैठकर बातचीत करने लगा.

फिर मैं चाय और कुछ नाश्ता लेकर आई.
मैंने गौर किया कि गुरमीत का ध्यान मुझ पर कुछ ज्यादा ही था.

वह मुझे बार-बार देख रहा था.
उसकी इस तरह की नजरों से मुझे काफी गुस्सा आ रहा था क्योंकि आज तक कोई मुझे ऐसे देखता तो मुझे चिढ़ हो जाती थी.

हालांकि मैंने अपनी साड़ी को ठीक किया.
मेरे पति ने गुरमीत से खाना खाने के लिए भी कहा.

लेकिन गुरमीत ने कहा- आज नहीं, मैं कभी फ्री होकर आता हूँ. फिर हम लोग साथ बैठकर खाना खा लेंगे.

फिर वह चल गया लेकिन जाते-जाते उसने दरवाजे पर मुड़कर मुझे दो बार देखा.

मैंने अपनी ओर से कोई प्रतिक्रिया या सिग्नल नहीं दिया जिससे उसे कोई बढ़ावा मिले.

लेकिन आज जब मैंने उसे गौर से देखा तो वह मुझे बहुत हैंडसम लगा.
उसकी हाइट 5 फीट 8 इंच, कसरती शरीर और उम्र करीब 30-32 साल होगी.

मेरे पति से बातचीत में उसने बताया कि उसकी अभी तक शादी नहीं हुई थी.
उस रात सोते वक्त मेरे दिमाग में बस गुरमीत का चेहरा ही घूम रहा था.
उसके बारे में सोचते सोचते कब नींद आ गई, पता ही नहीं चला.

फिर एक दिन सुबह 11 बजे मैं मार्केट में कुछ सामान लेने गई.

उस समय मैंने काला घेर वाला कुर्ता पहना था.

रास्ते में मुझे गुरमीत खान दिखा.
वह मुझे देखते ही मेरे पास आ गया और मेरे पति के बारे में पूछने लगा.

मुझे उसके साथ बात करने में काफी संकोच हो रहा था.
लेकिन चूंकि हम बीच रास्ते में थे तो मैंने सहज तरीके से सिर्फ हां और ना में जवाब दिए.

वह बार-बार मुझे हवस भरी नजरों से देख रहा था लेकिन उसने कोई ऐसी हरकत या बात नहीं की, जिससे मुझे परेशानी हो.

आखिर में जब मैं जाने लगी तो उसने कहा- प्रिया भाभी जी, आपने चाय बहुत अच्छी बनाई थी!
मैंने मुस्कुराते हुए ‘थैंक्स.’ कहा और वहां से निकल गई.

रास्ते में भी मैं उसी के बारे में सोचती रही.

दो दिन बाद शाम 5 बजे मेरे पति ने गुरमीत को फोन लगाया और रात के खाने पर इनवाइट किया.
गुरमीत ने भी रात 8 बजे आने का बोल दिया.

अब मेरे दिमाग में ये जानने की उत्सुकता जाग उठी कि गुरमीत खान मेरे बारे में क्या सोचता है.

यही सोचते हुए मैंने फैसला किया कि आज मैं अच्छे से सज-संवर कर उसके सामने जाऊंगी, ताकि उसके दिमाग को पढ़ सकूँ.
लेकिन मैंने यह भी तय कर लिया था कि उसके साथ मुझे कुछ भी गलत नहीं करना है.

शाम होते-होते मैंने सारा काम खत्म कर लिया और खाना भी पका लिया.

फिर मैं तैयार होने लगी.
मैंने लाल शिफॉन साड़ी और उसी के साथ लाल रंग का मैचिंग ब्लाउज़ पहना.

ब्लाउज़ सामने से डीप नेक और पीछे से बैकलेस था.
सामने से मेरे आधे से ज्यादा क्लीवेज दिख रहे थे.
यहां तक कि मेरे बूब्स पर जो तिल था, वह भी साफ दिख रहा था.

मैंने बालों का जूड़ा बनाया, हाथों में लाल चूड़ियां पहनीं और कानों में लटकन डाले. अब मैं पूरी तरह तैयार थी.

करीब 8 बजे डोरबेल बजी.
मैंने जाकर दरवाजा खोला तो सामने गुरमीत खड़ा था.

मैंने उससे नमस्ते की.
लेकिन वह एकटक मुझे देख रहा था.
मैं भी सामने खड़ी होकर उसकी नजरों को भाँपने में लगी थी.

कुछ समय बाद मैंने उससे कहा- कहां खो गए आप!
उसके हाथों में फूलों का गुलदस्ता था, जो उसने मुझे थमाया.

जैसे ही मैंने गुलदस्ता लिया, गुरमीत के और मेरे हाथ आपस में छू गए.
उसी पल गुरमीत बोला- ये गुलदस्ता आपके लिए!
वह मुस्कुरा दिया.

मैंने सामान्य ढंग से गुलदस्ता लिया और उसे अन्दर हॉल में ले आई.

फिर वह मेरे पति के साथ बैठकर बातें करने लगा.
पति ने उसे ड्रिंक ऑफर की लेकिन उसने मना कर दिया.

मेरा किचन का काम भी पूरा हो चुका था, तो मैं भी उनके साथ बैठकर बातें करने लगी.

कुछ देर बाद मैंने नोटिस किया कि गुरमीत की नज़रें मुझ पर ज़्यादा ही रुक रही थीं, खास तौर पर मेरे क्लीवेज पर, जो उसे साफ दिख रहे थे क्योंकि वह मेरे ठीक सामने बैठा था.

शायद मैं उसकी नज़रों को समझ चुकी थी लेकिन कई बार आंखें मिलने पर भी मैंने कोई जवाब नहीं दिया.

आखिरकार मेरे पति बोले- प्रिया खाना तो लगाओ!
मैं उठी और गर्म खाना डाइनिंग टेबल पर ले आई.

फिर मैं, मेरे पति और गुरमीत तीनों डाइनिंग टेबल पर आ गए.

बैठने का इंतज़ाम कुछ ऐसा हुआ कि मैं पति और गुरमीत के बीच की कुर्सी पर बैठी.

हमने खाना शुरू किया.
खाना खाते वक्त मेरे पति और गुरमीत बातें कर रहे थे.

अचानक गुरमीत ने नीचे से मेरे पैरों पर अपने पैर रखकर उन्हें सहलाने की कोशिश की.

मैं सहम गई और अपने पैर पीछे खींच लिए, फिर उसकी नज़रों से नज़रें चुराकर देखा.

लेकिन कुछ देर बाद गुरमीत ने फिर वही हरकत की.
इस बार मैंने पैर पीछे नहीं किए, बल्कि गुस्से से उसकी ओर देखने लगी.
पर उस पर कोई असर नहीं हुआ.

वह नीचे अपने पैरों से मेरे पैरों को सहलाता और मसलता रहा.

खाना लेते वक्त भी उसके और मेरे हाथ कई बार छू गए लेकिन मैंने ऐसा जताया जैसे कुछ हुआ ही नहीं.

एक बार तो उसने मेरा हाथ अपनी कमर पर रखकर सहला दिया.
उस पल मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया.

फिर हमारा खाना खत्म हुआ.

जब मेरे पति बाथरूम गए, मैंने गुरमीत से कहा- ये क्या कर रहे थे आप. अगर मेरे पति देख लेते तो?
वह मुस्कुराया और बोला- आपको परेशान कर रहा था प्रिया. इसमें तो बड़ा मज़ा आ रहा था!

फिर वह हाथ धोकर आया.

गुरमीत जाने लगा.

मैं अभी भी गुस्से में थी लेकिन उसे छोड़ने बाहर तक गई.

जाते-जाते गुरमीत ने कहा- काफी अच्छा डिनर था. आपके हाथों में जादू है. काश, मुझे हमेशा ऐसा खाना मिले!

उसने मेरा एक हाथ अपने हाथ में लिया, ‘थैंक्स’ कहा और मेरे हाथ को चूमकर चला गया.

उसके जाने के बाद मैं रात भर उसके बारे में ही सोचती रही.
मैं सोच रही थी कि मैंने उसे बढ़ावा क्यों दिया.

अगले दो-तीन दिनों में गुरमीत मुझसे रास्ते में दो-तीन बार टकराया लेकिन हमारी कोई बातचीत नहीं हुई.

हां, बस हमारी आंखें चार हुईं.
हालांकि, मन ही मन मुझे गुरमीत अच्छा लगने लगा था.

एक दिन शाम को मेरे पति बोले- मुझे अर्जेंट काम से दो दिनों के लिए शहर से बाहर जाना है. चलो, स्टेशन जाते वक्त रास्ते में डिनर कर लेंगे. वहां से मैं स्टेशन चला जाऊंगा और तुम घर लौट आना.
मैंने ‘ठीक है’ कहा और तैयार होने लगी.

मैंने हल्के हरे रंग की कॉटन साड़ी और काला कॉटन ब्लाउज़ पहना, बालों का जूड़ा बनाया और तैयार होकर बाहर आई.

मेरे पति भी तैयार थे.
हम सात बजे के करीब स्टेशन के लिए निकल पड़े.

रास्ते में हम एक रेस्तरां में रुके, जो फैमिली बार और रेस्तरां था.
वहां टेबल पर बैठकर हमने खाना ऑर्डर किया.

खाना आने में काफी देर हुई जिस दौरान हमने खूब बातें कीं.

करीब आठ बजे खाना आया.
मेरे पति पहले से ही देर से चल रहे थे, तो उन्होंने जल्दी-जल्दी खाना शुरू किया.

खाते वक्त मेरी नज़र दूर एक टेबल पर गई जहां गुरमीत पहले से बैठा हुआ था और शायद वह ड्रिंक कर रहा था.

खाना खत्म करने के बाद मेरे पति बोले- प्रिया, अब मैं निकलता हूँ. तुम घर चली जाना. मेरी ट्रेन का समय हो रहा है.
वे चले गए.

उनके जाने के बाद मैं सोचने लगी कि कहीं गुरमीत ने हमें देख तो नहीं लिया.
इसलिए मैं भी जल्दी-जल्दी खाना खाने लगी.

पांच मिनट बाद गुरमीत अपनी टेबल से उठकर मेरी टेबल पर आ गया और मेरा हाल-चाल पूछने लगा.
उसके मुँह से ड्रिंक की स्मेल साफ आ रही थी.

मैं उससे बात करते वक्त अपनी नज़रें चुरा रही थी.

दो-चार मिनट बात करने के बाद गुरमीत अचानक बोला- प्रिया भाभी, आप वाकयी बहुत खूबसूरत और हॉट हैं.
मैंने कहा- देखिए गुरमीत जी, अगर कोई परिचित मुझे आपके साथ इस तरह देख लेगा … तो मुझे बड़ी परेशानी हो जाएगी.

वह बोला- तो ठीक है. मुझे आपसे ढेर सारी बातें करनी हैं. बताइए, हम कहां बैठकर बात कर सकते हैं?
मैंने कहा- हम अकेले नहीं मिल सकते, ये समझिए!

वह बोला- पहले दिन से जब से मैंने आपको देखा, तभी से मैं आपसे ढेर सारी बातें करना चाहता था, लेकिन ऐसा मौका नहीं मिला. एक काम करते हैं, मैं आपको घर छोड़ देता हूँ और उसी बहाने कुछ देर बातें भी कर लेंगे.
मैंने कहा- आप नहीं समझे? घर पर अगर किसी ने हमें देख लिया, तो मेरी बदनामी हो जाएगी!

गुरमीत ने मुझे बहुत समझाने की कोशिश की, लेकिन मैं मना करती रही.

हालांकि मेरे दिल-दिमाग में भी उससे मिलकर बात करने का मन था लेकिन समाज की मर्यादाओं को मैं इस तरह नहीं तोड़ सकती थी.

आखिरकार गुरमीत ने कहा- चलिए मैं आपको घर तक तो छोड़ सकता हूँ!
मुझे राज़ी होना पड़ा.

मेरा दिल भी गुरमीत के साथ कुछ समय बिताने को बेताब था.
लेकिन उसने पी रखी थी इसलिए मैं उससे दूर भागने की कोशिश कर रही थी.

फिर हम दोनों बाहर निकले और गुरमीत ने अपनी टू-व्हीलर स्टार्ट की.

मैंने गुरमीत से कहा- एक काम करो. आपने शराब पी रखी है और शायद आप गाड़ी भी अच्छे से न चला पाओ. इसलिए आप मेरी चिंता मत करो. मैं ऑटो लेकर घर चली जाऊंगी.

इस पर गुरमीत बोला- मैडम, आप चिंता न करें. हमारे लिए तो ये रोज का काम है. आप निश्चिंत होकर बैठ सकती हैं. अभी तो बोतल आधी ही भरी है.
उसने अपनी जेब से दो और बोतलें निकाल कर मुझे दिखाईं.

मैंने उससे कहा- अभी और पियोगे?
उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया- हां. अभी तो रात शुरू हुई है.

आखिरकार मैं उसकी बाइक पर पीछे बैठ गई और उसने गाड़ी चालू की. वह मुझे लेकर मेरे घर की ओर चल पड़ा.

मैंने उससे कहा- आप मुझे घर से थोड़ा पहले ही उतार देना. वहां से मैं पैदल चली जाऊंगी.
पहले तो उसने कहा- नहीं, मैं आपको घर तक छोड़ दूँगा.

लेकिन मेरे बार-बार कहने पर वह मान गया.
फिर मैंने उससे आप की जगह तुम कहना शुरू किया और पूछा- तुमने तो मेरे पति से कहा था कि तुम शराब नहीं पीते?

गुरमीत हंसते हुए बोला- अरे अपने सारे राज थोड़ी न आपके पति के सामने खोलकर रख दूँगा.
गाड़ी चलाते-चलाते गुरमीत बार-बार मेरी तारीफ कर रहा था.

मैंने उससे दो बार कहा- गुरमीत शायद तुम आज शराब के नशे में बोल रहे हो.
उसने जवाब दिया- मैडम, नशा भी इतना नहीं चढ़ा … और वैसे भी, बोतल में वह नशा नहीं जो आप में है!

मैं उसकी बातों को समझ रही थी.

कुछ देर बाद हम घर के करीब पहुंच गए.
मैंने उसे एक सुनसान जगह पर गाड़ी रोकने को कहा और गुरमीत ने वहां गाड़ी रोक दी.

मैं जैसे ही उतरी, गुरमीत ने मेरा हाथ पकड़ लिया.
मैंने उसकी इस हरकत का विरोध करते हुए कहा- गुरमीत जी, मुझे यहां छोड़ दीजिए. कहीं किसी ने देख लिया तो मैं बदनाम हो जाऊंगी!

उसकी पकड़ इतनी मजबूत थी कि मैं अपना हाथ छुड़ा नहीं पा रही थी.
उसने मुझे अपनी ओर खींचा और मेरा चेहरा उसके चेहरे के सामने आ गया.

इससे पहले कि वह कुछ और करता, मैंने जैसे-तैसे अपने हाथ छुड़ाए और जल्दी-जल्दी घर की ओर चल पड़ी.

कुछ ही देर में मेरा घर आ गया.
मैंने जल्दी से दरवाजा अन्दर से बंद किया और राहत की सांस ली.

उसके हाथ का स्पर्श न जाने क्यों मुझे गर्म करने लगा था.
आज रात में मेरे पति राज भी घर पर नहीं थे तो मैं बेईमान होने लगी थी

मैं सोचने लगी कि आज गुरमीत ने क्या कर दिया; मैंने तो इसके बारे में सोचा भी नहीं था.

अब मेरे दिमाग में गुरमीत के प्रति कई तरह के ख्याल आने लगे.
मैं यह भी सोच रही थी कि अगर गुरमीत मुझे पकड़ कर किस ले लेता या मेरे शरीर को छूकर मुझे उत्तेजित करता तो शायद मैं भी उसके किस का जवाब देती या नहीं?
यही सब सोचती हुई मैं सोफे पर बैठी रही और आधा घंटा बीत गया.

तभी डोरबेल बजी.
मैंने समय देखा तो रात के 11 बज रहे थे.
मैं सोचने लगी कि इस समय कौन आ सकता है?

मैंने जाकर दरवाजा खोला तो सामने गुरमीत खड़ा था.
उसने शायद और ज्यादा शराब पी ली थी क्योंकि उसकी सांसों से शराब की गंध आ रही थी.

मैंने कहा- तुम अभी यहां? अब क्या काम है?
मैं तीन कदम पीछे हट गई.

इसका फायदा उठाकर गुरमीत अन्दर आ गया और दरवाजा बंद कर दिया.

मैंने कहा- तुम यहां? अगर किसी ने तुम्हें यहां देख लिया तो क्या होगा, समझो … अभी चले जाओ!

वह मुझे हवस भरी नजरों से देख रहा था.
मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि अब क्या करूँ.
मेरा दिमाग काम करना बंद कर चुका था.

अब गुरमीत आगे बढ़ने लगा और मैं पीछे हटती गई.
कुछ ही पलों में मैं दीवार से टकरा गई और गुरमीत मेरे बिल्कुल करीब आ गया.

उसने अपना एक हाथ मेरे पेट पर रखा और जोर से दबा दिया.
मेरे मुँह से आह निकल गई, जिसे मैंने मन ही मन दबा लिया.

मैं बोली- यह क्या कर रहे हो, गुरमीत? यहां से चले जाओ. कोई तुम्हें मेरे घर देख लेगा तो मैं बदनाम हो जाऊंगी.
यह कहते हुए मेरी आंखों में हल्के आंसू आ गए.

वह बोला- देखो प्रिया, जिस दिन से मैंने तुम्हें पहली बार देखा, तभी से तुम मुझे अच्छी लगने लगी थी. तुम इतनी खूबसूरत और हॉट हो कि तुम्हें देखकर कोई भी फिदा हो जाएगा.

मैं उसकी आंखों में देख रही थी लेकिन शायद शराब की वजह से वह इतने खुले ढंग से बोल रहा था.

उसने कहा- शायद मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ.
मैंने जवाब दिया- देखो गुरमीत, मेरी शादी हो चुकी है. मैं अपने पति को कैसे धोखा दे सकती हूँ?

लेकिन वह मानने को तैयार नहीं था.
हालांकि मेरे मन में भी उसके लिए आकर्षण पैदा हो चुका था शायद इसलिए मैं सिर्फ बोलकर विरोध कर रही थी.

कुछ देर बाद गुरमीत ने मेरा कंधा पकड़ कर मुझे घुमा दिया.
अब वह पीछे से मुझसे चिपक गया और मेरी गर्दन व ब्लाउज के खुले हिस्से पर अपनी पीठ पर होंठों से चूमने लगा.

मैं बस यही कह रही थी- गुरमीत, तुम गलत कर रहे हो.
लेकिन वह सुनने वाला नहीं था.

कुछ ही पलों में उसने मेरे बालों का जूड़ा खोल दिया और मेरे बाल लहराने लगे.
उसने मेरे बालों को एक तरफ करते हुए मुझे दीवार से पूरी तरह सटा दिया.

मेरे बूब्स दीवार में मानो गड़ गए थे.
उसने एक हाथ से मेरा कंधा पकड़ा और दूसरे से मेरे पेट को, इस तरह से उसने मुझे अपनी पकड़ में बांध सा लिया.

उसकी इस हरकत से मेरी आंखों से हल्के-हल्के आंसू गिरने लगे क्योंकि वह मुझे जोर से दबा रहा था.

फिर उसने अचानक मेरे ब्लाउज को पीछे से पकड़ कर खींचा, जिससे मेरा ब्लाउज पीछे से फट गया.

मेरी ब्रा की सफेद पट्टी उसकी आंखों के सामने थी.
अब वह और भी जोश में मेरी पूरी पीठ पर किस करने लगा और जहां मन करता, काट भी लेता.

उधर उसके ऐसा करने से मेरे अन्दर भी सेक्स की ज्वाला बढ़ने लगी और मेरी चूत भी गीली हो गई.

कुछ पल बाद उसने मुझे सीधा किया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
वह मेरे होंठों को चूसने और काटने लगा.

मैं अपने हाथों से गुरमीत को दूर करने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसके अन्दर मुझसे कहीं ज्यादा ताकत थी.
शायद इसलिए मेरा विरोध उसके सामने बेअसर हो रहा था.

उसने मेरे फटे ब्लाउज को मेरे शरीर से निकाल फेंका.
फिर उसने नीचे हाथ डालकर मेरी साड़ी को मेरे शरीर से खींचकर अलग कर दिया.

अब मैं उसके सामने केवल ब्रा, पेटीकोट और अन्दर पैंटी में थी.

गुरमीत ने मुझे अपनी बांहों में ले लिया था.
उसने एक बार फिर से मेरे होंठों को बुरी तरह चूसना शुरू कर दिया.

इस बार मैं उसका विरोध नहीं कर रही थी.

शायद वह भी यह बात समझ चुका था इसलिए उसने पास रखे एक टेबल पर, जो दीवार से सट कर रखी थी, मुझे उठाकर बिठा दिया.

फिर पीछे हटकर उसने अपनी शर्ट उतार दी और पैंट को जिप तक खोल दिया.

मैं उसकी मर्दाना देह को देखकर मन ही मन अपने आप को खुशकिस्मत मानने लगी और सोचने लगी कि काश इससे ही सात फेरे लिए होते!

आखिरकार वह फिर से आगे बढ़ा और मुझसे चिपक गया.
इस बार उसने मेरे साए को ऊपर करते हुए एक ही झटके में मेरी पैंटी को नीचे खींच लिया और उसे मेरे शरीर से अलग कर दिया.

कुछ ही पलों में वह मेरे गले, मेरे चेहरे, मेरे होंठों पर और धीरे-धीरे नीचे मेरे ब्रा के ऊपर मेरे बूब्स पर भी किस करने लगा.

मेरे बूब्स के ऊपर काले तिल पर तो गुरमीत ने जोर से काटा, जिससे मेरी चीख निकल गई.

अब मैं उसका विरोध नहीं कर रही थी बल्कि उसके साथ देने लगी थी.
मैं उसके बालों को पकड़ कर अपने बूब्स पर दबा रही थी.

उसने मेरी ब्रा की पट्टी को कंधे से नीचे कर दिया और ब्रा को भी खिसका दिया.
फिर मेरे बूब्स को पूरी ताकत से अपने हाथों से दबाने लगा और सहलाते हुए एक दूध को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.

मैं बोली- आह गुरमीत … यह क्या कर रहे हो? रुक जाओ प्लीज ऐसा मत करो!

लेकिन वह कहां मानने वाला था.
मैं भी उसे ऐसा बोलकर उकसा रही थी.

कुछ पल बाद मैंने अपने बूब्स खुद ही उसके मुँह में दे दिए जिन्हें वह किसी माहिर खिलाड़ी की तरह चूसने में जुट गया.
वह मुझे मदहोश करने लगा.

मैं उसके चेहरे को अपने बूब्स पर और जोर से दबा रही थी और बोल रही थी- गुरमीत आह … क्या कर रहे हो? छोड़ दो. मत काटो इन्हें … ओह … ओह … गुरमीत छोड़ो ना उम्म उई उई!

उधर नीचे मेरी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी.

उसने मेरे साए को मेरी कमर तक नीचे कर दिया था.

फिर अचानक से गुरमीत उठा और मेरी आंखों में आंखें डालकर मुझे देखने लगा.
इस बार उसने अपने इनरवियर से अपने लंड को निकाला और मेरी जांघ पर ले आया.

उधर नीचे मेरी चूत से धार बहने लगी थी जो यह बता रही थी कि मैं चुदने के लिए पूरी तरह तैयार हो चुकी थी.

गुरमीत ने मेरे चेहरे को पकड़ा और नीचे अपने लंड को मेरी चूत पर रखते हुए कहा- आई लव यू!

उसी पल उसने अपना लंड मेरी चूत में धकेल दिया.
शायद उसका लंड मोटा और बड़ा दोनों था इसलिए मुझे बहुत तेज दर्द हुआ.

मैं उसकी पीठ पर अपने नाखून गड़ाते हुए उससे चिपकने लगी.
मेरी आंखों से आंसुओं की धार बहने लगी और मेरी आह तक निकल गई.
मैं चिल्ला पड़ी- आह मर गई … निकालो प्लीज!

गुरमीत ने एक बार लंड बाहर निकाला और फिर एक बार जोर से मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया.
मैंने उसे और जोर से पकड़ा, शायद रुकने का इशारा किया.

लेकिन वह कहां मानने वाला था.
उसने मेरे होंठों को पूरी तरह काटना और चूसना शुरू कर दिया.

मैं उसे अपने से चिपकाए हुई थी.
मेरे बूब्स उसकी छाती से पूरी तरह दबे थे. उसके हाथ पीछे मेरी पीठ और कमर को सहलाते हुए मुझे चोदने में जुटे थे.

उसी पोजीशन में उसने मुझे करीब 15 से 20 मिनट तक चोदा.
इस दौरान उसने कई बार मेरे बूब्स चूसे, कभी मेरी गर्दन पर गाल काट दिए, कभी होंठों को काटा, कभी प्यार से किस किया, कभी मेरी पीठ को सहलाया, कभी मेरी कमर पर हाथ फेरा और कभी मेरी गांड पर हाथ रखकर उसे सहलाने लगा.

कभी मेरे बालों को खींचते हुए मुझे तेज रफ्तार से चोदने लगता.

वाइल्ड सेक्स विद भाभी का मजा पुलिस वाला ले रहा था और सारे कमरे में मेरी सिसकारियां गूंज रही थीं.
आखिर 15 से 20 मिनट बाद उसने अपने शॉट्स की स्पीड बढ़ा दी.

उस समय तक मैं तीन-चार बार झड़ चुकी थी और अभी फिर झड़ने की कगार पर थी.
मेरे पैर तो हवा में ही थे जिस कारण वे सुन्न पड़ गए थे.
पैरों में थिरकन-सी होने लगी थी.

मैं अब उसकी पीठ और बालों को सहलाने में जुट गई, उसे अपने सीने से चिपकाए हुई थी ताकि वह जल्द ही अपना वीर्य मेरे अन्दर गिरा दे.

उसी दौरान उसने अपने शॉट्स की स्पीड और बढ़ाई और मुझे बेरहमी से चोदते हुए अपना वीर्य मेरी चूत में डाल दिया.

फिर मुझे जोर से गले लगाते हुए हांफने लगा.

इस दौरान मैं यह भी भूल चुकी थी कि उसने शराब पी रखी थी और मैं उसका साथ दे रही थी.

मैंने उसके सिर को सहलाते हुए उसे अपने से चिपका लिया.
वह भी मेरे गले पर हल्के-हल्के किस कर रहा था.

फिर अचानक वह मुझसे दूर हुआ और अगले ही पल अपने कपड़े पहनने लगा.
मैं वहीं बैठे-बैठे उसे देख रही थी.

जब वह कपड़े पहन चुका, तो बोला- प्रिया, आज से तू मेरी है. सिर्फ मेरी है!

मैं भी अपनी ब्रा की स्ट्रिप को ऊपर करती हुई खड़ी हुई और ब्रा व पेटीकोट में ही जाकर उससे सामने से चिपक गई.
वह मेरे बालों को सहलाते हुए कुछ देर खड़ा रहा.

फिर मेरे बालों को खींचते हुए मेरे होंठों को अपने होंठों के सामने लाया और एक जोरदार स्मूच किया.

इस बार मैंने उसका पूरा साथ दिया.
हमारा स्मूच इस बार काफी लंबा चला … करीब 5-7 मिनट तक.

फिर उसने मुझे अपने से दूर करते हुए कहा- मैं जा रहा हूँ और कल मिलूँगा तुझसे!
उसने दरवाजा खोला और निकल गया.

मैंने जल्दी से दरवाजा बंद किया.

मेरी चुदाई इतनी जोरदार हुई थी कि मैं ठीक से चल भी नहीं पा रही थी.
शायद इतना मोटा, लंबा और कटा हुआ लंड मैंने जीवन में पहली बार लिया था.
लेकिन मजा मुझे बहुत मिला.

फिर मैं बेड पर आई और गुरमीत के साथ जो हुआ, उसे सोचने लगी कि किस तरह उसके लंड ने मुझे मजा दिया.
सोचते-सोचते कब आंख लग गई, पता ही नहीं चला.

दूसरे दिन सुबह उठी तो मोबाइल पर गुरमीत का मैसेज था.
मैं उस समय भी ब्रा और पेटीकोट में थी.

उसने मैसेज में काफी रोमांटिक बातें लिखी थीं और मेरी तारीफ भी की थी.

तभी गुरमीत का कॉल मेरे फोन पर आया.
उसने कहा- तो कैसी रही कल रात प्रिया डार्लिंग?
मैंने कहा- देखो गुरमीत … कल जो भी हुआ, सो हो गया. अब हम कभी नहीं मिलेंगे!

गुरमीत बोला- वह तो समय के ऊपर निर्भर करता है.
मैं बोली- मैं इसे एक हादसा समझ कर भूल जाऊंगी, तुम भी भूल जाओ!
आखिर वह बोला- ठीक है, दोपहर के वक्त मॉल में मिलो!

मैंने कहा- ठीक है … लेकिन सिर्फ मैं तुम्हें समझाने के लिए आऊंगी!
फिर मैं दोपहर के 2 बजे मॉल के लिए निकली.

मैंने व्हाइट स्किन टाइट कुर्ता पहना, जिसमें मेरे बूब्स बड़े लग रहे थे और रेड स्किन टाइट लेगिंग्स पहनी, जिसमें मेरी गांड भरी-भरी लग रही थी … साथ ही ब्लैक सैंडल पहनी.

मेरे बालों का जूड़ा बना था और होंठों पर लाइट लिपस्टिक लगाई थी.
जब मैं मॉल पहुंची, गुरमीत पहले से ही वहां खड़ा था.

मुझे देखते ही मेरे पास आया और बातचीत शुरू कर दी.
वह बोला- आज तो कड़क माल लग रही हो!
मैंने कहा- झूठी तारीफ बंद करो जनाब.

फिर हम लोग एक रेस्टोरेंट में गए, जहां हमने कुछ स्नैक्स लिए.

उस दौरान हमने काफी देर तक बातचीत की.
गुरमीत बोला- आज रात को मैं फिर आऊंगा.

मैंने उसे मना किया और कहा- आज वैसे भी मुझे एक शादी के रिसेप्शन में जाना है.
वह कुछ नहीं बोला.

मैंने कहा- वैसे भी जो हुआ, उसे भूल जाओ … मैं यही बोलने आई हूँ.
वह अब भी चुप था.

आखिर में मैंने पुनः कहा- चलो, अब मैं चलती हूँ!
फिर मैं और गुरमीत लिफ्ट से नीचे आने लगे, लिफ्ट में हम अकेले ही थे.

लिफ्ट का दरवाजा बंद होते ही गुरमीत ने अचानक मेरे हाथ को पकड़ा, मुझे अपनी ओर खींचा और मेरे चेहरे को पकड़कर अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया.
शायद उसके इस अचानक हमले के लिए मैं तैयार नहीं थी.

मेरे मुँह से बस ‘उम्म्म’ की आवाज़ निकल रही थी.

उसके हाथ पीछे मेरी गांड तक पहुंच चुके थे और उसने मेरी गांड को दबाया भी.
इतने में लिफ्ट रुकी और हम दोनों अलग हो गए.

जब मैं लिफ्ट से बाहर निकली, मैंने मुस्कुराते हुए कहा- सच में तुम पागल हो गए हो!

मॉल के बाहर तक वह मेरे साथ आया.

वह बोला- आज रात तो तुम मेरी ही रानी बनोगी प्रिया!
मैं बोली- बस रहने दो, अब ऐसा कुछ नहीं होगा.

लेकिन अब मैं शर्मा और मुस्कुरा भी रही थी.
इस बार मैं खुद ही उसके पीछे चिपक कर उसकी बाइक पर बैठ गई.

उसने मुझे घर तक छोड़ा.

मैं घर आई, रेस्ट किया और शाम को 9 बजे खाना खाकर टीवी देखने लगी.
साथ ही सोच रही थी कि गुरमीत कहीं आ तो नहीं जाएगा और आज मेरे साथ क्या करेगा.

सोचते-सोचते कब आंख लग गई, पता ही नहीं चला

Wednesday, 29 October 2025

सहकर्मी की रांड बीवी को रौंदते हुए चोदा

 

मेरे साथ काम करने वाला एक लड़का अपनी बीवी पर ध्यान नहीं देता था. तब मैंने उसकी बीवी पर ध्यान दिया तो वह एकदम से चुदाई के लिए तैयार हो गई.

मेरा नाम तारक है.
मैं एक बत्तीस साल का शादीशुदा आदमी हूँ और चेन्नई में एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करता हूँ.
मेरा कद 5 फीट 11 इंच है, चौड़े कंधे और गेहुंआ रंग है.

मैं अपनी आपबीती आप लोगों के साथ साझा करना चाहता हूँ.

मैं पहली बार अन्तर्वासना पर कुछ लिख रहा हूँ इसलिए बहुत सारी गलतियां हो सकती हैं.
इसके लिए मैं पहले ही माफी माँगता हूँ.

अब मैं बिना देर किए सीधे अपनी हॉट X स्टोरी पर आता हूँ.

बात 2018 की है.
मेरे साथ काम करने वाला नव कुमार (काल्पनिक नाम) हमेशा फोन पर चिपका रहता था.
उसके दूसरे मोबाइल पर घर से लगातार कॉल आते रहते थे, जो मुझे अजीब लगता था.

एक दिन वह फोन पर बात करते-करते दूर चला गया.
उसी समय उसके घर से उसकी पत्नी का कॉल आया.

फोन की रिंग लगातार बज रही थी इसलिए मैंने कॉल उठा लिया.

उधर से एक मीठी-सी आवाज में एक महिला ने बंगाली में बात की जो मैं ठीक से समझ नहीं सका क्योंकि मुझे बंगाली नहीं आती.
मैंने हिंदी में कहा- वह अभी दूसरे मोबाइल पर व्यस्त है. मैं उन्हें बाद में कॉल करने को कहता हूँ.

वह बोली- आप कौन हैं?
उसकी आवाज शहद से भी मीठी और बहुत ही सुरीली थी.

मैं स्तब्ध रह गया कि इतनी मीठी आवाज भी हो सकती है क्या?

एक दो पल बाद मैंने कहा- मैं उनके साथ ऑफिस में काम करता हूँ.
वह बोली- ठीक है!
उसने फोन काट दिया.

मैं उसकी आवाज के बारे में सोचता रहा.
फिर न जाने क्या सोचकर मैंने उसका मोबाइल नंबर अपने फोन में सेव कर लिया.

शाम को जब मैं अपने रूम पर गया और खाना खाने के बाद उस नंबर को चेक किया तो देखा कि उस नंबर पर व्हाट्सएप था.

मैंने ‘हाई’ का मैसेज किया, लेकिन कोई जवाब नहीं आया.
फिर मैं सो गया.

सुबह उठकर मैंने गुलाब के फूल के साथ ‘गुड मॉर्निंग’ का मैसेज भेजा.
लेकिन फिर भी कोई जवाब नहीं आया.

ऐसा मैं हर दिन करने लगा.
खूबसूरत गुलाब के फूल के साथ गुड मॉर्निंग विश करता.
लेकिन जवाब हमेशा जीरो.

यह सिलसिला करीब एक महीने तक चला.

फिर एक दिन अचानक जवाब आया- कीथ बाड़ी!

मैं- क्या आप हिंदी में बात कर सकती हैं?
जवाब आया- मुझे हिंदी नहीं आती!

मैं- आप तो बहुत अच्छी हिंदी लिख रही हैं! फिर क्यों कह रही हैं कि नहीं आती?
जवाब आया कि थोड़ी-थोड़ी जानती हूँ!

मैं- मेरे लिए इतना ही काफी है!
अब सवाल आया कि आप कौन हैं?

मैं- वही, जिसने आपके पति के फोन पर आपका कॉल रिसीव किया था ऑफिस में!

जवाब- अच्छा … तो आप हैं… क्या नाम है आपका?
मैं- तारक!

सवाल- क्या करते हैं?
मैं- आपके पति का सीनियर हूँ!

जवाब- ओह! तो आपके बारे में ही नव (उसका पति) कहता है कि सारे काम मेरा तारक सर देख लेते हैं, मुझे टेंशन नहीं रहती!

मैं- क्या करूँ? वह करता ही नहीं, फोन पर बिजी रहता है, तो मुझे करना पड़ता है. नहीं करूँगा, तो उसे भी डाँट पड़ेगी और मुझे भी जीएम से सुनना पड़ेगा!
जवाब- ओह…

मैं- आपका नाम?
जवाब- सपना! (बदला हुआ नाम)

मैं- आपकी आवाज की तरह आपका नाम भी बहुत मीठा है!
सपना- अच्छा … थैंक यू!

सपना- वह कहां बात करता है?
मैं- मुझे नहीं पता. मैं तो सोचता था कि वह आपसे बात करता है. लेकिन जब आपने फोन किया और मैंने रिसीव किया, तब मुझे लगा कि वह कहीं और बिजी रहता है!

सपना- ठीक है … बाय!
वह ऑफलाइन हो गई.

उसी रात खाना खाने के बाद और सोने से पहले मैंने सपना को ‘हैलो’ का मैसेज किया.
जवाब आया- बोलिए!

मैं- खाना खाया?
सपना- हां और आपने?
मैं- मैंने भी!

सपना- क्या कर रहे हैं?
मैं- आपको याद!

सपना- क्यों?
मैं- पता नहीं!

सपना- आपने तो सारी दुनिया के फूल मुझे दे दिए पूरे महीने में! मुझे पागल कर दिया … और बोलते हैं कि पता नहीं!
मैं- आपने मुझे बहुत इंतज़ार करवाया है!

सपना- इंतज़ार में ही तो मज़ा है ना! मैं भी सोचती थी कि कौन है जो मेरे पीछे इतना पड़ा है. मैं समझी थी कि कोई मेरे घर के आस-पास का है. लेकिन जब आपने कहा हिंदी में बात करो, तब मेरा डर निकल गया!

मैं- आपकी आवाज ने मुझे पागल कर दिया था, इसलिए मैंने आपके पति के मोबाइल से आपका नंबर चुराया!

सपना ने हँसने का एक इमोजी भेजा.
मैंने भी आंख मारने का इमोजी भेजा.

मैं- एक अपनी पिक भेजिए न!

सपना ने अपनी एक तस्वीर भेजी जो इतनी सुंदर और हॉट थी कि मैंने सपने में भी नहीं सोचा था.
मेरा मुँह खुला का खुला रह गया.

वह इतनी खूबसूरत थी, मानो स्वर्ग की अप्सरा हो!
बड़े बड़े बूब्स, खड़ी और गोल नाक, बड़ी और कटीली आंखें, पतले होंठ … आह क्या ही बताऊं!

उसके 36 के बूब्स, 30 की कमर, और 38 का पिछवाड़ा देखकर मेरे लंड में तनाव आ गया.

सपना- क्या हुआ … फ़ोटो कैसा लगा? जवाब क्यों नहीं आया?
मैं- चाँद में तो दाग भी हैं, लेकिन आपको देखकर तो चाँद भी शर्मा जाए! आपको देखकर मेरा सारा कुछ हिल गया है. रियली, आप बहुत खूबसूरत हैं! इतनी हॉट बीवी को छोड़कर नव कुमार कहां बिजी रहता है, मैं समझ नहीं पा रहा हूँ!

सपना- छोड़िए उसका … आप अपनी पिक भेजिए!
मैंने भी अपनी एक पिक भेजी जो उसे पसंद आई.

वह बोली- आपकी चौड़ी छाती पर तो सिर रखकर सोने का मन कर रहा है!
मैं- आपको किसने मना किया है?
सपना- आपकी वाइफ ने!

मैं- उसे कब बात की?
सपना- डर गए ना!
मैं- नहीं तो!

सपना- संभाल पाएंगे मुझे!
मैं- आपको क्या लगता है?

सपना- हां! मुझे लगता है कि आप जैसे हट्टे-कट्टे और चौड़ी छाती वाले ही मुझे रौंद सकते हैं! आपकी हाइट क्या है?
जब उसने यह पूछा तो मैंने बताया कि 5 फीट 11 इंच.
सपना- बहुत अच्छा है … मैं भी बहुत लंबी हूँ!

मैं- आपकी साइज़ क्या है?
सपना- क्यों? क्या आपने मेरी तस्वीर में नहीं देखा?

मैं- हां देखा! मगर आपके मुँह से सुनना चाहता हूँ!

सपना- आपका क्या अनुमान है?
मैं- छत्तीस ऊपर और अड़तीस का जलवा नीचे है.

सपना- खिलाड़ी हो आप … देख कर ही सही अनुमान लगा लेते हो!

मैं- हां वह तो है … मैं तो ये भी अनुमान लगा लेता हूँ कि कौन कितना जंप मार सकता है!
सपना- अच्छा! मगर मेरे जंप को आप संभाल नहीं पाओगे, क्योंकि मेरा पति कभी मुझे संभाल नहीं पाया है! मेरे दो उछाल में ही खलास होकर साइड में सो जाता है … मुँह खोलकर … मन करता है, मुँह में ही पेशाब कर दूँ उसके!

मैं- अच्छा, ऐसी बात है! जब तुम मुझे मिलोगी, तब पता चलेगा! बिना लंड डाले ही तुमको नहीं निचोड़ दिया, तो फिर कभी मुँह नहीं दिखाऊंगा!
सपना- अभी वह तो दिखा दो!

मैं- क्या?
सपना- हथियार … यार लड़ोगे किस हथियार से?

मैं- नहीं, पहले मुझे भी तुम्हारा देखना है!

सपना- क्या?
‘बूब्स’ मैंने कहा.

सपना- नहीं, पहले आप अपने लंड का पिक भेजो!

उसके मुँह से ‘लंड’ शब्द सुनकर मेरे लंड में तूफान मच गया.
मैंने तुरंत ही अपनी चड्डी खिसकाई और फोटो खींच कर सेंड कर दी.

अगले ही पल उधर से सपना ने वीडियो कॉल कर दी.
मैंने रिसीव किया.

वह लाल रंग की ब्रा और ग्रे रंग के पेटीकोट में बैठी थी.
ब्रा बहुत ही तंग थी और चूचे इतने बड़े थे कि ब्रा से बाहर निकल रहे थे.

मैंने कहा- बहुत मस्त हैं आपकी चूचियां … मुझे इनसे खेलना है!
वह बोली- आपका जब मर्जी हो … आकर खेल लेना! मगर आपके लंड को देखकर मेरी बुर में हलचल मच रही है … आओ न, मुझे चोद दो! मैं तेरी रखैल बनकर रहूँगी … जल्दी से आ जाओ न … मुझे रौंद डालो … मसल डालो! मुझे बूँद-बूँद निचोड़ डालो!

मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि इतनी जल्दी वह मेरे साथ इतनी ज्यादा खुल जाएगी.

फिर उसी समय हमने मिलने का प्लान बनाया.
क्योंकि चेन्नई से बंगाल जाने का मतलब 28 से 30 घंटे का रास्ता था इसलिए एक हफ्ते बाद हमने मिलने का समय निर्धारित किया.

निर्धारित दिन मैं वेस्ट बंगाल के शहर खड़गपुर में सुबह 9:10 बजे पहुंचा.
पहुंच कर सपना को कॉल किया तो उसने कहा- बस, मैं आ रही हूँ … यही कोई 20 मिनट में पहुंच जाऊंगी!

मैं स्टेशन से निकलकर बस स्टैंड पर आकर इंतज़ार करने लगा.
सपना ठीक 20 मिनट बाद एक बस से उतरी.

हम लोग वीडियो कॉल पर हमेशा बात करते थे इसलिए पहचानने में कोई परेशानी नहीं हुई.

मगर जब सामने से देखा तो क्या लग रही थी!
सुडौल शरीर, 5 फीट 8 इंच लंबी, पहाड़ जैसे तने हुए दो बड़े-बड़े मम्मे और पीछे भारी-भरकम निकली हुई गांड … सपाट पेट!

ऐसा लग रहा था मानो साक्षात कामदेवी रति खड़ी हो.
वह काफी सज-धज कर आई थी.
जब चलती थी, तो आगे दोनों खरबूजे हिलते थे और देखने वाले का ईमान हिल जाता.
आंखों में वासना तैरने लगती थी.

पीछे हर कदम पर थिरकती हुई नितंब बूढ़े के लंड में भी तनाव पैदा कर सकते थे.
मेरा हाल तो उसके सामने का सीन देखकर ही बुरा हो गया था.

मैंने आगे बढ़कर उसे हैलो बोला और हाथ मिलाकर एक-दूसरे का अभिवादन किया क्योंकि पब्लिक प्लेस में इससे ज्यादा उचित नहीं था.

फिर हम दोनों पास के एक लॉज में गए, अपना आईडी कार्ड दिखाकर रूम बुक किया और चाबी लेकर कमरे में आ गए.

अन्दर जाते ही सपना ने दरवाजे की सिटकनी लगाई और पीछे मुड़कर मुझ पर झपटने के लिए झुकी.
मगर मैंने उसे झुकने से पहले ही उसके कंधों को पकड़ कर उठाया, उसके कंधे से पर्स निकालकर सामने पड़े टेबल पर रखा और जोर से गले लगा लिया.

वह भी ऐसी चिपक गई जैसे हम दो नहीं, एक ही शरीर हों.
बिल्कुल हवा पास होने की भी जगह नहीं थी.

हम दोनों एक-दूसरे को चूमते-चाटते नहीं जानते कब मैं उसके पीछे जा चुका था.

अब मेरे दोनों हाथों में उसके दोनों बड़े-बड़े उरोज थे.
मैं दोनों हाथों से उन मदमस्त, विशाल और सख्त उरोजों को उसके सूट के ऊपर से ही मसल रहा था.

मेरे होंठ उसके गले और कानों के आस-पास चुंबनों की बौछार कर रहे थे.
मेरे लंड में इतना तनाव था कि वह सपना के चूतड़ों की दोनों घाटियों के बीच रगड़ खा रहा था.

मैं अपना सुध-बुध, होश-हवास खो बैठा था और यही हाल सपना का भी था.
वह भी आंखें बंद करके सिर्फ कामुक सिसकारियां भर रही थी.

मैं सपना के बूब्स को पीछे से पकड़ कर बुरी तरह दबाए जा रहा था, उसके कानों को अपने होंठों से चबाए जा रहा था.
सपना इतनी मस्त हो गई थी कि उसने अपने हाथों को पीछे ले जाकर मेरे लंड को टटोलना शुरू कर दिया और उसे पकड़ कर दबाने लगी.

उसकी वासना से लबरेज सिसकारियों से कमरा गूंजने लगा था.
वह बड़बड़ा रही थी- ई… स… मुझे मसल डालो! आज काट खाओ ई…इ…इ… बहुत चुल्ल है इन दोनों चूचों में … वह मेरे लंड के ऊपर अपनी गांड को दाएं-बाएं रगड़ने लगी.

मेरा लंड उसकी कोमल गांड से रगड़ खाकर अंतर्वासना के चरम पर पहुंच गया था.
तभी अचानक से डोरबेल बजी.

हम दोनों का ध्यान भंग हो गया.
मैं बाथरूम में भागा क्योंकि मेरा लंड रॉड की तरह तना हुआ था.

सपना ने दरवाजा खोला.
सामने सर्विस बॉय था जो पानी और जरूरी सामान रखकर चला गया.

मैं बाथरूम से बाहर आया.
तब सपना बोली- मेरा सारा सूट खराब हो गया!

मैंने कहा- अभी तो सूट को मसला है, बूब्स को मसलना बाकी है … तुम्हारे बूब्स बहुत अच्छे हैं, मुझे इनसे खेलने में बहुत मजा आ रहा है!
वह बोली- देखती हूं … तुम कितना खेल पाते हो!

पाठको, मैं एक बात बताना चाहता हूं. उसके अन्दर जवानी की आग भरी हुई थी.
उसकी आंखें मदमस्ती से भरी थीं.

वह इतनी कामुक हो गई थी कि अपनी आंखें पूरी तरह खोल भी नहीं पा रही थी.
अधखुली आंखों से वह मुझे हसरत भरी निगाहों से देख रही थी!

दोस्तो, इस हॉट X स्टोरी के अगले भाग में आपसे पुनः मुलाकात होगी.
और तब मैं अपने दोस्त की इस कामुक बीवी की चुत चुदाई को आगे लिखूँगा

मैंने अपने हाथों से खींच कर उसकी कुर्ती को निकाल फेंका.

उसने बहुत ही खूबसूरत जालीदार लाल रंग की फैंसी ब्रा पहनी थी जिसमें उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां बमुश्किल आधे-अधूरी कैद हो पा रही थीं.

मैंने ब्रा हटाकर उसके दोनों कबूतरों को आजाद कर दिया.
उसके दोनों पर्वतों के बीच की घाटी बहुत ही कामुक थी, जो मेरे अन्दर वासना की आग में घी डालने का काम कर रही थी.

मैं खुद को रोक नहीं पाया और अपनी जीभ उस घाटी में फिराने लगा.

मैंने दोनों हाथों से उसके बूब्स को मसलना शुरू किया और अपनी जीभ से उसकी घाटियों को चूमने, चाटने और कहीं-कहीं दांतों से काटने लगा.
यह मेरे अन्दर की अतिशय वासना के कारण हो रहा था. मुझे ऐसा लग रहा था मानो मैं इंसान नहीं, कोई नरभक्षी बन गया हूं.

वह लगातार मदभरी सिसकारियां ले रही थी और बोल रही थी- ओ … हो … ई… बहुत मजा आ रहा है … आज तक किसी ने इस तरह मसल कर मुझे इतना सुख नहीं दिया!

मैंने अब दूध की टंकियों पर हमला बोला, एक को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया और दूसरे को एक हाथ से मसलना जारी रखा.
मैं बारी-बारी से दोनों चूचियों के साथ खेलता रहा.

अब मैंने चूचियों से अपना मुँह हटाया और उसके होंठों को चूसने लगा.
वह भी बराबर का साथ दे रही थी.

फिर मैंने अपनी जीभ को उसके मुँह के अन्दर डाल दिया.
वह मेरी जीभ को ऐसे चूसने लगी जैसे कोई नवजात शिशु मां का निप्पल चूसता है.
मेरे मुँह की लार उसके मुँह में … और उसके मुँह की लार मेरे मुँह में आने जाने लगी.

ऐसा बहुत देर तक चलता रहा क्योंकि वह भी बहुत प्यासी थी.
सच कहूं तो वह वासना की एक जलती भट्टी थी जो मुझे अपनी ज्वाला से पिघला कर अपने अन्दर समाहित कर लेना चाहती थी!

इसी क्रम में कब उसकी लेगिंग्स उसके पैरों से अलग हो चुकी थी, मुझे पता ही नहीं चला.

जब मैंने नीचे की ओर देखा तो सिर्फ लाल रंग की फैंसी चड्डी थी जो बहुत मुश्किल से स्वर्ग के द्वार को ढक पा रही थी.
चड्डी उसकी कामरस से सराबोर हो चुकी थी और कुछ कामरस उसकी जांघों पर एक रेखा खींचता हुआ बह रहा था.

मैंने उसकी चड्डी को निकाल फेंका और संगमरमर सी तराशी, दूध सी गोरी जांघों को सहलाते हुए उसकी कामरस से गीली बुर में अपनी जीभ डाल दी.

मैं जीभ को ऊपर क्लिटोरिस तक ले जाता, कभी-कभी क्लिटोरिस पर दांतों से काट देता, जिसके कारण वह सातवें आसमान की सैर कर रही थी.

वह मेरे सिर को अपनी जांघों के बीच जोर से दबा रही थी, मानो मुझे अपने अन्दर घुसा लेना चाहती हो!

मैं उसकी बुर के अन्दर अपनी जीभ को कुत्ते की तरह चटखारे लेते हुए चला रहा था.
तभी उसने अपनी जांघों से मेरे सिर को जोर से भींच लिया और अपनी गांड उठा-उठा कर दो-तीन झटके दिए.

फिर उसने मेरे मुँह पर अपनी चुत का गर्म-गर्म पानी छोड़ दिया जिससे मेरा नाक, मुँह और बाकी का चेहरा उसकी चुत के रस से भीग गया.
सपना निढाल होकर पड़ी थी.

मैंने पास ही पड़ी उसकी ब्रा से अपने चेहरे को साफ किया और उसकी तरफ देखा.
मुझे अपनी ओर देखती हुई देखकर वह मुस्कुराई और शर्माती हुई अपने दोनों हाथों से अपनी आंखें बंद करके मुस्कुराने लगी.

मैंने उसके दोनों हाथ हटाए और उसके माथे पर एक चुम्बन जड़ दिया.
वह उठकर बैठ गई और मुझे अपनी गोद में खींच कर मेरा सिर रख लिया.

वह बोली- आज तक मुझे इतना सुख कभी नहीं मिला! मेरा पति कभी भी इस तरह मुझे प्यार नहीं करता!
मैं चुप रहा.

‘आपको पता है?’ उसने मुझसे कहा- मेरी बुर का पानी दो बार झड़ चुका है! मेरा पति तो कभी चोदकर भी मुझे दो बार नहीं झाड़ सका है!

फिर वह आगे बोली- मुझे भी आपका लंड चूसना है!

यह कह कर उसने मेरे बॉक्सर को हाथ से खींच कर उतार दिया.
मेरा लगभग सात इंच लंबा और चार इंच मोटा लंड उछल कर बाहर आ गया.

इतनी देर तक सेक्सुअल एक्टिविटी के कारण उसमें से प्रीकम की कुछ बूँदें निकल चुकी थीं, जिससे उसका अगला भाग गीला था.

उसने उसे हाथों में लेकर कहा- मैंने जब इसे पिक में देखा था, तभी सोच लिया था कि इस लंड से जरूर चुदूँगी!
उसकी ऐसी बातें, जिनमें ‘लंड’ और ‘चुदना’ जैसे शब्द शामिल थे, मुझे बहुत उत्तेजित कर रही थीं.

उसने थोड़ी देर तक मेरे लंड को अपनी मुलायम हथेलियों से आगे-पीछे किया और अपने होंठों पर घिसने लगी.
मेरे टमाटर जैसे गोल सुपाड़े पर उसने अपनी जीभ फिरानी शुरू की जिससे मुझे बहुत उत्तेजना होने लगी.

अब उसने इसे मुँह के अन्दर लिया और जैसे बच्चे लॉलीपॉप चूसते हैं, वैसे ही चूसने लगी.
वह किसी प्रोफेशनल रंडी की तरह मेरे लंड को चूस रही थी, उसे अपने गले तक डाल रही थी.

जल्दी ही उसका मुँह झाग से भर चुका था.
वह ‘गों गों’ की आवाज के साथ इतनी तेजी से लौड़े को चूस रही थी कि मुझे संभालना मुश्किल हो गया.

आखिरकार मैंने उसके मुँह के अन्दर अपने गन्ने का रस छोड़ दिया.
उसने सारा रस पी लिया और बोली- तेरा माल पीकर बहुत मस्त लगा! मैंने पहली बार माल पिया है. वह (पति) तो साला कभी चूसने नहीं देता, कहता है मेरा निकल जाएगा! मैं पोर्न वीडियो देखती थी, तो मुझे लंड चूसने और माल पीने का बहुत मन होता था, जो आज तूने पूरा कर दिया!

अब मैंने फिर से उसके बूब्स के साथ खेलना शुरू कर दिया.
हल्के हाथों से दोनों बूब्स पर चपत लगा रहा था और कभी-कभी निप्पल्स को मसल देता था.

मैंने दायीं चूची को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया, फिर बायीं चूची को चूसा.

कुछ देर बाद मैं उसकी गहरी नाभि में अपनी जीभ डालकर घुमा-घुमा कर चूसने लगा.
जिससे वह बहुत उत्तेजित हो गई.

उसने मुझे धक्का देकर गिरा दिया और मेरा मुरझाया हुआ लंड फिर से चूसने लगी.

मैंने भी उसके पैर उठा कर अपने शरीर के दोनों तरफ रखे और उसकी गांड पर दाँत गड़ा दिए.
उसकी बड़ी और हांडी जैसी गांड पर थप्पड़ मारने लगा.

अब हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए.
वह मेरे ऊपर थी और मैं नीचे.

मेरा लंड फिर से लोहे की रॉड की तरह उफान मार रहा था.

मैंने उसे अपने ऊपर से उतारा और उसके पैर पकड़ कर दोनों टांगें अपने कंधों पर रखीं.
वह समझ चुकी थी कि अब उसकी चूत चुदने वाली है.

वह बोली- रुको!
मैंने पूछा- क्यों, क्या हुआ?

वह बोली- मुझे तकिया अपनी कमर के नीचे लगा लेने दो!
मैंने कहा- ठीक है, ले लो. मैं कंडोम चढ़ा लेता हूँ, उसे तो जोश में मैं लगाना ही भूल गया था.

वह बोली- नहीं … मुझे ऐसे ही चोदो! मैं बिना कंडोम के चुदूँगी!
मैंने कहा- चलो ठीक है.

मैंने उसकी दोनों टांगें अपने कंधों पर रखीं और अपने लंड को उसकी रस बहाती हुई चूत पर सैट किया.
फिर उसके कंधों को पकड़ कर एक जोरदार धक्का लगाया.

वह हल्की चीख के साथ अपनी चूत को पीछे खींचने की कोशिश करने लगी.
लेकिन सफल नहीं हुई क्योंकि मैंने पहले से ही उसके कंधों को पकड़ कर अपनी ओर खींच रखा था.

वह कराह कर बोली- धीरे-धीरे करो न! मैं कहां भागी जा रही हूँ? मैं तुम्हारी हूँ, अपनी बीवी की तरह प्यार करो न!

उसकी बातें सुनकर मेरे ऊपर कोई असर नहीं पड़ रहा था.

इसी बीच मैंने अपने लंड को थोड़ा पीछे खींचा और जब वह रिलैक्स थी, तभी एक और जोरदार धक्का दे मारा.
मेरा लंड सनसनाता हुआ पूरी तरह अन्दर घुस गया और उसकी बच्चेदानी से जा टकराया.

वह हलाल होने वाले बकरे की तरह चीखी.
मैंने अब उसके कंधों को छोड़ दिया और उसके अधरों को चूसने लगा.

लगभग दो-तीन मिनट बाद उसने आंखें खोलीं और मेरे साथ तालमेल बिठाने लगी.
वह बोली- बहुत बेरहम हो तुम … अपना नहीं समझते हो? कोई ऐसे भी पेलता है क्या?

उसकी इस भाषा ने मुझे और उत्तेजित कर दिया और मैंने अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया.

थोड़ी देर बाद वह अपनी कमर उछाल उछाल कर मेरा साथ देने लगी.
उसके अधरों पर सेक्सी मुस्कान थी.

वह किसी मँजी हुई सेक्स खिलाड़ी की तरह कामक्रीड़ा का आनन्द ले रही थी.
मेरे धक्कों के साथ ताल मिलाकर अपनी कमर हिलाने लगी थी.

अब मैंने उसकी दोनों चूचियों को दोनों हाथों से पकड़ा और अपनी स्पीड बढ़ा दी.
मैंने शताब्दी एक्सप्रेस की रफ्तार से चुदाई शुरू कर दी.
मेरा लंड पिस्टन की तरह उसकी बुर के अन्दर आगे-पीछे हो रहा था.

अब उसकी हालत खराब थी.
वह अपने मुँह से क्या-क्या बड़बड़ा रही थी- अया … आह … उई … आह सी … आह … उम्म.

मैं उसकी दोनों चूचियों को जोर से भींचते हुए उसकी चूत मार रहा था.

Xxx बंगाली सेक्स करती हुई अब वह पूरी जोश में थी और गंदे शब्दों के साथ बात करने लगी थी ‘फाड़ डाल साला … मर्द है तो फाड़ मादरचोद … सिलाई करा लूँगी बाद में आह डॉक्टर से बोलूँगी कि कोई मर्द है जिसने इतना प्यार किया है मुझे … आह चोद … मैं तेरी रंडी हूँ … रखैल बनकर रहूँगी ओह… ओह… उई… यू… ई… साला… भोसड़ी के … मन करता है अपनी माँ भी चुदवा दूँ तुझसे!’

मैंने कहा- साली रंडी …माँ नहीं! अगर रंडी बहन कोई है तो बोल … चोद दूँगा उसको भी!

‘साला ठरकी … मेरे पति की गांड में अपना मूसल डालकर चोद देना और उससे बोलना कि देख कैसे चोदा जाता है … भड़वा है साला, वह कभी भी मेरी चूत नहीं मार पाया साला हिजड़ा है वह!’

ऐसे बोलते हुए उसने जोश में कमर उछाली और अपने दाँतों से काटती हुई आधी उठ बैठी.
उसकी जांघें और चूत कांप रही थीं.
इस तरह वह दूसरी बार झड़ रही थी.

मैं भी थोड़ा रुककर उसके चेहरे के बदलते भावों का मज़ा ले रहा था.

थोड़ी देर के लिए वह शिथिल पड़ गई.

मैं फिर से उसके बूब्स चूसने-चाटने लगा और उन पर थप्पड़ मार रहा था.

वह बोली- मुझे अपने ऊपर ले लो!
मैंने कहा- आ जा साली रांड … कौन रोक रहा है तुझे!

उसने अपनी चूत से मेरा लंड निकाला, जो उसकी चूत के पानी से तरबतर था.
उसने अपनी जीभ से लंड चाटकर अपनी चूत के पानी का स्वाद लिया और बोली- बड़ा टेस्टी है!

फिर लंड अपने छेद में सैट करके मेरे लंड पर धम्म से बैठ गई.
वह अपनी कमर को गोल-गोल घुमाने लगी.

थोड़ी देर बाद मेरे लंड पर उछल-उछल कर चुदवाने लगी.

वह बोली- मैं ये सब पोर्न वीडियो देखकर सीखी हूँ! मेरा पति कभी भी ऐसा सुख नहीं दे पाया!

वह जोर-जोर से उछल रही थी और उसके बड़े-बड़े बूब्स भी उछल रहे थे.
उनको देखकर मुझे दुगुना मज़ा आ रहा था.

उसका मंगलसूत्र इस तरह उछल रहा था कि उसके चेहरे से टकरा जाता था.
पूरा कमरा फच-फच और थप-थप की आवाज़ों से गूँज रहा था.

मुझे डर लग रहा था कि बाहर कोई सुन लेगा तो क्या होगा!

मैंने उछलते हुए बूब्स को पकड़ कर मसलना शुरू किया और उसी हालत में उठकर बैठ गया.

मैंने उससे कहा- दोनों हाथों से मुझे पकड़ो!
फिर उसी हालत में मैथुन करने लगा, जो उसे बहुत पसंद आया.

अब मैं उसे गोद में उठाकर खड़ा हो चुका था.
मैंने कहा- मेरे कंधों को पकड़ो और मेरे लंड पर बैठ कर झूला झूलो!
वह झूलने लगी.

मैंने दोनों तरफ से उसकी गांड को हाथों से सहारा देकर झूलने दिया.
करीब पाँच मिनट तक ऐसे झूलने के बाद मैंने उसे उतारा और उसके ऊपर चढ़ गया, उसकी ठुकाई शुरू कर दी.

अब बहुत देर हो चुकी थी.
मैं झड़ने वाला हो गया था.

मैंने जोर-जोर से चोदना शुरू कर दिया.
जांघ से जांघ टकराने से पट-पट की आवाज़ जोरों से आ रही थी.

मैंने जोश जोश में उसके दाएं हाथ का अंगूठा नीचे ले जाकर उसकी चूत के पानी से गीली गांड में घुसा दिया और आगे-पीछे करने लगा.

मेरा लंड झड़ने वाला था, तभी मैंने उसकी गांड में अंगूठे को जोर से घुसा दिया.
वह जोर से उछली और अपने पैरों को मेरी कमर से लपेट कर सीत्कार करती, कांपती हुई झड़ने लगी.

मैंने भी अपने लावा को उसके अन्दर ही छोड़ दिया और उसके ऊपर गिर पड़ा.

मैं अचेत उसके ऊपर पड़ा था.
फिर उसने मेरे बालों में हाथ फेरना शुरू किया तो मुझे होश आया.

मैंने उसके होंठों को चूमा और आंखों पर चुंबन किया.

वह बोली- आज तक जीवन में ऐसा सुख कभी नहीं मिला था! तुम क्या खाते हो जो इतना स्टैमिना है तुममें? मैं चार बार झड़ चुकी हूँ, जो कि मेरा पति एक बार भी ढंग से नहीं कर पाता!
मैं हंस दिया.

उसने पूछा- गांड में उंगली क्यों डाली थी? मुझे बहुत अच्छा लगा! मैंने सोचा भी नहीं था कि ऐसा भी होता है. अमेज़िंग यार!

फिर मैंने मोबाइल में समय देखा, अभी बारह बज रहे थे.

आगे मैंने उसकी जमकर गांड चुदाई की और बहुत तरह के प्रयोग किए, जो मैं आगे कभी लिखूँगा.

Monday, 27 October 2025

अनजान आंटी को बस में खूब चोदा

 

मैं एक सेक्स कहानी पहली बार लिख रहा हूँ, अगर कोई गलती हो तो इस कहानी को पढ़कर मुठ मार लेना और सो जाना.

मेरा लंड का साइज़ 8 इंच है.
मुझे आंटी, भाभी और विधवा महिलाएं पसंद हैं, खासकर वे जिनकी गांड बाहर से उभरी हुई हो और चूचे बाहर की तरफ को निकले हों.
गदराई गोरी टांगें तो मुझे और भी ज्यादा पसंद आती हैं.

मैं 12वीं पास हूँ, उसके बाद मैंने पढ़ाई छोड़ दी थी.

अब मैं उदयपुर में एक प्राइवेट कंपनी में काम करता हूँ और वहीं रहता हूँ.

Xxx आंटी पोर्न स्टोरी में हुआ यूँ कि एक दिन मुझे घर से अचानक जरूरी काम के लिए कॉल आया.
यह कॉल सुबह 6 बजे आया था, उस वक्त मैं ऑफिस से ही निकल रहा था.

घर से जरूरी बुलाया गया था तो मुझे जाना बेहद जरूरी था.

मैं एक प्राइवेट स्लीपर बस में चढ़ गया जो बांसवाड़ा जिले के एक गांव जा रही थी.

मैं थक गया था, ऊपर की सीट खाली थी तो मैं जाकर सो गया.

मैंने पर्दा डालकर सोचा कि कोई आएगा तो देखा जाएगा, अभी तो अच्छे से सो लेता हूँ.
कोई मेरे पास नहीं आया तो मैं चैन से सोता रहा.

फिर बस अगले स्टेशन पर रुकी, कुछ देर बाद और सवारियां चढ़ीं.
मैं जमकर सोया हुआ था.

तभी एक महिला आई और बोली- उठ जाओ … ये मेरी सीट है.

मैं गहरी नींद में सोया हुआ था तो उठा ही नहीं.
हालांकि मैं उसके उठाने की आवाज सुन रहा था.

तभी उसके मोबाइल पर किसी का फोन आ गया, तो वह बात करने लगी.
शायद यह फोन उसके पति का था, वह उसे गालियां दे रही थी और उससे झगड़ा कर रही थी.

उसका कॉल चालू था और बात करते-करते वह ऊपर मेरी सीट पर मेरे पैरों के साइड में उल्टे मुँह होकर बैठ गई.

मैंने थोड़ा आंखें खोलकर देखा तो हैरान रह गया.
मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि इतनी खूबसूरत औरत मेरे पास बैठी है.

उसकी उम्र करीब 35 साल होगी. वह थोड़ी सांवली थी … लेकिन उसका शरीर भरा हुआ था.

मैंने पीछे से देखा, उसकी गांड इतनी उभरी हुई थी कि बैठे हुए भी साफ दिख रही थी.

मेरा लंड तो खड़ा हो गया; पूरे शरीर में आग-सी दौड़ने लगी.
उसके बूब्स भी बड़े थे.

वह पलट कर मुझे देखने लगी, मैंने जल्दी से आंखें बंद कर लीं.
फिर उसने मुँह दूसरी तरफ कर लिया.

मैंने फिर से चुपके से देखना शुरू किया.
उसने सफेद रंग की साड़ी और काला ब्लाउज़ पहना था.

उसे देखकर मेरा लंड और सख्त हो गया.
उसकी गांड मेरे पैरों को छू रही थी.

वह बहुत ही कामुक लग रही थी, उसके बाल खुले थे, एकदम रंडी जैसी लग रही थी.

गज़ब की जोरदार माल थी.
मैं कैसे बताऊं आपको.

फिर उसने कॉल काट दिया.
मैंने आंखें बंद कर लीं.

वह मेरी तरफ देखने लगी और बोली- ओ हैलो, उठो जी. ये मेरी सीट है.
मैं नहीं उठा.

वह चुप हो गई और मेरी तरफ देखने लगी.
मेरा लंड तो इतना सख्त था कि साफ दिख रहा था, जैसे बाहर निकल जाएगा.

फिर वह उठी और बाहर चली गई.

मैंने सोचा कि कंडक्टर को बुलाएगी, पर उसने नहीं बुलाया.
वह वापस आकर बैठ गई.
फिर वह बुदबुदाकर बोली- एक पति भी परेशान करता है और ये लड़का भी नहीं उठ रहा है.

मैं खुश हो गया क्योंकि मेरा मन उसको चोदने का था.
मुझे ऐसा लगा कि पति उसे खुश नहीं रखता.

फिर मैं थोड़ा खिसक गया एक साइड.
वह बोली- उठ जाओ यार, मेरी सीट है.
मैं नहीं उठा.

बाहर बहुत शोर हो रहा था, लग रहा था कि बस में बहुत भीड़ थी.
अब वह मेरी एक साइड पैर लंबे करके सो गई.

जिस तरफ मेरा मुँह था, उधर उसके पैर थे और जिस तरफ मेरे पैर थे, उधर उसका मुँह था.

मेरी तो सांसें तेज हो गईं, मन में लड्डू फूट रहे थे.

इस तरह से लेटे हुए हम दोनों को बहुत देर हो गई थी.

बस रात 9 बजे बांसवाड़ा जाने के लिए निकली थी, जो 4-5 घंटे लेती है.

अब 11:30 हो गए थे.
वह मोबाइल देख रही थी, मैं सोया था.

उसे लगा कि मैं सोया हुआ हूँ और गहरी नींद में हूँ.

उसने मोबाइल रखा और मेरे लंड को सहलाने लगी.
मैं भी उसकी चूत देखने की कोशिश कर रहा था.

उसने तो पैर पर हाथ रख दिया.

मैं तो अन्दर ही अन्दर खुश हो रहा था. मुझे लग रहा था कि उसने मन बना लिया था.

वह धीरे-धीरे हाथ ऊपर करने लगी.
मेरा लंड भी ऊपर-नीचे होने लगा और वह आगे बढ़ती गई.

मैं रोक नहीं पाया … ना उसे, ना लंड को.

लंड फड़फड़ाने लगा.
उसका हाथ लंड पर चला गया, फिर वह ऊपर से ही हाथ रगड़ने लगी.
मैं खुद को रोक नहीं पा रहा था.

फिर भी क्या करूँ?
अब उसने मेरी चेन खोलकर लंड बाहर निकाल दिया.

जैसे ही लंड बाहर निकाला, उसके मुँह से आवाज आई- आह … इतना बड़ा औजार.
मेरा लंड जैसे ही बाहर निकला वह और भी सख्त हो गया और पूरा 8 इंच का हो गया.

उसने हाथ से लंड पकड़ा, पर पकड़ ही न पाई.

मेरे मोटे लंड को उसने अपने दोनों हाथों से पकड़ा.
उसके कोमल हाथ छूते ही मेरे लंड से हल्का पानी बाहर निकला, जो उसके हाथ पर गिर गया.

पानी हाथ पर गिरते ही उसने जीभ से चाट लिया.
ये सब देखकर मैं खुद को नहीं रोक पा रहा था.

वह एक रंडी की तरह मेरा लंड हिला रही थी और पेट पर हाथ फेर रही थी.
उसकी सांसें भी तेज हो गई थीं.

फिर मैं समझ गया, ये कामुक हो गई है.
मैं उसके पैर पर हाथ फेरते-फेरते उसकी जांघ तक पहुंच गया.

अब वह पसीने से लथपथ हो गई थी.
वह मेरा लंड मुँह में ले चुकी थी.

मैं तो सातवें आसमान पर था और पागल होकर बिलबिलाने लगा था.

मुझे रहा नहीं गया और मैं जोर से उठ गया.
मैंने कहा- क्या कर रही हो आंटी जी.
वह बोली- खुद मजे ले रहे हो, तुम्हें सब पता है. अब नाटक मत करो.

ये सुनते ही मैं खुश हो गया और उसे गिराकर उसके ऊपर गिर गया, उसके होंठ चूसने लगा और वह भी चूस रही थी.

भूखे कुत्ते कुतिया की तरह हम एक-दूसरे को चूम रहे थे और पागलों की तरह मजा ले रहे थे.

मैंने उसके ब्लाउज के बटन खोल कर ब्रा ऊपर कर दी और उसके मस्त रसभरे चूचे दबाने लगा.
वाह क्या बड़े-बड़े खरबूजे थे.

इतने बड़े दूध मैंने पहली बार देखे थे.
मैं तो समझो उसके चूचों पर टूट पड़ा था.

एक को हाथ से दबा रहा था, तो दूसरा मुँह से चूस रहा था.
‘आह हहहह उफ़्फ़ आह.’

क्या आवाज निकल रही थी. साली रंडी की तरह पड़ी-पड़ी मजे ले रही थी.
मैं चूचे दबा और चूस रहा था और वह मेरा लंड हिला रही थी और मेरी गांड पर हाथ फेर रही थी.

वह मुझसे बोली- अब रहा नहीं जाता … प्लीज जल्दी से मेरी चूत में अपना लंड डाल दो मेरे राजा.
मेरा लंड भी तड़प रहा था.

मैंने उसे सीधा लिटाया और पेटीकोट ऊपर किया.
उसकी चूत देखी तो मेरा दिमाग खराब हो गया.

उसकी चूत एकदम गोरी थी.
मैंने पूछा कि यह इतनी गोरी कैसे है.
तो वह बोली- मैं रोज क्रीम लगाती हूँ.

चूत को देखकर मेरा मुँह उसकी ओर खिंचा जा रहा था.

मैंने जीभ निकाली और कुत्ते की तरह टूट पड़ा.
मैंने उसकी चूत में जीभ डाल दी. पूरी चूत गीली थी.

मैंने रस चाटना शुरू कर दिया.
उसकी मादक आवाजें निकल रही थीं- आह … आह उफ्फ् … और चाट मेरे राजा और जोर से चाट.

ये सुनते ही मैं और जोश में चाटने लगा.
बहुत देर तक चाटने पर पूरी चूत लाल हो गई थी.

मैंने लाल चुत देखी तो और जोर-जोर से चाटना शुरू कर दिया.

अब उससे रहा नहीं जा रहा था और मुझसे भी.
मैंने लंड बाहर निकाला, उसके पैर फैलाए और लंड को चूत पर सैट कर दिया.

मैं धीरे-धीरे लंड अन्दर डालने लगा.
उसकी चूत बहुत टाइट थी.

मैंने लंड बाहर निकाला, थूक लगाया और एक जोरदार झटका मारा.

आधा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ अन्दर पहुंच गया.

वह फड़फड़ाने लगी, गाली देने लगी- बाहर निकाल मादरचोद … साले ने चुत फाड़ दी … आह मर गई रे!

उसके मुँह से गाली सुनकर मुझे और जोश आ गया.
मैंने झटके मारना शुरू कर दिया.
गपागप, गपागप आवाज आ रही थी.

उसकी दोनों टांगें मेरे कंधों पर थीं और मैं उसे जोर-जोर से पेल रहा था.

कुछ देर बाद उसे मजा आने लगा और उसकी आवाजें तेज होने लगी थीं ‘उफ्फ् … आह आह मर गई मैं … मेरे राजा … जोर-जोर से चोद.’

मैं घोड़े की रफ्तार से उसे पेल रहा था.
इतना जोर-जोर से पेला कि उसका पानी निकल गया और वह रोने लगी.

पर मैं नहीं रुका, उसे चोदता रहा.

मैंने लंड की रफ्तार और तेज कर दी, बहुत तेज.
वह गाली दे रही थी पर मुझे बहुत जोश आ गया था.
मैं रुकने वाला नहीं था, जोर-जोर से पेलता रहा.

मैंने उस पोर्न आंटी की टांगें पूरी ऊपर की ओर खींच ली थीं और उसे एक रंडी की तरह चोदा.
अब मेरा पानी आने वाला था.

मैंने पूछा- साली कुत्ती … जल्दी बोल बहन की लौड़ी रंडी … पानी कहां डालूँ बोल मादरचोद?
उस Xxx आंटी ने कहा- आह मेरे मालिक … मेरी चूत में ही डाल दो.

मैंने लंड की रफ्तार और तेज कर दी और बहुत चोदा.

फिर मैंने उसकी चूत अपने गर्म पानी से भर दी और उसी के ऊपर गिर गया.

मैं उसके चूचे चूसने लगा.
फिर मैं उठा और बैठ गया.

बातचीत में पता चला कि मेरे गांव से उसका घर सिर्फ 20 किलोमीटर दूर था.
उसने अपना नाम मुस्कान बताया लेकिन जाति नहीं बताई.

मैंने पूछा- उदयपुर में क्या करती हो?
उसने कहा- जॉब है.
मैंने कहा- ठीक है.

फिर मेरा मन शांत नहीं हुआ.
मैंने उसे उल्टा लिटाया और उसके ऊपर लेट गया. उसकी बड़ी-बड़ी गांड पर मेरा लंड उसकी दरार में फंसा दिया.
मैंने सोचा कि आंटी की गांड मार कर देखता हूँ.
हाय क्या सुकून था.

मेरा लंड फिर खड़ा हो गया.
मैंने पेटीकोट उठाया, पर उसने रोक दिया.
वह बोली- जब मैं उदयपुर जाऊंगी, तो आप भी उसी दिन निकल जाना. साथ में चलेंगे और आप मेरी गांड भी मार लेना.

मैंने ज्यादा जोर नहीं दिया.

दोस्तो, आगे बहुत ही मजेदार कहानी होने वाली है.

मैंने उसकी गांड भी मारी, अगर वह सेक्स कहानी जानना चाहते हो तो ईमेल करो.
मैं जल्दी ही लेकर आऊंगा. मिलते हैं अगली कहानी में.

तब तक नमस्ते. आपको ये Xxx आंटी पोर्न स्टोरी कैसी लगी

पहले भाभी की चोदा फिर उनकी बहन को

 

मेरे बहुत सारे दोस्त हैं. मेरे एक खास दोस्त हैं.
वे मेरे बड़े भाई जैसे हैं. उनका नाम रेहान भाई है.
वे उम्र में मुझसे बड़े हैं तो मैं उन्हें बड़े भाई के जैसा सम्मान देता हूँ.

रेहान भाई हुबली के रहने वाले हैं और वे शादीशुदा हैं.
उनकी पत्नी का नाम हुमा है.

यह Xxx हिंदी सेक्स विद भाभी कहानी इसी हुमा की और उसकी बहन की चूत चुदाई की है.

हुमा भाभी की उम्र सत्ताईस साल है और उनका फिगर 36-30-38 का है.
भाभी दिखने में बहुत खूबसूरत हैं.

रेहान भाई और मैं एक ही कंपनी में साथ काम करते हैं.
मैं हर रविवार को छुट्टी के दिन रेहान भाई के घर जाता हूँ और पूरा दिन वहीं बिताता हूँ.

छुट्टी के दिन रेहान भाई के घर बिरयानी बनती है.
हुमा भाभी मुझे ढेर सारी बिरयानी खिलाती हैं और इस तरह हम दोनों के बीच हंसी-मजाक चलता रहता है.

एक दिन कंपनी में मैनेजर के साथ किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया.
मैंने उस कंपनी से काम छोड़ दिया और एक दवा बनाने वाली कंपनी में नौकरी शुरू कर दी.

इस कारण मैं रेहान भाई के घर नहीं जा सका.

कुछ महीने बाद मैं फिर से रेहान भाई के घर गया.
मुझे देखकर रेहान भाई और हुमा भाभी, दोनों ही बहुत खुश हुए.

उस दिन घर में बिरयानी बनी थी.
हम तीनों ने मिलकर बिरयानी खाई.

खाने के बाद हम एक साथ बैठकर बातें करने लगे.

मैंने कहा- रेहान भाई, आपके काम पर जाने के बाद हुमा भाभी घर में अकेली रहती हैं. अगर आप भाभी को कहीं काम पर लगाएं, तो उनका भी समय अच्छा बीतेगा!
रेहान भाई बोले- इसे कहां काम पर लगाऊं? तुम तो जानते हो मेरी कंपनी का काम कैसा है. ये वह काम नहीं कर पाएगी. अगर तुम्हें कहीं अच्छी कंपनी में काम मिले, तो बता देना!

मैंने कहा- मेरी कंपनी में पैकिंग का काम है. कहो तो कल से भाभी को ले जाऊं!
मेरी बात सुनकर रेहान भाई ने हुमा भाभी को काम पर जाने की अनुमति दे दी.

मैंने हुमा भाभी को अपनी दवा कंपनी में काम दिलवा दिया.
इसके बाद मैं और हुमा भाभी एक साथ काम पर जाते और एक साथ घर लौटते.

इस तरह कई महीने बीत गए.

एक दिन काम के दौरान अचानक बिजली चली गई और कंपनी की छुट्टी हो गई.
मैं बाहर अपने जूते पहन रहा था.

हुमा भाभी ने पूछा- घर जाओगे?
मैंने कहा- घर जाकर क्या करूँगा? फिल्म देखने जाऊंगा.

हुमा भाभी हंस कर बोलीं- मैं भी तुम्हारे साथ फिल्म देखने चलूँगी!
मैंने ओके कह दिया.

अब हम दोनों एक साथ फिल्म देखने चले गए.

फिल्म देखकर लौटते समय हुमा भाभी ने देखा कि एक आदमी एक औरत को लेकर लॉज की ओर जा रहा था.

हुमा भाभी ने पूछा- रोहन, ये आदमी और औरत कहां जा रहे हैं?
मैंने कहा- ऊपर लॉज है. यहां लोग औरतों को लेकर मजे करते हैं.

हुमा भाभी मेरी बात समझ कर शर्मा गईं और तिरछी नजरों से मुझे देखने लगीं.

मैंने मजाक में कहा- क्या भाभी, आपका भी लॉज में जाने का इरादा है?
हुमा भाभी ने सिर हिलाते हुए कहा- नहीं नही … कहीं पुलिस पकड़ लेगी, तो मुसीबत हो जाएगी.

मैंने पूछा- तो फिर भाभी?
हुमा भाभी आंख मारती हुई बोलीं- कभी छुट्टी के दिन घर पर ही मजे करते हैं.

मैंने कहा- अगर रेहान भाई को पता चल गया तो?
हुमा भाभी ने जवाब दिया- उन्हें पता नहीं चलेगा.

फिर हम दोनों अपने-अपने घर चले गए.

हुमा भाभी अगले दिन काम पर नहीं गईं.

रेहान भाई के काम पर जाने के बाद भाभी ने मुझे फोन करके अपने घर बुलाया.
मैं भी झट से भाभी के घर पहुंच गया.

मेरे मन में हजारों लड्डू फूट रहे थे.
इतने दिनों बाद मेरी तमन्ना पूरी होने वाली थी.

आज मुझे हुमा भाभी की खूबसूरती को करीब से देखने का मौका मिलने वाला था.

हुमा भाभी ने मुझे घर में अन्दर लेने के बाद घर का मुख्य दरवाजा बंद कर दिया.

उन्होंने अपनी साड़ी उतारी और मेरे पास आकर बैठ गईं.

मैं हुमा भाभी के संगमरमर जैसे बदन को काले ब्लाउज और काले पेटीकोट में देख रहा था.

मैंने हुमा भाभी से कहा- इसे भी उतार दो!
हुमा भाभी ने जवाब दिया- क्यों तुम्हारे हाथ में चोट लगी है क्या … तुम ही उतार दो न!

मैंने धीरे धीरे हुमा भाभी का ब्लाउज़ उतारा, फिर उनकी ब्रा भी खोल दी.
हुमा भाभी की चूचियां ब्लाउज़ और ब्रा से आज़ाद हो गईं.

उनकी चूचियों के निप्पल मुझे बेसब्री से ताक रहे थे.
मैंने अपने दोनों हाथों से भाभी की चूचियों को पकड़ा और दम से मसलना शुरू कर दिया.

भाभी अपनी दोनों चूचियां मेरे हाथों में सौंपकर जोश भरी आंखों से मुझे देख रही थीं.

मैंने भाभी की चूचियों को पकड़ा और उनकी एक चूची के निप्पल को अपने मुँह में भर लिया.

भाभी की आह निकलने लगी और मैं उनके दूध चूसने लगा.

हुमा भाभी ने अपने दोनों हाथों से मेरा सिर अपनी चूचियों पर दबाना शुरू कर दिया.

मैंने भी भाभी की दोनों चूचियों के बीच अपना मुँह रखकर रगड़ना शुरू कर दिया.
हम दोनों ने पूरी मस्ती के साथ सेक्स का मजा लेना शुरू कर दिया था.

इसके बाद मैंने हुमा भाभी के पूरे बदन को चूमना शुरू कर दिया.
चूमते-चूमते मैं भाभी की नाभि तक पहुंच गया और नाभि को चाटने लगा.

अब मैंने धीरे से भाभी की पैंटी उतारी और उनकी दोनों जांघों पर हाथ रखकर उन्हें फैलाने लगा.
हुमा भाभी ने अपने दोनों पैर फैला दिए.

मैंने देखा कि भाभी की चूत ने पानी छोड़ दिया था.
मैंने पोजीशन बनाई और भाभी की चूत में अपना मुँह लगा कर चूसना शुरू कर दिया.

मेरी जीभ की गर्माहट से भाभी मस्त होने लगीं और मेरे सर को अपनी चुत पर दबा कर मीठी सिसकारियां भरने लगीं.

कुछ देर बाद हुमा भाभी ने अपनी गांड उठाकर मेरे मुँह पर रगड़ना शुरू कर दिया.
मैं भी जोश में था और किसी पागल कुत्ते की तरह भाभी की चूत को चाट रहा था.

तभी भाभी की चूत ने रोना शुरू कर दिया और मैं उनकी बुर का पानी पीता जा रहा था.

मेरा लंड आठ इंच लंबा और छह इंच मोटा था.
मैं नीचे लेट गया.

हुमा भाभी ने मेरे लंड को पकड़ कर हिलाना शुरू कर दिया.
मेरा मोटा और लंबा लंड देखकर वे खुश हो गई थीं.

भाभी ने मेरे लंड की चमड़ी को नीचे-ऊपर करके लंड का लाल, मोटा सुपारा अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगीं.

वे चमड़ी वाले लंड को बड़े प्यार से मुँह में लेकर चूस रही थीं और अपने हाथों से मेरे लंड की गोटियों को सहलाती जा रही थीं.

कुछ देर तक लंड चुसवाने के बाद मैंने हुमा भाभी को नीचे लिटाया और उनके दोनों पैर फैला दिए.

फिर अपने दोनों हाथों से भाभी की चूत को फैलाया.
हुमा भाभी की चूत का छेद एक इंच मोटे लंड के मतलब का था जबकि मेरे लंड का सुपारा ही किसी बड़े आंवले के जैसा था.

मैंने अपने लंड का सुपारा हुमा भाभी की चूत के छेद पर रख दिया और रगड़ने लगा.
सुपारे की गर्मी से हुमा भाभी की चूत ने फिर से रस छोड़ना शुरू कर दिया.

जल्दी ही मेरा लंड भाभी की चुत के पानी में भीगकर चिपचिपा हो गया.

मैंने हुमा भाभी के कंधे पकड़ कर ज़ोर से धक्का मारा.
मेरा लंबा और मोटा लंड हुमा भाभी की संकरी चूत के छेद को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया.

हुमा भाभी जोर से चिल्लाईं- आह मर गई!
मैंने वापस धक्का मारा और अबकी बार के झटके में मैंने अपना आठ इंच लंबा लंड हुमा भाभी की चूत में घुसेड़ दिया.
अब वे कराह रही थीं और लंड निकाल लेने के लिए कह रही थीं.

कुछ देर के दर्द के बाद सब कुछ सामान्य होने लगा.

मैं हुमा भाभी के कंधों को पकड़ कर धीरे धीरे उन्हें चोदने लगा.

काफी देर तक भाभी की चुत चोदने के बाद मेरे लंड ने भाभी की प्यासी चूत में वीर्य छोड़ना चालू कर दिया.

मैं झड़ कर भाभी के ऊपर ही सो गया.

कुछ देर बाद मेरा लंड भाभी की चूत के अन्दर ढीला पड़ गया और धीरे धीरे बाहर आने लगा.

हुमा भाभी चुदने के बाद हंसने लगीं.
मैंने पूछा- क्या हुआ?

हुमा भाभी ने जवाब दिया- चूत के अन्दर गुदगुदी हो रही है!
मेरे लंड की चमड़ी हुमा भाभी के ब/च्चेदानी के मुँह में फँस गई थी, जिससे उन्हें मज़ा आ रहा था.

उस दिन उन्हें दोबारा चोदने के बाद मैं अपने घर चला गया.

इस तरह से हुमा भाभी और मैं हफ्ते में एक या दो बार चुदाई करने लगे थे.

हुमा भाभी को मेरे लंड से चुदने में मज़ा आने लगा था.

मैं भाभी के घर आता और उन्हें चोद कर वापस चला जाता.

फिर एक बार मौलाना रेहान कुछ काम से हुबली चले गए थे.

हुमा भाभी पूरी तरह फ्री थीं.
उसी दौरान हुमा भाभी की बड़ी बहन शीना उनके घर आ गईं.

उन्हें अपने शौहर से सेक्स का सुख ही नहीं मिला था.
दरअसल जिस दिन उनका निकाह हुआ था, उसी दिन उनके शौहर की पोल खुल गयी थी. वह हिजड़ा था.
उनका तलाक हो गया था.

शीना दीदी को देखते ही हुमा भाभी ने मुझको घर आने से मना कर दिया.

उधर हुमा भाभी मेरे लंड के बिना बेचैन थीं और इधर मैं भी भाभी की चूत के बिना बेचैन था.

अगले दिन हुमा और शीना दोनों बहनें एक ही बिस्तर पर लेटी थीं.
हुमा भाभी ने अपनी बड़ी बहन शीना के सीने पर हाथ रखा.

शीना ने कुछ नहीं कहा तो हुमा भाभी ने धीरे-धीरे अपनी बड़ी बहन शीना की चूचियां दबाना शुरू कर दीं.
शीना दीदी फिर भी चुप रहीं.

हुमा भाभी ने तभी झटके से अपनी बड़ी बहन शीना की मैक्सी ऊपर उठाई और अन्दर हाथ डालकर उनकी चूचियां दबाना शुरू कर दीं.
शीना दीदी ने हुमा भाभी की ओर देखा और मुस्कुराती हुई बोलीं- ये क्या कर रही हो हुमा?

हुमा भाभी ने जवाब दिया- शीना दीदी, कुछ महीनों से हमने वह नहीं किया!
शीना दीदी ने पूछा- तो अब करने का इरादा है क्या?

हुमा भाभी मुस्कुराती हुई बोलीं- हां बड़ी प्यास लगी है!
शीना दीदी खुद भी चुदास से पीड़ित थीं तो उन्होंने कहा कि चल शुरू हो जा!

हुमा भाभी ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और शीना दीदी के भी कपड़े उतार दिए.
अब वे दोनों पूरी तरह नंगी हो गईं.

हुमा भाभी और शीना दीदी एक-दूसरे की चूचियां दबाने लगीं.

भाभी ने अपनी बहन की एक चूची को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया.

शीना दीदी ने भी हुमा भाभी की चूची को मुँह में भर लिया और चूसने लगीं.
फिर दोनों ने अपनी-अपनी पैंटी उतार दी.
हुमा भाभी ने शीना दीदी की चूत को चाटना शुरू कर दिया.

शीना दीदी की चूत से काफी दिनों बाद पानी निकलने लगा था और हुमा भाभी मस्ती से उस नमकीन पानी को चाटती जा रही थीं.

फिर शीना दीदी ने भी हुमा भाभी की चूत को चाटना शुरू कर दिया.
हुमा भाभी की चूत से पानी का फव्वारा निकलने लगा.

हुमा भाभी ने शीना दीदी को नीचे लिटा कर उनके पैर फैला दिए.

इसके बाद हुमा भाभी ने अपनी चूत को शीना दीदी की चूत पर रखकर रगड़ना शुरू कर दिया.

दोनों बारी-बारी से चुत से चुत रगड़ने लगीं और दोनों झड़ गईं.

इसके बाद दोनों एक-दूसरे को पकड़ कर नंगी ही लेट कर बातें करने लगीं.

हुमा भाभी बोली- शीना दीदी … ऐसा करने में बड़ा मज़ा आता है. अगर हमारे साथ कोई लड़का होता, तो और मज़ा आता!
शीना दीदी ने जवाब दिया- अब लड़का कहां से मिलेगा?

हुमा भाभी ने कहा- अगर तुम्हें चुदवाना है, तो मेरे पास एक लड़का है. घर में अभी हम दोनों के सिवा कोई नहीं है. उसे बुलाते हैं, खूब चुदाई करेंगे. उसका नाम रोहन है. मैं कई बार उससे चुद चुकी हूँ!

शीना दीदी ने उत्साह से कहा- ठीक है बुला ले … मेरी भी प्यासी चुत ठंडी हो जाएगी!

हुमा भाभी ने तत्काल मुझको फोन किया.
उनकी बात सुनकर मेरे मन में हज़ारों हजार लड्डू फूटने लगे.

मैं झट से हुमा भाभी के घर पहुंच गया.

मुझे आया देखकर हुमा भाभी और शीना दीदी दोनों खुश हो गईं.

मैं उनके बीच में बैठ गया.
मैंने हुमा भाभी और शीना दीदी को बारी-बारी से चूमा.

उसके बाद मैंने शीना दीदी की चूचियों को पकड़ कर मसलना शुरू किया.

जल्दी ही हुमा भाभी और शीना दीदी ने अपने अपने कपड़े उतार दिए और वे दोनों नंगी होकर मेरे पास बैठ गईं.

हुमा भाभी ने उत्साह से कहा- रोहन, आज तुम पहले शीना दीदी को चोदो. अभी तक उन्होंने लंड का मज़ा नहीं लिया. दीदी की कुंवारी चूत में लंड डालकर उसे फाड़ डालो!

मैंने शीना दीदी को नीचे लिटाया और उनकी चूचियों को पकड़ कर मसलने लगा.
मैंने दीदी की रसभरी चूचियों को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया.
कुछ देर तक मम्मों का मजा लेने के बाद मैंने शीना दीदी के पूरे बदन को चूमना शुरू कर दिया.

चूमते-चूमते मैं शीना दीदी की नाभि तक पहुंचा और उसे चाटने लगा.
मैंने शीना दीदी के पैर फैलाए और उनकी चूत को चाटना शुरू कर दिया.

शीना दीदी के पूरे बदन में आग-सी लग गई और उनकी चूत से पानी का फव्वारा निकल गया.
मैं दीदी की कुंवारी चूत को चाटता रहा.

तभी शीना दीदी ने उठ कर मुझको अपने नीचे लिटाया और मेरा आठ इंच लंबा व खूब मोटा लंड पकड़ लिया.

दीदी ने मेरे लंड की चमड़ी को ऊपर-नीचे करके सुपारे को चाटना शुरू किया.

कुछ देर लंड चुसवाने के बाद मैंने दीदी को फिर से नीचे लिटाया और उनके दोनों पैर फैला दिए.

फिर पोजीशन बना कर मैंने शीना दीदी की चूत को फैलाया और उनके छोटे से छेद में अपने लंबे और मोटे लंड का सुपारा रखा.
दीदी की चुत कसमसा उठी.

मैंने धीरे-धीरे करके दीदी की चुत में लंड को अन्दर घुसाना शुरू किया.
शीना दीदी को अच्छा लग रहा था तो उन्होंने जोश में आकर अपने पैर और फैला दिए ‘आह … पेल दे एक ही बार में पूरा लंड आह…!’
उनकी अति कामुक आवाजें निकलने लगीं.

मैंने भी एक जोरदार धक्का मारा.
शीना दीदी को समझ में आ गई कि लंड क्या चीज होती है.
उनके मुँह से दर्द भरी चीख निकल गई.

उनकी चीख को दबाने के लिए भाभी ने झट से अपना हाथ दीदी के मुँह पर रख दिया.
इधर मैं बेदर्दी से अपना पूरा लंड शीना दीदी की चूत में घुसेड़ता चला गया.

शीना दीदी की कुंवारी चूत फट गई और खू.न का फव्वारा निकल पड़ा.

मैंने शीना दीदी के कंधों को पकड़ा और धकापेल चोदना शुरू कर दिया.

कुछ ही देर के दर्द के बाद अब शीना दीदी को लंड का मज़ा आने लगा था.
वे भी अपनी गांड उठा उठा कर मेरा साथ देने लगी थीं.

मैंने दीदी को काफी देर तक चोदा उसके बाद मैंने अपना वीर्य दीदी की ब/च्चेदानी में ही छोड़ दिया और उनके ऊपर लेट गया.

कुछ देर बाद मेरा लंड छोटा होने लगा. शीना दीदी को लंड की चमड़ी से गुदगुदी होने लगी
मेरे लंड की चमड़ी दीदी की ब/च्चेदानी में फंस गई थी.

मैंने उस रात शीना दीदी को जन्नत की सैर करा दी थी.

अब मैंने हुमा भाभी को भी चोदा और घर चला गया.

इसके बाद तो मैं हर रोज़ हुमा भाभी और शीना दीदी को चोदने आ जाता और एक घंटा तक उन दोनों की चुत का भोसड़ा बनाने का काम पूरी तबीयत से करता.

इसके बाद मैंने भाभी की और दीदी की गांड भी मारी थी.
वह मैं अगली सेक्स कहानी में लिखूँगा.

दोस्त की बीवी और माँ की एक साथ चुदाई

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Thursday, 23 October 2025

प्रेम भरी वासना में लिपटा पति पत्नी का रिश्ता

 

एक नव विवाहित जोड़े की है. लड़का और लड़की दोनों बहुत खूबसूरत, आकर्षक व्यक्तित्व के हैं. टक्कर की जोडू है. दोनों रोमांटिक हैं तो दो बदन तो बार बार मिलेंगे ही.

सभी पाठको को मेरा यानि रमित का नमस्कार.
मेरी अब तक की सेक्स कहानियों को आपने बहुत प्यार दिया है, उसके लिए तहे दिल से आप सब का शुक्रिया.

मैं आप के लिए एक नयी सेक्स कहानी लेकर आया हूँ.
ये कहानी भी सच्ची घटना पर आधारित है पर यह मेरे जीवन का अनुभव नहीं है.

इस कहानी के एक पात्र मेरे साथ मेरी ईमेल पर जुड़े हैं, उन्होंने ही मुझे अपनी यह सेक्स कहानी लिखने की रिक्वेस्ट की, जिसे मैंने मान लिया.

ये परफेक्ट कपल सेक्स स्टोरी कामवासना और प्यासी मुहब्बत के बीच रिश्तों की है.

कई बार ज़िदगी में ऐसी परिस्थितियां आती हैं कि इंसान चाह कर भी कुछ नहीं कर पाता है.
वह अपना जीवन उन परिस्थितियों के हवाले कर देता है तो कई बार इसमें कुछ रिश्ते या दोस्ती के रिश्ते भी उलझ कर रह जाते हैं.

जितना उन्हें सुलझाने की कोशिश करो, उतना और उलझ जाते हैं.

दोस्तो, ये कहानी भी कुछ ऐसी ही है.
इसमें तीन दोस्तों की ज़िन्दगी उलझ सी गयी.
तीनों पात्र इस कहानी को बारी बारी से ब्यान करेंगे और आपको अपनी दास्तान बताएंगे.

मैं उम्मीद करूंगा कि आपको यह सेक्स कहानी जरूर पसंद आएगी.

आइये पहले आपसे मैं इन पात्रो की जान पहचान करवा देता हूँ.

इस कहानी के हीरो यानि रमित 30 साल का बेहद हैंडसम बंदा है.
रमित पेशे से एक सुलझा हुआ बिजनेसमैन है.
उसका व्यकितत्व ऐसा है कि जो भी उससे मिलता है, वह बस उसी का होकर रह जाता है.

रमित एक छह फ़ीट की हाइट वाला बंदा है.
उसका चौड़ा सीना, जिम में बनाई गयी बॉडी … और उस पर उसके ब्राउन कलर के घुंघराले बाल उसकी पर्सनालिटी में चार चाँद लगा देते हैं.
उसकी काली गहरी आंखें, जिन्हें वह ज्यादातर अपने गहरे काले रंग के चश्मे के पीछे छुपा कर रखता है.

रमित ने कप्म्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की और उसके बाद उसने कुछ साल अपने पिता के साथ कारोबार किया.
पर उसमें उसका मन नहीं लगा तो उसने कंप्यूटर फील्ड में ही एक नया स्टार्टअप शुरू किया.

वैसे तो उसकी फैमिली गुड़गांव में रहती है पर उसे अपने स्टार्टअप के लिए पुणे शिफ्ट होना पड़ा.
हां … रमित का फैशन सेंस लाजवाब है.

आइए अब मिलते कहानी की दूसरी पात्र से.
इनका नाम यामिनी है.
ये इस कहानी के हीरो रमित की हीरोइन यानि की बीवी हैं.

यामिनी और रमित की अभी हाल में ही शादी हुई है.
यामिनी 26 वर्षीया बेहद खूबसूरत लड़की है.
उसकी हाइट पांच फ़ीट छह इंच होगी और बदन ऐसा … जैसे किसी सांचे से ढाला गया हो.
एकदम परफेक्ट फिगर की मालकिन है यामिनी.

उसकी फिगर 34-28-36 की है. उसके बूब्स 34c साइज के एकदम तने हुए हैं.
मर्द तो उसी में खोकर रह जाते हैं.

उसकी नीली गहरी आंखें समुन्दर सी गहरी जो भी देखे तो उन्हीं में डूब जाए.
उसकी आंखें इतनी गहरी हैं, जैसे उनमें कई राज़ छिपे हों.

हल्के ब्राउन कलर के बाल, जो बेहद खूबसूरती से कंधों तक कटे थे … जिन्हें यामिनी अक्सर खुला ही रखती थी.
फैशन सेंस ऐसा कि बड़ी से बड़ी फिल्म एक्ट्रेस मात खा जाए.

हां … सबसे स्पेशल बात:
यामिनी निचले होंठ के किनारे के पास का तिल
जो किसी का भी निकाल ले दिल.

यह तिल उसे और भी खूबसूरत बनाता है.
रमित तो लट्टू है उसके इस तिल पर.

उसका ऊपर का होंठ थोड़ा मोटा और निचला थोड़ा उससे पतला बिल्कुल परफेक्ट शेप.
उसके होंठ उसे और भी सेक्सी बनाते हैं.

यामिनी जब वन पीस गाउन, जो घुटने से थोड़ा ऊपर से स्लिट हो … पहन कर … और पैरों में ऊंची एड़ी वाले सैंडिल पहन कर पार्टीज में जाती है तो किसी भी विश्वामित्र को अपना दीवाना बना सकती है.
पर यामिनी रमित से बहुत प्यार भी करती है.

यामिनी के 34 साइज़ के हिप्स ऐसे गज़ब के हैं कि जब वह चलती है तो मर्दों की पैंट के अन्दर तूफ़ान आ जाता है.
उसके हिप्स की शेप परफेक्ट दिखे और पैंटी लाइन न दिखे … तो समझो कि उसने अपनी फिट ड्रेस के नीचे या तो पैंटी नहीं पहनी है. .. या थोंग टाइप की पैंटी पहनी होगी.

इसी वजह से उसके हिप्स और भी सेक्सी दिखते हैं.

यामिनी खूबसूरत होने के साथ एक प्रैक्टिकल एंड फन लविंग लड़की है.

आइए अब आपसे इस कहानी की तीसरी एवं अहम पात्र से मिलवाते हैं.
इनका नाम है जाह्नवी नंदा.

जाह्नवी भी यामिनी की ही हम-उम्र और बेइंतहा खूबसूरती लिए हैं.
अगर वह यामिनी से इक्कीस नहीं, तो उन्नीस भी नहीं.

जहां यामिनी की लुक मॉडर्न है, वहीं जाह्नवी की खूबसूरती में एक कलात्मकता है, जैसे कोई हिंदी सीरियल्स में इन्द्रलोक की दिखाई जाने वाली मेनका या उर्वशी होती है.

जाह्नवी की बड़ी बड़ी काली आंखें किसी को भी अपनी तरफ आसक्त करने के लिए काफी है.

उसकी सुराहीदार लम्बी गर्दन, पतले से होंठ जैसे फूल की पंखुड़ियां हों.
उसके दाईं तरफ ऊपर के होंठ के तरफ एक तिल, जो उसकी खूबसूरती को बेहद बढ़ा देता है.
उसके 36 साइज के एकदम टाइट बूब्स किसी भी मर्द के अन्दर भूचाल ला देते हैं.
उसकी क्लीवेज को देख कर ही मर्दों की लार टपकने लग जाती है.

उसकी 30 साइज की कमर और 36 साइज के हिप्स बाकमाल हैं.
जब वह अपनी कमर को लहरा कर चलती है तो जैसे कोई बल ख़ाती नदी हिलोरें ले लेकर बह रही हो.

उसके हिलते हिप्स को देख कर तो सारे मर्द उसे पाने की ख्वाहिश करने लगते है.

यामिनी की तरह जाह्नवी की फैशन सेंस भी कमाल की है.

जहां यामिनी वेस्ट्रन ड्रेसेस पहनती है, वहीं जाह्नवी को साड़ी … खासकर की शिफॉन की साड़ियां पहनना बहुत भाता है.

जब वह गहरे गले और पीठ पर गहराई लिए हुए ब्लाउज पहनती है और उसके साथ नाभि के नीचे साड़ी बांध कर ऑफिस या पार्टीज में जाती है, तो देखने वाले मर्दों के मुँह तो खुले के खुले ही जाते हैं.

जाह्नवी ने फैशन डिजाइनिंग में ग्रेजुएशन किया है और एक मल्टीनेशनल कंपनी में चीफ डिज़ाइनर है.
उसे पैसे की कोई कमी नहीं है.

जाह्नवी भी शादीशुदा है.
उसके पति ईवान CA हैं और खुद की प्रैक्टिस करते हैं.
उसका भी काम अच्छा है, पैसे की कोई कमी नहीं है.

ये लोग भी पुणे में सैटल हैं और देश की राजधानी दिल्ली से हैं.

ये कहानी इन चारों के हनीमून से शुरू हुई थी.

यामिनी और रमित हनीमून के लिए गोवा गए थे.
एक फाइव स्टार रिसॉर्ट में उनका रूम पहले से ही बुक था.

अब आगे की कहानी आप यामिनी की ज़ुबानी सुनें.

हम लोग जैसे ही अपने रूम में पहुंचे तो मैं सीधा विंडो की तरफ गयी.
वहां से सागर की उठती लहरें बहुत ही खूब सूरत लग रही थीं.
लोग लहरों में अठखेलियां कर रहे थे.

‘रमित देखो कितना खूबसूरत नज़ारा है!’
रमित मेरे पीछे आकर खड़े हो गए और बोले- हां यार, इट्स वेरी ब्यूटीफुल!

रमित ने पीछे से मुझे अपनी बांहों में ले लिया और वह मुझे मेरी गर्दन पर चूमने लगा.
मैंने कहा- रमित देखो न, कितना खूबसूरत नज़ारा है!
वह बोला- हां वही तो देख रहा हूँ!

रमित के हाथ मेरे पेट पर फिसल रहे थे और फिसलते हुए मेरे बूब्स को छू रहे थे.
रमित के होंठ मेरी गर्दन पर अपना जादू बिखेर रहे थे.

मैं भी मदहोश हो रही थी.
मदहोशी में मेरी आंखें बंद हो रही थीं.

‘रमित बस करो … रुक जाओ नहीं तो मैं खुद को रोक नहीं पाऊंगी!’
रमित बोला- तो रुकना ही क्यों है!

‘शटअप रमित … तुम्हें पता है न कि नीचे पूल साइड पार्टी है. .. और हमें वहां जाना है!’

रमित मुझसे और सट गया और उसका औज़ार मुझे अपनी पिछली दरार में महसूस होने लगा.
रमित बोला- छोड़ो न यार पार्टी-वार्टी … हम यहीं पार्टी करते हैं.

मैंने अपने आप को रमित से छुड़ाया और बोली- जी नहीं, हमारे पास सारी रात है ये रोमांस करने के लिए … और मैंने कुछ स्पेशल भी सोच रखा है. .. सो प्लीज मेरे सरप्राइज को मत बिगाड़ो!
रमित बोला- ओके जान.

मैंने उसे ब्लू-सूट निकाल कर दिया.
वह बोला- सूट क्यों?

मैंने कहा- जनाब, ड्रेस कोड है. लड़कों के लिए ब्लू सूट और लड़कियों के लिए ब्लू साड़ी या ब्लू ड्रेस!

रमित को मुझे साड़ी में देखना बहुत अच्छा लगता है और ये उसकी फंतासी भी है कि वह मेरी साड़ी खोले और फिर मुझे बेतहशा चूम ले.

मैंने जैसे ही साड़ी निकाली तो माथे पर हाथ मारा.
‘रमित … मैं ब्लाउज तो भूल ही गयी! अब क्या करूं? सॉरी यार … मैंने आज यही तो प्लान किया था … सारा मज़ा खराब हो गया.’

रमित बोला- चलो कोई बात नहीं, तुम दूसरी कोई ड्रेस पहन लो.

मैंने अपने साथ लाया ब्लू गाउन निकाला और रमित से कहा- मैं होटल के ही पार्लर में रेडी होने जा रही हूँ. तुम्हें कॉल कर दूँगी, तुम वहीं आ जाना … वहां से साथ चलेंगे पार्टी में!

यह कह कर मैं पार्लर में चली गयी.
वहां जाकर मैंने पहले बॉडी मसाज ली, फेसियल करवाया.
बॉडी मसाज के बाद मेरा बदन और चमकने लगा.

फिर जब मैंने साथ लाया गाउन पहना, जिसकी बैक काफी डीप थी और पीठ का काफी हिस्सा दिख रहा था … तो मैं खुद को देख कर कामुक होने लगी.

मैंने इस गाउन के नीचे थोंग पैंटी पहनी ताकि पैंटी लाइन नज़र ही ना आए और मेरे नितंबों की शेप अच्छे से दिखे.

आगे से गाउन बायीं तरफ से जांघ से स्लिट था, उसमें से मेरी चमकती मुलायम टांग दिख रही थी.
ऊपर से ड्रेस का गला काफी डीप था, जिसमें से मेरी क्लीवेज साफ़ दिख रही थी. .. और मेरे दूध बहुत टाइट एंड तने हुए दिख रहे थे.
कुल मिला कर आज मैं, मर्दों को उनकी पैंट में ही गीला करने के लिए तैयार थी.

मैंने रमित को कॉल किया.
वह जब आया तो मेरे मुँह से सीटी बज गयी.

वह ब्लू सूट और रेड टाई में बहुत हैंडसम एंड सेक्सी लग रहा था.

मैंने उससे कहा- आज तो यार, सारी लड़कियां तुम पर ही मर ही जाएंगी … देख लो तुम पर कई घर तोड़ने का इल्जाम आएगा!

उसने स्माइल पास की, फिर मुझे ऊपर से नीचे देखते हुए बोला- वाओ यार, डैम सेक्सी एंड हॉट लग रही हो! आज पार्टी में सिर्फ तुम ही तुम नज़र आओगी.

मैंने उसकी बांह में अपनी बांह डाली और हम चलते हुए पार्टी में पहुंचे.

हमने जैसे ही पार्टी में एंट्री ली तो सारे मर्दों की नज़र मेरे 36 साइज के नितंबों पर या मेरे बूब्स पर थी.
कोई मेरी चिकनी टांग को देख कर आहें भर रहा था.

मैंने और रमित ने अपना टेबल लिया.
रमित ने वेटर को मेरे लिए वोदका विद लेमेनिओड और अपने लिए स्कॉच के लिए बोला.

आज मैं और रमित किसी और ही मस्ती में थे.
हम दोनों अपने ड्रिंक के साथ पार्टी एन्जॉय कर रहे थे.

पार्टी के अधिकतर मर्दों की निगाह मेरे ऊपर थी और लड़कियों की रमित पर.
मैंने देखा रमित कनखियों से कभी कभी अपने बायीं तरफ देख रहा था.

मैंने उसकी नज़र का पीछा किया तो देखा हमारे साइड टेबल पर एक कपल बैठा था.

लड़की बहुत सेक्सी थी.
उसने ब्लू रंग की साड़ी पहनी थी.
उसका ब्लाउज बहुत छोटा था.

उसके भारी भरकम बूब्स उसमें समा नहीं रहे थे.
उसके बड़े से नितम्ब भी बहुत सेक्सी थे.

उसका सपाट पेट और नाभि से नीचे बांधी साड़ी उसे बहुत ही हॉट एंड सेक्सी बना रही थी.
उसके हाथ में भी ड्रिंक था.

एक बार तो उसे देख कर मुझे जलन हुई लेकिन फिर मैंने उस ख्याल को झटका और रमित से डांस फ्लोर पर चलने को बोला.
पर रमित अभी शायद वह ड्रिंक एन्जॉय करना चाहता था और उस खूबसूरत बाला को भी.

मैंने सोचा कि ठीक है यार … रमित को भी एन्जॉय करने दो.

रमित ने कहा- मुझे एक और ड्रिंक चाहिए!
मैंने उससे कहा- ओके, मैं लेकर आती हूँ.

मैं बड़ी अदा से अपनी कुर्सी से उठी, अपने बड़े बड़े नितम्ब हिलाती हुई बार काउंटर की तरफ जाने लगी.

शायद किसी ने मेरे मटकते नितंबों के देख कर आह भर दी … और रमित ने भी उसे देख लिया.

जब मैं उसका ड्रिंक लेकर वापिस आयी तो रमित का मूड खराब हो चुका था.
वह बहुत गुस्से में था.

मैंने पूछा तो वह कुछ नहीं बोला.

बहुत पूछने के बाद बताया कि एक आदमी मुझे पीछे से बहुत गंदे तरीके से घूर रहा था.

मैंने रमित से कहा- चिल यार, ये सब चलता है … अपना मूड मत खराब करो … चलो डांस करते हैं.

मैं और रमित डांस फ्लोर पर आ गए.

रमित मेरे बहुत क्लोज हो कर डांस कर रहे थे.
रमित की गर्म सांसें मेरे कान को और मेरी गर्दन को छू रही थीं.

मैं धीरे धीरे गर्म हो रही थी और मदहोश हो रही थी.

मैंने देखा कि रमित की पैंट में भी हल्का सा उभार बाहर नज़र आ रहा था.

वह लड़की भी अपने पार्टनर के साथ डांस फ्लोर पर थी.
रमित बीच बीच में उसे चोरी से देख रहा था.

मैं अपना हाथ धीरे से नीचे लायी और पैंट के ऊपर से ही रमित के औज़ार को हल्का सा दबा दिया.
तो रमित की आह निकल गयी.

मैंने पूछा- जनाब का मूड बन रहा है क्या?
वह बोला- मेरा तो दिल कर रहा है कि तुझे अपनी बांहों में भर लूँ और यहीं पर प्यार करना शुरू कर दूं!

मैं समझ गयी.

रमित तो पहले से मुझे सेक्सी ड्रेस में देख कर पागल था, अब ऊपर से इस खूबसूरत सेक्सी एंड हॉट बाला को देख पूरी तरह से अनकंट्रोल हो रहा है.

मैं उसे अभी और तड़पाना चाहती थी.
मैं उसके और नज़दीक हो गयी, उसके दोनों हाथों को मैंने अपनी कमर पर रखा और अदा से थिरकने लगी.

मैंने देखा कि रमित के हाथ मेरे नितंबों यानि मेरे चूतड़ों पर फिसलने लगे थे.

रमित को बड़े बड़े चूतड़ और होंठ पर तिल बहुत उत्तेजित करता है.
ये दोनों खूबियां मेरे में हैं और किस्मत देखिए कि उस खूबसूरत लड़की के पास भी ये दोनों चीजें उपलब्ध थीं.

थोड़ी देर बाद हम दोनों बाहर पूल से दूर आ गए.

वहां से रात में समुन्दर की लहरें दिख रही थीं. लहरों में जब चाँद की रोशनी पड़ती, तो और भी खूबसूरत लगती.

रमित ने मेरे पीछे से अपनी बांहें मेरे इर्द-गिर्द लपेट दीं.
उसके हाथ मेरे पेट से फिसलते हुए मेरे बूब्स के नीचे टच कर रहे थे.

मैं भी पीछे होकर बिल्कुल रमित से सट कर खड़ी हो गयी.

अब रमित का औज़ार दुबारा आकार में आने लगा और मेरे चूतड़ों की दरार में धंस गया.

मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
मेरी आंखें बंद हो रही थीं.

तभी मैंने महसूस किया कि रमित ने मेरे बूब्स अपने हाथों में ले लिए हैं और हल्के से उन्हें प्रेस करने लगा है.
मैं और भी मदहोश हो गयी.

मैंने कहा- यार रमित, अब कंट्रोल नहीं हो रहा है.
रमित ने मुझे घुमाया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए.

अब रमित मेरा ऊपर वाला होंठ चूस रहा था और मैं रमित का निचला होंठ.

रमित के हाथ मेरी पीठ पर घूम रहे थे.
मैंने फिर से कहा- रमित कमरे में चलो न!

वह हम्म कह कर कमरे की तरफ घूम गया.
हम दोनों अपने कमरे में चल दिए.

दोस्तो, वह कहते हैं न कि अभी तो पार्टी शुरू हुई है, इसी तरह से अभी तो मेरी सेक्स कहानी का मजा आना शुरू हुआ है.

हम जैसे ही लिफ्ट में आए … लिफ्ट में हम दोनों के सिवा कोई न था.
मैं रमित से लिपट गयी और उसकी गर्दन पर किस करने लगी.

जैसे ही हम अपने फ्लोर पर पहुंचे, रमित ने मुझे अपनी गोदी में उठा लिया और मैंने भी अपनी बांहें उसकी गर्दन की इर्द-गिर्द लपेट दीं.

हम दोनों अपने रूम में पहुंच गए.

रमित ने मुझे नीचे उतारा तो मैं ड्रेसिंग के शीशे में अपने होंठ के ऊपर का तिल देखने लगी.

तभी रमित ने मुझे पीछे से आकर अपनी बांहों में जकड़ लिया.
मेरी आंखें फिर से बंद हो गईं.

रमित के होंठ मेरे कंधों को चूमते हुए मेरे कान की लौ को चूमने लगे.
मेरे मुँह से सी सी की आवाजें निकलने लगीं.

तभी रमित ने मेरे गाउन की बेल्ट खोल दी और वह मेरी मस्त मुलायम और चिकनी टांगों से फिसलता हुआ मेरे पैरों में जा पड़ा था.

मैं रमित के सामने लाल रंग की ब्रा और थोंग पैंटी में थी.
पैंटी मेरे चूतड़ों के दरार के बीच फँसी हुई थी और सिर्फ मेरी चुत के होंठों को छिपा भर रही थी.

मैंने आज यह ब्रा-पैंटी का सैट भी बहुत सोच कर चुना था क्योंकि आज मैं रमित को बहुत तड़पाना चाहती थी.
मैं चाहती थी रमित मुझे पाने के लिए तड़पे … और फिर इतना ज़ोरदार सेक्स करे कि मेरा अंग अंग टूटने लगे.

आज वैसा ही हो भी रहा था, जैसा मैंने सोचा था.

पर रमित के मन में शायद उसकी एक इच्छा अधूरी रह गयी थी.
वह था … मेरी साड़ी खोलना, पर उसने मुझे ये सब ज़ाहिर नहीं होने दिया.

उसके होंठ मेरी नंगी पीठ पर चल रहे थे.
वह मेरी पीठ के हर एक हिस्से को चूम रहा था और मैं उसके हर चुम्बन पर आह भर रही थी.
उसके हाथ मेरे बूब्स को ब्रा के ऊपर से ही मसल रहे थे.

उसने जब मेरी रीढ़ की हड्डी के बीचों-बीच चूमना शुरू किया तो मैं ऊपर से लेकर पांव तक सिहर गयी.

तभी मैं पलट गयी.
अब मेरे होंठ रमित के होंठों में थे.

मैंने उसकी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए.
मैं उसकी छाती पर हाथ फेरने लगी.

मैंने उसके तने हुए निप्पलों पर अपनी उंगलियां फिराईं तो अब आह करने की बारी रमित की थी.
मैंने उसके एक निप्पल पर चुम्बन लिया तो रमित के मुँह से ‘आह यामिनी उफ़’ निकला.

मैं मुस्करायी और उसके पेट को चूमते हुए उसके ट्रॉउज़र की बेल्ट खोल दी.
अगले ही पल उसका ट्रॉउज़र उसके पैरों में था.

अब मैं अपने घुटनों पर कालीन पर बैठ गयी.

रमित ने वी शेप का अंडरवियर पहना था, उसमें उसका हथियार पूरी तरह से बाहर आने को मचल रहा था.

मैंने उसके अंडरवियर के ऊपर से ही उस पर हाथ फिराया और उसे अपनी मुट्ठी में लेकर मसल दिया.
फिर मैंने उसे चूम लिया.

मैंने अपनी उंगलियां उसके अंडरवियर में फंसाईं और जैसे ही उसे नीचे खिसकाया तो उसके अंडरवियर में कैद उसका हथियार आज़ाद होकर मेरे सामने खड़ा था.
मैंने जैसे ही लंड देखा, मेरी आंखों में चमक आ गयी.

हालांकि पहली बार नहीं देख रही थी.

हां मैंने आज से पहले कभी उसे होंठों से नहीं छुआ था पर अब वह बिल्कुल मेरे होंठों के सामने था.

मैंने उसके अगले भाग को चूम लिया और हाथ से उसे आगे पीछे करने लगी, तो रमित की सिसकारियां तेज़ हो गईं.

मैंने उसके औज़ार को मुँह में ले लिया.
आज ये मैंने पहली बार किया था, तो मुझे थोड़ा अजीब लगा … पर आज मैं रमित को पूरा मज़ा देना चाहती.

मैं उसके लौड़े को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी.
रमित के मुँह से आह आह की आवाजें निकल रही थीं.

तभी रमित ने मुझे मेरे कंधों से पकड़ कर खड़ा कर लिया और मुझे चूमने लगा.

मैंने उससे कहा- रमित अब बर्दाश्त नहीं हो रहा.
तुम बेड पर चलो, मैं तुम्हारे लिए कुछ और लेकर आती हूँ.

रमित बेड के सिरहाने पर पीठ लगा कर बैठ गया.
तो मैं बड़ी अदा से अपने चूतड़ मटका मटका कर चलती हुई फ्रिज के पास गयी.

मेरी छोटी सी पैंटी मेरे चूतड़ों के दरार में फंसी हुई थी और आगे से बड़ी मुश्किल से मेरी चूत को ढक पा रही थी.
मेरे मटकते चूतड़ों को देख कर रमित और उत्तेजित हो गया.

मैंने फ्रिज में से शैम्पेन निकाली और खोल कर दो गिलासों में उड़ेल ली.

मैं मटकती हुई बिल्कुल जैसे कोई फ़िल्मी हीरोइन हो, बिस्तर के करीब आई और रमित को शैम्पेन का गिलास पकड़ा दिया.

चियर्स करके हम दोनों सिप करने लगे.

रमित बोला- यार, आज तुमने मुझे बहुत मज़ा दिया. तुम बहुत सेक्सी हो!

मैंने मुस्करा कर उसकी तरफ देखा और बोली- रमित, मैं अपना हनीमून यादगार बनाना चाहती हूँ और तुम्हारी सारी इच्छाएं पूरी करना चाहती हूँ!
रमित ने अपना गिलास खत्म करके मुझे अपनी बांहों में ले लिया और अपने नीचे लिटा कर वह मेरे ऊपर आ गया.

अब वह मुझे चूमने लगा.

उसने चूमते हुए ही मेरी ब्रा के हुक खोल दिए जिससे मेरे बूब्स उछल कर बाहर आ गए.

मेरे निप्पल थोड़े मोटे व हल्के गुलाबी रंग के हैं.
रमित ने उन्हें बार बारी से चूमा, फिर अपनी जीभ उन पर फिराने लगा.

मेरे मुँह से आह आह की आवाजें निकल रही थीं.
मेरा खुद पर से कंट्रोल हटता जा रहा था, मैं बेकाबू होने लगी थी.

रमित निप्पलों के इर्द-गिर्द अपनी जीभ चलाने लगा.
वह एक हाथ से दूसरे बूब को प्रेस करता और एक पर अपनी जीभ का जादू चलाता.

थोड़ी देर में उसने मेरे एक निप्पल को अपने होंठों में ले लिया और चूसने लगा.

रमित बहुत प्यार से मेरे चूचुक चूस रहा था.
मेरा बदन आग की तरह तपने लगा.

मैं उसका सर अपने बूब्स पर दबा रही थी.
मैं उससे बोली- रमित, प्लीज सक हार्ड!

उसने और ज़ोर से खींचते हुए मेरे चूचुक को चूसना शुरू कर दिया.
वह कभी मेरे पूरे दूध को मुँह में लेने की कोशिश करता तो कभी सिर्फ निप्पल को होंठों में भींच लेता.

मुझे इस सब में बहुत मज़ा मिल रहा था.

तभी रमित में बूब्स को चूमता हुआ नीचे की ओर सरकने लगा.
वह मेरे सपाट पेट पर चूमने लगा.

फिर उसने अपनी जीभ मेरी नाभि में डाली और उसकी नोक को अन्दर घुमाने लगा.
मुझे गुदगुदी भी हो रही थी और मज़ा भी आ रहा था.

तभी रमित मेरी कमर पर चूमने लगा. उसने नीचे सरकते हुए मेरी पैंटी के ऊपर से ही मेरी चूत पर चूम लिया.
मैं सिहर उठी.

मेरी पैंटी तो पहले ही चूतरस से गीली हो चुकी थी.
वह मेरी चूत के आस-पास चूमने लगा.
फिर जांघों को अन्दर की तरफ से चूमने लगा.

वह कभी हल्का हल्का काट भी देता था, जिससे मेरी गोरी जांघों पर उसके दांतों के निशान पड़ने लगे थे … जो मैंने बाद में देखे.

मैंने जो पैंटी पहनी थी, उसे मैंने साइड में डोरी से बांधी थी.
उसने मेरी पैंटी की डोर खींच दी और अपने दांतों से पकड़ कर पैंटी को नीचे खींचने लगा.

जैसे ही मेरी चूत अनावृत हुई, उसने पैंटी छोड़ दी और मेरी चूत को चूम लिया.

मैं थरथरा उठी.
फिर मैंने पैंटी अपनी टांगों से बाहर कर दी.

अब रमित कभी मेरी चूत को चूमता तो कभी उसके इर्द-गिर्द झांटों के एरिया (प्यूबिक, पेड़ू) में चुम्बनों की बरसात कर देता.
हालांकि झांटों का नामोनिशान नहीं था, पर इलाका तो झांटों का ही कहना पड़ेगा.

रमित ने नीचे आकर मेरे पैरों पर चूमा और मुझे पकड़ कर उलट दिया.
अब मैं पेट के बल थी.

रमित मेरी पिंडलियों पर चूमता हुआ ऊपर की ओर बढ़ रहा था.
मेरी जांघों के पिछले हिस्से को चूमता हुआ वह मेरे चूतड़ों पर चुम्बनों की बरसात करने लगा.

रमित को मेरे चूतड़ बहुत पसंद थे.
उसे बड़े चूतड़ों वाली औरतें या लड़कियां बहुत पसंद आती हैं.

मेरे चूतड़ उतने बड़े तो नहीं हैं पर फिर भी बाहर की तरफ उभरे हुए हैं और रमित को बहुत पसंद हैं.

वह मेरे चूतड़ को दांतों से काटने भी लगा.
फिर उसने मेरी पीठ पर चूमना शुरू किया और मेरी गर्दन तक आ गया.

वह मेरे ऊपर था तो उसका लंड मेरे चूतड़ों की दरार में घुस रहा था.
मुझे ये सब बहुत अच्छा लग रहा था.

एक बार रमित फिर से मेरे ऊपर से उतरा.
उसने मुझे सीधा किया और मेरे बूब्स अपने मुँह में ले लिए … लेकिन अब उसकी उंगलियां मेरी चूत के इर्द-गिर्द हरकत कर रही थीं.

तभी वह अपनी एक उंगली मेरी चूत की दरार के बीच में चलाने लगा.
इससे मेरी आग फिर से भड़क उठी.

मैंने कहा- रमित अब अपना डाल दो!
वह बोला- क्या?
मैंने कहा- अपना औज़ार!
वह बोला- नहीं, प्रॉपर वर्ड बोलो!

मैंने ना में सर हिलाया.
‘वह बुलवा कर तो मैं आज रहूंगा ही!’

मैं व्याकुल हो उठी और मन ही मन मुस्कुरा भी रही थी.

फिर वह मुझे चूमता हुआ नीचे आने लगा.

उसने मेरी चूत पर चूमा, फिर चूत की एक फांक को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा.

कसमसाहट से मेरी कामुक सिसकारियां निकलने लगीं.
मैं अपने सर को इधर उधर मारने लगी.

उसने फिर दूसरी फांक को ऐसे ही चूसा.
फिर वह अपनी जीभ को मेरी चूत की दरार में ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर चलाने लगा.
मेरी सिसकारियां और तेज़ हो गईं.

अब उसने मेरी चूत के दाने को अपने होंठों में दबा लिया और खींच का चूसने लगा.

हॉट फोरप्ले विद वाइफ से मैं हद से ज्यादा कामुक हो गई और लगने लगा कि शायद ऐसे ही बिना चुदाई के मैं झड़ जाऊंगी.

तभी उसने दाना छोड़ दिया और अपनी पूरी जीभ मेरी चूत के अन्दर डाल दी.
वह अपनी जीभ से मेरी चूत की चुदाई करने लगा.

मैं उत्तेजना में पागल हुई जा रही थी.
उसका सर अपने हाथों से चूत पर दबाने लगी.

मुझे लगा जैसे मेरे अन्दर से पानी का बांध टूट कर बाहर आने को है.

तभी रमित ने अपना मुँह हटा लिया.
मैंने व्याकुल होकर उसकी तरफ देखा, तो वह मुस्करा दिया.

मैंने कहा- मुझे बीच में क्यों छोड़ दिया … प्लीज करो न … या अपनी जीभ डालो या अपना वह!
वह बोला- वह क्या … बोल कर बताओ?

यह कह कर वह मेरे ऊपर आ गया.

उसका बेहद कड़क लंड मेरी जांघों को छू रहा था.
मैं अपने को ऊपर उठाने लगी ताकि उसका लंड मेरी चुत के अन्दर चला जाए.

पर रमित शायद आज मुझे पूरा तड़पाने के चक्कर में था.

मैंने कहा- रमित डालो न!
वह बोला- पहले बोलो कि क्या कहां डालना है? तब डालूँगा.

मैंने कहा- अपना डिक मेरी पुसी में डालो! अब ठीक है?
तो वह बोला- नहीं … जो मैं सुनना चाहता हूँ, वह बोलो!

मैंने बोल ही दिया- अपना लंड मेरी मेरी चूत में डाल दो यार!

इतना सुनते ही रमित ने अपना हाथ नीचे ले जाकर अपना लंड मेरी चूत में फंसाया और एक कड़क धक्का लगा दिया.

मेरी चूत पूरी गीली हुई थी तो लंड सरकता हुआ अन्दर चला गया और सीधा मेरी ब/च्चेदानी से जा टकराया.

मैंने ज़ोर के सिसकी भरी तो रमित धीरे धीरे अपना लंड मेरी चूत में अन्दर बाहर करने लगा.

मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
मैं भी नीचे से अपने चूतड़ उठा उठा कर उसकी ताल से ताल मिलाने लगी.

वह बोला- हम दोनों क्या कर रहे हैं यामिनी?
मैंने कहा- अब तुम बताओ … तुम्हारी बारी है.

वह बोला- डार्लिंग मैं तुम्हें चोद रहा हूँ, तुम्हारी चुदाई कर रहा हूँ.

उसकी स्पीड बढ़ने लगी … नीचे से मेरी भी.

थोड़ी देर बाद मैं थक गयी.
मैंने रमित से कहा- थोड़ा आराम से करो, मैं थक गयी … पर मेरी चूत अभी प्यासी है इसलिए धीरे धीर करो.

रमित ने मुझे अपनी बांहों में कसके भींच लिया और पलट गया.
अब मैं रमित के ऊपर थी.

उसका लंड अभी भी मेरी चूत में ही था.
मैं कुछ देर उसके ऊपर यूं ही लेटी रही.

उसके हाथ मेरे नितंबों अर्थात मेरे चूतड़ों पर चल रहे थे. वह उन्हें प्यार से सहला रहा था.

बीच बीच में वह उन्हें अपनी मुट्ठी में भर लेता.

रमित ने मेरे चूतड़ों को प्रेस करते हुए कहा- यामिनी, मुझे ये बहुत पसंद हैं, तुम्हारे ये बहुत सेक्सी हैं … इनका उठाव मुझे बहुत उत्तेजित करता है.
फिर उसने मेरे गाल के तिल को चूमा और बोला- आई लव दिस … काश ऐसा ही तिल तुम्हारे चूतड़ों पर होता तो मैं वहां पर भी बहुत प्यार करता!

मैंने कहा- अच्छा तुम्हें मेरे ये उठे हुए बाहर की तरफ निकले हुए चूतड़ बहुत पसंद हैं?
उसने कहा- हां!

तो मैंने कहा- फिर उस आदमी के घूरने पर नाराज़ क्यों हो रहे थे … शायद उसे भी उत्तेजित कर गए हों.
वह बोला- तुम मेरी बीवी हो, इन पर सिर्फ मेरा हक़ है.
मैंने कहा- हां बाबा, सिर्फ तुम्हारा हक़ है. .. वह बेचारा तो देख कर ही मज़े ले रहा था और उस वक़्त वह शायद मेरे चूतड़ों को सोच कर अपनी बीवी की चुदाई कर रहा हो!

रमित बोला- यह क्या बोल रही हो?

मैंने रमित को समझाया- यार, सेक्स में किसी और को इमेजिन करना गलत नहीं है. .. और न ही ये बेवफाई है. ये बस फन है. .. सेक्स को एन्जॉय करने का तरीका भर है. हर इंसान की सेक्स कल्पनाएं होती हैं और वह सब कुछ एक आदमी या औरत में तो नहीं होता. जब उसको वह चीज़ किसी दूसरी औरत में मिलती है, तो वह अपने ख्यालों में उसके साथ या अपनी पार्टनर में वह सब इमेजिन करके अपने अरमान पूरे करता है. इसमें क्या बुराई है!

यही सब बातें करते हुए मैंने रमित को उकसाया तो उसने नीचे से धक्के मारने शुरू कर दिए.

मैं भी रमित के ऊपर बैठ गयी और चुदाई करने लगी.

रमित के दोनों हाथ मेरे बूब्स को मसल रहे थे, वह उन्हें चूसने के लिए आतुर होने लगा.
मैं अपने बूब्स उसके मुँह के करीब लाती, फिर पीछे कर लेती.
इस से रमित की दूध चूसने की तड़प और बढ़ने लगी.

मैंने अपने हाथों से पलंग के सिराहने को पकड़ा और अपने बूब्स रमित के मुँह पर झुका दिए.
रमित दूध चूसने लगा. वह कभी दांया दूध मुँह में लेता तो कभी बायां.

मैंने धक्के मारने चालू रखे हुए थे.
नीचे मेरी चुत में रमित का लंड मज़ा दे रहा था और ऊपर से रमित मेरे दूध चूस कर मज़ा दे रहा था.

मेरी हालत खराब हो रही थी.

अब मैंने कहा- रमित, मेरा होने वाला है!
रमित बोला- होल्ड माय सेक्सी गर्ल … मुझे ऊपर आने दो.

मैंने लंड चुत में फंसाए हुए ही पलटी मारी और अपने मर्द के नीचे आ गयी.

रमित मेरी टांगों के बीच आया और वह फिर से मेरी चुत में अपना मोटा लंड पेल कर मुझे तेज रफ्तार से चोदने लगा.
मेरी सिसकारियां तेज़ हो रही थीं.

रमित का लंड इस वक़्त बहुत कड़ा हो गया था. उसके हर धक्के पर मेरी आह निकल रही थी.

तभी रमित की स्पीड बढ़ने लगी, वह भी बस छूटने के करीब ही था और मैं भी.
मेरे नाख़ून उसकी पीठ पर गड़ते जा रहे थे.

कुछ धक्कों के बाद रमित ने ज़ोर से धक्का लगाया और कसके मुझसे लिपट गया.
मैंने भी अपने चूतड़ ऊपर उठा कर उसे ज़ोर उसे अपनी बांहों कस लिया.

इस वक़्त हमारे बीच से हवा भी नहीं पास हो सकती थी.

रमित का गर्म लावा मेरी चूत के अन्दर गिर रहा था और मेरी चुत की आग को शांत कर रहा था.

जब रमित मेरी ऊपर गिरा था तो मैंने अपने दांत रमित के कंधे में गड़ा दिए थे.

थोड़ी देर बाद हम अलग हुए तो हम दोनों के बदन पसीने से तर-बतर थे, दोनों की सांस तेज़ चल रही थी.

जैसे ही सांस ठीक हुई तो मुझे अहसास हुआ कि मैं एकदम नंगी हूँ … तो यह सोचते ही मुझे शर्म आने लगी.

इतने में रमित ने मुझे अपने पास खींच लिया, मैं भी उससे चिपक गयी.

मैं रमित के बालों में अपनी उंगलियां चलाने लगी और उसके चेहरे पर चुंबन ले लिए.
तभी रमित ने मेरी चूचियों पर चुम्बन लिए.

मैंने उससे कहा- बदमाश … अभी दिल नहीं भरा क्या! आज तो तुमने इन्हें बहुत पिया है!

वह बोला- इनसे कभी दिल नहीं भर सकता. मैं इन्हें ता-उम्र पीना चाहता और पीता रहूंगा.
मैंने कहा- तुम बहुत बदमाश हो रमित!

यह कह कर मैंने अपने होंठ उसके होंठों से मिला दिए.

रमित के हाथ मेरे चूतड़ों को फिर से सहलाने लगे.

मैं बोली- उन्हह रमित … भूख लगी है!
उसने कहा- ओके कुछ मंगवा लेते हैं!

मैंने कहा- रमित, रात का एक बजे का समय हो रहा है. अब होटल का किचन बंद हो गया होगा.
वह बोला- जान ये फाइव स्टार होटल है और ये गोवा है. यहां सारी रात लोगों का आना जाना लगा रहता है.

फिर रमित ने रूम सर्विस पर कॉल करके एक शैम्पेन और स्नैक्स लाने को बोला.

फोन रख कर उसने मुझे फिर से अपने आगोश में ले लिया.

तभी मैंने कहा- हटो, मुझे वाशरूम जाना है.
तो वह बोला- ठीक है जाओ … पर ऐसे ही बिना कपड़ों के जाना पड़ेगा!

मैं मुस्करायी और बिस्तर से उठ कर खड़ी हो गयी.
रमित बहुत गौर से मेरी तरफ देख रहा था, मेरे तने हुए बूब्स उसको मस्त कर रहे थे.
मेरी बाहर को उभरी हुई गांड उसके लौड़े में जान फूंकने का काम कर रही थी.

उसे ऐसा देखता देख मैंने कहा- रमित, तुम बहुत बेशर्म हो गए हो!

मैं वाशरूम में घुस गयी और बाहर आयी तो देखा रमित सिर्फ अंडरवियर पहने लेटा था.

मैंने शीशे में से देखा, बाहर समुन्दर दिख रहा था.
उधर की रेत चांदनी रात में चमक रही थी.

मैंने रमित से कहा- रमित, चलो बालकनी में चलते हैं … बहुत सुन्दर नज़ारा है बाहर!
रमित ने कहा- ऐसे ही चलना पड़ेगा … बालकनी में!

मैंने कहा- ऐसे ही नंगी?
वह बोला- हां!

मैंने कहा- ये कुछ ज्यादा नहीं हो रहा है?
उसने अपनी एक सफ़ेद शर्ट मेरी तरफ उछाल दी.
वह बोला- ओके सिर्फ ये पहनो!

मैंने वह पहन ली.
ऊपर से तो मैंने शर्ट पहन ली थी, पर मैं नीचे बिल्कुल नंगी थी.

हम दोनों बालकनी में आ गए, मस्त ठंडी हवा चल रही थी.
चांदनी रात थी तो समुन्दर की लहरें भी अपने उफान पर थीं.

चाँद की रोशनी में रेत सोने जैसे चमक रही थी.
सच में बहुत ही रोमानी नज़ारा था.

इतने में डोर बेल बजी.
रमित सिर्फ फ्रेंची में था.

उसने मुझसे कहा- जाओ डार्लिंग जाकर आर्डर ले लो!
मैंने कहा- रमित तुम पागल हो क्या? मैंने नीचे कुछ नहीं पहना है!

वह बोला- अरे वह तुम्हारी शर्ट ऊपर उठा कर थोड़े ही देखेगा कि तुमने पैंटी पहनी है या नहीं … जाओ न!
मैं दरवाज़े की तरफ चल पड़ी.

मेरे दिल में अजीब सा रोमांच हो रहा था, ये सोच कर कि मैं नीचे से नंगी हूँ और किसी पराये मर्द के सामने जा रही हूँ.

मैंने दरवाज़ा खोला तो वेटर सर्विंग ट्राली लेकर अन्दर आने लगा.

मैंने कमरे की हालत को देखते हुए ट्राली उससे डोर पर से ही पकड़ ली और उसे जाने के लिए बोल दिया.

मैं शैम्पेन लेकर बालकनी में आ गयी.
रमित आराम कुर्सी पर लेटा हुआ था.

मैंने शैम्पेन दोनों के गिलासों में उड़ेली, एक रमित को पकड़ाया और एक खुद लेकर रमित की जांघों पर दोनों तरफ टांगें करके बैठ गयी.

हम दोनों अपनी ड्रिंक सिप करने लगे, साथ में स्नैक्स खाते हुए बातें करने लगे.

हम आज शाम की पार्टी की बातें करने लगे.
तो मैंने उस सुन्दर लड़की का ज़िक्र छेड़ दिया.

रमित अनजान बन रहा था, वह बोला- मैंने नहीं देखा!

मैं उसे बताने लगी- जिसने ब्लू कलर की साड़ी पहनी हुई थी और बहुत छोटे से ब्लाउज के साथ वह दिलकश लग रही थी. उसके चुस्त ब्लाउज को देख कर ऐसा लग रहा था, जैसे ब्लाउज के बटन तोड़ कर उसके बूब्स बाहर आ जाएंगे … और उसके नितम्ब यानि चूतड़ तो बहुत ही बड़े थे. लगभग 36 साइज के रहे होंगे … और उसके होंठ के ऊपर किनारे पर एक तिल भी था!

रमित बोला- अच्छा!

रमित मेरे सामने मान नहीं रहा था कि उसने उसको देखा है.
पर मुझे नीचे से अहसास हो रहा था कि जिस तरह से मैंने उसके बारे में बताया है, उसे सुन कर रमित का औज़ार अपना आकार लेने लगा था.

उसका लंड मेरी नंगी चूत में चुभना शुरू हो गया था.

सागर के उफनती लहरें और चांदनी रात और मेरे और रमित की जिस्मों की आग इस रात को और हसीन बना रही थी.

मैं रमित के ऊपर से नीचे उतरी और फर्श पर अपने घुटने टिका दिए.
रमित की फ्रैंची के उभरे हुए भाग पर झुक कर मैंने कई चुम्बन ले लिए.

फिर मैं रमित की कमर पर किस करती हुई उसकी फ्रेंची उतारने लगी.
जैसे ही उसकी फ्रेंची नीचे हुई, उसमें कैद उसका औज़ार उछल कर बाहर आ गया और सीधा मेरे होंठों से टकराया.

मैंने उसे चूमा और उसके बाद मैं रमित के प्यूबिक एरिया में चूमने लगी.
रमित के मुँह से सिसकारियां निकलने लगीं.

मैं उसके लंड को हाथ में पकड़ कर नीचे से ऊपर तक अपनी जीभ चलने लगी.
मैंने उसके लंड के मुंड को अपने मुँह में भर लिया और लॉलीपॉप के जैसे चूसने लगी.

मैं उसे पूरा मुँह में लेने की कोशिश कर रही थी.
अपना लंड चूसे जाने से रमित अब किसी और दुनिया में था.

उसके मुँह में से सिर्फ मेरा नाम ‘यामी आह …’ की आवाजें आ रही थीं.

मैं उसकी गोटियों को चूमने लगी. कभी मुँह में भर कर चूसने लगती.
मेरी चूत भी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी.

मैं फिर से रमित के ऊपर बैठ गयी और उसका लंड मेरी चूत में फटाक से चला गया.

मैं रमित के ऊपर झुकी तो रमित ने मेरी शर्ट के बटन खोल के मेरे बूब्स बाहर निकाल लिए.
वह मेरे दूध अपने हाथों से मसलने लगा.

मैं ऊपर नीचे होकर रमित के लंड की चुदाई कर रही थी.
तभी मैंने अपनी उंगलियां रमित के सीने पर ऐंठे हुए एक निप्पल पर फेरने लगी, अपने नाख़ून से उसे छेड़ने लगी.

रमित की आह निकल गयी.

मैंने आगे झुक कर पहले उसके निप्पल पर किस की और फिर जीभ फिराने लगी.

रमित मज़े में पागल हुआ जा रहा था.

मैं उसके दोनों निप्पलों पर बारी बारी से जीभ फिराती, कभी दांत से हल्का सा काट भी लेती.

रमित की कमर भी नीचे तेज़ी से चलने लगी.

थोड़ी देर बाद रमित काउच पर लेटा थकने लगा था.
उसने मुझे ऊपर से उठने को बोला.

मैं उठी तो रमित ने मुझे बालकनी की ग्रिल को पकड़ कर झुकने को बोला और पीछे से आकर अपना लंड मेरी चूत में एक झटके में उतार दिया.

रमित की स्पीड से मुझे चोदने लगा.
उसने दोनों हाथों से मेरी कमर को पकड़ रखा था और हर झटके में अपना लंड चूत में और गहरा उतारने की कोशिश कर रहा था.

मैंने कहा- रमित थोड़ा धीरे धीरे करो … और चुदाई को लम्बा चलने दो.

सामने सागर में लहरें अपने पूरे उफान पर थीं, इधर रमित और मेरी चुदाई भी पूरे उफान पर थी.

रमित धीरे धीरे अपना लंड मेरी चूत की गहराई में उतार देता ऐसा लग रहा था … जैसे वह हर धक्के के साथ और अन्दर … और अन्दर तक पहुंचने की कोशिश कर रहा था.

उधर समुन्दर में एक लहर पूरे उफान से ऊपर उठी, तो इधर रमित का लंड भी पूरा कड़क हो कर मेरी चूत में गहरा उतर गया.
उसने अपना लावा अन्दर उगल दिया.

मैंने भी ग्रिल को कसके पकड़ा और अपने चूतड़ पीछे की तरफ धकेल कर रमित के साथ चिपका दिए.

थोड़ी देर बाद रमित ने मुझे अपनी तरफ पलटा और हम दोनों एक दूसरे के होंठ चूसने लगे … चूसने तो क्या … खा रहे थे.

रमित ने मुझे अपनी गोद में उठाया और बेड पर लिटा दिया और हम दोनों एक दूसरे की बांहों में थे दोनों ऐसे ही गहरी नींद के आगोश में चले गए.

हॉट कपल होटल सेक्स करने के बाद सुबह नौ बजे हमारी आंख खुली मैं और रमित बिन कपड़ों के एक दूसरे की बांहों में सो रहे थे.

मैंने रमित के होंठों पर किस की तो रमित की नींद खुल गयी. उसने कसके मुझे अपनी बांहों में भींच लिया और किस करने लगा.

मैंने कहा- रमित हटो, मुझे वाशरूम जाना है!
पर वह मुझे चूमते हुए मेरे ऊपर आ गया, मुझे चूमने लगा.

फिर उसने धीरे धीरे सरकते हुए मेरे बूब्स अपने मुँह में लिए … थोड़े से चूसे और उसका लंड आकार में आने लगा था.

उसने फिर से अपना लंड मेरी चूत में सरका दिया.

मैंने कहा- अब ये क्या रमित … तुम सवेरे सवेरे ही शुरू हो गए यार … और देखो न तुम्हारा वह अभी पूरी तरह से टाइट भी नहीं हुआ है!

तो रमित बोला- मेरी जान, बस थोड़ा सा करने दो न … ऐसे धीरे धीरे करने में मज़ा आ रहा है!

उसने मुझे अपनी दोनों बांहों में जकड़ा हुआ था और उसके होंठ मेरे होंठों से मिले हुए थे.

वह धीरे धीरे मुझे चोद रहा था.
अब मुझे भी मज़ा आने लगा.
मैं भी उसका साथ दे रही थी.

हमारे बीच चुदाई कम, चूमा-चाटी ज्यादा हो रही थी.
मैंने भी अपनी बांहें उसकी गर्दन के इर्द-गिर्द लपेट रखी थीं.

वह बहुत हल्के हल्के स्ट्रोक लगा रहा था, हमारा मजा बढ़ने लगा था.

तभी रमित का फ़ोन बजने लगा.
मैंने हाथ बढ़ा कर फ़ोन उठा कर उसे पकड़ा दिया.

यह घर से रमित की मम्मी का फ़ोन था.

मैंने उससे कहा- अब तो छोड़ दो!
उसने मुझे चुप रहने का इशारा किया और फ़ोन पर बात करने लगा.
वह बात भी कर रहा था और अपना काम भी जारी रखे हुए था.

फिर माँ ने मेरे बारे पूछा तो उसने फ़ोन स्पीकर पर कर दिया.

मैंने प्रणाम किया और उनका हाल-चाल लिया.
पर इस सारी बात-चीत के दौरान रमित ने अपना लंड मेरी चूत में से नहीं निकाला.

माँ फ़ोन काटने वाली ही थीं कि पापा ने फ़ोन पकड़ लिया.
पापा की आवाज़ सुनते ही रमित डर गया और मेरे ऊपर से हट गया.

मैंने गहरी सांस ली और उठ कर भागती हुई बाथरूम में घुस गयी.
अन्दर जाते ही मैंने शॉवर खोल दिया और खुद को अच्छे से साफ़ करने लगी.

तभी रमित की आवाज आई. उसने कहा- दरवाज़ा खोलो … मुझे भी तुम्हारे साथ शॉवर लेना है!

मैं टॉवल लपेट कर बाहर आ गयी और मैंने कहा- जाओ फ्रेश होकर आओ, मैं जब तक कॉफ़ी मंगवाती हूँ.
वह मुझे घूरने लगा.

मैं उसकी बात समझती हुई हंसने लगी.
दरअसल उसका मन अभी भी मस्ती करने का था.

मैंने बाहर आकर वार्डरोब से शॉर्ट एंड टॉप निकाल कर पहन लिया और फोन उठा कर दो कॉफ़ी का आर्डर दे दिया.

रमित जब तक वाशरूम से फ्रेश हो कर आया, तब तक कॉफ़ी भी आ गयी थी.

हम दोनों कॉफ़ी लेकर बालकनी में आ गए.

सामने सागर की लहरों में लोग अठखेलियां कर रहे थे … मौसम भी रोमांटिक था.

तभी नीचे मेरी नज़र पूल पर गयी.
वहां लोग स्विमिंग एन्जॉय आकर रहे थे.
मैंने गौर से देखा तो लड़कियां भी थीं.
कुछ स्विम सूट में … तो कुछ टू पीस बिकनी में.

तभी मेरे दिमाग में खुराफात ने जन्म लिया कि क्यों न रमित को दूसरी औरतों या लड़कियों के चूतड़ दिखा कर गर्म किया जाए.

एक तो सुबह वह अपने मुकाम पर नहीं पहुंचा था, तो मैंने सोचा कि उसका मजा बढ़ जाएगा.
फिर यदि रात पार्टी वाली सुन्दर एंड सेक्सी बाला भी इसी पूल में नहाती मिल जाए तो उसके बाद तो रमित रात को मुझे आज रात से भी दोगुना ज्यादा मज़ा देगा.

यार मर्द कितना भी पत्नीव्रता हो, पर दूसरी औरत का शरीर देखते ही उसके लंड में करंट जरूर आ जाता है.

अगर लड़की रात वाली पार्टी वाली जैसी हो तो बस फिर वह न चाहते हुए भी बेवफाई कर बैठेगा.

मैंने रमित को पूल की तरफ देखने को कहा तो वह भी सुन्दर माल देखने में मस्त हो गया.

फिर मैंने उससे पूल में जाने का बोला, तो थोड़ी नानुकर के बाद वह तैयार हो गया.

हम दोनों ने अपने अपने स्विमिंग कॉस्टयूम लिए और नीचे पहुंच गए.
चेंजिंग रूम में चेंज कर के हम दोनों पूल के अन्दर आ गए.

हम दोनों स्विमिंग का मज़ा लेने लगे और एक दूसरे पर पानी उछाल कर मस्ती करने लगे थे.

काफी लोग वापिस जा चुके थे.
अब पूल में बस दो चार लोग ही थे.

तभी मेरी नज़र पूल में उस सुंदरी बाला के पति पर पड़ी.
मैंने सोचा कि इसका मतलब वह भी यहीं आस पास होनी चाहिए.

मेरी नजरें उसे तलाश करने लगीं.
तभी मेरी नज़र एक लड़की पर गयी, जो आराम कुर्सी पर पेट के बल लेटी थी.
उसके बड़े बड़े गोल चूतड़ थे.
उसने थोड़ा अपना चेहरा घुमाया तो मेरी खुशी का कोई ठिकाना न रहा … ये वही सुंदरी थी.
मेरे मन की मुराद पूरी हो गयी थी.

अब बस रमित का ध्यान उसकी तरफ दिलाना बाकी था.
मैं ये सोच कर बहुत खुश थी कि आज रात को रमित को उसके बारे में बोल बोल कर उसे बहुत गर्म कर दूँगी, फिर वह मेरी तसल्ली से मुझे प्यार करेगा.

ये सोचते ही मेरे शरीर में झुरझुरी सी उठी, मेरी चूत में जैसे चींटिया सी रेंगने लगीं.

मैंने अपने आप को कंट्रोल किया और पूल से बाहर आ गयी.

मैं सीधा उसके बगल वाली आराम कुर्सी पर आकर टॉवल से अपना शरीर पौंछने लगी

मैंने देखा कि उस लड़की ने पीले रंग की टू पीस बिकनी पहनी हुई थी.
उसके गोल गोल बड़े से चूतड़ बहुत सेक्सी लग रहे थे.

आंखों पर सनग्लासेस लगाए हुई वह बड़ी मस्ती से लेटी हुई थी.

मैंने ध्यान दिया कि उसके बाएं चूतड़ पर एक तिल था.
यह देख कर मैं मन ही मन मुस्करायी कि अब रमित को उकसाना और भी आसान होगा.

एक तो उसे बड़े चूतड़ पसंद हैं, उस पर ये काला तिल!

एक बार तो मुझे उससे जलन सी महसूस हुई.
फिर उससे जान पहचान बढ़ाने के लिए मैंने उससे हैलो बोला.

मैंने उससे अपना परिचय करवाया- हाय, मैं यामिनी!
वह भी मुस्करायी और हाथ बढ़ाती हुई बोली- मैं जाह्नवी.

हम दोनों में बातचीत शुरू हुई.

मैंने उसकी खूबसूरती की तारीफ करते हुए कहा जाह्नवी सच में तुम बहुत हॉट हो!
वह मुस्कुरा दी.

मैंने उसे आंख मारते हुए कहा- तुम्हारे हस्बैंड तो तुम्हें छोड़ते ही नहीं होंगे … सारा दिन बेडरूम में ही हुए रहते होंगे तुम्हें लेकर …

यह सुन कर वह ज़ोर से खिलखिलाई और बोली- यामिनी, ऐसी कोई बात नहीं, इनफैक्ट तुम मुझसे ज्यादा खूबसूरत हो … मुझसे ज्यादा सेक्सी एंड हॉट हो. देखो इस बैंगनी रंग की बिकनी में तुम बहुत सेक्सी लग रही हो … यहां पर सारे मर्दों की नजरें तुम पर हैं!

मैं भी हंसने लगी और मन में सोचने लगी कि जाह्नवी सबकी नजरें मुझ पर हैं, पर मेरे पति की नजरें तुम पर हैं. तुम ही यहां इकलौती ऐसी लड़की हो … जिस पर रमित की नजरें टिकी हैं. नहीं तो वह मेरे सिवाए किसी और की तरफ आंख उठा कर भी नहीं देखता.

जाह्नवी बोली- हेय … कहां खो गयी! रात पार्टी में भी मैंने देखा था … तुम उस ड्रेस में कितनी हॉट लग रही थीं. पार्टी के सब मर्द तुम्हें ललचायी नजरों से देख रहे थे … जब तुम और तुम्हारे हस्बैंड डांस कर रहे थे. तुम दोनों ऐसे लग रहे थे जैसे एक दूसरे के लिए ही बने हो.

अब मैं उसे क्या बोलती कि रमित को तुम्हारी साड़ी और ब्लाउज में इंट्रेस्ट आ रहा था.
पर मैं बस मुस्करा कर रह गयी.

हम आपस में काफी खुल चुकी थीं.
यहां तक कि हमने तो साथ घूमने जाने का प्लान भी बना लिया था.

यही मैं चाहती थी कि जाह्नवी सारा दिन हमारे साथ रहे और रमित उसे देख देख कर गर्म होता रहे.
फिर वह रात को जाह्नवी को सोच कर मुझे हचक कर चोदे और मेरा अंग अंग ढीला कर दे!

मैंने रमित को बुलाया.

जैसे ही रमित मेरे पास आया तो उसकी नज़र जाह्नवी पर पड़ी.

मैंने देखा कि वह जाह्नवी के शरीर का आंखों से ही नाप ले रहा था.
तब मैंने दोनों का परिचय करवाया.

मैंने देखा जाह्नवी भी रमित को चाहत भरी नजरों से देख रही थी.

मेरे लिए ये कोई ख़ास बात नहीं थी.
अक्सर रमित की पर्सनालिटी देख कर लड़कियां उसकी तरफ अट्रैक्ट हो जाती हैं … पर रमित किसी को नहीं भाव नहीं देता.

पर जाह्नवी के लिए वह कुछ बदला बदला नज़र आया.

मैंने देखा रमित चोर नजरों से जाह्नवी के चूतड़ देख रहा था और उस पर तिल … शायद उसको देखने के लिए मरा जा रहा था.

मैंने देखा कि जाह्नवी रमित के गठीले बदन को निहार रही थी.
उसकी नजरें उसके फ़्रेंची के अगले भाग पर फिर रही थीं.

तभी जाह्नवी का हस्बैंड ईवान भी आ गया.
हमारा आपसे में परिचय हुआ.

मैंने देखा उसके आते ही जाह्नवी ने अपनी कमर के गिर्द एक पारदर्शी सी चुन्नी बांध ली थी.

फिर हम सबने चेंजिंग रूम में चेंज किया और ब्रेकफास्ट के लिए बुफे में आ गए.

हम चारों ने साथ में ब्रेकफास्ट किया और घूमने का प्लान करने लगे.

अब तक हम सभी में अच्छी दोस्ती हो चुकी थी.

मैंने और जाह्नवी ने सलाह दी कि दो पहिया वाहन रेंट पर ले लेंगे … और गोवा घूमेंगे, रात को क्रूज पार्टी का आनन्द भी लेंगे.

सब कुछ तय करके हम चारों अपने अपने कमरे की ओर तैयार होने चल दिए.

कमरे में जा कर मैंने शॉवर लिया और पहनने के लिए सफ़ेद रंग की छोटी सी निक्कर निकाली.
मैंने सफ़ेद रंग की निक्कर के साथ ब्लू रंग का डीप नैक का टॉप पहना, जिसमें से मेरे बूब्स बाहर आने को बेकरार हो रहे थे.

रमित ने भी शॉर्ट और टी-शर्ट पहनी.
फिर हम हाथों में हाथ डाले नीचे रिसेप्शन पर आ कर जाह्नवी और उसके पति का इंतजार करने लगे.

जैसे जाह्नवी नीचे आयी, मैंने अपने होंठों को गोल करके सीटी बजायी और बोली- लगता है आज गोवा में बहुत से मर्द बेहोश आने वाले हैं!
वह बोली- वह क्यों?
मैंने कहा- मैडम, जब आप जैसी हॉट माल को देखेंगे तो बेहोश हो ही जाएंगे!

वह बोली- यार तुमसे ज्यादा हॉट तो नहीं लग रही!
मैंने कहा- ओके ओके … लगता है हम दोनों की हॉटनेस से गोवा का मौसम बहुत गर्म होने वाला है.

हम दोनों खिलखिला कर हंसने लगीं.

जाह्नवी ने आसमानी रंग की छोटी सी निक्कर पहनी हुई थी, जिसमें से उसकी मांसल जांघें बेहद सेक्सी लग रही थीं और पीछे से उसकी शॉर्ट बमुश्किल ही उसके चूतड़ ढांप पा रही थी.

उस पर झीना सा सफ़ेद रंग का ढीला सा टॉप, जिसका गला बेहद डीप था और जाह्नवी के बूब्स के ऊपरी भाग को दिखा रहा था.
इस टॉप के अन्दर उसने डार्क ब्लू रंग की ब्रा पहनी हुई थी जिसकी पट्टियों पर लाल रंग की किनारी थी. .. उसके पारदर्शी से टॉप में से साफ़ दिखाई दे रही थी.

जाह्नवी आगे चली गयी.

मैंने देखा कि रमित उसके मटकते हुए चूतड़ों को घूर रहा था.
उसकी आंखों में वासना के डोरे थे.
शायद उसमें जाह्नवी को पाने की ख्वाहिश जाग रही थी.

मैं उसे धकेलती हुई बाहर ले आयी.
फिर हमने दो बाइक्स लीं और घूमने के लिए निकल पड़े.

मैं और जाह्नवी बहुत मस्ती कर रही थीं.

मैंने एक बात देखी कि जाह्नवी का पति अक्सर फ़ोन पर बात करता हुआ थोड़ा दूर चला जाता था और जाह्नवी के पूछने पर बोलता कि ऑफिस से कॉल था.

मुझको यह देख कर यह समझ आया कि जाह्नवी और उसके पति के बीच ज्यादा अच्छी केमिस्ट्री नहीं है.
मतलब वैसी … जैसी मेरे और रमित के बीच थी.

कभी कभी जाह्नवी भी उसके साथ असहज सी लगती थी.
मेरे दिमाग में जो खिचड़ी पक रही थी, उसके लिए ये अच्छा ही था.

शाम को हम बीच पर सन सैट का मज़ा ले रहे थे, मैं, रमित और जाह्नवी समुन्दर की लहरों में अठखेलियां कर रहे थे.

जाह्नवी का पति बियर का मज़ा लेते हुए किनारे पर ही बैठा था.

मेरे और जाह्नवी के कपड़े भीग चुके थे.
हमारे टॉप गीले होकर बदन से चिपके हुए थे.

जाह्नवी का टॉप तो सफ़ेद रंग का था, तो गीला होते ही उसके बदन का हर कटाव दिख रहा था.
नीचे से उसकी ब्रा अब बिल्कुल साफ़ दिख रही थी.

पर जाह्नवी को जैसे कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था, वह मस्ती में मुझ पर और रमित पर पानी उछाल रही थी.

तभी रमित ने कहा- अभी बताता हूँ तुम्हें!
जाह्नवी यह सुनकर आगे को भागने लगी तो रमित ने उसे पीछे पकड़ लिया और खुद भी उसे पकड़ कर पानी में गिर गया.

वे दोनों हंसने लगे और मुझे भी खींच लिया.
रमित और जाह्नवी में अच्छी दोस्ती हो चुकी थी.

थोड़ी देर हम मस्ती करके बाहर आ गए.
तभी जाह्नवी ने मुझे एक बड़े से पत्थर के पीछे चलने का इशारा किया.

हम दोनों ने अपने हैंड बैग उठाए और वहां चल दीं.

उस बड़ी चट्टान के पीछे देखा तो वहां कोई नहीं था.

जाह्नवी बोली- यार, गीला टॉप पहन कर नहीं जाया जाएगा, अभी हम सन सैट का मज़ा लेंगे … पर इतनी देर तक गीले टॉप में नहीं रहा जाएगा. मैंने एक टॉप हैंडबैग में रख लिया था. तुम देखो कोई न आए … मैं झट से चेंज कर लेती हूँ!

मैंने हां कहा और मैं उसके आगे खड़ी हो गयी.
अब मैं ध्यान रखने लगी कि वहां कोई न आए.

इतने में जाह्नवी ने अपना टॉप उतार दिया और पीछे से ब्रा की हुक खोल दिया.

जैसे ही उसने हुक खोला, उसमें कैद उसके कबूतर उछल पड़े.
वाकयी में उसके बूब्स बहुत सुन्दर थे और उन पर किसमिश जैसे निप्पलों तो और ज्यादा कहर ढा रहे थे.

मर्द तो मर्द मेरा भी मन उसके दूध छूने के लिए मचलने लगा.

फिर मैंने खुद को कण्ट्रोल किया कि कहीं जाह्नवी मेरे बारे में कोई गलत विचार न बना ले.

उसने ब्रा के बिना ही ऊपर से दूसरा टॉप पहन लिया और बोली- तुम भी इधर आकर चेंज कर लो अगर तुम्हारे पास टॉप है! मैं वहां खड़ी हो जाती हूँ.

मेरे पास भी एक एक्स्ट्रा टॉप था, तो मैंने भी चेंज करने के लिए टॉप उतारा और दूसरा पहनने लगी.
तो जाह्नवी बोली- यार ये गीली ब्रा भी उतार दो, नहीं तो वहां खुजली होने लगेगी. एक तो गीली है ऊपर से हम समुन्दर के खारे पानी में नहा कर आए हैं. ऐसे ही बिना ब्रा के टॉप पहन लो. थोड़ी देर में तो हम लोग होटल पहुंच ही जाएंगे.

उसकी बात सुनकर मैंने भी अपनी ब्रा उतार दी और दूसरा टॉप पहन लिया.

हम दोनों ने अपने गीले टॉप हैंड बैग में ही डाल लिए और उस चट्टान के पीछे से बाहर आ गए.

रमित भी अपने कपड़े पहन चुका था.
इतने में सूरज छिपने लगा, उसकी लालिमा समुन्दर के पानी में फ़ैल रही थी.

उस वक़्त वह नज़ारा बहुत ही खूबसूरत लग रहा था.
दूर तक सागर की लहरों में सूरज का लाल रंग फैला था … ऐसे लग रहा था जैसे सूरज खुद समुन्दर में उतर गया है … और लहरों संग मस्ती कर रहा है.

जाह्नवी मेरे बगल में ही खड़ी थी, उसके बाल हवा में उड़ कर बार बार उसके चेहरे पर आ रहे थे.
वह एक हाथ से उन्हें पीछे करती हुई सच में बहुत खूबसूरत लग रही थी.

मैंने कहा- जाह्नवी देखो ये लहरें भी अपना किनारा तलाशती किनारे तक आती हैं और किनारे को छू भर के वापिस फिर सागर में लौट जाती हैं.

जाह्नवी बोली- हां, ये भी मेरी तरह किनारे तलाशने किनारे तक आती हैं और किनारे पर आकर भी जब इन्हें किनारा नहीं मिल पाता, तो ये वापिस लौट जाती हैं … मेरी तरह वहां इंतज़ार में नहीं रहती हैं!

मैंने देखा कि यह कहते वक्त जाह्नवी की आंखों में एक अजीब सी उदासी थी.

मैंने उससे इस उदासी की वजह जाननी चाही.
पर फिर सोचा कि अभी जाह्नवी मेरी वह वाली दोस्त नहीं बनी है, जो अपनी उदासी और अपनी गमी मुझे बता सके. इसलिए मैंने चुप रहना ही बेहतर समझा.

अब हम सब अपने होटल की तरफ वापिस चल दिए.
फिर से हमारे बीच हंसी मज़ाक शुरू हो गया.

मैंने देखा कि रमित चोरी से कभी कभी जाह्नवी की तरफ देख लेता.
उसकी नज़रें उसके कुर्ते में से उभर आए निप्पलों पर ठहर जातीं.

यह देख कर मैं अन्दर ही अन्दर मुस्करायी और आज की हसीं रात की कल्पना करने लगी.

अभी तो हमें क्रूज़ पार्टी में जाना था, हम अपने होटल पहुंच गए थे.

शाम 8.30 पर रिसेप्शन पर मिलने का बोल कर हम अपने अपने कमरों में चले गए.

रूम में आते ही मैं वाशरूम में भाग गयी और शॉवर खोल कर उसके नीचे खड़ी हो गयी.

इतने में रमित भी अन्दर आ गया.
अन्दर आते ही उसने अपनी शॉर्ट और टी-शर्ट उतार दी, फिर मेरा टॉप भी उतार दिया और मेरे बूब्स मसलने लगा.

मैंने मना किया- नहीं रमित, अभी नहीं … रात को पार्टी से आने के बाद!

वह मेरे निप्पलों को चूसना चाहता था.
मैंने उसे रोक दिया.

वह बोला- मेरे अन्दर आग लगी है यार … कैसे बुझाऊं!
मैंने कहा- तुम्हारी आग शांत कर देती हूँ … सब्र रखो!

मैं उसके कड़े हुए निप्पलों को अपने नाखूनों से छेड़ने लगी, इससे वह और सिसकारियां भरने लगा.

मैं जानती थी कि इस वक़्त रमित को डिस्चार्ज करना बहुत जरूरी है और वह जल्दी हो भी जाएगा.

मैं नीचे बैठी और उसकी फ्रेंची उतार दी.
उसका लंड उछल कर बाहर आ गया.

मैंने उसे अपने हाथ में पकड़ा और उसको आगे पीछे किया. फिर अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी.
कभी कभी अपनी जीभ उसके छेद पर फेर देती, तो रमित और ज़ोर से आह भरता.

मैं उसे पूरी तरह चूसने लगी.
आज मैं भी अपनी सारी शर्म लिहाज छोड़ना चाहती थी. .. इसलिए मैं एक पोर्न स्टार की तरह उसका लंड चूस रही थी.

तभी रमित की कराह निकली- ओह यामिनी, आह … बहुत मजा आ रहा है यार … अब मुझसे नहीं रुका जाता.
उसने अपना लंड मेरे मुँह से निकाला और अपने हाथ से आगे पीछे करने लगा.

इस वक़्त उसकी आंखें बंद थीं और वह बस आहें भर रहा था.
तभी उसके लंड से वीर्य का फव्वारा छूटा और वह लम्बी आह भरता हुआ दीवार के साथ पीठ टिका खड़ा हो गया.

मैंने धीरे से उसके लंड को पकड़ा और पानी से धो कर उसे साफ़ कर दिया.

फिर रमित से लिपट कर मैं उसे किस करने लगी.

हम दोनों फ्रेश होकर बाहर आ गए.
मैंने कॉफ़ी का आर्डर दिया.

कॉफ़ी पीकर हमने थोड़ा रिलैक्स किया … फिर क्रूज़ पार्टी के लिए रेडी होने लगे.

मैंने लाल रंग की घुटनों से थोड़ी नीची ड्रेस पहनी.
इस ड्रेस में मेरे शरीर का हर एक कटाव उभर कर दिख रहा था.

इससे आगे आप रमित की ज़ुबानी मजा लें.

दोस्तो, मैं रमित … अब आगे की सेक्स कहानी में मैं बताऊंगा कि कैसे मेरा हनीमून को यामिनी ने यादगार बना दिया था.

इस लाल रंग की घुटनों तक टाइट ड्रेस में यामिनी बहुत ज्यादा सेक्सी लग रही थी.
उसके बाद उसने डार्क रेड कलर की लिपस्टिक लगायी और हाई हील में तो वह मानो बिजलियां गिरा रही थी.

मैंने भी डार्क ब्लू रंग का सूट वाइट शर्ट के साथ पहना था.
यामिनी मेरे करीब आयी और बोली कि आज किस पर बिजलियां गिराने का इरादा है डार्लिंग!

मैंने कहा- मेरे ऊपर तो तुमने पहले ही बिजली गिरा दी है.
वह हंस दी.

फिर यामिनी मेरे साथ सेल्फी लेती हुई बोली- रमित, हम परफेक्ट कपल लग रहे हैं.

मैं उसकी गर्दन पर होंठ से चूमने लगा.
फिर हम दोनों एक दूसरे की बांहों में बांहें डाले नीचे आ गए और जाह्नवी के आने का वेट करने लगे.

वैसे तो मेरी बीवी यामिनी बहुत खूबसूरत और हॉट है पर पता नहीं जाह्नवी की आंखों में ऐसी क्या कशिश थी कि मैं उनमें कुछ देखने को मजबूर हो जाता था.

जब वह चलती थी तो बहुत मादक लगती थी.
उसके बदन में एक अजीब सी मादकता थी जो मुझे अपनी तरफ खींच रही थी.

वैसे मैं यामिनी को पाकर बहुत खुश था.
मुझे उसमें कोई कमी नहीं नज़र आती थी.
हम रोमांस भी जी भर कर करते थे.

जबसे यामिनी मेरी ज़िन्दगी में आयी थी, सच पूछो तो मुझे उसकी टक्कर की कोई लड़की लगी ही नहीं थी.

मैंने किसी की तरफ नज़र उठा कर नहीं देखा था.
पर जाह्नवी मुझे अपनी तरफ खींच रही थी.

उसे मिले हुए एक ही दिन हुआ था, पर ऐसे लगता था और जब वह आस पास होती है तो जैसे पूरे माहौल में मादकता छा गयी हो.

जाह्नवी के शरीर के किस अंग की तारीफ करूं … मुझे खुद भी समझ नहीं आता.

यामिनी की तरह उसके बदन का हर भाग परफेक्शन का उदहारण था.
वह अगर यामिनी से बढ़कर नहीं थी तो कहीं से कम भी नहीं थी.

यामिनी का साथ पाकर कोई भी मर्द फख्र महसूस करता और मुझे भी अपनी किस्मत पर रश्क होता था कि यामिनी सिर्फ मेरी है.
पर कल से जब से जाह्नवी को देखा है तो कुछ अलग सा खिंचाव महसूस कर रहा था.

मेरे दिमाग में ये ख्याल आया कि शायद हर पुरुष पराई औरत की तरफ आकर्षित होता है. शायद मैं भी उन्हीं में से एक हूँ!

फिर मैंने जाह्नवी के ख्याल को अपने दिमाग से झटका और यामिनी पर ध्यान लगाया.

यामिनी बहुत ही ज्यादा खूबसूरत और सेक्सी लग रही थी.
मैंने सोचा जब पार्टी से वापिस आएंगे तो मैं आज रात यामिनी को दिल भर कर प्यार करूंगा और इसे हसीं और यादगार रात बना दूंगा.

मैंने यामिनी की कमर में अपनी बांह डाली और उसे अपने और करीब खींच लिया.
यामिनी हल्की सी मुस्करायी.

मैंने यामिनी की गर्दन पर हल्की सी किस कर दी.
यामिनी थोड़ा शर्मा गयी और बोली- रमित, क्या कर रहे हो!

मैंने कहा- यामी, तुम इतनी खूबसूरत और हॉट लग रही हो कि मैं खुद को तुम्हारे करीब आने से खुद को रोक नहीं सकता!
यामिनी ने हल्की सी स्माइल पास की और बोली- रमित, सच पूछो तो तुम इतने हैंडसम और हॉट लग रहे हो कि मुझे डर लग रहा है कोई तुम्हें मुझे से छीन न ले.

मैंने यामिनी को कमर से अपने और करीब खींच लिया- यामी, मैं तुमसे दूर रह कर नहीं जी पाऊंगा इसलिए मुझे तुमसे कोई दूर नहीं कर सकता!

तभी जाह्नवी की आवाज़ आयी.
मैंने पलट कर उसकी तरफ देखा तो बस मेरा मुँह खुला ही रह गया.
जाह्नवी ने रेड कलर का गाउन पहना था.

उसकी फिटिंग इतनी परफेक्ट थी कि जैसे जाह्नवी के शरीर के ऊपर रख ही सिला गया हो.
जाह्नवी के बदन का हर उठाव और कटाव बहुत खूबसूरती से दिख रहा था.

घुटने के ऊपर से एक तरफ से गाउन में स्लिट दी हुई थी, उसमें से झांकती खूबसूरत टांग जाह्नवी को और खूबसूरत दिखा रही थी.

गले में ड्रेस से मैच करती मोतियों की माला बहुत उसकी खूबसूरती को चार चाँद लगा रही थी.
उसके कंधों तक के कर्ल किये हुए बाल उसका अंदाज़ बयां कर रहे थे.

कुल मिला कर जाह्नवी बेहद सुन्दर, सेक्सी और हॉट माल लग रही थी.

उसका पति फॉर्मल पैंट शर्ट में था.
उसका जाह्नवी के साथ कोई मैच नहीं लग रहा था.

हमें लेने के लिए कैब आ चुकी थी.
हम सब कैब से क्रूज़ पर पहुंचे.

हमारे आने के बाद जहाज चल दिया.
जल्द ही ये छोटा सा शिप गहरे समुन्दर में था.

मैं और यामिनी बेहद करीब होकर चल रहे थे.
मेरी एक बाजू यामिनी की कमर में थी.

वहीं मैंने नोटिस किया कि जाह्नवी और उसका पति इतने करीब नहीं थे.
दोनों थोड़ा फासला बना कर चल रहे थे.

पर शिप पर सबकी नज़र हम तीनों पर … यानि मुझ पर, यामिनी पर और जाह्नवी पर ही थी.

पार्टी में कई लोग यामिनी और जाह्नवी को बहुत ललचायी नजरों से देख रहे थे.

धीरे धीरे रात गहरा रही थी.
शिप भी समुन्दर की लहरों पर हिचकोले खा रहा था.

पार्टी में शराब और शवाब का दौर ज़ोरों पर था. हम चारों भी एक टेबल पर बैठे थे.
यामिनी और जाह्नवी ने भी वोदका का गिलास ले लिया था.

मैंने और जाह्नवी का पति ईवान हम दोनों ने स्कॉच ली.
हम अपना अपना ड्रिंक ले रहे थे.

यामिनी मेरे साथ बिल्कुल सट कर बैठी थी.

जाह्नवी और ईवान हमारे सामने थे, वे आपस में इतना सहज नहीं थे जितना मैं और यामिनी आपस में थे.

मेरी नज़र जाह्नवी के खूबसूरत अंगों पर किसी सांप के जैसे फिसल रही थी.

शायद यामिनी ने भी ये नोटिस कर लिया था, उसके होंठों पर रहस्यमयी मुस्कान बनी हुई थी.

जाह्नवी बहुंत शांत और गंभीर लग रही थी.
मैंने उसकी आंखों में देखा तो मुझे उसकी आंखें बहुत उदास नज़र आईं.

मैंने एक बात नोटिस की कि जाह्नवी अपने पति और यामिनी से नज़र बचा कर बीच बीच में मुझे देखती थी.

यामिनी अपने तीन ड्रिंक ले चुकी थी.
उसकी आंखों में अब खुमारी नज़र आ रही थी.

शराब ने उस पर अपना असर दिखाना शुरू कर दिया था.

तभी यामिनी उठी और मेरा हाथ पकड़ कर डांस फ्लोर पर ले आयी.
हम दोनों डांस करने लगे.

यामिनी डांस में उतनी अच्छी नहीं थी पर उसे पार्टीज में डांस करने का शौक था.
वह मुझसे चिपक कर डांस कर रही थी.

तभी अनाउंस हुआ कि नेक्स्ट सांग पर चेंजिंग पार्टनर्स डांस होगा … यानि की सभी डांस करते हुए एक दूसरे के पार्टनर चेंज करके डांस करेंगे.

यामिनी जाह्नवी और ईवान को भी डांस फ्लोर पर ले आयी.
ईवान ने कहा भी कि उसे डांस करना नहीं आता.
पर यामिनी ने उससे आग्रह किया कि कोई बात नहीं, जैसे दूसरे कर रहे वैसे ही आप भी करो.

तभी ऐतराज़ फिल्म का गाना बजने लगा.
‘तलातुम तलातुम … जब लहर लहर से टकराये, दरिया में जो तूफ़ान आए … तलातुम वह कहलाए. तलातुम तलातुम तलातुम तलातुम तलातुम.’

शिप के डेक पर सभी तरफ मस्ती माहौल था.
कुछ माहौल का असर और कुछ शराब के असर ने सब को झूमने पर मजबूर कर दिया.

तभी यामिनी ने मुझे इशारा किया कि मैं जाह्नवी के साथ डांस कर लूँ … क्योंकि उसका पति डांस फ्लोर से जा चुका था और वह किसी और के साथ डंसकर रही थी.
वह उस आदमी के साथ डांस करने में सहज नहीं लग रही थी.

मैं जाह्नवी के साथ डांस करने लगा.
अब वह सहज थी.

थोड़ी देर में वह मस्ती में झूमने लगी.
जाह्नवी सच में बहुत अच्छा डांस कर रही थी.

अब तक मुझे शराब के साथ जाह्नवी का न/शा भी चढ़ रहा था.

हम दोनों मस्ती में डांस करने लगे.

हमारा ध्यान तब टूटा जब सबने तालियां बजा कर हमें अप्रिशिएट किया.

यह देख कर जाह्नवी थोड़ी शर्मा गयी और यामिनी के पास जा कर खड़ी हो गयी.

मैंने सबको थैंक्स बोला और वापिस यामिनी के पास आ गया.

मैंने कहा- सॉरी यार यामिनी … पता ही नहीं लगा कब हम डांस इतना खो गए कि सब हमारी तरफ देख रहे थे.

यामिनी बोली- अरे सच में तुमने और जाह्नवी ने बहुत अच्छा डांस किया. तुम दोनों साथ में डांस करते हुए बहुत अच्छे लग रहे थे. काश … मुझे भी जाह्नवी जैसा डांस करना आता होता. जाह्नवी तुम मुझे डांस सिख़ाओगी प्लीज?
जाह्नवी बोली- यार तुम मज़ाक कर रही हो. तुम बहुत अच्छा डांस करती हो.

तभी यामिनी ने एक ड्रिंक उठा कर जाह्नवी की तरफ बढ़ाया और एक खुद ले लिया.
जाह्नवी ने मना किया तो यामिनी ने बोला- मेरी खातिर एक.

हम लोग ड्रिंक एन्जॉय करने लगे.
रात में समुन्दर बहुत शांत था, ये रात बहुत खूबसूरत लग रही थी.

तभी जूली फिल्म का गाना बजने लगा.
‘ये रातें नई, पुरानी … आते जाते कहती हैं कोई कहानी!’

माहौल में ये गाना बहुत सूट कर रहा था.
एक बार फिर से पार्टी का माहौल रोमानी और रोमांटिक हो गया था.

मैंने देखा जाह्नवी ड्रिंक हाथ में लिए झूम रही थी.
मैं और यामिनी भी एक दूसरे की बांहों में झूमने लगे.

यामिनी ने आंखें बंद करके अपना सर मेरे कंधे से टिका दिया था.

जब गाना खत्म हुआ तो यामिनी ने अपनी आंखें खोलीं और वह मेरी तरफ देख कर मुस्करायी.
फिर उसकी नजरें जाह्नवी को तलाशने लगीं.

हमने देखा जाह्नवी डेक पर खड़ी बाहर की तरफ समुन्दर को देख रही थी.

यामिनी ने उसे आवाज़ लगायी तो मैंने नोटिस किया कि जाह्नवी की आंखों में कुछ नमी थी और वह थोड़ी उदास भी.

तभी कोई आदमी वहां आया, उसने जाह्नवी के साथ बदतमीज़ी करनी चाही तो मैं और यामिनी वहां पहुंच गए.

मैंने उस आदमी को रोका तो वह बोला- भाई तुम्हारी किस्मत है. दो सबसे खूबसूरत औरतें तुम्हारी बगल में जो हैं.

यह सुन कर मुझे गुस्सा आ गया.
मैंने उसको उसके गले से पकड़ना चाहा तो उससे पहले ही मेरी बीवी ने उसके गाल पर थप्पड़ रसीद कर दिया.

वह बोली- दो औरतों को संभालने का दम होना चाहिए. तुम में तो अपनी बीवी संभालने का ही दम नहीं है … जा पहले उसे संभाल, कहीं उसे कोई और …

इससे आगे यामिनी ने लाइन अधूरी छोड़ दी और वह मुझे और जाह्नवी को पकड़ कर वहां से आ गयी.

मैंने कहा- अच्छा कल तो मेरे को बोल रही थीं कि क्यों गुस्सा करते हो … इग्नोर करो और आज खुद क्या किया?
वह बोली- सॉरी यार … उसने गलत बोला तो खुद को रोक नहीं पायी … सॉरी बाबा.
मैंने कहा- इट्स ओके मेरी जान.

हम दोनों हंसने लगे.

जाह्नवी बोली- यह सब मेरी वजह से हुआ!
मैंने कहा- जाह्नवी जी, आप अपने आप को दोष मत दें. कुछ लोगों की सोच छोटी ही होती है. आओ अब डिनर लेते हैं. क्रूज़ भी अब वापिस चल दिया है और रात भी बहुत हो गयी है. ईवान जी कहां हैं?

मैंने जब यह पूछा तो वह उदास भरी आवाज़ में बोली- होंगे यहीं कहीं … या तो फ़ोन पर होंगे या शराब पी रहे होंगे!
मैंने कहा- आप दिल छोटा मत कीजिए … मैं उन्हें डिनर के लिए लेकर आता हूँ.

तभी मैंने देखा कि ईवान जी डेक के एक कोने पर ड्रिंक कर रहे थे.
मैं उनके पास गया और उन्हें डिनर के लिए बोला तो उन्होंने मुझे अपने साथ एक ड्रिंक लेने को बोला.

उनके ज्यादा ज़ोर देने पर मैंने भी एक ड्रिंक ले लिया.

वह बोले- यार तुम बहुत लकी हो. तुम्हारे पास यामिनी जैसी बोल्ड एंड ब्यूटीफुल बीवी है.
मैंने कहा- आपकी बीवी भी बहुत सुन्दर और अच्छी है … आप भी बहुत लकी हैं.

ईवान जवाब में बस फीकी सी हंसी हंस दिया.

मुझे कुछ अजीब सा लगा, फिर मैंने सोचा कि ये उनका पर्सनल मैटर है.
मैं चुप ही रहा.

फिर हमने चारों ने डिनर किया.
इतने में शिप भी किनारे पर लग चुका था.
हम सभी वापिस होटल की तरफ चल दिए.

जाह्नवी का मूड भी अब ठीक हो चुका था.
वह और यामिनी फिर से एक दूसरे के साथ मस्त हो कर बातें कर रही थीं.

मैं भी उनकी बातों में शामिल हो गया.
ईवान ने शायद ड्रिंक ज्यादा कर ली थी इसलिए वह चुप ही था.

हम लोग होटल पहुंचे तो अपने अपने रूम में जाने लगे.
यामिनी ने जाह्नवी को छेड़ा- आज रात ज़रा संभल कर बेबी … तुम बहुत हॉट लग रही हो!

जाह्नवी ने धत्त बोला.
और यामिनी हंसने लगी.

जाह्नवी ने यामिनी को भी छेड़ा- तुम भी बचना ज़रा!
यामिनी बोली- ये मुझे नहीं, रमित को बोलो … उसे तो आज मैं खा ही जाऊंगी. वैसे भी आज बहुत हॉट लग रहा है.
दोनों हंसने लगीं.

फिर एक दूसरे को बाय बोल कर हम अपने रूम में जाने लगे.

मैं कुछ देर रिसेप्शन पर जाकर … उधर घूमने की और जगहों की जानकारी लेने में लग गया.

यामिनी कमरे में चली गई.
जब मैं रूम में पहुंचा तो यामिनी ने कपड़े चेंज कर के ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी फेस पर क्रीम लगा रही थी.

मैंने देखा कि यामिनी ने ऑफ वाइट कलर की बहुत ही सेक्सी नाइटी पहनी हुई थी.
उसके आगे की तरफ बटन थे.
नाइटी बहुत ही झीनी थी, जिसमें उसकी ब्रा एंड पैंटी साफ़ दिख रही थी.

उसने गहरे नीले रंग की ब्रा पहनी थी, जिसकी स्ट्रैप्स पर लाल रंग का बॉर्डर था. पिछली स्ट्रैप्स पर भी किनारी गहरे लाल रंग की थी.

उसने मैचिंग की पैंटी पहनी थी.
पैंटी भी गहरे नीले रंग की, जिसकी किनारी लाल रंग की थीं.

यह पैंटी उसके नितंबों से चिपकी हुई थी.
उसके पीछे उठे हुए चूतड़ मुझे अपनी और आमंत्रित कर रहे थे.

मैंने यामिनी को पीछे से जाकर अपनी बांहों में ले लिया.
मेरे हाथ उसके पेट पर थे और पीछे से मैं उससे चिपका हुआ था.

मेरे हाथ उसके पेट पर घूम रहे थे, मैंने उसकी गर्दन पर चूमना शुरू किया.
चूमते हुए मैंने उसके कान की लौ को चूमा, तो यामिनी के मुँह से गर्म सिसकी निकल गयी.

मैंने उसकी कान की लौ को अपने होंठों में दबा लिया और चूसने लगा.
वह आह आह करने लगी.

मेरे हाथ उसकी नाइटी के बटनों में उलझ गए.
मैंने उसके बूब्स को ऊपर दबा दिया, फिर हाथों से सहलाने लगा.

यामिनी बोली- उफ़ रमित … यू आर सो गुड इन रोमांस … रियली आई लव योर टच.

मैं उसकी नाइटी के बटन खोलने लगा.

मैंने उसकी नाइटी को उसके कंधों से नीचे सरका दिया.
इससे थोड़ी ही देर में उसकी नाइटी सरकती हुई उसके पैरों में पड़ी थी.

अब यामिनी मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी. इस टाइम वह पूरी काम देवी लग रही थी.

उसके टाइट बूब्स, सपाट पेट और गोल चिकनी जांघें, बाहर की तरफ उठे हुए चूतड़ … आह कसम से इस वक़्त उसके सामने बॉलीवुड एक्ट्रेस भी फेल थी.

वह मेरी टी-शर्ट उतारने लगी.
मैंने अपनी टी-शर्ट उतार कर फेंक दी.
मेरा शरीर ऊपर से नंगा था.

मुझे देख कर यामिनी ने आह भरी, फिर मेरी छाती पर हाथ फिराती हुई बोली- रामी, तुम बहुत हॉट हो … तुम्हारे ये एब्स मुझे बहुत एक्साइट करते हैं … तुम्हें अगर कोई भी औरत टॉपलेस देख ले, तो तुम्हारी तरफ आकर्षित हुए बिना नहीं रह पायेगी!

मैंने कहा- तुम कुछ भी बोलती हो!
वह बोली- नहीं, मैं सच बोल रही हूँ. इसका एक ट्रेलर मैं देख चुकी हूँ.

मैंने कहा- कब?
वह बोली- आज जब हम समुन्दर की लहरों में मस्ती कर रहे थी. तुमने जब अपनी शर्ट उतार दी थी, तब मैंने देखा था कि जाह्नवी तुम्हें एकटक देख रही थी!

मैंने कहा- शटअप यार … तुम न कुछ भी बोलती हो!
वह हंसने लगी.

मैंने उसे अपनी बांहों में ले लिया.
मेरे हाथ उसकी पीठ से फिसलते हुए उसके पैंटी में कैसे हुए चूतड़ों पर चलने लगे.

मेरी हॉट सेक्स वाइफ के लिए उतावली थी, यामिनी की उंगलियां मेरे निप्पलों को छेड़ने में व्यस्त थीं.
वह कभी उंगलियों से मेरी घुंडी को उमेठ देती तो कभी उसे जीभ से कुरेद देती.

फिर उसने अपने होंठ मेरे निपल्स पर लगा दिए. अब वह कभी जीभ से दाने को छेड़ती, कभी दांत मार देती.

उस वक्त मेरे मुँह से सिर्फ आह निकल रही थी. मेरी आंखें बंद थीं.

थोड़ी देर बाद हम दोनों अलग हुए तो यामिनी बोली- चलो मैं फ्रेश हो कर आती हूँ, तब तक तुम कॉफ़ी के लिए बोल दो.
यामिनी वाशरूम मैं घुस गयी.

मैंने कॉफ़ी का आर्डर दिया.
फिर नीचे पड़े मेरे और यामिनी के कपड़े उठा कर सोफे पर रखे.

यामिनी की ब्रा पैंटी उठाते हुए मुझे बरबस ही जाह्नवी की याद आ गयी.

मैंने जाह्नवी के ख्याल को झटका और वाशरूम में मैं यामिनी के साथ ही घुस गया.

हम दोनों शॉवर के नीचे एकदम न्यूड थे और एक दूसरे के शरीर को मल मल कर साफ़ कर रहे थे.

यामिनी मुझसे पहले नहा कर टॉवल लपेट कर बाहर निकल गयी.
जब मैं वाशरूम से बाहर आया तो यामिनी ने एक ऑफ वाइट कलर की फ्रॉक पहन हुई थी और अपने गीले बालों को ड्रायर से सुखा रही थी.

मैंने भी चेंज किया और डोर बेल बजने पर वेटर से कॉफ़ी पकड़ी.

मैं जैसे ही बेड पर बैठा तो यामिनी भी मेरी छाती से अपनी पीठ टिका कर बैठ गयी.
हमने कॉफ़ी पी.

यामिनी बीच पर चलने के लिए बोली.
तो मैंने कहा कि रूम में ही रहते हैं न … मैं तुम्हें अच्छी वाली मसाज दूंगा.

वह बोली- ठीक है, मैं जाह्नवी को मना कर देती हूँ. हम दोनों ने स्पेशल नयी बिकनी खरीदी थी आज के लिए … उसका क्या फायदा!

मुझे भी जाह्नवी का नाम सुन कर थोड़ा सा करंट लगा और दिल में उसको बिकनी में देखने की इच्छा होने लगी.

मैंने कहा- ठीक है चलते हैं!

तभी यामिनी उठ कर दो पैकेट निकाल कर लायी.
वह मुझे दिखाती हुई बोली- तुम बताओ इन में कौन सी बिकनी पहनूँ?
मैंने उसे पिंक कलर की बिकनी दी.

उसकी ब्रा की स्ट्रैप्स नहीं थी, बस पीछे की तरफ हुक लगते थे मतलब स्ट्रैप्स-लैस थी.
उसकी जो पैंटी थी, वह दोनों तरफ से बांधनी पड़ती थी.

यामिनी मेरी गोद में आकर बैठ गयी और बोली- तुम अपने हाथों से पहनाओ!

मैं बोला- यहीं से पहन कर ऐसे ही जाओगी क्या?
तो वह बोली- तुम्हें कोई दिक्कत है क्या इससे?

मैंने थूक गले में निगलते हुए बोला- अरे यार, होटल में बहुत से लोग हैं!
तो यामिनी हंसने लगी और बोली- ऊपर से ये फ्रॉक पहन कर जाऊंगी.

फिर मैंने उसकी फ्रॉक उतारी तो उसने नीचे ब्रा नहीं पहनी हुई थी.

मैंने उसके बूब्स को दोनों हाथों से पकड़ लिया.

यामिनी बोली- रमित, अब बदमाशी नहीं!
मैंने कहा- थोड़ा सा चूम तो लेने दो!
वह बोली- हद है यार … तुम्हारा मन ही नहीं भरता. रात में भी चाहिए … सुबह से भी चाहिए!

मैंने उसके लाख मन करने पर भी उसके दोनों मम्मों पर किस कर ही लिया.
फिर उसे ब्रा और पैंटी पहनाई.

यामिनी ने ऊपर से वही फ्रॉक पहन ली.

मुझे भी उसने काले रंग की फ्रेंची दी जिस पर फूल बने हुए थे.

मैंने कहा- ये क्या?
वह बोली- ये तुम्हारे लिए लायी हूँ, पहनो.

मैंने कहा- तुम्हें मैंने पहनाई थी तो …
वह हंस कर बोली- पूरे बदमाश हो तुम!

मैंने कहा- तुमने खुद के लिए बोला तो शरीफ … मैंने कहा तो मैं बदमाश!

इतने में यामिनी मुझे धक्का दे कर बेड पर गिरा दिया.
फिर उसने मेरी शॉर्ट को नीचे किया और अपना लाया हुआ अंडरवियर पहनाया.
उसके ऊपर से शॉर्ट पहना दिया और तैयार होकर हम दोनों नीचे आ गए.

नीचे बुफे में हल्का सा ब्रेकफास्ट लिया और बीच पर आ गए.
हम दोनों ने अपने अपने काउच पर लेट गए.

फिर यामिनी ने अपनी फ्रॉक उतार दी और पेट के बल लेट गयी.
मेरी नज़र उसके उठे हुए चूतड़ों पर थी.

वह मुस्कराती हुई बोली- क्या देख रहे हो … ये तो तुम्हारे ही है … इन्हें तो तुम कभी भी देख सकते हो … अभी और लड़कियों के देख लो!
यह कह कर वह हंसने लगी.

मैंने कहा- तू नहीं सुधरेगी!
वह बोली- सुधर गयी तो यामिनी खन्ना कैसे कहलाऊंगी.
मैं हँसने लगा.

वह बोली- ओह सॉरी सॉरी … तुम्हें तो जाह्नवी के देखने हैं न … पता नहीं साली कहां रह गयी.
मैं बस हल्का सा मुस्करा दिया.

मैंने भी शॉर्ट और टी-शर्ट उतार दी और सन बाथ लेने लगा.

तभी जाह्नवी भी आ गयी.
उसने हम दोनों से हैलो बोला.

जाह्नवी ने काले रंग की फ्रॉक पहनी हुई थी.
वह यामिनी की साइड वाले काउच पर लेट गयी.

मैंने वेटर से तीन चिल्ड बियर लाने को बोला.

बियर आयी तो मैं और यामिनी ने अपनी अपनी बियर पीने लगे.

जाह्नवी थोड़ा न नुकर करने लगी.
फिर यामिनी के ज़ोर देने पर उसने भी बियर ले ली.

हम तीनों ने जब एक एक बियर खत्म की.

अब यामिनी ने जाह्नवी से कहा- तुम शर्मा क्यों रही हो?
वह बोली- नहीं तो!

यामिनी बोली- फिर ये फ्रॉक उतारो और बिकनी में आ जाओ … यार हमने आज ही का सोच कर ली थी!

जाह्नवी थोड़ी शर्माती हुई फ्रॉक उतारने लगी और जब फ्रॉक उतार कर उसने काउच पर रखी तो मैं एकदम से शॉक्ड हो गया.

जाह्नवी ने काले रंग की बिकनी पहनी थी.
उसकी ब्रा और पैंटी पर फूल बने हुए थे, बिल्कुल मेरी फ्रेंची जैसे.

मैंने यामिनी की तरफ देखा तो वह बोली- यार, ये बिकनी मैंने पहले अपने लिए पसंद की थी और तुम्हारे लिए ये फ्रेंची … पर मैंने ट्राय करके देखी तो थोड़ी लूज़ थी. जाह्नवी के ऊपर फिट आ गयी. इस वजह से यह बिकनी जाह्नवी के पास चली गयी और तुम्हारी फ्रेंची मेरे पास रह गयी.

मैं मन ही मन मुस्कुरा दिया.

हम तीनों बियर पीने और बातें करने में व्यस्त हो गए.

यामिनी ने अमित के बारे में पूछा तो जाह्नवी बोली कि अमित ने रात को ज्यादा पी ली थी तो अब हैंगओवर हो गया और सर दर्द हो रहा है इसलिए वे रूम में ही आराम कर रहे हैं.
हम सब दो दो बियर पी चुके थे और बियर का सुरूर चढ़ने लगा था.

मैं जाह्नवी को कामुक नजरों से देखने लगा, उसका दूधिया फिगर काले रंग की बिकनी में बहुत मस्त लग रहा था. उसकी यह ब्रा आगे से काफी खुली थी. वह बस बूब्स का कुछ भाग ही छुपा रही थी. और ऐसे में पैंटी भी बिल्कुल उसके बदन के साथ चिपकी थी.

मुझे जाह्नवी को घूरते हुए यामिनी ने देख लिया था.
जाह्नवी उठ कर स्नैक्स लेने गयी.

तो यामिनी बोली- क्यों … मस्त लग रही है न जाह्नवी?
मैंने हां बोला.

फिर मेरे मुँह से निकला- मगर उसके पीछे का …

इससे आगे की लाइन मेरे मुँह में ही रह गयी.

यामिनी बोली- हां पीछे के तिल के दर्शन नहीं हो रहे हैं न!
मैंने कहा- हां.

तो वह बोली- करवा दूं?
मैंने कहा- कैसे?

वह बोली- वह सब छोड़ो … अगर करवा दिए तो मुझे क्या मिलेगा.
मेरे ऊपर एक तो जाह्नवी की मस्त फिगर का न/शा और ऊपर से बियर का सरूर छाया हुआ था.
मैंने कहा- जो तुम मांगोगी!

वह बोली- पक्का न!
मैंने कहा- एकदम पक्का.

इतने में जाह्नवी भी लौट आयी.
हम फिर से मस्ती करने लगे.

तभी एक वेट्रेस आयी मसाज तेल लेकर जो यामिनी ने आते हुए ही आर्डर कर आई थी.

वह तेल देती हुए यामिनी से बोली- मैडम आप उधर हो जाएं … और उन मैडम को बीच में आने दें!
उसने जाह्नवी की बिकनी और मेरे शॉर्ट की मैचिंग देख कर हमें कपल समझ लिया था.

तभी जाह्नवी भी बोली- चल हट कवाब में हड्डी!
वह हंसने लगी.

यामिनी बोली- अरे तू आ जा, तू भी करवा ले रमित से मसाज!

मैं उन दोनों लड़कियों को ऐसे मज़ाक करते देख शॉक में था, पर कहीं दिल में गुदगुदी भी हो रही थी.

काश जाह्नवी की मसाज करने का मौका मिल जाए.

जाह्नवी ने कहा- यार मैं मज़ाक कर रही हूँ!

यामिनी मेरी तरफ देखती हुई बोली- चलो रमित, तुमने वायदा किया था सुबह … अब जल्दी से मेरी मसाज कर दो!
मैंने कहा- यहां ओपन में?
तो वह बोली- तो क्या हुआ, यहां सिर्फ जाह्नवी ही तो है … मेरे बाद उसे भी भी अच्छी सी मसाज दे देना!
जाह्नवी बोली- यार तुम भी न!

यामिनी पेट के बल हो गयी.
मैं भी उसकी टांगों की तरफ आकर उसकी पिंडलियों पर तेल डालने लगा और फिर धीरे धीरे मसाज करने लगा.

मेरे हाथ पिंडलियों से होते हुए उसकी जांघों तक पहुंच गए और फिर मैं उसके चूतड़ों पर मालिश करने लगा.

यामिनी बोली- सच में यार … तुम बहुत अच्छी मसाज करते हो. अब तो तुम्हें हर संडे को करनी पड़ेगी.
मैंने कहा- पक्का.

उधर जाह्नवी हमें देख कर मंद मंद मुस्करा रही थी.

इधर मेरी मसाज से यामिनी थोड़ी गर्म भी हो रही थी, पर उसने खुद को कंट्रोल किया हुआ था.

मैं उसकी पीठ और गर्दन पर मसाज कर रहा था.
फिर वह पलट गयी तो मैंने फिर से टांगों से मसाज शुरू कर दी.

मैं उसकी जांघों पर मसाज कर रहा था तो मैं अपनी उंगलियों से उसकी चूत छूने लगा.
वह बोली- रमित … बदमाशी नहीं!

ये सुन कर जाह्नवी हंसने लगी.
पर मैंने अपना काम बदस्तूर जारी रखा.

थोड़ी देर में मसाज खत्म की तो यामिनी उठती हुई बोली- अब जाह्नवी तुम्हारी बारी!

मैं और जाह्नवी दोनों ही शॉक में थे और यामिनी की तरफ देख रहे थे.

तभी यामिनी बोली- अरे यार मैं करूंगी तुम्हारी मसाज … चलो आ जाओ … कम ऑन.

थोड़ी न नुकर के बाद जाह्नवी पेट के बल लेट गयी और मैं अपने काउच पर बैठ कर तीसरी बियर का मजा लेने लगा और उन दोनों को देखने लगा.

यामिनी उसकी टांगों से मसाज करती हुई उसके चूतड़ों पर आ गयी.
तभी उसने मसाज करते करते उसकी पैंटी एक तरफ खिसका दी, जिससे उसके चूतड़ का तिल दिखने लगा.

यामिनी ने आंखों से मेरी तरफ इशारा किया.
मैंने देखा और वाइफ की Sexxx हरकत पर मुस्कराने लगा.

फिर यामिनी ने उसकी पीठ पर मसाज की और उसे पलटने को बोला.

वह बोली- बस यार थैंक्स … बहुत अच्छा लगा.

अब दोपहर हो चुकी थी, यामिनी और जाह्नवी ने टॉवल से अपने बदन से तेल पौंछा और अपनी फ्रॉक पहन ली.

हम सब लंच के लिए होटल के अन्दर आ गए.
दोनों लड़कियां आपसे में खूब मस्ती कर रही थीं.

लंच के बाद जब हम अपने कमरों में जाने लगे तो मुझे मेरा एक दोस्त मिल गया.
वह भी अपनी बीवी के साथ उसी होटल में रुका हुआ था.

तो मैं उससे बात करने के लिए वहीं रुक गया.
यामिनी और जाह्नवी लिफ्ट से ऊपर चली गईं.

जब मैं रूम में पहुंचा, तो यामिनी बालकनी में खड़ी हुई थी.
उसने छोटी सी निक्कर और टॉप पहना हुआ था.

मैंने पीछे से जाकर उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसकी गर्दन पर चूमते हुए बोला- ओह यामिनी, सच में यार … मज़ा आ गया, तुम सही बोल रही थी … हॉटनेस में जाह्नवी कहीं भी तुमसे उन्नीस नहीं है. उसके बूब्स तो तुमसे भी बड़े और उसके होंठ पर बायीं तरफ का तिल तो क़यामत है.

मैं ये सब जब बोल रहा था तो मैंने अपने होंठ उसके कंधे पर रखे हुए थे और आंखें बंद कर रखी थीं.

तभी पीछे से किसी के हंसने की आवाज़ आयी.
मैंने हैरान हो कर पीछे देखा तो यामिनी खड़ी थी.
अगर यामिनी वहां थी, तो ये कौन थी?

मैंने देखा कि यह जाह्नवी थी, जो अब नजरें झुकाये खड़ी थी.

दरअसल हुआ यूँ था … जैसे कि यामिनी ने मुझे बाद में बताया कि जाह्नवी का हस्बैंड रूम लॉक करके कहीं बाहर चला गया था तो यामिनी उसे अपने साथ ले आयी और हमारे रूम में आने के बाद जाह्नवी ने बाथ लेकर यामिनी के कपड़े पहन लिए.

इसी वजह से मैंने जाह्नवी को यामिनी समझ कर उसे अपनी बांहों में ले लिया था.

मैंने जाह्नवी से माफ़ी मांगी तो वह बोली- आपकी कोई गलती नहीं है. प्लीज माफ़ी मत मांगिये.

थोड़ी देर बाद जाह्नवी अपने रूम में चली गयी.

यामिनी मेरे ऊपर आकर लेट गयी और पूछने लगी- मज़ा आया जाह्नवी को बांहों में भर के?

मैंने उससे कहा- हां मज़ा तो बहुत आया!
वह बोली- अच्छा जी!

यामिनी पर भी कुछ मसाज का असर था तो वह मुझे गर्म करने लगी … साथ साथ वह जाह्नवी का नाम लेकर भी उत्तेजित करने लगी.

थोड़ी देर बाद हमारे कपड़े नीचे फर्श पर थे और हम अपने नंगे जिस्म एक दूसरे से रगड़ रहे थे.
एक दूसरे के बदन को सहला रहे थे.

एक अच्छी और लम्बी चुदाई के बाद हम एक दूसरे की बांहों में सो गए.

इस तरह से हमारा हनीमून मस्त निकल रहा था जाह्नवी भी हम दोनों से बहुत खुल चुकी थी.
यामिनी और जाह्नवी बेस्ट फ्रेंड बन गयी थीं.

यामिनी ने बताया कि वह दोनों अपने रोमांटिक मोमेंट्स भी शेयर कर लेती हैं.

एक ख़ास बात जो यामिनी ने बताई कि जाह्नवी जितनी रोमांटिक एंड सेक्सी है … उसका पति उतना उसके साथ रोमांटिक और सेक्सुअल एक्टिव नहीं है.
कई बार जाह्नवी इस बात से उदास भी हो जाती है.

इस तरह से मस्ती करते हुए हमारा हनीमून खत्म हुआ और हम दोनों वापिस अपने घर पुणे लौट आए.

पुणे आकर हम अपने अपने कामों में व्यस्त हो गए.

मेरी और यामिनी की सेक्स लाइफ बहुत अच्छे से चल रही थी.
हम दोनों खूब चुदाई करते, घर के हर एक कोने में हमने चुदाई की … यहां तक की बालकनी में भी!

इस दौरान यामिनी और जाह्नवी की फ़ोन पर बातें होती रहती थीं.

एक दिन मैं ऑफिस से घर लौटा तो देखा जाह्नवी आयी हुई थी.

यामिनी ने बताया कि जाह्नवी आज रात यहां रुकने वाली है, उसका हस्बैंड दिल्ली गया हुआ है.

हमने आज शाम को ख़ास बनाने के लिए अच्छा सा डिनर प्लान किया.
हम तीनों ने पहले मूवी जाने का प्लान किया.

यामिनी ने आज ब्लैक साड़ी पहनी थी जिसके ब्लाउज का गाला बहुत डीप था और बैक-लैस था.
जैसे ही वह तैयार होकर आयी, तो मैंने उसे अपनी बांहों में भर के चूम लिया.
तभी जाह्नवी भी आ गयी.

उसने सीन देख कर कहा- अरे कभी तो कोई मौका छोड़ दिया करो रोमांस का!
हम दोनों हंसने लगे.

फिर मैंने जाह्नवी को देखा तो बस देखता ही रह गया.
वह लाल रंग के डीप नैक और डीप बैक के गाउन में बहुत सेक्सी और खूबसूरत लग रही थी.

हम तीनों मॉल में पहुंच कर पीवीआर में आ गए.

मूवी शुरू हुई तो मैंने अपनी बाजू यामिनी के कंधे के ऊपर रख ली.
धीरे धीरे मेरी उंगलियां यामिनी की पीठ पर हरकत करने लगीं.

फिर मैंने इधर उधर देखा और जब आश्वस्त हो गया कि हमें कोई नहीं देख रहा तो मेरी उंगलियां यामिनी के बूब्स को छूने लगीं.

यामिनी मेरे कान में फुसफुसा कर बोली- तुम यहां भी नहीं टिक सकते क्या?
यह कह कर उसने अपने हाथ से मेरे लंड को दबा दिया.

इंटरवल में हम सब बाहर आए तो यामिनी की आंखों में खुमारी थी.

जाह्नवी भी उसके कान में बोली- यार, तुम दोनों बाहर भी रोमांस का कोई मौका नहीं छोड़ते.

यामिनी खिलखिला कर हंसने लगी.
जाह्नवी भी मेरी तरफ देख हल्के से मुस्करा दी.

यामिनी बोली- यार फिल्म में मज़ा नहीं आ रहा … क्यों न खाना पैक करवा के वापिस घर चलें. घर पर ज्यादा अच्छे से एन्जॉय करेंगे.

हमने वहां से निकल के रेस्ट्रॉन्ट से खाना पैक करवाया.
रास्ते में वोदका की बोतल ले ली और घर आ गए.

डिनर की मस्ती पढ़ने के लिए अगले एपिसोड का इंतज़ार करो.
दोस्तो, यह सेक्स कहानी इस शीर्षक से यहीं रोक रहा हूँ.
आगे का हाल एक नई सेक्स कहानी में जाह्नवी लिख कर बताएगी.

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